Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 01:08 PM,
#1
Lightbulb  Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
मेरे हथियार मेरे हाथ


“ह म इस समय बयालीस डिग्री पर बर्मा के खौफनाक जंगलों की तरफ उड़ान भर रहे हैं चीफ !”

“गुड ! तुम बिल्कुल सही दिशा में आगे बढ़ रहे हो करण !” गंगाधर महन्त गरमजोशी के साथ बोले- “पांच मिनट बाद तुमने उत्तर पश्चिमी दिशा में ही पैंतालीस डिग्री पर आगे बढ़ना है ।”


“ओके !”

“याद रहे, यह तुम्हारी जिंदगी का सबसे खतरनाक मिशन है करण ! इस मिशन में तुम्हारी जिंदगी दांव पर लगी है ।”


“मैं जानता हूँ चीफ ।” कमाण्डर कमाण्डर करण सक्सेना कॉकपिट में पायलेट के बराबर वाली सीट पर ही बैठा था ।”


“वह बारह योद्धा है ।” गंगाधर महन्त पुनः बोले- “बारह बहुत खतरनाक योद्धा-जिनसे तुम्हारी मुठभेड़ होनी है और जो बर्मा के खौफनाक जंगल में मौजूद हैं ।”

एअर इण्डिया का वह थ्री सीटर विमान बादलों को चीरता हुआ तूफानी स्पीड से उड़ा जा रहा था ।

“यूं तो उन सभी बारह यौद्धाओं के बारे में तुम्हें बताया जा चुका है करण ।” गंगाधर महन्त बोले- “परन्तु फिर भी उन सभी योद्धाओं के बारे में और इस पूरे मिशन के बारे में, मैं तुम्हें छोटी सी जानकारी एक बार फिर दे देना चाहता हूँ ।”

“मैं सुन रहा हूँ चीफ ।”

“दरअसल वह सभी बारह योद्धा अलग-अलग युद्ध-कलाओं के महारथी हैं और बहुत खतरनाक हैं । इसके अलावा वो बारह योद्धा दो ग्रुप में बंटे हुए हैं ।”

“दो ग्रुप !

“हाँ - पहला सपोर्ट ग्रुप ! दूसरा असॉल्ट ग्रुप ।”

कमाण्डर करण सक्सेना ने दोनों ग्रुपों के नाम अपने दिमाग़ में स्थापित कर लिये ।

सपोर्ट ग्रुप !
असाल्ट ग्रुप !

“पहले ‘सपोर्ट ग्रुप’ में भी छः योद्धा हैं और दूसरे ‘असॉल्ट ग्रुप’ में भी छः योद्धा ही हैं । सबसे पहले मैं तुम्हें ‘सपोर्ट ग्रुप’ के छः योद्धाओं के नाम बताता हूँ ।”

फिर गंगाधर महन्त ने ‘सपोर्ट ग्रुप’ के छः योद्धाओं के नाम कमाण्डर करण सक्सेना को बताये ।

मास्टर (हंसिये से क़त्ल करने का शौकीन)

हवाम (पेशेवर हत्यारा)

अबूनिदाल (वह अपनी ‘स्नाइपर राइफल’ से आदमी की गर्दन के एक ऐसे खास प्वॉइंट पर गोली मारता है कि गर्दन कटकर हवा में उछल जाती है)

माइक (दुर्दांत आतंकवादी)

रोनी (समुद्री लुटेरा)

“इन सबके अलावा योद्धाओं की इस टीम का सबसे आखि़री मैम्बर है- जैक क्रेमर !” गंगाधर महन्त बोले ।

“जैक क्रेमर !”

“हाँ, जैक क्रेमर ही इन सबका लीडर है । यही सारे फ़साद की जड़ है ।”

“यानि जैक क्रेमर ने ही दुनिया के इन खतरनाक योद्धाओं को एक साथ बर्मा के जंगल में जमा किया है ?” कमाण्डर करण सक्सेना चौंका ।
“बिल्कुल । जैक क्रेमर ने ही उन सबको जमा किया है । जैक क्रेमर ने ही इस सारे षड्यंत्र की आधारशिला रखी है ।”

“ओह !”

“दरअसल जैक क्रेमर एक अमरीकन है और जहर का विशेषज्ञ होने के साथ-साथ बहुत बुद्धिमान भी है । कभी वो अमरीका में नारकाटिक्स किंग हुआ करता था और सिर्फ अपने दिमाग की बदौलत उसने कई करोड़ डॉलर कमाये । फिर जब उस दौलत से भी उसे संतुष्टि न मिली, तो बर्मा के जंगल में आकर उसने खास षड्यंत्र के तहत इन सब योद्धाओं को जमा कर लिया ।”

“खास षड्यंत्र क्या था ?”

“वहाँ बर्मा के जंगल में ऊपरी तौर पर दिखावे के लिए तो यह तमाम योद्धा नारकाटिक्स का धंधा करते हैं, लेकिन वास्तव में इनका मकसद एक दिन पूरे बर्मा पर काबिज हो जाना है । दरअसल बर्मा में कीमती धातुओं की बड़ी-बड़ी खदानें हैं और यह सब बारह योद्धा एक दिन उन सब खदानों के मालिक बन जाना चाहते हैं । बर्मा सरकार को भी जैक क्रेमर और उसके साथी योद्धाओं के इन नापाक इरादों की जानकारी है । परन्तु वो उनके खिलाफ़ कुछ नहीं कर पा रही है । उन योद्धाओं ने बर्मा के जंगल में अपने पैर बड़ी मजबूती के साथ जमा लिये हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि अमरीकन गवर्नमेंट ने भी इस बारे में हिन्दुस्तान से मदद मांगी थी और इसीलिए अब बर्मा को इन बारह योद्धाओं के ख़ौफ से आजादी दिलाने के लिए तुम्हें भेजा जा रहा है ।”

कमाण्डर शांत था ।
बिल्कुल शांत !
Reply
05-16-2020, 01:09 PM,
#2
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
ट्रांसमीटर पर गंगाधर महन्त की आवाज लगातार सुनाई दे रही थी ।

“हमारा यह मिशन जहाँ बेहद खतरनाक है करण, वहीं बेहद सीक्रेट भी है ।” गंगाधर महन्त पुनः बड़ी गरमजोशी के साथ बोले- “जिस तरह तुम्हें बर्मा सरकार की मदद के लिए भेजा रहा है, दरअसल यह अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के विरुद्ध है । इससे उस एस्पियानेज कानून का उल्लंघन होता है, जिससे दुनिया के सारे देश बंधे हैं । इसीलिए अगर तुम्हें कुछ हुआ, तो यह बहुत खतरनाक होगा । हम यह भी कबूल नहीं कर सकेंगे कि तुम कमाण्डर करण सक्सेना हो और तुम्हें भारत सरकार ने किसी मुहिम पर बर्मा भेजा था ।”

“मैं सारे हालात अच्छी तरह समझ रहा हूँ चीफ ! और कुछ ?”

“नहीं, बाकी मुझे कुछ नहीं कहना । बाकी तो मैं सिर्फ यही कहूँगा कि अपना ख्याल रखना माई ब्वॉय । कभी-कभी सरकार के कहने पर मुझे कुछ ऐसे फैसले भी लेने पड़ते हैं, जो मैं नहीं लेना चाहता ।”

कमाण्डर करण सक्सेना को उस क्षण गंगाधर महन्त की आवाज साफ-साफ कंपकंपाती महसूस हुई ।
वो रूंधी हुई आवाज़ थी ।

वो जानता था, उसके चीफ उससे कितना प्यार करते हैं । अगर सचमुच उनके बस में होता, तो वह उस जानलेवा मिशन पर उसे कभी न भेजते ।

जबकि कमाण्डर कमाण्डर उस मिशन पर जाते हुए खुद को रोमांचित अनुभव कर रहा था ।

“आप बेफिक्र रहें चीफ ।” कमाण्डर करण सक्सेना की आवाज में विश्वास का पुट था- “मुझे कुछ नहीं होगा । मैं बर्मा के खौफनाक जंगलों में भी जीतकर लौटूंगा । एक बार फिर कमाण्डर करण सक्सेना को कामयाबी हासिल होगी ।”

“काश ऐसा ही हो ! इस समय तुम्हारा हवाई जहाज किस दिशा में उड़ रहा है ?”

“वह उत्तर-पश्चिम में पचास डिग्री अक्षांश पर है ।” कमाण्डर नेवीगेटर की सूइयां देखता हुआ बोला- “हम बस बर्मा के घने जंगलों में पहुँचने ही वाले हैं ।”

“विश यू ऑल द बैस्ट माई ब्वॉय ।”

“थैंक्यू !”
Reply
05-16-2020, 01:13 PM,
#3
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कहने की आवश्यकता नहीं, कमाण्डर करण सक्सेना को इस बार सीधे मौत के मुंह में धकेला जा रहा था ।

कमाण्डर, हर बार मौत के पंजे से पंजा लड़ाना जिसका शौक बन चुका है । रॉ (रिसर्च एंड एनलायसिस विंग) का वह जांबाज जासूस, जिसके नाममात्र से ही आज दुनिया के बड़े-बड़े अपराधी और दुश्मन देश के जासूस थर्रा उठते हैं । छः फुट से भी निकलता हुआ क़द । गोरा-चिट्टा रंग । काला लम्बा ओवरकोट और काला गोल क्लेंसी हैट पहनने का शौकीन है ।

एक कोल्ट रिवॉल्वर वह हमेशा अपने ओवरकोट की जेब में रखता है, जबकि दूसरी कोल्ट रिवॉल्वर अपने काले गोल क्लेंसी हैट की ग्लिप में रखता है । हैट की ग्लिप में मौजूद रिवॉल्वर किसी खतरनाक जगह फंसने पर उसके काफी काम आती है । वह अपने दिमाग की मांस-पेशियों को जरा भी हरकत देता है, तो फौरन हैट की ग्लिप में फंसी रिवॉल्वर निकलकर खुद-ब-खुद उसके हाथ में आ जाती है । गोली चलाने से पूर्व वह रिवॉल्वर के साथ ‘जगलरी’ भी करता है । रिवॉल्वर उसकी उंगलियों की गिर्द फिरकनी की तरह घूमती है ।

“कमाण्डर !” हवाई जहाज का पायलेट बड़ी सहानुभूतिपूर्ण नज़रों से कमाण्डर की तरफ देखता हुआ बोला- “क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा कि भारत सरकार ने इस बार एक बहुत गलत कदम उठाया है ?”

“क्यों ?”

“आखिर आपको जानबूझकर मौत के एक ऐसे अंधे कुएं में धकेला जा रहा है, जहाँ से आपके जीवित वापस लौटने का कोई चांस नहीं है ।”

कमाण्डर मुस्कराया ।

“मैं मानता हूँ , इस बार मिशन कुछ ज़्यादा खतरनाक है ।” कमाण्डर बोला-“परन्तु मैं इतना नाउम्मीद नहीं हूँ, जो अभी से मरने की बात सोचने लगूं ।”

“लेकिन वो दुनिया के सबसे ज़्यादा खतरनाक बारह योद्धा हैं कमाण्डर !” पायलेट शुष्क स्वर में बोला ।

“वह न सिर्फ खतरनाक बारह योद्धा है बल्कि मैं यह भी जानता हूँ कि वह बर्मा के खौफनाक जंगल में अपनी पूरी फौज के साथ मौजूद हैं ।”

“फिर भी आप नाउम्मीद नहीं है ।”

“हाँ ।”

“जबकि आप वहाँ बिल्कुल अकेले होंगे कमाण्डर !” पायलेट के चेहरे पर हैरानी के भाव पैदा हुए- “आपकी कोई मदद करने वाला भी वहाँ नहीं है । फिर आप इतने खतरनाक योद्धाओं का अकेले मुकाबला कैसे कर पायेंगे ?”

“उनका मुकाबला करने के लिए कुछ न कुछ तो मैं ज़रूर करूँगा ।” कमाण्डर मुस्कुराया- “हो सकता है, बर्मा के जंगल में घुसते ही वह सब ख़ुद-ब-ख़ुद मेरा शिकार बन जायें ।”

“आप शायद मजाक कर रहे हैं कमाण्डर !”

“कभी-कभी मजाक करना भी सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है यंगमैन !”

पायलेट के चेहरे पर हैरानी के भाव बढ़ गये ।

उसे महसूस हुआ, कमाण्डर करण सक्सेना सचमुच हाड़-मांस का बना इंसान नहीं है ।

वह फौलाद था ।
फौलाद !

कोई फौलाद ही ऐसे हालात में भी मुस्करा सकता था ।

बर्मा की सीमा अब शुरू हो चुकी थी, नीचे दूर-दूर तक फैले वो ख़तरनाक जंगल नजर आ रहे थे, जो अपनी भयानकता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है ।

“आपसे विदाई का समय आ चुका है कमाण्डर !”

“ठीक कह रहे हो तुम ।”

कमाण्डर फौरन सब-पायलेट वाली सीट छोड़कर खड़ा हो गया और लगभग दौड़ता हुआ कॉकपिट से बाहर निकला ।
उस पूरे थ्री सीटर विमान में उन दोनों के सिवाय कोई न था ।

वह विमान सिर्फ कमाण्डर को ही बर्मा के खौफनाक जंगल में छोड़ने के लिए आया था ।

वहीं एक हैवरसेक बैग (फौजियों का पीठ पर बांधने वाला पिट्ठू) रखा था ।
हैवरसेक बैग- जिसमें कमाण्डर का काफी सारा सामान था ।
कमाण्डर ने फौरन उस हैवरसेक बैग को उठाकर अपनी पीठ पर कस लिया तथा फिर पैराशूट को बाँधना शुरू किया ।
“कमाण्डर, क्या आप मेरी आवाज सुन रहे हैं ?” तभी विमान के एक लाउडस्पीकर पर पायलेट की आवाज उभरी ।
“हाँ , मैं सुन रहा हूँ ।” कमाण्डर ने वहीं दीवार पर लगे एक माइक में कहा ।
“क्या आप नीचे कूदने के लिए तैयार हैं ?”
“यस, आई एम रेडी !” कमाण्डर जल्दी-जल्दी पैराशूट को बांधता हुआ बोला ।
“मे यू ऑलवेज बी लकी कमाण्डर !”
“थैंक्स !”
उसी क्षण उस थ्री सीटर विमान की स्पीड कम होने लगी ।
अब विमान बर्मा के ख़ौफनाक जंगल के चारों तरफ मंडरा रहा था ।
तब तक कमाण्डर ने भी पैराशूट अच्छी तरह कसकर बांध लिया ।
पैराशूट बांधते ही उसने खिड़की खोल दी । तत्काल हवा का एक तेज झोंका उसके शरीर से आकर टकराया ।
हवा बहुत ठण्डी थी ।
वह सुइयों की तरह उसके शरीर में चुभी ।
“गुड बाय कमाण्डर !” पायलेट की आवाज़ लाउडस्पीकर पर फिर उभरी ।
“गुड बॉय ।”
कमाण्डर ने उड़ते हुए विमान से नीचे छलांग लगा दी ।
Reply
05-16-2020, 01:13 PM,
#4
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
वह किसी भारी-भरकम सामान की तरह बड़ी तेजी के साथ नीचे गिरता चला गया था ।
हवा उसे खदेड़े दे रही थी ।
तभी पैराशूट खुल गया ।
पैराशूट खुलते ही कमाण्डर के शरीर को जोरदार झटका लगा ।
अब पैराशूट की बड़ी छतरी ऊपर की तरफ बन गयी और उसका शरीर नीचे लटक गया ।
उसके गिरने में अब संतुलन आ गया था ।
कमाण्डर करण सक्सेना को एक ही खतरा था, वह किसी पेड़ पर न जा गिरे ।
बहरहाल ऐसा कुछ न हुआ ।
वह धम्म से जंगल की हल्की दलदली जमीन पर जाकर गिरा और फिर पैराशूट बांधे-बांधे काफी दूर तक दौड़ता चला गया ।
वह बिल्कुल सुरक्षित रूप से नीचे उतर आया था ।
सिर्फ घुटने में हल्की खरोंचें आयीं ।
तब रात में दो बज रहे थे और चारों तरफ घोर अंधकार था ।
नीचे उतरते ही उसने सबसे पहले पैराशूट अपने जिस्म से अलग किया । फिर उसके अंदर भरी हवा निकालकर उसका बंडल बनाया और उसके बाद उसमें आग लगा दी ।
पैराशूट धूं-धूं करके जल उठा ।
पलक झपकते ही वो राख हो चुका था ।
“हैलो-हैलो !” दूसरी तरफ से ट्रांसमीटर सैट पर निरंतर गंगाधर महन्त की आवाजें आ रही थीं- “तुम इस वक्त कहाँ हो करण ? क्या तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो ?”
सबसे बड़ी बात ये है कि गंगाधर महन्त अब एक ऐसी कोड भाषा में बोल रहे थे, जिसे इस पूरी दुनिया में सिर्फ कमाण्डर करण सक्सेना ही समझ सकता था ।
उस मिशन के लिए खासतौर पर वो कोड भाषा ईजाद की गयी थी ।
“करण, तुम मेरी आवाज सुन रहे हो या नहीं ?” गंगाधर महन्त की ट्रांसमीटर सैट पर पुनः आवाज गूंजी- “तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो या नहीं ?”
“यस चीफ !” कमाण्डर करण सक्सेना ने भी बड़े तत्पर अंदाज में उसी कोड भाषा में जवाब दिया- “मैं बिल्कुल सुरक्षित बर्मा के जंगल में पहुँच चुका हूँ और मैं महसूस करता हूँ कि बहुत जल्द मेरा अब दुश्मन से मुकाबला होगा ।”
“ओह !” दूसरी तरफ गहरी खामोशी छा गयी ।
“दुश्मन बेहद ताकतवर है चीफ !” कमाण्डर पुनः बोला- “उसके पास ऐेसे इलैक्ट्रानिक गैजेट भी हो सकते हैं, जो वह ट्रांसमीटर पर होने वाली हमारी इस बातचीत की फ्रीक्वेंसी को कैच कर लें । इसलिये इस पल के बाद हमारे बीच ट्रांसमीटर पर भी कोई बातचीत नहीं होगी ।”
“ओके करण ! लेकिन अगर तुम किसी बड़ी मुश्किल में फंस जाओ, तो मुझे जरूर इन्फार्मेशन देना ।”
“जरुर चीफ !”
“गॉड ब्लैस यू माई सन एण्ड गुड नाइट ।”
“गुड नाइट !”
सम्बन्ध विच्छेद हो गया ।
कमाण्डर ने ट्रांसमीटर का हैडफोन अपने सिर से उतारा और पूरा ट्रांसमीटर सैट अपने ओवरकोट की गुप्त जेब में रख लिया ।
उसने सितारों टंके काले आसमान की तरफ देखा ।
उस थ्री सीटर विमान का अब वहाँ दूर-दूर तक कहीं कुछ पता नहीं था, जो उसे वहाँ छोड़ गया था ।
जंगल में ठण्डी-ठण्डी हवा अभी भी चल रही थी ।
दूर कहीं से किसी सियार के रोने की आवाज आ रही थी, जिसने जंगल के उस वातावरण को और भी ज्यादा खौफनाक बना दिया था ।
सचमुच बर्मा का वह जंगल बड़ा खतरनाक था । दुनिया के सबसे बड़े ‘अनाकोंडा’ अजगर अगर वहाँ थे, तो उन बारह योद्धाओं ने अफ्रीका के माम्बा सांप भी वहाँ लाकर छोड़ रखे थे । लाल चींटियों के तो वहाँ झुंड के झुंड थे और अफ्रीकन गुरिल्लों की भी एक बड़ी प्रजाति उस जंगल में मौजूद थी ।
कमाण्डर को इस बार काफी तैयारियों के साथ उस मिशन पर भेजा गया था ।
उसकी चुस्त पेंट पर दोनों साइडों में स्प्रिंग ब्लेड बंधे थे ।
स्प्रिंग ब्लेड खास तरह के चाकू थे, जिन्हें उस मिशन के लिए स्पेशल तौर पर तैयार किया गया था ।
उन स्प्रिंग ब्लेड के दोनों तरफ तेजधार थीं । उनका फल कोई नौ इंच लम्बा था और उनकी मूठ के पास स्प्रिंग कुछ इस तरह से सैट की गई थी कि जब उन स्प्रिंग ब्लेडों से किसी पर हमला किया जाता, तो उस परिस्थिति में स्प्रिंग ब्लेडों की वेलोसिटी दोगुनी हो जाती और वह दुश्मन के छक्के छुटा डालते ।
इसके अलावा कमाण्डर के हैवरसेक बैंग में भी काफी सारा सामान था ।
जैसे दो कम्बल !
पानी की कैन !
काफी सारी खाद्य सामग्री !
फर्स्ट-एड-बॉक्स !
हैंडग्रेनेड बम !
प्वाइंट अड़तीस कैलीबर की रिवॉल्वर में चलाने के लिए गोलियों के कई पैकिट ।
कुल मिलाकर कमाण्डर करण सक्सेना के पास इतना साज-सामान था, जो वह कई दिन उस खतरनाक जंगल में गुजार सके ।
Reply
05-16-2020, 01:13 PM,
#5
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
उधर !
भारत में समुद्रतट के किनारे बसा शहर मुम्बई !
और मुम्बई में भी एक कई मंजिला ऊंचा रॉ का वह विशालतम हैडक्वार्टर, जहाँ इस समय अफरा-तफरी जैसा माहौल था ।
आधी रात के समय भी पूरे हैडक्वार्टर की लाइटें जली हुई थीं ।
वह फिल्म-रूम था । जहाँ इस समय गंगाधर महन्त और काफी सारे रॉ एजेंट बैठे हुए थे । सामने पैंतीस मिलीमीटर की स्क्रीन जगमगा रही थी । इस वक्त फिल्म रूम में जितने भी व्यक्ति मौजूद थे, सबकी आँखें आश्चर्य और दहशत की वजह से फटी हुई थीं । उस वक्त स्क्रीन पर एअर इण्डिया का वो थ्री सीटर विमान मंडराता हुआ नजर आ रहा था । जो कमाण्डर को छोड़ने बर्मा के जंगल में गया था ।
तभी उस विमान का दरवाजा खुलता हुआ सभी ने देखा और फिर दरवाजे पर पैराशूट बांधे कमाण्डर करण सक्सेना नजर आया ।
कमाण्डर की पीठ पर हैवरसेक बैग बंधा था ।
चेहरे पर दृढ़ता के भाव !
क्या मजाल जो वह जरा भी डरा हुआ हो ।
फिर उन सबके देखते-देखते उसने उड़ते हुए हवाई जहाज में से नीचे जंगल में छलांग लगा दी ।
उसके बाद वो नजरों के सामने से ओंझल होता चला गया ।
“हैलो-हैलो !” गंगाधर महन्त अब ट्रांसमीटर सैट पर जोर-जोर से चिल्लाने लगे- “तुम इस वक्त कहाँ हो करण ? क्या तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो ?”
शीघ्र ही उन्हें कमाण्डर की आवाज ट्रांसमीटर पर सुनाई दी ।
उनके बीच बातें हुई ।
और फिर कमाण्डर ने यह कहकर वो बातचीत खत्म कर दी कि अब उस पूरे मिशन के दौरान उनके बीच कोई वार्तालाप नहीं होगा ।
“हे भगवान, कितना जांबाज है यह लड़का !” गंगाधर महन्त आश्चर्यमिश्रित स्वर में बोले- “अब सारे विश्व से इसका सम्पर्क कट चुका है । अब कोई इसकी मदद नहीं कर सकता । अब बर्मा के खौफनाक जंगलों में यह बिल्कुल अकेला है ।”
“लेकिन कमाण्डर ने यह क्यों कहा है ।” तभी रचना मुखर्जी नाम की एक रॉ एजेंट बोली- “कि वह पूरे मिशन के दौरान आपसे ट्रांसमीटर पर भी बातचीत नहीं करेंगे?”
“क्योंकि कमाण्डर जानता है कि उन बारह यौद्धाओं के पास मॉडर्न गैजेट हैं ।” गंगाधर महन्त की आवाज भावुक हो उठी- “अगर उनमें से कोई भी योद्धा ट्रांसमीटर पर होने वाली हमारी उन बातचीत को सुन लेगा, तो उसी पल हमारा यह मिशन फेल हो जायेगा । उसी पल उसके ऊपर संकट के बादल मंडराने लगेंगे । इसीलिए उस जांबाज लड़के ने इतनी बड़ी मुश्किल में फंसने के बावजूद भी उस रास्ते को ही बंद कर दिया है, जिससे खतरा पैदा हो ।”
“लेकिन कमांडर का यह डिसीज़न गलत भी हो सकता है चीफ !”
“तुम शायद नहीं जानतीं, करण राईट डिसीज़न लेने में बिलीव नहीं करता । वह पहले डिसीज़न लेता है, फिर उसे राईट करता है । यही करण की सबसे बड़ी खासियत है । करण फाउंडर है, फॉलोवर नहीं ।”
रचना मुखर्जी की आँखों में आंसू छलछला आये ।
जबकि गंगाधर महन्त ने बड़े जोश के साथ खड़े होकर स्क्रीन पर धुंधलाती कमाण्डर की तस्वीर को जोरदार सैल्यूट मारा था ।
“तुम सचमुच महान हो कमाण्डर, सचमुच महान हों । यह गंगाधर महन्त भी तुम्हारी बहादुरी के लिए तुम्हें सैल्यूट करता है ।”
और !
भीगती चली गयी थीं गंगाधर महन्त की आँखें ।
उस क्षण फिल्म रूम में बैठे तमाम रॉ एजेंटों की आँखें नम थीं ।
वह सब उसकी बहादुरी से अभिभूत थे ।
“काश !” रचना मुखर्जी ने गहरी सांस छोड़ी- “काश कमाण्डर के साथ मुझे भी इस मिशन पर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होता । काश उनके साथ-साथ मैं भी अपनी जिंदगी का यह दांव खेल पाती ।”
उसकी आवाज हसरत से भरी थी ।
उसे अफसोस था, उसे यह मौका क्यों नहीं मिला ।
Reply
05-16-2020, 01:15 PM,
#6
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
बर्मा के खौफनाक जंगल, जहाँ की जमीन या तो बेहद रेतीली हुआ करती है या फिर हलकी दलदली ।
इसके अलावा बर्मा के जंगलों की एक विशेषता और है- वहाँ तीन तरह के पेड़ पाये जाते हैं । बेहद ऊंचे, उससे नीचे और नीचे । इसीलिए सूरज की किरणें भी ढंग से जंगल की जमीन तक नहीं पहुँच पाती । वह पेड़ों की शाखों तथा घनी पत्तियों के बीच में ही उलझकर रह जाती हैं । बर्मा के उसी अद्भुत जंगल के बीच में उन बारह खतरनाक योद्धाओं का वो हैडक्वार्टर बना था, जहाँ से वह अपनी ड्रग्स की तथा दूसरी गतिविधियों को संचालित करते थे ।
वह काफी विशालकाय हैडक्वार्टर था ।
उस हैडक्वार्टर की सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि उसकी निर्माण-पद्धति बर्मा के पुराने पेगोडाओं (बौद्ध मंदिरों) की याद ताजा कराती थी ।
तभी हैडक्वार्टर में हलचल मची ।
तेज हलचल ।
“य... यह क्या ।” हैडक्वार्टर के रेडियो रूम में बैठा एक गार्ड चौंका-“लगता है, राडार कोई फ्रींक्वेंसी कैच कर रहा है । जरूर जंगल में कहीं कुछ गड़बड़ है ।”
गार्ड रेडियो बोर्ड पर झुककर जल्दी-जल्दी कुछ तार इधर से उधर जोड़ने लगा और स्विच दबाने लगा ।
“लेकिन कैसी गड़बड़ हो सकती है ?” वहीं बैठे दूसरे गार्ड ने सवाल किया ।
“मालूम नहीं, कैसी गड़बड़ है । लेकिन कुछ न कुछ गड़बड़ तो जरूर है, ऐसा मालूम होता है- जैसे जंगल में कोई ट्रांसमीटर पर बात कर रहा है ।”
“ट्रांसमीटर !”
“हाँ ।”
उसी क्षण रेडियो बोर्ड पर कमाण्डर करण सक्सेना और गंगाधर महन्त की आवाजें सुनायी देनी शुरू हो गयीं ।
लेकिन वह क्योंकि कोड भाषा में बात कर रहे थे, इसलिए कोई भी बात उनके समझ में नहीं आयी ।
“लगता है, किसी सीक्रेट भाषा में कोई संदेश प्रसारित किया जा रहा है ।”
“जरूर कोई दुश्मन जंगल में घुस आया है ।” दूसरा गार्ड बोला ।
“मुझे फौरन जैक क्रेमर साहब को इस बारे में सूचना देनी चाहिये ।”
☐☐☐
फ्रींक्वेंसी कैच करते ही रेडियो रूम में भूचाल सा आ गया था ।
तेज भूचाल ।
गार्ड टेलीफोन की तरफ झपटा और उसने जल्दी-जल्दी कोई नम्बर डायल किया ।
“हैलो ! हैलो ! !” वह रिसीवर पर जोर जोर से चिल्लाने लगा ।
“यस !” तुरंत दूसरी तरफ से आवाज आयी ।
“मैं रेडियो रूम का ऑपरेटर बोल रहा हूँ ।” गार्ड शीघ्रतापूर्वक बोला- “मेरी फौरन जैक क्रेमर साहब से बात कराओ ।”
“जैक क्रेमर साहब !”
“हाँ ।”
“तुम शायद पागल हो गये हो ।” दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति गुर्राया- “तुम जानते हो, इस वक्त क्या बज रहा है ? रात के दो बज रहे हैं । इस समय जैक क्रेमर साहब गहरी नींद में होंगे ।”
“बेवकूफ, मैं भी जानता हूँ कि इस वक्त क्या बजा है ।” गार्ड झुंझला उठा- “लेकिन मेरी फौरन जैक क्रेमर साहब से बात कराओ । क्वीकली ! लगता है, कोई दुश्मन हमारे इलाके में घुस आया है । अगर तुरंत यह खबर जैक क्रेमर साहब को न दी गयी, तो वह तुम्हें गोली मार देंगे ।”
दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति हड़बड़ा उठा ।
“जस्ट ए मिनट होल्ड ऑन प्लीज ।” वह बोला- “मैं अभी जैक क्रेमर साहब से तुम्हारी बात कराता हूँ ।”
“जल्दी !”
“सिर्फ दो मिनट रूको ।”
फिर कुछ देर के लिए टेलीफोन लाइन पर खामोशी छा गयी ।
गहरी खामोशी !
उस क्षण रेडियो रूम में मौजूद गार्ड को एक-एक सेकेण्ड गुजारना काफी भारी पड़ रहा था ।
थोड़ी देर बाद ही एक उनींदी सी आवाज रिसीवर पर उभरी । वह जैक क्रेमर की आवाज थी । ऐसा लगता था, जैक क्रेमर उस वक्त गहरी नींद सो रहा था, जब उसे जगाया गया था ।
“हैलो !”
“सर !” गार्ड तत्परतापूर्वक बोला- “मैं रेडियो रूम का ऑपरेटर बोल रहा हूँ ।”
“क्या आफत आ गयी है, जो इतनी रात को मुझे सोते से जगाया गया है ?”
“आफत ही आ गयी लगती है सर ! मुझे महसूस हो रहा है, हमारा कोई दुश्मन जंगल में घुस आया है ।”
“यह क्या कह रहे हो तुम ?” जैक क्रेमर भी चौंका ।
“मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूँ सर !”
“लेकिन तुम्हें यह सब कैसे मालूम हुआ ?”
“मैंने रेडियो रूम में बोर्ड पर अभी-अभी कुछ फ्रीक्वेंसीज कैच की हैं । वह किसी ट्रांसमीटर सैट की फ्रीक्वेंसीज हैं । ऐसा मालूम होता है, हमारे दुश्मन ने जंगल में घुसने के बाद अपने हैडक्वार्टर को कोई संदेश दिया है । संदेश बहुत छोटा था । यह भी इत्तेफाक ही रहा, जो वह संदेश रेडियो बोर्ड पर कैच हो गया ।”
“संदेश क्या था ?”
“यह नहीं मालूम हो सका ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि संदेश किसी गुप्त भाषा में था ।”
“ओह !” जैक क्रेमर अब साफ-साफ विचलित नजर आने लगा- “क्या तुमने वो संदेश रिकार्ड किया है ?”
“यस सर !” गार्ड बोला- “मैंने तभी रिकॉर्डिंग वाला स्विच दबा दिया था । मैं समझता हूँ , वो संदेश जरूर रिकार्ड हो गया होगा ।”
“ठीक है, तुम वहीं रूकों ।” जैक क्रेमर बोला- “मैं अभी रेडियो रूम में आता हूँ ।”
“ओके सर ।”
गार्ड ने टेलीफोन का रिसीवर रख दिया ।
उस बियाबान जंगल में उन बारह योद्धाओं ने सारी सुविधायें जुटा रखी थीं ।
अपना टेलीफोन एक्सचेंज था ।
अपनी राडार प्रणाली थी ।
यहाँ तक कि उन्होंने जंगल में नीचे बड़ी-बड़ी सुरंगे भी खोदी हुई थीं, जो जंगल में इधर-से-उधर आने जाने का गुप्त रास्ता थीं ।
Reply
05-16-2020, 01:15 PM,
#7
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
जैक क्रेमर के माथे पर सिलवटें पड़ गयीं ।
गहरी सिलवटें !
वो अब साफ-साफ चिन्तित नजर आ रहा था ।
नींद उसकी पूरी तरह उड़ चुकी थी ।
उस वक्त जैक क्रेमर रेडियो रूम में बैठा था और उस रिकार्ड संदेश को कई मर्तबा सुन चुका था, जो उसके किसी दुश्मन ने जंगल में आने के बाद ट्रांसमीटर पर कहीं भेजा था ।
जैक क्रेमर लगभग पचपन-छप्पन साल का बहुत तन्दुरूस्त देहयष्टि वाला अमरीकन था । इस उम्र में भी उसका शरीर गठा हुआ था और उसकी नजर गिद्ध की तरह तेज थी । उसके बाल सन की तरह सफेद थे, जो उसके व्यक्तित्व की ओर भी ज्यादा रौबदार बनाते थे और भी ज्यादा आकर्षक बनाते थे ।
“क्या भाषा आपके कुछ समझ में आयी सर ?” गार्ड ने पूछा ।
“नहीं, भाषा तो मेरे भी कुछ समझ में नहीं आयी हैं ।” जैक क्रेमर बोला- “बस कुछ कोड वर्ड हैं, जिनमें संदेश जंगल से बाहर कहीं भेजा गया है । परन्तु इस संदेश से एक बात कन्फर्म हो चुकी है ।”
“क्या ?”
“उस आदमी के इरादे नेक नहीं हैं, जो जंगल में दाखिल हुआ है । अगर उसके इरादे नेक होते, तो वह इस तरह की गुप्त भाषा का प्रयोग हर्गिज नहीं करता ।”
“फिर तो हमें फौरन कुछ करना होगा ।”
“चिन्ता मत करो ।” जैक क्रेमर बोला- “उसके ट्रांसमीटर पर बात करने का ढंग बता रहा है, कि वह जंगल में अकेला है ।”
“अकेला ।”
“हाँ, अकेला ! और वह क्योंकि अकेला घुसा है, इसलिए वह हम सब बारह यौद्धाओं तथा हमारी पूरी फौज का सामना नहीं कर पायेगा । अब इस जंगल में से उसकी सिर्फ लाश ही बाहर निकलनी है ।”
“फिर भी हमें दुश्मन को इतना अधिक कमजोर नहीं समझना चाहिये सर !” गार्ड बोला- “जो आदमी अकेले ही जंगल में घुसने की हिम्मत दिखा सकता है, उसमें कुछ न कुछ खूबी तो जरूर होगी ।”
“मैं जानता हूँ ।” जैक क्रेमर ने दांत किटकिटाये- “परंतु वह कितना ही हिम्मतवर क्यों न सही, बर्मा के इन खौफनाक जंगलों में घुसकर उसने अपनी मौत को दावत दे डाली है ।”
☐☐☐
वह जैक क्रेमर का शयन कक्ष था, जो किसी बड़े हॉल कमरे जैसा था ।
जिस पर जैक क्रेमर बैठा था ।
नजदीक ही आतिशदान में आग जल रही थीं, जिसकी तमतमाहट जैक क्रेमर के चेहरे पर फैली हुई थी । रात के पौने तीन बजे का समय था । जैक क्रेमर की स्थिति बता रही थी कि वह बेसब्री से किसी का इंतजार कर रहा है ।
तभी बाहर गलियारे में कुछ कदमों की आहट उभरी ।
कुछ लोग उसी तरफ चले आ रहे थे ।
जैक क्रेमर चौंकन्ना हो उठा ।
यही वो क्षण था, जब उसके शयन-कक्ष का दरवाजा खुला और दो गार्ड अंदर आ गये ।
“क्या सूचना है ?”
“हूपर साहब आ रहे हैं ।” उनमें से एक गार्ड बड़े तत्पर भाव से बोला- “वह गहरी नींद में थे, इसीलिए उन्हें यहाँ आने में थोड़ा वक्त लग गया ।”
गार्ड के अभी शब्द भी पूरे नहीं हुए थे कि तभी शयन-कक्ष का दरवाजा पुनः खुला और इस मर्तबा एक बड़े देवकाय डील-डौल वाले आदमी ने अंदर कदम रखा ।
वह हूपर था ।
पहला योद्धा !
हूपर की उम्र ज्यादा नहीं थी, वह मुश्किल से पैंतीस-छत्तीस साल का नौजवान था । वह भूटानी आदमी था और दुनिया का सबसे ज्यादा खतरनाक चाकूबाज समझा जाता था ।
वह काले चमड़े की ड्रेस पहनता था ।
हूपर की वह ड्रेस भी खास थी ।
दरअसल चमड़े की उस ड्रेस में जगह-जगह इतने चाकू छिपे रहते थे, जिनका कोई अंदाजा भी न लगा सके ।
कभी उस देवकाय डील-डौल वाले हूपर ने पूरे भूटान में तहलका मचा दिया था ।
वहाँ उसने दर्जनों आदमियों को अपने चाकू से बेध डाला था ।
जिनमें कई बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर फिल्म स्टार और लेखक तक थे ।
यह सारी हत्यायें हूपर ने दौलत के लिए कीं ।
उसने हर किसी को चाकू से बेधा ।
दर्जनों हत्यायें करने के बाद हूपर का हौसला इतना ज्यादा बढ़ गया कि एक दिन उसने भूटान नरेश के कत्ल की सुपारी भी ले ली ।
वही सुपारी लेनी हूपर को महंगी पड़ी ।
वह भूटान नरेश को तो अपने धारदार चाकुओं से न बेध सका, अलबत्ता उसके इरादों की भनक भूटान की पुलिस को जरूर लग गयी और बस फौरन पुलिस तथा भूटान का इंटैलीजेंस ब्यूरो डिपार्टमेंट उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गया ।
नतीजतन हूपर को वहाँ से भागना पड़ा और आज की तारीख में वह उन खतरनाक बारह यौद्धाओं के ग्रुप का एक मजबूत स्तम्भ बना हुआ था और ड्रग्स का व्यापक स्तर पर कारोबार करने के साथ-साथ पूरे बर्मा देश पर कब्जा करने की गतिविधियों संलिप्त था ।
“आओ हूपर !”
हूपर को देखते ही जैक क्रेमर अपनी कुर्सी छोड़कर खड़ा हो गया ।
हूपर बिल्कुल किसी मरखने हाथी की तरह चलता हुआ अंदर आया था । वह उस समय भी चमड़े की काली ड्रेस पहने था ।
“हैलो सर !”
“हैलो !”
दोनों के हाथ गरमजोशी के साथ मिले ।
जैक क्रेमर को तमाम यौद्धा ‘सर’ कहते थे ।
वह उन सबका लीडर भी था और सबसे उम्र में बड़ा भी ।
“बैठो हूपर !”
हूपर उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया ।
“मैंने तुम्हें एक बेहद खास वजह से यहाँ बुलाया है ।” जैक क्रेमर भी वापस अपनी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला ।
“किस वजह से ?”
“अभी-अभी मुझे सूचना प्राप्त हुई है कि जंगल में हमारा कोई दुश्मन घुस आया है । तुम्हें फौरन हरकत में आना होगा हूपर ! इससे पहले की वह इन जंगलों में हमारे खिलाफ किसी बड़े कारनामे को जन्म दें, तुमने उसे जिन्दा ही गिरफ्तार कर लेना है या फिर उसके जिस्म को अपने धारदार चाकुओं से बेध डालना है ।”
“क्या वो अकेला है ?”
“हाँ , मालूम तो ऐसा ही होता है कि वो अकेला ही जंगल में घुसा है । परन्तु फिर भी तुमने अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके जाना हैं, ताकि अगर दुश्मनों की संख्या ज्यादा भी हो, तब भी वह न बच सकें । इस काम के लिये तुम जितने गार्ड ले जाना चाहो, ले जाओ ।”
उस खबर को सुनकर हूपर की नींद पूरी तरह उड़ चुकी थी ।
“क्या मुझे दिन निकलने का इंतजार नही करना चाहिये ?” हूपर बोला ।
“नहीं ।” जैक ने तुरन्त सख्ती से उसकी बात काटी- “जब दुश्मन सिर पर आ खड़ा हुआ हो, तब वक्त का इंतजार नहीं किया करते हूपर ! फौरन गार्ड लेकर जंगल में फैल जाओ और जितना जल्द-से-जल्द हो सके, दुश्मन को तलाश करो ।”
“दुश्मन का कोई हुलिया, कोई तस्वीर, कोई नाम ?”
“दुश्मन के बारे में कैसी भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है । उसकी आवाज सिर्फ रेडियो-बोर्ड पर सुनी गयी है, जब वह किसी को ट्रासमीटर पर कोई संदेश भेज रहा था । संदेश भी गुप्त भाषा में था ।”
“यानि दुश्मन बेहद चालाक है ।”
“चालाक भी और बहुत बहादुर भी ।” जैक क्रमर बोला- “क्योंकि अगर वो बहादुर न होता, तो अकेला ही इतने बड़े मौत के मुंह में न कूद पड़ता ।”
“ओके सर ! मैं अभी जंगल में उसके विरूद्ध जाल फैलाता हूँ ।”
हूपर तुरन्त कुर्सी छोड़कर खड़ा हो गया ।
Reply
05-16-2020, 01:15 PM,
#8
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
जंगल में जैसे ही सुबह की प्रकाश रश्मियां फैलीं, कमाण्डर करण सक्सेना ने अपनी आखें खोल दीं ।
उसने सारी रात एक पथरीली गुफा में गुजारी थी, जिसका दहाना उसने एक काफी बड़े पत्थर से बंद कर लिया था । इस वक्त कमाण्डर के घुटने में काफी तेज दर्द था । पेराशूट से गिरने पर जिसे वो मामूली खरोंच समझ रहा था, वह दरअसल गहरी चोट थी, जो उसके घुटने में लगी थी और जिसका अहसास उसे अब आकर हो रहा था ।
कमाण्डर ने गुफा के दहाने पर रखा पत्थर हटाया और वो धीमी चाल से चलता हुआ बाहर निकला ।
रोशनी अब चारों तरफ फैली थी । सामने उसे एक नदी नजर आयी, जो उसकी जानकारी के मुताबिक बर्मा की प्रसि़द्ध इरावती नदी थी । कमाण्डर करण सक्सेना ने गुफा से बाहर आते ही अपने बायें हाथ को हल्का-सा जर्क दिया ।
उसके हाथ में भी थोड़ी दु़ःखन थी, लेकिन घुटने में दर्द ज्यादा था ।
‘पहले मुझे अपने घुटने पर कोई दवाई लगानी चाहिये ।” कमाण्डर होंठों-ही-होंठों में बुदबुदाया- “परन्तु उससे भी पहले मेरे लिये एक दूसरा काम करना ज्यादा जरूरी है ।”
कमाण्डर अब वहीं नदी के किनारे हरी-हरी घास पर ध्यान की मुद्रा में बैठ गया ।
पिछले काफी वर्षों से एक बेहद खतरनाक जीवन जीते रहने के कारण और दुश्मनों से चौकस रहने की वजह से कमाण्डर की छठी इन्द्री काफी विकसित हो चुकी थी । वह खतरे को तो मानो मीलों दूर से भांप लेता था ।
ध्यान की मुद्रा में बैठते ही कमाण्डर ने अपने नथुने सिकौड़ लिये और वह अपने आसपास के वातावरण में फैली गंध लेने का प्रयास करने लगा ।
“ऐसा अहसास हो रहा है ।” काफी देर तक गंध लेने के बाद वो पुनः बुदबुदाया- “जैसे यहाँ से कोई तीन सौ मील दूर उत्तर-पश्चिम में साठ डिग्री ऐंगिल पर कुछ लोग हैं, पता नहीं वह दोस्त हैं या दुश्मन ! लेकिन हवा में ऐसी गंध आ रही है, जैसे वह सुबह का नाश्ता बना रहे हों ।”
कमाण्डर करण सक्सेना काफी देर तक और इधर-उधर की गंध लेने का प्रयास करता रहा ।
फिर उसने अपनी आंखे खोल दीं ।
स्नायु तन्त्र भी ढीले छोड़ दिये ।
अगर वहा से तीन सौ मीटर दूर उसके दुश्मन मौजूद थे, तो उनसे उसे टक्कर लेनी पड़ेगी ।
परन्तु उससे पहले अपने आपको चाक-चौबंद करना भी ज्यादा जरूरी था ।
करण सक्सेना ने एक-एक करके अपने कपड़े उतारने शुरू किये, शीघ्र ही वो सिर्फ एक अण्डरवियर में खड़ा था ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने अपने घुटने को देखा, वहाँ काफी सारा खून जमा हुआ था और घुटने को छूते ही दर्द होता था ।
“लगता है कि एक-आध इंजेक्शन भी लेना होगा ।”
फिर उसने अपने हैवरसेक बैग में से फर्स्ट-एड के सामान की पूरी किट निकाली ।
उसके बाद उसने दर्द कम करने के दो इंजेक्शन लिये ।
घुटने पर दवाई लगायी, उपर से रूई का फाहा रखा और चौड़ी टेप चिपका ली ।
कहने की आवश्यकता नहीं, जिस तरह हर जासूस को मैडिकल की थोड़ी-बहुत ट्रेनिंग हासिल होती है । वैसी ही ट्रेनिंग कमाण्डर करण सक्सेना को भी हासिल थी ।
“अब थोड़ी-बहुत देर में घुटने का दर्द कम हो जाना चाहिये ।” कमाण्डर ने घुटने पर चिपके टेप को थोड़ा और कसा ।
सचमुच वह मिशन कई मायनों में खतरनाक था । जैसे कमाण्डर को इस बार किसी की मदद भी हासिल नहीं थी, जो अक्सर हर मिशन के दौरान उसे हासिल होती है ।
इस बार तो वह अकेला था ।
तन्हा !
वो भी इतने खौफनाक जंगल में ।
कमाण्डर ने भागते हुए नदी में जम्प लगा दी और फिर वह अपने शरीर को अच्छी तरह मल-मलकर नहाता रहा । नदी में जम्प लगाने से पहले कमाण्डर ने एक महत्वपूर्ण कार्य और किया था ।
उसने अपने पूरे शरीर पर वीटा एक्स स्प्रेन नाम का एक गुलाबी लोशन लगा लिया था । वह गुलाबी लोशन ऐसा था, जिसे शरीर पर मलने के बाद अगर पानी में विष भी मिला हुआ हो, तो उस विष का भी कैसा कोई असर शरीर पर नहीं पड़ता था ।
खूब अच्छी तरह मल-मलकर नहाने के बाद कमाण्डर ने स्वयं को तरो-ताजा अनुभव किया ।
तब तक इंजेक्शन का असर भी दिखाई पड़ने लगा था । घुटने में अब काफी कम दर्द था ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने अपने सारे कपड़े दोबारा पहने ।
फिर रिवाल्वर चैक किये ।
स्प्रिंग ब्लेड चैक किये ।
हैवरसेक बैग चैक किया ।
सारा सामान अपनी जगह दुरूस्त था ।
थोड़ी देर बाद ही कमाण्डर पूरी तरह चाक-चौबंद खड़ा था ।
“माई ब्वाय ।” उसे गंगाधर महन्त के शब्द याद आये, जो मिशन पर रवाना होने से पहले उन्होंने कमाण्डर से कहे थे- “इस मिशन में तुम्हारे मरने के चांस निन्यानवे प्रतिशत हैं और बचने के चांस सिर्फ एक प्रतिशत हैं ! यूँ समझो-हिन्दुस्तान के सबसे होनहार सपूत की जिंदगी को हम लोग जानबूझकर दांव पर लगा रहे हैं ।”
मिशन पर रवाना होने से पहले माननीय प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भी उसकी मुलाकात हुई थी ।
वह बहुत भावुक क्षण थे ।
जज्बातों से भरे हुए ।
देश की उन दोनों सर्वोच्च ताकतों ने कमाण्डर को अपने गले से लगा लिया था ।
“कमाण्डर, तुम्हें इस मिशन पर भेजना हमारी मजबूरी है । बहुत जरूरत है ।” प्रधानमंत्री महोदय बोले- “सिर्फ बर्मा सरकार के अनुरोध की वजह से ही हम तुम्हारी जिंदगी खतरे में नहीं डाल रहे हैं बल्कि इसमें कहीं-न-कहीं भारत का निजी स्वार्थ भी शामिल है । दरअसल अमरीका जैक क्रैमर के कंधे पर बंदूक रखकर बर्मा में एक बहुत खतरनाक खेल, खेल रहा है । वह उन बाहर यौद्धाओं की मदद से बर्मा पर कब्जा करके वहाँ एशिया में अपना सबसे बड़ा फौजी अड्डा कायम करना चाहता है और बर्मा में अपना फौजी अड्डा कायम करने के बाद उसका अगला निशाना भारत होगा । भारत की आर्थिक और सैन्य व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करना होगा । इसलिए इससे पहले कि अमरीका अपने नापाक इरादों में सफल हो, तुमने बर्मा के जंगलों में जाकर उन सभी बारह योद्धाओं को मार डालना है ।”
“कमाण्डर, एक बार फिर तुम्हें एक बहुत भारी जिम्मेदइारी सौंपी जा रही है ।” वह शब्द राष्ट्रपति महोदय ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहे- “यह मिशन इतना ज्यादा खतरनाक हैं कि इसे हम तुम्हारे अलावा किसी दूसरे जासूस को सौंपने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे । तुम इस मिशन में सफल होकर लौटो या फिर असफल होकर लौटो कमाण्डर, लेकिन मैं आज ही तुम्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित करता हूँ ।”
गर्व से वह शब्द कहते हुए राष्ट्रपति की आँखों में आंसू छलछला आये थे ।
भारत रत्न !
सचमुच कमाण्डर करण सक्सेना उसी सम्मान के योग्य था ।
वास्तव में ही वो भारत का सबसे बड़ा रत्न था ।
यह बातें ही बता रही थीं कि जिस मिशन पर कमाण्डर को इस बार भेजा गया था, वह कितना डेंजर था ।
कितना जानलेवा था ।
बहरहाल कमाण्डर करण सक्सेना ने इरावती नदी में स्नान करने और पूरी तरह तरोताजा होने के बाद अपने हैवरसेक बैग में से हॉट-पॉट निकाला, जो टिफिन कैरियर की शक्ल में था और फिर उसने उसमें से निकाल-निकालकर जैम और बटर स्लाइस्ड इत्यादि का सेवन किया और फलों का काफी सारा जूस पिया ।
उसके बाद उसने जंगल में आगे का सफर शुरू कर दिया था ।
Reply
05-16-2020, 01:15 PM,
#9
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर उसी तरफ बढ़ा, जिधर से उसे थोड़ी देर पहले नाश्ता बनने की गंध मिली थी ।
उसे अब उस तरफ से कुछ और आवाजें भी आ रही थीं ।
जैसे कहीं ढोलक बज रही हो या किसी और चीज पर थाप दी जा रही हो ।
कमाण्डर समझ न सका, क्या चक्कर है । अलबत्ता अब वो बहुत सावधानी के साथ उस दिशा में बढ़ रहा था ।
जब वह आवाज और ज्यादा जोर-जोर से आने लगी, तो कमाण्डर करण सक्सेना नजदीक की झाड़ियों में घुस गया ।
फिर वह झाड़ियों में रेंगते हुए ही आगे बढ़ा ।
इस समय वो सर्प की मानिन्द रेंग रहा था ।
बिल्कुल बेआवाज !
निःशब्द !
कमाण्डर ने काफी आगे जाकर देखा कि वह एक जंगली आदमी था-जो पेड़ों के झुण्ड के नीचे बैठा था और बड़ी तन्मयता से नगाड़े पर थाप दे रहा था ।
वह बर्मी युवक था ।
उसके इतनी जोर-जोर से नगाड़ा बजाने की वजह कमाण्डर करण सक्सेना न समझा ।
सामने ही एक छोटी सी झोपड़ी बनी थी, जो जरूर उसी बर्मी युवक की थी ।
झोंपड़ी के बाहर मिट्टी का चूल्हा बना था ।
वहीं एक पतीली रखी थी ।
चूल्हें में आग अभी भी थी ।
जरूर उसी चूल्हे पर उसने सुबह का नाश्ता तैयार किया था और फिर नगाड़ा बजाने बैठ गया था । कमाण्डर ने इधर-उधर नजर दौड़ाई, तो उसे वहाँ आसपास उस बर्मी युवक के अलावा दूसरा कोई आदमी नजर नहीं आया ।
उसी क्षण झाड़ियों में लेटे कमाण्डर को ऐसी अनुभूति हुई, जैसे कोई बिल्कुल निःशब्द ढंग से उसके पीछे आकर खड़ा हो गया है ।
कमाण्डर झटके से पलटा ।
एकदम !
परंतु वह कुछ न कर सका ।
उसने फौरन ही एक बहुत तेज धार वाले भाले को अपनी तरफ तनें पाया । उसके सामने अब एक और बर्मी युवक खड़ा था ।
“खबरदार !” कमाण्डर के पलटते ही उस बर्मी युवक ने भाला बिल्कुल उसकी गर्दन पर रख दिया- “खबरदार ! अगर तुमने कोई भी हरकत की, तो अभी तुम्हारी यह गर्दन कटकर अलग जा पड़ेगी ।”
उस युवक ने वह शब्द विशुद्ध ‘बर्मी भाषा’ में कहे थे ।
कमाण्डर बर्मी भाषा खूब अच्छी तरह जानता था, इसलिए उस युवक की धमकी को अच्छी तरह समझ गया ।
वह लम्बा-तगड़ा था । उसकी कलाई भी काफी चौड़ी थी । कमाण्डर करण सक्सेना भांप गया, अगर वह कोई गलत हरकत करेगा, तो उससे मुकाबला आसान नही होगा ।
वैसे भी कमाण्डर उस समय लड़ाई-झगड़े के मूड में नहीं था ।
फिलहाल तो वो यही जानना चाहता था कि वह लोग कौन हैं और क्या कर रहे हैं ?
“अपने हाथ ऊपर करो ।” वह बर्मी युवक पुनः गुर्राया- “और सीधे खड़े हो जाओ ।”
कमाण्डर ने विरोध नहीं किया ।
वह अपने दोनों हाथ ऊपर करके झाड़ियों में सीधा खड़ा हो गया ।
हैवरसैक बैग अभी भी उसकी पीठ पर था ।
दूसरा बर्मी युवक भी अब नगाड़ा बजाना बंद कर चुका था और बेहद आश्चर्यभरी निगाहों से उन्हीं दोनों की तरफ देख रहा था । फिर वह आसन से उठकर उन्हीं दोनों के नजदीक आ गया ।
“क्या तुम बर्मी भाषा जानते हो ?” पहले वाला युवक कमाण्डर करण सक्सेना की गर्दन पर भाला ताने-ताने बोला- “अगर जानते हो, तो मुझे बताओ ।”
“हाँ , मैं बर्मी भाषा जानता हूँ ।” कमाण्डर ने विशुद्ध बर्मी भाषा में ही जवाब दिया ।
उन दोनों युवक की आँखें चमक उठीं ।
उन्हें यह देखकर अच्छा लगा कि उनके सामने खड़ा वह अजनबी आदमी उनकी जबान में ही बात कर रहा था ।
“तुम कौन हो ?” उस युवक ने पुनः गुर्राकर कहा- “और इतने घने जंगल में क्या कर रहे हो ?”
“मैं भारतीय वायु सेना का सब पायलेट हूँ ।” कमाण्डर ने फौरन ही उपयुक्त जवाब सोच लिया- “ओर कल रात मैं अचानक उड़ते हुए जहाज में से नीचे गिर पड़ा ।”
दोनों बर्मी युवक चौंके ।
“नीचे गिर पड़े ।” इस मर्तबा दूसरे बर्मी युवक ने हैरानीपूर्वक कहा- “परन्तु इस तरह कोई भी उड़ते हुए हवाई जहाज में से नीचे कैसे गिर सकता है ?”
“आप लोगों का कहना बिल्कुल ठीक है । लेकिन कल रात मेरे साथ ऐसा ही एक हादसा पेश आया । दरअसल मैं भारतीय वायु सेना का सब-पायलट हूँ और शौकिया फोटोग्राफर हूँ, मैं कहीं भी कोई मनोरम दृश्य देखता हूँ, तो उस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने की इच्छा संवरित नहीं कर पाता । कल भी ऐसा ही हुआ । कल रात जब हमारा विमान बर्मा के इन घने जंगलों के ऊपर से गुजरा, तो मैं इन खौफनाक जंगलों के दृश्य अपने कैमरे में कैद करने लगा । परन्तु विमान की ग्लास विण्डों के पीछे से फोटोग्राफ खींचने में मुझे ज्यादा आनंद नहीं आ रहा था, इसलिए मैंने एक खतरनाक कदम उठा लिया ।”
“कैसा खतरनाक कदम ?”
दोनों बर्मी युवक सस्पैंसफुल मुद्रा में खड़े थे ।
“मैंने विमान का दरवाजा खोल लिया और हवा के जोरदार थपेड़े सहता हुआ नीचे झुककर फोटो खींचने लगा । तभी यह घटना घटी । मैं फोटोग्राफ खींचने में इतना मग्न हो गया था कि मुझे पता नहीं चला कि कब मेरा पैर स्लिप हुआ और कब मैं धड़ाम से नीचे गिरा ।”
उन दोनों ने स्तब्ध भाव से एक-दूसरे की तरफ देखा ।
वह एकाएक उस कहानी पर यकीन नहीं कर पा रहे थे ।
“इसमें कितनी बात सच है ?”
“सारी ही बात सच है ।” कमाण्डर बोला- “झूठ का मतलब ही नहीं और वैसे भी मैं तुम लोगों से झूठ क्यों बोलूंगा ?”
“यानि तुमने सिर्फ फोटो खींचने के लिए उड़ते हुए विमान का दरवाजा खोल लिया था ।”
“हाँ ।”
दूसरे बर्मी युवक ने पहले वाले साथी की तरफ देखा- “दोस्त, तुम्हें आता है इसकी बात पर यकीन ?”
“मुझे नहीं आता ।”
“यकीन न आने की कोई वजह नहीं है ।” कमाण्डर करण सक्सेना पुरजोर लहजे में बोला- “मैंने बताया न, मैं एक शौकिया फोटोग्राफर हूँ और ऐसे मनोरम दृश्यों से बेइंतहा प्यार करता हूँ । यह कोई फोटोग्राफर ही बता सकता है कि ऐसे दृश्यों को अपने कैमरे में कैद करने के लिए कोई शौकिया किस हद तक जा सकता है ।”
उन दोनों के चेहरे पर असमंजसपूर्ण भाव छा गये ।
जो बर्मी युवक नगाड़े पर थाप दे रहा था, वह अब कमाण्डर करण सक्सेना के शरीर को ऊपर से नीचे तक बड़े गौर से देखने लगा ।
“इस तरह क्यों देख रहे हो ?”
“तुम कह रहे थे कि तुम उड़़ते हुए विमान में से नीचे गिरे हो ?”
“हाँ ।”
“लेकिन तुम्हारे शरीर पर कोई टूट-फूट नजर नहीं आती । जबकि इतनी ऊंचाई से गिरने के बाद तो तुम्हारे जिस्म की कोई भी हड्डी साबुत नहीं बचनी थी ।”
“कम से कम इस मामले में किस्मत ने मेरा बहुत साथ दिया ।”
“कैसे ?”
“मैं दरअसल रेतीली जमीन पर आकर गिरा था, इसलिए मेरी तमाम हड्डिया सलामत रहीं । फिर भी घुटने में काफी चोट लगी थी और हाथ में भी कुछ जर्क आ गया था । यह देखो ।” कमाण्डर ने अपनी पतलून ऊपर करके घुटने की चोट उन दोनों को दिखाई ।
उन दोनों ने फिर एक-दूसरे की तरफ देखा ।
Reply
05-16-2020, 01:15 PM,
#10
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
अलबत्ता जिसके हाथ में भाला था, वो अभी भी बहुत चौंकन्ना था और भाले को कमाण्डर की तरफ ही ताने था । उसके खड़े होने का अंदाज ऐसा था कि अगर कमाण्डर जरा भी हरकत दिखाता, तो वो वहीं से भाले को उसके ऊपर खींच मारता ।
वह दोनों बहुत खुसर-पुसर वाले अंदाज में बात करने लगे ।
परंतु वो बार-बार उसकी तरफ जरूर देखते थे ।
जाहिर था कि वह उसी के बारे में बात कर रहे थे । फिर वह वापस कमाण्डर करण सक्सेना के पास आ खड़े हुए ।
“ठीक है ।” नगाड़े पर थाप देने वाला बर्मी युवक बोला- “हम तुम्हारी बात पर यकीन करते हैं, लेकिन अब तुम हमसे क्या चाहते हो ?”
“मैं काफी थका हुआ हूँ ।” कमाण्डर ने खामखाह का बहाना बनाया- “इसलिए मेरी इच्छा है कि तुम लोग मुझे थोड़ी देर के लिए अपनी झोंपड़ी में आराम करने का मौका दो, जिससे मेरे घुटने का दर्द भी कुछ कम हो जाये और मेरी थकान भी उतरे ।”
“उसके बाद तुम क्या करोगे ?”
“उसके बाद मैं कोई ऐसा जरिया तलाश करूंगा, जो रंगून (बर्मा की राजधानी) तक पहुँच सकूं । अगर किसी तरह मैं रंगून पहुँच गया, तो फिर वहाँ से वापस हिन्दुस्तान पहुँचना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी ।”
वह दोनों बर्मी युवक मुस्कराये ।
उनकी मुस्कान बड़ी रहस्यमयी थी ।
“और अगर मान लो, हम तुम्हें अपनी झोंपड़ी में शरण देने के साथ-साथ कुछ ऐसा इंतजाम भी कर दें, जो तुम इस खौफनाक जंगल में से निकलकर रंगून पहुँच जाओ, तो कैसा रहे ?”
“इससे अच्छी बात भला और क्या हो सकती है ।” कमाण्डर ने खुश होकर कहा ।
“लेकिन मेरे प्यारे दोस्त, यह काम ऐसे ही नहीं हो जायेगा । इसके लिए तुम्हें ढेर सारी मुद्रा खर्च करनी होगी ।”
“मुद्रा की तुम बिल्कुल परवाह मत करो । तुम जितनी मुद्रा चाहोगे, मैं दूंगा, मेरा सिर्फ काम होना चाहिये । वैसे भी यह इत्तेफाक की बात है कि मेरे पास कुछ बर्मी टके (बर्मा की मुद्रा) हैं ।”
“फिर तो तुम अपना काम बस हो गया समझो ।” भाले वाला युवक बोला ।
“लेकिन अभी तक मुद्रा के दर्शन तो कहीं नहीं हुए ।” वह शब्द दूसरे बर्मी युवक ने कहे ।
“मुद्रा के दर्शन भी अभी होते हैं ।”
कमाण्डर ने फौरन अपने हैवरसेक बैग के अंदर हाथ डाला ।
फिर जब उसका हाथ बाहर निकला, तो उसमें पांच हजार टके की एक करारी नोटों की गडडी थी ।
उस नोटों की गड्डी को देखते ही उन दोनों बर्मी युवकों की आँखों में तेज चमक आ गयी ।
“मैं समझता हूँ ।” कमाण्डर अपना ओवरकोट दुरूस्त करता हुआ बोला-“इस काम के लिए यह पाँच हजार टके काफी हैं ।”
“बहुत हैं ।”
कमाण्डर ने वह गड्डी उस भाले वाले नौजवान की तरफ उछाल दी, जिसे उसने फौरन चील की तरह झपट लिया ।
फिर वह नोटों की गड्डी कब उसकी जेब में पहुँचकर गुम हुई, पता न चला ।
“अब तुम मुझे रंगून पहुँचाने का इंतजाम कैसे करोगे ?” कमाण्डर करण सक्सेना ने पूछा ।
“बस तुम देखते जाओ, मैं क्या करता हूँ ।” वह बर्मी युवक बोला और फिर उसने अपना भाला एक तरफ ले जाकर रख दिया ।
“यहीं नजदीक में एक गांव हैं, मैं फौरन वहाँ जा रहा हूँ ।”
“गांव में जाकर क्या होगा ?”
“दरअसल गांव में कुछ पेशेवर मल्लाह हैं, जो नाव चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं ।” उस बर्मी ने बताया- “उनमें से किसी एक मल्लाह को यहाँ ले आऊंगा और बस वही मल्लाह तुम्हें रंगून पहुँचा देगा ।”
कमाण्डर की आँखों में विस्मय के चिन्ह उजागर हुए ।
“एक मल्लाह मुझे रंगून कैसे पहुँचायेगा ?”
“बहुत आसान है । वो मल्लाह तुम्हें अपनी नाव में बिठाकर इरावती नदी पार करा देगा । तुम्हें शायद मालूम नहीं है कि इरावती नदी का जो दूसरा छोर है, वह जंगल बस वहीं तक फैला है । उससे आगे एक कस्बा है । इरावती नदी पार करते ही तुम उस कस्बे में पहुँच जाओगे । फिर वही मल्लाह तुम्हें उस कस्बे में ले जाकर किसी ऐसी बस में बिठा देगा, जो सीधे रंगून जाती हो । बड़ी हद शाम तक तुम रंगून में होओगे ।”
कमाण्डर प्रभावित नजरों से अब उस बर्मी युवक को देखने लगा ।
“वह शक्ल-सूरत से पूरी तरह जंगली और जाहिल नजर आता था, मगर नोटों की गड्डी जेब में पहुँचते ही उसका दिमाग इस तरह चलना शुरू हुआ था, जैसे किसी ने उसके दिमाग में चाबी भर दी हो ।”
न जाने क्यों कमाण्डर को अब उन दोनों बर्मी युवकों पर कुछ संदेह होने लगा ।
परन्तु वो चुप रहा ।
“तुम्हें इस तरह रंगून पहुँचने में कोई परेशानी तो नहीं है ?” बर्मी युवक ने कमाण्डर की तरफ देखा ।
“मुझे भला क्या परेशानी हो सकती है ? किसी भी तरह से पहुंचू, मुझे तो बस रंगून पहुँचने से मतलब है ।”
“ठीक बात है । तो फिर मैं पास के गांव में जा रहा हूँ , तब तक तुम आराम करो ।”
“ओके ।”
वह युवक लम्बे-लम्बे डग रखता हुआ वहाँ से चला गया ।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,297,453 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,046 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,150,062 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,275 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,541,096 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,985,808 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,794,897 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,509,353 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,823,348 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 265,943 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)