Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 01:22 PM,
#31
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
वह आग अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच पाती, उससे पहले ही वह चौंक उठे ।
उनके शरीर एकाएक थमककर रूक गये ।
उन्होंने कुछ आवाजें सुनीं ।
आवाजें जो अभी भी निरंतर सुनाई दी रही थीं ।
“क्या यह ढोलक बजने की आवाजें हैं ?” ली मारकोस ने चिहुंककर पूछा ।
“शायद !” बार्बी भी बड़े स्तब्ध भाव से उन आवाजों को सुन रही थी- “शायद यह ढोलक बजने की ही आवाजें हैं, जो काफी दूर से आ रही हैं ।”
“जरूर जंगलियों ने कमाण्डर करण सक्सेना को ढूंढ निकाला है ।”
“ऐसा ही लगता है ।”
तभी उन्हें बाहर से भी शोर-शराबे की आवाजें सुनाई देने लगीं ।
जरूर हथियारबंद गार्डों ने भी ढोलक बजने की उन आवाजों को सुन लिया था ।
“जल्दी चलो ।”
ली मारकोस फौरन जम्प लेकर खड़ा हो गया तथा फिर जल्दी-जल्दी कपड़े पहनने लगा ।
बार्बी ने भी आनन-फानन कपड़े चढ़ाने शुरू किये थे ।
“क्या टाइम हुआ है ?” बार्बी अपने स्कर्ट की जिप खींचते हुए बोली ।
“अभी तो दो बजे हैं ।”
जल्द ही वह दोनों कपड़ें पहनकर लगभग दौड़ते हुए तम्बू से बाहर निकले ।
उन्होंने देखा, गार्ड भी दौड़ते हुए ही तम्बूओं से निकल रहे थे और बाहर जमा हो रहे थे ।
शीघ्र ही सारे तम्बू खाली हो गये ।
बार्बी कैंडिल स्टैंड अपने साथ ही बाहर ले आयी, जिससे वहाँ कुछ रोशनी फैल गयी ।
“क्या हो गया ?” बार्बी बाहर आते ही बोली ।
“ढोलक की आवाज आ रही हैं मैडम ।” एक गार्ड बोला- “ऐसा मालूम होता है, जंगलियों ने कमाण्डर को ढूंढ निकाला है ।”
ढोलक बजने की आवाज अभी भी आ रही थीं ।
तभी एक नई घटना घटी ।
एक बहुत जोरदार धमाके की आवाज वहाँ तक सुनाई पड़ी ।
उस धमाके की आवाज के बाद ढोलक बजनी भी बंद हो गयी ।
उसी क्षण एक और धमाके की आवाज आयी ।
“यह कैसी आवाजें हैं ?” एक गार्ड के चेहरे पर आतंक की छाया दौड़ी ।
“किसी बम के फटने जैसी आवाज थी । ऐसा लगता है, जंगलियों और कमाण्डर करण सक्सेना के बीच जमकर मुठभेड़ हो रही है ।”
फिर कुछ धमाकों की आवाज और सुनाई दी ।
फिर गोलियां चलने की भी आवाजें आयीं ।
“लगता है, यह सारे बम कमाण्डर करण सक्सेना फैंक रहा है ।” बार्बी के शरीर में झुरझुरी दौड़ी- “हमें फ़ौरन जंगलियेां की मदद के लिए घटनास्थल पर पहुँचना चाहिये ।”
“जल्दी से सारे तम्बू उखाड़ो ।” ली मारकोस चिल्लाया- “जल्दी !”
हथियारबंद गार्ड बेहद आनन-फानन तम्बू उखाड़ने के काम में जुट गये ।
इस बीच गोलियां चलने और बम फटने की वह आवाजें आनी बंद हो गयी थीं ।
फिर वहाँ शांति छा गयी ।
घोर शांति ।
“यह आवाजें क्यों बंद हो गयीं ?” बार्बी बोली ।
“क्या कहा जा सकता है ।”
ली मारकोस के चेहरे पर भी अब चिंता की लकीरे दिखाई पड़ने लगी थीं ।
तब तक गार्ड सारे तम्बू उखाड़कर जीप में रख चुके थे ।
ली मारकोस के हाथ में एक रिस्टवॉच बंधी हुई थी, जो वास्तव में ट्रांसमीटर था । तभी उसके अंदर से ब्लिप-ब्लिप की आवाज निकलने लगी ।
ली मारकोस ने फौरन ट्रांसमिशन स्विच ऑन किया ।
“हैलो !” ली मारकोस ट्रांसमीटर पर चिल्लाने लगा- “हैलो, ली मारकोस स्पीकिंग !”
“मारकोस, मैं हैडक्वार्टर से जैक क्रेमर बोल रहा हूँ ।”
“कहिये सर ।”
जैक क्रेमर की आवाज सुनते ही मारकोस अलर्ट हो गया ।
“क्या तुम जंगल में बम फटने की आवाज सुन रहे हो मारकोस ?” जैक क्रेमर की आवाज बेहद आंदोलित थी- “कुछ गोलियां चलने की आवाजें ।”
“यस सर !” ली मारकोस बड़े तत्पर भाव से बोला- “हमने अभी-अभी वो आवाजें सुनी थीं । लेकिन अब वो आवाजें आनी बंद हो गयीं । अब शांति है । ऐसा लगता है, जैसे जंगल के किसी दूर-दराज के हिस्से में कमाण्डर करण सक्सेना और बर्मी आदिवासियों के बीच ज़बरदस्त मुठभेड़ चल रही है ।”
“ठीक कहा तुमने । उन जंगलियों के बीच मेरा भी एक आदमी था, एडगर !”
“एडगर !”
“हाँ ।”
“लेकिन उनके बीच तो मैंने किसी अंग्रेज को नहीं देखा सर ?”
“वह मेकअप में था । वह फेस मास्क चढ़ाकर बिल्कुल बर्मी आदिवासी बना हुआ था ।”
“ओह !”
“उसके ट्रांसमीटर से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी यहाँ रेडिया रूम में बोर्ड पर स्पार्क कर रही थी, जिससे पता चल रहा था कि उसके आसपास धमाके हो रहे हैं । मैंने वस्तुस्थिति पता लगाने के लिए उससे ट्रांसमीटर पर बात करनी चाही, तो एक नई घटना घटी । दूसरी तरफ से कमाण्डर ने एडगर बनकर मुझसे बात की ।”
“क्या कह रहे हैं आप !” ली मारकोस के मुंह से तीव्र सिसकारी छूट गयी- “कमाण्डर करण सक्सेना ने ।”
“हाँ ।”
“लगता है, कमाण्डर करण सक्सेना ने उन सब जंगलियों को मार डाला है मारकोस !” जैक क्रेमर बेहद बैचेनी के साथ बोला- “वहाँ कोई नहीं बचा हैं, वहाँ सिर्फ लाशें ही लाशें हैं ।”
“मगर आपको यह कैसे मालूम हुआ सर ।” ली मारकोस बोला- “कि ट्रांसमीटर पर आपसे बात करने वाला व्यक्ति एडगर नहीं कमाण्डर करण सक्सेना है ?”
“तुम जानते ही हो, हम योद्धाओं के बीच पहले से ही एक ‘कोड’ तय है । जब भी हम अपने किसी दुश्मन को मारते हैं, तो रिपोर्ट यही देते हैं कि ‘सूर्य छिप गया है । यही हमारा ‘कोड’ है । परंतु ट्रांसमीटर पर बात करने के दौरान उसने मुझे सीधे-सीधे कमाण्डर करण सक्सेना के मरने की खबर सुनायी । इसी से मैं भांप गया, वह एडगर नहीं था । वो खुद कमाण्डर था ।”
“ओह ।”
ली मारकोस के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें और गहरा गयीं ।
“तुम अब क्या कर रहे हो मारकोस ?” जैक क्रेमर बोला ।
“हम जंगल में उसी दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे हैं सर, जिस तरफ से थोड़ी देर पहले धमाकों की आवाज सुनी गयी थीं ।”
“फिलहाल थोड़ा संभलकर आगे बढ़ना, कमाण्डर करण सक्सेना अपने पूरे रोद्र रूप में मालूम होता है ।”
“ठीक है ।”
ली मारकोस ने ट्रांसमिशन स्विच ऑफ कर दिया ।
जंगल में खतरा हर पल बढ़ता जा रहा था ।
“क्या हो गया ?” बार्बी बोली ।
“कुछ नहीं । ऐसा मालूम होता है, कमाण्डर करण सक्सेना ने हमारे तमाम जंगली साथियों की हत्या कर डाली है ।”
“न...नहीं ।”
बार्बी सहित तमाम हथियारबंद गार्डों के रोंगटें खड़े हो गये ।
“घबराओ मत !” ली मारकोस बोला- “पूरी हिम्मत के साथ आगे बढ़ो । जंगलियों के पास सिर्फ भाले थे, जबकि हमारे पास कमाण्डर करण सक्सेना का मुकाबला करने के लिए ऑटोमैटिक गने हैं । गोला बारूद है । फिर हम संख्या में भी काफी ज्यादा हैं ।”
वह तमाम लोग वापस दो टुकड़ियों में बंट गये और पहले की तरह ही जंगल को चारों तरफ से घेरते हुए आगे बढ़े ।
☐☐☐
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05-16-2020, 01:23 PM,
#32
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कमाण्डर भी निरंतर बर्मा के उन खौफनाक जंगलों की अनाम, अंजान राहों पर आगे बढ़ा जा रहा था ।
चारों तरफ क्योंकि अंधेरा व्याप्त था, इसलिये उसने अपनी आँखों में अब इन्‍फ्रॉरेड लैंस लगा लिये थे । यह बहुत उच्च क्वालिटी के इन्‍फ्रॉरेड लैंस थे, जिनसे अंधेरे में भी सब कुछ साफ-साफ देखा जा सकता था ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने अभी थोड़ी ही दूरी तय की होगी, तभी एकाएक उसके कदम ठिठक गये । उसने किसी जानवर के बहुत गहरे-गहरे सांस लेने की आवाज सुनी ।
वह ऐसी आवाज थी, जैसे कोई बहुत भीमकाय शरीर वाला जानवर उसके आसपास हो ।
कमाण्डर वहीं झाड़ियों में छिप गया ।
उसने अपनी सांस रोक ली और वह बड़ी चौकस आँखों से इधर-उधर देखने लगा ।
काफी दूर-दूर तक भी उसे कोई नजर न आया ।
मगर कमाण्डर खतरा भांप चुका था ।
उसे लग रहा था, वहाँ आसपास जरूर कोई भयानक जीव है । अब उसके सांस लेने की आवाजें भी नहीं आ रही थीं । उसने खतरनाक जंगली जानवरों के बारे में बहुत सी बातें सुनी थीं । जैसे वह आदमी के ऊपर धोखे से हमला करते हैं और फिर पलक झपकते ही उसे फाड़ डालते हैं । फिर बर्मा के उन जंगलों की जमीन दलदली भी ज्यादा थी, जिनमें खतरनाक घड़ियालों के पाए जाने की आशंका भी काफी होती है ।
कमाण्डर करण सक्सेना अपनी जगह स्तब्ध बैठा रहा ।
क्योंकि जीव के सांस लेने की आवाज भी अब उसे नहीं आ रही थी, इसलिए इस बात ने भी उसे काफी शंका में डाल दिया ।
क्या जीव उसे देख चुका था ।
क्या वो उसके ऊपर घात लगाये बैठा था ?
जब काफी देर तक भी कमाण्डर करण सक्सेना के ऊपर कोई हमला न हुआ, तो कमाण्डर ने उसे अपने मन का वहम समझा और फिर आगे का रास्ता तय करने के लिए झाड़ियों के उस दायरे से बाहर निकला ।
झाड़ियों से बाहर निकलते ही उसके हलक से एकाएक अत्यंत भयप्रद चीख निकल पड़ी ।
वह अनाकोंडा जाति का कोई आठ फुट लम्बा और काफी मोटे आकार का अजगर था, जो पेड़ के तने से कुछ इस प्रकार लिपटा हुआ था कि एकाएक उसे देखकर यही अंदाजा नहीं होता था कि वह पेड़ का तना है या फिर अनाकोंडा है । कमाण्डर के बाहर निकलते ही अनाकोंडा उसके ऊपर झपटा । कमाण्डर के हलक से सिर्फ चीख ही निकली थी, उससे पहले ही अनाकोंडा कमाण्डर को लिये-लिये नीचे जमीन पर ढेर हो गया ।
नीचे गिरते ही आठ फुट लम्बे अनाकोंडा ने उसे पूंछ की तरफ से अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया ।
अगर उस समय कमाण्डर की जगह कोई दूसरा नौजवान होता, तो निःसंदेह दहशत से उसका हार्टफेल हो जाता ।
लेकिन नहीं !
वो कमाण्डर करण सक्सेना था ।
मार्शल आर्ट का कुशल योद्धा ।
अभी अनाकोंडा ने उसे अपनी गिरफ्त में लेना शुरू ही किया था कि तभी कमाण्डर करण सक्सेना ने बेपनाह फुर्ती के साथ जम्प ली और अपनी पूरी ताकत के साथ अतामी तोबागिरी नामक एक ऐसी भयानक किक अनाकोंडा पर जड़ी, जिसका प्रदर्शन मार्शल आर्ट में भी ताइक्वांडो के ‘ग्रेंड मास्टर’ ही कर सकते हैं ।
अगर कमाण्डर ने वो किक किसी इंसान के जड़ दी होती, तो बिना शक वह सेकंड में दम तोड़ चुका होता ।
लेकिन नहीं ।
वो अनाकोंडा था ।
दुनिया की सबसे भयानक जाति का अजगर !
किक लगते ही वह जोर से फुंफकारा । उसकी फुंफकार बता रही थी कि वह अब और खूनी बन गया है ।
और भी खतरनाक ।
कमाण्डर उसके शिकंजे से आजाद होता, उससे पहले ही उसकी पूंछ कमाण्डर करण सक्सेना के पैरों के गिर्द कस गयी ।
कमाण्डर छटपटाया ।
लेकिन उसकी गिरफ्त बहुत मजबूत थी ।
एकाएक कमाण्डर उसके सामने खुद को असहाय अनुभव करने लगा ।
उसका हाथ फौरन जांघों के साथ चिपके स्प्रिंग ब्लेड पर पड़ा ।
कमाण्डर ने झपटकर अपने दोनों स्प्रिंग ब्लेड निकाल लिये और फिर उन दोनों स्प्रिंग ब्लेडों के भरपूर प्रहार अनाकोंडा पर किये ।
नौ इंच लम्बे दोधारी स्प्रिंग ब्लेड अनाकोंडा के शरीर में जाकर धंस गये ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना ने उन स्प्रिंग ब्लेडों को अपनी पूरी ताकत से नीचे की तरफ खींचा । अनाकोंडा का पेट फटता चला गया ।
खून के फव्वारे छूट पड़े ।
परन्तु बड़े ही गजब की हिम्मत वाला था अनाकोंडा भी ।
पेट फटने के बावजूद उसने अपनी गिरफ्त नहीं छोड़ी । उसका मुंह कमाण्डर करण सक्सेना को निगलने के लिए उसके सिर की तरफ झपटा ।
कमाण्डर ने भी बेपनाह फुर्ती दिखाई ।
उसने फौरन अपना हैवरसेक बैग उतारकर अनाकोंडा के खुले हुए मुंह में दे दिया ।
तुरंत ही उसके स्प्रिंग ब्लेड चले और अनाकोंडा की आँखों को फोड़ते चले गये ।
बिलकुल किसी जंगली भैसे की तरह डकरा उठा अनाकोंडा ।
वह अंधा हो चुका था ।
वह बड़े वहशी अंदाज में अपना मुंह इधर-उधर लहराने लगा ।
वह शायद कमाण्डर को टटोल रहा था । उसके मुंह में हेवरसैक बैग अभी भी फंसा था ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना ने अनाकोंडा को एक सेकंड की भी और मोहलत देना बेवकूफी समझा ।
एक बार फिर उसके स्प्रिंग ब्लेड चले और इस मर्तबा उसकी गर्दन काटते चले गये ।
अनाकोंडा ने भयानक चीत्कार की ।
इसके मुंह से हैवरसेक बैग निकलकर नीचे जा पड़ा ।
दोनों स्प्रिंग ब्लेडों ने उसकी आधे से ज्यादा गर्दन काट डाली थी ।
वो लहराकर नीचे गिरा ।
अनाकोंडा का सारा शरीर खून में लथपथ होता चला गया ।
नीचे गिरते ही उसकी पूंछ जो कमाण्डर करण सक्सेना की टांगों के गिर्द लिपटी हुई थी, वह भी ढीली पड़ती चली गयी ।
वह बिल्कुल ढेर हो गया ।
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05-16-2020, 01:23 PM,
#33
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर करण सक्सेना झाड़ियों में पड़ा हुआ था ।
उसकी सांसे जोर-जोर से चल रही थीं, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कई मील लम्बी मैराथन दौड़ में हिस्सा लेकर आ रहा हो । उसे अपनी टांगे सुन्न और बेजान पड़ती महसूस हुईं ।
कमाण्डर करण सक्सेना न जाने कितनी देर तक इसी तरह झाड़ियों में पड़ा हाँ फता रहा ।
उससे थोड़ा ही फासले पर आठ फुट लम्बे अनाकोंडा की खून में लथपथ लाश पड़ी थी ।
हैवरसेक बैग अब कमाण्डर के पास था । परन्तु वो महसूस कर रहा था कि फिलहाल वो जंगल में आगे चलने योग्य नहीं रहा है । कमाण्डर करण सक्सेना को इसी बात को लेकर आशंका थी कि इस वक्त वो अपने पैरों पर खड़ा भी हो पायेगा या नहीं । अनाकोंडा ने अपने उस बंधन को और ज्यादा नहीं कस दिया, वरना कमाण्डर के पैरों की तमाम हड्डियां चकनाचूर हो गयी होतीं और फिर शायद ही वो कभी जीवन में अपने पैरों पर चलने योग्य रहता ।
तभी कमाण्डर को ऐसा लगा, जैसे बेहोशी उसके ऊपर छाती जा रही है ।
उसने खुद को बेहोश होने से रोकने की बेपनाह कौशिश की, लेकिन जब वो अपनी उस कौशिश में कामयाब होता न दिखाई दिया, तो उसने हैवरसेक बैग में से निकालकर ‘कैमोफ्लाज किट’ अपने ऊपर डाल ली, जो उन झाड़ियों में बिल्कुल घुल-मिल गयी ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना कब बेहोश हो गया, यह खुद उसे भी न मालूम हुआ ।
वह न जाने कितनी देर तक उसी अवस्था में पड़ा रहा ।
कमाण्डर करण सक्सेना को सिर्फ इतना अहसास था कि वो काफी देर बाद होश में आया था ।
आधा घण्टा । एक घण्टा या फिर उससे भी ज्यादा ।
अलबत्ता उसकी टांगे अब उतना दर्द नहीं कर रही थीं । उसने अपनी टांगों को इधर-उधर हिलाया, तो वह आसानी से हिल गयीं । सिर भी भारी-भारी नहीं था ।
कुछ देर की बेहोशी ने उसकी काफी थकान मिटा दी थी ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने देखा, कैमोफ्लाज किट अभी भी उसके ऊपर थी । अलबत्ता जंगल में अब आसपास से काफी लोगों के चलने की आवाजें आ रही थीं । ऐसा मालूम होता था, जैसे काफी सारे लोग जंगल में वहीं आसपास थे ।
कमाण्डर ने थोड़ी सी कैमोफ्लाज किट हटाकर बाहर झांका ।
अगले ही पल वो सन्न रह गया ।
सामने ही उसे काफी सारे हथियारबंद गार्ड नजर आये, जो अभी वहाँ पहुंचे थे । उन्हीं के बीच उसे छरहरे बदन और अभूतपूर्व तेजयुक्त चेहरे वाला समुराई फाइटर भी चमका, जिसकी लम्बी समुराई कमर से बंधी हुई अंधेरे में भी अलग नजर आ रही थी ।
“यह क्या ?” ली मारकोस वहाँ पहुँचते ही चौंका- “अनाकोंडा की लाश ।”
“ऐसा लगता है मारकोस साहब !” एक गार्ड बोला- “इस जगह कमाण्डर और अनाकोंडा के बीच जमकर द्वंद्वयुद्ध हुआ था ।”
“हूँ ।”
ली मारकोस वहीं अनाकोंडा की लाश के नजदीक बैठ गया और फिर उसे काफी गौर से देखने लगा ।
“सचमुच वो काफी बहादुर है ।” ली मारकोस धीमे स्वर में बुदबुदाया- “जिस तरह उसने अनाकोंडा का सामना किया है और फिर उसके पेट तथा गर्दन को फाड़ा है, ऐसा दिलेरी से भरा काम कोई जबरदस्त फाइटर ही अंजाम दे सकता है । वरना कोई साधारण आदमी तो अनाकोंडा का देखकर ही दहशत से मर जायेगा ।”
“वाकई !” एक अन्य गार्ड बोला- “अब तो मुझे भी लगने लगा है कि हमारी एक खतरनाक आदमी से मुठभेड़ होने वाली है ।”
वहाँ अभी सिर्फ ली मारकोस वाली टुकड़ी पहुंची थी । जबकि बार्बी वाली जो टुकड़ी जंगल में दूसरी तरफ आगे बढ़नी शुरू हुई थी, वह अभी भी आगे बढ़ रही थी और उनसे काफी फासले पर थी ।
“लेकिन एक बात समझ में नहीं आयी मारकोस साहब !”
“क्या ?”
“जब कमाण्डर करण सक्सेना और अनाकोंडा की इस स्‍पॉट पर मुठभेड़ हुई थी, तो फिर कमाण्डर करण सक्सेना हमें उसी रास्ते पर कहीं टकराना चाहिये था, जिस रास्ते में हम होकर आ रहे हैं । जबकि हमने उसे वहाँ कहीं भी नहीं देखा ।”
“इसके पीछे एक दूसरी वजह भी हो सकती है ।” ली मारकोस, अनाकोंडा के पास से खड़े होकर गंभीर मुद्रा में बोला ।
“क्या?”
“अनाकोंडा को मरे हुए अभी कोई ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है ।” ली मारकोस की निगाहें अनाकोंडा पर ही टिकी थीं- “खून बिल्कुल ताजा है और काला नहीं पड़ा है । ऐसी परिस्थिति में यह भी मुमकिन है कि कमाण्डर करण सक्सेना यहीं कहीं आसपास मौजूद हो । जख्मी हालत में हो या फिर काफी थका हुआ हो ।”
“हाँ , यह संभव है ।”
तमाम गार्डों को ली मारकोस की बात में दम लगा ।
“यानि !” एक अन्य गार्ड बोला- “हमें यहाँ फौरन कमाण्डर करण सक्सेना को तलाश करना चाहिये ।”
“बिल्कुल !”
तुरंत सारे गार्ड इधर-उधर फैलने शुरू हो गये ।
अपनी राइफलें अब उन्होंने मुस्तैदी से पकड़ ली थीं । जबकि कुछ के हाथ में लाइट मशीनगनें भी थीं ।
जिन्हें एल0एम0जी0 कहते हैं ।
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05-16-2020, 01:23 PM,
#34
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर करण सक्सेना भी चौंकन्ना हो उठा था ।
वो भांप गया था, अब ज्यादा देर तक वो उस कैमोफ्लाज किट के नीचे छुपा रहने वाला नहीं है ।
उसने अपनी ए0के0 सैंतालीस असाल्ट राइफल को गोलियों से पूरी तरह लोड किया । उस खतरनाक माहौल में सिर्फ कोल्ट रिवॉल्वर से काम चलने वाला नहीं था ।
वहाँ तो कदम कदम पर बस्ट फायर की जरूरत थी । उसके बाद उसने अपने बैग में से पांच-छः हैंडग्रेनेड बम भी निकाल लिये ।
फिर वो तुरंत हरकत में आ गया ।
इससे पहले कि वह हथियारबंद गार्ड उसे तलाश करने के लिए उस जगह से इधर-उधर होते, कमाण्डर ने वहीं कैमोफ्लाज किट के नीचे लेटे-लेटे एक थर्टी सिक्स एच ई हैंड ग्रेनेड बम की पिन अपने दांतों से पकड़कर खींची और फिर झटके के साथ बम गार्डों की तरफ उछाल दिया ।
धड़ाम !
बम इतने प्रचण्ड रूप में फटा कि कमाण्डर को ऐसा लगा, मानों धरती तक कांप उठी हो ।
गार्डों की चीख गूंज गयी ।
उनकी लाशों के चीथड़े उड़ते नजर आये ।
फौरन ही कमाण्डर ने दो हैंडग्रेनेड और उनकी तरफ उछाले ।
पहले से भी ज्यादा प्रचण्ड धमाके हुए ।
अधिकतर गार्ड जहाँ थे, वही लाशों के ढेर में बदल गये, वहीं कुछ बुरी तरह जख्मी हालत में इधर-उधर भागे ।
“वो रहा कमाण्डर करण सक्सेना !” तभी खून में लथपथ एक गार्ड कैमोफ्लाज किट की तरफ उंगली उठाकर चिल्लाया- “वो रहा ।”
गार्ड के चिल्लाने की देर थी, फौरन भागते हुए गार्ड रूक गये ।
तुरंत ही उनकी असाल्ट राइफलों और लाइट मशीनगनों के मुंह उसकी तरफ घूम गये तथा फिर उन्होंने बस्ट फायर खोल दिये ।
धड़-धड़-धड़ करके कुछ इस तरह गोलियां चलीं, जैसे जंगल का वह हिस्सा युद्ध भूमि में बदल गया हो । लेकिन वह सारी गोलियां कमाण्डर करण सक्सेना की कमोफ्लाज किट से आकर टकरायीं और बेकार हो गयीं ।
गार्डों के हरकत में आते ही कमाण्डर ने भी अपनी असाल्ट राइफल का बस्ट फायर खोल दिया था ।
कमाण्डर का बस्ट फायर खोलना गार्डों को काफी महंगा पड़ा । वह हृदय विदारक ढंग से चीखते हुए लाशों में बदलते चले गये ।
तभी टन्न की आवाज करती हुई कोई चीज कमाण्डर की कैमोफ्लाज किट से आकर टकराई और तुरंत उसकी कैमोफ्लाज किट उछलकर एक तरफ जा गिरी ।
कमाण्डर फौरन बिजली जैसी तेजी के साथ घूम गया और पलटा ।
उसके पीछे ली मारकोस खड़ा था ।
समुराई फाइटर !
उसकी समुराई अब अपनी लकड़ी की म्यान से निकलकर बाहर आ चुकी थी और उसकी मूठ में बंधा लाल रिबन बड़े ही खतरनाक अंदाज में लहरा था । अंधेरे में भी समुराई की दोनों तरफ की धार ऐसे चमक रही थी, जैसे हीरे चमक रहे हों ।
ली मारकोस की आँखों में खून था ।
खून ही खून !
“बर्मा के इन जंगलों में आकर तू बहुत लाशें बिछा चुका है कमाण्डर करण सक्सेना !” ली मारकोस फुंफकारा- “अब तेरी अंतिम क्रिया का समय है, ले मर !”
सर्रांटे के साथ समुराई चली ।
ऐसा लगा, जैसे जम्बोजेट विमान ने गर्जना की हो ।
कमाण्डर करण सक्सेना सिर्फ एक क्षण के लिए टाइगर क्लान के एक्शन में आया था, परन्तु अगले ही पल वो अपने स्थान से जम्प लेकर उछल पड़ा ।
फौरन उन झाड़ियों को समुराई बड़ी सफाई के साथ काटती चली गयी, जहाँ कमाण्डर सिर्फ चंद सेकण्ड पहले मौजूद था ।
जम्प लेते ही कमाण्डर अपने पैरों पर खड़ा हो गया ।
अब वह दोनों योद्धा आमने-सामने थे ।
रोद्र रूप में ।
ली मारकोस के हाथ में जहाँ उस समय अपनी समुराई थी, वहीं कमाण्डर करण सक्सेना निहत्था था ।
असॉल्ट राइफल भी उसकी वहीं कैमोफ्लाज किट के पास छूट गयी थी ।
तभी ली मारकोस ने अपनी समुराई को सर्राटे के साथ हवा में इतनी तेजी से घुमाया कि वो सर्र-सर्र करती हुई पंखुड़ियों की मानिन्द घूमती चली गयी ।
सचमुच उसे समुराई चलाने में महारथ हासिल थी ।
फिर समुराई दोबारा कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ झपटी ।
कमाण्डर करण सक्सेना पुनः उछल पड़ा ।
इस बार समुराई पेड़ के एक मोटे तने को काटती चली गयी थी । वह भारी भरकम पेड़ गड़-गड़ करता हुआ धड़ाम से नीचे गिरा ।
“आज की रात तुम बचोगे नहीं कमाण्डर ।” ली मारकोस भभके स्वर में बोला-“भारत सरकार को हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि उसने तुम्हें इस मिशन पर भेजा, तो क्या भेजा ?”
“यह वक्त बतायेगा ।” कमाण्डर उन जटिल परिस्थितियों में भी मुस्कराया- “कि अफसोस किसे होता है ?”
तुरंत समुराई प्रहार करने के लिए पुनः झटके के साथ आसमान की तरफ उठी ।
मगर इस बार चूका नहीं कमाण्डर करण सक्सेना भी ।
वो उस वक्त कैमोफ्लाज किट के नजदीक ही खड़ा था । उसने फौरन झपटकर अपनी ए.के. सैंतालिस असालट राइफल उठा ली ।
राइफल उठाते ही उसने नाल ली मारकोस की तरफ घुमाई और फिर उसका बस्ट फायर खोल दिया । धड़-धड़-धड़ करके गोलियां चलती चली गयीं ।
ली मारकोस प्रहार करना भूल गया ।
उसने गोलियों से बचने के लिए खतरनाक एक्शन दिखाया ।
सांस रोक देने वाला एक्शन !
उसने खड़े-खड़े इतनी ऊंची जम्प लगायी कि वह कमाण्डर करण सक्सेना के सिर से भी ऊपर उछल पड़ा ।
समुराई फाइटर बेहद फुर्तीले शरीर के मालिक होते हैं, इसीलिए दौड़ने में या जम्प लेने में उनका कोई सानी नहीं होता ।
फिर वह तो ग्रेंड मास्टर था ।
हवा में उछलते ही ली मारकोस की समुराई भी चली ।
आश्चर्य !
घोर आश्चर्य !
समुराई उसकी राइफल की नाल को बड़ी सफाई के साथ काटती चली गयी । चूंकि राइफल में से बस्ट फायर चल रहे थे, इसीलिए गोलियां वहीं कमाण्डर करण सक्सेना के नजदीक फट पड़ी ।
राइफल खुद ब खुद कमाण्डर के हाथ से उछलकर दूर जा गिरी ।
हंसा ली मारकोस, बुलंद अंदाज में कहकहा लगाकर हंसा ।
“किसी समुराई फाइटर पर गोलियां चलाना इतना आसान नहीं होता कमाण्डर, फिर ली मारकोस तो मौत का फरिश्ता है, जिससे मौत भी पनाह मांगती है ।”
ली मारकोस एक बार फिर कमाण्डर करण सक्सेना के सामने खड़ा था ।
कमाण्डर करण सक्सेना दूसरी राइफल उठाने के लिए पीछे की तरफ भागा ।
उसी क्षण ली मारकोस ने समुराई का एक और जानलेवा एक्शन पेश कर दिया ।
उसने अपनी समुराई हवा में उछाली ।
समुराई उछालते ही वह नीचे गिरा और नीचे गिरते ही उसने दोनों टांगें घुमाकर इतनी जबरदस्त ‘राउण्ड किक’ लगायी कि वह ‘राउण्ड किक’ सीधे भगाते हुए कमाण्डर की टांगों में जाकर उलझ गयी ।
कमाण्डर चीखता हुआ नीचे गिरा ।
उसी क्षण हवा में उछाली गयी समुराई दोबारा से ली मारकोस के हाथ में आ गयी थी ।
“अब तेरा खेल खत्म !”
समुराई सर्र-सर्र करती हुई पुनः विद्युत-गति से हवा में घूमी तथा फिर कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ झपटी ।
कमाण्डर ने फिर कलाबाजी खाई ।
कलाबाजी खाते ही इस बार कमाण्डर के दिमाग की मांस-पेशियों ने हरकत दिखा दी थी । फौरन क्लेंसी हैट की ग्लिप में फंसी रिवॉल्वर निकालकर उसके हाथ में आ गयी ।
हाथ में आते ही रिवॉल्वर फिरकनी की तरह घूमी और धांय से गोली चली ।
भैंसे की तरह डकरा उठा ली मारकोस !
गोली सीधे उसके माथे में जाकर लगी थी ।
माथे से खून का फव्वारा छूट पड़ा ।
कमाण्डर ने तुरन्त उसके हाथ से समुराई छीन ली । फिर बड़े दक्ष समुराई फाइटर जैसे अंदाज में ही सर्र-सर्र करती हुई समुराई आकाश की तरफ उठी और फिर सीधे ली मारकोस के दिल में इस तरह उतरती चली गयी, जैसे मक्खन की टिकिया में कोई छुरी पेवस्त होती चली जाती है ।
ली मारकोस वहीं ढेर हो गया ।
कमाण्डर ने जोर से जूते की एक ठोकर उसके मुंह पर जड़ी ।
“ली मारकोस !” कमाण्डर करण सक्सेना फुंफकारा था- “यह जरूरी नहीं कि समुराई फाइटिंग का हर मुकाबला उसका ‘ग्रेंड मास्टर’ ही जीते । कभी-कभी मुकाबला वो भी जीतते हैं, जिन्होंने समुराई अपने हाथ में लेकर देखी भी नहीं होती ।”
उसने ली मारकोस के मुंह पर थूक दिया ।
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05-16-2020, 02:01 PM,
#35
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
बार्बी जंगल के उत्तरी छोर पर थी और अपनी टुकड़ी के साथ निरंतर आगे की तरफ बढ़ रही थी ।
उसके साथ कोई पच्चीस हथियारबंद गार्ड थे ।
सब बेहद चौकन्ने !
वह एक-एक पेड़ और झाड़ियों को ध्यानपूर्वक देखते हुए आगे बढ़ रहे थे कि कहीं वहाँ उनका दुश्मन तो छिपा हुआ नहीं है । अलबत्ता अंधेरे के कारण उन्हें दुश्मन को देखने में थोड़ी मुश्किल जरूर पेश आ रही थी । तभी बम के धमाकों और गोलियों की आवाजों ने उन सबको चौंकाकर रख दिया ।
“यह कैसी आवाजें हैं ?”
“लगता है, मारकोस वाली टीम कमाण्डर करण सक्सेना तक पहुँचने में कामयाब हो गयी है ।” बार्बी ठिठककर बोली- “हमें फौरन उनकी मदद के लिये जल्दी से वहाँ पहुँचना चाहिये ।”
तुरन्त वह सब उसी दिशा की तरफ दौड़ पड़े, जिधर से धमाकों की आवाज आ रही थी ।
वह जंगल में अभी थोड़ी ही दूर पहुंचे होंगे, तभी एकाएक वह आवाज आनी बंद हो गयी ।
“रूको !” बार्बी दौड़ते-दौड़ते फौरन एक जगह ठिठककर रुक गयी- “रूको !”
सब ठिठके ।
आवाज अब बिल्कुल नहीं आ रही थी ।
“यह आवाज क्यों बंद हो गयी ?”
“लगता है मैडम !” एक गार्ड बोला- “कमाण्डर करण सक्सेना मर गया है ।”
“अगर कमाण्डर करण सक्सेना मर गया होगा ।” बार्बी बोली- “तो मिस्टर मारकोस अभी ट्रांसमीटर पर मुझे सूचना देंगे ।”
“और अगर ट्रांसमीटर पर कोई सूचना न आयी ?”
“तो...तो फिर उसका मतलब होगा ।” बार्बी हिचकिचाते हुए बोली- “कि कमाण्डर ने मारकोस और उसके साथियों को भी वहाँ पहुँचा दिया है, जहाँ हूपर को पहुँचाया था ।”
“न...नहीं ।”
सब भयभीत हो उठे ।
सब एकाएक डरे-डरे नजर आने लगे ।
फिर उन्होंने जंगल में उसी स्थान पर खड़े होकर ट्रांसमीटर कॉल का इंतजार करना शुरू किया ।
काफी समय गुजर गया, लेकिन मारकोस की कोई ट्रांसमीटर कॉल न आयी ।
ट्रांसमीटर कॉल न आने से उन सबकी परेशानी और बढ़ गयी ।
“अ...आखिर वही हो गया ।” बार्बी शुष्क स्वर में बोली- “जिसका मुझे डर था, मारकेास मारा गया ।”
“मैडम, ऐसा भी तो हो सकता है कि वह अभी जिंदा हों ।”
“नहीं, ऐसा किसी हालत में नहीं हो सकता ।” बार्बी को अपनी आँखों के गिर्द चाँद-तारे मंडराते नजर आने लगे- “अगर मारकोस जिंदा होता, तो वह ट्रांसमीटर पर मुझे जरूर घटना की जानकारी देता । वह मुझे जरूर बताता कि उसके साथ क्या हुआ है ।”
सबकी बेचैनी एकाएक बहुत बढ़ गयी ।
“अब हम लोग क्या करें ?”
“ऐसी हालत में फिलहाल हमारा आगे बढ़ना ठीक नहीं है ।” बार्बी बोली- “दुश्मन के हौंसले बहुत बुलंद हैं । वह हमारे दो योद्वा और ढेर सारे गार्ड मार चुका है । हमें अब जंगल में यहीं रूककर दिन निकलने का इंतजार करना चाहिये ।”
“इसका मतलब हम यहीं अपने तम्बू गाड़ लें मैडम !”
“नहीं, तम्बू गाड़ने मुनासिब नहीं रहेगें । तम्बू दुश्मन की निगाह में आ सकते हैं ।”
“फिर ?”
“हमें रात गुजारने के लिये कोई और ऐसी जगह तलाश करनी होगी, जो सुरक्षित भी हो और जहाँ से हम दुश्मन पर निगाह भी रख सकें ।”
जल्द ही उन्होंने पत्थरों की एक ऐसी छोटी गुफा को खोज निकाला, जो रात गुजारने के लिये उनके काम आ सकती थी ।
बर्मा के उन जंगलों में छोटी-छोटी काफी सारी गुफायें थीं । जिन्हें या तो जंगली जानवर अपने इस्तेमाल में लाते थे या फिर वो खाली पड़ी रहती थीं ।
जो गुफा उन्हें मिली, वह खाली थी और वहाँ ऐसा कोई निशान भी न था, जिससे साबित होता हो कि उस जगह पर किसी जगंली जानवर का वास है ।
अपनी जीपें उन्होंने गुफा के इर्द-गिर्द ही छिपा दीं । दो गार्ड अपनी-अपनी राइफल के साथ गुफा के बाहर झाड़ियों में छुपकर बैठ गये, ताकि अगर दुश्मन दिखाई दे, तो वह गोलियां चलाकर गुफा के अंदर मौजूद अपने साथियों को सूचित कर सकें, जबकि बाकी सारे लोग गुफा में चले गये ।
बार्बी का दिल उस समय बहुत आंदोलित था ।
बार-बार उसकी आँखों में आंसू आ रहे थे, जिन्हें वो बड़ी मुश्किल से छिपाये हुए थी ।
ली मारकोस से उसने बहुत प्यार किया था ।
उसे अपने दिल में बसाकर ऐसे ढेरों सपने देखे थे, जो कोई औरत ही देख सकती है ।
उसकी शुरू से ही इच्छा नहीं थी कि जैक क्रेमर का प्रस्ताव स्वीकार किया जाये और वह दोनों बर्मा के उन खौफनाक जंगलों में आये । मगर ली मारकोस की जिद के कारण ही उसे वहाँ आना पड़ा ।
मजबूरी में आना पड़ा ।
जबकि ढेर सारा धन कमाने के बाद उसने तो यह सपना देखा था कि अब वह दोनों शादी करके सकून की जिंदगी गुजारें । परन्तु बार्बी का वह सपना चकनाचूर हो गया ।
वह गुफा के एक तन्हा कोने में जाकर लेट गयी ।
उसे सायोनारा बंदरगाह की याद आने लगी ।
सायोनारा !
जिसका अर्थ है, विदाई !
बार्बी की आधी से ज्यादा जिंदगी उसी बंदरगाह पर गुजरी थी । बार्बी को लगा, जैसे सायोनारा बंदरगाह उसे आवाज दे रही है ।
उसे वापस अपने पास बुला रही है ।
बार्बी की आँखों में आंसू मंडराने लगे ।
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05-16-2020, 02:01 PM,
#36
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर करण सक्सेना एक बार फिर लाशों के ढेर के बीच में खड़ा था । उसने अपनी टांग कसकर दबाई ।
“दर्द फिर होने लगा है ।”
समुराई फाइटर को मारने में उसे अच्छी-खासी मेहनत करनी पड़ गयी थी ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने एक ‘डनहिल’ सुलगा ली और फिर उसके छोटे-छोटे कश लगाने लगा ।
सिगरेट पीने से उसके अंदर थोड़ी ताजगी दौड़ी ।
“मुझे इंजेक्शन लेना चाहिये, जिससे दर्द कुछ कम हो ।”
उसने बैग में से फर्स्ट-एड किट निकाली और फिर एक इंजेक्शन लिया ।
उसकी छठी इंद्री बता रही थी कि अभी और भी दुश्मन उसके आसपास मौजूद हैं ।
उस समुराई फाइटर के ही कुछ और साथी !
खतरा बरकरार था ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने फिर कुछ काम और निपटाये ।
जैसे उसके आसपास जितनी भी लाशें पड़ी हुई थीं, उसने स्प्रिंग ब्लेड से उन सबके दिल चीर डाले ।
उनकी गनें तोड़ डाली ।
इसके अलावा जितना भी गोलियां थीं, वह सब उसने अपने बैग में भरीं ।
गोलियों का अच्छा-खासा स्‍टॉक उसके पास जमा हो गया था ।
अलबत्ता अब हैण्डग्रेनेड की संख्या कम थी ।
फिर कमाण्डर ने अपनी उस ए0 के0 सैंतालिस असाल्ट राइफल को देखा, जिसकी नाल ली मारकोस ने अपनी समुराई से काट डाली थी ।
वह राइफल बेकार हो चुकी थी ।
कमाण्डर ने उसके भी दो टुकड़े कर डाले ।
फिर एक ‘लाइट मशीनगन’ उसने अपने कंधे पर लटका ली ।
अब वही मशीनगन उसके काम आनी थी ।
उसके बाद उसने कैमोफ्लाज किट को भी फोल्ड करके अपने बैग में रखा ।
शीघ्र ही वो आगे बढ़ने के लिये पूरी तरह तैयार था ।
रेडी !
अंधेरा अभी भी घिरा हुआ था ।
तभी कमाण्डर के दिमाग में एक तरकीब सूझी ।
अगर समुराई फाइटर के कुछ और साथी वहीं जंगल में आसपास मौजूद थे, तो उन्हें एक चाल में फंसाकर वहाँ बुलाया जा सकता था ।
कमाण्डर दौड़कर ली मारकोस की लाश के करीब पहुँचा और उसने उसकी तलाशी ली ।
शीघ्र ही कमाण्डर की निगाह ली मारकोस की रिस्टवॉच पर जाकर ठहर गयी, जो एक ट्रांसमीटर सैट था ।
कमाण्डर ने फौरन उसका ट्रांसमिशन स्विच ऑन किया तथा फिर धीरे-धीरे उसकी नॉब घुमाने लगा ।
जल्द ही उसने सिग्नल पकड़ लिया था और दूसरी तरफ ब्लिप-ब्लिप की आवाज आने लगी ।
“हैलो !” तुरन्त दूसरी तरफ से एक लड़की की बहुत घबराई हुई आवाज कमाण्डर के कानों में पड़ी- “हैलो, कौन मारकोस ? क्या तुम मारकोस बोल रहे हो ?”
कमाण्डर खामोश रहा ।
“मारकोस !” लड़की चिल्लाने लगी- “तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे मारकोस ?”
“प... प्लीज हैल्प भी !” कमाण्डर बिल्कुल ली मारकोस की आवाज में ही टूटे-टूटे शब्दों में बोला- “म... मेरी मदद करो ।”
“मारकोस !” लड़की स्तब्ध रह गयी- “त...तुम्हें क्या हो गया है मारकोस ?”
“प... प्लीज हैल्प मी, प... प्लीज... ।”
कमाण्डर ने आगे के शब्द जानबूझकर अधूरे छोड़ दिये ।
“मारकोस !” लड़की लगातार चिल्ला रही थी- “मारकोस !”
कमाण्डर करण सक्सेना फिर कुछ न बोला । न ही उसने ट्रांसमीटर बंद किया । लड़की के बदहवास अंदाज में चिल्लाने की आवाज निरंतर उसके कानों में पड़ रही थी ।
कमाण्डर जानता था, उसका काम हो गया है ।
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05-16-2020, 02:01 PM,
#37
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
उस ट्रांसमीटर कॉल के पहुँचते ही गुफा में हलचल मच गयी ।
“मारकोस जिंदा है !” बार्बी बदहवासों की तरह बोली- “जरूर वो जख्मी है, हमें फौरन उसकी मदद के लिये आगे जाना चाहिये ।”
वहीं जैकब भी था ।
जैकब !
जैक क्रेमर का खास आदमी ।
वह मुख्य तौर पर नारकाटिक्स का काम देखता था ।
“लेकिन मौजूदा हालात में हमारा आगे बढ़ना ठीक नहीं है मैडम !” जैकब बोला ।
“क्यों ?”
“क्योंकि यह दुश्मन की कोई चाल भी हो सकती है । यह भी हो सकता है कि कमाण्डर करण सक्सेना ने हम सबको फंसाने के लिये यह कोई षडयंत्र रचा हो ?”
“तुम इस बात का दूसरा पहलू भी देखो जैकब !”
“कौन-सा पहलू ?”
“यह भी तो हो सकता है कि मारकोस को सचमुच हमारी मदद की जरूरत हो । वह सचमुच हमें मदद के लिये पुकार रहा हो । अगर ऐसा हुआ और हम उसकी मदद के लिये न पहुंचे, तो कितना गलत होगा ।”
जैकब लाजवाब हो गया ।
चुप !
उलझन गहरी थी ।
“हमें जल्दी से कोई फैसला लेना चाहिये ।” एक अन्य गार्ड बोला ।
“मैडम, हमें कोई ऐसी तरकीब सोचनी होगी ।” वह शब्द जैकब ने कहे- “जो अगर यह कमाण्डर करण सक्सेना की चाल हो, तो हम उसकी चाल में न फंसें ।”
“ऐसी क्या तरकीब हो सकती है ?”
“फिलहाल यही सोचना है ।”
बार्बी के माथे पर सिलवटें पड़ गयीं ।
इस वक्त उसके दिमाग में एक ही बात थी, अगर मारकोस जख्मी है, तो उसे उसकी हर हालत में मदद करने के लिये पहुचंना चाहिये ।
“दुश्मन की चाल में न फंसने का एक तरीका है ।” बार्बी बोली ।
“क्या ?”
“हम अपनी इस एक टुकड़ी को भी दो हिस्सों में बांटेंगे । इस वक्त हमारे पास पच्चीस आदमी हैं । बीस आदमी हमारी टुकड़ी में आगे पैदल चलेंगे और उनसे कोई सौ मीटर पीछे बेहद धीमी गति से एक जीप चलेगी, जिसमें बाकी पांच जने होंगे । मैं भी जीप में रहूँ गी । अगर यह कमाण्डर करण सक्सेना की चाल हुई, तो कमाण्डर पहले हमारे बीस आदमियों पर हमला करेगा । उसके हमला करते ही हमें पता चल जायेगा कि यह वास्तव में उसका प्लान था । तुरन्त ही हम लोग पीछे से उस पर अटैक कर देंगे ।”
गुफा में मौजूद तमाम गार्डों की आँखें चमक उठीं ।
“गुड आइडिया !” जैकब ने भी उसके प्लान की तारीफ की ।
“तो फिर चलें ?”
“चलो ।”
☐☐☐
कमाण्डर उस समय पेड़ पर चढ़ा हुआ था ।
दूरबीन उसकी आँखों से चिपकी थी और वह जंगल का दूर-दूर तक का नजारा कर रहा था ।
फिलहाल ‘इन्फ्रारेड लैंसों’ से उसे काफी मदद मिल रही थी । उन्हीं की बदौलत वो उस घने अंधेरे में भी दूर-दूर तक देख पा रहा था ।
तभी कमाण्डर करण सक्सेना चौंका- एकाएक उसे काफी सारे लोग दिखाई दिये, जो उसी तरफ बढ़े चले आ रहे थे ।
सब पैदल थे ।
सबके हाथों में राइफलें !
कमाण्डर की निगाहें अभी उन हथियारबंद गार्डों पर ही टिकी हुई थीं, तभी उसे उन गार्डों से और बहुत पीछे एक काला धब्बा-सा नजर आया ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने दूरबीन के लैंसों को घुमाया ।
उन्हें और फोकस किया ।
तुरन्त ही वह धब्बा भी स्पष्ट हो गया ।
वह एक जीप थी, जो उन गार्डों से काफी फासला बनाकर आगे बढ़ रही थी ।
कमाण्डर उनकी चाल भांप गया ।
वह शीघ्रतापूर्वक पेड़ से नीचे उतरा ।
पेड़ के नीचे उतरते ही उसने भी अपनी ‘चालाकी के पत्ते’ फैलाने शुरू कर दिये ।
उसने सबसे पहले वहाँ इधर-उधर बिखरी लाशों को उठाकर नजदीक की झाड़ियों में डाला, जिससे एकाएक किसी की नजर उन लाशों पर न पड़े ।
फिर वो एक गुफा की तरफ बढ़ा ।
थोड़ी देर पहले ही कमाण्डर करण सक्सेना ने वो गुफा देखी थी ।
वो बहुत संकरी-सी गुफा थी और काफी खतरनाक थी ।
उस गुफा का दहाना तो जरा-सा था, जिसमें कोई एक आदमी भी बड़ी मुश्किल से दाखिल हो सकता था, लेकिन अंदर से वो गुफा काफी बड़ी थी ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने गुफा में पहुँचते ही वहाँ डायनामाइट फिट करने शुरू कर दिये ।
उसने कुल चार ‘डायनामाइट छड़ें’ उस गुफा के अंदर फिट कीं ।
उनके टाइम-पैनल में कमाण्डर ने पंद्रह मिनट बाद का टाइम भरा ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना ने अपने हैवरसैक बैग में से एक पॉकिट साइज टेपरिकॉर्डर निकाला और उस टेपरिकॉर्डर में कुछ ऐसी आवाजें भरीं, जैसे कोई बुरी तरह कराह रहा हो ।
फिर उस टेपरिकॉर्डर को ऑन करके तथा उसे गुफा में ही रखकर वो बाहर निकल आया । अब गुफा में से किसी के बुरी तरह कराहने की आवाजें आ रही थीं ।
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन नजदीक की झाड़ियों में छिप गया ।
तभी बीस हथियारबंद गार्डों का दस्ता भी वहा आ पहुँचा ।
किसी के कराहने की आवाज सुनते ही गार्ड ठिठके ।
“यह कैसी आवाज है ?”
“लगता है, मारकोस साहब यहीं कहीं हैं ।” दूसरा गार्ड स्तब्ध भाव से बोला- “यह उन्हीं के कराहने की आवाज हैं ।”
“हाँ , यह मारकोस साहब ही कराह रहे हैं ।”
सब इधर-उधर देखने लगे ।
“लगता है ।” तभी एक अन्य गार्ड बोला- “कराहने की यह आवाज गुफा के अंदर से आ रही है ।”
सब गुफा की तरफ झपटे ।
आवाज सचमुच उसी के अंदर से आ रही थी । उस आवाज को सुनते ही तमाम गार्ड गुफा के अंदर दाखिल हो गये ।
कमाण्डर तुरन्त हरकत में आया ।
वह झाड़ियों में से निकलकर गुफा की तरफ झपटा ।
वहीं गुफा के दहाने के ऊपर एक पत्थर कुछ इस अंदाज में रखा हुआ था कि अगर उसके नीचे का एक छोटा सा पत्थर हटा दिया जाता, तो वह विशालकाय पत्थर धड़ाम से दहाने के सामने आ गिरता ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने वही किया ।
उसने वो पत्थर हटा दिया ।
तत्काल उसके ऊपर रखा विशालकाय पत्थर गुफा के दहाने के सामने आकर गिरा और वह दहाना बिल्कुल इस तरह बंद हो गया, जैसे उसके पीछे कोई गुफा थी ही नहीं ।
अब वह सभी बीस आदमी उस गुफा में फंस गये थे ।
जल्द ही उनकी घुटी-घुटी चीखों की आवाजें गुफा के अंदर से आने लगी ।
कमाण्डर ने बिल्कुल उसी तरह दो-तीन विशालकाय पत्थर और ऊपर से गिराये ।
गुफा का दहाना अब और ज्यादा कसकर बंद हो गया ।
गार्डों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें आनी भी बंद हो गयीं । उसके बाद कमाण्डर करण सक्सेना ‘मौत का फरिश्ता’ बना हुआ जीप की तरह बढ़ा ।
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05-16-2020, 02:02 PM,
#38
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
“बस !” बार्बीं बोली- “जीप यहीं रोक दो ।”
बार्बी के आदेश की देर थी, फौरन जीप के पहिये चीख उठे और वह घनी झाड़ियों के बीच पहुँचकर रूक गयी ।
फिलहाल उस जीप को जैकब चला रहा था ।
बार्बी उस जीप की अगली सीट पर ही बैठी थी ।
“यहाँ वातावरण में जले हुए बारूद की गंध आ रही है ।” बार्बी बहुत ध्यान से आसपास की गंध लेते हुए बोली- “ऐसा लगता है, मारकोस की कमाण्डर करण सक्सेना से मुठभेड़ यहीं कहीं हुई थी । इस हिसाब से कमाण्डर करण सक्सेना को भी आसपास ही होना चाहिये ।”
“अगर कमाण्डर करण सक्सेना इसी क्षेत्र में है ।” जैकब बोला- “तो हमारे आगे बीस गार्ड गये हैं, वह उनसे जरूर टकरायेगा । लेकिन माहौल में जिस प्रकार निस्तब्धता है, उससे तो यही लगता है कि वो उनसे नहीं टकराया है ।”
“न जाने क्यों मुझे अब खतरे का अहसास हो रहा है ।” बार्बी थोड़ा सहमकर बोली ।
“कैसा खतरा ?”
“खतरा किसी भी तरह का हो सकता है ।”
जैकब खामोश रहा । सच बात तो ये है, उसके दिल में भी अजीब-सी घबराहट हो रही थी ।
“मैं एक काम करती हूँ ।” बार्बी ने कहा ।
“क्या ?”
“तुम दो गार्डों के साथ यहीं जीप में रूको । जबकि बाकी के दो गार्ड लेकर मैं पैदल आगे का माहौल देखने जा रही हूँ कि वहाँ कुछ गड़बड़ तो नहीं हैं ।”
“ठीक है ।”
बार्बी ने फौरन दो गार्डों को इशारा किया ।
तुरन्त दो गार्ड उसके साथ-साथ जीप से नीचे उतर गये ।
कमाण्डर करण सक्सेना जो नजदीक की झाड़ियों में ही छिपा हुआ, वह सारा मंजर देख रहा था, उसने फौरन झटके के साथ अपना नौ इंच लम्बा स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाल लिया ।
उसने क्या करना है, वो सोच चुका था ।
वह बड़ी तेजी के साथ झाड़ियों में सांप की तरह रेंगता हुआ उन तीनों के पीछे-पीछे चला ।
उसके रेंगने की बिल्कुल भी आवाज नहीं हो रही थी ।
अपनी फौजी ट्रेनिंग का उस मिशन के दौरान उसे कदम-कदम पर फायदा मिल रहा था ।
शीघ्र ही वह जीप से काफी आगे निकल आये ।
अब जीप नजर नहीं आ रही थी ।
कमाण्डर ने गौर से उन तीनों की पोजिशन नोट की ।
बार्बी उनमें सबसे आगे थी और बहुत चौकन्नी थी ।
बार्बी से कोई पांच फुट पीछे एक दूसरा गार्ड चल रहा था ।
उससे इतना ही और पीछे तीसरा गार्ड था ।
वह एक खास पोजिशन में चल रहे थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना हरकत में आया ।
वह झाड़ियों में रेंगता हुआ ही तीसरे गार्ड के बिल्कुल पीछे पहुँच चुका था ।
फिर इससे पहले की तीसरे गार्ड को उसकी जरा भी भनक मिल पाती, वह जम्प लेकर उठा और तुरन्त पीछे से उसके मुंह पर कसकर हाथ जकड़ दिया ।
गार्ड छटपटाया ।
उसके नेत्र दहशत से फटे ।
लेकिन कमाण्डर करण सक्सेना की पकड़ बहुत मजबूत थी ।
वह उसे लिये-लिये नीचे घनी झाड़ियों में गिरा और गिरते ही उसने स्प्रिंग ब्लेड से उसकी गर्दन काट डाली ।
खून का तेज फव्वारा छूटा ।
मगर कमाण्डर ने फिर भी उसके जबाड़े के ऊपर से तब तक हाथ न हटाया, जब तक इस बात की पूरी संतुष्टि न कर ली कि वह मर गया है ।
उसके बाद उसने गर्दन उठाकर बार्बी तथा उस दूसरे गार्ड की तरफ देखा ।
उन्हें उस हादसे की भनक तक न थी ।
वह सीधे-सीधे चले जा रहे थे ।
कमाण्डर दोबारा झाड़ियों के अंदर-ही-अंदर बहुत तेजी से सांप की तरह रेंगता हुआ अब दूसरे गार्ड की तरफ झपटा ।
वह जितनी तेजी से और जितनी बेआवाज अंदाज में रेंग रहा था, वह सचमुच कमाल था ।
जल्द ही वह दूसरे गार्ड के भी पीछे जा पहुँचा ।
फिर वह दोबारा चीते की तरह उछला और उस गार्ड को अपने फौलादी शिकंजे में दबोचे-दबोचे वापस झाड़ियों में गिरा ।
झाड़ियों में गिरते ही उसने उसकी गर्दन भी स्प्रिंग ब्लेड से काट डाली ।
उसने भी छटपटाकर वहीं दम तोड़ दिया ।
कमाण्डर ने आहिस्ता से उसके जबाड़े के ऊपर से हाथ हटाया । उसकी लाश भी वहीं झाड़ियों में लिटाई तथा फिर गर्दन उठाकर बार्बी की तरफ देखा ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने वह दोनों हत्यायें इतनी सफाई के साथ की थीं कि बार्बी को अभी भी उनके मरने की खबर न थी ।
वह काफी आगे निकल गयी थी ।
कमाण्डर ने स्प्रिंग ब्लेड का खून से सना फल वहीं झाड़ियों में रगड़कर साफ किया और फिर उसे वापस उसके खांचे में फिट कर दिया ।
फिर वह झाड़ियों में-से फिरकनी की तरह वापस घूमा ।
अब कमाण्डर करण सक्सेना उसी जीप की तरफ वापस बड़ी तेजी से रेंग रहा था, जिसमें जैकब दो गार्डों के साथ बैठा था ।
वह तीनों उस वक्त बिल्कुल लापरवाह थे ।
“अब मुझे इस जीप का इलाज करना चाहिये ।” कमाण्डर करण सक्सेना मन-ही-मन बुदबुदाया ।
झाड़ियों में रेंगता हुआ वह जीप से आगे निकल गया ।
फिर वह बेखौफ झाड़ियों से बाहर निकला ।
इस वक्त कमाण्डर जीप के बिल्कुल पीछे था और उन तीनों हथियारबंद गार्डों की पीठ उसकी तरफ थी ।
कमाण्डर बेहद दबे पांव चलता हुआ जीप तक पहुँचा और उसके बाद निःशब्द ढंग से जीप के नीचे घुस गया ।
उन तीनों को कानों-कान भनक तक न लगी कि जिस दुश्मन की तलाश में वो वहाँ आये हैं, उनका वही दुश्मन उस वक्त जीप के नीचे था ।
उधर !
जीप के नीचे पहुँचते ही कमाण्डर ने अपने हैवरसेक बैग में-से नारंगी रंग की एक गेंद निकाली ।
गेंद, जो बहुत शक्तिशाली टाइम-बम था ।
“अब यह टाइम-बम तुम्हें जहन्नुम का रास्ता दिखायेगा दोस्तों !”
कमाण्डर करण सक्सेना ने उस टाइम-बम में ठीक दो मिनट बाद का टाइम सैट किया ।
फिर उसकी उगलियां जीप के कुछ पुर्जों के साथ छेड़छाड़ करने लगीं ।
जल्द ही उसने वो टाइम-बम जीप के कलपुर्जों के बीच फिट कर दिया ।
“अलविदा दोस्तों ! गुडबाय !”
कमाण्डर करण सक्सेना पिछली साइड से ही जीप से बाहर निकला और दौड़कर वापस झाड़ियों में समां गया ।
तभी कमाण्डर को बार्बी नजर आयी, वह बड़ी चौकन्नी और घबराई हुई मुद्रा में जीप की तरफ चली आ रही थी ।
“दुश्मन का पता चला ?” जैकब ने ड्राइविंग सीट पर बैठे-बैठे पूछा ।
“नहीं, दुश्मन का तो कुछ पता नहीं चला ।” बार्बी बोली- “लेकिन एक बड़ी भारी गड़बड़ हो गयी है ।”
“कैसी गड़बड़ ?”
“मेरे साथ जो दो गार्ड गये थे और जो मेरे पीछे-पीछे चल रहे थे, वह न जाने कहाँ गायब हो गये हैं, मैं उन्हें सब जगह तलाश चुकी हूँ । मगर उनका कहीं कुछ पता नहीं ।”
“वो कहाँ चले गये ?”
“खुद मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा ।”
अब बार्बी के साथ जैकब और दोनों गार्ड भी घबराये हुए नजर आने लगे ।
स्थिति वाकई जटिल थी ।
जंगल में जो भी आगे जा रहा था, वही गायब हो रहा था ।
बार्बी भी जीप में बैठ गयी ।
“अब क्या करना है ?”
“जीप आगे बढ़ाओ ।” बार्बी बोली ।
जैकब ने जीप को आगे बढ़ाया ।
जीप अभी मुश्किल से थोड़ी ही दूर गयी होगी, तभी उसके नीचे लगा टाइम-बम फट पड़ा और एक बहुत प्रचण्ड धमाका हुआ ।
तत्काल पूरी जीप की धज्जियां बिखर गयीं ।
आकाश की तरफ भीषण आग के शोले उठते नजर आये ।
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05-16-2020, 02:02 PM,
#39
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
“बस !” बार्बीं बोली- “जीप यहीं रोक दो ।”
बार्बी के आदेश की देर थी, फौरन जीप के पहिये चीख उठे और वह घनी झाड़ियों के बीच पहुँचकर रूक गयी ।
फिलहाल उस जीप को जैकब चला रहा था ।
बार्बी उस जीप की अगली सीट पर ही बैठी थी ।
“यहाँ वातावरण में जले हुए बारूद की गंध आ रही है ।” बार्बी बहुत ध्यान से आसपास की गंध लेते हुए बोली- “ऐसा लगता है, मारकोस की कमाण्डर करण सक्सेना से मुठभेड़ यहीं कहीं हुई थी । इस हिसाब से कमाण्डर करण सक्सेना को भी आसपास ही होना चाहिये ।”
“अगर कमाण्डर करण सक्सेना इसी क्षेत्र में है ।” जैकब बोला- “तो हमारे आगे बीस गार्ड गये हैं, वह उनसे जरूर टकरायेगा । लेकिन माहौल में जिस प्रकार निस्तब्धता है, उससे तो यही लगता है कि वो उनसे नहीं टकराया है ।”
“न जाने क्यों मुझे अब खतरे का अहसास हो रहा है ।” बार्बी थोड़ा सहमकर बोली ।
“कैसा खतरा ?”
“खतरा किसी भी तरह का हो सकता है ।”
जैकब खामोश रहा । सच बात तो ये है, उसके दिल में भी अजीब-सी घबराहट हो रही थी ।
“मैं एक काम करती हूँ ।” बार्बी ने कहा ।
“क्या ?”
“तुम दो गार्डों के साथ यहीं जीप में रूको । जबकि बाकी के दो गार्ड लेकर मैं पैदल आगे का माहौल देखने जा रही हूँ कि वहाँ कुछ गड़बड़ तो नहीं हैं ।”
“ठीक है ।”
बार्बी ने फौरन दो गार्डों को इशारा किया ।
तुरन्त दो गार्ड उसके साथ-साथ जीप से नीचे उतर गये ।
कमाण्डर करण सक्सेना जो नजदीक की झाड़ियों में ही छिपा हुआ, वह सारा मंजर देख रहा था, उसने फौरन झटके के साथ अपना नौ इंच लम्बा स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाल लिया ।
उसने क्या करना है, वो सोच चुका था ।
वह बड़ी तेजी के साथ झाड़ियों में सांप की तरह रेंगता हुआ उन तीनों के पीछे-पीछे चला ।
उसके रेंगने की बिल्कुल भी आवाज नहीं हो रही थी ।
अपनी फौजी ट्रेनिंग का उस मिशन के दौरान उसे कदम-कदम पर फायदा मिल रहा था ।
शीघ्र ही वह जीप से काफी आगे निकल आये ।
अब जीप नजर नहीं आ रही थी ।
कमाण्डर ने गौर से उन तीनों की पोजिशन नोट की ।
बार्बी उनमें सबसे आगे थी और बहुत चौकन्नी थी ।
बार्बी से कोई पांच फुट पीछे एक दूसरा गार्ड चल रहा था ।
उससे इतना ही और पीछे तीसरा गार्ड था ।
वह एक खास पोजिशन में चल रहे थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना हरकत में आया ।
वह झाड़ियों में रेंगता हुआ ही तीसरे गार्ड के बिल्कुल पीछे पहुँच चुका था ।
फिर इससे पहले की तीसरे गार्ड को उसकी जरा भी भनक मिल पाती, वह जम्प लेकर उठा और तुरन्त पीछे से उसके मुंह पर कसकर हाथ जकड़ दिया ।
गार्ड छटपटाया ।
उसके नेत्र दहशत से फटे ।
लेकिन कमाण्डर करण सक्सेना की पकड़ बहुत मजबूत थी ।
वह उसे लिये-लिये नीचे घनी झाड़ियों में गिरा और गिरते ही उसने स्प्रिंग ब्लेड से उसकी गर्दन काट डाली ।
खून का तेज फव्वारा छूटा ।
मगर कमाण्डर ने फिर भी उसके जबाड़े के ऊपर से तब तक हाथ न हटाया, जब तक इस बात की पूरी संतुष्टि न कर ली कि वह मर गया है ।
उसके बाद उसने गर्दन उठाकर बार्बी तथा उस दूसरे गार्ड की तरफ देखा ।
उन्हें उस हादसे की भनक तक न थी ।
वह सीधे-सीधे चले जा रहे थे ।
कमाण्डर दोबारा झाड़ियों के अंदर-ही-अंदर बहुत तेजी से सांप की तरह रेंगता हुआ अब दूसरे गार्ड की तरफ झपटा ।
वह जितनी तेजी से और जितनी बेआवाज अंदाज में रेंग रहा था, वह सचमुच कमाल था ।
जल्द ही वह दूसरे गार्ड के भी पीछे जा पहुँचा ।
फिर वह दोबारा चीते की तरह उछला और उस गार्ड को अपने फौलादी शिकंजे में दबोचे-दबोचे वापस झाड़ियों में गिरा ।
झाड़ियों में गिरते ही उसने उसकी गर्दन भी स्प्रिंग ब्लेड से काट डाली ।
उसने भी छटपटाकर वहीं दम तोड़ दिया ।
कमाण्डर ने आहिस्ता से उसके जबाड़े के ऊपर से हाथ हटाया । उसकी लाश भी वहीं झाड़ियों में लिटाई तथा फिर गर्दन उठाकर बार्बी की तरफ देखा ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने वह दोनों हत्यायें इतनी सफाई के साथ की थीं कि बार्बी को अभी भी उनके मरने की खबर न थी ।
वह काफी आगे निकल गयी थी ।
कमाण्डर ने स्प्रिंग ब्लेड का खून से सना फल वहीं झाड़ियों में रगड़कर साफ किया और फिर उसे वापस उसके खांचे में फिट कर दिया ।
फिर वह झाड़ियों में-से फिरकनी की तरह वापस घूमा ।
अब कमाण्डर करण सक्सेना उसी जीप की तरफ वापस बड़ी तेजी से रेंग रहा था, जिसमें जैकब दो गार्डों के साथ बैठा था ।
वह तीनों उस वक्त बिल्कुल लापरवाह थे ।
“अब मुझे इस जीप का इलाज करना चाहिये ।” कमाण्डर करण सक्सेना मन-ही-मन बुदबुदाया ।
झाड़ियों में रेंगता हुआ वह जीप से आगे निकल गया ।
फिर वह बेखौफ झाड़ियों से बाहर निकला ।
इस वक्त कमाण्डर जीप के बिल्कुल पीछे था और उन तीनों हथियारबंद गार्डों की पीठ उसकी तरफ थी ।
कमाण्डर बेहद दबे पांव चलता हुआ जीप तक पहुँचा और उसके बाद निःशब्द ढंग से जीप के नीचे घुस गया ।
उन तीनों को कानों-कान भनक तक न लगी कि जिस दुश्मन की तलाश में वो वहाँ आये हैं, उनका वही दुश्मन उस वक्त जीप के नीचे था ।
उधर !
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05-16-2020, 02:02 PM,
#40
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
जीप के नीचे पहुँचते ही कमाण्डर ने अपने हैवरसेक बैग में-से नारंगी रंग की एक गेंद निकाली ।
गेंद, जो बहुत शक्तिशाली टाइम-बम था ।
“अब यह टाइम-बम तुम्हें जहन्नुम का रास्ता दिखायेगा दोस्तों !”
कमाण्डर करण सक्सेना ने उस टाइम-बम में ठीक दो मिनट बाद का टाइम सैट किया ।
फिर उसकी उगलियां जीप के कुछ पुर्जों के साथ छेड़छाड़ करने लगीं ।
जल्द ही उसने वो टाइम-बम जीप के कलपुर्जों के बीच फिट कर दिया ।
“अलविदा दोस्तों ! गुडबाय !”
कमाण्डर करण सक्सेना पिछली साइड से ही जीप से बाहर निकला और दौड़कर वापस झाड़ियों में समां गया ।
तभी कमाण्डर को बार्बी नजर आयी, वह बड़ी चौकन्नी और घबराई हुई मुद्रा में जीप की तरफ चली आ रही थी ।
“दुश्मन का पता चला ?” जैकब ने ड्राइविंग सीट पर बैठे-बैठे पूछा ।
“नहीं, दुश्मन का तो कुछ पता नहीं चला ।” बार्बी बोली- “लेकिन एक बड़ी भारी गड़बड़ हो गयी है ।”
“कैसी गड़बड़ ?”
“मेरे साथ जो दो गार्ड गये थे और जो मेरे पीछे-पीछे चल रहे थे, वह न जाने कहाँ गायब हो गये हैं, मैं उन्हें सब जगह तलाश चुकी हूँ । मगर उनका कहीं कुछ पता नहीं ।”
“वो कहाँ चले गये ?”
“खुद मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा ।”
अब बार्बी के साथ जैकब और दोनों गार्ड भी घबराये हुए नजर आने लगे ।
स्थिति वाकई जटिल थी ।
जंगल में जो भी आगे जा रहा था, वही गायब हो रहा था ।
बार्बी भी जीप में बैठ गयी ।
“अब क्या करना है ?”
“जीप आगे बढ़ाओ ।” बार्बी बोली ।
जैकब ने जीप को आगे बढ़ाया ।
जीप अभी मुश्किल से थोड़ी ही दूर गयी होगी, तभी उसके नीचे लगा टाइम-बम फट पड़ा और एक बहुत प्रचण्ड धमाका हुआ ।
तत्काल पूरी जीप की धज्जियां बिखर गयीं ।
आकाश की तरफ भीषण आग के शोले उठते नजर आये ।
जैकब और दोनों गार्ड तो फौरन मारे गये । अलबत्ता बार्बी जीप के अंदर बहुत चौकन्नी मुद्रा में बैठी थी, जैसे ही धमाका हुआ, उसने बहुत आनन-फानन जीप से बाहर छलांग लगा दी । इसीलिए वो बच गयी ।
फिर भी जख्मी काफी हुई ।
वो दूर झाड़ियों में जाकर गिरी थी । झाड़ियों में गिरते ही बार्बी ने बिल्कुल चीते की तरह कलाबाजी खाई । सबसे अच्छी बात ये हुई कि राइफल अभी भी उसके हाथ में थी ।
उसने राइफल अपने आगे तान दी ।
कोई आसपास नहीं था ।
बम-विस्फोट में उसके कपड़ों के चीथड़े बिखर गये थे, वह अपनी टांग को काफी जख्मी महसूस कर रही थी और उसके बायें कंधे में-से भी खून रिस रहा था ।
वहीं झाड़ियों में पड़े-पड़े बार्बी ने ट्रांसमीशन स्विच ऑन किया और जल्दी हैडक्वार्टर से सम्पर्क स्थापित करने के प्रयास में जुट गयी ।
“हैलो-हैलो !” वह बड़े दहशतनाक अंदाज में ट्रांसमीटर पर चिल्ला रही थी- “कैन आई स्पीक टू जैक क्रेमर ?”
“कैन आई स्पीक टू जैक क्रेमर ?”
जल्द ही उसका जैक क्रेमर से सम्पर्क स्थापित हो गया ।
“हैलो बार्बी !” फौरन ही दूसरी तरफ से जैक क्रेमर की आवाज आयी- “यह रेडियो बोर्ड पर बार-बार धमाके की आवाज कैसे नोट की जा रही है ? तुम ठीक तो हो न बार्बी ?”
“यहाँ कुछ भी नहीं बचा सर !” बार्बी ने आर्तनाद किया- “मारकोस मारा जा चुका है । हमारे तमाम साथी मारे जा चुके हैं । कमाण्डर करण सक्सेना ने जंगल में भारी तबाही बरपा कर रखी है । मैं भी इस वक्त काफी जख्मी हूँ ।”
“माई गॉड ।” जैक क्रेमर की सख्त आवाज- “ली मारकोस भी मारा गया ।”
“यस सर !”
“तुम्हारी अब क्या पोजिशन है ?”
“मैं फिलहाल यहाँ बिल्कुल अकेली हूँ और मुझे लग रहा है, कमाण्डर अब बस किसी भी क्षण मेरे सामने आने वाला है ।”
“तुम्हारे पास कोई हथियार है ?”
“हाँ, एक राइफल मेरे पास है ।”
“वैरी गुड ! अगर कमाण्डर करण सक्सेना तुम्हारे सामने आये, तो वह बचना नहीं चाहिये । उसे पहली गोली से ही शूट करना ।”
“ऐसा ही होगा सर, वो बस एक बार मेरे सामने आ जाये ।”
“चिन्ता की क्या बात है बेबी !” तभी कोई जोर से हंसा- “कमाण्डर करण सक्सेना तुम्हारे सामने खड़ा है ।”
बार्बी ने झटके के साथ गर्दन ऊपर उठाई ।
उससे थोड़ा ही फासले पर सचमुच कमाण्डर करण सक्सेना खड़ा था ।
उसके हाथ में अपनी पसंदीदा कोल्ट रिवॉल्वर थी । बार्बी के गर्दन ऊपर उठाते ही उसने रिवॉल्वर अपनी अंगुलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घुमाई ।
धांय-धांय !
लेकिन बार्बी ने बिना कोई क्षण गंवाये असाल्ट राइफल का ट्रेगर दबा दिया ।
कमाण्डर बिल्कुल किसी तेदुंए की तरह ऊपर उछला, गोलियां उसके नीचे से गुजर गयीं ।
फौरन ही उसने भी अपनी रिवॉल्वर का ट्रेगर दबाया ।
धांय !
गोली सीधे बार्बी की असाल्ट राइफल में जाकर लगी ।
चीखी बार्बी !
राइफल उसके हाथ से उछलकर दूर जा गिरी ।
परन्तु अगले ही क्षण बार्बी एकदम जबरदस्त एक्शन की मुद्रा में आ गयी थी ।
वह मुंह से चीत्कार निकालते हुए उठी और कमाण्डर के सामने टाइगर क्लान के एक्शन में खड़ी हो गयी ।
कमाण्डर मुस्कराया ।
रिवॉल्वर एक बार फिर उसकी उंगलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घूमी ।
“तुम्हारी केस फाइल भी मैंने काफी अच्छी तरह पढ़ी है बार्बी ।” कमाण्डर करण सक्सेना बोला- “मैं जानता हूँ, तुम मार्शल आर्ट की जबरदस्त योद्धा हो और तुमने जूडो के अंदर बारहवां दन, ताइक्वांडो में आठवां, कराटे में दसवां दन और बर्मी बॉक्सिंग सवाटे के अंदर सातवां दन प्राप्त कर रखा है । चिन्ता मत करो बार्बी, मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगा । मैं तुम्हें भी उसी हथियार से मारूंगा, जिसमें तुम्हें महारथ हासिल है ।”
कमाण्डर ने रिवॉल्वर वापस अपनी जेब में रख ली ।
फिर उसने बार्बी और अपने चारों तरफ एक बहुत बड़ा ‘ऐरीना’ बनाया ।
“अब हम दोनों के बीच इस ‘ऐरिना’ के अंदर फाइट होगी । देखता हूँ, तुमने भी मार्शल आर्ट के कौन-कौन से गुर सीख रखे हैं ।”
कमाण्डर करण सक्सेना के मुंह से अभी वो शब्द निकले ही थे, तभी बार्बी ने कुंगफू के स्नैक हैंड का जबरदस्त प्रहार कमाण्डर के चेहरे पर कर दिया ।
चीख निकल गयी कमाण्डर करण सक्सेना की ।
प्रहार वाकई बहुत जबरदस्त था ।
वह संभलता, उससे पहले ही बार्बी ने कराटे के एक और एक्शन हिजागिरी का प्रयोग किया ।
“मूर्ख आदमी, अभी तो तुम्हें मार्शल आर्ट का पहला ही सिद्धांत याद नहीं है ।” बार्बी जहरीली नागिन की तरह फुंफकारी- “दुश्मन को कभी मौका मत दो ।”
फिर बार्बी ने बॉक्सिंग का लैफ्ट पंच उसके पेट में जड़ा तथा फिर जूडो का थ्री एक्शन दिखाने के लिए उसकी तरफ झपटी ।
लेकिन उसी क्षण चूक गयी ।
कमाण्डर ने तभी कावासिकीगिरी का प्रयोग कर दिया था ।
कावासिकीगिरी- यह कराटे का एक खास एक्शन है, इसमें दुश्मन को पहले इस तरह धोखा दिया जाता है, जैसे हमला होने वाला है । परन्तु हमला फौरन होने के बजाय रूककर होता है ।
बार्बी जैसी यौद्धा भी एक क्षण के लिए उस ‘चाल’ में फंस गयी ।
कमाण्डर ने जैसे ही कावासिकीगिरी का एक्शन दिखाया, बार्बी ने फौरन उस हमले को रोकने के लिए हाथ से ब्लॉक लगाना चाहा ।
परन्तु हमला हुआ ही नहीं था ।
अगर उसी क्षण हमला हो जाता, तो बिना शक बार्बी उस हमले को ब्लॉक करने में कामयाब हो जाती ।
जैसे ही बार्बी का हाथ आगे बढ़ा, फौरन सेकेण्‍ड के सौवें हिस्से की देरी से कमाण्डर करण सक्सेना की टांग ने एक्शन दिखाया । वह भड़ाक से सीधे बार्बी के मुंह पर पड़ी ।
हलक फाड़कर चिल्ला उठी बार्बी !
वह कलाबाजी खाकर नीचे गिरी ।
“अभी मुझे नहीं बल्कि तुम्हें मार्शल आर्ट के सिद्धांत सीखने की जरूरत है बार्बी डार्लिंग ।”
परन्तु बार्बी गजब की दुस्साहसी थी ।
जख्मी होने के बावजूद वह नीचे गिरते ही एकदम स्प्रिंग लगे खिलौने की भांति जम्प लेकर वापस खड़ी हो गयी ।
दोनों योद्धा पुनः आमने-सामने थे ।
आमने सामने आते ही वह दोनों एकदम टाइम क्लान के एक्शन में आ गये ।
“तुम आज मेरे हाथों से बचोगे नहीं कमाण्डर करण सक्सेना ।” बार्बी फुंफकारी ।
“यही शब्द थोड़ी देर पहले ली मारकोस ने भी कहे थे । मगर उसी की समुराई उसके दिल के आर-पार गुजर गयी ।”
“मारकोस ने शायद तुम्हें बचने का मौका दे दिया होगा, लेकिन मैं तुम्हें कोई मौका नहीं देने वाली हूँ ।”
बार्बी का हाथ तुरंत शुगी के एक्शन में उसकी तरफ झपटा ।
परन्तु सावधान था कमाण्डर करण सक्सेना ।
उसने तुरंत अपने हाथ से शुगी के उस एक्शन को ब्लॉक कर दिया और उस एक्शन को ब्लॉक करते ही कमाण्डर की राउण्ड किक घूमी ।
बार्बी चीखते हुए नीचे गिरी ।
लेकिन फौरन ही वो पुनः जम्प लेकर खड़ी हो गयी ।
खड़े होते ही उसने कमाण्डर के ऊपर उरेकान का इतना जबरदस्त प्रहार किया कि उसकी आँखों के गिर्द चांद-तारे नाच गये । फिर उसने लोअर कट ओर अपर कट के एक्शन दिखाये ।
वह सचमुच बहुत फुर्तीली थी ।
बहुत खतरनाक ।
मगर तभी कमाण्डर करण सक्सेना ने रेसलिंग की आर्म अण्डर डाइव दिखा दी थी ।
जिसे ‘कला जंग’ भी कहते हैं ।
बस एकाएक ही बार्बी के हाथ कमाण्डर करण सक्सेना के हाथ में आ गये थे । उसने तुरंत आर्म अण्डर डाइव का एक्शन दिखाया और अपना दूसरा हाथ बार्बी की दोनों टांगों के बीच में डालकर उसे अपने सिर से ऊपर उठा दिया ।
“न... नहीं ।”
बार्बी के मुंह से भयप्रद चीख निकली ।
“जानती हो बार्बी डार्लिंग, मैं अब क्या करने जा रहा हूँ ।” कमाण्डर करण सक्सेना बोला- “मैं अब तुम्हारे उसी दांव से तुम्हें मारने जा रहा हूँ, जिसमें तुम्हें सबसे ज्यादा महारथ हासिल है ।”
कमाण्डर ने फौरन बहुत जोर से उसे वहीं रखे एक पत्‍थर पर पटक मारा ।
जैसे ही बार्बी का सिर पत्थर से जाकर टकराया, वह बिल्कुल तरबूज की तरह फट पड़ा ।
बार्बी के मुख से एक और बहुत मर्मांतक चीख उबली तथा फिर वहाँ खामोशी छाती चली गयी ।
बार्बी के सिर से अब थुल-थुल करके खून बाहर निकल रहा था ।
वो मर चुकी थी ।
यही वो क्षण था, जब गुफा के अंदर फिट डायनामाइट की छड़ें भी एकाएक बहुत प्रचण्ड धमाके के साथ फटीं ।
डायनामाइट फटते ही उस पूरी गुफा की खील-खील होकर धज्जियां बिखरती चली गयीं ।
उसमें जितने गार्ड कैद थे, वह सब मारे गये ।
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