Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 02:03 PM,
#41
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
“हमारे तीन योद्धा मारे जा चुके हैं, तीन बहादुर योद्धा !” जैक क्रेमर बुरी तरह भिन्नाया हुआ था- “और उनके साथ जो हथियारबंद गार्ड मारे गये, उनकी तो कोई संख्या ही नहीं है ।”
योद्धाओं के हैडक्वार्टर में उस वक्त भूकम्प आया हुआ था ।
ली मारकोस और बार्बी के मारे जाने की खबर ने उनके बीच बड़ी जबरदस्त दहशत फैला दी थी ।
“वाकई !” अबू निदाल बोला- “कमाण्डर करण सक्सेना हर पल खतरनाक होता जा रहा है ।”
“सर !” डायमोक ने भी कहा- “हमें उसे रोकने के लिये फौरन कुछ करना चाहिये ।”
“लेकिन सवाल तो यह है ।” जैक क्रेमर भिन्ना उठा- “हम क्या कर सकते हैं ? जो कुछ हमारे बस में है, वह हम कर ही रहे हैं ।”
“एक आदमी, सिर्फ एक आदमी को हम नहीं खत्म कर पा रहे ।”
“जबकि अपने-अपने फील्ड के हम जबरदस्त महारथी हैं और उससे भी बड़ी बात ये है कि हम खुद को बहुत बड़ा सूरमा समझते हैं ।”
“हमने यह खामख्याली पाली हुई है कि अगर हमें मौका मिले, तो हम न जाने कौन-से तीर चला लेंगे । न जाने क्या कर गुजरेंगे ।”
सबके चेहरों पर फटकार बरसने लगी ।
सबकी गर्दन झुक गयीं ।
सच बात तो यह है, उस पूरे सिलसिले की वजह से वह खुद बहुत शर्मिन्दा थे ।
“हमारे लिये सबसे बड़े डूब मरने की बात तो ये है सर !” रोनी बोला- “कि वो हमारे ही जंगल में घुसकर बाकायदा हमें चैलेन्ज देता हुआ मार रहा है ।”
“मेरे तो एक बात समझ नहीं आ रही ।” वह शब्द मास्कमैन के थे ।
मास्कमैन !
वह हमेशा अपने चेहरे पर एक काला ‘मास्क’ पहने रहता था ।
उस मास्क में-से उसके सिर्फ होंठ और आँखें चमकती थीं ।
“तुम्हारे क्या बात समझ नहीं आ रही ?”
“आखिर भारत सरकार ने उसे यहाँ किसलिये भेजा है ? भारत सरकार की हम लोगों से क्या दुश्मनी है ?”
“भारत सरकार की हम लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है ।”
“फिर ?”
“जरूर बर्मा सरकार ने भारत से मदद मांगी होगी ।” जैक क्रेमर बोला- “और उसी मदद के जवाब में कमाण्डर करण सक्सेना यहाँ आया है ।”
“अकेला ?”
“अकेला ही आया है । और तुम देख ही रहे हो, वह अकेला ही हम सब पर भारी पड़ रहा है । उस अकेले आदमी ने ही हमारे छक्के छुटाये हुए हैं ।”
“सबसे बड़ी बात तो ये है ।” मास्टर बोला- “कि कमाण्डर करण सक्सेना की वजह से ही, उस एक आदमी की वजह से ही हमारी नारकाटिक्स डील रूकी हुई है । हमारे लिये इससे बड़ी डूब मरने की बात और क्या होगी कि हम उस एक आदमी से इस कदर घबराये हुए हैं, उससे हमारी इतनी हवा खुश्क है ।”
“अब इस तरह की बातें करने से कोई फायदा नहीं है ।” डायमोक बोला ।
“फिर किस तरह की बात करने से फायदा है ?”
“अब हमें यह सोचना चाहिये ।” डायमोक एक-एक शब्द चबाता हुआ बोला- “कि आगे क्या करना है । आगे हम लोग ऐसे क्या पत्ते फैलायें, जो हमारी गलती सुधरे और कमाण्डर करण सक्सेना जहन्नुम रसीद हो, जो आज की तारीख में हमारा दुश्मन नम्बर एक बना हुआ है ।”
“बात बिल्कुल जायज है ।” माइक बोला- “हमें अब जल्द-से-जल्द आगे के बारे में फैसला लेना चाहिये ।”
“एक सलाह तो मैं देता हूँ ।” मास्कमैन बोला ।
“क्या ?”
“सपोर्ट ग्रुप के फिलहाल हम तीन योद्धा बचे हैं ।”
“ठीक ।”
“मैं, मास्कमैन ! मेरा भाई, हिटमैन ! और डायमोक ! मैं समझता हूँ सर, हमें इस मर्तबा कमाण्डर के सामने एक बड़ी ताकत के रूप में उतरना चाहिये और उसे एक ही झटके में खत्म कर डालना चाहिये ।”
“यानि तुम ये कहना चाहते हो ।” जैक क्रेमर बोला- “कि इस बार कमाण्डर करण सक्सेना को मारने के लिये ‘सपोर्ट ग्रुप’ के तुम तीनों योद्धा जाओगे ?”
“बिल्कुल सर ! मैं समझता हूँ, यही बेहतर रहेगा । इतना ही नहीं, इस बार हमारे साथ हथियारबंद गार्डों की संख्या भी काफी ज्यादा होगी ।”
जैक क्रेमर ने अपने साथी योद्धाओं की तरफ देखा ।
सब चुप थे ।
“तुम्हारा इस बारे में क्या ख्याल है ?”
“मास्कमैन ठीक ही कह रहा है ।” रोनी बोला- “आगे जैसा आप मुनासिब समझें ।”
“किसी ने कुछ और कहना है ?”
“नहीं ।” सब बोले ।
“किसी ने कैसी भी कोई सलाह देनी हो ?”
“नहीं ।”
सबकी गर्दन फिर इंकार में हिलीं ।
“ठीक है ।” जैक क्रेमर अंतिम फैसला सुनाता हुआ बोला- “तो फिर इस बार यही तीनों कमाण्डर करण सक्सेना को मारने के लिये जायेंगे और इनके साथ गार्डों की संख्या पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा होगी ।”
मास्कमैन, हिटमैन और डायमोक !
तीनों !
उन तीनों ने अपनी गर्दन उस फैसले के सम्मान में झुका दी । मास्कमैन एक बर्मी युवक था और हिटमैन का बड़ा भाई था । मास्कमैन बम एक्सपर्ट था ।
उसके बारे में कहा जाता था कि दुनिया में ऐसा कोई टाइम-बम नहीं है, जिसको फिट करना या डिस्कनेक्ट करना वह न जानता हो । उसका रिकॉर्ड था कि वह खतरनाक-से-खतरनाक टाइम-बम को डिस्कनेक्ट कर सकता था और पूरी तरह बेकार हो चुके टाइम-बम को ठीक भी कर सकता था ।
उसमें नई तरह से जान फूंक सकता था ।
दुनिया के कई देशों में मास्कमैन ने बम-विस्फोट किये थे ।
इतना ही नहीं, दुनिया का बड़े-से-बड़ा अपराधी उसे अपने यहाँ बम सैट करने के लिये बुलाता था । दुनिया के कई देशों में उसके नाम अपराध दर्ज थे ।
एक बार मास्कमैन के साथ घटना भी घटी ।
खतरनाक घटना !
वो बर्मा में ही जब एक टाइम-बम को डिस्कनेक्ट कर रहा था, तभी वो बम उसके हाथ में ही फट पड़ा ।
जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जल गया और उसमें गहरे-गहरे गड्ढे पड़ गये ।
यही शुक्र था, जो वह उस ब्लास्ट में मारा न गया ।
बहरहाल उस घटना के बाद उसका चेहरा बहुत ज्यादा डरावना हो गया था ।
इतना ज्यादा डरावना कि कभी-कभी वो खुद भी अपना चेहरा आइने में देखकर चीख पड़ता था ।
बस तभी से उसने अपने चेहरे पर ‘मास्क’ पहनना शुरू कर दिया ।
ताकि उसका डरावना चेहरा उस ‘मास्क’ के पीछे छुपा रहे ।
इसीलिये उसका नाम भी मास्कमैन पड़ा ।
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05-16-2020, 02:03 PM,
#42
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर करण सक्सेना ने जंगल में आँख खोली ।
दिन अब खूब अच्छी तरह निकल आया था । सूर्य की प्रकाश रश्मियां, जो बर्मा के उन घने जंगलों में जमीन तक बड़ी मुश्किल से पहुँच पाती थीं, अब चारों तरफ फैली हुई थीं ।
चिड़ियों के चहचहाने का शोर हर तरफ सुनाई दे रहा था ।
“लगता है ।” कमाण्डर करण सक्सेना अंगड़ाई लेता हुआ बोला- “आज काफी देर तक सोया हूँ ।”
उसने अपनी रिस्टवॉच देखी ।
दस बज रहे थे ।
इस वक्त कमाण्डर करण सक्सेना बरगद के एक बहुत घने पेड़ पर कम्बल बांधे लेटा था । अपने ऊपर हमेशा की तरह उसने एक कैमोफ्लाज किट ढक रखी थी ।
“आज थोड़ा व्यायाम करना चाहिये, इससे शरीर में थोड़ी ताज़गी आयेगी ।”
कमाण्डर करण सक्सेना ने कैमोफ्लाज किट हटाकर फोल्ड की ।
कम्बल खोला ।
फिर उन दोनों चीजों को अपने हैवरसेक बैग में रखकर वो पेड़ से नीचे उतर आया ।
यूं तो आधी से ज्यादा रात उसकी हंगामे से भरी गुजरी थी । लेकिन बार्बी को मार डालने के बाद वह खतरा कुछ कम अनुभव करने लगा था और उसकी इच्छा होने लगी थी कि अब थोड़ा आराम किया जाये । वैसे भी वो सारा दिन और सारी रात का थका-हारा था ।
बस उसने फौरन उस पेड़ पर शरण ले ली, लेटते ही उसे नींद ने आ दबोचा ।
आज बर्मा के उन खौफनाक जंगलों में आये हुए उसे दो दिन हो चुके थे ।
दो दिन !
वह कुछ कम नहीं होते ।
परन्तु कमाण्डर करण सक्सेना को इस बात का संतोष था कि उसके दो दिन जहाँ बहुत हंगामे से भरे गुजरे थे, वहीं वो तीन योद्धाओं को मारने में भी सफल हो गया था । जोकि उसकी एक बड़ी उपलब्धि थी ।
पेड़ से नीचे आने के बाद कमाण्डर करण सक्सेना सबसे पहले नित्यकर्मों से निपटा और फिर उसने व्यायाम शुरू कर दिया ।
वह देसी व्यायाम कर रहा था ।
उस जैसे घने जंगल में वैसे भी देसी व्यायाम ही संभव था । इसके अलावा कमाण्डर यह भी जानता था कि देसी व्यायाम ही शरीर को सही मायनों में सौष्ठव बनाता है, अधिक बल प्रदान करता है । क्योंकि पश्चिमी देशों में व्यायाम करने के लिये मशीनें तो तरह-तरह की इजाद हुई हैं, बहुत-सी मल्टीपरपज मशीनें भी बाजारों में हैं, जो नौजवानों को बड़ी जल्दी अपनी तरफ आकर्षित करती हैं । उन मशीनों से व्यायाम करने पर शरीर बहुत जल्दी सौष्ठव मालूम होने लगता है, लेकिन वो सौष्ठवपन स्थायी नहीं होता । जैसे ही कोई कुछ दिन तक व्यायाम करना बंद करता है, तो शरीर पहले से भी कहीं ज्यादा लटक जाता है । इस मामले में अपने उन देसी व्यायामों का कोई जवाब नहीं है, जिन्हें प्राचीन काल में पहलवानों से लेकर ऋषि-मुनि तक करते थे । देसी व्यायाम करने से शारीरिक रचना के सौष्ठव आकार लेने में तो थोड़ा समय लगता है, लेकिन वो पूरी तरह स्थायी रूप होता है ।
स्थायी भी और ज्यादा सुंदर भी ।
कमाण्डर काफी देर तक जंगल में व्यायाम करता रहा ।
उसने तरह-तरह के आसन किये और क्रियायें कीं ।
सबसे आखिर में उसने शीर्षासन किया, अपना सिर नीचे करके टांगें ऊपर उठा दीं ।
शीर्षासन !
वह देसी व्यायामों में उसका सबसे मनपसंद आसन था ।
इससे चेहरे का तेज बढ़ता है और दिमाग तन्दरूस्त होता है ।
कमाण्डर काफी देर तक शीर्षासन की मुद्रा में ही रहा । फिर वह उछलकर सीधा खड़ा हो गया था । उसके बाद उसने विटामिनयुक्त पाउडर के दूध का सेवन किया और मक्खन लगाकर कुछ स्लाइस्ड खाये ।
अब वह खुद को काफी चुस्त अनुभव कर रहा था ।
आँखों में भी चमक थी ।
कमाण्डर करण सक्सेना कुछ देर शिकारी चीते की तरह जंगल में इधर-उधर देखता रहा ।
मगर !
उसे आसपास खतरे का कोई आभास न मिला ।
फिलहाल वो सुरक्षित था ।
कमाण्डर करण सक्सेना जानता था, अभी सपोर्ट ग्रुप के तीन योद्धा और बचे हैं ।
फिर असॉल्ट ग्रुप के छः योद्धा थे ।
जो और खतरनाक थे ।
और जानलेवा ।
बहरहाल जैसे-जैसे वक्त गुजरना था, योद्धाओं से उसका वह मुकाबला कड़ा होता जाना था । उन बारह योद्धाओं ने अपने आपको दो ग्रुपों में बांटा ही इसलिये था । पहले छः योद्धाओं का ‘सपोर्ट ग्रुप’ इसलिये बनाया हुआ था, क्योंकि फील्ड का ज्यादातर काम वही छः योद्धा देखते थे । दूसरे ‘असाल्ट ग्रुप’ के छः योद्धा तो तभी फील्ड में उतरते थे, जब उनके फील्ड में उतरने के सिवाय दूसरा कोई चारा न रहे ।
“अब जंगल में आगे बढ़ना चाहिये ।” कमाण्डर करण सक्सेना होठों-ही-होठों में बुदबुदाया ।
उसने हैवरसेक बैग अपनी पीठ पर कस लिया ।
उसके बाद उसने आगे का सफर शुरू किया ।
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05-16-2020, 02:04 PM,
#43
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
बर्मा के उन घने जंगलों के बीच में बना वो बर्मी आदिवासियों का छोटा सा गांव था, जिसकी आबादी मुश्किल से पांच-छः सौ थी ।
वही उन्होंने घास-फूंस के अपने झोंपड़े डाले हुए थे, जिनमें वो रहते थे । जंगली जानवरों से बचने के लिए उन्होंने आदिवासी परम्परा के अनुरूप ही कई सारे इंतजाम कर रखे थे । रात को अगर उस बस्ती में जरा भी शोर होता, तो सब जंगली अपने-अपने भाले लेकर बाहर निकल आते थे ।
इस वक्त सपोर्ट ग्रुप के तीनों योद्धा मास्कमैन, हिटमैन और डायमोक-आदिवासियों की उसी बस्ती में थे ।
वह तीनों एक बड़ी पुरानी-सी बाबा आदम के जमाने वाली चारपाई पर बैठे थे ।
उनके पीछे हथियारबंद गार्डों की एक छोटी-छोटी फौज खड़ी थी, जबकि उनके सामने जमीन पर ही आदिवासी बैठे हुए थे । उनमें आदमी, औरत सब शामिल थे । जिस तरह आदमियों के शरीर पर कपड़े नाममात्र के थे, वही हाल आदिवासी औरतों का था । उनकी छातियां और कुछेक के तो जननांग तक साफ चमक रहे थे ।
ऊपर से उनमें ‘सैक्स अपील’ गजब की थी ।
“आप सब लोग जानते ही है ।” मास्कमैन उन आदिवासियों की बर्मी जबान में ही बड़ी गरमजोशी के साथ चिल्लाकर बोल रहा था- “कि हमारे इन जंगलों में एक शैतान घुस आया है और उसने यहाँ बड़ी जबरदस्त तबाही बरपा करके रख दी है । जंगल का अमन चैन उसने पूरी तरह उजाड़ डाला है । वह कितना बड़ा शैतान है, इसका अंदाजा इसी एक बात से लगाया जा सकता है कि उसने अकेले ही हमारे तीन साथी यौद्धा मार डाले और दर्जनों की तादाद में गार्डों को शहीद बना दिया, जबकि उसका अभी तक कुछ नहीं बिगड़ा है । वो यहाँ बेखौफ घूम रहा है ।”
“दोस्तो !” डायमोक ने भी उन सीधे-सादे जंगलियों की भावनाओं को भड़काया- “हम सब लोगों ने मिलकर उस शैतान को मार डालने के लिए जल्दी कुछ करना होगा । वरना वह दिन दूर नहीं है, जब इस पूरे जंगल पर उस शैतान का कब्जा हो जायेगा तथा वह हम सबको जंगल से निकाल बाहर करेगा । क्या तुम जंगल छोड़ने के लिए तैयार हो ?”
“नहीं-नहीं ।” सारे आदिवासी चिल्लाये- “हममें से कोई जंगल नहीं छोड़ेगा । कोई नहीं छोड़ेगा ।”
“अगर जंगल छोड़ना नहीं चाहते ।” मास्कमैन बोला- “तो जल्दी सबने मिलकर उस शैतान को मारना होगा । वह जंगल देवता के लिए एक श्राप है, जो हर पल जंगल में अपने पैर फैलाता जा रहा है ।”
“लेकिन उस शैतान को मारने के लिए हमें क्या करना होगा ?” तभी उन आदिवासियों का सरदार बोला ।
सरदार !
जिसकी आयु कोई पचास-पचपन साल थी । परन्तु कद काठी इस उम्र में भी उसकी बहुत मजबूत थी ।
कानों में बड़े-बड़े हाथी दांत के कुण्डल पहने हुए था ।
शरीर पर जंगह-जगह गोदने के चिन्ह ।
सिर पर जंगली पंखों का मुकुट !
गले में छोटी-छोटी हड्डियों का हार ।
कुल मिलाकर वो पहली नजर देखने से ही किसी जंगली कबीले का सरदार मालूम होता था ।
“तुम्हें उस शैतान को मारने के लिए सिर्फ हम लोगों का साथ देना होगा ।” मास्कमैन बोला- “मधुमक्खियों के छत्ते की तरह पूरे जंगल में फैल जाना होगा । फिर वो तुम्हें जहाँ कहीं भी दिखाई दे, बचना नहीं चाहिये । बोलो, क्या तुम तैयार हो ?”
“हाँ -हाँ ।” सब जोर से गला फाड़कर चिल्लाये- “हम तैयार हैं ।”
उन जंगलियों में जो गरम खून वाले आदमी-औरत थे, वह तो फौरन ही दौड़कर अपने-अपने झोपड़ी में से भाले भी निकाल लाये ।
फिर वह भाले उछालते हुए जोर-जोर से रणहुंकार करने लगे ।
“बहुत अच्छे !” मास्कमैन बोला- “मैं तुम्हारे अंदर ऐसी ही गरमी देखना चाहता था ।”
“एक बात और तुम सब लोग अच्छी तरह समझ लो ।” इस मर्तबा हिटमैन भभके स्वर में बोला ।
“क्या ?”
“आज उसी शैतान की वजह से तुम सबके पेटों पर लात लगी है । उसी के कारण माल रंगून रवाना नहीं हो सका । आज उस शैतान ने सिर्फ तुम्हारी रोजी-रोटी छीनी है, परन्तु अगर जंगल में ऐसे ही खौफ और दहशत का माहौल बना रहा, तो वह एक दिन तुम सबसे तुम्हारी जिंदगी भी छीन लेगा । इसलिए उस शैतान को मारना हम सबका बराबर का दायित्व है । हम सबने पूरे तन-मन से उस शैतान के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना है ।”
“ऐसा ही होगा ।”
“हम उस शैतान की छाया तक को जंगल से मिटा डालेंगे ।”
सारे जंगली जोर-जोर से चिल्लाने लगे ।
सबने रणहुंकार भरी ।
जल्द ही लगभग सारे जंगली अपने-अपने झोंपड़ों में से भाले निकाल लाये थे ।
औरत-मर्द सब खूंखार हो उठे ।
हर कोई कमाण्डर के खून का प्यासा नजर आने लगा ।
तभी कुछ हथियारबंद गार्डों का उस जंगलियों की बस्ती में आगमन और हुआ । वह गार्ड अपनी-अपनी जीपों में उन लाशों को भरकर लाये थे, जिन्हें कमाण्डर ने पिछले दो दिनों के दौरान जंगल में मार डाला था ।
इतनी सारी लाशों को एक साथ देखकर पूरी बस्ती का माहौल गमगीन हो गया ।
सबके चेहरों पर दुःख की काली परत पुत गयी ।
फिर वह सब उन लाशों के अंतिम क्रियाकर्म में जुट गये ।
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05-16-2020, 02:04 PM,
#44
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर को जंगल में चलते-चलते दोपहर हो चुकी थी ।
“लगता है, तमाम लोग कहीं छिपकर बैठ गये हैं, जो जंगल में अभी तक कोई नजर नहीं आया ।”
कमाण्डर करण सक्सेना इस समय जंगल वारफेयर (जंगल युद्ध) की उसी पुरानी परम्परा का पालन करता हुआ आगे बढ़ रहा था । कभी वो शेर की तरह दौड़ता, तो कभी चीते की तरह छलांग लगाता था और कभी बिल्कुल सर्प की तरह झाड़ियों में जोर-जोर से सरसराकर रेंगता । इससे अगर कोई उसकी पद्चापों की आवाज सुन भी लेता, तो इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाता कि वहाँ कोई आदमी मौजूद है ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने अभी तक वो तमाम सावधानियां बरती थीं, जो जंगल वारफेयर के दौरान जरूरी होती हैं ।
इसीलिए वो अभी तक जिंदा था ।
चलते-चलते एकाएक कमाण्डर करण सक्सेना की छठी इंद्री ने ऐसा आभास दिया, जैसे आगे कहीं खतरा है ।
वह तुरंत ठिठककर रूक गया ।
फिर वो वहीं जंगल में ध्यान की मुद्रा में बैठ गया और फिर सांस रोककर जंगल में आसपास होने वाली आवाजों को सुनने का प्रयत्न करने लगा ।
तरह-तरह की आवाजें उसके कानों में पड़ने लगीं ।
जल्द ही उसके कान में पेड़ के पत्तों के जोर से खड़खड़ाने की आवाज भी पड़ी । वह पत्तों के खड़खड़ाने की बड़ी अजीब सी आवाज थी, जो कम से कम पक्षियों के पेड़ पर बैठने की वजह से पैदा नहीं होती ।
जरूर दुश्मन पेड़ पर था ।
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन झाड़ियों में घुस गया ।
उसके बाद वो झाड़ियों में अंदर ही अंदर सरसराता हुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा ।
रिवॉल्वर निकलकर उसके हाथ में आ चुकी थी ।
बेहद चौकन्नी निगाहें एक-एक पेड़ का बारीकी से अवलोकन कर रही थीं ।
जल्द ही कमाण्डर करण सक्सेना को एक काफी घने पेड़ पर तीन जंगली दिखाई पड़ गये, जो थोड़े-थोड़े फासले पर ‘मलायका टाइगर क्रेक’ छपामारों की स्टाइल में छिपे बैठे थे ।
“ओह, तो इन्होंने यहाँ जाल बिछा रखा है ।” रिवॉल्वर कमाण्डर करण सक्सेना की उंगलियों के गिर्द फिरकनी की तरफ घूमी ।
मलायका टाइगर क्रेक, वह छापामारी की विशिष्ट स्टाइल होती है । जिसमें टाइगर बड़ी-बड़ी रस्सियां लेकर पेड़ के घने पत्तों के बीच छिप जाते हैं और फिर जैसे ही उनका दुश्मन पेड़ के नीचे से गुजरता है, वह फौरन रस्सी के बड़े-बड़े फंदे डालकर उसे जकड़ लेते हैं तथा ऊपर खींच लेते हैं ।
कमाण्डर करण सक्सेना को उनके हाथ में रस्सी के फंदे भी नजर आये ।
एक क्षण कमाण्डर वहीं ठिठका हुआ उन तीनों जंगलियों की पोजीशन चैक करता रहा । फिर उसने बहुत धीरे-धीरे पेड़ की तरफ रेंगना शुरू कर दिया ।
जल्द ही वो झाड़ियों में रेंगता हुआ पेड़ के बिल्कुल पीछे जा पहुँचा था ।
फिर उसने एक काम और किया ।
रिवॉल्वर वापस ओवरकोट की जेब में रख ली तथा अपना स्प्रिंग ब्लेड बारह निकाल लिया ।
उसके बाद उसने पेड़ का मोटा तना दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया और धीरे-धीरे पेड़ पर चढ़ना शुरू किया ।
उस वक्त वो बहुत चौंकन्ना था ।
अलर्ट !
जरा-सा खतरा भांपते ही उसने हरकत में आ जाना था ।
“यहाँ छिपकर तुमने अपनी-अपनी मौत को दावत दी है, आज तुम तीनों ही जहन्नुम पहुंचे समझो ।”
वह तीनों पेड़ की अगली डालियों पर थे, इसलिए तने की तरफ क्या हो रहा है, उन्हें नजर नहीं आ रहा था ।
जल्द ही कमाण्डर करण सक्सेना बिल्कुल निःशब्द ढंग से पेड़ पर जा पहुँचा ।
फिर उसने एक काम और किया ।
उसने अपनी सांसों की ध्वनि को उन तीनों की सांसों में समायोजित करना शुरू कर दिया ।
शीघ्र ही वो अपने मकसद में कामयाब हो गया ।
अब सांसों की आवाज सुनकर भी यह पता नहीं लगाया जा सकता था कि वहाँ कोई चौथा आदमी है ।
फिर कमाण्डर बहुत धीरे-धीरे उस जंगली की तरफ रेंगा, जो उनमें सबसे पीछे था ।
पलक झपकते ही वो जंगली की टांगों के पास पहुँच चुका था ।
जंगली अभी भी बेखबर था ।
उसे मालूम नहीं था, मौत उसके कितना करीब आ चुकी है ।
कमाण्डर ने फौरन हरकत दिखाई ।
वह चील की तरह जंगली के ऊपर झपटा । जंगली सावधान हो पाता, उससे पहले ही कमाण्डर करण सक्सेना की चौड़ी हथेली उसके मुंह पर ढक्कन की तरह जाकर फिट हो गयी ।
जंगली ने अपने पैर पटकने की कोशिश की ।
लेकिन उसकी वो कोशिश भी सफल न हुई ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने उसके पैरों को अपने पैरो से कसकर पकड़ लिया ।
फिर बिना सेकण्ड गंवाये उसने झटके के साथ स्प्रिंग ब्लेड से जंगली की गर्दन काट डाली ।
वो कुछ देर तड़पा ।
फिर वहीं ठण्डा पड़ गया ।
जब कमाण्डर करण सक्सेना को यह पूरा इत्मीनान हो गया कि जंगली मर चुका है, तब उसने उसके मुंह के ऊपर से हथेली हटा ली ।
उसके बाद उसने अपने दूसरे शिकार की तरफ देखा ।
वो उस अत्यंत विशाल पेड़ पर बस थोड़ा ही आगे था और बड़ी चौकन्नी आँखों से जंगल में सामने की तरफ देख रहा था ।
अलबत्ता उसे यह खबर नहीं थी कि उसके बिल्कुल पीछे क्या हो रहा है ।
कमाण्डर करण सक्सेना उसकी सांसों की ध्वनि में अपनी सांस समायोजित करता हुआ धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ा ।
अगले ही पल उसने बेपनाह फुर्ती का परिचय देते हुए उसकी गर्दन भी बड़ी सफाई के साथ स्प्रिंग ब्लेड से काट डाली ।
लेकिन उसी क्षण तीसरे जंगली की निगाह कमाण्डर पर पड़ गयी ।
वह जंगली शायद उनका ग्रुप लीडर था और एकदम जिस तरह से उसने कमाण्डर करण सक्सेना को देखा था, उससे कमाण्डर करण सक्सेना भांप गया कि वो ‘मलायका टाइगर क्रेक’ का महारथी है । उसकी आँखों में गजब की चपलता थी । फिर उसके एक हाथ में जहाँ रस्सी का फंदा था, वहीं दूसरे हाथ में भाला भी था ।
“कौन हो तुम ?” उसे देखते ही जंगली के नेत्र दहशत से फटे- “कहीं तुम वही शैतान तो नहीं, जो जंगल में घुस आया है और जिसने हमारे बेशुमार आदमी मार डाले ?”
“हाँ, मैं वही शैतान हूँ ।”
जंगली फौरन रस्सी का फंदा उछालता हुआ कमाण्डर करण सक्सेना की तरफ झपट पड़ा ।
मगर कमाण्डर जानता था, उन मलायका टाइगर क्रेक छापामारों से किस तरह निपटा जाता है ।
जैसे ही जंगली झपटा, फौरन बिजली जैसी अद्वितीय फुर्ती के साथ कमाण्डर करण सक्सेना का स्प्रिंग ब्लेड चला और उसने एक ही झटके में रस्सी के उस फंदे को काट डाला ।
फिर स्प्रिंग ब्लेड का पैना फल अपनी जबरदस्त वेलोसिटी के साथ जंगली की गर्दन की तरफ झपटा ।
जंगली ने फौरन दूसरी डाल पर कूदकर अपनी जान बचाई ।
उसी क्षण जंगली का भाला चला ।
कमाण्डर करण सक्सेना के कण्ठ से हृदय विदारक चीख निकल गयी । भाला उसके बायें कंधे में अंदर तक पेवस्त होता चला गया था और उसने उसके मांस को बुरी तरह उधेड़ डाला था ।
जंगली प्रशिक्षित छापामारों की तरह दूसरी डाल पर कूद गया और उसने खींचकर कंधे में से भाला बाहर निकाला ।
वह भाले को कमाण्डर के ऊपर दोबारा प्रयोग करता, उससे पहले ही कमाण्डर करण सक्सेना ने उछलकर उसके ऊपर स्प्रिंग ब्लेड का वार किया ।
इस बार स्प्रिंग ब्लेड सीधा जंगली की खोपड़ी में जा धंसा ।
भैंसे की तरह डकरा उठा जंगली !
उसकी खोपड़ी से खून का फव्वारा छूटा ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने खींचकर उसकी खोपड़ी में से स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाला तथा फिर सीधे उसके दिल में पेवस्त कर दिया ।
“इसका भी किस्सा खत्म !”
उस तीसरे जंगली की लाश पेड़ के पत्तों और डालों से टकराती हुई धड़ाम से नीचे जाकर गिरी ।
कमाण्डर के कंधे से अब काफी मात्रा में खून बह रहा था ।
तभी एकाएक पूरे जंगल में जोर-जोर से नगाड़ा बजने की आवाज गूंजने लगी ।
कमाण्डर ने देखा, उस पेड़ के सामने ही एक और जंगली खड़ा था । उसके गले में छोटा सा नगाड़ा था । वह बहुत फटे-फटे दहशतजदा नेत्रों से कमाण्डर करण सक्सेना को ही देख रहा था और अपनी पूरी ताकत से नगाड़ा बजा रहा था ।
“लगता है, इसकी भी शामत आ गयी है ।”
कमाण्डर ने पेड़ के ऊपर से ही उसकी तरफ छलांग लगा दी ।
जंगली और डर गया ।
वह बेतहाशा अपनी बस्ती की तरफ भागा । लेकिन भागते-भागते भी वो पूरे जी-जान से नगाड़ा बजाये जा रहा था ।
कमाण्डर करण सक्सेना जंगली के पीछे-पीछे दौड़ा ।
मगर उन दोनों के बीच का फासला बहुत ज्यादा था ।
उसे पकड़ना आसान न था ।
कमाण्डर ठिठक गया ।
ठिठकते ही स्प्रिंग ब्लेड वापस अपने खांचे में गया और उसके हाथ में कोल्ट रिवॉल्वर नजर आने लगी ।
रिवॉल्वर तुरंत उसकी उंगलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घूमी तथा ट्रेगर दबा ।
धांय !
गोली चलने की वह भीषण आवाज पूरे जंगल को दहलाती चली गयी ।
निशाना अचूक था ।
बेतहाशा भागते उस जंगली की खोपड़ी इस तरह फटी, जैसे तरबूज फटा हो ।
वह चिल्ला तक न सका ।
भागते-भागते ही वो लहराकर गिरा और ढेर हो गया । नगाड़े की आवाज गूंजनी फौरन बंद हो गयी ।
कमाण्डर करण सक्सेना उस जंगली के नजदीक पहुँचा । उसकी वीभत्स हालत देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल न था कि वो मर चुका है । लेकिन अंतिम समय तक भी उसके दोनों हाथ नगाड़े पर थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना के लिए अब एक सेकण्ड भी और वहाँ रूकना खतरनाक था ।
जंगल वारफेयर का नियम था, अगर दुश्मन तुम्हारे खिलाफ संदेश प्रसारित कर चुका हो, तो फौरन भागो ।
कमाण्डर करण सक्सेना तत्काल वहाँ से भागा और अपनी फुल स्पीड से भागा ।
उसके बाद खुद कमाण्डर को भी मालूम नहीं था, वह कंटीली झाड़ियों के अंदर ही अंदर कितनी देर तक भागता रहा ।
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05-16-2020, 02:19 PM,
#45
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
पेड़ पर टंगी दोनों लाशें नीचे उतारी जा चुकी थीं ।
उस वक्त वहाँ बड़ा संजीदा माहौल था ।
भीड़ भी वहाँ अच्छी खासी जमा थी ।
जिनमें ‘सपोर्ट ग्रुप’ के तीनों यौद्धा ! कोई पचास की संख्या में हथियारबंद गार्ड ! इसके अलावा नुकीले भाले पकड़े जंगलियों की एक बड़ी फौज ! वह सबके सब नगाड़े की आवाज सुनते ही भागते हुए वहाँ चले आये थे ।
“आखिर कमाण्डर करण सक्सेना ने हमारे चार आदमी और मार डाले ।” डायमोक गुस्से से बोल रहा था- “उसका कहर अब हद से ज्यादा बढ़ चुका था ।”
“वो शैतान अभी यहीं कहीं होगा ।” तभी जंगलियों का सरदार रणहुंकार भरता हुआ चिल्लाया- “हमें उसे फौरन ढूंढना चाहिये ।”
“हाँ ।” मास्कमैकन भी आवेश में बोला- “सब चारों तरफ फैलकर उसे तलाश करो ।”
तुरंत वहाँ जितने भी गार्ड और जंगली जमा थे, वह रणहुंकार भरते हुए चारों दिशाओं में फैल गये ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना को तलाश करने का वह सिलसिला बड़े जोर-शोर के साथ शुरू हो गया ।
एक बार वो सिलसिला शुरू हुआ, तो फिर तब तक चला, जब तक जंगल में अंधेरा न घिरने लगा ।
जब तक वहाँ शाम न हो गयी ।
शाम होते ही वह सब लोग वापस उसी जगह जमा हुए ।
“कुछ पता चला ?” हिटमैन बोला ।
“नहीं ।” जंगलियों के सरदार के चेहरे पर बुरी तरह सस्पेंस के भाव थे- “कुछ पता नहीं चला । न जाने वो शैतान जंगल में कहाँ जा छिपा है ।”
तीनों योद्धाओं ने बाकी लोगों की तरफ देखा ।
उनके चेहरों पर भी नाकामी पुती थी ।
सब हताश थे ।
“अब क्या करना है ?” एक जंगली बोला ।
“फिलहाल सब आराम करो । दिन निकलने के बाद हम कोई प्रोग्राम बनायेंगे ।”
फिर सबसे पहले उन चारों लाशों का क्रियाकर्म किया गया ।
उसके बाद सारे जंगली तो आराम करने के लिए वापस अपनी बस्ती में चले गये थे, जबकि दोनों यौद्धाओं और हथियारबंद गार्डों ने वहीं जंगल में अपना डेरा डाला ।
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05-16-2020, 02:19 PM,
#46
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
आधी रात का समय था ।
एक जीप जंगल में बड़ी तेज स्पीड से दौड़ी जा रही थी ।
वह जिधर-जिधर से भी गुजर जाती, वहीं जंगल में चारों तरफ उसकी हैडलाइटों का प्रकाश फैल जाता ।
जीप ‘मास्टर’ चला रहा था ।
मास्टर, जो इजराइल का नागरिक था । यहूदी था और जिसका असली नाम जैक दी लेविस था । मास्टर की उम्र कोई पैंतीस साल के आसपास थी और वो हमेशा काउ-ब्वाउ स्टाइल के नौजवानों की तरह अस्त-व्यस्त था । वह यूं तो शेडो वारफेयर (छाया युद्ध) का महारथी था । लेकिन उसकी जिंदगी में एक ऐसी घटना घट गयी थी, जिसने उसे बेहद खूंखार और दरिंदा इंसान बना डाला था । वह इजराइल में ही कभी एक लड़की से बड़ी पाक मौहब्बत करता था, जो उसी की तरह यहूदी थी । सोते-जागते वह बस एक ही सपना देखता, उस लड़की को खुश रखने का सपना । उससे शादी करने का सपना । लेकिन उस लड़की ने उसे धोखा दिया और दूसरे युवक से शादी कर ली ।
कहते हैं, तब मास्टर ने अपनी जिदंगी का पहला कत्ल किया । वह हंसिया लेकर दनदनाता हुआ उस लड़की के सुहाग-कक्ष में जा घुसा । उस वक्त दोनों पति-पत्नी निर्वस्त्र थे और अभिसारतः थे । मास्टर ने सबसे पहले तो हंसिंये से उसके पति की गर्दन धड़ से अलग कर डाली । फिर उसने हंसिये से ही लड़की के गुप्तांग फाड़ डाले । उसकी छातियां काट डालीं और उसके बाद उसने इतनी नृशंसतापूर्वक उसके जिस्म की बोटी-बोटी काटी कि कसाई भी इतनी बुरी तरह मांस के टुकड़े नहीं करता है । वह दिन है और आज का दिन है, तब मास्टर के दिल में औरतों के प्रति जो नफरत बैठी थी, वह आज भी कायम थी । मास्टर का कहना था, दुनिया का ऐसा कोई मुल्क नहीं है, जहाँ की औरत के साथ उसने सहवास न किया हो या फिर अपने हंसिये से उसके गुप्तांग को न फाड़ डाला हो । हंसिया उसका प्रिय हथियार था, जिसे वो हमेशा अपनी बेल्ट के साथ रिवॉल्वर वाली जगह बांधकर रखता था ।
रात के अंधेरे में मास्टर की जीप जंगलियों की बस्ती के नजदीक पहुँचकर रूकी ।
फिर उसमें से मास्टर नीचे उतरा और बड़े दबे-पांव बस्ती की तरफ बढ़ा ।
वह बिल्कुल चोरों तरह चल रहा था ।
इधर-उधर देखता ।
हरेक आहट को भांपता ।
उस पूरी बस्ती में जंगलियों के सरदार का झोंपड़ा सबसे ज्यादा बड़ा था । मास्टर उसी झोंपड़े के नजदीक पहुँचकर रूका ।
फिर उसने दरवाजा खटखटाया ।
“कौन ?” अंदर से बड़ी बारीक आवाज उभरी ।
“मैं !”
मास्टर का धीमा स्वर ।
फौरन झोंपड़े का दरवाजा खुल गया ।
मास्टर जल्दी से अंदर दाखिल हुआ । उसके दाखिल होते ही झोंपड़े का दरवाजा वापस बंद हो गया था ।
उसके सामने एक बड़ी सुंदर जंगली औरत खड़ी थी ।
जिसका रंग दमकता हुआ था और वहाँ की दूसरी औरतों के मुकाबले काफी साफ-सुथरा था ।
उम्र भी ज्यादा नहीं थी ।
मुश्किल से पच्चीस साल !
ऊपर से नैन-नक्श तीखे ।
आँखों में चमक ।
वह सरदार की बीवी थी । उस औरत की सबसे बड़ी खूबी ये थी कि वह सलीकेमंद थी और जंगलियों की तरह अर्द्धनग्न नहीं रहती थी ।
अलबत्ता सरदार की और उसकी उम्र में जमीन-आसमान का फर्क था ।
वह उसकी बेटी जैसी उम्र की थी ।
“आने में बड़ी देर लगा दी ।” औरत फुसफुसाये स्वर में बोली ।
“हाँ, हैडक्वार्टर में थोड़ा काम अटक गया था ।”
“काम-काम ।” औरत झुंझलाई- “जब देखो हर समय काम की बात करते हो ।”
“मेरी जान जिस मिशन के लिये हम तमाम योद्धा अपना-अपना देश छोड़कर इस जंगल में पड़े हुए हैं, वह मिशन हमारे लिये कहीं ज्यादा जरूरी है ।”
“क्या मुझसे भी ज्यादा जरूरी ?” सरदारनी अब बड़ी वेधक निगाहों से मास्टर की आँखों में झांकने लगी ।
मास्टर से एकाएक कोई जवाब देते न बना ।
“सरदार कहाँ है ?”
“उसे मैंने अफीम का एक काफी बड़ा अंटा देकर सुला दिया । अब कल सुबह तक भी उसे होश आ जाये, तो शुक्र समझना ।“
“यानि रास्ता साफ है ।”
मास्टर ने फौरन सरदारनी के भरे-भरे जिस्म को अपनी बांहों के दायरे में समेट लिया ।
“एक मिनट !” सरदारनी बोली ।
“क्या हुआ ?”
“मैं काढ़ा लेकर आती हूँ ।”
मास्टर मुस्कराया ।
“अभी काढ़े की भी जरूरत है ?”
“तुम नहीं जानते ।” सरदारनी के चेहरे पर चित्ताकर्षक भाव पैदा हुए- “काढ़ा पीने के बाद मजा ही कुछ और आता है । एक-एक नस चटकने लगती है । क्या मैं कुछ गलत कह रही हूँ ?”
“मेरे से ज्यादा तो यह बात तुम्हें बेहतर मालूम होगी मेरी जान ! आखिर इस गेम में मुझसे ज्यादा मजा तो तुम्हीं लूटती हो ।”
सरदारनी के चेहरे पर शर्म की लालिमा दौड़ गयी ।
फिर वह लम्बे-लम्बे डग रखती हुई झोंपड़े के अंदर वाले हिस्से में चली गयी ।
काढ़ा उन जंगलियों का मनपसंद सैक्स टॉनिक था, जिसे वो कई तरह की जड़ी-बूटियों से मिलाकर बनाते थे । इसमें कोई शक नहीं काढ़ा पीने के बाद मास्टर को भी यह अहसास होता था कि उसकी नसों में तनाव आ गया है और उसकी ताकत कुछ बढ़ गयी है ।
मास्टर इंतजार करने लगा ।
जल्द ही सरदारनी की वापसी हुई ।
उसके हाथ में पकी मिट्टी के दो चौड़े प्याले थे, जिनमें काढ़ा भरा हुआ था ।
“लो !” सरदारनी ने नजदीक आकर एक प्याला मास्टर की तरफ बढ़ा दिया- “पीओ !”
“और दूसरा प्याला ?”
“दूसरे प्याले का काढ़ा मैं पिऊंगी ।”
मास्टर ने प्याला पकड़ लिया ।
उसमें से जंगली जड़ी-बूटियों की अजीब-सी गंध आ रही थी । वह एक ही सांस में उस पूरे प्याले को खाली कर गया । उसी प्रकार सरदारनी ने भी काढ़ा पिया ।
फिर थोड़ी ही देर बाद वो दोनों वहीं बिछी एक चारपाई पर लेटे थे ।
सरदारनी एक ढीला-ढाला लहंगा और तंग चोली पहने हुए थी । लंहगे में से उसके भरे-पूरे नितम्ब बड़े ही जानलेवा अंदाज में मुखर हो रहे थे ।
कुछ ऐसा ही हाल उसकी तंग चोली का था ।
उसके दोनों उरोज चोली को फाड़कर मानो बाहर निकलने को आतुर थे ।
मास्टर ने उसे अपने सीने के साथ सटा लिया ।
उसके धधकते होंठ सरदारनी की गर्दन पर जाकर ठहर गये और हाथ धीरे-धीरे उसकी पीठ पर सरसराने लगे ।
“लगता है काढ़े का असर हो रहा है ।” सरदरानी हंसी ।
“क्या तुम्हारे ऊपर नहीं हो रहा ?”
“कुछ-कुछ ।”
“सिर्फ कुछ-कुछ ?”
“तुम जब बहुत कुछ करने लगोगे मेरे सैंया !” सरदारनी उससे बड़े अनुरागपूर्ण ढंग से कसकर चिपट गयी- “तो मेरे ऊपर भी बहुत कुछ होने लगेगा ।”
मास्टर मुस्कराया ।
अब उसके हाथ पीठ पर सरसराते हुए एक जगह ठहर गये थे । वहीं चोली की गांठ लगी थी ।
मास्टर धीरे-धीरे अब उस गांठ को खोलने लगा ।
जल्द ही उसकी चोली उतरकर एक तरफ जा गिरी और उसके दूधिया उरोज बिल्कुल नग्न हो गये ।
मास्टर ने अब उसे बिल्कुल चित कर दिया, फिर उसके हाथ धीरे-धीरे उसके उरोजों पर सरसराने लगे ।
सरदारनी के मुंह से तीव्र सिसकारी छूटी ।
उसने दांतों से होंठ कुचलते हुए सख्ती से अपनी आँखें बंद कीं ।
“क्या कर रहे हो ?”
“तुम्हें ‘बहुत कुछ’ का अहसास करा रहा हूँ ।”
“तुम सचमुच बहुत बदमाश हो ।” सरदारनी ने मास्टर का चेहरा अपने उरोजों के साथ कसकर भींच लिया ।
मास्टर की जीभ अब उसके उरोजों पर घूमने लगी थी ।
सरदारनी के होठों से पुनः मादक सिसकारी छूटी और अब उसने उसके बाल अपनी मुट्ठी में कसकर जकड़ लिये । थोड़ी ही देर में मास्टर भी कमर से ऊपर बिल्कुल नग्न हो गया ।
दोनों की आँखों में वासना के डोरे खिंच गये थे ।
वह बेतहाशा एक-दूसरे के चुम्बन लेने लगे ।
दीवानावार आलम में ।
जैसे जन्म-जन्मांतर से एक-दूसरे के प्रेमी हों ।
“वाकई तुम मुझे पागल कर देते हो मास्टर !” उसने मास्टर के गाल का एक कसकर चुम्बन लिया ।
“मगर कभी-कभी मैं एक बात सोचता हूँ ।” मास्टर के हाथ सरसराते हुए उसके लहंगे तक पहुँच चुके थे ।
“क्या ?”
“अगर किसी दिन हमारी इन हरकतों के बारे में सरदार को पता चल गया, तो क्या होगा ?”
“बात भी मत करो उस बूढ़े-खूसट की ।”
मास्टर के हाथ अब उसके भारी नितम्बों पर थे और अब वहीं सरसराहट पैदा कर रहे थे ।
सरदारनी के मुंह से पुनः सिसकारी छूटी ।
“तुमने सचमुच मेरी जिंदगी बिल्कुल बदल डाली है मास्टर, मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ, बहुत ज्यादा ।”
मास्टर ने अब उसका लहंगा भी खोल डाला ।
फिर उस लहंगे को उसकी दोनों टागों से नीचे उतार दिया ।
वह अब बिल्कुल निर्वस्त्र थी ।
उसका एक-एक अंग साफ चमक रहा था ।
उसने मास्टर के गले में बड़े प्यार से दोनों बांहे पिरो दीं और फिर उसके गहरे चुम्बन लिये ।
वो अब काफी उत्तेजित हो चुकी थी ।
फिर वो उसकी पेण्ट की बेल्ट पकड़कर बुरी तरह खींचने लगी ।
मास्टर समझ गया, सरदारनी क्या चाहती है ।
उसने उसे ज्यादा नहीं तरसाया । जल्द ही उसकी इच्छापूर्ति की और अपनी पेण्ट भी उतार डाली । अब वह दोनों ही निर्वस्त्र थे ।
मास्टर काफी देर तक उसके अंगों के साथ खेलता रहा ।
अठखेली करता रहा ।
कुछ ऐसी ही हरकतें सरदारनी भी कर रही थी ।
अब उन दोनों की सासें इस तरह धधक रही थीं, जैसे मिल के बायलर हों ।
उनके शरीर ‘अंगारा’ बन चुके थे ।
उसी क्षण सरदारनी ने अपनी दोनों टांगें फैलाकर मास्टर को सुविधा प्रदान की और तभी एक नश्तर उसके अंतर में तेज खलबली मचाता चला गया ।
सरदारनी के मुंह से धीमी चीख निकली ।
उसकी गर्दन अकड़ गयी ।
दांतों में निचला होंठ कस गया और मास्टर के बाल एक बार फिर उसकी मुट्ठी में कसकर जकड़ गये ।
अब वह दोनों एक-दूसरे को बुरी तरह बाहों में जकड़े हांफ रहे थे ।
उनकी सांसे अव्यवस्थित थीं ।
“तुम्हारी मर्दानगी सचमुच कमाल है मास्टर, कोई भी औरत खुशी-खुशी अपना सर्वस्व तुम्हारे ऊपर लुटा सकती है ।”
मास्टर मुस्कराया ।
“मैं चाहती हूँ, मेरी हर रात तुम्हारी बाहों में गुजरे ।”
“चिन्ता मत करो ।” मास्टर बोला- “एक बार इस बर्मा पर हम योद्धाओं का कब्जा हो जाने दो, फिर यहाँ की हर चीज हमारी होगी ।”
यही वो क्षण था, जब उन्हें झोपड़े के अंदर से हल्की आहट की आवाज सुनाई दी ।
“लगता है ।” मास्टर हड़बड़ाया- “सरदार की आँख खुली गयी ।”
“नहीं ।” सरदारनी ने उसे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया- “उसकी आँख इतनी आसानी से खुलने वाली नहीं है ।”
“लेकिन... ।”
तभी एक बिल्ली म्याऊं-म्याऊं करती हुई उनके बराबर में से निकलकर भागी ।
वह दोनो मुस्कुराते हुए पुनः एक-दूसरे की बांहों में समा गये ।
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05-16-2020, 02:19 PM,
#47
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
मास्कमैन, हिटमैन और डायमोक- वह तीनों योद्धा जंगल में कमाण्डर करण सक्सेना को बुरी तरह तलाश करते घूम रहे थे ।
तमाम हथियारबंद गार्ड उनके साथ थे ।
जंगली भी साथ थे ।
मगर इसके बावजूद जंगल में भटकते-भटकते हताश होने लगे थे ।
“मुझे तो लगता है ।” हिटमेन बोला- “हम लोग खामखाह जंगल में भटक रहे हैं ।” कमाण्डर करण सक्सेना को जरूर मालूम हो गया है कि अब कितने सारे लोग उसके पीछे हैं, इसीलिए मैं समझता हूँ कि वो जंगल छोड़कर भाग खड़ा हुआ है ।
“बेवकूफों की तरह बात मत करो ।” मास्कमैन गुर्राया ।
“इसमें बेवकूफी जैसी क्या बात है भाई !”
“तुम शायद नहीं जानते, कमाण्डर करण सक्सेना जैसा आदमी इतनी आसानी से मैदान छोड़कर भागने वाला नहीं है । फिर इस मिशन के शुरू होने में ही वो जितने आदमियों की लाशें बिछा चुका है, उससे तो उसके हौंसले और भी ज्यादा बढ़े हुए होंगे ।”
“बिल्कुल ठीक बात है ।” डायमोक ने भी कुबूल किया- “वाकई कमाण्डर करण सक्सेना भागने वाले लोगों में नहीं है । वो अभी जंगल में ही कहीं है ।”
चलते-चलते जब वह लोग थक गये, तो उन्होंने जंगल में ही एक जगह डेरा डाल दिया ।
तभी मास्कमैन की रिस्टवॉच में से ब्लिप-ब्लिप की आवाज निकलने लगी । जरूर हैडक्वार्टर से कोई सम्पर्क करना चाहता था ।
मास्कमैन ने फौरन ट्रांसमीटर स्विच ऑन किया ।
“हैलो मास्कमैन स्पीकिंग ।”
“मैं हैडक्वार्टर से जैक क्रेमर बोल रहा हूँ ।”
“यस सर !”
“कमाण्डर करण सक्सेना के बारे में क्या रिपोर्ट है ?”
“अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं है सर !” मास्कमैन तत्पर भाव से बोला- “पिछले दो दिनों से हम उसे लगातार जंगल में तलाश करते हुए घूम रहे हैं । लेकिन हम निराश नहीं हैं । हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द कमाण्डर करण सक्सेना हमसे कहीं-न-कहीं जरूर टकरायेगा और वही क्षण उसकी जिंदगी का आखिरी क्षण होगा ।”
“कोई और रिपोर्ट ?”
“पिछले दो दिन से जंगल में भी पूरी तरह अमन शांति है ।” मास्कमैन बोला- “कहीं से भी तो खून-खराबे की कोई सूचना नहीं मिली है ।”
“यानि जंगल में सिर्फ कमाण्डर करण सक्सेना ही गायब नहीं है बल्कि वो सारे चिन्ह भी गायब है, जो कमाण्डर करण सक्सेना की जंगल में मौजूदगी दर्शाते हैं ।”
“यस सर !”
“यह एकाएक गया कहाँ ?”
“मेरे भी कुछ समझ नहीं आ रहा है सर ! परन्तु मुझे लगता है कि यह खामोशी बहुत ज्यादा लम्बे समय तक रहने वाली नहीं है ।”
“जैसे ही कमाण्डर के बारे में कोई जानकारी मिले, मुझे तुरंत इन्फॉर्म करना ।”
“जरूर सर ।”
मास्कमैन ने ट्रांसमीशन स्विच बंद कर दिया ।
तभी उसकी निगाह हिटमैन पर पड़ी । हिटमैन उस समय एक जीप का पेट्रोल टैंक चैक कर रहा था । पेट्रोल टेंक चैक करने के बाद वह दो हथियारबंद गार्डों से कहने लगा था कि वो उसके साथ चलें ।
“तुम कहाँ जा रहे हो ?” मास्कमैन हैरानीपूर्वक बोला ।
“कमाण्डर करण सक्सेना को तलाश करते-करते तो अड़तालीस घण्टे से भी ऊपर हो चुके हैं भाई !” हिटमैन बोला- “अब सोचता हूँ कि थोड़ा मौज-मस्ती का भी प्रोग्राम बनाया जाये ।”
“कैसी मौज मस्ती ?”
“मैं जंगल में से हिरन मारकर लाता हूँ, फिर उसे भूनकर खायेंगे ।”
“तुम पागल हो गये हो ।” मास्कमैन गुर्राया- “जंगल में कमाण्डर करण सक्सेना जैसा हमारा खतरनाक दुश्मन मौजूद है और तुम्हें शिकार की सूझ रही है ।”
“यह सिर्फ आप ही कह रहे हैं भाई, कमाण्डर जंगल में मौजूद है, मुझे तो अभी भी इस बात पर यकीन नहीं है और फिर वैसे भी हिरन का शिकार करने के लिए कोई दस-बीस मील दूर थोड़े ही जाऊंगा । बस यहीं आसपास हूँ ।”
दो हथियारबंद गार्ड तब तक जीप में बैठ चुके थे । हिटमैन ने भी जीप की ड्राइविंग सीट पर बैठकर फौरन जीप स्टार्ट कर दी ।
“लेकिन... ।”
उसने जीप स्टार्ट करके उसे फुल स्पीड से दौड़ा दी ।
“जल्दी ही वापस आना ।” मास्क मैन गला फाड़कर चिल्लाया ।
“हद से हद एक घण्टे में वापस आता हूँ ।”
जीप तूफानी गति से दौड़ती हुई चली गयी । जल्द ही वो नजरों से ओंझल हो चुकी थी ।
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05-16-2020, 02:19 PM,
#48
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर पिछले दो दिन से एक गुफा में बंद था ।
दरअसल भाला लगने से उसके बाये कंधे में जो जख्म हुआ था, वह जख्म कुछ ज्यादा खतरनाक हो गया था । उसके बायें हाथ ने बिल्कुल काम करना बंद कर दिया था और वह उसे जरा भी हिलाता था, तो उसमें से दर्द की भीषण लहरें उठती थीं । हालांकि कमाण्डर करण सक्सेना ने फौरन ही फर्स्ट एड किट निकालकर कंधे की अच्छी तरह मरहम पट्टी की थी और चार-चार घण्टे के अंतराल से तीन ऐसे इंजेक्शन भी लिये थे, जिससे कंधे में जहर न फैलने पाये । परन्तु फिर भी कमाण्डर को डर था कि कहीं जहर फैल न गया हो ।
मिशन के बीच में ही कंधे की उस दशा ने उसे भारी चिंता में डाल दिया था ।
बहरहाल शुक्र था कि वो केस बहुत ज्यादा न बिगड़ा ।
आज दो दिन बाद वह कंधे के दर्द में काफी सकून महसूस कर रहा था । जहाँ जख्म भरने लगा था, वहीं बायें हाथ को हिलाने में भी अब उसे ज्यादा दुश्वारी नहीं हो रही थी ।
कमाण्डर गुफा से बाहर निकला ।
दो दिन बाद उसने दोबारा बर्मा के उन खौफनाक जंगलों को देखा ।
दिन का उजाला वहाँ हर तरफ बिखरा था ।
अभी उसने नौ यौद्धाओं को और जहन्नुम पहुँचाना था ।
नौ खतरनाक यौद्धा ।
इसके अलावा उन नौ यौद्धाओं को जहन्नुम पहुँचाने के लिए उसने सीढ़ी दर सीढ़ी कितनी लाशों के ऊपर से और गुजरना था । उनका तो कुछ हिसाब ही न था । उसने खून की एक बड़ी होली वहाँ खेलनी थी और उस होली को खेलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसका चुस्त रहना था, जो फिलहाल वो नहीं था ।
कमाण्डर ने गुफा से बाहर आकर अपने कंधे को आहिस्ता से इधर-उधर हिलाया । उसके बाद हल्का-फुल्का व्यायाम भी किया ।
जिससे उसके शरीर में थोड़ी स्फूर्ति आयी ।
फिर उसने बैग में-से आइना निकालकर अपना चेहरा देखा । वह खुद भी अब काफी हद तक जंगलियों जैसा दिखाई पड़ने लगा था । दाढ़ी बहुत बढ़ गयी थी । सिर के बाल रूखे हो गये थे । त्वचा पर भी कहालत बरस रही थी । इसके अलावा सारे कपड़े धूल-मिट्टी में अटे हुए थे । ओवरकोट तो कंधे के पास से काफी सारा फट भी गया था, जिसमें उसने यूं ही तीन-चार टांके लगा लिये ।
उसे जंगल वारफेयर का एक और सिद्धांत याद आया, जिसे बीते युग के यौद्धाओं ने अपने अनुभव के आधार पर निम्न रूप में लिखा था- जंगल की एक खासियत है, वह चीजों को अपने अनुरूप ढालता है । यही कारण है कि एक अच्छा-खासा आदमी भी कुछ दिन जंगल में रहने के बाद जंगलियों जैसा दिखाई पड़ने लगता है । परंतु जंगल वारफेयर का असली योद्धा वो है, जो जंगल में रहने के बाद भी उस वातावरण की छाप से खुद को दूर रखे ।”
कमाण्डर ने फौरन अपने कपड़ों के ऊपर से धूल साफ करनी शुरू कर दी ।
फिर उसने स्प्रिंग ब्लेड निकाल लिया और धीरे-धीरे उसकी बहुत पैनी धार से अपनी दाढ़ी साफ करने लगा ।
☐☐☐
हिटमैन की जीप अब बड़ी तेजी से एक हिरन के पीछे दौड़ रही थी । लेकिन हिरन भी बहुत फुर्तीला था, वह उसके निशाने पर आकर नहीं दे रहा था ।
“साहब, मैं कहता हूँ कि आज यह मरने वाला नहीं है ।”
“कैसे मरेगा साला ।” हिटमैन झल्लाया- “मैं भी देखता हूँ, आज यह कहाँ तक दौड़ता है ।”
“लेकिन ।”
“तुम चुप बैठे रहो, मेरा ध्यान मत बंटाओ ।”
गार्ड ने अपने होंठ सी लिये ।
हिटमैन अंधाधुंध उस जीप को दौड़ाये लिए जा रहा था ।
हिरन को मारने का उसके ऊपर जुनुन सवार था । बिल्कुल पागलों जैसा जुनून ।
जीप उस हिरन के पीछे दौड़ती-दौड़ती और काफी दूर निकल गयी ।
“साहब !” हिटमैन के बराबर में बैठा दूसरा गार्ड कुछ आतंकित होकर बोला-“अब हमें वापस लौटना चाहिये ।”
“क्यों, क्या आफत आ गयी हैं, जो वापस लौटना चाहिये ।”
“हम जंगल में काफी दूर तक आ गये हैं । अगर हम यहाँ से वापस अपने साथियों के पास पहुँचना चाहे, तो तब भी हमें एक घण्टा लग जायेगा ।”
“हुंह, एक घण्टा ।” हिटमैन बोला- “लगता है, कमाण्डर करण सक्सेना के डर से तुम्हारी पतलून गीली हो रही है । चिंता न करो भाई !”
“ए... ऐसी कोई बात नहीं है ।” गार्ड कुछ सकपकाकर बोला ।
“मैं जानता हूँ, क्या बात है । और मुझे भी ये मालूम है कि तुम कितने बड़े जवां मर्द हो ।”
तभी जीप के आगे-आगे दौड़ रहा हिरन कुछ ऐसी जंगली झाड़ियों में जा घुसा, जहाँ जीप चलनी नामुमकिन थी । हिटमैन ने जल्दी से सांस रोक दी और राइफल लेकर जीप से नीचे कूदा ।
“जल्दी से मेरे साथ आओ ।” हिटमैन चिल्लाया- “लगता है, इसके मरने का वक्त आ गया है । इन झाड़ियों में यह ज्यादा तेजी से नहीं दौड़ पायेगा ।”
दोनों गार्ड अपनी-अपनी राइफल लेकर हिटमैन के पीछे-पीछे ही उन झाड़ियों की तरफ दौड़ पड़े ।
तभी हिटमैन ने अपनी राइफल सीधी करके गोली चलायी ।
उसी क्षण हिरन झाड़ियों में दायीं तरफ कूद गया, वह बस मरने से बाल-बाल बचा ।
“मैं भी देखता हूँ, यह कमबख्त मुझे आज कितना दौड़ाता है ।”
“लेकिन... ।” उसके पीछे-पीछे दौड़ रहे दोनों गार्डों ने कुछ कहना चाहा ।
“तुम दोनों चुप रहो ।”
उनके मुंह पर फिर ताला पड़ गया ।
हिटमैन अपनी पूरी ताकत से हिरन के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा था ।
हिटमैन एक जबरदस्त निशानेबाज था ।
इस दुनिया में उससे ज्यादा खतरनाक निशानेबाज दूसरा कोई नहीं था । वह ‘शब्दभेदी’ गोली चलाने में माहिर था । वह आँखों पर काली पट्टी बांधकर भी ऐसे अदभुत निशाने लगा लिया करता था कि देखने वाला भौंचक्का रह जाता । उसने कई बार अपनी निशानेबाजी के जौहर दिखाये थे, वह अपनी आँखों पर पट्टी बांध लेता और फिर उसके सामने तांबे या चांदी के सिक्के उछाले जाते । सिक्का गिरने पर पिट् की जो हल्की सी ध्वनि होती है या फिर सिक्का उछालते समय उंगलियों से चुटकी बजाने की जो आवाज होती है, उसी आवाज से वह निशाना लगा लेता था और सिक्के को भेद डालता था । ‘शब्दभेदी’ गोली चलाने में उसका मुकाबला करने वाला कोई नहीं था ।
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+- की तारीख में बर्मा पुलिस की फाइलों के अंदर उसके नाम दर्जनों हत्याओं के मामले दर्ज थे । वह सारी हत्यायें उसने सिर्फ अपनी निशानेबाजी का प्रदर्शन करने के लिए खेल-खेल में की थीं ।
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05-16-2020, 02:19 PM,
#49
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
हिटमैन एकाएक झाड़ियों में दौड़ता-दौड़ता अपनी जगह थमककर रूक गया ।
उसके आगे भाग रहा चितकबरा हिरन अब नजर आना बंद हो गया था ।
“रुको-रुको !” हिटमैन ने फौरन अपने हाथ दायें-बायें फैलाकर गार्डों को रूकने का इशारा किया- “आगे मत बढ़ो ।”
गार्ड फौरन अपनी-अपनी जगह थमककर खड़े हो गये ।
“क्या हुआ ?”
“लगता है, हिरन जरूर यहीं कहीं झाड़ियों में छिपकर बैठ गया है ।” हिटमैन की बेहद सस्पैंसफुल आवाज ।
“अब क्या करोगे ?”
“अब तो उसकी मौत आ गयी समझो । वह नहीं जानता कि उसके पीछे जो शिकारी है, वह ‘शब्दभेदी’ गोली चलाने में माहिर है । अब वो हिरन झाड़ियों में जरा भी हिलेगा, जरा भी हरकत करेगा, तो फौरन गोली धांय से उसके शरीर में जाकर लगेगी ।”
हिटमैन ने वहीं खड़े-खड़े अपनी राइफल सामने झाड़ियों की तरफ तान दी ।
फिर वो बहुत स्तब्ध भाव से किसी आहट को सुनने की कोशिश करने लगा ।
दोनों गार्ड भी उसके इधर-उधर बड़ी चौकसी के साथ खड़े थे और उनकी राइफलें भी तनी थीं ।
“तुममें से कोई गोली नहीं चलायेगा ।” हिटमैन फुसफुसाया ।
“ठीक है ।” वह दोनों भी आहिस्ता से बोले ।
काफी देर तक हिटमैन को झाड़ियों में-से किसी आहट की आवाज न सुनायी दी ।
“साहब, कहीं यह आपका वहम तो नहीं है ।” गार्ड पुनः धीमी आवाज में बोला-“कि हिरन झाड़ियों मे छिप गया है । ऐसा भी तो सकता है कि वह दूर निकल गया हो ?”
“नहीं, वो झाड़ियों में ही है ।”
यही वो क्षण था, जब हिटमैन को झाड़ियों में हल्की आहट की आवाज सुनाई दी ।
हिटमेन ने तुरंत फायर कर दिया । गोली चलने की बड़ी तेज आवाज जंगल में गूंजी और उसी के साथ हिरण की चीत्कार भी गूंज उठी । वह झाड़ियों में से उठकर भागा, लेकिन शीघ्र ही वह लड़खड़ाकर वापस गिर गया ।
“किस्सा खत्म !” हिटमैन ने राइफल नीचे झुका ली ।
उसके इधर-उधर खड़े दोनों गार्ड हिटमैन के निशाने से काफी प्रभावित नजर आ रहे थे ।
“मैं दावे से कह सकता हूँ ।” हिटमैन वहीं खड़े-खड़े बोला- “गोली ठीक हिरन की गर्दन में दायीं तरफ जाकर लगी है । चालीस डिग्री अंश पर जाकर देखो ।”
दोनों गार्ड लपककर हिरन की लाश के करीब पहुंचे और उन्होंने उसकी गर्दन को देखा । फौरन उनके नेत्र फैल गये ।
“क्या हुआ ?”
“ग... गोली सचमुच गर्दन में लगी है साहब ।”
“चालीस डिग्री अंश पर ।”
“हाँ ।”
हिटमैन मुस्कुराता हुआ हिरन की तरफ बढ़ा ।
किसी को मारकर उसे बिल्कुल वही खुशी मिलती थी, जैसे कोई शैतान बच्चा किसी दूसरे के खिलौने को तोड़कर खुश होता है ।
“चलो, अब इसे जल्दी से उठाकर जीप तक लेकर चलो ।”
दोनों गार्ड हिरन की लाश को उठाने के लिए जैसे ही नीचे झुके, तभी उनके कानों में किसी के उसी तरफ दौड़कर आने की आवाज सुनाई पड़ी ।
“लगता है, कोई आ रहा है ।”
तीनों फौरन झाड़ियों में छुप गये ।
जरूर किसी ने गोली चलने की आवाज सुन ली थी और अब उस आवाज को सुनकर वह उस तरफ दौड़ा चला आ रहा था ।
वह ऐसी आवाज थी, जैसे कोई ‘चीता’ दौड़ रहा हो । परन्तु हिटमैन को न जाने क्यों ऐसा लगा, जैसे वह कोई आदमी है ।
“मुझे तो यह किसी जानवर के दौड़ने की आवाज मालूम होती है ।”
“जो भी है ।” हिटमैन बोला- “अभी नजर आ जायेगा ।”
फौरन ही रहस्य की धुंध छंट गयी । जंगल के सामने की तरफ से काला लम्बा ओवरकोट और काला गोल क्लेंसी हैट पहने एक आदमी बिल्कुल चीते की तरह ही दौड़ता हुआ चला आ रहा था ।
“माई गॉड ।” गार्डों के मुँह से सिसकारी छूटी- “यह तो शायद कमाण्डर करण सक्सेना है ।”
“हाँ ।” हिटमैन के हाथ भी फौरन राइफल पर कस गये- “यह कमाण्डर ही है ।”
“ह... हमें जिस बात का खतरा था, वही हो गया । अ... अब क्या होगा ?”
गार्डों के पसीने छूटे ।
कमाण्डर करण सक्सेना को देखते ही वह एकाएक जुडी के मरीज की तरह थर-थर कांपने लगे थे ।
“घबराओ मत !” हिटमैन पूरी हिम्मत के साथ बोला- “लगता है, इसका शिकार भी आज मेरे हाथों होना लिखा है । अब इसे मरने से कोई नहीं बचा सकता ।”
“लेकिन... ।”
“तुम लोगों ने मेरा एक निशाना अभी देखा है, अब दूसरा निशाना देखो । एक ही गोली इसकी खोपड़ी को अण्डे के छिलके की तरह चट् से फोड़ डालेगी ।”
फिर हिटमैन वहीं झाड़ियों में लेटा-लेटा कमाण्डर को राइफल के निशाने पर लेने की कौशिश करने लगा ।
कमाण्डर के लिए सबसे बड़ी संकट की बात ये थी कि उस वक्त उसे खुद मालूम नहीं था कि कोई उसे निशाने पर लेने की कोशिश कर रहा है ।
जैसे ही कमाण्डर करण सक्सेना थोड़ा करीब आया, हिटमैन ने फौरन ट्रेगर दबा दिया ।
यही वो क्षण था, जब कमाण्डर करण सक्सेना का पैर एकाएक किसी पत्थर से टकराया और वो लड़खड़ाकर गिरा । गोली फौरन सनसनाती हुई उसके सिर के ऊपर से गुजर गयी ।
“ओह शिट !” हिटमैन झल्ला उठा- “सचमुच यह आदमी किस्मत का तेज है ।”
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन वहीं झाड़ियों में छिप गया ।
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05-16-2020, 02:21 PM,
#50
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
वो खतरा भांप चुका था ।
कमाण्डर को यह समझते देर न लगी कि आज गुफा से बाहर निकलते ही उसकी फिर किसी योद्धा से मुठभेड़ हो गयी है ।
यानि इन दो दिनों के दौरान योद्धा चैन से नहीं बैठे थे, वह अभी भी उसकी तलाश में जंगल की खाक छान रहे थे ।
कमाण्डर ने अपने जख्मी कंधे को हल्का सा जर्क दिया और खुद को मुकाबले के लिए तैयार करने लगा ।
लाइट मशीनगन फौरन उसके हाथ में आ चुकी थी ।
“दुश्मन कोई अगली चाल चले, उससे पहले ही मुझे अपना वार करना चाहिये ।”
कमाण्डर घुटनों के बल थोड़ा ऊपर को हुआ तथा फिर उसने सामने की तरफ मशीनगन से धुआंधार गोलियां चला दीं ।
गोलियां चलाते ही वह पलट गया और झाड़ियों के अंदर ही अंदर तीर की तरह भागा ।
फौरन सामने की तरफ से भी गोलियों की बाढ़ ठीक उस जगह झपटी, जहाँ कमाण्डर थोड़ी देर पहले मौजूद था ।
वहीं एक काफी बड़ी चट्टान थी ।
कमाण्डर झाड़ियों मे धीरे-धीरे रेंगता हुआ अब उस चट्टान के पीछे पहुँच चुका था ।
उसने सबसे पहले यह पता लगाना था कि दुश्मनों की संख्या कितनी है ।
वो कुछ देर सोचता रहा ।
फिर उसने धीरे-धीरे उस चट्टान पर चढ़ना शुरू किया ।
जल्द ही कमाण्डर उस चट्टान के ऊपर पहुँच चुका था । अब अगर वो सिर्फ अपना सिर ही थोड़ा ऊपर उठाता, तो तुरंत चट्टान के दूसरी तरफ का नजारा उसे दिखाई देने लगता ।
परन्तु सिर ऊपर उठाने में भी खतरा था ।
अगर उसके सिर उठाते ही दुश्मन की निगाह उस पर पड़ गयी, तो दुश्मन ने फौरन उसकी खोपड़ी में सुराख कर देना था ।
लेकिन खतरा उठाये बिना बात नहीं बनने वाली थी ।
कमाण्डर ने खतरा उठाया ।
उसने बहुत धीरे-धीरे पहले अपनी लाइट मशीनगन की नाल चट्टान से ऊपर की तथा फिर अपना सिर भी चट्टान से ऊपर किया । फौरन उसे जंगल में सामने की तरफ का हिस्सा नजर आने लगा ।
वह चूंकि ऊंचाई पर था, इसलिये सामने झाड़ियों में छिपे दुश्मन उसे साफ़ नजर आये ।
वह तीन थे ।
दो तो उसे बिल्कुल साफ चमके ।
जबकि तीसरे की सिर्फ टांगे दिखाई दे रही थीं, अलबत्ता उनमें से किसी की निगाह कमाण्डर पर न पड़ी ।
कमाण्डर ने जंगल में और दूर-दूर तक देखा, उन तीनों के अलावा उसे वहाँ कोई नजर न आया ।
कमाण्डर ने फिर अपने जख्मी कंधे को हल्का सा जर्क दिया और एक हथियारबंद गार्ड की खोपड़ी का वहीं से निशाना साधकर गोली चला दी ।
गार्ड चकरा उठा ।
गोली ठीक उसकी खोपड़ी में जाकर लगी थी, वो वहीं ढेर हो गया । फौरन बाकी दोनों दुश्मन बदहवासों की तरह झाड़ियों में-से उठकर भागे ।
अब तीसरा आदमी भी कमाण्डर करण सक्सेना को साफ चमका । वो उसे देखते ही पहचान गया ।
वो हिटमैन था ।
अचूक निशानेबाज ।
कमाण्डर ने फौरन उन दोनों के ऊपर गोलियां चलायीं ।
हिटमैन के दूसरे साथी की चीख भी गूंज उठी । वो भी वहीं झाड़ियों में लहराकर गिरा ।
तभी भागते-भागते हिटमेन रूका । पलटा । फिर उसने चट्टान की तरफ जवाबी फायरिंग कर दी ।
कमाण्डर ने अपनी गर्दन नीचे कर ली ।
एक साथ ढेर सारी गोलियां चट्टान के उसी हिस्से पर आकर लगीं, जहाँ थोड़ी देर पहले कमाण्डर की गर्दन थी ।
हिटमैन ने अंधाधुंध गोलियां चलायी थीं ।
फिर कमाण्डर के कान में ‘पिट्’ की आवाज पड़ी ।
वह चौंकन्ना हो उठा ।
जरूर हिटमैन की राइफल में गोलियां खत्म हो गयी थीं ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने फौरन ही चट्टान पर दूसरी तरफ जाकर अपनी गर्दन ऊपर की ।
मगर हिटमैन अब उसे सामने कहीं न चमका ।
जरूर वो कहीं छिप गया था ।
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