Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 02:23 PM,
#61
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
मास्टर वापस सरदार के झोंपड़े में पहुँचा और वहीं बिस्तर पर जाकर गिरा, जो सरदारनी का बिस्तर था ।
कितनी ही देर वो आँख बंद किये बुरी तरह हांफता रहा ।
उसकी कनपटी धधक रही थी । गर्दन की नसें तन गयी थी । दिमाग में लहू ऐसे खोल रहा था, जैसे किसी ने उसे गैस की भट्टी पर पकने के लिए रख दिया हो, मुट्ठी जकड़ गयी थीं । गुस्से से उसका बुरा हाल था ।
मास्टर कितनी ही देर उसी पोजिशन में पकड़ा हांफता रहा ।
तभी हल्की आहट की आवाज सुनकर मास्टर की आँख खुली ।
उसने सामने देखा ।
सरदारनी अभी-अभी झोंपड़े का दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हुई थी ।
मास्टर को वहाँ देखकर वो धीरे से चौंकी । जबकि मास्टर अपलक उसके रूप का नजारा करता रहा ।
कितनी खूबसूरत थी हरामजादी ।
जिस्म का एक-एक पुर्जा सांचे में ढला हुआ ।
पता नहीं भगवान चरित्रहीन औरतों को ही इतना खूबसूरत क्यों बनाता है ?
या फिर एक दूसरी बात भी मुमकिन है ।
यह भी हो सकता है कि खूबसूरत औरतें ही चरित्रहीन होती हैं ।
आखिर उसी खूबसूरती में ही तो वो मखनातीसी (चुम्बकीय) आकर्षण होता है, जिसके बलबूते पर वो अपने जिस्म की बड़ी दिलकश नुमायश करती हैं । जिसके बलबूते पर वो अपने आगे-पीछे अंधे-काने भिखारियों का मेला लगाये रखती हैं । जिसके पास कुछ होता ही नहीं, वो नुमायश क्या लगायेगा ? बांटेगा क्या ?
“इस तरह घूरकर क्यों देख रहे हो ?” सरदारनी मुस्कुराते हुए बोली- “क्या आज आँखों हीं आँखों में हजम करने का इरादा है ।”
“हाँ ।” मास्टर बिस्तर छोड़कर खड़ा हो गया- “आज तुम्हें हजम करने का इरादा है ।”
“फिर तो आज तुम्हारी यह तमन्ना पूरी होने वाली नहीं है ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि इस वक्त मैं पूरी तरह थकी हुई हूँ ।” वो इठलाते हुए बोली- “फिलहाल तो मेरी बस एक ही तमन्ना हो रही है । मैं धड़ाम से बिस्तर पर जाकर गिरूं और सो जाऊं ।”
“इस समय कहाँ से आ रही हो ?”
“तुम्हें पता नहीं, बस्ती में एक बूढ़े आदमी की मौत हो गयी है । उसी को जरा देखने गयी थी ।”
झूठ भी कितना सफाई से बोल रही थी साली !
अगर मास्टर ने उस छिनाल औरत की स्याह-सफेद करतूते खुद अपनी आँखों से न देखी होतीं, तो क्या वह उसकी बात पर यकीन न कर लेता ?
“अब तुम जाओ यहाँ से ।” वह धम्म से अपने बिस्तर पर जाकर ढेर हो गयी- “और मुझे सोने दो ।”
“सोओगी तो तुम जरूर, लेकिन उससे पहले एक काम करोगी ।”
“क्या ?”
सरदारनी ने हैरानी से उसकी तरफ देखा ।
“अपने जिस्म से यह तमाम कपड़े उतारोगी ।”
“कैसी बात कर रहे हो, कपड़े उतारकर भी कहीं कोई सोता है ?”
“जंगली सोते हैं ।”
“मैं दूसरे जंगलियों जैसी नहीं हूँ ।” सरदारनी बोली ।
“आज तुम भी वैसी ही बनोगी ।”
“लेकिन... ।”
“बहस में वक्त बर्बाद मत करो ।” मास्टर थोड़ी सख्त जबान में बोला- “जो मैं कह रहा हूँ, करो ।”
“आज तुम्हारे इरादे कुछ नेक नजर नहीं आते ।” सरदारनी दिलकश अंदाज में ही मुस्कुराई ।
“ठीक कहा तुमने ।”
“अरे बाबा, मैंने कहा न, आज मैं बहुत थकी हुई हूँ ।”
“मैं आज तुम्हारी सारी थकान दूर कर दूंगा ।”
“कमाल है ! अगर मेरे कपड़े उतारते ही सरदार लौट आया तो ?”
“वो नहीं लौटेगा ।” मास्टर पहले जैसे ही जिद्दी लहजे में बोला- “वो कहकर गया है, सुबह तक उसकी वापसी होगी ।”
“यानि तुम आज मानने वाले नहीं हो ?”
“नहीं ।”
“ठीक है बाबा ।” सरदारनी ने हथियार डाले- “तो लो, तुम भी अपने दिल की हसरत पूरी करो ।”
फिर सरदारनी ने एक-एक करके अपने जिस्म से कपड़े उतारने शुरू किये ।
जल्द ही वो बिल्कुल निर्वस्त्र हो गयी ।
उसकी कंचन सी काया से कपड़े जुदा हुए, तो वह और भी ज्यादा हुस्न की मल्लिका नजर आने लगी ।
अब उसके रूप-लावण्य की वो पूरी खुली दुकान मास्टर के सामने थी, जिसके बल पर वो सारा खेल, खेलती थी । जिसकी वजह से मर्द उसके सामने घुटनों-घुटनों तक लार टपकाते थे ।
मास्टर ने फौरन अपनी कमर के साथ बंधा ‘हंसिया’ खींचकर बाहर निकाल लिया ।
“इस हंसिये से क्या करोगे ?” वो शरारती ढंग से हंसी- “क्या अब तुम्हारे पास कुछ करने के लिए हंसिया ही बचा है ?”
फौरन वो हंसिया बड़ी द्रुतगति के साथ चला ।
सरदारनी की वीभत्स चीख निकल गयी ।
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05-16-2020, 02:23 PM,
#62
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चीख इतनी करुणादायी और कर्कश थी कि उस चीख की आवाज ने गहरी नींद सोते योद्धाओं को भी जगा डाला और वह दौड़ते हुए जल्दी बाहर आये । बाहर का दृश्य बड़ा दहशतनाक था ।
मास्टर उस समय बिल्कुल दरिंदा नजर आ रहा था ।
उसने हंसिये से सरदारनी के गुप्तांग को बुरी तरह फाड़ डाला था । छातियां उधेड़ डाली थीं और अब वो हंसिये की पैनी धार से उसके बेजान निप्पल खरोंच रहा था । सरदारनी का पूरा शरीर खून में लिथड़ा हुआ था और वो मर चुकी थी ।
“य... यह तुमने क्या किया ?” जैक क्रेमर ने चीखते हुए मास्टर को बुरी तरह झिझोंड़ा- “सरदारनी को क्यों मार डाला ?”
“इस जैसी त्रिया चरित्र औरत का यहीं अंजाम होना था, मैंने इसके साथ न्याय किया है ।”
“यह आदमी पागल है ।” रोनी के शरीर में झुरझुरी दौड़ी- “यह आज तक इसी तरह कई औरतों को जहन्नुम पहुँचा चुका है ।”
“या मेरे खुदा !” अब निदाल ने भयभीत होकर दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ा- “अब हम सरदार को क्या जवाब देंगे ? इस आदमी ने अपने जरा से गुस्से की बदौलत कितना बड़ा बवाल पैदा कर दिया है । अगर सरदार को इसकी हरकतों के बारे में पता चल गया, तो कमाण्डर करण सक्सेना के साथ-साथ बर्मा की पूरी जंगली कौम हमारी दुश्मन हो जायेगी ।”
“मेरे बाप !” हवाम बोला- “इतना बड़ा काम करने से पहले थोड़ा अकल का तो इस्तेमाल कर लेता । पहले ही क्या हमारे ऊपर कुछ कम बड़ी आफत टूटी हुई है ।”
“मैं एक योद्धा हूँ ।” मास्टर फुंफकारा- “और मैं वही करता हूँ, जो मेरा दिल इजाजत देता है ।”
फिर मास्टर ने अपने खून से सने हंसिये को मृत सरदानी के नितम्बों से रगड़कर साफ किया और उसके बाद टहलता हुआ झोंपड़ी के अंदर वाले हिस्से में चला गया ।
उसकी हरकतें ऐसी थीं, जैसे कुछ हुआ ही न हो । योद्धाओं की निगाह दोबारा सरदारनी की लाश पर जाकर ठहर गयी ।
लाश उस समय भयानक नजर आ रही थी । क्योंकि मास्टर ने उसके ऊपर एकाएक आक्रमण किया था, इसलिए उसकी आखें दहशत के कारण फटी की फटी रह गयी थीं । मुंह जो चीखने के लिए खुला, तो वह अंत तक खुला हुआ था ।
“सचमुच सरदारनी को मारकर मास्टर ने बहुत भयानक गड़बड़ कर दी है ।” माइक बोला ।
“अब यह सोचो-फिलहाल हम लोग क्या करें ।” जैक क्रेमर ने आंदोलित मुद्रा में कहा- “अगर ऐसी परिस्थिति में सरदार लौट आया, तो हमारे ऊपर कहर टूटने में फिर कोई ज्यादा वक्त नहीं लगेगा ।”
“मैं एक तरीका बताता हूँ ।” रोनी ने थोड़े उत्साहपूर्वक कहा ।
“क्या ?”
“इससे पहले कि सरदार वापस लौटे, हमें इस लाश को कहीं ठिकाने लगा देना चाहिये ।”
सब योद्धाओं की आँखें एक-दूसरे से टकराई ।
उनकी आँखों में हल्की उम्मीद की किरण रोशन हुई । रोनी के प्रस्ताव में जान थी ।
“आप लोग मानें या न मानें ।” रोनी बोला- “लेकिन फिलहाल अपने बचाव का हमारे पास यही एक मुनासिब तरीका है ।”
“मगर जब सरदार अपनी बीवी के बारें में पूछेगा ।” हवाम बोला- “तब हम उसे क्या जवाब देंगे ?”
“तब की तब सोंचेगे ।” रोनी ने कहा- “फिलहाल मास्टर की बेवकूफी के कारण खतरे की जो तलवार हमारे सिर पर आकर लटक गयी हैं, हमें उससे तो छुटकारा मिलेगा । वरना सोचो इस जंगल के अंदर कमाण्डर और तमाम जंगली लोग हमारे दुश्‍मन होंगे, जबकि जंगल के बाहर बर्मा की पूरी फौज हमारे मुकाबले पर होगी । फिर ऐसे माहौल में हम लोगों के ज्यादा देर तक जिंदा रहने की संभावना नहीं है ।”
सब यौद्धाओं के शरीर में सिहरन दौड़ी ।
वाकई !
मास्टर ने सरदारनी की हत्या करके एक बड़ा फसाद पैदा कर दिया था ।
“लेकिन हम लाश को किस जगह ठिकाने लगायेंगे ?” जैक क्रेमर ने पूछा ।
“वह कौन-सा मुश्किल काम है । इस झोंपड़ी के पीछे ही सन्नाटे भरा इलाका है, हम वहीं गड्ढा खोदकर लाश ठिकाने लगा सकते हैं ।”
सब यौद्धाओं ने फिर एक-दूसरे की तरफ देखा ।
“मैं समझता हूँ ।” अबू निदाल धैर्यपूर्वक बोला- “रोनी बिल्कुल ठीक कह रहा है । फिलहाल लाश को ठिकाने लगाने के सिवाय हमारे सामने दूसरा कोई रास्ता नहीं है । इसके अलावा मैं एक बात और भी कहना चाहूँगा ।”
“क्या ?”
“जब हमने लाश को ठिकाने लगाना ही है, तो हमें सोचने-विचारने में भी ज्यादा वक्त बर्बाद नही करना चाहिये । यह काम जितनी जल्दी निपटे, उतना बेहतर होगा ।”
“सबसे पहले तो लाश ही यहाँ से हटाओ ।”
“चलो, लाश मैं हटाता हूँ ।” रोनी शीघ्रतापूर्वक लाश की तरफ बढ़कर बोला-“कोई जरा हाथ लगाने में मेरी मदद करो ।”
“मैं मदद करता हूँ ।” माइक भी लाश उठाने के लिए रोनी की तरफ बढ़ा ।
इस बीच जैक क्रेमर जल्दी-जल्दी वहीं पड़े सरदारनी के कपड़े उठाने लगा ।
“उसकी कोई भी निशानी यहाँ छूटनी नहीं चाहिये ।”
“ऐसा ही होगा ।” रोनी बोला ।
“और गहरा गड्ढा खोदने के लिए हम फावड़ा कहाँ से लायेंगे ?”
“वह कोई प्रॉब्लम नहीं है ।” हवाम ने कहा- “फावड़ा मैंने थोड़ी देर पहले अंदर ही देखा था, मैं अभी उसे उठाकर लाता हूँ ।”
हवाम फावड़ा लाने के लिए झोपड़ी के अंदर की तरफ बढ़ा ।
एकाएक वहाँ सब सक्रिय हो उठे थे ।
“और उस मास्टर के बच्चे को भी बाहर निकालकर ले आना ।” जैक क्रेमर कुत्सित मुद्रा में बोला- “हमारी जान को झंझट तो उसने पैदा कर ही दिया है, अब कम से कम उस झंझट को निपटाने में तो हमारी कुछ हैल्प करे ।”
“मुझे बाहर लाने की कोई जरूर नहीं है ।” तभी मास्टर पर्दा हटाकर वहाँ आया- “मैं खुद आपकी मदद के लिए हाजिर हूँ ।”
उस समय मास्टर काफी सहज दिखाई दे रहा था ।
“बहुत-बहुत मेहरबानी जनाब ?” अबू निदाल व्यंग्यपूर्वक बोला- “आपकी इस मदद को हम जिंदगी में कभी नहीं भूलेंगे ।”
“तुम शायद मेरा मजाक उड़ा रहे हो ।” मास्टर की त्‍यौरियों पर बल पड़े ।
“नहीं, मेरी इतनी हिम्मत कहाँ ! मैं तो आपकी तारीफ कर रहा हूँ जनाब ।”
“अब बहस में वक्त बर्बाद मत करो ।” जैक क्रेमर गुर्रा उठा- “और जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ ।”
तभी हवाम भी दौड़कर अंदर से फावड़ा निकाल लाया ।
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05-16-2020, 02:24 PM,
#63
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
एक घण्टा गुजर गया ।
सभी छः योद्धा इस समय झोंपड़े के उसी अंदर वाले हिस्से में लेटे थे, जहाँ उनके पहले ही बिस्तर कर दिये गये थे । इस समय वहाँ का माहौल बड़ा सस्पैंसफुल था ।
पिन ड्रॉप साइलेंस जैसी स्थिति !
सरदारनी की लाश वो सब मिलकर ठिकाने लगा चुके थे । झोंपड़े के पीछे ही उन्होंने एक बड़ा-सा गड्ढा खोदा था और उसी गड्ढे में उन्होंने लाश को दबा दिया । उसी गड्ढे में सरदारनी के कपड़े वगैरा सब दफना दिये गये । इसके अलावा झोंपड़े में-से सारा खून भी अच्छी तरह साफ कर दिया गया था । फिलहाल झोंपड़े के अंदर ऐसा कोई चिन्ह शेष नहीं बचा था, जिससे साबित होता कि वहाँ थोड़ी देर पहले ही कोई मरा है ।
धीरे-धीरे दो घण्टे का समय और गुजर गया ।
यही वो क्षण था, जब झोंपड़े का बाहर वाला दरवाजा खुलने की आवाज हुई ।
“लगता है, सरदार क्रियाकर्म में भाग लेकर वापस आ गया ।”
रोनी तेजी से फुसफुसाकर बोला ।
फिर भारी-भरकम कदमों की आवाज ।
“सरदार ही है ।” अबू निदाल ने भी उसके ‘सरदार’ होने की पुष्टि की ।
“सब अपनी-अपनी आँखें बंद कर लो ।” जैक क्रेमर शीघ्रतापूर्वक बोला- “सरदार को इस बात का जरा भी शक नहीं होना चाहिये कि हम लोग जाग रहे हैं ।”
सबने आदेश का पालन किया ।
पलक झपकते ही उन सबकी आँखें बंद हो गयीं और ऐसा प्रतीत होने लगा, जैसे वह सचमुच गहरी नींद में हों ।
बाहर से अब सरदार के चलने की आवाजें आ रही थीं । फिर दोबारा दरवाजा खुलने की आवाज । शायद वो बड़ी बेकरारी से सरदारनी को तलाश कर रहा था ।
“क्रेमर साहब !” फिर वो जोर-जोर से चीखता हुआ उसी तरफ बढ़ा- “क्रेमर साहब !”
वो अंदर आ गया ।
“क्रेमर साहब !”
“क... क्या हो गया ?” जैक क्रेमर ने थोड़ा हड़बड़ाकर आँखें खोलीं और वह उठा ।
“ग्रेन्डी कहाँ गयी ?”
“ग्रेन्डी !”
“मेरी बीवी ।”
“ओह !”
तो ‘ग्रेन्डी’ उस सरदारनी का नाम था ।
“क्या ग्रेन्डी तुम्हारे साथ बूढ़े के अंतिम संस्कार में भाग लेने नहीं गयी थी ?” जैक क्रेमर बोला ।
“नहीं, मैं तो उसे यहीं छोड़कर गया था । रात के समय अगर कोई जरूरी काम आ जाता है, तो वो कभी भी मेरे साथ बाहर नहीं जाती ।”
“फिर तो वो बाहर झोंपड़े में ही कहीं होगी ।”
“बाहर ही तो नहीं है क्रेमर साहब !”
उसी क्षण बाकी योद्धाओं ने भी अपनी आँखें मलते हुए इस तरह उठने का उपक्रम किया, जैसे उनकी बातचीत से उनकी नींद में भी विघ्न पड़ गया हो ।
“क्या हो गया ?” हवाम थोड़ा कुपित भाव से बोला ।
“ग्रेन्डी गायब है ।”
“ग्रेन्डी, कौन ग्रेन्डी ?” रोनी चिहुंका ।
“अरे सरदारनी, और कौन !”
बाकी योद्धओं के चेहरे पर भी हैरानी के भाव तैर गये ।
वह सब लाजवाब अभिनय कर रहे थे ।
“वो भला कहाँ गायब हो सकती हैं ।” अबू निदाल बोला- “जरूर बस्ती में यहीं कहीं चली गयी होंगी । यह भी मुमकिन है, वह उसी बूढ़े के घर चली गयी हों, जिसकी मौत हुई है ।”
“हाँ !” जैक क्रेमर की गर्दन भी स्वीकृति में हिली- “यह संभव है । वरना भला ग्रेन्डी और कहाँ जा सकती है ?”
“लेकिन उसी बूढ़े के घर से तो मैं आ रहा हूँ ।”
“शायद ऐसा हुआ हो !” मास्टर ने एक नई संभावना व्यक्त की- “तुम उधर से आये हो और वो इधर से गयी हो ।”
सरदार को बात कुछ जम नहीं रही थी ।
पहले तो कभी ग्रेन्डी इतनी रात को झोंपड़ी से गायब नहीं हुई थी ।
यह इस तरह का पहला वाकया था ।
और वो वाकया उसके दिल में दहशत पैदा कर रहा था । सरदार को लग रहा था, जरूर कहीं-न-कहीं कुछ गड़बड़ है ।
“ठीक है ।” सरदार परास्त लहजे में बोला- “मैं ग्रेन्डी को उस बूढ़े के घर भी देखकर आता हूँ ।”
“मैं भी तुम्हारे साथ चलूं ?” मास्टर फौरन अपनी जगह से उठकर बोला । फिर वो हंसिये को अपनी कमर के साथ बांधने लगा ।
“नहीं, तुम्हारी जरूरत नहीं हैं ।”
“फिर भी मैं चलता हूँ, शायद तुम्हारी कुछ मदद हो जाये ।”
“जैसी तुम्हारी इच्छा ।”
मास्टर, सरदार के साथ ग्रेन्डी को ढूंढने के लिये झोंपड़े से बाहर निकल गया ।
“देखो तो साले को !” जैक क्रेमर, मास्टर के जाते ही फुंफकारा- “सरदार के सामने कैसा भला बनके दिखा रहा है । ग्रेन्डी को ढूंढने गया है, जैसे अभी सच में ही उसे ढूंढकर लायेगा ।”
“मैं तो एक दूसरी बात सोच रहा हूँ ।” माइक ने कहा ।
“क्या ?”
“सरदारनी की मौत की यह बात आखिर कब तक छुपेगी ?”
“देखो, कब तक छुपती है । जब नहीं छुपेगी, तब कोई दूसरा रास्ता खोजेंगे ।”
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05-16-2020, 02:24 PM,
#64
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
सरदार और मास्टर, वह दोनों पूरी बस्ती छानकर कोई डेढ घण्टे में वापस लौट आये ।
तब तक दिन का उजाला धीरे-धीरे चारों तरफ फैलने लगा था । इसके अलावा तब तक यह बात भी पूरी बस्ती में फैल चुकी थी कि ग्रेन्डी गायब है । सरदारनी के गायब होने की उस खबर ने तमाम जंगलियों को घोर आश्चर्य में डाल दिया । वह सब धीरे-धीरे अब सरदार के झोंपड़े के बाहर जमा होने लगे ।
उन जंगलियों में वह युवक भी शामिल था, जिसने रात ग्रेन्डी के साथ फ्रीस्टाइल कुश्ती लड़ी थी ।
वह उस समय कुछ ज्यादा भयभीत था ।
“ग्रेन्डी के बारे में कुछ मालूम हुआ ?” उन दोनों के लौटते ही जैक क्रेमर ने पूछा ।
“नहीं, हम सारी बस्ती छान चुके हैं ।” सरदार का शुष्क स्वर- “लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं ।”
सरदार उस वक्त बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रहा था ।
“फिर कहाँ गयी ग्रेन्डी ?”
“कुछ समझ नहीं आ रहा, वो कहाँ गयी । मैं तो जितना सोच रहा हूँ, उतनी ही मेरी परेशानी बढ़ रही है ।”
“सरदार !” तभी झोंपड़े के बाहर खड़े कुछ जंगली नौजवान बोले- “हमारा ख्याल है, हमें सरदानी को जंगल में भी ढूंढने जाना चाहिये ।”
“जंगल में क्यों ?”
“शायद वो रात किसी काम से जंगल में चली गयी हों और वहीं किसी जंगली जानवर ने उनके ऊपर हमला कर दिया हो ।”
“लेकिन सवाल तो ये है मेरे भाई !” सरदार अवसादपूर्ण लहजे में बोला- “ग्रेन्डी भला रात के समय बस्ती छोड़कर जंगल में जायेगी क्यों ?”
“फिर जंगली नौजवानों का एक बड़ा ग्रुप ग्रेन्डी को ढूंढने के लिये जंगल में भी चला गया ।
☐☐☐
कमाण्डर करण सक्सेना जंगल में ‘चीता चाल’ से दौड़ता-दौड़ता जब थक गया, तो वह एक पेड़ के नीचे इत्मीनान से बैठ गया ।
उसके बाद उसने ‘मिल्क पाउडर’ को थोड़े से पानी में घोलकर पिया और कुछ सूखे मेवे खाये ।
कमाण्डर करण सक्सेना की चिन्तायें अब बढ़ने लगी थीं ।
उसे महसूस हो रहा था कि शीघ्र ही विपदाओं का पहाड़ उसके ऊपर टूटने वाला है ।
सबसे ज्यादा फिक्र उसे खाद्य सामग्री को लेकर थी, जो धीरे-धीरे खत्म होती जा रही थी । इसीलिये वो उसका कम प्रयोग कर रहा था । परन्तु फिर भी पेट की अग्नि शान्त करने के लिये उसका कुछ-न-कुछ सेवन करते रहना तो जरूरी था ।
इसीलिये कमाण्डर करण सक्सेना के शरीर में अब कुछ कमजोरी भी आने लगी थी ।
पूरा दिन उसे योद्धाओं को तलाशते-तलाशते हो गया कि वह हैडक्वार्टर से फरार होने के बाद जंगल में किस जगह जाकर छिपे हैं ।
मगर योद्धाओं का उसे कहीं कुछ पता न चला ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने वहीं बैठे-बैठे जंगल का पूरा नक्शा खोलकर अपने सामने फैला लिया और फिर उन छोटी-छोटी बस्तियों को तलाशने लगा, जो जंगल के बीच में बनी हुई थीं और जहाँ बर्मा के जंगली लोग रहते थे ।
“योद्धा इन्ही में से किसी एक बस्ती में होने चाहियें ।” कमाण्डर होंठो-ही-होंठों में बुदबुदाया ।
उसकी आँखें नक्शे पर दौड़ती रहीं ।
जल्द ही उसे जंगल में ऐसी कोई दस बस्ती नजर आ गयीं, जहाँ जंगली लोग रहते थे ।
“दस बस्ती । इनमें अलग-अलग जाकर योद्धाओं को तलाश करना भी कोई आसान काम न होगा ।” कमाण्डर ने सोचा- “क्योंकि सारी बस्ती एक-दूसरे से काफी-काफी फासले पर बनी हुई हैं ।”
“फिर क्या किया जाये ?”
कमाण्डर के दिमाग में उलझनें बढ़ रही थीं ।
वह उन योद्धाओं को जितना जल्द-से-जल्द खत्म कर देना चाहता था, उतना ही उसके और योद्धाओं के बीच फासला बढ़ रहा था । कमाण्डर ने नक्शा फोल्ड करके वापस अपने हैवरसेक बैग में रख लिया ।
कुछ क्षण वो वहीं बैठा-बैठा अपनी आगामी योजनाओं पर विचार करता रहा और उसके बाद उसने नजदीक की ही एक बस्ती की तरफ दौड़ना शुरू किया ।
उसके पास पीने का पानी बिल्कुल खत्म हो चुका था । इसलिये दौड़ते हुए उसकी निगाहें पानी को भी तलाश रही थीं, जहाँ से वो अपनी कैनें भर सके ।
कमाण्डर दौड़ता रहा ।
दौड़ता रहा ।
दिमाग में नये-नये विचार जन्म लेते रहे ।
वो अभी थोड़ी ही दूर गया होगा कि उसे एक झरना दिखाई पड़ा, जो पहाड़ की एक ऊंची अट्टालिका से होकर नीचे गिर रहा था । उस झरने का पानी काफी स्वच्छ और निर्मल था ।
कमाण्डर फौरन उस झरने के करीब पहुँचा और उसने अपने हैवरसेक बैग में से निकालकर दो कैनें भरीं ।
फिर उसने थोड़ा पानी पिया भी ।
पानी पीते हुए कमाण्डर करण सक्सेना को मिलिट्री का एक नियम याद आया । अगर रणभूमि में कोई सैनिक अपनी लापरवाही से पानी की बोतल नहीं भरता है, तो वह चाहे कितना ही अच्छा सैनिक क्यों न हो, उसे कोर्ट मार्शल करके मिलट्री से निकाल दिया जाता है । उसके बारे में कहा जाता है, जो सोल्जर अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत का ध्यान नहीं रख सकता, वह अपने देश का ध्यान क्या रखेगा ।
बात वाकई ठीक थी ।
पानी जिदंगी की सबसे बड़ी जरूरत थी ।
पानी पीने के बाद कमाण्डर ने अपना आगे का सफर दोबारा शुरू किया ।
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05-16-2020, 02:24 PM,
#65
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
पांच दिन और गुजर गये ।
वह पांच दिन कमाण्डर के ऊपर हद से ज्यादा भारी गुज़रे ।
तीसरे दिन ही उसकी खाद्य सामग्री पूरी तरह समाप्त हो चुकी थी । सूखे मेवे से लेकर मिल्क पाउडर तक उसके पास कुछ नहीं बचा । आगामी दो दिन उसने सिर्फ एक खरगोश को खाकर गुजारे, जिसे उसने जंगल में से पकड़ लिया था और सूखी लकड़ियों पर उसका मांस भूनकर खाया ।
उस मासूम जानवर को मारते हुए उसके हाथ कांपे ।
मगर मजबूरी थी । इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता न था ।
इन पांच दिनों में वो बहुत चोरी छिपे जंगल की चार बस्तियों को भी देख चुका था, परंतु असाल्ट ग्रुप के योद्धा उसे वहाँ कहीं नजर न आये ।
उधर !
वह योद्धा जिस बस्ती में ठहरे हुए थे, पांच दिन वहाँ भी बड़ी सनसनीखेज स्थिति में गुजरे ।
जबसे ग्रेंडी गायब हुई थी, तबसे जंगलियों का सरदार तो लगभग बिल्कुल ही पागल हो गया था ।
वह अक्सर रात को भी सोते-सोते चीखकर उठ जाता और फिर ‘ग्रेंडी’ को जोर-जोर से आवाज देता हुआ उसे ढूंढने निकल जाता । वह जंगल में दूर-दूर तक निकल जाता ।
एक बार तो वह रात के समय ग्रेंडी को ढूंढता-ढूंढता एक जंगली गुरिल्ले की मांद में ही जा घुसा, जहाँ गुरिल्ले ने उसके ऊपर हमला बोल दिया ।
उस रात सरदार बस मरने से बाल-बाल बचा ।
ग्रेन्डी के बाद उन योद्धाओं को भी भोजन की किल्लत का सामना करना पड़ा था ।
यूं तो कई जंगली औरतें उनके लिए भोजन पकाने को तैयार थीं, लेकिन उनका पकाया भोजन योद्धाओं को पसंद न था । तब हवाम ने वो जिम्मेदारी संभाली ।
हवाम !
जो एक चीनी था ।
वैसे भी चीनी भोजन पकाने में माहिर होते हैं ।
अलबत्ता उनके कपड़े वगैरा अभी भी जंगली औरतें धोती थीं ।
☐☐☐
पूरी बस्ती में रात की गहरी निस्तब्धता फैली थी ।
कोई एक बजे का समय था ।
अपने-अपने झोंपड़े में जहाँ तमाम जंगली गहरी नींद सोये हुए थे, वहीं ‘असाल्ट ग्रुप’ के सभी छः यौद्धाओं की आँखों में उस वक्त नींद नहीं थीं । वह सरदार के झोंपड़े मे सिर-से-सिर जोड़े बैठे थे ।
सरदार झोंपड़े में नहीं था ।
वह मुश्किल से आधा घण्टा पहले ही ‘ग्रेन्डी-ग्रेन्डी’ करके चीखता हुआ उठा था और फिर उसी प्रकार उसे आवाज देता हुआ झोंपड़े से बाहर निकल गया ।
“इस बेचारे सरदार के साथ सचमुच बहुत बुरा हुआ है ।” अबू निदाल थोड़ा अफसोसनाक लहजे में बोला ।
“कुछ भी बुरा नहीं हुआ ।” मास्टर झल्लाया- “सब अपनी-अपनी किस्मत की बात है ।”
“लेकिन तुम शायद भूल रहे हो ।” रोनी बोला- “कि इसकी ऐसी बुरी किस्मत खुद तुमने लिखी है । अगर तुम सरदारनी को न मारते, तो आज यह इस पागलों जैसी हालत में न पहुँचता ।”
“और यह क्यों नहीं कहते कि मैंने ऐसी चरित्रहीन औरत से पीछा छुटाकर इसका भला किया है ।”
“अब इन सब बातों को छोड़ो ।” जैक क्रेमर उन सबसे ही थोड़ी सख्त जबान में बोला- “जो हादसा घट चुका है, अब उस पर जिरह करने से कोई फायदा नहीं है । इससे हम लोगों के बीच बेमतलब तल्खाहट ही और बढ़ेगी । माइक !” फिर जैक क्रेमर ने गुमसुम से बैठे माइक की तरफ देखा- “तुम शाम के वक्त कह रहे थे कि तुम्हें कुछ जरूरी बात करनी है ।”
“यस सर !” माइक थोड़ा सचेत होता हुआ बोला- “मुझे सचमुच कुछ जरूरी बात करनी है । मगर मैं अपनी बात तो तब कहूँ, जब यह लोग पहले आपस में झगड़ना बंद करें ।”
“इन्होंने झगड़ना बंद कर दिया । तुम जो कहना चाहते हो, कहो ।”
“सर !” माइक बोला- “हम लोगों को इस बस्ती में रहते हुए आज पांच दिन गुजर चुके हैं, पांच दिन ! मैं समझता हूँ, जंगल में भटकते-भटकते कमाण्डर करण सक्सेना की फिलहाल काफी बुरी हालत हो चुकी होगी और वो समय आ गया है, जब हमें कमाण्डर के ऊपर हमला करना चाहिये । अब यहाँ ज्यादा समय गुजारने से कोई फायदा नहीं है ।”
“वाकई सर !” हवाम जो अभी तक चुप बैठा था, वह भी बोला- “हमें सचमुच अब कमाण्डर करण सक्सेना पर हमला कर देना चाहिये ।”
जैक क्रेमर ने जैसे ही कुछ कहने के लिए मुंह खोला, तभी झोपड़े में बाहर हल्की आहट की आवाज सुनकर वो चौंका ।
“य... यह कौन है ?” जैक क्रेमर फुसफुसाया ।
“लगता है, सरदार वापस आ गया है ।”
“लेकिन सरदार इतनी जल्दी वापस कैसे आ सकता है ?” जैक क्रेमर बोला ।
“मैं देखता हूँ ।”
अबू निदाल जल्दी से अपनी जगह छोड़कर खड़ा हुआ और बाहर की तरफ बढ़ा ।
पर्दे तक जाकर ही वो वापस लौट आया । उसके चेहरे पर रहस्यमयी भाव फैले हुए थे ।
“क्या हुआ ?”
“सरदार ही है ।” वो बहुत धीमी आवाज में फुसफुसाया- “फावड़ा लेकर वापस जा रहा है ।”
“हाँ ।”
सब यौद्धाओं की निगाहें एक-दूसरे से टकराई ।
“लेकिन इतनी रात को फावड़े से वो क्या करेगा ?” रोनी स्तब्ध भाव से बोला ।
“चलो !” जैक क्रेमर तुरंत अपने स्थान से खड़ा हुआ- “सब उसका पीछा करते हैं ।”
फौरन सारे योद्धा खड़े हो गये और बाहर की तरफ बढ़े ।
सरदार झोंपड़े से निकल चुका था और अब पीछे जंगल की तरफ बढ़ रहा था ।
“यह कहाँ जा रहा है सर ?”
“खामोशी से देखते रहो ।”
सरदार फावड़ा हाथ में झुलाता हुआ झोंपड़े के बिल्कुल पीछे पहुँच गया और वहाँ जाकर एक जगह खुदाई करने लगा ।
“अरे !” अबू निदाल के नेत्र दहशत से बुरी तरह फटे- “यह तो बिल्कुल उसी जगह खुदाई कर रहा है, जहाँ हमने सरदारनी की लाश को दफन किया था ।”
“हाँ ।”
सब यौद्धाओं के शरीर में झुरझुरी दौड़ी ।
“हमें इसे रोकना चाहिये ।” मास्टर ने झटके के साथ अपना ‘हंसिया’ कमर से अलग किया ।
“नहीं ।” जैक क्रेमर ने उसका हाथ वहीं पकड़ा- “अब उसे रोकने से कोई फायदा नहीं ।”
“लेकिन... ।”
“उसे शक हो चुका है । जरूर गड्ढा भरने में हमसे कोई चूक हुई है या फिर मिट्टी हमने ढंग से नहीं भरी । अगर ऐसे में हम उसे रोकेंगे, तो उसका शक और भी बढ़ेगा ।”
“फिर हम क्या करें ?”
योद्धाओं की आतंकित निगाहें पुनः एक-दूसरे से टकराई ।
“शांति से देखते रहें, वो कहाँ तक खुदाई करता है ।”
“मैं अभी आया ।” एकाएक अब निदाल व्यग्रतापूर्वक बोला ।
“तुम कहाँ जा रहे हो ।”
“बस आया ।”
अबू निदाल वापस झोंपड़े की तरफ दौड़ पड़ा ।
कोई कुछ नहीं समझ सका । वो क्या करने गया है ।
सरदार काफी जल्दी-जल्दी फावड़ा चला रहा था । हालांकि उन्होंने लाश को बहुत नीचे दफन किया था । परन्तु सरदार ने गड्ढे को वहीं तक खोद डाला और सरदारनी की बिल्कुल निर्वस्त्र लाश को उसमें से खींचकर बाहर निकाल लिया ।
सरदारनी की लाश देखते ही उसके सब्र का बांध टूट गया और वो उससे लिपटकर बहुत जोर-जोर से हिड़कियों के साथ रोने लगा ।
उसी क्षण उसने कुछ कदमों की आवाजें सुनी, जो उसके करीब आ रही थीं ।
सरदार ने रोते हुए ही अपनी गर्दन ऊपर उठाई । वह सभी छ योद्धा थे, जो उसके चारों तरफ आकर खड़े हो गये । अबू निदाल भी उनमें शामिल था । वह दरअसल झोंपड़े में-से अपनी ‘स्नाइगर राइफल’ लेने गया था ।
अबू निदाल एक पाकिस्तानी अपराधी था और बहुत खतरनाक निशानेबाज था । ज्यादातर वो अपनी ‘स्नाइपर’ राइफल से ही गोली चलाना पसंद करता था और वो आदमी की गर्दन के एक ऐसे खास प्वाइंट पर गोली मारता था कि उसकी गर्दन धड़ से कटकर हवा में ऊपर उछल जाती ।
“क्रेमर साहब ।” यौद्धाओं को देखते ही सरदार की रूलाई और भी ज्यादा फूट पड़ी- “किसी ने मेरी ग्रेन्डी को मार डाला । यह देखिए, किसी ने मेरी प्यारी ग्रेन्डी का क्या हश्र किया है ।”
सरदार जोर-जोर से हिड़कियों के साथ रो रहा था ।
उसकी रूलाई की आवाजें तेज होने लगी ।
मगर यौद्धा चुप थे ।
खामोश !
“अ... आप लोग कुछ बोलते क्यों नहीं ?” सरदार ने एकाएक शक भरी निगाहों से उन सबकी तरफ देखा- “अ... आप खामोश क्यों हैं ?”
फिर चुप्पी ।
“ल...लगता है ।” सरदार ने अब लाश को अपनी गोद में-से नीचे रख दिया- “लगता है, मेरी ग्रेन्डी का यह हश्र आपमें से ही किसी यौद्धा ने किया है ।”
“हाँ, सरदार !” जैक क्रेमर दो कदम आगे बढ़ा- “मुझे अफसोस है कि यह सब हमारी वजह से हुआ है ।”
“साले हरामजादे ।”
सरदार एकदम झटके के साथ खड़ा हो गया और फावड़ा लेकर बड़े खूनी अंदाज में जैक क्रेमर की तरफ झपटा ।
मगर वो जैक क्रेमर के करीब भी पहुँच पाता, उससे पहले ही अबू निदाल ने अपनी ‘स्नाइपर’ राइफल उसकी तरफ तान दी और ट्रेगर दबा दिया ।
सरदार की करूणादायी चीख निकल गयी ।
स्नाइपर राइफल की गोली उसकी गर्दन के ठीक ‘खास प्वाइंट’ पर जाकर लगी ।
गोली लगी और फिर गर्दन में अंदर-ही-अंदर घूमती चली गयी ।
आश्चर्य !
सरदार की गर्दन सचमुच धड़ से अलग होकर हवा में उछलती हुई नजर आयी, फिर वो गड्ढे के पास जाकर गिरी ।
फिर उसका धड़ भी गिरा ।
“किस्सा खत्म !” जैक क्रेमर ने गहरी सांस छोड़ी- “यह बेचारा भी पिछले पांच दिन से बहुत परेशान था । अब इसे भी सकुन मिल जायेगा ।”
“अब तो आप समझ ही गये होंगे ।” अबू निदाल अपनी ‘स्नाइपर’ राइफल नीचे करता हुआ बोला- “कि मैं झोंपड़े में क्या करने गया था ।”
“समझ गये ।”
सब प्रशंसनीय निगाहों से अबू निदाल की तरफ देखने लगे ।
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05-16-2020, 02:24 PM,
#66
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
दिन निकल आया था ।
बस्ती की वो सुबह बड़ी दुःख से भरी हुई थी ।
सारे जंगली बस्ती में एक ही जगह जमा थे और उनके बीच सरदार का गर्दन कटा शव रखा था । उस समय तमाम जंगलियों की आँखों में आंसू थे ।
उनमें ऐसा कोई जंगली न था, जो न रो रहा हो ।
“मुझे बड़ा अफसोस है ।” जैक क्रेमर उन सबके बीच खड़ा ‘बर्मी’ जबान में बोल रहा था- “कि रात कमाण्डर करण सक्सेना ने यह सब किया । हमें मालूम ही न हुआ, वो शैतान कब बस्ती के अंदर घुस आया और सरदार को मारकर भाग खड़ा हुआ ।”
“अगर हमें उसके आने की जरा भी भनक मिल जाती ।” रोनी आक्रोश में भैंसे की तरह डकराया- “तो यकीन मानों, रात ही हमने उस हरामजादे की यहाँ लाश बिछा देनी थी ।”
जंगली रोते रहे ।
कुछ नौजवान तो लाश से लिपटकर दहाड़े मार-मारकर रो रहे थे ।
वो सचमुच अपने सरदार से बेइंतहा प्यार करते थे ।
“बल्कि मुझे तो एक बात का और भी शक है ।” अबू निदाल बोला- “हो सकता है, सरदारनी को भी उसी शैतान ने गायब किया हो ।”
“हाँ, यह भी संभव है ।”
“हम उस शैतान को मार डालेंगे ।” जंगली चीख उठे- “हम उसे नहीं छोड़ेंगे ।”
“हाँ-हाँ । हम उससे अपने सरदार की मौत का बदला लेंगे । उससे अपनी सरदारनी को छुड़ायेंगे ।”
वह सब भड़क उठे ।
जैक क्रेमर ने उन्हें बड़ी मुश्किल से शांत किया । उसके बाद बड़े ही संजीदा माहौल में सरदार के अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हुईं ।
जब सरदार का अंतिम संस्कार किया गया, तब वह सारे जंगली पुनः बहुत भावुक हो उठे ।
पुनः फूट-फूटकर रोने लगे ।
☐☐☐
“मेरा ख्याल है, अब हमें और ज्यादा वक्त इस बस्ती के अंदर नहीं ठहरना चाहिये ।” जैक क्रेमर अपने सफेद बालों को पीछे झटककर काफी धीमे स्वर में बोला- “अब कमाण्डर करण सक्सेना के ऊपर हमला करने का वक्त आ चुका है ।”
वह सारे यौद्धा उस वक्त झोंपड़े में जमा थे ।
“एक बात मैं भी कहना चाहूँगा ।” रोनी बोला ।
“क्या ?”
“इस मर्तबा हम सब लोग एक साथ मिलकर कमाण्डर करण सक्सेना पर हमला करेंगे । इससे पहले दो-दो या तीन-तीन योद्धाओं के ग्रुप में हमला करने की जो गलती हम कर चुके हैं, वह गलती अब दोहराई नहीं जायेगी । इससे खामखाह ताकत कम हो जाती है ।”
“बिल्कुल ठीक कहा ।” जैक क्रेमर भी बोला- “इस मर्तबा हमें एक साथ ही मिलकर हमला करना होगा, बिल्कुल बंद मुट्ठी की तरह ! हम सभी छः यौद्धा एक साथ रणक्षेत्र में उतरेंगे ।”
“छः नहीं ।” मास्टर बोला- “पांच ।”
“पांच ।”
“यस सर ! फिलहाल आपका हमारे साथ जाना ठीक नहीं होगा ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि अगर मान लो, हम सभी छः यौद्धाओं ने एक साथ हमला किया और इत्तेफाक से हम सभी मारे गये, तो बर्मा पर कब्जा करने और यहाँ की बहुमूल्य खदानों को लूटने का जो सपना हमने देखा है, वह उसी क्षण धूल में मिल जायेगा । परन्तु अगर हममें से एक यौद्धा भी जिन्दा रहा, तो वह दोबारा से ताकत इकटठी करके इस सपने को साकार करेगा और वह हम सब मृत यौद्धाओं के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।”
सारे यौद्धाओं ने सकपकाकर एक-दूसरे की तरफ देखा ।
मास्टर ने हालांकि बहुत ज्यादा कड़वी बात कही थी, लेकिन सच कही थी ।
“मास्टर ठीक कह रहा है ।” अबू निदाल भी संजीदगी के साथ बोला- “हम पांचों को ही कमाण्डर पर हमला करना चाहिये ।”
“आपका इस संबंध में क्या कहना है सर ?” हवाम ने जैक क्रेमर की तरफ देखा ।
“मुझे कुछ नहीं कहना । इस सम्बन्ध में तुम लोग ही जो फैसला करोगे, वह मुझे मंजूर होगा ।”
“तो फिर हमारा वही फैसला है सर, जो मास्टर ने कहा ।” हवाम बोला ।
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05-16-2020, 02:31 PM,
#67
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
वह कैक्टस की बेहद घनी और कंटीली झाड़ियां थीं, जिनके पास कमाण्डर मूर्छित अवस्था में पड़ा था ।
पिछले अट्ठारह घण्टों से उसने कुछ नहीं खाया था ।
पैरों में अब इतनी जान नही बची थी, जो वह जंगल में पहले की तरह ही ‘चीता चाल’ से दौड़ता रह सके । वह पिछली कई रातों का जागा हुआ था, आँखों में नींद भरी थी ।
कंटीली झाड़ियों के पास पड़े-पड़े कमाण्डर को ऐसा लगा, जैसे उसके ऊपर बेहोशी छाती जा रही है ।
तभी उसने घर्र-घर्र की आवाज सुनी ।
कमाण्डर चौंका ।
उसने कमजोरी के कारण बंद होती जा रही अपनी आँखों को जबरदस्ती खोला और ऊपर आकाश की तरफ देखा ।
अगले ही पल उसके शरीर में तीव्र सनसनाहट दौड़ गयी ।
आकाश में नीले रंग का वही हैलीकॉप्टर मंडरा रहा था, जिसमें बैठकर ‘असाल्ट ग्रुप’ के यौद्धा हैडक्वार्टर से भागे थे ।
“लगता है, वह लोग लौट आये हैं ।”
कमाण्डर ने जबरदस्ती अपने शरीर को कैक्टस की उन घनी झाड़ियों के बीच धकेल दिया, ताकि एकाएक किसी की निगाह भी उस पर न पड़ सके ।
रिवॉल्वर उसने निकाल ली ।
वह एक बार फिर काफी चौंकन्ना दिखाई पड़ने लगा ।
हैलीकॉप्टर देर तक घर्र-घर्र करता हुआ जंगल के ऊपर आकाश में मंडराता रहा और फिर कमाण्डर से थोड़ा ही फासले पर एक खुले मैदान में उतर गया ।
कमाण्डर गौर से हैलीकॉप्टर को देखने लगा ।
उसके देखते ही देखते हैलीकॉप्टर में से एक-एक करके पांच योद्धा नीचे उतरे । कमाण्डर ने उन सभी योद्धाओं को साफ-साफ पहचाना, आखिर उन यौद्धाओं की फाइलें भी वो कई-कई मर्तबा पढ़ चुका था ।
मास्टर !
हवाम !
अबू निदान ।
माइक ।
रोनी ।
सब अपने अलग-अलग फन के महारथी थे । सबके नाम पुलिस फाइल में ढेरों अपराध दर्ज थे ।
हैलीकॉप्टर से उतरते ही वह सब पांचों गोल दायरा बनाकर खड़े हो गये ।
“हमने ‘शैडो वारफेयर’ (छाया युद्ध) की पोजिशन में चलते हुए उसे ढूंढना है ।” अबू निदाल अपने साथियों से बेहद गरमजोशी पूर्वक कह रहा था- “हम पांचों अपना ‘मृत्यु का कटोरा’ बनाकर आगे बढ़ेंगे । याद रहे, वह अगर जंगल में यहीं-कहीं आसपास मौजूद है, तो आज बचना नहीं चाहिये ।”
“ऐसा ही होगा ।”
बाकी योद्धाओं की आवाज भी बड़ी गरमजोशी से भरी हुई थी ।
उस वक्त वो कमाण्डर को खत्म कर डालने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ नजर आ रहे थे ।
“इस हैलीकॉप्टर का क्या करें ?” माइक बोला ।
“जहाँ तक मेरा ख़्याल है ।” हवाम ने कहा- “हमें हैलीकॉप्टर के इंजन में से ‘फ्यूज प्लग’ निकालकर अपने पास रख लेना चाहिये ।”
“फ्यूज प्लग !” सबकी आँखों में हैरानी के भाव तैरे- “वह क्यों ?”
“ताकि अगर हमारे जाने के बाद कमाण्डर यहाँ आ जाये, तो वह इस हैलीकॉप्टर को लेकर फरार न हो सके ।”
“परन्तु इस काम के लिए ‘फ्यूज प्लग’ निकालने की क्या जरूरत है ।” रोनी बोला- “इसके लिए तो हैलीकॉप्टर का इग्नीशन लॉक लगा देना ही काफी रहेगा ।”
“नहीं, इग्नीशन लॉक लगा देना ही काफी नहीं हैं । तुम कमाण्डर करण सक्सेना को नहीं जानते, किसी भी लॉक को खोल डालना उसके बायें हाथ का खेल है ।”
“ठीक है ।” माइक बोला- “तो फिर मैं इंजन में से ‘फ्यूज प्लग’ निकालता हूँ ।”
फिर माइक हैलीकॉप्टर के इंजन पर चढ़ गया ।
उसने उसका ढक्कन खोला और पीठ के बल झुककर ‘फ्यूज प्लग’ खोलने लगा ।
उधर नीचे खड़ा हवास अब दूरबीन से जंगल का दूर-दूर तक का नजारा कर रहा था ।
हवाम अपने पास हमेशा दो ‘लिजर्ड’ रिवॉल्वर रखता था ।
लिजर्ड !
यह रिवॉल्वर का सबसे लेटेस्ट वर्ज़न है और दुनिया की बेहतरीन रिवॉल्वरों में उसकी गणना होती है । लिजर्ड रिवॉल्वर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि उसकी नाल में से एक लेजर बीम निकलती है, जो लाल रंग का घेरा होता है और जिसे ‘मौत का लाल घेरा’ भी कहते हैं ।
साधारण गैंगस्टर जहाँ सही निशाना लगाने के लिए अपनी ‘रिवॉल्वर’ के ऊपर लेजर टॉर्च लगा लेते हैं । लेजर टॉर्च की रोशनी जिस जगह पर जाकर पड़ेगी, गोली उसके ठीक नीचे लगेगी । परन्तु लिजर्ड रिवॉल्वर की खासियत ये थी कि लेजर बीम का ‘लाल घेरा’ उसकी नाल के अंदर से ही निकलता था और लाल घेरा इंसानी शरीर पर जिस जगह पर जाकर पड़ता, फौरन वहीं धांय से गोली लगती । निशाना चूकने का मतलब ही कोई नहीं था ।
इसके अलावा लिजर्ड रिवॉल्वर की एक खासियत और थी, उसकी गोलियां विशेष तरह से डिजाइन की गयी थीं ।
उन गोलियों की वेलोसिटी इतनी ज्यादा थी कि वह लोहे की पूरी आर्मर प्लेट को फाड़ती चली जायें । इसके अलावा उस रिवॉल्वर में मौजूद कुछ गोलियां बम का काम भी करती थीं, जो पहले इंसान के शरीर पर जाकर चिपक जातीं तथा फिर लिजर्ड रिवॉल्वर पर ही लगा एक बटन दबाने पर किसी बम की तरह फटतीं । हवाम ने अपनी उन्हीं दो लिजर्ड रिवॉल्वरों की बदौलत चीन में बहुत धन कूटा था । उसने मोटी-मोटी सुपारियां लेकर दर्जनों आदमियों को जहन्नुम पहुँचाया ।
आज स्थिति ये थी कि चीन के पुलिस रिकॉर्ड उसके नाम से रंगे हुए थे ।
हवाम काफी देर तक दूरबीन से जंगल का नजारा करता रहा ।
“क्या अभी तक ‘फ्यूज प्लग’ नहीं मिला ?” रोनी ने पूछा ।
“नहीं, मिल गया है ।” माइक ने हैलीकॉप्टर के इंजन पर चढ़े-चढ़े फ्यूज प्लग निकालकर रोनी को दिखाया और फिर इंजन का ढक्कन वापस बंद किया ।
फिर वो नीचे कूदा ।
“अब कमाण्डर को ढूंढने का काम शुरू किया जाये ।”
“बिल्कुल ।”
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05-16-2020, 02:32 PM,
#68
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
पांचों खतरनाक यौद्धा तुरंत हरकत में आ गये ।
वह ‘शेडो वारफेयर’ की एक बेहद खास पोजीशन में जंगल के अंदर फैल चुके थे और बड़े योजनाबद्ध अंदाज में अब कमाण्डर करण सक्सेना को तलाश कर रहे थे ।
माइक के हाथ में उस समय एक ‘बजूका’ थी ।
बजूका, जो एण्टी टैंक गन होती है और जिसकी नाल में से कोई तीन इंच मोटा गोला निकलता है ।
माइक इंग्लैंड का एक खतरनाक आतंकवादी था और कभी वहाँ बड़े-बड़े आतंकवादी ग्रुपों के लिए भाड़े पर काम करता था । उसने अपनी उसी ‘बजूका’ से इंसानों की हत्या करने से लेकर ट्रेन, बस और धार्मिक स्थल तबाह करने जैसे सारे काम किये थे ।
उस समय अबू निदाल और माइक दोनों साथ-साथ जंगल में कमाण्डर करण सक्सेना को ढूंढ रहे थे ।
अबू निदाल आगे था ।
माइक थोड़ा पीछे ।
“अगर आज कमाण्डर करण सक्सेना मेरे हाथ लग जाये ।” अबू निदाल गुर्राकर बोला- “तो मैंने अपनी स्नाइपर राइफल से उस हरामजादे की गर्दन काट डालनी है ।”
“कमाण्डर कोई जंगलियों का सरदार नहीं है अबू निदाल ।” माइक मुस्कराकर बोला- “जिसे तुम अपनी एक ही गोली से मार डालोगे ।”
“वह एक ही गोली से मरेगा ।” अबू निदाल बोला- “बस मेरे हत्थे चढ़ जाये ।”
“शायद इसीलिए वो तुम्हारे हत्थे चढ़ने वाला भी नहीं है ।”
वह दोनों योद्धा जंगल को अच्छी तरह छानते हुए आगे बढ़ रहे थे ।
पेड़-पौधे और घनी झाड़ियां, हर चीज को वह रूक-रूककर देखते ।
तभी उन दोनों ने अपनी बायीं तरफ की घनी झाड़ियों में कुछ सरसराहट की आवाज सुनी ।
“लगता है, उस तरफ की झाड़ियों में कोई है ।” माइक एकाएक थमककर बोला ।
यही वो क्षण था, जब झाड़ियों में एक जंगली सुअर ने बड़े खतरनाक ढंग से अबू निदाल के ऊपर छलांग लगायी ।
चीख पड़ा अबू निदाल !
जंगली सुअर बड़ा लम्बा-चौड़ा और ताकतवर था ।
छलांग लगाते ही वो अबू निदाल को लेकर नीचे गिरा ।
अबू निदाल ने झटके के साथ अपनी स्नाइपर राइफल का लाठी की तरह इस्तेमाल करना चाहा, तो जंगली सुअर ने जोर से अपनी एक टांग अबू निदाल के मुंह पर जड़ी और उसके उसी हाथ पर बुक्का मारा, जिसमें उसने स्नाइगर राइफल पकड़ी हुई थी ।
दांत गड़ गये ।
अबू निदाल बहुत पीड़ादायक ढंग से चिल्लाया ।
माइक, जो बड़े दहशतनाक नेत्रों से उस दृश्य को देख रहा था, उसने फौरन अपनी बजूका तानी और लीवर दबा दिया ।
भड़ाम !
गोला चलने की ऐसी भीषण आवाज हुई, जैसे वह गोला बजूका की बजाय सीधे किसी बड़ी तोप से ही छोड़ा गया हो ।
जंगली सुअर चिल्ला तक न सका ।
गोला सीधे उसके पेट में जाकर घुसा और आगे से जंगली सुअर के मुंह को फाड़ता हुआ बाहर निकल गया ।
उसके मांस के लोथड़े इधर-उधर बिखर गये ।
खून के छींटे उड़े ।
बजूका चलने की आवाज सुनकर बाकी तीनों तुरंत भागे-भागे वहाँ आये ।
जंगली सुअर की क्षत-विक्षप्त लाश देखकर उनकी आँखों में और खौफ के भाव तेरे ।
“यह सब क्या हुआ ?”
“कुछ नहीं ।” माइक ने अपनी बजूका की नाल नीचे झुकाई- “जंगली सुअर ने एकाएक अबू निदाल पर हमला कर दिया था, मजबूरी में मुझे बजूका का इस्तेमाल करना पड़ा ।”
“ओह !”
“यह ठीक नहीं हुआ ।” रोनी विचलित मुद्रा में बोला- “गोला चलने की आवाज जंगल में दूर-दूर तक गूंजी होगी, इससे कमाण्डर करण सक्सेना सावधान हो जायेगा ।”
“लेकिन अगर मैं बजूका न चलाता, तो उस जंगली सुअर ने अबू निदाल को मार डालना था ।”
सब यौद्धा खामोश रहे । मगर सभी को इस बात का अहसास था कि यह ठीक नहीं हुआ है ।
अबू निदाल की उस दायीं कलाई में से खून अभी भी बड़ी मात्रा में निकल रहा था, जहाँ जंगली सुअर ने बुक्का मारा था ।
उसकी कमीज की आस्तीन वगैरा सब फट गयी थीं ।
रोनी ने फौरन अपनी जेब से फर्स्ट एड का सामान निकाला । उसने एक स्प्रे अबू निदाल के जख्म पर छिड़क दिया, जिससे उसका खून बहना तो फौरन ही रूक गया ।
उसके बाद रोनी ने दवाई लगाकर उसके जख्म पर पट्टी वगैरा भी बांध दी ।
“अब कैसा महसूस कर रहे हो ?”
“ठीक ही महसूस कर रहा हूँ ।” अबू निदाल उठकर खड़ा हुआ ।
अलबत्ता जंगली सुअर ने जितने खतरनाक ढंग से उसके ऊपर हमला किया था, उसकी दहशत अभी भी उसके ऊपर हावी थी ।
“हमें अब बड़ी सावधानी के साथ आगे बढ़ना है ।” मास्टर बोला- “क्योंकि जंगल में जानवरों के साथ-साथ कमाण्डर करण सक्सेना का भी हमला अब हमारे ऊपर हो सकता है । जिसमें किसी की जान भी जा सकती है ।”
“अगर बजूका का निशाना सही न लगता ।” अबू निदाल बोला- “तो मेरी जान तो अभी चली जाती । मैं तो अभी जन्नतनशीन हो जाता ।”
“जन्नतनशीन !” मास्टर हंसा- “या फिर दोज़ख़नशीन !”
अबू निदाल ने बड़ी भस्म कर देने वाली निगााहों से अब मास्टर को घूरा ।
सब धीरे-धीरे मुस्करा दिये ।
उसके बाद वह पांचों यौद्धा शेडो वारफेयर की एक दूसरी पोजिशन के अंदर आगे बढ़े ।
जंगल में वह पांचो जिधर-जिधर से भी गुजर रहे थे, यह बात निश्चित थी कि कम से कम वहाँ उनका दुश्मन मौजूद नहीं था ।
अगर होता, तो वह उन्हें दिखाई जरूर पड़ता ।
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05-16-2020, 02:32 PM,
#69
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
पांचों योद्धाओं के बीच अब काफी फासला था । वह बाकायदा ‘मृत्यु का कटोरा’ बनाकर चल रहे थे ।
रोनी उनमें सबसे आगे था ।
रोनी !
वह बर्मा का ही नागरिक था और कभी वो समुद्री लुटेरा हुआ करता था । वह हिंद महासागर और अरब महासागर में आते-जाते मालवाहक जहाजों को लूटता । तब बाकायदा उसका पूरा गिरोह था ।
रोनी हमेशा अपने पास 9 एम0एम0 की पिस्टल रखता था, जो उसकी पसंदीदा पिस्टल थी ।
9 एम0एम0 की पिस्टल की कुछ विशेषतायें भी होती हैं, जैसे उसके अंदर मैगजीन फिट करो और बस चलाने लगो । उसे हर गोली चलाने के बाद पीछे स्पूक करने की जरूरत नहीं होती । इसके अलावा वो पिस्टल मेंटेनेंस फ्री होती है । पानी के अंदर चल सकती हैं, ऑयलिंग की भी जरूरत नहीं ।
उस रिवॉल्वर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि रोनी उसके अंदर ‘साइनाइट’ (सबसे घातक जहर) की बुलेट चलाता था । वह बुलेट अगर किसी आदमी के शरीर को खरोंच भी देती हुई गुजर जाये, वह तब भी मर जायेगा ।
उस वक़्त भी 9 एम0एम की वही पिस्टल रोनी के हाथ में थी ।
रोनी अकेला आगे बढ़ा जा रहा था ।
उसके पीछे दूर-दूर तक कोई योद्धा नहीं था ।
तभी एकाएक रोनी की चीख निकल गयी और वो लड़खड़ाकर धड़ाम से नीचे गिरा ।
उसने अपने पैरों की तरफ देखा ।
“माई गॉड ।”
रोनी के शरीर का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।
उसके पैरों में कोई तीन फुट लंबा काला चितकबरा सांप लिपटा हुआ था । वह न जाने किस वक्त उसके पैरों से आकर लिपट गया था और अब उसने वहाँ कई ‘बंद’ भी लगा दिये थे ।
“तुझे तो अभी यमलोक पहुँचाता हूँ ।”
रोनी ने फौरन अपनी 9 एम0एम0 की पिस्टल का ट्रेगर दबाया ।
तुरंत गोली सांप के उस ‘बल’ पर जाकर लगी, जहाँ उसने कई सारे अलबेट डाले हुए थे । सांप के चीथड़े बिखर गये ।
“क्या हुआ, क्या हुआ ?”
फौरन सब यौद्धा भागे-भागे वहाँ आये ।
“कुछ नही हुआ है ।” रोनी सांप के टुकड़ों को अपने जूतों से एक तरफ धकेलते हुए बोला- “एकाएक सांप मेरे पैरो में आकर लिपट गया था, उसी को मारने के लिए गोली चलानी पड़ी ।”
“तौबा !” अब निदाल हाँफते हुए बोला- “मैं तो यह समझ बैठा था कि कमाण्डर करण सक्सेना ने तुम्हारे ऊपर हमला कर दिया है ।”
“तुम्हें तो ख्वाब में भी बिल्ली की तरह छिछड़े ही नजर आते हैं अबू निदाल भाई ।” रोनी हंसकर बोला ।
“तुम शायद यह नहीं जानते ।” अबू निदाल बोला- “कि कभी-कभी छिछड़े सच भी हो जाते हैं ।”
“यह तो है ।”
“चलो, सब वापस अपनी-अपनी जगह पहुंचो ।” मास्टर हंसिये को हाथ में पकड़े हुए बोला- “बार-बार इस तरह के हंगामे होने ठीक नहीं है ।”
सब वापस अपनी-अपनी जगह जाने के लिए मुड़े ।
“रुको-रुको ।” एकाएक रोनी फुसफुसा उठा ।
उसकी आवाज एकाएक बहुत रहस्यमयी हो उठी और वो दूर पहाड़ों के एक बहुत बड़े समूह की तरफ ध्यान से देखने लगा ।
पहाड़ों का वह समूह ‘मंकी हिल’ के नाम से विख्यात था ।
वहाँ अफ्रीकन गुरिल्लों के झुण्ड के झुण्ड रहते थे ।
“क्या हुआ ?”
“शी इ इ !”
रोनी ने अपने होंठों पर उंगली रखकर सबको खामोश रहने का इशारा किया ।
सब यौद्धाओं के चेहरे पर अब सस्पैंस के भाव मंडराने लगे ।
कोई कुछ नहीं समझ पा रहा था कि क्या चक्कर है ।
“आखिर बात क्या है?” माइक कुछ झुंझलाकर बोला ।
“क्या तुम लोग महसूस कर रहे हो ।” रोनी की आवाज बेहद धीमी थी- “कि सामने ‘मंकी हिल’ पर एकाएक बड़ा खौफनाक सा सन्नाटा छा गया है । जबकि उस हिल पर से हमेशा अफ्रीकन गुरिल्लों के जोर-जोर से छाती पीटने और चक-चक की आवाजें आती रहती हैं ।”
सब यौद्धाओं की निगाहें अब ‘मंकी हिल’ की तरफ उठ गयीं ।
वह भी बहुत ध्यानपूर्वक आवाजें सुनने का प्रयास करने लगे ।
“बात तो ठीक है ।” हवाम भी स्तब्ध मुद्रा में बोला- “वाकई इतना गहरा सन्नाटा तो कभी भी ‘मंकी हिल’ पर नहीं होता ।”
“लेकिन इस बात से तुम साबित क्या करना चाहते हो ?” मास्टर बोला ।
“तुम शायद जंगल की एक खासियत नहीं जानते ब्रदर !” रोनी की आवाज अभी भी सस्पेंस में डूबी हुई थी- “जब जंगल के पशु-पक्षियों को इस बात का अहसास होता है कि उनका कोई दुश्मन आसपास मौजूद है, तो वह आवाज निकालना बंद कर देते हैं । वहाँ बिल्कुल खामोशी छा जाती है और इस समय ऐसी ही रहस्यमयी खामोशी ‘मंकी हिल’ पर व्याप्त है ।”
“इ... इसका मतलब !” अबू निदाल हकबकाया- “कमाण्डर करण सक्सेना इस वक्त ‘मंकी हिल’ पर मौजूद है ।”
“ऐसा ही मालूम होता है और वो अभी-अभी वहाँ पहुँचा है । क्योंकि ‘मंकी हिल’ पर यह सन्नाटा बस एकदम से छाया है, थोड़ी देर पहले वहाँ से आती हुई चक-चक की आवाजें तो मैंने खुद अपने कानों से सुनी थीं ।”
योद्धाओं की संदेह में डूबी हुई आँखें एक-दूसरे से मिलीं ।
“चलो ।” हवाम एकाएक बोला- “सब मंकी हिल की तरफ चलो । अगर कमाण्डर वहाँ मौजूद है, तो समय गंवाने से कोई फायदा नहीं ।”
सारे योद्धा पहले जैसी ही अलग-अलग पोजिशन में मंकी हिल की तरफ बढ़े ।
अब वो हद से ज्यादा चौंकन्ने थे ।
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05-16-2020, 02:32 PM,
#70
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर इस समय वाकई ‘मंकी हिल’ पर था ।
उन योद्धाओं से छिपता-छिपाता वह बस थोड़ी देर पहले ही वहाँ पहुँचा था । लेकिन ‘मंकी हिल’ पर पहुँचने के बाद जैसे ही वहाँ गहरी खामोशी तारी हुई, कमाण्डर करण सक्सेना को फौरन इस बात का अहसास हो गया कि वहाँ आकर उससे भयंकर गलती हुई है ।
‘मंकी हिल’ पर काफी ऊंचे-ऊंचे झंझाड़ उगे हुए थे ।
पेड़ थे ।
इसके अलावा पथरीली चट्टानों के अदंर बड़े-बड़े बरूएं बने हुए थे, जिनमें अफ्रीकन गुरिल्ले छिपते हैं । कमाण्डर करण सक्सेना को चूंकि ‘मंकी हिल’ तक पहुँचने के लिए कई छोटी-छोटी चट्टानों पर चढ़ना पड़ा था, इसलिए एक बार फिर उसकी हिम्मत जवाब दे गयी थी और पहले की तरह ही उसके ऊपर धीरे-धीरे बेहोशी छाने लगी ।
कमाण्डर ने जोर से अपने सिर को झटका ।
वो जानता था, उस क्षण बेहोश होना खुद अपनी मौत को दावत देना है ।
लेकिन उसकी हालत बुरी थी ।
बहुत बुरी !
अपने आपको बेहोश होने से बचाने के लिए उसने फौरन कोई सख्त कदम उठाना था ।
और !
कमाण्डर करण सक्सेना ने कदम उठाया ।
उसने स्प्रिंग ब्लेड निकालकर उसका लम्बा फल सख्ती के साथ अपने कंधे की मांस पेशियों में घुसा दिया । फल उसकी मांस-पेशियों को अंदर तक काटता चला गया और उसके चेहरे पर बेइंतहा पीड़ादायक भाव उभरे । कमाण्डर ने जख्म में से स्प्रिंग ब्लेड बाहर खींचा, तो उसमें से खून बहने लगा और तेज टीसें उठने लगीं । अब जख्म मे से उठती तेज टीसों ने उसके ऊपर बेहोशी तारी होने से रोके रखनी थी ।
वहीं मंकी हिल की झाड़ियों में उसे कुछ छोटी-मोटी पीली फलियां लगी नजर आयीं ।
वह न जाने किस तरह की फलियां थीं ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने एक फली तोड़ी और उसे खाकर देखा । वो काफी कड़वी थी । परंतु कमाण्डर ने परवाह न की । वो एक के बाद एक काफी सारी फली तोड़कर खा गया । इससे उसके पेट को काफी सकून पहुँचा । फिलहाल एक ही बात उसके दिमाग में थी, किसी भी तरह उसने अपने आपको जिंदा रखना है और चाक-चौबंद रहना है ।
चाहे इसके लिए उसे कुछ भी क्यों न करना पड़े ।
तभी उसे दो योद्धा ‘मंकी हिल’ पर आते दिखाई पड़े ।
हवाम !
अबू निदाल !
वहीं एक छोटा सा गड्ढा बना हुआ था । कमाण्डर ने तुरंत अपनी दोनों टांगे उस गड्ढे के अंदर घुसा दीं और कैमोफ्लाज किट खोलकर अपने ऊपर डाल ली ।
फिर वह उन पांचों योद्धाओं की टाइमिंग केलकुलेट करने लगा । दो योद्धा ‘मंकी हिल’ पर पहुँच चुके थे । एक उनसे अभी बहुत पीछे था तथा दो और भी ज्यादा पीछे । पांच योद्धाओं के बीच फिलहाल काफी फासला था । कोई आधा घंटे बाद पीछे चल रहे दो योद्धाओं ने सबसे आगे आ जाना था । फिर दो यौद्धा उनसे पीछे हो जाते और एक सबसे पीछे । फिर एक आगे जाता ।
वह ‘शैडो वारफेयर’ की खास पोजिशन थी, जिसमें दुश्मन को यही मालूम नहीं चल पाता था कि कुल कितने यौद्धा मृत्यु का कटोरा बनाकर उसकी तरफ बढ़ रहे हैं । कमाण्डर करण सक्सेना ने चूंकि उन्हें हैलीकॉप्टर से उतरते देख लिया था, इसीलिये जानता था कि उनकी कुल संख्या पांच है ।
उसी क्षण हवास और अबू निदान उसकी कैमोफ्लाज किट के करीब से गुजरे ।
कमाण्डर ने अपनी सांस तक रोक ली ।
दोनों योद्धा निर्विधन उसके करीब से गुजर गये ।
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