kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
08-17-2018, 02:50 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
फिर मेरी सेक्सी बीबी ने सुबह ही वादा किया था कि, मैं उसे चाहे जितनी बार लू, जैसे लू,

जिधर से लू"

ये कहते हुए उन्होने मेरी क्लिट अपने अंगूठे से कस के दबा दी. मन तो मेरा भी थोड़ा थोड़ा करने लगा था लेकिन अपने मूह से कैसे कबुल करती. उनके खुले सूपदे पे अंगूठे से छेड़ते हुए बोली,

"कितना लालची है ये. अभी अभी तो किया है कितनी बार "

"अरे तुमसे पूछ कौन रहा है" ये बोल के उन्होने मुझे अपनी बाहों मे उठा लिया और पलंग पे पेट के बल इस तरह पटक दिया कि कमर के उपर की मेरी देह पलंग पे और बाकी नीचे. मेरे नितंब उठे हुए. उन्होने कुशन ले के मेरे पेट के नीचे इस तरह लगाया कि मेरे चूतड़ और उठ गये. अब बस मेरे पंजे मुश्किल से ज़मीन छू रहे थे.

उन्होने ढेर सारा थूक अपने हाथ पे लिया और पहले तो उसे अपने सूपदे पे लगाया और फिर बाकी लंड पे. और फिर दुबारा थूक ले के थोडा सा मेरी चूत के मुहाने पे, और फिर खूब कस के मेरी पुट्तियो को फैला के सूपड़ा उसमें फँसा दिया. मेने खुद अपनी जांघे पूरी तरह फैला दी. चूतादो को पकड़ के उन्होने खूब ज़ोर से ठूंस दिया. इतने ज़ोर का धक्का था कि मैं अंदर तक काँप गयी. मेने पलंग पे पड़े तकियो को कस के पकड़ लिया. बिना रुके दुबारा तिबारा और उसके बाद थेलते हुए पूरा अंदर तक चूत के अंदर बुरी तरह रगड़ते हुए उसे कस के फैलाते, फड़ते मैं सोच रही थी कि बस वो एक मिनट एक मिनेट रुक जाए. लेकिन इस बार वो इस बेरहमी से चोदने पे तुले थे फ़ौरन वो मेरी चूंचिया, ना चुम्मि बस सिर्फ़ दोनो चूतड़ पकड़ के अंदर तक पेल रहे थे. जब उनका सूपड़ा मेरी बच्चेदानि तक पहुँच गया तो फिर ऑलमोस्ट पूरा बाहर निकाल के उन्होने मेरा चूतड़ सहलाया. मेने कुछ राहत की साँस ली लेकिन वो मेरी जल्द बाजी थी. अब की बार दोनो चुतडो को दबोचते हुए, दबाते हुए इतनी बेरहमी से उन्होने पेला, पूरे ज़ोर से की..तीसरे धक्के मे ही सूपड़ा बहुत तेज़ी से मेरी बच्चेदानि से जा टकराया. चार बार की चुदाई के वीर्य से मेरी बुर लथपथ थी लेकिन फिर भी. सटा सॅट सटा सॅट. गपा गॅप गपा गॅप. सटा सॅट सटा सॅट. उधर लंड पूरा अंदर तक घुसता, साथ साथ मेरे चूतड़ पे भी कस के ठप लगती.

उसी के साथ साथ उछल उछल के मेरा कमर बंद भी (जो आज ही मेरी सास ने पहानाया था) मेरे चूतादो पे. उसके घुंघरू ज़ोर ज़ोर से बोल उठते कुछ देर तो मैं कुचली मसली जाती रही लेकिन धीरे धीरे मुझे भी मज़ा आने लगा. उनके तूफ़ानी धक्को का जवाब मैं भी चूतड़ उचका के, चूत सिकोड के देती. मैं बिस्तर पे पड़ी चुद्वाती रही और वो चोदते रहे. चार बार वो इसके पहले झाड़ चुके थे, ये पाँचवी बार इस लिए जल्दी झड़ने का सवाल ही नही था. बहुत देर तक वो इसी तरह मुझे चोदते रहे,

बहुत ही रियल और ब्रूटल फॅशन मैं दो बार झड़ी थी उन्होने झड़ना शुरू किया. इस बार झाड़ते झाड़ते उन्होने लंड बाहर निकाल लिया. जैसे कोई स्प्रे करे, उन्होने मेरे चूतादो पे और ख़तम होने के पहले दोनो चूतड़ फैला के सीधे पिछवाड़े वाले छेद पे मेरी गांद पे अपने बचा खुचा रस गिरा दिया.

काफ़ी देर तक हम लोग एक दूसरे की बाहो मे पड़े रहे. मेने जब नीचे की ओर देखा तो पहली बार आज शेर सो रहा था और उसके जगाने का चांस भी कम लग रहा था. सेड टेबल मे रखी मिठाइया वो मुझे खिला रहे थे. मैं उन्हे. (ये मुझे बाद मे पता चला कि उनमे भी वही चीज़े थी जो दूध और पान मे थी).

लेकिन मैं ग़लत थी. और जो लोग कहते है कि मर्दो के एक ही सेक्स अरगन होता है वो भी ग़लत थे.

उन्होने मुझे चूमना शुरू किया. चूमते चूमते उनके मेरे होंठ एक हो गये.

उनके उपर के और मेरे नीचे के. थोड़ी ही देर मे मेरी हालत खराब थी. उनके होंठ मेरी चूत को कभी चूमते कभी चाटते और कभी कस के चूस लेते. मुझे पता चल गया, मेरा बलम कितने चूत चोर है. अगर मैं जांघे सिकॉड़ाती तो वो जबरन उसे अलग कर केफिर कस कस के चूसना शुरू कर देते. उनकी जीभ मेरी चूत उसी तरह से चोद रही थी जैसे थोड़ी देर पहले उनका लंड. मेरी हालत भी उसी तरह खराब थी. वो मुझे किनारे पे ले जाते और फिर रोक देते. तीन चार बार इसी तरह फिर मैं ही चिल्लाने लगी,

"हे चूस चूस मेरी चूत ओह ओह और कस के निकाल ले सारा रस ओह चूस."

फिर तो उन्होने सीधे क्लिट को पकड़ा और उसे ही चूसने लगे. मेरा चूतड़ हवा मे उछल रहा था, मैं सिसक रही थी, झाड़ रही थी लेकिन वो चूसे जा रहे थे. मैं एक दम पस्त हो गयी तभी उन्होने छोड़ा.

जब मेरी आँख खुली तो अपने आप मेरा हाथ उनके हथियार पे था और फिर मैं क्यो छोड़ती उसे. मैं उसे हलराने दुलराने लगी. ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे आगे पीछे थोड़ी ही देर मे शेर न सिर्फ़ जाग गया था बल्कि मांद की तलाश भी करने लगा था.

उधर रात गुजर रही थी. लेकिन अब कुछ नही हो सकता था. वो मेरे उपर और शेर मांद मे चाँदनी टाटा बाइ बाइ कर रही थी. मेने उनसे कहा भी जल्दी करने को और फिर पूरी तेज़ी से वो मुझे चोद रहे थे और मैं भी हालाँकि थकन से चूर थी,

जांघे फटी जा रही थी उनका पूरा साथ देने की कोशिश कर रही थी. बिना एक पल भी रुके वो लगतार चोदते रहे लेकिन फिर भी आधे घंटे से उपर तो लगना ही था. जब हम दोनो झाडे तो अच्छी ख़ासी सुबह हो चुकी थी.

पूरी रात रात भरएक बूँद नही सोई मैं और पता भी नही चला कि कैसे रात गुजर गयी.

उनके सहारे बड़ी मुश्किल से उठी मैं. जब मैं फ्रेश होने गयी तो वो बोले, 'आउ मैं भी साथ?'.

मुस्करा के मैं बोली, 'अरे अब ये एक काम तो मैं अकेले कर लू'.

'कर लो जा बस 24 घंटे बचे है हनिमून शुरू होने मे. फिर तो ये काम भी तुम्हे मेरी आँखो के सामने करने पड़ेगा जानम'. ये बोले.

नहाए हम दोनो साथ साथ लेकिन जल्दी थी कि रीमा के आने का टाइम हो रहा था,

चौथी ले के. उन लोगो की ट्रेन सुबह ही आती थी.

और जब मैं बाहर निकली तैयार होके तो दरवाजे पे ख़त ख़त की आवाज़. रीमा ही थी.

उसने मुझे गले लगा लिया. मेने पूछा हे संजय और सोनू कहाँ है तो वो आँख नचा के बोली,

"अपनी हेरोइनो के साथ"

"अरे संजय की हीरोइन तो मालूम है लेकिन सोनू"

"अरे वो आपकी जेठानी जी की जो भतीजी है ना गुड्डी उससे लसे है. दोनो ऐसे चिपकी है लेकिन जीजा जी कहाँ है." रीमा ने चारो ओर देखते हुए पूछा.

"वो तुमसे चिपकाने के लिए आज ज़रा ज़्यादा ही तैयार हो रहे है" मैं बोली.

तब तक वो आफ्टर शेव, कोलन, लगा के निकले और वो और रीमा से चिपक गये.

तो ये हाल था तीसरी रात का क्या हुआ जीजा साली के बीच, मेरे भाइयो और ननदों के बीच और चौथी रात, हनिमून के पहले की आख़िरी रात को इंतजार करे अगले भाग का.
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08-17-2018, 02:51 PM,
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गतान्क से आगे…………………………………..

और जब मे बाहर निकली तैयार होके तो दरवाजे पे खाट खाट की आवाज़. रीमा ही थी. उसने मुझे गले लगा लिया. मेने पूछा हे संजय और सोनू कहाँ हैं तो वो आँख नचा के बोली,

अपनी हेरोइनो के साथ...

अरे संजय की हेरोइन तो मालूम है लेकिन सोनू...

अरे वो आपकी जेठानी जी की जो भतीजी है ना...गुड्डी उससे लेज़ हैं. दोनो ऐसे चिपकी हैं...लेकिन जीजा जी कहाँ है. रीमा ने चारो ओर देखते हुए पूछा.

वो तुम से चिपक ने के लिए आज ज़रा ज़्यादा ही तैयार हो रहे हैं... मे बोली. तब तक वो आफ्टर शेव, कोलोन, लगा के निकले और ...वो और रीमा चिपक गये.

रीमा...चेहरे पे अभी भी उसके बचपन का भोलापन...कच्ची हँसी लेकिन ...मे उनको नही ब्लेम कर सकती...ज़रा सा निगाह नीचे ले जाए तो उसके टाप से छलकते, टेन्निस बॉल साइज़ के बूब्स जवानी की दस्तक दे रहे थे ( महीने भर हुए थे उसे सोलहवां लगे) और मे रीमा को भी ब्लेम नही कर सकती थी...वो इतने हॅंडसम लग रहे थे... ती शर्ट से छल्कति उनकी बीसेप्स. दोनो एक दम चुपके हुए...और कोई उनसे इस तरह चिपकता तो मे बुरा ही मान जाती...जल भुन जाती...लेकिन वो मेरी छोटी बेहन थी.

रीमा ने भाभी की चिट्ठी मुझे दी थी. और भाभी की चिट्ठी...उनकी लिखने की भाषा भी वही थी जो बोलने की थी. हनिमून के लिए अनेक इन्स्ट्रक्षन दिए गये थे, और सबसे अंत में लिखा था कि वो हनिमून के लिए एक गिफ्ट बॉक्स भेज रही हैं, उसमे हनिमून की ज़रूरत की सारी चीज़ें हैं और उसके बारे में इन्स्ट्रक्षन उसी में दिए गये हैं, लेकिन मे उसे हनिमून के होटेल में पहुँच के ही खोलूं. उन्होने ये भी लिखा था कि वो उनकी और मेरी मम्मी की जॉइंट गिफ्ट है और मे अगर हनिमून में कुछ भी ना ले गयी सिर्फ़ वो बॉक्स ही ले गयी तो भी काम चल जाएगा.

मेने चारों ओर देखा वो बॉक्स था नही. मेने रीमा की ओर देखा, दोनो कबूतर गुटरगूं कर रहे थे.

रीमा ने बताया कि वो बॉक्स संजय के पास है और वो ला रहा होगा. तब तक दरवाजे पे हंगामा हुआ, धड़ से दरवाजा खुला और संजय और सोनू एक साथ दाखिल हुए और अंजलि और गुड्डी कैसे अलग रहती, पीछे पीछे वो भी. अंजलि एक हल्के पीले सेक्सी टाइट सलवार सूट में, नहा धो के तो वो सुबह से ही तैयार थी, हल्का मेकप भी...और इतने चहकते हुए मेने उसे कभी नही देखा था. और जब मेरी निगाह गुड्डी पे गयी...वो भी सलवार कुर्ते में थी, गुलाबी लेकिन खूब खुश और मस्त. पहले तो एकदम प्लेन जाना लगती थी लेकिन आज लग रहा था कि उसके भी गजब की जवानी चढ़ि हो. दुपट्टा अंजलि ने तो ओढ़ा नही था और गुड्डी ने ओढ़ा तो था लेकिन गर्दन से एकदम चिपका के. दोनो के छोटे छोटे कबूतर, न सिर्फ़ कुर्ते से सर उठाए हुए थे बल्कि उनकी चोन्चे भी सॉफ सॉफ...

फिर मेरी नज़र बॉक्स पे पड़ी. एक बहुत बड़ी सी ची...संजय ने बोला ये भाभी ने भेजी है. साथ में एक और छ्होटा सा सूटकेस...मेरे पूछ्ने से पहले ही वो बोला ये रीमा की है. उसने कहा था मेरा समान इसी कमरे में रख देना.

दीदी...तुम इतने दिन बाद मिली हो मेने सोचा तुम्हारे पास ही रहू. चाहक के रीमा बोली.

दीदी के पास ...या जीजा के पास... अंजलि ने छेड़ा.

अरे जलती क्यों हो, मे छोटी साली हूँ और मेरे प्यारे जीजू हैं उनके पास भी रह सकती हूँ. लेकिन तुम दोनो के लिए ये मेरे मुश्टंडे भाई लाई तो हूँ, अगर मे और दीदी तुम्हारे भाई के पास रहेंगे तो तुम दोनो, हमारे भाइयों के पास रहो, हिसाब बराबर. रीमा ने बराबर का जवाब दिया.

अरे जलती क्यों हो...देख लेंगे तुम्हारे भाइयों को भी. हंस के अंजलि बोली.

मे देख रही थी, गुड्डी एक दम सोनू से चिपकी हुई थी और सोनू की निगाहे भी उसके किशोर उभारो पे.

तब तक नीचे से बुलावा आया ब्रेकफास्ट का और हम सब लोग चल दिए.

ब्रेकफास्ट टेबल पे भी, रीमा अपने जीजा के बगल वाली चेर पे बैठी और सामने की ओर अंजलि संजय के साथ, गुड्डी सोनू के एक ओर और उसके दूसरी ओर की सीट खाली थी. मे जेठानी जी और बाकी ननदों के साथ. तभी रजनी नेहा के साथ आई, खुले बाल, सफेद फ्रॉक एक दम देह से चिपकी. दो लटे उसके गोरे चेहरे पे खेलती, पानी की एक बूँद उसकी लट से निकल के चेहरे पे आ गिरी. सोनू के बगल में खाली चेर को देख के उसने पूछा,

भाभी ये चेर खाली है...

सोनू और संजय, खास कर सोनू तो उसको देख के...बस देखते रह गये.

अरे जिसके बगल में बैठना है उससे पूछो ना...लेकिन पहले मे तुमको इंट्रोड्यूस तो करवा दूं ये हैं सोनू और संजय मेरे भाई और ये है रजनी....मेरी सबसे छोटी और सबसे सेक्सी ननद. सोनू उसे देख के खड़ा हो गया था और उसने हाथ बढ़ाया मिलने के लिए. रजनी ने हंस के हाथ मिला लिया और उस के बगल में बैठ गयी.

देखा, मेरी बेहन को देख के आपका भाई खड़ा हो गया. अंजलि ने छेड़ा. मे ने जवाब दिया,

अरे मेरी ननद है ही ऐसी सेक्सी. मेरे भाई की क्या मज़ाल, उसके अपने भाई का उसे देख के खड़ा हो जाता है. बेचारी अंजलि झेंप गयी. संजय ने और आग लगाई, रजनी को देख के बोला,

बी.एच.एम.बी. लगती है.

नही ऑलरेडी म है. मे मुस्कारके बोली.

"भाभी बेहन भाई, आप लोग क्या फुसुर फुसुर कर रहे हैं. रजनी बोली,

तुम्हारे बारे में ही बात कर रहे हैं, ये कह रहा है बड़ा होके माल बनेगी और मे कह रही हूँ, ऑलरेडी मस्त माल है. मेने प्लेन फेस हो के कहा उसके कच्चे उभारो की ओर देखते हुए. उसने शर्मा के नीचे देखा, लग रहा था किसी ने ना रूई के फाहे ऐसे बादलों को उसकी ब्रा में ठूंस के भर दिया हो. सोनू की निगाहे भी वही पे चिपकी थीं . उसे अपनी ओर देखते हुए देख वो और शर्मा गयी और सिर्फ़ बोली,

भाभी...आप भी.

तक तक दुलारी हलवा ले के अगयि और अंजलि और गुड्डी ने सबको कटोरी में गरम गरम हलवा परोस के आगे बढ़ाया.

खाओ ना, मेने अपने हाथ से बनाया है. अंजलि ने बड़ी अदा से संजय से कहा.

हां बड़ा अच्छा है, संजय ने चख के बोला, लेकिन मीठा खूब है, लगता है तूने अपनी उंगली से चलाया है,

अंजलि शर्मा गयी लेकिन बोली मे हलवा अच्छा बनाती हूँ ना.

अरे इसे भी मौका दे के देखो ना मेरा भाई भी हलवा बहुत अच्छा बनाएगा, तुम्हारा. मेने छेड़ा.

वो झेंप गयी.

जैसे मेरा भाई हर रात को तुम्हारा हलवा बनाता है, है ना. मांझली ननद बोली.

अब मेरी झेंपने की बारी थी.

मेने रजनी की ओर देखा. वो इसरार करके सोनू की प्लेट में कुछ डाल रही थी, लेकिन सोनू की निगाहे उसके गुलाबी गालों को छेड़ती लट्टों पे था और फिर ...झुकने से उसकी फ्रॉक में उसके छोटे छोटे जोबन और कस गये थे, और वो किशोर उभार सॉफ सॉफ दिख रहे थे. तब तक उसने प्लेट में ढेर लगा दिया. वो अचानक बोला हे क्या करती हो कितना दे दिया.
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08-17-2018, 02:51 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
अब तो खाना ही पड़ेगा, तुमने मना क्यों नही किया. रजनी बोली.और जब उसने बोलने के लिए पंखुड़ियों ऐसे गुलाबी होंठ खोले तो सूरज की एक किरण वहाँ छेड़ गयी.

तब तक हल्की सी आवाज़ हुई जिधर वो बैठे थे.

हुआ ये कि गुड्डी कटोरी में हलवा ले के वहाँ देने पहुँची तो रीमा ने एक चम्मच सीधे अपने हाथो से जीजा जी के मुँह में...उन्होने एक बार में पूरा गढ़प कर लिया.

ओह जीजू क्या बहुत गरम था रीमा ने उनका हूँठ सहलाते हुए पूछा.

नही...लेकिन खिलाने वाली ज़्यादा हॉट थी. वो बोले.

नेदीदे...ग़लती तो आप की भी है, एक बार में पूरा घूँट लिया आँख नचा के रीमा बोली.

अरे देख,...तुझे भी एक बार में पूरा ना घोटा तो तेरा जीजू नही. वो हल्के से शरारती अंदाज़ में बोले.

और मे आप की तरह लेकिन चीखूँगी नही... हंस के वो भी धीमे से से 2अर्थी अंदाज़ में उसी तरह बोली.

मेने ध्यान अपने बगल मे किया जहाँ चिक चिक मच रही थी अंजलि और संजय के बीच में, किसके शहेर में ज़्यादा पिक्चर हॉल हैं और कहाँ ज़्यादा अच्छे है. दोनो में से कोई मानने को तैयार नही था. अंजलि ने 'उनसे' कहा कि पिक्चर दिखाए पर वो टाल मटोल करते रहे. संजय और सोनू को और मौका मिल गया अंजलि को चिढ़ाने का. दोनो बोले,

देखा जीजा जी इस लिए नही ले चल रहे हैं कि तुम्हारे यहाँ के पिक्चर हालों का राज खुल जाएगा. अब तो गुड्डी और रजनी भी ज़ोर ज़ोर से कहने लगी लेकिन वो टस से मस नही हुए.

तब तक रीमा भी बोल पड़ी चलिए ना जीजू, आपके साथ पिक्चर देखने में बहुत मज़ा आएगा.

और अब वो तुरंत मान गये.फिर तो सारी मेरी ननदे...बहने कह रहीं थी तो नही और साली ने कहा तो ....झट से, शादी से कितना बदल जाता है,पर मेरी जेठानी अपने देवर की ओर से बोली,

अरे नही ये बात नही है जो काम साली कर सकती है...जो चीज़ साली से मिल सकती है क्या वो ननदो से मिल सकती है. ननदे झेंप गई लेकिन मे बोली,

अरे नही दीदी, मेरी ननदे और नन्दो की तरह थोड़ी हैं जो अपने भैया को तरसाएँ...अरे चाहे उनके भैया हों या मेरे वो कोई भेद भाव नही करती आख़िर अब तक इनका काम चलता कैसे था. गुड्डी ने किसी पिक्चर का नाम लिया तो सोनू बोला,

अरे अभी तो तुम बच्ची हो वो अडल्ट पिक्चर है, तुम्हारे ऐसे छोटे बच्चो के लिए है नही, हां हम लोग जा सकते हैं. कहीं कार्टून वार्टून लगी हो बच्चो के लिए तो बताओ. तब तक अंजलि मुस्करा के बोली,

अरे उस हिसाब से तो भाभी भी नही जा सकती वो भी अभी कहाँ 18 की हुई हैं. लेकिन अडल्ट वाले काम सारे करती हैं तो फिर... अब बेचारे मेरे भाई चुप हो गये.

फिर सवाल हुआ कौन सा शो चला जाय. किसी ने कहा शाम को लेकिन मे बोली,

6से 9नही...लौट के खाने वाना फिर...देर हो जाती है.

किस चीज़ के लिए देर हो जाती है भाभी... अंजलि ने मुस्काराकर छेड़ा.

मे शर्मा गई. तय हुआ कि जल्दी से खाना बना लेते हैं और 3 से 6 चलेंगे.

ब्रेकफास्ट के बाद भी हम लोग बरामदे में बैठे रहे.

जाड़े की गुनेगुनि धूप, गरमाहट भरी गुदगउडती, भाभी की चिकोतियो जैसी...

वो वहीं बरामदे में बैठे अख़बार पढ़ने लगे...लेकिन निगाहे उनकी.

पास ही में मेरी जेठानी मटर और बाकी सब्जियाँ ले आई कि वहीं छिल काट लें, जल्दी हो जाएगी खाने में.

संजय ने अंजलि को कुछ छेड़ा तो वो चिल्लाई भाभी देखिए इस साले को बहुत तंग करता है.

मेरी जेठानी ने अंजलि से कहा हे कैसे बोलती है तो संजय मज़े में बोला, अर्रे दीदी, साले को साला बोलने दीजिए ना , तो अंजलि ने उसको और ज़ुबान चिढ़ा दी और बोली, सही बात है, जिसकी बेहन अंदर, उसका भाई सिकंदर. इसीलिए तुम्हारी हिम्मत बढ़ी है.मे बोली अर्रे सिकंदर अंदर तक घुस गया था, तो अगर ये अंदर तक घुस जाएगा ना, तो फिर...जेठानी जी ने और बात जोड़ी, अर्रे यही तो ये चाहती है.

चुहल बाजियाँ, छेड़खानी, धौल धाप...सब चल रहा था. रजनी रीमा को ले के अपने साथ चली गयी थी. अंजलि और संजय में कुछ स्टैम्प कलेकशन को ले के बहस चल रही थी.संजय कुछ उसे बोल रहा था कि थूक लगा के लिफाफे पे से छुड़ा लेने से कलेक्शन नही हो जाता और वो बोल रही थी कि उसके पास मिंट फ्रेश स्टंप हैं.आख़िर वो संजय को ले के अपने कमरे में चली गयी कलेक्शन दिखाने.

अब तक तो वो छुप छुप के देख रहे थे लेकिन रीमा, रजनी, अंजलि और संजय के जाने के बाद, वो और ...अब जब वो देखते तो मे भी चुपके से उन्हे देख के मुस्करा देती. अच्छा तो मुझे भी लग रहा था पर शरम भी लग रही थी...इस तरह सबके सामने. मटर छिलते हुए जब मे झुकती तो मेरा आँचल धलक उठता तो , सेड से मेरे ब्लाउस से बूब्स के उभार झलक जाते ...उनकी निगाहे गुलेल मार रही थीं कस कस के. एकाध बार मेरी निगाहो ने बराजा भी उन्हे, मे आँचल ठीक कर लेती लेकिन सारी की अभी आदत लगी ही थी मुझे, इस लिए बार बार ढालाक ही जाती. सच कहूँ तो वो निगाहो की जंग मुझे भी अच्छि ही लग रही थी. तभी उन्होने अख़बार के टुकड़े से एक बॉल सी बना के फेंकी लेकिन ऐन मौके पे मे झुक गयी और वो गुड्डी को लगी. वो बेचारी तो कुछ नही बोली, लेकिन मेरी जेठानी ने गुनगुनाया
हे कंकड़िया मार के जगाया कोई मेरे सपनों में आया.

क्रमशः……………………………………
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08-17-2018, 02:51 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--36

गतान्क से आगे…………………………………..

बेचारे वो समझ गये उनकी शरारात पकड़ी गयी और उपर अपने कमरे में चले गये, ये बोल के भाभी मे अपने कमरे में जा रहा हूँ. मेरी जेठानी ने मुझे छेड़ा, देख तेरे लिए देवर जी दावत नामा दे गये हैं.

अर्रे दीदी बोल के तो आपसे गये हैं, मेने भी जोड़ा. मेरी जेठानी ने गुड्डी को बोला कि वो छिल्के,

पत्ते पिच्छवाड़े फेंक दे. गुड्डी के जाने के थोड़ी देर बाद मेने नोटीस किया सोनू भी नही है. मे जेठानी जी के साथ साथ किचन में गयी, लेकिन वहाँ कोई काम नही था. कुछ देर किचन में रह के मे पिच्छवाड़े की ओर चल दी.

उस तरफ ज़्यादातर कोई आता जाता नही था. मुझे कुछ हल्की सी आवाज़ें सुनाई पड़ी और मे दबे पाँव उधर मूडी. सीढ़ी के नीचे कोने में एक जगह से आवाज़ें आ रही थीं. गुड्डी और सोनू की बहुत हल्की सी...पास जा के मेने छिप के देखा, एक खिड़की के पास बाहर देखती हुई गुड्डी खड़ी थी और सोनू ने उसे पीछे से पकड़ रखा था. सोनू का एक हाथ गुड्डी के कंधे पे से होता हुआ आगे की ओर और दूसरे से उसने उसकी कमर पकड़ रखी थी. उसका चेहरा उसके चेहरे के उपर झुका हुआ...सोनू उसे छेड़ रहा था,

अर्रे तू अभी बच्ची है, छोटी सी... तू ये सब बातें क्या समझेगी.

अच्छा...तो मे दो महीने में सोलह की होने वाली हूँ, ...' गुड्डी इतरा के बोली.

तो फिर ..चल किस्सी ले के दिखा तो मे मानू. वो बोला.

धत...अच्छा चल उंगली पे ले लेती हूँ.

तभी तो मे कह रहा हूँ लड़कियाँ तो सीधे लिप पे देती हैं. अगर लिप पे दे तो मानू.

उंह...उंह...नहिहह...ओह ओह्ह अच्छा चलो ले लो बस एक ओह धीमे से...

पुच्च पुच्च ...और मे समझ गई कि क़िस्सी...विस्सि हो रही है. मे थोड़ा और पास बढ़ी.

हे जूठा कर दिया ना, अब नहाना पड़ेगा फिर से. सुबह से आज नहा धो के बैठी थी...

अच्छा तो धो के भी बैठी थी ...क्या क्या धोया था बोल ना. अब जुठि तो हो ही गयी तो एक और दे दे... और फिर पुच्च पुच्च... हे बोल ना क्या धोया था. सोनू ने फिर छेड़ा.

सब कुछ ...हे क़िस्सी तो दे दी अब तो मान गये ना, बड़ी हो गयी हूँ' अदा से वो बोली.

उन्हूँ...उन्ह... सब कुछ धोया था तो फिर तो सब कुछ जूठा करना पड़ेगा...कर दूं ना.

मेरे मना करना से बड़े मानने वाले हो...ज़बरदस्ती जैसे क़िस्सी ले ली बाकी भी सब ले लोगे.'

ज़बरदस्ती क्या ले लूँगा ...बाकी सब क्या तेरी...( बहुत धीमे से उसके कान में वो बोला, लेकिन मेने सुन लिया) तेरी...चूत.

अब मुझे लगा वो गुस्सा हो जाएगी और छुड़ा के भाग जाएगी. गुस्सा तो वो हुई लेकिन वो गुस्सा कम और अदा ज़्यादा थी.

हे कैसे बोलते हो मे चली जाउन्गि...हटो, छोड़ो ना.

तभी तो मे कहता हूँ तू अभी छोटी है ज़रा सा नाम लेने से बुरा मान गयी. अच्छा चल एक बार इसे पकड़ने दे...अगर ये बड़ा हो गया है तो मे मान लूँगा कि तू बड़ी हो गयी है.

ओह्ह छोड़ो ना...हे तुम बड़े वो हो...छोड़ो ना... सोनू का हाथ जो उसके कंधे पे था नीचे सरक गया था...उसकी हरकतों और आवाज़ों से सॉफ लग रहा था कि वो कस कस के उसकी गोलाइयाँ नाप रहा है.

थोड़ा बड़ा है, अच्छा चल साइज़ बता तो मान लूँगा कि तू बड़ी हो गयी है.

धात...उईई .... इत्ता कस के दबाते हो...ओह...रीमा की साइज़ की है जाके पूच्छ लो उस की साइज़ या नाप लो दबा के.

लगता है सोनू ने कस के दबा दिया था वो चीखी... ओयी ओयी ...अच्छा बताती हूँ...बाबा ओह...बताया तो रीमा और मेरी साइज़ एक ही है...32बी. वो बोली.

तब तक सामने से एक कुतिया आती दिखी, और उसके पीछे एक कुत्ता लगा था.

कुतिया इतरा रही थी, उसे पास आने नही दे थी, तभी कुत्ता एक दम से उसके पीछे से आके कुतिया के पीछे से चाटने लगा...

' ये कुत्ता हमारे यहाँ का है और कुतिया कहीं बाहर से आई है. मूड के गुड्डी ने सोनू से चिढ़ाते हुए कहा.

वो कहीं मुझे देख ना ले इसलिए मे और आड में सरक गयी. गुलाबी टाइट कुर्ते में वो गजब की लग रही थी. उसके उभार और उभर के सामने आरहे थे. सोनू ने उसके गाल पे एक चुम्मि ले के कहा देख देख क्या कर रहे हैं दोनो. गुड्डी फिर सामने देखने लगी और, मे आड से बाहर आगाई.

कुत्ते का खूब मोटा लंबा लाल सा, शीत के बाहर आ गया था. वो उस पे चढ़ने की कोशिश कर रहा था. लेकिन एक दो बार की कोशिश में अंदर गया नही.

कितने लंबा, मोटा है. बेसख्ता गुड्डी के मुँह से निकल गया.

अर्रे तभी तो उसे मज़ा आएगा. लेकिन देख अभी कैसे गॅप से लील लेगी, जैसे मेरा इतना लंबा मोटा है और तू भी... गॅप से लील लेगी.

धात... मुझे नही लीलना तेरा... गुड्डी बोली, लेकिन उसकी आँखे कुत्ते कुतिया पे ही गढ़ी हुई थीं. मौके का फयादा उठाके सोनू ने उसके दोनों हाथो के बीच से अपने हाथ डाल के...अब उस के गोल गोल उभार सीधे उसकी मुट्ठी में थे. वो कस कस के दबा रहा थे और पीछे से भी कस के उसे दबोचे हुए था.

देख - ना ना करते घोंट गयी ना... वो बोला.

मेने भी ज़रा सा उचक के देखा, कुत्ते का मोटा लंड आधे से ज़्यादा कुतिया की चूत में था, और वो खचाखच खचाखच धक्के मारे जा रहा था. उसका असर सॉफ सॉफ गुड्डी के उपर लग रहा था.

उसकी इस हालत का फयादा भी सोनू पूरा उठा रहा था. उसका एक हाथ कुर्ते के अंदर से अब सीधे उसके किशोर जोबन मसल रहा था और दूसरा सलवार के अंदर...

कुत्ता कुतिया की चुदाई कस के चालू हो गयी थी. उसका पूरा लंड अब अंदर था और वो एक बार में बाहर निकाल के सतसट सतसट...

हे देख...दे ना ..बहुत मन कर रहा है ... सोनू ने मौका देख के माँग ही लिया.

उहून ना...ना प्लीज़...दे तो दिया...क़िस्सी दे दी...वहाँ छूने दिया अब...और क्या..

ये....सोनू ने सलवार के अंदर कस के उसकी चुनमुनिया दबाई, दे...ना बहुत मज़ा आएगा सच्ची बहुत मन करता है बस एक बार प्यार कर लेने दे वहाँ... और पीछे से उसके नितंबो के बीच खड़े हथियार को दबा के उसने इरादा जाहिर कर दिया.

उम्मह वहाँ नही...छू तो लिया... सॉफ लग रहा था कि अब मन उसका भी कर रहा था.

देख कल मे चला जाउन्गा...फिर पता नही कब.

चली तो मे भी कल जाउन्गि... उदास मन से वो बोली.

तो दे दे ना बहुत मन कर रहा है, ये कहते हुए लगा कि उसकी उंगली अंदर धँस गयी...क्योंकि मज़े से गुड्डी की सिसकी निकल गयी.
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08-17-2018, 02:51 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
बस एक बार प्लीज़ ... अब वो फिर बोला.

देखा जाएगा....अभी कैसे .

अभी नही...बाद में..रात में कभी भी जब भी मौका मिले...प्लीज़ नही मत बोल हां बोल दे बस. तू मना करेगी तो मेरा दिल टूट जाएगा.

मना थोड़े ही किया है बाबा .देखा जाएगा...रात में ठीक है या...बाद में ...देखा जाएगा. खुश.

चुदाई करते कुत्ता कुतिया अब दीवार के पास आगाए थे इसलिए गुड्डी खिड़की से एकदम बाहर की ओर झुकी हुई, निकली ...और वो भी उस से एक दम सटा पीछे से चिपका.

अपनी बात से वो खुद शर्मा गयी थी तो बाद बदलने के लिए या उसे लगा कि कहीं सोनू बुरा तो नही मान गया...वो मूड के अपने गुलाबी होंठ उस के होंठो के पास ले जाके बोली,

हे दे ना....

क्या दूं अपना लंड... सोनू ने कस के पीछे से दबोचते बोला. बजाय गुस्सा होने के हंस के बोली,

धात...क्या बोलते हो...अर्रे वो नही..वो

देख अभी तो कहा था लेगी तू मेरा लंड और अभी मुकर रही है. बोल चाहिए ना...

अर्रे बाबा मुकर कौन रहा है...दूँगी ना रात को पक्का , प्रॉमिस ...या जैसे मौका मिला लेकिन..

तो बोल ना ...क्या चाहिए लंड नही लेगी अगर...अभी...

लंड नही....पुच्चि दे चुम्मि ले ले एक ...क़िस्सी ...बाद में कसम से, पक्का वाला प्रॉमिस दूँगी.

और उसने कस के उसे चूम लिया लेकिन साथ में कस के पीछे से गुड्डी के उभरे चुतडो के बीच में एक कस के धक्का भी दिया.

देख कैसी गाँठ सी बँध गयी है, वो...हल्के से बोली.

हां ...देख कितने मज़ा आ रहा है, सच में बहुत मज़ा आएगा बस एक बार प्यार कर लेने दे ना.

तब तक मेरे पैर थोड़े से सरके और कुछ आवाज़ सी हुई. वो दोनो चिहुन्क गये, लेकिन उनके कुछ पता चलने से पहले ही मे वहाँ से वापस किचन की ओर चल दी.

कहाँ थी तू अब तक चार बार पुकार लग चुकी तेरी. मेरी जेठानी बोली

एक बेचारे प्यासे की पुकार थी, उपर से... मुझे चिढ़ाते हुए रजनी बोली.

अर्रे तो भेज देती मेरी इस प्यारी ननद को, वो प्यास बुझा देती ना... किचन से ट्रे और ग्लास लेते हुए मे बोली.

अर्रे वो प्यास भाभी आपसे ही बुझेगी. रजनी ने हंस के कहा.

क्यों, .. मूड के मे अपनी उंगली उसकी आँखो, गाल, होंठो से होते हुए उभारो तक ले जाते बोली,

ये ...ये...ये ...जो कुछ मेरे पास है तेरे पास भी है. जब तक मे उंगली और नीचे ले जाती मुझे रोक के वो बोली, वो सब ठीक है भाभी, मानती हूँ लेकिन मेरे भैया की प्यास तो आप से ही बुझेगी.

सीधी पे चढ़ते हुए रुक के मैं, हंस के बोली, तो ठीक है ना तेरे भैया की प्यास मे बुझाती हूँ और मेरे भैया की तुम बुझा देना.

आँख नचा के मुस्करा के वो बोली, सोचूँगी.

रीमा अंजलि और संजय के साथ थी.

उपर चढ़ते हुए मे बोली, दीदी मुझे कुछ काम है उपर थोड़ा टाइम लगेगा.

अर्रे इस उमर में 'काम' का ज़ोर बहुत तगड़ा होता है. निपटा के आना 'काम'. वो हंस के बोली.

उपर घुसते ही मेने दरवाजा बंद किया. उन्हे देखते ही मे समझ गयी उन्हे 'प्यास' कितनी कस के लगी है.

पानी लीजिए... ग्लास बढ़ा के मे बोली.

अर्रे मुझे पानी की नही 'इस' की प्यास लगी है, ' और कस के पकड़ के उन्होने बाँहो में जाकड़ लिया. उनके होंठ मेरे रसीले गुलाबी होंठो से अपनी प्यास बुझा रहे थे. छुड़ा के मेने बनावटी रोष से उनकी ओर देखते हुए कहा, मे इतने ढेर सारा पानी लाई थी, और ग्लास उनके उपर उलट दिया.

उसमें एक बूँद पानी नही था. हंस के मे बोली,

अब तक मे जान गयी हूँ आपको. मे जान गई थी कि मेरे बावारे साजन को कैसी प्यास लगी है.

अर्रे मेरी जान, तो जान के क्यों तड़पाती हो... और उन्होने फिर कस के बाहों में दबोच लिया.

रात भर दिया तो था मन नही भरा... नखड़े से मे बोली.

अर्रे रानी जितना पिलाओगी उतना प्यास बढ़ती है. कस कस के वो मेरे होंठ चूस रहे थे.

आँचल कुछ ढालाक गया था, कुछ मेने ढलका दिया था. आख़िर प्यासे को छलकते रस के कलश से दूर रखने वाली मे कौन थी.

फिर क्या था, उनके हाथ सीधे मेरे चोली से छलकते जोबन पे. पहले सहलाया, फिर दबोचा और फिर कस कस के रस छलकाने लगे.

वो टी शर्ट और शॉर्ट में थे. उनका 'खूँटा' अब तनतनाने लगा था और शर्ट, सारी और पेटिकोट को बाँध के अंदर जाने के लिए बैठी था.

उनका एक हाथ मेरे ब्लाउस के बटन खोलने की कोशिश कर रहा था और दूसरा कस कस के मेरे नितंब भींच रहा था. मेरे हाथ क्यों चुप रहते, वो भी शर्ट के उपर से 'उसे' हलराने, दुलराने लगे.

क्रमशः……………………………………
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08-17-2018, 02:51 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--37

गतान्क से आगे…………………………………..

उन्होने एक हाथ मेरी सारी के अंदर डाल के, सीधे मेरे चुतडो को...और अगले पल मेरी पैंटी ज़मीन पे थी. उनके हाथ ने मेरी 'बुलबुल' अब सीधे दबोच ली. मेरे हाथ भी शर्ट के अंदर घुस के...मेने कस के 'उसे' पकड़ लिया. वो अब खुल के फानाफने रहा था. मेरी उंगालिया इतनी खुश थीं...इतने अच्छा लग रहा था...कड़ा कड़ा, मोटा, मुश्किल से पकड़ में आ रहा था. उनके होंठ मेरे होंठो से रस चखने के बाद...मेरे उरोजो के उपरी भाग पे चूम रहे थे, चूस रहे थे. उनके शैतान हाथ ने मेरे ब्लाउस के उपर के बटन खोल दिए थे. एक हाथ मेरे उभार मसल रगड़ रहा था, ब्लाउस के उपर से और दूसरा कस के नीचे सहला रहा था, मेरे निचले होंठो को छेड़ रहा था. मेरा हाथ भी अब उनके पूरी तरह उत्तेजित लंड को कस कस के मुठिया रहा था, आगे पीछे कर रहा था. उन्होने मेरी अच्छि तरह गीली हो चुकी चूत में एक उंगली हल्के से घुसा दी और मेने भी एक झटके में, आगे पीछे करते हुए कस के खींचा और उस की चमड़ी पीछे खींच के सूपड़ा खोल दिया. उनकी उंगली हल्के अंदर बाहर हो रही थी साथ साथ मेरी सांस भी लंबी गहरी...मेरे कोमल हाथ भी अब कस कस के 'उसे' दबा रहे थे भींच रहे थे. उनके अंगूठे ने मेरे उतेज़ित खड़े क्लिट को अचानक छू दिया, फिर तो मेरी सारी देह गनगनाने गयी. एक...दो बार छूने के बाद, उन्होने हल्के से उसे रगड़ना शुरू कर दिया और मे काँपने लगी. अपने आप मेरा अंगूठा, उनके खोले खूब फॉले, बड़े, मोटे सूपदे पे जा के उसे सहलाने रगड़ने लगा और मेने 'उसकी आँख ' छू ली. प्री कम की दो बूँदों ने मेरा अंगूठा गीला कर दिया. उत्तेजित होके उन्होने हल्के से मेरी 'पिंकी' पिंच कर दी.

और तभी दरवाजा ख़टखटाने की आवाज़ हुई...मेने शर्ट से हाथ तुरंत बाहर निकाल लिया और वो भी मुझे छोड़ के...तभी दुबारा...खाट खाट...मेने झट से फर्श पे पड़ी पैंटी उतार के बिस्तर पे तकिये के नीचे दबाया और दरवाजा खोल दिया.

रीमा थी.

उसने पहले मेरी ओर देखा फिर अपने जीजा की ओर, वो दोनो टाँगे सिकोडे अपने शर्ट पे हाथ रखे बैठे थे. लेकिन बिना इस पे गौर किए वो चालू हो गयी,

मे नहाने आई हूँ. सुबह मेने देखा कि दीदी आपका बाथ रूम बहुत अच्छा है और बाथ टब कितना बड़ा है, कितना रिलॅक्सिंग होगा ना...और मेरे कपड़े भी यहीं पे थे तो मेने सोचा यहीं नहा लूँ.

अर्रे तो नीचे भी तो बाथ रूम थे, वहीं नहा लेती. ऐन मौके पे उसने डिस्टर्ब किया था, मुझे बड़ा खराब लग रहा था, 15-20 मिनट बाद में आ जाती तो क्या बिगड़ जाता उसका मे सोच रही थी. मे फिर बोली और कपड़े यहाँ से ले जाती, तुम्हारे जीजा... मेरी बात काट के वो बोली,

मेने भी यही कहा था अंजलि से, लेकिन एक में सोनू नहा रहा था और दूसरे में दीदी कपड़े धूल रही थीं. मेने कहा मे वेट कर लेती हूँ पर अंजलि बोली, नही कहाँ वेट करोगी. भैया और भाभी तो सुबह सुबह ही नहा लेते हैं, उपर बाथ रूम खाली ही होगा.

अंजलि की बच्ची, आज तेरी ने फडवाइ तो...मेरे दिमाग़ में बबूले बन रहे थे.

ठीक ही तो है यहीं नहा लो और कहो तो मे नहला भी दूँगा. उसके जीजू अब फिर साली को देख के मूड में आ रहे थे. मे भी नॉर्मल हो रही थी, शरारात से मेने रीमा को उनके शर्ट की ओर इशारा किया. उसने, जब तक वो सम्हले सम्हाले, एक झटके में हाथ शर्ट के उपर से हटा के बोला,

हे जीजू ये क्या छिपा रखा है. और हाथ के हटते ही शर्ट में तने 'टेंट पॉल' पूरे बलिश्त भर का,

वो शर्मा गयी और ये झेंप गये.

बात बदल के वो बोली, नही जीजू रहने दीजिए आज मुझे जल्दी है. अभी आपको पिक्चर के लिए भी चलना है. और वैसे भी मे अब आपको इतने सस्ते में नही छोड़ने वाली, कल तक तो हूँ ना तो कल नहला दीजिएगा...

सुन कोई जल्दी वल्दी नही है, वो जो इंपोर्टेड शॅमपू लाए थे नीला, कहाँ रखा है, मेने पूछा.

वो वहीं टब के पास रखा है. वो बोले.

और उसे लगा के आधे घंटे तक बॉल वैसे है रखना पड़ता है, है ना.

बिना मेरा मतलब समझे उन्होने हामी भरी.

देख... मे रीमा से बोली, तू तब तक अपने कपड़े निकाल...

यहीं जीजू के सामने...क्या दीदी वो अचरज से बोली.

मुझे कोई एतराज नही है बल्कि मे निकालने में मदद कर सकता हूँ. खुश हो के वो बोले.

तुम दोनो ने...अर्रे मेरा मतलब था नहाने के बाद पहनने वाले...तब तक ये तुम्हारे लिए बढ़िया बबल बाथ बना देंगें, अरमॅटिक सेंट डाल के...जाइए ना, बड़ा साली साली करते रहते हैं साली के लिए इतना तो करिए. वो चुपचाप चले गये.

जब तक वो लौट के आए रीमा ने अपनी ड्रेस निकाल के रखी थी, एक नुडल स्ट्रिंग की टांक टॉप और एक हिप हगिंग जीन्स.

क्यों जीजू..., कैसे लगती है ड्रेस मेरी. वो हंस के बोली.

उन की तो जैसे जान निकल गयी. वो मुश्किल से बोले, एकदम सेक्सी, चलो नहालने नही दे रही हो तो ड्रेस पहनाने में कहो तो तुम्हारी मदद कर दूं... वो फिर वापस अपनी स्पिरिट में आ गये थे.

वो कुछ बोलती उस के पहले बात काट के मे बोली, बाथ टब में कम से कम आधे घंटे रिलॅक्स करना, एक दम फ्रेश हो जाएगी. और उसी के साथ शम्पू भी...बाल में लगा के आधे घंटे तक कम से कम छोड़ देना और फिर शवर में धूल लेना. देख जल्दी कोई नही है, अभी सिर्फ़ साढ़े ग्यारह बजे हैं. साढ़े बारह तक भी तुम तैयार हुई तो खाना डेढ़ दो से पहले होने वाला नही और पिक्चर भी साढ़े तीन से है. इस लिए तुम आराम से नहा धो के तैयार हो जाओ. कपड़े लेती जा वहीं ड्रेसिंग रूम में चेंज कर लेना और कुछ मेकप वेकप करना हो तो वो भी सब है वहाँ पे.

एक तरह से धक्के दे के भेजा मेने. जब तक वो गयी उनकी निगाहे अपनी साली पे टिकी थीं, और उस से उन के 'हार्ड ऑन' की हालत और खराब ही हुई...और वो भी अपने रसीले होंठो पे जीभ फिरा के...

हे तुम बार बार आधे घंटे की बात क्यों कर रही हो, वो शैम्पू तो... उन की बात अन सुनी कर के जैसे ही वो बाथ रूम के अंदर हुई मेने हल्के से उस ओर जाने वाले दरवाजे को बाहर से बोल्ट कर दिया. फिर उन की ओर मूड के प्यार से उनकी नाक पकड़ के बोली,

इस लिए मेरे बुद्धू राजा, कि वो 40-45 मिनट तक बाथ रूम में बंद रहे और हम लोगों के पास ये समय...कुछ समझे. पिछले तीन दिनों से तो तुम्हे खाने के बाद स्वीट डिश की मेने आदत जो लगा दी है वो तो आज तुम्हे मिलने से रही क्योंकि खाने के बाद तो हम सब सीधे पिक्चर ...इस लिए खाने के पहले ही सही...
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08-17-2018, 02:52 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
हे, तुम कितनी अच्छि हो.... और क्षॅन भर में उनका शर्ट ज़मीन पे था. मे भी पलंग पे, मुझे बसंती की बात याद आ रही थी सारी के फ़ायदे के बारे मे. मेने भी सारी अपनी कमर तक उठा के घुटने मोड़ लिए. वॅसलीन की शीशी हमेशा तकिये के नीचे रहती ही थी. पल भर में वो अंदर थे.

उन्होने इधर उधर कुछ छूने की कोशिश की तो मेने तुरंत मना कर दिया, हे और कुछ नही, और आवाज़ ज़रा भी नही, बस सीधे... मेरे ब्लाउस के एक दो बटन तो उन्होने पहले ही खोल लिए थे.

तुरात फुरात में बाकी बटन भी और ....फिर फ्रंट ओपन ब्रा...मेरे उरोज उनकी मुट्ठी में थे और वो कस के कुचल मसल रहे थे. बिना आवाज़ किए, उन्होने कुशन भी मेरे चुतडो के नीचे लगा दिए और फिर सतसट सतसट...मे भी उनके कंधे पकड़ के पूरा साथ दे रही थी. कभी कमर उचका देती, कभी चूत सिकोड के उनका लंड भींच लेती. थोड़ी ही देर में घमासान चुदाई शुरू हो गयी थी. बिना रुके हम दोनों....दोनों जानते थे वक़्त काम है, इस लिए पूरी ताक़त से खूब पूरी स्पीड से, जल्दी जल्दी चुदाई का मज़ा ले रहे थे. मेरे हाथ कस के उनकी पीठ से चिपके थे. उनका बीयर कैन ऐसा मोटा लंड....मेने अपनी जंघे पूरी तरह से कस के फैला रखी थीं, फिर भी कस कस के लग रहा था कि मेरी...फॅट रही है. हर धक्का उनका पूरे ताक़त से...सूपड़ा सीधे बच्चेदानि से...पूरा जड़ तक अंदर और लंड का बेस सीधे मेरी क्लिट पे कस कस के रगड़ता...बिना रुके वो फिर सुपाडे तक बाहर निकाल के फिर पूरे ज़ोर से अंदर तक ठूंस देते. दर्द के बावजूद मज़ा इतना के मेरे चुतड अपने आप उपर नीचे उठ रहे थे. वो कभी दोनो चून्चिया पकड़ के, दबाते मसलते, कभी चुतड पकड़ के, लगातार...मे दुहरी थी और हर धक्का सीधे मेरी बच्चेदानि पे.

मेरे नाख़ून उनके कंधे में धँस जाते...साथ साथ उनके दाँत मेरे निपल के चारों ओर या मेरी चून्चि पे...कच कचा के वो काट लेते. एक पल के लिए भी स्पीड उन्होने धीमी नही की. मोटे पिस्टन की तरह उनका सख़्त मोटा लंड...पूरी तेज़ी से और मे भी चाह रही थी बस इसी तरह..सतसट....गपगाप. पहली बार वो 'क्विकी' कर रहे थे पर इसमें भी 20-25 मिनट तो उन्हे लगे ही. पहले मे झड़ी और उसके साथ मेरी चूत कस कस के उनका लंड भींचने लगी.

उसके साथ ही वो भी...लंड पूरी तरह अंदर धंसा हुआ था और वीर्य की लगातार धार बह रही थी.

मेरी बुर तो उससे भर ही गयी थी अब वो निकल के जाँघ पर भी...मेरी सांस अभी भी तेज तेज चल रही थी. तभी...

ठक ठक...ठक ठक दरवाजे पे आवाज़ हुई. वो झट से उठ गये और शर्ट पहन ली. मेने भी ब्रा के हॉक बंद किए तब तक दुबारा...ठक ठक.

ब्लाउस बंद करते हुए मे दरवाजे की ओर बढ़ी...( मुझे फिर बसंती की सारी के फ़ायदे के बारे में सलाह याद आई, फिर से पहनने में कोई टाइम नही, उठो और वो अपने आप ठीक).

अंजलि और रजनी थी, खिलखिलाती....दरवाजा खोलते ही रजनी ने हल्के से मेरे कान में पूछा,

क्यों भाभी , हमने डिस्टर्ब तो नही किया.

नही... हंसते हुए मे बोली. लेकिन 5 मिनट पहले आती तो ज़रूर करती.

टाइट फ्रॉक में, उसके छोटी छोटी टीन बूब्स बड़े ही सेक्सी लग रहे थे. उन्हे हल्के से छू के, मे बोली, हे सोचा क्या. वो उसी तरह धीमे से बोली, क्या. मेने हल्के से पूछा मेरे भाई की प्यास बुझाने के बारे में. वो अदा से हंस के बोली, देखेंगें.

वो दोनो सोफे पे बैठ गयीं और बेड पे कुछ देख के मुस्कराने लगीं. मे सोच में पड़ गयी, मेने उनकी निगाह की तरफ देखा. वो वॅसलीन की खुली शीशी की ओर देख रही थीं. तभी मेरी निगाह बंद दरवाजे की ओर पड़ गयी. चुपके से जाके मेने उसे खोला ही था कि अंजलि बोल पड़ी,

भाभी...रीमा बेचारी को क्यों बंद कर रखा है.

वो बेचारे बड़े अंकनफर्ट फील कर रहे थे. बोले, मे ज़रा नीचे जा रहा हूँ.

जल्दी आईएएगा. मे बोली, आप को रीमा के साथ बाजार जाना है, सासू जी ने बोला है कि इन लोगों के लिए कपड़े लाने के लिए.

ठीक है बस मे जा के आता हूँ. लेकिन वो दरवाजे तक ही पहुचे होंगे कि रीमा निकल पड़ी.

गजब की लग रही थी. गोरी तो वो खूब थी ही. नहा के एक दम फ्रेश, हल्के मेकप में और लेमन येल्लो टांक टॉप में उसके किशोर उभार बस, छलके पड़ रहे थे. टॉप छोटा भी था इस लिए हल्का सा गोरा गोरा पेट भी...जीन्स भी उसने कूल्हे से ही बस अटका के... हिप्स पे एक दम कसी. उनकी निगाहे तो बस चिपक के रह गयीं उपर से उसने और...मुस्करा के बोली, बोलो जीजू मे कैसी लगती हूँ.

मेने कहा, हे तुझे इनके साथ बाजार जाना है. वो खुश होके बोली, एकदम दीदी और उनके साथ चिपक के खड़ी हो गयी. उनके हाथ भी तुरंत उसके कंधे पे और निगाहे कंधे से नीचे...

हे तू कुछ स्वेटर, कार्डिगान पहन ले, ठंडक लग जाएगी.

उसके बदन ढकने से जिसको दिक्कत होती, वो खुद बीच में बोला,

अर्रे कितनी अच्छि तो धूप निकली है...फिर कार में कहाँ से ठंड लगेगी. अगर लगेगी तो मे अपनी जॅकेट दे दूँगा.

शिवल्री ईज़ नोट डेड रीमा और उनके साथ दुबक के बोली.

अर्रे जो खुद हीटर हो उसे क्या ठंडक लगेगी. अंजलि ने उसे छेड़ा.

अर्रे जलने वाले जला करें, मे जीजू के पास हूँ. रीमा क्यों चुप होती.

अंजलि, तुम चलोगि बाजार, ... उन्होने पूछा.

नही भैया, असल में मुझे कुछ...काम...थोड़ा बिज़ी हूँ अंजलि ने बहाना बनाया.

अर्रे असली परेशानी काम की...अर्रे बोल ना किस के साथ काम करना है ...या करवाना...है, संजय भैया के साथ ना... मेरी होने वाली प्यारी प्यारी भाभी. अब रीमा ने बदला लिया.

हम सब मुस्करा पड़े. वो बेचारे...उन्होने रजनी से पूछा,

क्यों तू चलेगी. उसने भी सर हिलाते हुए हंस कर जवाब दिया,

ना बाबा ना, मे कबाब में हड्डी नही बनना चाहती, रीमा बहुत गाली देगी.

ठीक है जीजू, हम दोनों चलते हैं, बच्चियों तुम लोगों को जो कुछ चाहिए माँग सकती हो,

चिढ़ाते हुए रीमा बोली, चॉक्लेट, लॉलिपोप... अर्रे.... धीमे से अंजलि रजनी के पास आके बोली,

वैसे मे अपने दो भाई भी लाई हूँ चाहो तो... उन लोगों की नोंक झोंक वहीं छोड़ के मे नीचे किचन की ओर चली.

क्रमशः…………………………….
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08-17-2018, 02:52 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
38

गतान्क से आगे…………………………………..

रीमा तो अपने जीजू के साथ मगन थी और अंजलि संजय से लगी हुई थी. लेकिन रजनी...

मेरे नेंदोई वो सुबह की गाड़ी से वापस चले गये थे.

सीढ़ी से उतरते समय नीचे सोनू मिला. मेरे मन में एक बात कौंधी,

हे तू रजनी को...वो बेचारी अकेली है उस का ख्याल क्यों नही रखता.

पर वो...गुड्डी...वो ... वो सोच में पड़ गया.

अर्रे तूने गोविंदा की पिक्चरे नही देखी क्या, एक साथ दो दो...तो तू किस हीरो से कम है.

मन तो उसका भी कर रहा था. मेने और पलिता लगाया.

अर्रे तेरे ही शहर में अगले साल वो मेडिकल की कोचिंग जाय्न करना वाली है, तेन्थ के बाद. एक साल से भी काम समय है. एलेवेन्थ, ट्वेल्फ्त वहीं से करेगी कोचिंग के साथ और अकेले रहेगी. तू उसका लोकल गार्डियन बन के रहेगा.पूरे दो साल...सोच वो एलेवेन्थ, ट्वेल्थ में होगी अकेले, तेरे तो मज़े हो जाएँगे, पटा ले.... माल है.

सच्ची कह रही हो, वो कोचिंग के लिए आ रही है. सच में ए-वन माल है...

लेकिन कहीं गुड्डी ने देख लिया ना तो और जलेगी. फिर दो के चक्कर में एक जो पट रही है वो भी ना हाथ से ...

अर्रे जलेगी तो और जल्दी पटेगी. बस तू देख के आ गुड्डी कहाँ हैं, आधे घंटे तक मे उसे उलझा के रखूँगी तब तक तू उसे चारा डाल. वो शायद किचन में ही होगी.

बस तुम उसको आधे घंटे तक बिज़ी रखना, तब तो मे चारा क्या चिड़िया को पूरा चुग्गा खिला दूँगा, बस देखती जाओ. और वो ये जा, वो जा.

पीछे से सीढ़ियो पे आवाज़ हुई. अंजलि थी, लेकिन बड़ी जल्दी में...मेने जब सामने देखा तो संजय था.

उसके पीछे से रजनी चली आ रही थी, अकेले. मुझे देख के उस का चेहरा खिल उठा. मेने मुस्करा के उस से पूछा, हे सोचा क्या.... वो समझ नही पर, बोली क्या भाभी. मेने उसे याद दिलाया, मेने बोला था ना, 'तेरे भैया की प्यास मे बुझाती हूँ और मेरे भैया की तुम बुझा देना, ' तो तूने बोला था कि सोचूँगी. तो सोचा क्या.

खिलखिला के वो जा रही अंजलि और संजय की ओर इशारे से बोली,

भाभी आप का एक भाई तो बुक हो गया.

तब तक सोनू किचन की ओर से लौट के आ गया. उसने मुझे इशारे से बताया कि गुड्डी किचन में ही है. सोनू टी शर्ट और जीन्स में बहुत स्मार्ट लग रहा था. रजनी उसे एक टक देख रही थी. सोनू की ओर इशारा करके मे बोली,

इस के बारे में क्या इरादा है.

ठीक लग रहा है, ट्राइ कर के देख सकती हूँ...देखूँगी. वो अदा से बोली.

तब तक सोनू पास आ गया था. मेने दोनों से कहा,

हे तुम ट्राइ करो और तुम अपने माल का ख्याल करो...मे तो चली किचन में. मेरी अच्छि ढूढ़नी हो रही होगी.

रजनी सोनू के साथ गयी, सीढ़ियों से कस के हंसते हुए रीमा उनके साथ उतर रही थी. और मे किचन में जा पहुँची.

किचन में तो घमासान मचा था. मेरी जेठानी, गुड्डी के साथ मेरी मन्झलि ननद भी...और वो मुझे देख के ( और शायद इसीलिए और ) अनदेखा करते हुए बोल रही थीं,

कितना काम बचा हुआ है. मुझे अभी सारी पॅकिंग करनी है, 7 बजे ट्रेन है. उसके बाद रजनी लोगों की भी ट्रेन साढ़े आठ बजे है. रास्ते के लिए भी खाना बना के पॅक होना है. फिर सभी लोगों के विदाई का समान...उपर से पिक्चर का अलग से प्रोग्राम बना लिया...दुल्हन के उपर ज़िम्मेदारी होती है. वो कुछ नही, बस बछेड़ियों की तरह...लड़कियो के साथ कुदक्कड़ ...मची हुई है. और करें कल की छोकरि से शादी...मेरा क्या काम काज में आउन्गि...पर घर की ज़िम्मेदारी.

मेरी जेठानी ने आँख के इशारे से मना किया कि मे बुरा ना मानूं. मे क्यों बुरा मानती. जैसे क्लास में कोई शरारती बच्चा देर से आए और चुप चाप बैठ के अपने काम करने लगे मे भी काम में लग गयी. मेने चारो ओर देखा, काम फैला पड़ा था. कुछ देर बाद मेने हिम्मत कर के मन्झलि ननद जी से कहा कि हम लोग किचन के काम सम्हाल लेंगे वो जाके पॅकिंग कर लें.

उन्होने हम लोगों की ओर देखा और भूंभूनाते हुए चली गयीं.

हम सब ने चैन की सांस ली यहाँ तक कि किचन में काम करने वाले महाराज और उनका साथ दे रहे रामू काका ने भी.

मेने जेठानी जी से समझ लिया कि क्या बनाना है. पता चला कि परेशानी पॅक किए जाने वाले खाने की थी. मांझली ननद जी को कुछ और पसंद था, उनके बच्चे को कुछ और, फिर जेठानी जी ने सोचा था कि जो इस समय सब्जी बन रही है वही कुछ उनके लिए पॅक कर दी जाए जो उनको सख़्त नागवार गुज़रा. लड़के की शादी में लड़कियो की विदाई भी पूरी दी जाती है, उसका भी हिसाब किताब सेट होना था, पॅकिंग होनी थी. मेने कहा 'दीदी, ऐसा है आप जा के ननद जी लोगों की जो विदाई है उसका इंतज़ाम करें मे यहाँ सम्हाल लूँगीं.' वो अचरज से बोली, अकेले. मेने हंस के गुड्डी की पीठ पे हाथ फेराते हुए कहा, ये है ना मेरी सहेली. काम करने के लिए ये काफ़ी है, मे तो इसका सिर्फ़ साथ दूँगी.

वो भी चली गयीं, अब बचे सिर्फ़ मे और गुड्डी.

परेशानी सिर्फ़ यही थी...टू मेनी कुक्स ...इन्स्ट्रक्षन देने वाले कयि और काम करने वाले कम...

मेने देखा एक स्टोव रखा हुआ था, गुड्डी से मेने बोला उसे जलाने को और शाम को ले जाने वाली सब्जी उस पे चढ़वा दी. फिर मेरी नज़र माइक्रोवे ओवन पे पड़ी. फिर मेने पूछा, ननद जी के बच्चो के लिए कौन सी सब्जी बनाने के लिए वो बोल रही थीं. वो कटी रखी थी. उसे मेने खुद बना के ओवन में रख दिया और रामू को पॅक होने वाली पूड़ी के लिए आटा गूथने के लिए बोला. गुड्डी से मेने कहा कि ऐसा करते हैं कि स्टोव पे सब्जी जैसे ही हो जाएगी कड़ाही चढ़ा देंगे, पूड़ी के लिए.

अलमारी में मेने ढूँढा, अल्यूमिनियम फ़ॉल भी मिल गया पॅक करने को. वो भी मेने निकाल के समझा दिया कि ले जाने वाली पूड़ी इसमें पॅक करके कैस रोल में रख देंगें. दस मिनट में ही मे ओवेन से सब्जी उतार चुकी थी और चीज़ें रास्टेन पे थीं. गुड्डी को मेने सब समझा दिया और कहा कि वो यहाँ से हीले नही बस सब चीज़ें मेने जैसे बोली है, देखती रहे बस मे ज़रा दीदी के पास से होके आ रही हूँ कि उनकी विदाई वाली पॅकिंग कैसे चल रही है.

गुड्डी बोली, ' आप ने तो...अभी यहाँ कितना तूफान मचा हुआ था और बस दस मिनट में,

अर्रे कमाल तो सब तेरा है, काम तो तू कर रही है, बस तू देखती रहना हिलना नही और उस के गाल पे एक प्यार से चपत लगा के मे बाहर निकल आई.

मे देखना चाहती थी कि सोनू और रजनी का मामला कितने आगे बढ़ा.

सीढ़ी के नीचे एक कमरा था. उसमें शादी की मिठाइयाँ, बाकी सब समान रखा जाता था. उधर कोई आता जाता नही था. मेरा शक था कि वो दोनो उधर ही...और जब मे दरवाजे के पास पहुँची तो मेरा शक सही निकाला. अंदर से हल्की हल्की आवाज़ें आ रही थीं, दरवाजा उठंगा हुआ था. दबे पाँव ...पंजो के बल...मेने देखा, सोनू उसे छेड़ रहा था,

बच्ची, छोटी सी बच्ची...

हे, मे अंजलि दीदी से सिर्फ़ एक साल ही छोटी हूँ, और उन्हे देखो, संजय तो उनसे नही कहता कि ...और नई भाभी भी तो, तुम्हारी दीदी भी मुझसे मुश्किल से तीन साल... वो इतरा के बोली.

तू बच्ची नही है बड़ी हो गयी है. सोनू उससे एक दम सॅट के बैठा था और उसका एक हाथ उसके कंधे के उपर था. उसे और अपने पास खींच के वो बोला.

एक दम...मे टीनएजर हूँ और वो भी पिच्छले पूरे दो सालों से, बच्ची कतई नही हूँ.

' चलो मे मान लेता हूँ कि तुम टीनएजर हो...अगर एक क़िस्सी दे दो. सोनू ने उसे और चढ़ाया.

लेकिन वो गुड्डी की तरह आसानी से हत्थे चढ़ने वाली नही थी.

हे ...हे चलो...मे ऐसे मानने वाली नही हूँ वो झटक के बोली. पर सोनू भी...

तो कैसे मनोगी बोलो ना...ऐसे मनोगी...और उसने सीधे उसक होंठो पे जब तक वो संभली एक ..पच्चक से...क़िस्सी ले ली.

मुझे लगा कि रजनी अब गुस्सा हो के उठ जाएगी और कहीं वो सोनू को....

गुस्सा तो वो हुई पर...गुस्से से वो बोली, क्या करते हो जूठा कर दिया, अभी मे भाभी से शिकायत करती हूँ.

हे हे मे तो डर गया क्या शिकायत करोगी...दीदी से. चिढ़ाते हुए सोनू ने और छेड़ा.

मे कहूँगी ... कहूँगी की...कि तुमने मेरी...ले ...ले ली.

अर्रे ऐसा मत बोलना...वो समझेंगी कि उनकी इस प्यारी ननद की पता नही मेने क्या ले ली.

मे बोलूँगी सॉफ सॉफ डरती थोड़े ही हूँ कि तुमने मेरी...क़िस्सी ले ली.

अगर वो पूच्छें कि कैसे...ली. मुस्कराते हुए सोनू ने कहा.

अब रजनी के लिए भी मुस्कराहट दबानी मुश्किल हो रही थी.

अबकी बार उसने सोनू के होंठो पे एक झटक से क़िस्सी ली और बोली, ऐसे.

अब वो खिलखिला के हंस रही थी, जल तरंग की तरह.

फिर तो सोनू ने भी...पुच्च...पुच्च्पुचक...पुच्चि...पुच्च पुच्च.

अब वो जब रुके तो सोनू ने उसके कसी फ्रॉक से, झलक रहे टीन उभार को साइड से...उंगली के टिप से...हल्के से छूआ, दबाया.

मुझे लगा कि अब वो ज़रूर गुस्सा ...कहीं सोनू को. लेकिन गुस्से की आवाज़ में वो बोली भी और उसने सोनू का हाथ वहीं बूब्स के स्वेल के साइड में पकड़ लिया...लेकिन हटाया नही.

ये क्या करते हो.

तेरा दिल ढूँढ रहा हूँ...जब तुम इतनी प्यारी हो तो तुम्हारा दिल भी...

मेरा दिल ...ग़लत जगह ढूँढ रहे हो, थोड़ी देर पहले यहीं था लेकिन अब मेरे पास नही है.

कहाँ गया ...कौन ले गया... सोनू ने उसके चेहरे के पास अपने होंठ ले जाके पूछा.

एक पल के लिए उसने सोनू के हाथो पे रखा अपना हाथ हटा दिया. सोनू को मौका मिल गया,

उसने एक झटके में उसके रूई के फाहे जैसे मुलायम उरोजो पे अपने हाथ हल्के से दबा के पूछा,

कौन है वो चोर ...बताओ तो उसकी मे ऐसी की...

उभार पे रखे उसके हाथ पे अपने हाथ रख के वो हल्के से बोली,

हे उसकी बुराई ना करो...मे उसको बहुत प्या... फिर वो रुक गयी और बोली, वो...वो बहुत अच्छा है, यही मेरे पास ही है वो फिर ढेर सारी चाँदी की घंटियों की तरह, खनखना के हंस दी.

हँसी तो फँसी...चलो इन लोगों की गाड़ी तो पटरी पे चल निकली. मे दबे पाँवों से वहाँ से खिसकी और अपनी जेठानी के कमरे में जा पहुँची.

वो तीन साड़ियाँ ले के कुछ उधेड़ बुन में पड़ीं थीं. मेरे पूछने पे वो बोली,

अर्रे यार इसमें से कौन सी सारी वो मझली ननद जी की विदाई के लिए निकालू. एक उनके लिए है, एक उनकी देवरानी को देनी होगी और एक रजनी की मा के लिए.

अर्रे तो पूच्छ लीजिए ना, उनसे जो उन्हे पसंद होगा बता देंगी. बूढो की तरह मे बोली.

अर्रे यही फरक है नई बहू में...तू समझती नही. वो चालू हो जाएँगी...जो तुम्हे पसंद हो मेरा क्या है और बताएँगी भी नही.

मे मान गयी उन की बात. पल भर सोचती रही फिर बोली,

दीदी, ऐसा करते हैं आप तीनो साड़ियाँ उनके पास ले जाइए और उन्हे सब बात बता दीजिए.

लेकिन उन्हे अपने लिए सारी पसंद करना के लिए मत बोलिए. सिर्फ़ उनसे कहिए कि आपको उनकी देवरानी की पसंद नही मालूम...क्या वो हेल्प कर सकती हैं. जब वो सेलेक्ट हो जाएगी तो फिर पूच्छ लें कि रजनी की मम्मी के लिए कौन सी सारी ठीक रहेगी.

वो तुरंत चली गयी और लौट के आईं तो उनके चेहरे पे खुशी झलक रही थी,

तूने बहुत सही आइडिया दिया...दोनो उन्होने खुशी खुशी बता दिया.

यही तो दीदी...उन्हे खुद बोलना नही पड़ा कि उन्हे ये वाली चाहिए और उपर से ये भी हो गया कि हर काम उनसे पूच्छ पूच्छ के होता है. मे ने कहा लेकिन वो अभी भी थोड़ी परेशान लग रही थीं क्या बात है दीदी... वो बोली, अर्रे यार अभी मे सब मेहनत से लगा रही हूँ फिर कोई आएगा देखने इनको क्या दिया, उनको क्या दिया...मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी और फिर जलन अलग.

बात उनकी एक दम सही थी. मे फिर बोली,

दीदी ऐसा करते हैं ना...सब गिफ्ट रॅप कर देते हैं फिर कोई खोलेगा भी नही अर्रे मेरी बन्नो, गिफ्ट रॅप का समान कहाँ से मिलेगा. आइडिया तो तेरा सही है...पर मेरी निगाह तब तक मेरे रिसेप्षन में मिले गिफ्ट्स पे पड़ गयी थी. मेने सम्हल के उन्हे अनरॅप किया और फिर सब कपड़े समान को गिफ्ट रॅप करना शुरू कर दिया...और साथ सब पे नाम भी और डिज़ाइन भी...लेकिन मे इस तरह बैठी थी कि मेरी निगाह एक साथ किचन पे और जिस कमरे में रजनी सोनू थे साथ साथ थी.

क्रमशः…………………………….
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08-17-2018, 02:52 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--37

गतान्क से आगे…………………………………..

उन्होने एक हाथ मेरी सारी के अंदर डाल के, सीधे मेरे चुतडो को...और अगले पल मेरी पैंटी ज़मीन पे थी. उनके हाथ ने मेरी 'बुलबुल' अब सीधे दबोच ली. मेरे हाथ भी शर्ट के अंदर घुस के...मेने कस के 'उसे' पकड़ लिया. वो अब खुल के फानाफने रहा था. मेरी उंगालिया इतनी खुश थीं...इतने अच्छा लग रहा था...कड़ा कड़ा, मोटा, मुश्किल से पकड़ में आ रहा था. उनके होंठ मेरे होंठो से रस चखने के बाद...मेरे उरोजो के उपरी भाग पे चूम रहे थे, चूस रहे थे. उनके शैतान हाथ ने मेरे ब्लाउस के उपर के बटन खोल दिए थे. एक हाथ मेरे उभार मसल रगड़ रहा था, ब्लाउस के उपर से और दूसरा कस के नीचे सहला रहा था, मेरे निचले होंठो को छेड़ रहा था. मेरा हाथ भी अब उनके पूरी तरह उत्तेजित लंड को कस कस के मुठिया रहा था, आगे पीछे कर रहा था. उन्होने मेरी अच्छि तरह गीली हो चुकी चूत में एक उंगली हल्के से घुसा दी और मेने भी एक झटके में, आगे पीछे करते हुए कस के खींचा और उस की चमड़ी पीछे खींच के सूपड़ा खोल दिया. उनकी उंगली हल्के अंदर बाहर हो रही थी साथ साथ मेरी सांस भी लंबी गहरी...मेरे कोमल हाथ भी अब कस कस के 'उसे' दबा रहे थे भींच रहे थे. उनके अंगूठे ने मेरे उतेज़ित खड़े क्लिट को अचानक छू दिया, फिर तो मेरी सारी देह गनगनाने गयी. एक...दो बार छूने के बाद, उन्होने हल्के से उसे रगड़ना शुरू कर दिया और मे काँपने लगी. अपने आप मेरा अंगूठा, उनके खोले खूब फॉले, बड़े, मोटे सूपदे पे जा के उसे सहलाने रगड़ने लगा और मेने 'उसकी आँख ' छू ली. प्री कम की दो बूँदों ने मेरा अंगूठा गीला कर दिया. उत्तेजित होके उन्होने हल्के से मेरी 'पिंकी' पिंच कर दी.

और तभी दरवाजा ख़टखटाने की आवाज़ हुई...मेने शर्ट से हाथ तुरंत बाहर निकाल लिया और वो भी मुझे छोड़ के...तभी दुबारा...खाट खाट...मेने झट से फर्श पे पड़ी पैंटी उतार के बिस्तर पे तकिये के नीचे दबाया और दरवाजा खोल दिया.

रीमा थी.

उसने पहले मेरी ओर देखा फिर अपने जीजा की ओर, वो दोनो टाँगे सिकोडे अपने शर्ट पे हाथ रखे बैठे थे. लेकिन बिना इस पे गौर किए वो चालू हो गयी,

मे नहाने आई हूँ. सुबह मेने देखा कि दीदी आपका बाथ रूम बहुत अच्छा है और बाथ टब कितना बड़ा है, कितना रिलॅक्सिंग होगा ना...और मेरे कपड़े भी यहीं पे थे तो मेने सोचा यहीं नहा लूँ.

अर्रे तो नीचे भी तो बाथ रूम थे, वहीं नहा लेती. ऐन मौके पे उसने डिस्टर्ब किया था, मुझे बड़ा खराब लग रहा था, 15-20 मिनट बाद में आ जाती तो क्या बिगड़ जाता उसका मे सोच रही थी. मे फिर बोली और कपड़े यहाँ से ले जाती, तुम्हारे जीजा... मेरी बात काट के वो बोली,

मेने भी यही कहा था अंजलि से, लेकिन एक में सोनू नहा रहा था और दूसरे में दीदी कपड़े धूल रही थीं. मेने कहा मे वेट कर लेती हूँ पर अंजलि बोली, नही कहाँ वेट करोगी. भैया और भाभी तो सुबह सुबह ही नहा लेते हैं, उपर बाथ रूम खाली ही होगा.

अंजलि की बच्ची, आज तेरी ने फडवाइ तो...मेरे दिमाग़ में बबूले बन रहे थे.

ठीक ही तो है यहीं नहा लो और कहो तो मे नहला भी दूँगा. उसके जीजू अब फिर साली को देख के मूड में आ रहे थे. मे भी नॉर्मल हो रही थी, शरारात से मेने रीमा को उनके शर्ट की ओर इशारा किया. उसने, जब तक वो सम्हले सम्हाले, एक झटके में हाथ शर्ट के उपर से हटा के बोला,

हे जीजू ये क्या छिपा रखा है. और हाथ के हटते ही शर्ट में तने 'टेंट पॉल' पूरे बलिश्त भर का,

वो शर्मा गयी और ये झेंप गये.

बात बदल के वो बोली, नही जीजू रहने दीजिए आज मुझे जल्दी है. अभी आपको पिक्चर के लिए भी चलना है. और वैसे भी मे अब आपको इतने सस्ते में नही छोड़ने वाली, कल तक तो हूँ ना तो कल नहला दीजिएगा...

सुन कोई जल्दी वल्दी नही है, वो जो इंपोर्टेड शॅमपू लाए थे नीला, कहाँ रखा है, मेने पूछा.

वो वहीं टब के पास रखा है. वो बोले.

और उसे लगा के आधे घंटे तक बॉल वैसे है रखना पड़ता है, है ना.

बिना मेरा मतलब समझे उन्होने हामी भरी.

देख... मे रीमा से बोली, तू तब तक अपने कपड़े निकाल...

यहीं जीजू के सामने...क्या दीदी वो अचरज से बोली.

मुझे कोई एतराज नही है बल्कि मे निकालने में मदद कर सकता हूँ. खुश हो के वो बोले.

तुम दोनो ने...अर्रे मेरा मतलब था नहाने के बाद पहनने वाले...तब तक ये तुम्हारे लिए बढ़िया बबल बाथ बना देंगें, अरमॅटिक सेंट डाल के...जाइए ना, बड़ा साली साली करते रहते हैं साली के लिए इतना तो करिए. वो चुपचाप चले गये.

जब तक वो लौट के आए रीमा ने अपनी ड्रेस निकाल के रखी थी, एक नुडल स्ट्रिंग की टांक टॉप और एक हिप हगिंग जीन्स.

क्यों जीजू..., कैसे लगती है ड्रेस मेरी. वो हंस के बोली.

उन की तो जैसे जान निकल गयी. वो मुश्किल से बोले, एकदम सेक्सी, चलो नहालने नही दे रही हो तो ड्रेस पहनाने में कहो तो तुम्हारी मदद कर दूं... वो फिर वापस अपनी स्पिरिट में आ गये थे.

वो कुछ बोलती उस के पहले बात काट के मे बोली, बाथ टब में कम से कम आधे घंटे रिलॅक्स करना, एक दम फ्रेश हो जाएगी. और उसी के साथ शम्पू भी...बाल में लगा के आधे घंटे तक कम से कम छोड़ देना और फिर शवर में धूल लेना. देख जल्दी कोई नही है, अभी सिर्फ़ साढ़े ग्यारह बजे हैं. साढ़े बारह तक भी तुम तैयार हुई तो खाना डेढ़ दो से पहले होने वाला नही और पिक्चर भी साढ़े तीन से है. इस लिए तुम आराम से नहा धो के तैयार हो जाओ. कपड़े लेती जा वहीं ड्रेसिंग रूम में चेंज कर लेना और कुछ मेकप वेकप करना हो तो वो भी सब है वहाँ पे.

एक तरह से धक्के दे के भेजा मेने. जब तक वो गयी उनकी निगाहे अपनी साली पे टिकी थीं, और उस से उन के 'हार्ड ऑन' की हालत और खराब ही हुई...और वो भी अपने रसीले होंठो पे जीभ फिरा के...

हे तुम बार बार आधे घंटे की बात क्यों कर रही हो, वो शैम्पू तो... उन की बात अन सुनी कर के जैसे ही वो बाथ रूम के अंदर हुई मेने हल्के से उस ओर जाने वाले दरवाजे को बाहर से बोल्ट कर दिया. फिर उन की ओर मूड के प्यार से उनकी नाक पकड़ के बोली,

इस लिए मेरे बुद्धू राजा, कि वो 40-45 मिनट तक बाथ रूम में बंद रहे और हम लोगों के पास ये समय...कुछ समझे. पिछले तीन दिनों से तो तुम्हे खाने के बाद स्वीट डिश की मेने आदत जो लगा दी है वो तो आज तुम्हे मिलने से रही क्योंकि खाने के बाद तो हम सब सीधे पिक्चर ...इस लिए खाने के पहले ही सही...
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08-17-2018, 02:53 PM,
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
हे, तुम कितनी अच्छि हो.... और क्षॅन भर में उनका शर्ट ज़मीन पे था. मे भी पलंग पे, मुझे बसंती की बात याद आ रही थी सारी के फ़ायदे के बारे मे. मेने भी सारी अपनी कमर तक उठा के घुटने मोड़ लिए. वॅसलीन की शीशी हमेशा तकिये के नीचे रहती ही थी. पल भर में वो अंदर थे.

उन्होने इधर उधर कुछ छूने की कोशिश की तो मेने तुरंत मना कर दिया, हे और कुछ नही, और आवाज़ ज़रा भी नही, बस सीधे... मेरे ब्लाउस के एक दो बटन तो उन्होने पहले ही खोल लिए थे.

तुरात फुरात में बाकी बटन भी और ....फिर फ्रंट ओपन ब्रा...मेरे उरोज उनकी मुट्ठी में थे और वो कस के कुचल मसल रहे थे. बिना आवाज़ किए, उन्होने कुशन भी मेरे चुतडो के नीचे लगा दिए और फिर सतसट सतसट...मे भी उनके कंधे पकड़ के पूरा साथ दे रही थी. कभी कमर उचका देती, कभी चूत सिकोड के उनका लंड भींच लेती. थोड़ी ही देर में घमासान चुदाई शुरू हो गयी थी. बिना रुके हम दोनों....दोनों जानते थे वक़्त काम है, इस लिए पूरी ताक़त से खूब पूरी स्पीड से, जल्दी जल्दी चुदाई का मज़ा ले रहे थे. मेरे हाथ कस के उनकी पीठ से चिपके थे. उनका बीयर कैन ऐसा मोटा लंड....मेने अपनी जंघे पूरी तरह से कस के फैला रखी थीं, फिर भी कस कस के लग रहा था कि मेरी...फॅट रही है. हर धक्का उनका पूरे ताक़त से...सूपड़ा सीधे बच्चेदानि से...पूरा जड़ तक अंदर और लंड का बेस सीधे मेरी क्लिट पे कस कस के रगड़ता...बिना रुके वो फिर सुपाडे तक बाहर निकाल के फिर पूरे ज़ोर से अंदर तक ठूंस देते. दर्द के बावजूद मज़ा इतना के मेरे चुतड अपने आप उपर नीचे उठ रहे थे. वो कभी दोनो चून्चिया पकड़ के, दबाते मसलते, कभी चुतड पकड़ के, लगातार...मे दुहरी थी और हर धक्का सीधे मेरी बच्चेदानि पे.

मेरे नाख़ून उनके कंधे में धँस जाते...साथ साथ उनके दाँत मेरे निपल के चारों ओर या मेरी चून्चि पे...कच कचा के वो काट लेते. एक पल के लिए भी स्पीड उन्होने धीमी नही की. मोटे पिस्टन की तरह उनका सख़्त मोटा लंड...पूरी तेज़ी से और मे भी चाह रही थी बस इसी तरह..सतसट....गपगाप. पहली बार वो 'क्विकी' कर रहे थे पर इसमें भी 20-25 मिनट तो उन्हे लगे ही. पहले मे झड़ी और उसके साथ मेरी चूत कस कस के उनका लंड भींचने लगी.

उसके साथ ही वो भी...लंड पूरी तरह अंदर धंसा हुआ था और वीर्य की लगातार धार बह रही थी.

मेरी बुर तो उससे भर ही गयी थी अब वो निकल के जाँघ पर भी...मेरी सांस अभी भी तेज तेज चल रही थी. तभी...

ठक ठक...ठक ठक दरवाजे पे आवाज़ हुई. वो झट से उठ गये और शर्ट पहन ली. मेने भी ब्रा के हॉक बंद किए तब तक दुबारा...ठक ठक.

ब्लाउस बंद करते हुए मे दरवाजे की ओर बढ़ी...( मुझे फिर बसंती की सारी के फ़ायदे के बारे में सलाह याद आई, फिर से पहनने में कोई टाइम नही, उठो और वो अपने आप ठीक).

अंजलि और रजनी थी, खिलखिलाती....दरवाजा खोलते ही रजनी ने हल्के से मेरे कान में पूछा,

क्यों भाभी , हमने डिस्टर्ब तो नही किया.

नही... हंसते हुए मे बोली. लेकिन 5 मिनट पहले आती तो ज़रूर करती.

टाइट फ्रॉक में, उसके छोटी छोटी टीन बूब्स बड़े ही सेक्सी लग रहे थे. उन्हे हल्के से छू के, मे बोली, हे सोचा क्या. वो उसी तरह धीमे से बोली, क्या. मेने हल्के से पूछा मेरे भाई की प्यास बुझाने के बारे में. वो अदा से हंस के बोली, देखेंगें.

वो दोनो सोफे पे बैठ गयीं और बेड पे कुछ देख के मुस्कराने लगीं. मे सोच में पड़ गयी, मेने उनकी निगाह की तरफ देखा. वो वॅसलीन की खुली शीशी की ओर देख रही थीं. तभी मेरी निगाह बंद दरवाजे की ओर पड़ गयी. चुपके से जाके मेने उसे खोला ही था कि अंजलि बोल पड़ी,

भाभी...रीमा बेचारी को क्यों बंद कर रखा है.

वो बेचारे बड़े अंकनफर्ट फील कर रहे थे. बोले, मे ज़रा नीचे जा रहा हूँ.

जल्दी आईएएगा. मे बोली, आप को रीमा के साथ बाजार जाना है, सासू जी ने बोला है कि इन लोगों के लिए कपड़े लाने के लिए.

ठीक है बस मे जा के आता हूँ. लेकिन वो दरवाजे तक ही पहुचे होंगे कि रीमा निकल पड़ी.

गजब की लग रही थी. गोरी तो वो खूब थी ही. नहा के एक दम फ्रेश, हल्के मेकप में और लेमन येल्लो टांक टॉप में उसके किशोर उभार बस, छलके पड़ रहे थे. टॉप छोटा भी था इस लिए हल्का सा गोरा गोरा पेट भी...जीन्स भी उसने कूल्हे से ही बस अटका के... हिप्स पे एक दम कसी. उनकी निगाहे तो बस चिपक के रह गयीं उपर से उसने और...मुस्करा के बोली, बोलो जीजू मे कैसी लगती हूँ.

मेने कहा, हे तुझे इनके साथ बाजार जाना है. वो खुश होके बोली, एकदम दीदी और उनके साथ चिपक के खड़ी हो गयी. उनके हाथ भी तुरंत उसके कंधे पे और निगाहे कंधे से नीचे...

हे तू कुछ स्वेटर, कार्डिगान पहन ले, ठंडक लग जाएगी.

उसके बदन ढकने से जिसको दिक्कत होती, वो खुद बीच में बोला,

अर्रे कितनी अच्छि तो धूप निकली है...फिर कार में कहाँ से ठंड लगेगी. अगर लगेगी तो मे अपनी जॅकेट दे दूँगा.

शिवल्री ईज़ नोट डेड रीमा और उनके साथ दुबक के बोली.

अर्रे जो खुद हीटर हो उसे क्या ठंडक लगेगी. अंजलि ने उसे छेड़ा.

अर्रे जलने वाले जला करें, मे जीजू के पास हूँ. रीमा क्यों चुप होती.

अंजलि, तुम चलोगि बाजार, ... उन्होने पूछा.

नही भैया, असल में मुझे कुछ...काम...थोड़ा बिज़ी हूँ अंजलि ने बहाना बनाया.

अर्रे असली परेशानी काम की...अर्रे बोल ना किस के साथ काम करना है ...या करवाना...है, संजय भैया के साथ ना... मेरी होने वाली प्यारी प्यारी भाभी. अब रीमा ने बदला लिया.

हम सब मुस्करा पड़े. वो बेचारे...उन्होने रजनी से पूछा,

क्यों तू चलेगी. उसने भी सर हिलाते हुए हंस कर जवाब दिया,

ना बाबा ना, मे कबाब में हड्डी नही बनना चाहती, रीमा बहुत गाली देगी.

ठीक है जीजू, हम दोनों चलते हैं, बच्चियों तुम लोगों को जो कुछ चाहिए माँग सकती हो,

चिढ़ाते हुए रीमा बोली, चॉक्लेट, लॉलिपोप... अर्रे.... धीमे से अंजलि रजनी के पास आके बोली,

वैसे मे अपने दो भाई भी लाई हूँ चाहो तो... उन लोगों की नोंक झोंक वहीं छोड़ के मे नीचे किचन की ओर चली.

क्रमशः…………………………….
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