RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
लालाजी की दुकान से निकलते ही पिंकी और निशि ज़ोर-2 से हँसने लगी...
पिंकी : "देखा, मैं ना कहती थी की वो ठरकी लाला आज फिर से क्रीम रोल देगा...चल अब जल्दी से शर्त के 10 रूपए निकाल''
निशि ने हंसते हुए 10 का नोट निकाल कर उसके हाथ पर रख दिया और बोली : "हाँ ...हाँ ..ये ले अपने 10 रूपए ...मुझे तो वैसे भी इसके बदले क्रीम रोल मिल गया है...''
और एक बार फिर से दोनो ठहाका लगाकर हँसने लगी..
निशि : "वैसे तेरी डेयरिंग तो माननी पड़ेगी पिंकी, आज तूने जो कहा, वो करके दिखा दिया, बिना कच्छी के तेरे नंगे चूतड़ देखकर उस लाला का बुरा हाल हो रहा था...तूने देखा ना, कैसे वो फटी आँखो से तेरे और मेरे सीने को घूर रहा था...जैसे खा ही जाएगा हमारे चुच्चो को...''
पिंकी : "और तू भी तो कम नही है री..पहले तो कितने नाटक कर रही थी की बिना ब्रा के नही जाएगी, तेरे दाने काफ़ी बड़े है, दूर से दिखते है...पर बाद में तू सबसे ज़्यादा सीना निकाल कर वही दाने दिखा रही थी...साली एक नंबर की घस्ति बनेगी तू बड़ी होकर...''
इतना कहकर वो दोनो फिर से हँसने लगी...
लालाजी को तरसाकर उनसे चीज़े ऐंठने का ये सिलसिला काफ़ी दिनों से चल रहा था
और दिन ब दिन ये और भी रोचक और उत्तेजक होता जा रहा था..
दूसरी तरफ, लालाजी जब शबाना के घर पहुँचे तो वो अपनी बेटी को नाश्ता करवा रही थी...
लालाजी को इतनी सुबह आए देखकर वो भी हैरान रह गयी पर अंदर से काफ़ी खुश भी हुई...
आज लालजी बिना कहे ही आए थे, यानी उन्हे चुदाई की तलब बड़े ज़ोर से लगी थी..
उसके घर का राशन भी ख़त्म हो चुका था,
उन्हे खुश करके वो शाम को दुकान से समान भी ला सकती थी..
उसने लालाजी को बिठाया और अपनी बेटी को बाहर खेलने भेज दिया..
दरवाजा बंद करते ही लालाजी ने अपनी धोती उतार फेंकी..
अंदर वो कभी कुछ नही पहनते थे...
52 साल की उम्र के बावजूद उनका लंड किसी जवान आदमी के लंड समान अकड़ कर खड़ा था...
शबाना : "या अल्ला, आज इसे क्या हो गया है...लगता है लालाजी ने आज फिर से कच्ची जवानी देख ली है...''
वो लालाजी की रग-2 जानती थी..
लालाजी के पास कुछ कहने-सुनने का समय नही था
उन्होने शबाना की कमीज़ उतारी और उसकी सलवार भी नोच कर फेंक दी..
बाकी कपड़े भी पलक झपकते ही उतर गये...
अब वो उनके सामने नंगी थी...
पर उसे नंगा देखकर भी उनके लंड में वो तनाव नही आ रहा था जो पिंकी की गांड की एक झलक देखकर आ गया था..
लालाजी उसके रसीले बदन को देखे जा रहे थे और शबाना ने अपनी चूत में उंगली घुसाकर अपना रस उन्हे दिखाया और बोली : "अब आ भी जाओ लालाजी , देखो ना, मेरी मुनिया आपको देखकर कितना पनिया रही है....जल्दी से अपना ये लौड़ा मेरे अंदर घुसा कर इसकी प्यास बुझा दो लाला....आओ ना...''
उस रसीली औरत ने अपनी रस में डूबी उंगली हिला कर जब लालाजी को अपनी तरफ बुलाया तो वो उसकी तरफ खींचते चले गये..
एक पल के लिए उनके जहन से पिंकी और निशि का चेहरा उतर गया..
वो अपना कड़क लंड मसलते हुए आगे लाए और शबाना की चूत पर रखकर उसपर झुकते चले गये...
लालाजी का वजन काफ़ी था
उनके भारी शरीर और मोटे लंड के नीचे दबकर उस बेचारी शबाना की चीख निकल गयी...
''आआआआआआआआआआआआअहह लालाजी ,....... मार डाला आपने तो........ ऐसा लग रहा है जैसे कोई सांड चोद रहा है मुझे..... अहह......चूत फाड़ोगे क्या मेरी आज ....''
लालाजी भी चिल्लाए : "भेंन की लौड़ी .....तेरी चूत में ना जाने कितने लंड घुस चुके है, फिर भी तेरी चूत इतनी कसी हुई है.....साली.......कौनसा तेल लगती है इसपर...''
शबाना : "आआआआआअहह....आपकी ही दुकान का तेल है लालाजी ....आज सुबह ही ख़त्म हुआ है...शाम को फिर से लेने आउंगी ....''
उसने चुदाई करवाते-2 ही अपने काम की बात भी कर ली..
लालाजी भी जानते थे की वो कितनी हरामी टाइप की औरत है
पर चुदाई करवाते हुए वो जिस तरह खुल कर मस्ती करती थी
उसी बात के लिए लालाजी उसके कायल थे...
लालाजी ने अपने लंड के पिस्टन से उसकी चूत को किसी मशीन की तरह चोदना जारी रखा..
शबाना : "आआआआआहह लालाजी ...आज तो कसम से आपके बूड़े शरीर में जैसे कोई ताक़त आ गयी है....किस कली को देख आए आज....अहह''
लालाजी बुदबुदाए : "वो है ना साली....दोनो रंडिया...अपने मोहल्ले की....पिंकी और निशि ....साली बिना ब्रा पेंटी के घूमती है आजकल ......साली हरामजादियाँ .....आज तो कसम से उन्हे दुकान पर ही ठोकने का मन कर रहा था....''
शबाना हँसी और बोली : "उन दोनो ने तो पुर मोहल्ले की नींद उड़ा रखी है लालाजी .... उफफफफ्फ़....उन्हे देखकर मुझे अपनी जवानी के यही दिन याद आ गये...... अहह..... मैने तो इस उम्र में खेत में नंगी खड़ी होकर अपनी चूत मरवाई थी और वो भी 4 लौड़ो से.....और कसम से लालजी, आज भी वैसी ही फीलिंग आ रही है जैसे एक साथ 4 लंड चोद रहे है मुझे....''
लालाजी को वो अपनी जवानी के किस्से सुना रही थी और लालाजी एक बार फिर से पिंकी और निशि के ख़यालो में डूबकर उसकी चूत का बाजा बजाने लगे...
और जल्द ही, पिंकी और निशि के नाम का ढेर सारा रसीला प्रसाद उन्होने शबाना की चूत में उड़ेल दिया...
उसके बाद लालाजी ने अपने कपड़े पहने और बिना कुछ कहे बाहर निकल गये...
दुकान खोलकर वो फिर से अपने काम में लग गये पर उनका मन नही लग रहा था...
अब उन्हे किसी भी हालत में उन दोनो को अपनी बॉटल में उतारना था और उसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थे.
लालाजी का साहूकारी का भी काम था और गाँव के लोग अक्सर उनसे ऊँचे रेट पर पैसे ले जाते थे...
वैसे तो लालाजी का रोब ही इतना था की बिना कहे ही हर कोई उनकी दुकान पर आकर सूद के पैसे हर महीने दे जाता था, पर फिर भी कई बार उन्हे अपना लट्ठ लेकर निकलना ही पड़ता था वसूली करने ...
उनका रोबीला अंदाज ही काफ़ी होता था गाँव के लोगो के लिए, इसलिए जब वो उगाही करने जाते तो पैसे निकलवा कर ही वापिस आते...
लालाजी की पत्नी को मरे 5 साल से ज़्यादा हो चुके थे...
उनकी एक बेटी थी जो साथ के गाँव में ब्याही हुई थी...
शादी के बाद उसने भी एक फूल जैसी बच्ची को जन्म दिया था और वो भी अब 18 की हो चली थी और अक्सर अपने नाना से मिलने, अपनी माँ के साथ उनके घर आया करती थी..
पर जब से लालाजी की बीबी का देहांत हुआ था, उसके बाद से उनकी सैक्स लाइफ में बहुत बदलाव आए थे...
पहले तो उनकी सैक्स लाइफ नीरस थी...
2-4 महीने में कभी कभार उनकी बीबी राज़ी होती तो उसकी मार लेते थे...
पर बीबी के जाने के बाद उनके चंचल मन ने अंगडाइयाँ लेनी शुरू कर दी...
शबाना के साथ भी उनके संबंध उसी दौरान हुए थे...
वो अक्सर उनकी दुकान से समान उधार ले जाती और पैसे लाटाने के नाम पर अपनी ग़रीबी की दुहाई देती...
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