Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:18 PM,
#20
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
लाला के हाथ और गांड के नीचे उसके लंड को महसूस करके निशि ने आवेश में आकर एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार फेंकी....

और अब उसकी नन्ही-2 बूबियाँ लाला के सामने नंगी थी....



इस वक़्त तो वो ये भी भूल चुकी थी की वो मीनल बनकर लाला से मज़े ले रही है....

उसने लाला के सिर को पकड़ा और अपनी छाती से लगाकर अपने जामुन जैसे निप्पल उसके मुँह में ठूस दिए....
लाला ने अपना दैत्याकार मुँह खोलकर उसके दाने समेत पूरे बूब्स को ही अपने मुँह में निगल लिया...
बेचारी दर्द से छटपटाने लगी...

''आआआआआआआआआआआहह .....लाला..................आआआआआअहह माआआर डाला रे........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''

अपनी कमसिन छाती पर पहली बार किसी मर्द के दांतो की कचकचाहट महसूस करके उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया...
लाला की धोती तक उसकी सीलन पहुँच गयी और लाला का रामलाल एक कुँवारी चूत की गंध सूँघकर बेकाबू सा हो गया और धोती का सिरा साइड में करके अपना सिर बाहर निकाल लिया उसने और निशि की कसावट वाली गांड पर अपना चेहरा रगड़ने लगा...

निशि तो पागल सी हो गयी लाला के लंड को और करीब से महसूस करके....
उसने लाला के मुँह से अपना बूब छुड़वाया और उन्हे लिटाकर धीरे-2 किसी नागिन की तरह वो नीचे की तरफ सरकने लगी...



टॉपलेस नागिन थी वो इस वक़्त जो लाला के लंड को डसने निकल पड़ी थी..

लाला की टाँगो के बीच बैठकर उसने किसी दुल्हन की तरह लाला की धोती खोलकर अंदर की दुल्हन यानी लाला के लंड को पूरा बाहर निकाल दिया...

घने अंधेरे में ही सही पर उसकी काली चमड़ी दमक रही थी...
और दमकती भी क्यो नही, रोज सुबह नहाते हुए वो सरसो के तेल से मालिश करता था अपने प्यारे रामलाल की...

लाला के लंड की चमक दूर बैठी पिंकी की आँखो तक भी गयी.....
जिसे देखकर उसने अपनी पायजामी उतारकर अपनी 3 उंगलियाँ एक साथ अपनी चूत में उतार दी...

और बुदबुदाई : "अह्ह्ह्ह लाला......क्या लंड है तेरा.....कसम से....मुझे मौका मिला तो पूरा निगल जाउंगी एक ही बार में ......''

और ज़ोर-2 से वो अपनी चूत के अंदर उंगलियाँ डालकर मूठ मारने लगी...

निशि ने जब अपने चेहरे के सामने लाला के नाग को फुफकारते हुए देखा तो उससे भी सब्र नही हुआ...
उसने दोनो हाथो से उसे पकड़ा और मुँह में ले लिया...
अपनी बहन की तरह उसे भी लाला के लंड को मुँह में लेने में मुश्किल हुई पर उसने हार नही मानी और अपने मुँह को जितना खोल सकती थी उसे खोला और लाला के प्यारे रामलाल को मुँह में लेकर ही मानी...




लाला को तो ये रेशमी एहसास ऐसा लग रहा था जैसे किसी कसी हुई गीली चूत में अपना लंड डाल दिया हो उन्होने..

निशि ने लाला के लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपने मुँह को पूरा उपर नीचे करते हुए लाला के लंड को चूसने लगी...



लार निकल-2 कर साइड में गिर रही थी....
साँस लेने मे मुश्किल हो रही थी
पर निशि ने लंड चूसना नही छोड़ा...

लाला तो उसकी ये कला देखते ही समझ गया की ये भेंन की लौड़ी पूरे गाँव में लंड चुसाई की मिसाल पेश करेगी एक दिन...

लाला की उम्र के सामने निशि की जवानी की कसावट ही ऐसी थी की लाला का लंड ना चाहते हुए भी एक मिनट के अंदर झड़ने लगा...

लाला के लंड से निकले गाड़े रस को महसूस करते ही निशि अपना चेहरा पीछे करने लगी पर लाला ने अपने सख़्त हाथ उसके सिर पर लगाकर उसे हटने ही नही दिया...
और अंत में ना चाहते हुए भी उसे लाला के लंड की क्रीम अपने गले से नीचे उतारनी पड़ी...

पर एक बार जब उस रस का स्वाद उसकी जीभ को लगा तो वो सोचने लगी की मैं तो बेकार में ही उस रसीले पानी को छोड़ने लगी थी.....
ऐसा मज़ा तो गन्ने के रस में भी नही होता...

बस...
फिर क्या था....
एक रंडी की तरह उस निशि ने लाला के लंड को निचोड़ डाला...

उसके लंड की बांसुरी तब तक बजाती रही जब तक उसमें से सुर निकलने बंद नही हो गये...

सुर तो लाला के मुँह से भी नही निकल रहे थे अब....
साली ने उसके लंड को इतनी बुरी तरह से चूसा था की अब उसे खड़ा होने में करीब 1-2 घंटे और लगने थे....

और इतना टाइम उसके पास नही था...
वैसे भी 3 तो बज ही चुके थे ये खेल खेलते-2 ....
गाँव का मामला था, कई लोग 4 बजे उठकर सेर करने निकल पड़ते थे
उनसे बचने के लिए लाला का वापिस जाना ज़रूरी था...
इसलिए अपनी धोती समेट कर वो चुपचाप जिस रास्ते से आया था , उसी रास्ते से नीचे उतर गया...
और नीचे पहुँचकर अपनी साइकल पर बैठकर अपने घर की तरफ निकल गया..

और पीछे छोड़ गया निशि को
जो अधनंगी सी पड़ी हुई
लाला के वीर्य में नहाई हुई सी
अपनी चूत से रिस रहे रस को अपनी उंगलियो से मसलती हुई
किसी दूसरी ही दुनिया में गुम थी....

उसे तो यकीन ही नही हो रहा था की ये सैक्स का खेल इतना मज़ा देता है....
जब आधे अधूरे से खेल ने इतना मज़ा दिया है तो पूरा खेलने में कितना मज़ा आएगा...

इसी बीच अपनी छत्त पर छुपकर बैठी पिंकी भी, बिना सलवार के , उसके करीब आ गयी....
उसकी आँखो में भी एक अलग ही तरह की हवस तेर रही थी....
जिसे बुझाना ज़रूरी था ..

अभी के अभी...

ये रात और भी लंबी होने वाली थी इन छोरियों के लिए...
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:18 PM

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