RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पहले तो उसने सोचा की वो चुपचाप उपर चली जाए पर फिर कुछ सोचकर वो वापिस पलटी और गुस्से के मारे वो चिल्ला पड़ी..
नंदू ने भी नही सोचा था की जिस बात को वो उससे छिपाना चाहता था वो इतनी बुरी तरह से सामने आएगी...
निशि फिर से गरजी : "एक माँ अपने ही बेटे के साथ ऐसा घिनोना काम कैसे कर सकती है....??? ''
और फिर नंदू की तरफ घूमकर बोली : "और तुम, तुम्हे भी शरम नही आई...इतनी ही जवानी में उबाल आ रहा था तो शादी कर लो ना...ऐसे अपनी ही माँ की चूत मारते हुए तुम्हे भी शरम नही आई....इसी चूत में से निकले हो ना...अब उसी में अपना लंड पेल रहे थे....''
गोरी और नंदू भी उसके लंड ,चूत वाले शब्दो को सुनकर हैरान थे
पर उसके उन शब्दो पर आपत्ति करने की हालत में दोनो ही नही थे...
निशि अपनी माँ के सामने जाकर खड़ी हो गयी और बोली : "मुझे पता है माँ की तुम बरसो से प्यासी हो, पिताजी के जाने के बाद तुमने अपनी पूरी जिंदगी हम दोनो के लालन पोषण में लगा दी...हर शरीर को इस सुख की ज़रूरत होती है मैं मानती हूँ ...पर अपने ही बेटे से चुदवाकर आप क्या साबित करना चाहती हो...इस हिसाब से तो आपसे बचपन से लेकर अब तक जो भी मैने सीखा है, मुझे भी शायद यही करना चाहिए...''
ये कहते हुए हुए उसके चेहरे पर एक कुटिल सी मुस्कान आ गयी....
उसकी माँ ने उसकी बात सुनी और उसका मतलब समझकर चौंकते हुए उसकी तरफ देखा और तब तक वो अपने सीने पर पड़ी चुन्नी को एक तरफ उछाल चुकी थी...
और वो कुछ और कर पाती इससे पहले ही निशि ने अपने स्कूल की ड्रेस , जो की नीले रंग की एक लंबी कुरती थी, उसे भी खींचकर उसने उतार डाला...
नीचे तो वो हमेशा से ही ब्रा नही पहनती थी, इसलिए एक ही पल में वो अपनी माँ और भाई के सामने अपनी भरी हुई छातियाँ लेकर टॉपलेस खड़ी थी...
गोरी के साथ-2 नंदू की भी हालत खराब सी हो गयी...
गोरी ने जल्दी से अपने नंगे शरीर को ढकने वाले कपड़े उसपर डाल दिए ताकि उसका भाई निशि के नंगे योवन को ना देख पाए...
नंदू तो क्या-2 देखा चुका था ये भला उसे क्या पता था..
पर अपनी तरफ से तो वो अपनी बेटी की नंगी जवानी को उसके भाई के सामने आने से बचाना चाहती थी...
पर इन सबमें वो ये भूल गयी की उसका खुद का शरीर अब नंगा हो चुका है...
गोरी : "पागल हो गयी है क्या...क्या कर रही है ये....''
निशि ने बड़े शांत स्वर में उत्तर दिया : "वही, जो आप कर रही थी अभी...जैसे आपके शरीर की कुछ
ज़रूरते है वैसी ही मेरी भी है...''
गोरी जो इस वक़्त पूरी नंगी खड़ी थी , वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी : "तू पागल हो गयी है क्या...अपनी उम्र तो देख, अभी तू बच्ची है...ये सब करने का वक़्त नही है तेरा...''
निशि : "मैं कितनी बड़ी हो चुकी हूँ ये मैं आपको अभी दिखा सकती हू,अगर आप मुझे और भाई को एक मिनट के लिए अकेला छोड़ दे तो...''
गोरी की आँखे फैलती चली गयी अपनी बेटी की बाते सुनकर...
उसकी तो समझ में नही आ रहा था की आज उसके साथ ये हो क्या रहा है...
पहले तो वो खुद अपने बेटे से चुदवाते हुए पकड़ी गयी थी,
उपर से उसकी बेटी भी उसी दलदल में कूदने को तैयार हो रही थी जिसमें वो अपने बेटे के साथ मज़े ले रही थी...
वो जानती थी की इस उम्र में ऐसी चुदसी चड़ना आम बात है...
पर अपनी ही आँखो के सामने वो अपनी बेटी और बेटे को चुदाई करते हुए कैसे देख पाएगी भला..
और यही था निशि का मास्टरस्ट्रोक...
वो जान तो पहले ही चुकी थी की नंदू अपनी माँ का दीवाना है...
और जब भी मौका मिलेगा, वो उसके अलावा अपनी माँ को भी चोदने से पीछे नही हटेगा...
और वो भी यही चाहती थी की जब भी उसकी चुदाई की इच्छा हो तो उसकी माँ बीच में ना आए...
आज अपनी माँ को रंगे हाथ पकड़कर वो उन्हे उसी दबाव में रखकर अपने मन की बात पूरी कर लेना चाहती थी ताकि आगे से घर पर एक साथ चुदाई के लिए मना ना कर सके...
वरना जिस तरह की सख्त माँ थी वो, उन्हे किसी दूसरे तरीके से मनाना आसान काम नही था...
और निशि की बातें सुनकर नंदू भी अब उसका गेम प्लान समझ चुका था और मन ही मन वो अपनी बहन की तारीफ भी कर रहा था...
करता भी क्यों नही, उसे अब बिना किसी डर के अपनी माँ और बहन को चोदने का मौका जो मिलने वाला था और वो भी बिना किसी दबाव के..
और इसी बीच निशि ने अपना आख़िरी दाँव भी फेंक दिया
वो बोली : "और अगर भाई ने मेरे साथ ये सब करने से मना कर दिया या आपने मुझे रोका तो मुझे मजबूरन गाँव के दूसरे मर्दों के सामने अपना बदन पेश करना पड़ेगा...और ये कहने की ज़रूरत नही है की ऐसे जवान जिस्म के कितने दीवाने है इस गाँव में ...''
ये सुनते ही गोरी की माँ और भी ज़्यादा सकते में आ गयी...
यानी चुदाई का भूत तो उसपर बुरी तरह चढ़ ही चुका था, और अब वो सीधे शब्दों में धमकी दे रही थी की मुझे भी नंदू का लंड लेने दो वरना बाहर जाकर मैं भी चुदवाउंगी..
और ऐसा करते हुए उसकी माँ हरगिज़ नही देख सकती थी..
पूरे गाँव में उसकी इज़्ज़त थी,
अपनी बेटी की इस नादानी भरी बातों से वो उस इज़्ज़त को गँवाना नही चाहती थी..
अब गोरी का दिल पिघलने लगा...
वो अपनी बेटी की बात पर सोचने के लिए मजबूर हो गयी...
वो सोचने लगी की ऐसा करने में कोई बुराई भी तो नही है...
घर की बात घर में ही रहेगी...
ना तो उसका राज बाहर निकलेगा और ना ही उसकी बेटी के पैर...
और रही बात अपने ही भाई से चुदवाने की तो इसमें भला हर्ज ही क्या है,
वो भी तो यही कर रही थी..
अपने बेटे से चुदवाकर उसने पहले ही मर्यादा की सारी सीमाएँ लाँघ ली थी,
ऐसे में भला वो किस मुँह से अपनी बेटी को ऐसा करने से रोकती..
ये सब सोचते-2 उसके हाथ से वो कपड़ा ना जाने कब नीचे गिर गया जिससे उसने निशि की छातियों को धक रखा था...
और एक बार फिर नंदू के सामने निशि की सुडौल चुचिया तनकर खड़ी थी...
और उससे कुछ ही दूरी पर उसकी माँ पूरी नंगी...
उसने शायद सपने में भी नही सोचा था की ऐसा दृशय देखने को मिलेगा..
अपनी आँखो के सामने अपनी माँ और बहन को नंगा देख रहा था वो.
गोरी का मन तो निशि की दलील सुनकर मन चुका था...
पर उसे नंदू की चिंता थी...
उसने आशाभरी नज़रों से नंदू को देखा तो निशि झट्ट से उनके मन की बात समझकर बोल पड़ी : "आप भाई की चिंता ना करो...वो भी शायद नही चाहेंगे की उनकी बहन गाँव में जाकर किसी और से चुदे ...बोलो भैय्या, चोदोगे ना मुझे...''
ऐसा कहते हुए उसने बड़े ही सैक्सी तरीके से अपनी भाई नंदू को एक आँख मार दी और उसे होंठ गोल करके एक फ्लाइंग किस्स सप्लाइ कर दी..
नंदू बेचारे के हाथ से उसकी धोती फिसलकर नीचे गिर गयी जब उसकी बहन ने इतने सैक्सी तरीके से अपनी माँ के सामने चुदाई के लिए पूछा...
चुदाई तो वो उसकी 2 दिन से कर ही रहा था...
पर आज जो परिस्थितियां बनी थी उनमें निशि उसे एक बार फिर से कुँवारी चूत की तरह दिखाई दे रही थी,
जो अपनी माँ के सामने ही अपने भाई से चुदने की परमिशन माँग रही थी.
जैसे ही नंदू की धोती नीचे गिरी, उसका विशालकाय लंड जो फिर से एक बार तन कर खड़ा हो चुका था, निशि और गोरी की आँखो के सामने आ गया...
इसका मतलब सॉफ था, नंदू भी राज़ी था...
लंड राज़ी तो सब राज़ी...
निशि ने मुस्कुराते हुए अपनी पायजामी भी उतार डाली और उन दोनो की तरह वो भी अब पूरी नंगी होकर उनके सामने खड़ी थी...
|