Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:24 PM,
#61
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पिंकी भी दिन की रोशनी में अपनी माँ के बदन को देखकर मस्ती में भर गयी...
उसने बिना किसी वॉर्निंग के अपना मुँह उनके मुम्मों पर लगाया और उसे ज़ोर-2 से चूस्कर अपनी माँ का दूध पीने लगी...

''आआआआआआआआआआआहह..... मेरी बचिईईई..... उम्म्म्ममममममममम..... पी लेsssssss .... अहह..''



अपना दूध पिला तो वो पिंकी को रही थी पर उसकी नज़रें लाला के चेहरे पर थी जिसे वो अपनी आँखो का इशारा करके अपने पास बुला रही थी...
क्योंकि असली चुसाई का मज़ा तो लाला ही दे सकता था..

पर लाला भी बड़ा हरामी था, ऐसे शुरू में ही वो उनके खेल में कूदकर इस खेल को बिगाड़ना नही चाहता था,
उसे तो अभी उनकी पूरी फिल्म देखनी थी...
पूरा मजा लेना था
इसलिए उसने इशारा करके पिंकी के कपड़े भी उतारने को कहा...

लाला का इशारा समझकर सीमा ने खुद ही अपनी बेटी की कुर्ती निकाल दी,
नीचे उसने ब्रा नही पहनी हुई थी, इसलिए उसके कड़क मुम्मे तनकर अपनी माँ के सामने खड़े थे...

सीमा ने मन में सोचा की इन छोटे स्तनो को चूस्कर भला लाला को क्या मिला होगा,
ये तो अभी ढंग से उगे भी नही है पूरे.

पर छोटे स्तनों को चूसने वाला ही उनके मज़े के बारे में जानता है, और लाला तो इस खेल का माहिर खिलाड़ी बन चुका था..

सीमा ने पिंकी की सलवार का नाडा खोलकर उसे नीचे से भी नंगा कर दिया...



और इस तरह से अब वो दोनो माँ बेटियाँ लाला के सामने, अपने ही घर में , पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी...

लाला तो उन दोनो के नंगे जिस्मो को देखकर पागल ही हो गया...
कभी सीमा की तरबूज जैसी रसीली गांड को देखता तो कभी पिंकी के नाश्पति जैसी कड़क छातियो को...
कभी पिंकी के खरबूजे जैसी गांड को निहारता तो कभी सीमा के रसीले पपीतों को...
दोनो माँ बेटियां उपर से नीचे तक फलों से लदी दुकान की तरह लग रही थी, जिनके हर अंग को चूस्कर अलग-2 फल का मज़ा लिया जा सकता था..

पर वो जब होना होगा तब होगा,
अभी के लिए तो लाला को देखना था की वो दोनो कैसे एक दूसरे को मज़ा देती है..

दोनो माँ बेटियां भी एक दूसरे के नंगे शरीर देखकर पागल सी हो चुकी थी और इस बार तो उन्हे लाला के इशारे की भी ज़रूरत नही पड़ी और दोनो एक झटके से एक दूसरे पर टूट पड़ी...

पिंकी ने अपने दोनों हाथों में अपनी माँ के मुम्मे पकड़कर उन्हे चूस डाला...
सीमा ने उसके नन्हे कुल्हो को पकड़ कर उसे लगभग अपनी गोद में खींच लिया...
लेकिन अब वो बच्ची तो रह नही गयी थी इसलिए उसे पूरी तरह से उठा नहीं पायी...
पिंकी ने भी अपनी माँ की मजबूरी समझी और उन्हे धक्का देकर बेड तक ले आई और उन्हे बिठा कर उनपर सवार हो गयी...
अब दोनो एक गहरी स्मूच में डूब गयी ...



धीरे-2 सीमा ने पिंकी को अपने चेहरे पर खींच लिया और उसकी कुँवारी चूत को अपने मुँह पर लाकर उसे नीचे दबा दिया...
एक जोरदार आवाज़ के साथ अपनी माँ की जीभ को अपनी रसीली चूत में जगह देती हुई वो हिचकोले खाने लगी..

''ओह माँआआआआअ....... अहह...... मजा अआ गया........ तुम्हारी जीभ तो बड़ी मस्त लग रही है......''



लाला अपने लंड को मसलते हुए बुदबुदाया , 'अभी तो मेरा लंड लेगी, तब असली मज़ा आएगा मेरी छमिया ..'

और बात भी सही थी, चूत को असली मज़ा तो लंड ही दे सकता है वरना उसके अलावा तो ये सब आर्टिफिशियल चीज़े है..

पिंकी घूम कर अपनी माँ पर 69 के पोज़ में लेट गयी ..
सीमा भी उसकी कलाकारी देखकर यही सोच रही थी की ऐसे एक औरत के शरीर के साथ मज़े लेना उसने कहाँ सीखा होगा...

बेचारी को ये नही पता था की उसकी और निशि की दोस्ती कहाँ तक बढ़ चुकी है..

दोनो एक दूसरे की चूत की कटोरी में से चपर -2 करके रसगुल्ले की चाशनी चाट रहे थे...



लाला के लिए ये सब हदद से ज़्यादा था, और उसे पता था की अब उसका भी नंबर आने वाला है,
इसलिए उसने अपने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए..

और जल्द ही वो गाँव का सलमान खान पूरे कपड़े निकाल कर उनके सामने नंगा खड़ा था..

एक दूसरे की चूत चाट्ती हुई माँ बेटी ने जब खड़े हुए लंड को देखा तो उनका सारा ध्यान भंग हो गया और लाला का इशारा पाकर दोनो अपने घुटनो के बल उसके सामने बैठ गयी..

इस वक़्त लाला अपने आप को किसी हीरो से कम नही समझ रहा था,
जिसके लंड को लेने के लिए ये दोनो माँ बेटियां उसके सामने किसी पालतू कुतिया की तरह बैठीं थी...

लाला ने बिना एक पल गंवाए अपने लंड को उन दोनों के होंठों के बीच फंसा दिया और उनके रसीले होंठों को चोदने लगा



आज लाला पिंकी की तो नही पर सीमा की चूत मारकर अपनी बरसो पुरानी वो इच्छा ज़रूर पूरी कर लेना चाहता था जो कब से अधूरी थी और कल भी पूरी होते-2 रह गयी थी...
और इसी बहाने पिंकी भी चुदाई देखकर कुछ तो सीख ही लेगी...
आख़िर अगला नंबर तो इसी का लगने वाला था.

लाला उन दोनो माँ बेटियों के रेशमी बालों में हाथ फेरता हुआ कसमसा रहा था..

''आआआआआआअहह.... चूसो भेंन की लोड़ियों ....चूसो...... लाला का लंड तुम्हारे लिए ही तो इस धरती पर आया है..... मज़ा लो इसका.... मज़ा लो जिंदगी का... अपनी जवानी का...''

लाला तो अपने आपको किसी फरिश्ते की तरह दर्शा रहा था,
जिसका धरती पर आने का मकसद ही चूत को चोदकर उसका उद्धार करना था..

और देखा जाए तो वो उद्धार कर भी रहा था आज तक...
क्योंकि जिसने भी लाला के रामलाल को एक बार अपनी चूत में लिया वो उसका गुणगान किए बिना नही रह सकी.

लाला ने बारी-2 से उन दोनो के मुँह को अलग से भी चोदा ...
ख़ासकर पिंकी के मुँह को,
क्योंकि लाला भी जानता था की अभी के लिए तो इसके उपर वाले होंठो में ही लंड डाल सकता है वो, नीचे वाले पिंक होंठो का नंबर तो बाद में आएगा..
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03-19-2019, 12:24 PM,
#62
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
सीमा भी अपनी बेटी को लाला का लंड चूसते देखकर शायद यही सोच रही थी 'कितनी बड़ी हो गयी है मेरी बेटी, मैं तो इसे अभी तक बच्ची ही समझती थी, देखो तो ज़रा, कैसे चपर -2 करके लाला के लंड को चूस रही है...'

उसे शायद गर्व हो रहा था अपनी बेटी पर,
ये देखकर की जो काम वो अपनी जवानी के दिनों में भी नही कर सकी, इसने जवानी शुरू होने से पहले ही करना शुरू कर दिया है,
इसे कहते है अपनी कीमती लाइफ का अच्छे से इस्तेमाल करना,
क्योंकि एक बार जब ये जवानी के दिन चले गये तो बाद में नही लोटने वाले...
ठीक वैसे ही जैसे एक बार शादी हो जाने पर लड़की की लाइफ में जो बंदिशे लगती है, वो शादी से पहले नही होती,

इसलिए जो भी करना हो वो पहले ही कर लेना चाहिए...
चाहे किसी के साथ भी...
दोस्त मिले तो उसके साथ,
प्यार करने वाला आशिक हो तो उसके साथ तो जरूर...
और कोई नही तो अपनी रिश्तेदारी में से ही कोई भी ,
पर कुछ तो उपयोग करना ही चाहिए अपनी कच्ची जवानी का.

और वो उपयोग इस वक़्त पिंकी अच्छे से कर रही थी.

लाला के लंड को चूस्कर...



उसकी खुद की थूक निकलकर उसके नन्हे स्तनों पर गिर रही थी, जिसे उसकी माँ ने झुककर सॉफ कर दिया, एक मीठे शहद का एहसास हुआ उसे अंदर तक..

लाला का लंड जब स्टील जैसा हो गया तो उसने उसे पिंकी के मुँह से निकाल लिया,
पिंकी को तो ऐसा लगा जैसे कोई मीठा लोलीपोप उसके मुँह से छीन लिया हो किसी ने..
अभी तो उसकी मिठास आनी शुरू हुई थी (जो शायद लाला के लंड का प्रिकम था), और लाला ने कितनी बेदर्दी से उसे बाहर खींच लिया..



अब लाला की उत्तेजना का केंद्र सिर्फ़ और सिर्फ़ सीमा थी...
वही सीमा जो उसके लंड के चुंगल से 2 बार बच कर निकल गयी थी...

पर आज वो ऐसा नही होने देना चाहता था,
इसलिए उसने उसी की बेटी की लार से भीगा हुआ लंड उसकी तरफ घुमाया और बोला : "चल सीमा रानी, लेट जा गद्दे पर, आज लाला चोदेगा तेरी मुनिया को...''

लाला एक-2 शब्द ऐसे पीस कर बोल रहा था जैसे उसे चोदने के लिए नही बल्कि कच्चा खा जाने की बातें कर रहा हो..

पिंकी का तो पता नही पर सीमा ने जब लाला के ये शब्द सुने तो वो किसी बंधुआ मजदूर की तरह उसकी बात मानकर बेड पर जा लेटी और अपनी टांगे दोनो तरफ फेला कर लाला से बोली : "आजा लाला....देर किस बात की है...मैं भी कब से तरस रही थी इस पल के लिए.... अब जल्दी से अपना लंड मेरी मुनिया में पेल और मुझे इस तड़पन से मुक्ति दिला...''



और आज तो लाला वैसे ही अपने आप को चुदाई का फरिश्ता समझ रहा था,
ऐसी मुक्ति दिलवाने के लिए ही तो उसने जन्म लिया था ..

वहीँ दूसरी तरफ पिंकी मन में सोच रही थी की काश इस वक़्त ये मुनिया उसकी माँ की चूत नहीं बल्कि वो खुद होती, क्योंकि उसके पिताजी प्यार से उसे घर पर मुनिया ही तो बुलाया करते थे।

लाला ने उस गीले लंड को सीमा की चूत पर रखा और उसकी चुचियां पकड़कर बोला : "आज तेरी सारी प्यास मिटा दूँगा मेरी रानी...बस चीखें मत मारियो...''

और वो लाला ने इसलिए कहा था क्योंकि शादी के इतने सालो बाद भी उसकी चूत एकदम कसी हुई सी थी,
जो उसे देखते ही लाला समझ गया था की उसमें अगर उसका लंड घुसेगा तो साली चीख ज़रूर मारेगी ..

और लाला कभी ग़लत हुआ था जो आज होता.....

जैसे ही लाला ने नीचे झुकते हुए अपने लंड का भार उसके उपर डाला, वो उसकी चूत को किसी ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर घुसने लगा...



इतने महीनो बाद हो रही चुदाई की वजह से उसकी चूत की रही सही लंड जाने की जगह भी कसावट में बदल चुकी थी..
जिसे भेदना इस वक़्त रामलाल के लिए भी मुसीबत वाला काम बन चुका था...
अंदरूनी चूत की दीवारे, रामलाल के चेहरे पर ऐसे घिसाई कर रही थी जैसे उसे नोच ही डालेंगी..
पर अपना रामलाल उन खरोंचो की परवाह किए बिना एक बहादुर सैनिक की तरह अंदर घुसता चला गया और उस मांद के अंदर तक घुसकर ही माना...



और इन सबके बीच जो हाल सीमा का हुआ, उसे शब्दो में बयान करना मुमकिन ही नही है...

बस वो तो ऐसे चिल्ला रही थी जैसे लाला उसकी चुदाई नही बल्कि अपने लंड से उसकी चूत में ड्रिलिंग कर रहा है..

''आआआआआआआआआआहह ........ उम्म्म्मममममममममममम....... लाला........... माआआआआआर दलाआआआआआअ रे..................''

और अपनी माँ की इस तकलीफ़ को उसकी बेटी ने आकर कम किया जब उसने अपनी गरमा गर्म चूत सीधा लाकर उनके मुँह पर रख दी....
इसके 2 फायदे हुए,
एक तो उसकी माँ की चीखें निकलनी बंद हो गयी
दूसरा उसकी खुद की चूत में जो कुलबुली हो रही थी वो भी एकदम से मिट गयी...



सीमा को भले ही लाला के लंड से तकलीफ़ हुई थी शुरू में ,
पर बाद में उसने जब धीरे-2 झटके मारने शुरू किए तो उसके आनंद की सीमा ही नही रही,
एक मिनट में ही उसकी छींके लंबी सिसकारियों में बदल गयी...
लेकिन वो सिसकारियां भी पिंकी की चूत तले दब कर रह गयी थी
पर इधर उधर से फुसफुसाती आवाज़ में जो भी बाहर आ रहा था उससे सॉफ जाहिर था की वो मज़े की सिसकारियां ही है, और कुछ नही..

और उपर से पिंकी की चूत का स्वाद भी ऐसे मौके पर पहले से ज़्यादा स्वादिष्ट लग रहा था,
वो भी शायद इसलिए की लाला की चुदाई देखकर पिंकी की चूत से अपने आप ही स्पेशल किस्म का शहद निकलने लगा था, जो इस वक़्त उसकी माँ को काफ़ी भा रहा था,
और इसलिए वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे आज उसकी चूत की कटोरी का सारा रस वो ख़त्म करके ही मानेगी...
ठीक वैसे ही जैसे आज वो अपनी चूत का सारा रस लाला के लंड से चुदने के बाद बाहर निकाल देना चाहती थी...

और लाला की किस्मत तो देखते ही बनती थी इस वक़्त...
लंड चूत में था,
हाथ उसके मोटे मुम्मो पर थे,
ऐसे में जब नर्म होंठो वाली पिंकी ने जब आगे बढ़कर उसके होंठो पर अपने होंठ लगाए तो उसकी आँखे बंद होती चली गयी....
नर्म होंठ, गर्म चूत और कड़क मुम्मे ,
लाला के सामने ऐसे व्यंजन लगे थे जैसे घर पर पहली बार आए दामाद की खातिरदारी होती है...
लाला उपर से नीचे तक तृप्त सा होकर चुदाई कर रहा था...

लाला का काला भूसंड लंड सीमा की चूत की सीमाएं लाँघता हुआ काफ़ी अंदर तक जा रहा था...
कभी बाहर भी...
और फिर से अंदर.

और जल्द ही सीमा की चूत में ऑर्गॅज़म का एक बुलबुला फूलने लगा,
ऐसा उसे शायद सालो बाद फील हुआ था,
वो अपनी बेटी की गांड को पकड़कर जोरो से उसकी चूत चूसने लगी और अपनी खुद की चूत में मिल रहे सेंसेशन को महसूस करके तड़पने लगी...

''आआआआआआआआआआहह लालाआआआआआआआआआ..... मज़ाआआआआअ आआआआआआआअ गया आआआआआआआ रे....... उम्म्म्ममममममममममम...... उफफफफफफफफफफफ्फ़....... क्या लंड है रे तेरा लाला ...... आज पता चला की असली मर्द से चुदाई करवाने मे.... कैसा ....फ़ीईईईल्ल... होता है..... अहह..... ऑश लाला..... चोद मुझे..... ज़ोर से चोद ...अहह.... और तेज लाला..... और तेज.....''



और इतना कहते -2 उसने तेज गति से अपनी चूत में टक्कर मार रहे रामलाल के आगे अपने घुटने टेक दिए...
और उसे अपनी चूत से निकले नारियल पानी से नहला कर रख दिया...

झड़ते हुए उसकी आवाज़ भी निकलनी बंद हो गयी....
सिर्फ़ उसका शरीर ही था जो कमान की भाँति टेडा होकर दर्शा रहा था की उसकी चूत का झड़न पतन हो रहा है...

पर लाला अभी तक झड़ा नही था....
वो अपनी पूरी ताक़त से उसके निश्छल शरीर में अपना लंड घुसाकर उसे चोदता रहा...

और तब तक चोदता रहा जब तक उसके लंड का उबाल उसे अपनी छाती तक महसूस नही हो गया...
और जब वो निकला तो उसने सीमा की चूत में ऐसी तबाही का मंज़र पैदा कर दिया की चारो तरफ लाला के लंड से निकला माल ही माल नज़र आ रहा था...
और कुछ नही...



अपनी माँ की ऐसी कमाल की चुदाई इतने करीब से देखकर पिंकी की चूत में से भी पानी रिसने लगा और वो सीधा उसकी माँ के मुंह में जाने लगा.

और लाला ने जब हाँफते हुए अपना लंड बाहर निकाला तो एक शिकारी की भाँति पिंकी उस पॉइंट पर झपट पड़ी जहाँ से लाला के लंड और उसकी माँ की चूत का मिलन हो रहा था....
अंदर से निकले पानी को उसने अच्छे से सॉफ किया और फिर लाला के पाइप नुमा लंड को मुँह में लेकर उसे चूस डाला...

लाला के लंड का पानी और अपनी माँ की चूत का रस मिलाकर करीब 50 MLथा, जिसे वो पी गयी और ज़ोर से डकार मारकर उसने ये भी दिखाया की वो उसे पच भी गया है...



लाला की हालत खराब हो गयी थी ऐसी चुदाई करके....
एक तो उम्र का तक़ाज़ा और उपर से माँ बेटी की जुगलबंदी,
ऐसे में थकान आना तो लाज़मी था...

इसलिए वो बेड पर कराहते हुए लेट गया...
दोनो माँ बेटियां उसके अगाल बगल आकर उससे लिपट गयी और उसे अपने-2 जिस्म की गर्मी का एहसास देने लगी.

पिंकी ने तो कोशिश भी की कि लाला का लंड फिर से तैयार हो जाए, जो भी होना है आज ही हो जाना चाहिए, पर लाला भी जानता था की उसमें अब वो पहले जैसी बात नही रही जब वो दिन में 3-4 बार चुदाई कर लेता था...

इसलिए लाला कुछ देर तक सुस्ताया वहां पर और फिर अपने कपड़े पहन कर अपनी दुकान की तरफ निकल गया...

और पीछे छोड़ गया उन माँ बेटियो को जो उसके जाने के बाद भी नंगी ही पड़ी रही बिस्तरे पर...
लाला के लंड के बारे में सोचते हुए अपनी - 2 रसीली चूत में उँगलियाँ पेलती हुई.
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03-19-2019, 12:24 PM,
#63
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अगले दिन पिंकी और निशि जब स्कूल में अपना लंच कर रही थी तो उन्होने दूर से आती हुई नाज़िया को देखा
उसकी चाल को देखकर ही समझ में आ रहा था की ये अब लंड ले चुकी है...
अपने दोनो कूल्हे दोनो तरफ निकाल कर मटकती हुई वो उन्ही की तरफ आई और अपना लंच बॉक्स खोलकर वही बैठ गयी..

दोनो को पता था की वो लाला के लंड से चुद चुकी है, पर फिर भी वो उसी के मुँह से सुनना चाहती थी..

निशि : "बड़ी गांड मटका कर चल रही है री नाज़िया...लगता है लाला के लंड ने तेरी टांगे फेला दी है अच्छे से...''

अपनी बात कहकर वो पिंकी की तरफ देखते हुए हँसने लगी...
पिंकी ने भी उसका साथ दिया..

जिसे देखकर नाज़िया बोली : "हाँ हाँ हंस लो...इसमे कौनसी मज़ाक वाली बात है, मुझे तो इसमे मज़ा ही आया था, इसलिए मुझे इस बात का बुरा नही लग रहा...बुरा तो मुझे तुम्हारे लिए लग रहा है क्योंकि लाला पर तो तुम दोनो की पहले से नज़र थी और उसका लंड खाने को मुझे पहले मिला... हा हा''

उसकी बात सुनकर दोनो चुप हो गयी...
उनकी हँसी का जवाब अच्छे से दिया था नाज़िया ने..
और बात तो सही ही कह रही थी वो..
उनसे पहले ये कल की आई लौंडिया कैसे उनसे चुद गयी.

उसकी चुदाई की बाते जानने के लिए वो दोनो उत्सुक थी...
इसलिए पिंकी अपनी ज़ुबान में थोड़ी मिठास लाते हुए बोली : "अरे , हम तो मज़ाक कर रहे थे पगली...वैसे भी तूने तो ले ही लिया है लाला के लंड को, इसमे हमारा भी तो फायदा है ना...''

नाज़िया रोटी खाते-2 रुक गयी और बोली : "फायदा ...? तुम्हारा कैसा फायदा है इसमें ..''

इस बार निशि ने मुस्कुराते हुए इस बात का जवाब दिया : "वो ये की तू हमे आज बताएगी की लाला के लंड को लेने में कैसा फील हुआ, मतलब कुछ तकलीफ़ हुई या आसानी से चला गया वो अंदर...''

ये बाते वो बोल तो रही थी पर ऐसा कहते हुए उसकी चूत में जो चिकनाई का निर्माण हो रहा था उसकी फीलिंग वही दोनो जानती थी...
हालाँकि एक बार फिर से लाला के लंड की चुदाई याद करके नाज़िया भी नीचे से भीग चुकी थी, पर उपर से दिखाकर वो उन्हे ये नही जताना चाहती थी की वो भी ये सुनकर उत्तेजित हो रही है..

वो बोली : "क्या तुम्हे लगता है की लाला का लंड इतनी आसानी से अंदर जाने वालों में से है.....पता है मेरे हाथ से कोहनी तक लंबा लंड था उसका, जब उसने मेरे अंदर डाला...हाय अल्लाह , उस पल को याद करके ही मेरे रोंगटे खड़े हो रहे है...साले ने बेरहमी से पेल दिया था पूरा अंदर, खून भी निकला था.....पर ससुरे को रहम ना आया, पूरा लंड पेलकर ही माना वो हरामी लाला...और वो भी मेरी माँ के सामने..''

ये सुनते ही उन दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा...
लाला ने ये बात तो उन्हे बताई ही नही की शबाना के सामने ही लाला ने उसकी बेटी पेल डाली थी...
साला सच में हरामी है..

और शायद ऐसा ही कुछ वो पिंकी के साथ भी करेगा क्योंकि उसकी माँ सीमा को तो वो पहले ही चोद चुका था उसके सामने... 
लाला की इस प्लानिंग के बारे में जानकार दोनो के जिस्म अंदर से धधक रहे थे... 

पिंकी तो जानती थी की उसकी माँ की तरफ से अब कोई रोकटोक नही होगी, 
वो तो पहले से ही लाला के लंड की मुरीद बन चुकी है...
अब तो अगली बार लाला उसे ही चोदेगा और वो भी उसकी माँ सीमा के सामने..

वहीं दूसरी तरफ निशि की हालत भी खराब हो रही थी...
नाज़िया चुद चुकी थी और पिंकी भी चुदने को तैयार थी 
ऐसे में उसका नंबर कब आएगा ये उसे भी नही पता था..
पर एक बात वो अच्छे से जानती थी की लाला को तो बस चूत चाहिए, 
पहले किसकी मिलती है इस बात से उसे कोई फ़र्क नही पड़ता इसलिए उसके दिमाग़ में पिंकी से पहले चुदने के प्लान बनने शुरू हो गये..

और अपनी प्लानिंग के बीच वो नाज़िया की बाते भी सुन रही थी जो चुदाई के वक़्त उसके बहुत काम आने वाली थी..

नाज़िया : "अंदर जाने में ही तकलीफ़ हुई बस, उसके बाद तो ऐसा लग रहा था की वो मोटा लंड भी कम है, अंदर के मज़े देने में ...कसम से यार, ऐसा लग रहा था जैसे इस मज़े से बढ़कर कुछ और है ही नही दुनिया में , ऐसा नशा सा चढ़ रहा था पूरे जिस्म पर जैसे किसी ने जादू सा कर दिया हो...लाला का लंड मेरी बन्नो के अंदर जा रहा था और वो मेरे मुम्मो को चूस रहा था, काट रहा था...चाट रहा था...''

पिंकी की आँखे लाल सुर्ख हो गयी ये सुनते -2 और वो हड़बड़ा कर बोली : "ब....बस...कर ....साली..... अपनी बातें सुना कर मेरी सलवार गीली करवा दी....अब क्लास में कैसे बैठूँगी...''

उसकी बात तो सही थी...
सलवार तो तीनो की गीली हो चुकी थी...
ऐसे में क्लास को बंक करना ही सही लगा उन्हे और वो तीनो चुपके से स्कूल के पीछे वाली टूटी हुई दीवार से निकल कर बाहर आ गयी...

और वहां से वो तीनो सीधा नाज़िया के घर गये जहाँ उसकी अम्मी शबाना घर का काम निपटाने में लगी थी...
उन तीनो को एक साथ देखकर वो बोली : "अर्रे, तुम तीनो स्कूल से भाग आई क्या...''

जिसके जवाब में तीनो एक साथ घूम गयी और अपना भीगा हुआ पिछवाड़ा उन्हे दिखा दिया, जिसे देखते ही वो समझ गयी की वो गीलापन किस चीज़ का है...
उन्होने तीनो को अंदर जाकर सॉफ करने को कहा और फिर से अपना काम करने लगी.

तीनो अल्हड़ चूते खिलखिलाती हुई सी अंदर की तरफ भाग गयी..

शबाना जानती थी की तीनो मे काफ़ी अच्छी दोस्ती है और शायद नाज़िया ने अपनी चुदाई की बाते सुनाकर ही उनका ये हाल किया है...
ये आजकल की लड़किया भी ना कुछ भी अपने पेट में नही रख सकती..

पर फिर उसने सोचा की इतने बड़े लंड को लेना कोई आसान काम थोड़े ही है...
उसका ज़िक्र अपने दोस्तो से करना तो बनता ही है..
शबाना ने उन्हे अंदर भेज तो दिया था पर वो जानती थी की वो आपस में मिलकर ज़रूर कोई गड़बड़ करेंगी...
उसके मन में उत्सुकतता सी बन गयी और अपना काम निपटाने के बाद वो दबे पाँव अंदर वाले कमरे की तरफ चल दी जहाँ वो तीनो गयी थी.

अपने कमरे में जाते ही नाज़िया ने तो बड़ी ही बेबाकी से अपनी सलवार निकाल कर एक कोने में उछाल दी...
नीचे जो कच्छी पहनी हुई थी वो भी भीग चुकी थी...
उसे भी जब उसने उतारा तो उसकी तराशि हुई चूत जो इस वक़्त एकदम लाल सुर्ख होकर दमक रही थी सबके सामने आ गयी...नंगी होकर वो बड़ी ही सैक्सी दिख रही थी



पिंकी और निशि ने भी एक दूसरे को देखा और अपनी-2 सलवारे निकाल दी...
उन दोनो ने उसे टेबल फैन के सामने फेला दिया ताकि वो उनके जाने से पहले सूख भी जाए..

और अंदर उन्होने नाज़िया की तरह कच्छी तो पहनी नही हुई थी इसलिए उन दोनो की भी चूत एकदम नंगी होकर नाज़िया के सामने उजागर हो गयी.



भले ही लंड से चुद चुकी थी नाज़िया, पर अपने सामने एक बार फिर से उन दोनो की चूत देखकर उसके मुँह में फिर से पानी आ गया और उसने अपने होंठो पर जीभ फेराते हुए पिंकी की आँखो में देखा, वहां भी उसे वही प्यास दिखी जो इस वक़्त उसकी नज़रों में थी...
निशि तो पहले से ही तैयार थी, इसलिए उसने उनकी आँखो का इशारा समझते हुए अपनी स्कूल की कमीज़ भी निकाल फेंकी..
अगले एक मिनट मे पिंकी और नाज़िया ने भी वही किया और अब तीनो उस कमरे मे नंगी होकर खड़ी थी..



लाला के लंड के बारे में बाते कर-करके तीनो इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की उन्होने एक पल भी नही लगाया और आपस में गले मिलते हुए, गुत्थम गुत्था करके तीनो एक दूसरे पर टूट पड़ी...
निशि ने नाज़िया की भीगी चूत पर हमला किया तो पिंकी ने उसके स्तनो पर...



नाज़िया ने भी अपनी उंगली पिंकी की चूत में डालकर उसे हिला डाला, 


पूरे कमरे में तीनो की सिसकारियां गूँज रही थी,
नाज़िया ने खुद को अपने बिस्तर पर गिरा दिया और पिंकी को अपने चेहरे पर आने का न्योता दिया, जिसे उसने खुशी -2 स्वीकार कर लिया.



अपने चेहरे पर बिठाकर उसने पिंकी की मिठाई की दुकान से सारी मिठाइयाँ निकालकर खानी शुरू कर दी...
हर बार जब वो अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाकर अंदर से माल निकालती तो उसे अलग ही किस्म का स्वाद मिलता...

उसकी देखा देखी निशि ने भी अपनी जीभ से नाज़िया की चूत को टटोलकर उसमें से मलाई चाटनी शुरू कर दी..



लाला के लंड से चुदने के बाद उसमे थोड़ा खुलापन आ चुका था जिसकी वजह से उसकी जीभ आसानी से अंदर बाहर हो रही थी,
लाला के लंड से चुदी चूत को चाटने में निशि को एक अलग ही उत्तेजना का एहसास हो रहा था.



वो ये काम कर ही रहे थे की अपने सारे कपड़े निकालकर शबाना भी अंदर आ गयी...



अपनी अम्मी के आने का एहसास मिलते ही नाज़िया ने जब उनकी तरफ देखा तो उन्हे नंगा देखते ही वो समझ गयी की उनके मन का लालच ही उन्हें अंदर खींच लाया है ...

पिछली बार भी जब उसने लाला के चले जाने के बाद अपनी अम्मी की चूत चाटी थी और अपनी भी चटवाई थी तो उसमे काफ़ी मज़ा मिला था , उसी मज़े को पिंकी और निशि की चूत के साथ लेने के लिए ही वो वहां आई थी इस वक़्त...

इसलिए उसने मुस्कुराते हुए उन्हे अपनी तरफ बुलाया..

शबाना आंटी को एकदम से कमरे में आया देखकर पहले तो पिंकी और निशि डर सी गयी पर उनके चेहरे पर आई हुई हवस को देखकर वो दोनो भी समझ गयी की ये उनकी बेटी के साथ पहली बार नही है..
और जब वो बेटी के साथ मज़े ले सकती है तो उन्हे बीच में मज़े लेने में क्या प्राब्लम हो सकती है...

इसलिए वो भी निश्चिंत होकर शबाना आंटी के साथ मज़े लेने लगे..


हालाँकि इन सबमे से किसी ने भी आज तक लेस्बियन सैक्स या उससे जुड़ी किसी भी बात के बारे में नही सुना था पर इस वक़्त जो काम ये सब मिलकर कर रही थी उससे तो एक अच्छी ख़ासी ब्लू फिल्म बनाई जा सकती थी...

खैर, ब्लू फिल्म तो बन ही रही थी वहां पर,
और शबाना के आने के बाद तो इस फिल्म में चार चाँद से लग गये थे,
क्योंकि उसने जब बेड पर आकर उन कुँवारी चुतों को चाटना शुरू किया तो तीनो किसी बकरी के मेमनों की तरह मिमियाती हुई चिल्लाने लगी क्योंकि अपने अनुभव का उपयोग करके शबाना उनके कच्चे जिस्मो के उन अंगो से खेल रही थी जिससे वो खुद आज तक अंजान थे...

तीनो एक दूसरे के पीछे लाइन बनाकर बकरी बन गए और एक दूसरे की चूत चाटने लगे



कमरे में चूत से निकले पानी की महक फेली हुई थी....

सभी ने जी भरकर एक दूसरे की चूत को चूसा भी और तब तक चाटा भी जब तक उसमे से निकले पानी को उन्होने सूखा नही दिया...

आज की इस छूट चुसाई ने उन सबके दिलो में कभी ना बुझने वाली प्यास को और भी बड़ा दिया था....
जो अब लाला के लंड से ही बुझने वाली थी..

सभी के दिमाग़ में लाला के लंड की ही तस्वीर घूम रही थी...



पर इन सबमे से अगली बार लाला के लंड से चुदने का सौभाग्य किसे मिलेगा ये उनमें से कोई भी नही जानता था...

या शायद जानता था.....
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03-19-2019, 12:24 PM,
#64
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पिंकी और निशि जब वहां से निकल कर अपने घर की तरफ जा रहे थे तो उन दोनो के मन में यही उथल पुथल मची हुई थी की उनके सामने आई इस नाज़िया की बच्ची ने उनसे पहले बाजी मारकर लाला के लंड का मज़ा ले लिया है ..

हालाँकि बीच में तो पिंकी की माँ सीमा भी आई थी जो मज़े लेकर अगली चुदाई का इंतजार कर रही थी पर वो तो उसकी सग़ी माँ थी ना, उनका तो बनता है...
पर ऐसे चिंचपोक्ली टाइप के लोग भी बीच में आकर उनसे पहले मज़े लेकर निकल जाए तो उनकी जवानी के ये रसीले दिन तो बेकार जाते चले जाएँगे..

और अंदर ही अंदर पिंकी ये भी जानती थी की निशि की चूत भी उतनी ही कुलबुला रही है जितनी की उसकी...
तभी तो वो स्कूल से छुट्टी करके लाला की दुकान पर जा पहुँची थी...
वो तो लाला का मूड नही था वरना अब तक वो इसे भी चोद ही चुका होता...

अपने अंदर के डर पर काबू करके बड़ी मुश्किल से लाला के मोटे लंड को लेने की हिम्मत कर पाई थी पिंकी...
और जब से वो हिम्मत की थी तब से मौका ही नही मिल पा रहा था चुदने का..

अब वो मौका निशि को मिलता है या उसे खुद को, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा...

पर इस चुदाई के बीच वो अपनी दोस्ती को नही लाना चाहती थी,
इसलिए उसने निशि से खुल कर बात करना ही उचित समझा.

पिंकी : "यार निशि ..अब तो अंदर की खुजली इतनी बढ़ चुकी है की बिना लंड के मज़ा भी नही आता... एक दूसरे की चूत चाट कर कब तक मज़े लेते रहेंगे...''

निशि : "हाँ यार...अब तो बहुत हो गया...ये लाला पता नही इतना क्यो तरसा रहा है हम दोनो को...आज इसका फ़ैसला कर ही लेते है उसके पास जाकर..''

पिंकी :"वो तो हम कर ही लेंगे..पर उससे पहले हम दोनो को ये फ़ैसला करना पड़ेगा की हम दोनो में से पहले कौन चुदाई करवाएगा लाला से...''

निशि भी जानती थी की उसकी तरह पिंकी भी पहले चुदना चाहती है लाला से, इसलिए ये बात बोल रही है...

निशि : "तो इसके लिए तुम्हारे पास कोई तरीका है क्या...?? की कौन पहले चुदेगा लाला से...''

पिंकी तब तक इस बात जा जवाब अपने दिमाग़ में सोच ही चुकी थी...
और उस हिसाब से चला जाए तो उनकी दोस्ती पर इस चुदाई का असर नही पड़ने वाला था..

पिंकी : "देख निशि ..मैं नही चाहती की इस छोटी सी बात के लिए हम दोनो की दोस्ती में दरार आए...इसलिए मेरे दिमाग़ में एक प्लान है...अगर तू मान जाए तो हम दोनो को मज़े मिल सकते है...''

निशि एकदम से गंभीर हो गयी..
वो भी जानती थी की लाला के लंड से चुदने के लिए उसके मन में पहले भी कपट आ चुका था...
ऐसे में उनकी दोस्ती को बचाने वाले इस प्लान को सुनना तो बनता ही था..

पिंकी : "तुझे याद है, लाला के हमारी लाइफ में आने से पहले हम दोनो अक्सर किसके बारे में सोचकर ये सब चूसम-चुसाई किया करते थे...''

उसकी ये बात सुनते ही निशि चोंक गयी...
क्योंकि यहाँ उसके भाई नंदू की बातें हो रही थी...

वही भाई जिसके उपर पिंकी की कब से नज़र थी, और वो उसे सिर्फ़ देखने भर के लिए दिन में 5-6 चक्कर निशि के घर के लगा लिया करती थी...
और उसी के बारे में सोचकर वो अक्सर उत्तेजित भी हो जाय करती थी
और ऐसी ही उत्तेजना से भरे एक दिन पिंकी ने निशि को चूम लिया था...
उस चुम्मे का एहसास ही इतना रसीला था की दोनो उस नशे में डूबते चले गये और कपडे एक दूसरे के नंगे जिस्मों को प्यार करना शुरू कर दिया था...

उस दिन के बाद वो दोनो अक्सर उस तरह से मिला करते थे...
निशि के घर में, उसके उपर वाले कमरे में दोनो घंटो एक दूसरे के नंगे जिस्म को मसलते, चूत चाटते और तब तक चाटते जब तक वो झड़ नही जाते...



उस समय भी पिंकी की उत्तेजना का केंद्र निशि का भाई नंदू ही रहता था...
वो उसके गठीले जिस्म के बारे में बात करके , उसके लंबे लंड की कल्पना करके बदहवासी वाली हालत में उससे चुदने की बातें किया करती थी....
और उसके सामने नंगी लेटी हुई निशि भला कब तक इस बात से अछूती रहती और एक दिन अपने जवान भाई के जिस्म और लंड की बाते सुनकर उसने भी अपने दिल का गुबार निकाल ही दिया और अपने दिल की छुपी हुई बात उजागर कर दी की वो भी अपने भाई को उतना ही चाहती है जितना की पिंकी..

और उसके बाद वो दोनो अक्सर निशि के भाई का लंड लेने की बातें करते हुए साथ में झड़ा करती थी..

पर उन दोनो में से किसी की भी हिम्मत नही थी नंदू से सीधी बात करने की क्योंकि वो काफ़ी ग़ुस्सेल किस्म का बंदा था इसलिए सिर्फ उसका नाम ही उनके लिए उत्तेजना को बढ़ाकर अपने जिस्मों को शांत करने का एकमात्र साधन था.

नंदू अपने में ही मस्त रहता था..
अपने पिताजी के देहांत के बाद वो कड़ी मेहनत से , अपनी माँ के साथ मिलकर पूरा दिन खेतो में काम करता ताकि उसकी बहन को पढ़ाई या उनके खान पान में कोई दिक्कत न आये

गुस्से वाला तो वो था ही, और एक दिन नंदू के गुस्से का कहर उन दोनो पर टूट ही पड़ा जब उसने दोनो को कमरे में बंद पाकर निशि के कमरे का दरवाजा पीटना शुरू कर दिया...

अपनी माँ और भाई के घर में होते हुए उन्होने रिस्क तो ले लिया और जब भावनाओ में बहकर दोनो ने दरवाजा बंद करके एक दूसरे के नंगे जिस्मो को चाटना शुरू किया तो नंदू को उनपर शक हो गया की वो दोनो छुपकर कहीं कोई नशा वगैरह तो नही करते...
इसलिए वो ऊपर आया और उसने बेतहाशा दरवाजा पीटना शुरू कर दिया...
हड़बड़ाहट में दोनो ने किसी तरह से अपने-2 कपड़े पहने और दरवाजा खोला ...
नंदू ने पूरा कमरा छान मारा पर उसे ऐसी कोई आपत्तिजनक वस्तु नही दिखाई दी... हालाँकि उसने जमीन पर पड़ी निशि की गीली कच्छी देख ली पर गाँव में रहकर ऐसी हरकत उसकी बहन करेगी इसका उसे विश्वास नहीं था , इसलिए उसका गुस्सा उस वक़्त शांत हो गया , पर आगे से दरवाजा खुला रखकर ही बैठने की हिदायत दी उसने उन दोनों को.

और तब से ही निशि की माँ को भी पिंकी एक आँख नही सुहाती थी...
पिंकी ने भी उनके सामने निशि के घर जाना बंद कर दिया...
पर उनके बीच के जिस्मानी प्यार का सिलसिला वैसे ही चलता रहा ...
छुप-छुपकर ही सही वो एक दूसरे की चूत का मज़ा ले ही लिया करती थी...



और उन्ही दिनों लाला की ठरकी नज़रों को पहचान कर दोनो ने उससे मज़े लेने शुरू कर दिए...
और इस तरह से धीरे-2 उनकी हवस का केंद्र नंदू से हट कर लाला की तरफ हो गया...
और तब से दोनो ने पीछे मुड़कर देखा ही नही..
उसका कारण ये भी था की लाला हमेशा उन्हे देखकर लार टपकाता था और अपनी लच्छेदार बातो से उन्हे अपने जाल में फँसाने के लिए मीठा बोलता रहता था..
और तब से वो जान बूझकर ही सही, लाला के जाल में फँसती चली गयी..

और आज पिंकी ने जब एक बार फिर से नंदू भाई की बात की तो निशि की समझ में आ गया की उसके दिमाग़ में क्या चल रहा है..

पिंकी ने खुद ही सॉफ-2 बोल दिया : "देख निशि ..हम दोनो में से लाला पहले किसे चोदेगा और किसे नही ये हम दोनो को ही डिसाईड करना होगा...और इसके लिए हमे नंदू भैय्या को बीच में लाना होगा, ताकि एक जब लाला से चुदे तो दूसरी को उतनी तकलीफ़ या पछतावा ना हो जितना होनी चाहिए...''

निशि : "यानी, तू चाहती है की मैं लाला से चुद जाऊं और तू नंदू भाई के साथ मज़े ले लेगी...ये तो बिल्कुल पर्फेक्ट रहेगा...यही करते है.''

पिंकी : "ज़्यादा सयानी ना बन....जितनी खुजली तेरी चूत में हो रही है लाला से पहले चुदने की उतनी ही मेरी चूत में भी है...इसलिए ये तो भूल जा की लाला तुझे इतनी आसानी से मिल जाएगा...''

निशि का दिमाग़ घूम गया ये सुनकर...
यानी उसके दिमाग़ में कुछ अलग ही पक रहा था.

पिंकी : "देख..उन दिनों जितना मैं नंदू के बारे में बाते करते हुए तेरी चूत मसलती थी उतना ही तू भी अपने भाई के बारे में सोचकर मेरी चूत चाटा करती थी...है ना..''

निशि ने हाँ में सिर हिलाया

पिंकी : "तो इसलिए हम दोनो टॉस करेंगे...और जीतने वाले को लाला से चुदने का पहला मौका मिलेगा और हारने वाला नंदू से चुदवा लेगा...''
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03-19-2019, 12:25 PM,
#65
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
निशि का दिमाग़ ही घूम गया...
अपने भाई के बारे में सोचकर अपनी सहेली की चूत चाटना अलग बात थी...
पर उससे सच में चुदाई करवाना अलग बात थी...
ऐसा तो वो सोच ही नही सकती थी.

पिंकी : "क्या सोच रही है...यही ना की अगर तू टॉस हार गयी तो अपने भाई के साथ तू वो कैसे करेगी..उपर से वो इतना खड़ूस टाइप का है...बात-2 पर गुस्सा भी करता है....पर मेरी जान, है तो वो एक मर्द ही ना...जवान जिस्म तो उसे भी पसंद आएगा...और ये भी तो हो सकता है की तू टॉस जीत जाए और लाला से चुदने का मौका पहले तुझे मिल जाए...और सच कहूं , ऐसे में तेरा भाई अगर दूसरे विकल्प के तौर पर मिलेगा तो मुझे उतनी तकलीफ़ नही होगी जितना की होने वाली थी...आख़िर वो भी एक बांका मर्द है...उपर से जवान भी...और मेरी पहली चाहत भी , दोनो ही सूरत में लाला से चुदने का मौका तो बाद में तुझे भी मिल ही जाएगा और मुझे भी...''

पिंकी अपने दिमाग़ में सारी केल्कुलेशन कर चुकी थी...
यानी दोनो ही सूरत में दोनो के हाथ कुछ ना कुछ आने ही वाला था..



एक पल के लिए तो निशि ने सोचा की बेकार में अपने भाई को बीच में लाने का कोई मतलब नही बनता, पिंकी को ही लाला से पहले चुदने का मौका दे देना चाहिए...बाद में उसका भी नंबर आ ही जाएगा..

पर अंदर ही अंदर उसका मन नंदू का नाम सुनकर ललचा भी रहा था...
ये सच था की वो काफ़ी गुस्से वाला था और थोड़ा खड़ूस भी था,
उसके साथ भी वो सीधे मुँह बात नही करता था पर जब से पिंकी के साथ नंगे होकर उसके बारे में बाते करनी शुरू की थी तब से ही एक अलग ही स्थान बन चुका था अपने भाई के लिए उसके दिल में ...
हालाँकि ये ग़लत था पर इस बात पर उसका कोई बस नही चलता था..

इसलिए उसने अनमने मन से बात मानने का बहाना करते हुए हां कर दी...
पिंकी भी यही चाहती थी क्योंकि अंदर ही अंदर नंदू के लंड से चुदने की भूख उसमे भी थी...
ऐसे में उसका नंबर पहले आये या बाद में, आएगा जरूर ।

और पिंकी ने ये भी सॉफ कर दिया की कोई भी जीते, नंदू से चुदाई करवाने में वो दोनो एक दूसरे की मदद करेंगी..
और वो उसने इसलिए कहा ताकि निशि के बाद नंदू उसे भी चोद सके या फिर उसकी चुदाई के बाद निशि का भाई अपनी बहन की भी चूत बजाए ताकि उसका जो ख़ौफ़ है , वो उनपर हावी ना रहे बाद में.

दोनो ने सब क्लियर कर लिया और फिर निशि ने अपने पर्स से एक रुपय का सिक्का निकाल कर टॉस की...
पिंकी ने हेड माँगा और हेड ही आया...
यानी वो जीत गयी थी और अब लाला के लंड से चुदने का मौका पहले उसे मिला था...
और निशि को अब अपने भाई नंदू से अपनी सील खुलवानी पड़ेगी..

दोनो के मन में अलग-2 तरह की कल्पनाओ के जहाज़ उड़ने लगे...

एक तरफ पिंकी लाला से अपनी चूत का उद्घाटन करवाने के ख़याल से खुश हो रही थी और दूसरी तरफ निशि भी अपने भाई के लंड को अपने अंदर लेने की कल्पना मात्र से गीली हुई जा रही थी...

दोनो को ही पता था की बाद उनके पार्ट्नर्स चेंज भी होंगे...
ऐसे में लाला से चुदने का मौका निशि को भी मिलेगा और पिंकी भी नंदू के लंड से चुदाई करवाकर अपनी कच्ची जवानी के पहले प्यार को पा सकेगी..

पर अब मुद्दा ये था की पहले कौन चुदने के लिए जाएगा...
क्योंकि ये तो पहले ही तय हो चुका था की दोनो में से कोई भी चुदाई के लिए तैयार हो, एक दूसरे का साथ वो दोनो देंगी...

इसलिए एक बार फिर से टॉस हुआ, ये जानने के लिए की पहले पिंकी लाला के पास जाए या निशि अपनी भाई के पास...

और इस बार निशि जीती...
यानी पिंकी को निशि की हेल्प करनी थी अब, उसे अपने भाई से चुदवाने में ...
और बाद में उसे लाला से अपनी चूत मरवानी थी..

लाला से चुदाई करवाने का समय बढ़ता जा रहा था...
लेकिन इस नए एंगल यानी नंदू के आने से दोनो के मन सावन के मोर की तरह नाच रहे थे...
एक नयी उत्तेजना का संचार हो चुका था दोनो की सोच में ...
जो अब चुदाई तक जाकर ही रुकनी थी.

घर पहुँच कर दोनो ने नंदू को पटाने के उपाय सोचने शुरू कर दिए...
और वो उपाय इतने रोमांचक और उत्तेजक थे की उन्हे सोचने मात्र से ही दोनो की चूत गीली होती चली गयी और कुछ ही देर में दोनो एकदम नंगी होकर एक दूसरे के बदन को चूम-चाट रही थी..

पिंकी ने अपनी 2 उंगलियाँ एक साथ निशि की कच्ची फांको के बीच घुसा दी..



निशि : "आआआआआआआआअहह....... भेंन की लौड़ी ...... उम्म्म्मममममममम.... धीरेरए कर....... अपनी उंगली से ही फाड़ डालेगी क्या मेरी चूत की झिल्ली.....''

पिंकी ने उसके मुम्मो को चूसते हुए अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी और सिसकारी मारकर बोली : "साली कुतिया ......तेरी ये चूत तो अपने भाई के लंड को लेने की कल्पना मात्र से ही इतनी गीली हुई पड़ी है....ऐसी तो लाला का नाम सुनकर भी नहीं हुई थी आजतक..... लगता है तेरी चूत भी यही चाहती है की तेरे भाई का लंड जल्द से जल्द इसके अंदर घुस जाए....''

निशि : "अहह........ बस कर यार....... नंदू भाई के लंड के बारे में बोलकर तूने पहले से ही मुझे इतना गीला कर दिया है....आज तो इस कमरे में बाढ़ आकर रहेगी...''

और उसके झड़ने की आशंका मात्र से ही पिंकी ने अपनी चूत का मुंह उसकी गीली चूत पर लगा कर उसे रगड़ना शुरू कर दिया, जैसे सच में नंदू उसकी चूत मार रहा हो



और अगले ही पल उसकी चूत से बिना किसी आवाज़ के एक तेज धार निकल कर , अपना बाँध तोड़ती हुई बाहर निकल आयी और पिंकी की चूत रंगहीन पानी से सन कर रह गयी ...

निशि का पूरा शरीर अकड़ गया : "अहह....... नंदू........ डाल दे भाई....मेरी चूत में अपना लौड़ा ....अहह.....''

उसके झड़ने की हालत देखकर ही पिंकी को अंदाज़ा हो रहा था की नंदू का लंड लेते हुए इसका क्या हाल होने वाला है...

उसने उसकी चूत में जीभ ड़ालकर उसका सारा रस चाट लिया



अब तो उन्हे बस अपने बनाए प्लान पर अमल करना था जिसमे फंसकर उस खड़ूस नंदू को अपनी बहन की चुदाई करनी ही पड़ेगी...

अब नंदू की बात कहानी में आई है तो उसके बारे में कुछ बातें बता देता हूँ आपको..
अपने पिता की अचानक मौत से घर की सारी ज़िम्मेदारी नंदू के कंधो पर आ पड़ी थी...
हालाँकि उसमें उसकी माँ ने भी उसका सहयोग किया था पर घर का मर्द होने के नाते नंदू को भी अपनी ज़िम्मेदारियों का अच्छे से एहसास था...
जब तक पिता का साया उसके सर पर था उसे कमाई करने और खेतों के बारे में सोचने की कोई चिंता ही नही थी...
अपने कसरती बदन की वजह से वो पूरे गाँव की लड़कियो में फेमस था...




पर उसका दिल अपनी बहन मीनल की सहेली बिजली पर आया हुआ था...
उसके साथ प्यार की पींगे बढ़नी शुरू ही हुई थी की नंदू के पिता का देहांत हो गया और बाद में बिजली के बदन की आग जो नंदू ने जलाई थी, उसे लाला ने अपने लंड के पानी से बुझाया था.

अपने खेतो और काम के अंदर नंदू इतना डूबा की उसे अब किसी और बात को सोचने - समझने की फ़ुर्सत हि नहीं थी...
अपनी जवान हो रही बहन और विधवा माँ का उसे सहारा बनना था इसलिए उसके मिज़ाज में भी प्यार की जगह कड़वाहट ने ले ली...तभी पिंकी और निशि उसे खड़ूस कहा करती थी.

पर एक मर्द तो आख़िर मर्द ही होता है ना..
इसलिए नंदू को भी उसका लंड बात-बेबात परेशान करता ही रहता था.

और उसे पूरा दिन अपनी माँ के साथ खेतो में रहना पड़ता था इसलिए उसका दिल ना चाहते हुए भी अपनी माँ की तरफ आकर्षित होता चला गया...
और आज आलम ये था की खेतों में काम करते हुए वो अपनी माँ के मांसल शरीर को वो चोर नज़रों से देखकर अपनी आँखे सेका करता था.

नंदू की माँ गोरी की उम्र करीब 42 की थी...
3 बच्चो के बाद भी उसका बदन एकदम कड़क था..
कारण था खेतो में मेहनत भरे काम करना, जो वो अपने पति के साथ भी किया करती थी.
और पति की मृत्यु के बाद तो उसके हरे भरे बदन को चखने वाला भी कोई नही था,
ऐसे में उस कड़क जिस्म की महक जब नंदू तक गयी तो वो अपनी सग़ी माँ के प्रति आकर्षित होने से खुद को नही बचा पाया..
और अक्सर सोते हुए, नहाते हुए या फिर कभी-2 तो खेतो में काम करते हुए भी वो अपने लंड को रगड़ता रहता था.

आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा था...
खेतों में उसकी माँ गोरी काम कर रही थी और दूर पेड़ के पीछे , पेशाब करने के बहाने गया हुआ नंदू, अपनी माँ को झुके देखकर, उनकी निकली हुई गांड पर उसकी नजरें थी जिसे देखकर वो मुट्ठ मार रहा था...

''आआआआआहह माआआआआआअ....... क्या गांड है रे तेरी माँsssssss.... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... मन तो कर रहा है की तेरी साड़ी उठा कर अपना लंड पेल दूँ अंदर..... आअह्ह्ह..... क्या रसीले चूतड़ है तेरे माँ .....अपनी जीभ अंदर डालकर सारी मलाई खा जाऊंगा मैं तेरी.....साली कुत्तिया बना कर चोदुँगा इसी खेत में''

अपने लंड को जोरो से पीटते हुए नंदू बदहवासी में अपनी माँ के रसीले बदन को देखकर गालियां बक रहा था

और अचानक उसकी माँ ने पलट कर उसकी तरफ देखा और ज़ोर से आवाज़ लगाकर बोली : "नंदू...ओ नंदू....अब आ भी जेया जल्दी.... कितना टेम लगता है तूझे पेसाब करन में ...खाने का टेम भी हो रहा है...''

वो तो गनीमत थी की नंदू काफ़ी दूर था, वरना वो अपना लंड हिलाता हुआ सॉफ दिख जाता उन्हे...

पर वो भी बड़ा कमीना था,
अपनी माँ को अपनी तरफ देखते पाकर उसके हाथो की गति और तेज हो गयी...
और एक गंदी सी गाली और देते हुए उसके लंड ने ढेर सारा पानी उस पेड़ के मोटे तने पर फेंकना शुरू कर दिया...

''आआआआहह....भेंन की लोड़ी ......तेरी चूत में डालूँगा इस लोड़े का पानी एक दिन....फाड़ डालूँगा तेरी चूत को मैं मांमाआआआआअ....''

और शांत होने के बाद उसने अपने लंड को धोती में वापिस घुसाया और वापिस अपनी माँ की तरफ आ गया और उन्हे पानी से हाथ धुलवाने के लिए कहा.....

और हाथ धुलवाते हुए जैसे ही गोरी की नज़र अपने बेटे के हाथ पर पड़ी, उसके दिल की धड़कन रुक सी गयी...
नंदू के हाथ पर उसके लंड से निकले गाड़े रस की एक लकीर खींची रह गयी थी...
जिसे शायद नंदू ने भी नही देखा था...
वो तो अपनी मुट्ठ मारकर बड़ी शान से वापिस आया और माँ के मोटे मुम्मो को देखते हुए हाथ धुलवाने लगा..

गोरी का शरीर पहले ही वो सब देखकर काँप रहा था,
हाथ धुलवाने के बाद जब उसने नज़रे उठाकर नंदू की तरफ देखा तो उसे अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया,
धूप में काम करने की वजह से उसका ब्लाउस पूरा गीला हो चुका था, वैसे भी वो उपर के 1-2 हुक खोलकर रखती थी ताकि हवा अंदर जाती रहे...
और उसी वजह से नंदू उन तरबूजो को देखकर अपनी लार टपका रहा था...



ये देखकर गोरी का माथा ठनका ...
और उसने गुस्से से भरकर नंदू से कहा : "कहाँ ध्यान है रे तेरा....चल हाथ धूल गये है, खाना खा ले..''

नंदू का चेहरा एकदम से पीला पड़ गया...
आज पहली बार उसकी माँ ने उसकी चोरी पकड़ी थी..
और अभी तो उसे ये नही पता था की उसकी माँ ने उसके हाथ पर लगा वीर्य भी देख लिया है
वरना एक साथ 2 चोरी पकड़े जाने का बोझ पता नही वो कैसे सह पाता.
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03-19-2019, 12:25 PM,
#66
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अब गोरी भी थोड़ी सतर्क होकर बैठी थी अपने बेटे के सामने...
उसने अपने ब्लाउज़ के दोनो हुक बंद कर लिए ताकि जो अपनी तरफ से अंग प्रदर्शन वो कर रही थी वो तो बंद हो ही जाए...

पर मन ही मन वो इस घटना को देखकर ये सोचने पर ज़रूर मजबूर हो गयी थी की आख़िर उसका सागा बेटा उसे उस नज़र से क्यो देख रहा था...
और उसके हाथ पर लगे उस वीर्य को देखकर वो ये भी समझ ही चुकी थी की इतनी देर तक पेशाब के बहाने वो मुट्ठ ही मार रहा था...
और ये काम तो वो लगभग 2-3 बार करता था दिन में..
यानी हर बार वो जब भी मूतने जाता था तो मुट्ठ मारकर ही आता था वापिस.

हे भगवान...
इन जवान लोंडो में कितनी एनर्जी भरी होती है....
पूरा अपने बाप पर ही गया है ये भी...
वो भी शादी के बाद एक दिन में कम से कम 2 बार तो उसकी चुदाई कर ही दिया करते थे...
कई बार तो अपने खेतों में ही चुदी थी वो अपने पति के लंड से
फिर जैसे-2 बच्चे होते गये उनकी चुदाई का फासला बढ़ता चला गया..
और फिर एक दिन उसके पति जब उन्हे छोड़कर चले गये तो वो सब बंद ही हो गया...
उसने भी अपने बच्चों की खातिर अपनी जवानी की परवाह किए बिना अपना जीवन उनके लिए समर्पित कर दिया...
हालाँकि इस बीच एक दो बार उस ठरकी लाला ने उसपर भी डोरे डालने की कोशिश की थी पर उसका रूखा रवेय्या देखकर लाला ने भी फिर कोई कोशिश नही की...
लाला का सिंपल फंडा था, आती है तो आ वरना अपनी माँ चूदा ।
उसके पास गाँव की कमसिन चुतों की कोई कमी थी भला जो वो 3 बच्चों की माँ पर अपना टेलेंट जाया करता.

और ये सब सोचते-2 उसे जब ये एहसास हुआ की आज भी उसके बदन में किसी को आकर्षित करने की क्षमता है तो उसका दिल पुलकित हो उठा...
पूरा दिन मिट्टी में काम करने के बाद उसकी हालत किसी भूतनी जैसी हो जाती थी...
घर जाकर नहाती, बच्चों के लिए खाना बनाती और गहरी नींद में सो जाती...
यही दिनचर्या रह गयी थी उसकी...
ऐसे में अपनी तरफ आई अपने ही बेटे की इस नज़र ने उसके अंदर एक कोहराम सा मचा दिया था.

खाना खाते हुए वो नंदू को देख रही थी और ना चाहते हुए भी उसकी नज़रे उसकी धोती की तरफ चली गयी और ज़मीन पर बैठने की वजह से उसके लंड का एक हिस्सा भी उसे दिखाई दे गया...
उसने तुरंत अपनी नज़रे फेर ली..
अपने बेटे को ऐसी नज़रो से देखने में उसे आत्मग्लानि का एहसास हो रहा था.

वहीं दूसरी तरफ नंदू भी अपनी माँ के चेहरे को देखकर ये जानने की कोशिश कर रहा था की उनके मन में क्या चल रहा है..
पर अपनी माँ की डांट से उसे ये एहसास ज़रूर हो गया की आगे से उसे सतर्क रहना पड़ेगा..

उसके बाद उसने इस तरह की कोई हरकत नही की और हमेशा की तरह सांझ होते-2 दोनो माँ बेटा घर की तरफ चल दिए.

नंदू के पास एक साइकिल थी, जिसपर बैठकर वो आया-जाया करते थे
अब उनके घर जाने के इस साधन में भी नंदू की एक चाल थी...
वो अपनी माँ को पीछे बैठाकर खेतो में ले जाया करता था...
और जब से उसके मन में अपनी माँ के लिए कपट आया था , तब से उसने उनके मस्त बदन को छूने के नये-2 बहाने ढूँढने शुरू कर दिए थे...
इसलिए उसने बड़ी चालाकी से पीछे बैठने के केरियर को तोड़ दिया, जिसकी वजह से उसकी माँ को साइकल के आगे वाले डंडे पर बैठना पड़ता था...
भरा हुआ शरीर था इसलिए वो फँस कर आती थी आगे की तरफ और साइकल चलाते हुए नंदू की दोनो टांगे उपर नीचे होती हुई अपनी माँ के मांसल जिस्म से रगड़ खाया करती थी...
और सबसे ज़्यादा मज़े तो उसके लंड के थे जो अपनी माँ की कमर के ठीक पीछे चिपक कर उसके गुदाजपन के मज़े लिया करता था...
और घर जाते-2 नंदू के लंड की हालत ऐसी हो जाती थी जैसे उसने धोती में कोई रॉकेट छुपा रखा हो...
उपर से नंदू अपनी माँ के ब्लाउज़ में झाँककर उन हिलते हुए मुम्मो को देखकर भी मज़ा लिया करता था.

पर आज गोरी को आगे बैठने में थोड़ी सकुचाहत हो रही थी लेकिन कोई और चारा भी नही था...
इसलिए वो बैठी और वो दोनो घर की तरफ चल दिए...
रास्ते भर वही होता रहा जो रोज हुआ करता था...
पर आज गोरी की अपने बेटे की हरकतों पर कड़ी नज़र थी...
इसलिए आधे रास्ते बाद जब उसकी कमर पर उसे नंदू के लंड की चुभन महसूस हुई तो उसका शक यकीन में बदल गया की उसका बेटा उसके बदन का दीवाना है.

घर पहुँचकर वो सीधा अपने कमरे में गयी और अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस कर नहाने लगी...
नहाते हुए उसके जहन में नंदू की सारी हरकतें चलचित्र की भाँति चल रही थी...
उसे दिख रहा था की कैसे वो पेड़ के नीचे खड़ा होकर मुट्ठ मार रहा है और खेतो में काम करते हुए उसके बदन को अपनी भूखी नज़रो से देख रहा है...
साइकल पर बैठकर उपर से उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा है.

उफफफफ्फ़.....
वो फिर से अपने बेटे के बारे में गंदे विचार ले आई थी...
सुबह तो उसने सोचा था की ऐसी कोई भी बात अपने मन में नही लाएगी और ज़रूरत पड़ी तो नंदू को भी कठोर शब्दो से समझा देगी की अपनी माँ के प्रति ऐसी भावना रखना सही नही है...

पर ये भी तो हो सकता है की वो सारा उसका वहम हो...
हो सकता है की वो किसी और के बारे में सोचकर ये सब करता हो और अपनी माँ को उस नज़र से देखना संयोग मात्र ही हो.

उसने मन में सोचा की काश ऐसा ही हो, यही उन माँ बेटे के संबंधो के लिए सही रहेगा..

उधर नंदू बाहर खाट पर बैठा अपनी माँ के ही विचारो में खोया हुआ था की उसकी बहन निशि अंदर आई...

उस भोले को भला क्या पता था की आज उसकी बहन के मन में उसके लिए क्या चल रहा है...
करीब 2 घंटे तक पिंकी के घर बैठकर उसने अपने भाई को आकर्षित करने के नये-2 तरीके ईजाद किए थे...
और वो इतने उत्तेजक थे की उन्हे सोचकर ही उसकी चूत में पानी भर आया था...
उन्हे जब वो अमल करेगी तो उसका क्या हाल होने वाला था ये तो सिर्फ़ वही जानती थी...
पर आज से वो इस जंग का आगाज़ ज़रूर कर देना चाहती थी.

इसलिए वो लंगड़ाती हुई सी घर पर आई, ये लंगड़ाना उसकी चाल का एक हिस्सा था.

नंदू ने जब उसे ऐसे चलते हुए देखा तो वो घबरा कर उसके करीब आया और उसे अपनी बाँहों का सहारा देकर अंदर ले आया...

नंदू : "अर्रे...ये क्या हुआ निशि ..कहीं चोट लगी है क्या...कैसे हुआ ये ....''

उसके चेहरे पर आई उसके लिए घबराहट सॉफ देखी जा सकती थी...
वो अपनी बहन से बहुत प्यार करता था...
इसका एहसास निशि को भी था.

निशि : "कुछ नही भैय्या ..वो पिंकी के घर से आते हुए पैर मुड़ गया एक गड्डे में जाकर....हाय ...सही से चला भी नही जा रहा ....''

नंदू ने उसे लाकर खटिया पर बिठाया और नीचे झुककर उसके पैर का मुआयना करने लगा...
उसने एक घाघरा पहना हुआ था, जिसे उपर करते ही उसकी गोरी पिंडलियाँ उसके सामने आ गयी जो एकदम भर चुकी थी...
नंदू भी उसकी भरी हुई टांगे देखकर हैरान था की कब और कैसे उसकी छोटी बहन इतनी बड़ी हो गयी है...
उसकी पिंडलियाँ ऐसी है तो उसकी जांघे कैसी होगी....
शायद माँ जैसी मांसल होंगी वो भी...
या हो ही जाएँगी..
आख़िर है तो उन्ही की बेटी ना.

यानी अपनी बहन के माध्यम से भी वो अपनी माँ को ही इमेजीन कर रहा था...
और अभी तक अपनी बहन के लिए उसके मन में कोई बुरा विचार नही था...
और इन विचारो को निशि जल्द ही बदलने वाली थी.

नंदू ने उसकी पिंडली को अच्छे से देखा पर उसे कुछ ख़ास दिखाई नही दिया...
कुछ हुआ होता तो दिखता ना...
निशि ने उसे अंदरूनी मोच कहकर अंदर दर्द होने का बहाना बनाया...
नंदू ने जब कहा की वो उसे डॉक्टर के पास ले चलता है तो वो एकदम से बोली : "नही नही...डॉक्टर के पास नही...उसे तो कुछ नही आता...बस हर बात पर पिछवाड़े पर सुई लगा देता है....''

नंदू उसकी बच्चो वाली बात सुनकर हंस दिया...
और बोला : "अब तू बड़ी हो गयी है निशि ..अब तेरे पिछवाड़े पर नही बल्कि हाथ में लगेगी सुई...और ये मोच है कोई चोट नही जो तुझे टीका लगाना पड़े डॉक्टर को...कोई गोली दे देगा तो दर्द में आराम आ जाएगा ना...''

निशि अपने चेहरे पर क्यूट सी स्माइल लाते हुए बोली : "ना भाई ना....मुझे नही जाना डॉक्टर के पास और ना ही कोई गोली खानी है...बस रात को मालिश करवा लूँगी, वही बहुत है...कल तक ठीक हो जानी है ...''



तब तक उनकी माँ गोरी भी नहा धोकर आ गयी...
नंदू को अपनी बहन के पैरो में बैठा देखकर वो भी चिंतित हो गयी...
नंदू ने उन्हे सारी बात सुना डाली...माँ ने भी डॉक्टर के पास चलने को कहा पर निशि ने मना कर दिया
गोरी भागकर दूध गर्म कर लाई और उसमें हल्दी डालकर निशि को दिया...बेचारी ने बड़ी मुश्किल से उसे पिया.

रात का खाना खाने के बाद जब वो अपने उपर वाले कमरे में जाने लगी तो नंदू ने उससे कहा की वो नीचे ही सो जाए पर उसने यही बहाना बनाया की उसे अपने बिस्तर के सिवा कही और नींद नही आती...

माँ अंदर बर्तन धो रही थी, इसलिए उसने नंदू से कहा की हो सके तो वो उसे उपर तक उठा कर ले जाए.
नंदू के लिए ये कोई मुश्किल काम नही था...
पर अभी कुछ देर पहले ही उसे निशि की जवानी का एहसास हुआ था इसलिए वो थोड़ा सकुचा भी रहा था...
निशि ने भी विनती करी की वो प्लीज़ उसे उपर तक उठा कर ले जाए वरना माँ देखेगी तो गुस्सा करेगी की अब वो छोटे नही रहे ...

नंदू जानता था की माँ ऐसा करने से मना करेगी और गुस्सा भी होगी...
इसलिए उनके बाहर आने से पहले ही उसने झट्ट से निशि के फूल जैसे बदन को अपनी बाँहों में उठाया और उपर चल दिया...
उसके नन्हे संतरे उसकी छाती में शूल की तरह चुभ रहे थे पर उसने उनकी तरफ कुछ ख़ास ध्यान नही दिया...
पर उसकी जाँघो को पकड़ कर उसने जरूर जान लिया की वो सच में काफ़ी भर चुकी है.

उसे बिस्तर पर लिटाकर जब वो जाने लगा तो निशि ने बड़े प्यार से उसे थेंक्स और बोली : "भाई...आप माँ के सोने के बाद प्लीज़ उपर आकर मेरी मालिश कर देना ...बहुत दर्द हो रहा है ... माँ को बोलूँगी तो वो ज़बरदस्ती मुझे डॉक्टर के पास भेज देंगी...और वहां मुझे जाना नही है...''

नंदू ने उसे मुस्कुराते हुए आश्वासन दिया की ठीक है वो आ जाएगा रात को.

और उसके बाद वो नीचे चला गया...

और निशि मन ही मन अपनी योजना के पहले चरण को साकार होते देखकर खुश हो रही थी.

आज की रात उसे नंदू को अपने हुस्न का दीवाना बना देना था,
यही प्लानिंग की थी उसने और पिंकी ने मिल कर...
और नंदू के हाव भाव देखकर इतना तो वो जान ही चुकी थी की मर्द चाहे कोई भी हो, भाई हो या बाप, हुस्न के आगे उसे झुकना ही पड़ता है...
तभी तो उसका ये खड़ूस भाई इतने प्यार से उसके साथ बर्ताव कर रहा था.

अब वो रात की तैय्यारी करने लगी...
आज कुछ ख़ास होने वाला था उसके कमरे में.

यहाँ निशि के दिमाग़ में नंदू चल रहा था तो नीचे नंदू के दिमाग़ में माँ के साथ-2 अब निशि के ख़याल भी आ-जा रहे थे...
और उधर उनकी माँ गोरी भी ना चाहते हुए फिर से अपने बेटे की बाते सोचने लगी थी सोते हुए...
एक ही दिन में घर के तीनो सदस्यो के दिल में एक दूसरे के लिए गंदे विचारो का निर्माण शुरू हो चुका था...
जो आगे चलकर सबको मजा देने वाला था.
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03-19-2019, 12:25 PM,
#67
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
निशि तो अपने कमरे में जाने के बाद ऐसे एक्साईटिड हो रही थी मानो आज उसकी सुहागरात हो...
हालाँकि पहली ही बार में उसे अपने भाई का शिकार नही करना था पर उसके साथ कुछ भी करने के एहसास से ही उसके दिल में काफ़ी रंग बिरंगी तितलिया उड़ रही थी..

नंदू के नीचे जाने के बाद वो झट्ट से उठी और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गयी...

अपने नंगे शरीर को शीशे के सामने देखकर वो अपने योवन पर इतरा रही थी...
आज से पहले वो ऐसी अवस्था में खुद को देखकर यही बोला करती थी मन में की वो किस्मत वाला ही होगा जिसे ऐसा मक्खन जैसे बदन मिलेगा...
पर आज उसने यही कहा 'नंदू भैय्या आप तो किस्मत वाले हो , जो आपको मैं मिल रही हूँ ...देख लेना, कितना मज़ा आने वाला है आपको...और मुझे भी...'

इतना कहकर वो खुद की ही बात पर हंस दी.



वैसे सच ही तो कह रही थी वो,
एक कुँवारी और कसी हुई चूत जब किसी को मिलती है तो उसे मारने का मज़ा सिर्फ़ वही बता सकता है,
और अपनी उसी कमसिन चूत में 1 उंगली डाल कर जब निशि ने उसे अंदर धकेला तो अंदर का गाड़ा नींबू पानी बाहर छलक गया...



उस पानी को उसने अपने मुँह में लेकर चाट लिया...

और अपने घुंघराले बालों में दूसरे हाथ की उंगलिया घुमाते हुए सोचने लगी 'हाय ....कैसा फील होगा नंदू भैय्या को जब वो इस रस को चूसेंगे...'

उसकी कल्पना मात्र से ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गये..

खैर, उसने जल्दी से अपनी पेंटी पहनी,
हालाँकि स्कूल में भी वो पेंटी नहीं पहनती थी पर आज की जो प्लानिंग उसने पिंकी के साथ मिलकर की थी, उसमें इस पेंटी का काफ़ी अहम रोल था,
उसके उपर उसने एक स्कर्ट पहनी जो उसके घुटनो तक ही आ रही थी और उपर उसने बिना ब्रा के एक टाइट सी टी शर्ट...
अब वो सच में एक सैक्सी माल लग रही थी.

फिर वो अपने बिस्तर पर लेट कर अपने प्यारे भाई का इंतजार करने लगी..

नीचे नंदू भी आज बेचैन था,
हालाँकि उसने आज तक अपनी बहन को इस नज़र से नही देखा था पर पता नही क्यों उसकी पिंडलियाँ देखने के बाद वो उसकी तरफ आकर्षित सा हो गया था...
क्योंकि वो गोरी पिंडलियाँ उसे उसकी माँ के बदन का एहसास दे गयी थी, जिसे वो ना जाने कब से छूना चाहता था, चूमना चाहता था...

और निशि को उपर ले जाते वक़्त भी उसके बदन के एहसास ने कुछ जागृत सा कर दिया था उसके अंदर..

इसलिए जब निशि ने उसे मालिश करने के लिए कहा तो उसने तुरंत हां कर दी क्योंकि निशि के बदन को छूने के एहसास के पीछे वो अपनी माँ सीमा को महसूस करना चाहता था..

सीमा के दिमाग़ में सोते हुए पुर दिन के चलचित्र चल रहे थे और वो पता नही क्या-2 सोचे जा रही थी.....
पर खेतो में की हुई मेहनत ने उसकी आँखो को कब बोझल कर दिया ये उसे भी पता नहीं चला और कुछ ही देर में वो रोजाना की तरह खर्राटे मारकर सो गयी...

थका हुआ तो नंदू भी था पर उसके पास एक लक्ष्य था जिसने उसे जगा कर रखा हुआ था..
माँ के सोने के बाद वो कुछ देर तक तो उन्हे तकता रहा और फिर धीरे से उठकर वो उपर चला गया..
दरवाजा पहले से खुला था, जिसे उसने अंदर से बंद कर दिया..

कमरे में हल्की रोशनी वाला बल्ब जल रहा था और ज़मीन पर बिस्तर लगाकर निशि गहरी नींद में सो रही थी..

नंदू ने उसे उपर से नीचे तक देखा तो उसका मुँह खुला का खुला रह गया...
आज पहली बार उसके मन में अपनी बहन के प्रति ग़लत विचार आ रहे थे...
कपड़ों में तो उसकी जवानी का पता ही नही चलता था पर ऐसे सोते हुए वो उसे अच्छे से देख पा रहा था...

लंबी-2 टांगे और भरी हुई पिंडलियाँ...
स्कर्ट भी थोड़ा उपर खिसक कर जाँघो तक पहुँची हुई थी जिसकी वजह से वो उसकी कच्छी को छोड़कर सब कुछ देख पा रहा था...
सीना ढलका हुआ था नीचे की तरफ जिससे उसके उभारो का वजह भी वो देख पा रहा था की वो कितने बड़े हो चुके है...
कुल मिलाकर उस दृशय ने उसके लंड को खड़ा कर दिया था..
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03-19-2019, 12:25 PM,
#68
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
वो मन में सोचने लगा की वो किस तरह का बंदा है...
अपनी ही माँ और अब बहन के बारे में वो इस तरह से सोचता है...
पर ये विचार भी जितनी जल्दी आया था उतनी ही जल्दी चला भी गया और वो निशि के करीब जाकर बैठ गया...

उसके हाथ ना चाहते हुए भी उसकी गोरी टाँगो पर पहुँच गये और उसे सहलाने लगे...

निशि की हालत बुरी हो रही थी.

वो तो पिछले आधे घंटे से नंदू का इंतजार कर रही थी,
और जब उसके कदमो की आहट सीढ़ियों पर सुनाई दी तो झट्ट से उसने अपनी स्कर्ट को थोड़ा उपर किया और गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगी,
एक सैक्सी सा पोज़ बनाकर लेट गयी थी वो, और इस पोज़ की प्रेक्टिस उसने करीब 6-7 बार की थी पिंकी के घर रहकर...
और उसे इस अवस्था में देखकर वही हुआ जिसका उसने और पिंकी ने अंदाज़ा लगाया था,
नंदू किसी ठरकी कुत्ते की तरह उसके करीब आकर उसकी नंगी टाँगो को महसूस करने लगा...

उसके हाथ जैसे-2 उपर आ रहे थे उसके शरीर का तापमान बढ़ता जा रहा था...
निशि से साँस लेनी भी मुश्किल हो गयी जब नंदू के हाथ उसकी मोटी जाँघो पर आकर लगे..

और उसने झत्ट से अपनी आँखे खोल दी...
नंदू का हाथ बिजली की तेज़ी से वापिस चला गया..

नंदू : "ओह्ह्ह ...जाग गयी तुम..मुझे तो लगा था की गहरी नींद में सो रही हो, मैं तो जाने ही लगा था बस...''

निशि ने कराहते हुए नंदू का हाथ पकड़ लिया : "आह...भाई, आप को लगती ना तब पता चलता की कितनी तकलीफ़ हो रही है मुझे..देखो ज़रा, थोड़ी सूजन भी आ गयी है..''

इतना कहते हुए उसने नंदू का हाथ अपनी चोट वाली जगह पर रख दिया और एक बार फिर से कराह उठी...

नंदू को इस बार सच मे लगा की उसे काफ़ी तकलीफ़ हो रही है और वो साला अपनी बहन को ऐसी नज़रों से देखने में लगा हुआ था...
धिक्कार है उसपर.

वो जल्दी से उठा और दर्द निवारक तेल की शीशी लेकर उसके पैरो पर उडेल कर उसे मसाज करने लगा..

निशि की एक टाँग उपर थी और दूसरी नीचे, इस वजह से उसके चाँदनी चॉक का दरवाजा पूरा खुला हुआ था जिसमें से उसके ताजमहल की झलक उसे सॉफ दिखाई दे रही थी...
वो तो एक महीन सा परदा था उसपर वरना उस खूबसूरती के नमूने को देखकर शायद वो मसाज करना भूलकर उसकी चूत मारना शुरू कर चुका होता..

नंदू की नज़रो को अपनी चूत पर महसूस करके उसकी चूत से भी अंगारे निकलने लगे..

और एक मिनट भी नही लगा और उस सफेद कच्छी पर एक गीला धब्बा चमकने लगा..

नंदू की नज़रें निशि के चेहरे पर गयी तो वो मसाज का मज़ा लेते हुए अपनी आँखे मूंदे होले -2 मुस्कुरा रही थी...
थोड़ा नीचे नज़रे की तो उसकी कसी हुई टी शर्ट में चमकते हुए बटन देखकर वो समझ गया की उसने ब्रा नही पहनी है...
हालाँकि उसकी चुचिया इतनी बड़ी नही थी पर उसके निप्पल में ही इतनी कशिश थी की उसकी नजरें वहां जम कर रह गयी ...

उसके हाथो की पकड़ धीरे-2 सख़्त होने लगी...
वो उसकी टाँगो के माँस को अच्छे से महसूस कर लेना चाहता था और ऐसा करते-2 कब उसके हाथ उपर खिसकने लगे ये उसे भी पता नही चला...
नज़रें उसकी छाती पर थी और हाथ उपर खिसकते जा रहे थे...
नंदू को तो इसका पता नही चल रहा था क्योंकि वो तो किसी सम्मोहन में बंध चुका था...
पर निशि की हालत खराब हो चली थी,

और ना चाहते हुए भी निशि के मुँह से एक कराह निकल गयी

''अहह ओह भाययय्या''

नंदू ने उसकी जाँघ के अंदरूनी हिस्से को सहलाते हुए कहा : "क्या हुआ निशि ...यहां भी दर्द हो रहा है क्या...''



निशि ने थरथराती हुई सी आवाज में कहा : "यहाँ दर्द तो नही है भाई, पर पता नही क्यों आपके यहाँ हाथ लगाने से मुझे अंदर से क्या हो रहा है...अलग किस्म का मज़ा सा आ रहा है....करते रहो भाई, ऐसे ही करते रहो..''

नंदू के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गयी...
शायद वो अपनी छोटी बहन की नादानी की वजह से हंस रहा था...
वो सोच रहा था की बेचारी को ये भी पता नही है की उसका शरीर उत्तेजित हो रहा है जिसकी वजह से उसे मज़ा आ रहा है...

और फिर उसने मन में सोचा की उसकी नासमझी को हथियार बनाकर वो उसके जिस्म से खेल सकता है, और ऐसा करने में उसकी बहन का उसके प्रति नज़रिया भी नही बदलेगा और वो मज़े भी ले लेगा..

इसलिए वो बोला : "हाँ निशि ...ये शायद इसलिए हो रहा है क्योंकि तुम्हारा शरीर काफ़ी थका हुआ है, और थके हुए हिस्से पर जब मालिश की जाती है तो दर्द भी जाता है और मज़ा भी मिलता है... ''

निशि अपने भाई की चिकनी चुपड़ी बातो को सुनकर होले से मुस्कुरा दी पर कुछ बोली नही..... 

और उसकी चुप्पी को नंदू ने उसकी स्वीकृति समझा और अपना हाथ थोड़ा और उपर बड़ा दिया...
और अब उसका हाथ उसकी चूत से टच कर रहा था...
बस एक महीन सा कपड़ा था बीच में वरना आज उनके रिश्ते के मायने ही बदल जाने थे...
बदल तो वो वैसे भी रहे थे क्योंकि इस वक़्त नंदू के दिमाग़ में उसकी बहन नही बल्कि एक रसीले बदन वाली जवान लड़की तैर रही थी जिसके पूरे बदन की मालिश करके वो उसके हर दर्द को मज़े में बदल देना चाहता था..

इसलिए अपने हाथो को उपर करके वो लगभग हर बार उन्हे निशि की चूत से टकरा रहा था...
निशि दिखा तो नही रही थी पर वही जानती थी की उसकी चूत में उन टक्करो का क्या असर पड़ रहा है..
उसका सीना उपर नीचे हो रहा था..
निप्पलों की नोक और धारदार होकर उसकी टी शर्ट को भेदने लगी,
पेट वाले हिस्से में रह रहकर थिरक होने लगी...
होंठ अपने आप फड़फड़ाने लगे.

और उसके शरीर की इन सभी हरकतों को नंदू बड़े ध्यान से देख रहा था...
वो तो यही समझ रहा था की निशि इतनी नासमझ है की उसे ये पता भी नही चल पा रहा की ये जवानी की लहरे है जो उसके शरीर से उठ रही है और वो पगली इसे मसाज का कमाल समझकर खुश हो रही है..

नंदू के दोनो हाथ उसकी दोनो टाँगो को उपर से नीचे तक सहला चुके थे...
चूत पर वो अभी हाथ डालना नही चाहता था क्योंकि इसका मतलब तो कोई गँवार भी समझ सकता था..
इसलिए उसने निशि को पलटकर पेट के बल लेटने को कहा

इसके पीछे भी एक कारण था, और वो था उसकी भरंवा गांड ।

आज से पहले उसने सिर्फ़ अपनी बहन की गांड को ही नोट किया था..
क्योंकि उसके शरीर का वही एक हिस्सा था जो बाहर की तरफ निकला हुआ था और अपनी तरफ आकर्षित करता था, आज वो उन्ही नन्हे टीलों के गुदाजपन का मज़ा लेना चाहता था.

निशि भी समझ गयी की लाला की तरह उसका भाई भी उसकी भरी हुई गांड का दीवाना है और होता भी क्यो नही वो थी ही इतनी सैक्सी की उसे एक बार जो देख ले तो उसे मसलने की इच्छा अपने आप आ जाती थी मन में.

पीछे की तरफ भी नंदू ने तेल की धार पर अपने हाथो की थिरकन का कमाल दिखाया जो धीरे-2 उसकी स्कर्ट के अंदर जाता चला गया...
और अब वक़्त था उसकी स्कर्ट में छिपे चाँद के जोड़े को देखने का,
इसलिए नंदू ने निशि से कहा : "ये तेल तेरे कपड़ो में लग रहा है, इसे उपर कर दूँ क्या...? ''
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03-19-2019, 12:25 PM,
#69
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
निशि ने मंद-2 मुस्कुराते हुए मन में सोचा 'साला भोंदू , इतना पुराना आइडिया लाया है गांड को देखने के लिए, कुछ तो नया सोचता भाई..'

पर अपनी नासमझी का परिचय देते हुए वो भोले सी आवाज़ में बोली : "भाई, जो करना है कर लो...मुझे तो इतना मज़ा आज तक नही मिला..''

यानी वो कहना चाहती थी की मेरी तरफ से छूट है, कर ले अपने मन की इच्छा पूरी..

नंदू ने अपने काँपते हाथो से उसकी गांड का घूँघट उपर उठा दिया...
और सच में वो उसकी गांड की सुंदरता देखकर चकाचोंध हो गया..

उसका मुँह खुला का खुला रह गया और उसमें से ढेर सारी लार निकल कर उसकी गांड पर आ गिरी

ठंडे तेल के मुक़ाबले गर्म लार को महसूस करके फिर से वो आनंद भरे स्वर में कराह उठी...

''अहह.... अह्ह्ह्ह भैय्या ....म्*म्म्ममम''

नंदू हंस दिया की कैसी पागल है, उसकी लार को भी तेल समझ कर कसमसा रही है..

फिर उसने सोचा की काश वो उसी लार में चुपड़ी जीभ से उसकी गांड के कटोरों को चाट पाता,
उन्हे अपने गीले होंठों से चूमा चाटा और अपने लार से सने दांतो से उनपर काट पाता.

और जिस रफ़्तार से उसकी गांड को देखकर उसके मन में ये विचार आ रहे थे उससे पता चल रहा था की वो वक़्त भी जल्द आने वाला है..

उसने एक बार फिर से वही पुराना डायलोग दोहराया : "नि...निशि ..वो वो तेरी....तेरी कच्छी खराब हो जाएगी...तेल लगने से...कहे तो...इसको...''

वो अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था की निशि ने अपनी गांड उचकाई और अपनी कच्छी को पकड़ कर नीचे कर दिया.

निशि : "भैय्या , आप तो ऐसे शरमा रहे हो जैसे ये बहुत बड़ी बात है....ये लो...अब लगाओ अच्छे से तेल''

उसकी इस हरकत से उसके भाई को हार्ट आटेक आते-2 बचा..
साली उसी के साथ खेल गयी..

अभी तक वो उसे उत्तेजित करने में लगा था और अब एक ही बार में उसने उसके लंड की वो हालत कर दी की उसका लंड बैठे नही बैठ रहा था...
सामने का नज़ारा ही इतना सैक्सी था.



उसने अपने काँपते हुए हाथ जैसे ही उसकी गांड की तरफ बढ़ाये की नीचे से उसकी माँ की तेज आवाज़ आई

''नंदू......ओ नंदू......कहाँ गया रे....''

एक ही झटके में नंदू खड़ा हो गया और उसके पीछे-2 खड़ी होकर निशि भी अपने बिस्तर पर बैठ गयी और उसका चेहरा सीधा आ टकराया उसके खड़े हुए लंड से...
बेचारा संभाल भी नही पाया था और उसके खड़े हुए लंड का एहसास निशि को मिल गया...
उसे इस वक़्त बड़ी शर्म महसूस हो रही थी, अपने हाथो से अपने खड़े लंड को ढकता हुआ वो नीचे की तरफ भागा..

निशि ने भी जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए और चादर में घुसकर सोने का नाटक करने लगी....
मन में उसने 100 गालिया दे डाली थी अपनी माँ को...
आज वो नही जागती तो बहुत कुछ होने के आसार बन चुके थे उनके बीच...

अगली बार अब कोई और प्लान बनाना पड़ेगा नंदू भैय्या के लिए.

नंदू जब नीचे पहुँचा तो वहां से सीधा बाथरूम में घुस गया और बाहर आते हुए आवाज़ करके निकला ताकि उसकी माँ समझ ले की वो बाथरूम में था.

पर उसे सफाई देने की ज़रूरत ही नही पड़ी क्योंकि जब तक वो वापिस अपने बिस्तर पर पहुँचा तो उसकी माँ फिर से खर्राटे मार रही थी.

बीचे में शायद एक पल के लिए उनकी नींद खुली थी और नंदू को अपने बिस्तर पर ना पाकर उन्होने आवाज़ लगा दी थी, और फिर से सो गयी थी...
उनका तो कुछ नही बिगड़ा पर उस वजह से नंदू और निशि का खेल बिगड़ कर रह गया था.

नंदू को इस वक़्त अपनी माँ पर बहुत गुस्सा आ रहा था, मन तो कर रहा था की उसी खड़े लंड को उनकी उभरी हुई गांड में पेल डाले..

और ये ख़याल आते ही उसकी आँखे चमक उठी...
आधी रात होने को थी, निशि का भी अब नीचे आना संभव नही था, माँ भी गहरी नींद में थी , ऐसे में उनके जिस्म के साथ कुछ तो मज़ा लिया ही जा सकता है..

ये सोचते ही वो उछलकर बैठ गया और दबे पाँव अपनी माँ के करीब पहुँचा,
वो पेट के बाल उल्टी होकर सो रही थी, पहले तो उनके चेहरे को उसने गोर से देखा और फिर एक-दो आवाज़ें लगाकर उसने सुनिश्चित भी कर लिया की वो गहरी नींद में सो रही है और फिर धीरे से उसने अपना हाथ उनकी मोटी गांड पर रख दिया.

उफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या फीलिंग थी,
आज पहली बार उसने अपनी माँ की गांड को छुआ था.और आशा के अनुरूप वो एकदम कड़क और गद्देदार थी.
नंदू ने अपनी उंगलियाँ अंदर की तरफ धंसा दी और उस गद्देपन को महसूस करके खुश होने लगा.

उसकी लुंगी में खड़ा हुआ लंड उसने खुद ही बाहर निकाल लिया और एक हाथ से उसे मसलते हुए अपनी माँ की गांड की गहराई नापने लगा..

''ओह माँआआआआअ....... क्या गांड है रे तेरी.....सच में .....एक दिन लंड पेलुँगा इसके अंदर अपना....अहह''

उसकी माँ की साड़ी की फिसलन बता रही थी की अंदर उसने भी कुछ नही पहना हुआ है...
पेटीकोट और साड़ी के नीचे नंगी चूत लेकर सो रही थी वो इस वक़्त.



माँ की गांड मसलने के बाद उसकी हिम्मत थोड़ी और बढ़ चुकी थी,
उसने माँ की पिंडलियों से साड़ी को धीरे-2 ऊपर करना शुरू कर दिया...
जैसे-2 उनका नंगा जिस्म सामने आ रहा था, उसकी साँसे तेज होती जा रही थी.
और अंत में आकर वो घुटनो से थोड़ा उपर आकर अटक गयी,
पर फिर भी लोंडे ने हिम्मत नही हारी और तिरछा बैठकर उसने अपने हाथ को अंदर की तरफ सरका दिया...

अंदर का माहौल थोड़ा भारी सा था, हल्की नमी लिए हुए वो हिस्सा थोड़ा गरम भी था, और जब उसके हाथ माँ के नंगे चूतड़ों से टकराए तो वो कांपकर रह गया,
ऐसा लग रहा था जैसे माँस से बना बड़ा सा तरबूज पकड़ लिया हो उसने..
अपनी उंगलियों से उपर से नीचे तक सहलाने के बाद जब उसकी उंगलियाँ गांड की दरारों में घुसी तो उनके शरीर में कुछ हलचल सी हुई,
एक पल के लिए उसने अपनी हरकतें रोक दी पर अगले ही पल फिर से उन्हे सहलाने लगा...

और उसकी इस हरकत ने उसकी माँ की नींद खोल ही दी आख़िरकार...
हालाँकि अभी तक तो वो सो ही रही थी और उसके द्वारा किए जा रहे स्पर्श को वो सपना समझ कर मज़े ले रही थी,
पर चूत के करीब जब हाथ पहुँचा तो उसकी नींद खुल ही गयी...
और एक पल भी नही लगा उसे ये समझने में की नंदू ही उसके साथ वो सब कर रहा है...

सुबह से उसकी हरकतों को नोट करने के बाद वो इतना तो जान ही चुकी थी की उसका बेटा उसके जिस्म का दीवाना है, पर इस वक़्त उसे ऐसी हरकत करते देखकर भी उसकी ये हिम्मत नही हो रही थी की अपने बेटे को वो रंगे हाथो पकड़ ले और उसे डांटे या मारे...

पर उसके बारे में सुबह से सोच-सोचकर उसके जिस्म ने भी जिस अंदाज से जवाब दिया था, वो भी उसे नंदू को टोकने से मना कर रहा था..
हालाँकि था वो उसका सगा बेटा पर मज़े साला ऐसे दे रहा था जैसे गाँव का हरामी साहूकार लाला देता है सबको..
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03-19-2019, 12:25 PM,
#70
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
लाला के बारे में तो उसने अपनी सहेलियो से सिर्फ़ सुना ही था पर यहाँ तो उसके बेटे ने उसे छूकर वो सारी बाते सच ही कर दी थी जो उसकी उम्र की औरतें उसे सुनाया करती थी की इस उम्र में भी उन्हे सैक्स करने में कितना मज़ा आता है...

बरसो बाद उसकी बंजर ज़मीन पर फिर से पानी रिसना शुरू हो चुका था...
इसलिए वो चाहकर भी अपने बेटे को अपने खेतो की जुताई करने से नही रोक पा रही थी.

नंदू की भूख बढ़ती जा रही थी,
उसने एक एक अपनी चारो उंगलियां अपनी माँ की चूत में उतार दी..
वहां की चिकनाई उसे ऐसा करने में मदद कर रही थी...
शरीर पहाड़ जैसा था उसका पर उसकी अक्ल में इतनी बात नही घुस पा रही थी की औरत की चूत जब पानी छोड़े तो इसका मतलब वो जाग ही रही है,
पर उसके हिसाब से तो वो गहरी नींद में ही थी अब तक..

उसने उस रस से भीगे हाथ को बाहर निकाला और चाट लिया,
और जब स्वाद उसके मुँह लगा तो हर उंगली को कुल्फी की भाँति चूसने लगा...
उसकी चूसने की आवाज़े सुनकर उसकी माँ का शरीर काँप रहा था की कैसे उसी चूत से निकला उसका बेटा वहां के जूस को भी चूस रहा है...

अब उससे सब्र करना मुश्किल सा हो रहा था इसलिए उसने करवट बदलने के बहाने अपने शरीर को सीधा कर लिया...
नंदू तुरंत किसी लक्कड़बग्घे की तरह रेंगकर अपने बिस्तर में घुस गया.

भले ही अपनी माँ के साथ आज वो इतना आगे निकल चुका था पर उनकी डांट का डर अभी तक उसके दिलो दिमाग में था, इसलिए वो किसी भी कीमत पर पकड़ा नही जाना चाहता था...

पहले उपर वो निशि के साथ कुछ करते-2 रह गया और अब नीचे अपनी माँ के साथ भी...
भले ही दोनो तरफ आज की रात वो असफल रहा था पर ये तो पहले दिन की शुरूवात थी,
जो आगे चलकर और भी गुल खिलाने वाली थी.

अगली सुबह लाला हमेशा की तरह अपनी दुकान खोलकर गली में इधर से उधर जा रही औरतों और लड़कियों की गांड देखकर अपना लंड मसल रहा था..

और बुदबुदा भी रहा था : "साली.... मेरी दुकान के सामने से निकलते हुए इनके कूल्हे कुछ ज़्यादा ही मटकने लग जाते है.... पूरे गाँव को अपने खेतो में लिटाकर चोद डालूँगा एक दिन, तब पता चलेगा इन छिनालो को...''

हालाँकि उसे चुतों की कमी नही थी, पर फिर भी ऐसी कोई चिड़िया जो उसके चुंगल में आज तक नही फँस पाई थी, उन्हे देखकर उसके मुँह से ऐसा निकल ही जाता था.

दोपहर होने को थी, उसकी पसंदीदा चूते यानी पिंकी और निशि, जिन्हे वो अभी तक चोद नही पाया था पर वो किसी भी वक़्त उसके रामलाल से चुद सकती थी, वो इस वक़्त स्कूल में थी, वरना आज वो पूरे मूड में था उनमें से किसी एक की चूत का उद्घाटन करने के लिए..

नाज़िया भी उनके साथ स्कूल में ही होगी, वरना उसे एक बार और पेलकर वो उसके संकरेपन को थोड़ा और खोल देता आज..

अंत में उसके पास दो ही विकल्प रह गये, पिंकी की माँ सीमा और नाज़िया की अम्मी शबाना...

शबाना को भी वो कई सालों से चोदता आ रहा था इसलिए उसका मन सीमा की तरफ ही घूम रहा था, इसलिए वो झत्ट से उठा और सीमा के घर जाने के लिए तैयार होने लगा...

लेकिन जैसे ही वो दुकान का शटर गिराने लगा, सामने से उसे शबाना आती हुई दिखाई दे गयी..

वो करीब आई और अपनी मनमोहक मुस्कान के साथ बोली : "लगता है लालाजी किसी मिशन पर निकलने वाले हो...कहो तो मैं आपकी कोई मदद कर दूँ ...''

अब उसके कहने का तरीका ही इतना सैक्सी था की एक पल में ही लाला के लंड ने उसके लिए हां कर दी...
लाला के हिसाब से तो लंड - 2 पर लिखा होता है चुदने वाली का नाम...
और आज ये चुदाई के नाम की पर्ची शबाना के नाम की निकली थी,
जो उसने खुद ही खोलकर उनके सामने रख दी थी..

लाला ने मुस्कुराते हुए कहा : "अररी शबाना...तेरे होते हुए भला मैं कौन से मिशन पर जाऊंगा भला...तू आ गयी है तो चल अंदर गोडाउन में ...एक पुराने चावल का कट्टा खोला था कल...चल तुझे दिखता हूँ वो..''

शबाना : "हाय लाला जी...आप तो अंतर्यामी निकले...आपको कैसे पता की मैं चावल लेने ही आई थी...वो क्या हुआ ना, नाज़िया आने ही वाली है, पर देखा तो घर में चावल ही नही है...तो सोचा की मैं आपसे आकर ले जाऊ ...''

लाला : "अररी, जो भी सोचा तूने, सही सोचा...नाज़िया के लिए तो लाला के चावल तो क्या, सब कुछ पेशे खिदमत है...''

इतना कहते हुए उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपने खड़े हुए लंड को उसके सामने ही मसल दिया...

शबाना मुस्कुराते हुए अंदर की तरफ दौड़ गयी और उसके पीछे -2 लाला अपनी दुकान का आधा शटर गिराकर अंदर आ गया..

वो पहले से ही उछल कर एक बोरी पर चढ़ी बैठी थी...
लाला के आने से पहले ही उसने अपने ब्लाउस के हुक आगे की तरफ से खोल दिए और उसके आते ही उन्हे अपने नर्म मुम्मो से लिपटा लिया...

लाला को हमेशा से उसकी यही बात अच्छी लगती थी...
सैक्स करने के लिए अपनी तरफ से वो हमेशा पहल करती थी, बिना कोई वक़्त गँवाए..

वो भी उसके लटक रहे खरबूजों को अपने मुँह में लेकर जोरों से चूसने लगा...

उससे पंगे लेने के लिए वो बोला : "अब तेरे में वो बात नही रही शबाना... अब ये लटक चुके है .. पहले जैसे कड़क नही रहे अब ये...''



वो भी लाला के चेहरे को अपनी छाती पर रगड़ते हुए कसमसाई : "ओह्ह्ह .. लाला...अब तुझे ये क्यों अच्छे लगने लगे...नाज़िया के नन्हे अमरूद चूस्कर उनके कड़कपन का मुकाबला कर रहा है ना तू इनसे... पर कसम से, अपनी जवानी में मैं भी उतनी ही कड़क थी...''

लाला को इस बात की सबसे ज़्यादा खुशी थी की उसी के सामने उसकी बेटी को पेलने के बाद अब वो उसके बारे में इतना खुलकर शबाना से बात कर सकता है...
एक माँ के सामने उसी की बेटी के हुस्न की तारीफ करके उसे सच में काफ़ी मज़ा मिल रहा था.

ऐसे में शबाना को अपनी बेटी से ज़्यादा अच्छा दिखने के लिए लाला को कुछ ज़्यादा ही खुश करने की एनर्जी मिली...
भले ही वो उसकी माँ थी पर थी तो वो एक औरत ही ना,
अपने सामने भला वो किसी और की बड़ाई कैसे सुनती.

इसलिए उसने एक पल भी नही लगाया अपने सारे कपड़े निकालने में ...
गोडाउन की नमी में उसका शरीर काँप कर रह गया जब वो पूरी नंगी होकर लाला के सामने खड़ी हुई..
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