Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
04-07-2019, 12:21 PM,
#31
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
रचना ने आपने मोबायल से पूरी क्लिप बना ली थी, मगर वो खुद भी काफ़ी गर्म हो गई थी। उसकी चूत रिसने लगी थी, मन तो उसका हुआ चुदने का, पर वो इन दोनों को आपने लायक नहीं समझती थी और वो मौका देख कर चुपके से वहाँ से निकल गई।
अमर वहीं बाहर खड़ा था। रचना को जाता देख कर वो चुपके से अन्दर घुस गया।
अंकित- क्यों यार चोद दिया क्या साली को..! अब मेरी बारी है।
सुधीर- हाँ आजा यार साली बेहोश हो गई है, मैंने झटका मारा तो गई काम से…!
अमर- अबे सालों ये क्या है, क्या कर रहे हो तुम सिम्मी के साथ…!
अमर को देख कर दोनों चौंक जाते हैं।
अंकित- त..तू यहाँ कैसे…!
अमर- मैंने कहा था न… मेरी नज़र तुम दोनों पर है।
सुधीर- अरे सब बातें छोड़… ये देख सिम्मी की जवानी तुझे आवाज़ दे रही है, जा मज़े कर डाल दे चूत में लौड़ा…!
अमर- नहीं यार इसकी गाण्ड मुझे बहुत पसन्द है… मैं तो गाण्ड ही मारूँगा और रचना यहाँ इतनी देर तक क्या कर रही थी…!
सुधीर- अरे कुछ नहीं इसका एमएमएस बना रही थी।
अमर- भाड़ में जाने दो सब.. यार इसके मम्मे क्या मस्त खड़े हैं आ..हह.. मैं तो पहले इनका रस पीऊँगा…!
अमर ने पहले कपड़े उतारे और सीधा बेड पर लेट कर सिम्मी के मम्मे चूसने लगा। वो दोनों भी कहाँ पीछे थे, वो भी साथ हो लिए अंकित चूत चाटने लगा और सुधीर उसके होंठों पर लौड़ा फेरने लगा।
सिम्मी को होश आने लगा था। अमर का लौड़ा भी तन गया था। उन तीनों ने सिम्मी के जिस्म पर जगह-जगह काट लिया था, जिसके कारण उसके शरीर पर निशान पड़ गए थे।
अमर- बस अब लौड़ा बहुत गर्म हो गया है। साली की गाण्ड को फाड़ता हूँ अभी, मेरी बहन से ज़्यादा खूबसूरत बनने की सज़ा तो इसको मिलनी ही चाहिए…!
अमर उसको पेट के बल लेटा देता है और लौड़े पर अच्छे से थूक लगाकर गाण्ड पर टिका देता है। सुधीर गाण्ड का होल ऊँगली से खोलकर उसकी मदद करता है।
सुधीर- डाल दे अमर…. कुँवारी गाण्ड है। मज़ा आ जाएगा।
अमर एक ही झटके में लौड़ा गाण्ड में घुसा देता है। सिम्मी का दर्द के मारे बुरा हाल हो गया था। वो चीख भी नहीं पाई और फिर से बेहोश हो गई।
अमर ज़्यादा समय गाण्ड की गर्मी बर्दाश्त ना कर सका और झड़ गया।
अमर- आ मज़ा आ गया.. क्या टाइट गाण्ड थी साला पानी जल्दी निकल गया, मज़ा खराब हो गया।
अंकित- कोई बात नहीं राजा, अभी देख लौड़ा कैसे डालते है।
सुधीर- हाँ देख हम दोनों साथ में डालते हैं आगे और पीछे..!
दोस्तों सिम्मी बेहोश थी, उसकी हार्ट-बीट कम हो गई थी, वो पहली बार चुद रही थी।
अमर- आ..हह.. मैं थक गया हूँ… तुम चोदो मैं तो जाता हूँ अब 3 बार मेरा पानी निकल गया अब हिम्मत नहीं है।
सुधीर- हाँ जाओ हम भी थक गए, थोड़ा रेस्ट करेंगे, उसके बाद दोबारा इसको चोदेंगे।
अमर वहाँ से चला गया और सिम्मी बेहोश पड़ी थी। थोड़ी उसको पूरी तरह होश आ गया था, बदन पूरा अकड़ गया था। चूत और गाण्ड का ऐसा हाल था कि जरा सा हिलाने से जान निकल रही थी।
आख़िर पूरी हिम्मत जुटा कर बैठ गई। तभी सुधीर की आँख खुल गई, उसने अंकित को भी उठा दिया।
अंकित- क्यों रानी… कहाँ जा रही हो, मज़ा आया न.. चुदाई में साली बेहोश बहुत होती है तू… आ..हह.. बदन अकड़ गया तेरे को चोदते-चोदते पर साली प्यास है कि बुझने का नाम ही नहीं लेती। साली मेरा मन था, एक बार और तेरी गाण्ड मारूँगा… उठ साली कपड़े पहन और निकल यहाँ से…!
सिम्मी- मेरी हिम्मत नहीं हो रही, मुझे कपड़े पहनने दो ना प्लीज़…!
सुधीर- क्यों साली अकड़ निकल गई सारी… चल मैं पहना देता हूँ अब जब हम बुलाएं चुपचाप आ जाना। एमएमएस याद है ना, सब को पता चल जाएगा की तू रंडी है।
सुधीर उसको कपड़े पहना देता है उसकी हालत ठीक करके उसको चलने के लिए बोलता है। आधा घंटे की मेहनत के बाद वो उसको थोड़ा चलने के काबिल बना देता है।
अंकित- अरे यार क्या नाटक है, साली को धक्का मार कर बाहर निकाल दे न….!
सुधीर- नहीं यार काम की चीज है, बेचारी की चूत और गाण्ड फट गई है, कहाँ चल पाएगी? इसलिए इसको बाइक पर छोड़ कर आता हूँ। तू घर को लॉक कर देना ओके.. चल जानेमन अब बाहर तक तो चल सकती है न…!
सिम्मी बड़ी मुश्किल से चल कर बाहर तक गई। सुधीर किसी तरह उसको उसके घर कर तक ले गया। वहाँ उस समय कोई नहीं था, वो उसको अन्दर ले गया। रूम में बेड पर लिटा कर वो जाने लगा।


सुधीर और अंकित पूरी बात शरद को बता देते हैं लास्ट में सुधीर बोलता है।
सुधीर- बस भाई यही कहानी है, इतना बोलकर मैं वहाँ से निकल गया था। रात को पता चला उसने अपने आप को खत्म कर लिया। हम बहुत डर गए थे इसलिए कई दिन तक छुपे रहे।
ये सब सुनकर शरद की आँखों में आँसू आ गए, सचिन को बहुत गुस्सा आ रहा था। वो आगे बढ़ा तो वक़्त रहते शरद ने उसको रोक दिया।
सचिन- नहीं भाई मैं इन कुत्तों को…!
शरद- हाँ सचिन इन्होंने मेरी सिम्मी को इतनी तकलीफ़ दी, उस बेचारी को कैसे नोचा है। इनको इतनी आसान सजा देना, सिम्मी का बदला नहीं होगा और सबसे बड़ी बात उस रंडी ने जिसने सिर्फ़ जलन में अंधी होकर ये कांड करवाया, उसको तो ऐसी सज़ा दूँगा कि दोबारा कोई ऐसा करने की सोचेगा भी नहीं…!
अंकित- हमें माफ़ कर दो, प्लीज़.. जो आप कहोगे, हम करेंगे प्लीज़ उसने हमारे साथ धोखा किया है।
सुधीर- हाँ भाई पूनम के साथ ये सब करने के बाद हमने उससे पैसे माँगें, तब हमें पता चला कि उस समय वो गई नहीं थी, उसने हमारा वीडियो बना लिया था।
वो हमें बोल रही थी कि तुम्हारी औकात से ज़्यादा तुमको मिल गया है अब ज़्यादा बात की तो पुलिस को ये वीडियो दिखा दूँगी रेप और मर्डर के चार्ज में अन्दर हो जाओगे दोनों… अब जाओ यहाँ से। भाई प्लीज़ प्लीज़ माफ़ कर दो ना…!
शरद- ठीक है, मगर जिस तरह सिम्मी के साथ किया उससे भी ज़्यादा रचना के साथ करना, उसको तड़पाना…! मैं उसको तड़पता हुआ देखना चाहता हूँ। उसे
सिम्मी के दर्द का अहसास दिलाना चाहता हूँ।
अंकित- हम तैयार हैं भाई बस आप बताओ, हमें क्या करना होगा…?
सचिन को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब कौन सा गेम बाकी है। सब तो पता चल गया है हमें, वो कुछ बोलना चाहता है, पर शरद आँखों से उसको इशारा कर देता है और वो चुप हो जाता है।
एक मिनट बाद ही शरद का फ़ोन बज उठता है। शरद फ़ोन उठा कर हैलो बोलता है।
धरम अन्ना- तुम कहाँ होना जी.. हम गेट के अन्दर आ गया जी…!
शरद- बस पाँच मिनट रूको मैं आता हूँ।
सचिन- भाई इनका क्या करना है…?
शरद- इन दोनों ने जो किया उसके लिए इनको माफ़ करना तो नामुमकिन है, पर रचना को सबक़ सिखाने के लिए हमें इनका गुनाह भूलना होगा।
सुधीर- हाँ भाई प्लीज़ हमें माफ़ कर दो…!
शरद- ओके ओके… लेकिन अभी तुम यहीं रहो मैं बाहर सम्भालता हूँ जब बुलाऊँ, तब आना सचिन तुम भी यहीं इनके साथ रहो।
शरद बाहर चला जाता है। धरम अन्ना पाँच-सात लोगों के साथ बाहर खड़ा था। कैमरा वगैरह भी उनके पास था और पता नहीं बॉक्स में क्या था।
धरम अन्ना- हैलो जी कैसा होना तुम..! हम सब संभाल लिया जी, बस वो छोकरा थोड़ा टेढ़ा होना जी। उसके कारण हमको थोड़ा समय होना जी..!
शरद- अच्छा किया, ये लोग भरोसे के तो है ना…!
धरम अन्ना- क्या बात करता जी ये 100% पूरे हम अपने आप पर शक कर सकता, इन पर नहीं जी…!
शरद- आओ सब अन्दर आओ।
बाहर शरद के भी आदमी थे। उनको कोल्ड ड्रिंक्स का कह कर वो सब अन्दर अलग
रूम में बैठ जाते हैं और नॉर्मल बातें करने लगते हैं।
दोस्तों इनको ठंडा-वंडा पीने दो, हम ललिता और रचना के पास चलते हैं। जब शरद ललिता को छोड़ कर गया। उसके बाद वहाँ क्या बातें हुईं, वो जानते हैं।
रचना- ललिता शरद जी कहाँ थे और तुम इतनी देर बाद क्यों आई…!
ललिता- ओह्ह दीदी शरद जी बाहर के गेट पर धरम अन्ना का वेट कर रहे थे। मैं रूम्स में ढूंढ रही थी, तो समय लग गया।
रचना- अच्छा अभी तो तेरे को चलने में तकलीफ़ हो रही थी, अब कैसी है चूत…!
ललिता- अब ठीक है दर्द तो, पर एक बात कहूँ दीदी आप के हाथ और पैर पर
चमक नहीं है आप हेयर-रिमूव करके आओ। क्या पता आज शूटिंग के समय धरम अन्ना को अच्छा ना लगे।
रचना- अरे कहाँ है.. कल ही तो किए थे मैंने…!
ललिता- ओह्ह शूटिंग आज है, आपकी मर्ज़ी वैसे उस बड़े कैमरे में ये साफ दिखेंगे।
रचना- ओके यार मैं बाथरूम जाती हूँ।
ललिता- हाँ अच्छे से कर आओ, मैं दूसरे रूम के बाथरूम में गर्म पानी से चूत को सेक आती हूँ।
रचना- ओके जाओ।
रचना बाथरूम में घुस जाती है और ललिता रूम से बाहर निकल कर ऊपर जाने लगती है और एक रूम के बाहर जाकर रुक जाती है। दोस्तों ये वही रूम है, जहाँ से अशोक इनको देख रहा है।
ललिता रूम नॉक करती है।
अशोक- कौन है… रूको, एक मिनट आता हूँ..!
जब अशोक डोर खोलता है उसके होश उड़ जाते हैं। ललिता यहाँ कैसे आ गई..!
वो कुछ बोलता इसके पहले ललिता अन्दर आ जाती है। लेकिन अशोक ने डोर खोलने के पहले वीडियो बन्द कर दिया था।
ललिता- मुझे आप से जरूरी बात करनी है, प्लीज़ डोर बन्द कर दो।
अशोक डोर बन्द कर देता है और चुपचाप ललिता को देखने लगता है।
ललिता- अशोक मेरी बात ध्यान से सुनना और प्लीज़ पूरी सुनना। उसके बाद जो तुम्हारा मन हो से वो करना।
अशोक- तुम यहाँ कैसे आ गईं..!
और.. वो आगे कुछ बोलता इसके पहले।
ललिता- पहले मेरी बात सुन लो, उसके बाद सब समझ आ जाएगा। आप वहाँ आराम से बैठो।
अशोक बेड पर बैठ जाता है।
ललिता- मैं जानती हूँ तुम पूनम के भाई हो और तुम सब उसकी मौत का बदला लेने के लिए यहाँ आए हो।
अशोक ये सुनकर बेड से उठ जाता है।
ललिता- प्लीज़ आप बैठ जाओ, मेरी पूरी बात तो सुन लो पहले प्लीज़…!
अशोक- ओके कहो…!
ललिता- आप ये मत सोचो कि मैंने तुम लोगों की बात सुन ली हैं। मुझे पहले से सब पता है, डरो मत, मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है, बस तुमसे ये कहने आई हूँ कि पूनम की मौत में मेरा कोई हाथ नहीं है। उसके साथ क्या
हुआ, ये भी मैं नहीं जानती हूँ। हाँ अभी सुधीर और अंकित जब बता रहे थे, तब थोड़ी बात मैंने सुनी थी और मेरी बस एक ग़लती है कि मैंने उस दिन रचना दीदी को ये कह दिया था कि उस पर तेज़ाब डलवा दो, पर आप मेरा यकीन करो मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मैंने तो बस ऐसे ही कह दिया था। उसके पीछे कुछ और ही वजह थी। अब आप चाहो तो मुझे मार दो मैं उफ्फ तक नहीं करूँगी और चाहो तो मुझे माफ़ कर दो मैं आप लोगों का साथ दूँगी। रचना दीदी को सज़ा मिलनी ही चाहिए। उन्होंने काम ही ऐसा किया है।
अशोक- मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा तुम क्या बोल रही हो। हाँ शक तो मुझे हुआ, जब तुमने रचना से झूट कहा कि शरद बाहर था, जबकि तुम
जानती हो हम सब कहाँ थे। दूसरी बात तुमने सुधीर और अंकित का नाम भी
नहीं लिया। मैं कब से बैठा यही सोच रहा हूँ कि आख़िर चक्कर क्या है…!
ललिता- मैं जानती हूँ आप लाइव वीडियो में देख रहे हो, ये बात भी मुझे
पता है। आप सब बहुत सावधानी से सब कुछ कर रहे हो, पर मैं सब जानती हूँ और कैसे जानती हूँ ये अभी नहीं बताऊँगी। पहले आप अपना फैसला
बताओ कि मेरे साथ क्या करना है। चाकू मारकर मेरा पेट फाड़ना है या लौड़ा
डालकर मेरी चूत… फैसला आपका है, पर मैं बेकसूर हूँ… ये याद रखना बस…!
अशोक को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है।
ललिता उसके करीब जाकर उसके लौड़े पर हाथ घुमाने लगती है।
ललिता- आप अगर मुझे मारना चाहते हो, तो पहले इसकी प्यास बुझा लो मैं समझूँगी मरने से पहले आपके कुछ तो काम आई।
अशोक चुपचाप बैठा रहता है। इससे ललिता का हौसला और बढ़ जाता है।
वो लौड़े को अब दबाने लगती है। अशोक के मुँह से ‘उफ्फ’ निकल जाती है।
ललिता उसकी पैन्ट खोलने लगती है तो अशोक उसका हाथ पकड़ लेता है।
ललिता- अशोक प्लीज़ ज़्यादा मत सोचो मेरी बात मान लो।
ललिता पैन्ट का हुक खोल देती है। अशोक कुछ नहीं बोलता है। अब ललिता समझ जाती है कि अशोक को मज़ा आ रहा है, वो जल्दी से उसका लौड़ा बाहर निकाल लेती है, जो धीरे-धीरे कड़क हो रहा था। ललिता बिना कुछ सोचे जल्दी से उसको मुँह में ले लेती है और बड़ी अदा के साथ उसको चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ सीईई ललिता हटो आ..हह…..!
ललिता बात को अनसुना कर देती है। लौड़ा अपने आकार में आ जाता है। पूरा 8″ का लौड़ा ललिता चूसने लगती है।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ आ..हह.. ललिता हटो आ..हह.. आह…!
दोस्तों चाहे कुछ भी हो एक जवान लड़की और खास कर ललिता जैसी सेक्सी आइटम लौड़ा चूसे तो उसे मना करना मुमकिन नहीं है। यही हाल अशोक का था, वो बस बोल रहा था कि हट जाओ ये ठीक नहीं है, मगर मज़ा पूरा ले रहा था और ललिता भी शातिर थी। होंठों को भींच कर लौड़े को ऐसे अन्दर-बाहर कर रही थी, जैसे लौड़ा चूत में जा रहा हो।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ फक यू बेबी आ गुड यू… कसम से पहली बार पता आ..हह.. चला कि देखने में और करने में कितना फ़र्क है उफ्फ…!
अशोक बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो जाता है और अपने हाथ से लौड़े को हिलाने लगता है।
ललिता- क्या हुआ जानू फास्ट चाहिए मैं हूँ ना रूको।
इतना कहकर ललिता स्पीड से लौड़े को हाथ से हिलाने लगती है और मुँह से चूसने लगती है। अब तो अशोक की हालत खराब हो गई थी। मुँह और हाथ के
मज़े में वो डूबता चला गया। उसका बाँध टूटने वाला था।
अशोक- ह ह उफ़फ्फ़ ललिता आई एम कमिंग आ आई एम कमिंग…!
ललिता ने आँखों से इशारा किया, “आने दो” अशोक के लौड़े ने पिचकारी पर पिचकारी मारनी शुरू कर दी। ललिता का पूरा मुँह वीर्य से भर गया सारा पानी वो गटक गई। अशोक ने लंबी सांस लेते हुए लौड़ा बाहर निकाला और बेड पर बैठ गया।
ललिता- क्यों जानू मज़ा आया ना…!
अशोक- हाँ जान बहुत मज़ा आया, तेरे मुँह में इतना मज़ा आया तेरी चूत में कितना आएगा…!
ललिता- वो भी आजमा कर देख लो, कहो तो निकालूँ कपड़े…!
अशोक- नहीं अभी रहने दो और तुम चाहती क्या हो वो बताओ इतना तो मैं समझ गया कि तुम जितनी मासूम दिखती हो, उतनी हो नहीं…!
ललिता- मेरी चाहत तो बहुत है, फिलहाल बस मेरी एक बात मान लो मुझे अपने इन्तकाम से आज़ाद कर दो, मैंने कुछ नहीं किया है और बाकी जो करना चाहो, सो करो मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।
अशोक- मैं कैसे मान लूँ कि इसमें तुम्हारी कोई चाल हुई तो…!
ललिता- चाल होती, तो मैं यहाँ नहीं आती, सीधे पुलिस के पास जाती समझे..! मुझे पता है, दीदी ने गलत किया है पर मेरा तो कोई कसूर नहीं है न…! बस यही समझाने आई हूँ।
अशोक- ये बात तो तुम शरद को भी बता सकती थी, फिर मेरे पास क्यों आई हो…!
ललिता- जानती हूँ, शरद को बताती, तो वो मेरी बात आराम से मान लेते पर तुमको ये लगता कि शरद को क्या फ़र्क पड़ता है, उसको तो सिम्मी गई और मिल गई…। बहन तो तुम्हारी खोई है, इसलिए मैंने सोचा तुम मान गए तो सब मान जाएँगे।
अशोक- ओके ठीक है, पर अभी किसी को कुछ मत बताना, मैं शरद को मौका
देख कर खुद बता दूँगा। अब तुम जाओ यहाँ से।
ललिता- ओके जानू बाय थैंक्स मुझे माफ़ करने के लिए एंड आई लव यू।
अशोक- ओके लव यू टू जान, जाओ अब…!
ललिता ये सुनकर ख़ुशी से अशोक से लिपट जाती है और उसके होंठों पर चुम्बन कर के वहाँ से चली जाती है।
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04-07-2019, 12:21 PM,
#32
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
एक मिनट बाद ललिता वापस अशोक के पास आती है।
अशोक- अब वापस क्यों आई हो, जाओ…!
ललिता- एक जरूरी बात बताना भूल गई, उन दोनों को दीदी या भाई के सामने मत आने देना, वरना वो सब समझ जायेंगे बाकी आपका क्या प्लान है आप जानो, मुझे जो ठीक लगा, मैंने बता दिया ओके, अब मैं जाती हूँ…!
ललिता वहाँ से सीधी रचना के पास चली जाती है और अशोक वापस वीडियो देखने लगता है, शायद उसको ललिता पर शक था। चलो हम शरद और धरम अन्ना की बात सुनते हैं।
धरम अन्ना- ओह.. वो छोकरी ऐसा काम किया जी उसको तो छोड़ना नहीं, अब हमको क्या करना जी…!
शरद- पहले मैंने सोचा था, उसकी ब्लू-फिल्म बना कर उसको ब्लैक मेल करूँगा और सिम्मी की मौत की सच्चाई उसके मुँह से उगलवाऊँगा पर अब सारा सच सामने आ गया है।
धरम अन्ना- तो आज का शूटिंग का क्या जी पर हमको उसका चूत होना जी.. बहुत टाइट माल होना जी….!
शरद- हाँ धरम अन्ना ये बात तो है, ऐसा करो आज की शूटिंग कर ही लो। सचिन को मज़ा दिला कर अशोक को बुला लेंगे। उसके बाद तुम कर लेना और तुम्हारे ये सब आदमी को भी उस पर छोड़ देंगे, नोच खाएँगे सब मिलकर उस रंडी को और उसकी बहन को हा हा हा हा ….!
कमरे में सब की हँसी गूँजने लगी। अशोक नीचे आ गया, जहाँ सब बैठे थे। उसने भी धरम अन्ना और शरद की आवाज़ सुन ली थी।
शरद- अरे क्या हुआ उन दोनों के बीच, ऐसी कुछ बात हुई क्या जिस पर शक किया जा सके..!
अशोक- नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं हुआ, मुझे आपसे जरूरी बात करनी है।
शरद- अभी नहीं बाद में करते हैं, अब मैं रचना के पास जा रहा हूँ उसको बताने कि शूटिंग 30 मिनट में चालू हो जाएगी। रेडी हो जाए और तुम सचिन
को बुला कर यहाँ ले आओ।
अशोक- लेकिन उन कुत्तों का क्या…!
शरद- हा यार उनका भी इंतजाम करता हूँ राका तुम अशोक के साथ बेसमेंट में जाओ।
अशोक एक आदमी को लेकर जाने लगता है तब।
शरद- अशोक इसको समझा देना क्या करना है उनको अहसास ना हो हम क्या चाहते हैं, बस उन पर नज़र रखना और तुम सचिन के साथ वापस आ जाना
ओके…!
अशोक- ओके बाबा, पर आने के बाद, पहले दो मिनट मेरी बात सुन लेना उसके बाद शूटिंग शुरू करना।
शरद- अच्छा भाई आजा वापस मैं रचना के पास जाकर आता हूँ।
धरम अन्ना- ये सामान कहाँ रखना जी… कपड़े भी हैं इन बॉक्स में…!
शरद- यहीं रहने दो, मैं उसको यहीं ले आता हूँ।
धरम अन्ना- ओके जी आई एम वेटिंग..!
शरद वहाँ से सीधा रचना के पास चला जाता है।
रचना- ओह्हो शरद जी, कहाँ हो आप.. मैं कब से आपका वेट कर रही हूँ।
शरद- अरे यार अभी वो धरम अन्ना से सीन के बारे में बात कर रहा था।
थोड़ी देर बाद मुहूरत शॉट होगा। तुम रेडी हो जाओ वहाँ दूसरे रूम में कपड़े वगैरह हैं, तैयार हो कर आ जाओ…!
ललिता- वाउ शरद जी, आपने कहा था मुझे भी रोल दोगे, क्या हुआ उसका…!
शरद- मेरी जान फिल्म शुरू तो होने दो, तुम्हें भी दे देंगे और हाँ तुम यहीं रहो। मैं रचना को वहाँ छोड़कर वापस आता हूँ।
रचना- क्या बात है शरद जी क्या इरादा है..! ललिता के पास वापस आ रहे हो।
शरद- ऐसा कुछ नहीं है इसे समझाऊँगा कि कैसे धरम अन्ना को इसके रोल के लिए राज़ी करना है।
रचना- हाँ समझ गई चलो अब…!
शरद रचना के साथ उस रूम में चला जाता है जहाँ अब सिर्फ़ धरम अन्ना बैठा
था। बाकी सब बाहर आपने काम में लग गए थे।
रचना- गुड-मॉर्निंग धरम अन्ना जी।
धरम अन्ना- वेरी-वेरी गुड-मॉर्निंग जी आओ, हमारे पास आओ, तुम बहुत अच्छा लगना जी।
दोस्तों रचना ने बाल साफ करके एक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था। धरम अन्ना का तो आपको पता ही है रचना को पास बैठा कर उसके कंधे पर हाथ डाल उसके मम्मों को दबाना अच्छा लगता था। रचना धरम अन्ना के बगल में बैठ गई और धरम अन्ना ने उसको मसलना शुरू कर दिया।
शरद- ओके धरम अन्ना तुम रचना को पहला सीन समझाओ मैं अभी आता हूँ।
शरद वहाँ से चला जाता है।
धरम अन्ना रचना के मम्मे पर हाथ घुमाने लगता है।
रचना कुछ नहीं बोलती और बस हल्की सी मुस्कान देती रहती है।
धरम अन्ना- बेबी पहला सीन कौन सा करना जी हम तुमको समझाता है।
रचना- ओके धरम अन्ना जी।
धरम अन्ना- देखो तुम बात तो बहुत बड़ी-बड़ी करना जी मगर फिल्म शुरू होने के बाद कोई नाटक नहीं होना, इसलिए बीच का एक हॉट सीन पहले शूटिंग होना।
रचना- कोई बात नहीं धरम अन्ना जी आप बताओ मुझे क्या करना है।
धरम अन्ना- सुनो हम तुमको ड्रेस देता वो पहन लो। कैमरा चालू होने के बाद
बाहर सैट लगाया है, वहाँ बेड भी होना उस पर तुम लेट जाना, हीरो आएगा तुमको
बहुत ज़्यादा ठंड लगना और वो तुम्हारे पास आकर कुछ कहेगा, सब स्क्रिप्ट
में है, ओके..! इसमें ज़्यादा डायलोग नहीं है बस कुछ है, वो स्क्रिप्ट रीड कर लेना जी ओके…!
रचना ख़ुशी से झूम उठी थी। उसने फ़ौरन ‘हाँ’ कर दी।
धरम अन्ना उसको एक ब्लैक ट्रांसपेरेंट मैक्सी देता है जिसमें बदन साफ दिखाई देता है।
रचना- वाउ नाइस मैक्सी।
धरम अन्ना- सुनो जी इसके अन्दर कुछ नहीं पहनना, सीन थोड़ा हॉट होना जी।
पब्लिक को थोड़ा जिस्म दिखाना, तभी मज़ा आना जी।
रचना- ओके सर, लेकिन चेंज कहा करूँ? और मेकअप मैन कहाँ है?
धरम अन्ना- अरे बेबी यही चेंज कर लो कौन देखेगा, बस मैं ही तो हूँ यहाँ और मैंने तो तुमको पहले भी नंगी देखा है।
रचना मुस्कुरा जाती है और अपने कपड़े निकालने लगती है।
धरम अन्ना- बेबी अपना वादा याद है ना जी।
रचना- हाँ सर आप बेफिकर रहो, फिल्म शुरू हो जाने दो, आपको खुश कर दूँगी।
धरम अन्ना- बहुत अच्छा जी बहुत अच्छा ओके अब ये पहन लो।
रचना धीरे-धीरे पूरे कपड़े निकाल देती है ब्रा और पैन्टी भी निकाल देती है। धरम अन्ना का लौड़ा पैन्ट में तंबू बना रहा था।
धरम अन्ना- बेबी जल्दी ये पहन लो जी हमको कंट्रोल नहीं होना, क्या सेक्सी बॉडी जी।
रचना मुस्कुरा देती है और मैक्सी पहनने लगती है। आइये जरा उधर शरद और ललिता को भी देख लेते हैं।
“कहीं वो दीदी को मार ना दें तो वापस आकर सो गई और आपके मुँह पर जानबूझ कर ज़ोर से हाथ मारा ताकि आप की आँख खुल जाए और जैसा मैंने चाहा
आपने वैसा ही किया, आप तुरन्त उठ गए और उन दोनों की आवाज़ सुनकर बाहर गए। आगे आपको सब पता है उसके बाद आप ऊपर गए मैं भी आपके पीछे गई, बाहर से आपकी सारी बात सुन ली।”
शरद- ओह माय गॉड… तुम इतनी चालक हो, मैं सोच भी नहीं सकता था, पर तुम तो नशे में थीं, तो ये सब…!
ललिता- हा हा हा शरद जी मैं जब भी बाहर आपने दोस्तों के साथ जाती हूँ तो बहुत शराब और बियर पीती हूँ। हमारा ग्रुप है, बस मैंने आज तक सेक्स नहीं
किया था, क्योंकि पीने के बाद हमको होश ही कहाँ रहता है और दूसरी बात दो लड़के ग्रुप में हैं और पाँच लड़कियां हैं, तो उनकी कभी हिम्मत नहीं हुई सेक्स करने की। इसलिए कुँवारी रह गई कल जो था वो सब नशे का नाटक था ताकि आपके इरादे का पता चल सके।
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04-07-2019, 12:22 PM,
#33
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
ललिता की बात सुनकर दोनों हक्के-बक्के रह जाते हैं।
अशोक- भाई, यह तो बहुत तेज़ निकली, हम तो सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि यह सब जानती है। अगर यह ना बताती तो…!
शरद- इतना जानने के बाद यहाँ रुकी क्यों हो और रचना को क्यों नहीं बताया?
ललिता- तुम लोगों के बारे में सब कुछ जान गई थी, मगर दीदी ने किया क्या?
यह अब भी समझ के बाहर था। यह तो पक्का हो गया था कि सिम्मी की मौत की ज़िमेदार वो थी, पर अंकित और सुधीर का क्या रोल था, वो मुझे आज पता चला।
अब मुझे रचना से और ज़्यादा नफ़रत हो गई है।
शरद- और ज़्यादा से क्या मतलब है?
ललिता- मैं नफ़रत करती हूँ रचना से.. आई हेट रचना.. आपके प्लान के बारे में जानकर मुझे ख़ुशी हुई, कि अच्छा हो रहा है, शी इस बिच…!
शरद- ये क्या बोल रही हो, वो तुम्हारी बहन है…!
ललिता- बस नाम की बहन है कुत्ती कहीं की, हमेशा मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करती है। पता है कोई उसके सामने मेरी तारीफ कर दे तो आगबबूला हो जाती है। मुझे अपने से अच्छी ड्रेस नहीं पहनने देती और तो और लेसबो भी उसका एक नाटक था, बस ताकि मेरे मम्मे दबा कर उनको बड़ा कर दे वो, ताकि मुझसे ज़्यादा टाइट मम्मे उसके रहें, अब मैं आपको क्या-क्या बताऊँ? उसको तो इतना जलील करो कि मुझे सुकून आ जाए।
अशोक- ओह माय गॉड.. ये साली रचना है क्या? आख़िर सग़ी बहन से जलती है।
शरद- हाँ ललिता अब मुझे यकीन हो गया कि तुम सही बोल रही हो, चलो बाहर चलो तुमको उसका तमाशा दिखाता हूँ और हम उसको बड़ी भयंकर सज़ा देंगे।
ललिता- एक बात कहूँ प्लीज़ बुरा मत मानना उसको जान से मत मारना, जैसे भी है, पर है तो मेरी बहन न… प्लीज़ बस मेरी ये बात मान लो…!
शरद- नहीं ऐसा नहीं हो सकता, मौत का बदला मौत, मैं उसको तड़पा-तड़पा कर मारूँगा।
अशोक- नहीं शरद ये सही कह रही है, उसका गुरूर उसकी खुबसूरती पर है, उसको इतना जलील करेंगे और चोद-चोद कर साली का हुलिया बिगाड़ देंगे, तब आपने आप उसको सज़ा मिल जाएगी।
ललिता- हाँ शरद जी उसकी कमज़ोरी यही है, उसके सामने किसी की तारीफ करो तो गुस्से में आगबबूला हो जाएगी। जब कुछ कर नहीं पाएगी तो रोएगी उसे इतना रुलाओ कि आँखों में गड्डे पड़ जाएं।
शरद- हाँ ये सही रहेगा… अब चलो बाहर उसका तमाशा बनाते हैं। सब वहाँ पहुँच जाते हैं जहाँ सैट लगा था। धरम अन्ना की नज़र ललिता पर जाती
है तो उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक आ जाती है और ललिता भी धरम अन्ना को देख कर शॉक्ड हो जाती है, उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है।
शरद- धरम अन्ना अब शुरू करो यार ये ललिता है रचना की बहन।
धरम अन्ना कुछ नहीं बोलता और बस मुस्कुरा कर ‘हैलो’ बोल देता है।
शरद को थोड़ा अजीब लगता है कि धरम अन्ना ने ललिता को नज़र भर कर क्यों नहीं देखा और ना ही उसके चेहरे पर हवस आई, पर इस समय वो कुछ पूछ कर समय खराब नहीं करना चाहता था।
धरम अन्ना एक आदमी को बोलता है कि बेबी को बुला लाओ। सचिन भी रेडी था। रचना बाहर आ जाती है उस मैक्सी में वो बड़ी गजब की लग रही थी।
धरम अन्ना- आओ बेबी यहाँ लेट जाओ, देखो सीन ऐसा होना कि तुम को बहुत ठंड लगना, हीरो आएगा… डायलोग तुमको पता है न…!
रचना- हाँ सर मैंने सब याद कर लिए हैं।
धरम अन्ना- ओके शुरू करते हैं।
सब ने रचना को बधाई दी और रचना ने अशोक पर ध्यान नहीं दिया, पर सचिन को गौर से देख रही थी क्योंकि धरम अन्ना उसको सीन समझा रहा था। रचना अपने मन में सोचती है हीरो तो ठीक-ठाक सा है, काश शरद हीरो होता मज़ा आ जाता। सीन शुरू हो जाता है सचिन आता है रचना बेड पर सोई रहती है।
सचिन- जान क्या हुआ तुम्हें..! ऐसे कांप क्यों रही हो?
रचना- मेरे साजन मुझे बहुत ठंड लग रही है मेरी जान निकल रही है… प्लीज़ कुछ करो…!
सचिन- हाँ जान अभी लो मैं अपने जिस्म की गर्मी से तुम्हें आराम देता हूँ।
सचिन ने उस समय लुँगी और टी-शर्ट पहना था जैसे नाइट-ड्रेस होता है। वो टी-शर्ट निकाल कर उसके पास लेट जाता है और उसको अपने से चिपका लेता
है।
धरम अन्ना- वेरी गुड शॉट करते रहो, ये सीन हमको एक ही टेक में पूरा करना है ओके…!
सचिन रचना के होंठों को चूसने लगता है। ये रचना को अजीब लगता है पर वो उसका साथ देने लगती है। अब सचिन रचना के मम्मे को सहलाने लगता है और अपनी लुँगी को थोड़ा ऊपर करके अपना लौड़ा निकाल लेता है। उसका लौड़ा भी अशोक के जितना ही 8″ का था। वो रचना की मैक्सी ऊपर करके उसके ऊपर आ जाता है और लौड़ा चूत पर टिका देता है। रचना को अब समझ आता है कि ये क्या हो रहा है। वो जल्दी से उसको धक्का देकर अलग कर देती है और अपने कपड़े ठीक करके बैठ जाती है। सचिन को कुछ समझ नहीं आता।
धरम अन्ना- कट… क्या हुआ बेबी…?
रचना- सर ये वो…वो…!
धरम अन्ना- अरे क्या हुआ खुल कर बोलो जी…!
रचना- सर ये सच में मेरे जिस्म को मसल रहा है और असली सेक्स कर रहा है।
धरम अन्ना- बेबी हम तुमको पहले बोला था ना… तुमने कॉंट्रेक्ट साइन भी किया
था, अब क्या प्राब्लम जी..?
रचना- मैं समझ सकती हूँ बोल्ड सीन देना और रियल में सेक्स करना… इसमें फ़र्क होता है ना… बस ऊपर-ऊपर से करने को कहो मैं मना नहीं करूँगी…!
धरम अन्ना- बेबी ये हॉट मूवी होना… अगर इतनी शर्म आती तो कोई धार्मिक रोल करो ना… यहाँ क्यों आई हो हा हा हा…!
धरम अन्ना के साथ सब हँसने लगते हैं, ललिता भी हँसने लगती है, जिसको देख कर रचना का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है।
रचना- ललिता क्या तमाशा हो रहा है यहाँ? क्यों हंस रही हो और शरद जी आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो…?
शरद- मैं क्या बोलूँ, मैंने तुमको सारी बात पहले बता दी थी। अब तुमको ये रोल नहीं करना तो मना कर दो, ललिता कर लेगी क्यों ललिता क्या कहती हो…!
ललिता- हाँ शरद जी मैं तैयार हूँ।
रचना- ललिता की बच्ची शर्म कर… अपनी बहन का रोल छीनना चाहती है… और शरद जी ये कैसी फिल्म है जिसमें रियल सेक्स होता है… हाँ.. जवाब दो मुझे…!
शरद- जान तुम बात को समझो, एक मिनट मेरे साथ रूम में चलो, मैं सब समझा देता हूँ तुमको…!
रचना गुस्से में रूम में चली जाती है।
शरद- जान तुम बात को नहीं समझ रही हो, ये सेक्स सीन फिल्म में नहीं है। बस ऊपर-ऊपर से जो हीरो किया वही दिखाया जाएगा ये तो बात क्या है ना कि सचिन गर्म हो गया तो बस ऐसी हरकत कर बैठा तुम शायद जानती नहीं कई बड़ी हिरोइन के साथ हॉट सीन करते समय हीरो गर्म हो जाता है और उसको रियल में चोद देता है… इट्स नॉर्मल बेबी…!
रचना- मैं नहीं मानती ये सब…. मुझे नहीं करना कोई फिल्म…!
शरद- तो ठीक है ललिता कर लेगी।
रचना- शरद जी ललिता नहीं करेगी…. रियल सेक्स सब के सामने करना कोई मामूली बात नहीं है।
शरद- देखो तुम जल्दी फैसला करो, ललिता सच में कर लेगी। अब तुम सोच लो क्या करना है?
रचना- ओके ललिता से ही करवा लो, मुझे नहीं करना..!
शरद कुछ नहीं बोलता और बाहर आकर धरम अन्ना को सब बता देता है पर ललिता का नाम सुनते ही धरम अन्ना का गला सूख जाता है।
धरम अन्ना- यार ये कैसे करेगी जी नहीं ये गलत है। रचना ने पेपर साइन किया है।
शरद- तुमको क्या हो गया है धरम अन्ना? क्या बकवास किए जा रहे हो? वो आ जाएगी बाहर।
ललिता- शरद जी आप रूको मुझे सर से एक मिनट बात करने दो।
ललिता धरम अन्ना के पास जाकर खड़ी हो जाती है और धीरे से उसके कान में बोलती है।
ललिता- सर डरो मत, मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगी.. ऐसे घबराओगे तो सब को शक हो जाएगा। जैसा शरद जी कह रहे हैं करो ओके…!
अशोक- ये क्या काना-फूसी हो रही है?
धरम अन्ना- कुछ नहीं जी हम सब समझ गया हिरोइन चेंज होना जी.. जाओ उस बेबी का मैक्सी ललिता को पहना दो, अब न्यू हिरोइन ये होना जी…!
धरम अन्ना के बोलने से कुछ सेकण्ड पहले रचना बाहर आ गई थी। वो अब भी गुस्से में थी।
रचना- नहीं धरम अन्ना सर हिरोइन तो मैं ही रहूंगी, ये ललिता को क्या आता है? ना शकल ना अकल…. ये करेगी मेरा मुकाबला? आप शॉट रेडी करो मैं तैयार हूँ।
रचना की बात सुनकर सब के चेहरे पर एक स्माइल सी आ गई क्योंकि वो सब यही चाह रहे थे।
धरम अन्ना- ओके बेबी गुड वेरी गुड जाओ वहाँ लेट जाओ।
रचना उसी पोज़ में वहाँ लेट जाती है और सचिन उसके शरीर से खेलने लग जाता है। उसके मम्मे दबाने लगता है, रचना भी उसकी पीठ पर हाथ घुमा रही थी।
सचिन- आ..हह.. जानेमन क्या मस्त मम्मे हैं तेरे… मज़ा आ गया…!
रचना कुछ नहीं बोल रही थी मगर सचिन का बराबर साथ दे रही थी। अब सचिन का कंट्रोल आउट हो गया था। उसने रचना की मैक्सी निकाल दी और खुद
भी नंगा हो गया।
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04-07-2019, 12:22 PM,
#34
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
धरम अन्ना- वाउ पर्फेक्ट बस लगे रहो… कैमरा करीब लो… पोज़ अच्छा आना चाहिए…!
सचिन ने लौड़ा रचना के मुँह में देना चाहा मगर उसने नहीं लिया। सचिन अपना मज़ा खराब नहीं करना चाहता था इसलिए उसने आपने लौड़े पर थूक लगाया
और डाल दिया रचना की चूत में।
रचना- आ..हह.. उई फक बास्टर्ड फक मी।
सचिन- चुप साली हरामी तू है, ले अब देख मेरा कमाल आ..हह.. ओह…!
सचिन ताबड़-तोड़ लौड़ा पेलता रहा और रचना तड़पती रही। बीस मिनट की चुदाई के बाद दोनों झड़ गए।
धरम अन्ना- कट… मस्त एकदम हॉट… मज़ा आ गया… इसे कहते है पर्फेक्ट शॉट…!
रचना ने सचिन को धक्का दिया, “हटो भी अब..!” उसने जल्दी से मैक्सी पहन ली और बैठ गई। वहाँ खड़े सब की नज़रें रचना को घूर रही थीं, जैसे उसे
अभी खा जाएँगे। सब की पैन्ट में तंबू बना हुआ था।
रचना- शरद मैं जानती हूँ ये कोई फिल्म नहीं है। तुम सब मेरा इस्तेमाल कर रहे हो। अब बताओ ये सब क्या है मैं पहले ही समझ गई थी, पर इस कुत्ती ललिता के कारण इस हरामी से चुदी हूँ। अब बताओ बात क्या है?





सचिन- मादरचोद मेरे को हरामी बोलती है… रुक तेरे को मैं अभी बताता हूँ..!
शरद- नो सचिन… रूको धरम अन्ना बताओ इस रंडी को कि क्या हो रहा है यहाँ…!
धरम अन्ना- जवाब तुमको हम देता जी ये पॉर्न-मूवी होना जी…. तुमने जो कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, वो दरअसल एक ट्रिपल एक्स ब्लू-फिल्म है, मालूम है न.. ये हिन्दी की ब्लू-फिल्म लाइन है। मैं धरम अन्ना स्वामी ब्लू-फ़िल्मों का बेताज बादशाह।
रचना- ओह माय गॉड शरद जी आपने मुझे ब्लू फिल्म के लिए तैयार किया। आई हेट यू… मैं आपको कभी माफ़ नहीं करूँगी…!
शरद- चुप साली राण्ड मैंने नहीं तेरे उस बहनचोद भाई ने मुझे कहा कि मेरी बहन टॉप की रंडी है, किसी भी फिल्म में काम कर लेगी और साली जब तू मुझसे चुद सकती है, अपने सगे भाई के सामने बिकनी में जा सकती है, अपनी बहन के साथ नंगी सेक्स कर सकती है, अपने सगे भाई से गाण्ड मरवा सकती है, तो सचिन में क्या बुराई है…!
रचना- चुप करो, तुम सब ने मिलकर मुझे धोखा दिया है। मैं तुम सब को छोडूंगी नहीं…!
अशोक- चुप साली क्या कर लेगी तू.. हाँ अब देख हम तेरा क्या हाल करते हैं तूने जैसे सि..!
अशोक आगे सिम्मी का नाम लेता, उसके पहले ही शरद ने उसे रोक लिया।
शरद- नहीं अशोक, चुप… तू कुछ मत बोल अगले सीन की तैयारी कर अबकी बार तू चोद साली को…!
रचना- नो.. अब अगर किसी ने मुझे हाथ भी लगाया तो अच्छा नहीं होगा, मैं तुम सब को जेल की हवा खिला दूँगी और ललिता तेरा तो वो हाल करूँगी कि तू याद रखेगी…. तूने भी इनका साथ दिया हाँ…!
ललिता- दीदी प्लीज़ बस भी करो, आपने जैसा किया, वैसा ही आपको मिल रहा है। अब भुगतो शरद जी, भाई कहाँ है, उनके साथ आपने क्या किया…?
शरद- वो भी आ जाएगा, पहले इस रंडी का तमाशा तो देखने दो…!
धरम अन्ना- अशोक जी तुम जाओ जी… उसके बाद हम इसको चोदना… साली बहुत तड़पाती है और ये कैमरा बन्द करो जी अब क्या फायदा.. साली अब थोड़े ही अपनी मर्ज़ी से शॉट देगी। अब तो जबरदस्ती ही करनी पड़ेगी।
रचना रोने लगती है और शरद से पूछती है, “आख़िर मैंने किया क्या है?”
शरद- चुप साली तूने मेरी सिम्मी को मुझ से छीन लिया, अपनी जलन में तू अंधी हो गई थी… हाँ अब देख तेरा क्या हाल करता हूँ मैं।
सिम्मी का नाम सुनकर रचना का मुँह खुला का खुला रह गया।
रचना- स..स..सिम्मी.. तुम उसको कैसे जानते हो? कौन हो तुम?
अशोक भी अपना आपा खो चुका था और वो भी रचना को गाली देने लगा।
अशोक- साली कुत्ती मेरी बहन थी वो, जान से भी ज़्यादा प्यारी बहन और तूने उसको मार दिया।
रचना- प्लीज़ मुझे छोड़ दो दुखता है, मैंने कुछ नहीं किया, तुमको गलतफहमी हुई है। प्लीज़ छोड़ दो उउउ.. मैंने कुछ नहीं किया…!
शरद- अशोक ला तो जरा उन दोनों को…!
अशोक कुछ नहीं बोलता और सीध बेसमेंट की ओर चला जाता है।
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04-07-2019, 12:22 PM,
#35
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
रचना नज़र गढ़ाए बस अशोक के आने का वेट कर रही थी कि कौन आ रहा है।
सामने से अंकित और सुधीर को देख कर उसकी हालत खराब हो जाती है।
रचना- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
अंकित- जानेमन हमने सुना है तूने ब्लू-फिल्म में काम करना शुरू कर दिया है। बस शूटिंग देखने आए थे तेरी…!
सुधीर- यार अंकित ब्लू-फिल्म में तो रियल चुदाई होती है ना.. जैसे हम कोठे पे रंडी के साथ करते हैं…!
अंकित- हाँ यार बस उसमें और इसमें एक फरक होता है। वो रंडी होकर भी बंद कमरे में चुदती है और ये रंडी सबके सामने चुदेगी हा हा हा हा हा…!
वहाँ खड़े सभी लोग हँसने लगते हैं। रचना का हाल ऐसा था अगर उसको काटो तो खून भी ना निकले। उसकी आँखें आँसुओं से भर गई थीं। सभी हंस रहे थे। ललिता भी हंस रही थी, पर सब से नजरें चुराकर उसने अपनी आँखों में आए आँसू साफ किए। इससे पता चलता है कि अपनी बहन के लिए उसके दिल में दर्द है।
सुधीर- तो क्या हम भी इसको छोड़ सकते हैं। क्या रेट होगा इसका…!
अंकित- पता नहीं यार कॉल-गर्ल तो एक घंटे का पाँच सौ से हजार तक लेती है। ये जरा बड़े लेवल की रंडी है, इसका रेट क्या बताऊँ अब…!
शरद- इसका रेट इसका भाई बताएगा, वो है इसका दलाल साला बहनचोद इसको बड़े मज़े से चोदा था उसने। अब इसकी कमाई खाएगा।
सुधीर- क्या बात करते हो भाई उस भड़वे ने अपनी बहन को चोदा है और अब इसकी दलाली भी करेगा हा हा हा।
रचना- चुप चुप बस करो, सब प्लीज़ मुझे जाने दो प्लीज़… भगवान के लिए मुझे छोड़ दो.. शरद प्लीज़ मैंने आपसे सच्चा प्यार किया है। उस प्यार का वास्ता
तुमको मुझे माफ़ कर दो।
शरद- चुप छिनाल अपने गंदे मुँह से प्यार का नाम मत ले तू… किसी के प्यार के लायक नहीं है। तूने सिम्मी के साथ जितना किया, उससे बढ़कर तुझे भुगतना होगा।
धरम अन्ना- अशोक जी तुम देर काई को करना जी, जाओ मज़ा लो ना… हमको बर्दाश्त नहीं होना जी…!
अशोक- नहीं धरम अन्ना इस रंडी के साथ सोकर मुझे अपने आप को गंदा नहीं करना। तुम जाओ ऐश करो।
धरम अन्ना- वाउ क्या बात है जी अब हम इसको रूम में लेके जाना जी यहाँ सब के सामने करना ठीक नहीं होना जी..!
सुधीर- हमारा नम्बर कब आएगा भाई, साली को बहुत तड़पा कर चोदेंगे…!
रचना- नहीं कोई मेरे पास नहीं आएगा। मैंने कहा ना मेरे पापा आएँगे तो सब का हाल बुरा कर देंगे। देखना तुम सब.. मैं किसी को नहीं छोडूंगी…!
ललिता आगे बढ़ कर रचना को बुरा-भला कहती है।
ललिता- बस भी करो दीदी अपना ये घमण्ड अपने पास रखो। इतना सब हो गया उसके बाद भी आप माफी माँगने की बजाय धमकी दे रही हो। क्या बताओगी पापा
को तुम… हाँ इन लोगों ने शुरू से लेकर अब तक के सारे वीडियो बना लिए हैं आपने फिल्म के चक्कर में शरद जी से चुदाई करवाई। आपने सगे भाई से
चुदाई करवाई, क्या ये बताओगी पापा को…! हाँ बोलो.. बोलती क्यों नहीं हो…!
रचना- ओह ..क्या कह रही हो तुम.. लेकिन कैसे वीडियो बनाए हैं….?
ललिता- दीदी मेरी बात का यकीन करो इस घर में जगह-जगह कैमरे लगे हैं। शरद ने पहली बार तुम्हारे साथ किया, वहाँ भी कैमरा था।
रचना- हाँ याद है शरद ने कहा था हमारे प्यार को कैमरे में कैद कर रहा हूँ, क्योंकि जब भी याद आएगी मैं देख लूँगा..! इतना बड़ा धोखा ओह माय गॉड…!
सचिन को ललिता की बात शायद पसन्द नहीं आती। वो करीब आकर उसके बाल खींच कर उसको बोलता है।
सचिन- साली कुतिया बहुत भौंक रही है तू।
वो आगे कुछ बोलता जल्दी से अशोक उसको पीछे धकेल कर ललिता को आज़ाद करवा देता है।
अशोक- पागल हो गए हो क्या? ललिता बेगुनाह है इसने कुछ नहीं किया। सारा कसूर इस रंडी का है। शरद भी सब जानता है। तुमको बाद में समझा देंगे ओके…!
रचना- ललिता तू मेरी बहन होकर इनका साथ दे रही है …!
शरद- धरम अन्ना इसकी बकवास ऐसे ही चलती रहेगी तू जा मज़े कर…!
धरम अन्ना खुश होकर रचना का हाथ पकड़ कर उसको रूम में ले जाता है। वो गालियाँ देती हुई रुकने की कोशिश करती है लेकिन धरम अन्ना उसको घसीटता हुआ
अन्दर ले जाता है। बाकी सब आदमियों को शरद दूसरे रूम में भेज देता है।
सुधीर- भाई हमारा नम्बर कब आएगा…!
शरद- आएगा.. जाओ उस रूम में सब के साथ बैठ कर शराब पियो.. वहाँ बहुत शराब रखी है…!
सब आदमी खुश होकर उस रूम में चले जाते हैं।
ललिता- शरद जी एक बात कहूँ, बुरा मत मानो प्लीज़ धरम अन्ना को रोक लो, मुझे आपको और कुछ बताना है, प्लीज़ बस मेरी बात सुनने तक रोक लो। ललिता की आँखों में ना चाहते हुए भी आँसू आ गए थे।
अशोक- क्या हुआ ललिता, तुम उस रंडी के लिए रो रही हो?
शरद- क्या बात कहनी है बताओ।
ललिता- बस दो मिनट मुझे धरम अन्ना से बात करने दो उसके बाद मैं सब बता दूँगी।
सचिन- भाई ये हमें धोखा दे रही है, इसकी बात मत मानना।
ललिता- चुप रहो तुम… मुझे धरम अन्ना से बात तो करने दो और दूसरी बात अमर कहाँ है ये भी तो जानना है मुझे।
शरद आगे बढ़कर ललिता का गला दबा देता है।
अशोक- अरे ये क्या कर रहे हो भाई, छोड़ो मर जाएगी ये…!
शरद ललिता को धक्का देकर गिरा देता है।
शरद- साली रंडी की बहन रंडी ही होती है, मैं कब से देख रहा हूँ, तू झूटमूट का हमारा साथ देने का नाटक कर रही है। अगर अब एक अल्फ़ाज़ भी निकाला न… तो जान ले लूँगा तेरी। धरम अन्ना मेरा यार है अब मैं उसको नहीं रोक सकता.. समझी? बहुत तड़पा है वो तेरी रंडी बहन के लिए…! 
ललिता- मेरी बात का यकीन करो मैं आप लोगों के साथ हूँ प्लीज़…!
शरद- अशोक ले जा इसे यहाँ से कहीं मेरे हाथ से इसका खून ना हो जाए..! जा लेजा…!
अशोक समझ जाता है कि शरद को बहुत गुस्सा आ रहा है। यहाँ से जाने में ही भलाई है। वो ललिता का हाथ पकड़ कर उसको ऊपर ले जाता है। अन्दर धरम अन्ना ज़बरदस्ती रचना को बेड पर लिटा कर उसके मम्मे दबा रहा था। उसके मना करने पर धरम अन्ना ने उसको दो चुम्बन भी कर दिए थे।
धरम अन्ना- अईयो साली.. इतना नाटक नहीं करना जी वरना धरम अन्ना तुमको बहुत तकलीफ़ देगा जी अब चुपचाप हमारा बात मान लो, वरना वो पेपर मेरे पास होना जी..!
शरद शायद तुमको माफ़ कर देगा, पर धरम अन्ना तुमको टोटली बर्बाद कर देगा जी..! अब कॉपरेट करना जी हम वादा करता सारा सबूत मिटा देगा। बस हमको मज़ा
दे दो बेबी…!
रचना- ठीक है धरम अन्ना मैं रेडी हूँ… पर तुम धोखा मत देना मुझे…!
धरम अन्ना- नहीं जी.. ये शरद हमको जानता नहीं जी हम बहुत डेंजर आदमी होना,
तुम हमको खुश कर दो, हम तुमको सारे झंझट से आज़ाद कर देगा जी..!
रचना मान जाती है और अपने आप को धरम अन्ना के हवाले कर देती है। धरम अन्ना उसको नंगा कर देता है और खुद भी नंगा हो जाता है। कपड़े निकालने के बाद रचना को धरम अन्ना से घिन आने लगी। वो काला-कलूटा मोटे पेट का आदमी था। उसका काला लौड़ा एकदम तना हुआ रचना को घूर रहा था।
धरम अन्ना- बेबी मेरे नाग को शान्त करो जी… तुम बहुत अच्छा चूसती आ..हह.. चूसो ना बेबी…!
रचना- उकड़ू बैठ कर लंड को मुँह में ले लेती है और चूसने लगती है।
धरम अन्ना- आ..हह.. उफ्फ क्या बात बेबी आ..हह.. चूसो और आगे तक उई पूरा अन्दर लो जी..! आ..हह.. गुड अब अच्छा होना आ…!
पाँच मिनट तक रचना लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसती रही। अब उसकी चूत में भी पानी आने लगा था और वो चुदने को बेताब हो रही थी।
धरम अन्ना- आ..हह.. बस करो बेबी.. अब क्या पानी निकाल कर ही मानोगी आ..हह.. अब अपना छेद का नजारा करा दो जी हमारा नाग को अन्दर जाना माँगता जी…!
रचना बड़ी अदा से लंड को ‘पुच्छ’ की आवाज़ के साथ मुँह से बाहर निकाल कर सीधी लेट जाती है और घुटनों को मोड़ कर पूरी चूत खोल कर पैर फैला देती है।
धरम अन्ना- आह रामा रामा जी क्या नजारा होना.. ऐसी दमदार चूत को देख कर मेरा लौड़ा झटके मारने लगा जी..!
रचना- तो आ जाओ धरम अन्ना… मेरी चूत भी प्यासी है… मिटा दो मेरी चूत की प्यास…!
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04-07-2019, 12:22 PM,
#36
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
धरम अन्ना जल्दी से लौड़ा चूत पर टिका देता है और एक जोरदार झटका मारता है, एक ही बार में पूरा लौड़ा चूत में समा जाता है।
रचना- आह उफ़फ्फ़ धरम अन्ना खुद तो तुम कोयले जैसे काले हो उह लौड़ा भी बहुत गरम है तेरा… आ..हह.. आराम से करो ना… मैं कोई रंडी आ..हह.. नहीं हूँ जो आ..हह.. जिसे देखो लौड़ा चूत में डाल देता है…!
धरम अन्ना- आ..हह.. उहह उहह अईयो तुमको कौन बोला जी रंडी आ..हह.. तुम तो हूर होना जी आ..हह.. तुम्हारी चूत उफ्फ बहुत टाइट और गर्म है उह उह उह लो आ…!
रचना- आ..हह.. ऐइ उई उफ्फ धरम अन्ना आह चूत तो टाइट ही होगी आ ना मेरी उमर आ अभी क्या है उफ्फ…!
धरम अन्ना- सही कहा जी आ..हह.. लो आ..हह.. शरद चोदा तेरा भाई चोदा और सचिन चोदा उसके बाद भी चूत इतनी टाइट होना जी पहली बार समय सील टूटने के समय क्या हाल होना जी… आ..हह.. मेरा तो सोच कर दिल खराब होता आ…!
रचना- आह फास्ट धरम अन्ना यू फास्ट आ..हह.. फक मी हार्ड आ..हह.. आई एम गॉन फास्ट फास्ट उ ह आआआ…!
धरम अन्ना उसकी बातों से उत्तेज़ित हो गया और ज़ोर-ज़ोर से उसको चोदने लगा था। पाँच मिनट तक ये तूफान चलता रहा और धरम अन्ना के लौड़े ने गर्म पानी की पिचकारी चूत में छोड़ दी। रचना भी कूल्हे उठा-उठा कर झड़ने लगी थी।
धरम अन्ना- उईईइ ह मज़ा आ गया आहह यू आर सो हॉट बेबी आह…!
रचना- एयेए आआ धरम अन्ना बड़ा हरामी है तू आह उफ़फ्फ़…!
धरम अन्ना निढाल सा होकर एक तरफ लेट गया। दोनों लंबी साँसें लेने लगे।
दोस्तों चलो आपको बता दूँ कि अशोक और ललिता ऊपर गए, तब क्या हुआ था।
ललिता- अशोक प्लीज़ मेरी बात तो सुनो, रचना को धरम अन्ना से मत चुदने दो प्लीज़.. मेरी बात तो करवाओ एक बार धरम अन्ना से…!
अशोक- ललिता प्लीज़ मैंने तुम्हारी बात मानी, तुमको माफ़ किया इसका नाजायज फायदा मत उठाओ…!
ललिता- अशोक एक बार मेरी बात सुन लो। वो धरम अन्ना है ना वो…..
अशोक- चुप करो जिस रंडी बहन के लिए तुम्हारा दिल जल रहा है देखो कैसे वो धरम अन्ना का लौड़ा प्यार से चूस रही है इसको देख कर तुमको लगता है कि इसके साथ जबरदस्ती हो रही है।




ललिता भी रचना को देखती रह गई। उसको अपनी आँखों पर यकीन नहीं आ रहा था। अशोक उसके पास बेड पर बैठ गया और दोनों चुपचाप रचना का तमाशा देखने लगे। अशोक के लौड़े में तनाव आने लगा था। ये सब देख कर वो ललिता के पास बैठा था और उसका हाथ अपने आप ललिता के मम्मों पर चले गए। वो उनको दबाने लगा। ललिता को भी मस्ती चढ़ने लगी थी। वो भी अशोक के लंड को मसलने लगी। काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे के साथ खेलते रहे। जब धरम अन्ना ने रचना की चूत
में लौड़ा डाला, ललिता के मुँह से ‘आह’ निकल गई। उसकी चूत गीली हो गई थी। अशोक का भी बुरा हाल था। अब उसका बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। धरम अन्ना धकाधक रचना को चोद रहा था और अशोक ने ललिता को बेड पर सीधा लेटा कर उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया था।
दोस्तों ये दोनों तो गर्म हो गए। अब इनकी चुदाई पक्की शुरू होगी। आपको बीच मैं डिस्टर्ब करूँगी, तो आपको अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए पहले शरद क्या कर
रहा है, वो आप देख लो ओके।
शरद गुस्से में उस रूम में जाता है, जहाँ सब दारू पी रहे थे।
सुधीर- आओ भाई तुम भी पियो और जल्दी उस रंडी को हमारे हवाले करो…!
शरद- सुधीर जो दवा सिम्मी को दी थी, क्या अभी ला सकता है..? फिर तुम दोनों को रचना के साथ वो ही सब करना है जो उस समय किया था।
सुधीर- भाई 20 मिनट भी नहीं लगेंगे, आप बस किसी को गाड़ी लेकर साथ भेज दो। आज तो साली रंडी से गिन-गिन कर बदले लूँगा।
शरद सुधीर के साथ सचिन को भेज देता है और खुद वहाँ बैठकर शराब पीने लगता है।
चलो दोस्तों वो लोग आएं, तब तक वापस ललिता और अशोक के पास चलते हैं। अशोक ललिता के होंठों का रस पी रहा था और ललिता अपने हाथ उसकी पीठ पर
घुमा रही थी।
अशोक- आई लव यू.. ललिता, जब से तुमको देखा है, बस दीवाना हो गया हूँ तुम्हारा, भगवान का शुक्र है तुम निरपराध हो, वरना तुम्हें तकलीफ़ में
देख कर मुझे बहुत दुख होता।
ललिता कुछ नहीं बोल रही थी, बस अशोक के बालों में हाथ घुमा रही थी। अशोक ललिता के मम्मों को दबा रहा था।
ललिता- आ..हह.. धीरे से उफ्फ आप तो ऐसे दबा रहे हो, जैसे कभी किसी लड़की के दबाए ही ना हों।
अशोक- तेरी जैसी अप्सरा कभी मिली ही नहीं अब ये कपड़ों के बंधन से आज़ाद हो जाओ और आ जाओ मेरी बाँहों में।
ललिता- आप ही निकाल लो, रोका किसने है..!
अशोक एक-एक करके कपड़े उतार कर ललिता को नंगा कर देता है और उसकी मदमस्त चूत देख कर उसको चूम लेता है।
ललिता- सस्सस्स सीईई उफ़फ्फ़ कितनी गर्म साँसें हैं आपकी…!
अशोक चूत को चूसने लगता है। ललिता उसके सर को पकड़ कर चूत पर दबा लेती है। दो मिनट की चूत चूसाई के बाद अशोक सर उठाता है।
अशोक- जान तेरी चूत का तिल देखकर ही मेरा दिल इस पर आ गया था। मैं आज इस पर मेरे लौड़े की मुहर लगा दूँगा।
ललिता- उफ्फ अब मेरे बर्दाश्त के बाहर है, आपने चूत को चाट कर अपना बना लिया है। अब जल्दी से अपना लंड डाल दो बस…!
अशोक- अभी लो मेरी जान.. ये लो निकाला शर्ट और ये गई पैन्ट।
ललिता- रूको अंडरवियर मैं निकालूँगी।
अशोक- आ जाओ रानी, ये लो निकालो..!
ललिता ने अंडरवियर निकाला, लौड़ा फनफनाता हुआ बाहर आ गया। ललिता ने जल्दी से उसको अपने मुँह में ले लिया।
अशोक- उफ्फ जालिम क्या अदा से चूसती है साली.. मेरे लौड़े से तो बूँदें टपकने लगीं…!
ललिता के मुँह में लंड था, उसको हँसी आ गई। उसने और ज़ोर से लौड़े को चूसना शुरू कर दिया।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ बस भी कर साली.. दोबारा मुँह से ही ठंडा करेगी क्या.. चल बन जा घोड़ी… आज तेरी सवारी करूँगा, अब मेरा लौड़ा तेरी चूत का स्वाद चखेगा।
ललिता घुटनों पर आ जाती है।
ललिता- आराम से डालना जानू… चूत में दर्द है। शरद ने कल बहुत ठुकाई की है मेरी।
अशोक- डर मत रानी शरद के लौड़े से छोटा ही है… ले संभाल…!
अशोक ने टोपी चूत पर टिका कर हल्का धक्का मारा।
ललिता- आ..हह.. उई अशोक मज़ा आ गया आ..हह.. डाल दो पूरा आराम से।
अशोक ने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और धीरे-धीरे झटके मारने लगा। ललिता भी आपने कूल्हे पीछे धकेल कर मज़ा लेने लगी।
ललिता- आ..हह.. उई उफ्फ चोदो आ..हह.. मज़ा आ रहा है। आ..हह.. चोद लो उफ़फ्फ़ ससस्स कर लो अपना अरमान पूरा आ..हह.. आह ज़ोर से उ आह मज़ा आ रहा है…!
अशोक दे दनादन झटके मारने लगा। उसका लौड़ा चूत की गहराई तक जाता और पूरा बाहर आ जाता, फिर ज़ोर से अन्दर जाता। ललिता की नन्ही चूत इतना कहाँ बर्दाश्त कर पाती, उसका बाँध टूट गया।
ललिता- आआआ एयाया फास्ट प्लीज़ आह फास्ट मैं झड़ने वाली हूँ उईईइ मेरी चूत आआ..हह.. में बहुत तेज़ गुदगुदी हो रही है.. थोड़ा और ज़ोर से चोदो आ..हह..
प्लीज़ प्लीज़ आआ…!
ललिता की बातों से अशोक और ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया और अपनी पूरी ताक़त लगा कर झटके मारने लगा। दोनों के मिलन की आवाजें गूँजने लगीं “ठप..ठप..पूछ..पूछ..एयाया उईईइ आह उह उह उह..!” बस पाँच मिनट तक ये तूफ़ान चलता रहा। अशोक भी ललिता के साथ ही झड़ गया। आज उसके लंड ने इतना पानी छोड़ा, जितना शायद ही कभी निकला हो। दोनों के पानी का समागम हो गया और रूम में एकदम सन्नाटा हो गया। जैसे तूफ़ान के बाद सब ख़त्म हो जाता है, एकदम शान्त। दोनों बेड पर निढाल होकर गिर गए। दो मिनट की शांति के बाद अशोक ने ललिता के मम्मों को टच किया।
ललिता- क्या बात है तुम्हारा मन नहीं भरा क्या..!
अशोक- यार तुम ऐसी अप्सरा हो कि कभी मन नहीं भरेगा। चलो अब कपड़े पहन लो, नीचे क्या हो रहा है, देखते हैं..!
ललिता- अशोक मुझे धरम अन्ना के बारे में कुछ बताना है।
अशोक- बाद में बता देना, अभी चलो यहाँ से वरना शरद पता नहीं क्या सोचेगा।
दोनों नीचे आ जाते हैं। तब तक सुधीर और सचिन भी आ चुके थे, सचिन वहीं शरद के पास खड़ा था और सुधीर अन्दर रूम में दारू पीने चला गया।
शरद- आओ हीरो, आओ दिमाग़ ठीक हुआ क्या इसका.. या अब भी उस रंडी के लिए परेशान है ये?
ललिता- नहीं मेरा दिमाग़ उस समय भी ठीक था अब भी है, पर आपने मेरी बात सुनी ही नहीं, अब तो धरम अन्ना ने रचना को चोद लिया। अब तो मेरी बात धरम अन्ना से करवा दो।
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04-07-2019, 12:22 PM,
#37
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
शरद कुछ सोचता है और उस रूम की तरफ जाने लगता है, जहाँ धरम अन्ना और रचना थे।
उधर धरम अन्ना फिर से रचना की गाण्ड को सहलाने लगता है।
रचना- क्या बात है धरम अन्ना, क्या इरादा है तुम्हारा?
धरम अन्ना- बेबी बस ये गाण्ड और मारने दो, उसके बाद मैं खुद शरद को समझाएगा जी…!
रचना- मार लो अब मना करूँगी तो मानोगे थोड़े ही तुम हरामी जो ठहरे…!
धरम अन्ना- ही ही ही तुम बहुत नॉटी होना जी.. आ..हह.. जाओ पहले मेरे नाग को तैयार करो जी।
रचना धरम अन्ना के लौड़े पर हाथ रख देती है, तभी डोर पर नॉक होती है।
धरम अन्ना- क्या हुआ जी?
शरद- डोर खोलो जल्दी से…!
धरम अन्ना मूड ऑफ करके डोर खोल देता है।
शरद- तुमने ठीक से बताया नहीं कि अमर कहाँ है, ठिकाने लगा दिया का मतलब कहीं तुमने उसको मार तो नहीं दिया न..!
धरम अन्ना- ना जी हम धरम अन्ना स्वामी किसी को मारना नहीं जी उसको पेपर साइन के लिए दिए साला होशियार निकला पेपर रीड कर लिया जी कुत्ता भड़क गया कि ब्लू-फिल्म के लिए उसको और उसकी बहन को कास्ट किया गया है। बस उसको कंट्रोल करने के लिए मेरा आदमी लोग बन्द करके रखना जी… वो इधर बाहर ही गाडी में पड़ा है।
शरद- क्या यार धरम अन्ना पागल हो क्या.. पहले क्यों नहीं बताया मैं समझा तुम्हारे कहने का मतलब है कि उसको किसी काम में बिज़ी कर आए हो।
धरम अन्ना- सॉरी जी..!
शरद- अशोक जाओ तुम उसको लेके आओ और जहाँ सब हैं वहीं उसको ले जाओ, साथ में आदमी लेके जाना, कहीं भाग ना जाए कुत्ता…!
अशोक- हाँ जाता हूँ सचिन आओ तुम साथ चलो।
दोनों वहाँ से चले जाते हैं।
शरद- अच्छा ये बताओ ये ललिता को जानते हो तुम?
धरम अन्ना- न..नहीं तो, क्यों कुछ कहा क्या इसने..!
शरद- कहा तो नहीं, मगर इसको तुमसे बात करनी है इसलिए पूछा…!
धरम अन्ना- क..क्या बात करनी है?
ललिता- चलो मेरे साथ रूम में बताती हूँ क्या बात करनी है…!
रचना तब तक बाहर आ चुकी थी और शरद को घूर रही थी।
शरद- ऐसे क्या देख रही है साली, भागना चाहती है क्या.. जा भाग जा मैं कल तेरी फिल्म रिलीज कर दूँगा।
रचना कुछ ना बोली और बस उसी हालत में शरद को देखती रही। दोस्तों इनको छोड़ो, ललिता और धरम अन्ना की बात सुनते हैं आख़िर माजरा क्या है?
ऐसी क्या बात है जो धरम अन्ना जैसा खिलाड़ी तुतला रहा है। धरम अन्ना रूम में जाते ही डोर लॉक कर देता है।
धरम अन्ना- बेबी सॉरी जी हम जानता नहीं था, रचना तुम्हारी बहन होना जी।
ललिता एकदम गुस्से में आँखें लाल कर लेती है।
ललिता- पहले पता नहीं था, पर आज तो पता चल गया था ना उसके बाद भी तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई… मेरी दीदी को हाथ लगने की… हाँ…!
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04-07-2019, 12:22 PM,
#38
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
ललिता को गुस्से में देख कर धरम अन्ना के होश उड़ जाते हैं।
धरम अन्ना- बेबी हम तुम्हारे पैर पकड़ता जी प्लीज़ यहाँ किसी को कुछ मत कहना जी हम मर जाएगा जी प्लीज़…!
ललिता- साले कुत्ते, तेरी इतनी हिम्मत हो गई है मेरी दीदी को गंदा कर दिया है। तुझे जरा भी डर नहीं लगा मेरा हाँ अब देख मैं क्या करती हूँ..! बहुत शौक है ना तुझे ब्लू-फिल्म बनाने का… अब तेरी फिल्म सबको मैं दिखा दूँगी और टीना को सब कुछ बता दूँगी मैं.. फिर देखती हूँ कितना बहादुर है तू…!
धरम अन्ना- नहीं जी ऐसा मत करना… मैं कुछ नहीं करूँगा जी प्लीज़ अगर टीना को ये बात पता चल गई तो वो मर जाएगी प्लीज़…!
ललिता- अगर मैं चाहूँ तो तुमको कब का मार देती, पर क्या करूँ मजबूर हूँ टीना मेरी बेस्ट-फ्रेंड है और तुमने तो बहुत कोशिश की कि मुझे रास्ते से हटा दो, पर कामयाब नहीं हुए क्यों…. मार दो मुझे… तुम्हारा डर ख़त्म हो जाएगा…!
धरम अन्ना- नहीं जी तुम वो वीडियो किसके पास रखा जी बहुत हरामी होना वो.. अगर मैंने तुमको टच भी किया तो वो मेरी लाइफ बर्बाद कर देगा जी।
ललिता- मन तो करता है, तुझे अभी जान से मार दूँ, पर तेरे जैसे गंदे आदमी के खून से मेरे हाथ ही गंदे होंगे। अब बाहर जाकर तेरे जो मन में आए वो झूट बोल और यहाँ से निकल जा.. मेरे भाई को मारा तुमने.. उसका बदला मैं बाद में लूँगी.. अभी तो मुझे शरद और अशोक को मनाना है।
वहाँ अशोक और सचिन अमर को गाड़ी से निकाल कर उस रूम में ले जाते हैं, जहाँ सब मौजूद थे।
अमर- छोड़ो मुझे सालों एक-एक को देख लूँगा मैं…!
अशोक उसको कोने में लेजा कर धमकाने लगता है। सचिन भी कहाँ पीछे रहने वाला था, वो भी उसके साथ गालियाँ बकने लगा।
अशोक- साले मेरी बहन के साथ गंदा किया तूने… हाँ मादरचोद तेरे को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर भाग कर उसको छुड़ाता है।
सुधीर- भाई… इससे हमको रेट भी तो पूछना है इसकी बहन का… जाने दो आप… हम देख लेंगे आप बाहर जाओ…!
सचिन- चल अशोक इसको ये सब बता देंगे बाहर चलते हैं।
वो दोनों बाहर आए तभी धरम अन्ना और ललिता भी बाहर आ जाते हैं।
धरम अन्ना- शरद जी हमको थोड़ा अर्जेंट काम होना जी हम जाता, आप का प्लान तो कामयाब हो गया जी… अब आप अपने हिसाब से बदला लो.. मेरे को जाने दो…!
शरद- क्यों धरम अन्ना आख़िर बात क्या है? मैं बहुत समय से देख रहा हूँ तुम ललिता से नजरें नहीं मिला रहे हो और इसने ऐसा क्या कह दिया जो रचना को
बिना चोदे जा रहे हो?
धरम अन्ना- चोद लिया जी बस मन भर गया। आप मेरा बहुत अच्छा दोस्त होना जी।
प्लीज़ मुझ को जाने दो मैं तुमको नहीं बता सकता जी प्लीज़…!
अशोक- ललिता, ऐसा क्या कह दिया तुमने..! ये क्यों जा रहा है? ऐसी क्या बात हुई तुम दोनों के बीच… हाँ…!
धरम अन्ना- नहीं अशोक जी प्लीज़ इसको कुछ मत पूछो, मैं आपसे वादा करता हूँ समय आने पर खुद आपको बताएगा जी… अभी मैं जाता और ललिता तुमको तुम्हारी माँ का कसम जी किसी को कुछ मत बताना जी..!
शरद- अरे धरम अन्ना ऐसा क्या हो गया जो तुम ऐसे घबरा रहे हो?
धरम अन्ना- प्लीज़ शरद जी मेरे को जाने दो बाद में सब मैं खुद बताएगा जी..!
धरम अन्ना आपने आदमी लेकर वहाँ से चला जाता है। अशोक और सचिन बस ललिता को देख रहे थे और शरद कुछ सोच रहा था। रचना अब भी वहीं खड़ी थी। शरद सीधा उस रूम में जाता है जहाँ वो तीनों थे।
अमर- शरद ये सब क्या है? इन लोगों ने मुझे सब बता दिया है तुम बदला लेने के लिए इतना गिर जाओगे..! मैं सोच भी नहीं सकता।
शरद- चुप बहनचोद मैं अपनी जान का बदला लेने के लिए तुम लोगों के साथ खेल रहा हूँ.. पर तू तो अपनी बहनों को चोद चुका है, तुझे शर्म नहीं आई..!
अंकित- क्या… इसने दोनों को चोदा है… हाय रे हमारी फूटी किस्मत…. साले हमें भी देदे ना अपनी दोनों रंडी बहनों को कसम से बड़े प्यार से चोदेंगे।
अमर- चुप कर साले हरामी तेरी औकात में रह…!
सुधीर को गुस्सा आ गया और वो उठकर गया और उसने अमर का कॉलर पकड़ लिया, अंकित भी साथ हो लिया। शरद ने उनको रोका अमर बेहाल सा होकर एक साइड में बैठ गया।
शरद- साले अगर जीना चाहता है तो वहीं बैठा रह।
अमर कुछ बोलना चाहता था, पर अभी उसे ठुकाई का डर उसको याद आ गया।
शरद उन दोनों को समझा कर बाहर आ जाता है।
शरद- ललिता ऐसी क्या बात की तुमने धरम अन्ना से कि वो दुम दबा कर भाग गया।
मैं पागल नहीं हूँ सब समझता हूँ तू मेरे को झूट बोली ना कि तू हमारे साथ है… साली छिनाल… अपनी बहन को बचाने के लिए तू तड़प रही है। अब देख तुम दोनों का क्या हाल करता हूँ मैं..!
ललिता- नहीं शरद जी आप गलत सोच रहे हो। मैं बस उस धरम अन्ना से दीदी को नहीं चुदवाना चाहती थी। मुझे नफ़रत है उस आदमी से।
शरद- क्यों उसने तेरी गाण्ड मारी थी क्या? जो नफ़रत है?
ललिता- प्लीज़ अभी कुछ मत पूछो, आपके दोस्त की बदनामी होगी उसने आपको मना भी किया पूछने से…!
रचना- शरद प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैंने जो किया गुस्से में किया, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो…!
शरद- साली, बहन की लौड़ी अब माफी माँग रही है, इतनी आसानी से तुझे माफी नहीं मिलेगी, पहले तेरा घमण्ड तोड़ूँगा मैं…!
ललिता चुप खड़ी सब सुन रही थी और शरद रचना को गालियाँ दे रहा था। बस रचना माफी माँगे जा रही थी, तभी सुधीर दवा लेकर आ गया। शरद वो गोली लेकर पानी के गिलास में मिला देता है और सुधीर के साथ मिलकर ज़बरदस्ती रचना को पिला देता है। रचना बचने की बहुत कोशिश करती है, पर नाकाम रहती है। पाँच मिनट तक सब शान्त थे रचना को चक्कर आने लगे।
शरद- सुधीर जाओ अंकित को बुला ला…!
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04-07-2019, 12:22 PM,
#39
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
सुधीर अन्दर जाता है अंकित शराब पीकर मस्त था। सुधीर भी बोतल साथ ले आया और किसी भूखे कुत्ते की तरह वो रचना को घूरने लगे।
रचना- प्लीज़ शरद जी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ अशोक तुम तो माफ़ कर दो मुझे… इन कुत्तों के हवाले मत करो… इन्होंने सिम्मी को बहुत तड़पाया था प्लीज़…!
ये सुनकर अशोक के रोंगटे खड़े हो गए, पर तभी शरद बोल पड़ा।
शरद- सालों जैसा उस दिन किया अगर आज वैसा नहीं हुआ ना तो तुम दोनों को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर- हाँ भाई आप बस देखो दोनों बहनों को आज तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे…!
ललिता- प्लीज़ शरद अब भी वक़्त है रोक लो इन्हें… दीदी को माफ़ कर दो.. आपने हमारे साथ जो किया आप उसको कैसा बदला समझा रहे हो…. हाँ… अरे आपने चोदा और सब से चुदवाया.. साथ में मेरी भी लाइफ बर्बाद कर दी। मेरा तो कोई कसूर ही नहीं था.. प्लीज़ समझो बात को.. दीदी जलन में अंधी हो रही
थी और आप बदले की भावना में अंधे हो रहे हो।
शरद- चुप कर कुत्ती… सिम्मी मेरी जान थी…!
ललिता- अरे तो उसकी मौत का कितना बदला लोगे… हाँ… हम दोनों बहनों की इज़्ज़त आपने दांव पर लगा दी.. ये दो कुत्ते जिन्होंने सिम्मी को बर्बाद किया। आप इनको दोबारा वो ही हैवानियत करने को बोल रहे हो… इससे अच्छा तो है मार दो..! हमें ताकि तुम्हारे दिल को सुकून मिले, अरे मैं तो कब से जानती हूँ पर मैं
चुप रही, क्योंकि मैं भी मानती हूँ दीदी ने गलत किया, पर कहाँ लिखा है? जो पाप करे उसके घर वालों को भी सज़ा मिलनी चाहिए..! अब तुमको जो
करना है करो, लेकिन मैं बेगुनाह हूँ, तुमने मेरे साथ जो किया उसका बदला मुझे देदो मेरी इज़्ज़त वापस देदो, फिर मार दो दीदी को..!
ललिता रोए जा रही थी और बोल रही थी। रचना को होश नहीं था, पर वो अन्दर से रो रही थी। अमर भी बाहर आ गया और अशोक के पैर पकड़ लिए।
अमर- प्लीज़ ललिता की बात मान लो, माफ़ कर दो हमको, नादानी समझो या सेक्स की भूख हमसे ग़लती हुई है, प्लीज़ माफ़ कर दो…!
अशोक- भाई एक बात कहूँ जो हुआ गलत हुआ अब हम जो कर रहे हैं.. वो भी गलत है, जाने दो ना, इनको सज़ा मिलनी थी मिल गई, इन कुत्तों को सज़ा
दे दो, मैं नहीं रोकूँगा बस।
“ओके तुम कहते हो, तो मान लेता हूँ। ये माफी के काबिल तो नहीं है, पर ललिता की बातों ने मुझे भी झकजोर दिया है।”
शरद की बात सुनकर सुधीर और अंकित सन्न रह गए।
सुधीर- सालों हमें मारने का सोच रहे हो क्या? हम पागल हैं… भाग अंकित वरना ये साले छोड़ेंगे नहीं हमको…!
वो दोनों भागते इसके पहले अशोक ने उनको पकड़ लिया। नशे की हालत में कहाँ भागते कुत्ते। उन दोनों को वापस अन्दर बन्द कर दिया और सब रूम में आकर बैठ गए और बातें करने लगे।
सचिन- यार सही है, जो हुआ बहुत हुआ इतनी सज़ा काफ़ी है भाई उन वीडियो का क्या करना है अब…!
शरद- ख़त्म कर दो सब, आज ललिता ने हमें पाप करने से बचा लिया है।
अशोक- मगर भाई इस अमर ने मेरी सिम्मी की गाण्ड मारी थी। इसको सज़ा तो मिलनी चाहिए ना…!
अमर- अरे यार अब सब ठीक हो गया, प्लीज़ भूल जा ना और तू मेरी बहन की गाण्ड मार ले। हिसाब बराबर हो जाएगा… प्लीज़ यार हम सब एन्जॉय करेंगे न…!
शरद- साला बहनचोद इतना बड़ा हरामी है ना तू इतना सब हो गया अब भी तेरी लार टपक रही है चूत पर…!
ललिता- शरद जी इसमें गलत क्या कहा भाई ने…! अब सब ठीक हो गया है तो चलो ना एक ग्रुप-सेक्स हो जाए मज़ा आएगा…!
अमर- रचना को देखो, उसको तो होश ही नहीं है, कहाँ शामिल हो पाएगी वो…!
ललिता- मैं हूँ न.. सब मिलकर मुझे चोदो मेरा हाल से बेहाल कर दो ताकि दीदी ने जो किया, उसकी सज़ा के तौर पर मैं अपने आप को खुश समझूँगी कि मैंने
दीदी को बचा लिया।
अशोक- नहीं ललिता तुम सह नहीं पाओगी। हम 4 हैं.. मर जाओगी और अब सज़ा किस बात की? सब ठीक हो गया ना?
ललिता- अरे अशोक जी सज़ा नहीं, तो मज़ा ही सही… पर मेरा मन है, बस हम ग्रुप-सेक्स करेंगे..! चोदो मुझे सब मिल कर मज़ा लो मेरी जवानी का…!
अमर- जा भाई अशोक इसकी गाण्ड पर तेरा हक़ है, तू तोड़ इसकी गाण्ड की सील..! मैं तो चूत से मन भर लूँगा।
शरद- ये सही रहेगा, सचिन तुम इसके मुँह को चोदो मैं धरम अन्ना के पास जाकर आता हूँ।
ललिता- ओह शरद जी आप के बिना मज़ा नहीं आएगा। सब से बड़ा हथियार तो आपके पास है।
अशोक- अरे यार ललिता अब शरद क्या तेरे कान में लौड़ा डालेगा? जाने दे ना उसको..!
ललिता- नहीं, अशोक भाई रचना को चोद लेगा वैसे भी मैंने उससे चुदाई करवा ली है। अब सचिन को चूत का स्वाद दूँगीं, आप गाण्ड मारना और शरद जी के लौड़े का टेस्ट बहुत अच्छा है। मैं उसको चुसूंगी बस…!
अमर- अरे वाह मैं अकेला रचना को आराम से चोदूँगा, सोई हुई भी बड़ी मस्त लग रही है वो, पहले चूत से शुरू करता हूँ.. यार ललिता वो तो सोई है, जल्दी से मेरा लौड़ा चूस कर गीला कर दे न.. प्लीज़…!
ललिता- ओके ओके.. सब कपड़े निकाल दो, अब यहाँ कोई कपड़े में नहीं रहेगा। अमर दीदी को भी नंगा कर दो जल्दी से…!


सुधीर अन्दर जाता है अंकित शराब पीकर मस्त था। सुधीर भी बोतल साथ ले आया और किसी भूखे कुत्ते की तरह वो रचना को घूरने लगे।
रचना- प्लीज़ शरद जी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़ अशोक तुम तो माफ़ कर दो मुझे… इन कुत्तों के हवाले मत करो… इन्होंने सिम्मी को बहुत तड़पाया था प्लीज़…!
ये सुनकर अशोक के रोंगटे खड़े हो गए, पर तभी शरद बोल पड़ा।
शरद- सालों जैसा उस दिन किया अगर आज वैसा नहीं हुआ ना तो तुम दोनों को जान से मार दूँगा मैं…!
सुधीर- हाँ भाई आप बस देखो दोनों बहनों को आज तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे…!
ललिता- प्लीज़ शरद अब भी वक़्त है रोक लो इन्हें… दीदी को माफ़ कर दो.. आपने हमारे साथ जो किया आप उसको कैसा बदला समझा रहे हो…. हाँ… अरे आपने चोदा और सब से चुदवाया.. साथ में मेरी भी लाइफ बर्बाद कर दी। मेरा तो कोई कसूर ही नहीं था.. प्लीज़ समझो बात को.. दीदी जलन में अंधी हो रही
थी और आप बदले की भावना में अंधे हो रहे हो।
शरद- चुप कर कुत्ती… सिम्मी मेरी जान थी…!
ललिता- अरे तो उसकी मौत का कितना बदला लोगे… हाँ… हम दोनों बहनों की इज़्ज़त आपने दांव पर लगा दी.. ये दो कुत्ते जिन्होंने सिम्मी को बर्बाद किया। आप इनको दोबारा वो ही हैवानियत करने को बोल रहे हो… इससे अच्छा तो है मार दो..! हमें ताकि तुम्हारे दिल को सुकून मिले, अरे मैं तो कब से जानती हूँ पर मैं
चुप रही, क्योंकि मैं भी मानती हूँ दीदी ने गलत किया, पर कहाँ लिखा है? जो पाप करे उसके घर वालों को भी सज़ा मिलनी चाहिए..! अब तुमको जो
करना है करो, लेकिन मैं बेगुनाह हूँ, तुमने मेरे साथ जो किया उसका बदला मुझे देदो मेरी इज़्ज़त वापस देदो, फिर मार दो दीदी को..!
ललिता रोए जा रही थी और बोल रही थी। रचना को होश नहीं था, पर वो अन्दर से रो रही थी। अमर भी बाहर आ गया और अशोक के पैर पकड़ लिए।
अमर- प्लीज़ ललिता की बात मान लो, माफ़ कर दो हमको, नादानी समझो या सेक्स की भूख हमसे ग़लती हुई है, प्लीज़ माफ़ कर दो…!
अशोक- भाई एक बात कहूँ जो हुआ गलत हुआ अब हम जो कर रहे हैं.. वो भी गलत है, जाने दो ना, इनको सज़ा मिलनी थी मिल गई, इन कुत्तों को सज़ा
दे दो, मैं नहीं रोकूँगा बस।
“ओके तुम कहते हो, तो मान लेता हूँ। ये माफी के काबिल तो नहीं है, पर ललिता की बातों ने मुझे भी झकजोर दिया है।”
शरद की बात सुनकर सुधीर और अंकित सन्न रह गए।
सुधीर- सालों हमें मारने का सोच रहे हो क्या? हम पागल हैं… भाग अंकित वरना ये साले छोड़ेंगे नहीं हमको…!
वो दोनों भागते इसके पहले अशोक ने उनको पकड़ लिया। नशे की हालत में कहाँ भागते कुत्ते। उन दोनों को वापस अन्दर बन्द कर दिया और सब रूम में आकर बैठ गए और बातें करने लगे।
सचिन- यार सही है, जो हुआ बहुत हुआ इतनी सज़ा काफ़ी है भाई उन वीडियो का क्या करना है अब…!
शरद- ख़त्म कर दो सब, आज ललिता ने हमें पाप करने से बचा लिया है।
अशोक- मगर भाई इस अमर ने मेरी सिम्मी की गाण्ड मारी थी। इसको सज़ा तो मिलनी चाहिए ना…!
अमर- अरे यार अब सब ठीक हो गया, प्लीज़ भूल जा ना और तू मेरी बहन की गाण्ड मार ले। हिसाब बराबर हो जाएगा… प्लीज़ यार हम सब एन्जॉय करेंगे न…!
शरद- साला बहनचोद इतना बड़ा हरामी है ना तू इतना सब हो गया अब भी तेरी लार टपक रही है चूत पर…!
ललिता- शरद जी इसमें गलत क्या कहा भाई ने…! अब सब ठीक हो गया है तो चलो ना एक ग्रुप-सेक्स हो जाए मज़ा आएगा…!
अमर- रचना को देखो, उसको तो होश ही नहीं है, कहाँ शामिल हो पाएगी वो…!
ललिता- मैं हूँ न.. सब मिलकर मुझे चोदो मेरा हाल से बेहाल कर दो ताकि दीदी ने जो किया, उसकी सज़ा के तौर पर मैं अपने आप को खुश समझूँगी कि मैंने
दीदी को बचा लिया।
अशोक- नहीं ललिता तुम सह नहीं पाओगी। हम 4 हैं.. मर जाओगी और अब सज़ा किस बात की? सब ठीक हो गया ना?
ललिता- अरे अशोक जी सज़ा नहीं, तो मज़ा ही सही… पर मेरा मन है, बस हम ग्रुप-सेक्स करेंगे..! चोदो मुझे सब मिल कर मज़ा लो मेरी जवानी का…!
अमर- जा भाई अशोक इसकी गाण्ड पर तेरा हक़ है, तू तोड़ इसकी गाण्ड की सील..! मैं तो चूत से मन भर लूँगा।
शरद- ये सही रहेगा, सचिन तुम इसके मुँह को चोदो मैं धरम अन्ना के पास जाकर आता हूँ।
ललिता- ओह शरद जी आप के बिना मज़ा नहीं आएगा। सब से बड़ा हथियार तो आपके पास है।
अशोक- अरे यार ललिता अब शरद क्या तेरे कान में लौड़ा डालेगा? जाने दे ना उसको..!
ललिता- नहीं, अशोक भाई रचना को चोद लेगा वैसे भी मैंने उससे चुदाई करवा ली है। अब सचिन को चूत का स्वाद दूँगीं, आप गाण्ड मारना और शरद जी के लौड़े का टेस्ट बहुत अच्छा है। मैं उसको चुसूंगी बस…!
अमर- अरे वाह मैं अकेला रचना को आराम से चोदूँगा, सोई हुई भी बड़ी मस्त लग रही है वो, पहले चूत से शुरू करता हूँ.. यार ललिता वो तो सोई है, जल्दी से मेरा लौड़ा चूस कर गीला कर दे न.. प्लीज़…!
ललिता- ओके ओके.. सब कपड़े निकाल दो, अब यहाँ कोई कपड़े में नहीं रहेगा। अमर दीदी को भी नंगा कर दो जल्दी से…!
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04-07-2019, 12:23 PM,
#40
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
अमर ने जल्दी से रचना को नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। इतनी देर में वो तीनों भी नंगे हो गए थे।
ललिता- वाउ क्या बात है… कितने लौड़े मेरी नज़रों के सामने हैं…. भाई आपका 6 का, सचिन का 7.30 के लगभग होगा, अशोक आपका 8 का और सबसे बड़ा शरद जी का 9″ का, ऐसा लग रहा है, जैसे लौड़ों की दुकान लगी हो। हर साइज़ के मिल रहे हैं हा हा हा हा…!
शरद- दुकान नहीं लगी है रंडी, आज तेरी ठुकाई ऐसे होगी कि आज के बाद तू हाथी का लौड़ा भी अपनी चूत में लेने से नहीं डरेगी हा हा हा हा…!
सब के सब शरद की बात सुनकर हँसने लगे।
ललिता- शरद जी मैं कच्ची कली हूँ… आप मुझे रंडी क्यों बोल रहे हो…!
शरद- प्यार से मेरी जान, सेक्स के समय जितनी गालियाँ दो, प्यार का मज़ा आता है, मगर तुम मुझे गाली मत देना क्योंकि मुझे गाली सुनना पसन्द नहीं है।
हाँ देनी है, तो तेरे हरामी भाई को दे देना।
अमर- हाँ बहना मुझे चाहे जितनी गाली दो, अब कोई फरक नहीं पड़ता। अब जल्दी से लौड़ा चूस न.. ऐसे क्या बातों में समय खराब कर रही है यार…!
ललिता- ओके..ओके.. सब गोल घेरा बना कर खड़े हो जाओ, मैंने एक इंग्लिश फिल्म में देखा है, एक लड़की सब के लौड़े कैसे चूसती है।
शरद- अच्छा मेरी रानी को इंग्लिश पोज़ बनाना है… साली अभी जब लौड़ा चूत और गाण्ड में जाएगा न.. तो इंग्लिश तो दूर हिन्दी भी भूल जाओगी..! बस उईई आईईइ करेगी जैसे कोई चाइना की बिल्ली करती है हा हा हा हा हा…!
दोस्तों उस कमरे का माहौल ऐसा हो गया, जैसे कभी कुछ हुआ ही ना हो। सही कहते हैं सज़ा देने वाले से माफ़ करने वाला ज़्यादा बड़ा होता है। सब गोल घेरा बना कर खड़े हो गए। तकरीबन सब के लौड़े तने हुए थे। ललिता एक-एक करके सब के लौड़े चूस रही थी। जीभ से चाट रही थी। रचना बेहोश नहीं थी, बस उसकी आँखें बन्द थीं। वो सब सुन रही थी मगर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ बोलने की और ललिता लौड़ों का रस लेने में बिज़ी थी।
अशोक- उफ्फ तेरे होंठों का कमाल है ललिता आ क्या मज़ा आ रहा है…!
अमर- अरे बहना साली… मेरा लौड़ा थोड़ी देर लेती है, तेरे यार सचिन का ज़्यादा चूस रही है।
ललिता- चुप साले बहनचोद मेरा यार सचिन नहीं अशोक है समझे…!
शरद- साली मादरचोद रंडी रात तक तो तेरा यार मैं था… अब अशोक हो गया। लगता है साली लौड़े के साथ ही तेरा यार बदल जाता है।
ललिता- ही ही ही ही सॉरी शरद जी मजाक कर रही थी, आप तो मेरे यार से बढ़ कर हो। आपने तो इस क़ाबिल बनाया कि आज लौड़े नहीं, लौड़ों को चूस रही
हूँ ही ही ही ही…!
ललिता को हंसता देख अशोक ने जल्दी से उसके खुले मुँह में पूरा लौड़ा फँसा दिया और बाल पकड़ कर झटके मारने लगा।
अमर- बस भाई मुझ से अब बर्दाश्त नहीं होता मैं तो चला रचना को चोदने।
सचिन- अब बस भी कर अशोक, इसके मुँह में झड़ने का इरादा है क्या? कर दे साली की गाण्ड का मुहूरत…!
शरद- चल छिनाल, अब चुदने को तैयार हो जा। सचिन नीचे लेट जा और इसकी चूत में लौड़ा डाल दे।
सचिन सीधा लेट जाता है, ललिता उसके लौड़े पर बैठ जाती है, ‘सर्रर्र’ से लौड़ा चूत में समा जाता है।
ललिता- आईईईई उफफफफ्फ़ ककककक…!
शरद- बस रंडी, अभी से नाटक मत कर अभी तेरी गाण्ड बाकी है। अशोक अच्छे से थूक लगा कर डाल दे।
अशोक- हाँ भाई आप अपना बम्बू इसके मुँह में डाल दो ताकि साली ज़्यादा शोर ना मचाए।
ललिता सचिन पर लेट गई। आगे से शरद ने अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया और अब उसकी गाण्ड का गुलाबी सुराख अशोक के सामने था। अशोक ने लौड़े पर अच्छे से थूक लगाया और उसकी गाण्ड पर थूक कर छेद में ऊँगली से थूक डाल दिया। ललिता मस्ती में शरद का लौड़ा चूस रही थी। सचिन अपना लौड़ा डाले शान्त
पड़ा रहा, ताकि अशोक आराम से गाण्ड में लौड़ा घुसा दे। अशोक ने ऊँगली से गाण्ड को खोंला और अपनी टोपी फंसा कर जोरदार धक्का मारा…. आधा लौड़ा गाण्ड को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया, ललिता बस “गूं गूं अईयू” करती रही, मुँह में जो लौड़ा फँसा हुआ था। अशोक ने देर ना करते हुए लौड़ा पीछे खींचा और दोबारा पूरी ताक़त से लौड़ा अन्दर डाला। अबकी बार पूरा 8″ का लौड़ा गाण्ड की गहराइयों में खों गया। ललिता को इतना दर्द हुआ, अगर लौड़ा मुँह में नहीं होता, तो उसकी चीखों से पूरा फार्म गूँज जाता।
शरद- उईईई साली काटती क्यों है, आ..हह.. यार अशोक आराम से डाल ना देख कैसे आँखों में आँसू आ गए बेचारी के…!
नीचे से सचिन धका-धक चोदने में बिज़ी था।
सचिन- उह उह आ..हह.. इसी को आह…आह शौक चढ़ा था, ग्रुप-चुदाई का आह आहा…!
अशोक भी अब दे दना-दन शॉट मार रहा था। उधर अमर रचना की चूत में लौड़ा पेले जा रहा था। वो भी एकदम मस्ती में था।
अमर- आ आ..हह.. चोदो आ..हह.. मेरी दोनों बहनों को एक साथ चुदाई करो उफ्फ मज़ा आ रहा है, रचना माय डार्लिंग काश तुम होश में होतीं… उफ्फ देखो ललिता
का कैसे गैंग-बैंग हो रहा है।
पन्द्रह मिनट तक ललिता की गाण्ड और चूत में धक्के लगते रहे और शरद उसके मुँह को चोदने में बिज़ी था। ललिता इस तिहरी चुदाई से दो बार झड़ गई थी।
अब अशोक का बाँध भी टूटने वाला था, वो फुल स्पीड से दोनों को चोदने लगा।
अशोक- आह आह उहह उहह मैं गया आ..हह.. इसकी गाण्ड बहुत मस्त है आ… अशोक ने पूरा पानी गाण्ड में भर दिया और लौड़ा निकाल कर साइड में लेट गया।
लौड़ा निकलते ही ‘पुच्छ’ की आवाज़ आई और ललिता को असीम दर्द का अहसास हुआ। ललिता ने शरद का लौड़ा मुँह से निकाल दिया।
ललिता- आइ उफ्फ आ..हह.. शरद जी आ..हह.. डाल दो लौड़ा गाण्ड में… उफ्फ ये दर्द अब मज़ा देने लगा है… आप भी मेरी गाण्ड का मज़ा लो आ..हह….!
जैसे ही शरद ने लौड़ा गाण्ड में घुसाया,
ललिता- आईईईई उइ मा मर गई आ..हह.. ससस्स आह सचिन आह उफ़फ्फ़ ज़ोर से चोदो आ..हह.. मैं गई उफ़फ्फ़ आईईइ…!
सचिन और ज़ोर से चोदने लगा। वो भी झड़ने के करीब था।
सचिन- आ..हह.. ले साली छिनाल आ..हह.. उह उह आ..हह.. एयाया उफफफफ्फ़…!
सचिन भी झड़ गया, पर शरद तो गाण्ड का भुर्ता बनाने में लगा हुआ था। अमर एकदम स्पीड बढ़ा देता है और अपना पूरा पानी रचना की चूत में छोड़ देता है।
अमर- आह उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया शरद सब झड़ गए… अब तू भी पानी निकाल दे यार.. क्यों मेरी बहन की गाण्ड की गंगोत्री बना रहा है।
शरद- आ..हह.. उह उह अबे चुप साले मादरचोद इस रंडी को पूछ… मज़ा आ रहा है या नहीं… उह उह कहाँ ऐसा लौड़ा मिलेगा इसको… उह आ आ…!
ललिता- आ..हह.. उ आ..हह.. हा भाई उफ्फ दर्द तो बहुत है पर आ आ..हह.. सच में ऐसा तगड़ा आ..हह.. लौड़ा कहाँ मिलेगा आ..हह…..!
शरद अब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा था शायद उसके लौड़े में झनझनाहट हो गई थी।
ललिता- आ..हह.. उफ्फ तेज़ शरद जी आ..हह.. प्लीज़ लौड़ा आ आ..हह.. मेरी चूत में डाल कर ही पानी निकालना आ..हह.. मेरा भी आह निकलने वाला है आ..हह.. उ…!
शरद ने जल्दी से लौड़ा गाण्ड से निकाला और ललिता की चूत में पेल दिया।
ललिता- आइ आइ कितना चुदवा कर भी आ आपका लौड़ा तो चूत में आ..हह.. दर्द ही करता है…उईई अब फास्ट प्लीज़ आ..हह.. फास्ट मैं गई आ आ..हह.. आह…!
दोनों एक साथ झड़ जाते हैं।
अमर- वाउ यार ललिता की गाण्ड तो देखो कैसे लाल हो गई है और छेद देखो कैसे खुला हुआ है, यार शरद तेरा लौड़ा बहुत भारी है कसम से मेरी बहनों की तो लॉटरी निकल गई.. ऐसा लौड़ा पाकर…!
अशोक- बस कर साले कुत्ते, अभी भी मेरे दिमाग़ में सिम्मी घूम रही है, साले तेरी जान ले लूँगा मैं अब…!
सचिन- भाई उन दो कुत्तों का क्या करना है अब..!
शरद- रहने दो उनको वहीं पर। थोड़ा रेस्ट कर लो सब.. बाद में बात करेंगे…!
सब नंगे ही वहाँ सो गए जैसे यहाँ कोई सेक्स का मेला लगा हो ललिता को नींद नहीं आ रही थी। उसकी गाण्ड में बहुत दर्द था, वो उठकर बाथरूम में चली गई और गर्म पानी करके टब में गाण्ड और चूत सेंकने लगी। करीब आधा घंटा वो वहीं बैठी रही। फिर नहाकर रूम में आकर बेड पर लेट गई। चुदाई की थकान से उसको भी नींद आ गई। दोपहर तक सब के सब सोते रहे। सबसे पहले रचना की आँख खुली अब दवा का असर जाता रहा। रचना ने सब पर निगाह मारी और सीधी बाथरूम में चली गई। बीस मिनट बाद फ्रेश होकर वो नंगी ही बाहर आई, तब अशोक नींद में ललिता के ऊपर पैर डाले पड़ा था और उसका लौड़ा ललिता की जाँघों पर चढ़ा हुआ था।
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