Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
08-23-2018, 11:55 AM,
#34
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
धरम अन्ना जल्दी से लौड़ा चूत पर टिका देता है और एक जोरदार झटका मारता है, एक ही बार में पूरा लौड़ा चूत में समा जाता है।
रचना- आह उफ़फ्फ़ धरम अन्ना खुद तो तुम कोयले जैसे काले हो उह लौड़ा भी बहुत गरम है तेरा… आ..हह.. आराम से करो ना… मैं कोई रंडी आ..हह.. नहीं हूँ जो आ..हह.. जिसे देखो लौड़ा चूत में डाल देता है…!
धरम अन्ना- आ..हह.. उहह उहह अईयो तुमको कौन बोला जी रंडी आ..हह.. तुम तो हूर होना जी आ..हह.. तुम्हारी चूत उफ्फ बहुत टाइट और गर्म है उह उह उह लो आ…!
रचना- आ..हह.. ऐइ उई उफ्फ धरम अन्ना आह चूत तो टाइट ही होगी आ ना मेरी उमर आ अभी क्या है उफ्फ…!
धरम अन्ना- सही कहा जी आ..हह.. लो आ..हह.. शरद चोदा तेरा भाई चोदा और सचिन चोदा उसके बाद भी चूत इतनी टाइट होना जी पहली बार समय सील टूटने के समय क्या हाल होना जी… आ..हह.. मेरा तो सोच कर दिल खराब होता आ…!
रचना- आह फास्ट धरम अन्ना यू फास्ट आ..हह.. फक मी हार्ड आ..हह.. आई एम गॉन फास्ट फास्ट उ ह आआआ…!
धरम अन्ना उसकी बातों से उत्तेज़ित हो गया और ज़ोर-ज़ोर से उसको चोदने लगा था। पाँच मिनट तक ये तूफान चलता रहा और धरम अन्ना के लौड़े ने गर्म पानी की पिचकारी चूत में छोड़ दी। रचना भी कूल्हे उठा-उठा कर झड़ने लगी थी।
धरम अन्ना- उईईइ ह मज़ा आ गया आहह यू आर सो हॉट बेबी आह…!
रचना- एयेए आआ धरम अन्ना बड़ा हरामी है तू आह उफ़फ्फ़…!
धरम अन्ना निढाल सा होकर एक तरफ लेट गया। दोनों लंबी साँसें लेने लगे।
दोस्तों चलो आपको बता दूँ कि अशोक और ललिता ऊपर गए, तब क्या हुआ था।
ललिता- अशोक प्लीज़ मेरी बात तो सुनो, रचना को धरम अन्ना से मत चुदने दो प्लीज़.. मेरी बात तो करवाओ एक बार धरम अन्ना से…!
अशोक- ललिता प्लीज़ मैंने तुम्हारी बात मानी, तुमको माफ़ किया इसका नाजायज फायदा मत उठाओ…!
ललिता- अशोक एक बार मेरी बात सुन लो। वो धरम अन्ना है ना वो…..
अशोक- चुप करो जिस रंडी बहन के लिए तुम्हारा दिल जल रहा है देखो कैसे वो धरम अन्ना का लौड़ा प्यार से चूस रही है इसको देख कर तुमको लगता है कि इसके साथ जबरदस्ती हो रही है।




ललिता भी रचना को देखती रह गई। उसको अपनी आँखों पर यकीन नहीं आ रहा था। अशोक उसके पास बेड पर बैठ गया और दोनों चुपचाप रचना का तमाशा देखने लगे। अशोक के लौड़े में तनाव आने लगा था। ये सब देख कर वो ललिता के पास बैठा था और उसका हाथ अपने आप ललिता के मम्मों पर चले गए। वो उनको दबाने लगा। ललिता को भी मस्ती चढ़ने लगी थी। वो भी अशोक के लंड को मसलने लगी। काफ़ी देर तक दोनों एक-दूसरे के साथ खेलते रहे। जब धरम अन्ना ने रचना की चूत
में लौड़ा डाला, ललिता के मुँह से ‘आह’ निकल गई। उसकी चूत गीली हो गई थी। अशोक का भी बुरा हाल था। अब उसका बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। धरम अन्ना धकाधक रचना को चोद रहा था और अशोक ने ललिता को बेड पर सीधा लेटा कर उसके होंठों को अपने होंठों में जकड़ लिया था।
दोस्तों ये दोनों तो गर्म हो गए। अब इनकी चुदाई पक्की शुरू होगी। आपको बीच मैं डिस्टर्ब करूँगी, तो आपको अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए पहले शरद क्या कर
रहा है, वो आप देख लो ओके।
शरद गुस्से में उस रूम में जाता है, जहाँ सब दारू पी रहे थे।
सुधीर- आओ भाई तुम भी पियो और जल्दी उस रंडी को हमारे हवाले करो…!
शरद- सुधीर जो दवा सिम्मी को दी थी, क्या अभी ला सकता है..? फिर तुम दोनों को रचना के साथ वो ही सब करना है जो उस समय किया था।
सुधीर- भाई 20 मिनट भी नहीं लगेंगे, आप बस किसी को गाड़ी लेकर साथ भेज दो। आज तो साली रंडी से गिन-गिन कर बदले लूँगा।
शरद सुधीर के साथ सचिन को भेज देता है और खुद वहाँ बैठकर शराब पीने लगता है।
चलो दोस्तों वो लोग आएं, तब तक वापस ललिता और अशोक के पास चलते हैं। अशोक ललिता के होंठों का रस पी रहा था और ललिता अपने हाथ उसकी पीठ पर
घुमा रही थी।
अशोक- आई लव यू.. ललिता, जब से तुमको देखा है, बस दीवाना हो गया हूँ तुम्हारा, भगवान का शुक्र है तुम निरपराध हो, वरना तुम्हें तकलीफ़ में
देख कर मुझे बहुत दुख होता।
ललिता कुछ नहीं बोल रही थी, बस अशोक के बालों में हाथ घुमा रही थी। अशोक ललिता के मम्मों को दबा रहा था।
ललिता- आ..हह.. धीरे से उफ्फ आप तो ऐसे दबा रहे हो, जैसे कभी किसी लड़की के दबाए ही ना हों।
अशोक- तेरी जैसी अप्सरा कभी मिली ही नहीं अब ये कपड़ों के बंधन से आज़ाद हो जाओ और आ जाओ मेरी बाँहों में।
ललिता- आप ही निकाल लो, रोका किसने है..!
अशोक एक-एक करके कपड़े उतार कर ललिता को नंगा कर देता है और उसकी मदमस्त चूत देख कर उसको चूम लेता है।
ललिता- सस्सस्स सीईई उफ़फ्फ़ कितनी गर्म साँसें हैं आपकी…!
अशोक चूत को चूसने लगता है। ललिता उसके सर को पकड़ कर चूत पर दबा लेती है। दो मिनट की चूत चूसाई के बाद अशोक सर उठाता है।
अशोक- जान तेरी चूत का तिल देखकर ही मेरा दिल इस पर आ गया था। मैं आज इस पर मेरे लौड़े की मुहर लगा दूँगा।
ललिता- उफ्फ अब मेरे बर्दाश्त के बाहर है, आपने चूत को चाट कर अपना बना लिया है। अब जल्दी से अपना लंड डाल दो बस…!
अशोक- अभी लो मेरी जान.. ये लो निकाला शर्ट और ये गई पैन्ट।
ललिता- रूको अंडरवियर मैं निकालूँगी।
अशोक- आ जाओ रानी, ये लो निकालो..!
ललिता ने अंडरवियर निकाला, लौड़ा फनफनाता हुआ बाहर आ गया। ललिता ने जल्दी से उसको अपने मुँह में ले लिया।
अशोक- उफ्फ जालिम क्या अदा से चूसती है साली.. मेरे लौड़े से तो बूँदें टपकने लगीं…!
ललिता के मुँह में लंड था, उसको हँसी आ गई। उसने और ज़ोर से लौड़े को चूसना शुरू कर दिया।
अशोक- आ..हह.. उफ्फ बस भी कर साली.. दोबारा मुँह से ही ठंडा करेगी क्या.. चल बन जा घोड़ी… आज तेरी सवारी करूँगा, अब मेरा लौड़ा तेरी चूत का स्वाद चखेगा।
ललिता घुटनों पर आ जाती है।
ललिता- आराम से डालना जानू… चूत में दर्द है। शरद ने कल बहुत ठुकाई की है मेरी।
अशोक- डर मत रानी शरद के लौड़े से छोटा ही है… ले संभाल…!
अशोक ने टोपी चूत पर टिका कर हल्का धक्का मारा।
ललिता- आ..हह.. उई अशोक मज़ा आ गया आ..हह.. डाल दो पूरा आराम से।
अशोक ने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और धीरे-धीरे झटके मारने लगा। ललिता भी आपने कूल्हे पीछे धकेल कर मज़ा लेने लगी।
ललिता- आ..हह.. उई उफ्फ चोदो आ..हह.. मज़ा आ रहा है। आ..हह.. चोद लो उफ़फ्फ़ ससस्स कर लो अपना अरमान पूरा आ..हह.. आह ज़ोर से उ आह मज़ा आ रहा है…!
अशोक दे दनादन झटके मारने लगा। उसका लौड़ा चूत की गहराई तक जाता और पूरा बाहर आ जाता, फिर ज़ोर से अन्दर जाता। ललिता की नन्ही चूत इतना कहाँ बर्दाश्त कर पाती, उसका बाँध टूट गया।
ललिता- आआआ एयाया फास्ट प्लीज़ आह फास्ट मैं झड़ने वाली हूँ उईईइ मेरी चूत आआ..हह.. में बहुत तेज़ गुदगुदी हो रही है.. थोड़ा और ज़ोर से चोदो आ..हह..
प्लीज़ प्लीज़ आआ…!
ललिता की बातों से अशोक और ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया और अपनी पूरी ताक़त लगा कर झटके मारने लगा। दोनों के मिलन की आवाजें गूँजने लगीं “ठप..ठप..पूछ..पूछ..एयाया उईईइ आह उह उह उह..!” बस पाँच मिनट तक ये तूफ़ान चलता रहा। अशोक भी ललिता के साथ ही झड़ गया। आज उसके लंड ने इतना पानी छोड़ा, जितना शायद ही कभी निकला हो। दोनों के पानी का समागम हो गया और रूम में एकदम सन्नाटा हो गया। जैसे तूफ़ान के बाद सब ख़त्म हो जाता है, एकदम शान्त। दोनों बेड पर निढाल होकर गिर गए। दो मिनट की शांति के बाद अशोक ने ललिता के मम्मों को टच किया।
ललिता- क्या बात है तुम्हारा मन नहीं भरा क्या..!
अशोक- यार तुम ऐसी अप्सरा हो कि कभी मन नहीं भरेगा। चलो अब कपड़े पहन लो, नीचे क्या हो रहा है, देखते हैं..!
ललिता- अशोक मुझे धरम अन्ना के बारे में कुछ बताना है।
अशोक- बाद में बता देना, अभी चलो यहाँ से वरना शरद पता नहीं क्या सोचेगा।
दोनों नीचे आ जाते हैं। तब तक सुधीर और सचिन भी आ चुके थे, सचिन वहीं शरद के पास खड़ा था और सुधीर अन्दर रूम में दारू पीने चला गया।
शरद- आओ हीरो, आओ दिमाग़ ठीक हुआ क्या इसका.. या अब भी उस रंडी के लिए परेशान है ये?
ललिता- नहीं मेरा दिमाग़ उस समय भी ठीक था अब भी है, पर आपने मेरी बात सुनी ही नहीं, अब तो धरम अन्ना ने रचना को चोद लिया। अब तो मेरी बात धरम अन्ना से करवा दो।
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