Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
05-31-2019, 12:04 PM,
#31
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
कुछ देर शांत रहने के बाद कुसुम ने एक लंबी साँस ली ऑर संतोष को पकड़ कर उससे लिपट गई…दीदी आज तो पूरा मज़ा आ गया…जिंदगी में पहली बार आनंद आया…है…मुझे तो इस मज़े के बारे में कुछ पता ही नहीं था..कहकर संतोष के हाथों को चूमती चली गई…

संतोष…सिर्फ़ हाथ चूमने से कुछ नहीं होगा…अब तुम्हारी बारी है …अब तुम भी मेरी चुचियों ऑर चूत से थोड़ी देर खेलो..मेरी चूत का भी तो पानी nikal जाए…बहुत दिनो से पानी भी नहीं निकला…बस गीली होकर ही रह जाती है….चुदाई तो हुई नहीं..चाट कर ही पानी nikal दो कुसुम…

कुसुम…ठीक है दीदी…अब तो मुझे भी इस मज़े का पता चल गया है..जब तक में यहाँ हूँ रोज आपके साथ इस आनंद का मज़ा लूँगी…..

संतोष…अरे असली आनंद तो तुमने लिया ही नहीं….चल पहले मेरी चूत का पानी nikal दे उसके बाद बात करेंगे…मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो रही है…..

कुसुम…मेरा भी मन कर रहा है…ऑर ये कह कर वो संतोष पर टूट पड़ी…मस्त होकर उसकी चुचियों को दबा दबा कर पी रही थी…ऑर उसके बाद संतोष की चूत को मुँह मे लेकर चूसने चाटने लगी…यही सिलसिला काफ़ी देर तक चलता रहा….उसके बाद संतोष की चूत ने भी पानी छोड़ दिया…

अब संतोष ओर कुसुम दोनो बराबर बराबर में बिल्कुल नंगी पड़ी थी…दोनो की आँखे बंद थी…ऑर अपने अपने ख़यालो में खोई हुई थी….

कुछ देर शांत रहने के बाद कुसुम ने चुप्पी तोड़ी….दीदी …आप कह रही थी…कि असली मज़ा तो मेने लिया ही नहीं…क्या इससे ज़्यादा मज़ा भी होता है…….

संतोष…आँखे बंद किए हुए ही…हाँ होता है…..

कुसुम…वो कैसे दीदी…वो भी बताओ ना…..

संतोष….चुदाई का मज़ा…

कुसुम…क्या मतलब…दीदी

संतोष…अरे पगली चुदाई में इससे भी ज़्यादा मज़ा है….

इस बात पर कुसुम एक बार फिर चुप हो गई…ऑर संतोष भी चुपचाप पड़ी रही…दोनो के अंदर ही अंदर शायद कोई तूफान चल रहे थे….वो शायद चुदाई के बारे में ही थे…संतोष शायद अब चुदाई का प्लान बना रही थी ऑर कुसुम चुदाई के मज़े के बारे में सोच रही थी…जब इतने मज़े को भी दीदी कुछ नहीं मान रही है तो फिर चुदाई का मज़ा कितना होगा….यही सोच सोच कर उसके सरीर में झुरजुरी सी आ गई…..

कुसुम …दीदी वास्तव में क्या इससे भी ज़्यादा मज़ा है…..

संतोष…है..कुसुम…..में उसी के बारे में सोच रही थी…बहुत दिनो से चुदाई नहीं करवाई है…बस सोच सोच कर ही सरीर में कुछ हो रहा है…

कुसुम…हाई दीदी मेरे सरीर में भी कुछ हो रहा है….

संतोष….कई महीने पहले शास से चुदवाया था…उस समय वो इस बारे में बिल्कुल अंजान था…पर मज़ा बहुत आया था…पर अब तो वो चुदाई में ट्रेंड हो चुका है…कुछ तो मेने ही ट्रैंड कर दिया था…ऑर आज जैसे वो तुम्हे घूर रहा था…..उससे तो मुझे पूरा यकीन है….कि उसने उसके बाद भी किसी की चुदाई की है….ऑर अब उसे भी चूत की ज़रूरत हो रही है….बस काँटा ही डालना है….वो तो तय्यार ही लगता है…..

कुसुम…दीदी अब तो मेरा भी चुदाई का मन कर रहा है पर डर भी लग रहा है….कि कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए….

संतोष…कुसुम जब मज़ा लेना हो तो सारे डर भूल जाने चाहिए…मुझे देखो…बस चुदाई चाहिए आज…कोई डर नहीं….इसे पहले भी कई बार चुदि हूँ….बस एक बार शुरू में थोड़ा दर्द हुआ था….उसके बाद तो बस मज़े ही मज़े मिले….मेने तो प्लान बना लिया है…चाहे जो भी हो….अब तो एक बार फिर शास को फसाना है ऑर चुदाई करवानी है….

फिर दोनो उठ गई ऑर कपड़े पहन कर हाथ मुँह धोया ऑर शास के घर की तरफ़ चल दी…….


संतोष ऑर कुसुम शास के घर आ पहुँची….घर पर भाभी (शास की मम्मी) के अलावा कोई नहीं था….शास भी कहीं बाहर गया हुआ था…..संतोष ऑर कुसुम को देख कर भाभी खुश होते हुए बोली….आऊ…दीदी….में भी घर में अकेली थी…अच्छा किया आप आ गई…वर्ना में अकली बोर हो रही थी….

आपकी बोरियत दूर करने ही तो आए है भाभी….संतोष मुस्कुराइ…

भाभी…अच्छा किया….

कुसुम…हम भी घर पर दोनो अकेले ही थे सोचा आपके साथ बैठ जाए….हमारा भी मन लग जाएगा……

भाभी…ठीक किया तुमने कुसुम…..क्यूँ बाकी सब कहाँ गये…

संतोष…आप तो जानती है भाभी…शादियों का सीज़न चल रहा है….सभी कहीं ना कहीं शादी में गये है….बस घर हम दोनो के हवाले….ऑर उपर से ये डरपोक डाक्टरनी…..

कुसुम…क्या कहा…डरपोक….में किससे डरती हूँ….

संतोष…क्यूँ जब में चोर की बात बता रही थी…तो तुम डर नहीं रही थी….कि रात में क्या होगा, अगर चोर आ गये तो….कुसुम कुछ समझ नहीं पाई कि कब चोरों की बात हुई थी….कि अचानक उसके दिमाग़ में आया कि हो सकता है कि संतोष दीदी का कोई प्लान हो….उसने तुरंत हाँ में हां मिलाते हुए कहा हाई भाभी मुझे चोरों से बहुत डर लगता है…ऑर संतोष धीरे से मुस्कुरा दी….

भाभी…दीदी शादियों का सीज़न चल रहा है…तुम भी कोई लड़का ढूँढ लो ना अब तो…रात कैसे काटती हो….

संतोष…भाभी आपको याद करके….

इस पर तीनो हंस पड़ी….

संतोष…भाभी…अभी तो राते आपको याद करके ही काटनी पड़ेंगी…अभी कोई ऑर रास्ता नहीं है…

भाभी…क्यूँ…क्या कहीं कोई लड़का नहीं देखा है..चाचा जी ने…

संतोष…नहीं अभी तो कहीं भी बात नहीं बनी है….

कुसुम…भाभी आप ही कोई ढूँढ दो ना…..इस बेचारी का बुरा हाल तो मुझसे भी अब देखा नहीं जा रहा है….

संतोष…अपना हाल संभाल डॉक्टरनी जी…मेरा बाद में देखना…तेरी तो हर समय पानी छोड़ती रहती है….

भाभी…अच्छा…डाक्टरनी जी की भी पानी छोड़ती है…दीदी…क्या आपने खोलकर देखा है….कैसी है….

इस पर फिर तीनो हंस पड़े….ऑर कुसुम झेप से गई…..ऑर उसके गालों पर शर्म से गुलाबी पन आ गया…..

संतोष…भाभी क्या बताऊ…..डॉक्टरनी है ना….बिल्कुल चिकनी बना रक्खी है….कहीं पर एक बाल भी नहीं है…गोरी चिट्टी…सफाई का बड़ा ध्यान रखती है…..ऑर पानी भी सॉफ सुथरा ही छोड़ती है….

भाभी… चोन्कते हुए अच्छा जी…इसका मतलब तुमने जी भर कर देखा है….डाकटरणी की……

कुसुम…ये तो आपकी भी ना छोड़े भाभी…अगर इसका बस चले तो…इसके पास तो हर चीज़ का एलाज़ है भाभी….

संतोष…डॉक्टरनी तो तुम हो ऑर एलाज़ मेरे पास,,,ये कैसे हो सकता है…..हैं ना भाभी….

भाभी…हैं बात तो ठीक है….पर तुमने देखी कैसे…..

संतोष…बस ये ना पूछ भाभी…वर्ना…फिर तुम भी……

भाभी…तुम भी क्या….

संतोष…कुछ नहीं भाभी…

भाभी…कुछ छुपा रही हो क्या दीदी….

कुसुम…ये तो सब कुछ ही छिपा रही है….

संतोष…चुप रह डॉक्टरनी जी….भला में क्या छुपाउंगी….

भाभी…कुछ दाल में काला लगता है….सच-सच बताओ दीदी क्या बात है….क्या छिपा रही हो दीदी….भला मुझ से क्या छिपाना…

संतोष…कुछ नहीं भाभी..कुछ भी तो नहीं…बस ऐसे ही…हम लोगो ने सोचा था….कि रात में हम दोनो अकेले रहेंगे इस लिए शास को अपने पास सुला लेंगे…जिससे इस डॉक्टरनी को डर भी नहीं लगेगा….कोई तो आदमी होगा हमारे पास…..

भाभी…बस यही बात है या कोई ऑर….

संतोष…ऑर कुछ नहीं बस यही बात है भाभी….

भाभी…हंसते हुए…शास तो अभी बच्चा है भला वो आप लोगों का क्या डर दूर कर पाएगा….किसी…हट्टे कट्टे नौजवान लड़के को देखो…शायद वही रात में तुम दोनो का डर भी दूर कर दे ऑर……ऑर बस सारा का सारा ही डर दूर कर देगा……
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05-31-2019, 12:04 PM,
#32
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
संतोष…भाभी आप भी ना बस….ऑर फिर शास अब बच्चा कहाँ रहा है….शायद आपको कोई ग़लत फ़हमी है भाभी….फिर हमारा वो मतलब नहीं था….संतोष ने कुछ सोचते हुए कहा…

भाभी…क्या मतलब कि शास अब बच्चा नहीं रहा है…मुस्कुराते हुए….कही डॉक्टरनी की तरह उसका भी तो नहीं देखा लिया है दीदी…

कैसा है दीदी….

संतोष…क्या भाभी…आप भी मज़ाक कर रही है…

पर घर में तो पानी मार ही रहा था…जिसको भाभी ताड़ गई…भला भाभी की अनुभवी आँखो से वो कैसे छुपा सकती थी….

संतोष…क्या कैसा है….

भाभी….अरे वही…जिसकी तुम्हे रात में ज़रूरत महसूस हो रही है……

संतोष…लजा कर…अरे भाभी…भला मुझे क्या मालूम…

भाभी…दीदी सच-सच बताओ ना…..क्या आपने देखा है….

संतोष…आप तो पीछे पड़ गई भाभी…ऐसी कोई बात नहीं है…

भाभी…देखलो दीदी…अगर आप सच बताएँ तो में शास के पापा से रात को भेजने की बात करूँगी…ऑर नहीं तो बस आपकी रात काली….समझ गई ना बन्नो रानी…भला कोई अपनी भाभी से भी कोई बात छुपाता है…अरे पगली भाभी तो नंदो की मदद ही करती है….

भाभी..संतोष ऑर कुसुम के चेहरों पर आते जाते भाव को पढ़ती हुई….
क्या हुआ दीदी…..आप दोनो तो चुप हो गई…में तो तुम्हारी मदद करना चाहती थी…बाकी आपकी मर्ज़ी….

कुसुम…निराश होते हुए…अब आपसे क्या छुपाना भाभी….संतोष दीदी ने शास के बारे में मुझे बताया था…

भाभी…क्या बताया था…दीदी….

कुसुम…यही कि शास का बहुत बड़ा ऑर मोटा है…ऑर वो पूरी तरह से एक पक्का मर्द है….

भाभी…मुस्कुराते हुए…ये तो मुझे भी मालूम है…ऑर क्या बताया था…अब वो भी बता दो ना दीदी……

संतोष ने शर्म से अपना सिर नीचे झुका लिया था…पर ऑर कोई चारा भी तो नहीं था…अगर उन्हे रात का मज़ा लेना था तो भाभी को सब कुछ बताने के अलावा ऑर कोई रास्ता नही था….

कुसुम…भाभी एक बार संतोष ने शास के साथ किया था…वो उसे आज भी याद है…शास के उसकी लंबाई 6-7 एंच होगी ऑर मोटाई तो 3 एंच से भी ज़्यादा हो सकती है…ऑर क्या बताऊ भाभी….

भाभी…अच्छा में शास के पापा से बात करूँगी…पर मेरे शास को दोनो मिलकर बिल्कुल निचोड़ ही मत लेना….भाभी ने हँसते हुए….संतोष के गाल पर एक हल्की सी चपत लगाते हुए कहा…

संतोष…ने उपर सिर उठाकर भाभी की ओर देखा…भाभी अभी भी मुस्कुरा रही थी…संतोष ने आगे बढ़ कर भाभी को बाहों में भर लिया….”भाभी”……………….

भाभी…अरे पगली…में तो पहले से ही जान रही थी…बस पक्का नहीं था….ऑर तुम्हारी चुचियाँ तो अभी से इतनी टाइट हो गई है फिर रात मे क्या होगा…….भाभी फिर हंस पड़ी….

संतोष…ने भाभी को ऑर ज़ोर से भींच लिया…ऑर भाभी के गाल पर एक किस दे दिया…..

भाभी…दीदी इसे तो रात के लिए संभाल कर रक्खो…रात में काम आएगा…अब ये तो बताओ दीदी…कि तुमने शास को कब ऑर कैसे फँसाया था…

संतोष…भाभी बस एक बार जब में शास को खेतों में ले गई थी….बस उसी दिन….

भाभी…कैसा लगा था…

संतोष…भाभी अब सच बताऊ तो जैसा मज़ा उस दिन आया वैसा पहले कभी नहीं आया …और उसके बाद किसी के साथ कुछ करने का मन ही नहीं हुआ…..

भाभी..अच्छा तो ये बात है…कुछ सोचते हुए…अब शायद भाभी को भी मज़ा आने लगा था…

क्या सच कह रही है दीदी…पर उसे क्या चुदाई का कोई अनुभव था…क्या उसने पहली भी…किसी के साथ….

संतोष…नहीं भाभी..उसका वो पहला वाकिया था….उसे तो मेने खुद ही ट्रेंड किया था…उसके बाद उसने जो मेरी चुदाई की…बस आज तक नहीं भूल पाई….धीरे धीरे वो चुदाई जैसे शब्दों का प्रयोग करने लगी थी…भाभी सच बताऊ शास का बहुत बड़ा ऑर मोटा है…मेरी तो कई दिनो तक दुखी थी…

भाभी…अच्छा…………

उस समय उन तीनो की चूत पानी छोड़ रही थी…भाभी भी अपने शास के बारे में सोच रही थी कि आख़िर ऐसा कितना बड़ा होगा शास का लंड जो संतोष दीदी उसकी इतनी तारीफ कर रही है….सोच सोच कर ही उसकी चूत पानी छोड़ रही थी…उधर संतोष ऑर कुसुम की चूत रात के बारे में सोच कर पानी छोड़ रही थी…


पर भाभी को शायद अब कुछ ऑर भी याद आ रहा था…शायद अपने ससुर के बारे में……

भाभी…. के मस्तिस्क में चलचित्र की तरह आपनी शादी ऑर उसके बाद की कुछ घटनाए घूमने लगी……………..

नई नई शादी होकर भाभी ससुराल आई थी…सुहाग रात में उसके पति ने उसे पूरी रात में 5 बार अपने 6 एंच लंबे ऑर मोटे लंड से चोदा था…क्योंकि भाभी पूरी तरह से वर्जिन (कुँवारी) थी…इसलिए उसे दर्द भी बहुत हुआ था.. पर बाद की चुदाई में मज़ा भी बहुत ही आया था…..इसी तरह से कुछ दिन गुजर गये…उसका पति उसे रोज ही रात में एक या दो बार चोदता था…इस चुदाई के मज़े में भाभी अपने मैके की सारी बातों को भूलने लगी थी..जब भी वो मयके जाती वहाँ पर उसका मन बिल्कुल नहीं लगता था…उसे अपने पति की याद ऑर चुदाई का सुख याद आता था…उसके पति भी उसके बिना नहीं रह पाते थे…..ऑर जल्दी ही उसे मायके से वापस ले आते थे….उस रात में वो कई बार चुदाई करते थे…इसी तरह से एक साल गुजर गया…भाभी अपने पति से पूर्ण संतुष्ट थी…ऑर उसे अपने पति का लंड बहुत अच्छा लगता था…..पर एक दिन….उसकी सास ने उसे कहा कि बहू तुम्हारी शादी को एक साल हो गया है हमें पोते का मुँह कब देखने को मिलेगा…..

रात में भाभी ने ये बात अपने पति को बताई….तो उसके पति ने कहा जब जो होगा हो जाएगा…क्या तुम संतुष्ट नहीं हो….भाभी ने अपने पति को चूमते हुए कहा कि में पूर्ण संतुष्ट ऑर खुस हूँ…इस तरह से कुछ दिन ऑर गुजर गये…पर एक दिन फिर उसकी सास ने कहा कि बहू इतने दिन हो गये….तुमने कोई खूसखबरी नहीं दी….भाभी सोचने लगी कि आख़िर उसके हाथ में क्या है….पर उसने आपनी सासू माँ को कोई जबाब नहीं दिया….

फिर रात में भाभी ने अपने पति को वही बात बताई…तो वो भी सोचे लगे कि…की आख़िर वो क्या करे…????

अगले दिन भाभी के पति ने भाभी ऑर अपना चेकप एक डॉक्टर से कराया…दोनो की सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल आई…ऑर धीरज धरने के लिए कहा…..कि कई बार ऐसा होता है…घबराने की कोई बात नहीं है…सब ठीक हो जाएगा…दोनो घर आ गये…ऑर फिर नॉर्मल लाइफ चलने लगी….

एक रात की बात है कि भाभी चुदाई के बाद जब बाथरूम में जा रही थी तो उन्हे आपनी सासू माँ की कुछ अजीब सी कराहने की आवाज़ सुनाई दी…मानो वो दर्द से कर्राह रही हों…सुबह भाभी ने सासू माँ से पूछ ही लिया माजी क्या रात आपकी तबीयत खराब थी…जब में बाथरूम गई तो आप दर्द से कर्राह रही थी…क्या बात है….

सासू माँ मुस्कुरा कर रह गई…ओर बोली नहीं तबीयत ठीक है बस यूँ ही कभी कभी…कुछ परेशानी हो जाती है….

भाभी कुछ समझ नहीं पाई…ऑर बात आई गयी हो गई…

भाभी के ससुर बड़े ही हट्टे-कट्टे लंबे चौड़े गतीले बदन के मालिक थे….एक दिन गाँव की कुछ ओरते (लेडीज़) उनके घर पर बैठी थी ऑर आपस में मज़ाक करते हुए…चुदाई के संबंध में बातें करने लगी ….तभी एक ने बताया कि ….गाँव की एक ओरत के उसके ससुर से संबंध है…..दूसरी ने कहा कि ये कोई नई बात नहीं…आमतौर पर बहू के संबंध ससुर के साथ बन ही जाते है…भाभी सोचने लगी…कि क्या ये भी संभव है…फिर उसे ख़याल आया कि उसके ससुर भी तो उसे चुपके चुपके घूरते है…कई बार उसे अपनी पैंटी पर भी कुछ लगा हुआ मिला है…कहीं उसके ससुर भी तो उस पर नज़र तो नहीं रखते है…ये ख़याल आते ही….भाभी अपने ससुर पर चोर निगाहों से नज़र रखने लगी थी…..

अब भाभी की नज़र अपने ससुर पर रहने लगी थी…भाभी ने महसूस किया कि अक्सर उसके बाथ लेने के बाद उसके ससुर बाथरूम में ज़रूर जाते है…ऑर जब भी भाभी टाय्लेट जाती थी तो उसके ससुर टाय्लेट के दरवाज़ के आसपास नज़र आते थे…पहले तो भाभी इस ओर ध्यान ही नहीं देती थी…पर जब से उन्होने ध्यान देना शुरू किया तो वे इस रहस्य को समझ नहीं पा रही थी…एक दिन जब भाभी घर में सफाई कर रही थी तो उन्होने महसूस किया कि उनके ससुर की निगाहे लगातार उनकी चुचियों को घूर रही है…तो भाभी के सरीर में सिहरन सी दौड़ गई…ऑर उन्होने साड़ी के पल्ले को जो नीचे गिरा हुआ था…ऑर भाभी की आधी चुचियाँ नज़र आ रही थी…को ठीक किया…ऑर फिर सफाई में लग गई…. अचानक उनके ससुर ने भाभी को संबोधन करते हुए कहा….
ससुर…बेटा सफाई आराम आराम से किया करो…वर्ना थक जाओगी……

भाभी…जी पिताजी…

ससुर….सफाई करते हुए ढीले ढले कपड़े ही पहना करो जिससे बैठने में परेशानी ना हो…..या फिर साड़ी को उतार दिया करो…यहाँ पर मेरे ऑर तुम्हारी सास के अलावा ऑर कॉन होता है…में तो तुम्हारे बाप जैसा हूँ मुझ से क्या शरमाना ऑर क्या परदा…ये साड़ी का पल्लू बार बार लुढ़क कर तुम्हे परेशान करता है…बेहतर रहेगा…..कि तुम इसे उतार ही दो….

सासू माँ….बेटी में ज़रा बाहर जा रही हूँ अभी आती हूँ तब तक अपने ससुर को नाश्ता करा देना…में बाद में आकर कर लूँगी….

भाभी…जी माजी….

ससुर…बेटी…तुम मेरे नास्ते की चिंता में परेशान ना हो आराम से सफाई कर लो…बाद में सब साथ नाश्ता कर लेंगे…पर यदि तुम चाहो तो ये साड़ी उतार कर सफाई कर लो…जिससे तुम्हे परेशानी ना हो…

भाभी…नहीं पिताजी मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही है…

ससुर…परेशानी क्यूँ नहीं है…में देख रहा हूँ कि ये पल्लू तुम्हे बड़ा परेशान कर रहा है….

भाभी…वो तो ठीक है पिताजी पर कोई आ गया तो क्या कहेगा…..

ससुर ….अरे क्या कहेगा…तुम हमारी बेटी के समान हो…इसमें हर्ज ही क्या है……

भाभी …नहीं पिताजी..में ठीक हूँ…परंतु भाभी कुछ कुछ अब समझ रही थी कि उसके ससुर उसकी साड़ी क्यों उतरवाना चाह रहे है…ऑर उनका ध्यान कहाँ पर है…पर वो अपने ससुर को अपनी ओर से कोई मोका नहीं देना चाहती थी….

ससुर…ठीक है बहू में तो तुम्हारी परेशानी की वजह से कह रहा था…ये पल्लू तुम्हे बड़ा परेशान कर रहा है…

भाभी…कर तो रहा है पिताजी…पर क्या करूँ…कोई आ गया तो जाने क्या क्या समझ लेगा…ऑर जाने क्या क्या बातें होने लगेंगी….भाभी ने ये तो जान ही लिया था कि ससुर बहू के संबंध आम बात है…जैसा कि उसने दूसरी औरतों से सुना था..पर वो अभी इसके लिए तयार भी नहीं थी…ऑर फिर पहल भी नहीं करना चाहती थी….फिर उसे ससुर को परेशान करने में अब मज़ा भी आने लगा था….कई बार तो वो जान बूझ कर अपने पल्लू को इधर उधर गिराने लगी थी…जिससे उसके ससुर ऑर परेशान हो जाए…. कि अचानक भाभी की नज़र सफाई करते हुए आपने ससुर की धोती पर पड़ी तो वो कांप कर रह गई…
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05-31-2019, 12:05 PM,
#33
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
जैसे ही भाभी की नज़र अपने ससुर की धोती पर पड़ी…भाभी का दिल धक्क से रह गया…ऑर ज़ोर ज़ोर धड़कने लगा….उसके ससुर का लंड धोती में ही तंबू बना हुआ था…भाभी की आखें शरम से नीचे झुक गई ऑर उसके गाल शर्म से गुलाबी हो गए…

ससुर…क्या हुआ बेटी…

भाभी…कुछ नहीं…पिताजी…नज़रें नीची किए हुए ही कहा….

भाभी सोच रही थी कि क्या किसी का इतना बड़ा भी लंड होता है…..भाभी को धोती में जिस तरह का तंबू नज़र आया…उससे तो यही लगा कि ससुर जी का लंड कुछ ज़्यादा ही भारी है….अब भाभी जल्दी जल्दी से सफाई करने लगी थी….

उधर उसके ससुर की निगाहें भाभी के पूरे सरीर को टटोल रही थी…वे सोच रहे थे कि उनकी बहू कितनी सुंदर ऑर भरे हुए सरीर की है…इसका एक एक अंग गदराया हुआ है…क्या भारी चुचियाँ है…ऑर चूतड़ तो गजब ही ढा रहे है…इसकी चूत कितनी प्यारी बिल्कुल डबालरोटी की तरह होगी…आआआअहह अगर इसकी चूत एक बार मिल जाए तो ये लंड तो बस निहाल हो जाए….

भाभी…पिताजी ज़रा पावं तो उपर करलीजिए….भाभी ने ससुर के पलंग के पास सफाई करते हुए कहा….ससुर जी का लंड अभी भी बिल्कुल तंबू बना हुआ था….ऑर बार बार उपर नीचे झटके मार रहा था…भाभी ने कई बार चोर निगाहों से देख लिया था…ऑर भाभी को इतने भारी लंड होने के एहशास से ही अजीब सा लग रहा था….

ससुर..मानो नींद से जागते हुए आअहहाा अच्छा…बेटी ऑर जैसे ही ससुर ने पावं उपर उठाए…तो उनका लंड बीच में फँस जाने के कारण उनके मुँह से आअहह की सिसकारी….निकल गई…





भाभी…क्या हुआ पिताजी…..

ससुर…कुछ नहीं बेटी…बस ज़रा सा पावं सो गया था…

भाभी ने अहसास किया कि उसके ससुर को उपर पावं करने में लंड की वजह से परेशानी हुई है….पर ना जाने क्यूँ भाभी को अब ससुर से डर सा लगने लगा था…इसी लिए भाभी ने जल्दी से सफाई कर कमरे से निकल गई…उसने महसूस किया कि उसकी चूत में कुछ गीलापन आ गया है…पर दूसरे ही पल ससुर के लंड के साइज़ के बारे में सोच कर वो डर गई…..ऑर दूसरे कामो में लग गयी….

उधर ससुर का लंड अब उसे बहुत ज़्यादा परेशान कर रहा था…अकड़न के कारण उसमें दर्द होने लगा था….वो पलंग से जैसे ही उठे ऑर दरवाजे में गए सामने से आती हुई अपनी बहू से टकरा गये……

आआआअहह की आवाज़ हुई…ससुर ऑर बहू के मुँह से एक साथ निकला….बहू की पीठ पर ससुर का लंड ऐसे चुभा जैसे किसी ने बाँस चुभा दिया हो….ऑर अचानक टकराने से ससुर के लंड में ऑर ज़्यादा अकड़न ऑर दर्द बढ़ गया था….

हड़बड़ाहट में ससुर जी बाथरूम की ओर चले गए…ऑर उसके बाद भाभी ने एक लंबी साँस ली…आआहह हे भगवान…कितनी ज़ोर से पीठ से टकराया है….कितना भयंकर लंड है इनका….ऑर जल्दी से बाहर जाकर अपने अन्य कामों में लग गयी….

भाभी घर के कामों में ज़रूर लगी थी..पर उनके ध्यान में ससुर जी का भारी भरकम लंड अब भी घूम रहा था…बीच बीच में उनकी चूत पानी छोड़ रही थी…बीच बीच में उन्हें लंड के बारे में सोच कर झुरजुरी सी आ जाती थी…

ससुर कमरे से निकल कर सीधे बाथरूम में गये ऑर दरवाजा बंद कर जल्दी से लंड को धोती से बाहर निकाल कर जल्दी जल्दी से हिलाने लगे…उन्हें लग रहा था…कि उनका लंड उनकी बहू की दोनो भारी चुचियों के बीच फँसा है…यही सोच सोच कर उनके हाथ से लंड को सहलाने की स्पीड बढ़ती जा रही थी…उनके मुँह से आआआअहहुउऊुुउउईईएइससस्स्स्सिईइ है बहू…..की आवाज़ें निकल रही थी…जब काफ़ी देर हो गई..तो भाभी..उधर गई…तो उन्हें बाथरूम से इसी प्रकार की आवाज़ें सुनाई दी….

भाभी सोचने लगी…कि उनके ससुर उसी के बारे में सोच कर कुछ कर रहे है…कुछ पल के लिए वो भी उत्तेजित हो गई…पर फिर उस भारीभरकम लंड की याद आते ही…उनकी उत्तेजना छुमन्तर हो गई…उनके सरीर में सिहरन सी दौड़ गई…. ये सोच कर वो ऑर डर गयी कि कहीं ससुर का लंड उसकी चूत में घुसा तो उसकी चूत को ज़रूर फाड़ डालेगा…. जब पहली चुदाई में उसे उसके पति के साथ इतना दर्द हुआ था.. तो ससुर का लंड तो मार ही डालेगा….

आख़िर ससुर अपने लंड को हिलाने में व्यस्त थे….अब उनका सरीर अकड़ गया…उनकी आखें बंद हो गई…पूरा सरीर मानो एक जगह सिकुड गया हो…ऑर उन्होने एक आआआआअहह के साथ लंड से पिचकारी छोड़ दी….लंड से निकलती वीर्य की पिचकारी दूर दूर तक जा गिरी थी….आज ससुर के लंड से इतना वीर्य निकला था..कि इतना तो उनकी सुहागरात वाले दिन भी नहीं निकला था……..

कुछ देर के बाद ससुर अपने होश में आए उनका लंड अब सुस्त होने लगा था…उन्हें आज इतना मज़ा आया था…कि शायद पहले कभी आया हो…कुछ देर के बाद वे अंदर से बाथरूम को धोकर बाहर निकल आए…उस समय भाभी आँगन में थी…बहू ऑर ससुर की अचानक आँखे चार हुई…तो भाभी ने शरमा कर आँखें नीची कर ली….ऑर ससुर अपने कमरे में चले गाए…..पर बहू पर नज़र पड़ते ही उनके लंड में फिर से सुरसूराहट होने लगी थी…..

ससुर के दिमाग़ में बहू की फिगर अब घर चुकी थी…बहू की चुचियाँ…उसके चूतड़…बहू की चूत निश्चित रूप से डबलरोटी की तरह से फूली हुई होगी…पता नहीं बहू की चूत पर घने बाल होंगे या फिर सॉफ कर रखी होगो …..यही सोच कर उनका लंड झटके मारता रहा….ऑर ना जाने कब उन्हें नींद आ गई….लगभग एक घंटे के बाद भाभी ससुर जी के कमरे में गई तो ससुर जी सो रहे थे ऑर उनका लंड धोती को खोलकर बाहर निकलने की तय्यारी कर रहा था…

भाभी कुछ देर तक ससुर के लंड को निहारती रही…उनकी हालत भी खराब हो चुकी थी…भाभी अभी नहीं सोच पा रही थी….कि ससुर के साथ नज़दीकी बनाई जाए या फिर दूर ही रहे….कभी उस भयंकर लंड को देखने की इच्छा फिर चूत फटने का डर….यही सोच कर वो परेशान सी हो गयी…पर ये तो पक्का था…कि उनके दिमाग़ में अब ससुर जी का लंड समा चुका था…

भाभी को कभी चूत में उंगली डालने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई थी….उन्होने कभी चूत को सहलाया भी नहीं था…अपने पति के अलावा किसी ऑर से चुदाई भी नहीं करवाई थी…ऑर ना कोई ऑर लंड देखा ही था…पर आज ना जाने भाभी को क्या हुआ था…कि उनका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पर चला गया…जो अभी तक गीली थी….ऑर खुल-बंद हो रही थी…भाभी सोचने लगी कि मुझे आज ये क्या हो रहा है….पैंटी भी चूत से लगातार पानी आने से गीली हो चुकी थी……..

दोस्तों….आप सभी अडल्ट है…ऑर लंड चूत के इस खेल से सभी अच्छी तरह से वाकिफ़ है….जब किसी लंड को एक कसी हुई चूत का अहसास होता है तो वो अपना आपा खो देता है ऑर उस चूत में जाने के लिए बेताब हो जाता है ठीक इसी तरह से जब एक चूत को बेताज भारी भरकम लंड का अहसास होता है तो वो उसे अपने अंदर लेने की लिए लालायित हो जाती है…भले ही अंजाम कुछ भी हो…कुछ इसी तरह का खेल भाभी ऑर ससुर के बीच अब शुरू हो चुका था…इसका अंत क्या होगा….आओ आगे बढ़ते है…..

क्यूंकी भाभी ने कभी अपनी चूत को उंगलियों से नहीं सहलाया था…ऑर किसी दूसरे से चुदाई भी नहीं करवाई थी…इसलिए उसके लिए ये नया अनुभव ही था. ऑर वो इस नये अनुभव से रोमांचित हो रही थी…

दिन किसी तरह से गुजर गया…रात आई तो सब लोग खाना खाने के बाद अपने अपने बेडरूम में चले गए…भाभी अपने प्लांग पर अपने पति के साथ थी…तो ससुर अपनी पत्नी के साथ अपने कमरे में थे…..

ससुर आज जल्दी ही भाभी की सास के पलंग पर आ गये ऑर उसकी चुचियों को भाभी की चुचियाँ समझ कर सहलाने लगे…आज ससुर ने जो चुदाई का खेल खेला वो मानो भाभी के साथ ही खेल रहे हो…उनकी पत्नी बार बार चीख उठती थी…वो जान नहीं पा रही थी…कि आख़िर आज ऐसा क्या हुआ कि उनका पति उनको इतने भयन्कर तरीके से चोद रहा है….भाभी की सासू माँ की आज जो हालत हुई…वो आप जान सकते है…वो बेचारी कराहती रही..सिसकती रही चिल्लाती रही…पर ससुर का लंड तो आजकुछ भी मानने तो तय्यार ही नहीं था…आख़िर 3 घंटे की चुदाई के बाद वो चुदाई लीला समाप्त हुई…तब तक सासू माँ निढाल हो चुकी थी …ऑर उसी अवस्था में सो गई…..

उधर…भाभी अपने पति के साथ अपने पलंग पर धीरे धीरे सरक कर अपने पति के सरीर से सॅट गई ऑर एक हाथ पति की छाती पर रख दिया….पति ने भी करवेट भाभी की तरफ ली ऑर उसे बाहों में भर लिया…..

पति…क्या हुआ….क्या आज चूत ज़्यादा पानी छोड़ रही है….

भभी….हैं ना जाने क्यों…शादी के बाद आज पहली बार कुछ अजीब सा लग रहा है…ऑर इसमें से पानी भी कुछ ज़्यादा ही निकल रहा है….

पति…ओह तो लो आपकी चूत की मस्त चुदाई कर देते है…इसी लिए तो यह पानी छोड़ रही होगी…ये कह कर उन्होने भाभी की चुचियों को हल्के हल्के से सहलाना शुरू कर दिया…भाभी का हाथ अपने पति के लंड पर चला गया ऑर भाभी महसूस करने लगी कि शायद मेरे पति का लंड तो ससुर के लंड का आधा ही है…भाभी के पति ने धीरे धीरे भाभी के सभी कपड़े उतार दिए ऑर पूर्णतया नंगी पत्नी के शरीर के सब हिस्सों को सहलाने ऑर मसलने लगे….भाभी के जेहन में ससुर का लंड ही घूमता रहा…ऑर उसके पति उसके शरीर से खेलते रहे…भाभी की चूत पानी पर पानी छोड़ती रही…आख़िर पति ने अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ना शुरू किया….ऑर कुछ ही देर में पूरा लंड भाभी की चूत में पेल दिया….उसके पति के धक्को की रफ़्तार बढ़ती गई…ऑर भाभी भी चुदाई में ना जाने कैसे एक मशीन की तरह से सहयोग करती रही…पर उसके मन में तो ससुर जी का भारीभरकम लंड बस चुका था…कुछ देर के बाद उसके पति ने भाभी की चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया…ऑर गरम..गरम..वीर्य अपनी चूत में गिरने से भाभी…की चूत ने भी पानी छोड़ दिया कुछ देर एक दूसरे से चिपके हुए दोनो झड़ते रहे…पर कुछ ही देर में भाभी की तेज तेज चलती साँसों से मानो ससुर के लंड की चाहत की ही आवाज़ निकल रही थी…

आज पहली बार इतनी लंबी चुदाई के बाद भी ना ही भाभी चुदाई से संतुष्ट हुई थी…ऑर ना जाने क्यूँ ससुर जी भी आज अपने आप को संतुष्ट नहीं पा रहे थे…जबकि उन्होने आज जम कर सासू माँ की चुदाई की थी…सासू माँ का हाल बुरा था…वो समझ नहीं पा रही थी कि आज उसके पति को क्या हुआ जो इतनी भयंकर चुदाई की है… उनका अंग अंग तोड़ कर रखा दिया……उस बेचारी को क्या मालूम था कि आज तो उसके पति बहू के ख़याल में चुदाई कर रहे है…

उस रात में भाभी के पति ने भाभी की दो बार जमकर चुदाई की पर भाभी भी आज कुछ संतुष्ट नज़र नहीं आ रही थी…उसके ख़याल में भी शायद इस समय भी ससुर का भारीभरकम लंड ही घूम रहा था…जिस लंड से वो डर भी रही थी ऑर पाने की चाहत भी थी…

आख़िर पिछली रात में चुदाई का अंत हुआ ऑर सभी सो गये…सुबह को सभी देर से उठे…ऑर अपने अपने कामो में लग गये…

भाभी का पति डेली की तरह अपने खेतो में चला गया ऑर सासू माँ…दूसरे कामों में लग गई…ऑर बहूरानी….

बहूरानी ने घर की सफाई शुरू कर दी…आज भाभी ने ढीले ढाले कपड़े ही पहने थे…उधर ससुर जी भी इसी समय का एंतजार कर रहे थे कि उनकी बहू उसके रूम में सफाई करने आए ऑर वो उसे जी भर कर निहार सके…..

भाभी ससुर जी के रूम में जब सफाई करने के लिए गई तो उनका सरीर कुछ सामान्य नहीं था…उनकी साँसे ज़ोर ज़ोर चल रही थी…ऑर सरीर में बार बार सिहरन से दौड़ जाती थी…..पर अब तो उनका सारा ध्यान ससुर जी के लंड की ओर आकर्षित हो चुका था….बस एक नज़र उसे देख ले तो शायद करार आए…

भाभी ने रूम की सफाई शुरू कर दी…पर अपने साड़ी के पल्लू पर जान बुझ कर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया…ब्लाउज ढीला होने के कारण भाभी की भारी गोरी चिटी चुचिया अंदर से बाहर निकलने की कोशिस कर रही थी…ऑर ससुर उन्हें देख देख कर पागल हुए जा रहे थे….ससुर का लंड धोती में ही उछल कूद कर रहा था…पर ससुर की निगाहे भाभी की चुचियों से नहीं हट पा रही थी…

एक बार भाभी ने ससुरजी को चोर निगाहों से देखा…तो उनका दिल ज़ोर से धड़कने लगा…ससुरजी की आँखें एक टक बहू की चुचियों पर ही जमी थी….

कि अचानक भाभी के मुँह से ना जाने कैसे निकल ही गया….
भाभी…क्या देख रहे है पिताजी….

ससुर…हड़बड़ाते हुए…आआआ हह ईईए वववववूऊओ कुछ नहीं बहू……

भाभी…नहीं कुछ देख तो रहे थे….

ससुर …नहीं बेटी…कुछ भी तो नहीं…बस सोच रहा था…

भाभी…मुस्कुराते हुए ..क्या सोच रहे थे पिताजी….

ससुर…कुछ नहीं..ना जाने क्यूँ आज कच्चा दूध पीने की इच्छा हो रही थी…पर सोच रहा था…कि वो तो तूने गरम कर दिया होगा….

भाभी…हाँ पिताजी आज तो गरम कर दिया है…पहले क्यूँ नहीं बताया….

ससुर…कोई बात नहीं बहू…बस इच्छा हुई तो कह दिया….

भाभी…कोई बात नहीं पिताजी…दूध तो घर का ही है…जब मन करे कच्चा ही पी लेना….में सासू माँ को बोल दूँगी कि वो कल आपको कच्चा दूध देदे..

ससुर…आरे नहीं बहू…बस वो तो ऐसे ही…जब मन होगा में फिर बता दूँगा…सासू माँ को कहने की ज़रूरत नहीं है…

भाभी…क्यूँ पिताजी..क्या अब मन नहीं है…

ससुर…मन तो है..पर बस अब रहने दो….ससुर ने भाभी की भारी भारी चुचियों पर नज़र डालते हुए कहा….

भाभी…लगता है पिताजी आपको दूध पसंद ही नहीं है…

ससुर..नहीं बेटी…पसंद तो बहुत है…पर वो कच्चा दूध नई गाय (काउ) का हो तो बात ही कुछ ऑर होती है….

भाभी…हाँ ये बात तो हो सकती है….तो पिताजी एक नई गाय ले आओ ना….बाते करते हुए भाभी इतनी लापरवाह हो चुकी थी..कि उसकी आधे से ज़्यादा चुचियाँ बाहर झाँक रही थी…ऑर ससुर के लंड की हालत खराब होती जा रही थी…


भाभी अब ये तो जान ही चुकी थी…कि ससुर जी किस दूध की बात कर रहे है….पर वो अभी भी अंजान बनते हुए…ससुर जी को जानबूझ कर परेशान करने में लगी थी…जैसे ही भाभी सफाई करते करते ससुर के पास पहुँची…तो उनकी चुचियाँ ससुर जी को ऑर सॉफ सॉफ नज़र आने लगी…जिससे ससुर जी ऑर परेशान होने लगे….ससुर जी का लंड अब धोती से बाहर निकलने की कोशिस कर रहा था…ऑर ज़्यादा टाइट के कारण ससुर के मुँह से आहह निकल गई……

भाभी….क्या हुआ पिताजी…

ससुर…कुछ नहीं बहू…बस पैरो (लेग्स) में कुछ दर्द सा है….

भाभी….थोड़ा टहल लिया कीजिए…बैठे बैठे भी हो जाता है….

ससुर…हाँ ये तो है….

तभी…अचानक भाभी की नज़र ससुर जी के लंड पर पड़ी…भाभी को इस वक़्त अपनी उम्मीद से ज़्यादा बड़ा नज़र आया…ऑर भाभी के सरीर में एक बार फिर से सिहरन सी दौड़ गई……तभी भाभी को बेड के नीचे चलता हुआ सा प्रतीत हुआ…भाभी की चीख निकल गई……

ससुर ..क्या हुआ बहू….

भाभी…घबराहट से काँपते हुए…पिताजी पलंग के नीचे साँप है….ऑर दूर हट गई….

ससुर नीचे उठे ऑर चारों तरफ देखा….उन्हें कुछ भी नज़र नहीं आया…उन्होने सोचा कि चूहा वेग़ैरह होगा पर कुछ सोच कर….यहाँ तो कुछ भी नहीं है बहू….

भाभी…नहीं पिताजी साँप था…मेने खुद देखा है…उधर बेड के नीचे…

ससुर …. नहीं बहू यहाँ तो कुछ भी नहीं है…

भाभी ने हिम्मत करके बेड के नीचे देखा…कुछ ना होने पर…पर मेने अभी तो देखा था…पिताजी…काफ़ी मोटा ऑर लंबा था…

ससुर - पर अब तो कुछ भी नहीं है…ससुर का लंड अब कुछ शांत हो गया था…फिर भी धोती में गधे के लंड की तरह से हिलता नज़र आ रहा था….

भाभी…शायद कहीं छुप गया है….पिताजी…पर था..बेड के नीचे….

ससुर ने एक बार फिर गौर से बेड के नीचे देखा…उन्हें कुछ भी नज़र नहीं आया…तो वे बोले बहू कहीं तुमको…वहम हो गया है…यहाँ तो कुछ भी नहीं है…..फिर तुम बता रही हो कि काफ़ी मोटा ऑर लंबा था…फिर कहाँ गया…..

भाभी…ने बेड के नीची झाँकते हुए…हां अब तो कुछ नहीं है…फिर भाभी को दीवार में एक छोटा सा छेद नज़र आया….ऑर बोली..पिताजी..वहाँ पर छेद है…कहीं उसमें तो नहीं घुस गया..फिर खुद ही झेन्पते हुए …महसूर किया कि इतने छोटे छेद में वो कैसे घुस सकता है….
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05-31-2019, 12:05 PM,
#34
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर ने नीचे झाँक कर देखा…ओर बहुत बारीक छेद को देख कर मुस्कुराते हुए बोले…हाई बेटी…उसमें ज़रूर घुस सकता है…

भाभी…पर वो तो बहुत बारीक सा छोटा सा छेद है…इतना मोटा ओर लंबा साँप उसमें तो नहीं घुस सकता है…अपनी ही बात को सुधारते हुए बोली….

ससुर…मुस्कुराते हुए…आरे बेटी ये साँप बहुत खतेरनाक होते है…बड़े से बड़ा मोटा साँप एक छोटे से छेद में भी घुस जाता है…

इस पर भाभी एक बार फिर झेंप गई….ओर बोली पिताजी…आप मुझे बना रहे है..भला इतने छोटे छेद में…इतना मोटा ऑर लंबा साँप कैसे घुस सकता है…..

ससुर…घुस जाता है बेटी…ये तो तुम्हे भी पता होगा….ऑर मुस्कुराते हुए बहू की ओर देखा…ससुर जी का लंड एक बार फिर आगे को तंबू की तरह से निकल गया था…जिस पर नज़र पड़ते ही भाभी झेंप कर बाहर निकल गई….

भाभी समझा रही थी कि ससुर जी किस छेद ओर किस साँप की बात कर रहे है……ससुर जी के लंड का बम्बू वो अभी देख कर आई थी…उसकी चूत में कुछ कुछ हो रहा था…उसने महसूस किया कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी….इस पर भाभी अचानक ही मुस्कुरा दी….थोड़ी देर के बाद जब भाभी…ससुर जी के कमरे में गई….तो ससुर जी सीधे लेटे थी…उनकी आँखें बंद थी…उनका लंड खड़ा तो नहीं था….पर धोती के उभार से उसके साइज़ का अनुमान लगाया जा सकता था…..

भाभी…पिताजी..अब कैसी तबीयत है….

ससुर…आँखें खोलते हुए….बस थोड़ा से पैरों में दर्द है…बाकी तो सब ठीक है…ये भी ठीक हो जाएगा….

भाभी…क्या में दबा दूं पिताजी….

ससुर अरे नहीं…तुम्हे ओर बहुत काम होते है…दिन भर में थक जाती हो…ये अपने आप ही ठीक हो जाएगा…

भाभी…इस समय तो में खाली हूँ…थोड़ी देर दबा देती हूँ..आराम आ जाएगा…

ससुर…ठीक है बहू जैसी तुम्हारी इच्छा….

भाभी…अपने ससुर जी के पलंग पर ससुर के पैरों के पास बैठ गई ऑर धीरे धीरी ससुर के पैरों को दबाने लगी…पर भाभी का ध्यान ससुरजी के लंड पर ही टिका था..जो अभी तक सो रहा था…पर भाभी के नाज़ुक मुलायम हाथ पेरों पर पड़ने के कारण ससुर जी के सरीर में कुछ सुरसूराहट होने लगी थी ऑर लंड महाशय में भी दम आने लगा था…भाभी ससुर जी के लंड में होने वाली हलचल को महसूस कर रही थी….ऑर ससुर जी का लंड उपर को उभार लेने लगा था…भाभी अभी तक ससुर के घुटनो तक ही दबा रही थी….ससुरजी ने अपना दायां हाथ अपनी आँखों पर रख लिया था…पर उनके होंठों पर जो दबी हुई मुस्कान थी…वो भाभी से नहीं छुपी थी…

अब ससुर जी का लंड उठक-बैठक करने लगा था…ऑर उसे देख कर भाभी…भी मस्ती में पैरों को दबा रही थी….उसकी चूत भी गीली होने लगी थी…पर उसी समय…..बाहर में गेट के खुलने की आवाज़ आई ऑर भाभी जल्दी से कमरे से बाहर निकल आई……..

ये भाभी के पड़ोस में रहने वाली जेठानी लता थी….भाभी ने महसूस किया कि लता को चलने में कुछ परेशानी सी हो रही है…वो बड़ी सम्भल सम्भल कर चल रही थी….

भाभी….आओ लता दीदी…कैसी हो….

लता…ठीक हूँ….सोचा कि कुछ देर तुम्हारे पास बैठ आउ…

भाभी…तुमने बहुत आच्छा किया….ऑर तबीयत तो ठीक है…

लता..हैं तबीयत तो ठीक है….बस सुबह-सुबह इतना काम हो जाता है कि थक जाती हूँ…..

भाभी…हां ये तो लग रहा है…कि आज आप काफ़ी थकि हुई से है….बैठ जाओ में चाइ (टी) बना लाती हूँ….ऑर बही…किचन की ओर जाने लगी….लता भी भाभी के पीछे पीछे…किचिन में आ गई….

भाभी…क्या आज बहुत ज़्यादा काम था….

लता…हैं कुछ ज़्यादा ही था…वे सुबह 4 बजे….बाहर गये है…कुछ दिनों के लिए ऑर रात भर नहीं सोने दिया….कहने लगे कि फिर तो कई दिनो तक नहीं मिलेगी…आज पूरा मज़ा ले लूँ….ऑर हंस पड़ी…

(आपको बता दूं कि भाभी ऑर लता अच्छी फ्रेंड्स बन गई थी…ऑर आपनी सेक्षुयल बाते शेर कर लिया करती थी…ऑर घर वगेरह की बाते भी…खुलकर करती थी…)

भाभी…फिर तो पूरी रात मस्ती में बीती है दीदी….

लता…हैं उन्होने तीन बार जम कर चुदाई की…अंग अंग दुख रहा था…फिर जब वो चले गये तो ……..

भाभी…फिर क्या हुआ…लता दीदी…

लता….अरी कुछ नहीं…बस यूँ ही…

भाभी…बताओ ना दीदी….फिर क्या कुछ खास हुआ….

लता….आरेई वो मेरा देवर है ना…में सोई ही थी.. कि वो पास आकर लेट गया ऑर तुम तो जानती ही हो…जब मर्द चुचियों को मसल्ने लगे तो कहीं रुका जाता है….बस मेरी चूत फिर तय्यार हो गई…ऑर उसके जवान लंड ने फिर से दो बार चोद दिया….बस मेरी चूत की बुरी हालत कर दी…

भाभी…में भी सोच रही थी…कि क्या बात है…आज तुम ठीक से चल नहीं पा रही हो दीदी….अब पता चला कि आज मेरी दीदी ने जम कर चुदाई के मज़े लिए है……

लता….अब तुमसे क्या चोरी…वैसे तो मेरी पति का लंड भी काफ़ी भारी है पर देवर का जवान भारी लंड ओर उपर से ससुर……..वो…वो….

भाभी….वो वो क्या…ससुर का…वो…वो…सच सच बताओ ना दीदी…ससुर का वो क्या…..

लता….आरे एक बार ना जाने कैसे ससुर के साथ संबंध बन गए थे…ऑर मेरे ससुर का लंड तो बहुत ही भयंकर है….देवर के जाने के बाद…एक बार ससुर ने भी आज चोद दी है…बस पूछो मत मेरी चूत का बूरा हाल है….अगर तुम देख लोगि तो घबरा जाओगी…बस ये मान लो कि फटी हुई है…..अभी अभी गरम पानी से सॉफ करके आई हूँ फिर भी ठीक से चला नहीं जा रहा है……

भाभी…पर तुम्हे डर नहीं लगता लता दीदी….तुम्हारी चूत का ये हाल हो गया…कहीं तुम्हारे पति को पता चल गया तो….

लता…आरे मर्द जब चुदाई के मूड में होता है….तब वो चूत का साइज़ नहीं देखता…बस अंदर घुसाने की जल्दी में होता है…फिर वो कई दिनो के बाद आने वाले है….एक बार फिर ससुर से चुदवा लूँगी तो ठीक हो जाएगी….जैसे लोहे को लोहा काटता है वेसे ही चुदाई का दर्द चुदाई से ही जाता है….ऑर लता ये कह कर हंस पड़ी….

भाभी फटी फटी आँखों से लता दीदी को देखती ही रह गयी………..

लता…क्या देख रही हो…रानी जी…..

भाभी…कुछ नहीं बस सोच रही हूँ कि तुम्हारी हिम्मत है….तुमने एक ही रात में कितनी चुदाई करवा ली…कि चूत तक फडवा ली…में तो अपने पति के साथ बस एक बार में ही थक जाती हूँ…..

लता…जब एक बार चुदाई का चस्का लग जाता है तब पता चलता है…कि चुदाई में जो आनंद है वो किसी ऑर चीज़ में कहाँ….रानी….

भाभी….पर इतनी चुदाई…..कि चूत तक फडवा ली……

लता….अरी रानी ऐसा तो पहली कई बार हो चुका….आज पहली बार थोड़े ही…जब मेरे ससुर ने मुझे पहली बार चोदा था.. तो इससे भी बुरी हालत हो गई थी….बस बाद में सब ठीक हो गया….रानी…जो मज़ा मोटे लंड से चुदाई में आता है…उसके सामने तो तखतो ताज भी बेकार है….बस सारी जन्नत एक तरफ….ऑर मोटे लंबे लंड से चुदाई एक तरफ….मुझे तो बस चुदाई में ही मज़ा आता ही….ये चूत शिरफ़ चुदाई के लिए ही है……

भाभी…पर क्या जो भी मिल गया उसी से चुदवा ले……

लता…हाई रानी…चुदाई का तो मौका तलाश लो…जब भी मौका मिले चुदवा लो…यही तो जिंदगी का मज़ा है…..

भाभी…तुम्हे शर्म नहीं आती क्या लता दीदी….

लता…अरी रानी चुदाई में शर्म कैसी…

फिर दोनो बैठ कर चाइ पीने लगी…ऑर चुदाई पर खूब चर्चा हुई…लता दीदी की बातें सुनकर भाभी…की चूत में भी खुजली होने लगी थी….पर वो इस बारे में खुलकर नहीं बोलना चाहती थी…इस लिए लता दीदी की बातों में ही मज़ा लेती रही……कुछ देर के बाद लता दीदी ये कहकर चली गई कि चलूं एक बार ससुर से चुदवा लूँ बस सब ठीक हो जाएगा ऑर मुस्कुराती हुई चली गई….

इसके बाद भाभी दूसरे काम निपटा कर अपने ससुर के रूम में चाइ लेकर गई…

भाभी…पिताजी चाइ पी लो….

ससुर…मेने तो सोचा था कि दूध पिलाओगी….पर लाओ चाइ ही पी लेते हे…ये कहते हुए चाइ का कप भाभी से ले लिया…

भाभी…तो चाइ रहने दो…पिताजी…में दूध ले आती हूँ….

ससुर…चलो अब तो चाइ ही पी लेता हूँ…बाद में दूध पी लेंगे

भाभी…लाओ में आपके पैर दबा देती हूँ….वो लता दीदी आ गई थी…

ससुर…बहुत देर तक बातें होती रही…क्या कह रही थी….

भाभी…कुछ नहीं पिताजी…बस वैसे ही आ गई थी….ऑर ये कह कर भाभी ससुर जी के पैर दबाने लगी….ससुर जी ने चाइ पीकर कप एक तरफ रख दिया…उनकी नज़र भाभी की चुचियों पर गई….वो भारी=भारी चुचियाँ पैर दबाते हुए हिल रही थी…जिससे ससुर जी के लंड में फिर चीटियाँ दौड़ने लगी…..ऑर उसमें हलचल होने लगी…ऑर उसकी हलचल को भाभी भी महसूस कर रही थी….पर भाभी कोई भी शुरुआत नहीं करना चाहती थी…भले ही वो ससुर जी के इस भारी लंड को लेने का मन बना चुकी थी..पर फिर भी वो कोई भी शुरुआत नहीं कर पा रही थी…उधर ससुर जी भी सोच रहे थे कि…आख़िर शुरुआत कैसे की जाए…

ससुर…बेटी फिर तो साँप नज़र नहीं आया……

भाभी…अचानक हुए इस सवाल पर भाभी चौंक गई…क्या जबाब दे ये सोच नही पाई….बस हड़बड़ा कर रह गई….

ससुर…बेटी तुमने जबाब नहीं दिया…वो मोटा लंबा साँप फिर तो नज़र नहीं आया….ससुर ने फिर से दोहरा दिया….

भाभी…अब तक अपने को संभाल चुकी थी….फिर भी सही जबाब नहीं सूझ रहा था…इस लिए नॉर्मली ही कह डी….नज़र तो आया पिताजी….पर कुछ देर बाद गायब हो जाता है…मुझे तो उसे बड़ा डर लगता है…..

ससुर…उससे क्या डर्ना…ये तो हमारे पास ही रहते है…कोई नुकसान नहीं पहुचाते है…..

भाभी…मेने कभी इतना मोटा ऑर लंबा साँप जो नहीं देखा है…इस लिए डर तो लगेगा ही ना….

ससुर…अरे नहीं बेटी…उस साँप से मत डर्ना…वो तो पालतू है…वो कोई नुकसान नहीं पहुचाएगा तुम्हे….

भाभी…पिताजी…उसका क्या भरोसा…मेरे रूम में आकर…किसी बिल में घुस गया तो….

ससुर…फिर भी मत डरना…अपना ही है…पालतू है ना…

भाभी..पिताजी मेरे रूम में सभी छेद बहुत छोटे है…वो वहाँ तो शायद घुस भी नहीं पाएगा…..

ससुर…अरे नहीं बेटी…ये साँप तो बारीक से बारीक छेद में भी घुस जाता है ऑर वही अपनी जगह बना लेता है…..अभी तक ससुर का लंड पूरा फूल कर कुप्पा हो चुका था…ऑर धोती में ऐसे खड़ा होकर झटके मार रहा था…जैसे दो देश की सीमा पर इंडियन झंडा लहरा रहा हो…..भाभी की नज़र उसी पर जमी थी….उनके सरीर में कॅंपन होने लगा था…ऑर डर भी लग रहा था…पर भाभी के हाथ….ससुर जी के पैरों को दबाते हुए कुछ उपर तक पहुँचने लगे थे….भाभी की चूत का भी बुरा हॉल था…भाभी को अब लग रहा था…कि उसके हाथ भी अब उसके कंट्रोल में नहीं रह गये है ऑर वो धीरे धीरे लंड के नज़दीक पैरों को दबा रहे है….ससुर का लंड ऑर मस्त होकर झूम रहा था…लंड में बेचैनी बढ़ेती जा रही थी…..

ससुर…क्या देख रही ही बेटी….

भाभी…हड़बड़ा कर…कुछ नहीं पिताजी….ऑर नीचे देखने लगी….

तभी…,,................
Reply
05-31-2019, 12:06 PM,
#35
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
तभी…बाहर के गेट के खुलने की आवाज़ आई ऑर भाभी जल्दी से उठ कर ससुर जी के रूम से चाइ का कप लेकर बाहर निकल गई….बाहर आकर भाभी ने देखा कि उनकी सासू माँ ऑर पति खेत से लौट आए है….भाभी किचन में चली गई ऑर अपने काम में लग गई…उधर ससुर जी करवेट लेकर ऐसे लेट गये कि जैसे सो रहे हों…..

सब कुछ सामान्य…मगर जो तूफान भाभी की चूत में ऑर ससुर जी के लंड में चल रहा था…..वो सामान्य कहाँ था….


दोस्तों ये लंड ऑर चूत की भी अजीब दास्तान है…लंड को चूत की ऑर चूत को लंड की जो चाहत होती है वो बड़ा तूफान ला देती है….हाँ एक बात ऑर मर्द को दूसरी औरत की चूत ऑर , औरत को दूसरे मर्द का लंड हमेशा आकर्षित करता रहा है ऑर करता रहेगा…ये वो भूख है जो कभी कम नहीं होती…या फिर यूँ कहिए…मर्ज बढ़ता गया ज्यूँ..ज्यूँ दवा की…..कुछ यही हाल अब भाभी ऑर ससुर का भी हो गया था….ऑर लता के बातों ने इसमें ऑर घी डालने का ही काम किया….भाभी की चूत में ऑर आग भड़क गई…अब तो उसे बस ससुर जी का लंड अपनी चूत में चाहिए था…उसके लिए वो अब कुछ भी करने तो तैयार हो रही थी….उधर ससुर की हालत भी कुछ इसी ही हो चली थी…वो भी भाभी की चूत के दीवाने हो चुके थे…बैगेर देखे ही उन्होने भाभी की चूत की कल्पना कर…कई बार हाथ से हिलाकर ही अपना वीर्य निकाला था…..

भाभी की सासू माँ ऑर पति के घर में आ जाने के बाद वो किचन में ही ना जाने कितनी प्लॅनिंग कर चुकी थी….सासू माँ के माएके में कोई शादी थी जिसमें उन सभी को आज जाना था…पर भाभी का प्लान तो कुछ ऑर ही था….अगर उनका प्लान कामयाब हो गया तो…उनकी ससुर के लंड को पाने की तम्मन्ना पूरी हो सकती थी…..

पति….किचन में आए…ऑर भाभी को बाहों में भरकर एक किस किया…क्या बात है आज तो बड़ी सुंदर लग रही हो…

भाभी…आपको सुंदर दिखाई दे रही हूँ…

पति…हैं क्यूँ नहीं…मेरी रानी है ही सुंदर…..

भाभी..आज सुबह से पेट (स्टमक) में काफ़ी दर्द है…अजवाइन भी ली पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा….

पति…तो तुमने पहले क्यूँ नहीं बताया…में डॉक्टर से दवा ले आता….

भाभी…मेने सोच ठीक हो जाएगा…पर कोई आराम नहीं है….

पति…तुम ठहरो..में अभी डॉक्टर से दवाई ले आता हूँ….ऑर हाँ तुम तब तक आराम करो……तभी सासू माँ किचन में आई…..

ससुमा..क्या बात है बहू…

भाभी..कुछ नहीं…माजी..बस पेट में थोड़ा दर्द है….

सस्सुमा… बेटा जा डॉक्टर से दवा ले आ…आज तो तुम्हारे मामा के यहाँ जाना ज़रूरी है…उनकी तो एक ही बेटी है…उसकी शादी में जाना तो बहुत ज़रूरी है….

पति…ठीक है माँ…में अभी ले आता हूँ…..ऑर वे बाहर चले गये….ऑर भाभी अपने रूम में आकर बेड पर लेट गयी थी…ऑर इस प्रकार लापरवाही से लेटी कि जिससे लगता था.. कि उनको काफ़ी दर्द है….

पति ..कुछदेर बाद डॉक्टर को साथ ही ले आए…डॉक्टर साहिब ने निरीक्षण किया…और दर्द की सही वजह ना मिलने पर एक दर्द ओर नशे का एन्जेक्शन दे दिया….जिससे थोड़ी देर बाद ही भाभी को नींद आ गयी…ऑर वो गधे बेच कर सो गयी…….

सासू माँ…अपने बेटे से बाते करते हुए…अब क्या होगा बेटा…बहू की तबीयत तो खराब है…ऑर तेरे मामा के यहाँ भी अभी जाना है फिर क्या करे….

पति…कुछ समझ में नहीं आ रहा है माँ…पिताजी से पूछ लो….

सासू माँ अपने पति के रूम में गयी…ससुर जी की आँख भी लग गयी थी….थोड़ा गुस्से से…आप यहाँ गधे बैच कर सो रहे है…वहाँ बहू की तबिया खराब है…अभी डॉक्टर बुलाया था….फिर आज तुम्हारे साले की एक्लोति बेटी की शादी भी है…अब क्या करें….

ससुर…अरे..दर्द…कब से है…मुझे तो किसी ने बताया नही…अब कैसी है…ससुर भी परेशान होकर बोले….

सासू माँ…मुझे क्या मालूम..जब खेत से आए तो पता चला कि बहू की तबीयत खराब है….तुम्हे तो सोने से ही फुरसत कहाँ है….

ससुर…ये तो बड़ी परेशानी हो गई…अब क्या होगा……

तभी उनके बेटे ने आकर बताया कि डॉक्टर ने तो उसे बाहर ले जाने को मना किया है…दर्द किसी भी वेजह से हो सकता है…फिर क्या करें….

सासू माँ..ऐसा करो बेटा…में ऑर तुम चलते हैं…ये बूढऊ क्या करेगा…फिर बहू के पास भी कोई होना चाहिए..जो डॉक्टर से द्वाए वेगरह लाकर दे सके….ऑर कोई चारा भी तो नज़र नहीं आ रहा है….बहू की तबीयत अब कैसी है….

बेटा…डॉक्टर ने नींद का एन्जेक्शन दिया है….अभी तो सो रही है शायद….

माँ…ठीक है बेटा…तुम तय्यार हो जाओ…में भी तय्यार होती हूँ..देर भी काफ़ी हो गयी वर्ना रात हो जाएगी…बहू को ये देख लेंगे…ऑर फिर डॉक्टर ने दवाई तो दे ही दी है…..कुछ आराम कर लेगी तो आराम आ जाएगा…..

बेटा…ठीक है माँ…आप तय्यार हो जाओ में तय्यार होकर अभी आता हूँ…..ऑर बेटा बाहर चला गया…..

सासू माँ…बहू को तुम्हारे भरोशे छोड़ कर जा रही हूँ…उसका ध्यान रखना….ऑर ज़्यादा प्राब्लम हो तो डॉक्टर को बुला लाना….में पड़ोस में लता को बोल जाती हूँ दो दिन रोटियाँ वो सैक देगी….

ससुर…ठीक है…तुम जाओ में देख लूँगा…कोई परेशानी नहीं होगी…में सब संभाल लूँगा….

सासू माँ मन ही मन सोच रही थी कि अचानक बहू को क्या हो गया…सुबह तो वो ठीक थी…. ससुर भी परेशान होकर बहू के रूम में गये…वो बेसूध होकर सो रही थी…बेचारे परेशान से बाहर आ गये….सासू माँ पड़ोसन लता को बोल कर आ गयी ऑर थोड़ी देर के बाद सासू माँ ऑर भाभी के पति दोनो बस में बैठकर अपनी मंज़िल की ओर रवाना हो गये….

ससुर…बड़ी बैचेनी से इधर उधर टहल रहे थे….शाम होने से पहले ही लता आई ऑर खाना बनाकर…ससुर जी को भाभी का ख़याल रखने को कह कर लौट गई….मगर भाभी अभी भी बेसूध होकर सो रही थी…..इसी तरह से दिन ढल गया…ऑर रात हो चली थी…ससुर ने सभी दरवाजे बंद किए…ऑर बहू के रूम में ही उसके बेड पर ही बैठ गये….कुछ ही देर के बाद बहू ने आहह की आवाज़ के साथ आँखें खोल दी……ऑर अपने ससुर की ओर देखा जो उसके बेड पर ही बैठे थे उसी के चेहरे की ओर देख रहे थे…..

ससुर…अब कैसी तबीयत है…बेटी…..क्या दर्द कम हुआ…

भाभी…हाईन पिताजी…दर्द कम तो है…पर ठीक नहीं हुआ है…..

ससुर…तुम चिंता ना करो…सब ठीक हो जाएगा…में हूँ ना…..

भाभी…हल्की सी आहह भरते हुए…उठने की कोशिस करने लगी….

ससुर क्या…बात है बेटी…लेटी रहो….

भाभी…में टाय्लेट जाना चाहती हूँ पिताजी…पर शायद हिम्मत ही नहीं हो रही है….भाभी ने अपने प्लान पर काम शुरू करते हुए कहा…अब तक भाभी ज्ज़ान चुकी थी…कि उसके पति ऑर सासू माँ रिश्तेदारी में जा चुके है……ऑर अब बारी भाभी की थी…………….

ससुर…चलो बेटी में मदद करता हूँ….

भाभी…आप पिताजी…पर आप कैसे मदद करेंगे….

ससुर… घबराओ नहीं बेटी…में तुम्हे पकड़ कर ले चलता हूँ…ऑर बिना किसी आन्सर का एंतजार किए ही ससुरजी भाभी की बाहे पकड़ कर भाभी को उठाने लगे थे…..

भाभी…आअहह पिताजी….हिम्मतनहीं हो रही है…फिर दर्द अभी भी है…कहीं में गिर ना जाऊ….

ससुर…डरो नहीं बेटी…में तुम्हे गिरने नहीं दूँगा….

भाभी…हैं वो तो है…पिताजी…उठने की कोशिस करते हुए….ऑर बिल्कुल निढाल सी होकर ससुर जी के ऑर करीब..ऑर करीब…ससुर की बालिश्ट बाहों ने भाभी को पूरी तरह से संभाल लिया….ऑर ससुर जी के हाथ बहू की दोनो बगल में थे….उनकी उंगलियाँ बहू की भारी भारी चुचियों का उभार महसूस कर रही थी…ससुर इस मौके का पूरा फ़ायदा उठाना चहते थे उन्होने बहू को कुछ ऑर करीब कर लिया जिससे उसकी चुचियो को उनकी उंगलियाँ पूरी तरह से स्पर्श कर रही थी…ऑर बहू के मांसल मांसल भारी चूतड़ (कूल्हे) कई बार ससुरजी के लंड पर रगड़ खा चुके थे….ऑर वो बाथरूम में पहुँच गये….
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05-31-2019, 12:06 PM,
#36
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर…बेटी तुम टाय्लेट कर लो में बाहर इंतजार करता हूँ….

भाभी…ठीक है पिताजी…..ससुर बाथरूम के दरवाजे को बंद कर बाहर आ गये..ऑर भाभी ने साड़ी को उपर उठाकर पैंटी को नीचे किया…ऑर बैठ गई…पेशाब का प्रेशर भी काफ़ी था….ऑर पेशाब बड़ी तेज़ी से….कुछ भाभी का प्लान….सस्स्स्स्स्सुउुुुुउउईईईईईईईईईईई….सस्स्स्स्स्स्स्सीईईई….सस्स्सीईई की धुन ससुर को मदहोश कर रही थी…ऑर भाभी…वहीं पर बैठी बैठी…मुस्कुरा रही थी…..ओर झटके के साथ फिर से सस्स्स्स्स्स्स्सीईईईई उूउउस्स्स्स्स्स्सिईईईईए की धुन…ससुर को घायल करने के लिए काफ़ी थी…

.ये तो भाभी भी जानती थी कि ससुरजी दरवाजे के पास ही खड़े है…ऑर उसकी चूत से निकलने वाले पेशाब की आवाज़ ज़रूर सुन रहे होंगे….इसीलिए…भाभी ने पेशाब भी बड़ी अदा से किया….उससे निकलने वाली धुन खुद आज भाभी को भी निराली लग रही थी….प्प्प्प्प्प्प्पीईईईईईइससस्स्स्सीईईईईईई की धुन पर दो जिस्म पिघलने लगे थे…..

भाभी ने पेशाब करने के बाद …चूत को ताजे साफ पानी से अच्छी तरह से धोया…ऑर हाथ सॉफ करने के बाद उठी…तो आआहह की आवाज़ बाहर तक चली आई….

ससुर….क्या हुआ बहू…तुम ठीक तो हो ना…

भाभी…जी पिताजी…में अब कुछ ठीक हूँ..क्या आप मुझे जरासा सहारा देंगे….

ससुर क्यूँ नहीं बेटी में अभी आता हूँ…ऑर ससुर दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गये….भाभी की शादी अभी अव्यवस्थित थी…ऑर पल्लू भी चुचियों पर ठीक से नहीं ढका था….ससुर मदहोशी में ही बहू के पास गये ऑर उसकी दोनो बगलों में हाथ दे दिए….अबकी बार ससुर की हथेली का दबाव भाभी की चुचियों पर पड़ रहा था….

भाभी…आआहह….

ससुर…क्या हुआ बेटी…

भाभी…जी आपका हाथ….पिताजी….

ससुर…ओह….थोड़ा सा डब गया था…बेटी..क्या दर्द हुआ है….

भाभी…नहीं पिताजी…वो बस…ऑर शरमा कर मुस्कुरा दी….

ससुर जी ने भाभी को अच्छी तरह से पकड़कर अपने ऑर करीब किया ऑर बाथरूम से बाहर लाकर उसके रूम में ले जाने लगे…पर उनका टेंट बना हुआ लंड भाभी के चुतड़ों को बार बार छू रहा था…जिससे भाभी के सरीर में सिहरन सी दौड़ जाती थी…ऑर कई बार तो भाभी जानबूझ कर अपने चुतड़ों को ससुर के लंड पर रगड़ भी देती थी…जैसे सब कुछ अंजाने में ही हुआ हो….

ससुर ने भाभी को बेड पर लिटा दिया…लिटाते हुए उनका मुँह भाभी की चुचियों को छू गया… आअहह…

ससुर…अब दर्द कैसा है बेटी….

भाभी….कुछ कम है पिताजी…

ससुर…बेटी अगर तुम कहो तो में सरसो के तेल की मालिश तुम्हारे पेट पर करके गरम पानी से सिकाई कर दूं…जल्दी आराम मिलजाएगा….

भाभी….पर कैसे पिताजी…मुझे तो शरम आती है….

ससुर…इसमें शरम की क्या बात है बेटी…फिर में तो तुम्हारे पिता समान हूँ…मुझ से क्या शरमाना….

भाभी…पर पिताजी….

ससुर…पर वर कुछ नहीं…तुम लेटी रहो में सरसों का तेल लेकर आता हूँ….ऑर ये कहकर ससुर बाहर चले गये…..

भाभी…उनको जाते हुए देखकर मंद मंद मुस्कुरा दी…यही तो शायद उनकी प्लॅनिंग का पहला चेप्टर था…..

कुछ ही देर के बाद ससुर एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर आ गये…ऑर एक बोटेल में गरम पानी भी भर लाए थे….

ससुर…लो बहू तुम सीधी लेट जाओ में तुम्हारे पेट पर तेल की मालिश कर दूं…फिर इस गरम पानी की बोतल से सिकाई कर दूँगा…

भाभी..सीधी लेटते हुए…पर पिताजी…में आपके सामने अपने पेट को नंगा कैसे कर सकती हूँ…

ससुर…कोई बात नहीं बेटी…मुझसे क्या परदा…में तो तुम्हारे पिता समान हूँ ऑर फिर ये दर्द भी तो ठीक करना है ना…

भाभी…हाँ ये तो ठीक है…ये दर्द तो ठीक करना है पर मुझे तो शर्मा आ रही है….

ससुर…मुझसे क्यूँ शरमा रही हो बेटी…क्या मेरा ये भी फ़र्ज़ नहीं कि में तुम्हारे पेट की मालिश ही कर सकूँ…तुम तो डेली मेरे पैर दबाती हो…

भाभी…हैं ये तो ठीक है पिताजी…पर में कैसे अपने पेट से पल्लू को हटाऊ…मुझे तो आपके सामने शर्म आती है….

ससुर…तुम ऐसा करो बेटी…आपनी आँखें बंद कर्लो…बाकी में खुद कर लूँगा….पर तुम्हारा दर्द तो हटाना ही हैं ना….बेटी….

भाभी…जी वो तो है पिताजी…पर…

ससुर…पर कुछ नहीं…ऑर ये कहते हुए बहू के पेट से साड़ी का पल्लू एक ओर हटा दिया….भाभी ने अपनी आँखों पर शर्म से हाथ रख लिया….

बहू का सुडोल गोरा पेट देखकर ससुर जी के तो होश ही उड़ गये….नाभि का छेद तो ससुर जी को ऑर उत्तेजित कर रहा था….ससुर जी का मन बहू के पेट को चूमने के लिए मचल उठा…पर थोड़ी…शांति भी रखनी थी…नहीं तो मामला बिगड़ भी सकता था….यही सोच कर ससुर जी ने अपने उपर कंट्रोल किया…ऑर हाथ में तेल लेकर बहू के पेट पर लगाने लगे….

भाभी….पिताजी,…मुझे गुदगुदी हो रही है….प्लीज़ रहने दो ना….

ससुर..कैसे रहने दूं बेटी…मेरा भी तो कुछ फर्ज़ है कि नहीं….आज तो पहली बार तुम्हारी सेवा का मौका मिला है….भला वो कैसे छोड़ दूं…वरना हमेशा तुम ही मेरी सेवा करती हो…..

ससुर का हाथ लगते ही भाभी की हालत खराब होने लगी…उनकी साँसे तेज होने लगी…उनकी गालों पर शुर्खी आ गई थी…पूरे सरीर में बिजलियाँ सी दौड़ने लगी थी….ऑर ससुर बड़ी चालाकी से पूरे पेट पर मालिश कर रहे थे…कई बार तो उनका हाथ भाभी के ब्लाउस तक ऑर कभी…नीचे साड़ी ऑर पीटिकोट के नाडे तक जा रहा था….पर अब तो हद ही हो गयी…..ससुर जी ने एक उंगली…भाभी की नाभि के छेद में डाल दी ऑर उसको अंदर घुमाने लगे…….

भाभी….मुझे बहुत गुदगुदी हो रही है पिताजी…ये आप क्या कर रहे है….

ससुर…कुछ नहीं…बेटी तुम्हारे इस छेद का दर्द दूर करने की सोच रहा हूँ…. बेटी अगर तुम कहो तो तुम्हारी साड़ी ऑर पेटिकोट थोड़ा नीचे कर दूं कही कपड़ो पर तेल ना लगे जाए…..

भाभी…पिताजी…मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है…भला कोई ससुर बेटी के साथ ऐसे भी करता है….

ससुर…अभी तो मेने कुछ भी नहीं किया है बेटी…बस तुम्हारे पेट की मालिश ही कर रहा हूँ…पर ऐसे तुम्हारे कपड़े खराब हो सकते है….

भाभी…अगर ऐसा है पिताजी तो फिर थोड़ा सा नीचे कर दो…

ससुर…ठीक है बेटी…ऑर ससुर कपड़ो को थोड़ा नीचे सरकाने लगे…अरे बेटी तुम्हारा पेटिकोट का नाडा टाइट बँधा है..कपड़े तो नीचे नहीं हो पा रहे है….अब क्या करूँ….अभी तक ससुर जी का लंड एक टाइट मोटी रोड़े की तरह से टाइट हो चुका था…ऑर बहू के कूल्हे पर चोट मार रहा था…जिसे भाभी महसूस करके ऑर उत्तेजित हो रही थी….

भाभी…पर पिताजी…

ससुर…क्या हुआ बेटी…में तो थोड़ा ही नीचे करूँगा….इससे मालिश ऑर गरम पानी की बोटेल से सिकाई भी ठीक से हो सेकेगी….

भाभी…पिताजी…शरमाते हुए…कोई आ गया तो…क्या सोचेगा….

ससुर…अब कॉन आएगा…बेटी…आज में तुम्हारी पूरी सेवा करना चाहता हूँ…यदि तुम इजाज़त दो तो बेटी….पेटिकोट का नाडा कुछ ढीला कर दूं तभी तो कपड़े नीचे हो पाएँगे….ऑर पूरी तरह से मालिश भी हो पाएगी….

भाभी…में कैसे कहूँ…पिताजी…ये तो ग़लत होगा…ऑर मुझे शर्म भी आ रही है…..ऐसा तो कभी उन्होने भी नहीं किया है….

ससुर…तो फिर उन्होने कैसे किया है बेटी…ज़रा में भी तो जानू…

भाभी…आप बड़े खराब है…पिताजी…भला…ये में कैसी बताऊ कि उन्होने…..कैसे किया है…..

ससुर…आज जान ही चुके थे…कि बहू को कोई एतराज नहीं है…बस थोड़ा शरमा रही है…ऑर वैसे भी ज़्यादातर महिलाए…कभी भी शुरआत नहीं करती…ये तो बहू है…अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा….ससुर ने बहू की साड़ी थोड़ी एक तरफ को सर्काई…ऑर जैसे ही पेटिकोट के नाडे पर हाथ लगे तो बहू चौंक कर उठ बैठी…ये क्या कर रहे हैं आप पिताजी…..कुछ नहीं बेटी बस थोड़ा सा ढीला करके…थोड़ा नीची कर दूँगा…जिससे मालिश भी ठीक होगी ऑर तुम्हारे कपड़े भी खराब नहीं होंगे…..

भाभी…पिताजी….पर हमे तो शर्म आ रही है….आपके सामने ऐसे कैसे लेट सकते है हम…..

ससुर…क्यूँ बेटी इसमें क्या बुराई है….हम तुम्हारे पिता समान है ऑर तुम हुमारी बेटी हो…क्या हमारा ये भी हक नहीं है कि हम अपनी बेटी की मालिश कर सके….

भाभी…ये तो ठीक है पिताजी…पर….पर…वो हमें लाज आती है….

ससुर…बेटी जब तुम सुबह लता से किचन में बाते कर रही थी…तो कुछ मेने भी सुनी है….वो अपने ससुर की कितनी सेवा करती है….कितना ख़ुसनसीब है उसका ससुर….ऑर एक हम है….कि हमारी बहू…हमे मालिश भी नहीं करने दे रही है…लो बेटी हम चले जाते है…तुम पर हमारा अधिकार ही क्या है….

भाभी..आप बड़े खराब है पिताजी…आपने छुप कर हमारी बातें सुन ली….
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05-31-2019, 12:06 PM,
#37
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर…नहीं बेटी छुप कर नहीं…बाहर तक आवाज़ आ रही थी…

भाभी…क्या आवाज़ आ रही थी…पिताजी…..

ससुर….अरे अब क्या बताऊ…कि ससुर ने उसने लता की उसका क्या हाल कर दी है…….

भाभी….पिताजी आपने ये सब सुन लिया क्या….

ससुर…हाँ बेटी जब आवाज़ आ रही थी तो सुनना ही पड़ा….

भाभी…पिताजी…आपको शरम भी नहीं आई ऐसी बाते सुनते हुए….

ससुर…बेटी…में तो शिरफ़ सुन ही रहा था…बाते तो तुम दोनो ही कर रही थी…

भाभी…ने शरमा कर अपने मुँह को हाथों से छुपा लिया….पिताजी आप तो बड़े खराब निकले…सब सुन लिया…..आपको बुरा नहीं लगा…पिताजी….

ससुर…इसमें बुरा लगने की कोन्सि बात थी…पर अब बुरा लग रहा है…कि हमारी बहू…हमे अपने पेट की सही तरह से मालिश भी नहीं करने दे रही है…….

भाभी…पर पिताजी हमें शर्म आ रही है…हम क्या करे…..

ससुर…ठीक है बहू…हम बाहर चले जाते है…हम ने तो सोचा था कि हमारी बेटी भी हमें वैसे ही अपना समझती है जैसे लता अपनी ससुर को मानती है…..ऑर ससुर जी उठने लगे…….

भाभी…ये जान कर कि ससुर जी को बहुत दुख हुआ है….ऑर कहीं सच मूच ना चले जाए तो सारे प्लान पर पानी फिर जाएगा…..एक दम से बोली…नही नहीं..पिताजी…आप ना जाओ…हम तो आपकी उस लता से ज़्यादा सेवा करना चहते है…पर हमे शर्म आ रही थी…लो हम कुछ नही बोलेंगे…आप जो चाहे कर ले……

ससुर…जो चाहे…..ऑर हन्स पड़े….

भाभी…झेंप कर हमारा वो मतलब नहीं था…पिताजी…हम तो…वो….

ससुर …हम तो क्या बेटी….

भाभी…पिताजी…हम तो वो नाडा ढीला करने की बात….कहकर भाभी ने अपने मुँह पर दोनो हाथ रख लिए….

ससुर…हम जानते हैं बेटी…तुम हमारा कितना ख़याल रखती हो…हम ये भी जानते है बेटी कि तुम हमारी हर इच्छा….पूरी भी करना चाहती हो…लता से भी ज़्यादा…..ससुर ने बात को कुछ ज़्यादा ही सॉफ करते हुए कह ही दिया….

भाभी…हाँ ये तो है पिताजी…लता की बातों की याद करके ऑर फिर ससुर के लंड को अपने कुल्हों पर रगड़ने से भाभी की चूत भी पानी छोड़ रही थी….


अब ससुर जी को पूरा यकीन हो चुका था कि उसकी बहू भी गर्म हो चुकी है ऑर चुदने को तय्यार है….वे इस खूबसूरत मौके को भला कैसे छोड़ने वाले थे उन्होने भाभी के पेटिकोट का नाडा खोल दिया ऑर साड़ी ऑर पेटिकोट को थोड़ा नीचे खिसका दिया….भाभी के सरीर में चीटियाँ दौड़ने लगी थी…उनकी चूत अब ऑर ज़्यादा पानी छोड़ने लगी थी उधर ससुर जी का लंड भी अब ऑर बैचेन हो चला था….बरसों की तमन्ना आज पूरी होने जा रही थी…सारी ऑर पेटिकोट को थोड़ा नीचे करते ही ससुर जी के होश उड़ गये….अब उन्हें भाभी की चूत के उपरी हिस्से के झान्टो के छोटे छोटे बाल जो नज़र आ गये थे….उनके लंड ने सलामी दी…ऑर बहू के चुतड़ों से टकरा गया…..बहू के मुँह से आहह निकल ही गया….

ससुर…क्या हुआ बहू…..

भाभी…शरमाते हुए….कुछ नहीं पिताजी…आपका वो हमे चुभ रहा है….

ससुर…हमारा वो…वो क्या बेटी…

भाभी.. आप बड़े बेशर्म होते जा रहे है…पिताजी..भला हम कैसे कहे….

ससुर…बेटी जब तुम हमे नहीं बताओगी तो हमे कैसे पता चलेगा कि हमारा क्या आपको परेशान कर रहा है….

भाभी…आप तो बड़े ही वो है…जाओ हम आपसे नहीं बोलते….

ससुर…अरे नहीं…बेटी नाराज़ ना हो पर बताओ तो सही…ऑर ससुर जी ने बहू की चूत का उपरी बालों वाला हिस्सा छू ही लिया….

भाभी…..आआआआआअहहुउऊउउस्स्स्स्स्सिईई ये क्या कर रहे हैं पिताजी…आआअहह हमे कुछ हो रहा है….

ससुर …ठीक है बेटी…हम सब ठीक कर देते है…ऑर उन्होने भाभी की साड़ी ऑर पेटिकोट को ऑर नीचे कर दिया……जिससे बहू की गीली पैंटी ही उनके निचले हिस्से पर रह गई… थी….ऑर भारी-भारी जांघों के बीच उभरी हुई पैंटी के नीचे चूत…..ससुर जी की हालत खराब हो गई….

भाभी…ये आपने क्या किया पिताजी…हमे नंगा ही कर दिया…हम तो आपकी बेटी के समान हैं..ये आपने क्या किया….

ससुर…हैं बेटी…तुम हमारी बेटी के समान ही हो…इसीलिए तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि बेटी के दर्द पीड़ा का ध्यान भी रखे…अब हम खुल कर मालिश कर सकेंगे…ऑर कपड़े भी खराब नहीं होंगे….

भाभी…हैं ये तो ठीक है…पर पिताजी…आपने तो हमे नंगा ही कर दिया….

ससुर…अभी नंगा कहाँ किया है बेटी…तुम्हारी ये पैंटी तो बहुत सुंदर है…इसके नीचे किया छुपा रखा है…बड़ी ही मेजेदार खुसबू आ रही है….

भाभी…आप तो बड़े खराब है…पिताजी…हमे नंगा कर दिया…ऑर अब….

ससुर…बेटी यदि हम तुम्हारा ध्यान नहीं रखेंगे तो लोग क्या कहेंगे…कि बहू को दर्द हो रहा था…ऑर हम ने ध्यान भी नहीं रक्खा….ससुर जी भाभी की गोरी चिट्टी जांघों को देखते ही पागल से हो उठे थे….

भाभी…आँखें खोल कर …क्या देख रहे है पिताजी…
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05-31-2019, 12:06 PM,
#38
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर देखा रहा हूँ कि हमारी बहू कितनी सुंदर है…भगवान ने अपने हाथो से बनाया होगा….ऑर तुम्हारी पैंटी की ख़ूसबू तो गजब ही ढा रही है…

भाभी…. दर्द तो उपर है…पिताजी…पर आप तो नीचे के दर्द पर पहुँच गये…पहले उपर का दर्द तो कम हो जाए…पिताजी….

ससुर होश में आते हुए…हैं ये तो में भूल ही गया था….ऑर ससुर ने भाभी के ब्लाउज को उपर करना शुरू कर दिया….

भाभी…अब ये क्या कर रहे है…पिताजी….

ससुर…बेटी पहले उपर का दर्द दूर करने की सोच रहा हूँ…कहीं इस ब्लाउज पर भी तेल ना लग जाए इसी लिए ऐसे भी उपर कर रहा हूँ…पर तुम्हारी तो बड़ी भारी भारी है…..ये उपर नहीं हो रहा है…लगता है इसे भी उतारना ही पड़ेगा .…..

भाभी…अब क्या हुमारा ब्लाउज भी उतार देंगे पिताजी….फिर तो हम बिल्कुल नंगे ही हो .…..

ससुर…पर बेटी…ऑर कोई चारा भी तो नहीं है….पहले उपर के दर्द को दूर जो करना है….ऑर फिर हमारी बेटी जैसी बहू ये ना कहे कि हम ने उसका पूरा ध्यान नहीं रक्खा…..

भाभी…हैं ये तो है..पिताजी..पर हमारा ब्लाउस…

ससुर…तुम आराम से लेटी रहो बहू…में खुद ही देख लूँगा….ऑर ससुर जी ने भाभी के ब्लाउस की हुक खोल दी….

भाभी…आअहह हाई राम आपने तो हमें पूरा ही नंगा कर दिया पिताजी…हमे तो बड़ी शर्म आ रही है…अब हम क्या करें….

ससुर…बस बेटी…आज हमे सेवा करने दो बाद में तो तुम ही हमारी सेवा करोगी….ऑर ये कहकर ससुर जी ने भाभी के ब्लाउस को उसके सरीर से अलग कर दिया….भाभी ने अपना चेहरा अपने हाथों में छुपा लिया….ऑर ससुर जी के हाथ बहू के सरीर पर घूमने लगे…ससुर का बुरा हाल हो रहा था…कि इतना कीमती माल उनके घर में ही था….ऑर दो साल से वे इसे देख ही नहीं सके…..

भाभी…का भी हाल अब ऑर खराब होने लगा था….पिताजी…दर्द तो अब ऑर बढ़ने लगा है….आपने तो ना जाने हमे क्या कर दिया है….आआअहह ससुर जी के हाथों के स्पर्श से भाभी की सिसकारी निकल गयी…..

ससुर…क्या हुआ बेटी…आज आपने सुबह हमें दूध भी नहीं पिलाया था…शायद इसीलिए आज तुम्हारे इतना तेज दर्द हो गया है…..

भाभी…हैं ये हो सकता है…पिताजी…में अभी ले आती हूँ….

ससुर….बस अब तो हम खुद ही पी लेंगे बेटी…तुम बस आराम करो…..
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05-31-2019, 12:07 PM,
#39
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर के हाथ भाभी के शरीर पर घूम ज़रूर रहे थे पर उनका ध्यान तो भाभी के सुंदर सुडोल…गोरे.चिट्टे आकर्षक शरीर पर घूम रहा था…वे अब अपने आप को बड़ी मुश्किल से रोके हुए थे…भाभी भी अपने मुँह को अपने हाथों से छुपाए हुए मंद मंद सिसकारी भर रही थी…मगर अचानक ही……ससुर भाभी के ऊपर आ गये ऑर भाभी के शरीर को बेतहासा चूमने लगे….भाभी कसमसा रही थी…ऑर ससुर उसके पूरे शरीर को चूमने चाटने लगे थे…..

भाभी…पिताजी ये आप क्या कर रहे है…में आपकी बहू हूँ…प्लीज़ मेरे साथ ऐसा ना करें पर कोई विरोध भी नहीं कर रही थी…पर अब ससुर कहाँ रुकने वाले थे….उनके चूमने की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी…इस अचानक हमले से भाभी भी सम्भल नहीं पाई थी…ऑर शायद उसने पहले से ही इसके लिए अपने आप को तैयार कर लिया था….पर वो मात्र दिखाने के लिए कसमसा रही थी ऑर अपने को छुड़ाने का कोई भी प्रयास नहीं कर रही थी….

भाभी…पिताजी प्लीज़ हमारे साथ ऐसा ना कीजिए….हम तो आपकी बहू है…

ससुर…हाँ बेटी तुम हमारी बहू ही हो…पर तुम्हारे इस सुंदर गठीले शरीर पर कुछ तो हक़ हमारा भी है….आज तो हमें भी इसकी सेवा करने दो….

भाभी…पर ये तो पाप है पिताजी….

ससुर…एक औरत ऑर मर्द जब मिलते है तो ये पाप नहीं पुण्य बन जाता है….क्या तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है बेटी…..क्या तुम्हें ये अच्छा नहीं लग रहा है…यदि तुम्हे बुरा लग रहा है तो हम एक ओर हट जाते है….

भाभी…नहीं नहीं पिताजी अच्छा तो लग रहा है…पर ये तो पाप है…हम आपको अलग हटने के लिए कब कह रहे है….

ससुर जान गये…कि अब बहू चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है…इस लिए उन्होने जल्दी ही भाभी की ब्रा भी उतार फैकि…ऑर भाभी की भारी भारी….सुडोल चुचियों से खेलने लगे ऑर एक चुचि के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे थे…..भाभी की सिसकार बढ़ गयी…आआआहहीीइसस्स्स्स्स्सुउुुुुुआाहह पिताजी….आअप तो वास्तव में दूध पीने लगे…आअहह थोड़ा धीरे से पिताजी….हमें दर्द होता है…..ऑर ससुर जी बहू की चुचियों से प्यार से खेलते हुए उन्हें चाटने चूमने लगे….उन्होने तो कल्पना भी नहीं की थी…कि उनकी बहू इतनी सुदर गठीले बदन की होगी…..वे बारी बारी से दोनों चुचियों को चूम चाट रहे थे….ऑर भाभी का हाल बहुत खराब हो चुका था……

भाभी…पिताजी आपने हमें तो पूरा नंगा कर दिया है….ऑर खुद….????

ससुर -अभी पूरा नंगा कहाँ किया है बेटी…अभी तो पैंटी पहने हो तुम….

भाभी…तो क्या पैंटी भी उतारोगे पिताजी…पर आपने तो कोई भी कपड़ा नही उतारा है…..

ससुर…हैं बेटी अब पैंटी भी उतारनी पड़ेगी…वर्ना हम उस पवित्र जल को कैसे पीएँगे जो तुम्हारी चूत से बह रहा है…..ससुर ने पहली बार चूत शब्द का इस्तेमाल किया था….

भाभी….प्लीज़ पिताजी…हमारी पैंटी मत उतारना….फिर तो हम बिल्कुल ही नंगी हो जाएँगे…..हमें तो सोच कर ही ना जाने क्या हो रहा है….

ससुर ने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए जब भाभी ने आँखे खूल कर देखा तो वो चोंक गयी ससुर जी का लंड उसकी उम्मीद से कही बड़ा था…वो घबरा गई…कि कही पिता जी ने इससे उसकी चूत में डाल दिया तो वो तो बिल्कुल फट ही जाएगी…..उसका शरीर काँप गया….

ससुर…क्या हुआ बहू….तुम ही तो कह रही थी…कि हमने आपने कपड़े नहीं उतारे है ये लो अब हम तो बिल्कुल नंगे हो गये है पर तुम अभी भी पूरी नंगी नहीं हो…..पर भाभी तो ससुर जी के लंड को ही देख रही थी…कितना बड़ा ऑर मोटा था….इसको कोई औरत कैसे झेल सकती है….

ससुर…क्या देख रही हो बहू….

भाभी…पिताजी…आपका ये कितना बड़ा ऑर मोटा है….इसे कोई औरत कैसे झेल सकती है….प्लीज़ पिताजी…मुझे बहुत डर लग रहा है…आप फिर से कपड़े पहन लो….मेने तो इतना भारी देखा तो नहीं पर सुना भी नहीं है….

ससुर…डरो नहीं बेटी…कुछ नहीं होगा…तुमने देखा था ना वो मोटा लंबा साँप उस बारीक से छेद में कैसे घुस गया था…इसी तरह से ये भी अपनी जगह बना लेगा….तुम्हे कोई परेशानी नहीं होगी…

भाभी तो क्या पिताजी….आप ऐसे हमारी इसमें डालेंगे….भाभी ने डरते हुए कहा…..

तब तक ससुर ने भाभी की पैंटी को भाभी के शरीर से अलग कर दिया…ऑर भाभी ने भी भारी चूतड़ ऊपर को किए जिससे वो आसानी से निकल गयी….

भाभी…पिताजी ये आपने क्या किया…हमारी पैंटी भी उतार दी…हमें पूरा ही नंगा कर दिया है…ऑर अपने हाथों से अपनी चूत को छुपाने का प्रयास करने लगी…….

ससुर…तो क्या हुआ बेटी…हम भी तो पूरी तरह से नंगे हो चुके है….

भाभी…पिताजी आप को तो शर्म नहीं आती है…पर हमें तो शर्म आ रही है….ऑर आपने लाइट भी बंद नहीं की है…इस तरह से तो हमारे साथ कभी उन्होने भी नहीं किया…वो भी पहले लाइट तो बंद कर ही देते थे…

ससुर…आरे बेटी…इतने सुंदर शरीर को कोई भला अंधेरे में कैसे निहार सकता है…वो तो बेवकूफ़ है…जिसने इस सुंदर,सुडोल ऑर मांसल काया का आसली मज़ा ही नहीं लिया है…पर में तो अंग अंग निहरना चाहता हूँ बेटी….

भाभी…क्या हम वास्तव में सुंदर है पिताजी….

ससुर- हां बेटी तुम बहुत सुंदर हो…तुम्हारा अंग अंग महक रहा है…मन कर रहा है..तुम्हारा अंग अंग पी जाऊ…..

भाभी…वो कैसे पीओगे पीताजी…..

ससुर…तुरंत बहू के ऊपर फिर से आ गये ऑर बहू के रसीले होंठो को चूमने लगे उन्हें अपने मुँह में भर लिया…ऑर रसमलाई की तरह से चूसने लगे….बहू भी मस्ती में होंठ चुसवाती रही…ऑर अचानक अपनी जीभ ससुर जी के मुँह में डाल दी…अब क्या था…ससुर जी आइसक्रीम की तरह से जीभ को पीने लगे थे….कुछ देर तक ऐसे ही होंठ ऑर जीभ पीने के बाद ससुर जी बहू की गर्दन को चूमने लगे….

जब ससुर जी ने बहू के इयर्स (कान) को चूमा तो बहू सिहर उठी….ससुर जी ने तुरंत बहू के कान के पीछे का हिस्सा चूमना शुरू कर दिया…वो चुदाई के एक माहिर खिलाड़ी थे…वो जाने थे कि औरत के खास अंग कोन्से होते है….थोड़े देर के बाद ससुर जी फिर से होंठो को चूम कर भाभी की चुचियों को मसल मसल कर चूसने लगे थे….भाभी की सिसकारियाँ अब तेज हो चली थी…वो लगातार सिसिया रही थी….उूुउउम्म्म्ममम ईईईईआआआआईईईइसीईईउउुुउउम्म्म्ममममहाआाआऊओंम्म्ममह…..भाभी की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था….ससुर जी का भारीभरकम गधे का लंड कई बार उनकी चूत पे हल्की चोट कर चुका था…ऑर भाभी के मुँह से आआहह निकल कर रह जाती थी…भाभी इतनी गर्म हो चुकी थी,,,कि उनकी चूत किसी भी पल अपना पूरा पानी छोड़ सकती थी….या यूँ कहूँ कि भाभी आज सातवे आसमान पे थी…वो आज पूरा आनंद ले रही थी….
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05-31-2019, 12:07 PM,
#40
RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
अब ससुर ने भाभी की चुचियों को मसल्ते हुए…भाभी की नाभि (सूंड़ी) और पेट को चूमना चाटना शुरू कर दिया था… कि भाभी का शरीर ऐंठने लगा ऑर उनके मुँह से लंबी आआआहहुउऊुुुुउउम्म्म्ममममममममीईईइससस्स्सिईईईई की आवाज़ निकली ऑर ससुर जी के सिर को पकड़ कर अपनी चुचियों पर दबा दिया….ससुर समझ गये कि उनकी बहू पानी छोड़ रही है……कुछ देर के बाद…..

ससुर….क्या हुआ बहू….

भाभी…अपनी ज़ोर से बंद आँखों को ज़ोर देकर खोलते हुए….हल्की सी मुस्कान के साथ….हमें तो आपने खाली ही कर दिया पिताजी….

ससुर….अभी से खाली हो गयी बहू….अभी तो रात बाकी है…फिर क्या करोगी बेटी….अभी तो कई बार खाली होना है……

भाभी…तो क्या पिताजी…आप रात भर ही….हमें यूँ ही….क्या आज पूरा ही दर्द हटाने की ठान ली है पिताजी….में तो मर जाउन्गी…..उन्होने तो रात में बस एक बार ही किया है…फिर सो जाते है….आप भी ऐसे ही करो ना पिताजी………

ससुर….अभी तो मेने कुछ किया ही नहीं है बेटी….अभी तो इस रुपहले बदन के अंग अंग को चूसना है….बरसों की प्यास बुझानी है….

भाभी…क्यूँ पीताजी…क्या मम्मी जी…आपकी प्यास नहीं बुझती है…

ससुर…अरे छोड़ो उस बुढ़िया को…जहाँ लगाया बस रोने लगी…कभी भी जी भरकर कुछ करने ही नहीं दिया…चीखने चिल्लाने लगती है….में तो प्यासा का प्यासा ही हूँ ऑर फिर उस पर ये सुंदर बदन जैसे कोई अप्सरा आसमान से आज शिरफ़ मेरे लिए उतरी हो तो भला…में आज रात को सोने में कैसे खो सकता हूँ….आज तो रातभर इस रसीले बदन की मदिरा पीउंगा….ऑर इसी के नशे में पूरा मज़ा लूँगा……

भाभी…मुस्कुराती हुई…तो क्या हम अप्सरा है…पिता जी…

ससुर…अरे उस से भी बढ़कर….जो नशा तुम्हारे इस बदन में है…वो तो कई बोतल पीने में भी नहीं है…ऑर ये कहकर ससुर जी…भाभी की चुचियों को फिर से मसल मसल कर पीने लगे….उसके बाद भाभी के पेट ऑर नाभि को चाटने लगे….जैसे वहाँ पर आइसक्रीम लगी हो….ससुर जी का लंड आपे से बाहर होने लगा था.. ऑर बार बार बहू की चुत पर ठोकर मार रहा था.. इस पर भाभी फिर से आआआअहह के साथ सिसक उठती थी….

ससुर…बेटी…तुम भी तो ज़रा इस लंड को अपने हाथों से सहलाओ ना….अब रहा नहीं जा रहा है…ये बड़ा दर्द कर रहा है….

भाभी…मुझे तो शर्म आती है पिताजी..मेने तो कभी उनका भी नहीं पकड़ा है…फिर आपका ये तो मेरे हाथों में आएगा कहाँ….इसको पकड़ने के लिए तो मुझे दोनो हाथो का इस्तेमाल करना पड़ेगा…..

ससुर…लो ऐसा करता हूँ बेटी कि में थोड़ी देर तुम्हारी चूत के रस का आनंद लेता हों…तुम तबतक ज़रा इस लंड से खेलो…बड़ा मज़ा आएगा….ऑर ससुर जी उठकर 69 पोज़िशन में आ गये….ऑर बहू की दोनो टाँगे ऊपर को उठाकर उसकी चूत पर मुँह रख दिया…..उूुुुउउईईएइससस्स्सिईईय्ाआआआहह की सिसकार के साथ बहू सिसक उठी…आआआअहह पिताजी….में तो आज मर ही जाउन्गी…..ये आप क्या कर रहे है….आआआहह….उूुुउउईईईइससस्स्स्स्स्सिईइ

ससुर…कुछ नहीं बेटी…बस तुम्हारी इस डबलरोटी की तरह से फूली हुई रसीली चूत के पानी का आनंद लेना चाहता हूँ…

भाभी सोचने लगी…कि चलो पति का तो कभी नहीं चूसा आज ससुर जी का चूस कर देखती हूँ शायद ससुरजी सच कह रहे हो ऑर वे भी तो मेरी चूत को मस्ती में चूस रहे है…ज़रूर कुछ मजेदार है….ये सोचकर भाभी ने लंड को अपने मुँह पर किया ऑर उसे मुँह में लेने की कोशिस करने लगी…अपना पूरा मुँह खोलकर भी वो सुपाडे को मुँह में नहीं ले सकी….हे भगवान…कितना मोटा है…मुँह में भी नहीं आता है…पर भाभी हिम्मतनहीं हारी ऑर ससुर जी के लंड के सुपाडे को जीभ बाहर निकाल कर चाटने लगी…


.वास्तव में भाभी को लंड का सुपाडा चाटना अब अच्छा लग रहा था….वे मदहोश होकेर ससुर के लंड के सुपाडे को चाटती रही…इस पर ससुर जी भी जोश में आ गये ऑर अपनी जीभ बहू की चूत में अंदर तक घुसा दी….आआआहहुउऊउईईईईईईईइससस्स्स्सिईईईीकि आह बहू के मुँह से निकल गई ऑर वे ऑर फुर्ती से लंड के सुपाडे को चाटने लगी….ससुर के लंड का सुपाडा फूलकर ऑर मोटा हो गया था……गुलाबी गुलाबी सुपाडे को चुस्ती हुई भाभी…मस्ती मे फिर सातवें आसमान पर थी…..ऑर ससुर जी की जीभ बहू की चूत को अंदर तक चोद रही थी…..जब ससुर जी की जीभ बहू के क्लिट को रगड़ती थी…तो उसके मुँह से आआअहह निकल जाती थी…..अब भाभी भी मस्त होकर ससुर जी के लंड के सुपाडे को चाट रही थी…वो इतना मोटा था कि उसके मुँह में नहीं जा रहा था….बस गुलाबी सुपाडे ऑर प्रिगुं को जीभ से चाट चाट कर मज़ा ले रही थी….

.एक बार फिर भाभी का शरीर अकेड़ने लगा था….उसकी चूत में अंदर भरे समुंदर की लहरे तेज हो चली थी…..उसके कराहने ऑर सिसकारियों की आवाज़े तेज हो गयी थी….उूुुउउम्म्म्मममाआआहहुउऊुउउईईईईईआऐईएईईईईीीइसस्स्स्सिईय्ाआआहपिताजी आआआहह ऊऊऊम्म्म्मममम्मूऊऊुुउऊहह के साथ भाभी की आँखें एक बार फिर बंद हो गयी…ज़ोर से बंद आँखें ऑर सिसकियों की लंबी आवाज़ …….आआआआआअहह की लंबी आवाज़…..के साथ भाभी के चुतड़ों ने एक झटका लिया ऑर भरे समुंदर की भारी लहर का पानी ससुर जी के मुँह में उडेल दिया…..जिसको ससुर जी गटागट पीने लगे…..आआअहह क्या स्वादिष्ट है इसके सामने तो सारी दुनिया का स्वाद फीका था…..कुछ देर तक बहू शांत रही…ऑर ससुर जी चूत पीने में मस्त…..जब भाभी स्वर्ग से लौट कर आई तो उसके ससुर उसकी चूत की आइस्क्रीम को उूुुुुउउम्म्म्ममाआआअहह के साथ चाट चाट कर पी रहे थे….उनका लंड झटके पे झटके मार मार कर अखाड़े में उतरने की कोशिश कर रहा था…..ससुर जी ने भाभी की चूत को पूरी तरह से सॉफ कर फिर से सीधे होकर बहू के उपर आ गये ऑर भाभी के मुलायम नाज़ुक रसीले होंठो को पीने लगे…

ससुर जी बहू के मुलायम नाज़ुक रसीली होंठ चूम रहे थे….फिर उन्होने अपनी जीभ बहू के मुँह में डाल दी…..भाभी एक बार फिर मस्त होते हुए ससुरजी की जीभ को चूसने लगी थी…..कुछ देर तक यूँ ही चूसने के बाद…ससुर जी ने भाभी की गर्दन चूमनी चाटनी शुरू कर दी…आज तो वो बहू के हर अंग को चाट चाट कर पूरा स्वाद लेना चहते थे…..उन्होने बहू के कानो के पिछले हिस्से ऑर कानो में भी जीभ घुसा दी…..

भाभी…मूमयाते हुए,,,,आआओउउउईएइसीईयी पिताजी क्या आज कोई छेद छोड़ेंगे भी कि नहीं….

ससुर…बेटी तुम्हारा हर छेद है ही इतना सुंदर ऑर स्वादिष्ट कि कैसे छोड़ दूं मन तो कर रहा हैं आज तो तुम्हे घोल कर ही पी जाऊ….आआआहह क्या बदन है तुम्हारा बहू….बिल्कुल सुगंधित फूलों का दस्ता है…..जितना चूमता ऑर चाट्ता हूँ उतनी ही प्यास बढ़ जाती है…ऑर ज़्यादा स्वादिष्ट हो जाता है…..

भाभी…तो पी लीजिए ना…किसने रोका है….ऑर मुस्कुरा दी…
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