Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
01-07-2021, 01:23 PM,
#51
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
राम- मैंने पंजाब में तो नहीं किया कुछ। पर हमारे गाँव में मैंने 12 को भोगा है। जिसमें लड़कियां और भाभियां भी है।

रूबी हैरान होते हुए- “बाप रे... तुमने इतनी लड़कियों से बंध बनाए?

रामू- हाँ। और आज भी जब घर जाता है तो वो दुबारा चुदवाती हैं।

रूबी- इसका मतलब तुम पक्के खिलाड़ी निकले।

राम- आजमा के देख लो।

रूबी- लड़कियां तो मान ली, पर शादीशुदा क्यों? उनके पति भी कही दूर काम करते हैं क्या?

राम- नहीं रूबी जी। उन्हें मेरा पसंद है।

रूबी- तुम्हें कैसे पता?

रामू- वो बार-बार मेरे पास इसीलिए आती है क्योंकी उनके पति उनको संतुष्ट नहीं कर पाते। अगर वो संबंध बनाते हैं तो जल्दी झड़ जाते है 5 मिनट में।

रूबी सोचती है- “लखविंदर भी तो इतना ही टाइम निकाल पता है, तो क्या रामू ज्यादा टाइम निकालता होगा?"

रामू- रूबी जी सच में आप एक बार मुझे मौका दो, आपको निराश नहीं करूंगा। सच में आपकी चूत को अभी तक 5" इंच की आदत होगी। जब मेरा 9" इंच का आपके चूत में जाएगा तब आप पूरी कली से फूल बन जाओगी।

रूबी को अपने कानों पे विश्वाश नहीं होता, जो उसने सुना था। क्या किसी आदमी का 9" इंच का भी हो सकता है? जब लखविंदर का 5" इंच चूत के अंदर गया था तो काफी दर्द हुआ था। अब 9" इंच का उसकी छोटी सी चूत कैसे झेल पाएगी?

दोनों थोड़ी सी और बातें करते हैं। दोनों को एक बात तो पूरी तरह समझ में आ गई थी की दोनों मिलने के लिए तैयार हैं पर टाइम देखना पड़ेगा।

रामू खुश था की आखीरकार, इतना तो पक्का है के रूबी चुदवाने से मना नहीं कर रही। पर बड़ी मालेकिन के कारण अभी उसे खुद भी कंट्रोल करना पड़ेगा। क्योंकी बड़ी मालेकिन के घर में होते हुए रूबी चुदवाने का रिस्क नहीं लेगी। रामू के मन में यह सोचते हए लड्डू फूट रहे थे की उसके लण्ड को पंजाबन जट्टी की टाइट चूत मिलने वाली है। रामू सोच रहा था की रूबी के चूतर कितने विशाल हैं। जब वो चलती है तो दोनों चूतर आपस में रगड़ खाते हैं।

लखविंदर के 5 इंच के लण्ड से रूबी की अंदर की आग शांत कैसे हो पाई होगी? इतनी मोटी गाण्ड के लिए तो उसके जैसे मोटा 9" इंच का लण्ड ही काबू कर सकता है। उसने सोच लिया की जब रूबी उससे पहली बार चुदवाएगी तो वो उसे अच्छी तरह संतुष्ट करेगा। जिससे अगली बार वो खुद उससे चुदवाने को आए। रामू आँखें बंद किए रूबी की टाइट चूत की कल्पना करने लगा और अपने लण्ड को हाथ में लेकर मसलने लगा।
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01-07-2021, 01:23 PM,
#52
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
उधर रूबी भी पैंटी में हाथ डालकर अपनी चूत का जायजा लेने लगी और सोचने लगी की इतनी छोटी सी चूत में रामू का कैसे झेल पायेगी? साथ ही साथ वो रामू के 9" इंच के लण्ड को इमेजिन करने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। रूबी रामू के लण्ड को सोचते-सोचते अपनी चूत की आग ठंडी करने लगी। कुछ देर बाद दोनों को नींद आने लगी और कल एक दूसरे को मिलने का वादा करके सो गये।

रामू अगले दिन सफाई के टाइम पे घर में आ जाता है।

कमलजीत- रामू तू क्यों आया? ठीक हो गया क्या?

राम- हाँ जी बीवीजी। हम ठीक हैं अब।

कमलजीत- अच्छा। देख ना इधर तुम बीमार पड़ गये तो रूबी भी मायके से वापिस आ गई, मेरा हाथ बटाने के लिए। चल अच्छा है अब तू ठीक है तो।

कमलजीत रूबी को आवाज लगाती है और रामू से काम करवाने को बोलती है। काम का तो बहाना था। असल में रूबी और राम तो मिलना चाहते थे। रूबी के दिमाग में था की पता नहीं रामू आज क्या करेगा? दिल तो उसका कर रहा था की रामू उसके होंठों का रस पिए और उभारों को निचोड़ डाले। पर उसे अपनी औरत की मर्यादा का उलंघन नहीं करना था। जो भी करना था राम को ही करना था। वो तो बस उसका मजा लेना चाहती थी। रूबी अपने कमरे से बाहर आती है और रामू से नजरें मिलती है। उसे कल की रामू से की हुए बातें याद आती है और शर्मा जाती है।

राम रूबी को देखता ही रहता है। आखीरकार, इस हसीना को भोगने का मौका काब मिलेगा। मिलेगा तो जरूर बस सबर रखना होगा। जब तक वो दोनों अकेले घर में नहीं होंगे, तब तक तो मुश्किल है।

इधर रूबी राम को काम समझाकर खुद भी जानबूझ के अपने आप को काम में बिजी कर लेती है। उसे लगता है की अगर वो फ्री रही तो कहीं मम्मीजी उसको अपने से बातें करने को ना बुला लें। अगर वो अपने आपको बिजी शो करेगी तो मम्मीजी कभी ना कभी उन दोनों को अकेला छोड़ सकती है। इसलिये रूबी जानबूझ कर अपने कमरे में समान को इधर-उधर करने लगती है।
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01-07-2021, 01:23 PM,
#53
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
इधर रूबी राम को काम समझाकर खुद भी जानबूझ के अपने आप को काम में बिजी कर लेती है। उसे लगता है की अगर वो फ्री रही तो कहीं मम्मीजी उसको अपने से बातें करने को ना बुला लें। अगर वो अपने आपको बिजी शो करेगी तो मम्मीजी कभी ना कभी उन दोनों को अकेला छोड़ सकती है। इसलिये रूबी जानबूझ कर अपने कमरे में समान को इधर-उधर करने लगती है।

रामू का ध्यान अपने काम में कम और किचेन की तरफ ज्यादा था, जहां पे कमलजीत अपना काम कर रही थी। ना जाने कब कमलजीत उसे मौका देगी रूबी से मिलने का? किचेन का काम खतम करने के बाद आखीरकार, उन दोनों को मौका मिलता है।

कमलजीत- रूबी क्या कर रही हो?

रूबी- कुछ नहीं मम्मीजी, बस कमरे का समान ठीक से रख रही हूँ।

कमलजीत- अच्छा जब फ्री हो गई तो आ जाना। मैं बाहर बैठकर अखबार पढ़ने लगी हैं

रूबी- ठीक है मम्मीजी।

आखीरकार, कमलजीत घर के बाहर बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ने लगती है। कमलजीत के जाने के बाद रूबी अब इंतेजार करती है की कब राम उसकी तरफ बढ़ेगा। अपने आपको काम में बिजी शो करती है।

इधर रामू से ज्यादा इंतेजार नहीं होता और कमलजीत के बाहर जाते ही एक-दो मिनट में वो रूबी के कमरे की तरफ दबे पैर बढ़ता है और रूबी के कमरे में दाखिल होता है। रूबी का ध्यान उसकी तरफ ही था और उसे राम के अपने कमरे में दाखिल होने की आहट हो जाती है। राम कुछ देर रूबी को काम करते देखता रहता है। इधर रूबी समझ नहीं पा रही थी के राम अब आगे क्यों नहीं बढ़ रहा। और तभी।

रामू- रूबी जी।

रामू के मुँह से अपना नाम सुनकर रूबी की सांस गले में ही अटक जाती हैं। उधर रामू रूबी के पीछे खड़ा हो जाता है। उन दोनों में बस थोड़ा सा ही फासला होगा।

रामू- रूबी जी।

रूबी को कल की हुई बातें याद आती हैं, और वो रामू का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। उसे शर्म आ रही होती है की कैसे उसने कल उत्तेजित होकर चुदवाने और लण्ड की बातें की थी। रूबी का कोई रेस्पान्स नहीं मिलता देखकर रामू आगे बढ़कर रूबी का हाथ थाम लेता है और उसको अपनी तरफ खींचता है। इस खींचतान में रूबी रामू के बिल्कुल आमने सामने खड़ी हो जाती है। हालांकी उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया हुआ था। रामू समझ जाता है की रूबी शर्मा रही है।

रामू रूबी के चेहरे को थोड़ा ऊपर करता है। रामू इस हसीन चेहरे को देखता ही रह गया। कितना खूबसूरत चेहरा है रूबी का। मोटी आँखें, गुलाबी होंठ। जिनका रामू ने उस दिन रस पिया था। आज वो होंठ उसे फिर से इन्वाइट कर रहे थे। राम आगे बढ़ता है और अपने होंठ रूबी के होंठों पे रखने का प्रयास करता है। तभी रूबी पीछे हट जाती है।

रामू- क्या हुआ रूबी जी?

रूबी कुछ नहीं बोलती बस शर्माकर अपना चेहरे नीचे को ही रखती है।

रामू- कुछ तो बोलिए रूबी जी। उस दिन भी तो हमने किया था, आपको अच्छा नहीं लगा था क्या?

रूबी- नहीं रामू तुमने वादा किया था की मेरी मर्जी के बिना कुछ नहीं करोगे।

रामू- “रूबी जी वो तो चोदने की बात की थी... और रामू जानबूझ के चोदने जैसे शब्द इश्तेमाल करता है। जिससे रूबी धीरे-धीरे उसके साथ खुलना शुरू हो जाए।

उधर रूबी चोदने वाला शब्द सुनकर शर्म से पानी-पानी हो जाती है।

राम- अगर आपको डर है की हम अपने ऊपर काबू नहीं कर पाएंगे तो हम आपकी कसम खाकर बोलते हैं आपको दिक्कत नहीं होने देंगे कोई भी। आपको मेरी कसम कुछ तो बोलिए?
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01-07-2021, 01:23 PM,
#54
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी नजरें नीचे झुकाए हुए हिम्मत करके धीरे से बस इतना ही बोलती है- "दा-अ-र-वा-जा...

रामू- क्या रूबी जी?

रूबी- रामू दरवाजा।

राम समझ जाता है की रूबी पहले दरवाजा थोड़ा सा बंद करने को बोल रही है। ताकी अगर कमलजीत घर के अंदर आ जाए तो उसकी नजर उन दोनों पे सीधे ना पड़े। राम झट से दरवाजा थोड़ा सा बंद कर देता है। और वापिस आकर रूबी के चेहरे को अपने हाथों में ले लेता है और ऊपर की ओर उठाता है।

इधर रूबी शर्माकर अपनी आँखें बंद कर लेती है और राम के होंठों का इंतेजार करती है। तभी उसे रामू के गरम होंठों का स्पर्श अपने गुलाबी होंठों पे महसूस होता है। रामू अपने होंठ अच्छे से रूबी के होंठों से चिपका देता है। कुछ सेकेंड दोनों ऐसे ही रहते हैं, और फिर रूबी अपने को रामू से अलग करती है और आँखें खोलती है और रामू की आँखों में देखती है।

रामू रूबी की आँखों में देखते हुए- “कैसा लग रहा है मेरी जान को?"

रूबी जान शब्द सुनकर शर्माकर आँखें नीचे कर लेती है। लेकिन रामू फिर से उसके चेहरे को ऊपर करके अपने होंठ दुबारा उसके होंठों में डाल देता है और धीरे-धीरे रूबी के मीठे होंठों का रस पीने लगता है। रूबी भी धीरे-धीरे उसका साथ देने लगती है। रामू का स्पर्श रूबी पे जादू करने लगा था। वो चाहती थी की रामू उसके होंठों को अच्छी तरह चूस ले। रामू रूबी की गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों को प्यार से भोग रहा था। दोनों के जिस्मों में गर्मी बढ़ने लगी थी।

रामू ने धीरे-धीरे अपनी जुबान को रूबी के होंठों के भीतर डाल दिया और रूबी की जुबान से सटा दिया। रूबी रामू के इस कदम से रामू के साथ और खुल गई। दोनों एक दूसरे की लार को भी चाटने लगे थे। अब तो रूबी की झिझक भी धीरे-धीरे खतम होने लगी थी। रामू ने तो उस पे जादू कर दिया था। इधर रामू बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाएं कंट्रोल में कर रहा था। उसका दिल तो कर रहा था की वो अभी इस हसीना को बेड पे लेटा के चोद दे। पर नहीं वो पहले वाली गलती नहीं करेगा। जब तक कमलजीत जा हरदयाल में से कोई एक घर पे है, रूबी को चोदने का जोखिम नहीं ले सकता है।

रूबी की टाइट चूत उसका 9 इंच का लण्ड जल्दी नहीं झेल पाएगी। उसको टाइम लगेगा इसके साइज को अपने अंदर लेने में। और मालेकिन के होते हुए उनके पास टाइम कम था। इधर रूबी को रामू का टाइट लण्ड अपने पेट पे महसूस होता है और वो घबरा जाती है, और रामू से अलग हो जाती है। उसकी नजर रामू के तने हुए पायजामे पे थी। रामू रूबी की इस हरकत पे हैरान रह जाता है। रामू रूबी की हालत समझ जाता है।

राम- रूबी जी क्या हुआ?

रूबी- रामू तुमने कहा था की तुम मेरी मर्जी के वगैर कुछ भी नहीं करोगे।

रामू रूबी की कमर में हाथ डालता है और अपनी तरफ खींचकर कहता है- “अरे मेरी जान मैंने आपकी कसम खाई है। मेरे ऊपर विश्वाश रखो, मैं कुछ नहीं करूंगा। आपकी इज्जत का ख्याल है मुझे..” और फिर से होंठों को रूबी के होंठों में रख देता है और रसपान करने लगता है।

रूबी को राम के दुबारा विश्वाश दिलाने से तसल्ली होती है, और वो भी खुद को राम को समर्पित कर देती है। रामू रूबी के गुलाबी होंठों का भरपूर मजा ले रहा था। रूबी अब और ज्यादा खुलने लगी थी। उसने अपनी बाहें रामू की गर्दन से लपेट ली। रामू रूबी के इस कदम से खुश हो गया। उसे लगा कि यह अच्छा मौका है आगे बढ़ने का और वो अपने एक हाथ को रूबी के चूतड़ों पे ले जाता है और एक चूतर को हथेली में लेकर मसलने लगता है। रूबी रामू के इस वार को सह नहीं पाती और अपने होंठों को राम के होंठों में और धकेलने लगती है। रामू का हाथ रूबी के चूतरों का अच्छे से जायजा ले रहा था।

रूबी की चूत अब पानी छोड़ने लगी थी। रामू के कठोर हाथ रूबी की गाण्ड को अब जोर-जोर से मसलने लगे थे। दोनों बेपरवाही से एक दूसरे का रस पीने में व्यस्त थे। अब रूबी और राम के बीच में से हवा जाने के लिए भी जगह नहीं बची थी। दोनों में से किसी को टाइम का अंदाजा नहीं था। रूबी की चूत में तो मानो आग लगी थी। रूबी अपना कंट्रोल खो देती है और बेतहाशा रामू के होंठों को चूसने लगती है।

रामू अब अपने होंठों को चुसवाने का भरपूर मजा ले रहा था। उसने तो जादू कर दिया था रूबी पे। ऊपर से रूबी होंठों का रस पी रही थी, तो नीचे रामू के हाथ उसके चूतरों पे घूम रहे थे। तभी घर के दरवाजे के खुलने की आवाज आती है। राम रूबी को एक झटके से अपने से अलग करता है।

रूबी रामू की इस हरकत को समझ नहीं पाती। वो तो अपनी चरम सीमा पे पहँचने वाली थी। पर अचानक राम ने खेल को बीच में ही क्यों रोक दिया?
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01-07-2021, 01:23 PM,
#55
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रामू अब अपने होंठों को चुसवाने का भरपूर मजा ले रहा था। उसने तो जादू कर दिया था रूबी पे। ऊपर से रूबी होंठों का रस पी रही थी, तो नीचे रामू के हाथ उसके चूतरों पे घूम रहे थे। तभी घर के दरवाजे के खुलने की आवाज आती है। राम रूबी को एक झटके से अपने से अलग करता है।

रूबी रामू की इस हरकत को समझ नहीं पाती। वो तो अपनी चरम सीमा पे पहँचने वाली थी। पर अचानक राम ने खेल को बीच में ही क्यों रोक दिया?

तभी रामू इशारे से रूबी को कमलजीत के अंदर आने की बात बताता है। रूबी अपने आपको संभालती है और फिर से काम में बिजी होने का नाटक करती है। उधर राम भी जल्दी-जल्दी सफाई करने लगता है। जो टाइम उसने रूबी के साथ बिताया था, उसकी भरपाई भी तो करनी थी उसे।

इधर रूबी अभी भी अपनी सांसें कंट्रोल में करने की कोशिश कर रही थी। वो तो राम में इस कदर खो गई थी की उसे तो बाहर का ध्यान नहीं रह गया था। और रामू अपने ऊपर काबू रखे था और कमलजीत के आने पे उसने खुद ही उससे अलग कर लिया था। शुकर है की रामू ने अपने पे कंट्रोल रखा वर्ना अनर्थ हो जाता। कुछ देर बाद कमलजीत की आवाज आती है।

कमलजीत- बहूऽऽs।

रूबी अपनी सांसों पे काबू करते हुए- “जी मम्मीजी.."

कमलजीत- रामू का काम खतम हुआ की नहीं?

रूबी- शायद थोड़ा सा रह गया होगा। मैं तो अपने काम में बिजी थी। उसको बोलकर मैं अपने काम में बिजी हो गई थी।

कमलजीत- ठीक है मैं नहाने जा रही हैं। काम करवा लेना।

कमलजीत के हाथ में कपड़े देखकर रूबी समझ जाती है की मम्मीजी अपने पहने हए कपड़े भी वाश करेंगी और फिर नहाएंगी। इसका मतलब उनको 20-30 मिनट तो लगेंगे ही। इधर राम भी यह सब नोट कर रहा था। रूबी और रामू की नजरें मिलती है और रूबी नजरें चुराकर अपने कमरे में चली जाती है।

रामू रूबी की नजरों में अपने लिए दुबारा से आमंत्रण देखता है। कमलजीत के अपने कमरे में बने बाथरूम में जाने के बाद वो फिर से रूबी के कमरे में आ जाता है। राम के अंदर आते ही रूबी की साँस अटक जाती है। राम आते ही दरवाजा बंद करता है, और फिर से रूबी के होंठों पे टूट पड़ता है।

रूबी भी उसे पूरा सहयोग देने लगती है। राम जनता है की उसके पास सिर्फ 15 मिनट है और उसे सफाई का काम भी खतम करना है, तो रूबी के चूतरों को सहलाकर रूबी को गरम करने लगता है। रूबी जो की पहले से ही गरम थी और उतेजित हो जाती है। राम रूबी की इस उत्तेजना को समझ जाता है और वो अपना एक हाथ उसके कपड़ों के ऊपर से उसके उभारों पे फिराने लगता है।

रूबी की सांसें उखाड़ने लगती है। लखविंदर के बाद पहली बार किसी मर्द के हाथों ने उसके उभारों को छुआ था। कितने कठोर हाथ थे रामू के। रूबी की चूत रामू के इस हमले से पानी छोड़ने लगती है। रामू चाहता था की रूबी जल्दी से जल्दी अपने चरमसुख को प्राप्त कर ले। आज अगर वो उसे चरमसुख दे देता है तो कल को वो खुद उससे समागम के लिए तड़पेगी। रूबी पूरी तरह रामू के वश में थी। तभी ट्रैक्टर की आवाज आती है और दोनों घबराकर अलग हो जाते हैं।

हरदयाल खेतों से वापिस आगया था। रामू जल्दी से अपना काम निपटाने लगता है।
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01-07-2021, 01:23 PM,
#56
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
इधर रूबी की हालत बुरी थी। हरदयाल के कारण रामू उसे अधूरा छोड़ गया था। अगर कुछ देर रामू उसके उभारों को मसलता तो वो चरमसुख पा लेती। वो अपनी चूत की आग ठंडी करने के लिए बाथरूम में जाती है और उंगली से चूत को शांत करने की कोशिश करती है। गरम तो वो पहले से ही थी कुछ ही सेकेंड में उसकी चूत पानी छोड़ देती है और रूबी का जिश्म ठंडा पड़ने लगता है। उसके बाद रूबी नहाती है और उसे नींद आने लगती है। अपने रूम में ही वो कम्बल लेकर कुछ देर के लिए सो जाती है।

इधर रामू भी अपना काम खतम करके अपने रूम की तरफ भागता है। रूबी के मुलायम नरम उभारों का स्पर्श उसे अभी भी अपने हाथों पे महसूस हो रहा था। वो जल्दी से अपने लण्ड को शांत करना चाहता था। रूबी के बारे में सोचते हुए वो अपना वीर्य निकाल देता है।

इसके बाद दोनों अपने-अपने कामों में बिजी हो गये। राम सोचता है आज तो उसे टाइम मिल गया, कल कैसे मिलेगा। वो कल को और आगे बढ़ना चाहता था। उसके पास सिर्फ दो दिन ही बचे थे और फिर सीमा ने काम पे वापिस आ जाना था। उसे कल के लिए कुछ तो प्लान करना था। किसी तरीके से मालिक और मालेकिन दोनों को किसी काम में बिजी करना होगा। मालिक तो खैर किसी काम में बिजी हो जाएंगे पर मालेकिन का क्या करे? खैर, वो दिन भी निकल जाता है।

उधर रूबी भी सोचती है की उनके पास तो अब सिर्फ दो दिन ही बचे हैं, और उन्हें कोई चान्स नहीं मिलने वाला है मिलन करने का। सोचते-सोचते दिन बीत जाता है।

इधर राम के दिमाग में प्लान तैयार होता है हरदयाल को बिजी करने का। अंधेरे में वो ट्रैक्टर की तेल की टंकी में मिट्टी डाल आता है। अब कल सुबह जब हरदयाल ट्रैक्टर स्टार्ट करेगा तो उसे पता चलेगा। ट्रैक्टर ठीक करवाने में उसको कम से कम दोपहर हो जाएगी। हरदयाल का तो राम ने क्लियर कर दिया था। पर मालेकिन का क्या किया जाए? उसका काम तो रूबी ही कर सकती है। यही सोचते हए रामू रूबी के फोन का इंतेजार करता है। उसे पूरा यकीन था की जिस हिसाब से रूबी उससे सहयोग कर रही थी वो उसके लिए तड़प रही होगी।

रामू से टाइम पास नहीं हो रहा होता। लेकिन अभी तो रात के 8:00 बजे का टाइम ही हुआ था तो रूबी तो खाना बनाने में बिजी थी। राम अपना खाना लेने के लिये घर के दरवाजे पे दस्तक देता है। रूबी उसे खाना देती है तो राम की नजरें उसकी तरफ ही रहती हैं की कब वो अपनी नजरें उससे मिलाए और वो इशारा कर सके। तभी रूबी जो की अभी तक अपने दिल पे काबू रखते हुए अपने प्रिय से आँख नहीं मिलती। पर खाना डालकर वापिस जाने के टाइम आँख मिला लेती है।

राम उसी टाइम अपने हाथ से उसको फोन करने का इशारा कर देता है और वापिस रूम में चला जाता है। इधर खाना खाने के बाद सभी टीवी देख रहे होते हैं, और उधर रामू का टाइम पास नहीं हो रहा होता। उसे तो बस रूबी के फोन का इंतेजार था। रात के 9:30 बज गये तो राम से रहा नहीं गया और उसने रूबी के फोन पे बेल मार दी। रूबी का फोन उसके हाथ में वाइब्रेशन मोड पे था तो सिर्फ उसे ही रामू के फोन का पता चला।
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01-07-2021, 01:23 PM,
#57
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
राम उसी टाइम अपने हाथ से उसको फोन करने का इशारा कर देता है और वापिस रूम में चला जाता है। इधर खाना खाने के बाद सभी टीवी देख रहे होते हैं, और उधर रामू का टाइम पास नहीं हो रहा होता। उसे तो बस रूबी के फोन का इंतेजार था। रात के 9:30 बज गये तो राम से रहा नहीं गया और उसने रूबी के फोन पे बेल मार दी। रूबी का फोन उसके हाथ में वाइब्रेशन मोड पे था तो सिर्फ उसे ही रामू के फोन का पता चला।

रूबी फोन पिक नहीं करती तो रामू एक-दो बार फिर से बेल मार देता है। रूबी भी अब और धैर्य नहीं रख पाती और सास को अपने सोने का बोलकर अपने कमरे में आ जाती है। उसका दिल राम से मीठी-मीठी बातें करने को कर रहा था। बेड पे लेटते ही उसने राम को फोन लगा दिया।

रामू- जी रूबी जी कैसे हो आप?

रूबी- ठीक हूँ राम्। तुम सुनाओ?

रामू- अरे मेरी तो हालत बहुत पतली है।

रूबी- क्यों?

रामू- आपके बिना रहा नहीं जाता। आपके होंठ और उभार याद आ रहे हैं।

रूबी शर्माते हुए- “धत्... शर्म नहीं आती। तुम्हारे दिल में जो होता है सीधा बोल देते हो।

रामू- शर्म की क्या बात मेरी जान। सच में आप बहुत गरम हो।

रूबी शर्माकर हँस पड़ती है।

रामू- हँसने की क्या बात है इसमें। आप बहुत अच्छी हो। मुझे आपसे बहुत प्यार है रूबी जी।

रूबी- अच्छा जी।

रामू- आपको नहीं है क्या?

रूबी कुछ नहीं बोलती।

राम- बताओ ना। आप हमसे प्यार करते हो ना?

रामू- एक बात पूछू रूबी जी

रूबी को अच्छा लगता है जब रामू उससे कोई पर्मिशन लेता है तो- “हाँ पूछो ना...

रामू- आपको आज अच्छा लगा था ना?

रूबी झिझकते हुए- “हाँ..”

रामू- कितना अच्छा लगा था थोड़ा लगा जा बहुत ज्यादा?

रूबी- बहुत ज्यादा। क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लगा?

राम- मुझे तो आपके रसीले होंठों का स्वाद अभी तक याद है। और आपके उभार, कसम से ऐसे लग रहा था जैसे हाथों में कोई रूई जैसी चीज पकड़ी हो।

रूबी अपने उभारों और होंठों की तारीफ सुनकर शर्मा जाती है।
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01-07-2021, 01:23 PM,
#58
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रामू- शुक्रिया रूबी जी।

रूबी- शुक्रिया किस बात का?

राम- अपने हमें अपने होंठों का रस पीने दिया, और उभारों को मसलने दिया इसलिए। आपको भी मजा आया था ना रूबी जी?

रूबी- हाँ।

राम- तो फिर आपको हमारा भी शुक्रिया करना चाहिए। आखीरकार, हमने ही तो आपको मजा दिया था।

रूबी रामू की मासूम सी बातों पे हँसते हुए- “शुक्रिया रामू जी."

राम- सच में रूबी जी मैंने अपनी जिंदगी में इतने रसीले होंठ कभी नहीं चूसे थे और आपके रूई जैसे नरम उभारों का एहसास मैं अपने हाथों में अभी भी महसूस कर सकता हूँ।

रूबी- अच्छा जी। झूठ बोलना तो तुमसे सीखे कोई।

राम- नहीं सच में आपकी कसम।

रूबी- वो जो 12 औरतों के साथ समंध हैं, उनके नहीं है क्या?

रामू- आपके सामने तो वो कुछ भी नहीं है।

रूबी- लड़की की झूठ-मूठ की तारीफ करना कोई तुमसे सीखे। झूठे कहीं के। ऐसे ही झूठ बोलकर पता नहीं कितनी लड़कियों को पटाया होगा और अब मझे फाँस रहे हो।।

रामू- नहीं रूबी जी, हम आपसे झूठ नहीं बोल सकते। अगर झूठ बोलना होता तो कभी ना बताते की हमारी जिंदगी में और भी लड़कियां आई हैं। आपसे से तो हम कभी झूठ नहीं बोल सकते।

रूबी पे राम की बातों का जादू हो रहा था। उसकी मासूम सी सीधी बातें रूबी के मन को भा रही थी। रूबी ने कहा- “तो तुमने वो भी 12 लड़कियों से ही किया है आज तक या कम से?"

रामू- जी। हमने सबसे किया है।

रूबी- तो अब तुम्हारा रीलेशन नहीं है उनके साथ क्या?

राम- नहीं रूबी जी अभी भी है। घर जाते है तो मिलकर आते हैं। अब जब भी जाएंगे तब भी मिलेंगे।

रूबी हमसे प्रेम करते हो तो फिर उनका क्यों सोचते हो?

रामू- हम आपसे बहुत प्रेम करते हैं, और हम उनके बारे में नहीं सोचते। वो खुद ही जिद करती हैं मिलने को।

रूबी- “ऐसा क्यों करती है वो? उनको बोलो अपने पति के साथ खुश रहें। उनको बोल दो तुम किसी और के हो.."
और हँसने लगती है।

राम- रूबी जी, मैंने तो कई बार उनको बोला है पीछा छोड़ने के लिये पर वो नहीं मानती। असल में जब कोई आदमी अपनी औरत को चरमसुख देने में नाकाम रहता है और कहीं वो औरत किसी तगड़े लण्ड को भोग लेती है तो बार-बार उसका मन उसी को पाने की चाहत रखता है।
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01-07-2021, 01:24 PM,
#59
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी- तुम्हें क्यों लगता है की वो औरतें अपने पति से खुश नहीं है?

रामू- अरे रूबी जी, इसमें ना समझी वाली तो बात ही नहीं है। मुझसे मिलने का कारण उनका सिर्फ और सिर्फ संभोग करने का ही होता है। अगर समाज का डर ना हो तो वो सब मेरे साथ रहने लग जाएं।

रूबी- ऐसी बात नहीं होती राम्। औरत तो अपने पति से हमेशा खुश होती है। चाहे उसे चरमसुख मिले या नहीं।

राम- यह सब फजूल की बातें हैं। असल जिंदगी में औरत को एक तगड़ा लण्ड चाहिए होता है, और कुछ नहीं। आप जितना भी पैसा दे दो या कुछ भी। दे दो, पर जो सुख औरत को एक तगड़े लण्ड से मिलता है वो किसी और इस दुनियांवी चीज में नहीं मिल सकता।

रूबी- तुम तो बड़ी-बड़ी बातें कर लेते हो, जैसी कोई ज्ञानी हो।

रामू- सच में रूबी जी। आप बताओ आप क्यों मुझसे प्रेम करती हो? आपके के पास पैसा है, दुनियां की तमाम सहूलियतें है। फिर भी आप मुझसे क्यों प्रेम करने लगी हो?

रूबी- पता नहीं राम्। शायद दिल पे जोर नहीं चलता।

रामू- रूबी जी आप अपने जिश्म की भूख को शांत करने के लिए तड़प रही हैं। आपके पति आपके पास नहीं हैं। जिससे आप अपनी अंदर की आग को ठंडा नहीं कर पाती। यह तो कुदरत का नियम है जिसके कारण आप मेरी तरफ आकर्षित हुई, और प्रेम करने लगी।

रूबी चुपचाप उसकी बातें सुनती रहती है। शायद रामू ठीक ही तो कह रहा था। वो मर्द से मिलन करने के लिए ही तो रामू की तरफ आकर्षित हुई थी, और अपना दिल दे बैठी थी।

रामू- रूबी जी एक बात बोलूँ?

रूबी- हाँ।

राम- अपने कल बताया था की आपके पति लण्ड 5 इंच का है।

रूबी हिचकचती हुई- “हाँ....

रामू- तो इसका मतलब आपकी चूत मेरे लण्ड के लिए काफी टाइट होगी। क्या मैं कल आपकी चूत के दीदार कर सकता हूँ?
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01-07-2021, 01:24 PM,
#60
RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
राम- अपने कल बताया था की आपके पति लण्ड 5 इंच का है।

रूबी हिचकचती हुई- “हाँ....

रामू- तो इसका मतलब आपकी चूत मेरे लण्ड के लिए काफी टाइट होगी। क्या मैं कल आपकी चूत के दीदार कर सकता हूँ?

रूबी रामू के मुँह से अपनी चूत के दीदार की बात सुनकर शर्मा जाती है, और कहती है- “नहीं..."

राम- प्लीज कल देखने दें ना। मैं आपकी चूत के छोटे से छेद को देखना चाहता हूँ। क्या मुझे उस स्वर्ग के द्वार के दर्शन हो सकते हैं?

रूबी- नो रामू प्लीज... ऐसा मत बोलो। यह नहीं हो सकता।

रामू- प्लीज... रूबी जी मुझे सिर्फ देखना है। आपको पता है जब आप चलती है तो आपके चूतर आपस में रगड़ खाते हैं तो मेरा दिल उनको हाथ में लेकर मसलने का होता है।

रूबी- अच्छा... वो तो तुमने आज भी किया था।

रामू- सच में बहुत मजा आया था। आपके विशाल चूतर देखकर कोई भी बता सकता है की आप अपने पति के 5" इंच के लण्ड से कभी संतुष्ट नहीं हो सकती। आपके लिए तो मेरे जैसा 9" इंच का लण्ड फिट बैठता है। चलो आप तो चूत नहीं दिखाना चाहती, पर अगर आप चाहो तो मेरे लण्ड के दीदार कर सकते हो कल।

रूबी- चुप रहो रामू। तुम बहुत गंदे हो। मैंने बात नहीं करनी। अपनी मालेकिन से कोई ऐसे बात करता है?

राम- पर आप तो मेरी दोस्त हैं, मालेकिन नहीं। आप ने कल बोला था।

रूबी डाँटने के अंदाज में- “तो इसका मतलब तुम जो मर्जी बोलोगे?"

राम-ठीक है नहीं बोलता चूत दिखाने के लिए। पर इस दोस्त की एक बात मानोगे?

रूबी- बताओ। अगर मानने वाली हुई तो मानूंगी।

रामू- क्या कल दशहरी आम मिल सकते हैं चूसने के लिए?

रूबी- रामू सर्दियों में आम कहां से आएंगे। वो तो गर्मियों में होते हैं।

रामू- नहीं होते हैं सर्दियों में भी।

रूबी- कहा पे?

रामू- आपके पास हैं।

रूबी- अरे बाबा घर में और फूट हैं दशहरी आम नहीं हैं। तुम्हें गलत फहमी हुई है। अगर होते तो मैं तुमको माना नहीं करती।

राम- आपने छुपा रखे हैं रूबी जी।

रूबी- नहीं बाबा।

राम- सच में आपने अपनी ब्रा में कैद कर रखे हैं।
रूबी को अब रामू की बात समझ में आती है की रामू उसकी चूचियों की बात कर रहा था और वो कितनी बेवकूफ है जो समझ नहीं पाई। इतना सोचते ही वो शर्मा जाती है।

रामू- बताओ ना रूबी जी। क्या मैं इन आँमो को चख सकता हूँ कल?

रूबी- तुम ना रामू बहुत बेशर्म हो। मुझे बातों में उलझा लेते हो।

रामू- प्लीज रूबी जी। कल आप अपने उभारों से दूध पीने दे सकती हो?

रूबी- बिल्कुल ही... रामू बिल्कुल नहीं।
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