Kamukta Story बदला
08-16-2018, 02:22 PM,
#91
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
देविका शर्मा गयी & उसने किस तोड़ अपना चेहरा फिर से दीवार से लगा
लिया.इंदर फिर उसकी पीठ को चूमने लगा.वो जल्द से जल्द उस हुस्न की
मल्लिका को उसके पूरे शबाब मे देखना चाहता था.उसके हाथो ने उसके ब्लाउस
के हुक्स & फिर ब्रा के हुक्स को भी खोल दिया & बेचैनी से उसकी नंगी पीठ
पे फिरने लगे.देविका की चूत उसकी हर्कतो से पागल हो अब और अपनी छ्चोड़
रही थी.इंदर ने अपने हाथो को उसके बदन पे चलते हुए ब्लाउस & ब्रा को उसके
कंधो से नीचे सरकया मगर देविका की बाहे कोहनी से मूडी होने कारण दोनो
कपड़े उसके बदन से अलग नही हुए.इंदर ने देविका के कंधे पकड़ बड़े प्यार
से उसे अपनी ओर घुमाया तो हया की मारी देविका ने अपनी आँखे बंद कर ली.

इंदर ने उसके हाथ पकड़ बाहे नीची की & ब्लाउस & ब्रा को फर्श पे गिरने
दिया.अब देविका के जिस्म पे बस 1 छ्होटी सी,काले रंग की पॅंटी थी जो उसकी
चूत से निकले रस के कारण गीली हो उस से चिपक गयी थी.इंदर ने 1 बार सर से
पाँव तक देविका के हुस्न को निहारा.उपरवाला उसपे मेहेरबन था,उसका बदला भी
पूरा होनेवाला था & साथ मे ये मस्त औरत भी उसकी बाहो मे उस से चूड़ने
वाली थी.इनडर ने अपनी बाई बाँह देविका के कंधो के गिर्द डाली & दाए हाथ
मे उसका बाया हाथ पकड़ा & बिस्तर की ओर बढ़ चला.

दोनो 1 दूसरे से सटे बिस्तर पे बैठ गये.देविका को ना जाने कब से इस पल का
इंतेज़ार था मगर इस वक़्त उसे इतनी शर्म आ रही थी की पुछो मत.इंदर ने उसे
तोड़ा चूमा & फिर उठके अपनी शर्ट निकाल दी.देविका ने उसके बालो भरे चौड़े
सीने को देखा & बेचैनी से अपनी गोरी,कसी जंघे आपस मे रगडी,इंदर दोबारा
उसके बाए तरफ बैठा ,अपनी बाई बाँह उसके बदन के गिर्द डाली,दाई को उसकी
कमर मे डाला & उसके गुलाबी होंठ चूमते हुए उसे बिस्तर पे लिटा दिया.अब
दोनो के पैर बिस्तर से नीचे लटके थे & उपरी जिस्म बिस्तर पे लेटे थे.

इंदर का दाया हाथ उसके सीने पे आया & उसके उभारो को सहलाने लगा.इतनी बड़ी
& इतनी कसी,ऐसी मस्तानी चूचिया उसने अपनी ज़िंदगी मे पहली बार देखी
थी.उसके हाथ बहुत हल्के-2 गोलाई मे उसकी चूचियो पे घूम रहे थे.देविका
काजिस्म इंदर के च्छुने से रोमांच से भर उठा था.उसकी आँखे मज़े मे बंद हो
गयी थी.इंदर झुका & उन मस्त गोलाईयो को अपने मुँह मे भरने लगा.देविका की
साँसे अटकने लगी.इंदर की ज़ुबान उसकी चुचियो को कभी मुँह मे भरती, कभी
चुस्ती कभी बस निपल को छेड़ती.

इंदर काफ़ी देर तक उसके सीने के उभारो से खेलता रहा.देविका की चूत मे
उठती कसक बहुत बढ़ गयी थी.इंदर ने उसकी बाई चुचि को मुँह मे भर अपना मुँह
उपर उठाते हुए ऐसे खींचा की देविका के होश उड़ गये & उसकी चूत ने पानी
छ्चोड़ दिया.देविका के मुँह से लंबी सी आह निकली & वो झाड़ गयी.इंदर ने
उसकी चूचियो को अपने होंठो के निशानो से ढँक दिया था.वो दोबारा देविका के
पेट को चूम रहा था मगर इस बार मंज़िल देविका की नाभि नही उसके नीचे थी.वो
उसके पेट को चूमते हुए उसकी कसी पॅंटी के उपर कमर के बगल मे उसके गुदाज़
हिस्से को दबा रहा था.

देविका समझ गयी की अब उसके जिस्म से उसका आख़िरी कपड़ा भी उतरने वाला
है.ठीक उसी वक़्त इंदर ने अपना हाथ पॅंटी के वेयैस्टबंड मे फँसाया & उसे
खींचा.देविका को ना जाने क्यू बहुत शर्म आई & उसने इंदर का हाथ पकड़ना
चाहा मगर इंदर उसके नाभि के नीचे चूमते हुए उसकी पॅंटी को नीचे सरकाता
रहा.

जैसे ही पॅंटी निकली देविका ने शर्म से करवट ले बिस्तर मे अपना मुँह
च्छूपा लिया मगर ऐसा करने से उसकी भरी हुई गंद इंदर के सामने चमक उठी.अभी
तक बिजली नही आई थी बस कमरे के बाल्कनी के खुले दरवाज़े से पूरे चाँद की
दूधिया रोशनी आ रही थी जिसमे नहाके देविका का नशीला जिस्म & भी पुर्कशिश
हो गया था.

इंदर ने देखा की ये तो वही कमरा है जहा सुरेन सहाय ने कॉल गर्ल को चोदा
था जब उसने उनकी दवा बदली थी.उसे अपने बदले की याद आई & ये याद आते ही
उसे सामने नंगी पड़ी देविका का जिस्म 1 खिलोने से ज़्यादा कुच्छ नही
लगा.वो खिलोना जिस से जी भर के खेलने के बाद उसे तोड़ के फेंक देना था.

इस खिलोने से वो जैसे मर्ज़ी जितना मर्ज़ी खेलेगा....उसने अपनी पॅंट की
ज़िप खोली....इस खिलोने के साथ कोई रहम नही करेगा वो....पॅंट नीचे सरकने
के बाद वो अपना अंडरवेर उतार रहा था.जब देविका ने देखा की इन्दर उसके बदन
को नही च्छू रहा है तो उसने वैसे ही पड़े-2 अपनी गर्दन घुमा के पीछे देखा
& जो देखा उसे देखते ही उसे शर्म भी आई मगर उसके साथ ढेर सारी खुशी भी.

इंदर अब पूरा नंगा था & उसका लंड तना हुआ देविका की निगाहो के सामने
था.देविका ने पाया की इंदर का लंड शिवा जितना लंबा तो नही था मगर उस से
बहुत ज़्यादा छ्होटा भी नही था.इंदर की आँखो मे जो बदले का जुनून था उसे
देविका ने अपने जिस्म की चाह समझा & शर्मा के फिर अपना चेहरा बिस्तर मे
च्छूपा लिया.इंदर उसके करीब पहुँचा & उसकी टाँगो को उठा के बिस्तर पे
किया & फिर उसके बगल मे बैठ के उसकी गंद को मसलने लगा.देविका की आहे फिर
से कमरे मे गूंजने लगी.इंदर ने गंद की मोटी फांको को फैलाया & झुक के
अपनी जीभ देविका की गीली चूत से सटा दी.इंदर देविका के बाए तरफ घुटनो पे
बैठा था.उसकी पीठ देविका के सर की तरफ थी & वो झुक के उसकी गंद को चाट
रहा था.देविका का सर बिस्तर से उठ गया था & वो इंदर की ज़ुबान की बेशर्म
हर्कतो से जड़े जा रही थी.

"आहह....आआनंह...बस..इंदर...ऊहह..प्लीज़.....रुक..जा...ऊओ...ऊओ...!",इंदर
उसकी मिन्नतो के बावजूद उसकी चूत चाते चला जा रहा था.बीच-2 मे उसकी
उंगलिया भी उसकी चूत की गहराइयाँ नाप लेती.देविका को होश नही था की वो
कितनी बार झड़ी.इंदर का लंड अब ठुमके लगाने लगा था,उसके आंडो मे भी मीठा
दर्द शुरू हो गया था.वो घुमा & देविका की दाई टांग को उपर कर घुटनो से
मोड़ दिया & पीछे से अपना लंड उसकी चूत मे घुसा
दिया,"..हाइईईईईई....!",इंदर को देविका के दर्द की कोई परवाह नही थी.उसने
1 झटके मे ही लंड को अंदर पेल दिया था.चूत गीली होने के बावजूद देविका को
थोड़ा दर्द महसूस हुआ.

इंदर उसकी पीठ पे लेट गया तो देविका ने अपना सर उठा के दाई तरफ घुमाया
उसके दाए कंधे के उपर से झुकते हुए इंदर उसे चूमने लगा.वो किसी प्रेमी की
तरह नही चूम रहा था बल्कि किसी वहशी की तरह चूम रहा था.देविका को लगा की
इंदर बहुत जोश मे है इसलिए ऐसे कर रहा है.उसके धक्के भी बड़े गहरे & तेज़
थे.देविका को उसका ये अंदाज़ भा रहा था..बेचारी!अगर जानती की इंदर के
वहशिपान की वजह उसके जिस्म का नशा नही बल्कि उस से इन्तेक़ाम का जुनून था
तो पता नही उस पे क्या बीतती.

इंदर के हाथ देविका की बगलो से घुस उसकी मोटी चूचियो को मसल रहे
थे.देविका को बहुत मज़ा आ रहा था.कभी-कभार शिवा की चुदाई ऐसी होती थी मगर
उसमे भी वो पागलपन भरा जोश नही रहता था.इंदर तो ऐसे चुदाई कर रहा था जैसे
सब भूल गया हो,अब वो अपने होंठ उसके होंठो से अलग कर उसकी पीठ पे दन्तो
से काट रहा था,देविका के बदन मे तो जैसे मस्ती के पटाखे फुट रहे थे!.उसकी
पीठ से चिप्टा उसकी चूचिया मसल्ते हुए इंदर तब तक उसे चोद्ता रहा जब तक
वो झाड़ नही गयी.उसके झाड़ते ही वो उसकी पीठ से उपर उठा & फिर उसकी कमर
पकड़ हवा मे उठा ली.उसका लंड अभी भी चूत मे धंसा था.देविका का अस्र
बिस्तर से लगा हुआ था.उसने गर्दन बाई ओर घुमाई & इंदर को देखा.उसकी नशीली
आँखो ने इंदर के जिस्म का जोश दुगुना कर दिया & साथ ही उसके बदले का
जुनून भी उसके और सर चढ़ गया.
Reply
08-16-2018, 02:23 PM,
#92
RE: Kamukta Story बदला
इंदर ने उसकी कमर थामी & दनादन धक्के लगाने लगा.देविका के गले से फिर से
आहें निकलने लगी.उसने अपना बाया हाथ अपनी चूत से लगाया & अपने दाने को
रगड़ने लगी.इंदर ने दाए से उसकी चूचियो को मसलना जारी रखा & बाए से उसकी
कमर को थाम धक्के लगाता रहा.उसके अंडे मानो फटने को तैय्यार थे मगर वो
ऐसे नही झड़ना चाहता था.झाड़ते वक़्त उसे इस मतलबी,स्वार्थी औरत का चेहरा
देखना था..उसे देखना था की कैसे..ये दूसरो का हक़ मारने वाली औरत उसके
लंड की गुलाम बन गयी है.

देविका की चूत मे इंदर के लंड ने फिर से खलबली मचा दी थी.रही-सही कसर
उसकी उंगली पूरी कर रही थी की तभी इंदर ने उसकी गांद पे 1 थप्पड़
मारा.."तदाक..!"..देविका को दर्द हुआ मगर उस से भी ज़्यादा मज़ा आया.इंदर
उसे चुदाई के नयी पहलू दिखा रहा था.इंदर के हर थप्पड़ पे उसकी गांद लाल
हो रही थी & उसका दर्द बढ़ रहा था मगर इसके साथ ही उसकी मस्ती की भी
इंतेहा नही रही थी.जिस्मो के मिलन की खुमारी 1 बार फिर उसके उपर पूरी तरह
से हावी हो गयी थी.उसके जिस्म मे जैसे अकड़न सी भर गयी थी & वो जानती थी
की इस अकड़न से उसे इंदर का लंड ही निजात दिलाएगा.इंदर के धक्के & थप्पड़
और तेज़ हो गये थे & देविका की उंगली की रगड़ान भी.

"आअनन्नह.....!",देविका ने बिस्तर से सर उठा के कमर हिलाकर इंदर के धक्को
का जवाब देते हुए ज़ोर की आह भरी.इंदर के लंड पे देविका की चूत थोड़ा और
कस गयी थी.उसे हैरत हुई की इस उमर मे भी वो इतनी हसीन & पूर्कशिश जिस्म
की मल्लिका कैसे थी!....उसकी चूत किसी कुँवारी लड़की की चूत की तरह कसी
थी & देविका के झड़ने पे वो और कस गयी थी.बड़ी मुश्किल से इंदर ने अपने
को झड़ने से रोका.

देविका हानफते हुए बिस्तर पे निढाल हो गिर गयी थी & इंदर का लंड उसकी चूत
से निकल गया था मगर इंदर का काम अभी पूरा नही हुआ था.उसने देविका को सीधा
किया & उसकी दाई टांग को उठा के अपने बाए कंधे पे रखा,अपने घुटनो पे बैठ
1 बार फिर उसने अपना लंड देविका की चूत मे घुसा दिया.देविका के लिए अब
बात बर्दाश्त के बाहर थी.वो 1 बार झड़ती नही थी की इंदर अगले हमले के लिए
तैय्यार हो जाता था.उसने सर उठाके उसके तगड़े लंड को अपनी चूत मे
अंदर-बाहर होते देखा & 1 बार फिर उसका जोश बढ़ गया.अपने हाथो से अपनी
चूचिया दबाते हुए वो आहे भरने लगी & इंदर से मिन्नते करने
लगी,"..हाइईईईईई....ऊहह...इन..देर.....प्लीज़.......आअनंह......रुक...जाओ.....आँह.......आहह....!",मगर
इंदर जैसे बेहरा हो गया था.वो बस घुटनो पे बैठा उसकी जाँघो को थामे धक्के
लगाए जा रहा था.उसकी आँखो के सामने उसके नाम की माला जपती देविका उसे अब
अपनी औकात पे आती दिख रही थी.इस ख़याल से उसके धक्के और तेज़ हो गये.

देविका अभी भी यही समझ रही थी की इंदर उसके जिस्म का दीवाना हो गया है &
इसलिए ऐसी क़ातिलाना चुदाई कर रहा है.अपने सख़्त निपल्स को उंगलियो मे
मसल्ते हुए उसने अपनी बाई टांग इंदर के कमर पे लपेट दी.इंदर समझ गया की
वो फिर से झड़ने वाली है.उसने उसकी दाई टांग को कंधे से गिराया तो देविका
ने उसे भी उसकी क्मर पे कस दिया.इंदर अपने हाथो पे झुक अपनी टाँगे फैला
धक्के लगा रहा था.देविका ने अपने हाथ अपने सीने से हटाए & उसके मज़बूत
बाज़ू पकड़ बिस्तर से जैसे उठने की कोशिश करने लगी.उसका चेहरा देखने से
ऐसा लगता था ,मानो उसे बहुत तकलीफ़ हो रही है मगर इंदर जानता था की इस
वक़्त वो मज़े के आसमान मे उड़ रही है.इंदर झुका & उसके होंठो को अपने
होंठो से कस लिया.देविका ने अपनी बाँहे उसकी पीठ पे डाली & फिर बेचैनी से
उसकी पीठ पे हाथ फिराते हुए अपने नाख़ून उसमे धंसा दिए-वो फिर से झाड़
रही थी.इस बार इंदर ने अभी अपने सब्र का बाँध खोल दिया & उसका जिस्म झटके
खाने लगा.उसका गाढ़ा,गर्म वीर्या देविका की चूत मे भर रहा था.

इंदर ने उसे चूमना नही छ्चोड़ा था क्यूकी वो जानता था की अगर उसने अपने
होंठ अलग किए तो इस कमज़ोर लम्हे मे उसके मुँह से वो गलिज़ लफ्ज़ निकल
जाएँगे जो वो देविका को असल मे कहना चाहता था.उसे अपने उपर काबू रखना
होगा,अपने जज़्बातो को वो ऐसे आज़ाद नही छ्चोड़ सकता था....वरना सारे
किए-धरे पे पानी फिर जाएगा..वो दिन बा दिन मंज़िल के करीब आ रहा था.इतने
पास पहुँच के वो सब खोना नही चाहता था...झड़ने के बाद उसका जिस्म भी
सुकून महसूस कर रहा था & दिल भी.उसके & देविका के होंठ अभी भी जुड़े थे
की तभी बिजली आ गयी & सारा कमरा रोशनी से नहा गया.इंदर ने देविका को देखा
& जैसे उसे कुच्छ याद आ गया.

वो 1 झटेके मे अपने होंठ अलग करता उसके उपर से लंड खींचता उठा & सामने
रखे लकड़ी के कॅबिनेट पे हाथ रख सर झुका के खड़ा हो गया.

"इंदर,क्या हुआ?",फ़िक्रमंड देविका उसके करीब आई & उसके कंधे पे हाथ रखा.

"ई..ई आम सॉरी.",ये इंदर के नाटक का अगला भाग था.

"कोई बात नही,इंदर..",देविका ने सोचा की इंदर अपनी जुनूनी चुदाई के बारे
मे शर्मिंदा है,"..जब इंसान के अरमान दिल मे बहुत गहरे पैठ जाते हैं तो
कभी-कभार उनका गुबार ऐसे ही निकलता है.तुम पहले ही मेरे पास आ जाते तो
ऐसा नही होता.",देविका ने उसे पीछे से ही अपनी बाँहो मे भरा & अपना दाया
गाल उसकी पीठ से लगा दिया,"..वैसे सच कहु तो मुझे बहुत मज़ा आया....मैने
तुम्हारे साथ उन उँचाइयो को च्छुआ जिनके वजूद का मुझे इल्म ही नही
था.",उसने प्यार से अपने हाथ इंदर के चौड़े सीने पे फिराए.

..तो ये बेचारी सोच रही थी की उसका जुनून देविका के जिस्म की वजह से
था...हाः...पागल कही की!बेवकूफ़!

"बात ये नही है..",इंदर ने उसे अपने जिस्म से अलग किया & दूसरी तरफ पीठ
करके खड़ा हो गया.

"तो क्या बात है?",देविका उसके सामने आई.

"ये..ये नही होना चाहिए था..ये ग़लत है..",इंदर बहुत परेशान होने का नाटक
कर रहा था.

"ओह..समझी..",देविका ने उसेक चेहरे को हाथो मे भरा,"..इंदर,तुम हमारे
मालिक-नौकर के रिश्ते की बात कर रहे हो ना."

इंदर ने हा मे सर हिलाया.

"इंदर,तुम 1 मर्द हो & मैं 1 औरत.हम दोनो 1 दूसरे की ओर खींच रहे थे & आज
वो हुआ जो की कुदरती बात है.अगर दो लोग 1 दूसरे को चाहे तो
इज़हारे-मोहब्बत तो होगा ही ना!"

"मगर ये हक़ीक़त है की आप मेरी मालकिन हैं."

"और ये भी हक़ीक़त है की तुम मुझे चाहते हो.हां या ना?"

"हां.",इनडर ने सर झुका के कहा.

"फिर क्या बात है?"

"पता नही...ये ठीक नही लगता."

"क्या ठीक नही लगता?"

"डर लगता है."

"कैसा डर?"

"की कही मैं इस रिश्ते का कोई नाजायज़ फ़ायदा ना उठा लू."

"ओह्ह..इंदर..",डेविका ने उसे गले से लगा लिया,"..हमेशा ऐसे डरते रहना
कभी कुच्छ भी ग़लत नही होगा."

इंदर ने उसके कंधे से सर उठाके सवालिया निगाहो से उसे देखा.

"हां..",देविका ने उसके बालो मे हाथ फेरा,"..कोई और मर्द होता ना इंदर तो
मैं अभी भी उस बिस्तर पे पड़ी होती & वो मेरे जिस्म से खेल रहा होता मगर
इस वक़्त भी तुम ये नही भूले.इस से तो बस तुमहरि अच्छाई ज़ाहिर होती है."

"..इंदर,इस बात का डर की तुम कही कभी इस रिश्ते का ग़लत इस्तेमाल ना करो
ही तुम्हे इस ग़लती से बचाए रखेगा.तुम घबराव मत,मुझे पूरा यकीन है की तुम
कभी कोई ग़लत काम नही करोगे..",इंदर कुच्छ बोलने को हुआ मगर देविका ने
अपने कोमल हाथ उसके होंठो पे रख दिए,"..& अगर कभी ऐसा किया तो मैं तुम्हे
रोक दूँगी.अब तो तुम्हारे मन मे कोई शुबहा नही है ना?"
Reply
08-16-2018, 02:23 PM,
#93
RE: Kamukta Story बदला
इंदर ने ना मे सर हिलाया & देविका को अपने आगोश मे लिया.देविका ने
मुस्कुराते हुए अपना सर उसके बाए कंधे पे टीका उसे प्यार से देखा,"1 बात
का वादा कीजिए."

"क्या इंदर?",देविका उसके सीने के बालो से खेल रही थी.

"कि आप कभी इस रिश्ते की हदो को तोड़ने के लिए मुझे नही कहेंगी?हम दुनिया
के सामने नही आ सकते & कभी ऐसा किया तो चाहे हमारे इरादे कितने ही नेक
क्यू ना हो ये दुनिया कभी हमे सही नही समझेगी.",इंदर ने बड़ी सफाई से
अपने & देविका के रिश्ते को राज़ रखने की बात उसे कह दी.हर इंसान का कोई
इतना अज़ीज़ होता है उसके दिलबर के सिवा जिस से वो अपनी सारी बाते कहता
है.इंदर को पता नही था की देविका का ऐसा दोस्त कौन है मगर वो कोई रिस्क
नही लेना चाहता था.

"वादा किया.",देविका ने मुस्कुराते हुए उसे देखा,"..मगर 1 वक़्त पे कभी
कोई हद्द नही मानूँगी?"

"कब?"

"जब हम दोनो तन्हा हो.",देविका के हाथ इंदर के सीने से उसके पेट तक गये
मगर उस से नीचे ले जाने मे देविका को झिझक हुई.

"जो आपका हुक्म,मॅ'म.",इंदर ने देविका के झिझकते हाथ को पकड़ उसे अपने
सिकुदे लंड पे रख दिया.देविका को शर्म आ गयी & उसने इंदर के बाए कंधे मे
अपना चेहरा च्छूपा लिया.इंदर अभी भी उसका हाथ वैसे ही लंड पे दबाए था.

थोड़ी ही देर मे देविका ने लंड को थाम लिया था & बहुत धीरे-2 हिला रही
थी.इंदर ने उसके बालो को चूमा तो उसने अपना चेहरा उठा अपने होंठ इंदर के
सामने पेश कर दिए.इंदर ने उसके तोहफा अपने होंठो से कबूला & अपना दाया
हाथ उठा दीवार पे लगे लाइट स्विच को ऑफ किया & देविका को ले 1 बार फिर
बिस्तर की ओर बढ़ गया.

पंचमहल का बाहरगूँज इलाक़ा जहा सस्ते होटेल्स की भरमार थी.इन्ही मे से 1
होटेल के 1 कमरे मे लेटा शिवा अपनी ज़िंदगी के बारे मे सोच रहा था.फौज से
सहाय एस्टेट & अब ना जाने कहा ले जाने वाली थी उसकी तक़दीर उसे.उसके हाथ
मे वो दवा की डिबिया थी & उसे समझ नही आ रहा था की अब आगे क्या करे.

उसके पैने दिमाग़ ने इतना अंदाज़ा तो लगा लिया था की इस दवा का सुरेन
सहाय की मौत से कुच्छ ना कुच्छ ताल्लुक तो ज़रूर था & इस सबके पीछे इंदर
का हाथ था मगर इंदर ये सब क्यू कर रहा था..दौलत के लिए?..पर इस सब मे
कितना ख़तरा था..इतना ख़तरा दौलत के लिए...लगता तो नही.1 बात तो तय थी की
जिस तरह से उसने सुरेन जी को मौत की नींद सुलाया था & उसके चौक्काने होने
के बावजूद उसे देविका की नज़रो से गिरा दिया था उसका दिमाग़ बहुत तेज़
था.इतना तेज़ दिमाग़ शख्स इस तरह से ख़तरा उठाया सिर्फ़ दौलत के
लिए..ना!वो तो और काई कम ख़तरे वाले तरीक़ो से पैसे कमा सकता था.तो फिर
क्या थी वजह & फिर सहाय एस्टेट ही क्यू?पंचमहल मे दौलत्मन्दो की कमी नही
थी फिर सहाय परिवार ही क्यू?

शिवा ने इस सवाल से जूझना छ्चोड़ा..अभी सबसे ज़रूरी था इस दवा की असलियत
जानना लेकिन कैसे?उसने दवा को पास पड़ी अपनी पॅंट की जेब मे डाला & कमरे
की बत्ती बुझा दी.आँखे मूंद उसने सोने की कोशिश की मगर नींद उसकी आँखो से
कोसो दूर थी.हर रात देविका के कोमल जिस्म को बाहो मे भरके सोना उसकी आदत
बन गया था & जब से वो एस्टेट से निकाला गया था दिन तो किसी तरह कट जाता
था मगर राते उस से काटे नही कटती थी....इस सबका ज़िम्मेदार इंदर
था....देविका से जुदाई के दर्द ने शिवा के गुस्से को भड़काया & उसके दिल
मे इंदर से बदला लेने का जज़्बा & पुख़्ता हो गया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः.............
Reply
08-16-2018, 02:23 PM,
#94
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"हेलो,कामिनी जी.कैसी हैं आप?"

"अच्छी हू,देविका जी.आप कैसी हैं?",कामिनी वीरेन के साथ एस्टेट पहुँच चुकी थी.

"बढ़िया.आइए लॉन मे बैठते हैं."

"देविका जी,आपको शिवा का कुच्छ पता चला?"

"नही,क्यू?"

"सब कुच्छ ठीक है ना यहा?"

"हां,बात क्या है कामिनी जी?"

"मुझे लगता है की जब तक उसका पता ना चल जाए कुच्छ ख़तरा तो बना ही हुआ
है.देखिए,और कुच्छ नही तो निकले जाने पे ज़िल्लत तो महसूस हुई होगी उसे &
फिर वो दवा वाली बात तो मैने आपको बताई ही है."

"हूँ...लेकिन फिर करें क्या,कामिनी जी?"

"1 रास्ता है."

"क्या?"

"मैं उसका पता लगवाती हू."

"मगर कैसे?"

"वो आप मुझपे छ्चोड़िए.1 इंसान है जोकि ये काम कर देगा.आपको बस उसकी फीस
देनी है & मुझे शिवा के सारे डीटेल्स देने हैं."

"डीटेल्स?"

"हां,जैसे की वो यहा आने से पहले कहा था.उसका कोई दोस्त या रिश्तेदार
जिसके बारे मे कोई यहा का वर्कर या आप जानते हो."

"1 बड़ा भाई है पंचमहल मे."

"अच्छा.डेविका जी,आप सारे डीटेल्स मुझे दे दीजिएगा.यहा से लौटते ही मैं
उस शख्स के ज़रिए शिवा का पता लगाने का काम शुरू कर दूँगी."

"मगर वो शख्स है कौन?"

"वो 1 प्राइवेट डीटेक्टिव है,देविका जी & घबराईए मत पंचमहल मे उसके जोड़
का जासूस शायद ही हो."

"लेकिन.."

"देविका जी,वो पेशेवर जासूस है & किसी को कभी पता भी नही चलेगा की वो
किसके लिए काम कर रहा है?वैसे भी आपके लिए उसे मैं हाइयर करूँगी."

"ओके.कामिनी जी,मुझे आप पे पूरा भरोसा है."

"थॅंक्स,देविका जी.मैं भी आपका भरोसा तोड़ूँगी नही."

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"ओह्ह..इंदर..अंदर चलो ना..",रात के 11 बज रहे थे & देविका ने इंदर को
बंगल के पीछे रसोई के दरवाज़े के बाहर बुलाया था.प्रसून & रोमा अपने कमरे
मे चले गये थे & शायद अब तक 1 दूसरे की बाँहो मे खो भी चुके थे & अब
देविका भी इंदर की बाहो मे झूलना चाहती थी.इंदर को गले से लगा वो उसे चूम
रही थी.

"नही..प्लीज़....संभालिए खुद को.आज नही.",पंचमहल से लौटने के बाद देविका
हर रात इंदर को उसी रास्ते से बंगल के अंदर बुलाती थी & पूरी रात साथ
गुज़रने के बाद इनडर सवेरा होने से तोड़ा पहले वाहा से निकल जाता था.

"मगर क्यू?",देविका ने इंदर को दीवार से लगा दिया & उसके सीने को पकड़
उसे चूमने लगी.वो पागल हो रही थी.

"वीरेन साहब हैं अपनी कॉटेज मे हैं.कही उन्होने ने देख लिया तो ग़ज़ब हो
जाएगा!",इंदर ने उसे परे धकेला.

"कैसे पता चलेगा?"

"नही,मॅ'म.प्लीज़.",मगर देविका सुनने के मूड मे नही थी.उसने इंदर को
घुमाया & खुद दीवार से लग गयी & अपने ड्रेसिंग गाउन की बेल्ट खोल दी.इंदर
हैरान रह गया गाउन के नीचे उसने कुच्छ नही पहना था.वो कुच्छ बोलता उस से
पहले ही देविका ने उसकी ज़िप खोल उसके लंड को बाहर निकाला & बाए हाथ से
उसे हिलाते हुए दाए से इंदर को अपने गले से लगा लिया & चूमने लगी.

इंदर भी कर तो नाटक ही रहा था.देविका के लंड पकड़ने से उसे भी जोश आ
गया.उसने अपनी बाहे देविका की कमर मे डाल दी & उसकी किस का जवाब देने
लगा.इंदर के हाथ देविका की कमर को सहलाते हुए नीचे हुए & उसकी मस्त गंद
की फांको पे कस गये.हुमेशा की तरह 1 बार फिर इंदर को अपना बदला याद आ गया
& उसने देविका की गंद को इतनी ज़ोर से भींचा की होठ उसके होंठो से कसे
होने के बावजूद उसकी कराह निकल पड़ी.

देविका को इंदर की यही अदा बहुत भा गयी थी.सीधा,शरीफ इंदर क़ुरबत के इन
शिद्दत भरे पलो मे बिल्कुल उलट इंसान बन जाता था.उसके नाज़ुक बदन से वो
जब इस तरह थोड़े रूखे तरीके से पेश आता तो उसका जोश दुगुना हो जाता
था.इंदर ने अपने दाए हाथ को उसकी गंद से नीचे किया & उसकी बाई जाँघ के
नीचे लगा उसे उठाया.देविका समझ गयी की इंदर क्या चाहता है & उसने उसके
लंड को हिलाना छ्चोड़ उसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया & जैसे ही लंड अंदर
दाखिल हुआ उसने सहारे के लिए दोनो हाथ उसके कंधो पे रख दिए.

इंदर उसे चूमता हुआ धक्के लगाने लगा.देविका ने इस तरह से खुले मे चुदाई
बस 1 बार की थी,टीले पे अपने पति के साथ मगर वाहा पकड़े जाने का डर नही
था मगर यहा तो किसी के भी देख लेने का डर था.इस डर से उसके दिल मे जो
रोमांच भर आया था वो उसे & भी मज़ा पहुँचा रहा था & ये उसके लिए बिल्कुल
नया एहसास था.उसका मज़ा पल-2 बढ़ रहा था.इंदर का लंड उसकी चूत की गहराइयो
मे उतर कर उसकी चूत मे अजीब सा तनाव पैदा कर रहा था.

देविका की चूचिया बिल्कुल तन गयी थी & निपल्स इतने कड़े हो अगये थे की
उनमे हल्का-2 दर्द भी हो रहा था.उसने इंदर के चेहरे को अपने गाल से अलग
किया & अपने सीने पे झुका दिया.उसकी टांग उठाए इंदर उसे चोद्ता हुआ उसकी
चूचियो को चूसने लगा.देविका चाहती थी की खुल कर आहे भरे मगर ये मुमकिन
नही था.उसके मज़े को आज खुल के इज़हार करने का मौका नही मिल रहा था & वो
जोश से बेचैन हो गयी थी.उसकी चूत अब इंदर के लंड पे और ज़्यादा कस रही
थी.इंदर समझ गया था की देविका अब अपनी मंज़िल के नज़दीक है.

देविका उसके गले को थामे उस से चिपकी थी & बड़ी मुश्किल से अपनी आहो को
रोके थी.इंदर ने उसकी उठाई हुई जाँघ को और भींचा & उसकी बाई चूची मे काट
लिया.

"आहह..",रोकते-2 भी देविका की आह निकल गयी & इंदर की इस हरकत ने आख़िरी
चोट का काम किया & वो झाड़ गयी मगर आज उसने इंदर को उसी की ज़ुबान मे
जवाब दिया & अपनी आह रोकने के लिए उसके बाए कंधे मे अपने दाँत गाड़ा दिए.

"ओह्ह्ह्ह...",इंदर कराहा & झटके ख़ाता हुआ अपना गरम वीर्या उसकी चूत मे
छ्चोड़ने लगा.दोनो अपनी-2 मंज़िल पा गये थे.इंदर ने थोड़ी देर बाद अपना
लंड चूत से बाहर खींचा & देविका के गाउन के बेल्ट को बाँध दिया.उसके होंठ
चूम उसने उसे अंदर जाने का इशारा किया & जैसे ही वो अंदर गयी वो भी अपने
क्वॉर्टर की ओर मूड गया.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"चलें.",कामिनी वीरेन की कॉटेज से बाहर आई.उसने डेनिम शॉर्ट्स & उसके उपर
1 कॉटन की पूरे बाज़ू की सफेद शर्ट पहनी थी & पैरो मे बिना मोज़े के
स्नीकर्स.

"हूँ.",वीरेन ने उसे सर से पैर तक देखा & जीप स्टार्ट कर दी.पिच्छली बार
की तरह इस बार रात को किसी ने उनकी खिड़की से अंदर नही झाँका था & कामिनी
को वीरेन से चुदने के बाद बड़ी अच्छी नींद आई थी.जीप मे वीरेन के बगल मे
बैठी वो बड़ा हल्का महसूस कर रही थी.जीप चलते हुए वीरेन ने अपना बाया हाथ
उसकी नंगी दाई जाँघ पे रखा & सहलाने लगा तो कामिनी उसे देख शोखी से
मुस्कुराइ.

थोड़ी ही देर मे जीप झील पे पहुँच गयी.वीरेन ने जीप की पिच्छली सीट से
अपना बॅग & ईज़ल उठाया & अपना समान ठीक करने लगा.

"अब इधर आओ,कामिनी.",वीरेन अपना ईज़ल सेट कर पलटा तो उसका मुँह खुला का
खुला रह गया.कामिनी ने अपनी कमीज़ उतार दी थी & उसके नीचे पहनी काले रंग
की वेस्ट & उसके पतले स्ट्रॅप्स के नीचे से झँकते ट्रॅन्स्परेंट ब्रा
स्ट्रॅप्स मे कसी उसकी मस्त चूचियो का मनमोहक हिस्सा वेस्ट के गले से
झाँक रहा था.

"क्या हुआ?",कामिनी ने शोखी से पुचछा & लहराती हुई उसके करीब आई.

"इधर आओ.",वीरेन ने उसे अपने पास खीच के चूम लिया.

"क्या करते हो?कोई आ गया तो?"

"यहा कोई नही आता & आ भी गया तो क्या!",वीरेन ने उसकी चूचियो को दबाया &
उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ाई.

"इसे उतारो.",उसने अपना बाया हाथ उसकी वेस्ट मे घुसा उसके चिकने पेट को सहलाया.

"उम्म..ना.",कामिनी इटराई.

"ठीक है,मैं करता हू ये शुभ काम.",इंदर ने उसकी कमर पकड़ उसे जीप के
बॉनेट पे बिठाया & फिर उसकी वेस्ट निकाल दी.ट्रॅन्स्परेंट स्ट्रॅप्स की
वजह से ऐसा लग रहा था की ब्रा बस उसकी चूचियो को ढँके हुए है & उसके उपर
का हिस्सा खाली है.वीरेन ने अपनी बाहें कामिनी की कमर पे लपेटी & उसके
सीने के उपर के हिस्से को चूमने लगा.

"उन्न्न.....बस जब देखो ऐसी ही तस्वीरे बनाते हो.",कामिनी ने उसके सर को सहलाया.

"क्या करू?ऐसी हुस्न की मालिक की और कैसी तस्वीर बनाऊँ.",वीरेन उसके ब्रा
के कप्स को नीचे कर उसकी चूचिया नंगी कर रहा था.

"तुम तो बस मेरे कपड़े उतारने के बहाने ढूनडते हो.",वीरेन ने कप्स नीचे
कर उसकी चूची चूमि तो कामिनी ने उसके सर को अपने सीने से हटा दिया.

"उतारो ना,कामिनी फिर देर हो जाएगी."

"1 शर्त पे."

"आज तुम भी कपड़े उतार के पैंटिंग करोगे.",जवाब मे वीरेन मुस्कुराया &
अपने कपड़े उतारने लगा.पूरा नंगा होके वो कामिनी के पास आया & उसकी टाँगे
चूमने लगा.चूमते हुए उसने उसके स्नीकर्स निकाले & पाँवो की 1-1 उंगली को
मुँह मे ले चूसा.कामिनी का जिस्म रोमांच से भर गया & उसने बॉनेट पे पीछे
अपने हाथ जमा लिए & उसकी हर्कतो का लुत्फ़ उठाने लगी.वीरेन टाँगो को
चूमता हुआ उसकी जाँघो पे पहुँचा & वाहा पहुचते ही उसके होठ चूमने के बजाय
चूसने लगे.

"ओई मा.....हाइईइ...!",कामिनी के बदन मे वीरेन ने आग लगा दी.उसने उसकी
शॉर्ट्स के बटन को खोला तो कामिनी ने खुद ही अपनी गंद थोड़ी सी उचका
दी.वीरेन ये देख बहुत खुश हुआ की कामिनी ने आज पॅंटी नही पहनी
है..शॉर्ट्स किनारे कर उसने उसकी जंघे फैलाई & उसकी चूत से अपने होठ
चिपका दिए.

उस वीरान को कामिनी की मस्त आहो ने गुलज़ार कर दिया.वीरेन तब तक उसकी चूत
से चिपका रहा जब तक की वो झाड़ नही गयी.उसके झाड़ते ही उसने उसका ब्रा
निकाला & कामिनी को अपनी बहो मे उठा लिया.झील से थोड़ा हट के 1 पेड़ था
जोकि सीधा उगने के बजाय ज़मीन के पॅरलेल सा उग गया था.पेड़ काफ़ी पुराना
था & उसका तना काफ़ी मोटा.वीरेन ने अपनी महबूबा को उसी तने पे लिटाया &
डाई करवट लेने को कहा.

थोड़ी ही देर बाद नंगी कामिनी पेड़ के तने पे अपने दाए हाथ को अपने सर के
उपर पेड़ के तने पे सीधा फैलाए & बाए को अपनी कमर से लगाए लेटी थी &
वीरेन के हाथ तेज़ी से कॅन्वस पे चल रहे थे.कामिनी के चेहरे पे थोड़ी ही
देर पहले वीरेन की ज़ुबान के ज़रिए झड़ने के चलते सुकून & खुमारी के
मिले-जुले भाव थे.उसे वीरेन पे बहुत प्यार आ रहा था & बीच-2 मे वो उसे
होंठो को गोल कर चूमने का इशारा कर रही थी.वीरेन का लंड पूरा तना हुआ था
& जब-2 कामिनी की नज़र उसपे पड़ती उसके दिल मे उसे जल्द से जल्द अपनी चूत
मे लेने की चाहत हो उठती.
Reply
08-16-2018, 02:23 PM,
#95
RE: Kamukta Story बदला
वीरेन ने अपने बॅग से कुच्छ रंग निकाले & 1 पॅलेट नाइफ.अपने पॅलेट मे रंग
डाल वो रंग उसी नाइफ से मिलने लगा.ये च्छुरी आम रसोई मे इस्तेमाल होने
वाली च्छुरी जैसे ही थी बस इसकी धार उतनी तेज़ नही थी बल्कि धार थी ही
नही.रंग मिलाते हुए वीरेन ने कामिनी को देखा तो पाया की उसका बाया हाथ
उसकी कमर से उतर उसकी चूत पे आ गया है & वीरेन को देखते हुए कामिनी अपने
दाने पे गोल-2 उंगली चला रही है.कामिनी के चेहरे पे मस्ती च्छाई हुई थी.

रंग मिलाते हुए वीरेन पॅलेट नाइफ ले उसके करीब आया & उसकी कमर के नीचे
जहा से बाई जाँघ शुरू होती है उसपे नाइफ से रंग लगाया,"क्या कर रहे
हो?",कामिनी की खनकती आवाज़ ने सन्नाटे को तोड़ा.

"तुम्हारे जिस्म के रंग सा रंग नही मिलता वही ढूंड रहा हू.",नाइफ जाँघ पे
थोड़ा और नीचे आई.कामिनी अभी भी अपने दाने को सहला रही थी.

"कोई पहली बार मेरी तस्वीर बना रहे हो क्या?"

"नही.पर हर तस्वीर मे ना तुम्हारा हुस्न बिल्कुल सच्ची तरह से उतरा है ना
ही तुम्हारा रंग.",नाइफ घुटनो तक आ जाँघ के अंदर की ओर घूम गयी.रंग की
लकीर जैसे-2 कामिनी की चूत की ओर बढ़ रही थी कामिनी की चूत की कसक वैसे-2
बढ़ती जा रही थी.नाइफ चूत के पास पहुँची तो वीरेन ने कामिनी की आँखो मे
झाँका-वाहा बस खुमार ही खुमार था.उसने नाइफ को चूत के अंदर धकेला.

"उम्म्म..",कामिनी दाने को रगड़ते हुए कराही.नाइफ अंदर घुसने लगी & थोड़ी
ही देर मे वो उसकी चूत मार रही थी.पेड़ का तना काफ़ी मोटा था & नाइफ की
हरकत से बेचैन कामिनी ने करवट बदली & अब सीधा लेट गयी.उसकी दाई टांग पेड़
से नीचे लटक गयी & बाई को मोड़ उसने अपना बाया पाँव पेड़ पे जमा अपनी चूत
अपने महबूब के लिए खोल दी.वीरेन उसकी चूत मारे जा रहा था.

"कामिनी,ऐसा लगता है की दुनिया शुरू हुई है & बस हम दोनो ही हैं यहा इस
जहाँ मे & कोई भी नही.",वीरेन की नाइफ अब उसकी चूत मे थोड़ा तेज़ हो गयी
थी.वीरेन ने माहौल की गर्मी से मदहोश हो ये बात कही थी & उसे पता नही था
की वो कितना ग़लत था.इंदर ने जब देखा की दोनो जीप मे कही निकले हैं तो वो
भी उनके पीछे लग गया था & इस वक़्त पेड़ो के झुर्मुट मे च्छूपा उनका
मस्ताना खेल देख रहा था.

"ओह्ह..वीरेन..",कामिनी का बदन मचल रहा था & वो अपनी कमर उचका रही
थी,"..ऊव्व...आअनह..ुआर
तेज़..हा...ऐसे..ही...आँह..हन...हाआअन्न....हाआआआआअंन्न..!",कमर उचकती
कामिनी झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही वीरेन ने नाइफ को छ्चोड़ा & उसकी फैली
टाँगो को हवा मे उठा उनके बीच रस बहाती चूत मे अपना लंड घुसा दिया.वीरेन
ने दोनो टाँगे पेड़ के तने के दोनो ओर ज़मीन पे जमा दी थी & हल्के-2
धक्के लगा रहा था.कामिनी ने सहारे के लिए हाथ अपने सर के उपर ले जा तने
को थामा हुआ था.इस तरह से चोदने मे नयापन तो था मगर दोनो प्रेमियो को
आराम नही महसूस हो रहा था.वीरेन चोद्ते हुए झुका तो कामिनी उस से लिपट
गयी.वीरेन ने भी हाथ उसकी गंद के नीचे जमा उसे गोद मे उठाया फिर दाई टांग
को उठा तने के उपर से दूसरी तरफ लाया & अपनी माशुक़ा की चूत मे लंड धंसाए
उसे गोद मे उठाए जीप की पिच्छली सीट पे ले आया.

कामिनी को सीट पे लिटा वीरेन गहरे धक्को के साथ उसकी चुदाई मे जुट
गया.कामिनी उसकी पीठ खरोंछती आहे भर रही थी.वीरेन उसकी चूचियो को कभी
चूमता तो कभी चूस्ता उसके हाथ अभी भी कामिनी की गंद के नीचे दबे उसकी
फांको को मसल रहे थे.उनकी चुदाई से जीप बुरी तरह हिल रही थी.थोड़ी देर तक
इंदर उस हिलती जीप को देखता रहा & फिर वाहा से जाने को मूड गया.कोई 5
मिनिट बाद उसे 1 चीख सुनाई दी.ये कामिनी की आह थी जो उसने तीसरी बार
झड़ने पे ली थी.इंदर मुस्कुराया & अपने रास्ते पे आगे बढ़ गया.
..................................
"ह्म्म..",मोहसिन जमाल के हाथो मे शिवा की फोटो & डीटेल्स थे जो कामिनी
अपने साथ सहाय एस्टेट से लेके आई थी,"..आदमी फ़ौजी था & इस हाल की तस्वीर
से चुस्त-दुरुस्त भी लगता है.उपर से साहब मुजरिमाना तबीयत के मालिक
हैं!",उसने तस्वीर & काग़ज़ 1 पॅकेट मे डाले & अपने पास रख लिए.

"काम थोड़ा मुश्किल होगा,कामिनी जी."

"पता है,मोहसिन.तभी तो तुम्हे याद किया है.वैसे शुरुआत कहा से करोगे?"

"इसके बड़े भाई से.",मोहसिन उठ खड़ा हुआ,"अच्छा,कामिनी जी चलता हू.सारी
रिपोर्ट आपको वक़्त-2 पे मिलती रहेगी."

"1 मिनिट,मोहसिन.",कामिनी ने उसे बैठने का इशारा किया.कामिनी को समझ नही
आ रहा था की उसे ये बात बताए या नही,"देखो.."

"क्या बात है,कामिनी जी?आप बेझिझक कहिए.आप जानती हैं की आपके & मेरे बीच
हुई कोई भी बात इस कमरे के बाहर तो जाने से रही.",मोहसिन ने उसे भरोसा
दिलाया.

"मोहसिन,मुझे शक़ है की इस शिवा का चक्कर सहाय एस्टेट की मालकिन देविका
सहाय से था & अगर इसे ज़रा भी भनक लगी की कोई उसके पीछे है या फिर उसे
क़ानून के हवाले करना चाहता है तो वो देविका के खिलाफ कुच्छ भी कह सकता
है जिस से की उसकी इज़्ज़त पे आँच आए."

"ह्म्म..",मोहसिन ने अपनी ठुड्डी खुज़ाई,"..ठीक है,मैं इस बात का ख़याल
रखूँगा & जैसे ही इसके बारे मे पता चलता है आपको इत्तिला करूँगा."

"थॅंक्स,मोहसिन."

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः............
Reply
08-16-2018, 02:24 PM,
#96
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"क्या?!!ऐसा करना ज़रूरी है?"

"हां."

"मगर इसके अलावा कोई और रास्ता तो होगा?उसे..उसे क्यू..?"

"हमारे साथ क्या हुआ था?"

इस सवाल पे कान से मोबाइल लगाए खड़ा इंदर खामोश हो गया.

"बहुत ज़रूरी है ये हमारे बदले के लिए,भैया.ऐसा उन..-",तभी कोई आ गया &
उस इंसान ने फोन काट दिया.इंदर अपने बदले की हवस मे अँधा हो चुका था.उसे
कुच्छ भी ग़लत नही लगता था.सुरेन सहाय का क़त्ल किया था उसने,किसी चाकू
या पिस्टल से ना सही बल्कि 1 बीमार शख्स की दवा को ज़हर से बदल
के....लेकिन अब जो करने की तैय्यारि थी वो..!पहली बार इंदर का विश्वास
डगमगा रहा था....मगर उसका कहना भी सही था सहाय ने कभी उसके साथ इंसाफ़
किया था जोकि वो करता.उसने अपना फ़्लास्क उठाया & 1 लंबा घूँट भरा.शराब
की जलन ने उसे सुकून पहूचाया & उसने आँखे बंद कर ली....अब अगर यही तय हुआ
है तो यही होगा.आगे देखा जाएगा!


"साला!फ़ौजी होके धोकेबाज़ी करता है!",सुखबीर सिंग भुल्लर उर्फ सुखी ने
शिवा की तस्वीर को बड़ी नफ़रत से मेज़ पे पटका.मोहसिन जमाल का ये होशियार
जासूस शिवा की तरह ही फौज मे काम कर चुका था,"..फ़िक्र ना करो,सर.इस
कमिने को तो ढूंड ही निकालूँगा.",उसने तस्वीर को लिफाफे मे डाला & उसे
उठा वाहा से निकल गया.

सुखी ने काम तो शुरू कर दिया पर उसे बड़ी मुश्किले आ रही थी.शिवा पंचमहल
मे अपने भाई के यहा नही आया था बस उन्हे फोन पे खबर दी थी की अब उसने
एस्टेट की नौकरी छ्चोड़ दी है.सुखी को शिवा का भाई 1 भला आदमी लगा & उसकी
बातो से शिवा की तस्वीर भी 1 उसूलो के पक्के ईमानदार की शख्स भी उभर रही
थी मगर सुखी ने जासूसी के पेशे मे रहते इतना समझ लिया था की हर इंसान
चेहरे पे मुखौटा लगाए घूमता है & उनमे से कुच्छ मुखोटो के पीछे छीपी असली
शक्ल बड़ी ही घिनोनी होती है.

सुखी के हाथ शिवा का मोबाइल नंबर लग गया था & अब वो उसे ही मिला रहा था"हेलो."

"हेलो."

"सर,मैं स्टंप मोबाइल कंपनी से बोल रहा हू,आपके 2 मिनिट लेना चाहूँगा."

"किस सिलसिले मे?"

"सर,हमारी कंपनी ने 1 नयी सर्विस लॉंच की है जिसमे आपको.._"

"क्या मैं बाद मे बात कर सकता हू?"

"शुवर सर जैसी आपकी मर्ज़ी.आपका शुभ नाम जान सकता हू,सर?"

"शिवा."

थॅंक यू,शिवा सर.हॅव ए नाइस डे!",सुखी का काम हो गया था.जब से मोबाइल फोन
हमारी ज़िंदगी मे आए हैं हम झूठ कुच्छ ज़्यादा बोलने लगे हैं मसलन आप
अपनी गर्लफ्रेंड के जिस्म की गहराइयो मे डूब रहे होंगे & फोन बजेगा तो
बीवी को बोलेंगे की क्लाइंट के साथ बोरिंग मीटिंग मे हैं!अब ऐसे बेवफा
खविन्दो से निबटने के लिए बीवियो को कुच्छ तो चाहिए.

ऐसा ही 1 हथ्यार है मोबाइल ट्रॅकिंग सॉफ्टवेर जिसका 1 बहुत ही उम्दा
वर्षन मोहसिन ने अपनी एजेन्सी के लिए ले रखा था.सुखी ने शिवा से कोई
30-40 सेकेंड बात की थी & उसी बीच उसे पता लग गया था की शिवा बाहरगुँज मे
है.अपने भाई का घर होते हुए भी कोई आदमी होटेल मे रहे इसका क्या मतलब हो
सकता है?सुखी बाहरगुँज की ओर बाइक भगाता यही सोच रहा था....जो भी मतलब हो
शिवा वो तो तुम अब अपने मुँह से ही बोलॉगे!..बिके तेज़ी से बाहरगुँज की
दिशा मे बढ़ गयी.

बाहरगुँज मे सस्ते होटेल्स की भरमार थी.अब उस भूसे मे शिवा जैसी सुई को
ढूँढना सुखी को काफ़ी मुश्किल लग रहा था.उसने सारी बात मोहसिन को बताई.इस
वक़्त शाम के 6 बज रहे थे & पूरे इलाक़े मे ख़ासी चहल-पहल थी.सुखी 1
लस्सी की दुकान पे लस्सी का दूसरा ग्लास ख़त्म कर रहा था जब मोहसिन की
बाइक उस दुकान के सामने रुकी,"आओ पा जी..ला ओये इक और ग्लास!",दुकान के
नौकर ने 1 ग्लास मोहसिन को थमाया.

"यहा के थानेदार से बात कर आया हू..",मोहसिन ने लस्सी का घूँट भरा,"..वो
अपने कॉन्स्टेबल्स को काम पे लगा रहा है.शाम की बेटा के हवलदार हर होटेल
के रिजिस्टर चेक करेंगे & शिवा की उम्र & कद-काठी वाले आदमी के बारे मे
पुचहताच्छ करेंगे मगर किसी को ना शिवा का नाम बताएँगे ना उसे ढूँढने की
वजह."

"चलो,बढ़िया है सर ये भी कुच्छ काम करें वरना इन्हे तो बस हर दम इसी की
चिंता लगी रहती है.",सुखी ने हाथो की उंगलियो से रुपयो का इशारा किया.

"ऐसी बात नही है सुखी.अब क्या किया जाए!अँग्रेज़ चले गये मगर उनकी बनाई
हर चीज़ को हमने जैसे का तैसा अपना लिया.ये भूल गये की वो हमे ग्युलम
बनाने के लिए,दबाने के लिए पोलीस का इस्तेमाल करते थे.अब आज़ादी मिली तो
हमने अपनी पोलीस को कभी ये नही सिखाया की आप हमारी हिफ़ाज़त के लिए हैं
ना की हमे नियम क़ानून सिखाने के लिए!..उपर से हमारे नेता..अपनी जेब तो
भरते रहते हैं पर इन बेचारो का ना नये हथ्यार देते हैं ना बढ़िया
तनख़्वाह ना ही कोई और सुविधा."

"सर,ये तो सही बात है मगर फिर भी ईमानदार पोलीस वाले भी तो हैं."

"बिल्कुल है,सुखी.मैं ये नही कह रहा की हर पोलीस वाला मजबूरन बेईमान बनता
है,इनमे से कुच्छ तो ऐसे गलिज़ इंसान हैं की उन्हे देख लो तो मुजरिम भी
साधु लगने लगे,मैने तो बस सिक्के का दूसरा पहलू तुम्हारे सामने रखा
था.",मुल्क की पोलीस मे करप्षन पे शायद ये बहस और चलती अगर मोहसिन का
मोबाइल ना बजा होता,"चल,सुखी.काम हो गया."

"बैठो,मोहसिन.",थानेदार सतबीर सिंग बाथरूम से हाथ धोके रुमाल से पोंचछते
बाहर निकले,"अरे गंगा दस!"

"जनाब!",1 चुस्त हवलदार कॅबिन मे आया.

"बता भाई,मोहसिन भाई को क्या पता चला है तुझे.",सतबीर सिंग अपनी कुर्सी
पे बिल्कुल आड़ के बैठ गये.

"साहब,आपने जिस आदमी के बारे मे कहा था वो तो अपने नाम से & अपनी असली आइ
डी दिखा के होटेल रॉयल मे ठहरा हुआ है."

"अच्छा."

"हां,पिच्छले 4 दीनो से वाहा है & मॅनेजर से थोड़ी बहुत बात-चीत भी हुई
है उसकी तो उसने बताया की पहले सहाय एसटेट मे था.अब नौकरी छ्चोड़ कही और
ढूंड रहा है इसलिए ऐसे होटेल मे ठहरा है.वेटर्स को भी आदमी ठीक लगता है."

"ह्म्म....",थानेदार सतबीर ने दोनो हाथ जोड़ के अपने माथे पे रखे हुए
थे,"..बहुत अच्छे.किसी को शक़ तो नही हुआ ना,गंगा?"

"नही,जनाब.मैने यही बोला की उपर से ऑर्डर्स आए हैं कि ज़रा होटेल वालो को
टाइट करो."

"बढ़िया किया,बेटा.चल पहले चाइ पी & फिर निकल."

"जनाब.",सलाम ठोंक हवलदार गंगा दास कॅबिन से निकल गया.

थानेदार सतबीर सिंग कोई 40 बरस के होंगे.वक़्त के साथ लंबे कद के थानेदार
का पेट थोड़ा निकल आया था.सलीके से काढ़े बाल & मूँछछो मे वो 1 पक्का
पोलिसेवाला लगता था.उसके बैठने के अंदाज़ & हाव-भाव से लगता की वो आदमी
किसी बात को गंभीरता से नही ले रहा मगर ये बिल्कुल ग़लत बात थी.वो 1 बहुत
चालक & समझदार इंसान था.ऐसे ही वो थोड़े इस इलाक़े का-जहा से महकमे को
मोटी कमाई होती थी,
Reply
08-16-2018, 02:24 PM,
#97
RE: Kamukta Story बदला
पिच्छले 3 सालो से इंचार्ज था.उसके रहते ना कमाई मे
कमी हुई ना जुर्म मे इज़ाफ़ा.

"मोहसिन भाई.",वो अभी भी हाथो को जोड़ के माथे पे टिकाए था लेकिन अब
कोहनिया मेज़ पे टिकी थी.

"जी,सिंग साहब."

"आपने जो बाते बताई & जिस तरह से ये इंसान यहा होटेल मे रुका है..ये दोनो
बाते साथ नही जा रही."

"ह्म्म."

"अब अगर कोई इंसान कोई जुर्म प्लान कर रहा है या फिर बस उसके इरादे नापाक
हैं तो वो अपना असली नाम बताने से बचेगा,ज़्यादा घुले-मिलेगा नही.1 होटेल
मे 2 दीनो से ज़्यादा नही रुकेगा..लेकिन ये इंसान तो सब कुच्छ उल्टा कर
रहा है.",सतबीर सिंग ने हाथ चेहरे से हटा अपने सर के पीछे बाँध लिए
थे,"..मुझे नही लगता की ये आदमी ग़लत है & अगर है तो फिर उसके पीछे कुच्छ
और ही कहानी है."

"ह्म्म..",मोहसिन बिल्कुल खँसोह था.दरअसल अब उसे भी उलझन हो रही थी.

"देखो मोहसिन भाई,ये इलाक़ा मेरा है & मैं यहा सब कुच्छ काबू मे रखता
हू....मैं डंडा नही चलाता क्यूकी भाई सब पेट के लिए ही लगे हैं लेकिन कोई
अगर हद्द पार करे या फिर मेरे इलाक़े का रेकॉर्ड खराब करने की कोशिश करे
तो उसकी मैं अच्छे से बजाता हू."

मोहसिन थानेदार की बात समझने की कोशिश कर रहा था,"अरे,मेरी बात नही
समझे!..",थानेदार हँसने लगा,"..क्या मोहसिन भाई!मैं तो ये कह रहा हू की
कहो तो उठा लाएँ यहा पत्थे को & बाते करे?"

"अरे नही,सिंग साहब.",मोहसिन हँसने लगा,"..किस बात पे उठाएँगे & अगर किसी
को भनक लग गयी तो बिना बात के आपको आपरेशन करेगा की बेगुनाह को उठा
लिया.मुझे आपकी बात ठीक लगती है की अगर ये शख्स 1 क्रिमिनल है तो फिर
उसकी तरह बर्ताव क्यू नही कर रहा?"

"2 वजह है उसकी,मोहसिन भाई."

"कौन-2 सी?"

"पहली..",बाया हाथ सर के पीछे लगाए डाए को आगे कर सतबीर सिंग ने पहली
उंगली उठाई,"..की ये सुधार गया है & दूसरी..",अब दूसरी उंगली भी उपर
थी,"..कि इसने जुर्म किया ही नही था."

"शुक्रिया सिंग साहब."मोहसिन उठ खड़ा हुआ,"..आपके आदमियो ने & उस से भी
ज़्यादा आपकी सलाह ने मेरी मदद की है."

"क्या मोहसिन भाई!तकल्लूफ भरी बाते करते हो."

"सिंग साहब,आपको बिल्लू याद है?"

"उस हरामी की औलाद को कौन भूल सकता है!",सतबीर सिंग की थयोरिया चढ़ गयी.

"एच-876,भत्तरपुरा.",मोहसिन ने मुस्कुराते हुए कहा & सुखी के साथ कॅबिन
से निकल गया.थानेदार के होंठो पे मुस्कान फैल गयी.बिल्लू ने इलाक़े मे
वारदात की थी जिसमे 1 विदेशी सैलानी को चोट आ गयी थी & मामला मीडीया मे
बहुत उच्छला था & सतबीर सिंग की बड़ी च्छिच्छलेदार हुई थी.आज आएगा पत्ता
पकड़ मे & उसे सतबीर सिंग अपने हाथो से तोड़ेगा,"..ओये इधर आओ ओये काम
करे कुच्छ!"

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

"कैसी हो,जानेमन?",वीरेन की आवाज़ सुनते ही कामिनी के होंठो पे मुस्कान फैल गयी.

"अच्छी हू.तुम बताओ.कैसी चल रही है तुम्हारी टीचिंग?",वीरेन रोमा के कहने
पे इस हफ्ते एस्टेट पे ही रुक गया था & प्रसून को पैंटिंग के गुर सीखा
रहा था.

"बहुत अच्छी.कामिनी,मैने तो बच्चो का दिल रखने के लिए रोमा की बात मानी
थी मगर प्रसून मे वाकई हुनर है.मज़ा आता है उसे सिखाने मे.सब कुच्छ समझ
के ऐसी तस्वीर पेश करता है की मैं चौंके बिना नही रह सकता!"

"अच्छा है ना,वीरेन.उसे भी 1 मक़सद मिलेगा तो वो भी हम सबके साथ कदम
मिलाके चलेगा.रोमा सच मे बड़ी भली लड़की लगती है.देविका जी ने जब शादी की
बात की थी तो मुझे लगा था की वो कुच्छ ठीक नही कर रही पर उपरवाले का
शुक्र है की मैं ग़लत थी.",दोनो इसके बाद कोई 15 मिनिट तक बाते करते रहे
& फिर अपने-2 बिस्तरॉ मे तन्हा सोने चले गये.

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

तन्हा तो आज देविका भी थी.इंदर ने आज उसे मना कर दिया था क्यूकी वीरेन
वाहा था.दोनो चोरी च्छूपे जब भी मौका मिलता 1 दूसरे के जिस्मो से खेल
लेते मगर दोनो ही जानते थे की जब तक वीरेन यहा है दोनो की राते तन्हा
गुज़रने वाली हैं. देविका ने बिस्तर पे लेट तकिये को अपने सीने से लगाया
& आँखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगी.

रॉयल होटेल के दरवाज़े के बाहर खड़े मोहसिन जमाल & सुखी बाते कर रहे
थे,"सुखी,हमारा काम केवल इसे ढूँढना था.ये मिल गया है तो अब इस्पे नज़र
रखनी है.आगे तो क्लाइंट ही बताएगा की क्या करना है."

"मतलब की आज मेरी ड्यूटी यहा है?"

"बिल्कुल पा जी!",मोहसिन मुस्कुराता हुआ वाहा से निकल गया.अपने ऑफीस
पहुँचते ही उसने कामिनी को फोन लगाया.

"अब बताइए कामिनी जी की क्या करें?"

"मोहसिन,तुम्हारी बातो ने तो पशोपेश मे डाल दिया है.अब बिना इस से मिले
तो ये मामला सुलझने से रहा लेकिन आज तो काफ़ी देर हो चुकी है.कल मैं उस
से खुद मिलूंगी.तब तक उसपे नज़र रखो."

"ओके,कामिनी जी."

-------------------------------------------------------------------------------
क्रमशः...........
Reply
08-16-2018, 02:24 PM,
#98
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..
इंदर की बेचैनी अब बढ़ने लगी थी.प्लान अब अपने आख़िरी स्टेज पे पहुँच रहा
था...बस 1 बार वीरेन एस्टेट से पंचमहल वापस लौट जाए.सवेरे ही उसे रजनी का
फोन आया था,उसके पिता की तबीयत थोड़ी नसाज़ थी & इस वजह से वो कुच्छ दिन
और अपने घर रुक रही थी.ये बात भी इंदर के हक़ मे थी.बस अब सही मौके की
तलाश थी.

और वो मौका मिला मगर उसके पहले कुच्छ ऐसी मामूली सी बात हुई जोकि अगर ना
हुई होती तो शायद सहाय परिवार आने वाले ख़तरे से शायद बच जाता.हुआ यह की
शिवा को होटेल के 1 वेटर ने बता दिया की 1 सरदार जी उसपे नज़र रखे हुए
है.शिवा को लगा की हो ना हो ये इंदर की कोई चाल है & वो बड़ी चालाकी से
सुखी की नज़रो से बच के उस होटेल से निकल गया & उल्टे सुखी पे नज़र रखने
लगा.इस वजह से कामिनी & शिवा की मुलाकात ना हो सकी & कामिनी को इंदर की
असलियत भी नही पता चली.

जिस तरह से उसे हर कदम पे कामयाबी मिली थी उसे लगने लगा था की ना केवल
किस्मत बल्कि उपरवाला भी उसके साथ है.अब जो वो करने वाला था वो था तो
घिनोना काम मगर शायद इंसाफ़ के नज़रिए से सही था.वीरेन सवेरे ही पंचमहल
लौट गया था लेकिन इंदर ने आज भी खराब तबीयत का बहाना बनाके देविका को रात
को उस से मिलने से मना कर दिया था.इस बात से देविका को झल्लाहट तो हुई
मगर वो क्या करती!मन मार कर वो किसी तरह सो गयी.

वही दूसरे कमरे मे रोमा & प्रसून सोने की तैय्यारि मे थे.रोमा ने आँखो के
कोने से देखा की प्रसून उसे ही नंगा होते देख रहा है.वो मन ही मन
मुस्कुराइ....कहने को मंदबुद्धि था..इस मामले मे तो बहुत दिमाग़ चलता था
इसका..वो जानती थी की जैसे ही वो बस ब्रा & पॅंटी मे रह जाएगी वो उसे
दबोच लेगा.उसे भी उसकी ये हरकते अच्छी लगने लगी थी.रोमा गुनगुनाते हुए ये
जताने लगी की उसे प्रसून की नज़रो का ख़याल ही नही है & अपनी सारी उतारने
के बाद अपने पेटिकोट को खोलने लगी.

जैसे ही पेटिकोट उसकी कमर से ढालका की प्रसून ने उसे दबोच लिया & उसके
चेहरे से अपना चेहरा रगड़ने लगा.रोमा को हँसी आ गयी & हंसते हुए वो अपने
पति को दूर करने लगी.प्रसून को रोमा ने जो खेल सिखाया था वो उस खेल का ना
केवल दीवाना बन चुका था बल्कि उसका पक्का खिलाड़ी भी बन चुका था.उसके हाथ
रोमा की सफेद पॅंटी मे च्छूपी गंद से जा लगे थे & वो उसे बिस्तर की ओर
खींच रहा था,"..उउंम...मुझे कपड़े तो बदलने दो..आहह....क्या करते
हो!",प्रसून उसके ब्लाउस के उपर के हिस्से पे चूम रहा था & उसके हाथ रोमा
की कसी गंद को बहुत ज़ोरो से दबा रहे थे.

प्रसून ने रोमा को बाहो मे भरे हुए बिस्तर पे लिटाया & उसके उपर चढ़ उसके
होंठ चूमने लगा.उसका लंड रोमा की चूत के उपर दबा था & उसके हाथ रोमा की
पीठ पे.रोमा के मुँह मे घुसी उसकी ज़ुबान रोमा के बदन मे बिजलिया दौड़ा
रही थी & थोड़ी ही देर मे जब प्रसून बेचैनी से अपनी कमर हिला अंडरवेर मे
च्छूपे अपने लंड को रोमा की पॅंटी मे छिपि चूत पे रगड़ने लगा तो उसका बदन
मस्ती के मारे थरथराने लगा & उसकी चूत गीली होने लगी.

प्रसून ने अपने हाथ अपनी बीवी की पीठ के नीचे से निकाले & सामने ला उसकी
चूचियो को ब्लाउस के उपर से ही दबाने लगा.रोमा अब काफ़ी गरम हो चुकी
थी,उसने अपनी टाँगे अपने पति कमर पे कस दी & नीचे से अपनी कमर हिलाने
लगी.प्रसून को अपनी बीवी की चूचियो से खेलना बहुत अच्छा लगता था.रोमा भी
जानती थी की जब तक वो बेचैनी से पागल ना हो जाए वो उसकी चूचियो को नही
छ्चोड़ेगा.

प्रसून ने फटाफट ब्लाउस के हुक्स खोले & फिर उसके बार के उपर से ही उसके
उरोजो को चूम लिया,"आहह..",रोमा ने उसके सर को अपने सीने पे दबाया तो
प्रसून ने 1 बार फिर अपने हाथ उसकी पीठ से लगाए & उसके ब्रा के हुक्स को
खोला & कप्स को उपर कर तेज़ सांसो के चलते उपर-नीचे हो रहे अपनी बीवी के
उभरो को नुमाया कर दिया.इसके बाद तो कमरे मे बस रोमा की आहे गूँज रही
थी.प्रसून उन्हे दबाते हुए चूस रहा था.रोमा की बाई चुचि को मुँह मे भर
उसने इतनी ज़ोर से चूसा की उसकी कमर को अपनी टाँगो मे फँसाई रोमा झाड़
गयी.

उसके झाड़ते ही प्रसून ने बाई को छ्चोड़ दाई चूची को मुँह मे भरा & उसके
साथ भी वोही हरकत दोहराई.रोमा की चूचियो को कयि पॅलो तक उसकी ज़ुबान &
हाथो के रहमोकरम पे रहने के बाद रोमा ने उसे पलटा & उसके उपर सवार हो
गयी.अपनी चूत से उपर से उसके लंड को दबाते हुए उसने कमर हिला हल्के धक्के
लगाए & उसे चूमने लगी.प्रसून के हाथ अभी भी उसकी छातियो को दबा रहे थे.

थोड़ी देर बाद रोमा अपने पति के होंठो को को छ्चोड़ उपर हुई & अपने जिस्म
से अपने ब्लाउस & ब्रा को उतार दिया.उसके सीधा होते ही प्रसून के हाथ
उसकी आँखो के सामने छल्छला रहे उसके उरोजो से लग गये,"ऊन्न्ह्ह.....कितनी
पसंद है तुम्हे ये?!!.....अब छ्चोड़ो भी...ऊओवव...."

रोमा ने देखा की इंदर उसके सीने पे रहम नही खाने वाला तो उसने भी उसे
तड़पाने की सोची & झट से उसके उपर से उतर गयी & उसके अंडरवेर मे हाथ डाल
दिया.अब आहे भरने की बारी प्रसून की थी.इतने दीनो के बाद वो अब रोमा के
हाथ लगने से झाड़ता तो नही था मगर फिर भी जब भी उसकी प्यारी बीवी उसके
लंड से खेलती उसका खुद पे काबू रखना बड़ा मुश्किल हो जाता.
Reply
08-16-2018, 02:24 PM,
#99
RE: Kamukta Story बदला
अपने लूंबे बाल प्रसून की छाती पे फिराते हुए जब रोमा ने उसके अंडरवेर को
नीचे कर लंड को दाए हाथ की मुट्ठी मे थाम मुँह मे भरा तो प्रसून जोश की
इंतेहा से बिस्तर से उठने लगा.रोमा ने उसके तगड़े लंड पे ज़ुबान फिराना
शुरू कर दिया तो वो च्चटपटाने लगा.रोमा की लपलपाति जीभ उसके लंड पे फिर
उसके आंडो मे उबलते उसके वीर्या को पिचकारी के रूप मे निकालने को आमादा
कर रहे थे पर रोमा कहती थी की पानी को हमेशा उसकी चूत मे ही छ्चोड़े &
इसलिए वो बड़ी मुश्किल से खुद को रोके थे रोमा के मुँह को अपने अपने पानी
से भरने से.

मगर जब बात बर्दाश्त के बाहर हो गयी तो प्रसून ने तड़प के करवट ले ली &
पेट के बाल लेट अपने लंड को अपनी बीवी की शरारती ज़ुबान से अपने जिस्म के
नीचे च्छूपा लिया.रोमा फ़ौरन उसकी पीठ पे अपनी सुडोल छातिया दबाते हुए
लेट गयी,"क्या हुआ जान?",वो प्रसून के कंधो को थामे उसके सर को चूम रही
थी.

"मेरा निकलने था.",उसने अपना सर बिस्तर से उठाया & रोमा की किस्सस का
लुत्फ़ उठाने लगा.

"तो क्या हुआ?निकालने देते.",रोमा ने उसके दाए कान पे काट लिया.

"तुम्हारे मुँह मे?",प्रसून को हैरानी हुई.

"हां.",रोमा के हाथ अब उसकी बगलो से घुस उसके सीने पे घूम रहे थे.

"मगर तुम तो कहती हो की हमेशा तुम्हारी पुसी मे ही निकालना चाहिए?"

"हां,मेरी जान.",रोमा ने उसे पलटा & उसके सीने पे अपने बेचैन होंठो की
अनगिनत मुहरे लगा दी,"..कहती थी मगर आज नही कहूँगी क्यूकी तुम्हारे पानी
ने अपना काम कर दिया है."

"काम?",प्रसून को बीवी की बाते समझ नही आ रही थी.

"हा डार्लिंग..",रोमा ने उसके लंड को पकड़ा & उसपे बैठ
गयी,"..उउम्म्म्ममम....",लंड के चूत मे धंसते ही वो उसके सीने पे झुक गयी
& उसके चेहरे को हाथो मे भरा,"..तुम्हारा बच्चा मेरी कोख मे आ गया
है,प्रसून.",रोमा ने अपने होंठ उसकी होंठो से सताए & अपनी कमर हिलाने
लगी.प्रसून के जोश का तो ठिकाना ही नही था.उसने रोमा की गंद को पकड़ा &
करवट ले उसे अपने नीचे किया & चुदाई करने लगा.

"मतलब तुम्हारे अंदर से बेबी निकलेगा?"

"हां,मेरी जान.".रोमा ने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गड़ाए & उसके बाए गाल
पे उचक के चूमा.उसके जिस्म मे आज कुच्छ ज़्यादा ही रोमांच हो रहा था.

"कब?"

"9 महीने बाद.",1 बार फिर उसने अपनी टाँगे प्रसून की कमर पे कस दी थी.

"फिर मैं भी पापा बन जाऊँगा?"

"हा,जानम,हां!",रोमा उचकी & प्रसून के कान मे पागलो की तरह जीभ चलाने
लगी-वो झाड़ चुकी थी.प्रसून को अपनी बीवी की बात सुन के बहुत खुशी हुई &
उसे अजीब सा एहसास हुआ.उसका लंड और भी ज़्यादा कड़ा हो गया & उसे बहुत
जोश हो गया.उसने रोमा की गंद से हाथ हटा के उपर उसके कंधो के नीचे लगाए &
उसकी चूचियो से मुँह लगाके बड़े गहरे धक्को से उसकी चुदाई करने लगा.

रोमा सवेरे उठी तो उसने देखा की प्रसून बिस्तर पे नही है.वो मुँह-हाथ
धोके नीचे आई,"गुड मॉर्निंग,मम्मी!"

"गुड मॉर्निंग,बेटा!",देविका खाने की मेज़ पे ड्रेसिंग गाउन पहने बैठी
अख़बार पढ़ते हुए चाइ पी रही थी.

"मम्मी.."

"बोलो,रोमा.",देविका अख़बार के पन्ने पलट रही थी.

"मम्मी वो.."

"क्या बात है,रोमा?",देविका ने अख़बार नीचे किया.

"जी..",रोमा के गाल शर्म से लाल हो रहे थे.

"बोलो ना बेटा!",देविका को अब उलझन होने लगी थी.

"मैं..मैं मा बनाने वाली हू.",रोमा ने जल्दी से कहा.

"क्या?!!",देविका झट से उठी & अपनी बहू को गले से लगा लिया,"..आइ लव
यू,बेटा!तेरा बदमाश पति कहा है?"

क्रमशः................
Reply
08-16-2018, 02:24 PM,
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे..

"पता नही,मम्मी.मैं जब उठी तो कमरे मे नही थे."

"अच्छा,यही कही होगा.",देविका बहू की सेहत के बारे मे सवाल करने लगी
लेकिन जब 45 मिनिट तक भी प्रसून नही आया तो दोनो औरतें चिंतित हो उठी.

"ज़रा देखो भाय्या कहा हैं?",देविका ने नौकरो को दौड़ाया मगर प्रसून का
कही पता ना चला.11 बजते तक दोनो औरतो की खुशी काफूर हो चुकी थी & प्रसून
की चिंता ने उन्हे आ घेरा था.एस्टेट मे हर तरफ प्रसून की खोज हो रही थी
लेकिन वो कही नही मिल रहा था.बात इंदर के कानो तक पहुँची तो वो भागता हुआ
बंगल पे पहुँचा.

"मुझे लगता है,मॅ'म पोलीस को इत्तिला कर देनी चाहिए.",पोलीस के नाम से
रोमा की रुलाई छूट गयी.

"अरे रोती क्यू है बेटा?मिल जाएगा.यही कही होगा.",देविका ने इंदर को आँखो
से ऐसा करने का इशारा किया & रोमा को उसके कमरे मे ले गयी.उसने कैसे अपने
धड़कते दिल को काबू मे रखा था ये वोही जानती थी.

"नमस्ते,मेडम.",हलदन के थाने से 1 इनस्पेक्टर अपनी टीम के साथ आया था
जिसे इंदर ने सारी बात बताई थी,"हम क्षोटन छाबे हैं.ये बताइए की आख़िरी
बार आपके बेटे को कौन देखा था?",पान से रंगे दाँत & ढीला-ढाला सा ये आदमी
उसके बेटे का पता लगाएगा देविका को भरोसा नही था.

"मेरी बहू ने."

"ज़रा उनसे मिलवाये तो.",ड्रॉयिंग रूम मे रोने से लाल हुई आँखो को
पोन्छ्ति रोमा आई & देविका के साथ बैठ गयी,"कब देखे थे आप आख़िरी बार
प्रसून जी को?"

"जी रात को 1-1.30 बजे सोने के पहले."

"अच्छा.सवेरे कितने बजे उठी आप?"

"8 बजे."

"तब ऊ वाहा नही थे माने आपके कमरा मे?"

"नही."

"हूँ.",क्षोटन चौबे के जबड़े तेज़ी से चलने लगे.साथ आया हवलदार समझ गया
की उसके साहब का दिमाग़ घूमना शुरू हो गया है,पान चबाने की रफ़्तार से आप
छ्होटन चौबे के दिमाग़ के चलने का अंदाज़ा लगा सकते थे.

"मॅनेजर साहब."

"जी."

"एस्टेट का कोई नक्शा-उक्षा है?"

"है ना."

"तो चलिए देखते हैं."

इंदर के ऑफीस मे डेस्क पे नक्शा फैलाए क्षोटन चौबे अपने आदमियो को
निर्देश दे रहा था,"तुम लोग यहा पोल्ट्री फार्म के तरफ जाओ..तुम लोग खेत
के तरफ..ई क्या है?"

"झील है,सर."

"तुम झील पे जाओ पर मच्चली-उच्छली मत मारने लगना.",अपने मज़ाक पे चौबे आप
ही हंस दिया,"मॅनेजर साहब,हर जगह कह दीजिए कि हमारे हवलदरो के साथ आपके
कुच्छ आदमी लग जाएँ जोकि उनका मदद करें.पहले तो आपका एस्टेट देखना पड़ेगा
जब तक की कोई फोन-उन नही आता है."

"फोन?"

"हाँ,अगर प्रसून अगवा हो गया होगा तो फोन आएगा ना भाई."

"आपको ऐसा लगता है?"

"अरे,हम पोलीस वाले हैं सरकार,हमको सब लगता है.चलिए पहले जो बोले हैं ऊ
काम तो कीजिए."

"ठीक है."

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

दोपहर हो चुकी थी & अभी तक किसी भी खोजी दल को प्रसून का पता नही चला
था.चौबे देविका के साथ बैठा था,"1 बात बताइए,मेडम?"

"पुच्हिए.",देविका को ये इंसान ज़रा भी पसंद नही आ रहा था.

"आपका या आपके परिवार का किसी से दुश्मनी वग़ैरह तो नही है?"

"नही.क्यू?"

"क्यूकी मामला किडनॅपिंग का भी हो सकता है."

"एस्टेट के अंदर से.क्या बात करते हैं,इनस्पेक्टर?!!ऐसा कैसे हो सकता है?"

"होने को तो कुछो हो सकता है,मेडम.",तभी चौबे के दिमाग़ मे बिजली सी
कौंधी,"अरे..",उसने अपने हवलदार को तलब किया,"..ऊ नक्शा लाओ जल्दी!",चौबे
के जबड़े तेज़ी से चल रहे थे.हवलदार के नक्शा लाते ही चौबे ने उसे मेज़
पे फैलाया,"ई जगह क्या है?",उनसे नक्शे पे उंगली रखी.

"ये तो टीला है."

"टीला?",हां,एस्टेट की सबसे ऊँची जगह.यहा पे ना खेती हो सकती है ना और
कुच्छ तो ऐसे ही खाली पड़ी है.एस्टेट के लोग & हम सब कभी-कभार पिक्निक
मनाने या बस ऐसे ही घूमने जाते हैं."

"विरेलेस्स पे बोल की जो टीम टीला के पास है टीला को भी चेक करे."

चौबे के दिमाग़ का कोई जोड़ नही था,प्रसून की खबर टीले पे ही
मिली,"अच्छा.",चौबे ने वाइर्ले अपने हवलदार को वापस किया,"आपका बेटा मिल
गया है,मेडम.",चौबे की आवाज़ बहुत संजीदा थी,"..मगर.."

"मगर क्या,इनस्पेक्टर?"

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

शाम ढाल रही थी.दूर आसमान मे सूरज डूब रहा था & सहाय परिवार के बंगल के
अहाते मे पूरी एस्टेट के वर्कर्स भरे हुए थे.थोड़ी देर पहले ही सवेरे से
गायब प्रसून अपने घर लौटा था-मुर्दा.चौबे की बात सुन प्रसून की मा & बीवी
बेहोश हो गयी थी.इंदर ने नौकरो की मदद से किसी तरह उन्हे संभाला & वीरेन
& कामिनी को खबर दी.इतनी भीड़ थी मगर सब खामोश थे.सबके ज़हन मे बस 1 ही
सवाल गूँज रहा था की आख़िर प्रसून जैसे मासूम इंसान का क़त्ल किसने किया?

जी हां,प्रसून का क़त्ल हुआ था.लाश पोस्टमॉर्टम के लिए पंचमहल सिविल
हॉस्पिटल भेजने से पहले जब चौबे ने उसका मुआना किया तो उसे अंदाज़ा हो
गया था की प्रसून की हत्या किसी च्छुरी या धारदार हथ्यार से हुई है.उसने
आंब्युलेन्स को रवाना किया ही था की तभी वाहा 1 कार आके रुकी जिसमे से
बौखलाया वीरेन सहाय उतरा & धड़-धड़ाता हुआ बंगले के अंदर घुस गया.देविका
& रोमा 1 दूसरे के गले से लगी रोमा के कमरे मे बैठी उसे मिली.दोनो औरते
जैसे बुत बन गयी थी.

वीरेन अपनी भाभी के करीब आया.दोनो की नज़रे मिली & जैसे देविका के अंदर
कोई बाँध टूट गया.जब वो होश मे आई तब बस उसे अपनी बहू की ही फ़िक्र थी &
उसी के लिए उसने अपने गम को काबू मे रखा था मगर वीरेन के आने ने वो रोक
हटा दी & देविका की रुलाई छूट गयी.बाहर अहाते मे खड़े लोगो ने जब वो दर्द
भरी चीख सुनी जोकि केवल 1 मा के ही गले से निकल सकती है,तो सभी के दिल
कांप गये & सभी ने दिल ही दिल मे उस घिनोने आदमी को जिसने ये गलिज़ काम
किया था को दिल से बद्दुआ दी.

वीरेन ने आगे बढ़ के देविका को गले से लगा लिया.देविका उसके सीने मे मुँह
च्छुपाए ज़ोर-2 से रोए जा रही थी.उसे ऐसे रोता देखा रोमा को भी रुलाई आ
गयी & वो भी वीरेन के सीने से लग गयी.वीरेन की आँखो से भी आँसू बह रहे थे
मगर वो जानता था की इन दोनो के गम के आगे उसका दुख कुच्छ भी नही.वो उन्हे
सीने से लगाए बस हिम्मत बांधता रहा.

---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

जब कामिनी को ये मनहूस खबर मिली तो वो मुकुल & रश्मि के साथ अपने कॅबिन
मे बैठी थी,"क्या?!!",कामिनी ने फोन रखा & फ़ौरन मोहसिन जमाल को फोन
लगाया & उसे सारी बात बताई.

"मॅ'म,मैं उसे ढूनडने की कोशिशे तेज़ कर देता हू.",मोहसिन ने फोन काट दिया.

"शिवा,तुमने ये अच्छा नही किया.",कामिनी बुदबुदाई & अपने दफ़्तर से निकल गयी.

क्रमशः.........................
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,559,103 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,962 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,733 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,782 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,334 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,277 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,596 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,218,041 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,640 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,564 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)