Kamukta Story बदला
08-16-2018, 01:46 PM,
#51
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"मुझे कल ही पता चला है...क्या?..अच्छा....मगर ये कोई ऐसी-वैसी बात
नही.मैं यहा इन्हे बर्बाद करने आया हू.प्रसून तो पागल है मगर अगर सहाय की
मौत के बाद उसकी बीवी आ गयी तो फिर देविका के साथ-2 उसकी बहू से भी हमे
निबटना होगा....हां..जल्दी कुच्छ सोचो..हां-2 मैं ठीक हू.नही,मैं नही
बौख्लाउन्गा..बस इसका रास्ता मिल जाए..ओके!",इंदर ने मोबाइल बंद किया &
अपने फ़्लास्क से शराब के 2 घूँट भरे....सही कहा था उसने ..बदले की आग
उसकी दिमाग़ को जला के रख देगी 1 दिन.सहाय की बर्बादी के साथ ही काम
थोड़े ही ख़त्म था!..और ऐसी मुश्किले तो आती रहेंगी मगर इसका मतलब ये तो
नही की वो बौखलाने लगे.उसने 2 घूँट और भर के फ़्लास्क को अपनी अलमारी मे
बंद किया & अपने क्वॉर्टर से बाहर निकल गया.

वो नीचे के क्वॉर्टर मे जा रहा था जहा उसके इशारो पे नाचने वाली कठपुतली
उसका इंतेज़ार कर रही थी.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

देविका की आँखो से नींद गायब थी.उसने अपने पति से उसकी तबीयत के बारे मे
चिंता जताई थी तो उन्होने कहा था की ऐसी कोई बात नही है लेकिन उसके इसरार
पे वो 3 दिन बाद उसके साथ अपने डॉक्टर के पास जाने को तैय्यार हो गये
थे.देविका का दिल आज थोडा घबरा रहा था.बार-2 वो बस यही सोचे जा रही थी की
अगर अभी सुरेन ने उसका साथ छ्चोड़ दिया तो वो ये सब अकेले कैसे
संभालेगी.दुनिया की नज़रो मे वो 1 बहुत ही हिम्मती & आत्म विश्वास से भरी
औरत थी मगर थी तो आख़िर वो हाड़-माँस की इंसान ही ना!..सुरेन के बाद तो
वो बिल्कुल अकेली रह जाएगी.प्रसून को तो खुद सहारे की ज़रूरत थी वो उसे
भला क्या सहारा देगा!..शिवा....क्या उसपे भरोसा किया जा सकता था?उसकी
आँखो मे उसे सच्ची मोहब्बत दिखती थी ....हाँ बस 1 वही था जिसके सहारे वो
इस सब को संभाल सकती थी.

..& वीरेन?उसके दिमाग़ ने उस से सवाल किया तो उसे खुद पे बड़ा गुस्सा आया
& उस से भी कही ज़्यादा अपने देवर पे.उसने 1 तरह से सब कुच्छ सुरेन के
हवाले ही कर दिया था मगर फिर भी उसे आने की क्या ज़रूरत थी?!रहता वही
विदेश मे..!इधर उसने सुरेन जी को प्यार के लिए परेशान करना भी छ्चोड़
दिया था,वो चाहती थी की 1 बार डॉक्टर से बात कर ली जाए उसके बाद वो
निश्चिंत हो उनकी बाहो मे झूलेगी.2 दीनो से शिवा भी सवेरे उसकी प्यास नही
बुझा पाया था.

उसके ख़यालो से परेशान हो उसके दिल ने उसे अपने पति की बाहो मे पनाह लेने
को कहा मगर उसके दिमाग ने ऐसा करने से मना किया.अभी शिवा के पास जाना भी
बहुत ख़तरनाक हो सकता था.मन मार कर उसने अपनी नाइटी को उपर किया & अपना
नाज़ुक सा हाथ अपनी चूत से लगा दिया.वो जानती थी की 1 बार झड़ने के बाद
नींद उसे अपने आगोश मे ले लेगी & ये परेशान करने वाले ख़याल उसका पीछा
छ्चोड़ देंगे.

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

आज मौसम बहुत ख़ुसनूमा था.ठंडी हवा के झोंके कामिनी के घने,काले,लंबे
बालो को बार-2 उसके चेहरे पे ला रहे थे & वो उन्हे बार-2 हटा के सामने
रखी वीरेन की बनाई दूसरी पैंटिंग देखे जा रही थी.वीरेन सचमुच कमाल का
कलाकार था.तस्वीर मे वो 1 गाओं की लड़की के रूप मे अपनी हवेली की खिड़की
पे खड़ी अपने प्रेमी का इंतेज़ार करती नज़र आ रही थी.उसके चेहरे के भाव
वीरेन ने किस खूबसूरती से दिखाए थे.

उसने नज़रे उठा के उसकी ओर देखा तो वीरेन ने अपनी दिलकश मुस्कान बिखेर
दी.जवाब मे कामिनी भी मुस्कुराए बिना ना रह सकी,"कैसी लगी?"

"मैं क्या बोलू..",कामिनी अपना सर हिला रही थी,"..आप-आप कैसे कर लेते हैं
ये....दिल के भाव चेहरे पो ले आना केवल रंगो के जादू से."

"आपके जैसी खूबसूरत & दिलचस्प चेहरे वाली लड़की मॉडेल हो तो ये काम बड़ी
आसानी से हो जाता है.",वीरेन हंसा.

"दिलचस्प?",कामिनी के होंठो पे मुस्कान थी & माथे पे शिकन.

"हां..",वीरेन ने उसकी आँखो मे आँखे डाल दी,"..ये चेहरा है ही ऐसा.इस्पे
सारे भाव सॉफ-2 आते हैं क्यूकी चेहरे की मालकिन के दिल मे ईमानदारी भरी
हुई है.हम सब जैसे-2 बड़े होते हैं कामिनी & अपने बचपन से दूर जाते हैं
वैसे-2 दुनियादारी की परते हमारे चेहरे पे चढ़ती जाती हैं & हमारा असली
चेहरा कही खो सा जाता है.ये पारट सिर्फ़ हम अपने बेहद करीबी लोगो के लिए
हटते हैं & काई बार तो उनके लिए भी नही..",वीरेन की मुस्कान गायब हो गयी
थी & वो खिड़की से बाहर देख रहा था.

कामिनी को लगा की उसका जिस्म यही था मगर वो कही दूर चला गया
था,"..उपरवाले की रहमत से आप इस से दूर हैं & यही बात आपकी खूबसूरती मे 4
चाँद लगाती है."

कामिनी की ज़िंदगी मे अब तक जितने भी मर्द आए थे सब उसकी तारीफ करते थे
मगर किसी का भी अंदाज़ ऐसा अनोखा नही था.वीरेन की तारीफ से ना जाने क्यू
कामिनी के चेहरे पे शर्म की लाली आ जाती.उसने फिर से बात बदलने के लिए कल
वाला ही सवाल दोहराया,"अब आज मुझे कैसे खड़ा होना है?",उसने थोड़ा शरारत
से पुचछा.

"बिल्कुल नंगी."

कामिनी के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गयी & चेहरा सख़्त हो गया,"मुझे
ऐसा मज़ाक पसंद नही!",वीरेन से ऐसी बात की उम्मीद नही थी उसे.

"मैं मज़ाक नही कर रहा.",कामिनी का पारा अब बिल्कुल चढ़ गया.उसने अपन
हॅंडबॅग उठाया & वहा से जाने लगी.उसे भी वीरेन पसंद आने लगा था & मुमकिन
था की वो उसका आशिक़ भी बन जाता मगर ऐसी बेहूदा बात!

"रुकिये कामिनी.",वीरेन ने उसका हाथ पकड़ लिया,"..मुझे शायद आपसे इस
तरहसे नही कहना चाहिए था."

"जो कहना था आप कह चुके.अब मेरा हाथ छ्चोड़िए.",कामिनी की आवाज़ बड़ी तल्ख़ थी.

"प्लीज़..".वीरेन उसके सामने खड़ा हो गया,"..पहले मेरी बात सुन लीजिए,फिर
भी आप जाना चाहेंगी तो मैं नही रोकुंगा.",उसने कामिनी का हाथ छ्चोड़
दिया.कामिनी ने कुच्छ कहा तो नही मगर वही खड़ी रही.वीरेन समझ गया की वो
उसकी बात सुनने को तैय्यार है.

"कामिनी,मैं सारे इंसानी जज़्बात आपकी पूर्कशिष शख्सियत के ज़रिए कॅन्वस
पे उतारना चाहता हू.इस बार मैं आपको बेताब दिखाना चाहता हू & बेताबी की
शिद्दत तो सबसे ज़्यादा प्यार मे ही होती है.मैं चाहता हू की यही
बेताबी,ये बेसब्री जो 1 इंसान उसके जिसे की वो दिलोजान से चाहता है ना
होने पे महसूस करता है वो अपने बिल्कुल खालिस अंदाज़ मे आपके चेहरे पे
नज़र आए.."

"..इंसान जब किसी को हद से ज़्यादा चाहता है तो वो उसके जिस्म के साथ
अपने जिस्म को जोड़ उस से जुड़ने की कोशिश करता हुआ अपने प्यार का इज़हार
करता है..",कामिनी का गुस्सा काफूर हो चुका था.उसे ऐसा लग रहा था मानो
कोई प्रोफेसर,जोकि अपने विषय का उस्ताद है,उस से बात कर रहा हो..सही कह
रहा था वो..जिस्म की बेताबी से बड़ी कोई बेताबी नही & ये बेताबी बिना
नंगे हुए कैसे दिखाई जा सकती थी,"..& जब वो जुड़ने का एहसास उसे बार-2
नही मिलता तो वो बेचैन हो जाता है..यही बेचैनी मुझे दिखानी है.",उसकी
आँखो मे अपनी कला के लिए समर्पण झलक रहा था नकी किसी हवस से पैदा हुआ
पागलपन की वहशियात.

"..और आप नंगी ज़रूर होंगी मगर मेरी निगाहे फिर भी आपको नही देख पाएँगी."

"कैसे?",कामिनी के मुँह से बेसखता निकल गया.उसके सवाल ने वीरेन को भी ये
सॉफ कर दिया की उसका गुस्सा गायब हो चुका है.

मैं कमरे की इस दीवार से..",उसने अपने बाए हाथ से बाई दीवार की ओर इशारा
किया,"..उस दीवार तक..",अब हाथ दाई दीवार को दिखा रहा था,"..1 कपड़ा
बन्धूंगा.इस कपड़े की चौड़ाई इतनी होगी की आपके सीने से लेके जाँघो के
उपरी हिस्से तक ये आपको ढँक लेगा.आप इस कपड़े से अपना जिस्म इस तरह से
सटा के खड़ी होंगी की आपके जिस्म का आकर मुझे उस कपड़े से दिखाई पड़े."

कामिनी कुच्छ बोलती इस से पहले ही वीरेन ने आगे कहा,"कामिनी,ये परदा उन
मुश्किलो,उन दीवारो को दर्शाता है जोकि 2 प्रेमी हमेशा अपने रास्ते मे
महसूस करते हैं.आपको उस से सात के ऐसे खड़ा होना है मानो आप उस दीवार को
तोड़ देना चाहती हो."

"अगर अभी भी आपको ऐतराज़ है तो मैं ये पैंटिंग नही बनाउन्गा."

"कहा है वो परदा?",कामिनी का सवाल सुनते ही वीरेन हल्के से मुस्कुराया &
उसके करीब आया,"शुक्रिया..",उसने उसके दोनो हाथ अपने हाथो मे ले उसकी
आँखो मे झाँका,"..शुक्रिया,कामिनी.",उस वक़्त कामिनी को उसकी आँखो मे
केवल शुक्रगुज़ारी नही खुद के लिए चाहत भी नज़र आई.

बाथरूम स्टूडियो की दूसरी तरफ था & वाहा अपने कपड़े उतार कर कामिनी ने
बातरोब पहना & वापस आई.वीरेन ने 1 सॅटिन के मरून कपड़े को कमरे के
बीचोबीच बाँध दिया था.कामिनी उस कपड़े को उठा उसके दूसरे तरफ गयी & फिर
वीरेन की ओर मुँह कर खड़ी हो गयी.कपड़े के इस तरफ खड़ा वीरेन अपना ईज़ल
ठीक कर रहा था,"ठीक है.आप तैय्यार हैं,कामिनी?"

"हां.",कामिनी को जब वीरेन ने अपनी सोच के बारे मे बताया था तो उसने उसकी
बात को पूरी तरह से समझ लिया था.बदन की तन्हाई & उसकी बेताबी को उस से
बेहतर शायद ही कोई और समझता भी हो!..& इसलिए वो वीरेन के लिए नंगी पोज़
करने को तैय्यार हो गयी थी.वीरेन के पर्दे वाली बात ने उसे चौंका दिया
था.बहुत आसान होता की 1 औरत को नंगे तड़प्ते दिखाना.अब ये परदा उसके
जिस्म के सबसे हसीन अंगो को च्छूपा लेगा & देखने वाला बस उसके बदन की
कल्पना कर सकेगा & उसके चेहरे पे च्छाई बेताबी की शिद्दत उसे भी महसूस
होगी.

कामिनी अपना रोब उतार पर्दे की तरफ बढ़ी & उस से सॅट गयी,"हा..अब अपने
हाथ उपर उठा के पाने सर के बालो से खेलिए..थोड़ा और आगे आइए..थोड़ा
और..हां..बस ठीक है..",सामने खड़ी कामिनी को देख वीरेन का दिल ज़ोरो से
धड़कने लगा.कामिनी पर्दे से बिल्कुल सॅट गयी थी & उसकी छातियो का आकर सॉफ
दिख रहा था.परदा उसकी चूत के थोड़ा नीचे तक आया था & उपर,जहा से उसकी
छातियो का उभार शुरू होता था,वाहा तक था.इस तरह से उसकी भारी,गोरी जंघे &
सुडोल टाँगे जिन्हे कामिनी ने बिल्कुल सटा के ऐसे रखा था मानो उसकी चूत
को दबा के उसकी जंघे शांत कर रही हो.अपने हाथ उपर ले जा उसने लंबे बालो
मे फिरा के थोड़ा फैलाया तो उसके सीने के उभारो का हल्का सा कटाव वीरेन
को दिखा.

मगर जिस बात ने वीरेन के हलक को सूखा दिया था वो था कामिनी के चेहरे का
भाव.उसकी आँखे बंद थी लेकिन चेहरे पे प्रेमी के साथ की चाहत & उसके बदन
की तड़प से पैदा हुआ एहसास जोकि औरत के चेहरे को और नशीला बना देता है
फैला हुआ था.वीरेन का दिल उसके काबू से बाहर जा रहा था.उसका दिल कर रहा
था की अभी इस हसीना को अपनी बाहो मे भर उसकी सारी बेचैनी दूर कर दे &
अपनी भी प्यास बुझा ले मगर फिर उसका ध्यान ईज़ल पे लगे कोरे काग़ज़ पे
गया & उसके हाथ उसपे चलने लगे.

ठीक उसी तेज़ हवा के साथ वक़्त बारिश शुरू हो गयी.कामिनी पर्दे के जिस
तरफ खड़ी थी कमरे की बड़ी खिड़की भी उसी तरफ थी & इस वक़्त उसके शीशे
खुले हुए थे.वाहा से आती हवा कामिनी की ज़ुल्फो से खेलने लगी.कामिनी
उन्हे सावरते हुए खड़ी थी & उसका हुस्न अब और भी पूर्कशिष लग रहा
था.वीरेन उसके चेहरे को देखे जा रहा था & उसी मे कब उसने अपनी टी-शर्ट पे
रंग गिरा लिया उसे पता भी ना चला.

कामिनी के चेहरे के भाव अभी बिल्कुल सही थे & उन्हे वो जल्द से जल्द नकल
कर अपने कॅन्वस पे उतरना चाहता था.1 पल के लिए उसने ब्रश किनारे किया &
अपनी शर्ट निकाल दी.कामिनी ने भी ठीक उसी वक़्त आँखे खोली तो सामने वीरेन
के नंगे बालो भरे सीने को पाया.उसे षत्रुजीत सिंग की दिखाई तस्वीर याद आ
गयी.वीरेन का बदन अभी भी गतिला था & उसकी बाहे कितनी मज़बूत थी..कैसा हो
अगर वो इन मज़बूत बाजुओ मे उसके बदन को कस ले?..ख़याल ने उसकी चूत मे आग
लगा दी.गतान्क से आगे...

"मुझे कल ही पता चला है...क्या?..अच्छा....मगर ये कोई ऐसी-वैसी बात
नही.मैं यहा इन्हे बर्बाद करने आया हू.प्रसून तो पागल है मगर अगर सहाय की
मौत के बाद उसकी बीवी आ गयी तो फिर देविका के साथ-2 उसकी बहू से भी हमे
निबटना होगा....हां..जल्दी कुच्छ सोचो..हां-2 मैं ठीक हू.नही,मैं नही
बौख्लाउन्गा..बस इसका रास्ता मिल जाए..ओके!",इंदर ने मोबाइल बंद किया &
अपने फ़्लास्क से शराब के 2 घूँट भरे....सही कहा था उसने ..बदले की आग
उसकी दिमाग़ को जला के रख देगी 1 दिन.सहाय की बर्बादी के साथ ही काम
थोड़े ही ख़त्म था!..और ऐसी मुश्किले तो आती रहेंगी मगर इसका मतलब ये तो
नही की वो बौखलाने लगे.उसने 2 घूँट और भर के फ़्लास्क को अपनी अलमारी मे
बंद किया & अपने क्वॉर्टर से बाहर निकल गया.

वो नीचे के क्वॉर्टर मे जा रहा था जहा उसके इशारो पे नाचने वाली कठपुतली
उसका इंतेज़ार कर रही थी.

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देविका की आँखो से नींद गायब थी.उसने अपने पति से उसकी तबीयत के बारे मे
चिंता जताई थी तो उन्होने कहा था की ऐसी कोई बात नही है लेकिन उसके इसरार
पे वो 3 दिन बाद उसके साथ अपने डॉक्टर के पास जाने को तैय्यार हो गये
थे.देविका का दिल आज थोडा घबरा रहा था.बार-2 वो बस यही सोचे जा रही थी की
अगर अभी सुरेन ने उसका साथ छ्चोड़ दिया तो वो ये सब अकेले कैसे
संभालेगी.दुनिया की नज़रो मे वो 1 बहुत ही हिम्मती & आत्म विश्वास से भरी
औरत थी मगर थी तो आख़िर वो हाड़-माँस की इंसान ही ना!..सुरेन के बाद तो
वो बिल्कुल अकेली रह जाएगी.प्रसून को तो खुद सहारे की ज़रूरत थी वो उसे
भला क्या सहारा देगा!..शिवा....क्या उसपे भरोसा किया जा सकता था?उसकी
आँखो मे उसे सच्ची मोहब्बत दिखती थी ....हाँ बस 1 वही था जिसके सहारे वो
इस सब को संभाल सकती थी.

..& वीरेन?उसके दिमाग़ ने उस से सवाल किया तो उसे खुद पे बड़ा गुस्सा आया
& उस से भी कही ज़्यादा अपने देवर पे.उसने 1 तरह से सब कुच्छ सुरेन के
हवाले ही कर दिया था मगर फिर भी उसे आने की क्या ज़रूरत थी?!रहता वही
विदेश मे..!इधर उसने सुरेन जी को प्यार के लिए परेशान करना भी छ्चोड़
दिया था,वो चाहती थी की 1 बार डॉक्टर से बात कर ली जाए उसके बाद वो
निश्चिंत हो उनकी बाहो मे झूलेगी.2 दीनो से शिवा भी सवेरे उसकी प्यास नही
बुझा पाया था.

उसके ख़यालो से परेशान हो उसके दिल ने उसे अपने पति की बाहो मे पनाह लेने
को कहा मगर उसके दिमाग ने ऐसा करने से मना किया.अभी शिवा के पास जाना भी
बहुत ख़तरनाक हो सकता था.मन मार कर उसने अपनी नाइटी को उपर किया & अपना
नाज़ुक सा हाथ अपनी चूत से लगा दिया.वो जानती थी की 1 बार झड़ने के बाद
नींद उसे अपने आगोश मे ले लेगी & ये परेशान करने वाले ख़याल उसका पीछा
छ्चोड़ देंगे.

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आज मौसम बहुत ख़ुसनूमा था.ठंडी हवा के झोंके कामिनी के घने,काले,लंबे
बालो को बार-2 उसके चेहरे पे ला रहे थे & वो उन्हे बार-2 हटा के सामने
रखी वीरेन की बनाई दूसरी पैंटिंग देखे जा रही थी.वीरेन सचमुच कमाल का
कलाकार था.तस्वीर मे वो 1 गाओं की लड़की के रूप मे अपनी हवेली की खिड़की
पे खड़ी अपने प्रेमी का इंतेज़ार करती नज़र आ रही थी.उसके चेहरे के भाव
वीरेन ने किस खूबसूरती से दिखाए थे.

उसने नज़रे उठा के उसकी ओर देखा तो वीरेन ने अपनी दिलकश मुस्कान बिखेर
दी.जवाब मे कामिनी भी मुस्कुराए बिना ना रह सकी,"कैसी लगी?"

"मैं क्या बोलू..",कामिनी अपना सर हिला रही थी,"..आप-आप कैसे कर लेते हैं
ये....दिल के भाव चेहरे पो ले आना केवल रंगो के जादू से."

"आपके जैसी खूबसूरत & दिलचस्प चेहरे वाली लड़की मॉडेल हो तो ये काम बड़ी
आसानी से हो जाता है.",वीरेन हंसा.

"दिलचस्प?",कामिनी के होंठो पे मुस्कान थी & माथे पे शिकन.

"हां..",वीरेन ने उसकी आँखो मे आँखे डाल दी,"..ये चेहरा है ही ऐसा.इस्पे
सारे भाव सॉफ-2 आते हैं क्यूकी चेहरे की मालकिन के दिल मे ईमानदारी भरी
हुई है.हम सब जैसे-2 बड़े होते हैं कामिनी & अपने बचपन से दूर जाते हैं
वैसे-2 दुनियादारी की परते हमारे चेहरे पे चढ़ती जाती हैं & हमारा असली
चेहरा कही खो सा जाता है.ये पारट सिर्फ़ हम अपने बेहद करीबी लोगो के लिए
हटते हैं & काई बार तो उनके लिए भी नही..",वीरेन की मुस्कान गायब हो गयी
थी & वो खिड़की से बाहर देख रहा था.

कामिनी को लगा की उसका जिस्म यही था मगर वो कही दूर चला गया
था,"..उपरवाले की रहमत से आप इस से दूर हैं & यही बात आपकी खूबसूरती मे 4
चाँद लगाती है."

कामिनी की ज़िंदगी मे अब तक जितने भी मर्द आए थे सब उसकी तारीफ करते थे
मगर किसी का भी अंदाज़ ऐसा अनोखा नही था.वीरेन की तारीफ से ना जाने क्यू
कामिनी के चेहरे पे शर्म की लाली आ जाती.उसने फिर से बात बदलने के लिए कल
वाला ही सवाल दोहराया,"अब आज मुझे कैसे खड़ा होना है?",उसने थोड़ा शरारत
से पुचछा.

"बिल्कुल नंगी."

कामिनी के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गयी & चेहरा सख़्त हो गया,"मुझे
ऐसा मज़ाक पसंद नही!",वीरेन से ऐसी बात की उम्मीद नही थी उसे.

"मैं मज़ाक नही कर रहा.",कामिनी का पारा अब बिल्कुल चढ़ गया.उसने अपन
हॅंडबॅग उठाया & वहा से जाने लगी.उसे भी वीरेन पसंद आने लगा था & मुमकिन
था की वो उसका आशिक़ भी बन जाता मगर ऐसी बेहूदा बात!

"रुकिये कामिनी.",वीरेन ने उसका हाथ पकड़ लिया,"..मुझे शायद आपसे इस
तरहसे नही कहना चाहिए था."

"जो कहना था आप कह चुके.अब मेरा हाथ छ्चोड़िए.",कामिनी की आवाज़ बड़ी तल्ख़ थी.

"प्लीज़..".वीरेन उसके सामने खड़ा हो गया,"..पहले मेरी बात सुन लीजिए,फिर
भी आप जाना चाहेंगी तो मैं नही रोकुंगा.",उसने कामिनी का हाथ छ्चोड़
दिया.कामिनी ने कुच्छ कहा तो नही मगर वही खड़ी रही.वीरेन समझ गया की वो
उसकी बात सुनने को तैय्यार है.

"कामिनी,मैं सारे इंसानी जज़्बात आपकी पूर्कशिष शख्सियत के ज़रिए कॅन्वस
पे उतारना चाहता हू.इस बार मैं आपको बेताब दिखाना चाहता हू & बेताबी की
शिद्दत तो सबसे ज़्यादा प्यार मे ही होती है.मैं चाहता हू की यही
बेताबी,ये बेसब्री जो 1 इंसान उसके जिसे की वो दिलोजान से चाहता है ना
होने पे महसूस करता है वो अपने बिल्कुल खालिस अंदाज़ मे आपके चेहरे पे
नज़र आए.."

"..इंसान जब किसी को हद से ज़्यादा चाहता है तो वो उसके जिस्म के साथ
अपने जिस्म को जोड़ उस से जुड़ने की कोशिश करता हुआ अपने प्यार का इज़हार
करता है..",कामिनी का गुस्सा काफूर हो चुका था.उसे ऐसा लग रहा था मानो
कोई प्रोफेसर,जोकि अपने विषय का उस्ताद है,उस से बात कर रहा हो..सही कह
रहा था वो..जिस्म की बेताबी से बड़ी कोई बेताबी नही & ये बेताबी बिना
नंगे हुए कैसे दिखाई जा सकती थी,"..& जब वो जुड़ने का एहसास उसे बार-2
नही मिलता तो वो बेचैन हो जाता है..यही बेचैनी मुझे दिखानी है.",उसकी
आँखो मे अपनी कला के लिए समर्पण झलक रहा था नकी किसी हवस से पैदा हुआ
पागलपन की वहशियात.

"..और आप नंगी ज़रूर होंगी मगर मेरी निगाहे फिर भी आपको नही देख पाएँगी."

"कैसे?",कामिनी के मुँह से बेसखता निकल गया.उसके सवाल ने वीरेन को भी ये
सॉफ कर दिया की उसका गुस्सा गायब हो चुका है.

मैं कमरे की इस दीवार से..",उसने अपने बाए हाथ से बाई दीवार की ओर इशारा
किया,"..उस दीवार तक..",अब हाथ दाई दीवार को दिखा रहा था,"..1 कपड़ा
बन्धूंगा.इस कपड़े की चौड़ाई इतनी होगी की आपके सीने से लेके जाँघो के
उपरी हिस्से तक ये आपको ढँक लेगा.आप इस कपड़े से अपना जिस्म इस तरह से
सटा के खड़ी होंगी की आपके जिस्म का आकर मुझे उस कपड़े से दिखाई पड़े."

कामिनी कुच्छ बोलती इस से पहले ही वीरेन ने आगे कहा,"कामिनी,ये परदा उन
मुश्किलो,उन दीवारो को दर्शाता है जोकि 2 प्रेमी हमेशा अपने रास्ते मे
महसूस करते हैं.आपको उस से सात के ऐसे खड़ा होना है मानो आप उस दीवार को
तोड़ देना चाहती हो."

"अगर अभी भी आपको ऐतराज़ है तो मैं ये पैंटिंग नही बनाउन्गा."

"कहा है वो परदा?",कामिनी का सवाल सुनते ही वीरेन हल्के से मुस्कुराया &
उसके करीब आया,"शुक्रिया..",उसने उसके दोनो हाथ अपने हाथो मे ले उसकी
आँखो मे झाँका,"..शुक्रिया,कामिनी.",उस वक़्त कामिनी को उसकी आँखो मे
केवल शुक्रगुज़ारी नही खुद के लिए चाहत भी नज़र आई.

बाथरूम स्टूडियो की दूसरी तरफ था & वाहा अपने कपड़े उतार कर कामिनी ने
बातरोब पहना & वापस आई.वीरेन ने 1 सॅटिन के मरून कपड़े को कमरे के
बीचोबीच बाँध दिया था.कामिनी उस कपड़े को उठा उसके दूसरे तरफ गयी & फिर
वीरेन की ओर मुँह कर खड़ी हो गयी.कपड़े के इस तरफ खड़ा वीरेन अपना ईज़ल
ठीक कर रहा था,"ठीक है.आप तैय्यार हैं,कामिनी?"

"हां.",कामिनी को जब वीरेन ने अपनी सोच के बारे मे बताया था तो उसने उसकी
बात को पूरी तरह से समझ लिया था.बदन की तन्हाई & उसकी बेताबी को उस से
बेहतर शायद ही कोई और समझता भी हो!..& इसलिए वो वीरेन के लिए नंगी पोज़
करने को तैय्यार हो गयी थी.वीरेन के पर्दे वाली बात ने उसे चौंका दिया
था.बहुत आसान होता की 1 औरत को नंगे तड़प्ते दिखाना.अब ये परदा उसके
जिस्म के सबसे हसीन अंगो को च्छूपा लेगा & देखने वाला बस उसके बदन की
कल्पना कर सकेगा & उसके चेहरे पे च्छाई बेताबी की शिद्दत उसे भी महसूस
होगी.

कामिनी अपना रोब उतार पर्दे की तरफ बढ़ी & उस से सॅट गयी,"हा..अब अपने
हाथ उपर उठा के पाने सर के बालो से खेलिए..थोड़ा और आगे आइए..थोड़ा
और..हां..बस ठीक है..",सामने खड़ी कामिनी को देख वीरेन का दिल ज़ोरो से
धड़कने लगा.कामिनी पर्दे से बिल्कुल सॅट गयी थी & उसकी छातियो का आकर सॉफ
दिख रहा था.परदा उसकी चूत के थोड़ा नीचे तक आया था & उपर,जहा से उसकी
छातियो का उभार शुरू होता था,वाहा तक था.इस तरह से उसकी भारी,गोरी जंघे &
सुडोल टाँगे जिन्हे कामिनी ने बिल्कुल सटा के ऐसे रखा था मानो उसकी चूत
को दबा के उसकी जंघे शांत कर रही हो.अपने हाथ उपर ले जा उसने लंबे बालो
मे फिरा के थोड़ा फैलाया तो उसके सीने के उभारो का हल्का सा कटाव वीरेन
को दिखा.

मगर जिस बात ने वीरेन के हलक को सूखा दिया था वो था कामिनी के चेहरे का
भाव.उसकी आँखे बंद थी लेकिन चेहरे पे प्रेमी के साथ की चाहत & उसके बदन
की तड़प से पैदा हुआ एहसास जोकि औरत के चेहरे को और नशीला बना देता है
फैला हुआ था.वीरेन का दिल उसके काबू से बाहर जा रहा था.उसका दिल कर रहा
था की अभी इस हसीना को अपनी बाहो मे भर उसकी सारी बेचैनी दूर कर दे &
अपनी भी प्यास बुझा ले मगर फिर उसका ध्यान ईज़ल पे लगे कोरे काग़ज़ पे
गया & उसके हाथ उसपे चलने लगे.

ठीक उसी तेज़ हवा के साथ वक़्त बारिश शुरू हो गयी.कामिनी पर्दे के जिस
तरफ खड़ी थी कमरे की बड़ी खिड़की भी उसी तरफ थी & इस वक़्त उसके शीशे
खुले हुए थे.वाहा से आती हवा कामिनी की ज़ुल्फो से खेलने लगी.कामिनी
उन्हे सावरते हुए खड़ी थी & उसका हुस्न अब और भी पूर्कशिष लग रहा
था.वीरेन उसके चेहरे को देखे जा रहा था & उसी मे कब उसने अपनी टी-शर्ट पे
रंग गिरा लिया उसे पता भी ना चला.

कामिनी के चेहरे के भाव अभी बिल्कुल सही थे & उन्हे वो जल्द से जल्द नकल
कर अपने कॅन्वस पे उतरना चाहता था.1 पल के लिए उसने ब्रश किनारे किया &
अपनी शर्ट निकाल दी.कामिनी ने भी ठीक उसी वक़्त आँखे खोली तो सामने वीरेन
के नंगे बालो भरे सीने को पाया.उसे षत्रुजीत सिंग की दिखाई तस्वीर याद आ
गयी.वीरेन का बदन अभी भी गतिला था & उसकी बाहे कितनी मज़बूत थी..कैसा हो
अगर वो इन मज़बूत बाजुओ मे उसके बदन को कस ले?..ख़याल ने उसकी चूत मे आग
लगा दी.
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08-16-2018, 01:46 PM,
#52
RE: Kamukta Story बदला
नीचे वीरेन ने 1 ट्रॅक पॅंट पहनी थी जोकि इस वक़्त थोड़ा और नीचे सरक गयी
थी.उसके सीने के बॉल नाभि से होते हुए पॅंट के अंदर गायब हो रहे
थे.कामिनी का दिल उस च्छूपे हुए मर्दाने अंग की कल्पना करने लगा.इस तरह
से 1 मर्द के साथ 1 ही कमरे मे नंगे खड़े होना मगर उसके साथ ये
दूरी..उफफफ्फ़...!उसका दिल अब उसके काबू मे नही था.वीरेन उसे और भी
ज़्यादा हॅंडसम लगने लगा & उसके जज़्बात मचलने लगे.

वीरेन का हाल भी कुच्छ ऐसा ही था.कामिनी के चेहरे के मस्ताने रंग उस से
छुपे नही थे & उसका जिस्म भी अब गरम हो रहा था.खिड़की से आती ठंडी हवा ने
उसके नंगे जिस्म को च्छुआ तो वो सिहर उठी & उसकी चूत की कसक & भी तेज़ हो
गयी.उसे शांत करने के लिए उसने अपनी जाँघो को थोड़ा रगड़ा & ये हरकत
वीरेन ने देख ली.1 बेइंतहा खूबसूरत लड़की की ऐसी मस्तानी हरकत ने उसे भी
बेचैन कर दिया & उसका लंड उसके पॅंट को फाड़ बाहर आने को पागल हो उठा.

उसी वक़्त उसने देखा की उसका रंग ख़त्म हो चुका है,वो उसने खुद ही गिराया
था अभी..अब फिर से मिक्स करना पड़ेगा..धात तेरे की!

"कामिनी.."

"हूँ..",वो जैसे नींद से जागी.

"आप थोड़ी देर आराम कर लीजिए.रंग ख़त्म हो गया है,मुझे मिक्स करने मे
10-15 मिनिट लगेंगे."

"ओके.",वीरेन घुमके रंगो की अलमारी की ओर चला गया तो कामिनी ने भी सोचा
की बैठ लिया जाए मगर कमरे के उसके हिस्से मे तो कोई कुर्सी ही नही
थी.उसने वीरेन को आवाज़ देने की सोची मगर फिर उसे खिड़की की चौड़ी सिल
नज़र आई.मौसम भी बड़ा सुहाना था..क्यू ना इसी पे बैठा जाए?

सिल कोई 2 फिट चौड़ी & 6 फिट लंबी थी.कामिनी उसपे चढ़ उसकी दीवार से टेक
लगा के उसपे टाँगे फैला के बैठ गयी & लॉन को देखने लगी.बारिश की बूंदे
घास पे चमक रही थी & सब कुच्छ धुला-2 लग व्रहा था.हवा के झोंके पानी की
बूंदे उसके नंगे जिस्म पे भी ले आते तो वो खुशी से मुस्कुरा उठती.उसने
अपना बाया हाथ बाहर निकल छज्जे से टपक रहे पानी को हथेली की अंजूरी मे
भरा & फिर बाहर फेंक दिया.

लॉन मे जलते लॅंप की रोशनी उसे ऐसी लगी मानो वीरेन की जलती निगाहे उसके
बदन को देख रही हैं.ये ख़याल आते ही उसकी चूत 1 बार फिर कसमसा उठी.उसने
अपनी बाई टांग मोड़ ली & उसके तलवे को सिल से लगा दिया & बाया हाथ पीछे
ले जा अपने सर के उपर सिल से लगा लिया & दाए से अपने सीने को सहलाने
लगी....कितना खूबसूरत & गतिला बदन था वीरेन का?....क्या वो उसपे कभी इतना
मेहेरबान होगा की उसे अपने सीने के बालो मे उंगलिया फिराने
दे..उम्म...कामिनी ने आँखे बंद कर हौले से अपनी दाई चूची दबाई.आँखे बंद
थी नगर फिर भी उसे ऐसा लगा की कोई उसे देख रहा है.

उसने आँखे खोल सर को हल्का सा दाए घुमाया तो देख की वीरेन पर्दे के पीछे
खड़ा उस देख रहा है,उसकी आँखो मे अब उसकी जिस्म की चाहत के लाल डोरे तेर
रहे थे.कामिनी की आँखे भी नशे से भरी हुई थी.दोनो 1 दूसरे की नज़रो मे
डूबे जा रहे थे.रंग मिक्स कर वीरेन उसे वापस बुलाने आया तो उसे अपने
ख्यालो मे गुम अपने जिस्म से खेलता पाया.उसकी मस्त चूचिया,गोरा पेट &
चिकनी चूत से उसकी नज़रे ऐसी चिपकी की वो बूटा बना वही कहदा रह गया & जब
दोनो की आँखे चार हुई तो वो अपने चेहरे के भाव च्छूपा नही पाया या यू
कहें की उसने उन्हे च्छुपाने की कोई कोशिश की ही नही.

कामिनी के दिल की धड़कने बहुत तेज़ हो गयी थी & वो बस वीरेन को देखे जा
रहे थी.तभी हवा का 1 तेज़ झोंका कमरे मे दाखिल हुआ & उसने उस पर्दे को
इतनी ज़ोर से छेड़ा की उसकी 1 गाँठ खुल गयी & वो गिर पड़ा.परदा खुला तो
मानो दोनो के बीच की ये दीवार भी गिरा गयी.दाए हाथ मे ब्रश पकड़ा वीरेन
उसकी नज़रो से नज़र मिलाए हुए उसके करीब आ खड़ा हुआ.कामिनी वैसे ही अपना
बाया हाथ उपर किए सिल पे बैठी उसे देख रही थी.दोनो ने 1 दूसरे से 1 लफ्ज़
भी नही बोला था मगर 1 दूसरे का दिल का हाल बखूबी मालूम था उन्हे-उनकी
नज़रे जो बात कर रही थी.

वीरेन ने 1 बार उसकी खूबसूरती को सर से पाँव तक निहारा..कुद्रत का सबसे
हसीन करिश्मा था ये जिस्म..इतनी खूबसूरती..इतनी मदहोशी..इतनी कशिश ..सब 1
ही जिस्म मे!उसने ब्रश को उसके बाए हाथ की बीच की उंगली के नाख़ून पे रखा
& वाहा से उसे नीचे लाने लगा,बहुत धीरे-2.कामिनी का बदन सिहरने लगा.ब्रश
उसके हाथ से उसकी अन्द्रुनि बाँह से होता हुआ उसकी चिकनी बगल तक पहुँच
गया.

उसके बालो की गुदगुदी कामिनी की मदहोशी बढ़ा रही थी.उसने सोचा की वीरेन
अब ब्रुश को उसकी बाई छाती पे फिराएगा मगर उसने ऐसा कुच्छ नही किया.उसने
ब्रश को बगल से उसके सीने के उपर का रास्ता दिखाया & वाहा से उसकी लंबी
गर्दन से होता हुआ उसके बाए कान तक पहुँच गया.

"उम्म...",कामिनी को बहुत मज़ा आ रहा था.वीरेन ने ब्रश को उसके माथे पे
रखा & फिर वाहा से उसे नीचे लाने लगा.कामिनी जानती थी कि ब्रश इस बार
उसके नाज़ुक अंगो से खेलने को बढ़ रहा है.उसकी धड़कने और भी बढ़
गयी.वीरेन ब्रश को नीचे लाया,उसकी नाक से नीचे उसके गुलाबी होंठो पे &
होंठो की पूरी लंबाई पे उन्हे हल्के से फिरा दिया,"..आहह...",कामिनी कांप
उठी & उसका दिल किया की अभी इसी वक़्त वीरेन उसके होंठो को चूम ले.

वीरेन ने ब्रश को नीचे उसकी ठुड्डी पे किया & फिर ब्रश उसकी गर्दन से
होता हुआ उसके सीने पे सजे दोनो उभारो के बीचोबीच बनी घाटी मे पहुँच
गया.कामिनी का बदन कांप रहा था,सिहर रहा था मगर वो अभी भी उसी पोज़िशन मे
बैठी थी मानो अभी भी वीरेन पैंटिंग कर रहा हो & वो उसके लिए पोज़ कर रही
हो.

वीरेन का ब्रश उसकी बाई चूची की गोलाई पे फिरने लगा तो उसके गले से निकल
रही आहे तेज़ होने लगी.वो चूची के पूरे दायरे पे ब्रश फिरा रहा था & जब
ब्रश गोलाई का 1 चक्कर पूरा करता तो दायरा छ्होटा हो जाता.इस तरह वो उसके
निपल तक पहुँच रहा था.वीरेन ने ऐसे गुलाबी निपल अपनी ज़िंदगी मे नही देखे
थे.उसने काई विदेशी लड़कियो को चोदा था मगर ऐसे फूलो के रंग के निपल्स
उनके भी नही थे.

"ऊहह..",कामिनी के नाख़ून खिड़की के सिल & दीवार के पैंट को खरोंच रहे थे
& वीरेन का ब्रश उसके निपल को.जब तक वीरेन ने ब्रश से उसकी दाई छाती पे
भी वही हरकत की तब तक कामिनी की चूत से पानी रिसने लगा था.ब्रश अब उसके
सीने से नीचे उसके पेट पे फिर रहा था & कामिनी की साँसे मानो अटक रही थी.

"उम्म..",ब्रश उसकी नाभि की गहराई मे रंग भर रहा था.वो अब बहुत धीरे-2
अपनी कमर हिला रही थी.उसे इंतेज़ार था अब ब्रश के खुरदुरे बालो का अपनी
चूत & उसके दाने पे.ब्रश नाभि से निकला & और नीचे आया.कामिनी की आँखे बंद
हो गयी & चेहरे पे हल्की सी मुस्कान खिल गयी बस थोड़ी ही देर मे वीरेन
उसकी परेशान चूत को सुकून पहुचाएगा.

मगर ऐसा कुच्छ भी नही हुआ.ब्रश उसकी चूत के बगल से होता हुआ उसकी बाई उठी
हुई टांग की जाँघ पे चढ़ गया & वाहा से नीचे जाने लगा.कामिनी ने आँखे खोल
वीरेन की ओर ऐसे देखा मानो उस से थोड़ी खफा हो लेकिन वीरेन बस उसके जिस्म
पे ब्रश फिराए जा रहा था.उसकी अन्द्रुनि जाँघ पे चलते ब्रश ने उसकी
बेताबी को और बढ़ा दिया था लेकिन जब ब्रश उसकी बाई टांग के उठे हुए घुटने
से होता हुआ नीचे उसके पाँव तक पहुँचा & उसकी उंगलियो के बीच घुस-2 कर
मानो रंग भरने लगा तब तो कामिनी पागल ही हो उठी.

वीरेन को अभी भी उसपे तरस नही आया था.ब्रश बाई से दाई टांग पे चला गया था
& वाहा भी उसके पाँव की उंगलियो के साथ उसने वैसा ही बर्ताव किया & फिर
उपर आने लगा.इस बार ब्रश उसकी भारी जाँघ से फिरता हुआ कही और नही गया
बल्कि सीधा उसकी चूत के दाने पे आ बैठा.वीरेन उसकी आँखो मे झाँक रहा था &
उसका हाथ ब्रश को उसके दाने पे फिराए जा रहा था.कामिनी आहे भरती हुई सिल
पे ऐसे मचल रही थी जैसे जल बिन मछली.

उसके हाथ अब अपनी चूचियो को मसल रहे थे.वीरेन उस मस्तानी लड़की की हरकते
देख गरम हो रहा था.उसके ब्रश ने कामिनी के दाने को छेड़-2 कर उसे झाड़वा
ही दिया था.उसके झाड़ते ही वीरेन ने ब्रश फेंका.ठीक उसी वक़्त कामिनी को
पूर्वाभास सा हुआ की वो उसे चूमेगा & उसने भी अपनी बाहे उसके गले मे डाल
उसे नीचे खींचा & दोनो प्रेमियो ने पहली बार 1 दूसरे को चूमा.दोनो 1
दूसरे के होंठो का लुत्फ़ उठाते हुए अपनी-2 ज़ुबान बारी-2 से 1 दूसरे के
मुँह मे डाल घुमा रहे थे.अभी तक वीरेन के हाथो ने कामिनी को च्छुआ भी नही
था & उसका बदन जैसे दुख रहा था.

वो चाह रही थी की वीरेन अपनी बाहो मे उसे कस उसका सारा दर्द मिटा दे मगर
वीरेन उस हुसनपरी को ऐसे प्यार करना चाहता था की उसे भी थोड़ा याद रहे.वो
होंठो को छ्चोड़ गर्दन चूमते हुए नीचे झुका & उसकी चूचियो को अपने मुँह
मे भरने लगा.कामिनी बेचैनी & जोश से उसके सर & बदन पे हाथ फेर रही थी मगर
उसके हाथ अभी भी पीछे ही थे.

क्रमशः........
Reply
08-16-2018, 01:47 PM,
#53
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...

काफ़ी देर तक वो उसकी छातियो को पीता रहा,फिर वो तेज़ी से जीभ चलाते हुए
नीचे जाने लगा & उसके पेट से होता फ़ौरन उसकी गीली चूत पे पहुँच गया.उसकी
लपलपाति जीभ ने कामिनी की चूत के अंदर ऐसी-2 हरकते की कामिनी का अब सिल
पे बैठना मुहाल हो गया.

"आहह...हहाईयाीइ.....आआहह.....ऊहह..!",झाड़ते ही उसने वीरेन के बाल पकड़
उसे उपर उठा लिया & उसकी नज़रो मे देखते हुए उसके होंठो पे अपने होठ रख
दिए.उसे बहुत प्यार आ रहा था अपने इस नये आशिक़ पे & अब वो बस उसके साथ
इस खेल को इसके अंजाम तक ले जाना चाहती थी.उसने वीरेन के होंठ छ्चोड़े &
उसकी ट्रॅक पॅंट को नीचे किया.वीरेन ने उसे अपनी टाँगो से निकाल फेंका.

सामने उसका 9 इंच का बेहद मोटा लंड सर उठाए खड़ा था....इतना मोटा!..इतना
तो ठुकराल का भी नही था..कामिनी ने हैरत से उसपे अपने हाथ कसे तो वो उसके
1 हाथ की मुट्ठी मे बड़ी मुश्किल से समाया,".आहहह...",वीरेन ने खुशी से
आह भरी मगर अब वो और इंतेज़ार नही कर सकता था.

उसने कामिनी को सीधा बिठाया & उसके सामने सिल पे बैठ गया.कामिनी उसका
इशारा समझ गयी.वीरेन 1 टांग कमरे के अंदर & 1 बाहर लटकाए बैठा था.& उसके
सामने वैसे ही कामिनी.कामिनी आगे बढ़ी & अपनी जंघे उसकी जाँघो पे चढ़ाते
हुए उसके लंड पे बैठने लगी,"ओईई....माआआआआ....!",लंड की चौड़ाई उसकी चूत
को बहुत फैला रही थी & उसके चेहरे पे दर्द की लकीरे खींच गयी थी.

वीरेन ने उसकी गंद के नीचे हाथ लगाया & उसे थाम नीचे से 2-3 धक्के
दिए,"..ऊओवव्व..!",लंड अब पूरा घुस चुका था.उसने धक्के रोके & बस लूँ
घुसाए बैठ गया.कामिनी की चूत थोड़ी ही देर मे लंड की आदि हो गयी & उसने
उच्छल-2 कर चुदाई शुरू कर दी.वीरेन के हाथ उसकी गंद से उपर उसकी पीठ &
फिर बालो मे फिर रहे थे & दोनो 1 दूसरे को चूम रहे थे.वीरेन कामिनी की
चूत की कसावट से हैरान था..ऐसी कसी चूत उसने आज तक नही मारी थी.

"तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मैने ज़िंदगी मे नही देखी थी..आअहह...& तुम
मेरे साथ..चुदाई कर रही हो..मुझे यकीन नही होता,कामिनी!",वीरेन ने सर
झुका के उसकी चूचिया मसली & उन्हे चूस लिया.

"ऊहह...वीरेन...तुम्हारे जैसे मर्द से मैं...आईययईए...भी ना..ही
मी..ली..आज .तक....आआअनंह...उऊन्ह.......ऊनह..!",उसने उसे अपनी बाँहो मे
भींच लिया क्यू की उसके लंड की रगड़ ने उसे फिर से झाड़वा दिया था.वीरेन
ने उसकी गंद की फांको के नीचे फिर से हाथ लगाया & उसे गोद मे उठा खड़ा हो
गया फिर उसने अपनी बाई टांग उठाई & अपनी प्रेमिका को लिए-दिए कमरे से
बाहर हो गया.वीरेन ने उसे कमरे की बाहरी दीवार से लगाया & उसकी गंद थामे
धक्के लगाने लगा.

कामिनी फिर से मस्ती मे खोने लगी.वीरेन झुक के कभी उसकी गर्दन चूमता तो
कभी सीने के उभार.कामिनी भी मस्ती मे पागल हो उसे उठा उसके होंठ चूम
लेती.वो फिर से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रही थी की तभी वीरेन ने उसे दीवार
से हटाया & लेके खुले लॉन मे आ गया.तेज़ बारिश ने उन्हे पूरा भींगा दिया.

वीरेन उसे ले नर्म,मखमली घास पे लेट गया.कामिनी को पीठ पे ठंडी घास से
सिहरन हुई मगर उसके इस अंदाज़ ने उसे बहुत रोमांचित कर दिया था.लेटते ही
उसने अपनी टाँगे उसकी कमर पे & बाहे उसकी पीठ पे कस दी थी & अपनी कमर
नीचे से हिलने लगी थी.जवाब मे वीरेन ने भी अपने गहरे धक्के शुरू कर
दिए.तेज़ बारिश के शोर मे भी लॉन मे कामिनी की आहे गूँज रही थी.वो वीरेन
की पीठ को अपने नखुनो से खरोंच रही थी.उसकी चूत मे अब बहुत तनाव बन गया
था & वीरेन भी अब अपने लंड पे महसूस कर रहा था की उसकी चूत और कस गयी है.

"आअहह...कामिनी..आ..ह...कितनी कसी है तुम्हारी..चूत..आअहह....अब मैं नही
रुक सकता.."

"बस ...ऐसे ही छो..ते रा..हो..वी..रें...मैं
भी..बा.....आआआनंह..आआईईई...ऊऊऊहह....!",बात पूरी करने से पहले ही कामिनी
झाड़ चुकी थी.झाड़ते वक़्त उसकी चूत ने फिर वही सिकुड़ने-फैलने की
मस्तानी हरकत की जोकि वीरेन के लिए बिल्कुल नया एहसास था.

"आआहह...आहह...आहहह....!",उसकी भी आह निकल गयी & उसका गर्मागर्म गाढ़ा
वीर्या लंड से छूट कामिनी की चूत मे भरने लगा.बारिश से बेपरवाह दोनो घास
पे पड़े लिपटे हुए 1 दूसरे को चूमते जा रहे थे मानो 1 साथ झड़ने के इस
लम्हे को वो क़यामत तक बरकरार रखना चाहते हो.

सुरेन सहाय अपने बाथरूम से नहा कर तौलिया कमर पे बँधे बाहर आए तो सामने
का नज़ारा देख के उनका दिल जोश से भर गया.उनकी खूबसूरत बीवी केवल ब्रा &
पॅंटी पहने कपबोर्ड से कपड़े निकाल रही थी.उसकी गोरी पीठ उनकी तरफ थी
जिसपे ब्रा के काले स्ट्रॅप्स कसे हुए थे.

देविका कपबोर्ड के उपर के शेल्फ से कुच्छ निकालने के लिए अपने पंजो पे
उचकी तो उसकी चौड़ी गंद उभर गयी & उसकी गुदाज़ बाहे उपर होने से ब्रा
स्ट्रॅप्स भी खींचने लगे.सुरेन जी ने पिच्छले 2 दीनो से खुद पे काबू रखा
था,उन्होने सोचा था की 1 बार डॉक्टर से बात कर लें फिर अपनी बीवी को भी
चोदेन्गे & शहर जा किसी मस्त कल्लगिर्ल के बदन का भी भरपूर लुत्फ़
उठाएँगे.

बाहर तेज़ बारिश हो रही थी & मौसम भी काफ़ी मस्ताना हो गया था.ऐसे मे
सामने देविका इस क़ातिल अंदाज़ मे खड़ी थी,वो सब कुच्छ भूल गये & बस यही
याद रहा की ये खूबसूरत बदन जोकि उनकी मिल्कियत है उसकी गहराइयो मे उतरके
उन्हे बस वो अनोखी खुशी हासिल करनी थी.वो आगे बढ़े & पहले नारंगी डिबिया
से निकाल 1 गोली खाई & फिर उस बेख़बर हसीना को पीछे से अपनी बाहो मे
जाकड़ लिया,"हाअ.....",देविका चौंक पड़ी.

"क्या करते हैं..छ्चोड़िए ना!....उउम्म्म्म....!",सुरेन जी ने उसके कंधो
से स्ट्रॅप्स को उतार ब्रा को फर्श पे गिरा दिया था & उनकी बाई बाँह उसके
सीने के पार पड़ी उसकी दोनो छातियो को अपने नीचे दबाए थी & बाया हाथ उसकी
दाई छाती को मसल रहा था.उनका दाया हाथ उसके चिकने पेट को सहलाता हुआ उसकी
नाभि को कुरेद रहा था & उनके तपते लब उसकी लंबी गर्दन को अपनी तपिश से
जला रहे थे.
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08-16-2018, 01:47 PM,
#54
RE: Kamukta Story बदला
"उउम्म्म्मम....",देविका को भी बहुत अच्छा लग रहा था & उसने अपनी गुदाज़
बाहे पीछे लेजा उनके सर को थाम अपने जिस्म पे और झुका दिया,"..दवा ली
आपने?...उउफफफ्फ़..!"

"हां.",सुरेन जी ने उसे घुमा के कुच्छ पल उसके गुलाबी होंठ चूमे & फिर
उसे हल्के से धकेला तो देविका पलंग पे गिर पड़ी,उसकी टाँगे नीचे लटकी हुई
थी & वो बिस्तर पे लेटी अपने हाथो से अपनी छातियो को दबाते नशीली आँखो से
अपने पति को देख रही थी.बीवी की मस्तानी अदा देख सुरेन जी ने फ़ौरन अपना
तौलिया उतार फेंका.उनका दिल बहुत ज़ोरो से धड़क रहा था मगर उन्हे अभी
देविका के जिस्म के अलावा कुच्छ नही सूझ रहा था.

1 झटके मे उन्होने देविका की पलंग से लटकी टांगो को उठा उसकी पॅंटी उतरी
& 1 ही झटके मे अपना पूरा लंड उसमे उतार दिया & खड़े-2 ही उसे चोदने लगे.

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"उउम्म्म्म....वीरेन....आहानन्न....अब सोने दो ना....ऊओवव्व....शरीर
कहिनके!",कामिनी वीरेन के स्टूडियो मे उसके पलंग पे पड़ी हुई थी & वो
उसकी छातियो के गुलाबी निपल्स को बारी-2 से दाँत से काट रहा था.

"इतना तो सो ली.अब और कितना सोयॉगी?4 बज रहे हैं,भोर हो गयी है.",वीरेन
ने दाँत को निपल से हटाया & उसकी दाई चूची को पूरा का पूरा मुँह मे भरने
की कोशिश करने लगा,"..आआआआआअहह.....!",शुरू मे तो कामिनी की आह निकली मगर
बाद मे बस मुँह खुला रह गया & आवाज़ बंद हो गयी.मस्ती मे 1 बार फिर उसकी
आँखे बंद हो गयी थी & वो फिर से हवा मे उड़ने लगी थी.रात को लॉन मे चोदने
के बाद वो उसे गोद मे उठा अंदर ले आया था.

अपने हाथो से उसने उसके मखमली जिस्म पे लगी मिट्टी & घास के टुकड़ो को
बाथरूम मे सॉफ किया था & उसके बाद से लेके अभी तक वो उसे 2 बार और चोद
चुका था.हर बार वीरेन उसे इतना मस्त कर देता था की वो उसके लंड के लिए
पागल हो जाती थी मगर वो उसे फिर भी तड़पता रहता था & कितना मज़ा था उस
तड़प मे..उउफ़फ्फ़!..& जब लंड घुसता तो ना जाने कितनी देर तक उसके अंदर
खलबली मचाता रहता.जब तक वो मन भर के नही झाड़ जाती तब तक वो भी नही
झाड़ता था.

अभी भी उसने उसे बिल्कुल पागल कर दिया था.कामिनी ने अपनी दाई तरफ करवट से
लेटे उसके जिस्म से खेलते वीरेन के उपर अपनी बाई टांग चढ़ा दी & उसके लंड
को पकड़ लिया....रात भर चुदने के बाद भी उसकी मोटाई ने उसे हैरान करना
नही छ्चोड़ा था.उसने अपने अंगूठे & उंगली का दायरा बनाके लंड को घेरना
चाहा मगर नाकामयाब रही.लंड को पकड़ उसने अपनी चूत पे रगड़ना चाहा तो
वीरेन ने लंड पीछे खींच लिया.

रात भर के तजुर्बे से कामिनी समझ गयी थी की वो तडपा-2 के उसके नशे को और
बढ़ाना चाहता था मगर उसे अभी बिल्कुल सब्र नही था,"..उउंम नाटक मत
करो...जल्दी से डालो ना!",वो टाँगे फैलाए लेट गयी & वीरेन को खींच अपने
उपर लिया & उसके लंड को पकड़ के फिर से अपनी चूत पे रख दिया.वीरेन
मुस्कुराते हुए फिर से रुक गया,"..उउन्न्ह..उऊन्ह...वीरेन..मत तड़पाव
ना....प्लीज़!...जल्दी से चोदो मुझे!",उसने अपनी कमर हिला के अपनी बेचैनी
जताई.इस बार वीरेन ने उसकी इल्तिजा सुन ली & 1 ही झटके मे आधे लंड को
अपनी नयी-नवेली प्रेमिका की चूत मे दाखिल करा दिया,"..ऊव्व...!",कामिनी
को अभी भी थोड़ा दर्द हुआ मगर उस से भी ज़्यादा उसे मज़ा आया.

"तिन्न्ग्ग्ग्ग....!",दोनो के मज़े मे वीरेन के मोबाइल ने खलल डाला.वीरेन
ने गर्दन घुमा के देखा तो नंबर देख उसने फ़ौरन मोबाइल उठा लिया.कामिनी को
बहुत बुरा लगा मगर वो चुपचाप उसे देखती रही.वीरेन ने धक्के लगाने बंद किए
& अपना सीना नीचे कर कामिनी की चूचियो को दबा अपना वजन उसके बदन पे टीका
फोन कान से लगाया,"हेलो..क्या?!!!!"

कामिनी ने महसूस किया की वीरेन का लंड जो अभी तक लोहे जैसा सख्त था अब
बिल्कुल ही कोमल हो सिकुड़ने लगा.वीरेन के माथे पे पसीने की बूंदे चूचुहा
आई & वो बस कान से फोन लगाए सुन रहा था.उसके चेहरे का रंग बिल्कुल उड़
चुका था.कामिनी को चिंता होने लगी.उसने उसके चेहरे पे प्यार से हाथ
फिराया & आँखो से इशारे मे पुचछा मगर वीरेन वैसे ही कान से फोन लगाए मानो
बुत बन गया था.

कामिनी को लगा की जिसने भी फोन किया था उसने अब फोन रख दिया था मगर वीरेन
वैसे ही बुत बना हुआ था,"वीरेन..वीरेन..!",कामिनी ने उसे झकझोरा मगर
उसपेकॉई असर नही हुआ.कामिनी ने उसके हाथ से फोन लिया & कान से लगाया मगर
फोन काट चुका था,"क्या हुआ वीरेन?!!!!कुच्छ तो बोलो!",उसने उसे दोबारा
झकझोरा.

"भाय्या....",& उसकी आँखो से आँसू बहने लगे.

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क्रमशः.................
Reply
08-16-2018, 01:47 PM,
#55
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
अपने क्वॉर्टर मे खड़ा इंदर फोन पे बात कर रहा था,"..मैं तो घबरा ही गया
था कि पता नही दवा काम भी कर रही है या नही मगर रात को खबर सुनी तो दिल
खुश हो गया.पहली मंज़िल मिल गयी है अब आगे के बारे मे सोचना
है..हां...ओके....बिल्कुल...ठीक है...मैं होने देता हू पागल की
शादी...अच्छा.",उसने फोन रख दिया.कितना खुशी का दिन था आज!उसका दिल करा
रहा था कि जश्न मनाए मगर मजबूरी थी,वो ऐसा नही कर सकता था.उसने अपनी
अलमारी से अपना फ़्लास्क निकाला & जल्दी-2 2 घूँट भरे.

शराब की जलन ने उसके कलेजे को हमेशा की तरह ठंडक पहुचाई & उसका मन फिर से
शांत होगया..अभी तो बस शुरुआत थी..अभी तो बहुत से काम थे.उसने फ़्लास्क
वापस रखा & क्वॉर्टर बंद कर बंगल की तरफ चला गया.

रात को करीब 12 बजे उसे शिवा का फोन आया था.ये तो ख़ैरियत थी की वो उस
वक़्त अपने क्वॉर्टर मे ही था वरना उसकी मोबाइल भूलने की बड़ी गंदी आदत
थी & हर रात जब वो रजनी को चोदने उसके क्वॉर्टर जाता तो अपना मोबाइल अपने
क्वॉर्टर मे ही भूल जाता.कल रात के मौसम ने रजनी को इतना पागल कर दिया था
कि वो खुद ही उसके क्वॉर्टर मे आ गयी थी.दोनो फ़ौरन नंगे हो इंदर के
बिस्तर मे घुस गये थे & इंदर ने उसे उसके घुटनो & हाथो पे कर डॉगी स्टाइल
मे लंड पीछे से डाला ही था की शिवा का फोन आया की सहाय की तबीयत बहुत
खराब है.

वो & रजनी फ़ौरन वाहा पहुँचे,एस्टेट का डॉक्टर बहुत कोशिश कर रहा था मगर
दिल का दौरा बहुत ज़ोर का था.जब से सहाय को ये बीमारी हुई थी देविका ने
एस्टेट की डिसपेनसरी के डॉक्टर को बीमारी की एमर्जेन्सी मे काम आने वाली
हर दवा & चीज़ रखने का हुक्म किया था मगर सुरेन सहाय के दिन इस धरती पे
पूरे हो चुके थे.डॉक्टर ने आख़िर कोशिश कर उनके दिल मे सीधा अड्रेनलिन का
इंजेक्षन दिया मगर उसका भी कोई असर नही हुआ.

सुरेन सहाय की मौत हो चुकी थी & इंदर को अपने नापाक इरादे पूरे होते दिखने लगे थे.

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"चीएंन्‍णणन्.....!",कार के ब्रेक की कर्कश आवाज़ से इंदर अपने ख़यालो से
बाहर आया.वो बंगल के पोर्च मे पहुँच चुका था.सवेरे के 6 बज रहे थे & भाई
की मौत की खबर सुन वीरेन वाहा पहुँच चुका था.दरवाज़ा खोल वो तेज़ी से
उतरा तो इंदर उसे देखते ही पहचान गया मगर दूसरे दरवाज़े से निकलती कामिनी
को वो नही पहचान पाया.

कामिनी & वीरेन हॉल मे घुसे जहा से सारा फर्निचर हटा दिया गया था.1 कोने
मे 1 स्टूल पे सुरेन जी की तस्वीर रखी थी & उसके आगे अगरबत्ती जल रही
थी.तस्वीर के पास ज़मीन पे बिछे गद्दे पे देविका बैठी थी & उसके पीछे
रजनी.कामिनी ने देखा की देविका के चेहरे पे आँसुओ के निशान पडे हुए थे &
उसकी आँखे बिल्कुल लाल थी.वो बस 1बार मिली थी उस से लेकिन उस छ्होटी सी
मुलाकात मे उसे इतना तो अंदाज़ा हो अगया था की देविका अपने पति के लिए
बहुत फ़िक्रमंद रहती थी.

अभी कामिनी को वो बात करने की हालत मे नही लगी.वीरेन धदड़ाता हुआ हॉल मे
दाखिल हुआ था मगर देविका को मानो कुच्छ पता ही नही चला था.अभी तक कोई भी
रिश्तेदार या जान-पहचान वाला नही पहुँचा था.वैसे भी अभी तो सुबह हुई ही
थी.वो जानती थी की 1-2 घंटे मे यहा लोगो का ताँता लग जाएगा.

वीरेन अपनी भाभी के पास गया & उसके सामने बैठ गया.देविका ने अपनी आँखे
उसकी ओर की और बस देखती रही.काफ़ी देर तक दोनो बस बैठे हुए 1 दूसरे को
देखते रहे.कामिनी ने गौर किया तो देखा की दोनो की आँखो से आँसू बह रहे
हैं मगर रुलाई की आवाज़ नही आ रही है.शिवा & इंदर हॉल के दरवाज़े पे खड़े
थे जहा इंदर शिवा से इन दोनो का परिचय ले रहा था.कामिनी शरण का नाम सुन
इंदर का दिल फिर से परेशान होने लगा.वो ठुकराल & षत्रुजीत सिंग वाले केस
के बारे मे सुन चुका था & जानता था की उसकी आँखो मे धूल झोंकना आसान नही
होगा.

तभी हॉल के सन्नाटे को किसी के रोने की तेज़ आवाज़ ने तोड़ा,ये प्रसून
था.उसे देखते ही वीरेन उठा & उसे अपने गले से लगाकर दिलासा देने लगा.7
बजते ही लोग आने शुरू हो गये.वीरेन ने शिवा & इंदर से बात कर रात के
हादसे के बारे मे सब कुच्छ जान लिया था & अब घर का बड़ा होने के नाते उसे
ही सारी ज़िम्मेदारिया निभानी थी.कामिनी ने देखा की कारोबार की
ज़िम्मेदारी उठाने से इनकार करने वाला वीरेन इस मुसीबत के मौके पे अपने
परिवार के लिए बिल्कुल मुस्तैदी से डटा हुआ था.

लोगो की भीड़ आई तो उसमे कामिनी के भी काई जानने वाले थे.थोड़ी ही देर मे
सुरेन जी के शरीर को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान लेजाया गया.अब घर मे
केवल औरते ही बची थी.कामिनी को कुच्छ सवाल करने थे मगर उसे समझ नही आ रहा
था की किस से पुच्छे.उसने तय किया की सही वक़्त आने पे वो सीधा देविका से
ही बात करेगी.उसे इस मौत के बारे मे सब जानना था,आख़िर वो इस परिवार की
वकील थी.

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गाड़िया श्मशान घाट की ओर रवाना हो रही थी.शिवा ने इंदर को अपने साथ चलने
को कहा था मगर वो ना जाने कहा नदारद था!..देर हो रही थी..शिवा ने खिज के
कलाई घड़ी की ओर देखा & फिर इंदर को ढूँडने चल पड़ा.थोड़ी ही दूर पे बंगल
& क्वॉर्टर्स के रास्ते के किनारे उगी झाड़ियो के बीच वो उसे खड़ा नज़र
आया.उसने देखा की वो अपनी जेब से कुच्छ निकाला & उच्छाल के फेंक दिया.वो
कोई नारंगी रंग की चीज़ थी.

ऐसा क्या था?....शिवा के अंदर का सोया फ़ौजी जाग उठा.उसने अपनी ट्रैनिंग
मे सीखी बातो से उस चीज़ के गिरने की जगह को आँका & फिर फुर्ती से वापस
जीप के पास आ खड़ा हो गया.थोड़ी ही देर मे इंदर वाहा भागता
पहुँचा,"सॉरी,शिवा भाई..वो.",उसने अपने दाए हाथ की सबसे छ्होटी उंगली को
उपर कर पेशाब जाने का बहाना बनाया.

"हूँ.",शिवा ने जीप स्टार्ट की & दोनो वाहा से निकल लिए.

इंदर दवा की वो डिबिया फेंक रहा था जिसे उसने पंचमहल वाले सुरेन जी के
बंगल मे उनकी डिबिया से बदल के रखा था.कल उनके दिल के दौरे के बाद मची
अफ़रा-तफ़री मे उसने मौका देख वो डिबिया फिर से बदल दी थी & कुच्छ ही
दीनो पहले बाज़ार से खरीदी दूसरी डिबिया वाहा रख दी थी.अब सब यही समझते
की सुरेन जी के कमज़ोर दिल ने उन्हे धोखा दिया किसी को ये नही पता चलता
की उस दिल को धोखा देने पे मजबूर किया था उस दवा ने जोकि अभी झाड़ियो के
बीच गिरी हुई थी.

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Reply
08-16-2018, 01:47 PM,
#56
RE: Kamukta Story बदला
कामिनी सवेरे तो एस्टेट से चली आई थी मगर शाम को वो फिर वाहा पहुँची.उसने
वीरेन से बात की तो पाया की देविका अब थोड़ा संभली हुई थी.वो उस से मिलने
गयी.अपना शोक जता के थोड़ी देर के बाद वो मुद्दे पे आई,"देविका जी,अब जो
मैं बात आपसे कहूँगी होसकता है उसे सुनके आपको लगे की मैं 1 बदतमीज़ &
बेदर्द किस्म की औरत हू मगर मुझे माफ़ कीजिएगा क्यूकी मैं ये बात आपके
वकील के नाते कर रही हू."

"बोलिए,कामिनी जी.क्या जानना है आपको?",दोनो उस वक़्त बंगले के स्टडी रूम मे थे.

"मैं चाहती हू की..की..आप मुझे सुरेन जी की मौत के बारे मे तफ़सील से
बताएँ..मतलब..जब दौरा पड़ा तो वो क्या कर रहे थे..& कौन सी दवाएँ कैसे ली
उन्होने & डॉक्टर कितनी देर बाद पहुँचा."

देविका के चेहरे पे दर्द & गुस्से की लकीरे खींच गयी.

"आपको बुरा लगा ना!मगर यकीन मानिए मुझे भी बहुत बुरा लग रहा है.ये सब
बहुत ज़रूरी है देविका जी मैं नही चाहती की कोई भी उनकी मौत पे सवाल उठाए
& किसी तरह का बखेड़ा खड़ा करे.",कामिनी की बात के बाद देविका के चेहरे
पे बस दर्द रह गया गुस्सा गायब हो गया.

"रात को उन्हे दौरा पड़ा था.."

"हूँ..उस वक़्त आपलोग सोए हुए थे?"

"नही.",देविका ने सर झुका लिया.

"फिर जागे हुए थे?"

उसने हां मे सर हिलाया.

"तो क्या कर रहे थे आप दोनो?,देविका खामोश बैठी थी.कामिनी को लगा की उसका
दुख उसे बोलने नही दे रहा है.वो अपनी कुर्सी से उठ उसकी कुर्सी के हटते
पे जा बैठी & उसकी पीठ पे हाथ फेरने लगी,"बताइए."

"हम..हम....प्यार कर रहे थे.",देविका फफक के रोने लगी.कामिनी ने फ़ौरन
अपनी बाहो मे उसे भर लिया तो देविका उसके सीने से लग फुट-2 के रोने
लगी.कुच्छ पल बाद वो शांत हुई तो कामिनी ने अपनी सारी के पल्लू से उसका
चेहरा पोंच्छा & उसे पानी पिलाया.

"आप दोनो..के प्यार के बीच ही..?",कामिनी ने बात आयेज बधाई.

"हन,एग्ज़ाइट्मेंट इतना बढ़ा की दिल बर्दाश्त नही कर पाया उनका."

"तो फिर आपलोग कैसे करते थे हमेशा..मेरा मतलब है की पहले भी तो आप दोनो..?"

"डॉक्टर ने 1 दवा दी थी उन्हे की जब भी कोई ऐसा काम करे जिसमे बहुत
रोमांच हो ये एग्ज़ाइट्मेंट हो तो वो दवा पहले ले लें."

"दवा कामयाब थी?"

"हां,मगर इधर कुच्छ दीनो से मुझे लग रहा था की वो काम नही कर रही & वो
परेशान हो जाते थे.हम दो दिन बाद हम डॉक्टर के पास जाने वाले थे मगर कल
रात..",फिर से रुलाई ने देविका की बात रोक दी.

"..ग़लती मेरी ही थी.मुझे उस हाल मे देख वो खुद पे काबू नही रख पाए &
उनकी नज़दीकी ने मुझे भी मदहोश कर दिया."

"एग्ज़ॅक्ट्ली दौरा पड़ा कब?"

"जब हम दोनो 1 दूसरे के बिल्कुल करीब थे.",देविका के गाल शर्म से लाल हो
गये थे.कामिनी समझ गयी थी उसकी उलझन,"..वो मेरे उपर ही निढाल से हाँफने
लगे.मैने उन्हे उपर से उतारा & पाजामा पहना के डॉक्टर को बुलाया.उसने
सारी कोशिश की मगर सब बेकार."

"1 बार मुझे अपना कमरा दिखाएँगी."

"ज़रूर."

कामिनी उसके विक्टोरियन फर्निचर से साज़े कमरे को देख रही थी की तभी उसकी
नज़र मेज़ पे पड़ी 1 नारंगी डिबिया पे गयी,"ये क्या दवा है?"

"यही वो दवा है."

"ओह्ह.",कामिनी ने उसे उलट-पलट के देखा & तभी 1 चीज़ उसके दिमाग़ मे
खाटकी,"देविका जी,आपने ये दवा कब खरीदी थी?"

"ठीक से याद नही."

"प्लीज़,ज़रा याद कीजिए."

"कोई 2 महीने पहले.मैं सारे बिल्स रखती हू,देख के आपको सही तारीख बता दूँगी."

"ये बहुत अच्छा रहेगा,चलिए अब मुझे जाना है."

देविका को पता भी नही चला था की कामिनी ने वो डिबिया वापस नही रखी थी
बल्कि अपने पर्स के हवाले कर दी थी.

सुबह के 5 बजे थे & भोर का उजाला अभी पूरी तरह से फैला भी नही
था.ट्रॅक्सयूट पहने शिवा बंगल & सर्वेंट क्वॉर्टर्स को जोड़ने वाले
रास्ते के किनारे बनी सजावटी झाड़ियो के बीच खड़ा था.कल इंदर ने यही खड़े
होके कुच्छ फेंका था.शिवा ये अंदाज़ा लगा रहा था की वो छ्होटी सी चीज़
आख़िर गिरी कहा होगी.

एस्टेट की ज़मीन बड़ी उप्जाउ थी & अगर देखभाल ना की जाती तो घास & जुंगली
पौधे उगने मे देर नही लगती थी मगर यहा के माली ने इस बात का बड़ी
खूबसूरती से इस्तेमाल किया था.ये जुंगली झाड़िया जो रास्ते के किनारे उगी
हुई थी बड़ी खूबसूरत दिखती थी & वो बस उन्हे छांट कर & करीने से कर देता
था.

इन झाड़ियो से थोड़ी दूरी पे अमरूद के कुच्छ पेड़ थे.इंदर ने वो चीज़ उन
पेड़ो की ओर ही फेंकी थी.शिवा उन पेड़ो के बीच घुस गया.इधर हुई बारिश से
ज़मीन पे उगी घास बढ़ गयी थी.वो झाड़िया इन पेड़ो के बीच भी यहा-वाहा उगी
हुई थी मगर ये उनकी तरह तर्तिब से नही थी.ऐसे ही 1 झड़ी मे वो चीज़ गिरी
थी ये शिवा का अंदाज़ा था.

वो करीब 1 घंटे तक ढूंढता रहा मगर उसके हाथ नाकामी ही लगी.हार कर वो बंगल
मे चला आया & नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गया.उसने नल खोला & नंगा हो
पानी की बहती धार के नीचे सर लगाके बैठ गया....घर के मालिक की अचानक मौत
हो गयी थी & सभी उसके क्रिया-करम के लिए श्मशान जा रहे थे,ऐसे मे एस्टेट
मॅनेजर को ऐसी क्या चीज़ फेंकने की जल्दी थी?..इस आदमी मे कुच्छ तो
गड़बड़ थी..मगर क्या..शिवा के दिमाग़ के घोड़े दौड़ रहे थे मगर उनके हाथ
भी कुच्छ नही लग रहा था.

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क्रमशः...........
Reply
08-16-2018, 01:47 PM,
#57
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
"मॅ'म,खराब मौसम की वजह से असरी फ्लाइट कॅन्सल्ड हैं & आपकी फ्लाइट भी अब
कल सुबह ही जाएगी.",बॅंगलुर एरपोर्ट पे काउंटर पे बैठी अटेंडेंट की बात
सुन कामिनी परेशान हो गयी.वो सवेरे ही 1 केस के सिलसिले मे यहा आई थी &
अभी ही उसे वापस लौटना भी था मगर अब तो वो यहा फँस गयी थी.उसका क्लाइंट
जिसके काम के लिए वो यहा आई थी अब उसके ठहरने के लिए किसी होटेल के कमरे
का इंतेज़ाम करने की गरज से एरपोर्ट पे इधर-उधर पुचहताच्छ कर रहा था.

"अरे!कामिनी.तुम यहा?",सामने खड़े संतोष चंद्रा & उनकी बीवी को देख
कामिनी भी चौंक पड़ी.उसने अपने आने की वजह बताई & फिर उनके आने का कारण
पुचछा.

"हमे यहा कल 1 शादी अटेंड करनी है.",मिसेज़.चंद्रा ने बताया.चंद्रा साहब
तो उसे बस घुरे जा रहे थे.आज कामिनी ने 1 घुटनो तक की कसी बलकक स्कर्ट
पहनी थी & पैरो मे हाइ हील्स वाले जूते.उपर सफेद शर्ट थी जिसके उपर उसने
काला कोट पहन रखा था.उसकी सुडोल टाँगे & कसे स्कर्ट मे & उभरती हुई उसकी
मोटी गंद उसके गुरु का दिल छल्नी कर रही थी.

"मेडम,कोई सिंगल रूम तो नही मिल रहा मगर 1 सूयीट खाली है पास के होटेल मे."

"हम मिलके वो सूयीट ले लेते हैं.",चंद्रा साहब ने कहा,"..हम भी यहा 2
घंटे से अटके हुए हैं.अभी होटेल चले जाते हैं.कल मौसम ठीक होगा तो अपने
मेज़बान के घर चले जाएँगे.क्या कहती हो?",वो अपनी बीवी से मुखातिब हुए.

"हां-2,ये ठीक रहेगा.".कामिनी ने 1 शोख मुस्कान अपने गुरु की ओर फेंकी.वो
समझ रही थी कि उनका इरादा क्या था.

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प्रसून सो रहा था & देविका उसके सिरहाने बैठी उसके सर पे थपकीया दे रही
थी.कैसे अचानक सब बदल गया था!..उसका पति अब इस दुनिया मे नही था & उसके
सर पे सारी ज़िम्मेदारिया आ पड़ी थी.उसे अकेले ही सब संभालना था.कैसे
करेगी वो ये सब?उसकी हिम्मत जवाब दे रही थी.तभी प्रसून नींद मे थोड़ा
हिला..नही,अभी वो कमज़ोर नही पड़ सकती.अपने बेटे के लिए..इस सारी दौलत के
लिए उसे निडर रहना था & हिम्मत से काम लेना था.परसो कामिनी शरण आके सुरेन
सहाय की वसीयत पढ़ने वाली थी.सब जानते थे की उसमे क्या लिखा है मगर
क़ानूनी तौर पे वसीयत पढ़ने के बाद ही वो एस्टेट & कारोबार की बागडोर
अपने हाथो मे ले सकती थी.

1 बार वो एस्टेट का काम-काज संभाल ले उसके बाद वो प्रसून की शादी के लिए
जुट जाएगी..कितने काम थे!..अभी वो कमज़ोर नही पड़ सकती..नही..!वो वही
प्रसून के बगल मे लेट गयी.अपने कमरे मे जाने का उसका दिल नही कर रहा
था.कितनी बाते याद आने लगती थी वाहा जाने से!उसने आज की रात अपने बेटे के
साथ ही सोने का फ़ैसला किया.अभी उसने आँखे बंद की ही थी की दरवाज़े पे
दस्तक हुई.

वीरेन कल से यही था मगर उसने बंगल के साथ बने अपने कॉटेज मे रहने का
फ़ैसला किया था & इस वक़्त यही था मगर ये दस्तक उसने नही दी थी.वो उठी &
उसने दरवाज़ा खोला,जैसा उसने सोचा था सामने शिवा खड़ा था.शिवा अंदर आया &
उसने देविका के कंधे पे अपना हाथ रखा,"तुम ठीक हो?"

"हूँ.",देविका नज़रे झुकाए खड़ी थी.

"देविका,तुम्हारे दिल की हालत मैं समझता हू मगर प्लीज़ हिम्मत से काम लो
& ज़रा भी मत घबराना,मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा रहूँगा.",देविका ने
नज़रे उपर की & शिवा की आँखो मे उसे बस प्यार ही प्यार नज़र आया.उसकी
आँखे भरने लगी तो शिवा ने उसे कंधो से थामा & प्रसून के बगल मे बिठा
दिया,"चलो,सो जाओ."

उसने उसे लिटाया & पैरो के पास पड़ी चादर उठा के उसके बदन पे डाल दी,"डर
तो नही लगेगा ना?"

देविका ने बस इनकार मे सर हिला दिया,"वेरी गुड.",वो मुस्कुराया,"..गुड
नाइट,अगर किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो मुझे बुला लेना.ओक."

"ओके.",शिवा कमरे से बाहर चला गया.देविका अभी भी दरवाज़े को देख रही
थी..कितना चाहता था वो उसे!..क्या वो भी उसे ऐसे चाहती थी?..या फिर उसे
बस उसके जिस्म की वासना थी..नही उसके दिल मे भी कुच्छ तो था शिवा के
लिए..लेकिन क्या वो एहसास शिवा के एहसास जैसा ही था?..नही..वो ऐसे नही
चाहती थी उसे की अपना सब कुच्छ भूल जाए..उसने अपने पति को भी नही चाहा था
ऐसे..& ये उनकी बेवफ़ाइयो की वजह से नही था..उसे शायद भगवान ने बनाया ही
ऐसे था..ऐसी नही होती तो उसकी शादी कभी भी सुरेन से नही हुई होती वो तो..

उसने करवट बदल उस ख़याल को दिल से निकाला.वो हमेशा इस ख़याल से परेशान हो
जाती थी..उसे लगता था की वो उस आदमी की मुजरिम है & उसे छ्चोड़ सुरेन से
शादी कर उसने बहुत ग़लत किया था..तभी उसके दिल के दूसरे कोने से वही
आवाज़ आई..क्या बकवास सोच रही थी वो!..वो नही था उसके काबिल..सुरेन थे
इसलिए सुरेन से ही शादी हुई..जवाब मे दिल के पहले कोने ने फिर से कहना
चाहा..लेकिन..लेकिन-वेकीन कुच्छ नही..जो हुआ ठीक हुआ.उसने आँखे भींची &
सोने लगी.

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"आउच..!"

"क्या हुआ कामिनी?",सूयीट के बेडरूम मे कपड़े बदलती मिसेज़.चंद्रा की
आवाज़ आई तो कामिनी ने चंद्रा साहब को परे धकेलने की नाकाम कोशिश की.उसने
होटेल के स्टोर से 1 गुलाबी स्लीव्ले ढीली-ढली नाइटी खरीदी थी & अभी वही
पहने थी.दोनो सूयीट के दूसरे कमरे मे सोफे पे बैठे थे & चंदर साहब उसे
बाँहो मे भर उसकी जाँघो को मसल रहे थे.

"कुच्छ नही आंटी,1 मच्छर घुस आया था.उसी ने काट लिया था.",कामिनी ने बाल
पकड़ के अपने गुरु को अपने सीने से उठाया जहा वो नाइटी के उपर से ही उसकी
चूचियो को चूम रहे थे.

"5 स्टार होटेल मे मच्छर!",मिसेज़.चंद्रा की हैरत भरी आवाज़ आई.

"अभी सर बाल्कनी मे चले गये थे ना,वही से आया होगा.",कामिनी कसमसा रही थी
उनकी पकड़ से छूटने के लिए,"..चिंता मत कीजिए मैने मार दिया उसे.",उसने
अपनी दाई तरफ बैठे चंद्रा साहब के लंड को अपने दाए हाथ से ज़ोर से मसल
दिया.

मिसेज़.चंद्रा के कदमो की आहट सुन दोनो अलग हो गये,"तुम इस कमरे मे सो
जाना.कामिनी मेरे साथ अंदर वाले कमरे मे सो जाएगी."

"ओके.चलिए ना आंटी,मुझे ज़ोरो की नींद आ रही है.",कामिनी फ़ौरन उठ खड़ी
हुई & दोनो औरते अंदर जाने लगी.कामिनी 1 पल को ठहरी & घूम के उसने चंद्रा
साहब को मुँह चिढ़ाते हुए अंगूठा दिखाया & अंदर चली गयी.बत्तिया बुझते ही
थोड़ी ही देर मे मिसेज़.चंद्रा सो गयी & कमरे मे उनकी बजती नाक की आवाज़
गूंजने लगी.

कामिनी की आँखो से नींद कोसो दूर थी.वो मिसेज़.चंद्रा के दाई तरफ उनकी ओर
करवट लिए लेटी पिच्छले दिन के बारे मे सोच रही थी.वीरेन के साथ बिताई रात
की याद ताज़ा होते ही उसके बदन मे सोए अरमान अंगड़ायाँ लेने लगे मगर तभी
वीरेन से उसका ध्यान उसके भाई की मौत पे चला गया.वो दवा की ड्बिया जो
उसने उठाई थी..हाअ..

चंद्रा साहब कब उसके पीछे आके लेट गये & उसे बाँहो मे भर लिया उसे पता भी
नही चला था.उसके पेट को सहलाते वो उसे बेतहाशा चूमे जा रहे थे.बड़ी
मुश्किल से उसने अपनी आवाज़ को रोका था.वो उन्हे परे धकेल के इशारे से ये
समझाने की कोशिश करने लगी की कही उनकी बीवी ना जाग जाए मगर वो कुच्छ
सुनने के मूड मे नही थे.उसकी नाइटी उपर कर वो उसकी मखमली जाँघो को सहलाते
हुए उसके होंठो का रस पी रहे थे.उनका लंड कामिनी को अपनी गंद की दरार मे
अटकता महसूस हुआ तो उसके उपर भी खुमारी छाने लगी पर यहा बहुत ख़तरा था.

चंद्रा साहब जैसे उसकी उलझन समझ गये,वो बिस्तर से उठे & उसे भी खींच के
उठाया & अपने आगोश मे भर उसे चूमते हुए दूसरे कमरे मे ले आए.उन्होने
सूयीट की सारी बत्तिया बुझा के बिल्कुल अंधेरा कर दिया था,"पागलपन मत
कीजिए ना..आहह..!",वो पॅंटी के उपर से ही अपनी मनपसंद उसकी मोटी गंद को
दबा रहे थे,"..आंटी जाग गयी तो मैं तो शर्म से मर जाऊंगी."

"घबराव मत ऐसा कुच्छ नही होगा.",उन्होने उसकी नाइटी को उपर कर उसके सर से
निकाल उसके जिस्म से अलग किया & उसका हाथ पकड़ के अपने पाजामे मे बंद लंड
पे रख दिया.लंड को महसूस करते ही कामिनी और भी मस्त हो गयी.वैसे भी उसे
इस तरह मिसेज़.चंद्रा की मौजूदगी मे उनके पति से चुदने मे जो रोमांच होता
था वो उसके मज़े को और भी बढ़ा देता था.

उसने लंड को मसला तो चंद्रा साहब ने उसे अपने सीने से भींच लिया & उसकी
गंद को मसल्ते हुए उसकी पॅंटी को नीचे करने लगे.कामिनी भी उनके पाजामे की
डोर खींच रही थी.पॅंटी & पाजामा उतरते ही उन्होने उसे अपने साथ अपने
बिस्तर पे बिठा लिया.अपनी बाई बाँह उसके कंधे पे डाल वो उसके गुलाबी होंठ
चूमने लगे & दाए हाथ से उसकी मक्खनी जंघे सहलाने लगी.कामिनी का बाया हाथ
उनके गाल पे था & दाया उनके लंड पे.

"1 बात पुच्छनी थी..",किस तोड़ वो फुसफुसाई.

"पुछो..",उन्होने बाए हाथ से उसके ब्रा को खोल के फेंक दिया & उसके कड़े
निपल्स चूसने लगे.

"उम्म..",रोकने पर भी उसकी आह निकल गयी & उसने सुरेन सहाय की मौत के बारे
मे बताना शुरू किया.

"उन्न्ह...",चंद्रा साहब का दाया हाथ उसकी चूत तक पहुँच गया था & वाहा
हुलचूल मचा रहा था.

कामिनी के हाथ ने भी चंद्रा साहब के लंड को अब बहुत बेचैन कर दिया
था.उन्होने उसे बिस्तर पे बैठने को कहा तो कामिनी उनकी ओर अपनी गंद कर
घुटनो पे बैठ गयी.कमरे की खिड़की का 1 परदा थोड़ा सा खुला था & उस से
खिड़की से बाहर की हल्की सी रोशनी आ रही थी.उस रोशनी मे चंद्रा साहब ने
देखा की उनकी शिष्या उन्हे होंठो से चूमने का इशारा कर रही है.दोनो 1
दूसरे मे डूब तो रहे थे पर दोनो का 1 कान कमरे मे सोई मिसेज़.चंद्रा की
बजती नाक पे भी था.

चंद्रा साहब उसके पीछे घुटनो पे बैठे & बाए हाथ से उसकी गंद की फांको को
सहलाते हुए सूकी दरार को थोड़ा फैला उसकी गीली चूत तक पहुँचने का रास्ता
खोला & फिर दाए से अपने लंड को पकड़ उसकी चूत मे घुसा दिया.लंड घुसते ही
कामिनी ने गंद & पीछे की ओर थेल उनके पेट से सटा लंड को पूरा अपने अंदर
किया & फिर सर को पीछे करने लगी.चंद्रा साहब ने आगे हो उसे अपनी बाँहो मे
भर लिया & चूमते हुए हल्के धक्को से चोदने लगे.

"हार्ट अटॅक हुआ & सुरेन सहाय किमौत हो गयी.अब इसमे गड़बड़ क्या है?उसे
तो दिल की बीमारी थी ही.",चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी चूचियो को & दाया
चूत के दाने से खेल रहा था.कामिनी से ये बर्दाश्त नही हुआ & उसकी चूत
पानी छ्चोड़ने लगी.उसके गुरु ने देखा की वो झाड़ रही है तो उन्होने फ़ौरन
अपने होंठ से उसके होंठ सील दिए.जब उसकी मस्ती शांत हुई तो उसने अपने
होंठ च्छुड़ाए,"..जो दवा वो चुदाई के पहले लेते थे..आहह..हान्न..ऐसे ही
कीजिए....उस दवा की मॅन्यूफॅक्चरिंग डेट पिच्छले महीने की है."
"तो?",चंदर साहब ने उसकी पीठ पे हाथ रख उसे नीचे झुकाया तो कामिनी अपनी
कोहनियो पे उचक के बिस्तर पे लेट गयी.चंद्रा साहब ने अपनी छाती उसकी पीठ
से लगा दी & उसके घने बॉल उठा के उसके बाए कंधे पे डाल दिए & दाए के उपर
से झुक उसके खूबसूरत चेहरे को चूमने लगे.बीच-2 मे उनके हाथ उसके बदन से
खेल रहे थे नही तो वो उनका वजन संभाले बिस्तर पे टीके हुए थे.

"तो ये की ...उउंम्म...देविका ने मुझे बताया की दवा 2 महीने पहले खरीदी
गयी थी...उऊन्ह..",कामिनी ने सर झुका लिया& 1 तकिया खींच उसमे मुँह
च्छूपा लिया ताकि अगर उसकी आहे निकले तो भी मिसेज़.चंद्रा के कानो मे ना
पड़े.

"ऐसा कैसे हो सकता है?",चंदर साहब अब अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहे थे.

"है ना थोड़ी गड़बड़ बात?"वो अब अपनी गंद पीछे थेल के उनके धक्को का जवाब
दे रही थी.
Reply
08-16-2018, 01:48 PM,
#58
RE: Kamukta Story बदला
"हां..",चंद्रा साहब का लंड जिस तेज़ी से कामिनी की चूत की दीवारो को
रगड़ रहा था उसी तेज़ी से उनका दिमाग़ भी दौड़ रहा था.

"कामिनी..ज़रूर वो दवा गड़बड़ थी..",झुक के उन्होने उसकी पीठ चूमि & फिर
अपने दाए हाथ से उसकी मोटी चूचिया मसल्ने लगे.कामिनी की चूत का तनाव
बढ़ने से वो उनके लंड पे और कस गयी थी & उनके आंडो मे अब मीठा दर्द होने
लगा था.उनकी रफ़्तार बढ़ गयी थी & कामिनी ने तकिये को बहुत ज़ोर से पकड़
लिया था & उनके साथ-2 झड़ने को तैय्यार हो रही थी.

"मगर किसने की होगी दवा से छेड़ खानी?",चंद्रा साहब अब उसकी पीठ पे सो
गये थे & दोनो की ज़ुबाने आपस मे गुत्थम-गुत्था थी.

"उउंम्म...उऊन्ह....!",कुच्छ देर को कामिनी सब भूल गयी बस ये याद रहा की
उसके जिस्म के रोम-रोम मे बिजली दौड़ रही है & वो बस खुशी की कगार पे है.

"शायद उसकी बिवीयीयियी..आहह...!",कामिनी झाड़ रही थी & उसकी चूत की दिलकश
हर्कतो ने चंद्रा साहब को भी बेकाबू कर दिया.उनकी कमर झटके खा रही थी &
वो कामिनी के दाए कान मे जीभ फिराते हुए उसकी चूत को अपने गाढ़े पानी से
भर रहे थे.

"नही,देविका मुझे ग़लत नही लगती.",कामिनी ने थोड़ी देर बाद करवट ली &
उनके लंड को अपनी चूत से बाहर करते हुए उन्हे लिटा दिया & उनके सीने पे
सर रख उन्हे देखने लगी,"..वरना वो मुझे दवा खरीदने की सही तारीख क्यू
बताती & अगर वो ग़लत है तो दवा की डिबिया तो वाहा होती ही नही.",बड़ी
धीमी आवाज़ मे बोलते हुए वो उनके सीने से उठी & अपने कपड़े ढूँडने लगी.

"बात तो सही है तुम्हारी."पर्दे के कोने से आती रोशनी मे चंद्रा साहब उसे
कपड़े पहनते देख रहे थे,"..और कौन-2 है उस घर मे?",कामिनी ने सबके बारे
मे बताया तो उन्होने उसे फिर से अपने पास खींच लिया.

"ये शिवा कैसा आदमी है?",वो उसकी कमर सहला रहे थे & कामिनी उनका सीना.

"सहाय साहब का बहुत भरोसेमंद था."

"कयि बार भरोसेमंद ही भरोसा तोड़ते हैं.",दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे.

"तो मैं उसपे नज़र रखू?",कयि पॅलो के बाद जब दोनो के लब जुदा हुए तो
कामिनी उठ खड़ी हुई.

"हां & ये भी पता करो की इधर कोई नया आदमी तो नही आया है एस्टेट
मे."चंद्रा साहब ने भी अपना पाजामा उठाके उसमे पैर डाले.

"मुझे तुम्हारी बात से ऐसा लगता है,कामिनी,की ये मामला अभी नही तो आगे
जाके उलझ सकता है.तुम उनकी वकील हो इसलिए तुम्हारा सावधान & चौक्कन्ना
रहना बहुत ज़रूरी है.देविका & वीरेन-दोनो मे से किसी को खुद का फयडा
उठाने नही देना & जो भी सलाह देना बहुत सोच-समझ के देना.दवा के साथ
छेड़-खानी का मतलब है की सुरेन सहाय को मारा गया है."

"तो क्या मैं ये बात पोलीस को बता दू?"

"नही.देखो,अगर कोई सहाय परिवार का बुरा चाहना वाला है तो उसने अपने मक़सद
मे कामयाबी तो पा ली है मगर वो बहुत शातिर है & उसने अपने निशान च्छुपाए
हुए हैं.अब अगर उसे ये गुमान हो जाए की उसकी इस हरकत पे किसी को शक़ नही
हुआ है तो बहुत मुमकिन है की वो थोडा लापरवाह हो जाए & तुम्हारी नज़रो मे
आ जाए.",वो अपनी शिष्या के पास आ खड़े हुए तो उसने अपनी बाहे उनके गले मे
डाल दी & उन्हे चूमने लगे.

थोड़ी देर बाद कामिनी फिर से अपने गुरु की बेख़बर बीवी के बगल मे सोई हुई
थी.चंद्रा साहब की बातो ने उसके दिमाग़ मे उथल-पुथल मचा दी थी.उसे 1 बार
फिर से वीरेन के इरादो पे शक़ होने लगा था..क्या वो सचमुच उसकी खूबसूरती
पे मर-मिटा था या फिर कोई और बात थी मगर वो तो एस्टेट मे रहता ही नही था
फिर दवा वो कैसे बदल सकता है?..उसनेकारवत बदली..चलो मान लिया की उसने भाई
को नही मारा मगर उसका & देविका का रिश्ता कुच्छ ठीक नही लगता..दोनो आम
देवर-भाभी की तरह 1 दूसरे से नही पेश आते थे & अगर दोनो की नही बनती थी
तो कही वो उस से नज़दीकी का फयडा देविका से लड़ने मे ना उठाना चाहे..ठीक
कहा था चंद्रा साहब ने उसे बहुत सावधान रहना था.

उसने आँखे बंद की & सारे ख़यालो को दिल से निकाला..जो भी होगा वो उस से
निपट लेगी....इतना भरोसा था उसे खुद पे....दिन भर के काम की थकान &
चंद्रा साहब की चुदाई ने असर दिखाया & वो भी नींद के आगोश मे चली गयी.

"जब मैने ये मनहूस खबर सुनी तो मुझे तो यकीन ही नही हुआ..",शाम लाल जी
सहाय परिवार के बंगल के ड्रॉयिंग रूम मे बैठे देविका से अफ़सोस ज़ाहिर कर
रहे थे.उनके पीछे की दीवार पे वीरेन का बनाया सुरेन सहाय का पोर्ट्रेट था
जिसपे फूलो का हार डाला था,"..मुझे माफ़ कीजिएगा मे'म की मैं पहले नही आ
सका पर मजबूरी थी.दूरी ही इतनी है दोनो जगहो मे."

"प्लीज़,शाम लाल जी.ऐसी बाते करके आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं."

"मैं तो यहा पहले ही आनेवाला था,आपसे 1 ज़रूरी बात करनी थी मगर अब इस समय
आपसे वो बात करना ठीक नही लगता."

"कैसी बात,शाम लाल जी?"

"जी..वो..आपने प्रसून बेटे के बारे मे कुच्छ कहा था."

"हां-2,उसकी शादी के लिए.बोलिए शाम लाल जी क्या बात करनी थी उस बारे मे
आपको.",देविका ने आतूरता से कहा.लग रहा था जैसे बेटे के आनेवाले कल की
बात ने उसे उसका अभी का गम कुच्छ पल के लिए भुला दिया था.

"1 लड़की मिली तो है."

"अच्छा!कौन है बताइए?..कहा की है?..उसके परिवार मे और कौन-2 हैं?",देविका
ने सवालो की झड़ी लगा दी.

"वो पंचमहल मे रहती है.पढ़ी-लिखी है & इस वक़्त वही 1 कंपनी मे नौकरी
करती है.परिवार के नाम पे बस 1 बड़ा भाई है.लड़की देखने मे भी खूबसूरत है
मगर जिस बात ने मुझे उसे अपने प्रसून बेटे के लायक समझा है वो है दोनो
भाई-बेहन की शराफ़त.."

"मॅ'म,उसके पिता मेरे कॉलेज के दोस्त थे.ज़िंदगी की आपा-धापी मे हम दोनो
का संपर्क टूट गया था.अभी कुच्छ दिन पहले ही मुझे खबर मिली को वो अब नही
रहा.पता चलते ही मैं उसके घर पहुँचा तो वही इस लड़की को देखा & मुझे लगा
की वो आपके परिवार के लिए बिल्कुल सही रहेगी."

"लड़की की मा तो होंगी?"

"नही,उनका इंतेक़ाल तो पहले ही हो गया था."

"तो आपने उसके भाई से कुच्छ बात की है इस बारे मे?"

"जी हां.मैने तो सॉफ-2 बात की है दोनो भाई-बेहन से & खुशी की बात या है
की दोनो तैय्यार हैं."

"क्या?!"

"जी,हां मॅ'म.लड़की का कहना था की उसे दुख नही बल्कि खुशी होगी की वो
प्रसून जैसे इंसान की हमसफर बनेगी."

"प्रसून जैसे..!क्या मतलब?",कामिनी के माथे पे बल पड़ गये थे.

"ठीक यही सवाल मैने भी किया था,मॅ'म ओर उसने कहा की इसका जवाब वो सीधा
आपको ही देगी."

"अच्छा..",देविका सोच मे पड़ गयी..लड़की मे कुच्छ बात तो थी मगर आज के
ज़माने मे इस तरह से इतनी जल्दी कोई प्रसून जैसे मंदबुद्धि से शादी को
तैय्यार हो जाए..बात कुच्छ खटक रही थी..लेकिन अब इस शुबहे को तो उस से
मिल के ही दूर किया जा सकता है..फिर शिवा तो है ही जाँच-पड़ताल करने के
लिए....",..शाम लाल जी.."

"जी,मॅ'म."

"मैं जल्द ही उस लड़की से मिलना चाहूँगी."

"आप जब कहिए मिलवा दूँगा,मॅ'म."

"ठीक है.इस शनिवार को ही ये काम करते हैं."

"ठीक है,मॅ'म.",शाम लाल जी हाथ जोड़ते हुए उठ खड़े हुए.

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क्रमशः...................
Reply
08-16-2018, 01:48 PM,
#59
RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
कार का दरवाज़ा खोल कामिनी हाथ मे 1 पॅकेट थामे वीरेन के बंगल के अहाते
मे उतरी.10 दिन हो गये थे सुरेन सहाय की मौत को & इस बीच उसने वीरेन से
केवल फोन पे ही बात की थी & उसे वो बहुत मायूस लगा था लेकिन अब वक़्त आ
गया था की उसे उसकी मायूसी से बाहर लाया जाए.सीढ़िया चढ़ उसने मैं
दरवाज़े के बाहर लगी डोरबेल बजाई.

"हां....मैं आपको बाद मे फोन करता हू.",कान पे मोबाइल लगाए वीरेन ने दरवाज़ा खोला.

"खाना खाया?",कामिनी अंदर दाखिल हुई तो वीरेन ने दरवाज़ा बंद कर दिया.

"नही."

"मुझे पता था.",कामिनी ने साथ लाया पॅकेट खाने की मेज़ पे रख के
खोला,"..चलो बैठो मैं खाना निकालती हू.".साथ बैठ के खाना खाते हुए कामिनी
ने महसूस किया कि वीरेन अभी भी थोड़ा उदास था.उसने तय कर लिया की आज की
रात ही वो उसकी इस मायूसी को ख़त्म कर के रहेगी.

"वीरेन,कब तक ऐसे मायूस बैठे रहोगे?",खाना ख़त्म होते ही वो सीधे मुद्दे पे आई.

"मैं मायूस नही हू.",वीरेन ने नज़रे फेर ली.

"अच्छा!तुम्हारे चेहरे से तो ऐसा नही लगता."

"मेरी शक्ल ही ऐसी है."

"नही.बिल्कुल नही है.मेरी बात टालो मत..",कामिनी ने उसका चेहरा अपनी ओर
घुमाया,"..वीरेन जो हुआ अचानक & बहुत बुरा हुआ लेकिन क्या तुम्हारे
भाइय्या अभी तुम्हे इस हाल मे देख के खुश हो रहे होंगे?",भाई के ज़िक्र
ने वीरेन की आँखो मे पानी ला दिया,"..इस गम को दिल से निकालो वीरेन वरना
ये तुम्हे भी खा जाएगा."

"तुम..तुम ऐसा क्यू नही करते?"

"कैसा?"

"पैंटिंग करो..अपने ध्यान इन बातो से हटाओ & रंगो की दुनिया मे खो
जाओ..हां..यही ठीक रहेगा!",कामिनी खड़ी हुई & उसका हाथ पकड़ के उसे भी
खड़ा किया,"चलो..!"

वीरेन के स्टूडियो मे दाखिल हो कामिनी ने उसे उसके ईज़ल के पास खड़ा कर
उसके ब्रश उसके हाथ मे थमाए,"ये लो."

कामिनी उसके पीछे 1 कुर्सी खींच के बैठ गयी.वीरेन थोड़ी देर तक तो ऐसे ही
खड़ा रहा फिर उसने ऐसे ही आडी-तिर्छि लकीरे खींचना शुरू किया.थोड़ी ही
देर मे 1 जंगल की तस्वीर बन गयी थी.कामिनी ने गौर किया कि वीरेन अपने काम
मे डूब रहा था.वो खड़ी हुई,"वेरी गुड.अब मैं चलती हू.तुम पैंटिंग
करो.",वो मूडी.

"तुम कहा चली.",वीरेन ने जाती हुई कामिनी की दाई कलाई थाम ली.

"तुम पैंटिंग करो ना,मैं यहा क्या करूँगी?"

"जो तुमने यहा पिच्छली बार किया था.",वीरेन ने उसे खींचा तो कामिनी उसके
सीने से आ टकराई.उसका दिल खुशी से भर उठा था,इतनी जल्दी वीरेन अपने
पुराने अंदाज़ मे लौटेगा उसे पता ही नही था.वीरेन ने उसे सर से पाँव तक
निहारा,जुड़े मे बँधे बालो से सज़ा उसका खूबसूरत चेहरा अपने प्रेमी की
निगाहो की तपिश से लाल हो रहा था & गुलाबी सारी मे लिपटा उसका बदन जैसे
उसकी नज़रो से घबर खुद मे ही सिमटना चाह रहा था.कामिनी का सारी का पल्लू
उसके दाए कंधे से होता हुआ पीठ पे से घूम के उसके बाए कंधे पे रखा हुआ था
& वो इस वक़्त बिल्कुल गुड़िया सी लग रही थी.

"ऐसा रूप..ऐसा..हुस्न..",उसकी बाहे थाम वीरेन ने उसे अपने ईज़ल के बगल मे
खड़ा किया & उसपे से पुराना काग़ज़ हटा 1 बहुत बड़ी सी स्केच बुक टीका
दी.हाथ मे चारकोल लिए वो कामिनी का स्केच बनाने लगा.शर्मोहाया की मूरत के
इस स्केच की मदद से कल इतमीनान से पैंटिंग बनाएगा.स्केच तैय्यार होते-2
कामिनी के रूप ने उसे बेचैन करना शुरू कर दिया था.

स्केच ख़त्म होते ही उसने उसे बाहो मे भर लिया & चूमने लगा,"ओह्ह..क्या
करते हो..आराम से करो ना..ऊव्व..",उसने उसके बाए कान पे काट लिया
था.कामिनी ने हाथ को कान पे रख उसकी ओर प्यार भरे गुस्से से देखा,"मैं जा
रही हू..तुम बड़ी बदतमीज़ी कर रहे हो आज!"

"जवाब मे वीरेन ने उसकी कमर पे अपनी बाहे कस उसे खुद से बिल्कुल चिपका
लिया & उसके कान पे चूम लिया,"लो अब तो तमीज़ से पेश आ रहा हू.",दोनो
प्रेमी 1 दूसरे के आगोश मे 1 दूसरे के प्यासे होंठो की प्यास बुझाने
लगे.वीरेन का लंड उसके शॉर्ट्स से निकलने को बेताब हो रहा था & कामिनी के
पेट मे चुभ रहा था.उसके हाथ अपनी प्रेमिका के बदन को सहला रहे थे.कामिनी
उसकी करीबी से मदहोश हो गयी थी,उसकी आँखे बंद हो गयी थी & उसकी उंगलिया
प्यार से वीरेन के बालो से खेल रही थी.वो उसके सर को अपने गले पे दबा रही
थी.

वीरेन जोश मे कुच्छ ज़्यादा आगे हो उसे चूमने लगा तो वो लड़खड़ाई & पीछे
के दीवान पे गिर पड़ी.वीरेन ने उसे फ़ौरन थामा & उसके साथ दीवान पे बिठा
उसे चूमने लगा.इस अफ़रा-तफ़री मे कामिनी के कंधो से उसका आँचल ढालक गया &
जो नज़ारा वीरेन ने देखा उसने उसके होश उड़ा दिए.

कामिनी ने स्ट्रेप्लेस्स ब्लाउस पहना था जोकि उसके सीने को च्छूपा रहा था
यानी की उसके कंधे & उसकी छातियो का हिस्सा पूरी तरह से नंगा
था,"वाउ..!",वीरेन के मुँह से बेसखता निकल गया.उसने अपने हाथ उसके मखमली
कंधो पे फिराए तो कामिनी की आग और भड़क उठी.वीरेन झुक के उसके कंधे चूमने
लगा.उसके होंठ कामिनी के चेहरे & होंठो से होते हुए उसकी सुरहिदार गर्दन
पे आते & फिर नीचे हो उसके कंधो & फिर उसकी छातियो से उपर के हिस्से पे
घूमने लगते.

कामिनी का दिल कर रहा था की वो अब बस उसके ब्लाउस को हटा उसकी चूचियो को
अपने मुँह मे भर ले लेकिन वीरेन ऐसा कुच्छ नही कर रहा था.वो जानती थी की
वो उसे तडपा-2 के पागल कर देगा & उसके बाद जब वो झदेगी तब जो खुशी उसे
मिलेगी उसका कोई मुकाबला नही होगा.कामिनी ने अपने अपिर उपर दीवान पे चढ़ा
लिया & उन्हे मोड़ के अपनी आएडियो को अपनी गंद के नीचे दबा के बैठ
गयी.सिरेन उसे बाहो मे भरे वैसे ही चूमे जा रहा था.

चूमते-2 वीरेन ने उसकी कलाइया पकड़ दोनो हाथ ऊपर हवा मे उठा दिए.ऐसा करने
से उसकी चूचिया जोकि जोश के मारे और बड़ी हो गयी थी,उसके ब्लाउस के उपर
से बाहर निकल खुली हवा मे सांस लेने को बेताब हो उठी मगर ब्लाउस के बंधन
ने उन्हे ऐसा नही करने दिया & उनका बस थोड़ा सा हिस्सा ही बाहर आ
पाया.वीरेन उसकी कलाईयो को अपने हाथो से हवा मे थामे उसकी जीभ से जीभ
लड़ा रहा था & कामिनी की चूत से उसका रस बहने लगा था.उसने सोचा की अब
वीरेन उसके कपड़े उतारना शुरू करेगा मगर वो चौंक पड़ी जब वीरेन उसे
छ्चोड़ बिस्तर से उठ गया.

"ऐसे ही रहना.हिलना मत.",वो स्केच बुक के अगले पन्ने पे जल्दी-2 हाथ
चलाने लगा.कामिनी के चेहरे पे च्छाई खुमारी मे थोड़ा सा खिज का भाव मिला
हुआ था & यही वीरेन को चाहिए था.हवा मे हाथ उठाए भरे शरीर वाली कामिनी
अभी खजुराहो की मूर्ति जैसी लग रही थी.वीरेन की निगाहे उसके ब्लाउस के
नीचे दिख रहे उसके सपाट पेट पे पड़ी तो उसका लंड और तन गया.उसकी नाभि उसे
उसकी चूत की याद दिला रही थी.

स्केत्च बना वो वापस अपनी प्रेमिका के पास आया तो उसने उसे नाराज़ हो परे
धकेल दिया & पीठ उसकी तरफ कर दीवान के उठे हिस्से पे हाथ & उनपे अपना
मुँह रख बैठ गयी,"..मैं तो बस 1 मूरत हू तुम्हारे लिए..जिसकी पैंटिंग
बनाते रहो!"

"मूरत तो तुम हो..",वीरेन के मज़बूत बाजुओ ने उसे अपनी ओर घुमा
लिया,"..अजंता की मूरत हो तुम.",उसकी गुदाज़ बाहो को पकड़ उसने उसका माथा
चूम लिया,"कहा था ना,तुम्हारा हर अंदाज़,हर पहलू मैं कॅन्वस पे उतारना
चाहता हू..कामिनी..तुम कितनी खूबसूरत..कितनी हसीन हो..ये तुम्हे क्या
पता..ये पैंटिंग मेरी सबसे बेहतरीन पेंटिंग्स होंगी लेकिन अगर तुम्हे नही
पसंद तो ठीक है मैं बस तुम्हारी इबादत करता हू,अपनी देवी की तस्वीर नही
बनाता हू.",वो झुक के उसके सीने पे चूमने लगा.वो अभी भी खड़ा था बस उसका
दाया घुटना सहारे के लिए दीवान पे था.ऐसे मे उसका लंड कामिनी के चेहरे के
पास ही था & वो उसे पकड़ने के लिए बेचैन हो उठी.

"उम्म..अब ज़्यादा बाते मत बनाओ.अच्छी तरह जानते हो की मैं तुम्हे कभी
मना नही करूँगी.",कामिनी नेआपना हाथ उसकी टी-शर्ट मे घुसा उसके बालो भरे
सीने पे मचलते हुए हाथ फिराए.वीरेन ने फ़ौरन अपनी शर्ट निकाल दी तो
कामिनी दीवान के उठे हिस्से से उपर उठाई & उसे अपनी ओर खींच लिया.उसकी
पीठ पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए उसके सीने पे वो अपने हाथो के निशान
छ्चोड़े जा रही थी.उसके निपल्स को अपने नखुनो से च्छेदते हुए जब उसने
अपने तपते होंठो से उसके सीने को चूमा तो वीरेन का लंड उसकी चूचियो से दब
गया.

अब कामिनी के बर्दाश्त की हद टूट गयी.उसने उसकी शॉर्ट्स को खींच कर नीचे
किया & अपना दाया हाथ उसकी पीठ पे लगाए हुए बाए मे लंड को थाम लिया.उसकी
झांतो मे उंगलिया फिराते हुए उसने उसके आंडो को दबाया तो वीरेन ने आँखे
बंद कर मज़े मे आह भरी.उसने कामिनी के चेहरे को ठुड्डी पकड़ उपर किया &
झुक के उसे चूम लिया.थोड़ी देर चूमने के बाद कामिनी ने अपने गुलाबी होंठ
उसके लंड के गिर्द लपेट दिए.

वीरेन ने उसके रेशमी बालो को जुड़े के बंधन से आज़ाद किया & कुच्छ लाटो
को पकड़ अपने लंड पे लपेट दिया.कामिनी मुस्कुराइ & अपने बालो से उसके लंड
को लपेट हिलाते हुए उसका लंड चूसने लगी.वीरेन प्यार से उसके सर & पीठ पे
हाथ फेर रहा था.कामिनी के मुलायम बॉल & जीभ उसके लंड को जन्नत की सैर करा
रहे थे.कामिनी ने सोचा की अब वो या तो उसके मुँह मे झाड़ जाएगा या फिर अब
फ़ौरन उसकी चुदाई मे लग जाएगा मगर उसे वीरेन के सब्र का अंदाज़ा नही
था.काफ़ी देर बाद वीरेन ने लंड मुँह से खींचा & झुक के उसके साथ दीवान पे
बैठ गया.

अपनी बाँहो मे भर वो उसे फिर से चूमने लगा.कामिनी की ज़ुबान पे उसके
प्रेकुं का स्वाद था.उसके हाथ कामिनी की कमर के बगल के मांसल हिस्से को
दबा रहे थे & कामिनी अब बेचैनी से अपनी जांघे रगड़ अपनी चूत को सांत्वना
दे रही थी.कामिनी के ब्लाउस मे हुक्स की जगह ज़िप थी & स्रर्र्र्ररर की
आवाज़ से वीरेन के हाथ ने 1 झटके मे ही उसे खोल दिया.ब्लाउस जिस्म से अलग
होते ही गुलाबी स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कामिनी के सीने के मस्त उभार उसकी
आँखो के सामने छलक उठे.

वो झुका & ब्रा के उपर से झलक रही उसकी आधी उपरी चूचियो को चूमने
लगा.अपने दाँत से उसने जब हल्के से उन्हे काटा तो कामिनी की चूत और कसमसा
उठी.वो उसकी कमर के मांसल हिस्से को सहलाते हुए बस उसके सीने पे वैसे ही
चूमे जा रहा था.जब कामिनी ने देखा की वो ब्रा खोलने का कोई जतन नही कर
रहा है तो उसने खुद ही अपने हाथ पीछे ले जाके ब्रा के हुक्स खोल अपनी
चूचियो को आज़ाद कर दिया.

वीरेन ने उसकी च्चालच्छालती चूचियो को हाथो मे पकड़ उसपे जैसे ही अपनी
जीभ फिराई कामिनी की चूत मे मानो कोई बाँध टूट पड़ा & उसकी चूत से रस की
धारा बह चली,"उउन्न्ह...उऊन्ह....!",कराहते हुए उसने वीरेन के सर को अपने
सीने पे भींच लिया & बेचैनी से कमर हिला,जंघे रगड़ते हुए झड़ने लगी.वीरेन
ने अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाल उसे थाम लिया & दाए से उसकी सारी उपर
उठाने लगा.सारी कमर तक उठा वो उसकी टाँगो & गोरी जाँघो को सहलाने लगा.अभी
कामिनी पूरी तरह से उबरी भी नही थी की वीरेन ने उसे दोबारा मस्त कर दिया.

उसके नर्म होंठ चूमते हुए वो उसकी जंगो के बीच हाथ घुसाए था.कामिनी ने भी
अपनी जंघे भींच उसके हाथ को क़ैद कर लिया था.वीरेन का बाया हाथ उसकी पीठ
पे घूम रहा था.वीरेन का हाथ अब उसकी पॅंटी तक जा पहुँचा था & उसकी
उंगलिया पॅंटी के किनारे से अंदर दाखिल हो रही थी.कामिनी ने कमर को थोड़ा
आगे उचका उंगलियो को चूत के अंदर आने का न्योता दिया जिसे उन्होने बड़ी
खुशी से कबूला.वीरेन की उंगलिया उसकी चूत के अंदर-बाहर होने लगी & उसकी
ज़ुबान उसके मुँह के.कामिनी अब जोश से पागल हो रही थी & अपनी कमर हिलाए
जा रही थी.उसकी चूत मे बहुत तनाव बन गया था & वीरेन के उंगलियो की
रफ़्तार तेज़ होते जा रही थी.

अचानक कामिनी ने किस तोड़ दी & अपने होंठ "ओ" की शक्ल मे गोल कर दिए.उसकी
आँखे बंद हो गयी थी & ऐसा लग रहा था मानो वो बेहोश हो गयी है जबकि
हक़ीक़त ये थी की वो दोबारे झाड़ रही थी.वीरेन ने उसे हौले से दीवान पे
लिटाया & उसकी सारी & पेटिकोट को खोलने लगा.कामिनी ने आँखे खोली,उसका
चेहरा देखने पे ऐसा लगता था मानो वो नशे मे डूबी थी.वो दीवान पे पड़ी
अपने प्रेमी के हाथो नंगी होती रही.जब वीरेन ने उसकी चूत से चिपकी उसकी
गीली पॅंटी खींची तो उसने अपनी कमर उठा उसकी मदद की.

उसे लिटा के वीरेन वापस अपने ईज़ल के पास आया & जल्दी-2 कामिनी का 1 और
स्केच बनाने लगा.कामिनी के जिस्म मे बहुत सुकून भरा था मगर अभी भी उसे
वीरेन के लंड इंतेज़ार था.उसने अपने प्रेमी को देखा जोकि उसकी खूबसूरती
कॅन्वस पे उतारने मे मगन था.उसकी नज़रे नीची हुई & उसने उसका तना लंड
देखा.उसके दिल मे 1 कसक सी उठी.
Reply
08-16-2018, 01:48 PM,
#60
RE: Kamukta Story बदला
रात बीती जा रही थी & उसके जिस्म का लुत्फ़ उठमने के बजाय ये आदमी बस
अपनी कूची चलाए जा रहे था!..बेवकूफ़ कही का!कामिनी दीवान से उठी,"..अरे
बस थोड़ी देर और वैसे ही लेटी रहो ना!",वीरेन ने उस से गुज़ारिश की मगर
कामिनी उसे अनसुना कर उसके पास आ खड़ी हो गयी.

उसने वीरेन के गले मे बाहे डाली & उसके होंठो पे अपने होंठ कस दिए.वीरेन
समझ गया की अब इस रात वो उसे और अपिंटिंग नही करने देगी.उसने भी अपनी
बाहे उसकी कमर मे डाल दी & उसकी गंद की भारी-2 फांको को मसलते हुए उसकी
किस का जवाब देने लगा.जैस-2 किस की गर्मजोशी बढ़ रही थी वैसे-2 कामिनी के
उपर च्छाई खुमारी मे भी इज़ाफ़ा हो रहा था.वो अपने बदन को बेचैनी से
वीरेन के जिस्म से रगड़ रही थी.वीरेन का लंड भी अब उसकी चूत से मिलने को
बेचैन हो गया था.अब वीरेन ने और देर करना ठीक नही समझा.

वो थोड़ा झुका & कामिनी की बाई जाँघ को उठा लिया.कामिनी समझ गयी की अब
उसका इंतेज़ार ख़त्म हुआ,उसने अपनी बाहे उसके कंधो पे टीका दी.वीरेन ने
वैसे ही झुके हुए अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया,"ओह्ह्ह...!",कामिनी को
हल्का दर्द हुआ.

उसके आँखे बंद कर अपने होंठ भींच लिए.उसकी चूत अभी वीरेन के लूंबे & बेहद
मोटे लंड की आदि नही हुई थी.लंड पूरा समाते ही वीरेन ने उसकी जंघे पकड़
अपनी गोद मे उठा लिया & उसे ले दीवान पे बैठ गया.बैठते ही कामिनी ने उसे
चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर चुदाई शुरू कर दी.वीरेन के हाथ कभी उसकी कमर
से खेलते तो कभी गंद की फांको को दबाते.जब वो हाथ आगे ला उसके कड़े
निपल्स को मसल उसकी चूचिया दबाता तब उसके बदन मे जैसे बिजलिया दौड़ जाती.

वीरेन की गोद मे बैठी उस से चुद्ति कामिनी को उसका लंड सीधा अपनी कोख पे
चोट करता महसूस हो रहा था.जब भी ऐसा होता उसे बहुत मज़ा आता.काफ़ी देर तक
वीरेन वैसे ही बैठे उस से खेलता रहा.अब तक कामिनी कोई 3 बार झाड़ चुकी थी
& उसके बदन मे बिल्कुल भी ताक़त नही बची थी मगर वीरेन था की झड़ने का नाम
ही नही ले रहा था.ऐसा थकाने वाला प्रेमी उसे पहली बार मिला था मगर इस
थकान मे जो मज़ा था उसका कोई मुक़ाबला नही था.

"..आअन्न...आअननह...!",कामिनी झाड़ के पीछे दीवान पे गिर गयी.अब वीरेन ने
पैंतरा बदला & अपने घुटने मोड़ उनपे बैठ उसने उसकी टाँगे थाम ली.कामिनी
को पता था की अब वो झदेगा मगर जब तक वो 1 बार और ना झाड़ जाए.वीरेन के
धक्के शुरू हो गये & कामिनी की आहे भी.उसने अपना मुँह बाई तरफ फेर लिया &
अपना बाया हाथ उस के अपने होंठो पे रख लिया.वीरेन पूरा लंड बाहर खींचता &
फिर अंदर जड़ तक घुसा देता.उसके हाथ कभी उसकी चूचिया मसलते तो कभी चूत के
दाने को.उसके नर्म पेट से उसका दाया हाथ घूमता हुआ उसके चेहरे पे पहुँचा
& उसकी उंगलिया उसके होंठो को सहलाने लगी.

कामिनी सिहर उठी & उसने उन उंगलियो को अपने मुँह मे ले लिया & चूसने
लगी.वीरेन का लंड उसकी चूत को फिर से पागल कर रहा था & वो 1 बार फिर से
अपने मस्ती के अंजाम की ओर बढ़ रही थी.वो वीरेन के धक्को का पूरा लुत्फ़
उठा रही थी की तभी वीरेन ने लंड बाहर निकाल लिया,".आहह..क्या करते
हो?",उसके चेहरे पे नाराज़गी सॉफ झलक रही थी,"..जल्दी डालो ना..!"

वीरेन बस मुस्कुरा रहा था,"..ओह्ह..वीरेन..क्यू तड़पाते हो?!!..जल्दी से
डालो..प्लेआसीए!!!",कामिनी रुआंसी हो गयी.वीरेन ने लंड को दाए हाथ मे
लिया & उसकी चूत पे थपथपाया,"..ऊव्व..".कामिनी मस्ती मे पागल हो कमर
उचकाने लगी,"..आँह..आँह...डालो ना..",वो लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी
मगर उसका हाथ पकड़ के वीरेन ने उसे रोक दिया & उसके दाने पे लंड से मारने
लगा,"..ऊव्व..ऊव्व...आनंह..आँह...!"

कामिनी की आहे कमरे मे क्या पूरे बंगल मे गूँज रही थी.उसकी मस्ती अब उसके
सर पे पूरा चढ़ गई थी & जैसे ही वीरेन ने देखा की वोंझड़ने वाली है उसने
लंड अंदर घुसेड दिया & अपनी प्रेमिका के उपर लेट गया.कामिनी ने उसे अपनी
बाहो & टाँगो मे कस लिया & नीचे से बेचैनी से कमर हिलाने
लगी,"ओह्ह..वीरेन..हा..हां...करते..रा..हो..का..रते...रा..हो...आअनह...आनह...!",1
दूसरे से गुत्था-गुत्था दोनो प्रेमी ! दूसरे को चूमते 1 दूसरे मे सामने
की कोशिश करते हुए झाड़ गये.कामिनी की चूत आज वीरेन के लंड पे कुच्छ
ज़्यादा ही कस गयी थी & उसकी भी आहे निकल पड़ी थी.उसके लंड से उसके गाढ़े
वीर्या की धार काई पॅलो तक कामिनी की चूत मे छूटती रही.

आज से ज़्यादा मज़ा कामिनी को चुदाई मे कभी नही आया था.उसके दिल मे अपने
प्रेमी के लिया बहुत सारा प्यार उमड़ आया था.उसने उसके सर को थाम उसे चूम
लिया.चाहती तो थी की वो उसे अपने दिल मे उमड़ रही सारी बाते उस से कह दे
मगर उसकी थकान ने उसे इस लायक नही छ्चोड़ा था.उसकी आँखे मूंद गयी & वो
गहरी नींद मे सो गयी.


प्रसून सो रहा था & उसके बगल मे उसकी मा लेटी थी जिसकी आँखो मे नींद का
नामोनिशान नही था.कर्वते बदलती देविका को हर रात की तरह इस रात भी आने
वाले कल की चिन्ताओ ने आ घेरा था..क्या वो सब कुच्छ बखूबी संभाल
पाएगी?..क्या उसका बेटा उसके जाने के बाद भी महफूज़ रहेगा?..

तभी प्रसून नींद मे जैसे कराहने लगा.देविका उठके उसे देखने लगी,प्रसून का
बदन जैसे झटके खा रहा था & उसके मुँह से उउन्न्ह..उऊन्ह की आवाज़े आ रही
थी..वो बहुत घबरा गयी & वो प्रसून को झकझोरने ही वाली थी की तभी उसके
होंठो पे मुस्कान फैल गयी-प्रसून के पाजामे पे 1 गीला सा धब्बा उभर रहा
था जोकि पल-2 गहरा रहा था.उसका बेटा नींद मे झाड़ रहा था.

प्रसून की नींद खुल गयी थी.ये देख देविका ने फ़ौरन आँखे बंद कर ली & सोने
का नाटक करने लगी.प्रसून हैरत से अपने पाजामे को देख रहा था,उसे बहुत
शर्म आ रही थी.वो उठा & झट से बाथरूम मे घुस गया.देविका भी उसके पीछे-2
दबे पाँव गयी.

बाथरूम के अंदर पाजामा उतारे खड़ा प्रसून अचरज से अपने लंड को देख रहा
था.कुच्छ रोज़ से ये अजीब बात हो रही थी जोकि प्रसून को 1 बहुत बड़ी
बीमारी की निशानी लग रही थी.पहेल तो उसने सोचा था की वो नींद मे पेशाब कर
देता है मगर ये पेशाब नही था,ये तो अजीब सा चिपचिपा सा थूक...नही..थूक बस
गीला होता था..ये तो गोंद की तरह..नही..इतना भी चिपचिपा नही था..क्या था
ये?

देविका ने बेटे का लंड देखा,काली झांतो से घिरा उसका लंड उसके पिता से
कही ज़्यादा बड़ा था.प्रसून लंड धो रहा था तो देविका वैसे ही दबे पाँव
वापस लौट गयी.1 बात तो तय थी की प्रसून की मर्दानगी मे कोई कमी नही थी.अब
बस उसे ये समझना था की इस मर्दानगी का इस्तेमाल कैसे & क्यू करते हैं?

परेशान हाल प्रसून ने अपना पाजामा बदला & आके मा के बगल मे सो गया.उसका
दिल था तो बहुत घबराया हुआ,उसकी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे किस
से बात करे.उस बेचारे को क्या खबर थी की उसकी मा को सब पता चल गया था &
वो कल ही उस से बात कर उसके मन के सभी शुबहे दूर करने वाली थी.

कोई और औरत होती तो अपने बेटे को नींद मे झाड़ते देख उस से कही ज़्यादा
शर्म मे डूब जाती & उस से बात करना तो दूर उस बात के बारे मे फिर कभी
सोचना भी नही पसंद करती मगर प्रसून कोई आम,समझदार लड़का तो था नही &
देविका तो कही से भी आम औरत नही थी.उस हौसलेमंद औरत ने ये फ़ैसला कर लिया
था की कारोबार के साथ-2 अपने बेटे की ज़िंदगी को भी सावरेंगी & इसके लिए
वो हर बात के लिए तैय्यार थी.

थोड़ी देर प्रसून फिर से नींद की गोद मे चला गया था मगर देविका भी भी
जागी हुई थी.तभी कमरे का दरवाज़ा खुला & शिवा अंदर दाखिल हुआ.देविका उसे
आते देख रही थी.वो आया & उसके बगल मे बैठ गया & उसका हाथ थाम लिया.देविका
ने भी अपने हाथ की उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसा दी.

"ठीक हो?",शिवा ने बड़े प्यार से अपनी प्रेमिका के सर पे हाथ फेरा.जवाब
मे देविका ने हा मे सर हिलाया.

"ज़रा भी परेशान मत होना,मैं हू ना.",शिवा धीमी आवाज़ मे बोल रहा था की
कही प्रसून जाग ना जाए.देविका को उसकी आँखो मे खुद के लिए प्यार & चिंता
नज़र आई.वो उसके हाथ थामे हुए उठी & दूसरे हाथ से उसके चेहरे को
सहलाया.दोनो प्रेमी 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे.1 दूसरे की आँखो मे
झाँकते हुए कब दोनो 1 दूसरे के गले से लग गये उन्हे पता भी नही चला.

"श,शिवा..!",देविका की आँखो से आँसुओ की धार बह चली.

"नही,देविका,नही..चुप हो जाओ.",शिवा उसके खूबसूरत चेहरे को हाथो मे भर
उसके आँसुओ को चूम रहा था लेकिन उसकी हमदर्दी ने शायद देविका के अंदर का
बाँध तोड़ दिया था & उसकी रुलाई तेज़ हो रही थी.शिवा ने उसे गोद मे उठाया
& जल्दी से उस कमरे से निकल गया,अगर प्रसून उठ जाता तो बड़ी परेशानी
होती.कमरे से निकल वो देविका के कमरे की ओर जाने लगा तो उसने उसे रोक
दिया,"नही,वाहा नही.",अब वो फुट-2 के रो रही थी मगर शिवा ने उसकी बात नही
मानी & उसे वही ले गया.

उसके बिस्तर पे उसे बिठा के वो खुद भी उसकी दाई तरफ बैठ गया & उसे बाँहो
मे भर चुप करने लगा,"कब तक इस कमरे से भगोगी?जानता हू,तुम्हे कैसा लगता
होगा मगर इस तरह से भागने से तो नही होगा..हूँ..",आँसुओ से भीगे उसके
चेहरे को उसने अपनी बाँह से उठाया,"..तुम्हे बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उठानी
है अभी & जानती हो अगर 1 बार भी कही कमज़ोर पड़ी तो फिर तुम्हारा दिल हर
बार तुम्हे पीछे खींचेगा..",देविका की रुलाई अब धीमी हो गयी थी.

"..& पीछे हटना बहुत आसान होगा.तुमको कोई परेशानी नही होगी मगर 1 दिन सब
कुच्छ तुम्हारे हाथ से निकल जाएगा & तुम पछ्तओगि.",उसकी बातो ने देविका
के उपर जादू सा असर किया..नही!ये सब वो खोने नही देगी..सब उसका है सिर्फ़
उसका!

"..इसलिए अब इस कमरे से भागना छ्चोड़ो.अगर प्रसून को साथ सुलाना है तो
उसे यहा बुलाओ मगर तुम यही सोयोगि.",शिवा उसकी आँसुओ से लाल आँखो मे झाँक
रहा था.वो झुका & उसने उसके गालो पे गिरे आसुओं को अपने लाबो से पोंच्छ
दिया.देविका को उस लम्हे उसपे बहुत प्यार आया.उसने उसे बाहो मे जाकड़
लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगी,"आइ लव यू,शिवा!..माइ
डार्लिंग!..माइ जान.. आइ लव यू!"

दोनो प्रेमी 1 दूसरे मे खोने लगे.थोड़ी ही देर मे दोनो बिस्तर पे नंगे 1
दूसरे से गुत्थमगुत्था थे.देविका को अब याद भी नही था की बस चंद दीनो
पहले इसी बिस्तर पे उसके उपर,उसकी चूत मे लंड डाले उसका पति मर गया
था.उसे बस इस लम्हे का होश था जिसमे वो बिस्तर पे पड़ी थी & उसका
हटता-कटता प्रेमी उसकी टाँगो के बीच लेटा उसकी चूत चाट रहा था.

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क्रमशः...................
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