RE: Kamukta Story सौतेला बाप
रश्मि ने अपने पति से शिकायत की ...: "देखिए ना.... समझाइये अपने दोस्त को...... कैसे तडपा रहा है मुझे .......प्लीज़ उसको बोलिए की अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाले...ऐसे बाहर से ही रगदाई ना करे....प्लीज़ बोलिए ना....''
पर समीर भी कुछ नही बोला, वो अपनी बीबी की बात सुनकर मुस्कुराने लगा..
तभी नीचे की तरफ मज़े लेता हुआ लोकेश बोला : "अरे भाभी ....आप चिंता मत करिए....बस हमारा खेल देखते रहिए..''
इतना कहते-2 लोकेश ने रश्मि को खड़ा किया और खुद सोफे पर लेट गया और रश्मि को अपने उपर खींचते हुए अपना लंड उसकी चूत पर टीका दिया, वो तो पहले से ही कुलबुला रही थी उसे अंदर लेने के लिए इसलिए जैसे ही उसे अपने दरवाजे पर उसके लंड का एहसास हुआ, वो झटका मारकर एक ही बार में उसे अंदर निगल गयी...
''आआआआआआआअहह ...... उम्म्म्ममममममममममममम .......... बस अब कोई शरारत मत करना.... और चोदो मुझे....जैसे पहले चोद रहे थे....''
लोकेश ने भी अपनी भाभी को ज़्यादा नाराज़ करना उचित नही समझा और नीचे से उसकी चूत के अंदर अपना रॉकेट दागने लगा...लगातार...बार-बार...
और तभी उसे पीछे की तरफ से अपनी गांड के छेद पर एक दस्तक सुनाई दी...जो समीर के लंड ने दी थी...और वो कुछ समझ पाती उससे पहले ही समीर ने अपना पूरा दम लगाकर अपने पहलवान को उसकी गांड के अखाड़े में उतार दिया...
''आआआआआआआआआआहह................... ओहsssssssssssssssss माय गॉड ...................... नोओओओओओओओऊऊऊ ...... उम्म्म्मममममममममममम ......... नूऊऊऊऊऊऊऊऊओ समीरsssssssssssssssssss .....................''
पर समीर उसकी कहा सुनने वाला था, वो अपने लंड को उसकी गांड के अंदर पहुचाकर लोकेश के झटकों के साथ लय मिलाने लगा..
आज रश्मि के जीवन का ये पहला मौका था जब वो पूरी तरह से भर गयी थी...आगे से भी और पीछे से भी...
एक अजीब से रोमांच का एहसास हो रहा था उसे...वैसे भी आज से पहले जितनी बार भी समीर ने उसकी गांड मारी थी वो उसे उतना ही एंजाय करती थी जितना चूत मरवाते हुए...पर आज एक साथ दोनो के अंदर लेने के बाद उसे पता चला की जब दुगने मज़े का एहसास होता है तो कैसा फील होता है...
वो शायद अपने शब्दों मे इस मज़े को कभी बयान नही कर पाएगी पर जो भी हो रहा था उसके साथ इस वक़्त, वो उसे उत्तेजना के एक नये शिखर पर ले जा रहा था...
और अपनी आदत के अनुसार उसने चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया फिर से...और इस बार दर्द या शिकायत से नही, बल्कि खुशी के मारे..
''आआआआआहह ओह समईईईर .... आई एम लविंग इट ............... येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...फक्क माय एस होल ...... ओ माय गॉड .............ऐसा मज़ा तो कभी नही मिला.............. अहह .....ओह लोकेश ............योउ आर फकिंग मी रियली गुड ...............फक्क मी ..........विद युअर कॉक ............अहहsssssssssssssssssssss .....चोदो मुझे ..............मारो मेरी गांड ..............अहह... ऊऊऊओह ''
दोनो ने लय ऐसे बना रखी थी की जब लोकेश का लंड अंदर जाता तो समीर का बाहर आता और जब समीर का अंदर जाता तो लोकेश का बाहर आता...
और अंदर - बाहर के इस एहसास को रश्मि अपने उत्तेजक शब्दों मे पिरोकार उन्हे सुना रही थी...जिसकी वजह से वो और तेज़ी से उसकी गांड और चूत बजा रहे थे...
अचानक समीर ने अपना लंड उसकी गांड से निकाल लिया और थोड़ा सा नीचे करते हुए उसे उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया, जहाँ पहले से ही लोकेश का लंड फँसा हुआ था...रश्मि समझ गयी की वो क्या करने वाला है, वो एक ही म्यान में दो तलवारें डालने की कोशिश कर रहा था...
वो चीख पड़ी : "नूऊऊऊऊओ...समीईर.... ऐसा मत करना....मेरी फट जाएगी.......प्लीज़ समीर.....एक साथ मत डालो दोनो....''
पर समीर कहाँ मानने वाला था, उसने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और लोकेश के लंड के साथ-2 अपने लंड को भी उसकी चूत में डाल दिया...और रश्मि बेचारी अपना मुँह फाड़े हुए दूसरे लंड को भी अपनी चूत में दाखिल होते हुए महसूस करने लगी...उसे तो लगा था की वो फट ही जाएगी पर उसकी चूत बड़े आशचर्यजनक रूप से रबड़ की तरह लचीली निकली और उसने धीरे- 2 करते हुए समीर को भी अंदर निगल लिया...
और अब दोनो एक साथ , एक ही छेद के अंदर अपना लंड पेल रहे थे..
इन दोनो की कलाकारी देखकर वो हैरान रह गयी..
बस अपना मुँह खोले वो उनसे चुदवाती रही..
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