Kamukta Story सौतेला बाप
05-25-2019, 11:58 AM,
#61
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सीडियों से नीचे उतरते हुए समीर उन दोनो के जंगली प्यार को देखने लगा...रश्मि तो सोफे पर ओंधा लिटाकर वो उसकी चूत की कुटाई अपने मूसल जैसे लंड से कर रहा था..अपनी बीबी को अपने ही दोस्त से चुदते हुए देखकर समीर का लंड हुंकारने लगा..ऐसी दरियादिली हर पति में नही होती.

समीर ने देखा की रश्मि की चूत में आ-जा रहा लोकेश का लंड उसकी चूत के रस में डूबकर कितनी बुरी तरह से चमक रहा है...उसकी चूत से लगातार बह रहा पानी उसकी जांघों से होता हुआ नीचे गिर रहा था और चूत में ज़्यादा कीचड़ हो जाने की वजह से फच-2 की आवाज़ों से पूरा ड्रॉयिंग रूम गूँज रहा था..

और उन फच्च-2 की आवाज़ों को संगीत से सज़ा रही थी सुरो की मल्लिका रश्मि...जो अपनी उहह-आह के संगीत को लोकेश की तालों से मिलाकर एक अलग ही नगमा पेश कर रही थी..

''आआअहह उम्म्म्मम आआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... ओह माय गॉड ...... उम्म्म्ममममम अहह ऐसे ही .......आआआआहह मर गयी रे...''

और तभी लोकेश की नज़रें समीर की तरफ चली गयी...और कुछ देर तक दोनो ने एक दूसरे को देखा और दोनों के चेहरे पर ही वही कुटिल मुस्कान आ गयी जो अक्सर किसी रंडी की एक साथ चुदाई करते हुए आया करती थी...और समीर ने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए अपनी बीबी की चूत मारते रहने को कहा..

और खुद वो अपने लंड को मसलता हुआ उन दोनो के करीब जाकर खड़ा हो गया.

और समीर के कहने पर एकदम से लोकेश ने आगे की तरफ झुककर रश्मि के बाल उपर की तरफ खींचे और समीर ने भी बिना कोई देरी किए उसके खुले हुए गीले मुँह में अपना लंड पेल दिया..

रश्मि तो समझ रही थी की लोकेश उसके साथ रफ़ सेक्स करने की चाह में उसके बाल खींच रहा है...पर जैसे ही उपर मुँह करते हुए उसके होंठों के बीच समीर का लंड फँसा, उसने चौंकते हुए अपनी आँखे खोल दी...

अब और कोई मौका होता तो वो डर के मारे नंगी ही घर से बाहर भाग जाती, क्योंकि वो अपने पति के दोस्त से चुदवा रही थी..पर यहाँ सब कुछ उसके पति का ही रचाया हुआ था..और ऐसे में वो खुद आकर उनके साथ जाय्न करना चाहे तो वो भला कैसे मना कर सकती थी..पर अंदर ही अंदर ये सब करते हुए वो खुद को किसी रंडी से कम नही समझ रही थी..जो इस वक़्त 2-2 लंड से मज़े ले रही थी और उन्हे मज़े दे भी रही थी...

रश्मि ने भी खुद को उनके हवाले छोड़ दिया, वो समझ गयी थी की उसका पति यही चाहता है की वो और उसका दोस्त मिलकर उसकी चुदाई करे, और आप तो जानते ही है की रश्मि कितनी पतिव्रता स्त्री है, वो अपने पति को किसी भी बात के लिए मना कर ही नही सकती...

उसने समीर के लंड को अपने मुँह में रखा और उसकी आँखो में देखते-2 उसकी सेवा करनी शुरू कर दी...वो आज जिस तरीके से अपने पति का लंड चूस रही थी उससे साफ़ पता चल रहा था की वो उसे इसके माध्यम से थेंक यू बोल रही है...



दोनो दोस्तों के चेहरे एक दूसरे की तरफ थे, लोकेश रश्मि को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहा था तो समीर उसके मुँह में अपना लंड डालकर उसका मुँह चोद रहा था..



और आदत के अनुसार दोनो दोस्तों ने अपना हाथ एक दूसरे के हाथ पर मारते हुए एक दूसरे को हाइ फाइव किया..जिसका मतलब था की वो जो भी कर रहे हैं, उसमे मज़ा आ रहा है..यही उनका हमेशा का स्टाइल था..जब भी वो मिलकर किसी को चोदते थे.

पर आज कोई बाहर वाली रंडी नही बल्कि घर वाली रश्मि चुद रही थी, किसी रंडी की तरह...और उसे ऐसे चुदाई करवाने में मज़ा भी आ रहा था.

रश्मि अब घोड़ी बने हुए थक सी चुकी थी, उसने एंगल चेंज करते हुए अपने आप को पीठ के बल लिटा लिया..और समीर के लंड को चूसना चालू रखा...

लोकेश का लंड फिसल कर बाहर निकल आया था, जिसे वो उसकी चूत की दरारों पर ज़ोर-2 से रगड़ने लगा...ये रगड़ाहट उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी, क्योंकि उसे अंदर लेने की लालसा उसे और भी ज़्यादा तडपा रही थी.

लोकेश ने उसकी चूत के उपर की तरफ उंगली और अंगूठे का दबाव बनाकर उसकी चूत को भींच दिया और उसके होंठों के बीच अपने लंड को उपर नीचे करने लगा..



रश्मि चीख पड़ी अपने देवर पर..

''आआआआआआआअहह लोकेश ................ मत तरसाओ ना............... डालो अंदर.............. पहले की तरह ..............प्लीज़..........''

पर वो कमीना नही माना, वो उसी तरह से अपने लंड के ज़रिए उसकी रसीली चूत से खेलता रहा.
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05-25-2019, 11:58 AM,
#62
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
रश्मि ने अपने पति से शिकायत की ...: "देखिए ना.... समझाइये अपने दोस्त को...... कैसे तडपा रहा है मुझे .......प्लीज़ उसको बोलिए की अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाले...ऐसे बाहर से ही रगदाई ना करे....प्लीज़ बोलिए ना....''

पर समीर भी कुछ नही बोला, वो अपनी बीबी की बात सुनकर मुस्कुराने लगा..

तभी नीचे की तरफ मज़े लेता हुआ लोकेश बोला : "अरे भाभी ....आप चिंता मत करिए....बस हमारा खेल देखते रहिए..''

इतना कहते-2 लोकेश ने रश्मि को खड़ा किया और खुद सोफे पर लेट गया और रश्मि को अपने उपर खींचते हुए अपना लंड उसकी चूत पर टीका दिया, वो तो पहले से ही कुलबुला रही थी उसे अंदर लेने के लिए इसलिए जैसे ही उसे अपने दरवाजे पर उसके लंड का एहसास हुआ, वो झटका मारकर एक ही बार में उसे अंदर निगल गयी...

''आआआआआआआअहह ...... उम्म्म्ममममममममममममम .......... बस अब कोई शरारत मत करना.... और चोदो मुझे....जैसे पहले चोद रहे थे....''

लोकेश ने भी अपनी भाभी को ज़्यादा नाराज़ करना उचित नही समझा और नीचे से उसकी चूत के अंदर अपना रॉकेट दागने लगा...लगातार...बार-बार...



और तभी उसे पीछे की तरफ से अपनी गांड के छेद पर एक दस्तक सुनाई दी...जो समीर के लंड ने दी थी...और वो कुछ समझ पाती उससे पहले ही समीर ने अपना पूरा दम लगाकर अपने पहलवान को उसकी गांड के अखाड़े में उतार दिया...




''आआआआआआआआआआहह................... ओहsssssssssssssssss माय गॉड ...................... नोओओओओओओओऊऊऊ ...... उम्म्म्मममममममममममम ......... नूऊऊऊऊऊऊऊऊओ समीरsssssssssssssssssss .....................''

पर समीर उसकी कहा सुनने वाला था, वो अपने लंड को उसकी गांड के अंदर पहुचाकर लोकेश के झटकों के साथ लय मिलाने लगा..

आज रश्मि के जीवन का ये पहला मौका था जब वो पूरी तरह से भर गयी थी...आगे से भी और पीछे से भी...

एक अजीब से रोमांच का एहसास हो रहा था उसे...वैसे भी आज से पहले जितनी बार भी समीर ने उसकी गांड मारी थी वो उसे उतना ही एंजाय करती थी जितना चूत मरवाते हुए...पर आज एक साथ दोनो के अंदर लेने के बाद उसे पता चला की जब दुगने मज़े का एहसास होता है तो कैसा फील होता है...

वो शायद अपने शब्दों मे इस मज़े को कभी बयान नही कर पाएगी पर जो भी हो रहा था उसके साथ इस वक़्त, वो उसे उत्तेजना के एक नये शिखर पर ले जा रहा था...

और अपनी आदत के अनुसार उसने चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया फिर से...और इस बार दर्द या शिकायत से नही, बल्कि खुशी के मारे..

''आआआआआहह ओह समईईईर .... आई एम लविंग इट ............... येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स...फक्क माय एस होल ...... ओ माय गॉड .............ऐसा मज़ा तो कभी नही मिला.............. अहह .....ओह लोकेश ............योउ आर फकिंग मी रियली गुड ...............फक्क मी ..........विद युअर कॉक ............अहहsssssssssssssssssssss .....चोदो मुझे ..............मारो मेरी गांड ..............अहह... ऊऊऊओह ''



दोनो ने लय ऐसे बना रखी थी की जब लोकेश का लंड अंदर जाता तो समीर का बाहर आता और जब समीर का अंदर जाता तो लोकेश का बाहर आता...

और अंदर - बाहर के इस एहसास को रश्मि अपने उत्तेजक शब्दों मे पिरोकार उन्हे सुना रही थी...जिसकी वजह से वो और तेज़ी से उसकी गांड और चूत बजा रहे थे...



अचानक समीर ने अपना लंड उसकी गांड से निकाल लिया और थोड़ा सा नीचे करते हुए उसे उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया, जहाँ पहले से ही लोकेश का लंड फँसा हुआ था...रश्मि समझ गयी की वो क्या करने वाला है, वो एक ही म्यान में दो तलवारें डालने की कोशिश कर रहा था...

वो चीख पड़ी : "नूऊऊऊऊओ...समीईर.... ऐसा मत करना....मेरी फट जाएगी.......प्लीज़ समीर.....एक साथ मत डालो दोनो....''

पर समीर कहाँ मानने वाला था, उसने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और लोकेश के लंड के साथ-2 अपने लंड को भी उसकी चूत में डाल दिया...और रश्मि बेचारी अपना मुँह फाड़े हुए दूसरे लंड को भी अपनी चूत में दाखिल होते हुए महसूस करने लगी...उसे तो लगा था की वो फट ही जाएगी पर उसकी चूत बड़े आशचर्यजनक रूप से रबड़ की तरह लचीली निकली और उसने धीरे- 2 करते हुए समीर को भी अंदर निगल लिया...

और अब दोनो एक साथ , एक ही छेद के अंदर अपना लंड पेल रहे थे..



इन दोनो की कलाकारी देखकर वो हैरान रह गयी..

बस अपना मुँह खोले वो उनसे चुदवाती रही.. 
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05-25-2019, 11:58 AM,
#63
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
पर दर्द भी हो रहा था, इसलिए उसकी रीक़ुएस्ट पर वो दोनो फिर से अपने उसी पोज़ में आ गये, यानी समीर ने फिर से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया और पहले की तरह चोदने लगा..

और तीनो के शरीर जिस तरह की कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनमे से पसीना निकलने लगा...तीनो के शरीर पसीने में लथपथ हो चले थे...पर चुदाई में कोई कमी नही आ रही थी...

गीली चूत और रसीली गांड के अंदर लण्डों की धकापेल चल रही थी..

और रश्मि अपना मुम्मा लोकेश से चुस्वाते हुए, अपने पति के लंड को देखते हुए मज़े ले रही थी..



लोकेश और समीर जब भी मिलकर किसी को चोदते तो हमेशा आसन बदल-2 कर, इससे चुदवाने वाली को भी मज़ा आता था और वो दोनो भी काफ़ी देर तक झड़ने से दूर रहते थे..

और इसलिए अब आसान चेंज करने का वक़्त आ गया था.

समीर उठ खड़ा हुआ और उसने रश्मि को पकड़कर अपनी गोद में उठा लिया...और इस बार उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला, यानी गाण्ड मारने का मौका इस बार लोकेश का था...उसने भी पीछे से आकर समीर की गोद में झूल रही रश्मि की गांड पर अपना लंड टीकाया और अपने पंजे उचका कर उसे उपर की तरफ करते हुए उसके अंदर पहुँचा दिया...

और इस तरह से एक और नये तरीके से चुदाई करवाते हुए रश्मि निहाल सी हो गयी...

उसकी बाहें अपने पति समीर की गर्दन में थी और उसने अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेटी हुई थी...और दोनो के लंड एक ही बार मे उसके अंदर बाहर हो रहे थे..



जब औरत को अंदर से मज़ा आना शुरू हो जाता है तो उसे अपने पार्टनर पर बड़ा प्यार आता है और यही इस वक़्त रश्मि के साथ भी हो रहा था...पर प्राब्लम ये थी की उसके दो पार्ट्नर थे इस वक़्त...अब वो पीछे मुड़कर लोकेश को तो अपना प्यार दिखा नही सकती थी, इसलिए उसने अपने पति को अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठों को अपने मुँह में लिया और अपना रसीला रस उसे पिलाने लगी..

समीर भी बड़े चाव से उसके मोटे मुममे दबाता हुआ , उसके होंठों का रस पीने लगा...

रश्मि थोड़े भारी शरीर की थी इसलिए दोनो जल्द ही थक गये, वैसे भी अगले आसान का वक़्त आ चुका था...इसलिए समीर उसे ऐसे ही अपनी गोद में लेकर नीचे बने बेडरूम की तरफ चल दिया...लोकेश अपना लंड निकाल चुका था और उनके पीछे -2 अपना लंड मसलता हुआ वो भी बेडरूम में आ गया...

तब तक समीर ने रश्मि को बेड पर लिटा दिया था और एक बार फिर से उसके पीछे जाकर उसकी गांद में दाखिल हो गया , यानी अब लोकेश के आगे आने की बारी थी..

रश्मि उनकी जुगलबंदी देखकर समझ चुकी थी की ये इन दोनो का पहला मौका नही है जब दोनो मिलकर किसी के साथ सेक्स कर रहे हैं, क्योंकि बिना कुछ बोले दोनो एक दूसरे की बातें समझ रहे थे और खुलकर एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी कर रहे थे, ऐसा पहली ही बार में कोई नही कर सकता...

पर अभी इन बातों को समझने का नही, बल्कि मज़े लेने का वक़्त था, इसलिए वो सामने से आ रहे लोकेश के लंड को अपनी चूत के अंदर खिसकाते हुए , पीछे से मिल रहे समीर के झटकों को अपनी गांड में लेते हुए फिर से चिल्लाने लगी..



''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह समीईईईईर..... पहले क्यो नही किया ऐसे...............अहह ये मज़ा आज जाकर मिला...................सच में ................दोनो का एकसाथ लेने मे काफ़ी मज़ा आ रहा है..............आई लव यू समीर.......''

और इतना कहते-2 उसने पीछे हाथ करके बड़े ही प्यार से अपने पति के बालों को सहलाना शुरू कर दिया..

और दोनो दोस्तों ने उसे सेंडविच बनाकर आगे-पीछे से उसकी बजानी शुरू कर दी...

उन्हे चुदाई करते-2 आधा घंटे से ज़्यादा हो चुका था...इसलिए अब दोनो झड़ने के काफ़ी करीब थे..

रश्मि तो 2 बार झाड़ चुकी थी....और एक और ज्वालामुखी उसके अंदर निर्मित हो रहा था..

और आख़िरकार उसकी चूत से वो ज्वालामुखी फटकर बाहर निकल ही पड़ा, जिसके बाद उसके शरीर में कोई ताक़त बची ही नही...

ढेर सारा शहद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा..और वो भरभराकर झड़ गयी..

''आआआआहह समीईईईईईर......ऊऊऊऊऊऊऊऊहह लोकेश ................आई एम कमिंग...............''

और इस बार उसने अपने सामने लेटे हुए लोकेश को ज़ोर-2 से फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया...

और उसकी थरथराहर और चीखे बहुत थी, समीर और लोकेश के लंड का पानी निकालने के लिए....और हमेशा की तरहा दोनो ने एक साथ इशारा करते हुए अपना-2 लंड उसकी टनल से बाहर निकाला और उसके सेक्सी से चेहरे के उपर लेजाकर लहरा दिया...

और रश्मि ने बड़े ही प्यार से उन दोनो के लंड को हाथ में लिया और एक साथ चूसते हुए उसे हिलाने भी लगी..

और एक ही मिनट के अंदर-2 दोनो के नल से पानी निकलकर उसके मुँह को तर करने लगा....और वो बड़े ही चाव से उन दोनो दोस्तों की दोस्ती की निशानी को अपने मुँह में ले जाते हुए निगल गयी...



और ऐसा करते हुए उसके चेहरे पर जो संतुष्टि के भाव थे वो देखते ही बनते थे..

और उन दोनो के हमले से पस्त होकर वो वहीं ढेर हो गई..

और उसके बाद दोनो एक-2 करके नहाने गये और तैयार होकर कोर्ट की तरफ निकल गये..अपना काम करने के लिए

और रश्मि वहीं पड़ी रही बेड पर...ऐसे ही ....नंगी...

नीचे रश्मि नंगी पड़ी थी और उपर वाले कमरे में उसकी बेटी काव्या..वो भी नंगी

दोनो ही अपने -2 मज़े को सोचकर मुस्कुरा रही थी...

और आने वाले समय में क्या-2 होगा, उसका अंदाज़ा लगा रही थी..
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05-25-2019, 11:58 AM,
#64
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
काव्या ने पैन किल्लर की टेबलेट ले ली थी, और उसका जादुई असर हो भी गया..रात तक वो फिर से पहले की तरह चलने-फिरने लगी थी...अपनी माँ के साथ मिलकर वो काफ़ी देर तक बातें करती रही..पर चुदाई के बारे में उन्होने कोई बात नही की लेकिंग पहले से ज़्यादा प्यार आ चुका था दोनो के बीच..

समीर अपने ऑफीस से सीधा एक पार्टी में चला गया,इसलिए देर से लौटा, तब तक काव्या सो चुकी थी ,वरना मन तो उसका काफ़ी कर रहा था उसकी एक बार और लेने का.

अगली सुबह काव्या की नींद उसके मोबाइल की वजह से खुली, टाइम देखा तो 8 ही बजे थे, उसने मोबाइल उठाया तो देखा उसकी बेस्ट फ्रेंड श्वेता का फोन था, वो तो खुद उसे फोन करके कल की बातें बताना चाहती थी.

काव्या : "हेलो मेरी जान....कैसी है तू...''

श्वेता : "मैं तो ठीक हूँ ,तू कहाँ गायब है, 2 दिनों से फोन ही नही आया तेरा...''

काव्या : "वो मैं तुझे फोन करने ही वाली थी और तुझे कुछ खास भी बताना था...''

श्वेता : "ओहो ..... चल फिर एक काम कर, तू मेरे घर आजा, यही बता दियो , वैसे भी नितिन तेरे बारे में कई दिनों से पूछ रहा है...''

नितिन का नाम सुनते ही काव्या की चूत धड़कने लगी....अब तो वो चुद ही चुकी थी, और एक बार चूत का रास्ता खुलने के बाद वो अब रुकना नही चाहती थी..वैसे भी नितिन से पिछली बार अपनी चूत की चुसाई करवाकर जो आधा अधूरा मज़ा उसने लिया था वो आज उसे पूरे मज़े में बदलना चाहती थी...इसलिए श्वेता को उसने हाँ बोल दिया और झट से तैयार होकर उसके घर के लिए निकल गयी.

उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी, और खुशी-2 अपनी कार से श्वेता के घर की तरफ जा रही थी..पर तभी उसने देखा की चारों तरफ लोग एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं..ओर तब उसे याद आया की आज तो होली है...

ओह्ह्ह शिटsssssssssssssssssssss ..

उसे तो होली के बारे में याद ही नही था...उसे होली बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी,और हमेशा रंगो और पानी से बचती फिरती थी..पर अब कुछ नही हो सकता था, वैसे भी श्वेता का घर पास में ही था, जब तक वो वापिस जाने का सोचती वो उसके घर पहुँच भी चुकी थी..और अंदर जाते हुए वो बस यही प्रार्थना कर रही थी की बीच में कोई उसे पकड़ कर रंग ना लगा दे..

वो धड़कते दिल से श्वेता के घर तक पहुँची, दरवाजा खुला हुआ था और वो सीधा अंदर चली गयी, पर घर मे उसे कोई नही दिखाई दिया, वो घर के पीछे की तरफ बने गार्डन में गयी तो उसे श्वेता एक चेयर पर बैठी नज़र आई, पर जैसे ही वो उसकी तरफ बड़ी, पीछे से आकर नितिन ने उसके गोरे गालों को रगड़ डाला

और ज़ोर से चिल्लाया " होली है............''

और साथ ही साथ उसने रंगीन पानी की एक बाल्टी लेकर उसके सिर पर डाल दी और वो उपर से नीचे तक गुलाबी पानी में नहा गयी...उसकी सफेद टी शर्ट पूरी भीग कर पारदर्शी हो गयी और उसकी ब्रा में क़ैद नन्हे मुन्ने बूब्स सॉफ नज़र आने लगे..

उसकी हालत देखकर श्वेता भी भागती हुई वहाँ आई और अपने भाई के साथ मिलकर उसे रंग लगाने लगी और साथ -2 चिल्लाती भी रही " होली है जी होली है, बुरा ना मानो होली है...''



श्वेता ने भी अपने हाथों में ढेर सारा गीला रंग लेकर उसके चेहरे को लाल कर दिया...और टी शर्ट के उपर से ही उसने उसकी ब्रेस्ट को भी मसल दिया..नितिन ने भी अपने हाथ सेंक लिए उसकी छातियों पर रंग लगाकर 

बेचारी काव्या कुछ नही कर पा रही थी...लेकिन एक बार रंग लगने के बाद और पूरी गीली होने के बाद उसके अंदर का डर निकल चुका था...उसने सोचा की अब इससे बुरा तो कुछ और हो नही सकता,इसलिए रंग मे भंग ना डालते हुए वो भी मस्ती में आ गयी और उन दोनो के उपर रंग फेंकने लगी.

श्वेता जानती थी की काव्या को होली खेलना पसंद नही है, इसलिए उसने और नितिन ने उसे अपने घर पर लाकर रंगने का प्रोग्राम बनाया था, लेकिन शुरू में डरने के बाद वो जब मस्ती पर उतर आई तो उसे भी अच्छा लगा की चलो उसने बुरा नही माना किसी बात का..

और ऐसे ही कुछ देर तक होली खेलने के बाद वो तीनो गार्डेन में जाकर बैठ गये..नितिन बाहर का दरवाजा बंद कर आया और आते हुए वो वोड्का की बोटल और ग्लास ले आया..

तब तक श्वेता ने उसे बता दिया की आज वो पूरा दिन घर पर अकेले हैं, और उनके मम्मी पापा रिश्तेदारों के घर गये हैं, होली खेलने..और तभी उन्होने काव्या को घर पर बुलाया था ताकि वो सब भी मिल कर मज़े ले सके..यानी सेक्स के मजे

श्वेता जानती थी की उपर के मज़े तो काव्या ले लेगी पर अपनी चुदाई नही करवाएगी...पर वो ये नही जानती थी की आज काव्या पूरे मज़े लेने के मूड में ही वहाँ आई थी..

सभी ने वोडका के 3-3 पेग पी लिए और उसका असर जल्द ही दिखने लगा तीनों पर...श्वेता तो सीधा जाकर नितिन की गोद में बैठ गयी और उसे चूमने लगी...नितिन के हाथ उसकी ब्रेस्ट पर घूम रहे थे और वो उन्हे पंप करता हुआ अपनी बहन के होंठ चूस रहा था..

ऐसा कामुक दृश्य देखकर काव्या से रुका नही गया और उठकर उनके पास गयी और अपनी नर्म उंगलियों से नितिन के शरीर को सहलाती हुई वो उसकी दूसरी टाँग पर बैठ गयी और अपने चेहरे को भी उसने उन दोनो के बीच झोंक दिया..

अपने चेहरे पर लगे रंग को वो सॉफ कर ही चुके थे, इसलिए उन्हे चाटने मे कोई परहेज नही था उन्हे..काव्या के पास आते ही नितिन ने अपनी बहन को छोड़कर उसे चूमना शुरू कर दिया...आख़िर उसकी पहली पसंद तो वही थी ना..और साथ ही साथ वो उसकी गीली टी शर्ट के अंदर फँसे कबूतरों को भी मसलने में लगा रहा.

नितिन तो इस वक़्त राजा बना बैठा था कुर्सी पर, उसकी दोनो जांघों पर मस्त जवानियाँ सवार थी जो उसे चूमने में लगी थी, ऐसी किस्मत हर किसी की नही होती..

एक तो होली का मौका और उपर से वोड्का का नशा और उससे भी उपर जवानी का नशा, तीनो मिलकर धमाल मचा रहे थे..

काव्या के हाथ फिसलकर नितिन के लंड पर पहुँच गये,और उसने उसकी जीन्स की चैन खोल कर उसके लंड को आज़ाद करा दिया...कल जब उसने अपने प्यारे पापा का लंड चूसा था तब भी उसने उसे नितिन के लंड से कम्पेयर किया था,जवान लंड में कुछ तो खास होता ही है, वो उसे हाथ में लेते ही वो फिर से समझ चुकी थी..उसकी गर्माहट और उभरी हुई नसें काव्या की हथेलियों को झुलसा रही थी,वो तो पागल सी हो गयी और उसके लंड को ज़ोर-2 से मसलते हुए नितिन को और भी जोरों से स्मूच करने लगी...

''आआआहह काव्य्ाआआआआअ...... उम्म्म्ममममममममममम धीरे करो बेबी .....''

पर बेचारे नितिन को क्या पता था की आज उसके साथ क्या होने वाला है...काव्या का पूरा शरीर सुलग उठा था...उसकी चूत से गर्म पानी निकलकर बाहर आने लगा था और उसकी ब्रेस्ट में दर्द सा होने लगा,निप्पलों में भयंकर खुजली होने लगी, वो तो बस चाह रही थी की उसके निप्पल्स को कोई ज़ोर से चूस ले, निचोड़ दे,काट ले...

और उसने खुद ही अपनी टी शर्ट को उतार फेंका और अपनी ब्रा को नीचे खिसका कर अपनी दाँयी ब्रेस्ट नितिन के मुँह मे ठूस दी और उसके बालों को पकड़ कर ज़ोर से अपनी छाती में दबा लिया..

''आआआआहह उम्म्म्मममममममममममम..... ओह नितिन ..............प्लीज़ सकक्क मी .......खा जाओ मुझे .......काटो इन्हे ज़ोर से.......उम्म्म्मममममममममम और ज़ोर से................ येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ....अहह ....''

और एक एक करते हुए उसने बारी -2 से अपनी दोनो छातियाँ उसके पैने दाँतों से कटवाई, उसके गर्म होंठों से चुस्वाई...तब जाकर उसे कुछ आराम आया...

और उसकी देखा देखी श्वेता ने भी अपना टॉप उतार दिया , उसने तो ब्रा भी नही पहनी हुई थी...और उसकी गोल मटोल ब्रेस्ट देखकर काव्या के मुँह में पानी आ गया और उसने अपना मुँह उसकी छाती पर लगा कर वहाँ का दूध पीने लगी...

अब वो श्वेता की ब्रेस्ट चूस रही थी और नितिन उसकी...साथ ही साथ दोनो के हाथ नितिन के लंड को भी सहला रहे थे...नितिन अपने दोनो हाथों से उन दोनो की मोटी गांड को मसल रहा था...

काव्या और श्वेता की चूत से निकल रही गर्मी से नितिन की जांघे जल रही थी..नितिन को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी दोनो टाँगों पर जलते हुए कोयले रख दिए हो ...उसने दोनो को उठाया और अपने सामने खड़ा कर दिया, दोनों एक दूसरे को चूमती रही और नितिन उनकी जीन्स को उतारता रहा, और 2 मिनट के अंदर ही दोनो पूरी नंगी खड़ी थी उसके सामने...होली के रंग उन दोनो के अंदर तक जा चुके थे, दोनो के बदन गुलबीपन लिए हुए थे इस वक़्त, पर उन्हे साफ़ करने का टाइम नही था अभी...वो भी उपर उठा और उन दोनो की ब्रेस्ट चाटता हुआ अपनी पेंट उतारने लगा..और फिर वो भी नंगा हो गया उन दोनो की तरह.

अब माहोल ये था की नशे में झूमते हुए उन दोनो के नशीले जिस्म नितिन की गिरफ़्त में थे, जिन्हे वो अपनी बाहों में भरकर बुरी तरह से चूम रहा था, उसका ज़्यादा ध्यान काव्या की तरफ ही था,क्योंकि अपनी बहन श्वेता को तो वो पिछले 10 दिनों से लगातार चोद ही रहा था..

काव्या और श्वेता भी पूरे रंग में आ चुकी थी...वो दोनो नितिन के सामने बैठ गयी और उसके लंड से खेलने लगी..काव्या ने उसके लंड को मुँह में ले लिया तो श्वेता ने उसकी बाल्स को अंदर लेकर चुभलाना शुरू कर दिया..

''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...काव्या ................सक्क मी ....... य्ाआआआअ...... ऑश माय सिस्टर.....श्वेता....सक माय बॉल्स .................उम्म्म्मममम य्ाआआआआअ...''


दोनो भूखी लोमड़ियों की तरह उसके माँस के टुकड़े को नोच रही थी...कभी उसकी गोटियों तो कभी उसके हथियार पर उन दोनो के तेज नाख़ून और दाँतों का हमला हो रहा था और वो उसे एंजाय भी कर रहा था..ऐसा वाइल्ड तरीके का सेक्स बड़ा मज़ा दे रहा था उसे..उसके अंदर के जानवर को जगा रहा था...उस जानवर को जो आज इन दोनो चूतों के चिथड़े उड़ा देने वाला था..

उत्तेजना के चरम पर पहुँचकर नितिन ने उन दोनो को वहीं घांस पर धक्का देकर लिटा दिया और दोनो के नंगे जिस्म ज़मीन पर नागिन की तरह लहरा रहे थे...नितिन ने दोनो की टाँगों का इंडिया गेट बनाया और एक-2 करके उन दोनों की रसीली चूतों का मीठा अमृत पीने लगा...दोनो के अंदर ऐसी आग लग चुकी थी की जब भी नितिन का मुँह उनकी चूत पर आता तो बड़ी मुश्किल से वो उसे दूसरी तरफ जाने देती..आख़िर मज़ा ही इतना अधिक आ रहा था दोनो को...दोनो एक दूसरे के होंठों को चूस रही थी और अपनी-2 चूटें नितिन से चुस्वा रही थी...

आख़िर नितिन से सब्र नही हुआ और उसके लंड ने चूत की डिमांड करनी शुरू कर दी...

नितिन जानता था की काव्या नही चुदवायेगी ,इसलिए मन मारकर वो अपनी बहन श्वेता की टाँगों के बीच पहुँचा और जैसे ही उसकी चूत के अंदर लंड डालने लगा तो काव्या की सिसकारी भरी याचना उसे सुनाई दी..
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05-25-2019, 11:59 AM,
#65
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
''नितिन.......................प्लीज़ .........पहले मुझे चोदो ...........''

काव्या के मुँह से ये शब्द सुनकर दोनो भाई-बहन चोंक गये....नितिन का लंड तो खुशी के मारे रो पड़ा...और श्वेता भी रहस्यमयी मुस्कान से उसे देखने लगी....और फिर धीरे से उससे बोली : "तो इसका मतलब तुम्हारा टारगेट पूरा हो गया....यानी तुमने कल अपने पापा से...''

नितिन वो सब नही सुन पा रहा था, पर श्वेता की बात सुनकर काव्या ने मंद-2 मुस्काते हुए हन मे सिर हिला दिया..और बोली : "हाँ , यही बात तो तुझे बतानी थी पागल ''

श्वेता : "ऊऊऊऊओ माय बिच .....तो तुमने कर दिखाया.........आई एम सो हैप्पी फॉर यू .....''

और फिर से दोनो सहेलियाँ एक गहरी स्मूच में डूब गयी..

और इसी बीच नितिन भी अपना पाला बदलकर काव्या की टाँगों के बीच आ पहुँचा...और अपने लंड को उसकी गर्म चूत के मुँह पर लगाकर धीरे से धक्का दिया और उसके लंड का टोपा अंदर घुस गया..

एक तो इतना मोटा लंड और उपर से सिर्फ़ एक दिन पहले चुदी हुई चूत , दर्द तो होना स्वाभाविक ही था...

श्वेता के मुँह मे अपने होंठ फँसे होने के बावजूद वो चिल्ला उठी ..

''आआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफ्फ़....... धीरे करो नितिन.....प्लीज़...........अहह''

पर नितिन को तो जैसे खजाना मिल गतहा, कच्ची चूत के अंदर लंड डालने के एहसास ने उसके जानवर को पूरी तरह से जिंदा कर दिया था और काव्या की याचना को नरंदाज करते हुए उसने अपने लंड का एक जोरदार झटका फिर से मारा और अगले ही पल वो पूरा का पूरा उसकी चूत के अंदर घुसता चला गया...


''आआआआआआआयययययययीीईईईईईईईईईईईईईई..........ओह मॅरररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् गयी ......''

काव्या को एक बार फिर कल वाली चुदाई का दर्द महसूस होने लगा..पर कल से तो कम ही था ये...और साथ ही साथ एक मसती भरी तरंग भी महसूस हो रही थी उसे..

और अपनी सहेली के दर्द को देखते हुए श्वेता ने अपने होंठों के मरहम को उसके चेहरे पर लगाना शुरू कर दिया...उसे चूमते-2 वो उसकी ब्रेस्ट तक पहुँच गयी...उन्हे बुरी तरह से चूस और फिर तोड़ा और नीचे खिसककर वो लंड और चूत के मिलन स्थल तक भी पहुँच गयी ताकि वहाँ चल रहे कार्यकरम का आँखो देखा हाल जान सके ..

और इतने करीब से अपने भाई के लंड को अपनी प्यारी सहेली की चूत में जाता हुआ देखकर वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी और भाव विभोर होकर उसने उन दोनों के मिलन स्थल को चूम लिया, जिसमे एक ही बार में नितिन को अपने लंड और काव्या को अपनी चूत पर श्वेता के गीले होंठ महसूस हुए.

और तभी नितिन ने धीरे से अपना लंड बाहर खींचा , जो काव्या की अंदरुनी दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ और श्वेता की जीभ को किस्स करता हुआ बाहर आया...और दोनो घोड़ियां उसकी थिरकन को महसूस करके हिनहीना उठी..

और फिर तो नितिन रुका ही नही, दे दना दन उसने जोरों के धक्के मारकर अपने लंड को काव्या की चूत के हर कोने तक पहुँचा दिया...और वो भी अपनी कोहनियों के बल आधी लेटी हुई उसके लंड को अपने अंदर जाता हुआ देखकर चिल्ला रही थी...

''अहह ऊओह येसस्स नितिन ................. उम्म्म्ममममममममममम सच में .............तुम काफ़ी जानदार हो .....ऐसे ही चोदो मुझे ............जोरों से.................... और ज़ोर से.................... अहह........ओफsssssssssss नितिन .....फककक मी हार्डर......''

नितिन तो पहले से ही अपनी पूरी ताक़त से उसे चोद रहा था, ऐसा फरमान मिलते ही उसने अपनी रही सही ताक़त भी लगा दी....झटके इतने तेज आ रहे थे की श्वेता ने अपना चेहरा वहाँ से दूर कर लिया, की कहीं वो ना पीस जाए उनकी चक्की के बीच..

अचानक एक लंबा झटका मारने के बाद नितिन का लंड फिसलकर बाहर आ गया, श्वेता तो जैसे इसी मौके के इंतजार में थी, उसने झट से उसे पकड़ कर अपनी टाँगों की तरफ खींच लिया और खुद की चूत के अंदर घुसा लिया...

काव्या को भी साँस लेने का मौका मिल गया, कुछ देर बाद जब वो सामान्य हुई तो जो हाल नितिन ने उसका किया हुआ था वो अब अपनी बहन का कर रहा था..जानवर की तरह चुदाई कर रहा था वो बड़े ही रफ़ तरीके से..

श्वेता : "आआआआआहह ओह नितिन .......ये क्या हो गया है तुझे आज्ज......आआआआहह ....इतने वाइल्ड तरीके से .....अहह तो पहले कभी नही किया................अहह ....पर जो भी है ......मज़ा बहुत आ रहा है .....मेरे भाई ....................उ म्*म्म्ममममममममम ऐसे ही .....करता रह .........आहह...ज़ोर से ..........येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... और ज़ोर से .....''

काव्या भी तब तक पूरे होश में आ गयी थी और वो श्वेता के चेहरे पर सवार हो गयी और उसने अपना चेहरा नितिन की तरफ रखा , ताकि उसे भी चूम सके...और जैसे ही दोनो के होंठ आपस मे मिले, नितिन के झटको की स्पीड भी कम हो गयी, अब वो बड़े ही आराम -2 से, अपना पूरा लंड बाहर निकालता,फिर अंदर डालता, ऐसा करने में श्वेता को भी एक अलग एहसास मिल रहा था, जिसे वो काव्या की चूत को चूस्कर बाँट रही थी....


और ऐसे ही धीरे-2 झटके लेकर श्वेता की चूत से गर्म पानी बाहर निकलने लगा और वो बुरी तरह से झड़ती हुई चिल्ला पड़ी..

''आआआआआहह उम्म्म्ममममममममममममम येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आई एम कमिंग....''

नितिन ने अपना लंड फ़ौरन बाहर निकाल लिया, और काव्या ने भी अपना प्यासा मुँह नीचे की तरफ करते हुए उसकी चूत पर लगाया और अंदर से आ रही सारी चाशनी चाट गयी...दोनो सहेलियाँ इस वक़्त 69 की मुद्रा में थी...और एक दूसरे की चूतें चाट रही थी.

नितिन खड़ा हुआ और घूमकर दूसरी तरफ चला गया, जहाँ उसकी बहन का सिर था और काव्या की चूत , जिसे श्वेता बड़े ही दिल लगा कर चूस रही थी..नितिन ने अपनी बहन के होंठों की परवाह ना करते हुए अपना भी लंड बीच में घुसा दिया और एक झटका देकर उसे काव्या की चूत में भी उतार दिया...झटका एकदम से लगा था,इसलिए श्वेता को अपने होंठ बाहर निकालने का मौका भी नही मिल पाया, बेचारी का ऊपर वाला होंठ अंदर ही फँसा रह गया, दोनो भाई बहन ने एक दूसरे को देखा और दोनो की हँसी निकल गयी...नितिन ने अपना पूरा लंड अंदर तक डाला और फिर जब वापिस खींचा तो श्वेता का वो होंठ उसकी गिरफ़्त से आज़ाद हुआ...
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05-25-2019, 11:59 AM,
#66
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
और फिर नितिन ने अपने लंड के धक्के काव्या की चूत पर जोरों से दे मारे...और नीचे की तरफ़ लेटी हुई श्वेता उसकी चूत का बाहरी हिस्सा अपनी जीभ से चाट रही थी.....

काव्या भी झुकी हुई , श्वेता की चूत चुस्ती हुई , अपने मज़े को महसूस करती हुई , नितिन के लंड से चुदवा रही थी..

और फिर नितिन के लंड ने भी जवाब दे दिया, और उसने अपने लंड को जैसे ही बाहर खींचना चाहा, काव्या ने रोक दिया और बोली ''अंदर ही निकालो नितिन...अंदर ही निकालो.....मैने टेबलेट ली हुई है.....''

नितिन को और क्या चाहिए था, उसके तो मज़े हो गये , उसने उसके गोल मटोल कुल्हों पर हाथ रखकर जोरों से झटके मारे और अपनी मेहनत की एक-2 बूँद काव्या की नायाब चूत की गुल्लक में डाल दी...

और उसकी गुल्लक में भी वो मेहनत टिक नही पाई और बूँद-2 बनकर वो बाहर निकलने लगी, जिसे नीचे की तरफ लेटी हुई श्वेता ने अपनी जीभ पर ग्रहण कर लिया और फिर चूत के अंदर उंगलियाँ दे - देकर बाकी की बची हुई मलाई भी खुरच खाई...

और फिर नितिन भी वहीं गहरी साँसें लेता हुआ लेट गया...

तीनों के शरीर रंगे पड़े थे....इसलिए उसे भी सॉफ करना ज़रूरी था, और होली के बाद अगर एक दूसरे के शरीर को रगड़कर सॉफ किया जाए, तभी उसका असली मज़ा आता है, और यहाँ तो 2 नही बल्कि 3 जिस्म थे, ऐसे में मिलने वाला मज़ा भी ज़्यादा होने वाला था..

तीनो बाथरूम में गये और सभी ने मिलकर एक दूसरे के नंगे बदन को साबुन से रगड़ -2 कर धोया..

और धोते हुए जो किस्सेस और गुत्थम गुत्था चल रही थी वो भी देखते ही बनती थी..

और उसके बाद फिर से एक और राउंड चला चुदाई का...इस बार बाथरूंम में ही....शावर के नीचे, टांगे उठा-2 कर...कभी श्वेता की चूत और कभी काव्या की...पर लंड एक ही था जो उनकी चूत की सेवा कर रहा था...नितिन का.

और वो सिलसिला बाथरूम से होता हुआ,बेडरूम तक गया और बेड पर भी भयंकर चुदाई हुई...



और अंत में फिर से एक बार तीनो झड़ने के बाद वहीं ढेर हो गये...

सिर्फ़ 2 घंटे मे उन्होने 2 बार चुदाई कर ली थी...और अभी भी पूरा दिन पड़ा था...

आज की होली को वो अच्छी तरह से सेलेब्रेट करना चाहते थे..

रंगो की होली तो हर कोई खेलता है

चूत और लंड से खेली गयी होली ही असली मज़ा देती है..

और आज होली के दिन ये तीनो इसी मज़े को लेते हुए पूरा दिन चुदाई करते रहे..
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05-25-2019, 11:59 AM,
#67
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
शाम होते-2 काव्या के बदन का पोर-2 दुख रहा था...कल और आज में ही उसने किसी मशीन की तरह चुदाई करके शायद अपने पिछले सभी दिनों की कमी पूरी करने का प्रण सा कर लिया था...लेकिन हर बार जब भी उसकी चूत के अंदर लंड जाता तो वो एहसास उसे किसी और ही दुनिया में ले जाता...अब वो अच्छी तरह से समझ चुकी थी की क्यों चुदाई को दुनिया में सबसे अच्छे एहसास का दर्जा दिया गया है... उसका तो मन कर रहा था की वो बस दिन रात ऐसे ही चुदाई कराती रहे..पर शाम हो चुकी थी और श्वेता के मम्मी - पापा भी आने वाले थे...नितिन का लंड भी थक चुका था पर काव्या की तरह उसका मन अभी तक नही भरा था..आख़िरकार ना चाहते हुए भी 6 बजे के आस पास उसने अपने कपड़े पहने और वापिस चल दी.. रास्ते भर वो बस आज की चुदाई के बारे में सोचकर मुस्कुराती रही ....आज घर जाकर वो अपने समीर पापा से कैसे चुदाई करवाएगी,बस यही सोचे जा रही थी.. वो ये सोचती हुई गाड़ी चलाती हुई जा ही रही थी की अचानक उसकी कार के सामने एक आदमी आ गया और उसने अपनी पूरी ताक़त से ब्रेक मार दी..और गनीमत ये रही की वो आदमी उसकी कार से टकराया नही.. होली की वजह से सड़क पर कोई नही था..वो झट से बाहर निकली , ये देखने के लिए की कहीं उसे कोई चोट तो नही आई.. वो आदमी होली के रंगो से रंगा हुआ था और गाड़ी के अचानक सामने आने के कारण वो अपना बेलेंस नही संभाल पाया और नीचे गिर गया..और वहीं लेट गया..जब काव्या उसके पास पहुँची तो उसे पता चला की वो तो शराब के नशे मे धुत्त था.. उसकी उम्र करीब 35 के आस पास थी..और टी शर्ट और पेंट पहनी हुई थी उसने..ज़्यादा शराब पीने की वजा से वो बड़बदाए जेया रहा था...पर उसकी बात काव्या को समझ नही आ रही थी.. काव्या ने उसे उठाकर किनारे की तरफ ले जाना चाहा पर वो धुत्त होकर सड़क पर पड़ा हुआ था...उसने आस पास नज़र दौड़ाई ,पर दूर-2 तक उसे कोई दिखाई ही नही दिया जिसे वो मदद के लिए बुला सके..अब ऐसे बीच सड़क पर उसे छोड़कर भी नही जा सकती थी वो,नही तो कोई और गाड़ी आकर उसे कुचल देती...उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर उसे बिठाया और फिर उसके पीछे जाकर कंधों के नीचे हाथ डालकर उसे उपर उठाने की कोशिश करने लगी...और ऐसा करते हुए उसके बूब्स उसके कंधों से बुरी तरह से रगड़ खा रहे थे...अगर वो इस वक़्त होश में होता तो उसे पता चलता की वो किस एहसास को मिस कर रहा है...क्योंकि नशे की हालत में उसे ये पता भी नही चल रहा था की काव्या जैसी जवान और हॉट लड़की उसे इस वक़्त उठाने की कोशिश कर रही है..और ऐसा करते हुए उसके नर्म बूब्स उसकी मसाज कर रहे है... और तभी आगे की तरफ झुकी हुई काव्या की नज़र उसकी पेंट के उभार पर पड़ी,उसकी पेंट की जीप खुली हुई थी जिसमें से उसका काला लंड साफ़ दिखाई दे रहा था..बेशक इस वक़्त वो सोया हुआ था पर उसकी लंबाई और मोटाई का अंदाज़ा लगाया जा सकता था. और लंड देखते ही उसकी चूत में फिर से खुजली शुरू हो गयी...उसने ग़ोर से उस आदमी को देखा जो अभी तक नशे की हालत में बड़बड़ा रहा था..पर उठने मे बिल्कुल नाकाम था..अब बीच सड़क पर वो ऐसी मुसीबत में फँस जाएगी, ये उसने सोचा नही था...उपर से उसके लंड की झलक मिलने के बाद से उसके दिमाग़ में पता नही क्या-2 ख़याल आ रहे थे...उसका तो मन कर रहा था की यही के यहीं उसकी पेंट खोले और नंगी होकर उसके लंड को निगल जाए चूत के थ्रू ... पर वहां ऐसा करना पोस्सिबल नही था..और वैसे भी वो नशे में धुत्त सा होकर पड़ा हुआ था.. उसने हिम्मत करते हुए अपना हाथ नीचे किया और उसके लंड वाले हिस्से पर लगा कर ज़ोर से दबोच लिया...उसे ऐसा लगा की कोई सोया हुआ साँप हाथ में ले लिया है उसने..उसके हाथ लगते ही थोड़ी बहुत हलचल ज़रूर हुई उसके लंड पर लेकिन उसका असर उस आदमी पर बिल्कुल नही पड़ा, वो अभी तक अपनी आँखे खोल नही पा रहा था.. और तभी दूर से आती हुई एक कार दिखाई दी उसे...और अगले ही पल उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, वो भागकर बीच सड़क पर आई और उस कार को रुकने का इशारा करने लगी.. कार उसके करीब आकर रुकी, उसमे 2 आदमी और 2 औरतें बैठी हुई थी, जो शायद कहीं से होली खेलकर वापिस जा रहे थे, उनके शरीर भी बुरी तरह से रंगे हुए थे. काव्या ने उन्हे बताया की एक आदमी सड़क पर पड़ा है और उसे देखकर उसने कार रोकी थी,और उसे हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी है,क्योंकि उसकी हालत ठीक नही लग रही ..और काव्या ने उन लोगो से कहा की अगर वो उसे उठाकर उसकी कार में बिठा दे तो वो उसे हॉस्पिटल ले जाएगी.. एक लड़की को ऐसे अंजान इंसान की मदद करते देखकर वो लोग भी काफ़ी खुश हुए, और उन्होने खुशी-2 उस आदमी को उठाकर काव्या की कार की पिछली सीट पर डाल दिया..और वो चले गये...काव्या ने भी कार स्टार्ट की और आगे चल दी. अब उसका दिमाग़ बड़ी तेज़ी से काम कर रहा था...जो वो करने जा रही थी उसमे रिस्क तो काफ़ी था पर उसमे मिलने वाले मज़े को सोचकर उसकी चूत अभी से कुलबुला रही थी.. अंधेरा होना शुरू हो गया था...वो कार को लेकर अपने पुराने स्कूल की तरफ चल दी,जिसके पीछे का हिस्सा काफ़ी सुनसान सा था,और वो अच्छी तरह से जानती थी की शाम के बाद उस तरफ कोई नही जाता,और आज तो वैसे भी होली का दिन था..आधे से ज़्यादा शहर इस वक़्त होली की थकान उतार रहा होगा..या टल्ली होकर घरों में पड़ा होगा.. वहाँ पहुँचकर उसने कार रोक दी..और बाहर निकल आई. ठंडी-2 हवा चल रही थी.. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...एक अंजान आदमी को लेकर वो ऐसे सुनसान सी जगह पर आ तो गयी थी पर उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी...उसके अंदर से आवाज आ रही थी 'एक अच्छे घराने की लड़की भला ऐसी हरकत करती है क्या..और उसके पास लण्डों कमी है जो वो इस तरह से सड़क पर चल रहे नशे में धुत्त इंसान को उठाकर यहाँ ले आई,उससे मज़े लेने के लिए..'


पर दिमाग़ मे चल रही इन दलीलों के उपर उस आदमी के सोए हुए लंड की तस्वीरें हावी हो रही थी..उसके दिमाग़ के कोने में बैठी शरारती लड़की बोल पड़ी 'देखा जाएगा जो होगा,ऐसे एडवेंचर का भी लुत्फ़ उठना चाहिए कभी-2...' और उसने आगे बढ़कर पीछे का दरवाजा खोल दिया..वो आदमी नशे की हालत में होने की वजह से सीट पर लुडक गया था..काव्या ने उसके पैर खींचकर सीट के उपर फेलाए और उसे पिछली सीट पर लंबा करके लिटा दिया...और अब उसकी टांगे काव्या की तरफ थी...और काव्या की नज़रें उसके लंड वाले हिस्से पर.. काव्या अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए उसकी टाँगो के बीच में आई और धीरे-2 अपने हाथ से उसके लंड को पकड़ लिया..और पिछली बार की तरह इस बार भी उसके लंड ने हिल कर उसे अपना एहसास करवाया.. उसकी चैन तो खुली हुई थी,काव्या ने अपना दाँया हाथ उसके अंदर डाल दिया और अपने हाथों में उसके नंगे लंड को पकड़ लिया...वो एकदम गर्म था..और काफ़ी मोटा भी.. काव्या ने उसे धीरे से खींच कर बाहर निकाल लिया...और उसे सहलाने लगी...नरम सा होने की वजह से वो इधर-उधर गिर रहा था पर धीरे-2 उसमे कसाव आने लगा ....और एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से खड़ा भी हो गया... और उसके विकराल रूप को देखते ही काव्या से रहा नही गया और वो हुंकारती हुई सी नीचे झुकी और अपनी गहरी साँसे उसके करीब आकर छोड़ने लगी...वो गाड़ी का दरवाजा खोलकर उसके लंड पर झुकी हुई थी, ऐसे में अगर कोई पीछे से आकर उसकी चूत में अपना लंड डाले दे तो बिल्कुल पर्फेक्ट पोज़िशन में चुद जाती, और चुदासी तो उसपर ऐसी चढ़ी हुई थी की पीछे मुड़कर भी ना देखती की कौन पैल रहा है उसे उस आदमी के लंड वाले हिस्से से अजीब सी गंध आ रही थी...शायद पसीने और पेशाब की मिली जुली. पर इस वक़्त वो गंध भी काव्या को उकसा रही थी...और उसने अपना मुँह खोलकर अपनी थरथराती हुई जीभ उसके लंड से लगाई और उसे किसी कुल्फी की तरह चाटना शुरू कर दिया..
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05-25-2019, 11:59 AM,
#68
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
अब आगे **********


''हाआआआआआआआआआआअ........ उम्म्म्ममममममममममममम.......'' और अगले ही पल वो भूखी बिल्ली की तरह उस माँस के लोथड़े पर टूट पड़ी और उसे एक ही झटके में मुँह के अंदर लेकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी... नशे मे होने के बावजूद उस आदमी को कुछ एहसास हो रहा था और वो अपना सिर इधर-उधर घुमाते हुए फिर से बुदबुदाने लगा... वो उस गीले लंड को अपने मुँह से निकाल कर अपने चेहरे पर...अपनी आँखो पर...अपने होंठों पर..लगाने लगी...उसके अंदर से निकल रहे प्रीकम को उसने अपने पूरे चेहरे पर क्रीम की तरह लगा लिया और उसकी भीनी खुश्बू को सूँघकर वो पहले से ज़्यादा उत्तेजित हो गयी.. और अगले ही पल वो वापिस बाहर निकलकर खड़ी हुई और उसने एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार फेंकी और अपनी ब्रा भी खोलकर वहीं ज़मीन पर फेंक दी..और आनन फानन में उसने अपनी जीन्स को भी पेंटी समेत उतार दिया..


और अब वो खुले मे बिल्कुल नंगी होकर खड़ी थी.. ऐसे में अगर वहाँ कोई आ जाता तो उसे ऐसी हालत में देखकर उसके साथ क्या करता ये वो वही जानती थी..पर इस वक़्त उसके उपर जो चुदासी चढ़ी हुई थी उसके सामने उसे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था.. और पूरी नंगी होने के बाद वो उसके उपर झुकी और उसकी पेंट को खोलकर उसने नीचे की तरफ खींचकर उसे भी निकाल दिया.. और अब वो आदमी भी नीचे से नंगा होकर पिछली सीट पर लेटा हुआ था.. वो जम्प मारकर वापिस अंदर घुसी और फिर से नीचे मुँह करके उसके लंड की कटोरी से मक्खन चाटने लगी.. घनी झान्टो के बीच उसका बुर्ज खलीफा जैसा लंड उसे बड़ा अच्छा लग रहा था...वो उसके लंड को चूमती हुई उपर तक गयी और अपनी चूत को उसके लंड वाले हिस्से पर ज़ोर से दबा दिया अब काव्या अपनी चूत को उसके लंड के उपर लगाकर उसके उपर लेटी थी और उस आदमी का चेहरा ठीक उसके सामने था...उसके मुँह से दारू की गंदी सी स्मेल आ रही थी..पर इस वक़्त उसे वो स्मेल भी किसी नशीली खुश्बू जैसी लग रही थी...और उसके पूरे चेहरे पर रंग लगा होने के बावजूद काव्या ने धीरे से अपना चेहरा नीचे किया और अपने रसीले होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हे धीरे-2 चूसने लगी.. पहले धीरे और फिर ज़ोर से...पहले सिर्फ़ होंठ और बाद में अपनी जीभ भी अंदर घुसेड कर उससे मज़े लेने लगी...उसके चेहरे और होंठों का रंग काव्या के उपर लगता जा रहा था पर कामाग्नि में जल रही काव्या को उसकी बिल्कुल भी चिंता नही थी...वो तो अपनी रसीली चूत को उसके लंड पर रगड़ती हुई उसे चूसने में लगी थी...और वो बेवड़ा तो अपनी ही दुनिया में मदहोश सा होकर बस थोड़ा बहुत हिल डुल रहा था...शायद नशे में उसे यही लग रहा था की वो काल्पनिक दुनिया में किसी लड़की से मज़े ले रहा है पर वो ये नही जानता था की यथार्थ में उसके साथ वही हो रहा है... उसका लंड थोड़ी देर पहले तक तो कड़क हो गया था पर मुँह से निकालने के बाद फिर से मुरझाने लगा...ऐसे मे उसे चूत के अंदर नही लिया जा सकता था..इसलिए वो घूमकर 69 की पोज़िशन में उसके लंड की तरफ आई और अपनी रसीली चूत को उसके रंगीले मुँह के उपर दबाते हुए उसके नशीले लंड को अपने मुँह में लेकर पहले की तरह ही उसकी सकिंग करने लगी.. और साथ ही साथ अपनी चूत की फांको को उसके होंठों के उपर रगदकर खुद भी मज़े लेने लगी...उसके चेहरे पर घनी मूँछे थी जो उसकी चिकनी चूत पर चुभ रही थी और उसे गुदगुदी का एहसास भी दे रही थी...वो अपनी छूट को उसके होंठों से रगड़ खिलाती हुई उसकी मूँछों पर मसलती और फिर थोड़ा और उपर लेजाकर उसकी लंबी नाक की नुकीली नोक से अपनी चूत के दाने को रगड़ती...और एक बार तो ऐसा हुआ की उसने उसकी पूरी की पूरी नाक को ही अपनी चूत के अंदर ले लिया और उससे चुदने लगी...एक तो उसकी चूत ने उसके मुँह को पूरी तरह से कवर किया हुआ था उपर से नाक से भी साँस ना मिलने की वजह से वो विचलित सा हो उठा और ज़ोर-2 से खाँसता हुआ वो अपने नशे की दुनिया से बाहर निकल आया और उसने अपने उपर लेटी हुई नंगी काव्या को धक्का देकर साइड में किया और कार से बाहर निकल आया.. भले ही वो होश में आ चुका था पर था अभी भी वो गहरे नशे में ..बाहर निकल कर वो ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था...उसने कार को पकड़ा और बड़ी मुश्किल से अपने को सहारा दिया और ये जानने की कोशिश करने लगा की वो है कहाँ और उसके साथ हो क्या रहा है... और दूसरी तरफ काव्या तो उसके होश में आने के बाद घबरा सी गयी...उसने तो इस बारे में सोचा भी नही था...उसकी समझ से तो वो उससे नशे की हालत मे चुदाई करवाती और उसे वहीँ छोड़कर निकल जाती पर उसे ऐसे होश में आता देखकर उसके होश उड़ गये थे और इससे पहले वो कुछ और सोच पाती उस आदमी की नज़र उसके उपर पड़ी...और वो बेचारी नंगी पुँगी सी अपनी कार की पिछली सीट पर सिकुड कर बैठ गयी... थोड़ी देर तक दोनों के बीच सन्नाटा सा छाया रहा और फिर वो आदमी लड़खड़ाती लेकिन कड़क आवाज़ में बोला : "ऐ छोरी ...कौन है री तू...और ये क्या कर रही थी मेरे साथ...''



वो बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पा रहा था और बात कर पा रहा था...उसे ऐसे बात करता देखकर वो थोड़ा नॉर्मल हुई और फिर जल्द ही उसने एक कहानी अपने दिमाग़ मे बना ली और बोली : "बड़ी जल्दी भूल गया रे तू...थोड़ी देर पहले तक तो मुझे चोदने की बातें कर रहा था...और अब काम करने की बारी आई तो पूछता है की मैं कौन हूँ ..साला बेवड़ा...'' काव्या अपने आप को एक धंधे वाली दर्शा रही थी और उस बंदे को अपना कस्टमर.. वो बेचारा हैरान परेशान सा उसे देखने लगा और अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए सोचने लगा की उसने ऐसा कब कहा उससे ...और अगर कहा भी तो ये धंधे वाली तो लगती नही, इतनी सुन्दर ...इतनी जवान सी...और साथ ही कार में भी... वो बोला : "पर....वो.....वो....मुझे याद नही है...और ये कार....'' काव्या अब करीना कपूर के चमेली वाले कैरेक्टर में आ चुकी थी, वो थोड़ी उँची आवाज़ में बोली : "तुझे याद नही है तो मैं याद दिलाती हू तुझे साले ....पूरे 5 हज़ार में बात हुई थी हमारी...और ये कार मेरी है...तुझ जैसे हरामियों से चुदाई करवाकर खरीदी है, अपनी मेहनत से...'' अपनी चूत को रगड़ती हुई बोली थी उसने ये बात.... काव्या को तो खुद भी विश्वास नही हो रहा था की वो ऐसी बेहूदा बातें और हरकतें इतने आत्मविश्वास के साथ कैसे करती चली जा रही है...अपनी चोरी पकड़े जाने के बाद वो एक रंडी जैसा बर्ताव करके बाजारू लड़कियों की तरह बिहेव कर रही थी...और ऐसा करते हुए वो अब अपने नंगेपन को भी छुपाने का प्रयत्न नही कर रही थी...बल्कि अपनी गीली चूत और कड़क मुम्मे दिखाकर उसे ललचा रही थी ताकि वो जल्दी से उसे चोदने के लिए राज़ी हो जाए... और वो हो भी रहा था...पर उस आदमी को एक ही चिंता थी...पैसों की...उसकी जेब में तो इस वक़्त एक फूटी कोड़ी भी नही थी...एक सौ का नोट था जिसका उसने अद्धा पी लिया था और वो भी नीट ...इसलिए उसकी ऐसी हालत हो रही थी... पर इंसान के दिमाग़ में दारू चड़ती है,उसके लंड पर नही, इसलिए नशे की हालत में होने के बावजूद,ऐसी जवान लड़की को नंगा देखकर उसका लंड खड़ा हो चुका था...और वो अंदर ही अंदर उसे चोदने के सपने भी देखने लगा..और वैसे भी, दारू पीने के बाद की चुदाई का मजा कुछ अलग ही होता है काव्या : "अब खड़ा क्या है, चल वापिस अंदर आ...और काम पूरा कर...'' वो अपनी चूत के उपर अपनी उंगलियाँ मसलती हुई बोली वो आदमी, जिसका नाम रोहित था, वो हकलाते हुए बोला : "वो...मेरे पास..पैसे नही है...'' अब भला काव्या को उसके पैसों से क्या लेना देना था...वो तो ऐसी हालत में रंगे हाथों पकड़ी गयी थी इसलिए ऐसी कहानी बनाई...वो बोली : "साले, हरामी...जब पैसे नही थे तो पहले क्यों बोला...अब मेरी चूत में आग लगा कर बोलता है की पैसे नही है...'' वो थोड़ा बहुत गुस्सा भी दिखा रही थी,ताकि उसकी एक्टिंग सच लगे..और फिर थोड़ा रुक कर बोली : "चल अब पैसे नही है तो फ्री के मज़े ले...कम से कम मेरी चूत को तो उसका हक मिले ना...ऐसे बीच में लाकर छोड़ेगा तो मैं पूरी रात सुलगती रहूंगी '' और इतना कहते हुए उसने रोहित के लंड को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे एक बार फिर से मुँह में लेकर चूसने लगी... रोहित अपनी बंद हो रही आँखों को बड़ी मुश्किल से खोलने की कोशिश कर रहा था,पर नशे की वजह से वो बंद हुए जा रही थी...पर उसके लंड पर काव्या का मुँह लगते ही वो पूरी तरह से खुल गयी..और वो उसकी पतली कमर और चौड़ी गांड को देखता हुआ उसके मुँह की चुदाई करने लगा... काव्या उसके लंड को चूसती हुई उसे ही देख रही थी...और उसके मासूम से चेहरे को देखकर रोहित का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था...उसे तो अब भी विश्वास नही हो रहा था की ये एक रंडी है...ऐसी कमसिन लड़की,जो मुश्किल से 20 साल की भी नही है, उसके मुम्मे भी पूरी तरह से बाहर नही निकले है,इस धंधे मे कैसे आ गयी...और उसकी किस्मत तो देखो, पैसे ना होने के बावजूद वो उससे चुदवाने के लिए तैयार भी हो गयी..


वो अपनी किस्मत और अपने बड़े लड़ की सराहना कर रहा था,जिसकी वजह से उसे ऐसी लड़की के साथ मज़े करने को मिल रहे थे...आज सच में उसे होली का असली मजा मिल रहा था अब उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था...काव्या ने उसकी तरफ देखते हुए कहा : "चल अब, जल्दी से घुसा दे इसे मेरी चूत में ...'' और इतना कहते हुए वो पलट कर दूसरी तरफ हो गयी, उसके पैर कार से बाहर थे और वो पिछली सीट पर घोड़ी बनकर खड़ी हो गयी.. उसकी गोल मटोल गांड देखकर रोहित तो चकरा कर रह गया... किसी की ऐसी गांड भी हो सकती है उसने तो सोचा भी नही था...एकदम चिकनी...और उसके बीच मे से झाँक रही नन्ही सी चूत की झलक जब उसे मिली तो वो ये सोचने लगा की एक रंडी होने के बावजूद इसकी चूत इतनी छोटी कैसे है...ये तो बोल रही है की इसने इतनी चुदाई करवाई है की इसने उन पैसों से कार खरीद ली है, पर इसकी चूत देखकर तो लगता है की उस कमाई से तो ये अभी तक साइकल भी नही ले पाई होगी... पर उसे इससे क्या, एक तो फ्री में उसे ऐसी चूत मारने को मिल रही थी उपर से ऐसे सवाल पूछकर वो इस वक़्त उसका मूड खराब नही करना चाहता था...इसलिए चुपचाप उसने अपने लंड के उपर थूक लगायी और उसकी चूत पर अपना लंड टीकाकर धीरे से अंदर घुसाया.. काव्या तो धड़कते दिल से एक एजनबी के मोटे लंड का इंतजार कर रही थी..और जैसे ही उसके सुपाड़े ने उसकी चूत के दरवाजे पर दस्तक दी, उसके शरीर के रोँये खड़े हो गये...और वो कुछ और सोच पाती,इससे पहले ही रोहित ने एक जोरदार शॉट मारकर अपना लंड उसकी चूत के अंदर घुसेड दिया...और वो पिछली सीट की लेदर सीट को पकड़कर ज़ोर से चिल्ला पड़ी.. ''आआआआआआआअहह .................. उम्म्म्मममममममममममममममम ...... मरररर गयी .....'' और उसकी चूत इतनी टाइट थी की इतने जोरदार झटके के बाद भी रोहित का लंड सिर्फ़ आधा ही अंदर घुस पाया था...और वो ये सोचकर ही खुश हो गया की शायद इस रंडी ने आज से पहले मेरे जैसे मोटे लंड को अंदर नही लिया है, वरना ऐसी टाइट चूत ना होती इसकी.. अब उस बेचारे को भला कौन समझाए की इसने तो 2 दिन पहले ही चुदाई करवानी शुरू की है....और समीर और नितिन के बाद ये उसकी जिंदगी का तीसरा लंड है जो उसके अंदर जा रहा है...और सबसे मोटा होने की वजह से ये दर्द होना भी स्वाभाविक ही है... खैर, रोहित ने थोड़ा सा लंड बाहर खींचा और फिर से अंदर डाल दिया...और इस बार और ज़ोर से...पिछली बार आधा सफ़र तय करने के बाद इस बार वो पूरी मंज़िल तक जाना चाहता था...और पहुँच भी गया वो...इस झटके की मदद से उसके लंड के सुपाड़े ने उसकी चूत के आख़िरी सिरे को जाकर चूम लिया...और अपने लंड को उसकी चूत में फँसा कर रोहित ने एक जोरदार हुंकार भरी...जो उस सुनसान इलाक़े में गूँज कर रह गयी.. ''आआआआआआआआआआआआआआआआआहह .....ऊऊऊऊऊहह साआआाआली .....क्या टाइट चूत है रे तेरी............................ अहह मज़ा आ गया कसम से......साली रंडी 


और उसके बाद तो वो रुका ही नही...और अपने लंड को बाहर निकालकर दुगनी तेज़ी से अंदर घुसेड़ने लगा...और ऐसा 8-10 बार करने के बाद उसकी चूत रंवा हो गयी और फिर तो उसका लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर जाने लगा...बिना कोई रोक टोक के..और उसके अंदर बाहर होने से जो एहसास काव्या को मिल रहा था वो उसे महसूस करती हुई एक असली रंडी की तरह चिल्लाए जा रही थी.. ''आआआआआआआईइ................साले ................चोद मुझे...............आआआआआहह ऐसे ही ................. ओफफफ्फ़ ओफफफ्फ़ एसस्सस्स....... फककक मी .....फक्क मी बास्टर्ड....... फक्क मीssssssssssssssss ...'' वो गँवार रोहित भी ये सोचने लगा की शायद उसकी जिंदगी में ये पहली बार है जब वो एक अँग्रेज़ी बोलने वाली रंडी की चुदाई कर रहा है...और वो भी फ्री में ... ये सोचते -2 वो काफ़ी उत्तेजित हो उठा और उसने अपना लंड खींचकर बाहर निकाल लिया और काव्या को भी बाहर घसीट लिया...और उसे कार की फ्रंट साइड पर ले आया...और बोनट के उपर उसे बिठाकर अपना लंड फिर से उसकी चूत में दाखिल करवा दिया... काव्या ने उसकी कमर मे अपनी टांगे लपेट कर उसके लंड को अंदर लिया और उसके कानों को चूमते हुए फिर से चीखे मारने लगी.. ''ऊऊऊऊऊओह येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स.... कितना मोटा है तेरा लंड साले ..............आहह मज़ा आ गया............. उम्म्म्ममममममममममम ..... ओह ....एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.... चोद .................. फ्री की चूत मिली है आज तुझे...............चोद इसे......अपने लंबे लंड से चोद मुझे कुत्ते हरामी ..............'' रोहित तो उस कॉनवेंट मे पड़ी चूत को चोदकर खुशी से फूला नही समा रहा था....उसका नशा कब का उतर चुका था और सेक्स का नशा चढ़ चुका था अब उसके उपर... उसने काव्या को नीचे खड़ा किया और उसे घूमाकर उसकी गांड अपनी तरफ कर ली...और उसे झुकाकर उसे घोड़ी बनाया और एक बार फिर से उसकी चूत के अंदर अपना लंड डालकर उसे उस सुनसान सी जगह पर खुल्ले में चोदने लगा... उसके हर झटके से काव्या उछलकर कार के बोनट पर जा चड़ती और फिर फिसलकर नीचे आ जाती.. उसकी चूत से निकले पानी से कार के बोनट की रबिन्ग-पॉलिशिंग हो रही थी ,जिसकी वजह से कार का अगला हिस्सा चमक उठा था ऐसा करीब 10 मिनट तक चलता रहा..


रोहित उसके मुम्मो को दबाकर पूरी ताक़त से उसके नंगे बदन से चिपका हुआ था और ज़ोर -2 से उसकी चूत की कुटाई अपने मूसल से कर रहा था.. और लगातार इतनी लंबी और झटको वाली चुदाई करने के बाद दोनो थक गये..और काव्या के कहने पर वो फिर से वापिस कार में आ गये.. कार की सीट्स को फोल्ड करके उसने पिछली सीट पर ज़्यादा जगह बना ली और उसपर रोहित को लिटाकर खुद उल्टी होकर उसके लंड पर बैठ गयी.. और एक बार फिर से उछल-कूद भरी चुदाई शुरू हो गयी उस कार में .. उसके मुम्मे हर झटके से जोरों से हिलते जिसे काव्या सामने लगे छोटे से मिरर में सॉफ देख पा रही थी.. और वो देखकर वो काफ़ी उत्तेजित भी हो रही थी... और आख़िरकार उसकी उत्तेजना का चर्म स्तर आ ही गया और वो ज़ोर-2 से चिल्लाती हुई उसके खड़े लंड पर झड़ने लगी.. ''आआआआआआआआआअहह उूुुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममम ऊऊऊऊऊऊऊओफफफफफफ्फ़ ...आई एम कमिंग......'' रोहित भी झड़ने के बिल्कुल करीब था.. पर उसके रस को अपनी चूत में लेकर वो कोई रिस्क नही लेना चाहती थी.. इसलिए झड़ने के बाद जब उसे लगा की रोहित भी झड़ने वाला है तो वो झट से उसके लंड से उतर गयी और अपने हाथों से उसके लंड को मसलने लगी... और थोड़ी ही देर मे उसके लौड़े से सफेद फुव्वारा निकलने लगा और उसके हाथों और पिछली सीट को गीला करने लगा.. दोनो पूरी तरह से संतुष्ट हो चुके थे.. ये सब करते - करते 8 बज चुके थे...काव्या ने जल्दी से अपने कपड़े पहने , अपनी पॉकेट से मोबाइल निकाल कर देखा, मों की 8-10 मिस्स कॉल्स थी, जो साइलेंट होने की वजह से सुन नही पाई थी वो...उन्हे फोन करके उसने आधे घंटे में आने की बात कही,साथ ही बहाना बनाकर ये भी बोल दिया की गाड़ी खराब हो गयी थी,इसलिए देर हो गयी.. रोहित को गाड़ी में बिठा कर उसे वापिस मैन रोड पर उतारा ..वो बेचारा समझ भी नही पाया की आख़िर में आकर ऐसी जल्दबाज़ी क्यों दिखा रही है वो..पर वो बिना कुछ बोले उसकी बातें मानता गया..आख़िर आज की होली उसे हमेशा के लिए जो याद रहने वाली थी.. और अपनी रंगीन होली मना कर वो वापिस घर आ पहुँची..जहाँ उसके लिए एक सरप्राइज भी था..
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05-25-2019, 11:59 AM,
#69
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
अब आगे **********



और वो सरप्राइज कुछ ऐसा था काव्या के घर से निकलने के बाद समीर भी ऑफीस के लिए निकल गया...आज उसने अपने सारे स्टाफ के लिए होली की पार्टी रखी थी..और सभी के लिए लंच भी था वहाँ.. रश्मि को होली का ज़्यादा शोंक नही था,इसलिए घर के सारे काम निपटा कर वो टीवी देखने बैठ गयी..पर उसका मन उसमे लग ही नही रहा था...वो तो बस किसी से भी चुदवाने के बारे में सोचे जा रही थी..पर कोई था भी तो नही ना...और ये सोचते-2 कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता नही चला.. करीब 2 घंटे बाद उसके घर की बेल बजी...और जब उसने दरवाजा खोला तो सामने विक्की खड़ा था.. और उसे देखते ही उसके अंदर की भूखी औरत फिर से जाग गयी... विक्की : "नमस्ते आंटी....एंड हैप्पी होली ...'' उसके चेहरे पर पूरा रंग लगा हुआ था...और उसने थोड़ा सा रंग आगे लेजाकर रश्मि के चेहरे पर भी लगा दिया...भले ही रश्मि को होली पसंद नही थी पर उसके मर्दाना हाथों से रंग लगवाने में उसके शरीर में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी... और विक्की भी साला बड़ा हरामी था...ऐसा नही था की वो पहली बार रश्मि को हाथ लगा रहा था पर होली के मौके पर ऐसे गदराये माल को रगड़ने का जो मज़ा है वो तो वही जान सकता है जो रगड़ता है...और यही विक्की के साथ भी हो रहा था इस वक़्त...उसके हाथ रंग लगाने का बहाने रश्मि के शरीर के हर हिस्से को मसल रहे थे... चेहरे से शुरू हुआ सिलसिला धीरे-2 नीचे जाने लगा...गर्दन और फिर सीधा उसके विशालकाए मुम्मों पर...और उनपर हाथ लगते ही रश्मि का छटपटाना एकदम से बंद हो गया...और वो लगभग विक्की के उपर गिरती चली गयी...जैसे बोल रही हो 'ले हरामखोर ...लगा ले ..जितना रंग लगाना है मुझपर..' और विक्की भी अपने रंगीन हाथों को उसके मुम्मों पर मसलता हुआ बड़ा उत्तेजित फील कर रहा था..उसके सूट के नीचे से उसने अपने दोनो हाथ अंदर घुसेड दिए और उसके नर्म मुलायम पेट पर रंग लगाने लगा.. ये सब ड्रॉयिंग रूम में चल रहा था...और दरवाजा तो विक्की को अंदर लेने के बाद ही बंद कर दिया था रश्मि ने...इसलिए उसे कोई चिंता नही थी.. जैसे ही विक्की के हाथ फिर से सरक कर उपर की तरफ आए,रश्मि ने अपने दोनो हाथ उपर कर दिए ताकि विक्की उसके सूट को उतार दे... जो विक्की ने नही सोचा था वो रश्मि करने को तैयार थी... विक्की : "आज लगता है जैसे मेरा ही इंतजार हो रहा था....आपका पति कहाँ है ...'' वो उसके सूट को उतारता हुआ बोला..


रश्मि : "पति भी नही है और तेरी काव्या भी....अभी के लिए सिर्फ़ तू और मैं है घर पर...'' विक्की के हाथ उसकी ब्रा मे क़ैद मुम्मे मसलने में लगे थे...सफेद रंग की ब्रा को गुलाबी होने में एक मिनट ही लगा बस... काव्या के घर पर ना होने की बात सुनकर वो थोड़ा मायूस हो गया पर रश्मि की बात सुनकर फिर से उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आई, वो बोली : "काव्या बस एक घंटे तक आ जाएगी...तब तक मेरे साथ ही होली खेल ले...जैसी तुझे पसंद हो ...वैसी खेल ले...'' विक्की के लिए ये ऑफर भी बुरा नही था....जब तक काव्या वापिस आएगी,तब तक के लिए उसकी माँ उसके लंड को तैयार कर सकती है...ये सोचते-2 उसने रश्मि की ब्रा भी खोलकर नीचे फेंक दी...और अब वो टॉपलेस थी..और उसके वाइट मुम्मे देखकर विक्की के मुँह में पानी भर गया...और उसने वो पानी उसके मोटे-2 निप्पलों पर उड़ेलना शुरू कर दिया..उन्हे चूस-चूस्कर ... ''आआआआआआहह..... ओह विक्की............चूसो इन्हे...........'' और पलक झपकते ही रश्मि के बाकी बचे कपड़े भी नीचे फर्श पर पड़े थे...और वो खड़ी थी पूरी नंगी होकर विक्की के सामने... विक्की भी उसके मांसल बदन को देखकर दंग रह गया...रिसोर्ट में भी उसने रश्मि को नंगा देखा था और उसके साथ सिर्फ़ चुदाई को छोड़कर सब कुछ किया था...पर उस दिन वो ऐसी कयामत जैसी नही लग रही थी...शायद इसलिए की उस वक़्त काव्या भी वहां थी और अपनी कड़क बेटी के सामने तो वो थोड़ी कम ही है...पर अकेले में उसका कोई मुकाबला नही... ये सब सोचते-2 विक्की के लंड में उबाल आना शुरू हो गया और कुछ ही देर में वो वहीं खड़ा हुआ अपनी पेंट के उपर से ही अपना लंड मसलने लगा.. रश्मि : "रूको...मेरे होते हुए तुम ये जहमत क्यो उठा रहे हो...ये काम मेरा है और मुझे ही करने दो....'' सेक्स मे रूचि रखने वाली औरतों में सबसे अच्छी यही बात होती है की वो हर काम आगे बढ़कर खुद करने में विश्वास रखती है...और उन्हे ऐसा करते देखकर उनके पार्ट्नर को जो खुशी होती है वो तो बस वही जान सकते है.. विक्की भी अपने आप को उसके हवाले छोड़कर खड़ा हो गया और रश्मि आराम से उसके कदमो में बैठकर उसकी पेंट उतारने लगी...जीप खोलकर उसकी पेंट को नीचे खिसकाया और फिर उसके अंडरवीयर को भी...और अगले ही पल उसका अकड़ ख़ाता हुआ लंड किसी स्प्रिंग की तरह उछलकर सामने आ गया... और उसे देखकर रश्मि ने अपने होंठों को दांतो तले दबा कर खुद ही अपना रस निचोड़कर पी गयी.. और फिर बड़े ही प्यार से उसे हाथों में लेकर अपने होंठों से लगाया और फिर आँखे बंद करते हुए एक-2 इंच करती हुई उसकी गर्म रोड को निगलने लगी....ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग का गोला उसके मुँह में जा रहा है... पर उस आग के गोले में उतनी आग नही थी जितनी रश्मि के मुँह से निकल रही थी इस वक़्त...दोनो तरफ की आग की तपिश एक दूसरे को झुलसाने लगी..और दोनो के मुँह से ही मादकता से भरी सिसकारियाँ निकलने लगी...


''आआआआआआआआअहह ऊऊऊऊऊहह आंटी..............आपका मुँह तो मुझे जला कर रख देगा......'' और रश्मि उस आग के गोले की आग को अपनी लार से बुझाने में लगी हुई थी...चपड़ -2 की आवाज़ें गूंजने लगी पूरे ड्रॉयिंग रूम मे...और लार की लकीर बनकर उसके मुम्मों पर गिरने लगी...जिसे वो बड़े ही उत्तेजक तरीके से अपने ही हाथों से पूरी छातियों पर मल रही थी... विक्की ने रश्मि के सिर को पकड़ा और उसे पकड़ कर धक्के मारने शुरू कर दिए...जैसे चूत मारते हुए करते हैं...वो उसके मुँह की चुदाई कर रहा था...और धक्के भी बड़े जबरदस्त वाले थे....पर रश्मि जैसी कलाकार सामने थी इसलिए उन धक्को को वो बड़े ही आराम से सहन करती हुई उसके लंड को चूसती भी जा रही थी.. विक्की ने अपनी टी शर्ट भी उतार दी...और अब वो भी नंगा होकर खड़ा था उसके सामने...अपने कठोर हाथों से उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए उसे अपना लंड चुसवाता हुआ सिसकारियाँ मार रहा था.. रश्मि की चूत में तो चींटियाँ रेंग रही थी जिन्हे वो अपनी उंगलियों से मसल कर मारती जा रही थी....विक्की के लंड को चूसते हुए उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी और अपनी 3-3 उंगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करने लगी....अपने पंजो के बल बैठी हुई रश्मि के नीचे गाड़े पानी की बूंदे टपक कर मीठे पानी का तालाब बना रही थी... रश्मि के मुँह के आगे विक्की का लंड हार ही गया...और उसने जोरदार चीखे मारते हुए अपने गन्ने का रस उसके मुँह में निकालना शुरू कर दिया... ''आआआआआआआआआअहह हह उम्म्म्मममममम..... ऑश मई तो गया......... आआआअहह'' कुछ देर तक ऐसे ही खड़ा हुआ वो कांपता रहा...उसके शरीर से ऐसे झटके निकल रहे थे जैसे तोप के गोले छोड़ने के बाद तोप हिलती रहती है कुछ देर तक....और जब वो शांत हुआ तो अपनी प्यासी आँखो से रश्मि उसे ऐसे देख रही थी जैसे उसे खा ही जाएगी... विक्की समझ गया की वो क्या चाहती है....
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05-25-2019, 11:59 AM,
#70
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
उसने रश्मि की बगल मे हाथ डालकर उसे उठाया और टेबल पर लेजाकर बिठा दिया...और उसकी चूत के उपर झुककर उसने अपनी लंबी सी जीभ निकाली और उसकी सेवा करनी शुरू कर दी.. अपनी गर्म चूत पर उसके नर्म होंठ लगते ही वो मुस्कुरा उठी और अपनी गांड हिला कर आगे पीछे करते हुए खुद ही उसके मुँह मे अपनी चूत चुसवाने लगी... विक्की भी उसकी चूत के निकले हुए माँस के हिस्से को अच्छी तरह से अपने मुँह में लेकर चुभला रहा था...ऐसा करते हुए वो उसके अंदर से निकलने वाला जूस भी पीता जा रहा था...लग रहा था जैसे कोई संतरे की फाँक है जो उसके मुँह में आती है और अपना रस छोड़कर फिर चली जाती है...ऐसा मीठा रस था उसका की वो लगातार चूस रहा था पर वो ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा था.. रश्मि भी उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी चूत का शाही पकवान उसे खिला रही थी.. विक्की ने तो अपनी तजुर्बेकार जीभ से उसकी चूत चाट-चाटकर चमका डाली... अपने ही रस में डूबकर और विक्की के मुंह के गीलेपन से वो बुरी तरह से पनिया गयी थी और फिर उसने धीरे से अपनी एक उंगली भी जीभ के साथ-2 अंदर डाल दी...जीभ की पहुँच उतनी नही थी जितना अंदर उंगली जा पा रही थी..इसलिए उसे अपनी क्लिट पर आघात करते पाकर रश्मि ने अपनी गांड हवा में लहरा दी...और खुद ही उसकी उंगली को अपने अंदर घुस्वाने लगी. ''ओह विक्की...............काश इस उंगली के बदले तेरा लंड होता ......उम्म्म्मममममममममम ......'' विक्की भी उसके चेहरे को देखकर मुस्कुराया...वो जानता था की इस वक़्त कितनी खुजली मची हुई है रश्मि के अंदर उसका लंड लेने की...पर वो तो अपनी बात पर अभी तक अड़ा हुआ था...वो बोला : "मैने पहले भी कहा था ना...जिस दिन काव्या की मिल जाएगी मुझे...उसके बाद आपकी चूत मारने में मुझे कोई प्राब्लम नही होगी...'' रश्मि : "और वो काम अगर मैं आज ही करवा दू तो ???....'' उसकी ये बात सुनते ही विक्की ने एक साथ अपनी 3 उंगलियाँ उसकी चूत में उतार दी और अपनी स्पीड भी बड़ा दी....


विक्की : "अगर आज आपने मेरा ये काम करवा दिया ना...तो कसम से आज ही अपने इस मूसल से आपकी चूत की भरपूर सेवा करूँगा...'' रश्मि : "तो बस समझ ले की तेरा काम हो गया ....आज काव्या के आने के बाद तो पहले उसके साथ और फिर मेरे साथ वही सब करेगा जिसके लिए उपर वाले ने तुझे ये लंड दिया है....'' रश्मि ने उसके लंड को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया.... और विक्की भी उत्तेजना मे भरकर उसकी चूत को और तेज़ी से अपनी उंगलियों से चोदने लगा...और रश्मि ज़ोर से चिल्लाती हुई अपने बूब्स को अपने ही हाथों से दबाने लगी.. ''आआआआआआआआआहह ओह विक्की ...................... ......ज़ोर से................येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... ऐसे ही ................................... अहहssssssssssssssssssssssssssssssssss.......'' और फिर तो रश्मि की आँखे ही फिर गयी...उसे पता ही नही चला की उसके साथ क्या हो रहा है...वो पीछे की तरफ लुढ़क गयी और एक के बाद एक झटको ने उसके अंदर की सारी उर्जा गाड़े पानी के रूप में बाहर निकाल दी...ऐसा लगा की जैसे उसके शरीर का सारा प्रोटीन विक्की की उंगलियों ने बाहर खींच लिया है...काश वो इस वक़्त उसकी चूत मार सकता तो जो प्रोटीन की कमी उसे महसूस हो रही है वो उसके रस को अंदर लेकर पूरी कर लेती.. पर ऐसा अभी तो हो नही सकता था...उसे काव्या का वेट करना पड़ेगा उसके लिए... अपनी ऑर्गॅज़म से बाहर निकलने के बाद वो अपनी बोझिल आँखो से विक्की को देखते हुए बोली : "तेरी उंगलियों ने मुझे इतने मज़े दिए हैं, पता नही तेरा लंड जब अंदर जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा...'' विक्की (मुस्कुराते हुए) : "आपका हाल तो बेहाल होगा....और वही हाल काव्या का भी होगा हा हा...'' रश्मि भी उसके लटके हुए खीरे को देखकर मुस्कुरा उठी.. अब तो सच मे उसकी चूत को उसके लंड की कमी महसूस हो रही थी. उसने जल्दी से फोन उठाया और काव्या को मिलाया ताकि वो जान सके की वो कब तक आएगी और विक्की के लंड से चुदकर वो उसकी चुदाई का रास्ता खोलेगी. पर काव्या तो वहाँ किसी और के लंड का मज़ा ले रही थी...कार मे बैठी हुई वो रोहित के लंड को अंदर बाहर कर रही थी.. रश्मि ने कई बार फोन किया पर उसने उठाया ही नही...उठाती भी कैसे वो...फोन को साइलेंट मोड पर करके वो अपनी चुदाई चीख-2 कर जो करवा रही थी. रश्मि : "लगता है वो ड्राइव कर रही है....आ ही जाएगी अभी...'' उसका ध्यान अभी तक विक्की के लंबे लंड के उपर था..जो अब धीरे-2 फिर से अपने असली आकार में आने लगा था.. रश्मि की मोटी छातियों की तरफ देखता हुआ विक्की बोला : "अब तो वो आने ही वाली है...तो इसको तैयार करना अब आपकी ज़िम्मेदारी है...'' रश्मि को तो मौका चाहिए था फिर से उसके लंड को पकड़ने का..उसने विक्की को पकड़कर अपनी जगह पर बिठाया और खुद उसके सामने आकर खड़ी हो गयी....और उसके लंड को लेकर धीरे-2 मसलने लगी.. और ऐसा करते हुए वो बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देख रही थी. और एक ही मिनट के अंदर विक्की का लंबा लौड़ा फिर से अपने 8 इंची आकार में आ गया. और रश्मि उसे अपनी दोनो छातियों के बीच में लेकर धीरे-2 उसे बूब मसाज भी दे रही थी. एक तो उसके मोटे-2 मुम्मे और उपर से उसका सेक्सी लुक, विक्की के लंड का पारा जल्द ही फिर से बढ़ने लगा...और उसने झटक कर अपने लंड को उसकी गिरफ़्त से छुड़वाया.


''आप तो मुझे एक मिनट मे फिर से झाड़ कर रख देंगी....कुछ तो काव्या के लिए रहने दो...'' वो भी मुस्कुरा उठी. और तभी रश्मि के फोन की घंटी बज उठी,काव्या का फोन आया था...वो रोहित के साथ चुदाई करवाकर फ्री हो चुकी थी अब तक. उसने फोन उठा कर उसे जल्द घर आने को कहा.. और फोन रखने के बाद वो विक्की के लंड को पकड़कर उसे अपने बेडरूम के अंदर बने बाथरूम की तरफ ले गयी...ताकि काव्या के आने तक वो फ्रेश हो जाए.. काव्या के आने की बात सुनकर उसके लंड में जल तरंग सी बजने लगी...और वो रश्मि के पीछे-2 चलता हुआ बाथरूम में पहुँच गया. रश्मि ने उसको शावर के नीचे लेजाकर खड़ा कर दिया और फिर दोनो ने एक दूसरे को साबुन लगाकर नहलाया. साथ ही साथ,बीच-2 में वो दोनो एक दूसरे को चूम भी रहे थे...और एक दूसरे के अंगो को सहला भी रहे थे. ऐसा करीब 10 मिनट तक चलता रहा. और तभी बाहर के गेट की बेल बजी,काव्या आ गयी थी. रश्मि और विक्की जल्दी से बाहर निकले....रश्मि ने जल्द से एक चादर ओढ़ ली और भागकर बाहर की तरफ चल दी...और विक्की वहीं बेड पर नंगा होकर बैठ गया...काव्या का इंतजार करने के लिए.. रश्मि ने दरवाजा खोला तो उसके चेहरे पर आई रंगत सॉफ बता रही थी की वो अंदर क्या कर रही थी....उसने एक चादर पहनी हुई थी बस...और पूरा चेहरा लाल सुर्ख हुआ पड़ा था,और होंठ गीले... अब वैसे भी उन माँ बेटी के बीच कोई परदा तो रहा नही था..काव्य समझ गयी की वो चुदाई के काम में लगी थी इसलिए वो शायद ऐसे ही बीच मे से उठकर आ गयी थी... पर तभी काव्या को ध्यान आया की आज पापा तो घर पर है ही नही,उनके ऑफीस मे होली की पार्टी थी और वो सुबह से ही वहां गये हुए हैं, तो इस वक़्त माँ किसके साथ मज़े ले रही है.. काव्या के चेहरे पर शरारत दौड़ गयी और बोली : "माँ ...ये क्या चल रहा है सब...'' रश्मि का चेहरा और भी लाल हो उठा और वो बोली : "तू खुद देख ले अंदर आकर...मेरे बेडरूम में ..चल..'' काव्या के दिल में तो गुदगुदी सी होने लगी तभी से...वो भागती हुई सी अपनी माँ के बेडरूम में गयी...उसके दिल मे बस लोकेश अंकल की तस्वीर चल रही थी...क्योंकि उसके पापा के अलावा सिर्फ़ लोकेश अंकल ही उसकी माँ की मार सकते थे...पर अंदर पहुँचकर वो अश्चर्यचकित रह गयी...और लगभग चिल्लाते हुए बोली ''विक्की !!!!!!!!!!!!!!!!!!! तुम .......'' वहाँ विक्की बैठा था...पूरा नंगा....अपने हाथ मे वही जादूगरी लॅंड लिए जिसको दिखाकर उसने काव्या को कितना तरसाया था अभी तक... पर वो कर क्या रहा था आज उसके घर...वो पूछने ही वाली थी की विक्की बोल पड़ा ''आओ डार्लिंग...तुम तो आई नही ,मैने सोचा की मैं खुद ही आ जाऊ तुम्हारे साथ होली खेलने...'' तब तक रश्मि भी अंदर आ चुकी थी...और अंदर आते ही उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपने उपर ओढ़ी हुई चादर फिर से उतार फेंकी और पूरी नंगी होकर अपनी गांड मटकाती हुई काव्या के करीब आई और बोली ''विक्की बस अभी आया था,एक घंटा पहले..मैने सोचा की जब तक तुम आओ,मैं ही थोड़ा बहुत...'' और इतना कहकर वो शरमा सी गयी...भले ही वो खुल चुकी थी अपनी बेटी के सामने...पर किसी दूसरे के सामने भला कैसे बोलती की सेक्स के मज़े ले रही थी.. काव्या अच्छी तरह से जानती थी की विक्की ने जो कसम ले रखी है की पहले वो उसकी चुदाई करेगा और उसके बाद उसकी माँ की,उसपर वो अभी तक अडिग ही होगा...रश्मि सिर्फ़ उसके लंड को चूस्कर उसे मज़ा दे रही थी...और शायद अपनी चूत को चुसवाकर खुद भी मज़े ले रही थी... पर अब तो काव्या आ चुकी थी...भले ही वो पहले नितिन से और बाद में राह चलते एक अंजान शख्स से चुदवा कर आई थी पर चुदाई की जो खुराक उसे चढ़ चुकी थी वो एक बार फिर से उसके लंड को देखकर होने लगी.. और धीरे-2 उसका जिस्म फिर से गर्म होने लगा...और चूत भी.
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