Kamukta Story सौतेला बाप
05-25-2019, 11:44 AM,
#31
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--29

अब आगे
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हर झटके मे समीर अपनी मंज़िल के करीब पहुँच रहा था..और फिर जब वो समय निकट आया जब वो समझ गया की अब और नही रोक पाएगा तो उसने रश्मि की टाँग छोड़ दी और उसके दोनो हाथों पर हाथ रखकर ज़ोर-2 से झटके मारने लगा..


और उसके हिलते स्तनों और लरजते होंठों को देखते हुए उसने अपना लंड एकदम से बाहर निकाला और उसके चेहरे से लेकर उसकी नाभि तक हिस्से को बर्फीली चादर से ढक दिया

''आआआआआआआअहह ............. रश्मि .........मैं तो गया.......''

और वो उसके उपर गिरकर ज़ोर-2 से हाफने लगा.

दोनो के मन मे सिर्फ़ एक ही बात चल रही थी की आज किसी और के बारे मे सोचकर चुदाई करने मे कितना मज़ा मिला है.

जब उसके साथ असली की चुदाई होगी तो कैसा लगेगा.

दोनो अलग हुए और एक-2 करके दोनो बाथरूम मे गये और अपने अंगों को सॉफ किया..

फिर रश्मि नंगी ही आकर समीर के बदन से लिपटकर लेट गयी.

रश्मि : "कैसी रही शॉपिंग...क्या -2 लिया आज काव्या के लिए ..''

काव्या का नाम सुनते ही समीर के लंड ने एक हरकत सी की, जिसे रश्मि ने भी महसूस किया..पर वो कुछ समझ नही पाई, उसे लगा की शायद ऐसे नंगे लेटने की वजह से समीर फिर से उत्तेजित हो रहा है.

समीर : "सही थी...काफ़ी कुछ लिया काव्या ने आज....बाकी कल देख लेना की क्या-2 उसने , बहुत खुश भी थी आज ''

रश्मि : "हाँ , वो तो मैने भी देखा, और मुझे खुशी हुई की वो आपसे घुल मिल रही है..''

दोनों कुछ देर चुप रहे

समीर : "और तुम तो बताओ...तुम मिली थी क्या उस लड़के से आज...विक्की से...''

और इस बार विक्की का नाम सुनते ही रश्मि का शरीर झनझना उठा...और उसकी सूख चुकी चूत मे फिर से गीलापन आने लगा..

रश्मि : "हाँ ...मिली तो थी...पर कुछ ढंग से बात नही हो पाई...वो कही गया हुआ था, और उसके बाद उसने दोस्तों के साथ कहीं जाना था, सिर्फ़ एक मिनट के लिए ही बात हो पाई...कल मिलना है दोबारा..कल उसके कॉलेज की छुट्टी है..''

समीर : "ह्म्*म्म्म....देखो, जो भी करना , सोच समझ कर करना, कोई प्राब्लम हो तो मुझे बता देना, मैं उसको सीधा कर दूँगा..''

रश्मि : "पता है जी...पर आप फ़िक्र ना करो...मैं संभाल लूँगी उसको...''

रश्मि ने बड़ी सफाई से झूट बोलकर आज का सारा किस्सा छुपा लिया, वैसे भी ऐसी बात अपने पति को बताई नही जाती..और साथ ही साथ उसने अगले दिन भी विक्की से मिलने का रास्ता सॉफ कर लिया..और कल उसको विक्की से कहा मिलना है और क्या-2 करना है, ये सोच सोचकर उसको सारी रात नींद ही नही आई..

उसको तो बस इंतजार था कल का, की कब सुबह हो और समीर ऑफीस जाए..काव्या कॉलेज जाए..और वो विक्की से मिलने..

और ये बात विक्की भी नही जानता था की उसका जादू इस कदर रश्मि को फिर से उसके पास ले आएगा, वो भी अगले ही दिन.समीर और काव्या के जाते ही रश्मि पार्लर मे पहुँची और अपने शरीर के सारे अन्दरूनी बाल निकलवा दिए...वो ऐसे सज संवर रही थी मानो उसकी सुहागरात होने वाली हो..उसके मन मे आज वही रोमांच था जो उसकी पहली शादी के समय था..घर आते-आते 12 बज गये..उसने लंच किया और फिर झटपट तैयार होकर बाहर निकल गयी...भले ही वो जल्दबाज़ी मे तैयार हुई थी पर वो आज काफ़ी सेक्सी लग रही थी...वजह थी उसकी साड़ी का डिज़ाइन..शिफोन के कपड़े की हल्के गुलाबी रंग की साड़ी जो उसने नाभि से काफ़ी नीचे करके बाँधी थी और ब्लाउस का गला भी काफ़ी गहरा था..जिसमे उसके किलो-2 के मुम्मे संभाले नही संभल रहे थे.


उसने ड्राइवर को ले जाना सही नही समझा और मेन रोड से ऑटो करके अपने पुराने मोहल्ले की तरफ चल दी..अभी सिर्फ़ 4 ही बजे थे..आधा घंटा लगना था उसको वहाँ पहुँचने मे और विक्की का कॉलेज से आने का समय 5 बजे का था..

वो बाहर ही उतर गयी और धीरे-2 चलती हुई विक्की के घर के बाहर पहुँच गयी..वो उसी की गली का आख़िरी मकान था, उसके घर वो पहले कभी भी नही आई थी..पहली वजह थी विक्की का आवारापन और दूसरी था की उस घर मे कोई औरत नही थी...सिर्फ़ विक्की और उसका बाप ही रहते थे..उसका बाप भी हर वक़्त शराब के नशे मे डूबा रहता था..

रश्मि ने दरवाजा खड़काया..एक दो बार खड़काने के बाद दरवाजा खुल गया..विक्की का बाप पायज़ामे और बनियान मे बाहर निकला..उसकी बोझिल आँखे बता रही थी की वो या तो सोकर उठा है या फिर शराब पीकर..

उसके बाप का नाम था देवी लाल उमर करीब 48 के आसपास थी...बिल्कुल मरियल सा ...जैसे उसके अंदर की हवा निकाल दी गयी हो..और चेहरे पर हल्की सफेद दाढ़ी भी थी.

रश्मि : "जी ...नमस्ते ...वो विक्की से मिलना था..''

देवी लाल ने उसको उपर से नीचे तक ऐसे देखा जैसे उसको चोद ही देगा अपनी आँखो से...फिर वो बोला : "वो नही है.....''

इतना कहकर उसने बड़ी ही बेरूख़ी से दरवाजा बंद कर दिया..

बेचारी रश्मि को बड़ी बेइजत्ती महसूस हुई...वो आ तो गयी थी पर अब उसके अंदर जो विक्की से मिलने की ललक थी वो बड़ चुकी थी,इसलिए वापिस जाने का तो सवाल ही नही था..बाहर खड़ी रहकर वो उसका वेट नही करना चाहती थी,क्योंकि कोई भी उसको पहचान सकता था,आख़िर बरसों रही थी वो उस गली मे..

उसने निश्चय कर लिया की वो अंदर बैठकर विक्की का इंतजार करेगी..पर ये निर्णय कितना ख़तरनाक हो सकता था वो नही जानती थी..

उसने दरवाजा फिर से खड़काया.

देवी लाल फिर से बाहर निकला, वो अब थोड़ा गुस्से मे लग रहा था..वो कुछ बोलता, इससे पहले ही रश्मि ने बड़ा मासूम सा चेहरा बनाया और सेक्सी से अंदाज मे बोली : "जब तक विक्की नही आता, क्या मैं अंदर बैठकर उसका इंतजार कर सकती हू...''

देवी लाल ने कुछ देर सोचा फिर बोला : "आ जाओ अंदर...''

और वो पलटकर अंदर की तरफ चल दिया..

रश्मि धड़कते दिल से अंदर आ गयी..

देवी लाल : "दरवाजा बंद कर दो...''

उसकी रोबिली आवाज़ सुनकर एक पल के लिए तो वो सहम सी गयी...उसने दरवाजा बंद कर दिया और उसके पीछे-2 अंदर आ गयी.

अंदर काफ़ी घुटन सी थी...देवी लाल सीधा चलता हुआ अपने छोटे से कमरे मे पहुँचा, जहाँ एक बड़ा सा बिस्तर अस्त-व्यस्त था और पास ही एक टेबल था, जिसपर शराब की बोतल और ग्लास रखा हुआ था..

उसने ग्लास मे बची हुई शराब का एक घूँट लिया ..रश्मि का अंदाज़ा सही निकला, वो शराब ही पी रहा था..

रश्मि ने हकलाते हुए पूछा : "जी वो ....विक्की कब तक आएगा...''

देवी लाल : "इतनी क्यो मचल रही है विक्की से मिलने के लिए....चुदाई करवानी है क्या उससे...''

उसके मुँह से एकदम से ऐसी बेबाकी भारी बात सुनकर एक पल के लिए तो रश्मि सहम सी गयी...और अगले ही पल गुस्से से तमतमा उठी..पर वो कुछ बोलने ही वाली थी की देवी लाल अपनी जगह से उठा और उसकी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया...और अगले ही पल वो हुआ जिसकी उसने आशा भी नही की थी..

देवी लाल ने अपनी लूँगी खोल दी, उसने अंदर कुछ भी नही पहना हुआ था..उसकी मरियल से टाँगो के बीच लटका लंड देखकर रश्मि की आँखे फैल सी गयी..

वो इसलिए की एक तो उसने आशा भी नही की थी की विक्की का बाप इतनी बेशर्मी से एकदम से अपने कपड़े उतार कर उसे अपना लंड दिखाएगा...और लंड क्या वो तो एक घिया था..इतना मोटा और लंबा लंड तो उसने आज तक नही देखा था..और अभी तो वो बैठा हुआ था, जब खड़ा होगा तो कैसा लगेगा..उसका शरीर काँपने लगा..

देवी लाल : "तेरी चूत मे जो आग लगी है वो मैं भी बुझा सकता हू...विक्की का इंतजार करने से क्या होगा..चल इधर आ..मैं तुझे बताता हू की असली चुदाई किसे कहते हैं...''

पता नही क्या सम्मोहन था उसकी बातों मे...या ये कह लो उसके लंड मे की रश्मि अपनी पलकें झपकना भी भूल गयी...और मंत्रमुग्ध सी चलती हुई उसके पास तक पहुँची..

देवी लाल ने भी शायद नही सोचा था की इतनी आसानी से ये अंजान औरत उसके लंड को देखते ही उसके जाल में फँस जाएगी..

रश्मि चलती हुई आगे आ रही थी..उसके हाथ से उसका पर्स फिसलकर नीचे गिर गया...उसकी साड़ी का सिल्की पल्लू भी खिसककर नीचे आ गया...और वो अपनी बड़ी-2 छातियाँ आगे की तरफ निकाले देवी लाल के सामने पहुँच गयी..

उसके मुँह से एक तेज दुर्गंध आ रही थी शराब की...वैसे एक विशेष बात थी रश्मि के साथ..उसे शराब की महक बहुत पसंद थी...वैसे तो उसने आज तक शराब पी नही थी..और ना ही उसका पहला पति पीता था..पर समीर के मुँह से आती महंगी शराब की गंध उसको पागल सा कर देती थी..वो उसके होंठों को उस दिन ऐसे चूसती थी जैसे उसपर कोई शहद लगा हो...उसकी साँसों को अपने चेहरे पर महसूस करके वो खुद नशीली हो जाती थी..

और आज वही सब वो देवी लाल के सामने भी फील कर रही थी...भले ही उसकी शराब काफ़ी सस्ती थी और ज़्यादा दुर्गंध वाली थी पर उसका असर उसके उपर उतना ही हो रहा था जितना समीर की शराब का होता था..बल्कि आज ऐसी परिस्थिति मे तो वो नशा और भी ज़्यादा चढ़ रहा था उसके उपर....

देवी लाल ने उसका हाथ पकड़ा और सीधा अपने उठ रहे लंड के उपर रख दिया..रश्मि के शरीर के सारे तार झनझना उठे..देवी लाल की आँखों मे एक अजीब सी कशिश थी..उसके सूखे हुए होंठो से निकल रही शराब की दुर्गंध उसको पागल सा कर रही थी..शायद ये बात देवी लाल नही जानता था की उसको शराब की गंध पसंद है, वो सोच रहा था की इतनी सभ्य सी दिखने वाली औरत को शायद उसके मुँह से आ रही दुर्गंध पसंद नही आ रही हो और ऐसा ना हो की वो सूँघकर वो बिफर जाए और भाग जाए..और वो ऐसा हरगिज़ नही चाहता था, क्योंकि आज काफ़ी सालो के बाद उसके सामने इतनी सेक्सी औरत आई थी जिसकी वो चुदाई करने के बारे मे सोचने लगा था.

इसलिए देवी लाल अपना मुँह इधर उधर करते हुए अपनी साँस को उसके सामने निकालने से कतरा रहा था..और यही बात रश्मि को उत्तेजित कर रही थी..वो उसके मुँह से निकल रही गंध की दीवानी हो चुकी थी..वो ये भी भूल चुकी थी की वो वहाँ किसलिए आई है,और किसके लिए आई है..

वो उत्तेजित तो पहले से ही थी, देवी लाल ने तो बस अपना लंबा लंड दिखाकर उसकी अंदर की आग को और ज़्यादा भड़का दिया था और शराब ने तो उस उत्तेजना की आग पर घी का काम किया और वो अब बिफरने सी लगी थी..और इससे पहले की देवी लाल कुछ समझ पाता , उसने उसके मरियल से शरीर को अपनी बाहों मे भरा और उसके शराब से भीगे होंठों पर टूट पड़ी..और उन्हे ज़ोर-2 से चूसने लगी.

वो बेचारा देवी लाल ये सोचने की कोशिश कर रहा था की आख़िर उसके अंदर ऐसा क्या देख लिया इसने जो इस तरह से उसपर टूट पड़ी है..उसने तो ये सोचकर की उसके बेटे से मिलने आई ये औरत केरेक्टर की ढीली होगी, इसलिए ट्राइ करने की सोची थी और बेशरम होकर अपनी लूँगी भी खोल दी थी..

पर जब सामने वाली ही इतनी उत्तेजना से भरकर उसका साथ दे रही है तो वो क्यो पीछे हटे, उसने भी अपनी मरियल उंगलियों से उसके मोटे-2 स्तन दबाने शुरू कर दिए..

और अब तक उसका लंड पूरे आकार मे आ चुका था..जिसे रश्मि ने जैसे ही चुभता हुआ महसूस किया , वो उसे देखने लगी और वो नज़ारा देखकर उसका रही सही समझ भी जाती रही की वो किसके साथ क्या कर रही है..

वो झट से नीचे बैठ गयी और पलक झपकते ही उसके खंबे को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी..

देवी लाल के लिए ये नया था, आज तक उसके लंड को किसी ने नही चूसा था, वो सिसक उठा...अपने पंजों पर खड़ा होकर मचल उठा..उसके बालों को पकड़कर उसे धक्का देने लगा, क्योंकि रश्मि के दाँत उसके लंड पर चुभ रहे थे..पर वो भूखी शेरनी की तरह उसके लंड के माँस को नोचने मे लगी थी..ऐसी उत्तेजना का बुखार उसपर आज तक नही चड़ा था..अचानक रश्मि ने पास पड़ी बोतल को उठाया और उसे उल्टा करते हुए उसने देवी लाल के लंड पर शराब की कुछ बूंदे टपका दी...

ये काम वो काफ़ी समय से समीर के साथ भी करना चाहती थी..पर अपनी घरेलू औरत वाली इमेज के चलते वो कर नही पा रही थी...पर आज जैसे उसको सब कुछ करने की छूट सी मिल गयी थी..

देवी लाल उसकी हरकत देखकर एक ही पल मे समझ गया की असल मे माजरा क्या है, क्यो वो उसके शराब से तर होंठों को चूसने मे लगी थी..उसको शराब का नशा पसंद था..

लंड पर शराब की बूंदे फिसल कर उसकी बॉल्स तक आई और जैसे ही वो नीचे गिरने को हुई, रश्मि ने अपनी जीभ फैलाकर उसके टटटे चाट लिए...और वही नशीला स्वाद उसे अपने मुँह मे महसूस हुआ जो देवी लाल के मुँह से आ रहा था, ये भले ही रश्मि का पहला मौका था शराब चखने का, पर उसे ऐसा लग रहा था की वो बरसों से पीती आई है..

कुछ ही देर मे रश्मि ने उसके लंड और टट्टों को चाटकर चमका दिया..
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05-25-2019, 11:45 AM,
#32
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--30

अब आगे
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देवी लाल को ऐसा मज़ा आज से पहले कभी नही आया था..उसने बोतल अपने हाथ मे ली और कुछ और बूंदे टपका दी..उन्हे भी वो भूखी बिल्ली चट कर गयी...अब वो देवी लाल को ऐसे देख रही थी जैसे कुत्ता देखता है अपने मालिक को की कब वो रोटी का टुकड़ा उसके पास फेंके जिसे वो खा जाए..ऐसी ही चमक दिख रही थी रश्मि की प्यासी आँखों मे..

देवी लाल ने बोतल अपने मुँह से लगा ली...और एक तगड़ा सा घूंठ भरकर शराब को अपने मुँह मे इकट्ठा कर लिया..और फिर उसने रश्मि को इशारे से उठने के लिए कहा..वो समझ गयी की वो क्या चाहता है...वो वफ़ादार कुतिया की तरह उपर उठी और उसके चेहरे के बिल्कुल पास आ गयी..और अगले ही पल खुद ही अपने रसीले होंठों को उसके होंठों से लगाकर उसके मुँह मे इकट्ठी शराब को अपने अंदर ले लिया और एक ही घूंठ मे पी गयी..

रश्मि को ऐसा लगा की उसने अमृत पी लिया है...उसका शरीर हवा मे उड़ता हुआ महसूस हुआ उसको..नशे का एक झटका सा लगा उसके शरीर को...उसकी आँखे बोझिल सी होने लगी और वो लड़खड़ा सी गयी..

देवी लाल ने उसको अपनी बाहों मे लेकर संभाल लिया...दूसरे हाथ मे पकड़ी बोतल से उसने फिर से एक और घूंठ भरा..रश्मि फिर से चुंबक की तरह उसके चेहरे की तरफ खींचती चली गयी..पर इस बार देवी लाल ने कुछ और ही सोचा हुआ था..उसने रश्मि के ब्लाउस के हुक खोलने शुरू कर दिए..

रश्मि भी उन कपड़ों की घुटन से बाहर निकलना चाहती थी..आज़ाद परिंदे की तरह नंगी होकर नशे के बादलों मे उड़ना चाहती थी..उसने झट से अपने सारे हुक खोलकर अपना ब्लाउस निकाल फेंका और फिर अपनी ब्रा भी...

उसके कठोर मुम्मे देखकर एक पल के लिए तो देवी लाल का नशा भी काफूर सा हो गया..उसके होंठों के किनारों से शराब बहकर बाहर गिरने लगी..पर जो उसने सोचा था, वो करना भी ज़रूरी था..

वो अपने शराब से भरे होंठों के गुब्बारे उसके स्तनों पर लेकर गया और अपना मुँह ठीक उसके निप्पल्स के उपर खोलकर उसके मुम्मे को निगल गया..मुँह खुलते ही उसके अंदर भरी शराब रश्मि के सफेद पर्वत पर फैल गयी और उसकी जलन को महसूस करते ही रश्मि तड़प सी उठी..

देवी लाल ने अपना गीला मुँह दूसरे मुम्मे पर भी फेराया और वहाँ भी शराब को पूरी तरह से लगाकर उसके दोनो मुम्मों को पूरी तरह से शराबी कबाब बना दिया..

फिर आराम से वो एक-2 करते हुए उन्हे चाटने लगा..उसकी जीभ की हर चटाई से वो ज़ोर से सिसक उठती..उसके चेहरे को ज़ोर से अपने मुम्मे पर दबा देती...और ज़ोर -2 से चिल्लाती ...


''अहह......... ओह .....कितना मज़ा आ रहा है...............चाट ले इसको......चूस ले.....खा जा इन्हे.......नोच ले मेरे मुममे......आहह''

देवी लाल की हर बाईट से वो खूंखार सी होती चली जा रही थी...और साथ ही साथ शराब का नशा भी उसपर असर करने लगा था..एक अजीब सी खुमारी छा रही थी...उसका सिर हवा मे घूम रहा था..अब वो जल्द से जल्द उसके लंबे लंड को अपनी चूत मे लेना चाहती थी...

वो बिस्तर पर चादर की तरह बिछ गयी...अपनी साड़ी और ब्लाउस को घुटने से उपर उठा कर एक ही बार मे उसने अपनी चिकनी चूत देवी लाल के सामने परोस दी..और उसे अपनी टाँगों से पकड़कर अंदर की तरफ खींचने लगी..

देवी लाल भी पूरी तरह से मूड मे आ चुका था...आज तो उसने ऐसी चुदाई करनी थी की अपनी पिछले सालों की सारी कसर निकाल सके..

उसने शराब की बोतल उठाई और बची हुई शराब को अपने मुँह मे भरकर नीचे झुका और रश्मि उसपर ऐसे झपटी जैसे उसने कोई बोटी दिखा दी हो अपने पालतू जानवर को..और एक ही झटके मे उसके होंठ रश्मि के कब्ज़े मे थे..और देवी लाल का लंड उसकी चूत मे.


''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। ............... स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह''

रश्मि नशे मे थी, इसलिए वो महसूस नही कर पाई की इतना मोटा लंड उसकी चूत मे कैसे गया..अगर होश में होती तो पूरे मोहल्ले को अपने सिर पर उठा लेती..

एक लंबी स्मूच करने के बाद देवी लाल उपर उठा और उसके दोनो मुम्मों को पकड़कर अपनी पकड़ बनाई और अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा..जिसपर रश्मि की चूत का रस लग जाने की वजह से वो चमक रहा था

और जैसे ही धक्का देकर फिर से अंदर जाने लगा..बाहर का दरवाजा खड़का..और आवाज़ आई..

''बापू.......ओ......बापू...... आज फिर से पीकर सो गया है क्या..''

विक्की बाहर खड़ा होकर ज़ोर-2 से दरवाजा पीट रहा था.

देवी लाल ने घबराकर रश्मि की तरफ देखा..वो नशे की हालत मे जाकर बेहोश हो चुकी थी..

ये देखकर देवी लाल की फट कर हाथ मे आ गयी..उसकी समझ मे नही आ रहा था की क्या करे और क्या नही.

बाहर खड़ा विक्की लगातार दरवाजा पीट रहा था..देवी लाल की हालत खराब थी, उसका सारा नशा उतर चुका था, उसकी अपने बेटे से काफ़ी फटती थी, क्योंकि वही उसके लिए पैसों का इंतज़ाम करता था,खाने पीने का,दारू का..

अचानक देवी लाल को पिछले दरवाजे की याद आई,जो पीछे वाली तंग गली मे खुलता था..उसने जल्दी -2 रश्मि के सारे कपड़े ठीक किए और अपनी सारी शक्ति समेत कर किसी तरह से रश्मि को उठाया और पिछले दरवाजे से लेजाकर एक खड़ी हुई रेहड़ी के उपर लिटा दिया

फिर दरवाजा बंद करके वापिस अंदर आया और भागकर बाहर का दरवाजा खोला.

विक्की दनदनाता हुआ सा अंदर आ घुसा : "इतनी देर से बाहर खड़ा हू,क्या कर रहे थे आप,कितनी बार बोला है की दिन के समय ना तो पिया करो और ना ही सोया करो...''

फिर वो पैर पटकता हुआ अंदर आ गया, वो पूरी तरहासे भीग गया था..

देवी लाल ने बाहर निकल कर देखा तो काफ़ी तेज बारिश शुरू हो गयी थी..उसने तो ये देखा भी नही और रश्मि को उठा कर बाहर छोड़ आया था वो..पता नही क्या हाल हो रहा होगा उसका..

अगर वो होश मे आ गयी तो वापिस अंदर आ जाएगी..और फिर उसका क्या हश्र होगा ये तो वही जानता था..

उसने जल्दी से बहाना बनाया की अपने दोस्त के घर कुछ काम है और वो बाहर निकल आया..और अपने एक दोस्त के घर की तरफ निकल गया,जो वहाँ से काफ़ी दूर था.

दूसरी तरफ, अपने चेहरे पर गिरते पानी से एकदम से रश्मि को होश आ गया, उसने आस पास देखा और सोचने लगी की वो वहाँ कैसे आ गयी..उसके दिमाग़ मे एक पल मे ही सारा वाक़या गुजर गया, पर शराब पीने से वो कब लुड़क गयी ये उसको याद नही था..वो पूरी भीग चुकी थी...और सोचने लगी की वो वहाँ कैसे आई..

उसने गली से बाहर निकल कर देखा तो उसकी समझ मे आया की वो कहाँ है...आख़िर वो भी तो उसी मोहल्ले मे रही थी..

वो मुड़ कर वापिस विक्की के घर तक पहुँची,नशे की वजह से वो अभी भी लड़खड़ा रही थी पर आज वो किसी भी हालत मे विक्की से मिलना चाहती थी, चाहे उसके लिए उसके बाप से ही क्यो ना चूदना पड़े

उसने फिर से दरवाजा खड़काया...विक्की बाथरूम मे था और अपने गीले कपड़े उतार कर नहा रहा था..

वो झल्लाता हुआ सा टावल लपेट कर बाहर निकला और दरवाजा खोल दिया, उसने तो सोचा था की उसका बाप वापिस आ गया होगा..पर बाहर रश्मि को भीगा हुआ खड़ा देखकर उसकी आँखे आश्चर्य से फैल गयी..

रश्मि को भी समझ नही आया की इतनी जल्दी विक्की कैसे वापिस आ गया..और फिर उसकी समझ मे आया की वो क्यो पिछली गली मे पहुचा दी गयी थी..उसकी नज़रें देवी लाल को ढूढ़ने लगी..

विक्की : "अरे आंटी आप....इस समय...और वो भी मेरे घर...''

रश्मि (इधर उधर देखते हुए ) : "वो तुम्हारे पापा नही है क्या ..."

विक्की : "जी ...वो तो अभी शायद अपने दोस्त के घर गये हैं...दो घंटे मे ही आएँगे वहाँ से.....''

उसकी बात सुनकर जैसे उसने राहत की साँस ली और जल्दी से अंदर आ गयी..

विक्की हैरान सा खड़ा होकर उसे अंदर आते हुए देखता रहा...फिर उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया..टावल मे उसके लंड ने खड़े होकर बवाल मचाना शुरु कर दिया था ..रश्मि के मोटे-2 मुम्मे पानी मे भीगकर पानी भरे गुब्बारों की तरहा थिरक रहे थे..उसके दिमाग़ मे तो कल की बातें ही घूम रही थी..वो समझ गया था की वो वहाँ किसलिए आई है...उसके लंड से चुदने के लिए..पर वो भी पूरा कमीना था, वो जानता था की ये मछली तो उसके जाल मे पूरी फँस ही चुकी है, उसका असली निशाना तो उसके बेटी काव्या थी, जिसने उसकी कई बार बेइजत्ती की थी..वो चाहता तो रश्मि को अभी के अभी चोद कर मज़े ले सकता था, पर वो उसको अच्छी तरह तड़पाना चाहता था, ताकि वो खुद उसकी मदद करे काव्या को चोदने मे..पर वो बिदक ना जाए इसके लिए उसको ललचाना भी ज़रूरी था..और सही मौके पर ही उसे अपनी योजना को अंजाम देना था.

विक्की : "अरे आंटी, आप तो पूरी भीग गयी हैं....आप अंदर जाओ उस कमरे मे, वहाँ मेरी मों के कपड़े पड़े हैं कुछ, वो पहन लो..''

एक तो शराब का नशा, उपर से आधी चुदकर उसकी बुर भी जल रही थी...वो किसी भी तरह से आज विक्की का लंड लेना चाहती थी..वैसे भी चुदाई के लिए उसको कपड़े उतारने ही थे, वो अंदर गयी और अलमारी खोलकर देखने लगी..काफ़ी पुराने कपड़े थे वो, और छोटे भी थे..शायद उसकी माँ थोड़ी दुबली पतली सी थी..उसने एक पेटीकोट उठाया और अपने पूरे कपड़े उतारकर सिर्फ़ वही पहन लिया, उसने अपने मोटे-2 मुम्मे उस पेटीकोट के नीचे छुपा लिए ,नीचे से वो पेटीकोट उसकी जाँघो तक ही आ रहा था..और उसमे वो काफ़ी सेक्सी लग रही थी..वो जानती थी की उसको ऐसी हालत मे देखकर विक्की सब समझ जाएगा और उसपर टूट पड़ेगा..


एक भले घर की औरत एक रंडी जैसा बिहेव कर रही थी..पर इस वक़्त उसके दिमाग़ मे ये सब बाते नही आ रही थी, उसे तो बस चिंता थी अपनी दोनो टाँगो के बीच हो रही खुजली की.

वो धीरे-2 चलती हुई बाहर आई..विक्की वहीं खड़ा था अपने टॉवल मे..एक पल के लिए तो उसका भी ईमान डोल गया रश्मि को ऐसी हालत मे देखकर..उसके बदन से टपक रही पानी की बूंदे देखकर उसके मुँह मे भी पानी आ गया..वो जानता था की रश्मि उसको ललचा रही है..पर आज उसकी परीक्षा की घड़ी थी..उसे किसी भी तरह से अपने आप पर कंट्रोल रखना था..

रश्मि : "वो सब कपड़े तो छोटे लग रहे थे...इसलिए यही पहन लिया बस...''

विक्की : "अच्छी ...लग रही हो आप इसमे भी...''

उसकी नज़रें रश्मि के मुम्मों के उपर लगे किशमिश के दानों पर टिकी थी, जो गीले कपड़े से झाँककर चमक रहे थे.

फिर रश्मि बोली : "मैं तो तुम्हारा थेंक्स करने के लिए आई थी....कल तो सही से बोल भी सकी,तुमने जिस तरह से कल मेरी इज़्ज़त बचाई.....मैं तुम्हारी काफ़ी एहसानमंद हू....थेंक्स ..''

विक्की कुछ नही बोला, वो सुनता रहा..

कुछ देर बाद रश्मि बोली : "तुमने तो बोला था की मुझे फोन करोगे...पर तुम्हारा फोन आया ही नही, इसलिए मैं खुद आ गयी..''

वो बचकानी सी बातें कर रही थी, जिसका विक्की पूरी तरह से स्वाद ले रहा था..वो मुस्कुरा रहा था.

विक्की : "मैं घर आकर आप ही को फोन करने वाला था...अच्छा हुआ आप आ ही गयी यहाँ..लेकिन थेंक्स बोलने का आपका तरीका कल तो कुछ और था..आज इतनी दूर से खड़े होकर क्यो थेंक्स बोल रही है..''

उसकी बात सुनते ही रश्मि के पूरे शरीर मे झुरजुरी फैल गयी...वो समझ गयी की विक्की क्या कहना चाहता है..और वैसे भी, वो खुद भी तो यही चाहती थी..

वो धड़कते दिल के साथ आगे आई और विक्की के बिल्कुल करीब पहुँचकर उसने उसकी तरफ देखा..और फिर एकदम से उसपर झपटकर उसके चेहरे को अपने हाथों मे दबोच कर उसके होंठों को किसी पिशाचिनी की तरह चूसने लगी..उसकी फुटबॉल जैसी छातियाँ विक्की के चौड़े सीने से पीसकर पिचक कर रह गयी..विक्की ने भी अपने दाँतों और होंठों को काम पर लगा दिया और रश्मि के योवन से भरे होंठों का शहद इकट्ठा करने लगा.

उसके मुँह से आ रही शराब की महक सूँघकर विक्की समझ गया की वो पीकर आई है...पर ये सोचकर वो कुछ नही बोला की शायद ये उसका रोज का काम होगा...उँचे लोगो की उँची बातें....
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05-25-2019, 11:45 AM,
#33
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--31

अब आगे
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दोनो एक दूसरे को ऐसे चूम चाट रहे थे जैसे आजकल के प्रेमी प्रेमिका हो..हालाँकि दोनो की उम्र मे काफ़ी अंतर था, पर विक्की को उसको चूमते हुए एक पल के लिए भी ऐसा नही लगा की वो किसी आंटी को चूम रहा है, इतना जोश और उत्तेजना तो आजकल की लड़कियों मे होती ही नही है...उसकी चुदाई करने मे सच मे उसको बहुत मज़ा आने वाला था.

रश्मि के हाथ सीधा उसके टावल पर जा पहुँचे और उसने एक ही झटके मे उसे उतार फेंका और अब विक्की उसकी नज़रों के सामने पूरा नंगा खड़ा था..अपने खड़े हुए लंड को लिए...जो उसकी उम्मीदों के अनुसार काफ़ी लंबा और मोटा था..

रश्मि एक दम से उसके सामने बैठ गयी और उसके भुट्टे जैसे लंड को पकड़ कर प्यासी नज़रों से देखने लगी...और जैसे ही वो अपना मुँह खोलकर उसको निगलने लगी, विक्की ने कुछ ऐसा बोल दिया की उसकी झाँटे सुलग उठी..

विक्की : "आंटी....काव्या कैसी है....मुझे याद करती है या नही..''

उसकी ये बात सुनकर रश्मि यथार्थ के धरातल पर आ गिरी...उसे तो याद भी नही रहा था की वो उसकी बेटी का बॉयफ्रेंड है...और उसको अपनी बेटी से दूर रहने की हिदायत देने के लिए ही वो उसके पास आई थी कल...पर कल और आज के बीच जो कुछ भी हुआ था, उसके बाद तो रश्मि के दिमाग़ से ये बात निकल ही चुकी थी की विक्की तो उसकी बेटी के पीछे पड़ा है....कब और कैसे वो खुद विक्की के जाल मे फँस कर उसके लंड की दीवानी हो गयी थी ये वो खुद भी नही जानती थी..

उसके हाथ मे विक्की का लंड था...पूरा खड़ा हुआ...और उसकी चूत बुरी तरह से गीली होकर बह रही थी...ऐसी हालत मे विक्की ने ये बात बोलकर उसको एहसास करवाया था की वो असल मे है कौन...और किसलिए वहाँ आई है...

पर अपनी चूत की हालत वो अच्छी तरह से जानती थी..उसके अंदर उठ रही खुजली के आगे उसको अपनी बेटी और उसका बॉयफ्रेंड नही बल्कि अपनी चूत की खुजली मिटाने वाला एक मोटा लंड ही दिखाई दे रहा था...उसने बिना कुछ कहे उसके लंड को एक ही झटके मे अपने मुँह के अंदर डाल लिया...और ज़ोर-2 से चूसने लगी..

विक्की को मज़ा तो बहुत आया, पर उससे भी ज़्यादा मज़ा वो रश्मि को लज्जित करके लेना चाहता था..वो फिर से बोला : "काव्या भी ऐसे ही चूसती है मेरा लंड .....''

उसकी ये बात तो रश्मि को दिल के अंदर तक चुभ गयी...

पर उसको ये बात एक माँ की तरह नही बल्कि एक प्रेमिका की तरह चुबी....एक ही दिन मे वो तो विक्की पर खुद का कब्जा समझ बैठी थी...पर ऐसी हालत मे आकर भी विक्की उसके सामने उसकी बेटी का नाम ले रहा है, उसकी तारीफ कर रहा है, ये उसको बिल्कुल भी पसंद नही आया..वो जलन के मारे गुस्से मे भर गयी और एकदम से उठकर उसने अपने शरीर पर पहने पेटीकोत को उतार फेंका और विक्की के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी..


और पूरे गुस्से मे भरकर वो विक्की से बोली : "तू अपने आप को ज़्यादा चालू समझ रहा है...मैं अपनी जवानी खुद तेरे सामने लेकर खड़ी हू और तू काव्या को बीच मे ला रहा है...वो तो बच्ची है अभी...देख, इसे कहते हैं असली जवानी...ये देख, मेरी ब्रेस्ट, कभी देखी है तूने इतनी बड़ी छातियाँ,कभी चूसा है तूने ऐसे बूब्स को...और ये देख..मेरी चूत ....अभी भी दो उंगलियाँ एक साथ अंदर जाने मे दर्द होता है...तेरा लंड जब इसमे जाएगा तो सोच कितना मज़ा मिलेगा तुझे, और तू है की काव्या की बातें कर रहा है अभी तक...''

रश्मि तो शराब और ईर्ष्या के नशे मे आकर अपने आप को पूरी तरह से खोलकर खड़ी हो गयी थी विक्की के सामने, और अपने शरीर के हर अंग की तारीफ खुद ही करके वो अपनी बेटी के मुक़ाबले ज़्यादा अंक लेने की कोशिश कर रही थी विक्की से..

और वो ठीक भी था, वो जो कुछ भी कह रही थी,विक्की उसकी बात से पूरी तरह से सहमत भी था..काव्या तो उसके भरे शरीर के सामने आधी भी नही थी...उसके छोटे-2 नींबू और रश्मि के मोटे-2 रसीले खरबूजे, काव्या का पतला सा पेट और रश्मि का गूदे से भरा हुआ , काव्या की पतली सी कमर, और रश्मि की कमर पर जो कटाव था उसका तो कोई मुकाबला ही नही था, और तो और काव्या की चौड़ी गांद भी उसकी माँ की गुदाज गांद के सामने कुछ भी नही थी...

विक्की से भी रहा नही गया, उसने अपने हाथ आगे किए और रश्मि के मोटे-2 मुम्मे अपनी उंगलियों से दबाने लगा...वो सच ही कह रही थी, ऐसी छातियाँ तो उसने आज तक नही पकड़ी थी.



पर एक बात थी जो रश्मि को काव्या से अलग करती थी...वो थी काव्या की कुँवारी चूत ...

चूत एक ऐसी चीज़ होती है जो एक बार चुद जाए तो उसमे वो बात नही रहती जो कुँवारी मे होती है...दुनिया की कोई भी ताक़त उसको पहले जैसा नही कर सकती..

पर इस वक़्त तो रश्मि को अपना ही पलड़ा भारी लग रहा था...क्योंकि उसकी बात सुनकर विक्की का लंड बुरी तरह से फुफ्कार रहा था...कारण था उसका उफान मार रहा यौवन जो अब विक्की की भूखी नज़रों के सामने पूरा नंगा था.

पर फिर भी विक्की अपनी तरफ से कोई पहल नही कर रहा था, वरना ऐसी हालत मे देखकर कोई भी इंसान अपने आप पर सब्र नही रख सकता..वो समझ गयी की ये आजकल के जवान लड़के-लड़कियों पर जो सच्चे प्यार का भूत सवार होता है, वही इस वक़्त विक्की के सर पर भी सवार है...और शायद इसलिए वो अपनी प्रेमिका की माँ के साथ कुछ भी करने से कतरा रहा है..उसने ऐसी सीचुएशन को दूसरी तरह से निपटने की सोची..

रश्मि धीरे से आगे आई और विक्की के गले से लिपट गयी...और उसके हाथों को पकड़ कर उसने अपनी कमर पर रख दिया..

रश्मि : "मैं जानती हूँ की तुम मेरी बेटी से प्यार करते हो...और जो कुछ भी मैं कर रही हू वो सही नही है..पर मेरा यकीन मानो, ये जो कुछ भी हम कर रहे हैं, इसका काव्या या किसी और को कुछ भी पता नही चलेगा...''

विक्की भी उसकी चालाकी भरी बात सुनकर दंग रह गया, वो सोच भी नही सकता था की ऐसी मासूम सी दिखने वाली औरत अपनी चुदाई के लिए इतनी गिर सकती है की अपनी ही बेटी के प्रेमी से चुदने के लिए तैयार हो गयी और उपर से वो बात छुपाने के लिए भी कह रही है...भले ही वो उसकी बेटी का असली प्रेमी नही है, पर अगर होता भी तो ऐसे लुभावने ऑफर से कोई भी बच कर नही निकल सकता था..

पर विक्की का शातिर दिमाग़ भी अपनी चाल चल रहा था.

विक्की : "मैं समझता हू आंटी...पर आप भी समझने की कोशिश करिए...मैने काव्या को वचन दिया है...वही मेरी जिंदगी की पहली लड़की होगी , जिसके साथ मैं फकिंग करूँगा...आप फकिंग के अलावा मेरे साथ कुछ भी कर सकती है, मुझे कोई प्राब्लम नही है...पर इस काम के लिए आपको तब तक वेट करना होगा , जब तक मैं उसकी सील नही तोड़ देता..और अपनी वर्जीनीटी भी मैं उसके साथ नही गँवा देता...''

उसकी सपाट सी बात सुनकर रश्मि दंग रह गयी, वो कितनी आसानी से उसकी ही बेटी को चोदने की बात कर रहा था उसके सामने...और वो किसी भी तरह का गुस्सा भी नही कर सकती थी...अभी तक की बातों से वो इतना तो जान ही गयी थी की दोनो के बीच शारीरिक संबंध ज़रूर है, पर उन्होने चुदाई अभी तक नही की है...ये सोचकर ही रश्मि को काफ़ी सकून सा मिला..

पर उसी पल मे रश्मि अपनी बेटी के ना चुदने से मायूस भी हो गयी, काश वो अब तक चुद चुकी होती विक्की से, तो आज वो भी विक्की के लंड को अपनी चूत मे पिलवा रही होती..

एक ही पल मे उसके मन मे हज़ारों तरह के विचार आ रहे थे..जिन्हे पड़ने की कोशिश विक्की कर रहा था, पर उसकी समझ मे कुछ भी नही आ रहा था..

रश्मि तो अपना पूरा मूड बना चुकी थी विक्की के लंड को अंदर लेने का, वो बोली : "तो...तुम दोनो....कब ...वो सब करने वाले हो.....''

यानी वो विक्की से पूछना चाह रही थी की कब वो उसकी बेटी की चुदाई करेगा, ताकि बाद मे वो उसकी भी मार सके...

विक्की : "अभी तक तो मैने उसको सही से प्रोपोस भी नही किया....इसलिए तो उससे मिलने के लिए मैने उसको लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को...''

ये बात उसने उसी बात को सुनकर कही थी जो रश्मि ने आते ही उससे पूछी थी, वरना उसको क्या पता था की काव्या ने ऐसा झूठ क्यो बोला है, उससे मिलने का, लवर पॉइंट पर,संडे को..

रश्मि : "लेकिन वहाँ तो कुछ भी नही हो पाएगा तुम दोनो के बीच...''

फिर कुछ देर सोचने के बाद वो बोली : "तुम एक काम करो, सैटरडे को मेरे घर आ जाओ, मेरे पति तो ऑफीस जाते हैं, पर काव्या की छुट्टी होती है, तुम उससे वहीं मिल लेना...उसके बेडरूम मे...''

इतना कहकर वो नज़रें झुका कर बैठ गयी....शायद आगे की बात बोलने की हिम्मत नही थी उसमे...वो खुद अपनी बेटी की चुदाई का इंतज़ाम जो कर रही थी..

विक्की : "अरे वाव आंटी....ये तो बहुत बढ़िया तरीका है...ठीक है...मैं आ जाऊंगा ..''

पर अभी के लिए तो रश्मि कुछ ना कुछ करना ही चाहती थी...भागते भूत की लंगोटी ही सही...ये सोचकर वो फिर से विक्की से लिपट गयी और उसको ज़ोर-2 से चूमने लगी...जैसे उसकी ज़िदगी की सबसे बड़ी प्रॉब्लम दूर कर दी हो उसने.

विक्की ने बोलना चाहा : "पर आंटी...मैने बोला ना....ये सब...''

रश्मि ने बीच मे ही उसकी बात काट दी : "वो सब नही..पर कुछ और तो कर ही सकते है ना...''

रश्मि उसके सामने बैठ गयी और बोली : "प्लीज , मुझे ये सक करने दो ''



विक्की की समझ से परे थी ये औरत...वो अपनी चुदाई के लिए हर हद पार कर देना चाहती थी..

पर अभी के मज़े लेने मे उसको भी कोई प्राब्लम नही थी..वो अपने मोटे-2 मुम्मों को अपने ही हाथों से पिचकाती हुई उसके लंड को चूस रही थी...


अपनी थूक से उसने विक्की के लंड को पूरी तरह से नहला दिया..फिर उसे अपने मुम्मो के बीच लेकर उसको टिट मसाज देने लगी...विक्की ने उपर उठकर उसके होंठों को चूम लिया...और फिर उसके सेक्सी से चेहरे को देखते हुए उसने खुद ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया...वो उसकी टाँगो के बीच बैठी थी...प्यासी सी...सेक्स मे नहाई हुई सी...
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05-25-2019, 11:45 AM,
#34
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--32

अब आगे
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और अचानक उसके लरजते हुए होंठों को देखते हुए विक्की के लंड से रसमलाई निकल कर उसके चेहरे पर गिरने लगी...



और देखते ही देखते उसने रश्मि के पूरे चेहरे पर बर्फ़बारी करके उसको सफेद चादर से ढक दिया..बाकी की बची हुई मलाई उसने खुद ही चूस-चूस्कर खा ली.




रश्मि की प्यास अभी भी नही बुझी थी...और विक्की ने उसे बुझाने के लिए कोई और जतन भी नही किया...आख़िर थकी हुई सी रश्मि की समझ मे ये बात आ ही गयी की वो अपनी बात पर अडिग है, और फिर उसने बाथरूम मे जाकर अपने आप को साफ़ किया...उसके कपड़े हल्के से गीले थे, पर फिर भी उसने उन्हे पहना और तैयार हो गयी.

विक्की ने भी कपड़े पहन लिए थे...और फिर बाहर जाती हुई रश्मि एकदम से रुकी और बोली : "आज तो मैने तेरी बात का मान रख लिया है...पर तेरा काम पूरा हो जाने के बाद मैं तुझे नही छोड़ूँगी...तुझे मेरी प्यास बुझानी ही पड़ेगी...सैटरडे को 1 बजे तक आ जाना मेरे घर..''

इतना कहकर वो बाहर निकल गयी..

और विक्की अपनी किस्मत पर खुश होकर आने वेल सैटरडे के सपने देखने लगा.

घर पहुँचकर रश्मि काफ़ी खुश थी....आज पूरे दिन के बारे मे सोचकर वो मुस्कुराए ही जा रही थी..उसने तो सोचा भी नही था की वो ऐसी बन जाएगी...अभी कुछ समय पहले ही तो उसकी शादी हुई है..इतने सालो से दबी हुई वासना अब भयानक रूप लेकर बाहर निकल रही है, शायद इसलिए उसकी प्यास सिर्फ़ अपने नये पति से नही बुझ रही है..वो खुद नही जानती थी की वो ऐसा क्यो बिहेव कर रही है..उसका तन और मन अब उसके दिमाग़ की नही सुन रहे थे ,वो अपनी जिंदगी के हर मज़े लेना चाहती थी, वैसे मज़ा तो उसको विक्की के बाप के साथ भी आया था, पर वो बुड्ढा भी सही से और समय की कमी की वजह से कुछ नही कर पाया वरना आज उसके पास भी सुनहरा अवसर था उसकी चूत मारने का.

दूसरों से चुदाई करवाने का विचार आते ही उसके मन मे एकदम से हज़ारों ओप्शन्स आने लगे...की वो अगर खुलकर चुदाई करवाना चाहे तो बिना किसी डर के किस-किससे चुदवा सकती है..

अपनी बेटी के बाय्फ्रेंड से तो वो चुदवाने को तैयार हो ही चुकी थी ..अपने पति के दोस्त लोकेश से करे तो वो भी मना नही करेगा...उसकी भूखी नज़रों को वो अच्छी तरह से समझती थी..और उसने तो उसको और समीर को नंगा भी देखा था, हनिमून पर..और कौन हो सकता है...उसके घर के नौकर...ड्राइवर...

या फिर दोनों का एक साथ लेने में भी कितना मजा आएगा

और ये ख़याल आते ही उसके जहन में दृश्य उभर आया जिसमें वो दो लंडो से पिलवा है


और ये सब सोचते-2 उसकी चूत एकदम से गीली होकर रिसने लगी...वो अपनी सोच पर खुद ही मुस्कुरा दी..ऐसा अगर सच मे हो गया तो वो दुनिया की सबसे बड़ी रांड बन जाएगी..

''क्या बात है माँ , अकेले बैठी हुई मुस्कुरा रही हो...'' काव्या ने अंदर आते हुए कहा..शायद उसने रश्मि को अकेले मे हंसते हुए देख लिया था...पर उसको अगर पता चल जाता की वो क्यो हंस रही है तो वो बेचारी भी हैरान रह जाती..

रश्मि ने सकपकाते हुए कहा : "अरे...कुछ भी तो नही..बस ऐसे ही कुछ याद आ गया..''

काव्या : "क्या माँ ...क्या याद आ गया...'' वो भी आज काफ़ी लाड वाले मूड मे थी..वो पालती मारकर वहीं रश्मि के पास बैठ गयी.

रश्मि ने कुछ सोचा , फिर बोली : "अपने स्कूल टाइम की बात याद आ गयी...एक लड़के के बारे मे सोच रही थी...''

काव्या की आँखे चमक उठी ये बात सुनकर , वो चहकति हुई बोली : "वाव मॉम , आप भी...मतलब आपके जमाने मे भी ये सब होता था..गर्लफ्रेंड, बाय्फ्रेंड एंड ऑल देट ...''

रश्मि (शर्म से लाल होते हुए) : "और नही तो क्या, तू क्या समझती है, तेरा बाय्फ्रेंड हो सकता है तो मेरा नही हो सकता क्या...मैं तेरे और तेरे उस फ्रेंड विक्की के बारे मे ही सोच रही थी..जब तूने उसके बारे मे बताया था , तब तो मुझे काफ़ी गुस्सा आया था, पर जब मैने सोचा की उस उम्र मे मैने भी तो ये सब किया है, तो मुझे तेरी सब बातें सही लगी..''

रश्मि बोले जा रही थी और उसकी बातें सुनकर काव्या के चेहरे के रंग बदल रहे थे...उसने अपना माथा पीट लिया, उसकी मनघड़त बातों को उसकी माँ ने सच समझ लिया था, वो तो उस विक्की से कितनी नफ़रत करती है, और वैसे भी उसने उसके और अपने चक्कर की बात तो किसी और मकसद से कही थी, जो अब पूरा हो चुका था, फिर ये माँ क्यो उसकी बात कर रही है.

रश्मि कहती रही : "तू ऐसा मत समझना बेटी की मैं या तेरे पापा तुझे समझते नही हैं, वो क्या है ना की तू अब जवान हो गयी है, ये सब सोच समझकर करना चाहिए...कौन कैसा है ,ये आजकल किसी के चेहरे पर नही लिखा रहता..''

काव्या अपनी माँ का बोर सा भाषण सुनती जा रही थी.

रश्मि : "मुझे उस लड़के के बारे मे ज़्यादा पता तो नही था, इसलिए मैं उससे मिलने गयी थी...''

रश्मि की ये बात सुनकर काव्या के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी..वो समझ गयी की उसका झूट पकड़ा जा चुका है...

पर रश्मि की अगली बात सुनकर वो हैरान रह गयी

रश्मि : "वो लड़का मुझे भी पसंद आया...ये उम्र अभी शादी की तो नही है तुम्हारी, पर प्यार भी एक हद तक करना चाहिए...तू समझ रही है ना मेरा मतलब...और मुझे उसके और तेरे मिलने से कोई ऐतराज नही है...वो भी तेरी काफ़ी तारीफ कर रहा था...और तुझसे प्यार भी काफ़ी करता है...''

काव्या की समझ मे नही आ रहा था की ये नया एंगल कहाँ से आ गया एकदम से ...उसने तो झूट बोला था अपने और विक्की के बारे में...फिर ये विक्की कैसे वही बात दोहरा रहा है उन दोनो के बारे मे...ओह्ह्ह्ह ....अब समझी...ये साला विक्की तो पहले से ही हरामी है, मेरी माँ के मुँह से सारी बातें सुनकर उसने भी बहते पानी मे हाथ धोने की सोची होगी...साला एक नंबर का हरामी है ये तो...उसने वो बात उसकी माँ को पता नही चलने दी, ताकि वो मुझसे सच मे मज़े ले सके...वो समझता क्या है अपने आप को, साला गली का कीड़ा...एक नंबर का हरामी, साला कुत्ता...

वो मन ही मन विक्की को कोस रही थी और उसको गालियाँ दे रही थी..

पर वो अपनी माँ को कैसे समझाती की ये सब झूट है, वो खुद अब ये बात बोलकर अपनी माँ और अपने प्यारे पापा समीर के सामने शर्मिंदा नही होना चाहती थी...

उसने सोच लिया की वो जल्द से जल्द विक्की से बात करेगी और सारी बातें साफ़ कर लेगी..

उसकी एक सहेली अभी भी वहीं रहती थी, और वो विक्की को अच्छी तरह से जानती थी, उससे विक्की का नंबर लेकर बात करनी पड़ेगी..

वो ये सोच ही रही थी की उसकी माँ ने एक और बोम्ब फेंक दिया उसके सिर पर.

रश्मि : "वैसे तो विक्की ने तुझे फोन करके बता ही दिया होगा, मैने उसको सेटरडे को यहाँ अपने घर बुलाया है...वो एक बजे तक आएगा...''

अब तो काव्या का सिर बुरी तरह से घूमने लगा..

काव्या : "वो ...वो ...क्यू मॉम ...''

रश्मि : "बेटी, तू मुझे अपनी दुश्मन मत समझ, दोस्त हू मैं तेरी...तू मेरी पीठ पीछे कुछ करेगी,वो तेरी नज़रों मे ग़लत होगा, और उसको छुपाने के लिए तू मुझसे झूट बोलेगी, जो मैं नही चाहती, इसलिए तू खुलकर उससे मिल, यहीं अपने घर पर,चाहे तो अपने रूम मे भी ले जा उसको...पर मैं ये चाहती हू की तू इन सबकी वजह से ये मत सोचे की मैं तुझे प्यार नही करती या मैं तेरे प्यार को समझती नही..''

काव्या समझ गयी की वो तो आदर्श माँ बन रही है उसके सामने...अगर सच मे उसका विक्की के साथ कोई चक्कर होता तो आज ये बात सुनकर वो फूली ना समाती, पर वो अच्छी तरह से जानती थी की उसकी माँ ने ये सब करके कितनी बड़ी ग़लती की है..

पर जो भी है, वो अपनी माँ को ये बात हरगिज़ नही बता सकती थी की असल मे बात क्या है...और कहती भी किस मुँह से...उस दिन तो बड़ी शेखी बघारते हुए उसने विक्की का नाम ले लिया था..और संडे को उसके साथ लवर पॉइंट पर मिलने का प्रोग्राम भी बना लिया था...पर उसकी माँ ऐसे सीधा विक्की के पास पहुँच जाएगी इस बात का अंदाज़ा बिल्कुल भी नही था उसको...वो मन ही मन उस पल को कोस रही थी जब उसने विक्की का नाम लिया था.

पर अब तो कुछ हो ही नही सकता था..उसको जल्द से जल्द विक्की को फोन करना होगा..

वो अपनी माँ को बिना कुछ कहे अपने कमरे मे भाग गयी..

रश्मि ने समझा की शायद ये बात सुनकर शर्मा गयी है और खुशी के मारे विक्की से बात करने भाग गयी है..

वो फिर से मुस्कुराते हुए अपने काम मे लग गयी.

काव्या ने जल्दी से जाकर अपनी सहेली को फोन किया और उससे विक्की का नंबर निकलवाया और एक मिनट मे ही सीधा उसे फोन मिला दिया.

दो बेल के बाद विक्की ने फोन उठाया

विक्की : "हेलो....कौन...''

काव्या ने धड़कते दिल से कह : "मैं काव्या बोल रही हू...''

विक्की : "ओहो....काव्या मेरी जान.....क्या बात है...आज मेरी याद कैसे आ गयी..''

काव्या (गुस्से मे) : "तुम अच्छी तरह से जानते हो की मैने किसलिए फोन किया है...''

विक्की : "नही मुझे नही पता, तू बोल ना मेरी चंपा,किसलिए फोन किया है....''

वो मज़े लेने के मूड मे आ चुका था..

उसकी बात सुनकर काव्या झल्ला गयी : "सुन विक्की....तू किसी ग़लतफहमी मे मत रहना...मेरी माँ ने चाहे कुछ भी कहा हो तुझसे..मुझपर तेरी किसी बात का कोई फ़र्क नही पड़ता..''

विक्की : "मैं भी कौन सा तेरे लिए मरा जा रहा हू, तेरी माँ खुद ही आई थी मेरे पास...सोच ,मैं अगर सच बोल देता तो तेरी क्या हालत होती तेरे घर मे...तेरे नये बाप के सामने क्या इज़्ज़त रह जाती तेरी...''

विक्की ने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया था...वो समझ गयी की जिस बात से वो डर रही थी , विक्की भी उसी बात का फायदा उठाना चाहता है...

वो थोड़ा नर्म होती हुई बोली : "तुम आख़िर चाहते क्या हो...''

विक्की के कान तो जैसे ये शब्द सुनने के लिए तरस रहे थे..

वो बोला : "ये तो मैं तुम्हे सेटरडे आकर ही बताऊंगा ...''

और इतना कहते हुए उसने फोन रख दिया.

काव्या का मन किया की वो रो पड़े.....ये सारी मुसीबत उसने खुद ही खड़ी की थी.

और अब इसका समाधान भी उसको खुद ही ढूँढना पड़ेगा.

वो जल्दी से तैयार होकर श्वेता के घर की तरफ चल दी, क्योंकि ऐसी मुसीबत मे वही उसकी कोई मदद कर सकती थी.

''आहहssssssssssssss ......... चोदो मुझे ................... येस्स्स्स्स्स्स ...........................ऐसे ही ...................... फाड़ दो मेरी चूत ..............''

श्वेता के घर के अंदर घुसते ही काव्या को ये सब सुनाई दिया...उसने तो ये सोचा भी नही था की श्वेता ऐसे दरवाजा खुला छोड़कर चुदाई करवा रही होगी..ऐसी लापरवाही की उम्मीद नही थी उसको.

पर श्वेता की लगातार चीखों ने उसके दिल की धड़कनो को ज़रूर तेज कर दिया था..

उसने दरवाजा धीरे से बंद किया और अपने पंजो पर चलती हुई उपर की तरफ चल दी, श्वेता के बेडरूम की तरफ, जहाँ से आवाज़ें आ रही थी.

और उसकी लापरवाही की और भी हद देखी उपर जाकर उसने, वो और उसका भाई नितिन पूरा दरवाजा खोल कर चुदाई कर रहे थे..

चुदाई का ऐसा सीन काव्या ने ब्लू फ़िल्मो मे भी नही देखा था.

नितिन और श्वेता बुरी तरह से बेड पर लगे हुए थे...श्वेता ने तो अपने कपड़े भी नहीं उतारे थे पूरी तरह से, उसकी शमीज़ अभी तक उसके जिस्म पर थी, और नितिन ने उसको घोड़ी बनाकर उसकी चूत मे पीछे से लंड पेला हुआ था, और उसकी कमर पकड़कर ज़ोर से धक्के मार रहा था.

दरवाजा पूरा खुला हुआ था, पर दोनों का चेहरा दूसरी तरफ था, पर वो लोग थोड़ा भी पलट कर देखते तो उन्हे काव्या साफ़ दिख जाती, काव्या भी उनकी चुदाई पूरी देखना चाहती थी, इसलिए उसने छुपकर वो सब देखने का विचार बनाया..क्योंकि उन्हे देखकर वो गर्म तो हो ही चुकी थी, ऐसे मे उन्हे डिस्टर्ब करके वो उनका और अपना मज़ा खराब नही करना चाहती थी.

वो जल्दी से सामने बने नितिन के बेडरूम के अंदर घुस गयी और उसने थोड़ा सा दरवाजा खुला रहने दिया, जिसमे से वो सामने के कमरे मे चल रही चुदाई का पूरा आनंद उठा सकती थी.

और ये सब करते हुए वो ये भी भूल चुकी थी की वो वहाँ करने क्या आई है, अपनी मुसीबत का समाधान करने के बजाए वो श्वेता और उसके भाई नितिन की चुदाई मे मगन हो गयी..

दोस्तो, तभी तो कहते है की सेक्स सभी दिमागी परेशानियो को दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है...सेक्स करते हुए इंसान कुछ देर के लिए बाहरी दुनिया को भूल जाता है..और इस वक़्त श्वेता और नितिन बाहरी दुनिया को भूलकर जंगलियो वाली चुदाई कर रहे थे,जिन्हे शायद ये भी पता नही था की उन्होने नीचे का मेन गेट खुला छोड़ दिया है, जिसमे से काव्या अंदर आकर उनका सारा कार्यकर्म देख रही है...और वो भी अपनी परेशानियो से कुछ पल के लिए दूर होकर और उत्तेजित होकर उनकी लाईव ब्लू फिल्म देख रही थी.

काव्या ने गौर किया की श्वेता और नितिन एंगल बदल -2 कर सेक्स कर रहे हैं...कुछ देर तक अपने भाई की घोड़ी बने रहने के बाद वो जल्दी से नीचे उतरी और उसने नितिन को ज़मीन पर लिटा दिया...और उसके पैरों की दिशा मे मुँह करके उसके लंड को चूत के ज़रिए अंदर निगल गयी..


नितिन भी पागलो की तरह नीचे से धक्के मारता हुआ उसके मुम्मे मसल रहा था...उसने उसकी शमीज़ फाड़ डाली,जिसकी वजह से श्वेता के दोनो कबूतर आज़ाद होकर हवा मे उछलते हुए फड़फड़ाने लगे...ऐसा लग रहा था की दोनो मुम्मे आपस मे टकराकर चूर-2 हो जाएँगे..पर श्वेता की लचीली छातियाँ बड़ी ही नज़ाकत के साथ एक दूसरे से टकराती और फिर अलग हो जाती ...फिर नितिन उन्हे पकड़कर मसलता और नीचे से अपने लंड से उसकी चूत मे हवा भरता...
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05-25-2019, 11:45 AM,
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RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--33

अब आगे
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''ओह नितिन ................... मेरे भाई ..................... उम्म्म्ममममममममम ...कितना अंदर तक जा रहा है तेरा पेनिस इस एंगल मे.....अहह ...ऐसे ही करते रहो ...... ज़ोर से चोदो मुझे .....मारो अपनी श्वेता की चूत ....अहह ...चोदो अपनी बहन को .....''

वो अभी भी ऐसे चिल्ला रही थी मानो पूरे मोहल्ले को दावत पर बुलाकर वो सीन दिखाना चाहती हो ....श्वेता को ऐसे चिल्लाते देखकर नितिन ने फिर से एंगल बदला और उसने श्वेता को अपने लंड की बाल्कनी से नीचे उतारा और अपनी बहन की चूत से निकले रसीले लंड को सीधा उसने श्वेता के ही मुँह मे ठूस कर उसके रस का स्वाद चखाने लगा..

''उम्म्म्ममममममममम ....... कितना टेस्टी लग रहा है ये इस वक़्त......''

वो लंबा और काला लंड जूस लगने की वजह से किसी साउथ अफ़्रीकन राजा की तरह चमक रहा था...जिसकी चमक दूसरे कमरे मे छुपी काव्या साफ देख पा रही थी...उसके हाथ सीधा अपनी ब्रेस्ट पर चले गये और बड़े ही जंगली तरीके से उसने अपने टॉप को उपर उठाकर, अपनी ब्रा को नीचे खिसका कर अपनी लेफ्ट ब्रेस्ट निकाली और उसके निप्पल को बाहर की तरफ खींचकर उसे उभारने लगी...उसके निप्पल काफ़ी लंबे थे, और ऐसा सीन देखकर तो वो भी लड़कों के लंड की तरह खड़े हो चुके थे...दूसरे हाथ को अपनी पेंट मे खिसका कर अपनी चूत के मुहाने पर ले आई और अपनी बीच की उंगली सीधा गर्म कड़ाई मे डालकर उबल रही कड़ी को उंगली की कड़छी से पकाने लगी..

थोड़ी देर तक और चूसने के बाद श्वेता उछलकर अपने गद्देदार चूतड़ो के बल नितिन की छाती पर आ गयी , अब उसकी गुलाबी चूत ठीक नितिन की आँखों के सामने थी, उसने अपनी 2 उँगलियाँ सीधा उसकी गीली चूत के अंदर पेल दी , श्वेता ने भी सिसक कर अपने भाई के लंड को कार के गियर की तरह पकड़कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और दोनो की गाड़ी फूल स्पीड से भागने लगी..

श्वेता की रेशमी गांड की थिरकन को नितिन अपने दिल के इतने करीब महसूस करते हुए उसके रंग बदलते चेहरे को देखे जा रहा था...और अपनी पूरी ताक़त से अपने हाथ की उंगलियो को अंदर बाहर पेल रहा था.

दो उंगलियाँ वहाँ चल रही थी और टीन उंगलियाँ अब तक काव्या ले चुकी थी अपनी ही चूत मे...अपने ही पंजो पर खड़े होकर वो अपने लरज रहे होंठों से निकल रही हल्की-2 सिसकारीयाँ सुनकर और सामने चल रहे वासना के नंगे नाच को देखकर पागल हुई जा रही थी...उसकी आँखे उपर चड चुकी थी..उसकी चूत का सेलाब कभी भी आ सकता था.

नितिन को श्वेता की चूत की महक अपने इतने करीब महसूस हुई और एकदम से उसके अंदर उसे चूसने की त्रिव इच्छा जागृत हो गयी, और अगले ही पल उसने वो आसान भी तोड़ दिया और श्वेता को उठाकर खड़ा किया और नीचे बैठे-2 ही उसकी चूत के उपर मुँह लगाकर उसका अमृत चूसने लगा...नितिन की गर्म जीभ अपनी चूत पर और उसके ताकतवर हाथ अपनी गांड पर महसूस करते हुए श्वेता भी मचल-2 कर उसके मुँह पर घिस्से लगाने लगी और ज़ोर से तड़प कर फिर से चीख पड़ी..

''अहह नितिन ...... यू आर अमेजिंग ........ वाआआआआव .......उम्म्म्ममममममम ... खा जाओ ........अंदर तक चाटो मुझे ................... उम्म्म्ममममममममममम .....''

उन दोनो भाई बहन के प्यार को देखकर ना जाने क्यो एकदम से काव्या के मन मे भी वही सेक्शी सीन आ गया, जिसमे वो भी नंगी होकर खड़ी है...पर नीचे बैठकर उसकी चूत चाटने वाला उसका सोतेला बाप समीर या श्वेता का भाई नितिन नही, बल्कि वो आवारा कुत्ता विक्की था...

विक्की का ख़याल आते ही उसका मन घृणा से भर गया, पर वो सीन उसकी आँखो के सामने से जा ही नही रहा था जिसमे वो उसकी चूत को ठीक वैसे ही चूस रहा था, जैसा इस वक़्त नितिन श्वेता की चूसने मे लगा हुआ था..

मन मे घृणा के भाव आने के बावजूद उसकी उत्तेजना और भी बढ़ती जा रही थी...और वो अपनी आँखो के सामने दिख रहे अक्स,यानी विक्की के मुँह पर अपनी चिकनी चूत को बुरी तरह से रग़ड़ कर अपनी खुंदक निकाल रही थी...जैसे उसकी सांसो को अपनी चूत के ज़रिए बंद करके मार ही देना चाहती हो..

वो अपने ही ख़यालो मे खोई हुई थी की श्वेता की जोरदार गुहार उसके कानो मे पड़ी, वो अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और उसे अब फिर से नितिन का लंड अपनी चूत मे चाहिए था..

''अहह ...... भाई ....... अब बस करो .....और मत तड़पाओ ............... डाल दो अपना ........ लंड ............. मेरे अंदर ....''

अपनी प्यारी बहन की रीक़ुएस्ट भला नितिन कैसे ठुकरा सकता था, उसने अगले ही पल अपनी शक्तिशाली बाजुओ का उपयोग करते हुए श्वेता को उपर उठाया और सीधा बिस्तर पर लेजाकर लिटा दिया, और उसकी नशीली आँखों मे देखते हुए अपना लौड़ा उसकी बुण्ड मे पेल दिया...

''अहह ...... ओफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..भाई ............... ये तो पहले से भी ज़्यादा बड़ा लग रहा है अब..... ''

नितिन और काव्या उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिए....

अगले पाँच मिनट मे दोनो के मुँह से सिर्फ़ सिसकारियों के सिवा कुछ और नही निकला, दोनो अपनी साँस रोके एक दूसरे का मज़ा लेने मे लगे रहे...हर धक्के के साथ काव्या भी झड़ने के करीब पहुँच रही थी....और अंत मे जैसे ही नितिन झड़ने लगा, उसने अपना लंड बाहर खींच लिया और सामने की तरफ करते हुए श्वेता के चेहरे को पूरा रंग दिया...


बाकी का काम श्वेता ने कर दिया, उसके लंड को चूस्कर, वो अंदर से आ रही एक-2 बूँद को चूस गयी, अपने भाई के माल को वो ऐसे नष्ट करना नही चाहती थी, वो सारा का सारा रस पी गयी..

उसके बाद नितिन गहरी साँसे लेता हुआ वहीं बेड पर गिर गया..

काव्या ने भी दबी हुई सिसकारियों के बीच अपनी चूत का सारा रस वहीं ज़मीन पर टपका दिया...

श्वेता ने नितिन के कान के पास आकर कहा : "आज तो सच मे मज़ा आ गया...''

और फिर दोनो ने एक दूसरे को फ्रेंच किस किया..

श्वेता : "तुम यही रूको, मैं अभी आई ...''

और इतना कहकर वो कमरे से बाहर निकल गयी...और जाते-2 उसने कमरे का दरवाजा भी बंद कर दिया..

फिर वो हुआ,जिसकी काव्या ने कल्पना भी नही की थी..

श्वेता ऐसे ही नंगी चलती हुई एकदम से सामने वाला दरवाजा खोलकर काव्या के सामने पहुँच गयी..और अपनी कमर पर हाथ रखकर उसके सामने खड़ी हो गयी, और बोली : "कैसा लगा हमारा शो ....''

उसकी बात सुनकर काव्या पल भर मे समझ गयी की उसकी सहेली ने जान बूझकर बाहर का दरवाजा खुला छोड़ा था और उसी वक़्त चुदाई करनी भी शुरू की थी जब काव्या को वहाँ पहुँचना था, क्योंकि काव्या ने ही चलने से पहले उसको फोन करके बोल दिया था की वो वहाँ आ रही है..

काव्या : "साली ....तो ये सब तूने जान बूझकर किया...ताकि मैं तुझे और नितिन को सेक्स करते हुए देख सकू .....यू आर सच अ बिच ....''

वो अपने कपड़े ठीक करती हुई अपनी सहेली के कमीनेपन पर हंस रही थी..

श्वेता : "यस ....और मुझे पता भी चल गया था की कब तू बाहर आई,क्योंकि मैने तुझे छुपकर इस कमरे मे आते हुए देख लिया था...''

उसके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी, आख़िर वो अपनी योजना मे कामयाब जो हो चुकी थी..

पर काव्या के उतरे हुए चेहरे को देखकर वो बोली : "पर तूने ये क्या हाल बना रखा है...मैने तो सोचा था की मुझे ये सब करते हुए देखकर तू भी मेरे भाई के लंड को लेने की ज़िद करेगी...ऐसे मुँह लटका कर क्यो खड़ी है अब....अगर तू चाहती है तो एक बार बोल दे, अभी के अभी तेरी चूत का उद्घाटन करवा देती हू अपने भाई के लंड से ....''

उसकी बात सुनकर एक पल के लिए तो काव्या के मुँह मे भी पानी आ गया, वो तो कब से चुदने के लिए बेताब थी...पर अभी वो चुदाई के लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी...

काव्या : "नही यार...अभी नही, फिर कभी, अभी तो मुझपर एक मुसीबत आ गयी है ...''

श्वेता भी समझ गयी की एक बार अगर उसने किसी काम के लिए मना कर दिया तो वो कभी भी अपना विचार नही बदलेगी...पर फिर भी उसने हिम्मत नही हारी, वो बोली : "तेरी प्राब्लम से भी निपट लेंगे...और तू बाद मे ही करवा लेना अपना उद्घाटन, पर अभी के लिए कुछ तो कर ले ...चल मेरे साथ..''

काव्या : "पर कहाँ ....''

श्वेता : "चल तो सही ....पूरे ना सही, आधे मज़े तो दिलवा ही सकती हू अभी तुझे, ताकि तेरा मूड ठीक हो जाए... एक बार जब मूड फ्रेश हो जाता है तो परेशानियों से निपटने में आसानी रहती है ..''

और इतना कहकर उसने काव्या का हाथ पकड़ा और ज़बरदस्ती खींचकर उसको सामने वाले कमरे मे ले गयी, जहाँ नितिन पूरा नंगा होकर आराम फ़र्मा रहा था.

"भाई... देखो तो ज़रा यहाँ.....'' श्वेता ने अपनी हँसी और उतावलापन दबाते हुए नितिन से कहा...

नितिन अपने सिर के पीछे हाथ रखकर अपने दोनो पैर पसारे नंगा लेटा हुआ था..और उसकी दोनो आँखे बंद थी..

इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद जो आलस आता है,वो उसी मे डूबा हुआ था.

उसने आँखे बंद करे -2 ही कहा : "क्या है श्वेता....बोल ना...''

उधर काव्या की हालत खराब हो रही थी...अपनी आँखो के सामने एक और नंगे शरीर को लेते देखकर...ये शायद उसकी जिंदगी का तीसरा मर्द था, जिसे वो आज नंगा देख रही थी..इससे पहले सिर्फ़ उसने सिर्फ दत्त अंकल और समीर को ही नंगा देखा था..

पर उनकी और नितिन की उम्र मे काफ़ी अंतर था...ऐसे गबरू जवान को देखने का ये पहला अवसर था..रोमांच और शर्म एक साथ उसके चेहरे से झलक रही थी..उसकी चूत की फेक्टरी मे ताज़ा रस बनना शुरू हो गया था..जो कभी भी प्रोडक्शन हाउस यानी चूत के अंदर से निकल कर बाहर रिस सकता था...

श्वेता को भी एक और शरारत सूझी..उसने काव्या का हाथ पकड़ कर उसे नितिन की बगल मे बिठा दिया..और फिर अपनी ब्रा उठाकर उसने नितिन की आँखो पर बाँध दी..और बोली : "अभी कुछ देर तक इसको मत खोलना..''

नितिन तो पहले से ही नशे जैसी हालत मे था..उसने मुस्कुराते हुए अपना सिर हाँ में हिला दिया.ब्रा का नर्म मुलायम कपड़ा उसकी आँखो को काफ़ी ठंडक भी पहुँचा रहा था..

श्वेता ने काव्या को आँख मारकर चुप रहने को कहा और फिर उसने काव्या का हाथ पकड़कर नितिन के लंड के उपर रख दिया..

लंड मरियल सा हो चुका था...अभी कुछ देर पहले की चुदाई के कारण, पर काव्या की हालत खराब होने लगी..उसकी साँसों मे तेज़ी आ गयी..भले ही ये सांप अभी मरा हुआ लग रहा था, पर उसमें कभी भी जान आ सकती थी..उसकी कांपती हुई उंगलियों ने नितिन के लंड को सहलाना शुरू कर दिया..

नितिन : "ये क्या श्वेता...अभी भी मन नही भरा....ये दिखाना चाहती थी तुम की फिर से मन कर रहा है तुम्हारा...पर मैं इंसान हू बहन, कोई जादूगर नही, जो सिर्फ़ 10 मिनट मे ही दोबारा तैयार हो जाऊंगा .ऐसे करने से नही जागने वाला मेरा दोस्त..''

श्वेता ने काव्या के कंधे पर सिर रखा और नितिन से कहा : "यही तो मैं देखना चाहती हूँ की ये मेरी बात मानता है या तुम्हारी...''

और उसने इशारा करते हुए काव्या को ज़ोर से लंड हिलाने को कहा..

काव्या को लग रहा था की उसने किसी रबड़ के लंबे टुकड़े को पकड़ा हुआ है...वो लचीला सा होकर इधर उधर लहरा रहा था..पर गर्म था अभी तक..शायद इतनी लंबी रेस लगाने के बाद वो घोड़ा अंदर से तप चुका था..और आराम करके अपनी गर्मी निकाल रहा था.

काव्या बड़े ही गौर से नितिन के सुडोल शरीर को देख रही थी..कपड़े मे तो पतला सा लगता था, पर इस वक़्त वो देख पा रही थी उसके 6 पैक्स एब्स ..जो काफ़ी आकर्षक लग रहे थे..उसका मन कर रहा था की अपनी जीभ निकाल कर उसके एब्स को चाट ले..पर बड़ी मुश्किल से उसने खुद को रोका हुआ था..वो इस वक़्त सिर्फ़ श्वेता के निर्देशो के अनुसार ही चलना चाहती थी.

और श्वेता ने ही उसके मन की इच्छा पूरी कर दी, क्योंकि वो चाहती थी की वो थोड़ा आगे बड़े...उसने जीभ का इशारा करते हुए उसके बदन को चाटने को कहा..

पर उसने टी शर्ट पहनी हुई थी और श्वेता तो अभी तक नंगी होकर चुद रही थी, अगर वो नितिन पर झुकती तो उसके कपड़े नितिन को महसूस हो जाते और वो झट से अपनी आँखो पर पड़ी ब्रा को खोल देता..और श्वेता अभी के लिए ये नही चाहती थी की नितिन अपनी आँखे खोले, इसलिए वो भागकर काव्या के पीछे आई और उसकी टी शर्ट को पकड़कर उपर से उतारने लगी...काव्या ने भी कोई विरोध नही किया, फिर श्वेता ने उसकी ब्रा भी खोल दी और अब काव्या नितिन और श्वेता के सामने टॉपलेस होकर बैठी थी..पर ये बात अभी तक नितिन नही जानता था..उसके अनुसार तो अभी तक सिर्फ़ श्वेता ही थी उस कमरे मे जो दोबारा से उसके लंड को खड़ा करने की कोशिश कर रही थी..और वो खुद भी आँखे बंद करके इसका आनंद उठा रहा था.

अब काव्या आज़ाद थी, अपने कपड़ो से, वो नीचे झुकी और उसने नितिन के निप्पल को अपनी जीभ से कुरेदा ...उसको चाटा और फिर बड़े ही रफ़ से तरीके से उसको अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगी...

नितिन : "अहहsssssssssssssss ........ धीरे ........श्वेता ........ धीरे ....मर्द को भी दर्द होता है...''
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05-25-2019, 11:45 AM,
#36
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--34

अब आगे
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उसकी बात सुनकर दोनो सहेलियाँ मुस्कुरा उठी..पर काव्या ने उसको चूसना नही छोड़ा..बड़ी ही कठोर छातियाँ थी नितिन की, जिम जाने की वजह से, और उसके नन्हे-2 निप्पल बड़े ही आकर्षक लग रहे थे, इसलिए वो उन्हे चूसने का लालच नही छोड़ पाई..

फिर उसने दूसरे निप्पल को भी वैसे ही चूसा, चाटा और चबाया ..नितिन को भी मज़ा मिल रहा था, क्योंकि श्वेता (काव्या) ये सब पहली बार कर रही थी उसके साथ ...

अब काव्या ने धीरे -2 नीचे की तरफ सरकना शुरू कर दिया...नितिन का शरीर काँपने लगा..उसे हल्की-2 गुदगुदी भी हो रही थी...काव्या के पीछे खड़ी श्वेता फिर से बोली : "भाई, अपनी आँखे मत खोलना अभी...''

नितिन : "इतना मज़ा अगर तुम आँखे बंद करके दे सकती हो तो मैं क्यो खोलूँगा भला ....''

वो मस्ती के सागर मे लेटा हुआ गोते लगा रहा था.

और फिर काव्या के सामने रोड ब्रेकर की तरह उसका एब्स वाला पेट आया, जिसकी उँची नीची घाटियों मे जीभ चला कर उसने वहाँ का सारा नमक अपनी जीभ पर इकट्ठा कर लिया....और अपने होंठों से उसे बेतहाशा चूमने भी लगी..

अब तो नितिन की गांड हवा मे उठ गयी...ऐसा एहसास उसने आज तक नही लिया था.

और उपर उठने के साथ ही उसका लंड अपने पूरे साइज़ मे उभरकर काव्या के गालों से आ टकराया...काव्या के पूरे शरीर मे एक झटका सा लगा..उसकी सहेली के भाई का लंड उसके चेहरे पर दस्तक दे रहा था..उसने पहले भी कई बार नितिन को अपनी तरफ दूसरी नज़रों से घूरते हुए देखा था, और नितिन के लिए उसके दिल मे भी कुछ-2 होता था, पर आज वो सब सोचने का वक़्त नही था, नितिन बेचारे को पता भी नही था की वो जिसको अपनी आँखो ही आँखो से चोद देता था वो ही उसके शरीर को चूस रही है..

काव्या के चेहरे पर जैसे ही नितिन के लंड ने किस्स किया, वो उसके लंड की तरफ पलटी और अगले ही पल उसके प्यासे होंठों ने उसके लंड को पकड़कर ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया..ऐसा लग रहा था जैसे किसी प्यासे को ऐसी चीज़ मिल गयी है, जिसमे से चूसने के बाद पानी निकलता है..वो पागल सी होकर हुंकारने लगी और नितिन के लंड को ज़ोर-2 से चूसने लगी..

और उसके चूसने के अंदाज और हुंकार सुनकर नितिन को एक ही पल मे पता चल गया की उसके साथ क्या हो रहा है...और उसने अपनी आँखो पर बँधी अपनी बहन की ब्रा खोल दी..

और सामने उसको अपनी बहन बैठी हुई दिखी, जो अपनी चूत के अंदर उंगलियाँ डालकर बड़े ही हिंसक तरीके से अपनी सहेली को अपने ही भाई का लंड चूसते हुए देख रही थी..और जब नितिन ने अपनी टाँगो के बीच लेटी हुई काव्या के चेहरे को देखा तो उसे अपनी आँखो और किस्मत पर यकीन ही नही हुआ..वो काव्या थी...उसके सपनो की रानी, जिसके बारे मे सोच-सोचकर उसने ना जाने कितनी बार मूठ मारी थी और अब भी अपनी बहन को चोदते हुए वो आँखे बंद करके उसके बारे मे ही सोचता था..

वही काव्या अब उसके पैरों के बीच आधी नंगी होकर लेटी हुई थी और बड़े ही मज़े से आँखे बंद करके उसके लंड को आइस्क्रीम की तरहा चूस रही थी..उसकी मुम्मे नोकें देखकर उसके लंड ने जोरदार तरीके से सांस ली और वो और भी बड़ा हो गया

नितिन : "क्क्क कककक ..काव्या ......तुम ......ये सब कैसे .....''

उसकी आवाज़ सुनते ही काव्या ने आँखे खोल दी...वो जहाँ की तहाँ जम कर रह गयी....उसकी आँखे गोल होकर श्वेता की तरफ घूम गयी....पर उसने लंड नही निकाला अपने मुँह से...

श्वेता के मुँह से हँसी निकल गयी..

"हा हा हा ..... कैसा लगा मेरा सरप्राइज .....यही तो मैं दिखाने के लिए लाई थी, पर तुमने आँखे ही नही खोली...और थोड़े और मज़े लेने के लिए मैने ये आँखो पर बाँधने का नाटक किया, ताकि इसकी शरम कुछ कम हो जाए...और देख ज़रा इसको...कैसे मज़े ले-लेकर तुझे सक्क कर रही है...''

काव्या का चेहरा शर्म से लाल हो उठा...वो सोचने लगी की ना जाने नितिन उसके बारे मे क्या सोचेगा अब..

श्वेता आगे बोली : "मैं जानती हू,तुम दोनो मन ही मन एक दूसरे को लाइक करते हो....और आज मौका मिलते ही मैने सोचा की क्यो ना तुम्हे मज़े लेने का मौका दिया जाए...''

फिर वो नितिन से बोली : "ये मेरे और तुम्हारे बारे मे सब कुछ जानती है...इन्फेक्ट इसने ही मुझे कई बार ऐसे आइडियास दिए जिसकी वजह से हम यहा तक पहुँचे है..''

उसने अपनी चूत और नितिन के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा.

नितिन की समझ मे सब आ चुका था...और इतनी देर से काव्या ही उसके लंड को चूस रही थी, ये जानकार अब तो उसके अंदर का खून और भी तेज़ी से दौड़ने लगा...उसे पक्का विश्वास हो गया की अब तो काव्या की चूत मिलकर ही रहेगी..

उसने काव्या से कहा : "रुक क्यो गयी अब....चालू रखो...जैसा तुम कर रही हो, मुझे काफ़ी अच्छा लग रहा है...''

अपनी कला की तारीफ सुनना सभी लड़कियो को पसंद आता है, काव्या ने भी शरमाते हुए अपने होंठ खोले और फिर से नितिन के बाहुबली को मुँह मे लेकर चूसने लगी..

''अहहsssssss ........ येस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स काव्य्आअ ..... सकककककक मीssssssssssss ....''

नितिन के मुँह से अपना नाम सुनकर काव्या की चूत पूरी तरह से पनिया गयी...और अगले ही पल नितिन का हाथ सरक कर उसके छोटे-2 मुम्मो पर आया और उन्हे उसने ज़ोर से मसल दिया...

''उम्म्म्मममममममममम ........ सस्स्स्स्स्सस्स ....धीरे नितिन ....''

और इस बार काव्या के मुँह से अपना नाम सुनकर, और वो भी इतने सेक्सी तरीके से, नितिन भी उत्तेजना के पूरे शिखर पर पहुँच गया..

दोनो को ऐसे एक दूसरे से मज़े लेता देखकर श्वेता भी बीच मे कूद पड़ी...वो भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी...और उसने सीधा नितिन के लंड को अपने मुँह मे दबोचा और चूसने लगी...काव्या ने अपना चेहरा नीचे किया और उसकी बॉल्स को चूमने चाटने लगी...ऐसे एहसास की तो नितिन ने आज तक कल्पना भी नही की थी की एक साथ उसके लंड को दो-2 सेक्सी लड़कियाँ चूसेगी

वो दोनो के बालों को पकड़कर ज़ोर-2 से अपने लंड पर दबाने लगा...जैसे अपना लंड उन्हे खिला देना चाहता हो पूरा का पूरा..

''अहहहहहहहहहहहहहह ....... ओह माय गोड .......... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .....ऐसे ही करती रहो ....... ओह .....''

वो कभी काव्या के मुम्मे मसलता और कभी श्वेता के....कभी एक के बाल सहलाता और कभी दूसरी के...और वो दोनो भी प्यासी बिल्लियों की तरह उसके लंड और टट्टों के पीछे पड़ गयी थी...दोनो उसे ऐसे नोच रही थी मानो उसको खा ही जाएँगी...दोनो के नर्म होंठ और तेज दाँत उसको अलग ही दुनिया मे पहुँचा रहे थे..

अब नितिन से सब्र नही हुआ, उसने काव्या के बाल पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अगले ही पल दोनो की छातियाँ एक दूसरे से मिल कर रग़ड़ खाने लगी और नितिन ने उसके गीले होंठों को अपने कब्ज़े मे लेकर ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया...

जैसा सोचा था ठीक वैसे ही थे उसके होंठ...नर्म और मीठे...वो उन्हे बब्बल गम की तरह चबाता रहा, उसके अंदर का रस पीता रहा, उसकी जीभ को चूसकर सुखाने की कोशिश करता रहा...और फिर कुछ देर मे जब उसे साँस लेने की ज़रूरत पड़ी तो ही उसने काव्या को अपने से अलग किया...

वो उसको प्यासी नज़रों से देखने लगा...उसने शरमाते हुए अपना चेहरा नीचे झुका लिया...उसके चेहरे के नीचे नज़र जाते ही नितिन ने उसके नन्हे आम देखे,जिन्हे चूसने के लिए वो कब से मरा जा रहा था..वो नीचे झुका और अपनी बाहें उसके चारों तरफ लपेटकर उसे अपनी तरफ खींचा और एक ही बार मे उसके पूरे स्तन को अपने मुँह मे भरकर निगल गया और उसे चूसने लगा..

नितिन के बालों को सहलाती हुई वो उसकी पकड़ मे आकर बिलख उठी...और अपने पूरे मुम्मे को उसके मुँह के अंदर जाता देखकर ज़ोर से चिल्लाई : "अहह ....... ओफफफफफफफफफफफ्फ़ ..... नहियीईईईईईईईईई .........बस करो ................. अहह .... सहन नही होता ................ अहह ''

पर उसको रुकने के लिए कहने के बावजूद वो अपनी ब्रेस्ट को उसके मुँह के और अंदर धकेलने मे लगी हुई थी...ऐसा एहसास तो उसने आज तक नही लिया था...नितिन की जीभ उसके निप्पल को सहला रही थी अंदर और उसके दाँत उसकी ब्रेस्ट को काट रहे थे...नितिन के दूसरे हाथ ने दूसरी ब्रेस्ट को पकड़कर उसके निप्पल खींचने शुरू कर दिए...वो तो पागल ही हो उठी...

और नीचे की तरफ उसकी बहन श्वेता आराम से उसके लंड को चूसती हुई अपनी चूत को मसल रही थी..

नितिन के हाथ काव्या की चूत की तरफ बड़े...और उसी वक़्त काव्या को एक झटका सा लगा...वो एकदम से नितिन से अलग होकर खड़ी हो गयी..

नितिन : "क्या हुआ ...मैने कुछ ग़लत किया ...''

काव्या (धीरे से) : "नही नितिन .....पर ...मैं अभी इसके लिए तैयार नही हूँ ....''

नितिन की समझ मे कुछ नही आया...इतने करीब पहुँचकर वो कैसे मना कर सकती है चुदाई के लिए...वो तो कब से इस पल के लिए तड़प रहा था..पर वो उसपर ज़ोर डालकर कुछ नही करना चाहता था...अभी के लिए भी जो मिला था, वही काफ़ी था..और वो भी जानता था की अब वो ज़्यादा देर तक अपनी चूत को उससे बचा नही पाएगी..

श्वेता ने भी अपनी सहेली का साथ दिया : "हाँ नितिन, अभी वो सब रहने दो...बस उपर-2 से मज़ा लो...चुदाई के लिए तुम्हारी बहन हाजिर है....उसकी करो ..''

और इतना कहकर वो मुस्कुराती हुई उपर की तरफ आई और उसके होंठों को चूमती हुई सीधा उसके लंड पर बैठ गयी...

''अहह .......... येस्ससस्स ................ अंदर तक डालो ....''

नितिन ने उसके कूल्हे पकड़ कर अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक एडजस्ट किया....और नीचे से धक्के मारने लगा..

काव्या को उनकी चुदाई देखकर ना जाने क्या हुआ की वो एकदम से नीचे झुकी और उसने नितिन की बॉल्स को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया...

एक नया एहसास फिर से पाकर नितिन तो बावला सा हो गया...और दुगनी तेज़ी से अपनी बहन को चोदने लगा..

और ऐसे ही झटके खाती हुई श्वेता जल्द ही झड़ने लगी...उसकी चूत का पानी फिसलकर बाहर तक आया जिसको काव्या ने अपनी जीभ से साफ़ कर दिया...और फिर नितिन के लंड ने भी जवाब दे दिया..और उसने अपने लंड बाहर खींचकर अपने हाथ से मसलना शुरू कर दिया..और फिर उसने अपने लंड से पानी की बौछारें निकालकर दोनो के चेहरे को भिगोना शुरू कर दिया...

ये पल वो कभी भी नही भूल सकता था..दोनो के सेक्सी चेहरे उसके गाड़े सफेद रस से भीगकर तर हो गये.

फिर काव्या ने अपनी सहेली की गीली चूत को भी अपनी लम्बी जीभ से चाटकर साफ़ किया

नितिन फिर से धम्म से अपने बिस्तर पर गिर गया..और काव्या का हाथ पकड़कर श्वेता अपने कमरे मे ले गयी...वो जानती थी की अब काव्या की परेशानी सुनने का वक़्त आ गया है..क्योंकि वो अपनी सहेली को ज़्यादा देर तक परेशान नही देख सकती थी.
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05-25-2019, 11:45 AM,
#37
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--35

अब आगे
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और नीचे की तरफ उसकी बहन श्वेता आराम से उसके लंड को चूसती हुई अपनी चूत को मसल रही थी..

नितिन के हाथ काव्या की चूत की तरफ बड़े...और उसी वक़्त काव्या को एक झटका सा लगा...वो एकदम से नितिन से अलग होकर खड़ी हो गयी..

नितिन : "क्या हुआ ...मैने कुछ ग़लत किया ...''

काव्या (धीरे से) : "नही नितिन .....पर ...मैं अभी इसके लिए तैयार नही हूँ ....''

नितिन की समझ मे कुछ नही आया...इतने करीब पहुँचकर वो कैसे मना कर सकती है चुदाई के लिए...वो तो कब से इस पल के लिए तड़प रहा था..पर वो उसपर ज़ोर डालकर कुछ नही करना चाहता था...अभी के लिए भी जो मिला था, वही काफ़ी था..और वो भी जानता था की अब वो ज़्यादा देर तक अपनी चूत को उससे बचा नही पाएगी..

श्वेता ने भी अपनी सहेली का साथ दिया : "हाँ नितिन, अभी वो सब रहने दो...बस उपर-2 से मज़ा लो...चुदाई के लिए तुम्हारी बहन हाजिर है....उसकी करो ..''

और इतना कहकर वो मुस्कुराती हुई उपर की तरफ आई और उसके होंठों को चूमती हुई सीधा उसके लंड पर बैठ गयी...

''अहह .......... येस्ससस्स ................ अंदर तक डालो ....''

नितिन ने उसके कूल्हे पकड़ कर अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक एडजस्ट किया....और नीचे से धक्के मारने लगा..

काव्या को उनकी चुदाई देखकर ना जाने क्या हुआ की वो एकदम से नीचे झुकी और उसने नितिन की बॉल्स को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया...

एक नया एहसास फिर से पाकर नितिन तो बावला सा हो गया...और दुगनी तेज़ी से अपनी बहन को चोदने लगा..

और ऐसे ही झटके खाती हुई श्वेता जल्द ही झड़ने लगी...उसकी चूत का पानी फिसलकर बाहर तक आया जिसको काव्या ने अपनी जीभ से साफ़ कर दिया...और फिर नितिन के लंड ने भी जवाब दे दिया..और उसने अपने लंड बाहर खींचकर अपने हाथ से मसलना शुरू कर दिया..और फिर उसने अपने लंड से पानी की बौछारें निकालकर दोनो के चेहरे को भिगोना शुरू कर दिया...

ये पल वो कभी भी नही भूल सकता था..दोनो के सेक्सी चेहरे उसके गाड़े सफेद रस से भीगकर तर हो गये.

फिर काव्या ने अपनी सहेली की गीली चूत को भी अपनी लम्बी जीभ से चाटकर साफ़ किया

नितिन फिर से धम्म से अपने बिस्तर पर गिर गया..और काव्या का हाथ पकड़कर श्वेता अपने कमरे मे ले गयी...वो जानती थी की अब काव्या की परेशानी सुनने का वक़्त आ गया है..क्योंकि वो अपनी सहेली को ज़्यादा देर तक परेशान नही देख सकती थी.

श्वेता : "अब बोल, क्या प्राब्लम है, जिसकी वजह से तू सेक्स को भी सही से एंजाय नही कर पा रही थी...और इतना अच्छा मौका खो दिया आज मेरे भाई से चुदने का ...''

काव्या : "यार, तुझे सेक्स की पड़ी है, मेरी तो लग गयी है...''

और इतना कहकर उसने शुरू से आख़िर तक सब बता दिया श्वेता को...श्वेता ने सारी बात आराम से सुनी..और आख़िर मे बोली : "यार...मुझे एक बात समझ नही आ रही है, ये तेरी मम्मी इतना क्यो कॉपरेट कर रही है तेरे साथ...मतलब तेरे बाय्फ्रेंड के लिए , जहाँ तक आंटी को मैं जानती हू, वो पहले तो ऐसी नही थी...अब ये उन्हे अचानक क्या हो गया है..''

काव्या (मुँह बिचका कर बोली ) : "शादी के बाद उनका ना दिमाग़ खराब हो गया है...पापा के साथ भी ऐसे सेक्स करती है जैसे मेरी उम्र की हो वो...इतनी तेज आवाज़ें निकलती है की अपने कमरे मे मुझे सब सुनाई देता है...तूने भी देखा था ना उस दिन,जब उनके कमरे मे झाँककर हमने देखा था, कैसे करवा रही थी वो पापा से...लगता है बुडापे मे आकर उनमे फिर से जवानी लौट आई है..''

श्वेता : "हा हा...वो तो दिख ही रहा है, पर मुझे तो वो कही से भी बुडी नही लगती...और ना ही तेरे ये समीर पापा..''

समीर का नाम सुनते ही काव्या का चेहरा लाल हो उठा, वो बोली : "उनकी तो बात ही कुछ और है...सच मे यार, ऐसा मर्द अगर मिल जाए तो दिन रात सेक्स करने का मज़ा कुछ और ही होगा...''

श्वेता : "यही तो तेरी मोम भी कर रही है, उन्हे ऐसा सेक्स करने वाला पति मिल गया है तो वो इसका पूरा लाभ उठा रही है...तुझे क्यो जलन हो रही है...''

वो जानबूझकर बोली, क्योंकि वो अच्छी तरह से जानती थी की वो कब से समीर से चुदवाना चाहती है...पर अभी तक कोई मौका ही नही मिल पाया था उनको..

काव्या : "यार, तू तो सब जानती है मेरे दिल की बाते...फिर भी ऐसे बोल रही है...और उपर से मम्मी ने ये विक्की नाम की मुसीबत मेरे गले मे बांध दी है..परसो आएगा वो मेरे घर पर...मुझे तो बड़ा डर लग रहा है, पता नही वो क्या बोलेगा..क्या करेगा...मेरी पोल खुल गयी तो मेरी क्या हालत होगी, ये तुम नही समझ सकती..''

श्वेता : "क्या मैं आ जाऊ उस दिन तेरे घर...दोनो मिलकर संभाल लेंगे इस विक्की के बच्चे को..''

उसके तो मन प्लान बनने शुरू हो गए थे एक और नए लंड को लेने के ……।

काव्या : "नही यार...मम्मी ने तो मेरी डेट फिक्स कर दी है उस के साथ...और मुझे नही लगता वो तुझे मेरे साथ रहने देंगी...''

श्वेता समझ गयी की मामला सच मे काफ़ी पेचीदा है...पर हर मुसीबत का हल निकालना उसकी फ़ितरत मे था...उसने काव्या को कुछ समझाया..और अगले दिन उसके घर आने के लिए भी बोली..एक दिन पहले मिलकर वो सारी तैयारी कर लेना चाहती थी अच्छी तरह से..

आख़िर मे जब काव्या जाने लगी तो निकलते हुए नितिन उसके सामने आ गया...दोनो की नज़रें एक दूसरे से मिली तो काव्या ने शर्माकर अपनी नज़रें झुका ली..और आगे निकल गयी...

श्वेता ने पीछे से आकर अपने भाई से कहा : "तू फिकर मत कर भाई, एक दिन ये ज़रूर आएगी तेरे नीचे ...ये मेरा वादा है..''

और उसके खड़े हुए लंड को अपने हाथ से सहलाकर वो काव्या को छोड़ने के लिए बाहर तक निकल आई.

उस रात काव्या सही से सो भी नही सकी...वो जल्द से जल्द इस मुसीबत से निकलना चाहती थी..

और अचानक उसके दिमाग़ मे श्वेता की बाते गूंजने लगी की उसकी मम्मी को ऐसी क्या दिलचस्पी हो रही है जो वो विक्की के घर तक पहुँच गयी और उससे बात भी कर ली की आओ बेटा मेरे ही घर पर आकर मेरी बेटी से मिलो...नैन मटक्का करो..

वो तो विक्की को अच्छी तरह से जानती है, की कैसे वो आवारा लड़को के साथ घूमता . रहता है...हर लड़की को छेड़ता रहता है...देखने मे भी कुछ ख़ास नही है..फिर मम्मी क्यो इतनी दिलचस्पी ले रही है उसमे..

कही मम्मी उसको मिलवाने की आड़ मे अपना कोई स्वार्थ तो नही देख रही...कही वो इस तरह से मेरा मुँह बंद करके अपना कोई काम तो नही निकलवाना चाहती मुझसे...

ऐसी ना जाने कितनी बातें उसके दिमाग़ मे गूँज रही थी...जिनको सोचते-2 उसको कब नींद आ गयी, उसको भी पता नही चला..

और दूसरी तरफ समीर की लाइफ मे भी एक ट्विस्ट आ गया...

अगले दिन वो जब ऑफीस पहुँचा तो उसने देखा की उसका दोस्त लोकेश ऑफीस मे बैठकर उसका इंतजार कर रहा है..

समीर : "अरे यार, इतने दिनों से कहाँ पर थे ...दिखते ही नही हो आजकल ..''

लोकेश : "वो बस एक केस के सिलसिले मे बिजी था ...अच्छा सुन...मैने वो तुझसे एक लड़की के बारे मे बात की थी ना. ...रोज़ी ...वो आई है मेरे साथ ...बाहर बैठी है रिसेप्शन पर ...मैने सोचा की मैं खुद ही तुझसे मिलवा देता हू ..''

समीर : "हां ....हन ...याद है ....जल्दी बुलवाओ उसको अंदर ...वैसे भी बिना सेक्रेटरी के मैं काफ़ी परेशान हूँ ..''

लोकेश ने रोज़ी को अंदर बुलवा लिया ..

जब वो सेबिन मे आई तो समीर उसे देखता ही रह गया... रेड टी शर्ट और ब्लेक स्कर्ट मे वो कोई एयर होस्टेस्स की तरह लग रही थी ... बड़े-2 मुम्मे थे उसके ...लंबी टांगे...हाइ हील की सेंडिल...गोरा रंग....और चेहरा बिल्कुल नेहा धूपिया के जैसा ...कटाव लिए हुए था उसका चेहरा..


उसने आकर मॉर्निंग विश किया ....पर समीर तो उसकी सुंदरता मे खोया हुआ था...लोकेश ने उसे हिलाकर जैसे नींद से जगाया ..समीर ने एकदम से उठकर अपना हाथ आगे किया और रोज़ी से हाथ मिलाया ..वो बेचारी भी शर्म से पानी -2 हो गयी जब समीर ने काफ़ी देर तक उसका हाथ नही छोड़ा ..

लोकेश ने धीरे से कहा : "अब छोड़ भी दे मेरे यार...ये अब यहीं काम करेगी ... कहीं भागी नही जा रही ..''

समीर ने उसका हाथ छोड़ दिया ..

थोड़ी देर तक बैठे रहने के बाद लोकेश वहाँ से चला गया..उसका कोर्ट मे कोई केस था ..

उसके जाते ही समीर ने फिर से आँखे भरकर रोज़ी को देखना शुरू कर दिया..

वो बेचारी सकूचाई हुई सी उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठी हुई उसके कुछ बोलने का इंतजार कर रही थी ..

समीर :"देखो रोज़ी ...मुझे लोकेश ने तुम्हारे बारे मे सब कुछ बता दिया है ...तुम्हारे घर के जो हालत है ...वो सब मैं अच्छी तरह से जानता हू ...अब तुम्हारे घर की पूरी ज़िम्मेदारी तुम पर ही है ...इसलिए मैं तुम्हारी सैलेरी 50 हज़ार रुपए रख रहा हू ...''

50 हज़ार सुनते ही रोज़ी की आँखे फटने को हो गयी ...उसने तो इतने पैसों के बारे मे सोचा भी नही था ...लोकेश ने भी उसे बोला था की कम से कम 15-20 हज़ार रुपए तो दे ही देगा, क्योंकि उसके पास पर्सनल सेक्रेटरी के काम का कोई एक्सपीरियेन्स भी नही था ...

समीर भी बड़ा चालक था, उसे पता था की ऐसी मिडल क्लास की लड़कियों को कैसे अपने काबू मे किया जाता है ..वो अपने पैसों का रोब दिखाकर उसे शुरू मे ही इंप्रेस करना चाहता था ताकि वो बाद मे उसके हर तरह के काम के लिए तैयार हो जाए ..

उसने कुछ ज़रूरी हिदायतें देकर उसे बाहर जाने को कहा और उसकी सीट भी दिखा दी...और सारे स्टाफ से भी मिलवा दिया..

अपने कमरे मे रहकर वो रोज़ी की हर हरकत को देख पा रहा था...उसकी मोहक सी सूरत को देखकर वो मन ही मन उसको चोदने के सपने देखने लग गया..

पर वो ये काम काफ़ी आराम से करना चाहता था...क्योंकि अभी के लिए उसके पास उसकी गर्म वाइफ जो थी चुदाई के लिए..और साथ ही जवान बेटी भी..जो दिन ब दिन उसके करीब आती जा रही थी..

वो अपने सिर के पीछे हाथ रखकर आराम से सोचने लगा की कैसे-2 वो इस नयी लड़की का शिकार करेगा..
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05-25-2019, 11:46 AM,
#38
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--36

अब आगे
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एक तरफ तो समीर अपनी नयी सेक्रेटरी को चोदने के सपने देख रहा था...और दूसरी तरफ उसकी बीबी किसी और के लंड के लिये तडप रही थी...यानी विक्की के लिये...और विक्की को ये बात पता थी की ये आंटी तो अब कभी भी उसे चुदवा लेगी, पर साथ ही साथ वो उसकी रसीली बेटी काव्या को चोदना चाहता था, जिसके उपर उसकी नजर काफी समय से थी. और वो काव्या अपने नये पापा समीर के लंड की दीवानी हुई पडी थी , कुल मिलाकर सभी एक दूसरे की गांड के पीछे लाइन लगा कर खडे थे

फ्राइडे को श्वेता सुबह ही काव्या के घर आ गयी...दोनो घंटो तक विक्की नाम की मुसीबत से निपटने की तरकीबे सोचते रहे..पर उनकी समझ मे कुछ भी नही आ रहा था..क्योंकि ज़्यादातर तरकीबो मे श्वेता खुद ही विक्की से चुदने की बाते कर रही थी..पर काव्या ऐसा नही चाहती थी...उसके हिसाब से अगर विक्की ने श्वेता को चोद दिया तो उसको भी एक ना एक दिन वो चोद ही देगा...क्योंकि श्वेता के थ्रू वो काफ़ी ऐसी बातों का पता कर सकता था जिन्हे अगर वो जान जाए तो काव्या का बचना नामुमकिन था.

और फिर सैटरडे भी आ ही गया...काव्या का दिल जोरो से धड़क रहा था..पर अंदर ही अंदर वो रोमांच से भी भर रही थी...और साथ ही साथ उसके अंदर एक अहंकार की भावना भी आ रही थी..अहंकार इसलिए की उसकी जवानी के पीछे अब तक कितने लंड पड़े हुए थे...वो कोई फिल्मी हेरोइन जैसी तो नही थी..पर फिर भी उसके पीछे इतने लोग पड़े है...जैसे विक्की...श्वेता का भाई नितिन...दत्त अंकल..और अब उसके पापा समीर भी उसमे दिलचस्पी लेने लगे हैं...जिनके लंड की खुद दीवानी हुई पड़ी है

और एक ऐसी लड़की के लिए, जो अभी तक ढंग से जवान भी नही हुई है..उसके लिए इतने लोग मचलते है, ये एक एहंकार की भावना का निर्माण करने के लिए काफ़ी है.

उसने सोच लिया की जो होगा देखा जाएगा...और अपनी माँ के कहे अनुसार एक टी शर्ट और जींस पहन कर तैयार होकर बैठ गयी..

उस दिन समीर जल्दी ही अपने ऑफीस के लिए निकल गया...आख़िर नयी-2 सेक्रेटरी जो आई थी उसके ऑफीस मे..रोज़ी के हुस्न का दीदार करने के लिए वो किसी स्कूल के बच्चे की तरह तड़प रहा था.

समीर के जाते ही रश्मि ने विक्की को फोन कर दिया...और कन्फर्म कर लिया की वो सही समय पर आ रहा है ना.. और उसके बाद वो खुद बाथरूम मे जाकर रगड़ -2 कर नहाने लगी...उसने अपने शरीर से बाल सॉफ किए...अपनी चूत को भी चमकाया...जैसे आज ही विक्की उसकी चूत को चोद देगा...

और फिर पूरी बॉडी पर डियो स्प्रे लगाने के बाद उसने एक सेक्सी सा ब्लाउस ओर साड़ी पहन ली, जिसमे से उसके आधे नंगे उभार सॉफ दिखाई दे रहे थे...माथे पर बिंदिया और माँग मे सिंदूर लगाकर वो इतनी सेक्सी लग रही थी की वो खुद ही अपना ऐसा सेक्सी रूप देखकर शरमा गयी...

उधर विक्की भी थोडा सज संवर कर निकला आज...अपनी शेव बनवा कर और बाल कटवाने के बाद वो भी किसी हीरो जैसा ही लग रहा था..उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट पहनी और जान बूझकर दिए गये टाइम 1 बजे के बाद ही वहां पहुँचा..

रश्मि बड़ी ही बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी...जैसे ही बाहर के चोकीदार ने इंटरकाम पर बताया की कोई विक्की नाम का लड़का आया है तो उसने जल्द से जल्द उसको अंदर भेजने के लिए कहा..

उसके आते ही रश्मि ने कहा : "इतनी देर क्यो लगा दी...''

पर विक्की तो उसके हुस्न को देखकर पागल हुए जा रहा था...उसकी नेट वाली साड़ी के नीचे से झाँक रहे उरोजों को देखकर एक पल के लिए तो उसने खुद को चूतिया कहा...क्योंकि ऐसा माल हर किसी की किस्मत मे नही होता...और वो तो खुद ही उसके लंड की दीवानी हुई पड़ी थी...उससे चुदवाना चाहती थी..पर उसको टरका रहा था , ऐसे मे ज़रा भी गड़बड़ हो जाए तो काव्या के साथ-2 विक्की को रश्मि जैसी सेक्स बोंम्ब से भी हाथ धोना पड़ेगा...

उसने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और बोला : "बस...वो बाल कटवाने मे देरी हो गयी...''

उसने चिकने चेहरे को देखकर रश्मि ने कहा : "तभी आज इतना स्मार्ट लग रहा है. ....''

और फिर उसने बड़े ही बेबाक तरीके से अपने होंठों पर जीभ फेराई..

उसके इशारे को नरंदाज करते हुए वो बोला : "आंटी...काव्या कहाँ है...''

रश्मि : "वो अपने कमरे मे ही है ...तुम उपर चले जाओ...सीधे हाथ पर पहला कमरा है उसका...और उसके साथ वाला ही मेरा बेडरूम है...''

अपनी बात कहकर वो खुद ही हंस पड़ी...विक्की भी उसका उतावलापन देखकर हंस दिया..और उपर की तरफ चल दिया.

काव्या के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था...थोड़ी देर पहले ही वो सीडियो के उपर खड़ी होकर विक्की और अपनी माँ के बीच की बाते सुन रही थी...और साथ ही साथ अपनी माँ की हरकतें भी नोट कर रही थी..एक बार के लिए तो उसको भी शक हुआ की कही उसकी माँ, विक्की का साथ इसलिए तो नही दे रही की वो खुद उसकी दीवानी हो चुकी है...पर फिर ये सोचकर की 'भला वो ऐसा क्यो करेगी', उसने वो विचार दिमाग से झटक कर निकाल दिया.

विक्की के उपर आने से पहले वो सीधा जाकर अपने बेड पर बैठ गयी...और एक बुक हाथ मे लेकर पड़ने का नाटक करने लगी

विक्की : "हाय ....क्या मै अंदर आ सकता हू...''

विक्की को देखकर एक पल के लिए तो काव्या ठिठक सी गयी....क्योंकि उसका ऐसा रूप उसने पहली बार देखा था...इससे पहले तो वो हमेशा गंदे कपड़ो में ...बिखरे बालो में ..हल्की दाढ़ी में ...सिगरेट फूंकता हुआ ही दिखाई देता था...

पर आज वो इतना सॉफ सुथरा बन कर आया था ... जैसा बॉय फ्रेंड लड़की चाहती है...ठीक वैसा ही..

काव्या ने कुछ नही कहा और फिर से अपनी बुक मे कुछ पड़ने की कोशिश करने लगी..

विक्की अंदर आकर उसके पास बैठ गया, वो तो जब से इस घर मे आया था, वहाँ की भव्यता देखकर हैरान हुआ जा रहा था..और काव्या के कमरे मे घुसकर उसके ठाट बाट देखकर भी उसका वही हाल था..

विक्की ने जब देखा की काव्या कुछ ज़्यादा ही भाव खा रही है तो वो सीधा मुद्दे पर आ गया

वो बोला : "लगता है तुम्हे मेरा यहा आना सही नही लगा..ठीक है...मैं वापिस जाता हू...अब सीधा तुम्हारे बाप से ही बात करूँगा...और उन्हे सब सच-2 बता दूँगा..''

इतना कहकर वो पलटकर जैसे ही जाने लगा...काव्या उछलकर बेड से कूदी और भागकर उसने विक्की का हाथ पकड़ लिया और उसे अंदर खींचने लगी

काव्या : "अरे...तुम तो नाराज़ हो गये...''

विक्की ने भी ये मौका नही छोड़ा...आज पहली बार काव्या के शरीर ने छुआ था उसको....ऐसा रेशमी एहसास तो उसे आज तक नही हुआ था..उसने काव्या की कमर पर हाथ रखकर उसे अपने सीने से लगा लिया...और दोनो के चेहरे एक दूसरे के बिल्कुल सामने आ गये..काव्या ने तो एकदम से ऐसे बर्ताव की उम्मीद भी नही की थी..दोनो की साँसे आपस मे टकराने लगी..

काव्या तो हमेशा से ही महकती रहती थी...पर आज विक्की के मुँह से भी माउथ फ्रेशनर की अच्छी सी महक आ रही थी...जिसे सूँघकर काव्या पर एक खुमारी सी चढ़ रही थी.

विक्की कुछ देर तक तो उसके भोले से चेहरे को देखता रहा और फिर अचानक बिना किसी वार्निंग के उसने उसके गुलाबी होंठों को चूम लिया...और ये सब इतना जल्दी हुआ की जब तक वो उसको धक्का देती, वो एक स्मूच भी कर चुका था उसके होंठों पर...


काव्या चिल्लाई :"ये क्या बदतमीज़ी है...यू बास्टर्ड ....तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे चूमने की...''

विक्की ने भी अपना रंग दिखाया : "ज़्यादा मत बोल तू अब...तूने ही मुझे यहा बुलाया है...और तू तो जानती है की मेरे दिल मे तू कब से बसी हुई है...और अब तो तूने खुद अपने घर पर ऐसे-2 झूट बोल रखे है की तुझे भी पता है की उन्हे जानकार तेरे माँ -बाप पर क्या असर होगा ...अब तूने मेरा नाम ले ही लिया है तो मेरा भी तो हक बनता है ना कुछ वसूल करने का...''

और इतना कहकर वो भद्दी सी हँसी हँसने लगा..

काव्या समझ गयी की वो फँस चुकी है...पर जैसा की उसने और रश्मि ने सोच रखा था, उसने सीधा विक्की से पूछा : "आख़िर तुम चाहते क्या हो...''

विक्की की नज़रें उसके शरीर पर घूम गयी...काव्या ने शरमाते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया..

विक्की ने ये मौका भी नही छोड़ा और वो सीधा जाकर उसकी उभरी हुई गांड से लिपट गया...और अपने हाथों को उसने उसके पेट पर रख कर उसके जिस्म को अपने से सटा लिया.

काव्या का शरीर काँप उठा..पर इस बार उसने विक्की को कुछ नही कहा...

विक्की का लंड उसकी गांड पर दबाव बनाकर अपनी हालत का आभास करा रहा था.

ऐसी गद्देदार गांड का अनुभव विक्की ने भी अपनी लाइफ मे पहली बार किया था...वहा पर लगते ही वो किसी बावले सांड़ की तरह उसकी गांड पर अपने लंड का दबाव डालने लगा.

काव्या ने कसमसाते हुए फिर से कहा : "बोलो विक्की....तुम चाहते क्या हो ...''

इस बार विक्की ने उसके कानो मे अपने होंठों को फँसाया और फुसफुसाते हुए कहा : "मैं तुझे नंगा करके तेरे ही बेड पर चोदना चाहता हू....तेरी चुचियो को चूसकर उसमे से सारा रस निकालना चाहता हू...तेरे पूरे बदन को अपनी जीभ से चाटकर तुझे चखना चाहता हू...तेरी चूत को अपने होंठों से चूसकर तेरा सारा रस पीना चाहता हू...और अपने लंबे लंड से तेरी चूत रॅफ तरीके से मारकर अपना सारा माल तेरे अंदर ही निकालना चाहता हू...और तेरी ये गांड ..इसको तो रात भर मारकर अंदर ही लंड को छोड़कर तेरे से लिपट कर सोना चाहता हू...''

विक्की का एक-2 शब्द उसके बदन के हर हिस्से मे करंट भर रहा था...इतनी गंदी तरह से उसने सब बोला था...पर पता नही क्यो काव्या को सब अच्छा लग रहा था..ऐसा गली का लोंडा , जो उसके शरीर से रॅफ तरीके से खेलकर उसकी हवस को शांत करे,उसे वो सब बोलता हुआ सुनकर ही वो बुरी तरह से गीली हो चुकी थी...और अपनी आँखे बंद करके वो सब इमेजिन भी करने लगी...उसने अपने अकड़ते हुए शरीर को विक्की की बाहों मे छोड़ दिया और उसका सहारा लेती हुई पीछे की तरफ झुक गयी..

विक्की समझ गया की मछली जाल मे फँस गयी है...उसने अपने दहकते हुए होंठ गोल किए और काव्या का पूरा कान अपने मुँह मे भर लिया ...और उसको चाशनी से भरे रसगुल्ले की तरह चूसने लगा...

काव्या तो तड़प ही उठी..

''अहह ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...... ऐसा मत करो प्लीईईईस....''

और अगले ही पल विक्की के चुंगल से आज़ाद होकर वो बाथरूम की तरफ भाग गयी और अंदर से दरवाजा बंद करके तेज साँसे लेने लगी..

विक्की भी दरवाजे के बाहर पहुँचा और धीरे से बोला : "देखो काव्या...ऐसे नाटक मत करो...मैं भी जानता हूँ की तुम्हे ये सब पसंद आ रहा है...फिर क्यो ऐसे नाटक कर रही है...चल जल्दी से बाहर निकल...तुझे तो अपनी माँ से डरने की भी कोई ज़रूरत नही है...उसने तो खुद ही मुझे तेरे कमरे मे भेजा है...ताकि मैं तेरी चूत मार सकूँ ...''

आवेश मे आकर एकदम से विक्की ने सब उगल दिया...और विक्की के मुँह से ये सुनकर की उसकी माँ ने ही ये सब किया है, वो सकते मे आ गयी...और एक ही पल मे उसका दिमाग़ पूरी तरह से घूम गया...उसका सारा ध्यान विक्की से हटकर अपनी माँ की तरफ चला गया..और उसने हैरान होते हुए दरवाजा खोल दिया.

काव्या : "क्या कहा तुमने ....मेरी माँ ने भेजा है तुम्हे मेरे पास...यानी माँ खुद चाहती है की तुम मेरे साथ ये सब करो...यानी सेक्स करो...मेरी माँ ने कहा ये सब तुमसे ...''

विक्की समझ गया की अब झूट बोलने का कोई फायदा नहीं है ...और वैसे भी लड़कियो को सफाई देना तो उसने आज तक नही सीखा था..

विक्की : "हाँ ..हाँ ..तेरी माँ ने ही बोला था मुझे ...''

काव्या : "पर क्यो...उन्हे भला क्या मिलेगा अपनी ही बेटी को ऐसे ...तुमसे सेक्स करवाकर ...''

विक्की (मुस्कुराते हुए) : "वही ...जो मैं तुझे दूँगा...मेरा लंड ..''

इतना कहकर उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपनी पेंट खोलकर नीचे खिसका दी और उसका लंड खड़ा होकर उसकी आँखो के सामने लहराने लगा..

और एक बार फिर से , काव्या का ध्यान अपनी माँ से हटकर वापिस विक्की की तरफ आ गया...वो तो उसके मोटे और लंबे लॅंड को देखकर हैरान ही रह गयी...ऐसा मस्त लंड तो सिर्फ़ मूवीस मे ही देखा था उसने...समीर और दत्त अंकल के तो बूढ़े थे...पर ये तो नितिन के लंड से भी बड़ा था ...उसको अंदर लेने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत के पसीने छूटने लगे..

पर फिर से उसने अपनी भावनाओ पर नियंत्रण किया और कहा : "पर वो ऐसा क्यों चाहेगी ...उनकी तो अभी-2 शादी हुई है मेरे पापा से...उन्हे भला क्या दिलचस्पी हो सकती है तुम्हारे इसमे ..''

उसने विक्की के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा..

विक्की अपने लॅंड को अपने हाथ से पूचकारता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया...बिल्कुल पास ... और बोला : "ये तो मुझे भी पता है की उनकी अभी-2 शादी हुई है..पर एक बार औरत को चुदवाने की लत्त लग जाए तो वो हर उस लंड को लेना चाहती है, जो उसको अच्छा लगे...और जब से तेरी माँ ने मेरे इस पालतू लंड को देखा है, वो तो इसकी दीवानी हुई बैठी है...तभी तो वो ऐसे जतन कर रही है जिसमे वो पहले मुझे खुश करेगी...यानी तुझे चुदवाकर...और फिर खुद भी ऐश करेगी...मेरे लंड को अपने अंदर लेकर..''

विक्की के मुँह से अपनी माँ की साजिश का परदा फ़ाश होते देखकर एक पल के लिए तो काव्या को भी विश्वास नही हुआ की उसकी माँ ऐसा भी कर सकती है...पर फिर उसने खुद को अपनी माँ की जगह पर रखकर देखा..शायद वो सही भी थी...इतने सालो तक बिना पति के रहने के बाद जब उन्हे एक पति मिला तो उनके अंदर की औरत जाग उठी..और उसने जब विक्की के लंड को अपने आस पास देखा तो उससे भी चुदवाने की तैयारी कर बैठी..

''पर उन्होने देखा कैसे ? '' काव्या ने जब ये प्रश्न विक्की से पूछा तो वो बोला : "तुम्हे ये सब अभी बता दिया तो मेरा तो काफ़ी नुकसान हो जाएगा मेरी जान....''

काव्या समझ गयी की वो अड़ियल कुत्ता और कुछ बताने से तो रहा...काव्या के दिल मे अभी भी ये बात चल रही थी की शायद विक्की झूट बोल रहा है...उसकी माँ उसके साथ ऐसा कर ही नही सकती..

पर अगर वो ऐसा कर रही है तो ये उसके लिए फायदे का सौदा हो सकता है..क्योंकि फिर वो खुद उसके पति, यानी समीर से खुल कर चुद सकती है...एक बार अगर वो विक्की और अपनी माँ की चुदाई का सबूत, यानी कोई पिक्चर या मूवी बना ले तो उसकी माँ भी उसको समीर से खुलकर चुदाई करवाने से नही रोक सकती...

और ये विचार आते ही एक ही पल मे उसके चेहरे पर खुशी आ गयी..

वो सोचने लग गयी की अब विक्की को कैसे तैयार किया जाए की वो उसकी बात मानकर उसका इस योजना मे साथ दे..
Reply
05-25-2019, 11:46 AM,
#39
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--37



काव्या को गहरी सोच मे डूबा देखकर विक्की बोला : "इतना सोचोगी तो मेरा पप्पू बूड़ा हो जाएगा तेरे इंतजार मे...''

और इतना कहते हुए उसने अपने खड़े हुए लंड को आगे बढ़कर उसके हाथ से छुआ दिया..और इतना काफ़ी था काव्या की तंद्रा भंग करने के लिए..उसे तो ऐसे लगा की किसी ने कोई गर्म चीज़ छुआ दी है...उसके हाथ की उंगलियाँ सुलग उठी..और उन पर लगा हुआ विक्की के लंड का प्रीकम किसी तेज़ाब की तरह जलाता हुआ महसूस हुआ ..

और जैसे बचपन से उसने सीखा था, हल्की जलन होने पर उस हिस्से को मुँह मे डालकर चूस लो , वही उसने उस वक़्त भी किया, बिना सोचे समझे उसने अपने हाथ की दोनो उंगलियाँ अपने रसीले होंठों के बीच खिसका दी और उन्हे ज़ोर से चूसने लगी..

विक्की तो हैरानी से उसे देखता ही रह गया...और तब काव्या को एहसास हुआ की उसने क्या किया..क्योंकि विक्की के हैरानी भरे चेहरे के साथ -2 उसको उसके प्रीकम का भी स्वाद अपनी जीभ पर महसूस हुआ..पर अब वो कर भी क्या सकती थी...जब तक वो अपनी उंगलियाँ वापिस बाहर निकालती, उसके स्वाद का असर अंदर तक हो चुका था ..

हल्का खट्टा सा पानी था ..भले ही सिर्फ़ दो बूँद थी वो पर वो उसको अंदर तक झुलसा गयी..

उसके होंठ काँपने लगे...उसकी चूत से पानी की बारिश सी होने लगी पेंटी के अंदर...और उसको विक्की उस समय इतना सेक्सी लगा की उसका मन किया की अभी के अभी उसके लंड को अंदर ले कर जी भर कर चुदवाए..

पर पता नही क्या सोचकर उसने खुद को रोक लिया..चुदना तो वो कब से चाहती थी..पर ऐसे नही...एकदम से विक्की के सामने आत्मसमर्पण करने का मतलब वो पता नही क्या लगाएगा...

और अपनी सेल्फ़ रिस्पेक्ट वो नही खोना चाहती थी...अभी थोड़ी देर पहले जिस एहंकार को उसने फील किया था, उसने फिर से उसके बारे मे सोचा...और खुद को ये एहसास दिलाया की वो ऐसे लंड की भूखी नही है...बल्कि ऐसे लंड उसकी चूत के भूखे हैं..

उसने एकदम से विक्की को धक्का देकर पीछे किया और अपना मुँह घुमा कर दूसरी तरफ कर लिया

काव्या : "ये सब बंद करो....मुझे इसमे अभी कोई इंटेरेस्ट नही है...''

काव्या को ऐसे एकदम से पलटी मारते देखकर विक्की भी मायूस हो गया, उसके एक्सपीरियेन्स के हिसाब से तो ऐसी हालत मे आकर अच्छी से अच्छी लड़की भी सेक्स की आग मे पिघल कर अपना शरीर सौंप देती है...ये पता नही किस मिट्टी की बनी है..

पर विक्की भी जानता था की उसका पलड़ा भारी है...और वो जल्द ही उसके सामने घुटने टेक देगी..

पर अभी के लिए उसने अपने लंड को वापिस उसकी मांद मे धकेल कर जीप लगा ली..और आराम से उसके गद्दे पर पसर गया...जैसे वहीं सोने का प्लान हो उसका..

काव्या अभी तक काँप रही थी...ऐसी हालत तो तब भी नही हुई थी जब उसने अपनी लाइफ का पहला लंड देखा था..यानी दत्त अंकल का..विक्की के जवान लंड ने एकदम से पता नही क्या जादू कर दिया है उसपर की वो अपनी मंज़िल, यानी पहली बार अपने समीर पापा से चुदवाने, से भी भटकने लगी है..

अगर विक्की ने अभी उसकी माँ वाली बात नही बताई होती तो शायद उसका ध्यान सिर्फ़ अभी उसके लंड तक ही रहता..पर अब वो ज़्यादा उस बारे मे ही सोच रही थी..उसके मन मे इसी बात की बहस चल रही थी की क्या वो सही कर रही है..

अब जो भी हो, काव्या ने सोच लिया था की अब वो सबूत इकट्ठा करके रहेगी, ताकि वो भी खुलकर समीर के साथ मज़े ले सके..और बाद मे विक्की के साथ भी..और फिर नितिन के साथ...और फिर दत्त अंकल के साथ...और फिर...और फिर...

ना जाने वो किस-किसके बारे मे सोचती रही.. पर पहले उसकी चूत का उद्घाटन होना भी तो ज़रूरी था..उसके बाद ही तो वो सब होता..

विक्की : "तुम्हारे मन मे जो चल रहा है, मुझे पता है..जैसे तुम्हारी माँ खुलकर मज़े लेना चाहती है, तुम भी लो ना...तुम्हे कौन रोक रहा है...''

काव्या ने अचानक अपना रुख़ बदला , और थोड़े नरम स्वर मे बोली : "देखो...मुझे थोड़ा वक़्त दो..ऐसे...इतनी जल्दी...एकदम से....मुझसे नही होगा...समझो ज़रा...''

उसने इस अदा से ये बात बोली थी की विक्की का दिल घायल सा हो उठा...अभी एक मिनट पहले जहाँ उसके दिल मे सिर्फ़ सेक्स करने की बातें घूम रही थी, एकदम से उसकी जगह वो सब आ गया जब वो स्कूल टाइम मे काव्या के रूप के पीछे पागल सा होकर उसके आस पास फिरता रहता था..उसके दोस्त तो उसे काव्या का मजनूँ कहते थे...फिर उसकी संगत बिगड़ने लगी..वो आवारा लड़को के साथ घूम-घूमकर उनकी तरह ही हो गया..और फिर उसने ना जाने कितनी ही लड़कियो की चूत अलग-2 तरीकों से बजाई थी, इसका अंदाज़ा उसे भी नहीं था..पर काव्या को वो कभी अपने दिल से नही निकाल पाया था..

इसलिए अभी भी जब उसको मौका मिला तो उसकी चूत मारने के लिए किसी कुत्ते की तरहा भागा चला आया..चाहे बाद मे उसे उसकी माँ की सेवा भी करनी पड़ेगी..पर अपनी काव्या के लिए वो कुछ भी करने के लिए तैयार था..

पर अचानक काव्या का ये प्यार वाला रूप देखकर वो सेक्स-वेक्स सब भूल सा गया...और उसके मन मे वही 3 साल पहले वाली प्यार भरी गुदगुदी होने लगी..

वो भी बड़े ही प्यार भरे लहजे मे बोला : "कोई बात नही काव्या...तुम जब चाहो...''

काव्या भी एकदम से उसके बदले हुए व्यवहार को देखकर हैरान हुई..पर फिर ये सोचकर की शायद उसके भोलेपन का जादू चल रहा है उसके उपर, उसने अपनी आगे की योजना उसके सामने रखी

काव्या : "अच्छा सुनो..तुम मेरे साथ एक़्वा वॉटर पार्क चलोगे क्या...''

एक़्वा वॉटर पार्क की बात सुनते ही विक्की एकदम से चौंक गया...क्योंकि उस वॉटर पार्क मे वो अक्सर जाता था...कई बार उसने पानी मे खड़े होकर भी कई लड़कियो की चूत मारी थी...एक तो वो शहर से काफ़ी दूर था और वहाँ की टिकेट भी काफ़ी महँगी थी..इसलिए ज़्यादातर युगल जोड़े ही वहाँ जाकर मज़े लेते थे..क्योंकि इतनी महँगी टिकेट लेकर फेमिली वाले कम ही जाते थे वहाँ..पर काव्या उसके साथ वहाँ क्यो जाना चाहती है...

वो ये पूछने ही वाला था की वो आगे बोली : "और साथ मे मम्मी को भी ले चलेंगे..''

विक्की : "पर मम्मी को क्यो ?"

उसकी समझ मे नही आ रहा था की काव्या के दिमाग़ मे क्या चल रहा है...ये जानते हुए भी की उसकी माँ की नज़र विक्की के उपर है, वो फिर भी उसे साथ मे ले जाना चाहती है...ऐसे में वो तो कुछ कर भी नही पाएगा ...क्योंकि माँ के होते हुए वो कैसे उसकी बेटी से मज़े लेगा...

काव्या : "वो मैं अभी नही बता सकती...अगर तुम चलना चाहते हो तो बताओ...वरना रहने दो...''

ऐसे मौके को वो कभी छोड़ना नही चाहता था...उसने झट से कहा : "अरे नही....ऐसा कुछ नही है...तुम्हारी मर्ज़ी..अगर अपनी माँ को लेकर चलना है तो चलो...''

काव्या मन ही मन मुस्कुरा उठी...अभी वो ज़्यादा बताकर विक्की के दिमाग़ का हलवा नही करना चाहती थी...क्योंकि आख़िर मे जाकर जब विक्की को ये बताना पड़ता की वो अपनी माँ के खिलाफ सबूत इकट्ठा करके,उसे डराएगी, और अपने बाप से चुदवायेगी , तो शायद वो उसका साथ नही दे...क्योंकि वो तो खुद ही काव्या पर अपना पहला हक़ समझ रहा था...इसलिए उसको काफ़ी सोच समझकर ये सब करना था..

विक्की : "पर...तुम्हारी माँ साथ चलने के लिए तैयार होगी क्या...''

काव्या : "उनको मैं मना लूँगी...तुम चिंता मत करो...कल संडे है...मेरी छुट्टी भी है...कल चलते है...ओके ..मैं गाड़ी लेकर आ जाउंगी ...तुम मुझे बैंक रोड पर मिल जाना..ठीक 11 बजे..''

विक्की : " ओके "

और फिर अपने मन मे मीठे गाने गुनगुनता हुआ विक्की वहाँ से वापिस घर की तरफ निकल गया..

थोड़ी ही देर मे उसके कमरे मे रश्मि आई

रश्मि : "अरे काव्या, ये विक्की एकदम से क्यो चला गया...जाते हुए मुझसे मिलकर भी नही गया...''

वो बेड की तरफ देख रही थी...वहाँ की चादर से ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी की कुछ हुआ भी था वहाँ या नही...

काव्या : "बस माँ , उसको एक काम याद आ गया...वो चला गया..पर कल मिलने बुलाया है मुझे ...एक़्वा वॉटर पार्क में.''

रश्मि : "वहाँ .....इतनी दूर ....वो तो शहर से बाहर ही पड़ता है...वहाँ क्यो बुलाया है...जो करना है यहीं कर लेता...''

आख़िर की बात पर वो खुद ही झेंप गयी...पर फिर एकदम से बोली : "कुछ खाकर भी नही गया...पता नही क्या सोचेगा..की अपनी जी एफ के घर आया पहली बार, और किसी ने कुछ खिलाया-पिलाया भी नही..''

काव्या (मुस्कुराती हुई) : "तो एक काम करना मम्मी, आप कल खिला देना उसको जो खिलाना है ..क्योंकि आप भी हमारे साथ चल रही है वहाँ ..''

ये सुनते ही रश्मि के पूरे शरीर मे झुरझुरी सी दौड़ गयी...स्वीमिंग पूल मे...विक्की की लगभग नंगी बॉडी ...और वो खुद भी तो स्वीमिंग सूट मे होगी...वाव ...पर साथ मे काव्या भी तो रहेगी...

रश्मि : "नही ..नही ...मैं वहाँ क्या करूँगी ....ऐसे अच्छा थोड़े ही लगता है...''

वो अंदर से तो चाह रही थी वहाँ जाना..पर थोड़ा नाटक करना भी तो बनता ही था ना...

काव्या : "क्या माँ ...आप भी ना...आजकल ये सब कोई नही देखता...और विक्की ने खुद कहा है की मैं आपको साथ लेकर आउ ....शायद वो आपको पटाकर अपनी तरफ करना चाहता है...ताकि बाद मे उसको कोई तकलीफ़ ना हो...''

उसकी ये बात सुनकर रश्मि का चेहरा शर्म से लाल हो उठा...उसने मन मे सोचा की ' बेटी,अभी तू जानती ही क्या है..उसने तो मेरा क्या-2 देख लिया है..और हमारी बात कहाँ तक जा चुकी है...अगर उसने काव्या को पहले चोदने की शर्त ना रखी होती तो वो कब का विक्की के लंड से चुद चुकी होती..

और विक्की के लंड से चुदने का ख़याल आते ही उसका बदन काँपने सा लगा...उसके जहन में फिर से उस दिन वाला द्रिश्य तैर गया जब वो नंगी पुँगी सी होकर पुराने किले मे विक्की से लिपटी खड़ी थी...

अपनी माँ को ऐसे शरमाते देखकर काव्या को काफ़ी मज़ा आ रहा था...

वो बोली : "तो ठीक है माँ ...कल आप चल रही हो..मतलब चल रही हो...ओके ...''

और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी...

रश्मि को उसके और विक्की के विचारों मे छोड़कर..
Reply
05-25-2019, 11:46 AM,
#40
RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--38

अब आगे
**********

काव्या के जाते ही रश्मि जल्दी से तैयार हुई और ड्राइवर के साथ मार्केट निकल गयी..क्योंकि उसके पास तो पूल मे पहनने के लिए कोई स्वीमिंग सूट ही नही था..आज उसके मन मे ऐसी खुशी की लहर दौड़ रही थी जैसे वो फिर से जवानी की दहलीज पर पहुँच गयी है..वो अपने इस नये प्रेमी यानी विक्की को पूरी तरह से इंप्रेस कर देना चाहती थी..

वो सीधा एक माल में गयी और एक बड़े से रीटेल शोरुम के अंदर चली गयी..अंदर पूछने पर किसी ने बता भी दिया की फर्स्ट फ्लोर पर स्वीमिंग सूट्स का कलेक्शन है..वो उपर गयी तो वहां हेंगर्स मे लगे सूट्स को देखकर उसकी आँखे खुली रह गयी..ऐसे रंग बिरंगे स्वीमिंग सूट तो उसने मूवीस मे भी नहीं देखे थे..

तभी पीछे से आवाज़ आई

"मेम ...केन आई हेल्प यू..''

रश्मि ने पीछे मुड़कर देखा तो एक नेपाली लड़का खड़ा था..लगभग 22 की उम्र का..उसने टाई लगा रखी थी..वो था बड़ा गोरा चिट्टा और चिकना सा..उसकी स्माइल देखकर रश्मि भी उस पर मोहित हो गयी..

पर अगले ही पल उसे ख्याल आया की वो तो लेडीस सेक्शन है...और ख़ासकर स्वीमिंग सूट के लिए तो कोई लड़की ही होनी चाहिए वहां पर..

रश्मि : "या...पर यहाँ कोई लड़की नही है...इस सेक्शन के लिए..''

उसने एक हेंगर अपने हाथ मे लेकर कहा..

लड़का, जिसका नाम राघव था, बोला : "सॉरी मेम ..यहा जो लड़की है वो आज छुट्टी पर है..बट आई केन हेल्प यू ...''

इतना कहकर उसकी नज़र सीधा रश्मि के वक्षस्थल पर गयी..उसका साइज़ जानने के लिए..और उसके चेहरे पर अजीब सी स्माइल आ गयी..और फिर उसकी नज़रें नीचे उसकी गांड तक गयी...उसको स्केन करते हुए..और अच्छी तरह से अपनी एक्सरे मशीन पर उसको परखने के बाद राघव बोला : "मेम ....आप बॉडी कवर सूट लेना चाहेंगी या टू पीस बिकिनी...''

रश्मि को बहुत शर्म आ रही थी..जब राघव ने उसके शरीर को अपनी नज़रों के इंचीटेप से नापा था..वो अंदर से काफ़ी असहज महसूस कर रही थी..पर साथ ही साथ उसके दिल की धड़कने भी बढ़ गयी थी..

उसके अंदर से आवाज़ आई 'ये हो क्या रहा है रश्मि...आजकल तू कुछ ज़्यादा ही नोटी नही हो रही है क्या......पहले विक्की और अब ये नेपाली लड़का..जवान बेटी की माँ है तू..और तू है की उसी उम्र के लड़को को देखकर तेरा मन मचल रहा है आजकल...'

वो अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर खुद ही शरमा गयी...उसे ऐसे मंद -2 मुस्कुराते हुए देखकर राघव बोला : "मेम ...प्लीस आप मेरे साथ वहां आइए...आपके साइज़ के स्विमवीयर वहां पर है..''

दोपहर का समय था..और उपर वाले फ्लोर पर ज़्यादा भीड़ भी नही थी..ऐसे मे अपने मचलते हुए अरमानो के साथ वो होले -2 मुस्कुराती हुई राघव के पीछे चल दी.

रश्मि ने नोट किया की उस सेक्शन में उसके साइज़ के ही स्वीमिंग सूट्स थे..और पास ही एक डम्मी भी खड़ी थी,एक लड़की की, जिसपर एक बड़ा ही खूबसूरत सा टू पीस वाला स्वीमिंग सूट लगा हुआ था..

रश्मि ने उसे देखा और वो उसके लिए बोलने ही वाली थी की राघव उसकी मंशा समझ कर बोला : "ये वाला बहुत बाड़िया पीस है मेम ...ये लीजिए..ये रहा..''



पतली डोरी से बँधे तिकोने थे बस..जो सिर्फ़ आधे मुम्मे को ही ढक सकते थे..डम्मी के मुम्मे तो लगभग 32 थे पर फिर भी उसकी साइड्स बाहर निकल रही थी...रश्मि का साइज़ तो 38 था...वो तो उसको आधे भी कवर नही कर पाएँगे...

रश्मि धीरे से बोली : "पर ये छोटा लग रहा है...''

राघव : "नही मेम ...ये स्ट्रेचेबल कपड़ा है...ये स्ट्रेच करते हुए पूरी ब्रेस्ट को कवर करेगा...ये देखिए...''

और उसने रश्मि के हाथ से लेकर आगे वाले कपड़े को दोनो हाथो से खींचा..और वो फैलकर लगभग दुगने आकार का हो गया..

राघव : "आप अगर पीछे से ज़ोर से नॉट बाँधेंगी तो ये पूरा कवर करेगा ...ये 36-38 साइज़ के लिए ही है...''

रश्मि समझ गयी की उसने अपनी आँखो से सही से नाप लिया है उसके मुम्मों का..क्योंकि उसका साइज़ 38 ही था

और अचानक उसके मन मे उसके साथ मज़ा लेने की सूझी..

रश्मि : "पर मेरा साइज़ तो 40 है...ये छोटा ही रहेगा...''

राघव एकदम से हड़बड़ा सा गया : "नही..नही मेम ...ये आपके साइज़ का ही है...आपके 40??? लगते तो नही है...''

रश्मि (उसकी आँखो मे देखकर) : "मेरी प्रॉपर्टी है...मुझे अच्छी तरह पता है...''

राघव (थोड़ा शरमाते हुए) : "बट मेम ...इसमे तो 40 साइज़ आता ही नही है...आपको मैं कुछ और दिखाऊ क्या..''

उसे शायद अभी तक विश्वास नही हो पा रहा था की रश्मि का साइज़ 40 है...उसकी पारखी आँखे ऐसे धोखा नही खा सकती थी..

रश्मि ने उसके चेहरे की तरफ देखा और एकदम से उसके मुँह से हँसी निकल गयी : "हा हा ....आई एम सॉरी....मैं तो मज़ाक कर रही थी...तुमने ठीक कहा था..38 ही है ...''

रश्मि की बात सुनकर राघव भी मुस्कुरा उठा.. : "क्या मेम ...आप भी ना ..''

और फिर हंसते हुए उसने नीचे से उस पीस के चार कलर निकाल कर सामने रख दिए ..रश्मि ने रेड और वाइट के कॉम्बो वाला पीस लिया...क्योंकि वो उसके उजली स्किन पर बहुत जंच रहा था..

राघव : "आप चाहे तो एक बार ट्राइ करके भी देख सकती है...नही तो चेंज करने के लिए आना पड़ेगा आपको..''

रश्मि जानती थी की वो अच्छी तरह से आ जाएगा उसके बदन पर...फिर भी थोड़ा और मज़ा लेने के लिए उसने राघव की बात मान ली...वो देखना चाहती थी की विक्की को भी क्या वो ड्रेस पसंद आएगी..क्योंकि राघव की उम्र भी लगभग विक्की के जितनी ही थी..

उसने वो टू पीस बिकनी ली और चेंजिंग रूम की तरफ चल दी..अंदर जाकर उसने अपना सूट और सलवार उतार दी..फिर ब्रा और पेंटी भी...सामने के शीशे मे उसने अपने बदन को बड़े ही गौर से देखा...और तब उसे ख्याल आया की उसे तो हेयर भी रिमूव करने है...टाँगो के..हाथो के...चूत तो उसने कल ही सॉफ कर ली थी घर पर...इसलिए जल्द से जल्द यहाँ से निकल कर उसे पार्लर भी जाना होगा..

उसने जल्दी से वो कच्छी पहनी जो उसके बड़े-2 कूल्हों से बुरी तरह से लिपट कर पूरी तरह से कवर हो गयी..उसने गोर से देखा तो उसे अपनी केमल टो भी सॉफ नज़र आई..और गीली होने के बाद तो ये और भी अच्छी तरह से चमक कर दिखेगी...

फिर उसने वो उपर वाला पीस भी पहन लिया..पर पीछे हाथ करते हुए वो सही से बाँध नही पा रही थी उसको...ब्रा के हुक तो वो आगे की तरफ खिसका कर लगा लेती थी..पर ये नॉट कैसे बाँधे..क्योंकि गले के पीछे और कमर के पीछे दो जगह नॉट लगानी थी...उसने गले के पीछे वाली तो बांध ली पर पीछे हाथ करके वो कमर वाली नही बाँध पा रही थी...

उसने धीरे से दरवाजा खोला तो देखा की राघव बिल्कुल बाहर ही खड़ा है..जैसे उसके किसी आदेश का इंतजार कर रहा हो..

रश्मि : "ये पीछे वाली नॉट नही बंध रही....''

राघव : "मेम .इसके लिए आपको किसी कि हेल्प लेनी पड़ेगी...अभी के लिए मैं बांध देता हूँ ...''

और वो बिना किसी परमिशन के दरवाजा धकेल कर अंदर ही आ गया..रश्मि ने घबराकर दरवाजा फिर से बंद कर दिया

राघव ने बड़े ही आराम से रश्मि के पीछे जाकर दोनो डोरियो को पकड़ा...और उन्हे पीछे की तरफ खींचा..ऐसा करते ही रश्मि के दोनो थन छोटे से कपड़े के शिकंजे मे आकर कस गये

राघव : "इतना ठीक है या और टाइट करू मेम ...'' उसने ठीक रश्मि के कंधे के पीछे से सिर निकाल कर आगे की तरफ देखा..और उसके कान मे कहा..

रश्मि जानती थी की जिस एंगल से राघव देख रहा है..उसकी क्लीवेज़ के साथ-2 अंदर तक की घाटी भी सॉफ दिख रही होगी उसको...

रश्मि ने जब अपनी नज़रें नीचे करके अपनी छातियों को देखा तो उसने पाया की ज़्यादा उत्तेजना की वजह से उसके दोनो निप्पल बुरी तरह से अकड़ कर सॉफ दिख रहे हैं...

रश्मि : "पर...ये ...इनका इंप्रेशन सॉफ दिख रहा है यहाँ पर...''

रश्मि की उंगली अपने निप्पल पर थी और वो शीशे मे देखकर पीछे खड़े राघव को बोल रही थी..

राघव एकदम से घूमकर आगे आ गया और बड़े ही गौर से रश्मि की छाती पर उगे निप्पल को देखने लगा...रश्मि को तो ऐसा फील हो रहा था की वो एकदम से नंगी खड़ी है उसके सामने..छोटी सी चड्डी और नाममात्र की ब्रा मे तो उसको पता ही नही चल पा रहा था की उसने कुछ पहना भी है या नही..

राघव : "ओहो...ये तो बहुत बड़े हैं...तभी दिख रहे हैं...''

रश्मि की समझ मे नही आया की वो उसके मुम्मों के बारे मे बोल रहा है या उसके लम्बे निप्पल्स के बारे मे..

राघव : "आप चिंता मत करिए मेम ..मेरे पास इसका भी इलाज है..''

इतना कहकर वो बाहर निकल गया..

जब तक वो बाहर था...रश्मि घूम-घूमकर हर एंगल से अपने शरीर को निहार रही थी...कपड़े की फिटिंग सच मे काफ़ी अच्छी थी..और वो कलर भी काफ़ी जंच रहा था...उसके दोनो उरोजों को संभाले हुए वो छोटी सी ब्रा भी काफ़ी सेक्सी लग रही थी..

फिर वो उछल-२ कर देखने लगी की कहीं ज्यादा जोर पड़ने से पीछे वाली डोरी तो नहीं खुल जाएगी, पर जब ऐसा नही हुआ तो वो निश्चिंत हो गयी

वो अपने आप को निहार ही रही थी की दरवाजा फिर से खुला और राघव अंदर आ गया.

उसके हाथ मे दो बड़े सिक्के के आकार की चीज़ थी...जो बीच मे से दबी हुई थी..जैसे कोई छोटी सी उड़न तश्तरी

राघव : "ये लीजिए मेम ...इन्हे अंदर लगा लीजिए..''

रश्मि ने उसे अपने हाथ मे लिया और बोली : "ये क्या है ...''

राघव : "मेम ....ये लगाने के बाद आपके निप्स का इंप्रेशन बाहर नही दिखेगा...इसमें सेल्फ एडहेसिव लगा है जिसकी वजह से एक ही जगह पर चिपका रहेगा ,हिलेगा भी नहीं , अगर आपको वो नही दिखाना तो आप ये लगा लीजिए अंदर...नही तो ऐसे ही रहने दो...आप काफ़ी सेक्सी लग रही है इसमें ...''

राघव की पेंट मे उसका उभार सॉफ दिख रहा था.
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