Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:43 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
उधर शादी में पिछले तीन दिनों में सोनल ने क्या क्या गुल खिलाये है वो देखते है,सोनल शादी में काफी एन्जॉय कर रही थी, शादी में आये काफी लड़को के साथ उसने मस्ती कर रही थी, हर तरफ लड़के सोनल के पीछे लट्टू की तरह घूम रहे थे, लेकिन अभी तक सोनल ने किसी को टच करने नही दिया था,
लड़की की शादी वाले घर में न जाने कितने काम होते है. और ऐसे ही एक घर में किसी अच्छी लड़की की तरह सोनल भी सभी कामो में हाथ बताने में व्यस्त थी. आज कुछ घंटो में संगीत शुरू होने के पहले कुछ रस्में हो रही थी जिसमे सोनल दुल्हन की मदद कर रही थी जो की उसकी हमउम्र ही थी. यकीन ही नहीं होता था कि दो दिन पहले तक तो सोनल लीला को जानती भी नहीं थी और आज सोनल उसकी शादी में अच्छी सहेली बनकर वहां थी. तभी लीला की माँ जोकि सोनल की चाची लगती थी सोनल के पास आई और बोली, “सोनल, ३ घंटे में संगीत शुरू हो जाएगा. जा तू भी कमरे में जाकर कपड़े बदलकर तैयार हो जा. और सीधे संगीत वाले हॉल में आ जाना. आज बहुत मस्ती करनी है तुम लड़कियों को! खूब नाचना गाना है.. तू अच्छा सा लहंगा या साड़ी पहन कर आना. हाँ.”

“जी चाची. हाँ मुझे भी तैयार होने में समय लगेगा.”, सोनल अपने बिखर चुके बालों को कानो के पीछे फंसती हुई अपनी साड़ी को समेटते हुए बोली. अब तो अपने हाथों से साड़ी के आँचल को बार बार अपने ब्लाउज के ऊपर ठीक करना जैसे उसकी आदत हो गयी है.
कमरे में आकर हाथ-मुंह अच्छी तरह से धोकर अब सोनल तैयार होने लगी थी. सोनल ने पहले से ही संगीत में पहनने के लिए एक हलकी ऑरेंज रंग की सैटिन साड़ी चूज करके रखी थी. वैसे तो दिन में भी सोनल ने नीली रंग की सैटिन साड़ी पहनी थी, पर शायद सोनल को सैटिन से प्यार ही इतना है कि दोबारा पहनने से खुद को रोक नहीं सकी वो. वैसे भी आज संगीत में डांस करते वक़्त सैटिन या फिर शिफ्फौन की साड़ी ही बेस्ट होती… लहंगा तो सोनल शादी के वक़्त पहनने वाली थी तो आज साड़ी ही ठीक रहेगी सोनल ने सोचा… और अपनी पहनी हुई साड़ी उतारकर एक ओर तह करके रखने लगी. उसके बाद अपना ब्लाउज उतारने के लिए हुक खोलने लगी. सोनल को … बूब्स के ऊपर ब्लाउज उतारते और पहनते वक़्त हुक लगाने खोलने में बड़ा मज़ा आता था। फिर अच्छी तरह से मेकअप करने के बाद सोनल ने पेटीकोट बदला और अपनी साड़ी पहननी शुरू की. सैटिन की साड़ी बदन पर चढ़ते ही उसके जिस्म में कुछ कुछ होने लगा. सोनल खुद को आईने में देखकर हंसती रही और सोचने लगा कि आज तो पूरी रात यूँ ही खुबसूरत दिखूंगी मैं… न जाने कितने लडको की नज़रे रहेंगी मुझ पर! फिर सोनल ने दीपिका पदुकोने के तरह अपनी साड़ी की पतली पतली प्लेट बनाकर अपने ब्लाउज पर पिन कर दी. इस तरह से क्लीवेज और कमर दिखाती हुई पतली प्लेट के साथ साड़ी पहनना आजकल उसकी जैसी दुबली पतली और लम्बी लड़कियों में फैशन है.

२ घंटे खुद को सँवारने के बाद बार बार अपने मेकअप को ठीक करने के बाद जब सोनल संतुष्ट हो गयी तो अपनी एक पर्स उठायी और उसमे अपने मेकअप का सारा सामान रख दिया. और फिर अपनी बड़ी सी पर्स को कंधे पर टांग कर देखने लगी कि वो उसकी साड़ी से मैच कर रही है या नहीं. अब सोनल ने हील्स पहनी और फिर एक बार अपने सुन्दर बालों को स्टाइल करके घर के निचे आ गयी.

घर के निचे से शादी के मेहमान कार से उस हॉल जा रहे थे जहाँ संगीत होना था. वो हाल घर से सिर्फ आधा किलोमीटर दूर था… तो सोनल ने सोचा कि क्यों न पैदल ही जाया जाए. वैसे भी सैटिन साड़ी पहनकर चलने में भी कितना मज़ा आता है! पर चाची जी ने सोनल को देखा तो उन्होंने एक लड़के को उसके साथ भेज दिया ताकि वो अकेली खुबसूरत सजी संवारी लड़की सड़क पर अकली न चले. “हाय… अब तो सड़क पर मुझे कोई छेड़ भी नहीं पायेगा.”, सोनल थोड़ी सी उदास हो गयी. पर जल्दी ही सोनल उस चम्पू लड़के के साथ हॉल पहुच गयी. वहां पर लीला और उसकी सहेलियां बहने हॉल में जाने को तैयार थी.

सोनल को आते देख लीला तुरंत उसके पास आई और उसका हाथ खिंच कर सोनल को एक और उनकी ही उम्र की लड़की से मिलवाने ले आई. थोड़ी कम हाइट की, गोल गोल चेहरे वाली, भरी-पूरी बदन वाली ये लड़की ऐसी लगती थी जैसे एक बच्चे की माँ हो. पर लीला ने कहा, “सोनल , ये रश्मि है….विशाल भैया की पत्नी, अपनी भाभी है.. इनकी लव मैरिज हुई है अभी दो महीने पहले ही, इसलिए घरवाले नाराज थे लेकिन अभी मेरी शादी की वजह से इनको घर मे एंट्री दी है, और ये तुम्हारे शहर से ही है,वैसे तो आसपास मेरी सभी बहने तुम लोगो के साथ रहेगी पर तुम दोनों अकेली न फील करो इसलिए तुम्हारा परिचय करा रही हूँ.”


सोनल संगीत के हॉल में पहुची तो वहां रंग-बिरंगी साड़ियों में औरतों के बीच आकर उसकी ख़ुशी दुगुनी हो गयी.

रश्मि ने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी. उसके भरे-पुरे तन के अनुरूप उसने खुला पल्ला रखा हुआ था जिससे उसका पेट छिप रहा था पर क्लीवेज साफ़ दीखता था. जैसी भी हो सेक्सी तो लग रही थी रश्मि. उसको देखकर साफ़ पता चल रहा था कि उसको साड़ी पहनने की आदत नहीं है और बस स्पेशल मौके पर ही दूसरो की मदद से पहन पाती होगी. आजकल की लडकियां भी न.. समझती नहीं कि साड़ी कितनी आसानी से रोज़ पहनी जा सकती है. सोनल को देखते ही रश्मि इतने जोर से मुस्कुराई और सोनल से ऐसे जोरो से गले लग गयी जैसे कि उसे सालो से जानती हो. उसके और सोनल के बूब्स भी उसके गले लगाने से दब गए थे. सोनल तो थोड़ी आश्चर्य में थी पर औरतों की ख़ुशी के बीच सोनल भी खुश थी तो उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन सोनल को कुछ याद आया और मुस्करा कर आगे बढ़ी।

तब तक लीला अपनी बहनों और सहेलियों के साथ सीढ़ी चढ़कर ऊपर हॉल की तरफ जाने लगी. संगीत शुरू होने वाला था. उनको अपना लहंगा उठाकर जाते देखने का दृश्य बड़ा ही सुन्दर था. रश्मि ने भी उनके पीछे बढ़ने के लिए अपनी उँगलियों से अपनी साड़ी की प्लेट पकड़ी और साड़ी को सलीके से ऊपर उठाकर सीढ़ियों पर चढ़ने को तैयार होने लगी जैसे औरतें अपनी साड़ी उठाकर चढ़ती है. पर तभी अचानक सोनल ने जोर से अपनी कुंहनी से रश्मि के बूब्स पर वार किया… और अबकी बार रश्मि आश्चर्य से सिर्फ “आउच” कह सकी. और फिर सोनल ने उसकी बांह को पकड़ कर उससे जोर से अपने बूब्स दबा दिए.. और बोली, “भाभी जी, चलो न हम भी चलते है.”

“चल ही तो रही हूँ.”, रश्मि ने अपने बूब्स पर हाथ रखते हुए कहा. और फिर एक बार अपनी साड़ी उठायी और पर्स संभाले चढ़ने लगी. उसे देखकर सोनल ने भी साड़ी उठायी और अपने खुले पल्ले से स्ट्रगल करते हुए उसके पीछे पीछे आने लगी. पहले बहुत सी लड़कियों से सोनल सहेली की तरह गले मिली है… और उनके बूब्स भी एक दुसरे को छूआते रहे है पर रश्मि ने जैसे अपने बूब्स जोरो से उसकी बांह में दबाये थे.. वैसा आजतक किसी लड़की ने उसके साथ नहीं किया था. सोनल यही सोच रही थी "अपनी उँगलियों के बीच प्लेट के निचे मुझे उसके बूब्स के स्पर्श की वजह से मेरी चुत गीली होती महसूस हुई. “ओहो… ये क्या हो रहा है? मेरी नाज़ुक पेंटी तो इस गीलेपन को छुपा नहीं पाएगी.”, सोनल मन ही मन सोचने लगी. वो तो प्लेट पकड़ कर साड़ी उठाने के बहाने से वो लोगो की नजरो से छुपी हुई थी. कहाँ घर से निकलते वक़्त सोनल आज लडको के सपने देख रही थी और कहाँ एक लड़की पर उसका दिल आ गया था! आखिर क्यों रश्मि के लिए उसके दिल मे फ़ीलिंग आयी थी।

ऊपर आने के बाद भी सोनल रश्मि का पीछा ही नहीं छोड़ रही थी. जब संगीत शुरू हुआ तो वो रश्मि के ही बगल में आकर बैठ गयी.. और एक बार फिर से अपने बूब्स उसकी बांहों से छुआकर बोली, “मज़ा आ रहा है न रश्मि भाभी”. रश्मि सिर्फ हाँ कह सकी. रश्मि बेचैनी से महसूस करने लगी सोनल के कारण और वो किसी तरह अपने पल्लू से अपना चेहरे का पसीना पोछने लगी.

“रश्मि भाभी… प्लीज़ मेरा पर्स एक बार संभालना… मैं ज़रा एक बार फेसबुक पर अपनी फोटो तो डाल लू.”, सोनल ने कहा और धम्म से अपना पर्स उसकी गोद पर रख दिया!! और फिर किसी तरह अपने बिखरते गिरते खुले पल्ले को संभालती हुई सोनल किसी तरह अपने फ़ोन से फेसबुक पर कुछ कुछ मेसेज करने लगी. और कुछ देर के बाद फ़ोन को रश्मि की गोद में रखे हुए उसके पर्स में रखकर अपना एक हाथ रश्मि की गोद पर रख कर स्टेज की ओर देखने लगी जहाँ लीला की सहेलियां इस वक़्त डांस कर रही थी. “अब क्या होगा मेरा? सोनल को मेरी कमर के निचे की असलियत पता चल गयी तो?”, रश्मि को चिंता होने लगी.

पर सोनल एक कदम आगे थी. वो तो खुद ही अपने हाथ को पर्स के निचे से रश्मि की साड़ी की प्लेट के बीच डालती हुई उसके नीचे कुछ महसूस कर रही थी. और उसे अपनी उँगलियों से उकसा भी रही थी. सच तो सोनल को पता चल गया था. पर कैसे? रश्मि किसी तरह वहां उसे उसका पर्स पकड़ा कर अपनी पर्स और और पल्लू से अपने नीचे छुपाती हुई वहां से उठना चाहती थी … सोनल ने किसी से अभी कुछ कह दिया तो क्या होगा सोचकर ही रश्मि को डर लग रहा था. पर सोनल ने रश्मि के उठते ही उसका हाथ खिंच लिया और बोली, “भाभी, बैठो न कितना मज़ा आ रहा है यहाँ. कहाँ जाओगी तुम वैसे?” और सोनल रश्मि की ओर देखकर कुछ अलग तरह से हँसने लगी.

स्टेज पर सभी के डांस देखकर अच्छा तो लग रहा था. और फिर सोनल ने सच जानते हुए भी रश्मि को आगे परेशान नहीं किया. पर फिर लीला ने सभी लड़कियों को साथ में अंत में डांस करने के लिए बुलाया.. जिसमे सोनल और रश्मि भी शामिल थी. और पूरे डांस के समय सोनल रश्मि के साथ साथ ही चिपकी रही. और तो और वो अपनी गांड को भी रश्मि की कमर के निचले हिस्से से रगड़ रगड़ कर डांस कर रही थी. सभी लोगो के बीच रश्मि को छुपा पाना कितना मुश्किल हो रहा था! बार बार पल्लू से उसको ढंकते हुए उसे बहुत शर्म आ रही थी. और फिर शर्म के मारे रश्मि किसी तरह सोनल से बचती हुई बाथरूम की ओर भागी जहाँ वो अपने इरेक्शन का कुछ कर सके… न जाने कैसी ख़राब किस्मत थी उसकी. कहाँ वो दुसरे लडको के लंड खड़े करने के सपने देख कर आई थी… और आज खुद को संभाल नहीं पा रही थी!


डांस करते वक़्त भी सोनल उससे चिपक चिपक कर डांस कर रही थी … और वो किसी तरह अपनी साड़ी की प्लेट के पीछे कुछ छुपा रही थी.

बाथरूम में आकर रश्मि अपनी साड़ी को हिलाती हुई अपने जोशीले लंड को ठंडा करने की कोशिश करने लगी और अपने पल्लू से अपने पसीने को पोंछने लगी.
किसी तरह मेरा लंड थोडा नार्मल होने लगा. जी सच है ये कि "रश्मि एक ट्रांसजेंडर औरत जो थी. वैसे तो वो ऑपरेशन करा कर अपना लण्ड बदलना चाहती थी पर उसके पति विशाल को रश्मि का लण्ड बहुत पसंद था.. इसलिए उसने अपना ऑपरेशन नहीं कराया था!."
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08-27-2019, 01:43 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
रश्मि ने अपनी पर्स से एक और पेंटी निकाली जो उसने एक्स्ट्रा रखी थी, अब उसे पहनकर थोडा नार्मल रह सकेगी वो.

पर उसकी मुसीबत अब तक ख़त्म कहाँ हुई थी. उसके पीछे पीछे उसे ढूंढते हुए सोनल भी बाथरूम आ गयी. उसको देखते ही रश्मि गुस्से में आ गयी और उस पर चीख उठी.. “तू चाहती है क्या है मुझसे सोनल? हाँ, मेरा लंड है… तू क्यों पीछे पड़ी है मेरे? तुझे जिसे भी बताना है बता दे. मैं डरने वाली नहीं हूँ तुझसे, तेरे भैया ने जानते हुए मुझसे शादी की है, दुसरो से कोई मतलब नही मुझे”

रश्मि को चीखते देख सोनल ने उसका मुंह तुरन्त बंद किया और बोली, “संजना… ये क्या कर रही है? धीरे बोल. सबको पता चल जायेगा”

संजना? ये तो उसके फेसबुक के फेक प्रोफाइल का नाम था. सोनल को कैसे पता चला?

“यार कब से तुझे फेसबुक पे मेसेज कर रही हूँ पर तू फ़ोन देख ही नहीं रही है. नम्रता नाम है मेरा फेसबुक पर. फेसबुक पर हम दोस्त नहीं है पर तुम्हारी प्रोफाइल देखी थी मैंने. तुम्हे देखते ही पहचान गयी थी मैं. इसलिए तुम्हारी बगल से ही तुमको फ़ोन पर मेसेज किया पर तुमने अपना फ़ोन देखा ही नहीं. बार बार तुमको इशारे कर रही थी पर तुम समझ ही नहीं रही थी.”, सोनल बोली.

और रश्मि हैरत में उसकी ओर देखते रह गयी. उसने पर्स से फ़ोन निकाला तो उसके कई मेसेज थे. वो मेसेज पढ़ते ही उसे हँसी आ गयी.

“मैं पोर्न मूवी देख देख कर ट्रांसजेंडर के बारे में जानना चाहती थी इसलिए एक id बनाई हुई है मैंने, हमारे कॉमन फ्रेंड है तो तुम्हारी प्रोफाईल काफी बार देखी है मैने। बस तुम्हारी बाहर की दुनिया में क्या क्या होता है जानना चाहती थी लेकिन किस्मत से तुम यहा मुझे मेरी भाभी के रूप मे मिल गयी. क्योंकि तुम भी ट्रांसजेंडर हो, तो तुम्हारे साथ अपना राज़ शेयर करके मैं ज्यादा बेफिक्र होकर मस्ती करना चाहती थी.”, सोनल ने कहा.

उसकी बातें सुनकर रश्मि मुस्कुरा दी. और उसके करीब आ गयी.

“सोनल.. मैं इसी बिल्डिंग में ऊपर के कमरे में ठहरी हूँ. तुम संगीत के बाद मेरे पास आओगी तो खूब बात कर सकूंगी तुम से.”, रश्मि ने कहा.

“हाँ ज़रूर”, सोनल ने मुस्कुराकर उसका हाथ पकड़कर बोली.

और फिर सोनल ने उसकी ओर कुछ ख़ास नजरो से देखा और बोली, “वैसे क्या तुमारे बूब्स असली है? और मैं लंड भी अच्छा चूस लेती हूँ. तुम्हारे लंड की प्यास बुझानी हो तो मैं रहूंगी तुम्हारे लिए” सोनल ने एक बार फिर उसकी साड़ी को वहां छुआ जहाँ उसका लंड था.

रश्मि भी उसके और करीब आ गयी और बोली, “वैसे मैंने आजतक किसी की चुत चुसी नहीं हूँ… पर मुझे यकीन है कि मैं भी अच्छे से चूसूंगी. मेरी चुत चूसने की प्यास को बुझाने दोगी तुम?” उसने भी उसकी साड़ी को वहां छुआ और उसकी चुत को सहलाने लगी और उसके होंठो को चूमने लगी.

“रुक जाओ न सोनल.. कोई आ जाएगा.”, रश्मि बोली और शर्मा गयी.

हम दोनों संगीत के बाद की रात को लेकर उतावली हो चुकी थी. आज वो दोनों औरतें मिलकर अपने सपने सच करने वाली थी. उन दोनों ने एक दुसरे का हाथ थामा और मुस्कुराते हुए बाहर चली आई. बाहर उन दोनों को इतने पास देखकर कुछ लड़के उन्हें घूरने लगे… और वो दोनों उन लडको को देखकर बस खिलखिलाकर हँस दी.

अब उन्हें किसी और लड़के की ज़रुरत नहीं थी. क्योंकि सोनल के पास रश्मि थी… उसे तो अब बस बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी जब वो उसके लंड को अपने हाथो में पकड़ कर हिलायेगी…

फिर जैसे जैसे शादी की रस्मे पूरी हुई, दोनो रूम में जाने को उत्सुक थी लेकिन अभी ये सम्भव नही हो सका,
आरती सोनल को वहा से लेकर घर आ गयी और वापिश चलने के लिए बोलने लगी, लेकिन सोनल को अपना सपना पूरा करना था एक ट्रांसजेंडर के साथ मिलने का तो उसने जिद पकड़ ली कि वो अभी वापिश नही जाएगी कुछ दिन रुक कर आएगी।
उनदोनो को वहा न देख कर लीला की मम्मी भी वहाँ आ गयी और दोनो की बहस सुनने लगी फिर उसने सोनल की फेवर ली कि अभी काफी रस्मे बाकी है शादी की। अब पगफेरे पर लीला आएगी तो भी सोनल की जरूरत पड़ेगी, इसलिए सोनल रुक जाएगी कुछ दिन,
आरती को ना चाहते हुए भी सोनल को वहाँ रुकने की परमिशन देनी पड़ी।


सोनल वही रुक जाती है आरति और जया काकी दोनो निकल जाते है घर के लिए। लेकिन सोनल और रश्मि का रात को मिलने का प्रोग्राम नही बनता, बल्कि सोनल शादी में आये एक लड़के से मस्ती करते हुए टच में आ गयी। दोनो काफी एक दूसरे के साथ खुल गए थे और अगले दिन मूवी देखने का भी प्लान कर लिया था।
अगले दिन सुबह रश्मि अपने पति विशाल को नास्ता कराकर सीधे सोनल के रूम में जाती है, और डोर पर जाकर नोक करके आआवज देती है।
अन्दर आ जाओ भाभी”, सोनल ने जवाब दिया. जिसे सुनकर रश्मि दरवाज़ा खोलकर अन्दर आ गयी. अन्दर आते ही उसने देखा कि सोनल सिर्फ पेंटी पहनी हुई है और पूरी तरह से नग्न है. उसे ऐसी हालत में देखते ही रश्मि पीछे मुड गयी और बोली, “ओहो सोनल…पहले कपड़े तो पहन लेती फिर मुझे कहती अंदर आने को”

पर सोनल ने मुडती हुई रश्मि का तुरंत हाथ पकड़ा और अपनी बांहों में खिंच लायी. सोनल के नग्न स्तन रशमी के स्तनों से अब लग रहे थे. “भाभी अब तुमसे क्या शर्माना. हम दोनों औरतें ही तो है. और वैसे भी मेरे बूब्स और आपके बूब्स में ज्यादा फर्क कहाँ है?”

“चल हट. बहुत बेशर्म हो गयी है तू. औरतों के बीच भी कुछ मर्यादा होती है.”, रश्मि ने सोनल को अपने से दूर धकेलते हुए कहा जिससे सोनल के स्तन रश्मि के हाथो से और दब गए.

“भाभी तुम भी न बहुत शर्माती हो. रुको मैं एक मिनट में कपडे पहनती हूँ.”, सोनल बोली और अपनी ब्रा पहनने लगी. सोनल ने आज कुछ ज्यादा ही मेकअप किया हुआ था और ब्रा भी बड़ी सेक्सी पहन रही थी. और फिर उसने एक छोटी सी स्कर्ट पहनी और ऊपर से एक सेक्सी टॉप जिसमे उसका क्लीवेज काफी गहरा लग रहा था.

“आज का क्या प्रोग्राम है तुम्हारा?”, रश्मि ने पूछा.

“ भाभी. आज तो मैं बॉयफ्रेंड के साथ सिनेमा जाऊंगी.”, सोनल मुस्कुराते हुए बोली.

सोनल का इस तरह बेझिझक बॉयफ्रेंड के साथ जाना और कमरे में नग्न रहना देखकर रश्मि थोड़ी सी असहज थी. शायद इसलिए वो अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी उँगलियों के बीच पकड़ कर अपनी नर्वसनेस छुपाने की कोशिश कर रही थी. रश्मि थोड़ी ओल्ड फैशन लड़की थी सोनल के सामने.

सोनल तैयार हो चुकी थी. लिप ग्लॉस लगाये आज उसके होंठ बेहद रसीले लग रहे थे. काफी बिंदास स्वाभाव की लड़की थी सोनल. तैयार होकर सोनल अपनी ट्रांसजेंडर भाभी के करीब आई और उसका हाथ पकड़ कर बोली, “भाभी तुम यदि शरमाओ न तो एक बात का जवाब दोगी?”

“क्या सवाल है?”, रश्मि तो सवाल सुनने के पहले ही घबरायी हुई थी.

“क्या तुम लंड चुस्ती हो?”, सोनल ने बेझिझक अपनी भाभी की आँखों में देखते हुए पूछा.

“छी… ऐसा नहीं बोलते”, रश्मि ने सोनल से मुंह फेर कर अपनी साड़ी के पल्लू को पकड़ कर घुमाने लगी. वो अब भी नर्वस थी.

“ठीक है.. ठीक है.. तो ये बताओ क्या आप मेरे भैया को ब्लो जॉब देती हो?”, सोनल हँसते हुए बोली.

“बहुत बदतमीज़ हो गई है तू सोनल.”, रश्मि ने बिना सोनल की ओर देखे कहा.

“अरे भाभी… प्लीज़ बताओ न… क्या आप भैया का लंड चुस्ती हो?”, सोनल अपनी रश्मि भाभी के सामने आकर बोली. बेचारी रश्मि तो शर्म के मारे अपनी नजरे झुकायें खड़ी थी. उसे पता था कि सोनल जवाब सुने बगैर उसे छोड़ेगी नहीं.

“हाँ, चुस्ती हूँ मैं उनका लंड.”, थोड़ी शर्माती थोड़ी मुस्काती रश्मि ने अपनी साड़ी से मुंह छिपाते हुए कहा. तो सोनल भी मुस्कुरा दी. “… पर तू क्यों पूछ रही है?”, रश्मि ने सोनल से पूछा.

“भाभी… मैं सोच रही हूँ कि आज अपने बॉयफ्रेंड को खुश करने के लिए उसके लंड को चुसू. आखिर इससे गर्भवती होने का डर नहीं रहता न?”

“सोनल… शादी से पहले ये सब ठीक नहीं है.”, रश्मि ने एक भाभी के नज़रिए से कहा.

“ओहो भाभी.. अब तुम भी मम्मी की तरह लेक्चर न दो. तुमने भी तो शादी के पहले भैया के साथ सेक्स किया ही होगा न?”

सोनल की बात सही थी इसलिए रश्मि चुप रह गयी.
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08-27-2019, 01:43 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
“अच्छा भाभी… आप मुझे सिखाओगी कि लंड कैसे चूसते है?”, सोनल ने पूछा. तो रश्मि ने नटखट आँखों से उसकी ओर देखा और बोली, “चुप कर… कुछ भी कहती रहती है. मैं नहीं सिखाने वाली तुझे.”

“भाभी… क्यों इतने नखरे दिखा रही हो? ज़रा सिखा दोगी तो तुम्हारा कुछ बिगड़ जाएगा क्या?”, सोनल ने रश्मि का हाथ पकड़ते हुए कहा और अपनी भाभी के तन से बिलकुल चिपक गयी. रश्मि बेचारी क्या करती और उसने नज़रे झुकाकर हाँ कर दी. अब सोनल अपनी भाभी के कुछ कहने का इंतज़ार करने लगी. और रश्मि ने बिस्तर पर बैठकर अपने आँचल को संवारा और आँखें बंद कर बोली, “ठीक है तो तू सुन…”



“पर आँखें क्यों बंद कर रही हो भाभी?”

“मैं आँखें खोलकर तेरे सामने नहीं कह सकती. तुझे सुनना है तो सुन.”, रश्मि बोली.

“ठीक है. तुम आँखें बंद कर के ही सिखा दो.”, और सोनल अपनी भाभी से चिपक कर बैठ गयी.

“सबसे पहले उनके बेहद करीब जाना… इतने करीब कि तुम्हारे बूब्स उनके सीने से लग जाए. फिर उनकी बांहों को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनके तन से लगकर खड़ी हो जाना. और फिर उनकी नजरो में देखते हुए उनके होंठो को चूमना”

रश्मि की बात सुन सोनल ने रश्मि की ब्लाउज की आस्तीन पर से उसकी दोनों बांहों को पकड़ा और उसे बिस्तर से उठाया और रश्मि के सीने से चिपक गयी. रश्मि की आँखें अब भी बंद थी और उसे समझ नहीं आया कि सोनल क्या कर रही है. पर सोनल अपनी भाभी के बूब्स से अपने बूब्स दबाकर बेहद करीब आ गयी और अपनी भाभी के मुलायम होंठो पर अपने होंठो से हल्का सा चुम्बन देकर बोली, “ऐसे?”

सोनल की गर्म सांसें और बूब्स को अपने सीने पर महसूस कर रश्मि एक बार फिर नर्वस होने लगी. और वो अपनी आँखें बंद की रही. सोनल मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा तो नहीं करेगी? ऐसे विश्वास के साथ रश्मि गहरी सांसें लेने लगी.

“इसके बाद क्या करना है भाभी?”, सोनल ने जब कहा तो रश्मि जैसे वापस होश में आते हुए बोली, “… और फिर… और फिर… धीरे धीरे उनके तन पर हाथ फेरते हुए उनकी पेंट के उस हिस्से पर ले जाना और उसे ऊपर से ही पकड़ने की कोशिश करना. इस वक़्त उनका लंड धीरे धीरे कर खड़ा होने की कोशिश करेगा.”

तो सोनल भी अपनी भाभी की साड़ी पर से ही उनके तन पर हाथ फेरते हुए उनकी कमर के निचे उस हिस्से तक ले गयी जहाँ प्लेट के पीछे रश्मि का लंड छुपा हुआ था. उसके ऊपर हाथ फेरते हुए सोनल ने धीरे से रश्मि के लंड को साड़ी के ऊपर से ही पकड़ने की कोशिश की. रश्मि भाभी का लंड इस वक़्त मुलायम से थोडा सख्त होने लगा था. “और आगे भाभी…”, सोनल आंहे भरती हुई बोली.

“… और फिर धीरे धीरे अपने बूब्स को उनके तन से दबाकर पूरे शरीर को छूते हुए निचे अपने घुटनों पर चली जाना.” और सोनल ने वैसा ही किया और अपने बूब्स अपनी भाभी के कोमल तन पर दबाने लगी. रश्मि के बूब्स तो वैसे ही सोनल के स्पर्श से सख्त हो गए थे और उसके निप्पल भी फुल गए थे. रश्मि की साँसे गहरी हो चली थी. सोनल उसके जिस्म को गर्म जो कर रही थी. रश्मि की साड़ी पर सोनल के फिसलते हुए बूब्स धीरे धीरे उसके लंड के पास पहुच गए.

“अब उनके लंड को फिर से अपने हाथो से उनकी पेंट के ऊपर से ही सहलाना.. जब तक वो थोडा और सख्त न हो जाए.” रश्मि की बात सुन सोनल ने एक बार फिर रश्मि की साड़ी की प्लेट के बीच हाथ डाला और ऊपर से ही उनके लंड को सहलाने लगी. रश्मि का लंड अब और सख्त हो चला था. उसके स्तन भी अब फुल गए थे और उसका ब्लाउज अब गहरी साँसों की वजह से उसे और टाइट लग रहा था. आज तक रश्मि को इसके पहले किसी लड़की ने इस तरह छुआ नहीं था. वो तो हमेशा से ही अपने पति की ही थी. पर उसकी ननद सोनल आज उसे बेहद उकसा रही थी. सोनल को भी अपनी भाभी की सैटिन साड़ी को छूने में मज़ा आ रहा था. वो भी उत्सुक थी जानने के लिए कि उसकी भाभी का लंड आखिर कैसा है. छूने पर तो रश्मि का लंड सोनल को बड़ा ही लग रहा था पर उसने अब तक उसे देखा नहीं था. वो तो जैसे उसे देखने को बेताब हो रही थी. साड़ी में उसकी भाभी के लंड की उभरती हुई आकृति उसे उकसा रही थी.

रश्मि और सोनल… इन दोनों औरतों को एहसास ही नहीं रहा कि ये जो वो कर रही थी उन्हें इस तरह मदहोश करने लगेगा. इसके पहले न कभी रश्मि का और न ही सोनल का किसी औरत में इंटरेस्ट था… फिर भी दोनों इस तरह मदहोश हो रही थी.

“… और अब उन्हें कमर से पकड़ कर धीरे से धक्का देकर बिस्तर पर लेटा देना और प्यार से उनके ऊपर चढ़ जाना.”

सोनल ने रश्मि की बात सुन रश्मि की कमर पर हाथ फेरा और फिर उनकी साड़ी हटाकर अपने होंठो से उनकी नाभि को चूम लिया और फिर अपने दोनों हाथो से भाभी की कमर को पकड़कर उन्हें बिस्तर पर लिटा उनके ऊपर चढ़ने लगी.

“.. अब धीरे धीरे उनके पैरो को छूते और चुमते हुए उनकी कमर तक जाना.” रश्मि की आवाज़ अब मदहोशी भरी हो गयी थी. बंद आँखों के साथ उसकी आवाज़ कांपने लगी थी.

और सोनल ने वैसा ही किया. उसने अपनी भाभी की साड़ी से लिपटी हुई टांगो को अपने बूब्स से छूते हुए ऊपर बढ़ने लगी… अपने हाथ से उनकी जांघो पर लिपटी हुई साड़ी को फेरने लगी और धीरे धीरे आगे बढ़कर उनकी कमर तक जा पहुंची जहाँ उसने अपनी भाभी की नाभि और थिरकती कमर को खूब चूमा. रश्मि ने अपने लंड के इतने पास सोनल को चुमते हुए महसूस किया तो वो और मचल उठी… और खुद अपने हाथो से अपने ब्लाउज पर से अपने बूब्स को मसलने लगी. पर सोनल तो अपनी भाभी को और तडपाना चाहती थी इसलिए उसने अपनी भाभी का हाथ उनके बूब्स पर से हटा दिया.

“.. अब उनके पेंट की ज़िप खोलकर उनके लंड को धीरे से बाहर निकालना.”, रश्मी आगे सोनल को बताती रही.

रश्मि भाभी ने तो पेंट पहनी नहीं थी इसलिए सोनल उनकी साड़ी के निचे से हाथ ले जाते हुए उनकी साड़ी को ऊपर उठाने लगी और उनके मखमली पैरो को छूने लगी और फिर उनकी जांघो पर अपने हाथ फेरने लगी. रश्मि अब पूरी तरह मचल उठी थी… वो तड़प रही थी कि कब सोनल उसके उफनते हुए लंड को पकडे पर सोनल अपनी भाभी को और उकसाती रही. कुछ देर जांघो को छूने के बाद सोनल ने रश्मि की साड़ी को और ऊपर उठाया और उनकी पेंटी पर उभरे हुए लंड को अपने हाथो से छूने लगी. अब तो उनके लंड का आकर उस पेंटी में साफ़ दिख रहा था. सोनल खुद अब उसे निकाल कर छूने को बेचैन हो गयी थी. उसने अपनी भाभी की पेंटी को निचे कर अपनी भाभी का लंड बाहर निकाल दिया… जिसे देखकर सोनल की आँखों में चमक आ गयी.

आज तक सोनल ने बहुत से लडको के लंड देखे थे और उनसे चूदी भी थी. पर ये लंड बेहद ख़ास था… गुलाबी और साफ़ सुथरा.. जिसके आसपास एक भी बाल न था. चमकदार, गुलाबी, और बेहद सुन्दर लंड था वो… इतना साफ़ तो उसे कोई रश्मि की तरह की औरत ही रख सकती थी. सोनल उसे तुरंत चूस लेना चाहती थी पर उसे तो अभी अपनी भाभी को और तडपाना था.

“.. अब वो लंड तुम्हारे होंठो के लिए बेताब हो रहा होगा. पर तुम उसे कुछ देर अपने हाथो से छूना…” रश्मि बंद आँखों से मदमस्त होते हुए बोली और अपने होंठो को खुद ही कांटने लगी.

सोनल ने भी वैसा ही किया और उसकी आँखों के सामने वो लंड और मचलने लगा.

“अब उस लंड के चमकते हुए गोल हिस्से को अपने होंठो से सिर्फ चूमना ताकि वो और बेताब हो..”, रश्मि बोली.

उफ़… सोनल के लिए खुद को उस लंड को चूसने से रोक पाना बेहद मुश्किल हो रहा था पर उसने सिर्फ उसे चूमा. तो वो लंड और मचलकर हिलोरे मारने लगा.

“… अब भी यदि लंड पूरी तरह सख्त न हुआ हो तो उसे अपने स्तनों के बीच दबाते हुए… उसे और उकसाना..” मदहोश होते हुए भी सोनल को सही तरीका सीखा रही थी.
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08-27-2019, 01:43 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल के नर्म स्तनों के बीच तो जैसे रश्मि का लंड और सख्त हो गया. सोनल खुद बेचैन हो गयी थी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो खुद को उकसा रही है या भाभी को?

“.. अब अपने हाथो से उसे पकड़ कर अपनी गर्म सांसें उस पर छोड़ना और फिर धीरे धीरे अपने होंठो को उस पर लपेट देना. और फिर अपने होंठो को धीरे धीरे उस लंड को अपने मुंह में लेना शुरू करना…. पर सिर्फ ऊपर का हिस्सा… एक अच्छी औरत अभी उस लंड को इसी तरह से और उकसाती है.”

फिर सोनल ने अपने लिप ग्लॉस लगे रसीले होंठो से उस लंड को लपेटा और फिर उसे धीरे धीरे मुंह में लेने लगी. उसकी भाभी का लंड सोनल के मुंह में जाने को बेताब होने लगा और उसकी भाभी अपने निप्पल को और जोरो से अपनी उँगलियों से मसलने लगी. इतने नर्म होंठ कभी उसने अपने लंड पर महसूस नहीं किये थे. और फिर सोनल ने अपनी भाभी के लंड को थोडा सा चूसकर अपने मुंह से बाहर निकाल दिया.

“… और अब… और अब…”, रश्मि बदहवास हो रही थी, “… अब अपनी जीभ से उस लंड की लम्बाई को निचे से ऊपर तक चाटना…” सोनल भी अपनी भाभी की मदहोशी से मचल कर उस लंड को जीभ से निचे से ऊपर तक चाटने लगी.

“… और अब… और अब… एक बार फिर….”, रश्मि से अपने बूब्स को मसलते हुए बोला भी न जा रहा था “… और अब… एक बार फिर उसे होंठो से अपने मुंह में ले लेना…”

सोनल अब एक बार फिर अपने होंठो से उस लंड को लपेटते हुए मुंह में लेने लगी और अपनी जीभ से लपलपाते हुए उस लंड को चूसने लगी… पर वो अब भी सिर्फ उपरी हिस्से को मुंह में लेकर अपनी भाभी को तदपा रही थी… और उसकी भाभी बेचैन हुए जा रही थी.

रश्मि की सांसें बहुत तेज़ होती जा रही थी… मचलती हुई रश्मि के पूरे जिस्म में आग लग चुकी थी और उसका बदन लहराने लगा… और उसके पैर भी सरकने लगी.. कमर थिरकने लगी… अब उससे रहा नहीं जा रहा था और वो उत्साह में लगभग चीख उठी..”अब चुस्ती क्यों नहीं है साली! कितना तडपाएगी मुझे…?” और उसने सोनल का सर पकड़ कर दबा दिया कि वो पूरे लंड को मुंह में ले ले.

रश्मि को इस तरह तड़पते देख सोनल भी अब पूरे उत्साह से भाभी के गुलाबी लंड को चूसने लगी और अपने मुंह में अन्दर बाहर करने लगी… उसे बेहद मज़ा आ रहा था. वो सोच रही थी कि उसने पहले कभी ऐसा क्यों नहीं किया… लंड को चूसते चूसते कभी वो अपनी भाभी के बूब्स दबाती तो उसकी भाभी की कमर लचक कर जोश में उठ जाती… कभी वो भाभी की गांड को दबाती… और पूरे जोश से उस लंड को चुस्ती रही. किसी लड़के के लंड से कम नहीं था वो लंड… पर बेहद ही खुबसूरत और आकर्षक था… सोनल ने ऐसा लंड कभी नहीं देखा था. उसके हर स्ट्रोक पर उसकी भाभी आँहें भरती और मदहोशी भरी आवाजें निकालती. इन दोनों औरतों को बेहद मज़ा आ रहा था… पर इस बेहद उत्तेजित समय का अंत भी जल्दी आता है… और जल्दी ही उसकी भाभी के लंड से रस बाहर आने लगा. शायद हॉर्मोन की वजह से उस लंड से रस कम आता था जिसे सोनल ने अपनी भाभी के पेटीकोट से ही पोंछ लिया. दोनों औरतें अब थक चुकी थी और ख़ुशी के मारे वहीँ एक दुसरे पर निढाल हो गयी.

रश्मि ने सोनल को उठाकर अपने चेहरे के करीब लाया और उसके होंठो को अपने होंठो के बीच चूस लिया और सोनल के बूब्स को दबाने लगी. दोनों ही एक दुसरे के बूब्स पकड़ आँखें बंद किये कुछ देर वही एक दुसरे से चिपक कर लेटी रही.

थोड़ी देर बाद सोनल अपनी भाभी की बांहों से बाहर निकलकर बिस्तर पर उठ बैठी और भाभी की ओर मुस्कुराती हुई देख कर बोली, “भाभी आप सचमुच बहुत अच्छे से सिखाती हो.”

सोनल की बात सुन रश्मि शरमा गयी. आज ननद और भाभी का रिश्ता ही बदल गया था. दोनों एक दुसरे की आँखों में एक चमक देख सकती थी.

“अच्छा भाभी… मैं शाम को मिलूंगी तुमसे.”, सोनल बिस्तर से उठने लगी तो रश्मि ने उसका हाथ पकड़कर रोक लिया… “इतनी जल्दी क्या है? कुछ देर यहीं रुक जाओ न..”, रश्मी ने उससे प्यार भरा निवेदन किया.

“भाभी… मेरा बॉयफ्रेंड मेरा इंतज़ार कर रहा है. मैं शाम को जल्दी आऊंगी… पक्का.”, सोनल ने कहा और झट से पर्स उठाकर कमरे से बाहर चल दी.

और रश्मि उस कमरे में बिस्तर में वैसे ही लेटी रही… उसका ब्लाउज सोनल ने खोल दिया था… उसके बूब्स ब्लाउज और ब्रा से बाहर आ चुके थे… उसके बाल और साड़ी बिखर चुकी थी. वो सोच में पड़ गयी थी कि ये सब क्या हुआ? उसे अपने पति विशाल का ख्याल आने लगा… यदि उन्हें पता लगा तो क्या करेगी वो? इसी दुविधा में रश्मि वहीँ सोचती रह गयी.।


किसी आम गृहिणी की तरह दिन भर घर के काम निपटाने के बाद, रश्मि नहा धोकर एक मैक्सी पहनकर अपने कमरे में बिस्तर में लेटी हुई थी. उसका मन बड़ा विचलित था. आज सुबह सुबह ही सोनल के साथ जो हुआ वो बात उसे बेचैन कर रही थी. रह रह कर उसे याद आ रहा था कि कैसे वो मदहोश हो रही थी जब उसकी ननद सोनल उसका लंड चूस रही थी. रश्मि बेचैन थी क्योंकि उसे लग रहा था कि आज उसने अपने पति को धोखा दिया है और वो भी पति की बहन के साथ. उसे ग्लानी हो रही थी. पर इस बात के लिए तो ज़िम्मेदार सोनल थी न जिसने ये सब शुरू किया? पर फिर रश्मि ने सोनल को उसके साथ सेक्स करने से रोका भी तो नहीं?

करवट बदलती रश्मि सोचती रही कि ऐसा कैसे हुआ? एक ओर तो ग्लानी पर सुबह की याद कर उसके जिस्म में रोंगटे भी खड़े हो जाते. उसकी मैक्सी में बिना ब्रा पहनी हुई रश्मि के स्तन सुबह के बारे में सोच कर फुल रहे थे. रश्मि सोच रही थी कि बचपन से ही वो जानती थी कि उसके अन्दर औरत बनने की हसरत है, और शायद इसलिए वो हमेशा से आदमियों की तरफ आकर्षित थी… उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे एक और औरत के साथ सेक्स करके इतना मज़ा आएगा. सोनल के नर्म होंठ का चुम्बन और उसके मखमली स्तन की याद रश्मि को उतावले करने लगे. शादी के पहले अपने पति के अलावा रश्मी ने सिर्फ एक बार एक क्रॉसड्रेसर के साथ सेक्स किया था जिसमे रश्मि एक औरत ही थी. पर एक लड़की के साथ सेक्स का अनुभव उसके लिए नया था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे कैसे हो सकता है.

बेचैन होकर उलटती पलटती रश्मि की दोपहर कैसे बीत गयी पता भी नहीं चला. अब किसी गृहिणी की तरह उसे शाम का खाना बनाना था. उसके पति विशाल एक घंटे में घर आते ही होंगे. आज तो रश्मी ने वादा भी किया था कि आज रात वो अपने पति की हसरतें पूरी करेगी. इसलिए रश्मि उठ खड़ी हुई.. इतनी देर बिस्तर पर बिताने के बाद भी वो थकी हुई थी. उठते ही उसने पहले तो अपनी मैक्सी उतारी और अपने पति की खातिर एक सेक्सी साड़ी पहनने की सोची.

उसने एक सफ़ेद रंग की सैटिन साड़ी निकाली जिसकी हरे रंग की बॉर्डर थी और हरे रंग के ही फुल-पत्तियों के प्रिंट थे. उस साड़ी से मैच करता हुआ एक नेट का पारदर्शी ब्लाउज था जिसके अन्दर सब कुछ दीखता था. उसे पता था कि उस ब्लाउज में उसके बूब्स देखकर उसके पति खुद को रोक नहीं सकेंगे. पर घर में मेहमान भी तो थे ? इसलिए उसने एक काली रंग की ब्रा पहन ली और उसके ऊपर ब्लाउज. उसकी पारदर्शी ब्लाउज में उसकी ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी. रश्मि वाकई में सेक्सी थी और उस हरी-सफ़ेद साड़ी में तो वो और भी खिल रही थी.

तैयार होकर रश्मि किचन आकर खाना बनाने में व्यस्त हो गयी. करीब एक घंटे बाद घर का दरवाज़ा खुला. “लगता है विशाल आ गए है.”, रश्मि ने सोचा.. और अपनी साड़ी के आँचल से अपने ब्लाउज को पूरी तरह ढंककर अपने पल्लू को अपनी कमर पर लपेटकर अपने काम में फिर लग गयी. उसे पता था कि यदि उसके पति ने उसका क्लीवेज और ब्लाउज सामने से देख लिया तो वो खुद को काबू में नहीं रख पायेंगे. वैसे भी वो तो घर आते ही उससे लिपट जाते है. वो उस पल के लिए तैयार थी. उसे अपने पति की बांहों में जाने का इंतज़ार भी था ताकि वो एक बार फिर अपने पति के प्यार को महसूस कर आज की सुबह की बात को भुला सके.

“कैसी है मेरी जाने तमन्ना?”, विशाल ने आते ही कहा और अपनी प्यारी पत्नी को पीछे से उसकी कमर से पकड़ कर अपनी बांहों में ले लिया. “क्या बात है आज बड़े खुश लग रहे है आप?”, रश्मी मुस्कुराती हुई बोली. रश्मि की इसी मुस्कराहट पर तो विशाल दीवाने थे.

“लगता है आज कोई घर पर नहीं है… अब तो मेरे पास अपनी पत्नी के साथ समय बिताने का मौका है.”, विशाल ने कहा और रश्मी की साड़ी के अन्दर हाथ डाल उसकी कमर को छूने लगे.

“सभी मंदिर गए है,आते ही होंगे. ज़रा सब्र करो.”, रश्मी ने नटखट तरीके से कहा और विशाल अपनी पत्नी की कमर को छूते रहे और उसके कुलहो को अपने तन से जोर से लगाने लगे.

“सब्र ही तो नहीं होता है जानेमन. वैसे भी तुमने सुबह वादा किया था.”, विशाल ने रश्मी के चेहरे को छूते हुए कहा. ये पति भी न.. ऐसे ही तो होते है. इनसे रुका ही नहीं जाता. और पत्नी को ही हमेशा से समझदारी से बर्ताव करना पड़ता है.

रश्मि पलटकर अपनी पति की बांहों में आ गयी और उनके सीने पर हाथ रखते हुए बोली, “मैंने रात का वादा किया था. रात तो हो जाने दो.” रश्मी की नज़रे कहते कहते झुक गयी. पति की बांहों में उसे अच्छा लग रहा था.
उफ्फ्फ… ये पत्नियां भी न कभी कभी इतनी प्यारी लगती है. सुन्दर साड़ी में लिपटी इतनी सेक्सी पत्नी बांहों में हो और उसके नर्म स्तन पति के सीने से दब रहे हो तब समझदारी से बर्ताव करना एक पति के लिए बहुत मुश्किल होता है. दिल पे किसी तरह काबू कर एक अच्छे पति की तरह विशाल बोले, “ठीक है तुम कहती हो तो मैं रात का इंतज़ार करता हूँ.”

रश्मी मुस्कुराई और अपने काम में लग गयी. अब उसका मन खुश हो गया था. विशाल भी अपने कमरे में कपडे बदलने चले गए.

तभी घर का दरवाज़ा एक बार फिर से खुला और दरवाज़े से इस बार सोनल दौड़ी चली आई और पूरे उत्साह के साथ आकर अपनी भाभी को पीछे से पकड़ ली. बहुत खुश लग रही थी वो. भले सोनल के स्तन उसकी भाभी की पीठ पर उस पकड़ में दब रहे थे पर इस वक़्त इस पकड़ में सुबह की तरह की कामुकता नहीं थी बल्कि एक सहेली की तरह की भावना था. “भाभी!!”, सोनल ख़ुशी से चीख पड़ी.

रश्मी भी इस वक़्त खुश थी तो उसने पूछा, “क्या बात है? बड़ी खुश लग रही हो?” पर धीरे धीरे उसे एहसास होने लगा कि सोनल के स्तन उसकी पीठ से लगे हुए है. ऐसा तो पहले भी कई बार हुआ था पर तब रश्मी को सिर्फ एक औरत की भावना आती थी. लेकिन आज सुबह के बाद कुछ तो बदल गया था.

सोनल ने रश्मि के कान के पास अपने होंठ लाकर धीमी आवाज़ में कहा, “भाभी.. धीरेन्द्र तो आज बहुत खुश हो गया.” न जाने क्यों रश्मि का मन एक बार फिर विचलित होने लगा. “कौन धीरेन्द्र?”, रश्मि ने रुखी आवाज़ में कहा. “अरे भाभी… मेरा बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र जिसके लिए मैं आज आपसे वो सीखकर गयी थी.”, सोनल उछलती हुई बोली.

रश्मि जानती थी कि धीरेन्द्र कौन है और सोनल ब्लो जॉब के बारे में बात कर रही थी. न जाने क्यों सोनल और उसके बॉयफ्रेंड के बारे में सोचकर ही रश्मि के मन में थोडा सा गुस्सा आने लगा. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों सोच रही है. क्या उसे जलन हो रही थी सोनल को किसी और के साथ सेक्स करते हुए सोच कर? मगर क्यों? वो तो खुद अपने पति के साथ ख़ुश थी… फिर सोनल जिसके साथ जो चाहे करे.. उसे क्या? पर सोनल को कम से कम सुबह के बारे में रश्मि से कुछ कहना चाहिए था. क्या जो सुबह हुआ वो सिर्फ एक मज़ाक था? सोनल सुबह की बात को ऐसे कैसे अनदेखा कर सकती थी? ऐसे ही न जाने कितने ही ख्याल रश्मि के मन में आने लगे.

सोनल की बात को अनदेखा कर रश्मी ने बड़ी बेरुखी से कहा, “जाकर खाने की मेज पर बैठो. तुम्हारे भैया आ गए है और खाने का इंतज़ार कर रहे है. सारा दिन बस मौज मस्ती करती हो, तुमारी मम्मी इसीलिए छोड़कर गयी है क्या”

सोनल रश्मि के मुंह से ऐसी बात सुनकर आश्चर्य में थी. रश्मि उसकी ख़ुशी में शामिल क्यों नहीं हो रही है? सोचते हुए सोनल खाना मेज पर जाने लगी. और वहीँ रश्मि बेचैन हुई जा रही थी कि उसे सोनल और धीरेन्द्र के बारे में सोच कर इर्ष्य क्यों हो रही है.

थोड़ी देर बाद खाना लग जाने पर विशाल बाहर आये और सभी ने साथ में खाना खाना शुरु किया.

“सोनल … तुम्हारा दिन कैसा गुजरा यहाँ ?”, विशाल ने खाते हुए यूँ ही सोनल से पूछा.

“अच्छा बीता दिन तो मेरा भैया.”, सोनल ने भाभी के मूड को देखते हुए धीमी आवाज़ में कहा.

“अपनी बहन को समझाओ कि यहा इस शहर में नई है,ध्यान रखे अपना. खूब मौज मस्ती करती रहती है सारा दिन.”, रश्मि ने गुस्से से विशाल की थाली में चावल परोसते हुए कहा.

“रश्मि… यही दिन ही तो मौज मस्ती करने वाले होते है. थोडा खुश रह लेगी तो इसमें बुरा क्या है.”, विशाल ने रश्मि को समझाते हुए कहा.
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08-27-2019, 01:43 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
ननंद भाभी के कुछ अनबन चल रही है ऐसा विशाल को समझ आ गया था. इसलिए बिना ज्यादा कुछ बोले वो खाना खाकर अपने कमरे में चले गए.

रश्मि ने खाने की मेज समेटी और बर्तन धोकर बिना सोनल से बात किये अपने अपने कमरे में चली गयी. सोनल सोचती रही कि भाभी क्यों उससे ऐसे नाराज़ हो रही है? अपने बॉयफ्रेंड के बारे में तो उसने भाभी को पहले से ही बताया हुआ था फिर अब क्यों भाभी इस तरह रुखी हो रही है?

सोनल को अनदेखा कर रश्मि अपने बेडरूम आ गयी जहाँ उसके पति विशाल उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. उनकी आँखों की आतुरता देख रश्मी मुस्कुराते हुए बोली, “ज़रा रुको मैं अभी आती हूँ.” और पति को तडपाती हुई रश्मि कमर मटकाते हुए कमरे से लगे बाथरूम चली गयी. अपने पति को रिझाना रश्मी को बखूबी आता था.

बाथरूम में आते ही रश्मी ने ब्लाउज में लगी हुई पिन को खोलकर अपने पल्लू को उतारा और फिर अपना ब्लाउज उतारने लगी. ब्लाउज को किनारे में रख रश्मी ने अपनी ब्रा उतार दी. और फिर से ब्लाउज पहनने लगी. ब्लाउज पहनकर रश्मि ने खुद को आईने में देखा. उसके हरे पारदर्शी ब्लाउज में उसके बड़े बड़े निप्पल साफ़ झलक रहे थे. फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि उसके निप्पल पॉइंट कर उभरे हुए दिखे. संतुष्ट होने पर रश्मि ने एक बार फिर अपनी सैटिन साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर चढ़ाया और फिर अपनी बिंदी को माथे पर सही जगह पर लगाया. रश्मी इस वक़्त बेहद हॉट दिख रही थी. और फिर उसने अपने होंठो पर लिप ग्लॉस लगाया ताकि उसके होंठ चुमते वक़्त और रसीले लगे. रश्मि ने एक बार फिर अपने आँचल को संभाला और मुस्कुराती हुई बाथरूम से निकल कर बेडरूम आ गयी.

रश्मि अपनी सेक्सी चाल से अपने पति विशाल को रिझाने लगी और बिस्तर पर उनके बगल में आकर बैठ गयी. फिर उसने अपने पैरो को ऊपर उठाकर बिस्तर पर रखा, फिर अपने घुटनों को मोड़ अपनी साड़ी के पल्लू को संभाला और फिर नटखट नजरो से अपने पति की ओर कातिल मुस्कान से उन्हें घायल कर उनसे मुंह फेरकर उनके बगल में सो गयी.

बिस्तर पर अपनी लेटी हुई पत्नी की ब्लाउज में खुली हुई पीठ और सैटिन साड़ी में लिपटी हुई खुबसूरत बड़ी सी गांड देख विशाल और बेचैन हो उठे. सचमुच रश्मि को अपने पति को रिझाना बखूबी आता था. विशाल रश्मि के करीब आ गए और पीछे से अपनी पत्नी की कमर पे हाथ डालते हुए उसकी साड़ी के अन्दर हाथ डालने लगे और उसकी गर्दन पे चुमते हुए बोले, “अब और कितना तरसाओगी जानेमन? कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ.”

विशाल अब अपने हाथ रश्मी के ब्लाउज पर फेरने लगे और उसके स्तन दबाने लगे. रश्मी भी मुस्कुराती हुई अपने हाथ पीछे कर अपने पति के सर को अपने और करीब लाने लगी ताकि वो उसे गर्दन पर अच्छी तरह चूम सके. “आज तो तुमने ब्रा भी नहीं पहनी है डार्लिंग. अब मुझसे और रुका नहीं जाएगा.”, विशाल ने कहा.


“तो आपको रोक कौन रहा है जानू… मैं तो आपकी ही हूँ.”, रश्मि ने मदहोशी भरी आवाज़ में कहा.

विशाल अब और उत्साह से रश्मी के बूब्स के बीच हाथ डालकर दबाने लगे और फिर उसकी पीठ पर चूमने लगे. धीरे धीरे उन्होंने हाथो को निचे ले जाकर रश्मी की साड़ी की चुन्नटो के बीच ले गए जहाँ उन्होंने रश्मी के लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगे. “डार्लिंग … सुबह का काम जो अधूरा रह गया था… आओ मैं पूरा करता हूँ.” विशाल ने कहा और रश्मी के लंड को और सहलाने लगे. रश्मी का लंड भी खड़ा हो रहा था पर उसके दिल में कुछ और था. वो नहीं चाहती थी कि आज विशाल उसका लंड चुसे.

विशाल अब भी रश्मी के लंड को उसकी साड़ी पर से ही सहला रहे थे तो रश्मि ने अपने एक हाथ से उसे हटाया. और अपने हाथ को अपने पीछे लिपटे हुए पति के पैजामे में डाला और उनका खड़ा लंड अपने कोमल हाथों से बाहर निकाल कर उसे हिलाने लगी. हिलते हाथो के साथ उसकी हरे कांच की चूड़ियों की खनक बेहद मोहक लग रही थी. रश्मी ने फिर उस लंड को अपनी गांड पर दबाया. विशाल का लंड रश्मो के नर्म हाथो और गांड के बीच मचल उठा… रश्मि की सैटिन साड़ी के स्पर्श से तो वो और तन गया. “आज मेरी नहीं तुम्हारी खुश होने की बारी है प्रिये.”, रश्मी ने एक अच्छी पत्नी की भाँती विशाल से कहा और उनके लंड अपनी गांड पर लिपटी साड़ी पर जोर जोर से दबाने लगी. विशाल तो इस वक़्त और भी उत्तेजित हो गए.

विशाल ने अपनी पत्नी को अपनी ओर पलटाया और उसकी आँखों में देखने लगे. रश्मि भी अपनी कातिल मुस्कान और रसीले होंठो के साथ उन्हें देखने लगी. विशाल ने फिर रश्मि की साड़ी को उसके ब्लाउज के ऊपर से हटाया और उसका पारदर्शी ब्लाउज देख वो मचल उठे. बिना ब्रा के उस पारदर्शी ब्लाउज में रश्मि के बड़े बड़े स्तन साफ़ झलक रहे थे और उसके निप्पल सख्त हो गए थे. जिसे देख विशाल उन निप्पल को पकड़ अपनी उँगलियों से मसलने लगे तो रश्मी ने आँहें भरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली.



“जानू आओ मैं तुम्हारे बूब्स को इस ब्लाउज से आज़ाद करता हूँ.”, विशाल ने कहा और रष्मि के ब्लाउज की हुक खोलने लगे. पति भी न ऐसे ही होते है. बातें तो ऐसी करते है जैसे सब कुछ अपने लिए नहीं बल्कि सिर्फ पत्नी की ख़ुशी के लिए कर रहे है. बिना ब्रा के तो वैसे भी रश्मि के स्तन आज़ाद ही थे. रश्मि की ब्लाउज की सारी हुक खुलते ही विशाल ने उन दोनों हिलते हुए स्तनों को अपने दोनों हाथो से जोरो से मसल दिया तो रश्मी एक मीठे दर्द भरी आंह निकाल कर मचलने लगी. और फिर विशाल ने अपना सर उन दोनों नर्म बड़े बड़े स्तनों के बीच रख दिया और उन स्तनों को और चूमने लगे. मदमस्त होती रश्मी ने भी अपने हाथो से विशाल के सर को अपने बूब्स पर और जोर से दबाया और उनके सर को अपने सैटिन साड़ी के आँचल से ढँक दिया. विशाल भी कामुक होकर रश्मी के स्तनों को चूसते रहे और अपनी जीभ से रश्मी के निप्पल को उकसाने लगी. मचलती हुई रश्मी से रहा न गया और बोली, “और जोर से चुसो न मेरे बूब्स को… मेरे निप्पल को अपने दांतों से कांटो न जानू” विशाल ने भी वैसा ही किया तो उत्तेजना के मारे रश्मि ने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली और आँखें बंद कर मज़ा लेने लगी… उसका तन बदन उसके स्तन पर हर चुम्बन पर लहरा उठता.

कुछ देर तक अपनी पत्नी के स्तनों का आनंद लेने के बाद विशाल ने अपनी पत्नी को पलटाकर उठाया और उसे डौगी पोजीशन में बिस्तर में तैयार किया और खुद पत्नी की गांड के पीछे आ गए. इस वक़्त रश्मि के बाल बिखर गए थे, ब्लाउज खुला हुआ था जिसमे से उसके स्तन उस पोजीशन में लटक कर झूल रहे थे. अब तो बस रश्मि की गांड को बेसब्री से इंतज़ार था. विशाल ने भी ज्यादा देर न करते हुए रश्मि की साड़ी को पीछे से उठाया और उसकी पेंटी उतारकर अपने लंड से वहां छूने लगे.

रश्मी तो जैसे अब मदहोश हो चुकी थी. अब वो अपनी गांड को मदहोशी में लहराने लगी और अपने पति के लंड को और तरसाने लगी. पर वो तो खुद तरस रही थी. अपनी पत्नी की तड़प देखकर विशाल ने भी झट से अपने लंड को रश्मी के अन्दर डाल दिया. उस एक झटके में रश्मी तो जैसे झूम उठी और उसके मुंह से एक आवाज़ एक आंह निकल पड़ी. कामुकता की मारी रश्मी अपने एक हाथ से अपने स्तनों को छूकर दबाने लगी. और विशाल भी अपने एक हाथ से रश्मि की डोग्गी पोजीशन में झूलते हुए स्तनों को पकड़ कर दबाने लगे. “और जोर से दबाओ न!”, रश्मी मदहोशी में लगभग चीख उठी. तो पत्नी की बात सुनकर विशाल और जोर से दबाने लगे और जोर जोर से अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगे. इस दौरान रश्मी के मुंह से निकलने वाली आन्हें और तेज़ हो गयी थी. अक्सर रश्मी ऐसी आवाजें नहीं निकाला करती थी क्योंकि उसकी ननंद लीला बगल के कमरे में ही सोया करती थी. पर आज न जाने रश्मि को क्या हो गया था, उसे बिलकुल परवाह नहीं थी कि उसकी ये चरम उत्तेजना में निकलने वाली आवाजें किसे सुनाई देती है. विशाल को तो वैसे ही ऐसी आवाज़ करके मदहोश होती हुई पत्नी ज्यादा आकर्षक लगती थी तो उन्होंने कुछ कहा नहीं. विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों को और जोर जोर से मसल मसल कर उसे और आनंद दे रहे थे, और वहीँ गांड में लंड को भी बड़े तेज़ी से अन्दर बाहर कर रहे थे.

और फिर कुछ समय में पति-पत्नी के बीच की ये लीला पूरी हो गयी. दोनों के चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव था. आज रश्मी बाकी दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा कामोत्तेजित थी. चाहे जो भी वजह थी इसके पीछे, विशाल बहुत खुश थे. और फिर विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों के बीच सर रखकर सो गए. और रश्मि भी उनके सर को जोर से अपने सीने से दबाकर उनके सर पर हाथ फेरते फेरते सो गयी. पर होता है न कि अक्सर ऐसी रातें यूँ ही ख़त्म नहीं हो जाती. खासकर पति तो अपनी पत्नी को छूकर पूरी रात उकसाते रहते है. विशाल रात भर हलकी हलकी नींद में रश्मि के स्तनों को दबाते तो कभी रश्मी के कठोर हो चुके निप्पलो को चूस कर उसे और उकसाते, और रश्मी बिस्तर में ही बेचैन होकर अपने तन को काबू में करने की कोशिश करती पर दोनों के जिस्म एक दुसरे के और करीब आ जाते.

और देखते ही देखते न जाने कब सुबह हो गयी दोनों को पता भी न चला. रश्मी बिस्तर में अभी भी पति की बांहों में लेटी हुई थी. उसने ब्लाउज तो पहना हुआ था पर उसके हुक खुले हुए थे और स्तन बाहर निकले हुए थे. कितने सुन्दर और सुडौल लग रहे थे वो स्तन. रश्मि की कमर के निचे अब भी साड़ी लिपटी हुई थी. साड़ी पहनने का यह तो फायदा है कि उसे बिना उतारे ही प्यार करने का आनंद लिया जा सकता है. और फिर उस साड़ी का मोहक कपडा यदि सैटिन हो तो पति पत्नी दोनों ही उसके स्पर्श से और उत्तेजित हो जाते है.

सुबह सुबह रश्मी की आँखें अब भी नींद से बंद थी. पर विशाल उसे ऐसे ही थोड़ी छोड़ने वाले थे. वो तो रश्मी की कमर के निचे उसकी साड़ी पर हाथ फेरते हुए रश्मि के लंड को छूकर तरसाने लगे. क्योंकि रश्मी ने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी तो रश्मी का लंड खडा होकर साड़ी से उभरकर दिखने लगा. विशाल अपनी पत्नी के इस खुबसूरत लिंग को साड़ी पर से ही पकड़कर सहलाने लगे. रश्मी एक बार फिर बदहवास हो रही थी. लेकिन जहाँ एक ओर पति जब चाहे तब रोमांटिक होने को तैयार होते है, वहीँ एक पत्नी अपनी ज़िम्मेदारी भी जानती है. रश्मी को पता था कि उसे उठकर सबके लिए नास्ता और अपने पति के टिफ़िन की तैयारी करनी है. खुद पर काबू करते हुए रश्मी ने अपने पति के हाथ को हटाया और बोली, “छोडो न जानू. मुझे अब तुम्हारा टिफ़िन बनाना है”

“ऐसे कैसे छोड़ दू अपनी प्यारी पत्नी को. आखिर मुझे उसे भी तो खुश करना है.”, विशाल ने रश्मी के लबो को चुमते हुए कहा. पर रश्मी उनसे दूर होकर बिस्तर पर उठ बैठी और बोली, “मुझे खुश करना है या तो तुम्हारी अपनी ख़ुशी है. चलो अब छोडो मुझे.”

रश्मी ने अपनी साड़ी जो उठकर घुटनों के ऊपर तक आ गयी थी, उसे सरकाकर निचे किया. और फिर अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी. इतने सुन्दर स्तन वापस उस सेक्सी ब्लाउज में कैद होते देख विशाल और उत्तेजित होने लगे. ये पति भी न! ऐसे ही होते है. और फिर वो बोले, “ठीक है तुम्हे मुझे इसी तरह छोड़कर जाना है तो चली जाओ. पर तुम्हारी ये पेंटी मैं नहीं दूँगा। विशाल के हाथ में रश्मी की पेंटी थी.

“तो ठीक है. तुम्ही रख लो उसे. मैं बिना पेंटी के ही चली जाती हूँ.”, रश्मी हँस पड़ी और अपने सीने को साड़ी के आँचल से ढंकती हुई बिस्तर से उठ खड़ी हुई और अपने पति को तडपाती हुई जाने लगी. और विशाल वहीँ दिल में हसरतें लिए रह गए.

मुस्कुराती हुई कृति जब किचन पहुंची तो उसने देखा कि सोनल जाग चुकी थी और ब्रेड टोस्ट का नाश्ता कर रही थी. रश्मि को एहसास हुआ कि उसका लिंग अब भी खड़ा हुआ है और साड़ी में उभर कर दिख रहा है. कोई और दिन होता तो रश्मी उसे छिपाने की कोशिश करती. लेकिन कल जो सोनल और रश्मी के बीच हुआ था, उसके बाद से न जाने क्यों रश्मि के दिल में सोनल को लेकर नाराजगी थी. उसने सोनल को अनदेखा करते हुए किचन में जाकर अपने काम करने लगी. सबसे पहले तो उसने अपने बालों को बांधकर जूडा बनाया और फिर पति के लिए चाय बनाने लगी.

इस वक़्त सोनल का चेहरा भी कुछ उखड़ा हुआ था.

“लगता है कल रात पति-पत्नी के बीच बहुत प्रेम लीला हुई है.”, सोनल ने अपनी भाभी से कहा. उसकी आवाज़ में एक गुस्सा साफ़ झलक रहा था. आखिर उसे रात को पति-पत्नी की क्रीडा के दौरान आवाजें सुनाई पड़ ही गयी थी. पर क्यों नाराज़ थी वो रश्मी से? आखिर रश्मी भाभी ने तो उसे वो सीखाया था जो कल अपने बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र के साथ आजमा सकी थी. कल शाम को तो अपनी भाभी को ये सब बताते हुए बड़ी खुश थी वो. फिर क्यों आज वो इतनी नाराज़ थी, ये तो वो खुद भी नहीं जानती थी.

“हाँ.. हमने कल रात प्यार किया है. तुझे क्या करना है?”, रश्मि ने भी लगभग उखड़े स्वर में जवाब दिया. जब सोनल अपने बॉयफ्रेंड के साथ ये सब कर सकती है तो फिर रश्मि और विशाल जो की पति पत्नी है, वो क्यों नहीं? ऐसे ही कुछ ख्याल रश्मि के मन में चल रहे थे. पर न जाने क्यों उसे सोनल को देखकर गुस्सा आ रहा था. वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसे सोनल से क्या परेशानी है.

अपनी भाभी से रुखा जवाब मिलने पर सोनल बिना कुछ कहे उठकर किचन से अपने कमरे की ओर चली गयी. और रश्मि भी अपने पति के लिए खाना बनाने में व्यस्त हो गयी.ननंद भाभी के कुछ अनबन चल रही है ऐसा विशाल को समझ आ गया था. इसलिए बिना ज्यादा कुछ बोले वो खाना खाकर अपने कमरे में चले गए.

रश्मि ने खाने की मेज समेटी और बर्तन धोकर बिना सोनल से बात किये अपने अपने कमरे में चली गयी. सोनल सोचती रही कि भाभी क्यों उससे ऐसे नाराज़ हो रही है? अपने बॉयफ्रेंड के बारे में तो उसने भाभी को पहले से ही बताया हुआ था फिर अब क्यों भाभी इस तरह रुखी हो रही है?

सोनल को अनदेखा कर रश्मि अपने बेडरूम आ गयी जहाँ उसके पति विशाल उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. उनकी आँखों की आतुरता देख रश्मी मुस्कुराते हुए बोली, “ज़रा रुको मैं अभी आती हूँ.” और पति को तडपाती हुई रश्मि कमर मटकाते हुए कमरे से लगे बाथरूम चली गयी. अपने पति को रिझाना रश्मी को बखूबी आता था.

बाथरूम में आते ही रश्मी ने ब्लाउज में लगी हुई पिन को खोलकर अपने पल्लू को उतारा और फिर अपना ब्लाउज उतारने लगी. ब्लाउज को किनारे में रख रश्मी ने अपनी ब्रा उतार दी. और फिर से ब्लाउज पहनने लगी. ब्लाउज पहनकर रश्मि ने खुद को आईने में देखा. उसके हरे पारदर्शी ब्लाउज में उसके बड़े बड़े निप्पल साफ़ झलक रहे थे. फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि फिर रश्मी ने अपने हाथो को ब्लाउज के अन्दर डालकर अपने स्तनों को ब्लाउज में सही तरह से एडजस्ट किया कि उसके निप्पल पॉइंट कर उभरे हुए दिखे. संतुष्ट होने पर रश्मि ने एक बार फिर अपनी सैटिन साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर चढ़ाया और फिर अपनी बिंदी को माथे पर सही जगह पर लगाया. रश्मी इस वक़्त बेहद हॉट दिख रही थी. और फिर उसने अपने होंठो पर लिप ग्लॉस लगाया ताकि उसके होंठ चुमते वक़्त और रसीले लगे. रश्मि ने एक बार फिर अपने आँचल को संभाला और मुस्कुराती हुई बाथरूम से निकल कर बेडरूम आ गयी.

रश्मि अपनी सेक्सी चाल से अपने पति विशाल को रिझाने लगी और बिस्तर पर उनके बगल में आकर बैठ गयी. फिर उसने अपने पैरो को ऊपर उठाकर बिस्तर पर रखा, फिर अपने घुटनों को मोड़ अपनी साड़ी के पल्लू को संभाला और फिर नटखट नजरो से अपने पति की ओर कातिल मुस्कान से उन्हें घायल कर उनसे मुंह फेरकर उनके बगल में सो गयी.

बिस्तर पर अपनी लेटी हुई पत्नी की ब्लाउज में खुली हुई पीठ और सैटिन साड़ी में लिपटी हुई खुबसूरत बड़ी सी गांड देख विशाल और बेचैन हो उठे. सचमुच रश्मि को अपने पति को रिझाना बखूबी आता था. विशाल रश्मि के करीब आ गए और पीछे से अपनी पत्नी की कमर पे हाथ डालते हुए उसकी साड़ी के अन्दर हाथ डालने लगे और उसकी गर्दन पे चुमते हुए बोले, “अब और कितना तरसाओगी जानेमन? कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ.”

विशाल अब अपने हाथ रश्मी के ब्लाउज पर फेरने लगे और उसके स्तन दबाने लगे. रश्मी भी मुस्कुराती हुई अपने हाथ पीछे कर अपने पति के सर को अपने और करीब लाने लगी ताकि वो उसे गर्दन पर अच्छी तरह चूम सके. “आज तो तुमने ब्रा भी नहीं पहनी है डार्लिंग. अब मुझसे और रुका नहीं जाएगा.”, विशाल ने कहा.


“तो आपको रोक कौन रहा है जानू… मैं तो आपकी ही हूँ.”, रश्मि ने मदहोशी भरी आवाज़ में कहा.

विशाल अब और उत्साह से रश्मी के बूब्स के बीच हाथ डालकर दबाने लगे और फिर उसकी पीठ पर चूमने लगे. धीरे धीरे उन्होंने हाथो को निचे ले जाकर रश्मी की साड़ी की चुन्नटो के बीच ले गए जहाँ उन्होंने रश्मी के लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगे. “डार्लिंग … सुबह का काम जो अधूरा रह गया था… आओ मैं पूरा करता हूँ.” विशाल ने कहा और रश्मी के लंड को और सहलाने लगे. रश्मी का लंड भी खड़ा हो रहा था पर उसके दिल में कुछ और था. वो नहीं चाहती थी कि आज विशाल उसका लंड चुसे.

विशाल अब भी रश्मी के लंड को उसकी साड़ी पर से ही सहला रहे थे तो रश्मि ने अपने एक हाथ से उसे हटाया. और अपने हाथ को अपने पीछे लिपटे हुए पति के पैजामे में डाला और उनका खड़ा लंड अपने कोमल हाथों से बाहर निकाल कर उसे हिलाने लगी. हिलते हाथो के साथ उसकी हरे कांच की चूड़ियों की खनक बेहद मोहक लग रही थी. रश्मी ने फिर उस लंड को अपनी गांड पर दबाया. विशाल का लंड रश्मो के नर्म हाथो और गांड के बीच मचल उठा… रश्मि की सैटिन साड़ी के स्पर्श से तो वो और तन गया. “आज मेरी नहीं तुम्हारी खुश होने की बारी है प्रिये.”, रश्मी ने एक अच्छी पत्नी की भाँती विशाल से कहा और उनके लंड अपनी गांड पर लिपटी साड़ी पर जोर जोर से दबाने लगी. विशाल तो इस वक़्त और भी उत्तेजित हो गए.

विशाल ने अपनी पत्नी को अपनी ओर पलटाया और उसकी आँखों में देखने लगे. रश्मि भी अपनी कातिल मुस्कान और रसीले होंठो के साथ उन्हें देखने लगी. विशाल ने फिर रश्मि की साड़ी को उसके ब्लाउज के ऊपर से हटाया और उसका पारदर्शी ब्लाउज देख वो मचल उठे. बिना ब्रा के उस पारदर्शी ब्लाउज में रश्मि के बड़े बड़े स्तन साफ़ झलक रहे थे और उसके निप्पल सख्त हो गए थे. जिसे देख विशाल उन निप्पल को पकड़ अपनी उँगलियों से मसलने लगे तो रश्मी ने आँहें भरते हुए अपनी आँखें बंद कर ली.



“जानू आओ मैं तुम्हारे बूब्स को इस ब्लाउज से आज़ाद करता हूँ.”, विशाल ने कहा और रष्मि के ब्लाउज की हुक खोलने लगे. पति भी न ऐसे ही होते है. बातें तो ऐसी करते है जैसे सब कुछ अपने लिए नहीं बल्कि सिर्फ पत्नी की ख़ुशी के लिए कर रहे है. बिना ब्रा के तो वैसे भी रश्मि के स्तन आज़ाद ही थे. रश्मि की ब्लाउज की सारी हुक खुलते ही विशाल ने उन दोनों हिलते हुए स्तनों को अपने दोनों हाथो से जोरो से मसल दिया तो रश्मी एक मीठे दर्द भरी आंह निकाल कर मचलने लगी. और फिर विशाल ने अपना सर उन दोनों नर्म बड़े बड़े स्तनों के बीच रख दिया और उन स्तनों को और चूमने लगे. मदमस्त होती रश्मी ने भी अपने हाथो से विशाल के सर को अपने बूब्स पर और जोर से दबाया और उनके सर को अपने सैटिन साड़ी के आँचल से ढँक दिया. विशाल भी कामुक होकर रश्मी के स्तनों को चूसते रहे और अपनी जीभ से रश्मी के निप्पल को उकसाने लगी. मचलती हुई रश्मी से रहा न गया और बोली, “और जोर से चुसो न मेरे बूब्स को… मेरे निप्पल को अपने दांतों से कांटो न जानू” विशाल ने भी वैसा ही किया तो उत्तेजना के मारे रश्मि ने अपनी मुट्ठियाँ भींच ली और आँखें बंद कर मज़ा लेने लगी… उसका तन बदन उसके स्तन पर हर चुम्बन पर लहरा उठता.

कुछ देर तक अपनी पत्नी के स्तनों का आनंद लेने के बाद विशाल ने अपनी पत्नी को पलटाकर उठाया और उसे डौगी पोजीशन में बिस्तर में तैयार किया और खुद पत्नी की गांड के पीछे आ गए. इस वक़्त रश्मि के बाल बिखर गए थे, ब्लाउज खुला हुआ था जिसमे से उसके स्तन उस पोजीशन में लटक कर झूल रहे थे. अब तो बस रश्मि की गांड को बेसब्री से इंतज़ार था. विशाल ने भी ज्यादा देर न करते हुए रश्मि की साड़ी को पीछे से उठाया और उसकी पेंटी उतारकर अपने लंड से वहां छूने लगे.

रश्मी तो जैसे अब मदहोश हो चुकी थी. अब वो अपनी गांड को मदहोशी में लहराने लगी और अपने पति के लंड को और तरसाने लगी. पर वो तो खुद तरस रही थी. अपनी पत्नी की तड़प देखकर विशाल ने भी झट से अपने लंड को रश्मी के अन्दर डाल दिया. उस एक झटके में रश्मी तो जैसे झूम उठी और उसके मुंह से एक आवाज़ एक आंह निकल पड़ी. कामुकता की मारी रश्मी अपने एक हाथ से अपने स्तनों को छूकर दबाने लगी. और विशाल भी अपने एक हाथ से रश्मि की डोग्गी पोजीशन में झूलते हुए स्तनों को पकड़ कर दबाने लगे. “और जोर से दबाओ न!”, रश्मी मदहोशी में लगभग चीख उठी. तो पत्नी की बात सुनकर विशाल और जोर से दबाने लगे और जोर जोर से अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगे. इस दौरान रश्मी के मुंह से निकलने वाली आन्हें और तेज़ हो गयी थी. अक्सर रश्मी ऐसी आवाजें नहीं निकाला करती थी क्योंकि उसकी ननंद लीला बगल के कमरे में ही सोया करती थी. पर आज न जाने रश्मि को क्या हो गया था, उसे बिलकुल परवाह नहीं थी कि उसकी ये चरम उत्तेजना में निकलने वाली आवाजें किसे सुनाई देती है. विशाल को तो वैसे ही ऐसी आवाज़ करके मदहोश होती हुई पत्नी ज्यादा आकर्षक लगती थी तो उन्होंने कुछ कहा नहीं. विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों को और जोर जोर से मसल मसल कर उसे और आनंद दे रहे थे, और वहीँ गांड में लंड को भी बड़े तेज़ी से अन्दर बाहर कर रहे थे.

और फिर कुछ समय में पति-पत्नी के बीच की ये लीला पूरी हो गयी. दोनों के चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव था. आज रश्मी बाकी दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा कामोत्तेजित थी. चाहे जो भी वजह थी इसके पीछे, विशाल बहुत खुश थे. और फिर विशाल अपनी पत्नी के बड़े स्तनों के बीच सर रखकर सो गए. और रश्मि भी उनके सर को जोर से अपने सीने से दबाकर उनके सर पर हाथ फेरते फेरते सो गयी. पर होता है न कि अक्सर ऐसी रातें यूँ ही ख़त्म नहीं हो जाती. खासकर पति तो अपनी पत्नी को छूकर पूरी रात उकसाते रहते है. विशाल रात भर हलकी हलकी नींद में रश्मि के स्तनों को दबाते तो कभी रश्मी के कठोर हो चुके निप्पलो को चूस कर उसे और उकसाते, और रश्मी बिस्तर में ही बेचैन होकर अपने तन को काबू में करने की कोशिश करती पर दोनों के जिस्म एक दुसरे के और करीब आ जाते.

और देखते ही देखते न जाने कब सुबह हो गयी दोनों को पता भी न चला. रश्मी बिस्तर में अभी भी पति की बांहों में लेटी हुई थी. उसने ब्लाउज तो पहना हुआ था पर उसके हुक खुले हुए थे और स्तन बाहर निकले हुए थे. कितने सुन्दर और सुडौल लग रहे थे वो स्तन. रश्मि की कमर के निचे अब भी साड़ी लिपटी हुई थी. साड़ी पहनने का यह तो फायदा है कि उसे बिना उतारे ही प्यार करने का आनंद लिया जा सकता है. और फिर उस साड़ी का मोहक कपडा यदि सैटिन हो तो पति पत्नी दोनों ही उसके स्पर्श से और उत्तेजित हो जाते है.

सुबह सुबह रश्मी की आँखें अब भी नींद से बंद थी. पर विशाल उसे ऐसे ही थोड़ी छोड़ने वाले थे. वो तो रश्मी की कमर के निचे उसकी साड़ी पर हाथ फेरते हुए रश्मि के लंड को छूकर तरसाने लगे. क्योंकि रश्मी ने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी तो रश्मी का लंड खडा होकर साड़ी से उभरकर दिखने लगा. विशाल अपनी पत्नी के इस खुबसूरत लिंग को साड़ी पर से ही पकड़कर सहलाने लगे. रश्मी एक बार फिर बदहवास हो रही थी. लेकिन जहाँ एक ओर पति जब चाहे तब रोमांटिक होने को तैयार होते है, वहीँ एक पत्नी अपनी ज़िम्मेदारी भी जानती है. रश्मी को पता था कि उसे उठकर सबके लिए नास्ता और अपने पति के टिफ़िन की तैयारी करनी है. खुद पर काबू करते हुए रश्मी ने अपने पति के हाथ को हटाया और बोली, “छोडो न जानू. मुझे अब तुम्हारा टिफ़िन बनाना है”

“ऐसे कैसे छोड़ दू अपनी प्यारी पत्नी को. आखिर मुझे उसे भी तो खुश करना है.”, विशाल ने रश्मी के लबो को चुमते हुए कहा. पर रश्मी उनसे दूर होकर बिस्तर पर उठ बैठी और बोली, “मुझे खुश करना है या तो तुम्हारी अपनी ख़ुशी है. चलो अब छोडो मुझे.”

रश्मी ने अपनी साड़ी जो उठकर घुटनों के ऊपर तक आ गयी थी, उसे सरकाकर निचे किया. और फिर अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी. इतने सुन्दर स्तन वापस उस सेक्सी ब्लाउज में कैद होते देख विशाल और उत्तेजित होने लगे. ये पति भी न! ऐसे ही होते है. और फिर वो बोले, “ठीक है तुम्हे मुझे इसी तरह छोड़कर जाना है तो चली जाओ. पर तुम्हारी ये पेंटी मैं नहीं दूँगा। विशाल के हाथ में रश्मी की पेंटी थी.

“तो ठीक है. तुम्ही रख लो उसे. मैं बिना पेंटी के ही चली जाती हूँ.”, रश्मी हँस पड़ी और अपने सीने को साड़ी के आँचल से ढंकती हुई बिस्तर से उठ खड़ी हुई और अपने पति को तडपाती हुई जाने लगी. और विशाल वहीँ दिल में हसरतें लिए रह गए.

मुस्कुराती हुई कृति जब किचन पहुंची तो उसने देखा कि सोनल जाग चुकी थी और ब्रेड टोस्ट का नाश्ता कर रही थी. रश्मि को एहसास हुआ कि उसका लिंग अब भी खड़ा हुआ है और साड़ी में उभर कर दिख रहा है. कोई और दिन होता तो रश्मी उसे छिपाने की कोशिश करती. लेकिन कल जो सोनल और रश्मी के बीच हुआ था, उसके बाद से न जाने क्यों रश्मि के दिल में सोनल को लेकर नाराजगी थी. उसने सोनल को अनदेखा करते हुए किचन में जाकर अपने काम करने लगी. सबसे पहले तो उसने अपने बालों को बांधकर जूडा बनाया और फिर पति के लिए चाय बनाने लगी.

इस वक़्त सोनल का चेहरा भी कुछ उखड़ा हुआ था.

“लगता है कल रात पति-पत्नी के बीच बहुत प्रेम लीला हुई है.”, सोनल ने अपनी भाभी से कहा. उसकी आवाज़ में एक गुस्सा साफ़ झलक रहा था. आखिर उसे रात को पति-पत्नी की क्रीडा के दौरान आवाजें सुनाई पड़ ही गयी थी. पर क्यों नाराज़ थी वो रश्मी से? आखिर रश्मी भाभी ने तो उसे वो सीखाया था जो कल अपने बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र के साथ आजमा सकी थी. कल शाम को तो अपनी भाभी को ये सब बताते हुए बड़ी खुश थी वो. फिर क्यों आज वो इतनी नाराज़ थी, ये तो वो खुद भी नहीं जानती थी.

“हाँ.. हमने कल रात प्यार किया है. तुझे क्या करना है?”, रश्मि ने भी लगभग उखड़े स्वर में जवाब दिया. जब सोनल अपने बॉयफ्रेंड के साथ ये सब कर सकती है तो फिर रश्मि और विशाल जो की पति पत्नी है, वो क्यों नहीं? ऐसे ही कुछ ख्याल रश्मि के मन में चल रहे थे. पर न जाने क्यों उसे सोनल को देखकर गुस्सा आ रहा था. वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उसे सोनल से क्या परेशानी है.

अपनी भाभी से रुखा जवाब मिलने पर सोनल बिना कुछ कहे उठकर किचन से अपने कमरे की ओर चली गयी. और रश्मि भी अपने पति के लिए खाना बनाने में व्यस्त हो गयी.
Reply
08-27-2019, 01:43 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
रश्मी अब तक अपने पति विशाल के लिए टिफ़िन तैयार कर चुकी थी और बस किचन में बर्तन समेट ही रही थी कि तभी विशाल पीछे से आये और अपनी पत्नी से लिपट गए. और अपनी प्यारी पत्नी रश्मी की पीठ को चूमने लगे. यदि रात सुहानी बीती हो तो सुबह सुबह पति इस तरह से और रोमांटिक हो ही जाते है. रश्मी ने भी उनके चुम्बन का प्यार भरा जवाब दिया और अपने कोमल हाथो से अपने पीछे खड़े विशाल के चेहरे को छूने लगी.

“अब छोडो भी मुझे. आपको ऑफिस के लिए देर हो रही होगी. लीजिये आपका टिफ़िन तैयार है.”, और रश्मी ने बड़े ही प्यार से पलट कर विशाल को टिफ़िन पकडाया. पर रश्मी अब भी विशाल की बांहों में गिरफ्त थी. उसे कोई शिकायत भी नहीं थी. विशाल ने अपनी पत्नी के होंठो को एक बार रस भर कर चूमा और उसे विदा कर ऑफिस निकल गए. और रश्मी उनके चुम्बन के एहसास को अनुभव करती वहीँ खड़ी रह गयी. रश्मी के निप्पल में एक सिहरन सी छोड़ गए थे विशाल.

आखिर कल की रात बहुत हॉट थी. रश्मी ने अपनी तरफ से विशाल को खुश करने की पूरी कोशिश जो की थी. और फिर उसे भी मज़ा तो आया था. पर ये तो सिर्फ रश्मी का दिल जानता था कि कल की हॉट रात के पीछे रहस्य क्या था. कल दिन में जब रश्मी की ननंद सोनल ने रश्मी के लिंग को चूसकर ब्लो जॉब दिया था उसके बाद से ही उसके मन में एक ग्लानी थी. कल के पहले रश्मी के जिस्म को उसके पति विशाल के अलावा किसी ने नहीं छुआ था… न किसी आदमी ने और न ही किसी औरत ने. पर कल? कल रश्मी ने अपने पति के पीछे उन्हें धोखा दिया और वो भी उनकी बहन के साथ. उसके मन में ग्लानी तो होनी ही थी. पर इसके अलावा भी कुछ और बात थी. कल जब सोनल घर वापस आई और रश्मी को अपने बॉयफ्रेंड धीरेन्द्र के साथ का किस्सा सुनाया तब से न जाने क्यों रश्मी के मन में इर्ष्य ने घर कर लिया था. उसे सोचकर बहुत जलन हो रही थी कि सोनल ने रश्मी के अलावा किसी और का भी लिंग चूसा था. पहले की बात होती तो शायद रश्मी को फर्क नहीं पड़ता पर अब न जाने क्यों उसे ऐसा महसूस हो रहा था. यही कारण था कि जब विशाल ने रात को रश्मी को अपनी बांहों में लिया तो वो न सिर्फ अपने पति को धोखा देने के प्रायश्चित में उन्हें पूरे समर्पण भाव के साथ अपना तन सौंप रही थी बल्कि साथ ही वो सोनल को भी एहसास दिलाना चाहती थी कि यदि सोनल धीरेन्द्र के साथ सेक्स करके खुश है तो वो भी अपने पति के साथ खुश थी.

आखिर रश्मी जैसा चाहती थी वैसा ही हुआ भी था. सोनल सुबह सुबह ही रश्मी से रूखे स्वर में बात कर रही थी. और सुबह के दो शब्दों के कहने के बाद से वो एक भी बार रश्मी से बात करने के लिए अपने कमरे से बाहर तक नहीं आई थी. कल तक जो ननंद भाभी के बीच एक प्यार भरा रिश्ता था वो एक बार में ही जिस्म की आग में झुलसते हुए कही बिखर गया था.

भले ही रश्मी एक सीधी साधी गृहिणी थी पर उसे भी अपने रूप पर गर्व था. सोनल की चिंता छोड़ कर रश्मी ने अपने ब्लाउज को अपनी साड़ी से ढंका और अब नहाने के लिए बाथरूम आ गयी. बाथरूम में आकर रश्मी ने धीरे धीरे खुद को आईने में देख अपनी साड़ी उतारनी शुरू की. एक एक प्लेट को धीरे धीरे खिंच कर खोलती हुई रश्मी अपने रूप को देखकर इठलाने लगी. और फिर उसके बाद अपनी ब्लाउज को खोलने लगी. बिना ब्रा के उसके स्तन ब्लाउज से तुरंत बाहर निकल आये. और रश्मी ने अपने निप्पल को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. उसे एक बार फिर बड़ा मज़ा आ रहा था. और फिर वो अपने दुसरे हाथ से अपने पेटीकोट के ऊपर सहलाने लगी और पहले हाथ से अपने स्तनों को मसलने लगी. जल्दी ही रश्मी का लंड खड़ा हो चूका था और उसकी वजह से उसका पेटीकोट उठ चूका था. आखिर उसने अन्दर पेंटी तक नहीं पहनी थी. उत्तेजना में रश्मी ने अपना पेटीकोट उतारा और फिर अपने खड़े लंड को और सहलाने लगी. कठोर निप्पल और खड़े लंड के साथ वो आईने में बड़ी सेक्सी लग रही थी. खुद के लंड को देख वो बड़ी खुश हुई. गुलाबी चमचमाता हुआ और बिलकुल साफ़ सुथरा लिंग था रश्मी का जिसके आसपास एक बाल तक नहीं था. और फिर मुस्कुराती हुई रश्मी शावर में जाकर नहाने लगी. वो चाहती तो उत्तेजना में वो खुद को और सहला सकती थी. पर इतनी खुबसूरत औरत भला खुद को खुश करे? ये तो अपमान ही होगा न? जब पूरी दुनिया में कोई भी उसके जिस्म को छूकर उसे खुश करने को बेताब होगा तो वो क्यों भला खुद मेहनत करे? हंसती मुसकुराती हुई रश्मी नहाकर बाहर निकली और उसने एक सुन्दर सी लेस वाली ब्रा पहनी. भीगे बालो में बहुत ही सेक्सी लग रही रश्मी की ब्रा ने जब उसके बूब्स को अपने अन्दर कैद किया तब जाकर उसका खुद के तन पर थोडा सा वश वापस आने लगा था. और फिर रश्मी ने धीरे से अपने कोमल पैरो पर एक हलकी सी सैटिन पेंटी को सरकाया और खुद के चिकने पैरो को अपनी उँगलियों से छूते हुए रश्मी ने वो पेंटी पहन ली. और फिर उसके बाद एक मैचिंग पेटीकोट में अपनी कमर को लहराती हुई नाडा बांधकर रश्मी अब साड़ी पहनने को तैयार थी.

वैसे तो रश्मी को अपनी ब्रा के ऊपर ब्लाउज पहनना चाहिए था पर आज उसने बिना ब्लाउज के ही साड़ी पहनने की सोची. घर में वैसे भी सिर्फ सोनल थी और वो भी बाहर जाने वाली ही होगी. और न भी जाए, तो आज रश्मी को उसके रहने न रहने से फर्क नहीं पड़ता था. और फिर रश्मी ने अपने बड़े बड़े कुलहो पर अपनी साड़ी को एक राउंड लपेटा और फिर अपनी दुबली पतली उँगलियों की सहायता से अपने साड़ी में एक एक प्लेट सलीके से बनाने लगी. भीगे लम्बे बालो में इतने करीने से प्लेट बनती हुई रश्मी को इस वक़्त कोई देख लेता तो यकीनन ही उसका खुद पर काबू नहीं रहता. यदि वहां विशाल होते तो मदहोश होकर वो इस वक़्त कभी अपनी पत्नी के स्तनों को दबाते या फिर उसके कुलहो को. और यदि वहां सोनल होती तो? क्या सोनल अपनी भाभी के स्तनों को दबाती हुई अपने घुटनों पर बैठकर अपनी भाभी की साड़ी उठाती और उनके लंड को बाहर निकाल कर अपने रसीले होंठो से चुस्ती? हाय, ये कैसा ख्याल आ रहा था रश्मी के मन में? वो अपने पति को फिर दोबारा कभी धोखा नहीं देना चाहती थी. फिर भी न जाने क्यों उसके दिल में ये विचार आकर उसके जिस्म में आग लगा रहे थे.

रश्मी आज बिना ब्लाउज के ही साड़ी पहनकर तैयार थी.

जहाँ एक ओर रश्मी अपने मन से लड़ रही थी वहीँ उसकी ननंद सोनल की मनोदशा कुछ अलग ही थी. अपने कमरे में बिस्तर में नाइटी पहनी सोनल लेटी हुई थी और उसके मन में एक गुस्सा भरा हुआ था. करवटें बदलती हुई सोनल के मन में अपनी भाभी के प्रति क्यों इतना गुस्सा था वो खुद समझ नहीं पा रही थी. यदि उसकी भाभी ने अपने पति के साथ रात को सेक्स किया तो सोनल को इस बात से क्यों फर्क पड़ रहा था? आखिर वो भी तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स करके खुश थी? रह रह कर उसके मन में धीरेन्द्र के साथ सेक्स की जगह उसे कल दोपहर को अपनी भाभी के साथ किये सेक्स की तसवीरें आ रही थी जब वो अपनी भाभी का गुलाबी लंड चूस रही थी. ऐसा क्यों हो रहा था उसेक साथ? धीरेन्द्र को छोड़ वो भाभी के बारे में क्यों सोच रही थी? खुद के मन को सोनल खुद ही नहीं समझ पा रही थी. उसका मन कर रहा था कि अपने कमरे से निकल कर अपनी भाभी पर चीख पड़े. ऐसे ही न जाने क्या क्या सोचती हुई सोनल न तो आज नहाई थी और न आज बाहर गयी थी धीरेंद्र से मिलने. उसे अपने कमरे के बाहर खटपट की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी. ज़रूर उसकी रश्मि अब नहाकर आ चुकी होगी और बाहर के कमरे में कुछ कर रही होगी. पर थोड़ी देर में वो खटपट भी बंद हो गयी. क्या उसे बाहर जाकर रश्मी से कुछ कहना चाहिए? और कहे भी तो क्या कहे? यही कि रश्मी अपने पति के साथ सेक्स न करे? ऐसा कैसे कह सकती थी वो. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे भी तो क्या करे? पर इस तरह बिस्तर में करवट बदलते तड़पती तो नहीं रह सकती थी वो. उसे कुछ तो करना होगा.

और फिर सोनल बिना कुछ सोचे समझे अपनी घुटनों तक की नाइटी पहने हुए ही अपने कमरे से बाहर आ गयी. बाहर आकर उसने देखा कि रश्मी सोफे पर बैठी हुई अपने घुटनों को मोड़े हुए गृहशोभा मैगज़ीन पढ़ रही थी. रश्मी ने तो आज ब्लाउज भी नहीं पहना था. बस खुले पल्ले के साथ ब्रा को ढंककर साड़ी पहनी हुई उसकी भाभी को भीगे बालो में देखकर एक ओर सोनल को गुस्सा भी बहुत आ रहा था पर वहीँ दूसरी ओर… उसकी भाभी उसे बेहद आकर्षक भी लग रही थी. सोनल को न जाने क्यों उसकी भाभी को देखते ही उसकी भाभी की कमर के निचले हिस्से की ओर ध्यान जा रहा था. उसकी भाभी की धवल गोरी कमर में सॉफ्ट सी नाभि के निचे साड़ी की खुबसूरत प्लेट्स के पीछे उसकी भाभी का लंड छुपा है, यह ख्याल उसके मन में क्यों आ रहा था? सोनल को देखते ही उसकी रश्मि भाभी ने अपनी साड़ी के आँचल को कुछ इस तरह सरकाया कि वो उसके दोनों स्तनों के बीच आकर बैठ गयी. अब रश्मि का एक स्तन उसकी लेस वाली ब्रा में और उभर कर दिखाई दे रहा था. पर सोनल की ओर ज्यादा ध्यान न देते हुए रश्मी ने अपने एक पैर को दुसरे पैर पर रखा और अपनी नाभि को साड़ी से ढंकते हुए हाथ में रखी मैगज़ीन का पन्ने पलट कर देखने लगी. रश्मि सोनल को अनदेखा करने का ड्रामा कर रही थी. वो उसे सच में अनदेखा करना चाहती थी पर कर नहीं पा रही थी. इसलिए अपनी मैगज़ीन में ध्यान देने की कोशिश कर रही थी. पर वहां भी उसका दिल कहाँ लग रहा था?
अपनी भाभी की ऐसी हरकत देखकर एक बार फिर सोनल के दिल में गुस्सा बढ़ गया. और वो गुस्से में ही अपनी भाभी के बगल में आकर बैठ गयी. रश्मी की नज़र अब सोनल के गोरी चिकनी टांगो पर थी. उसे पता था कि बिना नहाई हुई सोनल के बिखरे बाल और उस नाइटी में उसकी गोरी चिकनी टाँगे सभी कुछ रश्मी को उकसा रही थी. उसके स्तन जैसे खुद ब खुद ही फूलने लगे थे. पर फिर भी किसी तरह खुद पे काबू कर वो उन सब भावनाओं को अनदेखा करती रही. अब दोबारा अपने पति को वो धोखा नहीं देगी.. वो भी उस औरत, उस सोनल के लिए जो खुद किसी और मर्द के साथ सोकर आई थी. रश्मी ने सोनल को अनदेखा किया तो सोनल का पारा और चढ़ गया और अब उससे रहा नहीं गया और वो गुस्से से अपनी भाभी पर चीख पड़ी, “क्यों भाभी रात को अपने पति के साथ बीतने के बाद भी तुम्हारे जिस्म की आग नहीं बुझी जो तुम अब भी इस तरह से अपने स्तन निकाले बेशर्मो की तरह बैठी हो?”

बहुत कडवी बात कह दी थी सोनल ने. तो रश्मि भला कैसे चुप रहती? “मेरे जिस्म की आग से तुझे क्या करना है? हाँ मैं सोयी थी अपने पति के साथ. कम से कम अपने पति के साथ ही कर रही थी न. किसी ऐरे गिरे आदमी का लंड तो नहीं चूस रही थी न मैं? और वैसे भी तुझे क्या फर्क पड़ता है कि मैं क्या करती हूँ?”, रश्मी ने भी गुस्से में मैगज़ीन को बंदकर पटकते हुए कहा.

“भाभी!”, रश्मी की बात सुनकर सोनल गुस्से से उबल उठी और अपनी भाभी की नर्म बांहों को जोर से अपने हाथ से पकड़कर अपनी ओर खींचती हुई बोली. उसकी मजबूत पकड़ से रश्मी की नाज़ुक बांहों में थोडा दर्द हुआ जो उसके चेहरे पर दिख पड़ा. दोनों इस वक़्त एक दुसरे की नजरो में देख रही थी. गुस्से में दोनों की सांसें भी बहुत तेज़ चलने लगी थी. रश्मी के स्तन भी तेज़ साँसों के साथ फूलते और संकुचाते थे. और यही हाल सोनल के स्तनों का उसकी नाइटी में हो रहा था.

“मुझे क्या फर्क पड़ता है? जानना चाहती हो मुझे क्या फर्क पड़ता है?”, सोनल ने और भी गुस्से में कहा तो रश्मी बस उसकी ओर देखते ही रह गयी. और फिर एक झटके में सोनल ने अपनी भाभी की बांह को जोरो से अपनी ओर ऐसे खिंचा कि दोनों के स्तन एक दुसरे से दब गए… और दोनों के चेहरे बेहद करीब आ गए. इतने करीब कि जब सोनल ने रश्मी के होंठो को जोरो से चूमा तो रश्मी उसे रोकने के लिए कुछ कर भी नहीं सकी. दोनों के स्तन और निप्पल तुरंत ही फूलकर एक दुसरे को दबाने लगे. सोनल अपनी भाभी के बालों में उंगलियाँ फेरती हुई अपनी भाभी को मदहोश होकर चूमने लगी… और एक हाथ से भाभी की साड़ी पर से उनके स्तनों को दबाने लगी. भले यह सब शायद २०-३० सेकंड चला होगा मगर इतना मदहोशी भरा चुम्बन था वो कि रश्मी को उसे रोकना बहुत मुश्किल हो रहा था. खुद वो बेसुध हुए जा रही थी और सोनल के हाथ उसके स्तनों को दबाते हुए उसे और उकसा रहे थे. पर फिर भी किसी तरह रश्मी ने हिम्मत करके अपने दोनों हाथो से पूरा जोर लगाकर शिल्पा के स्तनों को धक्का देकर अपने आप से दूर किया. मदहोश होते हुए भी रश्मी सोनल के इस कृत्य से बहुत गुस्से में थी. दूर होते ही उसकी सांसें इतनी तेज़ हो गयी कि उसके स्तन ऊपर निचे होने लगे. बढ़ी हुई धडकनों के साथ उसने अपनी साड़ी संभाली और आँचल से अपने स्तनों को तुरंत ढंककर गुस्से से सोनल की ओर देखने लगी. रश्मि को गुस्से में देख सोनल को थोडा होश आया तो उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसने जो अभी किया वो सही था या गलत. उसके चेहरे पर अब थोड़ी शर्म दिखने लगी थी और रश्मी के चेहरे पर गुस्से की लालिमा.

पर जब दो खुबसूरत औरतों के जिस्म एक दुसरे के लिए बेकाबू हो, तब गुस्से को प्यार में बदलने में बहुत समय नहीं लगता है. और फिर गुस्से से लाल रश्मी ने सोनल की दोनों बांहों को जोर से पकड़ा और अब वो पूरी तरह से मदहोश होती हुई सोनल के होंठो को जोरो से चूमने लगी. और फिर फिर सोनल के स्तनों को भी पूरे जोर से दबाने लगी. रश्मी के चुम्बन पाकर अब सोनल ने भी खुद पर वश खो दिया था. और वो भी अपनी भाभी के रसीले होंठो को चूसने लगी… और भाभी के नर्म स्तनों को मसलने लगी. पर अब सोनल के चुम्बन में गुस्सा नहीं प्यार और पैशन था. लेकिन रश्मि अब भी अपने दिल की बात कह देना चाहती थी. और अपने अपमान का बदला लेती हुई रश्मि ने सोनल से कहा, “तुझे लंड चूसने का बड़ा शौक है न? तो आज अपने भाभी के लंड से चुद कर भी देख ले.” रश्मी पूरी ताकत से सोनल को सोफे पर लेटाने लगी और अपनी साड़ी उठाकर उसने अपनी पेंटी उतार दी और अपना खड़ा हुआ लंड निकाल सोनल की चूत की ओर बढाने लगी. “तो तुम्हे रोक कौन रहा है भाभी?”, सोनल बोली और उसने अपने दोनों पैरो को फैला दिया और अपनी नाइटी उठाकर अपनी पेंटी को सरकाकर अपनी योनी को अपनी भाभी के लिए खोल दिया. उत्तेजना में रश्मी ने अपनी साड़ी से अपने लंड को निकाला और तुरंत ही सोनल की योनी में एक एक झटके में डाल दिया. रश्मि के लिए ये पहला अनुभव था पर सोनल की योनी के अन्दर उसके लंड के जाते ही उसे एक चरम आनंद महसूस हुआ. और वो सोनल के हाथो से अपने स्तनों को जोरो से दबवाने लगी. सोनल ने भी अपनी आँखें बंद कर ली और चीख पड़ी, “और जोर से चोदो न भाभी!” और कामोत्तेजना में बदहवास रश्मी अपने लंड को सोनल की योनी में अन्दर बाहर करने लगी. रश्मी के स्तन ऐसा करते हुए झूलने लगे और उसके लम्बे बाल सोनल के सीने पर लहराने लगे. सोनल अब खुद अपने स्तनों को दबाने लगी.


ननंद और भाभी के बीच ये पल बेहद कामुक था. दोनों कभी एक दुसरे के होंठो को जोरो से चूमती, कभी कांटती तो कभी एक दुसरे के स्तनों को दबाकर चुस्ती और फिर निप्पल को दांतों से कांटती. आखिर दोनों औरतें थी तो जानती थी कि कैसे एक दुसरे के स्तनों को मसल कर उन्हें आनंद देना है. ऐसा पल ऐसी उत्तेजना ऐसी कामुकता तो उन्होंने कभी किसी आदमी के साथ महसूस नहीं किया था. कुछ तो ख़ास था इस पल में जो इन लहराते हुए कोमल जिस्मो को इतना मादक बना रहे थे. दोनों के नर्म जिस्म.. सॉफ्ट साड़ी और नाइटी में लिपटे हुए उन्हें मदहोश किये जा रहे थे. सोनल ने पहले आदमियों के लंड तो खुद के अन्दर बहुत लिए थे पर ये तो एक औरत का लंड था, वो भी उसकी भाभी का! भाभी के नर्म मुलायम स्तन और कठोर लिंग का विरोधाभास भी सोनल को कुछ गलत नहीं लग रहा था. कितनी उतावली हो गयी थी वो. और वहीँ रश्मी जीवन में पहली बार अपने लिंग का इस तरह एक औरत की योनी में कर रही थी. उसके लिए बिलकुल नया और कामुक अनुभव था ये. सोनल के स्तनों को दबाकर और उसकी योनी में अपने लिंग को डालकर इतना आनंद मिलेगा उसे, ऐसा तो उसने कभी सोची भी नहीं थी. ये सच था कि उसके पति विशाल उसका लिंग कभी कभी चूसते थे,रोज खुद अपना लिंग रश्मी की गांड में डालते थे, उसका भी अपना मज़ा था पर ये पल तो उससे भी ज्यादा उतावला करने वाला था. और फिर लिपटते रगड़ते उन दोनों औरतों के नर्म जिस्म एक दुसरे में समाकर थोड़ी देर में शांत हो गए. दोनों औरतों के चेहरे पर एक अलग सी ख़ुशी थी. और दोनों एक दुसरे की बांहों में एक दुसरे को देखती रह गयी. रश्मी अभी भी सोनल के ऊपर लेटी हुई थी और दोनों नवयौवनाओं के स्तन दबकर दोनों को आनंद दे रहे थे.

“भाभी, अब हम दोनों क्या करेंगी? इन सबका क्या मतलब है? हमारे रिश्तो का क्या होगा अब?”, सोनल ने अपने स्तनों पर लेटी हुई रश्मी के बालों को उँगलियों से सहलाते हुए पूछा. एक ही लाइन में बहुत कठिन सवाल कर दिए थे सोनल ने. और इतनी मादकता के बाद इस तरह के सवाल का जवाब सोचने की रश्मि की ज़रा भी इच्छा नहीं थी. वो तो बस इस पल को जी लेना चाहती थी. अपने एक एक रोम में महसूस हो रहे रोमांच को बिना ग्लानी के महसूस करना चाहती थी. फिर भी ये सवाल उसके मन को भी विचलित कर रहे थे. यदि रश्मी अपनी ननंद के साथ ये रिश्ता बनाये रखती है तो उसके पति विशाल का क्या होगा? अपने पति को छोड़कर वो सोनल के साथ क्या जीवन बिता सकती है? पर वो तो गलत होगा. आखिर विशाल उससे न जाने कितना ही प्यार करते है. और फिर उन्होंने उसे एक औरत होने का सम्मान दिलाया है जो शायद ही इस समाज में रश्मि जैसी औरत को कोई दिलाता. उसे एहसास था कि एक पत्नी होने का सौभाग्य उसे मिला है जो उसके जैसी औरतों के लिए बस एक सपना होता है. नहीं, वो विशाल को नहीं छोड़ सकती चाहे उसे सोनल के साथ जैसा भी लगा हो. पर सोनल के प्रति अपने आकर्षण का क्या करेगी वो? ये विचार और सवाल आते ही रश्मि ने उन्हें इस वक़्त नज़रंदाज़ करने की कोशिश करते हुए कहा, “हम कुछ न कुछ करेंगे सोनल” और फिर उसने सोनल के होंठो को अपने होंठो से चूसते हुए उसे दिलासा दिलाने की कोशिश की.

पर रश्मी का चुम्बन सोनल को दिलासा न दिला सका. रश्मी का लिंग अब नरम हो चूका था और अब भी सोनल की योनी में ही था. अपनी भाभी की साड़ी को पकड़कर उसके मखमली कपडे पर सुन्दर फूलो के प्रिंट को निहारती हुई सोनल भी कुछ विचारो में खो गयी थी. उसके दिल में अब एक चाहत घर कर गयी थी कि अब से उसकी भाभी सिर्फ और सिर्फ उसकी हो, किसी और की नहीं. पर वो अपने भैया के साथ ऐसा कैसे कर सकती है? जिस भाई और भाभी ने उसे इतना प्यार दिया था उन्ही का घर उजाड़ कर वो कैसे रह सकती है. वैसे भी अपने भाई का जीवन यदि उसने बर्बाद कर दिया तो ये समाज उसके और रश्मी भाभी के रिश्ते को स्वीकार नहीं करेगा. और फिर रश्मी को भी समाज में इज्ज़त नहीं दिला सकेगी वो जो उसके भाई के साथ रश्मी को रहते हुए मिलती थी. उफ्फ.. ये कैसी स्थिति में फंस गयी थी ये दोनों औरतें. करे तो करे भी क्या ये दोनों अब? फिर भी जब तक इन सवालों का जवाब नहीं मिल जाता तब तक दोनों साथ में खुश तो रह ही सकती है. शायद दोनों यही सोच रही थी और दोनों एक दुसरे की ओर मुस्कुरा कर देखने लगी.
सोनल ने सोच लिया कि जब भी मौका मिलेगा वो रश्मी भाभी के साथ वक़्त बिताएगी। उसे रश्मी के साथ अलग ही मजा आया था जो लड़को के साथ चुद कर नही आया।
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08-27-2019, 01:43 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
शाम को उस दिन जब विशाल घर आये तो ननंद भाभी में एक बार फिर से मिठास देखकर वो बड़े खुश हुए. ननंद भाभी दोनों एक दुसरे की कितनी सहायता कर रही थी और कितनी ख़ुशी से चहकते हुए बात कर रही थी. दोनों के चेहरे पर चमक देखकर विशाल की चिंता दूर हो गयी थी. पर उन्हें कुछ कहाँ पता था.

दिन बित रहे थे और समय के साथ रश्मी और सोनल एक दुसरे के बेहद करीब आते जा रहे थे. ननंद भाभी एक दुसरे के लिए न सिर्फ कपडे पसंद करती बल्कि एक दुसरे को पहनाती भी थी. और कपडे पहनाते हुए जब दोनों एक दुसरे के स्तनों और लिंग को छूती तो कई बार उनके बीच की करीबी कामुक पलो में बदल जाती. ये सब विशाल से छिपकर होता था. विशाल तो बस यही सोचते थे कि ननंद भाभी पक्की सहेलियां बन गयी है. अब तो सोनल तय करती थी कि रश्मी कौनसी ब्रा और कौनसी साड़ी पहनेगी. और विशाल इन सबसे अनभिज्ञ थे. क्योंकि अपने पति के प्रति कृतज्ञ रश्मी अपने पति की भरपूर सेवा करती और वो सब कुछ करती जो एक पत्नी से अपेक्षित था. रश्मी जानती थी कि सोनल के साथ उसका रिश्ता हमेशा हमेशा के लिए नहीं रह सकता था. आखिर एक दिन उसकी ननंद सोनल को उसके घर भी जाना होगा, और जल्दी ही वो वक़्त आ गया, जब सोनल के वापिश घर आने के लिए आरती का फ़ोन आया।
रश्मी से बेहद प्यार करने लगी थी सोनल और शायद इसलिए उसने अपनी वापिसी से पहले एक रात उसने सुहागन के जोड़े में रश्मि के साथ अपनी सुहागरात मनाई थी. रश्मी लहंगा पहनी हुई थी और सोनल ने एक भारी लाल साड़ी. सोने से लदी भाभी और ननंद के बीच की वो हॉट रात दोनों के लिए यादगार थी. और उसके बाद दोनों कितना ही गले लग कर रोई भी थी.

पर शायद उन दोनों की किस्मत ही थी कि उनको अलग होना पड़ रहा था और लेकिन ननंद भाभी ने एक दुसरे से मिलने के बहाने अपना रिश्ता बनाकर एक दुसरे की बनी रहने का वादा किया।


इधर जया काकी और मोनिका ने मिलकर आरती से कमल को माफी दिलवा दी थी, लेकिन उसे क्वाटर में ही रखा, पहले वाला कमरा नही दिया गया,
अब कमल घर मे ही खाना खाता था और कभी भी आ जा सकता था, कमल धीरे धीरे फिर से आरति के पास जाने की कोशिस में था, क्योकि सोनल के आने के बाद दोनों को मनाना कठिन था, गर पहले आरती मान जाती है तो फिर सोनल भी मान ही जाएगी।
अब तो जया काकी और मोनिका भी उसके साथ थी जो अपनी कामुक बातो से आरती में वासना की आग जला रही थी, जिसको भुझाने के लिए सबसे बढ़िया हथियार उस समय कमल ही घर पर मौजूद था, इसलिए धीरे धीरे आरति फिर से कमल की तरफ आकर्षित होने लगी, और अपनी वासना के आगे हार मानकर कमल से चुद गयी, और एक बार सिलसिला शुरू होने पर उनका रूटीन बन गया हररोज चुदाई का, उस दिन आरति के साथ इतनी चुदाई के बाद कमल थक चुका था. इसलिए अपने कमरे में आ कर कमल नंगा ही अपने बिस्तर पर लेट गया और सो गया. कुछ देर बाद आरति ने आकर उसे जगाया.
"कमल... उठ... सोने से पहले पजामा तो पहन लेता. अपना लौड़ा सारी दुनिया में नुमाइश करने का इरादा है क्या"?
"चाची... नुमाइश के लिए दुनिया है लेकिन घर तो इसका आपके अंदर है".
आरति मुस्कुराई. उसने पल्लू हटा के उनकी नाभि चूमी फिर उनकी नाभि चाटने लगा. आरति ज़ोर से उसका सर दबाने लगी और उससे अपना पेट चटवाने लगी.
"कमल, जितना प्यार तुझे मेरे पेट को करना है कर ले. सोनल रास्ते में है।"
"चाची ये तो बुरी खबर है. आपकी चूत में तो आग लग जाएगी."
"सही कहा कमल... बहुत मिस करूँगी इस छोटे शेर को".
"चाची... तो एक बार... मेरा लंड चूसो ना".
"ज़रूर चूसूंगी, कमल... लेकिन वादा कर की तू अभी मेरे उपर या अंदर अपना माल नही गिराएगा".
"तो कहाँ गिराऊंगा... चाची?"
"यह मेरे पास एक शीशी है. उसमे अपना सारा माल गिरा देना. नहा धो कर आई हूँ. फिर से नही नहाना मुझे".
"ठीक है, चाची. अब चूसो ना प्लीज़".
आरति बिस्तर पर बैठ गयी. कमल के लंड को अपने दोनो हाथों में लेकर प्यार से बोली.
"ये महाशय तो थकते ही नहीं. इतनी चुदाई की, फिर भी शांत नही हुआ. बड़ा गुस्सैल लंड है".
फिर आरति ने उसका लंड चाटना शुरू कर दिया और प्यार से उसके टटटे सहलाने लगी.
कमल को बड़ा आनंद आ रहा था. चाची उसका लंड टट्टों से टोपे तक चाटती. एक बार आरति ने उसके लंड का छेद अपनी जीभ से छेड़ा, कमल के अंदर बिजली दौड़ गयी.
"चाची, उधर ही चाटो ना".
"बदमाश... चाची से अपना छेद चटवाता है... शर्म नही आती तुझे?"
कमल मुस्कुराया और चाची के बाल सहलाने लगा.
आरति भी मुस्कुराई और उसके छेद को अपनी जीभ से चाटने लगी.
"बहुत अच्छा लग रहा है, चाची... रुकना मत".
कमल नंगा खड़ा अपना छेद चटवा रहा था. आरति उसके टटटे सहला रही थी.
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08-27-2019, 01:44 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कमल को इतना आनंद आ रहा था. उसने आरति की चूचियाँ ब्लाउस के उपर से ही पकड़ ली और कस-कस के दबाने लगा.
"आराम से कमल... साड़ी खराब मत कर".
"चाची प्लीज़... क्या मैं आपका मुँह चोद सकता हूँ"?
"नही!"
"प्लीज़ चाची... अभी आप हररोज नही मिलोगी मुझे प्लीज़ करने दो".
"उफ्फ... ठीक है कर ले... लेकिन अगर तूने मेरे मुँह में अपना माल छोड़ा, तो याद रखना, तुझे कभी अपने जिस्म पर हाथ नही रखने दूँगी".
"ठीक है चाची".
कमल नीचे झुक कर आरति के होंठ चूमने लगा. खूब देर उनका रसपान किया.
आरति तब तक उसके टटटे सहला रही थी. फिर कमल ने अपना लंड आरती के मुँह के सामने ले आया. आरती ने भी अपना मुँह हल्का सा खोला.
कमल ने आरती का चेहरा पकड़ा और अपना लंड उनके मुँह में सरका दिया. आरति जीभ से उसका लंड गीला कर रही थी. साथ ही उसके टट्टो की मसाज कर रही थी.
कमल को बहुत आनंद आ रहा था. कुछ देर बाद कमल ने अपने कूल्हे आगे-पीछे करने शुरू किए. उनकी मुँह चुदाई शुरू हो गयी थी. कमल प्यार से उनका मुँह चोद रहा था. लेकिन ख़याल रख रहा था की अपना माल उनके मुँह में ना गिरा दे.
आरति खूब मज़े ले रही थी. एक हाथ से वो उसके टटटे सहला रही थी. तभी कमल ने उनका दूसरा हाथ अपने कूल्हे पर महसूस किया. आरती कमल के कूल्हे अपने नाखूनो से नोचने लगी. कमल को मज़ा आ रहा था. करीब 15 मिनिट ऐसे ही चला.
अचानक आरती की उंगली कमल के पिछवाड़े के छेद पर पड़ी और वो उसे अपनी उंगली से मलने लगी.
कमल को लगा वो छूटने वाला है.
"चाची मैं.... मैं... मैं छूट रहा हूँ".
आरति ने तुरंत अपने मुँह से उसका लंड निकाला और एक हाथ से हिलाने लगी. दूसरे हाथ से शीशी का ढक्कन खोला और बोली, "ले कमल.. इसमे झड़ना".
"चाची आप हिलाती रहो... मैं छूटने वाला हूँ".
चाची ने वैसा ही किया. जल्दी ही कमल छूटा.
उसका माल लंड से निकल कर शीशी को भरने लगा. कमल 20 सेकेंड छूटा जिससे पूरी शीशी भर गयी.
छूटने के बाद कमल बिस्तर पर गिर पड़ा और आराम करने लग. आरती साड़ी ठीक करने लगी.
थोड़ी देर बाद आरती उसके पास आई और शीशी को देख कर बोली.
"हाय राम! कमल तू कितना माल छोड़ता है. एक बार में. इतने माल से तो तू 10 औरतों को एक साथ पेट से कर सकता है".
"मुझे तो सिर्फ़ एक ही औरत को पेट से करना है". कमल आरति के पेट पर हाथ फिराते हुए बोला.
"हट.. बदमाश... मुझे पेट से करेगा तू?... अपनी चाची को पेट से करेगा?... अपनी नाजायज़ औलाद देगा मुझे?"
"क्यों नही चाची... आप इस दुनिया की सबसे उत्तम औरत हो... आप नही चाहोगी की आपके साथ जो बच्चा पैदा करे वो भी उत्तम हो?... आप नही चाहोगी की आपका बेटा मेरे जैसा मस्त लंड पाए?"
"बिल्कुल चाहूँगी, कमल... लेकिन एक नाजायज़ औलाद को जन्म नही देना मुझे.... ये बता... तुझे सच में मैं उत्तम लगती हूँ?"
"चाची... आप तो सर्व-गुण संपन्न हो. आप खूबसूरत हो. सेक्सी हो. अच्छा खाना बनाती हो. कौन नही चाहेगा आपसे शादी करना. और आपका ये गोरा मुलायम पेट और ये प्यारी सी नाभि.... कौन मर्द नही चाहेगा की उसका बच्चा इस पेट में पले... चाची अगर आपकी बहन होती तो मैं उससे ज़रूर शादी कर लेता".
आरती मुस्कुराई और उसे आके चूम लिया.
"चल... तेरे चाचा आते ही होंगे. कपड़े पहन ले".
आरति इतना कहके चली गयी.
थोड़ी देर बाद रवि आ गये और खाना खाने के लिए।

कमल को भी वही बुलाया गया. टेबल पे आरती और रवि बैठे थे. जया काकी खाना बना रही थी.
"मैं काकी की ज़रा मदद करती हूँ." आरती रवि से बोली.
आरती किचन में आ गयी और जया की हेल्प करने लगी। तभी किचन में कमल भी किसी बहाने से आकर आरती के पीछे खड़ा हो गया. फिर आरति की कमर पर अपना हाथ रख दिया.
आरती चौंक उठी और पीछे घूमी तो कमल ने उन्हे झट से चूम लिया.
वो कमल से अलग हुई और बोली "कमल... यहाँ नही... तेरे अंकल बगल वाले हाल में ही हैं"
"चाची आप खाना बनाइए... मुझे अब आपकी चूत तो अगले कई दिनो तक नही मिलेगी... अब ऐसे ही मज़े लेने पड़ेंगे"
आरती ने चेहरे से नाराज़गी जताई पर वो खाना बनाने लग गयी. जया काकी बाहर हाल में टेबल पर प्लेट्स लगाने चली गयी।
कमल ने अपना हाथ सरका कर उनके पेट पर ले गया और नाभि से खेलने लगा.
"एक दिन देखना इस पेट से मेरी औलदें पैदा होंगी"
फिर कमल अपना हाथ साड़ी के अंदर सरका कर आरति की चूत को रगड़ने लगा.
दूसरे हाथ से कमल चूचियाँ दबाने लगा.
"कमल... नही... तेरे चाचा को सब सुनाई दे जाएगा".
लेकिन आरति की चूत गीली होने लगी थी.
"कमल ये वक़्त और जगह नही है ये सब करने की".
"तो चूत क्यूँ गीली है तेरी... आरती".आरती उसकी तरफ गुस्से से देखने लगी.
आरती ने उसका हाथ अपनी चड्डी में से निकाल दिया और खाना लेकर डाइनिंग टेबल पर चली गई.
कमल थोड़ी देर बाद पानी लेकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचा और आरती के बगल में बैठ गया. सब लोग खाना खाने लगे और कमल ने धीरे से आरती के पेट पर हाथ रख दिया. आरती ने उसे फिर गुस्से की नजरों से देखा. लेकिन कमल ने अपना हाथ नहीं हटाया और प्यार से उनका पेट चलाने लगा. नाभि के इर्द-गिर्द गोल गोल अपनी उंगलियों से घुमा घुमा के कमल आनंद ले रहा था. फिर कमल ने एक चम्मच गिरने के बहाने से नीचे झुका और पल्लू हटा के उनका पेट चूम लिया. आरति ने उसका चेहरा अपने पेट से हटाया और खाना खाने लग गई. कमल को मालूम था कि अगले कुछ दिनों तक आरति की खूबसूरत चुत का स्वाद उसे नसीब नहीं होगा. इसलिए उसने सोचा कि कुछ दिन उनकी चड्डी से ही काम चलाना पड़ेगा. उससे रुका नहीं गया और कमल धीरे-धीरे आरती की साड़ी उठाने लगा. उनकी गोरी सुडौल जांघें उसे ललचा रही थी. कमल ने उनकी जांघ पर अपना हाथ रख दिया. बहुत ही मुलायम त्वचा थी.आरती ने झट से उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ लिया और आंखों से इशारा किया रुकने का. लेकिन कमल कहां मानने वाला था. जैसे ही आरती ने उसका हाथ छोड़ा कमल धीरे-धीरे फिर से आरती की चड्डी की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लगा. उनकी चड्डी के पास पहुंचकर कमल आरती की चूत सहलाने लगा. चड्डी बहुत गीली थी. आरति की आंखें गुस्से से तमतमा रही थी. लेकिन कमल ने एक ना सुनते हुए धीरे धीरे आरति की चड्डी नीचे उतारने लगा. थोड़ी ही देर में आरती की चड्डी कमल ने उनके जिस्म से अलग कर दी और किसी बहाने से नीचे झुक कर उनकी चड्डी अपनी जेब में रख ली. आरती साड़ी के नीचे अब पूरी नंगी थी. खैर कमल का रात का इंतजाम तो हो गया. उसने सोचा आरति की चड्डी की महक लेते हुए मीठी नींद सोयगा. फिर सब खाना खाकर सोने चले गए. कमल लेटे लेटे आरती की चड्डी की महक लेते हुए अपना लंड हिला रहा था. तभी किसी ने उसके दरवाजे पर खटखटाया. कमल ने दरवाजा खोला तो सामने आरती खड़ी थी और गुस्से से उसे देख रही थी.
तभी आरती ने उसके गाल पर जोर का थप्पड़ रसीद कर दिया.
"तूने क्या मुझे अपनी रंडी समझ रखा है? जब आकर मेरी चूत मैं अपनी उंगली करेगा या सब की मौजूदगी में मेरी चड्डी उतार के मुझे नंगा करेगा? शुक्र मना कि तेरे चाचा को नहीं पता चला. पहले भी तुझे बोला था मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना. मैं कोई ढाई रूपए वाली रंडी नहीं हूं जो तू मेरे साथ अपनी मनमानी करें. बेशर्म मुझे पेट से करना चाहता था ना तू. आइंदा मुझे छूना भी मत नहीं तो मैं पुलिस में जाऊंगी और तेरी शिकायत करूंगी. तू मेरी चूत के जितने मजे लेना चाहता था ले चुका. अब बस मेरी चड्डी पर ही मुंह मारना. भड़वा साला मुझे अपनी रंडी समझता है".
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08-27-2019, 01:44 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कमल को यकीन नहीं हुआ कि आरती इतना बुरा मान गई है. वो आरती को मनाने उनके पीछे गया. आरती ने उसे धमकाया की वह सच में पुलिस के पास जाएंगे अगर उसने उन्हें छुआ भी तो. फिर आरती अपने कमरे में चली गई और कमल भी अपने कमरे में आ गया. आरती की चड्डी संभालकर अंदर रख दी और बिना हस्तमैथुन किए सो गया.
अगले दिन सोनल वापिश आ गयी। सोनल चुप चुप रहने लगी थी, उसने कमल को घर मे देख कर भी कोई रिएक्ट नही किया। आरती और कमल दोनो सोनल के बेहव से हैरत में थे।
अगले 10 दिन तक कमल की आरती से बात नहीं हुई. वह उसे देखकर इग्नोर करती. खाना खाने को बुलाने के लिए भी जया से कहती. आरती कमल से नाराज थी. और इस नाराजगी के चलते कमल इतने दिनों किसी से भी चुदाई नहीं किया. एक रात पानी पीने के लिए जब कमल उठा तो न जाने क्यों रसोई के दरवाजे से घर के अंदर चला गया, वहा आरती के कमरे से कामुक आवाजें आ रही थी. कमल दरवाजे पर कान लगाकर खड़ा हो गया.
"हां जानू.... हां बस वही पर... बस उधर ही... प्लीज रुकना मत.... चोदो मुझे.... चोदो मुझे... मेरी चूत की प्यास बुझाओ"
"मेरी जान.... हा.... हां.... मैं छूट रहा हूं.... मैं छूट रहा हूं"
रवि छूट के आरती के जिस्म से अलग हो गए और खर्राटे मार के सोने लगे. आरती रोने लगी.
"10 दिन से मेरा संभोग अधूरा रह जाता है... अपने कमल से कुछ सीख... बिना मेरा पानी निकाले छूटता नहीं था... बेचारा आज कल बस हस्तमैथुन ही कर पा रहा होगा. लेकिन गलती उसी की ही है... पर माफी भी तो मांग सकता है ना".
उसके बाद आरती सो गई और कमल भी अपने कमरे में आकर सो गया. सुबह हुई तो रवि काम पर चला गया और सोनल स्कूल। रवि भी कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था. बाहर आया तो आरती के कमरे की तरफ गया. आरती नहा कर आई थी और साड़ी पहनकर अपने बाल सवार रही थी. कमल धीरे से आकर जमीन पर बैठ गया और अपना सर उनके पांव पर लगा दिया.
"यह क्या कर रहा है कमल?"
"चाची प्लीज मुझे माफ कर दीजिए. मुझसे गलती हो गई. आप की मर्जी के बिना अब कभी मैं आपको हाथ भी नहीं लगाऊंगा"
आरती ने उसे उठने को कहा फिर उसे अपने गले से लगा लिया.
"जा कमल एक बार फिर मैंने तुझे माफ किया. लेकिन वादा कर ऐसी हरकत तू दोबारा कभी नहीं करेगा".
"वादा करता हूं चाची... आप जब से नाराज हुई तब से मैं हस्तमैथुन भी नहीं कर पाया हूं"
आरती को कस के गले लगा लिया और फूट-फूट कर रोने लगा.
"रो मत कमल... तुझे सबक सिखाना जरूरी था"
"चाची आई लव यू... आपके बिना मैं जी नहीं पाऊंगा".
"आई लव यू टू कमल"
फिर आरती ने उसे चूम लिया. कमल भी आरती को प्यार से चूमने लगा.
"बड़ा तड़पाया मैंने मेरे कमल को.... ले... जितना प्यार करना है कर ले".
आरति ने पल्लू खोल दिया और उनका गोरा पेट कमल के सामने था. कमल ने आरति की नाभि को चूम लिया और खूब देर तक चूमता रहा. फिर प्यार से उनका पेट सहलाने लगा और फिर उनका पेट अपने चेहरे से लगा लिया.
"चल कमल अब तू कॉलेज जा और रात को मुझे तेरी जरूरत पड़ेगी".
"क्या हुआ चाची?"
" 10 दिन की प्यासी हूं समझ जा". आरती ने कमल को आंख मारते हुए बोला.
कमल खुशी-खुशी कॉलेज चला गया. और रात का बेसब्री से इंतजार करने लगा. कॉलेज से वापस आया तो जया काकी खाना बना रही थी.
कमल मुंह हाथ धोकर घर मे आया और टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद खाना लग गया.कमल और आरती खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद आरती उसके पास आई और बोली "तैयार रहना तुझे कॉल करूंगी थोड़ी देर में".
रात को सब सोने चले गए. उसे मालूम था कि शायद रवि और आरती की चुदाई शुरू हो गई होगी. करीबन 1 घंटे बाद उसे आरती का फोन आया.
"कमल मेरे कमरे में आ जा".
कमल उत्साहित होकर आरती के कमरे में गया. वहां रवि भी सो रहा था और नीचे गद्दा बिछा हुआ था.
"आजा कमल... गद्दे पर लेट जाओ".
"लेकिन चाचा?"
"अरे तेरे चाचा को मैंने थोड़ी शराब पिला दी. सुबह तक नहीं उठेंगे."
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08-27-2019, 01:44 PM,
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
कमल कपड़े उतारकर नंगा हो गया और लंड हाथ में लेकर धीरे धीरे हिलाने लगा. आरती ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके लंड को ललचाई निगाहों से देखने लगी.
"कमल तरस गई हूं तेरे लंड के लिए. चूत मेरी बड़ी प्यासी है. आज की प्यास बुझा जा".
"जरूर चाची. आप गद्दे पर लेट जाइए और बंदा आप की खिदमत में हाजिर है".
चाची गद्दे पर लेट गई. और कमल अपना मुंह आरती की चूत के पास ले गया. कमल ने गहरी सांस अंदर ली तो उसकी मादक खुशबू से उसका लंड पूरे शबाब पर आ गया. कमल ने अपनी जीभ निकाली और प्यार से आरती की चूत चाटने लगा. बहुत ही गर्म थी उन
सकी चूत. और जल्द ही चूत से पानी बहने लगा. कमल सारा पानी चट कर गया. आरती की कामुक आवाजें निकाल रही थी और अपनी चूचियां सहला रही थी. कमल अपना काम करता रहा. फिर कमल ने अपनी उंगली ली और उनका दाना रगड़ने लगा. आरती तो मानो पागल ही हो गई. उनकी सांसे तेज हो गई.
"हां कमल बस मुझे चाटता रह. प्लीज रुकना मत. मुझे छूटने मैं मेरी मदद कर.... आह.... आह.... आह... हां मेरे राजा. काश तू मेरा पति होता. चाट मुझे. चाट मुझे"
कमल एक हाथ से उनका दाना रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूचियां मसल रहा था. तभी आरती के अंदर से एक आवाज आई "आह" की और आरती छूटने लगी. आरती खूब देर छूटी और फिर शांत हो गई. कमल ऊपर आ गया और आरति को चूमने लगा. आरती भी उसे चूमने लगी. कमल ने देखा आरती की आंखों से आंसू बह रहे थे. कमल ने प्यार से उनकी आंखें चूम ली और आंसू पी गया.
"कमल मैं 10 दिन की प्यासी हूं. मेरे अंदर आग लगी हुई थी. आग बुझाने के लिए शुक्रिया. अरे यह क्या, तेरा छोटा शेर तो बड़ा उछल रहा है."
आरती उसे उठने को बोली. खुद भी उठ गयी. कमल का लंड मुंह में लिया और प्यार से चूसने लगी. कभी-कभी उसके लंड के छेद को वह अपनी जीभ से छेड़ती तो कमल को आनंद आ जाता. कमल भी 10 दिन से कुछ नहीं किया था. उसके अंडे में बहुत माल था.
"चाची प्लीज अब चोदने दो ना. आप चुस्ती रही तो मैं आपके मुंह में ही झड़ जाऊंगा"
आरती ने उसका लंड अपने मुंह से निकाला और गद्दे पर लेट गई. कमल उनके ऊपर चढ़ गया, अपना लंड उनकी चूत के मुंह पर रखा और एक ठोकर मारी जिस से उसका पूरा लंड एक ही बार में नंगी चूत में जा धसा.
आरती के मुंह से कामुक आवाजें आने लगी. कमल ने धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करना चालू किया. चुदाई शुरू हो चुकी थी. कमल ने आरती को चूम लिया और फिर उनकी एक चूचुक मुंह में लेकर चूसने लगा.
"हां. चोद मेरे राजा. चोद मेरे राजा. बना दे मेरी चूत का भोसड़ा".
कमल कस के आरती को चोदने लगा. आरती खूब मज़े लेने लगी और गंदी गंदी गालियां देने लगी.
"आह मादड़चोद.... ओ बहनचोद.... चोद रे साले मादरजात.... खुद को मेरी चूत के लायक साबित कर".
"कुत्तिया. रंडी. छिनाल. पति से चुदवाती है और अब अपने बेटे समान भतीजे से चुदवा रही है. मेरी रांड"
आरती ने उसे कस के पकड़ लिया, अपने पैर कमल के चूतड़ों पर रख दिए उसे कस के चोदने को कहने लगी. कमल ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. अब आरती की चूत से फच फच फच फच की आवाज आने लगी. तभी अचानक आरती छूटने लगी. कमल ने अपनी रफ्तार थोड़ी और बढ़ाई और आरती को छूटने में मदद की. कमल ने आरती को चूम लिया. कमल के अंडे आरती के चूतड़ों पर तबला बजा रहे थे. बहुत ही कामुक माहौल था. आरती पसीने से तर थे. फिर भी कमल को और चोदने को कहती रही. तभी कमल को लगा कि वो भी छूटने वाला है. उसने आरती को कस के पकड़ लिया.
"चाची मैं छूटने वाला हूं. अपना माल कहां निकाल दूं?"
"जहां भी तेरा मन करें निकाल दे. तूने खुद को मेरे जिस्म के काबिल साबित कर दिया है".
कमल ने आरती को चूम लिया और फिर उनकी चूत में छूटने लगा. 10 दिन का माल इतना ज्यादा था कि उनकी चूत से उसका माल बहने लगा और जमीन पर इकट्ठा होने लगा. कमल 20 सेकंड तक छूटता रहा और आरती प्यार से उसके अंडे सहला रही थी.
वो दोनों बहुत थक गए थे और एक दूसरे की बाहों में ही आराम करने लगे. कमल का लंड अभी भी आरती की चूत मे ही था और माल छोड़ रहा था.
"चाची, इतना माल कितनी औरतों को पेट से कर सकता है?"
कमल ने मुस्कुराते हुए पूछा.
"कम से कम 25-30 औरतों के लिए तो इतना माल काफी होगा".
"चाची, थैंक यू. आपके बिना तो यह लंड पागल ही हो गया था. मुझे लगता है आपकी चूत ही इसका असली घर है".
"अच्छा बेटा जी. और अपना यह माल जो छोड़ रहा है उसका घर कहां है?"
कमल मुस्कुराया और आरती के पेट को चूम लिया.
"यही है मेरे माल की असली जगह. आपके पेट में. 9 महीने अपना घर बनाएगा उसको"
"हट बदमाश. मुझे मां बनाएगा तू? और बाप कौन होगा. तू या तेरा चाचा?"
"आप जैसा बोलो चाची. मैं तो आपसे शादी भी कर लूंगा. आई लव यू आरती".
"आई लव यू टू कमल. तुझे एक खुशखबरी सुनाऊं?"
"क्या हुआ चाची? क्या सच में आप पेट से हो?"
"अरे नहीं रे पगले. तेरे चाचा अगले हफ्ते 2 महीने के लिए मुंबई जा रहे हैं और सोनल भी 1 महीने के लिए फिर से अपने चाचा के घर जा रही हैं।".
"मतलब?"
"मतलब तू और मैं 1 महीने के लिए इस घर में अकेले होंगे".
"सच में चाची?" कमल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसने आरती को चूम लिया.
"मैं इंतजार नहीं कर सकता, चाची आपके साथ अकेले वक्त बिताने का".
"अच्छा ऐसा क्या करेगा तुम मेरे साथ?"
"बस चाची. इतना चोदूंगा की एक साथ आप आधे दर्जन बच्चों की मां बन जाओगी".
आरती हंसने लगी और उसे चूम लिया. कमल का मन था कि आज आरती से चिपक कर ही सो जाये.
"उठ जा कमल कपड़े पहन ले और अपने कमरे में जाकर सो जा".
"चाची प्लीज सोने दो ना आज अपने साथ. बड़े दिन हो गए हैं".
"कमल हफ्ता भर सब्र कर. खूब मस्ती करेंगे हम दिन में. रात में चिपक कर सोएंगे एक साथ".
कमल ने आरति के होठों को चूम लिया और उठ गया. कमल अपने कपड़े पहनने लग गया तो देखा आरती की चूत काफी खुल गई थी.
"देखो चाची असली मर्द से चोदने का असर. आपकी चूत भी बंद होने का नाम नहीं ले रही".
आरती हंसने लगी और कमल अपने कमरे में चला गया और आरती के ख्यालों में खोया खोया ही सो गया.

आरती ने कमल को कुछ दिन अपने पर संयम बरतने को कहा, आरती ने कमल को तड़पाने का प्लान बनाया जिससे उसमे हवस की आग भड़क जाए और कमल जब मौका मिले तो रगड़ कर चुदाई करे उसकी।
आरती ने कमल को समझा दिया कि जब भी मौका मिले तो ऐसे रियेक्ट करे कि पहली बार सेक्स कर रहे हो , आरती ने इस एक महीने में अपनी सारी फैंटसी पूरी करने का प्लान बनाया। कमल ने भी सोच लिया कि अबसे वो आरती के अनुसार ही सब काम करेगा, उसका मतलब आरति और सोनल को फिर काबू करने का था, उसका मकसद अब इस घर पर राज करने का था, उसके लिए पहले आरती को खुश कर कर सोनल को पाना था,
कुछ दिन के बाद कि बात है, कमल का लंड रात को अचानक खड़ा हो गया और उसकी इच्छा हुई की वो आरती चाची के बाथरूम में जा कर उनकी पैंटी और ब्रा सूँघ कर मुठ मारे। कमल चुप-चाप बाथरूम की ओर जाने लगा तो उसे आरती के कमरे से हल्की सी लाइट और कुछ आवाज़ सुनाई दी। कमल भी धड़कते दिल से आरती के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा। अंदर आरती चुदाई में मस्त हो कर रवि को बहनचोद और मादरचोद की गालियाँ दे रही थी।
कमल से रहा नहीं गया। उसने सोचा यह मौका है जब वो आरती को चुदते हुए देख सकेगा और मजा ले पायेगा और कमल सीधा बालकोनी की ओर गया क्योंकि उसे मालूम था वहाँ की खिड़की पर पर्दा नहीं है और वहाँ से उसे सब दिखाई देगा। कमल चुपचाप दबे पैरों से बालकोनी में गया और अंदर का सीन देख कर तो उसे जैसे मन की इच्छा मिल गयी। आरती अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेटी हुई थी और रवि उनकी चूत में भीड़ा हुआ था।
आरती नशे में थी और कह रही थी,
मादरचोद कभी तो मेरी चूत को ठंडा करा कर, बस भोंसड़ी वाले अपना लंड डाल कर अपने आप को ठंडा कर लेता है। आज मादरचोद अगर तूने मेरी चूत को ठंडा नहीं किया तो मैं बज़ार में रंडी बन कर चुदवाऊँगी।
रवि भी अपनी और से पूरी ताकत लगा रहा था और कह रहा था कि साली रंडी कितना चोदता हूँ तुझे, पर तेरी चूत की प्यास ही खत्म नहीं होती और तेरा बदन इतना मस्त है की चार पाँच शॉट में ही मेरा लंड झड़ जाता है और इतना बोलते-बोलते ही रवि अपना लंड आरती की चूत में झाड़ कर लुड़क गया।
आरती बोलती रहीं कि पता नहीं कब मेरी चूत की प्यास ठंडी होगी, ये गाँडू तो मुझे ठंडा ही नहीं कर पाता है।
आरती और रवि को इस तरह गंदी भाषा में गालियाँ देते हुए बातें करते सुनकर कमल का लंड तन कर खड़ा हो गया था। उसकी बड़ी इच्छा करी कि मैं अंदर जाऊँ और आरती को पकड़ कर खूब चोदूँ।
कमल अपना लंड हाथ में पकड़ कर वापस अपने कमरे की और चल दिया। रास्ते में सोनल का कमरा पड़ता था। आरती की चुदाई देखने के बाद कमल का लंड फड़फड़ा रहा था। पता नहीं कमल किस ख्याल में सोनल के कमरे में घुस गया। उसे जब ध्यान आया तो उसने अपने आप को सोनल के बिस्तर के पास खड़ा पाया। सोनल इस समय अपनी नाईटी में आराम से सो रही थी जो उसके चुतड़ों को सिर्फ़ आधा ढके हुई थी। कमल के सामने अभी भी आरती की चुदाई का सीन चल रहा था और इसी गर्मी में उसने देखा कि सोनल की मस्त चिकनी-चिकनी टाँगें और फुले हुए चूतड़ जो उसने पैंटी में छुपाये हुए थे। उस से रहा नहीं गया और वो बिस्तर के साइड में हो कर उसकी चिकनी टाँगों को अपने होठों से चूमने लगा, और धीरे-धीरे उसकी गाँड की दरार में अपने होंठ और नाक रख दी और अपने होंठों से किस करने लगा। इतने में सोनल कुछ कुनमुनाई और कमल डर के मारे चुप चाप कमरे से निकल गया।
उसके बाद कमल बाथरूम गया और आरति की पैंटी और ब्रा अपने रूम में ला कर सूँघते और चाटते हुए खूब मुठ मारी, मुठ मारते-मारते कमल आरति की ब्रा अपने होंठों से लगा कर सो गया।
अगली सुबह में आरती ने उसे झकझोड़ के जगाया और बोली,कमल आज कालेज क्यों नहीं गया? देख सुबह के दस बज रहे हैं, तेरे चाचा को तो आज सुबह महीने भर के लिये मुंबई जाना था, वो तो कभी के चले भी गये और सोनल भी अपने चाचा के घर चली गई है, मैं भी थक रही हूँ, तू नहा धो के नाश्ता कर ले तो मैं भी थोड़ा लेटूँगी।
कमल ने जल्दी से उठ कर सबसे पहले आरती की पैंटी और ब्रा ढूँढी पर उसे कहीं नहीं मिली। उसकी तो डर के मारे सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, और वो सोचने लगा की अगर आरती को पता पड़ गया तो आरती नाराज होकर उसकी खूब पिटाई करेंगी।
कमल चुपचाप अपने सारे काम पूरे करके टीवी देखने बैठ गया और उधर आरती नाश्ता देकर अंदर जा कर लेट गयीं। थोड़ी देर बाद आवाज दे कर कमल को अपने कमरे में बुलाया, और बोली कमल मेरा जरा बदन दबा दे।
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