Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:38 PM,
#81
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
अब वो फ्री थी अपने आप ही रामु का सिर टेबल पर टिके होने से पीछे जाना उसके लिए दूभर हो गया था आरती की कमर की गति बढ़ गई थी और लग रहा था की अब वो रामु का कचूमर निकाल कर ही दम लेगी रामू का सिर टेबल के किनारे से टिका हुआ था और आरती की कमर किसी एंजिन की तरह से चलने लगी थी आगे पीछे की ओर टांगों को फैलाकर वो जिस तरह से रामु को रौंद रही थी उससे उसके अंदर की ज्वाला का अंदाज़ा भर ही लगाया जा सकता था उसकी कमर के हिलने का तरीका किसी प्रोफेशनल से क़म नहीं था एक के बाद एक झटके जो वो लगा रही थी उससे उसके अंदर की आग का अंदाज़ा ही लगाया जा सकता था


रामु का सिर कई बार पीछे टेबल के कार्नर पर जम कर लगा था पर मजबूर था कुछ नहीं कर सकता था अपने होंठों को और जीब को हटा नहीं सकता था एक वहशी रूप में वो आरती को देख रहा था आरती निरंतर अपने मुख से आवाज निकाल कर रामु को और करने को कहे जा रही थी

आरती- और अंदर तक डालो काका उंगली भी डालो होने ही वाला है रूको मत नहीं तो मार डालूंगी करो और करो अंदर तक डालो उंगली उूुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ आआआआआआआआह्ह
और सट कर रामु को टेबल के कार्नर में दबा दिया था आरती ने ताकि वो हिल भी ना सके

आरती- आआआआह्ह गई ईईईईईईईईईईईईईईईईईई करते रहो काका करते रहे छोड़ूँगी नहीं आज करो और करो
हान्फते हुए आरती के मुख से ना जाने क्या क्या निकल रहा था रामु अब भी टेबल पर टिका हुआ अपने आपको आरती की जाँघो के बीच में पा रहा था चेहरा पूरा आरती के कम से भीगा हुआ था सांसें भी नहीं लेते बन रहा था पर हिम्मत नहीं थी आरती को अपने ऊपर से हटाने की सो वो वैसे ही पड़ा हुआ आरती के हटने की राह देखता हुआ अपनी जीब और उंगलियों को और भी तेजी से चलाता रहा


आरती भी थोड़ी देर तक सहारा लिए खड़ी रही टेबल का और फिर धीरे से हान्फते हुए रामु के चहरे से अलग हुई और थोड़ा सा ल्ड़खड़ाती हुई सी खड़ी हुई और नीचे पड़े हुए रामु काका की ओर एक नजर डाली उसके सिथिल पड़े हुए लण्ड पर भी और अपने पैर के अंगूठे से उसके लण्ड को छुआ था और मुस्कुराती हुई पलटकर फ़्रीज के पास पहुँच गई थी
आरती- क्या हुआ काका बस क्या तुम तो कहते थे की मेरी सेवा के लिए हो बस हाँ…
पानी पीते हुए आरती ने पलटकर रामु की ओर देखते हुए कहा था रामु वैसे ही नीचे बैठा हुआ अपने चहरे पर आरती की चुत के निकले पानी से भीगा हुआ अपने आपको साफ करने की कोशिशभी नहीं कर पाया था भीगी बिल्ली की तरह से आरती की ओर देखता हुआ
रामु- नहीं बहू वो तो अचानक था ना इसलिए
हकालाता हुआ सा जो जबाब सूझा था दे दिया था


आरती- अच्छा हाँ… तो ठीक है चलो कमरे में देखती हूँ कितना दम है बहुत दम है ना आओ
और आरती ने बढ़ कर अपना कपड़ा उठा लिया और वो रोप भी और नंगी ही अपने कंधे पर वो सब रखकर आगेकी ओर बढ़ गई थी रामु झट से अपनी धोती को उठाकर अपना चहरा पोछते हुए अंडरवेर का नाड़ा बाँधते हुए किसी कुत्ते की तरह आरती के पीछे-पीछे लपका था किचेन की लाइट बंद करके अपने आगे चलती हुई आरती की ओर देखता हुआ किसी संगमरर की मूरत की तरह उसका बदन हल्की सी रोशनी में नहाया हुआ था पीछे से उसके गोल गोल चूतड़ और उसपर हल्की दरार को देखते ही रामु लगभग दौड़ता हुआ सा उस अप्सरा के पीछे-पीछे चल दिया था

सीढ़ियो से चलते हुए उसके कूल्हे जिस तरह से मटक रहे थे वो एक शानदार सींन था रामु धीरे-धीरे उन नज़रों को देखता हुआ अपने आपको संभलता हुआ आरती के पीछे-पीछे सीढ़िया चढ़ता जा रहा था

जिस तरह से आरती सीढ़िया चढ़ रही थी और जितना मटक मटक कर अपने जिश्म को लहरा रही थी वो शायद कोई औरत कपड़ों में भी नहीं कर पाएगी पर आरती तो बिना कपड़ों के ही बिल्कुल बिंदास चल रही थी कही भी कभी नहीं लगा था की वो नंगी थी इतना कान्फिडेन्स था उसकी चाल में कि रामु देखता ही रह गया था अपने घर की बहू को चलते हुए कब उप्पेर एक कमरे के अंदर आ गये थे रामु जान भी नहीं पाया था। ये आरती का बेडरूम नही था, साथ वाला कमरा था।


कमरे में घुसते ही .............
आरती- डोर बंद कर दो
और कहते हुए बाथरूम में घुस गई थी रामु डोर बंद करके खड़ा था अपनी धोती से अपने चहरे को पोछते हुए थकान उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी नज़रें इधर-उधर करते हुए साइड टेबल पर रखे हुए पानी के बोतल पर पड़ी थी जल्दी से टेबल तक पहुँचकर पानी के दो घुट ही मारे थे कि बाथरूम का डोर खुला और आरती वैसे बिना कपड़ों के बाहर आई थी मुस्कुराती हुई
आरती- प्यास लगी है काका हाँ…

रामु जल्दी से पानी की बोतल रखकर खड़ा हो गया था धोती अभी तक बाँधी नहीं थी उसने अंडरवेर बाँधा नही था कमर के चारो ओर बस लपेटा हुआ था और बाकी का हाथ में था ऊपर फटुआ पहने हुआ था

आरती- उधर उस अलमारी के अंदर है तुम्हारी चीज जाओ और जितना पी सको पिलो

एक ओर अपने हाथों को उठाकर आरती ने इशारा किया था रामु नहीं जानता था कि क्या है वहाँ पर इशारे की ओर बढ़ा था अलमारी के अंदर तरह तरह की इंग्लीश दारू की बोतल रखी थी एक बार पलटकर आरती की ओर देखा था आरती के इशारे पर ही उसने एक बोतल उठा ली थी और बिना पीछे देखे ही बोतल पर मुँह लगा लिया था एक साथ उसने कई घूँट भरे थे और पलटकर आरती की ओर देखा था

आरती .. क्यों अच्छी है ना कभी पी है

रामु- जी नहीं बहू पहली बार ही इतनी महेंगी पी रहा हूँ
और फिर एक साथ थोड़ी बहुत और उतार ली थी अपने अंदर एक नई जान अपने अंदर भरते हुए पाया था उसने आरती जो की अभी भी बेड के किनारे पर खड़ी थी रामु की ओर देखती हुई धीरे-धीरे बेड पर लेट गई थी जैसे उसे निमंत्रण दे रही है लेट-ते ही उसने अपनी एक जाँघ को उठा कर दूसरे जाँघ पर रख लिया था और सिर के नीचे एक हाथ रखकर रामु की ओर देखती रही थी और अपनी हथेली को धीरे-धीरे जाँघो से लेकर कमर से लेते हुए अपनी चुचियों पर ले आई थी ।

और नजर उठाकर फिर से एक बार रामु की ओर देखा था उूउउफफफ्फ़ क्या नज़ारा था शानदार नरम बेड पर एक हसीना बिल्कुल नंगी और इस तरह का आमंत्रण दो तीन घूँट और अंदर जाते ही रामु के अंदर एक पुरुष फिर से जाग गया था धोती तो नीचे गिर गया था पर फटुआ और अंडरवेयर अब भी उसके शरीर में था एकटक वो आरती देख रहा था जागा तब जब आरती की आवाज उसके कानों में टकराई थी
आरती- क्या देख रहे हो काका देखते ही रहोगे

रामु क्या जबाब देता जल्दी से बेड की ओर बढ़ा था

आरती- यह ठीक नहीं है काका में तो इधर कुछ नहीं पहने हूँ और आप सबकुछ पहेने हुए हो हाँ…

रामु जल्दी से बेड के साइड में खड़ा हुआ अपने कपड़ों से लड़ने लगा था एक साथ ही उसने अपने दोनों कपड़ों को शरीर से अलग कर दिया था और लगभग कूदता हुआ सा बेड पर चढ़ गया था आरती वैसे ही उसकी ओर कमर को उँचा करके लेटी रही थी एकटक उसकी ओर देखती हुई रामु जल्दी से पीछे की ओर से उसके शरीर को अपनी बाहों में लेने की कोशिश करने लगा था उसके उठे हुए नितंब उसे एक अनौखा निमंत्रण दे रहे थे पीछे से देखने में गजब का लग रहा था दोनों जाँघो के जुड़े होने के बाद भी एक गहरी सी गहराई उसे दिख रही थी ना चाहते हुए भी रामु अपनी हथेली उस जगह में ले गया था और धीरे से आरती को अपनी बाहों मे भर लिया था वो अपनी बाहों को नीचे से लेजाकर उसकी चुचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा था और अपनी एक हथेली से उसके नितंबों को सहलाता हुआ ऊपर से नीचे की ओर जा रहा था आरती इंतजार में ही थी कि कब रामु जागे और आगे बढ़े वो अपने आपको पूरा बेड से लगाकर लेट गई थी और रामु को पूरी आजादी दे-दी थी रामु भी अपनी आजादी का पूरा लुफ्त उठाने को तैयार था विदेशी शराब के अंदर जाते ही वो एक बार फिर से जवान हो उठा था

शरीर का हर रोम रोम आरती को भोगने को लालायित था इतना सुंदर और सुढ़ाल शरीर उसके सामने था और वो पूरी तरह से हर हिस्से को छू लेना चाहता था अपने होंठों से अपने हाथों से और अपने पूरे शरीर से वो आरती के शरीर को छूने की कोशिश में था

उसकी आतूरता देखते ही बनती थी हबशियो की तरह से वो आरती पर टूट पड़ा था जहां उसके होंठ जाते आरती के शरीर को गीलाकर जाते हर एक-एक को छूते हुए रामु आरती के शरीर को अपनी बाहों में लिए निचोड़ता जा रहा था आरती भी उसे उत्साहित करती जा रही थी मचलते हुए अपने आपको उसकी बाहों के सुपुर्द करते हुए मुख से तरह तरह की आवाजें निकालती जा रही थी

आरती- हाँ… काका और जोर लगऊऊऊ और जोर-जोर से आज कर लो जो करना है कल से फिर में नहीं मिलूंगी ‘ आज सोनल नही है।

रामु- हाँ… बहू हाँ… आज नहीं छोड़ूँगा बहुत दिनों बाद रात को मिली है तू, सिर्फ़ देखता रहता था इन दिनों में तुझे
और फिर एक किस कर अपने हाथों का दबाब उसकी चुचियों पर कर दिया था रामु ने जैसे अपनी शक्ति दिखाने का वही एक जरिया था उसके पास

आरती के मुख से हल्की सी सिसकारी निकली थी और कही गुम हो गई थी
आरती- सस्शह अहहाआआआआआआअ और जोर से काका और जोर से आज अकेले पड़ गये क्या लाखा के बिना

रामु- अरेबहू नहीं वो तो बस थोड़ा सा उतावला हो गया था नहीं तो हमम्म्ममममममममम
आरती- हमम्म्मममममम
दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गये थे और एक ना खतम होने वाली चुंबन की शरंखला चल पड़ी थी एक दूसरे के होंठों के सिवा जीब को चूसते हुए दोनों इतना डूब चुके थे और अपने शरीर को एक दूसरे के सुपुर्द करके वो इस खेल को आगे बढ़ाते हुए अपने आपको भूल चुके थे। रामु भूल चुका था कि वो एक नौकर है और आरती यह भूल चुकी थी कि वो इस घर की बहू है और सेक्स का वो खेल जो वो खेल रहे थे एक बहुत ही खतरनाक मोड़ पर आ गया था रामु की एक हथेली की उंगली आरती की जाँघो के बीच में पीछे से डाल रखी थी जहां वो आरती की चुत को छेड़ता जा रहा था और उत्साह में कभी-कभी उसकी उंगली उसके गांड को भी छू जाती और आरती बार बार अपनी कमर को पीछे करके उसे और करने को उत्साहित करती जा रही थी


अपने नितंबो को और उँचा करके अपनी जाँघो को थोड़ा सा खोलकर रामु की उंगलियों के लिए जगह भी बनाते जा रही थी होंठों के जुड़े होते हुए भी उसके मुख से आवाजें निकलती जा रही थी आज तो रामु भी कम नहीं था वो भी बिंदास हो गया था और अपने मन की हर दबी हुई इच्छा को जैसे वो पूरा कर लेना चाहता था वो भी आरती के रूप के बारे और आरती को उत्साहित करने के लिए जो कुछ कर सकता था करता जा रहा था

रामु- बहुत खूबसूरत हो बहू तुम कितना सुंदर शरीर है तुम्हारा उूुउउम्म्म्मममममम उूुउउफफफफफफफफफफ्फ़ पागल हो गया हूँ

आरती- हूंम्म्मममममममम अंदर करो काका प्लीज अंदर करो और नहीं रुका जाता प्लीज ईईई

बोल खतम होते इससे पहले तो रामु आरती की चुत के अंदर था एक ही धक्के में आधे से ज्यादा
रामु- लो सस्स्शह हमम्म्ममम ओ और डालु हाँ… और

आरती- हाँ… रूको थोड़ा रूको उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफ्फ़

रामु- क्यों रूको क्यों उउउहमम्म्मममममममममक्यों अब रूको क्यों हमम्म्मम

आरती- हमम्म्म उउउफ्फ… इतना जल्दी नहीं थोड़ा रूको बहुत दिनों बाद है ना इसलिए सस्स्स्स्स्स्स्शह

रामु- और जोर से करू हमम्म्म और जोर से
और रामु जैसे पागल हो गया था चिपचिपी चुत के अंदर वो पीछे से आरती को कस्स कर पकड़कर उसके चुचो को निचोड़ता हुआ और उसकी कमर को एक हाथ से कस्स कर पकड़कर वो लगातार आरती की चुत पर प्रहार कर रहा था आरती जो की अब भी बेड पर लेटी हुई थी किसी तरह से अपनी जाँघो को खोलकर रामु के ऊपर चढ़ा कर अपने अंदर जगह बनाकर रामु को दी इससे उसकी चुत भी खुल गई थी और थोड़ी सी परेशानी भी हल हुई थी पर चुत के धक्के इतने जोर दार होते थे की उसकी टाँगें फिसल कर आगे गिर जाया करती थी पर आरती अपने संतुलन को बनाए हुए रखते हुए रामु को और भी उत्साहित करती जा रही थी उसके अंदर गया रामु का लण्ड इतना गरम था कि आरती को लग रहा था की वो ज्यादा देर नहीं रुक पाएगी।
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08-27-2019, 01:39 PM,
#82
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
वो लण्ड उसे हमेशा से ही अच्छा लगता था रामु ही वो पहला इंसान था जो की उसके पति के बाद का पहला मर्द था जिसने उसके इस शरीर को ठीक से भोगा था उसे सब पता था की क्या क्या करने से आरती को अच्छा लगेगा वो उसके शरीर का पुजारी था वो अपने आपको आज कुछ ज्यादा ही समर्थ दिखाने की कोशिश कर रहा था शायद इसलिए की जो आरती उसे छेड़ा था इसलिए या शायद वो भी बहुत दिनों से भूखा था इसलिए जो भी हो आरती के शरीर को आज वो निचोड़ कर रख देगा यह तो तय था उसके धक्के इतने तेज और जोर दार होते थे की हर धक्का आरती के मुख से एक आह और सिसकी निकाल ही देता था रामु आरती के शरीर को पीछे से पकड़े हुए लगातार धक्के लगाए जा रहा था और उसके शरीर पर पूरा नियंत्रण बनाए हुए था जैसे चाहे वैसे मोड़ लेता था और जैसे चाहे वैसे उठा लेता था रामु था तो तगड़ा ही और अब तो दारू भी अपना कमाल दिखाने लगी थी


सख्ती से पकड़े हुए वो आरती को सांस तक लेने की जगह नहीं देना चाहता था शायद उसे आरती का टोन्ट किया हुआ किचेन में उसके साथ किया हुआ और फिर कमरे में आते ही वो सब कहना शायद उसकी मर्दानगी को छू गई थी वो लगता था की अपने उसी अपमान का बदला लेलेना चाहता था कही कोई कोताही नहीं और नहीं कोई नर्मी थी आज उसके सेक्स में नहीं तो रामु काका जब भी आरती के शरीर के साथ आज तक खेला था तब तब उन्होंने एक बात का तो ख्याल रखा ही था की वो इस घर की बहू है और उसकी मालकिन भी पर आज तो जैसे वो अपने में नहीं था लगता था की कोई वेश्या को भोग रहा था जिस तरह से वो बिना कुछ सुने और बिना कोई राहत के अपने आपको आरती के अंदर और बाहर कर रहा था और जिस तरह से वो आरती को उठाकर और पटक कर उसके शरीर को रौंद रहा था वो एक नया और अनौखा एक्सपीरियंस था आरती के लिए। सायद रामु बेटी का बदला मा से ले रहा था। आरती ने आज तक भोला को ही इस तरह से उसे भोगते हुए देखा था आरती भी रामू के हर धक्के को संभालती और झेलती हुई अपने आपको किसी तरह से रोके हुए उसका साथ देती जा रही थी और सांसों सम्भालती हुई कभी उसे रुकने का और कभी उसे धीरे करने का आग्रह करती जा रही थी पर रामु तो कुछ सुनने और देखने के काबिल ही नहीं था आज वो आरती के अंदर तक जैसे उतरा था जैसे वही का होकर रह जाना चाहता था वो निरंतर धक्के लगाते हुए अपने चहरे को आरती के कंधों से जोड़े हुए था और अपने हाथों से कभी भी आरती को थोड़ा सा उठाकर अपने लिए जगह भी बना लेता था आज वो कुछ सुनने की स्थिति में नहीं था धक्कों के साथ-साथ वो भी आरती से कुछ कुछ कहता जा रहा था पर आरती को कुछ समझ नहीं आरहा था पर हाँ वो इतना जानती थी कि रामु को आज मजा आ गया था वो जिस तरह से उसे निचोड़ रहा था वो उसका तरीका नहीं था वो भोला का तरीका था और कुछ कुछ लक्खा का भी पर आज रामु भी बहुत उत्साहित था अपने मन की कोई तमन्ना बाकी नहीं रखना चाहता था करते-करते अचानक ही उसने आरती को उठा आकर उल्टा लिटा लिया था जो की अब तक साइड होकर लेटी थी उठाते ही उसने आरती की कमर को पकड़कर कई धक्के लगा दिए थे आरती जब तक संभालती तब तक तो वो उसपर हावी हो चुका था वो आरती को पकड़कर लगातार धक्कों की स्पीड बढ़ाते ही जा रहा था


आरती- हमम्म्म धीरे ईईई करो रूको जरा प्लेआस्ीईईईईईईई उूुुुुुुउउम्म्म्मममममममम रोने सी हालत थी आरती की
पर रामु को कोई फरक नहीं पड़ा था वो तो कुछ सुनने को तैयार नही था हर कदम अपने लण्ड को आरती के अंदर और अंदर तक पहुँचाने में लगा हुआ था वो अब धीरे धीरे आरती की कमर को पकड़कर उठाकर अपने लण्ड के हर धक्के के साथ ही मच करने लगा था आरती बेड पर चेहरा टिकाए हुए थी और कमर जो की अभी अभी रामु ने हवा मे उठा रखी थी उसकी चुत पर चोट किए जा रहा था रामु की नजर अब उसके कूल्हों पर थी और उसे आरती की गांड भी आसानी से दिख रही थी उसके अंदर एक इच्छा जागी थी वो धीरे से अपनी उंगली को उसके गांड के अंदर कर दिया था और दूसरे हाथ से आरती को कस्स कर पकड़ लिया था और अपने पास खींच लिया था आरती उसकी गोद में आ गई थी पर कमर वैसा ही उठा हुआ था उसके दोनों छेदों में अब कुछ था नीचे की ओर रामु का लण्ड था और पीछे के छेद में उंगली थी आरती को आज कोई दिक्कत नहीं हुई थी उसे अच्छा लग रहा था आज रामु की मर्दानी उंगली ने प्रवेश किया था मोटी-मोटी और सख्त सी उंगली उसके द्वार के अंदर तक चली गई थी रामु की चाल में कोई नर्मी या शांति नहीं थी वो अब भी वैसे ही उसकी चुत पर प्रहार कर रहा था और गांड को भी अपनी उंगली से अंदर-बाहर करते हुए उसे एक परम आनंद के सागर में गोते लगाने की ओर ले चला था अब आरती को उसकी हर हरकत अच्छी लग रही थी वो चाहती थी की वो जैसा चाहे करे उसकी फिकर ना करे और रामु भी कुछ कुछ वैसा ही कर रहा था लगता था की उसे आज अपनी ही चिंता है और किसी की नहीं आरती के साथ उसका यह साथ वो एक यादगार बना लेना चाहता था और वो निरंतर उसका प्रयास कर भी रहा था वो जरा भी नहीं रुक रहा था उसकी हर चोट इतनी गहरी पड़ रही थी की आरती के मुख से सिसकारी के साथ साथ एक हल्की सी चीख भी निकलती थी आरती का शरीर पूरी तरह से रामु के नियंत्रण में था और वो उस खेल का हर हिस्सा और हर कोना अच्छे से जानती थी



उत्तेजना में उसकी हालत खराब थी ना चाहते हुए भी वो उठ गई थी अपने शरीर में चल रहे उथल पुथल को वो और ना सह पाई थी उसका शरीर अकड़ने लगा था वो अपने अंदर और अंदर तक रामु का लण्ड ले जाने कोशिश करने लगी थी उठकर वो अपनी कोहनी पर आ गई थी पर धक्कों के चलते बड़े ही मुश्किल से संभल पा रही थी पर उत्सुकता और अंदर की हलचल को मिटाने के लिए वो जो करना चाहती थी वो अपने आप ही रामु कर रहा था रामु उसे सीधे बाहों से कस्स कर पकड़े हुए और अपने उल्टे हाथ के उंगुठे से उसके गांड और लण्ड से चुत को भेद-ते हुए उसे अंजाम तक पहुँचाने में लगा हुआ था

आरती की सिसकारी अब बढ़ गई थी और रामु की सांसें भी बहुत तेजी से चल रही थी

आरती- जोर-जोर से करो काका रुकना नहीं प्लेआस्ीईईई और तेजी से अंदर तक वहां भी करो और अंदर तक

रामु चौक गया था आरती की आवाज सुनकर वहाँ मतलब गांड में भी पर
रामु- हाँ… बहू आज नहीं रुकुंगा अब देख मुझे पागल कर रखा था तूने मुझे रुक जा बस थोड़ी देर और


आरती- नहीं काकाआआ थोड़ी देर नहीं प्लीज़ बहुत देर बस करते रहो रुकना नहीं बस करते रहो सस्स्शह आआआआआअह्ह
रामु की गति तो थी ही तेज पर अब उसने अपने को संभाल लिया था नशे में उसे कुछ नहीं दिख रहा था पर धक्का अब से थोड़ा संतुलित हो गया था हर धक्के पर उसका लण्ड आरती के अंदर तक जाता था और बहुत अंदर तक हर धक्का आरती को आगे की ओर करता था और फिर पीछे की ओर हो जाती थी लगता था की रामु का स्पर्श वहां से हटाना नहीं चाहती थी लेकिन वो अब ज्यादा देर रुक नहीं सकती थी उसके अंदर का तुफ्फान बस रास्ता ही देख रहा था की कब निकले आरती अपने जीवन का यह पल नहीं भूल पाएगी इतने दिनों के बाद जो सुख उसे मिल रहा था वो उन सुखो से कही ज्यादा था जो वो अब तक भोग चुकी थी सोनल ने भी उसे सिर्फ़ उत्तेजित ही किया था और उसे शांत किया गया था जो भी सोनल ने उसके साथ किया था वो तो सिर्फ़ काम चलाऊ था पर यह सुख तो स्वर्ग से भी परे है रामु की ताकत और भेदने की गति के आगे सब कुछ फैल था रामु की हर चोट उसकी बच्चे दानी तक जाने लगी थी और अब तो रामु के दोनों हाथ भी उसकी कमर बल्कि नितंबों के आस-पास ही घूम रही थी और जब तब उसके गोरे और कोमल नितंबो पर प्रहार भी करने लगी थी पकड़ने की कोशिश में हुआ होगा ऐसा पर नहीं रामु तो सच में उसके नितंबो पर जोर-जोर से चाटे मार रहा था जैसे कोई घोड़ा चलाते हुए उसे मारता है वो लगातार ऐसा ही किए जा रहा था और कस्स कस्स कर खुद के आगे होते ही उसकी कमर को खींचकर पीछे की ओर ले जाता था

आरती- अह्ह मारो मत काका मारो मत कर तो रही हूँ अच्छा नहीं लग रहा

रामु- अरे मार नहीं रहा हूँ बहू बस रास्ता दिखा रहा हूँ मजा आ गया आज तो और जोर से करू बोल

आरती- हाँ… करो बस करते रहो

रामु अपने पूरे जोर से आरती को रोंधते हुए उसके शरीर को अपने से जोड़े हुए अपने हाथों को उसके गोल और खूबसूरत नितंबों पर घूमता जा रहा था बीच बीच में अपने उंगुठे को भी उसके गांड के अंदर कर देता था पहले तो एक ही उंगुठे को डालता था पर धीरे-धीरे वो दोनों उंगुठे को उसके अंदर डालने लगा था आरती अपने शिखर के बहुत पास थी और उसके मुख से सीस्करी के साथ ही हर धक्के पर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज बार-बार निकलती जा रही थी हर बार उसकी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज गहरी होती जा रही थी


आरती जो की अब तक अपनी कोहनी के बल अपने आपको संभाल रखा था अब अपने कंधों के बल बेड पर लेट गई थी पर कमर को झुका कर अपने नितंबों को रामु के लिए खोलकर रखा था और रामु भी उसके इस तरह से रहने पर अपने आपको पूरा आजाद पा रहा था उसकी चोट अंदर तक आरती को हिलाकर रख दे रही थी अब तो आरती की दोनों बाँहे भी पीछे की ओर होते होते रामु की जाँघो को छूने लगे थे अपने नरम और कोमल हाथों पर रामु के सख्त और बालों से भरी हुई जाँघो का एहसास पाते ही आरती उसे अपनी गिरफ़्त में लेने के लिए और भी थोड़ा सा पीछे हो गई थी पर नजाने कैसे रामु की नजर उसकी हथेलियों पर पड़ गई थी और उसके एक-एक कर उसकी दोनों कलाईयों को पकड़कर पीठ की ओर उठा लिया था अब आरती अपने आपको हवा में पा रही थी और अब उसका शरीर रामु के कब्ज़े में था और वो दोनों हाथों को पीछे की ओर पकड़कर उसे एक जगह पर रखते हुए धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था आरती हवा में झूलती हुई अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी

आरती- उूउउम्म्म्मम छोड़ो मुझे प्लेआस्ीईईईईई दर्द हो रहा है काका प्लेआस्ीईईईईई

रामु पर कोई असर नहीं हुआ था पर आरती की चीख उस कमरे के बाहर शायद नहीं जा रही थी

आरती- प्लेआस्ीईई काका छोड़ो उूउउम्म्म्मममम आआआआअह्ह और नहीं प्लेआस्ीईईईईईईई ईईईईईईईईईई
करती हुई हवा में ही उसके अंदर का सारा ज्वर निकलकर बाहर की ओर बहने लगा था पर रामु अब भी चालू था और नशे की हालत में एक बार झड़ चूकने के बाद लगता था की वो एक वहशी दरिन्दा बन गया था उसे आरती की कोई फिकर नहीं थी और लगातार वैसे ही पकड़े हुए उसके अंदर तक भेदता हुआ अपने सफर को आगे बढ़ाए हुए था


आरती के मुख से अब सिर्फ़ अयाया और उउउम्म्म्म के सिवा कुछ नहीं निकल रहा था और नहीं कोई आपत्ति ही दर्ज करा रही थी रामु भी कुछ देर चुत पर टूटा पड़ा रहा फिर अचानक ही उसका लण्ड उसी तेजी से बाहर की ओर निकला था और आरती की चुत का ढेर सारा रस लिए हुए आरती की गांड में झट से धूमिल हो गया था वही तेजी और वही गति थी उसके अंदर पर जगह चेंज था आरती एक बार फिर से चीख उठी थी पर इस बार झड़ने की वजह से नहीं बल्कि गांड में लण्ड और वो भी इतना मोटा सा के अंदर जाने के कारण वो छटपटा उठी थी पर रामु नहीं रुका था

आरती- नहीं वहां नहीं प्लेआस्ीईईईईई मर जाऊँगी प्लीज ईईईईई छोड़ो मुझे नहीं प्लेआस्ीईए
पर अपने आपको किसी भी हालत में रामु का साथ देते नहीं पा रही थी आरती की दर्द के मारे जान जा रही थी पर रामु था की कोई चिंता ही नहीं थी उसे और एक के बाद एक धक्के के साथ ही उसका लण्ड धीरे-धीरे उसके पीछे की और समाता जा रहा था आरती को दर्द तो था पर इतना नहीं पर इस तरह से बिना बताए और बिना आगाह किए रामु इस तरह से उसके पीछे से प्रवेश कर जाएगा उसका उसे जरा भी अनुमान नहीं था पर यह तो जरूर था कि तेल की मालिश और सोनल ने उसके गांड को इतना चिकना और मुलायम बना दिया था कि वो दर्द के कारण अनायास ही आक्रमण से ज्यादा डर गई थी
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08-27-2019, 01:39 PM,
#83
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
रामु को लेकिन कोई फरक नहीं पड़ता था एक तो नशे में और ऊपर से इतने दिनों बाद आरती के शरीर से खेलने का मौका उसे मिला था वो निश्चिंतता से अपने काम में लगा था उसकी आखें आरती के बदन को देखती हुई और आरती के ना नुकर के कारण और भी चमक उठी थी एक जीत दर्ज करा चुका था वो और अपनी जीत को और आगे बढ़ाते हुए वो बिना आरती की रिक्वेस्ट को सुने आवेश और रफत्तार से आरती के पीछे के भाग को भेदता जा रहा था कोई रहम नहीं ना ही कोई सम्मान था आज था तो सिर्फ़ सेक्स की भूख और एक दूसरे को हराने की भूक बस आरती भी अब ज्यादा देर तक अपने आपको रामु के आक्रमण से रोक नहीं पाई थी धीरे-धीरे वो भी अपने आपको उस परिस्थिति में अड्जस्ट करने की कोशिश करने लगी थी रामु अब भी उसके दोनों हाथों को पीछे की ओर खींचते हुए पकड़े रखा था और बहुत ही जबरदस्त तरीके से उसके गांड के अंदर-बाहर हो रहा था आरती को पता भी नहीं चला की कब वो इतना बड़ा और मोटा सा लण्ड उसके अंदर तक समा गया था पर हाँ… अब धीरे-धीरे उसे दर्द नहीं हो रहा था पर तकलीफ में जरूर थी वो उसे इतना मजा नहीं आरहा था पर उसे मालूम था की जब तक रामु शांत नहीं होगा तब तक कोई चारा नहीं है बचने का सो उसने भी अपने आपको पूरा उसके सहारे और उसकी इच्छा के समर्पित कर दिया और सिर्फ़ उसके आक्रमण को झेलती रही पर लगता था की आज रामु झड़ने वाला नहीं है

आरती- प्लीज हाथ छोड़ दो काका दर्द हो रहा हाीइ उूुउउम्म्म्ममम उसके मुख से आख़िर में निकल ही गया था

रामु- हाँ हा बहू क्यों नहीं तू तो मेरी रानी है क्यों नहीं बोल और जोर से करू यहां
किसी सेडिस्ट की तरह से उसने आरती के दोनों हाथों को छोड़ते हुए कस्स कर उसकी चूचियां पर अपने हाथों का कसाव दिया था और उसके कानों में कहा था

आरती- नहीं प्लीज वहां और नहीं प्लीज उूुउउम्म्म्ममममम

रामु- बस थोड़ी देर और अच्छा लग रहा है बस थोड़ा सा और सहन करले नहीं निकला तो मुह से निकाल देना ठीक है

आरती- उूउउम्म्म्म सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह प्लेआस्ीईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईईईईई

आरती की हालत खराब करके रख दिया था आज रामु ने पर एक बात तो थी आज रामु काका के मुख से भी आवाज निकली थी नहीं तो सिर्फ़ काम से काम रखने वाले थे वो

आरती का शरीर पसीने से भीगा हुआ था और रामु का भी। पर शायद रामु भी अपने परवान चढ़ने लगे थे कुछ देर में ही उसने एक झटके से अपने लण्ड को उसके पीछे से निकाल लिया था और जोर से अपने चहरे को उसके पीछे की ओर लगाके दो तीन बार चाट-ते हुए एक झटके से आरती को पलटा लिया था और जब तक आरती कुछ समझती उसका लण्ड आरती के होंठों पर सपर्श कर रहा था

आरती घिन के मारे अपने होंठों को उससे दूर हटाना चाहती थी पर रामु की पकड़ उसके बालों पर और चहरे पर इतनी मजबूत थी की उसे अपना मुख खोलना ही पड़ा था और एक ही धक्के में उसका मोटा सा काला सा और लंबा सा लण्ड आरती के नाजुक होंठों के सुपुर्द कर दिया था

रामु- जल्दी जल्दी चूस बहू नहीं तो फिर से पीछे घुसा दूँगा जल्दी कर ठीक से जीब लगा के कर

आरती- उूुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममममममममममममममममम नहियीईईईईईईईईईईईईईईई प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लेआस्ीईईईईईईईईईई

कुछ नहीं कह पाई थी जिस तरह से रामु की पकड़ और अपने लण्ड को पूरा का पूरा उसके मुह में उतारने की जल्दी थी उससे कही ज़्यादा जल्दी इस बात की थी की वो अपने शिखर पर पहुँच जाए इस जल्दी में ना तो रामु ने आरती की स्थिति ही देखी थी और नहीं उससे कोई मतलब ही था

रामु का लण्ड आरती के छोटे से मुह में आता कितना उसकी ताकत के आगे कितना लड़ती आरती किसी तरह से अपने आपको अड्जस्ट करते हुए उसके लण्ड को जगह देने की कोशिश करने लगी थी आरती पर लण्ड इतना मोटा हो चुका था की उसके मुह में सिर्फ़ 1्/4 हिस्सा से भी कम आता था पर रामु उसके अंदर तक उतारना चाहता था आरती के गले तक पहुँच आ जाता था वो और फिर खींचकर बाहर निकालता था फिर अंदर

आरती जैसे ही उसका लण्ड थोड़ा सा बाहर की ओर आता गहरी सांसें लेने की कोशिश करती पर उससे कम देर में ही उसका लण्ड उसके गले तक पहुँचा जाता किसी तरह से अपने आपको रोके हुए और अपने सांसों को नियंत्रण करते हुए आरती थोड़ा सा एडजस्ट करने की कोशिश की पर हर बार रामु का लण्ड उसके गले तक चला जाता था

कई बार तो खाँसते हुए आरती ने अपने चेहरे को खींच भी लिया था पर रामु जल्दी से उसके चेहरे को उसके लण्ड पर फिर से अड्जस्ट करके उसके मुँह के अंदर कर देता था आरती भी लड़ते हुए थक गई थी और उसकी हालत को अनदेखा करके रामु को शांत करने का बीड़ा उठा ही लिया और जितना दम उसमे बचा था अपनी जीब और होंठों की मदद से उसे शांत करने में लग गई थी


आरती- रूको काका मर जाऊँगी में करती हूँ प्लेआईईई उूुउउम्म्म्ममम्रको आअप रूको
अपनी नजर उठाकर बस इतना ही कह पाई थी और फिर अपने ही हाथों में रामु के लण्ड को लेकर चूस्ते हुए अपनी जीब को उसके सिरे से लेकर अपने तरीके ही उसे जल्दी से शांत करने में जुट गई थी

रामु भी धीरे-धीरे शांत हो गया था उसे पता था कि अब आरती उसे शांत करने में लग गई थी और वो कर भी रही थी वो घुटनों के बल खड़ा हुआ नीचे अढ़लेटी हुई आरती को देख रहा था और फिर धीरे-धीरे अपने हाथों से उसके बालों को सहलाता हुआ कभी उसके गालों तक पहुँच जाता तो कभी थोड़ा सा जोर लगा के अपने लण्ड को उसके मुँह के अंदर तक डाल देता वो कभी भी झड सकता था वो सीमा लाँघ चुका था बस रक्त चाप उसके लण्ड की ओर चल दिए थे बस अच्छे से एक बार या दो बार

रामु- जल्दी करले बहू बस गया ही समझ अच्छे से कर पूरा मुँह में लेले जीब से जब चाट्ती है तो गजब का मजा देती है रे तू करती रह करती रह हाँ… हुआ उूउउम्म्म्मममममम
और उसके हाथों की पकड़ आरती के सिर पर इतना जोर से हुआ कि आरती अपने मुँह को वापस ना खींच पाई थी ढेर सारा वीर्य उसके गले तक एक धार की तरह से टकराया था और उबकाई के रूप मे उसकी नाक से भी निकलकर बेड पर फेल गया था पर रामु तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था हर झटका आरती के गले तक पहुँचा देता था पर ज्यादा देर नहीं शरीर के अकड़ने के बाद उसकी पकड़ जैसे ही थोड़ा सा ढीली पड़ी आरती ने अपने आपको छुड़ा लिया था और बेड पर लटक कर ही खाँसती हुई अपने मुख में आए उसके वीर्य को नीचे निकालने लगी थी पर शायद रामु का आखिरी बूँद अब भी बाकी था बिना कोई चेतावनी के ही उसने आरती की कमर को पकड़ , झटके से उठा लिया था और फिर एक बार उसके पीछे की ओर आक्रमण कर दिया था पर अब आरती को इतना फरक नहीं पड़ा था क्योंकी वहाँ एक बार वो जा चुका था कोई ज्यादा दिक्कत नहीं हुई रामु दो चार धक्के लगाने के बाद, ही आरती के ऊपर लेट गया था और गहरी गहरी सांसें छोड़ता हुआ
रामु- बहू तू गजब की है रे, अब मन नहीं लगता रे तेरे बिना मजा आ गया बहू

आरती नीचे लेटी हुई रामु को बुदबुदाती हुई आवाज को सुन रही थी और चुपचाप लेटे लेटे ही अपनी सांसों को नियंत्रित करती जा रही थी रामु कुछ देर वैसे ही पता नहीं क्या-क्या बोलता रहा और फिर चुप हो गया था उसके मुँह से अब आरती को शराब की गंध आने लगी थी जो उसे अब तक नहीं आई थी

आरती अब भी नीचे ही थी रामु के और रामु जाने क्या नशे की हालत में बड़बड़ कर रहा था आरती को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था पर एक बात जरूर थी की रामु का मन नहीं था वहां से जाने का आरती किसी तरह से उसके नीचे से निकलने की कोशिश कर रही थी पर जब भी वो थोड़ा सा हिल कर अपने आपको बाहर खींचना चाहती थी रामु की मजबूत गिरफ़्त में होती थी

आरती किसी तरह से भी निकलने की कोशिश में थी पर रामु तो जैसे उसका मालिक ही हो गया था सेक्स के बाद तो जैसे वो उसके शरीर का हकदार हो गया था कोई चिंता नहीं थी और वैसे ही नंगा उसके ऊपर पड़ा हुआ उसके शरीर को अपने शरीर से और हाथों से सहलाता हुआ उसके ऊपर लेटा हुआ था आरती ने फिर भी थोड़ा जोर लगाकर उसके नीचे से निकलने की कोशिश की थी

आरती- काका बाथरूम जाना है

रामु- हाँ… जा जल्दी आ जाना

आरती हैरत में थी तो क्या रामु फिर एक बार उसके साथ करेगा नहीं उसमें अब दम नहीं बचा था नहीं रामु को उसके रूम से बाहर जाना होगा वो अब यहां नहीं रह सकता

आरती- काका अपने रूम में जाओ

रामु- क्यों … … …
अपनी नजर उठाकर उसने आरती की ओर देखा था नशे की हालत में उसकी आखें लाल हो चुकी थी और बोझिल भी थी पर एक आश्चर्य भी था उसके चहरे पर

आरती बेड के पास बिना कपड़ों के खड़ी हुई उसे देखती रही रामु का एक हाथ आगे बढ़ा था और उसकी जाँघो को छूकर उसकी कमर तक का सफर करने लगा था सहलाते हुए उसके हाथ काप रहे थे पर एक मर्दाना एहसास उसके अंदर तक पहुँचाने में सफल था वो

आरती- बहुत रात हो गई है इसलिए

रामु- तू बाथरूम से आ जा तब चला जाऊँगा बहू थोड़ी देर रहने दे।
विनती भरे शब्दों के आगे आरती कुछ नहीं कह सकी वो वैसे ही नंगी बाथरूम की और बढ़ गई थी रामु काका का हाथ अपने आप ही नीचे गिर कर बेड के सहारे लटक गया था और जब वो वापस आई थी तो रामु वैसे उसके जगह पर लेटा हुआ था काले रंग का वो सख्स एक जंगली जानवर की तरह लग रहा था काले बालों के जगह जगह गुच्छे जाँघो और पीठ पर जहां तहाँ उगे हुए थे मोटी-मोटी जाँघो और कमर के सहारे वो अब भी वैसे ही पड़ा हुआ था आरती उसे देखती रही पर उठाने की हिम्मत नहीं हुई थी यह वही सख्स था जिसने अभी-अभी उसके शरीर के साथ खेला था और जी भर के खेला था जैसे चाहे भी खेला था उसके अंदर तक उतर गया था उसके अंदर तक उतर गया था उसे जो शांति चाहिए थी वो उसे इसी सख्स ने दी थी उसके शरीर की इच्छा को इसी ने पूरा किया था उसकी सेक्स की भूख को आज इसी इंसान ने आखिरी दम तक बुझाया था अपने तरीके से और पूरे मन से

आरती सोचते हुए बेड के पास पहुँचकर अपने हाथों से एक बार रामु को हिलाकर जगाने की कोशिश की

रामु- हाँ… क्या

आरती- जाओ काका अपने कमरे में जाओ

पर रामु ने जाने की बजाए आरती को धीरे से अपने पास खींच लिया था और अपने ही हाथों से खींचते हुए हल्के से उसे अपने गले से लगा लिया था और जैसे आरती को अपने आप में समा लेना चाहता था वो कस्स अपने से जोड़े हुए उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कस्स कर जकड़े हुए

रामु- थोड़ी देर रुक जा बहू चला जाऊँगा थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने दे बड़ा आनंद मिल रहा है
कहते हुए उसने आरती के माथे को चूम लिया था और फिर कस्स कर उसे अपनी बाहों में बाँध लिया था आरती उसके सीने से लगी हुई उसके हाथों का स्पर्श अपने पूरे शरीर में महसूस कर रही थी कितने प्यार से सहला रहा था और कितने जतन से उसके अंदर का शैतान अब मर चुका था उसके अंदर का हैवान पता नहीं कहा चला गया था वो अब एक इंसान की तरह बात कर रहा था और एक इंसान की तरह उसके शरीर को छू रहा था बाहों में भरे हुए रामु कुछ बोल रहा था
रामु- कैसा लगा बहू नाराज तो नहीं है

क्या कहती आरती चुप ही रही उसके शरीर में घूमते हुए रामु के हाथ अब उसे अच्छे लग रहे थे रवि भी उसे सेक्स के बाद कपड़े नहीं पहनने देता था पूरी रात वैसे ही सोते थे वो कितना मजा आता था तब पर यह तो रामु है पर इससे क्या यही वो इंसान है जिसने इसे शांत किया है यही वो इंसान है जिसके पास वो खुद आज गई थी और कितना इन्सल्ट तक किया था किचेन में,
और उसकी बेटी ने भी कितना जलील किया इसको। उसके कहने पर रामु ने आज शराब तक पिया था और उसके शरीर के हर हिस्से से सेक्स की भूख को मिटाया था नहीं वो इस इंसान को कम से कम आज तो और इन्सल्ट नहीं करेगी रहने दो यही क्या होगा सोनल घर पर नहीं है , रवि कभी रात को उठता नही है।
और सोचते हुए आरती रामु से और सट कर सो गई थी रामु जो कि अभी तक नशे में था कुछ कह रहा था आरती के सटने से उसने उसे और भी भींच लिया था आज अगर रवि होता तो क्या वो भी उसे इसी तरह से पकड़कर सोता और रात भर उसे आहिस्ता आहिस्ता इसी तरह से सहलाता
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08-27-2019, 01:39 PM,
#84
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
रामु- कुछ देर बाद चला जाऊँगा बहू बस थोड़ी देर रहने दे कितनी कोमल और नाजुक है तू मन नहीं भरा अभी

आरती चुपचाप उसकी बाहों में बँधी हुई धीरे-धीरे गहरी नींद के आगोस में जाने लगी थी बालों से भरा हुआ वो आदमी उसे बड़ा अपना सा लग रहा था सेक्स का जुनून उतरने के बाद भी वो इंसान उसे कितने अच्छे से पूछ रहा था और कितनी मिन्नत कर रहा था उसे यहां रहने देने के लिए सबकुछ भूलकर आरती शांति से उसे सख्स की बाहों में सो गई थी

आरती जब उठी तो उसे नहीं मालूम था कि कितने बजे है या कहाँ है पर एक मजबूत हाथों की गिरफ़्त में ही उठी थी बड़ा ही अपना पन लिए हुए और बहुत ही प्यार से उसके शरीर के हर अंग को छूते हुए दो मर्दाना हाथ उसके शरीर पर घूम घूमकर उसे उत्तेजित करते हुए शायद उत्तेजना के चलते ही वो उठी थी उसका कोमल शरीर जाग गया था पर आखें अब भी बंद थी उन हाथों के साथ-साथ होंठों को भी अपने शरीर पर चूमते हुए और कही कही गीलाकरते हुए वो महसूस कर रही थी वो नहीं जानती थी कि रामु रात भर यही था या चला गया था पर हाँ इतना जानती थी कि यह रामू ही था


शायद कल रात को जो उसने इसके साथ किया था वो अब तक अधूरा था और रामु को और भी कुछ चाहिए था आरती जो की नींद में ही थी अपनी आखें खोलकर नहीं देखना चाहती थी बस उन हाथों और होंठों के मजे लेना चाहती थी और खूब लेना चाहती थी कल जो कुछ भी हुआ था उसने आरती के अंदर फिर से उस आग को हवा देदि थी जिसमें की वो पहले भी जल चुकी थी रामु जो की सुबह सुबह अपने आपको ना रोक पाया था वो अपने सपनो की रानी अपनी काम रति को अपने ढंग से और अपने तरीके से एक बार उसके जाने से पहले भोग लेना चाहता था इसलिए सुबह सुबह अपने कमरे में जाने से पहले वो आरती पर टूट पड़ा था

उसके अंदर एक ज्वाला थी जिसे वो शांत कर लेना चाहता था अपने आपको ना रोक पाकर वो आरती के शरीर से खेलने लगा था जो की आराम से बेड पर साइड की और होकर सोई हुई थी गोरी गोरी जाँघो के साथ पतली सी कमर और फिर कंधे से नीचे की ओर जाते हुए बालों का समूह और उसपर से थोड़ा सा हिस्सा उसके शानदार और उठे हुए सीने का दृश्य उसे ना रोक पाया था और वो आरती के शरीर को थोड़ा सा सीधा करते हुए अपने होंठों को और हाथों को जोड़ कर आरती के शरीर का जाएजा लेने लगता और उधर आरती अभी थोड़ा सा छेड़ छाड़ के बाद उठ चुकी थी पर आखें अब भी बंद किए एक परम सुख का एहसास को संजोने में लगी हुई थी आरती कोई ना नुकर नहीं कर रही थी बल्कि अपने हाथों से रामु की बाहों को पकड़कर और फिर धीरे से अपनी बाँहे उसके गले में पहना कर अपने तरीके से उसे एक मूक
आमंत्रण दे डाला था रामु जो की ना तो जल्दी में था और नहीं कोई चिंता थी उसे तो बस इस देवी के शरीर की भूख थी जो वो अपने तरीके से बुझाना चाहता था वो अब तक उसके अंदर सामने की कोशिश करता जा रहा था और आरती भी अपनी जाँघो को खोलकर हल्की हल्की सिसकारी भरती हुई अपने अंदर उसके लिए जगाह बनाने में लगी हुई थी थोड़ा सा अपने आपको उसे अड्जस्ट करना पड़ा था पर कोई बात नहीं उसे आपत्ति नहीं थी रामु भी जल्दी ही उसके अंदर तक समाता हुआ अपने काम में लगा हुआ था नहीं ही कोई प्रश्ना चिन्ह और नहीं ही कोई आपत्ति नहीं कोई बात और नहीं ही मनाही बस सेक्स पूरा सेक्स वो भी प्यार भरा ना कोई जल्दी ना कोई हार्षनेस ना कोई तकलीफ ना कोई अनिक्षा दोनों अपने आखें बंद किए हुए लगातार एक दूसरे को अपने अंदर समा लेने की कोशिश में लगे हुए थे चाल धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी सांसों का रेला अपने बाँध को लगने वाला था

पर कोई बात नहीं बस हमम्म्मम सस्स्स्स्शह के अलावा कमरे में कोई और आहट नहीं थी शायद सांसों की आवाज ने सबको शांत कर दिया था सेक्स का यह खेल देखने को शायद सबकुछ शांत बैठे थे कमरे की हर अपनी जगह पर था और आरती रामु के इस अंतरंग संबंध का गवाह बनती जा रही थी आरती की बाँहे धीरे-धीरे रामु के गले के चारो ओर कस्ति जा रही थी वो इस खेल में इतना डूब गई थी और रामु इस खेल का पूरा नियंत्रण अपने हाथों में लिए आरती की गिरफ़्त का हर संभव जवाब देता जा रहा था उसकी कमर जो की अब तक धीरे-धीरे चल रही थी अब तेज चलने लगी थी सूनामी का रेला उस कमरे में एक तुफ्फान के आने का संकेत कर चुका था और वो दोनों ही सुबह सुबह का यह खेल जल्दी से निपटा लेने के मूड में थे


आरती तो यह भी नहीं जानती थी कि कितने बजे है पर शायद रामु जानता था इसलिए अपने आपको जल्दी से खेल के समापन की ओर बढ़ा ले चला था आरती के अंदर का रक्त उसके चुत की ओर बढ़ने लगा था लगता था कि हर अंग का खून उसके चुत की ओर ही जा रहा था और वो दाँत भिंचे रामु को और जोर से जकड़ रखा था रामु भी पूरी रफ़्तार से आरती को भोगते हुए अपने अंतिम चरण की ओर भागते हुए उसके ऊपर छा गया था और जोर से सांसें फेकने लगा था आरती जो कि उसकी दोनों जाँघो ने अब तक रामु की कमर को चारो ओर से जकड़ रखा था धीरे-धीरे कस्ति हुई आख़िरी बार अपनी ओर से भी प्रयास करती हुई चढ़कर शांत हो गई थी। कुछ देर बाद रामू चुपचाप उठकर कपड़े पहनकर कमरे से निकल गया।
थोड़ी देर बाद आरती वापस अपने कमरे में आकर रवि के पास सो गई, उसे लगा वो सो रहा था पर?


जब रवि सुबह उठे तो आरती को कुछ अलग सा बरताव करते लगे, वैसे तो आरती रवि से जल्दी उठ जाती थी पर उस सुबह उसका पूरा बदन टूट रहा था, पूरी रात चुदाई करके आरती बुरी तरह थकी हुई थी मानो शरीर में जान ही न हो उठने की! हिम्मत बिल्कुल नहीं थी!

रवि उठा और शोरूम जाने के लिये तैयार होने लगा, जाते जाते रवि ने अपने लिए नाश्ता बनवाया जया काकी से और नास्ता करके चले गये!


रवि को आरती ने बता दिया था उसकी तबीयत ठीक नहीं है तो रवि ने जाते जाते उससे कहा नाश्ता करके, अलमारी में गोली रखी है, खा लेना, सारा दर्द चला जायेगा ऊपर से नीचे तक का!
यह सुन कर आरती को कुछ अजीब सा लगा!

रवि चला गया, आरती थोड़ी देर सोने के बाद जब उठी तो उसकी गांड में थोड़ा थोड़ा दर्द सा हो रहा था, आरती नहाने गई तो उसने देखा कि उसकी गांड सूज के फूली हुई थी और एकदम लाल हो रही थी!
आरती नहा कर निकली, नाशता किया, इतने में सोनल का फ़ोन आ गया. सोनल ने कहा कि अभी वो स्कूल जा रही है और शाम को भी आज वो कविता के घर ही रुकेगी।
फ़ोन कटने के बाद आरती ने देखा कि किचन में रामु काका अकेले हैं, आरती ने रामु से थोड़ा मजाक करने का सोचा।
आरती किचन में गयी और रामु को कहा- काका, रवि को सब पता चल गया है, सुबह उन्होंने तुम्है कमरे से निकलते देख लिया! अब मैं आपसे बात नहीं कर सकती, अब मेरे पास मत आना कभी!
रामु काका यह बात सुन कर घबराने लगा और बोलने लगा- मैं अब क्या करुगा बहु। मालिक मुझे घर से निकाल देंगे।
आरती-- अब मैं क्या करूँ काका,

रामु - ऐसा मत कहो, मैं तुमसे नहीं मिलूंगा पर घर से निकलने से रोक लो!
कुछ देर बाद रामु काका को आरती ने बता दिया- ऐसा कुछ नहीं हुआ है, मैं आपसे मजाक कर रही थी.


रामु काका से बात करने के बाद आरती पूरा दिन सोती रही, शाम को जब रवि घर आया तो पूछने लगा- तबीयत ठीक है?
तो आरती ने हाँ कह दिया.

फिर अचानक बोले- नीचे का दर्द ठीक है?
आरती सुनकर चौंक गई,

आरती पूछने लगी- क्या मतलब?
तो रवि बोला- तुमने ही तो कहा था सर से पैर तक सब दर्द कर रहा है!

आज आरती कुछ अलग सा महसूस कर रही थी, उसके पति के देखने का अंदाज, उनके बोलने का अंदाज, उनकी हरकतें सब कुछ जैसे अलग सा लग रहा था!
आरती के कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आज हो क्या गया.
आरती ने जब पूछा तो रवि बोला- आज बहुत मजा आने वाला है!

आरती ने सोचा कि आज लगता है चूत मारने के मूड में हैं तभी ज्यादा मस्ती में हो रहे हैं.
तो आरती ने पूछा तो रवि बोला-- आज तुम्हारी गांड चुदाई करेंगे.

यह सुन कर आरती डर गई कि मेरी गांड तो पहले से सूज रही है और दर्द हो रहा है, इन्होंने देख लिया तो क्या सोंचगे और मैं क्या बोलूँगी कि किस से चुदवाई है.
ये तो देखते ही समझ जायेंगे!

आरती ने मना कर दिया- आज नहीं, मेरा मूड नहीं है!

रवि कहने लगा- मूड तो बन जायेगा! आज इतने दिन के बाद तो मेरा मूड बना है, तुम मना कर रही हो?

आरती ने कहा- मेरी तबीयत ठीक नहीं है, फिर कभी कर लेना!

रवि तो मान ही नहीं रहा था वो तो कुछ अलग ही सोच कर आया था और आरती के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी! आरती मन में सोच रही थी पहली बार गांड चुदाई की, वो भी आज पकड़ी जाऊँगी. मैं यही सोच रही थी कि क्यों किया मैंने ये सब… आज अगर पकड़ी गई तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी, ये मुझे तलाक दे देंगे!
अब जो होना था हो गया पर आरती रवि को मना किये जा रही थी और वो उसे मनाने में लगा था!

थोड़ी देर बाद रवि ने अपने बैग से दारू की बोतल और एक बियर की बोतल निकली और आरती को साथ बैठने को कहा, बोला- आज तुम और मैं साथ पियेंगे!
यह सुनते ही आरती बोली- पागल हो गये हो क्या? रवि बोला- नहीं यार, दोस्तों के साथ तो बहुत पी है पर आज अपनी बीवी के साथ पीने का मूड है!
आरती ने कहा- तुम पीओ, मैं सामने बैठी हूँ.
रवि बोला- नहीं, तुम भी मेरे साथ पीओ!

आरती ने मना कर दिया पर रवि ज़िद किये जा रहा था- तुम दारू मत पीना, बियर पी लेना, बियर पीने से कुछ नहीं होगा!
आरती बोली- चाहे दारू हो या बियर… मैंने कुछ नहीं पीनी!
पर रवि ज़िद पर अड़ा था!

आरती मन ही मन सोच रही थी कि आज कुछ तो गड़बड़ है नहीं तो ये इतनी ज़िद कभी नहीं करते और आज मुझे बियर पिला रहे हैं.

खैर बात बात में रवि ने दो गिलास में पैग बना दिया एक में अपने लिये दूसरे में बियर आरती के लिए!

आरती के मना करने के बाद भी उसे पीने को बोले जा रहा था, आरती ने मना कर दिया तो रवि बोला- तुम्हारी सारी तबीयत ठीक हो जायेगी और तुम्हारा मूड भी बन जायेगा!
आरती का मूड क्या बनेगा… आरती की तो हालत खराब थी, पीने के बाद क्या होगा पता नहीं!

रवि फिर बोला- पी लो, फिर बैठ कर बात करते हैं.
आरती ने पूछा- किस बारे में?
रवि बोला- बस ऐसी ही… आज तुम कुछ ज्यादा सेक्सी लग रही हो!
तो आरती बोली- मेरी तबीयत ठीक नहीं है और मैं तुम्हें सेक्सी लग रही हूँ!

जैसे ही आरती ने बियर का एक घूंट पिया, उसे तो उल्टी सी होने लगी, इतनी कड़वी… पता नहीं लोग कैसे पीते हैं, आरती ने जिंदगी में एक दो बार से ज्यादा नहीं पी थी, आज पहली बार बियर का टेस्ट लिया था!
रवि बोला- पहली बार हर नई चीज बुरी लगती है, बाद में अच्छी लगने लगती है!
आरती एक सांस में पूरी पी गई फिर दोनों बात करने लगे!

बात करते करते रवि एक एक पैग बनाते गया और पीते गया, आरती भी धीरे धीरे बियर पीती गई.
थोड़ी देर बाद तो मानो जैसे आरती को कोई डर नहीं और कोई दर्द नहीं… सब ठीक हो चुका था.

बस फिर क्या था! आरती का भी चुदाई का मूड बन चुका था.

दोनो ने नशे में खाना खाया और बेड पर चले गए आरती तो एक बियर में ही होश खो बैठी थी! उसे कुछ पता ही नहीं चल रहा था कि वो क्या बोल रही है क्या कर रही है!
आरती ने अपने कपड़े उतार कर फेंक दिये और रवि के ऊपर गिर गई.
रवि उसे जोर जोर से किस कर रहा था.

रवि ने उससे पूछा- अब तबीयत ठीक हो गई?

आरती ने रवि से कहा- बात बाद में… पहले जो कर रहे हो, वो करो!

रवि उसके मोम्मे चूसने लगा, आरती भी चुदाई के नशे में थी पर जो मजा कल आ रहाँ था, वैसा मजा नहीं आ रहा था आरती को. पर बियर के नशे में सब अच्छा लग रहा था!

तभी रवि ने उसकी गांड को हाथ लगाया. वो फूली हुई थी तो रवि बोला- तुम्हारी गांड आज कुछ अलग सी लग रही है? सूजी हुई सी।
तो आरती एकदम से डर गई कि अब क्या बोलूँ? तभी आरती ने कहा- चुदने के लिये तैयार है, तुम बस अपना लंड निकाल कर डाल दो!
रवि बोला- नहीं, पहले मैं चाट कर रस पिऊंगा फिर डालूँगा!

आरती अब कुछ बोल ही नहीं पाई कि क्या करें, बस जो होना है वो होगा.

तभी रवि नीचे हुऐ और नशे में आरती की गांड को चाटने लगे. उम्म्ह… अहह… हय… याह… जब रवि ने देखा कि उसकी गांड फूली हुई है तो बोले- आज तुम्हारी गांड कुछ ज्यादा ही मूड में लग रही है या फिर कल की चुदाई का नशा अभी तक चढ़ा हुआ है?
यह बात सुनते ही आरती के तो होश उड़ गये, उसकी पूरी दुनिया ही घूम गई, उसका सारा नशा एक पल में उतर गया, उसकी कल की चुदाई के बारे में इन्हें कैसे पता चला?

आरती ने रवि से डरते हुऐ पूछा- कल की चुदाई? कल हमने चुदाई कहाँ करी थी?
तो रवि बोला- हमने नहीं की, तुमने तो की थी!
‘मैंने चुदाई की? किसके साथ? तुम्हें नशा चढ़ गया है, तुम कुछ मत करो, सो जाओ!’ आरती ने थोड़ी हिम्मत करते हुए बोली।

रवि बोला- तुमने कल रात भर चुदाई का मजा लिया… मैंने देखा था, मुझे दारू नहीं चढ़ी है और मैं सब जानता हूँ!
दोनों उठ कर बैठ गए फिर एक दूसरे से बात करने लगे!
आरती ने पूछा- तुमने क्या देखा?
रवि-- जो तुमने पूरी रात किया!

आरती- तुम तो सो रहे थे?
रवि बोला- सो तो हमेशा जाता हूं लेकिन तुम्हारी कहानी मुझे शुरू से पता है इसीलिये मैंने आज तुम्हें पिलाई है कि तुम मेरे से खुल कर बात करो. तुम सुबह भी डरी हुई थी इसलिये मैं चुपचाप शोरूम चला गया!

आरती- तुम्हें जब सब पता था तो कुछ बोले क्यों नहीं और तुम्हें पता कैसे चला?
रवि बोला- जिस दिन हम बार मे पी कर आये थे, मैंने उसी रात देख लिया था तुम्हे बाहर जाते लेकिन नशे में पीछा नही कर पाया और उस दिन मुझे तुम्हारे ऊपर शक हुआ, फिर दूसरे दिन मैंने रात को कमरे को बाहर से बंद पाया, अब मैं तुम्हारी चुदाई होते हुए पकड़ना चाहता था, उस दिन का मैं इंतज़ार कर रहा था पर तुम बहुत चालक थी,तुम तो रोज जाती लेकिन मैं थकान की वजह से सो जाता था! मैं तुमारा रंडी पना देखना चाहता था कि कितना गिरती हो तुम चुदाई के लिए।

यह सब सुनकर तो आरती को विश्वास नहीं हो रहा था कि रवि उसे किसी और से चुदाई करते हुए पकड़ना चाहता था और वो ये सोच रही थी कि वो अपने पति को धोखा दे रही है पर यहाँ तो उसके पति को उसकी हर चुदाई का मालूम था। बस देखने के इंतजार में थे!

तब आरती ने उससे पूछा- तुम जानबूझ कर मुझे उकसा कर घर लाते थे?
रवि बोला- नहीं, शुरू में मेरी कोई मंशा नही थी! जब तक मेरे को इस बारे में कुछ नहीं पता था!
तब आरती ने रवि से पूछा- कल कैसे देखा?

तो रवि बोला- खाने के वक़्त ही मैं तब समझ गया कि तुम्हारा आज कुछ करने के मूड में है! मैं नींद में होने का नाटक कर रहा था और जब तुमने मुझे सोते को चेक किया तो मैं समझ गया था कि आज मुझे सब देखने को मिलेगा और मुझे तुम्हारी चुदाई दिखाने में तुम्हारा भी हाथ है!

यह सुन कर आरती थोड़ा हिल गई उसका हाथ उसे तो कुछ पता ही नहीं था!
तो रवि ने बताया कि जब तुम रामु के पास जा रही थी तब रामु को तुमने अंदर खीच लिया था और तुम दोनों ही इस कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गए थे!

तब उसे याद आया कि है दरवाजा तो पूरी रात खुला हुआ था, ना रामु ने बंद किया न उसने… और सारे घर की लाइट बंद थी इसलिए उन्हें पता ही नहीं चला कि कोई उनको देख रहा है.

और फिर रवि ने बताया कि उसी दरवाजे की आड़ में खड़े होकर उनकी पूरी चुदाई का मजा लिया!
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08-27-2019, 01:39 PM,
#85
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
फिर रवि ने कहा- अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हे इस बात की सजा नही दु तो यह बात रामू को मत बताना कि तुम्हारे और रामु के बारे में मुझे पता है! और तुम चिंता मत करो, इस बात से तुम्हारे और मेरे रिश्ते में कोई दरार नहीं आएगी! रामु अगर चुदाई करे तो करने देना रोकना मत।
यह सुनते ही आरती इतना आश्चर्य हुआ लेकिन उसे समझ नही आया कि रवि ऐसा क्यों चाहता है लेकिन अभी के लिए उसे लगा था जैसे की किसी कैद में थी डरी डरी… अब आजाद हो गई! उसने सोच लिया अभी के लिए वो खुद को रामु से अलग कर लेगी उष्को भनक लगे बिना।

फिर दोनो ने उस रात सिर्फ एक बार चुदाई करी!
अगले दिन आरती साड़ी और डीप नेक वाला ब्लाउस पहनकर अपने घर के गार्डेन मे घूम रही थी तभी उसे अपने घर के बाथरूम से कुछ आवाज़ आई आरती ने गार्डेन मे से बाथरूम की विंडो मे देखा तो रामू अंदर बाथरूम कर रहा था और अपने लंड को हिला रहा था और अब वो मूठ मारने लग गया. उसका मोटा और लंबा लंड देखकर एक दम आरती की चूत मे कॅरेंट सा लगा. आरती के दिमाग़ पर रामू का लंड का भूत सवार हो गया की कैसे भी करके आरती ने अब रामू का लंड लेना है कहा उष्को कुछ दिन दूर रहना था रामू से।
इस लिए आरती जल्दी से अंदर गई और बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। रामु एक दम घबरा गया आरती ने उसे डाँटते हुए कहा की तुम ये सब क्या कर रहे हो मेरे होते हुए और फिर आरती उसे अपने रूम मे ले गई. और उसे कहा ये सब करने की तुम्हे सज़ा मिलेगी चलो अब जल्दी से तुम अपने सारे कपड़े उतार दो.
आरती की बात सुनकर वो मुस्कुराने लग गया और अपने सारे कपड़े उतार दिए. आरती उसके पास आई और उसका लंड अपने हाथो मे पकड़कर आछे से देखने लग गई और जानकर अपना पल्लू उसके सामने नीचे गिरा दिया और फिर रामू ने झट से उसकी साड़ी खिच कर उसका चिर हरण कर दिया और उसका ब्लाउस पकड़ कर फाड़ दिया और ब्रा भी खिच कर फाड़ दी और ना जाने कहा पर फेंक दी. करीब एक ही मिनिट मे आरती उसके सामने पूरी नंगी हो चुकी थी.

रामू ने आरती को बेड पर गिरा दिया और खुद उसके उपर आ कर उसके होंठो को चूसने लग गया. आरती भी बड़ी मस्ती मे उसका साथ दे रही थी और उसके काले होंठो से अपने गुलाबी होंठो का रस्स चुस्वा रही थी. अब उसका एक हाथ आरती के नंगे बूब्स पर था और दूसरा हाथ उसकी चूत के उपर था जो की चूत को सहला रहा था. आरती मस्त होती जा रही थी. उसे बहोत मज़ा आ रहा था.
कुछ देर उसके होंठ चूसने के बाद रामू ने उसके दोनो बूब्स पर ह्म्ला बोल दिया और उसके बूब्स अपने मूह मे ले ले कर ज़ोर ज़ोर से चूसने लग गया. आरती की चूत मे खुजली बढ़ती जा रही थी, उसे लंड चाहिए था. इतने मे रामू उसके उपर 69 की पोज़िशन मे आ गया, अब उसके होंठो के सामने रामू का 8 इंच का मोटा लंबा और काला लंड था जोकि उसके गुलाबी होंठो से टकरा रहा था. रामू अपनी ज़ुबान से उसकी चूत को चाटने लग गया और जैसेही आरती के मूह से मस्ती मे आह्ह्ह आह्ह्ह की आवाज़ निकली तभी उसका लंड उसके मूह मे चला गया और फिर रामू अपने लंड को अंदर बाहर करने लग गया. उसकी ज़ुबान की गर्मी और हरकतें आरती की चूत सहन ना कर पाई और कुछ ही देर मे आरती की चूत ने खूब सारा पानी छोड़ दिया जिसे रामू चाट चाट सारा पी गया. अब उसके लंड की बारी रह गई जिसे अब वो आरती के मूह मे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लग गया अब उसका लंबा लंड आरती के गले के अंदर तक जा रहा था और कुछ ही देर मे उसके लंड ने भी अपना पानी आरती के मूह मे निकाल दिया और आरती को अबकी बार उसके सारे पानी को पीना पड़ा.
कुछ देर आराम करने के बाद रामु का फिर से तैय्यार हो गया, अब की बार उसने आरती की टाँगे उपर उठाई और अपना लंड आरती की चूत पर सेट कर के एक बार मे अपना पूरा लंड आरती की चूत के अंदर डाल दिया. आरती की ज़ोर से चीख निकली और उसके नीचे एक मछली की तरह तड़पने लग गई.
पर रामू ने उसके उपर ज़रा सा भी रहम ना किया और ज़ोर ज़ोर से उसे चोदता रहा और अपने लंड का सारा पानी उसके जिस्म पर निकाल कर घर के काम करने लग गया. आरती अपने बेड पर पूरी नंगी लेटी हुई थी उसकी चूत पूरी तरह से फट चुकी थी और उसमे से अब थोड़ा खून भी निकल रहा था. रामू घर के सारे काम करके अपने कमरे में चला गया.
कुछ दिन रामु आरती को ऐसे ही चोदता रहा और रवि ने कोई भी कदम नही उठाया। आरती कुछ परेशानी में थी कि रवि को मालूम चलने के बाद भी कुछ क्यो नही कर रहा है, लकिन धीरे धीरे ये बात उसके माइंड से निकलने लगी, अब आरती को सोनल का भी डर नही था, एक दिन रामु अपने साथ लाखा को भी ले आया और आरती को उन दोनो ने खूब मिलकर चोदा.

अब आरति और रामु दोनो ने मिलकर घर को चुदाई घर बना दिया था, रामु को होश ही नही था कि वो इस घर का मामूली सा नोकर है।
अब जहा भी दोनों मिलते, एक दूसरे को सबसे पहले चूमना चाटना शुरू कर देते। ऐसे ही एक दिन दोपहर में दोनो अपनी मस्ती में चूर थे, सोनल स्कूल गयी हुई थी और रवि बाहर गया हुआ था, अब आरती बड़ी मस्त हॉट सेक्सी होने के साथ साथ बहुत ही अनुभवी औरत भी हो गयी थी, वो रामु को लगातार चूमती उसके बदन को सहलाकर उसे गरम कर रही थी। अब दोनों बिना देर किए पूरे नंगे हो गये और रामु ने तुरंत ही अपना लंड बाहर निकालकर आरती के हाथ में पकड़ाकर उसके बूब्स को चूसने सहलाने लगा । लगतार चुदाई से आरती के बॉब्स बड़े बूब्स में तब्दील हो गए थे जोकि अभी पूरे नगें होकर झूल रहे थे। इसलिए उनको देखकर रामु का लंड बहुत ही कम समय में तुरंत ही सख्त हो चुका था। अब रामु ने आरती को नीचे लेटा दिया और उसकी जांघो को अपनी जीभ से चाटने लगा था और आरती ने अब भी रामु के लंड को ज़ोर से पकड़ रखा था। फिर रामु ने कुछ देर उसके चूत और आसपास के हिस्से को अपनी जीभ से चाटकर उसके जोश को पहले से ज्यादा बढ़ाकर आरती को पागल होने पर मजबूर कर दिया। फिर रामु ने कुछ देर यह सब करने के बाद उसकी चूत में अपने लंड को डाल दिया, रामु के एक हल्के से धक्के में ही उसका पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराईयों में फिसलता हुआ चला गया। अब रामु ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसकी चुदाई करने लगा था और रामु आरती के जोश को देखकर बड़ा चकित था, कि रामु के हर एक धक्के के साथ आरती भी धक्के लगा रही, लेकिन आरती ज्यादा जोश की वजह से बस पाँच मिनट में ही झड़ गयी।
अब ऐसा होने की वजह से रामु का मन बहुत खुश था, क्योंकि रामु चूत को धक्के मारने के बाद जब उसकी गांड मारने की फिराक में था, तब ज़्यादा देर तक उसके मज़े ले सकेगा। तभी आरती रामू से कहने लगी कि उसको टॉयलेट जाना है और नहाना भी उसके बाद ही दूसरी बार कुछ करेंगे और फिर वो बाथरूम में चली गयी। फिर रामु भी थोड़ी देर के बाद बाथरूम में चला गया, रामु ने सोचा कि आज वो भी आरती के साथ ही नहाने के मज़े ले ले। अब रामु ने अंदर जाकर देखा कि आरती टॉयलेट की सीट पर बैठी हुई है, दोनों उस समय पूरे नंगे थे। फिर उसको इस तरह से बैठे देखकर रामू का लंड तनकर खड़ा हो गया और रामु आगे बढ़कर अपने खड़े लंड को आरती के मुँह के सामने ले जाकर खड़ा हो गया और उसके होंठो को छूने लगा था और कुछ देर उसके ऐसा करने के बाद ही आरती ने अपने मुँह को खोलकर रामु के लंड अपने मुँह में भर लिया और आरती चूसने लगी थी। अब रामु काका उसके गालों को सहलाने लगा था और थोड़ी ही देर में उसका लंड आरती के मुँह में ही झड़ गया और आरती ने रामु काका के वीर्य को अपने अंदर नहीं लिया, उसको अपने मुँह से बाहर निकालकर नीचे टपकाने लगी थी।

अब रामु काका यह सब देखकर बहुत ही रोमांचित हो रहा था, फिर आरती थोड़ी देर में उठी उसने पानी से अपनी गांड को धो लिया और फिर उसके बाद आरती और रामु दोनों साथ में नहाने लगे। अब दोनों ने एक दूसरे को बहुत दिल से खुश होकर नहलाया। फिर रामु काका ने आरती की गांड को बड़ी अच्छी तरह से साफ किया और यह काम करते हुए बीच बीच में थोड़ी सी अपनी उंगली भी रामु काका ने आरती की गांड में डाली, लेकिन आरती उससे कुछ नहीं कहती, बस रामु काका की तरफ मुस्कुराकर देखने लगती है। तभी अचानक से आरती की नज़र दरवाजे की तरफ चली और आरती ने चीखकर पास ही पड़ी एक चादर से अपने मुँह को ढक लिया। अब रामु ने भी पीछे घूमकर देखा तो वहाँ पर रवि खड़ा हुआ था जो कि गुस्से में उनको देख रहा था। रवि को देख कर रामु की जान ही निकल जाती है, उष्को कुछ समझ नही आया कि हुआ क्या? रामु ने अपने मे भी नही सोचा था कि कभी वो रवि के हाथों पकड़ा जाएगा।
अब रवि ने रामु को गुस्से से पूछा कि ये सब क्या हो रहा है काका?
रामु के मुह में तो जैसे आवाज ही नही थी बोले भी क्या बोले। रामु तो सपने में भी ये नही सोच सकता था कि कभी ये दिन भी आएगा, उष्को तो लग रहा था ऐसे ही चुदाई का आनंद लेते हुए वो इस घर मे अपनी जिंगदी गुजारेगा ?
तब रवि ने गरजते हुए आरती को कहा साली रांड तूने तो इस घर को कोठा बना दिया, जब देखो चुदाई, तुमने सोचा की मैं बाहर गया हूं ये तो मैं बेंक में कोई जरूरी चेक जमा करवाना भूल गया था, इसलिए सुबह ही सबसे पहले बेंक जाकर अपना काम खत्म करके बाहर न जाकर वापस आया।
फिर रवि बोला आरती मेरी तरफ देखो और तुरंत आरती ने उसकी तरफ देखा, लेकिन उसके चेहरे से डर साफ साफ नजर आ रहा था। हालांकि उसे मालूम था कि रवि पहले से जानता है लेकिन ऐसे अचानक न्नगी हालात में रवि आ जायेगा ये नही सोचा था। चाहे रवि ने उष्को बोला हो पहले लेकिन फिर भी वो उसका पति था, आरती की गांड फटी फड़ी थी और साथ कि साथ रामु की।
अब रवि आरती को कहने लगा कि मैं तुम्हारी ज़रूरत को अच्छी तरह से समझता हूँ बल्कि ना जाने कब से मैं तुम्हारे साथ यह सब करने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन तुम्हे मेरे साथ वो मज़ा ना जाने क्यों नहीं आता? तुम्हे तो बाहर इन नोकरो से चुदने में मजा आता है।
फिर रवि इतना कहकर बेड पर जाकर बैठ गया और फिर आरती और रामु दोनों बाथरूम से निकलकर बाहर आ गए।
अब रवि ने आरती को अपनी तरफ खिंच कर उसकी जांघो में हाथ डाल दिया और फिर रवि रामु से बोला कि काका बहूत मस्ती कर ली लेकिन तुम्हे शायद पता नहीं है मैं तुम्हे जेल में बंद करवा सकता हु।
अब रामु रवि की बातें सुनकर बहुत ही डर चुका था और फिर रामु रवि को कहने लगा कि मालीक मुझे माफ़ कर दीजिए। जैसे आप मुझसे कहोगे में ठीक वैसा ही करूँगा। मुझसे गलती हो गयी।
फिर रवि अचानक रामु से उसके कपड़े उतारने के लिए बोला। रवि की बात सुनकर आरती और रामू दोनो चोंकते हुए एक दूसरे का मुह देखेने लगे।
तभी रवि ने ऊंची आवाज में रामु को फिर कहा, सुना नही काका
और रामू ने डरते हुए आगे आकर रवि की शर्ट और पेंट को भी तुरंत उतार दिया। अब रामु काका ने देखा कि रवि का लंड पहले से ही खड़ा हो चुका था जो उसकी अंडरवियर में टेंट बना हुआ रामु को साफ नजर आ रहा था और फिर रामु काका ने जब उसकी अंडरवियर को उतारा तब देखा कि उसका लंड लम्बाई में करीब छ इंच का था और मोटाई भी ठीक थी।
अब रवि ने रामु काका को अपना लंड पकड़ा दिया और उससे बोला कि तुम धीरे धीरे इसकी मुठ मारो।
रामु हैरत से रवि को घूरने लगा, और एक नजर आरती की तरफ भी देखा, आरती खुद भौचक्की खड़ी थी, रवि ये सब क्या कर रहा था उष्को समझ नही आ रहा था, उसने तो सोचा था कि रवि को सायद उसकी चुदाई देखने का शौक हो गया है लेकिन यहा कुछ और ही चल रहा था और फिर रवि ने रामू को अपना लण्ड हिलाने को कहा
फिर रामु ने वैसा ही किया। अब रवि ने आरती को चूमना शुरू किया और उसके कुछ देर बाद रवि आरती को बोला कि तुम जाकर वैसलीन लेकर आओ।

अब आरती और रामु तुरंत समझ गए कि रवि अब जरुर आरती की गांड मारेगा। यह सब देखकर रामु काका का लण्ड भी एकदम पूरी तरह से जोश में खड़ा हो गया। फिर आरती के कुछ देर बाद वैसलीन लेकर आते ही रवि ने रामु काका से बोला कि तुम इस वैसलीन से मेरे लंड पर मालिश कर दो।
अब रामु काका ने रवि के लंड की वैसलीन लगाकर मालिश करके एकदम रवि के लण्ड को चिकना कर दिया।
फिर अचानक रवि ने रामु काका को पकड़कर बिस्तर पर धक्का देकर गिरा दिया,वैसे रवि रामु से बहुत ताकतवर नही था। लेकिन इस वक़्त रामु अपने कर्मो की वजह से डरा हुआ था,उसे ये भी मालूम था कि रवि चाहे कुछ न करे लेकिन अगर सोनल जान गई ये सब तो वो जरूर उसकी गांड फाड़ साख्ति है। अब रामु यह सब देखकर बहुत डर गया और समझ भी गया कि आज सब कुछ उल्टा हो गया, जहा रामु अब तक आरती की गांड मारने की बात सोचकर खुश हो रहा था, लेकिन यहाँ तो अब खुद उसकी गांड ही दाव पर लगी थी। अब रवि उसकी गांड में अपने लंड को डालकर उसको जरुर फाड़ेगा, यह बात सोच सोचकर रामु काका के माथे से पसीना बहने लगा था। फिर रामु काका ने रवि को बहुत बार बोला कि उष्को छोड़ दे, वो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जैसा आप सोच रहै है शायद आपको मेरे बारें में कोई गलत बात समझ आ गई है। अब रवि हंसते हुए रामु काका से कहने लगा कोई बात नहीं है, आज में तुम्हे वैसा ही बना दूँगा काका, देखना तुम्हे मेरे साथ यह सब करके बड़ा मज़ा अब आने वाला है। अभी तक इस घर की चुत के मज़े लिए है अभी थोड़ा लण्ड के भी मज़े लो।
फिर उसी समय रामु काका रवि से बोले कि अगर इसी बात की सजा है तो...तो तुम आरती की क्यों नहीं मारते?
तभी रवि बोला कि आरती की तो अब मैं जब भी मेरी मर्ज़ी होगी ले लूँगा, लेकिन तेरी तो मैं अभी आज ही लूँगा और फिर रवि ने इतना कहकर रामु काका की गांड में बहुत सारी वैसलीन लगाई और फिर रवि रामु काका के ऊपर लेट गया। अब रवि अपने लंड को रामु काका की गांड के अंदर डालने की कोशिश करने लगा था, लेकिन रामु ने अपनी गांड को भींचकर कर पहले से भी बहुत ज्यादा टाईट कर लिया था, जिसकी वजह से रवि का लंड रामु की गांड में घुस ही नहीं रहा था। रवि ने अपना पूरा दम लगाया और फिर अचानक से सोनल पता नही कहा से आ गयी वहा और आते ही उसने रामु को तीन चार जोरदार थप्पड़ इतनी ज़ोर से मारे कि उसकी वजह से उसका सर ही घूम गया और रामु को अपनी गांड में इतना दर्द हुआ कि वो सोच नहीं सकता। रवि ने सही मौका देखकर अपने लंड को रामु काका की गांड में डाल दिया, रामु की गांड को फाड़ ही दिया था और फिर रवि ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा था, रवि का लंड आज बहुत ही सख्त था। अब रामु काका को लगा कि जैसे वो उस दर्द की वजह से मर ही जायेगा और फिर रवि ने कुछ देर बाद इतनी ज़ोर से धक्के मारे जिसकी वजह से अब उसका पूरा लंड रामु काका की गांड के अंदर चला गया था।

अब रामु काका उस दर्द की वजह से मचल गया और ऐसा किसी मर्द ने उसके साथ पहली बार किया था, इसलिए रामु काका खुद नही जानता था कि वो कैसा दर्द था? रवि अब रामु काका के दर्द को देखकर धीरे धीरे अपने लंड को उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा था और कुछ देर बाद रामु काका का दर्द भी कम हो रहा था और रामु काका को बड़ा ही अजीब सा लगने लगा था और थोड़ी ही देर के बाद रामु काका को भी मज़ा आने लगा था और रामु काका का मन कर रहा था कि रवि ऐसे ही करता ही रहे। अब रामु काका का लंड भी नीचे रगड़ खा रहा था और तनकर एकदम सख्त हो चुका था। फिर रामु काका के लंड को देखकर सोनल ने आरती को खिंच कर नीचे बैठा दिया और सोनल ने रामु काका के नीचे अपने एक हाथ को डालकर उसका आरती के हाथ मे पकड़ा दिया और लण्ड सहलाने को बोला। आरती ने लंड सहलाना शुरू किया और अब रामु को अपनी गांड मरवाना बड़ा अच्छा लगने लगा था और नीचे से मुठ मरवाना भी उसके मन को खुश कर रहा था। अब रामु काका जोश मस्ती की वजह से मदहोश हो गया, क्योंकि उसे ऐसा सुख पहले कभी नहीं मिला था, रामु काका की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था और फिर रामु काका का वीर्य धीरे धीरे रुक रुककर बाहर निकलने लगा था। आरती ने भी रामु काका की मुठ मारना चालू रखा और उसका पूरा हाथ रामु काका के वीर्य से भरा हुआ था। आरती रामु काका के चिकने लंड को अपने हाथ से लगातार सहला रही थी। फिर रवि ने ज़ोर से हुंकार भरी और झड़ते हुए अपने वीर्य को रामु काका की गांड के अंदर ही छोड़ दिया, जिसकी वजह से रामु काका खुशी से मचल गया।
Reply
08-27-2019, 01:39 PM,
#86
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
अब रवि रामु काका के पास में लेटकर ज़ोर ज़ोर से साँसे लेने लगा और रामु भी आरती के बूब्स में अपना मुँह डालकर वैसे ही लेट गया, रामु आरती के बूब्स को सहलाते हुए एक निप्पल को अपने मुहं में भरकर चूसने लगा था। ऐसा करने में रामु काका को बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था।
तभी अचानक सोनल ने उसकी गांड पर एक लात मारी खिंच कर, रामु ने दर्द से आरती का बॉब्स छोड़ कर अपनी गांड सहलाने लगा।
सोनल-- हरामी तुझे सबक सिखाने की लेकर तेरी गांड तक चोद दी तू उसमे भी मजा ले रहा है, पक्का गांडू बन गया है और अभी भी नही सुधर रहा। और तुम मम्मी अब तो ये रंदीपना खत्म कर दो। नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा, इन नोकरो को मुह लगाना छोड़ दो।
और एक और लात रामु की गांड पर मरती है
चल गांडू दफा हो यहाँ से।
रामु तुरन्त अपने कपड़े समेत कर निकल जाता है।

सोनल-- अगर तुझे लण्ड चाहिए मम्मी बताओ मुझे तुम्हे विदेशी लण्ड से चुदवा दूँगी लेकिन इस घर को बक्श दो। ये दो कौड़ी के नोकरो से चुद कर क्यो हमे भी इनकी नजरो में दो कौड़ी का कर रही हो।
आरती-- सोनल तुम तो अब कुछ बोलो ही मत, मैंने देखा है तुझे इस रामु के साथ खुद सेक्स करते हुए।
सोनल-- हां किया है लेकिन उनकी ओकात दिखा कर, तुम्हारी तरह उनकी गुलाम बन कर नही, उनको गुलाम बनाकर। और वैसे भी जिसकी तुम जैसी कुतिया मा हो उष्को चुदाई से बचा ही कौन सकता है। तुम क्या सोच रही हो तुम गली के कुत्तों से चुदती रहो और मुझ पर उसका कोई असर नही पड़े। वाह क्या सोच है, मैं भी उस दो कौड़ी के नोकर से चुद जाऊ बस तुम्हे न रोकू। अगर तुम अभी भी नही रुकी तो मुझे वो बनना पड़ेगा जिसको देख कर तुम्हारी रूह भी कांप जाएगी।


रवि दोनो को मुह फाडे देख रहा था, और उनकी बातें सुनकर गहरे सदमे में था, आरती का उष्को मालूम था लेकिन सोनल का उसने सोचा भी नही था उसके अनुसार तो सोनल सिर्फ उससे चुदी है, आज भी जब सोनल ने आरती और रामू को पकड़ने का प्लान बनाया और फिर रामु की गांड चोदने का, तो भी उसे कुछ नही मालूम था, वो तो सोच रहा था कि आरती को डरा कर सोनल से सेक्स करेगा खुलकर, लेकिन यहा तो सोनल ने कुछ और ही सोच रखा था।
तीनो लोग अपनी बहस में बिजी थे उनको मालूम नही चला कि रामु बाहर न जाकर वही रुक कर उनकी सब बातें सुन रहा है, और अपना कोई अलग प्लान बना रहा था।

सोनल गुस्सा होकर अपने कमरे में चली जाती है, आरती और रवि अपने अपने कपड़े पहनकर दोनो कमरे में बैठे रहटे है, दोनो कुछ भी बात नही कर रहे थे, एक अजीब सी चुप्पी कमरे में थी।
कुछ देर में रवि ने चुपी तोड़ी और बोला-- आरती आगे क्या करना है। देख आरती तुम बाहर जो भी कर रही थी उससे मुझे कोई प्रॉब्लम नही थी, लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि तुम्हारी ये कारनामे सोनल भी जानती है, और इस सबसे नाराज है। अगर इन सब से सोनल ने नाराज होकर कोई ऐसा कदम उठा लिया कि परिवार की इज्जत मिट्टी में न मिल जाये।
आरती बस चुप बैठी थी कुछ नही बोल रही थी।
रवि थोड़ी ऊची आआवज में--आरती कुछ पूछ रहा हु जवाब दो।
आरती-- क्या जवाब दु मैं? बचा ही क्या है बोलने को?
सब तुम्हारी वजह से हुआ है अगर तुम मुझसे दूर न रहटे तो मैं हरगिज ये काम नही करती। तुमने मुझे मेरे जिस्म को संतुष्ठ करना छोड़ दिया तभी मै ये सब किया।
रवि-- कहना क्या चाहती हो जिस भी औरत का पति अगर कुछ बिजी रहने लगे जाए तो वो बाहर बाजारू बन जाये। आरती ये एक्सक्यूज़ नही हुआ तुम्हारे काले कारनामो का। सब तुम्हारी हवस है। शायद अगर शादी के कुछ समय बाद करती तो मान भी जाता लेकिन इस उम्मर में आकर तो हवस है तुम्हारी और कुछ नही। और मैं सिर्फ ये पूछ रहा हु आगे क्या सोच रही हो। ये सब बंद करोगी या--..........
आरती कुछ नही बोलती बस एक दम से चुप रहती है, चेहरे के हावभाव से लग रहा था कि वो सायद ये सब बंद करने की स्थिति में नही थी।
रवि उष्को चुप देख कर बाहर निकल जाता है।
शाम को डिनर के समय भी तीनो में कुछ बात नही होती है, लेकिन रवि दिन में ही रामु को घर के काम को मना कर देता हालांकि घर से नही निकालता, खाना और घर के काम जया और मोनिका को सौंप दिया गया, रामु को सख्त हिदायत दी गयी कि वो घर मे न आये सिर्फ क्वाटर तक सीमित रहे। जया और मोनिका को भी समझ आ गया था कि माजरा क्या है,
इसी सन्नाटे में घर मे चार दिन बिना किसी खाश घटना से निकल जाते है, रामु भी घर से दूर रहता है, न ही आरती कोसिस करती है उससे मिलने की। अभी रवि से भी आरती की बातचीत स्टार्ट नही हुई थी। आरती फैक्टरी या शोरूम भी जाना छोड़ दिया था। पूरा दिन घर मे रहती थी और जया काकी को रवि ने घर मे ही रहने को बोल दिया था।
ऐसे ही उस घटना को दो हफ्ते बीत चुके थे, सोनल ने स्कूल से सीधे शो रूम जाना शुरू कर दिया था आप पापा की हेल्प करने के लिए, फैक्टरी जल्द ही शुरू हो होने वाली थी। सोनल ने कार चलाना सिख लिया था, वो आल्टो गाड़ी से ही स्कूल और शोरूम आने जाने लगी थी।
आज सोनल को काफी देर हो चुकी थी शोरूम से निकलते हुए। सोनल ने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े ठीक किये और शोरूम को क्लोज करवाके घर के लिए चली। सोनल की कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में अकेली खड़ी हुई थी। बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे। सोनल पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से उसके टीशर्ट के अंदर उसके निप्पल एकदम टाईट हो गयी थी। उसकी ब्रा उसके रसीले मम्मों को ढाँकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा थी। सोनल के एक-तिहाई मम्मे टीशर्ट के लो-कट होने की वजह से और उसके भीग जाने से एकदम साफ़ नज़र आ रहे रहे थे। सोनल ने साढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैण्डल पहने हुए थे और पानी मे फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रही थी। हवा भी काफ़ी तेज़ थी और इस वजह से उसकी टीशर्ट इधर-उधर हो रही थी जिसकी वजह से उसकी नाभी साफ़ देखी जा सकती थी। सोनल आमतौर पे जीन्स नाभी के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती थी। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, सोनल हक़ीकत में नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि उसकी टीशर्ट पूरे जिस्म से चिपक चुकी थी।

सोनल जितनी जल्दी-जल्दी हो सका अपनी कार के करीब पहुँची। सोनल को उसके आसपास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था। सोनल ने देखा कि उसकी वो अकेली ही कार पार्किंग लॉट के इस हिस्से में थी और वहाँ घना अँधेरा छाया हुआ था। बारिश एकदम ज़ोरों से बरस रही थी। सोनल कॉर्नर पे मुड़ी और अपनी कार के करीब आ के अपनी पर्स में से चाबी निकालने लगी। अचानक किसी ने उसे एक जोर का धक्का लगाया और सोनल अपनी कार के सामने जा टकराई।

हिलना मत कुत्तिया!

उसे महसूस हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म उसे उसकी कार की तरफ़ पुश कर रहा था। उसका पुश करने का ज़ोर इतना ताकतवर था कि उसने सोनल के फेफड़ों से सारी हवा निकाल दी थी जिसकी वजह से सोनल चिल्ला भी ना सकी। सोनल एक दम घबरा गयी। बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आसपास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था और जहाँ सोनल की कार खड़ी हुई थी वहाँ उसे कोई देख नहीं सकता था। वो आदमी सोनल को हर जगह छूने लगा। उसके हाथ बेहद मजबूत थे... जैसे लोहे के बने हों। उसने सोनल की टीशर्ट खींच के उप्पेर कर दिया और उसके मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और पहले से टाईट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।

वो गुर्राया। उसकी इस आवाज़ ने जैसे सोनल को बेहोशी में से उठाया हो और सोनल ने भागने की नाकाम कोशिश की। फिर उसने उसके एक मम्मे को छोड़ के सोनल के गीले हो चुके बालों से उसे खींचा।

आआहहहहह...। सोनल जोर से चिल्लाई और सोनल ने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया।

अगर तू ज़िंदा रहना चाहती है तो... ठीक तरह से पेश आ! समझी कुत्तिया... अभी मैं तुझे अपनी तरफ़ धीरे से मोड़ रहा हूँ... अगर ज़रा भी होशियारी दिखायी तो....!!

उसने सोनल को धीरे से अपनी तरफ़ मोड़ा। इस दौरान उसने अपना जिस्म सोनल के जिस्म से सटाय रखा। उसका लंड सोनल के गीले जिस्म को घिस रहा था, और सोनल की चूत में थोड़ी सरसराहट हुई। ऑय कैन नॉट बी टर्नड ऑन बॉय दिस सोनल के जहन में ये सवाल उठा। सोनल ने ऊपर देखा। सोनल ने इस बार उसे पहली बार देखा। वो एक लंबा-चौड़ा और काला आदमी था। उसने अपने जिस्म पर एक पैंट और सर पर टोपी के अलावा कुछ नहीं पहना था। उसका कसरती जिस्म सोनल को किसी बॉडी-बिल्डर की याद दिला गया। वो एकदम काला और डरावना था और ऐसी अँधेरी रात में उसे सिर्फ़ उसकी आँखें और उसके काले जिस्म पे दौड़ती हुई बारिश की बूँदें ही नज़र आती थी। सोनल डर से थर-थर काँपने लगी। सोनल के इतनी ऊँची हील के सैण्डल पहने होने के बावजूद वो करीबन उससे एक फुट लंबा था। सोनल उससे रहम की भीख माँगने लगी।

प्लीज़... प्लीज़ मुझे मत मारो।

तभी एक जोरदार थप्पड़ सोनल के गाल पे आ गिरा। सोनल को तो ऐसा लगा कि उसे तारे दिख गये। उसने सोनल को उसके बालों से पकड़ कर अपने मुँह तक ऊपर खींचा।

प्लीज़ मुझे जाने दो...। मैं तुम्हें जो चाहो वो दे दूँगी... देखो मेरे पर्स में पैसे हैं... तुम वो सारे के सारे ले लो... सोनल गिड़गिड़ायी।

वो सोनल के सामने जोर-जोर से हँसने लगा और बोला देख... हरामजादी मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिये... मुझे तो तेरी यह कसी हुई टाईट चूत चाहिये... मैं तेरी इस चूत को ऐसे चोदूँगा कि तू ज़िन्दगी भर किसी दूसरे मर्द का लंड नहीं माँगेगी।

उसकी बातों से सोनल को तो जैसे किसी साँप ने सूँघ लिया हो ऐसी हालत हो गयी। तभी सोनल को खयाल आया कि उसका रेप होने वाला है। सोनल बहुत घबरा गयी थी और उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। बारिश अभी भी पूरे जोरों से बरस रही थी और बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक ने पूरे आसमन को भर लिया था।

सोनल के बाल बारिश की वजह से काफी भीग चुके थे और वो उसके चेहरे को ढक रहे थे। तभी उस काले लंबे चौड़े आदमी ने उसे कार के हुड पे खींचा।

पीछे झुक... पीछे झुक ... हरामजादी! वो गुर्राया।

सोनल ज़रा भी नहीं हिली। वो तिलमिला गया और सोनल के नज़दीक उसके चेहरे के पास आ के एकदम धीरे से लेकिन डरावनी आवाज़ में बोला मैं तेरी हालत इस से भी बदतर बना सकता हूँ... साली राँड! और सोनल को एक धक्का देकर कार के बोनेट पर लिटा दिया। इस के साथ ही उसने अपना हाथ सोनल की जीन्स के अंदर उसकी फ़ैली हुई जाँघों के बीच डाल दिया और झट से उसकी जीन्स को खोलकर नीचे सरका दी और पैंटी फाड़ के खींच निकाली। सोनल की पैंटी के चीरने की आवाज़ बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच अँधेरी रात में दब गयी। अब वो सोनल की दोनों टाँगों को अपने मजबूत हाथों से पूरे जोर और ताकत से फ़ैला रहा था। कुछ पल के लिए सोनल को लगा कि वो कोई बुरा ख्वाब देख रही है और यह सब उसके साथ नहीं हो रहा है। लेकिन जब वो फिर से गुर्राया तो सोनल जल्दी ही हकीकत में वापस आ गयी।

उसने अब अपना एक हाथ सोनल के पीछे रखा और उसकी कसी हुई गीली चूत में अपनी दो मोटी उँगलियाँ घुसेड़ दी। सोनल फिर चिल्ला उठी लेकिन इस बार भी उसकी चीख बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच दबकर रह गयी। वो जरा भी वक्त गंवाये बिना सोनल की चूत में ज़ोर-ज़ोर से ऊँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। सोनल की चूत में उसके हर एक धक्के से उसके निप्पल और ज्यादा कड़क होने लगे। सोनल की चूत में अपनी उँगलियों के हर एक धक्के के साथ वो गुर्राता था। सोनल का डर उसकी चूत तक नहीं पहुँचा था और उसकी चूत में से रस झड़ने लगा, जैसे कि सोनल की चूत भी उसकी इज़्ज़त लूटने वाले की मदद कर रही थी।

हाय राम ,बेहद दर्द हो रहा है, सोनल ने अपने आप को कहा और अचानक जैसे सोनल सातवें आसमान पे थी। ओहह भगवान नहींईंईंईंईं.... प्लीज़ और सोनल की चूत उसकी उँगलियों के आसपास एकदम टाईट हो गयी। सोनल ने अपनी आँखें बँद कर लीं और उसकी आँखों से आँसू उसके चेहरे पे आ गये। बारिश की ठँडी बूँदों में मिल कर वो बह गये।

वो ज़ोर-ज़ोर से सोनल की गीली चूत में उँगलियाँ अंदर-बाहर कर रहा था। हर दफ़ा जब वो अपनी उँगलियाँ सोनल की चूत के अंदर डालता था तो सोनल इंतेहाई के करीब पहुँच जाती थी। उसकी ताकत लाजवाब थी। हर दफ़ा वो सोनल को उसकी गाँड पकड़ के ऊपर करता था और अपनी उँगलियाँ उसकी गीली चूत में जोर से घुसेड़ता था जो अब चौड़ी हो चुकी थी। सोनल का सर अब चक्कर खा रहा था और सोनल थोड़ी बेहोशी महसूस कर रही थी। उसे पता नहीं था कि वाकय यह उसकी ताकत थी या फिर उसकी मदहोश चूत थी जो बार-बार उसकी गाँड को ऊपर नीचे कर रही थी। सोनल ने काफी चाहा कि ऐसा ना हो।

तभी उसने अपना अँगूठा उसकी क्लिट पे रख कर दबाया। एक झनझनाहट सी हो गयी सोनल के जिस्म में। उसकी चूत की दीवारें सिकुड़ गयीं और सोनल एकदम से झड़ गयी। मस्ती भरा तूफान उसके जिस्म में समा गया। सोनल बहुत शरमिंदगी महसूस करने लगी। कैसे वो अपने आप को ऐसी मस्ती महसूस करवा सकती थी जब वो आदमी उसके साथ जबरदस्ती कर रहा था? सोनल खुद को एक बहुत गंदी और रंडी जैसा महसूस करने लगी। सोनल ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोकना चाहा तो वो उसके सामने देख कर हँसने लगा। वो जानता था कि सोनल झड़ गयी है।

तू एकदम चालू किस्म की लड़की है... क्यों? तू तो राँड से भी बदतर है... है ना? तुझे तो अपने आप पे शरम आनी चाहिए। वो खुद से वासिक़ होते हुए और हँसते हुए बोला। वो हकीकत ही बयान कर रहा था।

सोनल का सर शरम के मारे झुक गया और सोनल ने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया और रोने लगी। झड़ने की वजह से सोनल के जिस्म में अजब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें उसके जिस्म को छेड़ रही थी। ठंडी हवा की वजह से उसका पूरा जिस्म काँप रहा था। सोनल सचमुच उस वक्त एक बाजारू रंडी के मानिन्द लग रही थी। अचानक उसने सोनल को धक्का दिया और उसका हाथ पकड़ के उसे घुटनों के बल बिठा दिया।

अब मेरी बारी है रंडी और तू जानती है मुझे क्या चाहिए... है ना? तू जानती है ना?

सोनल जानती थी वो क्या चाहता था जब उसने सोनल के कंधे पकड़ के उसे घुटनों के बल बिठा दिया था। सोनल का नीचे का होंठ काँपने लगा था। सोनल ने अपने गीले बाल अपने चेहरे से हटाये और शरम से अपना सर हिलाया। सोनल का दिमाग ना कह रहा था लेकिन उसका दिल उसे देखने को बेताब था। जब सोनल अपने घुटनों पे थी तब सोनल ने अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और खामोशी से खुद को जाने देने की फरियाद की। पर जब सोनल ने उसकी आँखों में देखा तब उसे एहसास हो गया कि उसे जो चाहिए वो मिलने से पहले वो उसे नहीं जाने देगा।

जब सोनल ने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो उसके हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। सोनल ने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड सोनल के सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था... तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था... शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे कि ग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम सोनल ने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।

तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड... सीखोगी ना? उसने सोनल से पूछा।

सोनल घबरा गयी थी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर लेकिन फिर भी उसके लंड की कशीश उसे अपनी ओर खींच रही थी। ज़ोरों की बारिश की वजह से सोनल के कपड़े उसके जिस्म से चिपक गये थे और सोनल के मम्मों का शेप एकदम साफ़ नज़र आ रहा थ। ब्रा भी मेरी टाईट हुए निप्पलों को नहीं ढक पा रही थी। सोनल बारिश की बूँदों को उसके लंड के ऊपर गिरते हुए देख रही थी। इतना ठंडा पानी गिरने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह तना हुआ था। सोनल को एसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और उसके आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो। उसके लंड का मोटा सुपाड़ा सोनल के चेहरे से सिर्फ़ तीन इन्च की दूरी पर था।

उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से सोनल तो जैसे बेखुद सी हो गयी थी। सोनल की जीभ अचानक ही उसके मुँह से बाहर आ गयी और उसके नीचे वाले होंठ पे फिरने लगी। सोनल काफी घबराई हुई और कनफ़्यूज़्ड थी। सोनल का दिल कह रहा था कि वो उसके मोटे लंड को चूस ले पर दिमाग कह रहा था कि वो अपने इस हाल पे रोना शुरू करे।

अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए वो बोला ए राँड चल जल्दी मेरा लंड चूस... देख अगर तूने अच्छी तरह चूस के मुझे खुश कर दिया तो मैं तुझे तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डाले बिना ही छोड़ दूँगा। अगर तू यह चाहती है कि मेरा यह लंड तेरी कसी हुई चूत को फाड़ के भोंसड़ा ना बनाये तो अच्छी तरह से मेरा लंड चूस... वरना भगवान कसम मैं तेरी चूत को चोद-चोद के उसका ऐसा भोंसड़ा बना दूँगा कि तू एक महीने तक ठीक तरह से चल भी नहीं पायेगी।

सोनल तो उसके एक-एक अल्फाज़ को सुन कर सन्न रह गयी। उसका लंड बेहद बड़ा और खतरनाक नज़र आ रहा था। उसे तो यह भी पता नहीं था कि वो उसके लंड का सुपाड़ा भी अपने मुँह में ले पायगी भी कि नहीं। उसके लंड को देखते हुए सोनल सोचने लगी कि मैं क्या करूँ या ना करूँ।
एक दो पल के लिए उसने जो कहा सोनल उसके बारे में सोचने के लिए ठहरी कि अचानक उसने थाड़ से सोनल के गाल पे अपने पथरीले हाथ से फटकारा। सोनल को तो जैसे दिन में तारे दिख गये हों, ऐसी हालत हो गयी।

चूसना शुरू कर.... रंडी.. साली मादरचोद मेरे पास पूरी रात नहीं है!

उसका लंड उसकी कसी हुई चूत को फाड़ रहा है... वही सीन सोच के सोनल डर गयी और साथ-साथ उत्तेजित भी हो गयी। पर आखिर में जीत डर की ही हुई। सोनल ने फ़ैसला कर लिया कि कुछ भी हो, वो अपने जिस्म को और मुश्किल में नहीं डालेगी और उसका लंड चूस देगी। सोनल ने जल्दी से उसके लंड को निचले सीरे से पकड़ा। वो बारिश की वजह से एकदम गीला हो चुका था लेकिन जैसा पहले बताया कि बारिश के ठंडे पानी का उसके लंड पर कोई असर नहीं था। वो चट्टान की तरह तना हुआ और फौलाद की तरह गरम था। सोनल ने धीरे-धीरे अपनी जीभ बाहर निकाल के उसके लंड के सुपाड़े के ऊपर फ़िराना शुरू किया।

मम्म्म्म्म... वाह वाह मेरी राँड वाह... डाल ले इसे अपने मुँह में... डाल साली राँड डाल

सोनल ने जितना हो सके अपना मुँह उतना फ़ैला के उसके लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में डाल दिया और धीरे-धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया। उसके लंड के सुपाड़े ने उसका पूरा मुँह भर दिया था। उसने अपना सर थोड़ा पीछे की तरफ़ झुकाया और सोनल के गीले बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा।

वाह...वाह मेरी रंडी.... बहुत खूब... चूस इसे... चूस मेरा लंड आहहहह... तू तो बहुत चुदासी लगती है... आहहह... बहुतों के लंड लिए लगते हैं तूने... उम्म्म्म वो गुर्राया।
Reply
08-27-2019, 01:40 PM,
#87
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
उसकी हवस अब सोनल के जिस्म में उतर कर दौड़ने लगी थी। उसका लंड चूसने की चाहत ने सोनल की हवस को छेड़ दिया था। सोनल के जिस्म में उसकी ताक़त सैलाब बन के दौड़ने लगी। इस मोड़ पे सोनल को उसका लंड चूसने की बेहद आरज़ू होने लगी थी और अब वो उसका लंड बहुत बेसब्री से चूसना चाहती थी। पता नहीं कि सोनल जल्दी निपटा के उससे छुटकारा पाना चाहती थी या यह उसकी हवस थी जो उसे ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी। सोनल फिर से कनफ़्यूज़ हो गयी और खुद की नज़रों में फिर से गिर गयी।

धीरे से सोनल ने उसके लंड को अपने मुँह में और अंदर घुसेड़ लिया और उसके कुल्हों को अपनी तरफ़ खींचा। अभी भी एक मुठ्ठी जितना लंड उसके हाथों में था और तब उसे महसूस हुआ कि उसके लंड का सुपाड़ा उसके गले तक आ गया है। थोड़ा सहारा लेने के लिए सोनल कार तक पीछे हटी। उसने अब सोनल के सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब वो अपना बड़ा सा लंड सोनल के मुँह के अंदर-बाहर करके उसके मुँह को चोदने लगा। अब वो अपने हर एक धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसके हलक के नीचे तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था। उसके दोनों हाथों ने उसके चेहरे को कस के पकड़ रखा था।

आहहह... आहहहह रंडी... ले और ले... और ले... पूरा ले ले मेरा लंड मुँह में... खोल थोड़ा और खोल अपना मुँह साली राँड!

वो अब जोर-जोर से सोनल के मुँह को चोद रहा था। उसके झटकों में तूफ़ानी तेजी थी। हर एक दफा वो अपना लंड सोनल के हलक तक ले जाता था और रूक जाता था और सोनल बौखला जाती थी। कईं बार साँस लेना भी मुश्किल हो जाता था। फिर वो धीरे से अपना लंड वापस खींचता और घुसेड़ देता। सोनल ने उसके लंड को जो कि मानो ऑक्सीज़न कि नली हो, उस तरह से पकड़ के रखा था ताकि उससे उसे ज्यादा घुटन ना हो। सोनल ने उसके लंड को अपनी ज़ुबान और होठों से उक्सा दिया था और अपने होठों और ज़ुबान को एक लंड चूसने में माहिर औरत की तरह से इस्तमाल किया । अचानक उसने सोनल के दोनों हाथ कस के पकड़ के उन्हें हवा में उठा लिया और एक जोर का झटका अपने लंड को दिया। सोनल का सर कार के दरवाज़े से टकराया और उसका लंड सड़ाक से उसके हलक में जा टकराया।

आआआघघहहहह. आआहहह रंडीडीडीडी आज तुझे पता चलेगा कि काले लंड क्या होते हैं! बहुत घिन आती है ना तुझे काले लण्ड से, छोटे लोगो के लण्ड से।
लेकिन सोनल अभी उसकी कोई बात सुनने की हालत में नही थी।
सोनल का पूरा जिस्म एकदम टाईट हो गया। उसकी नाक उसकी झाँटों में घुस चुकी थी जिसकी खुशबू से सोनल मदहोश होती चली जा रही थी और उसके टट्टे उसकी चिन के साथ टकरा रहे थे। उसका पूरा लंड मानो सोनल के मुँह के अंदर था और उसका दो-तिहाई लंड उसके हलक में आ अटका था। सोनल ख्वाब में भी नहीं सोच सकती थी कि कोई इन्सान इतनी बड़ी चीज़ अपने हलक में उतार सकता है। अब वो एक भूखे शेर की तरह अपना लंड सोनल के मुँह के अंदर-बाहर कर रहा था और जितना हो सके उतना ज्यादा अपना लंड सोनल के हलक तक डालने की कोशिश कर रहा था। जब-जब वो अपना लंड सोनल के गले में घुसेड़ता था तब-तब सोनल का सर उसकी कार के दरवाजे से टकराता था।

सोनल जानती थी आगे क्या आनेवाला था और इसके लिए वो खुद ही जिम्मेवार थी। उसके लंड को सोनल के गले तक जाने से कोई नहीं रोक सकता था। तेज़ बारिश में सोनल को सिर्फ़ दो ही आवाज़ें सुनाई दे रही थीं - एक तो उसके सर के कार के दरवाज़े से टकराने की और दूसरी उसके हलक से आने वाली आवाज़ की... जब उसका लंड सोनल के हलक तक पूरा चला जाता था तब की। फिर उसने उसके हाथ छोड़ दिये और सोनल ने मौका गँवाय बगैर उसके लंड को पकड़ लिय। उसने अब अपना लंड उसके हलक तक डालने के बजाय सोनल के मुँह में ही रखा और सोनल को तेज़ी से अपना लंड चूसने को कहा। बारिश अभी भी तेज़ हो रही थी लेकिन सोनल अब ठंडी नहीं थी। सोनल भी गरम हो चुकी थी। सोनल की दो उँगलियाँ अपने आप उसकी चौड़ी हुई चूत से अंदर बाहर हो रही थीं।

सोनल का बर्ताव बिल्कुल एक राँड के जैसा था। उसे मालूम नहीं था वो ऐसा क्यों कर रही थी। वो कैसे किसी अजनबी का लंड चूसते हुए अपनी चूत को सहला सकती है? लेकिन सोनल अपनी चूत को सहलाये बगैर और अपनी उँगलियाँ उसके अंदर बाहर करने से नहीं रोक पा रही थी। सोनल के जहन में यह भी सवाल उठा कि वो क्यों अपनी चूत को सहला रही हूँ जब यह आदमी उसका रेप कर रहा है... और जब वो अपना लंड उसके हलक में डाल चुका है। उसने अब अपने कुल्हों को झटके देना बँद कर दिया था लेकिन उसका पूरा चार्ज सोनल ने खुद ले लिया और उसका लंड तेज़ी से चूसने लगी और जितना हो सके उतना लंड अपने मुँह में लेने लगी। सोनल ने उसकी गीली पैंट को जाँघों से पकड़ा और जितना हो सके उतना उसके लंड को अपने हलक तक लेने लगी... उतना नहीं जितना वो डालता था लेकिन जितना वो खुद ले सकती थी उतना... मानो सोनल ने किसी का लंड पहले लिया हो... उस तरह जैसे कि एक रंडी करती है, उस तरह।

फिर उसने कहा, आहहघघ आहहहघघहह रंडी मैं झड़ने वाला हूँ।

सोनल ने पहले लण्ड ज्यादा नहीं चूसे थे और उसे अपने मुँह में किसी का झड़ना पसंद नहीं था और अब भी वो नहीं चाहती थी कि यह आदमी उसके मुँह में झड़े। वो सोनल के मुँह में झड़नेवाला था, उस खयाल से सोनल बेहद घबरा गयी। सोनल ने अपने मुँह से उसके काले लंड को निकालने की बेहद कोशिश की लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि वो और जोश में आ गया। उसने फिर अपने कुल्हों को झटका और सोनल को उसकी कार के दरवाज़े से सटा दिया और पूरे जोर से अपना काला मोटा और लंबा लंड उसके हलक में सटा दिया और झड़ गया।

आघघहह आघघहह... आआहहह... लेले मेरा रस ले राँड ले मेरा रस ..। और उसका पहला माल सीधा सोनल की हलक से नीचे उतर गया।

सोनल ने काफी कोशिश की कि उसका लंड उसके मुँह से बाहर निकल जाये लेकिन उसकी बे-इंतहा ताकत के सामने सोनल नाकामयाब रही और वो झटके देता गया और उसका रस सोनल के हलक से नीचे उतर गया। उसने अपना पूरा रस झड़ने तक अपना लंड सोनल के हलक में घुसेड़े रखा ताकि उसका जरा भी रस बाहर ना गिरे। खुद मुतमाइन होके उसने थोड़ा ढील छोड़ा और अपना लंड सोनल के हलक से बाहर निकाला। उसके बाद जाके सोनल कुछ साँस ले पायी।

ले साली पी... पी साली मेरा रस... पी राँड मुझे पता है तुझ साली को मज़ा नही आता है लंड चूसने में... लेकिन मेरा लंड चूस के उसका रस पी... पी साली मादरचोद! उसका रस अभी भी उसके लंड से बाहर निकल रहा था। धीरे से उसने अपना ढीला हुआ लंड सोनल के मुँह से निकाला। भगवान कसम, उसका ढीला हुआ लंड भी अभी तक जिनके लण्ड सोनल ने लिए थे उनके तने हुए लंड से बड़ा था। जब उसने अपना लंड निकाला तब सोनल ने चैन की साँस ली। उसके रस ने सोनल के सारे चेहरे को ढक दिया था और ठंडा पानी सोनल के चेहरे से उस रस को धो रहा था। सोनल थक के सिकुड़ कर जमीन पे बैठ गयी।

क्या बात है तुझे मेरा लंड चूसना अच्छा नहीं लगा?

सोनल उसे गुस्सा नहीं करना चाहती थी। इसलिए सोनल ने सिर्फ़ उसकी और देख के अपना सर हिलाया। सोनल ने क्यों उसे हा कहा? उसे नहीं पता कि यह सच था कि नहीं? उसके हलक में बहुत दर्द हो रहा था और उसके रस का ज़ायका अब भी उसकी ज़ुबान पे था। बारिश अभी भी उसी तेज़ी से बरस रही थी। बारिश की बूँदें अब काफी बड़ी हो गयी थी। सोनल ने उसकी और देखा तो वो मुस्कुरा रहा था। सोनल को उसके सफ़ेद दाँतों के सिवा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। सोनल का तो जैसे कोई हॉरर-मूवी देख रही हो ऐसा हाल था।

प्लीज़... क्या मैं अब जा सकती हूँ... सोनल ने काँपते हुए कहा, प्लीज़ मुझे जाने दो। तुमने जो कहा मैंने वो कर दिया है... प्लीज़ अब मुझे जाने दो...!

वो सोनल के सामने देख कर हँस पड़ा। सोनल खुद को काफी बे-इज्जत महसूस करने लगी। उसे ज्यादा शरमिंदगी तो इस बात से हुई कि उसके जिस्म ने उसके हर एक मूव को रिसपॉन्ड किया था। ऐसा क्यों हुआ? सोनल की चूत अभी भी सातवें आसमान के समँदर में झोले खा रही थी और उसके मम्मे अभी तक टाईट थे और निप्पल तो जैसे नोकिले काँटों की जैसे थे।

क्या नाम है तेरा...? उसने पूछा।

सोनल ने सहमी हुई आवाज़ में कहा सोनल!

फिर वो बोला सोनल... बड़ा प्यारा नाम है..और तू तो उससे भी ज्यादा प्यारी है तुझे लगता है मैं तुझे यूँ ही छोड़ दूँगा?

लेकिन तुमने कहा था अगर मैं तुम्हारा लंड चूस दूँगी तो तुम मुझे जाने दोगे! सोनल जल्दी-जल्दी में बोल गयी।



सोनल ने उसके चेहरे के सामने फिर देखा और उसकी नज़र उसके लंड की तरफ दौड़ गयी। सोनल तो एकदम भौंचक्की रह गयी... उसका लंड तो गुब्बारे की तरह तन कर फूल रहा था और एक दो सेकंड के अंदर तो लोहे के बड़े डँडे की तरह टाईट हो गया।

हाय राम! यह अभी खतम नहीं हुआ भागो सोनल,सोनल ने अपने दिल में कहा। अपनी सारी ताकत और हिम्मत समेटे हुए सोनल खड़ी हुई और सोनल ने भागने के लिये कदम बढ़ाया। अचानक उसने सोनल के सर के बालों को पकड़ के उसे अपनी ओर खींचा।

कहाँ जा रही है कुत्तिया सोनल अब तो तू मेरी राँड है... मेरे कहने से पहले तू यहाँ से नहीं जा सकती! वो गुस्से से दहाड़ा।

उसने सोनल की एकदम टाईट चूंचियों को मसलना शुरू कर दिया और देखते-देखते उसकी टीशर्ट को फाड़ दिया और उसके जिस्म से खींच निकला। अब सोनल सिर्फ़ ब्रा में थी जो मुश्किल से उसकी चूंचियों को अपने अंदर समाये हुई थी। सोनल की चूचियों को महसूस करते ही वो तो पागल-सा हो गया और ऐसे मसलने लगा कि जैसे ज़िंदगी में ऐसी चूचियाँ देखी ही ना हों। वो पागलों की तरह सोनल की चूचियों को मसल रहा था और बीच-बीच में वो उसकी निप्पलों को ज़ोर-ज़ोर से पिंच करता था और सोनल के गले के इर्द-गिर्द दाँतों से काटता था। सोनल के जिस्म पे अब सिर्फ़ एक जीन्स थी वो भी कमर के नीचे। ऊपर तो सिर्फ़ ब्रा थी और पैंटी तो पहले ही उस कमीने ने फाड़ के निकाल फेंक दी थी। बारिश के ठंडे पानी में इतनी देर रहने के कारण सोनल के सैंडलों के स्ट्रैप उसके पैरों में काट रहे थे।

कहाँ जा रही थी रंडी... तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था... सोनल रानी... मैं तुझसे कितनी अच्छी तरह से पेश आ रहा था... इस तरह से किसी का शुक्रिया अदा किया जाता है... अब तेरी इस हरकत ने देख मुझे पागल बना दिया है!


फिर उसने सोनल के चेहरे को पकड़ के कार के हूड से पटका।


आआआआआहहहहह सोनल दर्द से मर गयी और उसकी सारी ताकत हवा हो गयी। फिर उसने सोनल को दबोचे हुए ही उसकी टाँगों के बीच में एक लात मार के सोनल की टाँगों को फैला दिया और उसकी जीन्स खींच कर निकाल दी। अब तो सोनल सिर्फ़ ब्रा और हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी उस बरसात में वहाँ खड़ी थी। अभी भी वो सोनल की चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलता जा रहा था और ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसने चूचियों को आज़ाद कर दिया था। सोनल की चूचियाँ एकदम लाल हो के टाईट हो गयी थी... जैसे की वो भी अपने मसले जाने का लुत्फ उठा रही हों। सारी ज़िंदगी में सोनल चूचियाँ किसी ने ऐसे जोर से नहीं मसली थीं। बारिश का ठंडा पानी अब सोनल की खुली हुई गाँड पे गिर रहा था और उसकी गाँड का छेद शायद उसे साफ़ नज़र आ रहा था।

एकदम टाईट गाँड है तेरी... सोनल राँड! लगता है किसी ने आज तक तेरी गाँड ली नहीं तुझे पता है ना सोनल... इसी लिये तू साली ऐसी टाईट जीन्स और यह उँची एड़ी के सैंडल पहनती है?

नहीं नहीं!!! यह सब गलत है... मुझे प्लीज़ जाने दो! सोनल काफी छटपटाई उसकी पकड़ से बाहर निकलने को लेकिन वो बहुत ताकतवर था। उसने सोनल के मम्मों को दबाते हुए उसे फिर अपनी और खींचा। इस बार सोनल को महसूस हुआ कि उसका लंड अब उसकी कमर पे रेंग रहा था और उसके आँड उसकी गाँड को छू रहे थे।

तेरे आशिक़ के पास ऐसा लंड ही नहीं है कि तेरी चूत को शाँत कर सके.. .है ना सोनल? उसकी गरम साँसों ने जो कि सोनल के गले को छू रही थीं, सोनल को भी अंदर से काफ़ी गरम कर दिया था... जो कि एक सीधा पैगाम उसकी चूत को दे रहा था कि ले ले सोनल ले ले।

लेकिन सोनल का दिमाग उसके लंबे और मोटे लंड को देख कर सहम गया था। एक बार फिर से सोनल ने उसकी गिरफ़्त से भागने की नाकाम कोशिश की और साथ ही सोनल ने अपनी टाँग चला कर अपने हाई हील सैंडल से उसके लंड पे वार करने की कोशिश की पर वो पहले ही संभल गया और सोनल के सैंडल के हील की चोट सिर्फ़ उसकी जाँघ पे पड़ी। अपनी जाँघ पे सोनल की हील से पड़ी खरोंच को देख कर वो बहुत गुस्से में आ गया और उसने सोनल के सर को फिर से कार के हुड पे पटका और बोला, सोनल... अगर तूने हिलना बँद नहीं किया तो ऊपर वाले की कसम अबकी बार मैं अपना लंड तेरी इस कच्ची कुँवारी टाईट गाँड में घुसेड़ के उसका कचुम्बर बना दूँगा। अगर तू यह समझती है कि मैं झूठ बोलता हूँ तो अपने आप ही तस्सली कर ले!

सोनल बर्फ़ की तरह उस जगह पे ही जम गयी। कहाँ चाहिये तुझे... चूत में या गाँड में? उसका लंड सोनल की गाँड के छेद को दस्तक दे रहा था।

नहीं नहीं। प्लीज़ मेरी गाँड में मत डालो...! सोनल चिल्लाई।

कहाँ चाहिए बोल ना रंडी चूत में य गाँड में?

नही!! सोनल रो पड़ी। सोनल के आँसू सोनल के गालों पे बहने लगे।

मेरी चूत में... चूत में प्लीज़... मेरी चूत में मेरी चूत में डाल के उसे चोदो सोनल गिड़गिड़ाई। सोनल के होंठ काँप गये उसे यह कहते हुए कि तुम मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। वो अपना लंड सोनल की गाँड से चूत के छेद तक नीचे-ऊपर ऊपर-नीचे कर रहा था। सोनल घबरा गयी थी। उसने फिर से सोनल का सर कस के पकड़ के कार के हुड से दबाके रखा था। एक बार फिर उसने अपने लंड के सुपाड़े को सोनल की गाँड के छेद से दबाया।

सोनल फिर चिल्लाई, प्लीज़... मेरी गाँड नहीं मेरी चूत में डालो!!!

इस दौरान उसने सोनल की चूचियों को कभी नहीं छोड़ा था और वो लगातर उन्हें दबाये जा रहा था। एक सेकँड रुकने के बाद उसने अपने लंड को सोनल की चूत के मुँह पे सटा दिया और एक झटके के साथ उसके अंदर डाल दिया। उसके कुल्हों के झटके ने सोनल के नीचे वाले हिस्से को कार के ऊपर उठा लिया था।

सोनल जोर से चिल्ला उठी। उसने धीरे से फिर अपना लंड सोनल की चूत से निकाला और फिर झटके से डाल दिया। उसने अब सोनल के बाल छोड़ दिये थे और अपना हाथ उसके कुल्हों पे रख दिया था। अब वो एक पागल हैवान की तरह सोनल की चूत के अंदर बाहर अपना लंड पेल रहा था और सोनल उसके हाथों में एक खिलौने की तरह खेली जा रही थी। उसकी आवाज़ें सोनल को सुनाई दे रही थी। वो एक जंगली जानवर की तरह कराहा रहा था। वो ऐसे सोनल की चूत का पूरा लुत्फ़ उठाये जा रहा था जैसे कि ज़िंदगी में पहले चूत चोदी ही ना हो।

आआघहह आहहहघहह कुत्तिया देख मेरा लंड कैसे जा रहा है तेरी चूत में देख वो कैसे फाड़ रहा है तेरी इस चूत को... देख रंडी देख।

सोनल ने बहुत कोशिश की कि उसको अपनी चुदाई में साथ ना दे पर सोनल ने अभी की ज़िंदगी में कभी खुद को इस कदर चुदाई में पूर्ण महसूस नहीं किया था। उसकी चूत ने उसका तमाम लंड खा लिया था और फिर सोनल को महसूस हुआ कि उसकी चूत ने उसे धोखा देना शुरू कर दिया है और उसके लंड के आसपास एक दम सिकुड़ गयी है जैसे कि वो उसे पूरा चूस लेना चाहती हो। चुदाई की मस्ती का पूरा समँदर सोनल के अंदर उमड़ पड़ा था। पता नहीं सोनल के साथ ऐसा क्यों हो रहा था। अब उसने सोनल को कार के बोनेट पे झुका के पूरी लिटा दिया और उसकी रसभरी चौड़ी चूत को तेजी से चोदने लगा। जब भी वो सोनल के अंदर घुसता था तब सोनल की चूत उसके लंड को गिरफ़्त में लेने की कोशिश करती थी और उसके आसपास टाईट हो जाती थी। दोनो के भीगे जिस्मों के आपस में से टकराने ने सोनल को बेहद चुदासी कर दिया था। उसकी आवाज़ अब एक घायल हुए भेड़िये जैसी हो गयी थी, जैसे उसे दर्द हो रहा हो।

मममम..... आआआहहह..... बहुत मज़ा आ रहा है तुझे चोदने में...आहहह सोनल कितनी ही पढ़ी-लिखी आधुनिक दिखने वाली औरतों को चोदा है... आहहह पर तेरे जैसी कोई नहींईंईंईं !!!

वो बड़ी तेज़ रफ़्तार से अपना मोटा काला लंड सोनल की चूत की गहराईयों में पेल रहा था। जब-जब वो अंदर पेलता था सोनल का जिस्म कार के हुड पे ऊपर खिसक जाता था। उसके लंड का भार सोनल की क्लिट को मसल रहा था। सोनल की सूजी हुई क्लिट में अजीब सी चुभन और सेनसेशन थी।

ओहहह नहींईंईंईं आहहहहह... ओहह... ओहहहह भगवांन...!सोनल झड़ने लगी थी और उसकी चूत थरथराने लगी थी। आह हा हाह हाह हाहाह...!

उसे पता चल गया था कि सोनल झड़ चुकी है और वो हँसने लगा।
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08-27-2019, 01:40 PM,
#88
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
मुझे मालूम है तुझ जैसी चुदासी लड़की को बड़े और मोटे लंड बहुत पसँद होते हैं...! हर शहरी आधुनिक लौंडिया को लंड अपनी चूत में लेके अपनी चूत का भोंसड़ा बनाना पसँद होता है.. तू उनसे कोई अलग नहीं है। तू भी सब मॉडर्न लड़कियों की तरह चुदासी है। साली अगर तुम लडकियो को मेरे जैसे देहातियों के तँदुरुस्त लंड मिल जावें तो तुम हमारी राँडें बन के रहो। तुझे तो अपने आप पे शर्म आनी चाहिये रंडी कि मेरे इस लंड के सैलाब में तेरी चूत जो झड़ गयी।

सोनल को खुद से घिन्न आने लगी और दिल ही दिल उसपे बहुत गुस्सा आया कि उसने उसकी चूत चोद के उसे झड़ने पे मजबूर कर दिया। उसने अपना लंड सोनल की चूत में से निकाल के उसकी गाँड पे रख दिया। सोनल तो जैसे नींद से जाग उठी और फिर काँप गयी जब सोनल की गाँड के छेद पे धक्क लगा।

यही तो सवाल था मेरी राँड... तुझे मेरा लंड अपनी चूत में पसँद है या फिर मैं उसका नमूना तेरी इस कसी हुई गाँड को भी दिखाऊँ... बोल कुत्तिया बोल!

नहींईंईंईंईंईं... प्लीईईईईज़ नहीं मेरी गाँड नहीं...!सोनल चिल्लायी।

क्यों साली। टाईट साड़ी और ऊँची हील की सैंडल पहन के बहुत गाँड मटका-मटका के चलती है... ले ना एक बार मेरा मूसल अपनी गाँड में... तेरी गाँड को भी पता चले कि ऐसा मस्त लंड क्या होता है! उसने गुर्रा के कहा।

सोनल उसके सामने काफी गिड़गिड़ायी। वो बेशर्मी से हँसते हुए सोनल के मम्मों को मसलता रहा। सोनल की चूंचियाँ जैसे हिमालय की चोटियों की तरह तन गयी थी। उसने चूचियाँ गरम कर के ऐसी कठोर बना दी थीं कि अगर ब्लाऊज़ पहना होता तो शायद उसके सारे हुक टूट गये होते।

प्लीईईई...ज़ज़ मेरी चूत में डालो अपना काला मोटा लंड प्लीज़ उसे फाड़ दो बना दो उसे भोंसड़ा प्लीज़... लेकिन मेरी गाँड मत मारो। मैं तुम्हारी राँड बनके रहुँगी। तुम कहोगे तो तुम्हारे दोस्तों से भी चुदवाऊँगी लेकिन मेरी गाँड को बख़्श दो... प्लीज़ मेरी चूत को चोदो। मुझे बहुत पसँद है की तुम्हारा लंड मेरी चूत में जाके उसका भोंसड़ा बना दे... प्लीज़ मुझे अपने लंड से चोदो... मेरी चूत को चोदो...! सोनल को पता नहीं एक औरत कैसे यह सब कह सकती है किसी अजनबी मर्द को कि वो अपने लंड से उसकी चूत का भोंसड़ा बन दे। पता नहीं उसके मुँह से ये अल्फाज़ कैसे निकल आये... क्या यह सोनल का डर था या फिर उसकी चूत ही थी जो अपील कर रही थी।

बढ़िया मेरी राँड। मैं यही सुनना चाहता था!और उसने एक ही झटके में अपने काले मोटे लंड को सोनल की फुदकती हुई चूत में घुसा दिया। उसके ज़ोरदार झटके ने सोनल की सारी हवा निकाल दी थी। ऐसा लगा कि उसका लंड सीधा सोनल के गर्भाशय को छू रहा हो। वो अब ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। उसके लंड ने सोनल की चूत को एकदम चौड़ा कर दिया था और सोनल की चूत उसके इर्द-गिर्द मियान के जैसे चिपक गयी। उसकी जोरदार चुदाई ने सोनल की चूत को फलक पे पहुँचा दिया था। पुच्च.. पुच.. पुच्च... जैसी आवाज़ें आ रही थीं जब उसका लंड सोनल की चूत से अंदर-बाहर हो रहा था।

आहहहह आहहहह आहहह सोनल मैं अब तेरी चूत को अपने लंड के गाढ़े रस से भरने वाला हूँ! वो गुर्राया।

प्लीईईईईईईज़ ऐसा मत करनाआआआआ मैं तुम्हारा सारा रस पी लूँगी प्लीज़ मेरी चूत में अपना रस मत डालना मैं प्रेगनेंट होना नहीं चाहती हूँ!

उसका लंड अब बिजली कि तरह सोनल की चुत के अंदर-बाहर हो रहा था और जोर-जोर से अवाज़े निकालता था। सोनल की चूत अपने चूत-रस से एक दम गीली हो गयी थी और क्लिट तो मानो सूज के लाल-लाल हो गयी थी। सोनल की चूत-रस चू कर उसकी जाँघों पे बह रहा था और बारिश के पानी में मिल रहा था। अब उसने सोनल को उसके बालों से खींच के कार के हुड से नीचे उतारा और अपने सामने खड़ा कर दिया। सोनल अपने आप ही उसके कुल्हों को अपनी और खींच रही थी और उसे झटके दे रही थी।

आहहहह... आहहह और तेज... और तेज सोनल... और तेज चोद मुझे... और तेज!

सोनल जैसा वो कह रहा था वैसा करने लगी और एक राँड की तरह झटके देने लगी। सोनल को खुद पे बेहद शर्म आने लगी थी। मैं एक राँड बन गयी थी... उसकी राँड, मैं क्यों नहीं रूकी,मैं रुकना नहीं चाहती थी। सोनल मन मे सोचती है।

मैं अब झड़ने वाला हूँउँउँ छिनाल मैं तेरी चूत में झड़ने वाला हूँ मेरे साथ तू भी झड़ जाआआआ...!

उसने कस के अपना एक हाथ सोनल की कमर में डाल के एक जोर का झटका दिया और उसका लंड जैसे कि सोनल के गर्भाशय तक पहुँच गया।

आआआहह... आआआहहह...!वो चिल्लाया और उसे थोड़ा सा पीछे ठेल के उसकी गाँड कार के बोनेट पे टिका दी।

जब उसने अपने रस की पहली धार सोनल की चूत की गहराई में छोड़ दी तो उसकी पहली धार के साथ ही सोनल भी झड़ गयी। आआआहहहह.... आआआघहह..ओहहह... नहींईंईंईं...! सोनल की चूत उसके लंड के आसपास एकदम सिकुड़ गयी। उसके लंड-रस की दूसरी धार भी सोनल को अपनी चूत के अंदर महसूस हुई।

जब उसका लंड अपने रस से सोनल की भूखी चूत को भर रहा था,तब वो जोर-जोर से दहाड़ रहा था और चिल्ला रहा था। वो लगातार अपना रस सोनल की चूत में डाल रहा था। सोनल की टाँगों में ज़रा भी ताकत नहीं बची थी और सोनल अब बोनेट पे टीकी हुई थी। सोनल की टाँगें और बाहें हवा में झूला खा रही थीं और उसका मोटा काला लंड सोनल की चूत में अपना रस भर रहा था। वो आखिरी बार दहाड़ा और सोनल के ऊपर हाँफते हुए गिर गया। वो वहाँ बोनेट पे सोनल के ऊपर उसी हालत में कुछ पल पड़ा रहा और उसका लंड धीरे-धीरे सोनल की चूत में से अपने आप बाहर आने लगा। उसका गरम-गरम लंड-रस उसकी चूत में से बह कर बाहर टपक रहा था।

मममम.... सच मुच साली तू सबसे चुदास निकली... तेरे जैसी कई लड़कियों को चोदा है लेकिन तेरे जितना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया...! वो हँसते हुए कहता गया और अपनी पैंट पहन के सोनल को नंगी हालत में छोड़ के चल दिया।

सोनल ने तब अपने कपड़ों की खोज की। टीशर्ट और पैंटी के तो उसने पहनने लायक ही नहीं छोड़ा था, फट कर चिथड़े ही हो गये थे। सोनल ने अपनी बरसात में भीगी हुई जीन्स पहनी और फिर किसी तरह गीली ब्रा पहनी। चूत तो अंदर नंगी ही रह गयी थी पैंटी के बिना। फिर अपनी फटी टीशर्ट को सीने पे ले आयी। नीचे तो सिर्फ़ ब्रा थी। फिर कार मे बैठ के चल पड़ी। अच्छी बात यह थी कि उस दिन घर में कोई जग नहीं रहा था। इसी लिए किसी ने सोनल को उस हालत मे नहीं देखा और किसी को उसके रेप के बारे में कुछ पता भी ना चला।
सोनल जैसे तैसे अपने कमरे में घुसी और सीधे बाथरूम में चली गयी, और शावर से अपने को साफ किया और न्नगी ही आकर बिस्तर पर लेट गयी।
सोनल लेते लेटे अभी हुई घटना को सोचने लगी कोन था वो कहा से आया और अचानक उष्को चोद कर चला गया। सोनल सोच रही थी कि उसका रैप हुआ या वो खुद चुद कर आई है।

सोनल अगले दिन सुबह जब उठती है तो उसे उसका शरीर खिला खिला महसूस होता है, शरीर मे ये तब्दीली उसे अपनी पहली चुदाई के बाद भी महसूस नही हुई थी। रात का मंजर याद करते ही उसकी चुत में फिर से पानी चुने लगा था, उसका मन कर रहा था कि रात वाला शख्स उसे फिर से दबोच ले और उसकी चुदाई कर दे।
सोनल फ्रेश होती है और बाहर हाल आती है, रवि और आरती उसे डाइनिग टेबल पर बैठे मिलते है, वो दोनो को गुड़ मॉर्निंग विश करती है और टेबल पर बैठ जाती है।
आज सोनल का मूड काफी अच्छा था, वो बहुत ही अच्छे तरीके से आरती के साथ भी बात कर रही थी।आरती सोच रही थी कि शायद सोनल उस वाक्य के बाद अब उससे बात नही करेगी लेकिन अभी जैसे सोनल आरती के साथ बात की उझसे आरती को बहुत खुशी हुई।
घर का माहौल फिर से नार्मल हो रहा था, रवि भी खुश था। तीनो ने नास्ता किया और रवि और सोनल शोरूम और स्कूल के लिए निकल गए।
सोनल स्कूल खत्म होते ही शोरूम पहुचती है। सोनल शाम को जानभुझ कर लेट होती है, और देरी से शोरूम से निकलती है। आज भी उसे पार्किंग साइट सुनसान मिलत्ती है। सोनल धीरे धीरे चारो तरफ देखते हुए आगे बढ़ रही थी। सोनल को लग रहा था कि कल की तरह आज भी वो आदमी जरूर आएगा।
सोनल पार्किंग में उस कोने में पहुच जाती है जहाँ काल उसका रेप मतलब चुदाई हुई थी। आज भी सोनल ने वही कार पार्क की थी। सोनल वहा अपनी कार के पास वेट करती है, लेकिन उसे कोई नही दिखता। कुछ देर बाद सोनल वहा से मयूश होकर निकल जाती है।
सोनल घर पहुचती है, रवि और आरती डिनर करके अपने कमरे में जा चुके थे। जया काकी किचन में ही थी वो सोनल के लिए खाना लगती है, सोनल डिनर करके रूम में चली जाती है।
सोनल अपने रूम में कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करती है। सोनल जैसे ही बिस्तर पर लेटती है तो उसे ऐसे लगता है कि उसका शरीर उझसे कुछ कह रहा है।
उसका शरीर चुदाई मांग रहा था,आजतक कभी भी सोनल को ये महसूस नही हुआ था लेकिन कल के बाद से रह रह कर उसमें शरिर में ये कसक उठ रही थी।
सोनल ऐसे ही पूरे बिस्तर पर करवट पलटते हुए सो जाती है।
कुछ दिन यूँ ही गुजरते रहे। रोज सोनल और आरती एक दूसरे से छेड़छाड़ हंसी मजाक करते।
एक दिन सोनल को शोरूम पर एक लिफाफा मिलता है जिसे कोई उसके लिए काउंटर पर छोड़ कर गया था, उसमे एक पेन ड्राइव और एक लेटर था जिसमे लिखा था कि pendirve की वीडियोस घर जाकर देख लेना और फिर मुझे इस नंबर 09255***** पे काल करना। अगर तुम चाहती हो कि मैं किसी को कुछ ना कहूँ तो जैसे मैं कहता हूँ वैसा ही करो। इसी में तुम्हारी भलाई है।

पहले तो सोनल को बात समझ में नहीं आई कि वो लेटर वाला क्या कह रहा है। लेकिन जब घर आकर वो वीडियोस देखी तो सोनल की आँखें और मुँह हैरत से खुल गए। क्योंकि उसमें उस रोज की चुदाई को रेकार्ड किया हुआ था। वो भी सिर्फ वो सीन थे जिसमें खुद से सोनल लण्ड चूस रही थी और खुद चुत चोदने को बोल रही थी, वीडियो कहि से भी रेप का नही लग रहा था। सोनल ने उस दिए हुये नंबर पे काल की।

सोनल- ह…ह हेल्लो क…क क कौन…

उधर से- कौन?

सोनल- म…मैं सोनल बोल रही हूँ।

उधर- अरे मेरी रंडी… कैसी है? सुना कैसी लगे क्लिप? मजा आया ना?

सोनल- “, प्लीज़्ज़… ऐसे मत कहो…”

उधर से- क्यों ना कहूँ रंडी? तेरी माँ की चूत मारूं साली क्या लण्ड चूस रही हो वीडियो में, इतनी ही आग है तो मुझसे भी भुजवा ले।

सोनल उसकी बात सुनकर कुछ ना बोल पाई। उसे बहुत शरम भी आ रही थी और गुस्सा भी।

अजनबी- अब बोलती क्यों नहीं है रे?

सोनल- जी …

अजनबी- अब सुन रे मेरी रंडी। जो मैं कहूँ तुम को वैसे ही करना होगा। ठीक है?

सोनल ने कुछ जवाब नही दिया।

अजनबी- बोल ना या अपनी रंडी मम्मी से भी पूछकर बता कि वो क्या कहती है?

तभी सोनल एकदम से - ठीक है जैसे आप कहोगे मैं वैसे ही करुगी।

अजनबी- तो फिर ठीक है। कल मै तुझको लेने आऊँगा और तू कल स्कूल से कोई बहाना बनाकर छुट्टी करेगी। ठीक।

सोनल- जी ठीक है।

अजनबी- कल तू सफेद सूट पहनेगी, बिना ब्रा और पैंटी के। और कोई काली चादर ले लेना। और खबरदार कोई चालाकी की तो तुम्हारी ये सारी वीडियोस पब्लिक में बाँट दूँगा।

सोनल- नहीं न…न्नाहीं जैसे आप कहोगे मैं वैसे ही करुगी।

अजनबी- तो फिर ठीक है कल मैं तुझे लेने शाम को 2:00 बजे आऊँगा। घर वालों से क्या कहना है मुझे नहीं पता। और तेरी वापसी कल रात 9:00 होगी। ठीक है?

सोनल- जी ठीक है।

अजनबी- और सुन रंडी। अपनी चूत के बाल अच्छे से साफ कर लेना। नहीं तो तेरे साथ बहुत बुरा करूँगा मैं।

सोनल- जी अच्छा।

अजनबी- अच्छा अब रखता हूँ। मुझे बहुत काम है।

और फोन बंद हो गया।
सोनल भीगी नजरों से अपने आप को आइने में देख रही थी। उसे नहीं पता था कि उसकी थोड़ी सी लापरवाही उसे इस मोड़ पे भी ला सकती है। अगर उस दिन कंपलेन कर दी होती पुलिस में तो आज ये नही होता।

रात को सोनल ने आरती को बता दिया कि मुझे असाइनमेंट मिली है और मुझे शाम को 2:00 बजे स्कूल जाना है और मैं 9:00 बजे तक आऊँगी।
आरती ने ओके कह दिया।

अगले दिन क्या होगा? ये सोच-सोच के सोनल का बुरा हाल था। अगले दिन सोनल ठीक शाम को 1:50 बजे तैयार हो गई। और बड़ी सी चादर ले ली कि आरती ना देख सकें कि उसने क्या पहना हुआ है? अजनबी के कहने के मुताबिक सोनल ने ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी। उसका सूट उसके जिश्म से चिपका हुआ था और उसमें से सोनल का पूरा जिश्म नजर आ रहा था। ठीक 2:00 बजे एक रिक्शेवाले ने आकर दरवाजा खटकाया। सोनल आरती को बाइ बोलकर निकल गई।

यहाँ से सोनल की बर्बादी शुरू हो गई। रिक्शे में बैठते ही रिक्शा वाले ने रिक्शा आगे बढ़ा दिया। सोनल के दिल की धड़कन इतनी तेज थी कि जैसे कोई ट्रेन हो।

थोड़ा आगे जाकर रिक्शावाले ने सोनल से कहा- क्यों रंडी किन सोचों में गुम है?

सोनल उस आआवज को पहचान गयी- “प्लीज़ अंकल, मुझे ऐसे मत बोलो। प्लीज़ मैं आपकी बेटी जैसी हूँ…”

अंकल गुस्से से- चुप कर रंडी… जो पूछा है उसका जवाब दे… जैसे मैंने कहा था वैसे कपड़े पहने हैं?

सोनल सहम कर- ज्ज्ज्ज्जीईईई…

अंकल- हमम्म्मम… अच्छी बात है। मेरी बात इसी तरह मानेगी तो बहुत मजा आएगा तुझे… अब चल अपनी चादर उतारकर एक तरफ रख दे। मैं भी तो देखूं तेरा जलवा?

सोनल ने चुपचाप चादर उतारकर एक तरफ रख दी। अब सोनल सिर्फ़ पतली सी शलवार कमीज में रिक्शा में बैठी हुई थी। रिक्शा वाला अंकल अंकल शहर की बजाए उसे कहीं और लेकर जा रहा था। सोनल का दिल कर रहा था कि शोर मचाये। लेकिन उससे कुछ नहीं होना था। उल्टा सोनल की अपनी बदनामी हो जाती।
करीब 20-25 मिनट बाद दोनो एक छोटे से घर के सामने पहुँच गए जिसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। उसने जाकर दरवाजा खोला और सोनल को अंदर बुला लिया। ये एक 80 मीटर का छोटा सा घर था जिसमें दो कमरे और एक बाथरूम था। उसने सोनल को एक चारपाई पे बिठा दिया और पंखा चालू कर दिया। उसने सोनल को पानी पिलाया तो सोनल के अंदर जैसे एक सकून सा उतर गया। क्योंकि उसे सख़्त प्यास महसूस हो रही थी।

तभी रिक्शा वाला अंकल बोला- देख लड़की, मैं आज तुझे यहाँ चोदने के लिए लाया हूँ, और अगर तुम चुपचाप मेरा साथ दोगी और जैसे मैं कहूँगा वैसे करती रहोगी तो देखना तुम्हें बहुत मजा आएगा। वरना मैं तुम्हारा वो हाल करूँगा कि तुम्हें खुद पे भी रोना आएगा। अब फैसला तुम्हारे हाथ में है। चुपचाप मेरा साथ देना है या?

सोनल बुरी तरह से घबराते हुये- च…चाचा प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ मुझे छोड़ दो… मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। म…मैं आ…आपसे खुद नही कर रही थी उस दिन वो मेरे से जबरदस्ति करवा रहा था आइन्दा ऐसा कुछ नहीं होगा।

वो कहकहा लगाकर हँसने लगा “हाहाहाहाहाहा” काफी देर बाद उसकी हँसी रुकी तो वो घूरते हुये बोला- “देख रंडी, मैं तुझे चोदकर ही रहूंगा। मैंने आज तक तुम जैसी माल नहीं देखा है। मैंने अभी शादी भी नहीं की, क्योंकि मुझे तुम जैसी कोई लड़की मिली ही नहीं। तुम्हारे के लिए बेहतर होगा कि चुपचाप जैसे होता है होने दो…”

सोनल चुपचाप नीचे देखते हुये आँसू बहाने लगी। तभी उसने सोनल को बाजू से पकड़कर खड़ा कर दिया और दूसरे कमरे में ले गया। वहाँ जमीन पे एक पुराना सा गद्दा बिछा हुआ था। उसने अंदर जाते ही टांग मारकर दरवाजा बंद किया और सोनल को खींचकर अपने गले लगा लिया।

तभी उसने सोनल को चूमना शुरू कर दिया, उसके माथे पे, गालों पे, गर्दन पे किस करने लगा। सोनल ना चाहते हुये भी मदहोश होने लगी और उसकी चूचियों के निपल्स भी खड़े होने लगे। तभी उसने सोनल के होंठों पे अपने होंठ रख दिए, और उसके होंठों को वहशियाना तरीके से चूसने और चाटने लगा।

सोनल अपने आस-पास से बेखबर आसमान में उड़ रही थी। अचानक उसने उसकी कमीज को पकड़कर उतारना शुरू कर दिया। सोनल ने उसकी सहूलियत के लिए हाथ ऊपर उठा दिये। उसने उसकी कमीज निकालकर एक तरफ फेंक दी और शलवार भी उतारकर उसे गद्दे पे लिटा दिया।

सोनल इतनी मदहोश थी कि वो जैसे कर रहा था वो वैसे उसका साथ दे रही थी। उसने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ सफर करने लगा। सोनल की छातियों पे पिंक निपल पूरी तरह से खड़े हुये थे। उसने उसकी चूचियों को चूमना शुरू कर दिया। सोनल की हालत और भी खराब होने लगी। उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं। वो उसकी चूचियों को मज़े से चूस और चाट रहा था।

सोनल की चूत में चींटियां सी रेंग रही थीं और अजीब सी बेचैनी हो रही थी। दिल कर रहा था कि कोई चीज जल्द से जल्द उसकी चूत में घुस जाए।

सोनल “चाचा… आआहह… उउफफफ्फ़…” कहकर उनसे लिपटी जा रही थी।

फिर उन्होंने सोनल की चूचियों से नीचे नाभि की तरफ जाना शुरू किया। और उसके पेट और नाभि को चाटने लगे। तभी सोनल की चूत ने पानी छोड़ दिया। बिना चूत को छुये उन्होंने उसे किस्सिंग करते हुये झाड़ दिया था। (यहाँ मैं एक बात कहना चाहूंगी कि चाहे कोई भी लड़की हो। जब कोई मर्द उसको शिद्दत से चूमता है और किस्सिंग और रब्बिंग करता है तो वो झड़ती जरूर है। आजमा कर देख लें।)

सोनल ने उनके सिर को पकड़कर ऊपर उठाया, और उनको बेखुदी में चूमने लगी। उनके चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी। उसे अब कोई झिझक, कोई शरम महसूस नहीं हो रही थी। बलकि रिक्शावाले चाचा पे प्यार आ रहा था। सोनल ने उनको अपनी दोनों टांगों में कसकर दबोच लिया। अभी उन्होंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे। 5 मिनट बाद वो सोनल से अलग हुये और अपने कपड़े उतारने लगे। उनका जिश्म पहलवानों की तरह था क्योंकि वो बहुत मेहनत करते होंगे।

पत्थर की तरह सख़्त जिश्म सोनल देखती रह गई। जैसे ही सोनल ने उनका लण्ड देखा तो उसे ऐसा लगा जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो। उनका लण्ड तनकर खड़ा हो गया था और झटके खा रहा था, 10” इंच लंबा और 4” मोटा होगा। उन्होंने मुश्कुराकर सोनल की तरफ देखा।

रिक्शावाले चाचा बोले- क्यों मेरी रंडी… कैसा लगा मेरा हथियार?

सोनल- चाचा आ…आप्प का लौड़ा तो बहुत ब्ब…ब्बड़ा है।

रिक्शावाले चाचा- हाहाहाहाहा… बड़े लण्ड से ही तो मजा आता है मेरी जान। आज तेरी चूत को मैं इसी से खोलूंगा। उसके बाद रोज तू मेरे लण्ड के लिए मिन्नतें करेगी।
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08-27-2019, 01:40 PM,
#89
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल बहुत ज्यादा घबरा गई इतना लंबा लण्ड देखकर। तभी उसने तेल की बोतल से ढेर सारा तेल सोनल की चूत पे लगाया और अपने लण्ड पर भी। सोनल अपनी खैरियत की दुआयें माँग रही थी और दूसरी तरफ आने वाले पलों को सोचकर उसकी चूत में अजीब सनसनाहट भी हो रही थी। रिक्शावाले चाचा उसकी टांगों में आकर बैठ गए और उसे चूमना शुरू कर दिया और उसकी चूचियां को चाटने लगे। सोनल का जिश्म फिर से गरम होने लगा और उसकी बेचैनी बढ़ने लगी। नीचे उनका लण्ड सोनल की चूत पे रगड़ रहा था। सोनल बेचैन होकर अपनी कमर को उचकाने लगी। उसकी चूत से पानी बह रहा था।

सोनल- उऊहह… म्*म्म्मम… आआअहह… छ्छाचाअ… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… ऊऊऊओह… कर रही थी।

रिक्शावालेचाचा- क्या हुआ मेरी रांड़?

सोनल- “ चाचहा… प्लीज़्ज़… आआअह्ह… कुछ करो…”

रिक्शावालेचाचा- क्या करूँ मैं? चोद दूँ तुझे?

सोनल- हान्न्*न…

रिक्शावालेचाचा- अगर तेरी चूत फट गई तो फिर?

सोनल- कोई बात नहीं, फटने दो। प्लीज़्ज़… इसको अंदर डाल्ल दो।

रिक्शावालेचाचा- तुझे मैं तब चोदूँगा जब तू मेरी रंडी बनेगी।

सोनल- हान्न्*ण… मैं रंडी बनूँगी।

रिक्शावालेचाचा- मैं जिससे बोलूंगा चुदवाएगी?

सोनल- हाआनन्न।

चाचा ने सोनल के होंठों को चूमना शुरू कर दिया। सोनल मदहोशी में उनके होंठों को चूम चाट रही थी। उन्होंने अपना लण्ड सोनल की चूत के छेद पे रखा हुआ था। तभी उन्होंने उसके होंठों को अपने मुँह में भरकर एक जोर का धक्का मारा। उनका लण्ड सोनल की चूत को चीरता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया। सोनल की आँखें बाहर आ गई और सोनल के मुँह से जोर की चीख चाचा के मुँह में ही दब गई। आँखों से आँसू निकलने लगे। ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने मोटा रोड उसकी चूत में घुसा दिया हो।

तभी चाचा ने लण्ड टोपी तक बाहर निकाला, उसके होंठों को छोड़ दिया और पूरे जोर से लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। आवाज बंद हो गई और सोनल बेहोश सी होने लगी। तभी उन्होंने कसकर 3-4 धक्के और लगाये और उनका पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर बच्चेदानी से टकरा गया।

उसका दिमाग़ झन्ना गया और वो बेहोशी से वापस होश में आ गई और जोर से चीख पड़ी। और जोर-जोर से रोने लगी- “आआआह्ह… उउफफफ्फ़… चाचा… आआअह्ह… अम्म्म्मीई। मुझे बचाओ… आआआईई… मैं मर जाऊँगी चाचा… आआअहह… उउइईई…” सोनल की आँखों से आंसू बह रहे थे। चाचा उसकी चूचियां को फिर से चूमने चाटने लगे। सोनल दर्द से कराह रही थी।

रिक्शावालेचाचा- बस मेरी जान हो गया। तूने मेरा पूरा लण्ड ले लिया है। जितना दर्द होना था हो गया। अब मजा लेगी तू सारी ज़िंदगी।

सोनल- चाचाअ… प्लीज़ बाहर निकाल लो। मैं मर जाऊँगी… प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ मुझे छोड़ दो।

लेकिन उनकी गिरफ़्त इतनी सख़्त थी कि सोनल हिल भी नहीं पा रही थी। और केवल उउफफफ्फ़… आआअहह… ऊऊऊओह… करके सिसकारियां ले रही थी। धीरे-धीरे सोनल का दर्द कम होने लगा। और उसकी चूत फिर से गीली होने लगी। सोनल ने अपनी बाहें फिर से चाचा के गिर्द कस लीं।

चाचा को भी पता चल गया कि उसे मजा आ रहा है। उन्होंने आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। वो 2-3 इंच लण्ड बाहर निकालते और फिर से पूरा अंदर डाल देते। जैसे ही उनका लण्ड अंदर आता सोनल के मुँह से आआआह्ह… निकल जाती। उसकी चूत में अभी भी बहुत दर्द था लेकिन उसके साथ मजा भी आ रहा था।
चाचा ने 10 मिनट तक बड़े आराम से चोदा, और सोनल का पानी निकल गया। सोनल उस वक्त आसमान में उड़ रही थी। इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ। सोनल ने चाचा के गिर्द अपनी टांगों को लपेट लिया। वो सोनल को किस करते जा रहे थे और उसे चोदते जा रहे थे। उन्होंने अपनी स्पीड अब बढ़ा दी और अपना आधे से ज्यादा लण्ड निकाल-निकालकर सोनल को चोदने लगे।

5 मिनट बाद सोनल दूसरी बार झड़ गई। सोनल के मुँह से आआअह्ह… चाचा… ऊऊह्ह… उउम्म्म्मम… उउफफफ्फ़… उउईईई माँ आआआआ… ऊऊऊह्ह… और्रर तेज़्ज़्ज़्ज़ की आवाजें निकल रही थीं। और वो उनको चूमे जा रही थी। सोनल को आस-पास का कोई होश नहीं था। सोनल बस मजे में डूबी जा रही थी। दिल चाह रहा था कि ये मजा कभी खतम ना हो। और चाचा भी कहाँ रुक रहे थे। वो एक तजर्बेकार आदमी उसे एक ही आसन में चोदे जा रहे थे।
उनका लण्ड जड़ तक सोनल के अंदर समा रहा था। उसका जिश्म अजीब सी तरंग से भर गया था। सोनल अपनी कमर उठाकर उनका साथ दे रही थी। उन्होंने पूरा 30 मिनट तक सोनल को तेजी से चोदा और उसके अंदर ही झड़ गए। इस बीच सोनल दो बार झड़ी थी। चाचा झड़ने के बाद सोनल के ऊपर गिर कर लंबी-लंबी सांसें लेने लगे।

सोनल उनके बालों में उंगलियां फेर रही थी, और उनके गालों पे किस कर रही थी। उनका जिश्म पशीने से भीग चुका था। 5 मिनट बाद वो सोनल के ऊपर से हटकर बराबर में लेट गए। सोनल के जेहन में एक सुकून सा छा गया और सोनल वैसे ही टांगें फैलाए बेसुध सी लेटी रही। पता नहीं कितनी देर हो गई।

फिर चाचा ने उसे आवाज दी- रंडी सो गई है क्या?

सोनल- उउन्न्नह… क्या हुआ चाचा?

चाचा- क्यों मजा आया?

सोनल को शरम सी आने लगी। सोनल ने चाचा की तरफ देखा और मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया। वो तो मेरी इस अदा पे जैसे खिल गए।

चाचा- रंडी, अभी तो बड़े मजे से चुदवा रही थी। अब शर्मा रही है। उन्होंने सोनल को करवट दिला कर पीछे से चिपका लिया। उनका लण्ड अभी भी आधा-खड़ा होकर उसके चूतरों से टकरा रहा था।
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सोनल को अजीब सी गुदगुदी और शुरूर महसूस हो रहा था। दिल कर रहा था कि बस ऐसे ही पड़ी रहै। अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था। तभी चाचा उठे और उसे अपनी गोद में उठा लिया और उष्को लेकर बाथरूम की तरफ चल दिए। सोनल की आँखें अभी भी बंद थीं। बस जो वो कर रहे थे, सोनल चुपचाप महसूस कर रही थी। उन्होंने उसे गुसलखाने में लेजाकर खड़ा कर दिया, और उसकी टांगें खोलकर चूत को पानी से धोने लगे। उनके हाथ लगाने से ही सोनल की हालत खराब होने लगी।

उसकी चूत साफ करने के बाद चाचा ने उसे पानी का डब्बा दिया और बोले- “चल रंडी अब मेरा लण्ड तू साफ कर जल्दी, फिर तुझे और भी चोदना है। आज तेरी चूत को मैं पूरा खोल दूंगा ताकि आइन्दा तुझे किसी का लण्ड लेने में तकलीफ ना हो…”

सोनल- चाचा, प्लीज़्ज़ मैं नहीं कर सकती साफ। मुझे शरम आ रही है।

चाचा-- “चल अब नाटक बंद कर और जल्दी कर। आज तुझे मैं बहुत चोदूँगा…” और ये कहते हुये चाचा ने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रख दिया। उसपर उसकी चूत का थोड़ा सा खून और थोड़ा सफेद-सफेद पानी अभी भी लगा हुआ था।
सोनल ने पानी डालकर उनके लण्ड को धोना शुरू किया। चाचा ने उसके हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे आगे पीछे करना शुरू कर दिया (जैसे मूठ लगाते हैं), ऐसा करने से उनका लण्ड बिल्कुल साफ हो गया।

फिर चाचा उसे उठाकर वापस कमरे में ले आए और बिस्तर पर लिटा दिया। खुद वो थोड़ी देर के लिए बाहर चले गए।

सोनल वैसे ही नंगी लेटी रही, और छत को देख रही थी। सोनल अपनी ज़िंदगी के पिछले कुछ दिनों के बारे में सोच रही थी कि मैं हसती खेलती जिन्गदी से इस मोड़ पे पहुँच गए हैं कि मुझे एक रिक्सेवाले से चुदवाना पड़ रहा है।

लेकिन दूसरे ही पल एक अजीब सा मजा आने लगा कि इतना जबरदस्त आदमी मिला है चोदने को कि जिसने जिश्म की गर्मी को एकदम से शांत कर दिया है। चूत में भी अजीब सी गुदगुदी शुरू हो गई। सोनल का हाथ अपने आप उसकी चूत पे जा पहुँचा और उस्की सिसकी निकल गई, दर्द और मजे की वजह से। सोनल चाचा के लण्ड को याद करती हुई अपनी चूत को सहलाने लगी।

सोनल के जिश्म की बेकारारी बढ़ने लगी और दिल कर रहा था कि जल्दी से चाचा का लण्ड उसके अंदर आ जाए। और वो फिर से चुदबाए। उसके जिश्म पे उसका इख्तियार नहीं रहा। जेहन में सिर्फ़ एक ही बात थी और वो थी चाचा का मोटा और बड़ा लण्ड।

तभी चाचा घर में दाखिल हो गए, उनके हाथ में एक पैकेट था। वो शायद कुछ खाने के लिए लाए थे। सोनल को देखकर मुश्कुरा दिए। सोनल अभी भी बेशर्मी से अपनी चूत को मसल रही थी। वो उसके नजदीक आ गए और बालों से पकड़कर सिर ऊपर किया और सोनल के होंठों को जोर-जोर से चूसने लगे।

फिर उससे अलग होकर बोले- क्या हुआ रंडी? अपनी चूत क्यों सहला रही है?

सोनल भारी सांसें लेती हुई- “चाचा प्लीज़्ज़ आ जाओ ना मुझे चोद दो। प्लीज़्ज़…”

चाचा- अच्छा चोदूँगा। पहले उठकर कुछ खा ले।

सोनल हाँफते हुये- “नहीं, पहले मुझे चोदो…”

चाचा भी मैदान में आ गए। जल्दी से अपने कपड़े उतारकर अपने लण्ड पे तेल लगा लिए और खुद नीचे लेटकर उसे अपने ऊपर खींच लिया, और बोले- “चल आ जा रंडी, अब मेरे लण्ड की सवारी कर…” उन्होंने लण्ड सोनल की चूत के साथ लगा दिया।
सोनल आहिस्ता-आहिस्ता नीचे होने लगी। ऐसे लग रहा था कि कोई चीज उसे चीर रही है। लण्ड अभी 2-3 इंच ही अंदर गया था की उसे दर्द होने लगा। सोनल चाचा के सीने पे गिर गई और लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। चाचा ने उसके होंठों पे अपने होंठ रखे और उसे कमर से पकड़कर तेज झटका मारा। और उनका आधा लण्ड चुत के अंदर चला गया। सोनल इस झटके से कांप कर रह गई। तभी उन्होंने दो धक्के जोर-जोर से लगाए। और पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
सोनल की आँखों से इस बार फिर दर्द से आँसू बह निकले। चाचा उसकी कमर को सहला रहे थे। उन्होंने उसके होंठों को छोड़ दिया और उसकी कमर और चूतरों को सहलाए जा रहे थे। 5 मिनट में सोनल का दर्द खतम हो गया। और सोनल अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलाने लगी।
चाचा को इस बात का एहसास हो गया। उन्होंने उसकी कमर को अपने हाथों से पकड़कर जरा जोर से हिलाना शुरू कर दिया और अपनी कमर भी हिलाने लगे। एक खूबसूरत लय के साथ दोनों चुदाई का मजा ले रहे थे। उन्होंने उसे 5 मिनट इस तरह से चोदा फिर उसे सीधा करके बिठा दिया। अब सोनल उनके ऊपर बैठी थी और लण्ड पे ऊपर-नीचे हो रही थी।
वो भी अपनी कमर उठा-उठाकर उसे चोद रहे थे। उसकी चूचियां उसके साथ-साथ उछल रही थीं। उन्होंने सोनल की चूचियों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया और साथ-साथ अपनी स्पीड भी तेज़ कर दी। सोनल जैसे सातवें आसमान पे उड़ रही थी। उसे चोदते हुई उनको 20 मिनट हो चुके थे और सोनल दो बार झड़ चुकी थी कि अचानक वो भी उठकर बैठ गए।
अब स्थिति ये थी कि सोनल उनके सीने से चिपकी उनकी गोद में बैठी थी।सोनल ने उनके गिर्द अपनी बाहें कस लीं और अपनी टांगों को उनकी कमर के गिर्द लपेट लिया। इस आसन में उनका लण्ड सोनल की चूत के अंदर तक चोट करता था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ उसे चोदते रहे।
सोनल की चूत के दाने (क्लिट) को बहुत ज्यादा रगड़ लग रही थी इस आसन में और सोनल ऊऊह्ह… आआआह्ह… चाचाआअ… आआअह्ह… उउम्म्म्मम… सस्स्स्स्सस्स… ऐसे ही चोदो… आआआह्ह… करती जा रही थी और उनकी कमर सहलाए जा रही थी। तभी उन्होंने सोनल को पीछे ढकेला और उसकी टांगें अपने कंधे पे रखकर तेज़-तेज़ शाट लगाने लगे।
कमरे में पच-पच छाप-छाप, पच-पच की आवाजें गूँज रही थी। सोनल को ऐसे लग रहा था के जैसे उसका पेशाब निकलने वाला है।
सोनल चाचा से बोली- चाचाआअ… रुको… आआअह्ह… म्*म्म्ममेरा निकलने वाला… हैई।
चाचा ने उसकी बात सुने बगैर तेज झटके लगाने जारी रखे। कमरे में जैसे तूफान आ गया था- पक्ककच… पक्ककच… छप्प्प… छप्प्प के साथ उसकी आआह्ह… ऊऊह्ह… चाचाआअ… ऊऊह्ह… सस्स्स्स्सस्स… म्*म्म्मम… आआआह्ह… की आवाजें गूँज रही थीं। तभी सोनल की चूत से फौवारे की तरह पानी निकला और चाचा ने और भी तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए।
सोनल का जिश्म कँपने लगा, और मजा इतना था कि उससे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था। सोनल की आँखों से भी आँसू निकल पड़े और सोनल फूट-फूट कर रोने लगी। दिमाग बिल्कुल सुन्न पड़ गया। तभी चाचा ने उसके अंदर अपना पानी छोड़ दिया। उसकी चूत से अभी भी पानी निकल रहा था और उसके साथ ही सोनल का पेशाब भी निकल गया, और सोनल बुरी तरह छटपटा रही थी।
सोनल जैसे पूरे बिस्तर पे उछल रही थी। चाचा ने किसी तरह उसपर काबू किया हुआ था। लेकिन उसकी ये हालत थी कि उनके हाथों से फिसलती जा रही थी। आँखें बंद और मुँह से ऊऊऊह्ह… हहाईयईई… आआअह्ह… की आवाजें निकल रही थीं।
5 मिनट बाद सोनल का जिश्म कुछ शांत हुआ। लेकिन अभी भी बहुत कंपकंपी थी। उसके दाँत बज रहे थे और सोनल एक ज़िंदा लाश की तरह बिस्तर पर पड़ी हुई थी। चूत से अभी भी पानी निकलकर बिस्तर की चादर को गीला कर रहा था। चाचा उसके ऊपर से हट गए और उसके लिए एक ग्लास ठंडा पानी लेकर आए। उन्होंने सोनल को सहारा देकर बिठाया और पानी पिलाया। ठंडा-ठंडा पानी पीते ही उसके जिश्म में जैसे ताकत वापस आने लगी।
आलमोस्ट आधे घंटे बाद सोनल ने अपनी आँखें खोली और बड़ी रूमानी नजरों से रिक्शावाले चाचा को देखा। जो उसके साथ ही बैठे थे और उसके बालों को सहला रहे थे।
चाचा- “क्यों मजा आया मेरी रंडी? देख तूने तो मूत भी दिया। मेरा सारा बिस्तर खराब कर दिया। देख जरा…”
सोनल शरम से लाल हो गई। चाचा को बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उनके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी।
चाचा ने उसे खुद से अलग करके बिस्तर पर लिटा दिया। सोनल इतनी थक चुकी थी कि फौरन इसे नींद आ गई। तकरीबन 3 घंटे बाद सोनल की आँख खुली।
चाचा ने उसे खाना खिलाया, और उसके बाद चुदाई का तीसरा दौर शुरू हुआ। इस बार चाचा ने सोनल को रुक-रुक कर शाम 7:00 बजे तक चोदा। इस बार सोनल को पहले से ज्यादा मजा आया। क्योंकि सोनल की चूत को लण्ड की आदत पड़ चुकी थी।

इस बार उसे जरा भी दर्द नहीं हुआ और खूब मजा लिया। शाम को 7:00 बजे चाचा उसके मम्मों पे झड़ गये।
फिर उन्होंने सोनल को टहलाया ताकि वो ठीक से चल सके और उसे देखकर किसी को शक ना हो। उष्को दर्द कम करने और प्रेग्नेन्सी से बचने की गोलियां भी खिलाई, और चूत की सिकाई भी की। रात को ठीक 8:45 बजे सोनल घर पहुँच गई।



सोनल इतनी थक गई थी कि कमरे में जाकर फ्रेश हुई और बिना खाना खाए सो गई। बहुत चैन की नींद आई।

दूसरे दिन सोनल के उठते ही उसका शरीर फिर चुदाई की मांग करने लगा। सोनल को कुछ समझ ही नही आ रहा था कि उसके साथ ये सब क्यो हो रहा है। सोनल फटाफट उठती है और फ्रेश होकर तैयार होकर ही बाहर जाती है, फिर नाश्ता करके सीधे निकल जाती है बिना रवि या आरती से मिले। बाजार आकर रिक्शावाले चाचा को फोन करती है कि उसे आज फिर मिलना है उससे।
और ऑटो करके चाचा के घर के लिए निकल गई।
घर में घुसते ही सोनल उनसे चिपक गई और किस करने लगी। क्योंकि सारा रास्ता उसकी चूत ने पानी बहाया था और चाचा के लण्ड को याद करते-करते उसमें अजीब सी खुजली हो रही थी।
चाचा ने उसे खुद से अलग किया और कहा- क्या हुआ रांड़? ऐसे क्यों चिपक रही है? गश्ती, तेरी चूत में ज्यादा खुजली है क्या?
सोनल शरम से नीचे देखने लगी। उष्को खुद नहीं पता था कि उसने ऐसा क्यों किया?
चाचा हँसते हुये बोले- चल ठीक है कोई बात नहीं। वैसे भी तूने रंडी बनकर येई काम तो करना है।
सोनल- चाचा प्लीज़्ज़… मैं बस आपसे चुदवाऊँगी।
चाचा- तू हर उस बंदे से चुदवाएगी जिससे मैं कहूँगा। फिकर ना कर, आज तेरी एक और ट्रैनिंग शुरू होगी। चल देर ना कर और अच्छी बच्ची बनकर फौरन नंगी हो जा।
सोनल ने आहिस्ता-आहिस्ता अपने कपड़े उतार दिए। कल सोनल ने इतनी देर चाचा से चुदाई करवाई थी कि अब उसे उनसे इतनी शरम नहीं आ रही थी।
फिर उन्होंने उसे कुतिया की तरह चारों हाथ-पांव पे होने को कहा। सोनल उनकी बात मानकर वैसे ही करती जा रही थी। उन्होंने एक चेन उठाई जिसपे कुत्ते के गले में बाँधने वाला पट्टा लगा हुआ था। उसे सोनल के गले में पहना दिया। फिर वो कमरे की तरफ जाने लगे। सोनल उनके पीछे-पीछे वैसे ही चलती कमरे में दाखिल हो गई और अंदर देखते ही सोनल की आँखें हैरत से फैल गईं।
कमरे में एक आदमी बैठा था जिसको देख कर सोनल की सांस रुक गयी। सोनल अपनी सुध बुध खो बैठी ।
सोनल उसको देखते ही बहुत घबरा गई, और अपने जिश्म को छुपाने की कोशिश करने लगी। सोनल ने खुद को चाचा से छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मजबूती से चेन को पकड़ा हुआ था। सोनल खुद को उनके चुंगल से नहीं निकाल पाई।
चाचा- क्या हुआ रंडी? ज्यादा नखरे नहीं कर… वरना आज तेरी गाण्ड में डंडा घुसा दूँगा और तुझे बिना कपड़ों के घर से निकाल दूंगा। फिर चुदवाती फिरना इलाके वालों से।
सोनल चाचा की धमकी सुनकर डर गई, और जद्दोजहद करना बंद कर दी।
तभी वो आदमी बोला- अरे यार हरिया, ये पटाखा माल मेरी छोटी मालकिन है इसे ऐसे न बोल।
वो आदमी और कोई नही रामु काका था।
सोनल समझ जाती है कि रामु ने ही ये सब रचा है, उझसे बदला लेने को। लेकिन अब वो कुछ कर भी नही साख्ति थी, आज वो खुद अपनी मर्जी से आई थी यहाँ।
चाचा- अबे यार, तुम इसको नही जानते ये अब रंडियों को भी माफ करती है,अब तू बस माल चख के मजे कर।
रामु--साली ने बहुत जुल्म किये है मुझपर आज सबका बदला लूंगा। इसको बहुत बड़ी रण्डी बनाऊंगा। अरे यार हरिया इसको और इसकी सहेली को दोनो को कुटिया बना कर चोदुगा।
हरिया चाचा- अरे यार, तू फिकर ना कर। उसके लिए मैंने अलग से प्लान सोच के रखा है। तू बस आज इस चिड़िया के साथ मजा कर। सच में बहुत गरम माल है।

हरिया ने सोनल को रामु की तरफ जाने का इशारा किया। सोनल को मालूम था कि यहाँ मना करने का कोई मतलब नही है। अगर वो विरोध करेगी तो उससे बुरा सलूक ही होगा। अगर साथ दे तो शायद थोड़ा रहम भी करे ये लोग।
सोनल आहिस्ता-आहिस्ता उसके पास जाने लगी। वो एक कुर्सी पे बैठा हुआ था। आप खुद सोचें कि एक लड़की बिल्कुल नंगी गले में पट्टा और जंजीर और चारों हाथ-पाँव पे चलती हुई आ रही हो तो आस-पास के मर्दों की क्या हालत होगी? येई हाल उन दोनों का था।
जैसे ही सोनल रामु काका के पास आई। उन्होंने उसे बालों से पकड़ा और उसके होंठों को चूमने लगे। उनके मुँह से अजीब सी महक आ रही थी सिगरेट की। इधर हरिया चाचा ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और उसे पीछे से दबोच लिया। अब सिचुयेशन ये थी कि दोनों मर्द सोनल के जिश्म को सहला रहे थे और सोनल के जिश्म की गर्मी बढ़ने लगी। सोनल के दिमाग पे नशा सा छाने लगा।
रामु काका सोनल के होंठों को दीवानों की तरह चाट और चूस रहे थे। जबकि हरिया चाचा ने अब सोनल की चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। जिसका सीधा असर सोनल की चूत पे होने लगा, जो कि तेजी से पानी बहाने लगी। तभी रामु चाचा ने उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया, और सोनल की गर्दन और कान की लोलकी को चूसने चाटने लगे। साथ-साथ वो उसकी गाण्ड को भी सहला रहे थे।
और सोनल मदहोशी में आआआह्ह… ऊऊऊओह… चाचा… आआअह्ह… म्*म्म्मम किए जा रही थी। सोनल की आँखें लज़्ज़त के मारे बंद हो गई थीं।
तभी रामु चाचा ने उसे छोड़ा और नीचे गद्दे पे लिटा दिया। उन्होंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए। सोनल की नजर उनके लण्ड पर पड़ी। बिल्कुल अकड़ा हुआ, डार्क ब्राउन कलर का था और पूरा 8 इंच लंबा और 2½ इंच मोटा होगा। सोनल तो अब हरिया चाचा का इतना बड़ा लण्ड ले चुकी थी इसलिए उसे जरा भी डर महसूस नहीं हुआ। लेकिन एक अजीब सी कैफियत होने लगी कि पता नहीं आगे क्या होगा?
हरिया चाचा ने उसकी टांगें फैलाई और उसकी चूत को चाटने लगे। उनके मुँह से उउम्म्म्मम… और लप-लप शड़प-शड़प की आवाज आ रही थी।
सोनल ने उनके सिर पे हाथ रखकर उनको अपनी चूत पे दबाना शुरू कर दिया। और सोनल आआअह्ह… ऊऊऊह्ह… चाचा की आवाजें निकाल रही थी।
रामु चाचा उसकी चूचियां पर टूट पड़े और उनको चूसने और चाटने लगे।

सोनल को दोहरा मजा मिल रहा था… एक तरफ चूत चटाई और दूसरी तरफ चूची चुसाई। सोनल ने कमर को उचकाना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही सोनल बुरी तरह झड़ गई। हरिया चाचा ने मजे से उसका सारा पानी पी लिया।
सोनल मदहोश सी बिस्तर पे लेटी हुई थी कि तभी…
तभी रामु चाचा कुर्सी पे जाकर बैठ गए। और उसे उसके बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। सोनल को बालों में दर्द तो बहुत हुआ लेकिन सोनल मुँह से कुछ ना बोली। रामु चाचा ने उसके होंठों पे एक किस की और उसे अपने लण्ड की तरफ झुकाना शुरू कर दिया।
सोनल उनका इशारा ना समझ सकी। फिर उन्होंने उसे लण्ड चूसने को कहा। उनके लण्ड के आस-पास हल्के-हल्के बाल थे, और लण्ड बिल्कुल खड़ा हुआ था।
रामु चाचा- चल इसको मुँह में लेकर चूस।
सोनल- चाचा प्लीज़्ज़ मुझसे नहीं होगा।
रामु चाचा- सब काम ही तो तू पहली-पहली बार कर रही है। कोई बात नहीं आज तुझे मैं ट्रेंड कर दूंगा। तू किसी एक्सपर्ट की तरह आइन्दा लण्ड चूसेगी। चल अब इसको किस कर सबसे पहले।
सोनल अपना चेहरा आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के पास ले गई। सोनल को उसमें से अजीब सी महक आ रही थी। उसका जी मतला रहा था कि जैसे उसे अभी उल्टी आ जाएगी। लेकिन सोनल ने हिम्मत करते हुये उनके लण्ड को चूम लिया। उनके लण्ड ने फौरन एक झटका खाया और चाचा के मुँह से एक आआह्ह की आवाज निकली। और उन्होंने सोनल के सिर को दबाकर आगे बढ़ने का इशारा दिया। सोनल ने आहिस्ता-आहिस्ता उनके लण्ड के चारों तरफ किस करना शुरू कर दिया।
और वो आअह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकालने लगे।
तभी चाचा ने उसे अपने लण्ड को मुँह में डालने का कहा।
सोनल ने बिनती भरी नजरों से उनकी तरफ देखा लेकिन उन्होंने सोनल के सिर को पकड़ लिया और अपने लण्ड को उसके होंठों से रगड़ने लगे, और उसके मुँह खोलने का कहा। सोनल ने आहिस्ता-आहिस्ता अपना मुँह खोला तो चाचा ने अपने लण्ड की टोपी उसके मुँह में डाल दी। अजीब सी हालत थी सोनल की। उनका लण्ड मुँह में लिया तो अजीब सा तीखा सा जायका सोनल के मुँह में फैलने लगा। सोनल ने टोफ़्फी की तरह उनके लण्ड की टोपी को चूसना शुरू कर दिया। सोनल को अब उनके लण्ड की बू की आदत पड़ती जा रही थी।
उन्होंने सोनल के चेहरे को पकड़कर अपने लण्ड पर घुमाना शुरू कर दिया। आहिस्ता-आहिस्ता उनका पूरा लण्ड सोनल के मुँह में जाने लगा। और सोनल उनके लण्ड को चूसे जा रही थी।
तभी हरिया ने पीछे से आकर सोनल की चूत पर कुछ चिकना सा लगा दिया। सोनल को नहीं पता कि वो क्या था और हरिया चाचा क्या करने वाले हैं। सोनल बस डागी स्टाइल में खड़ी रामु चाचा के लण्ड को चूसे जा रही थी। तभी उन्होंने कुछ गरम-गरम सोनल की चूत के मुँह पर लगा दिया, और उसको अंदर धकेलने लगे। जी हाँ… वो उसकी चूत के अंदर अपना लण्ड डालने लगे, आहिस्ता-आहिस्ता।
लेकिन उन्होंने अपने लण्ड और उसकी चूत पर तेल लगाया हुआ था (जो सोनल ने बाद में देखा), उसकी वजह से उनका लण्ड काफी आराम से बिल्कुल हल्का सा दर्द देते हुये अंदर जा रहा था। लेकिन ये दर्द बहुत हल्का था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ अपना लण्ड उसकी चूत में डाल रहे थे। 2-3 मिनट बाद उनका पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
अपना पूरा लण्ड अंदर डालकर उन्होंने सोनल की कमर को पकड़कर धक्के लगाने शुरू कर दिये। उसके मुँह में रामु चाचा का लण्ड होने की वजह से उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाज आ रही थी। हरिया चाचा के धक्कों की वजह से रामु चाचा का लण्ड हर झटके पर और ज्यादा सोनल के मुँह में जाने लगा। रामु चाचा ने उसके दोनों बाजू पकड़ रखे थे, और उसका मुँह खुला हुआ था।
सोनल की आँखों में आँसू आ रहे थे, और गले में जलन हो रही थी। उसके मुँह के जबड़े भी दर्द करने लगे थे। सोनल कोशिश कर रही थी कि उनका लण्ड अपने मुँह से निकाल दे लेकिन सोनल बिल्कुल भी हिल नहीं पा रही थी। दो ताकतवर मर्दों के आगे उसकी कहाँ चलती?
हरिया चाचा की स्पीड तेज़ होती जा रही थी। अब कमरे में ठप-ठप… छाप-छाप-छाप… और उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाजें गूँज रही थीं जबकि हरिया चाचा और रामु चाचा के के मुँह से आआआह्ह… उऊह्ह… की आवाजें निकल रही थीं और साथ ही साथ वो लोग उसे रंडी, गश्ती, कुतिया और पता नहीं क्या-क्या गालियां दे रहे थे।
तभी रामु चाचा ने आगे झुक कर अपनी उंगली गीली की और उसकी गाण्ड के छेद पर रखकर अंदर दबाया। उसी वक्त कई काम एक साथ हुये। सबसे पहले सोनल की चूत ने पानी छोड़ दिया जबकि दूसरी ओर रामु चाचा के लण्ड ने उसके मुँह में पिचकारियां छोड़ना शुरू कर दिया।
सोनल उनका लण्ड मुँह से निकालना चाहती थी लेकिन उन्होंने ऐसा होने नहीं दिया। सोनल की आँखों में आँसू आ रहे थे, और सोनल बुरी तरह छटपटा रही थी। तभी हरिया चाचा ने एक जोर का धक्का मारा और रुक गए। जिसके नतीजे में रामु चाचा का लण्ड पूरा का पूरा उसके गले में घुस गया और उनकी गाढ़ी-गाढ़ी मनी सीधा सोनल के गले में उतरने लगी। जबकि हरिया चाचा के लण्ड ने उसकी चूत को भरना शुरू कर दिया।
उसे ऐसे लग रहा था कि जैसे उसकी साँस बंद हो जाएगी। तभी रामु चाचा ने उसका सिर अपने लण्ड से हटा दिया। सोनल जोर-जोर से हाँफ रही थी और अपनी सांसों को संभालने की कोशिश में थी। सोनल के मुँह से लार और रामु चाचा का पानी बह रहा था। थोड़ी देर बाद हरिया चाचा ने उसे छोड़ दिया। सोनल किसी मरगेली छिपकली की तरह ढेर हो गई। उसकी हालत बहुत खराब थी। रामु चाचा ने अपना लण्ड दोबारा उसके मुँह से लगा दिया और साफ करने को बोला। उनके लण्ड पे मेरा थूक, उनकी मनी लगी हुई थी। सोनल ने चाट-चाट के उनका लण्ड साफ कर दिया और अजीब कसैला सा जायका उसके मुँह में घुल गया।
थोड़ी देर में उनकी साँस बहाल हुई। सोनल को अब प्यास महसूस हो रही थी। हरिया चाचा ने मुझे पानी पिलाया तो सोनल के होश बहाल हुये, और सोनल आराम से एक तरफ होकर बैठ गई।
चाचा रामु- यार इसने लण्ड तो ऐसे चूसा है कि जैसे रंडियां चूसती हैं।
रामु चाचा की बात सुनकर हरिया चाचा हँसने लगे जबकि सोनल शरम से सिर झुका कर रह गई।
तभी हरिया चाचा ने उसे कपड़े पहनने का कहा कि उसे घर छोड़ आयेंगे। जब सोनल कपड़े पहनकर तैयार हो गई तो रामु चाचा ने सोनल को अपने गले लगाया और उसे एक लिप-किस की, और अपनी जेब से ₹50 निकालकर उसकी ब्रा के अंदर हाथ घुसाकर उसकी बायीं चूची पे रख दिए।
सोनल ने सवालिया नजरों से उनको देखा तो कहने लगे कि तेरी पहली कमाई रंडी बनने की।
उनकी बात सुनकर सोनल के जिश्म से एक लहर निकलकर चूत तक गई और उसकी चूत से एक बूँद पानी की बाहर निकलकर सलवार में जज़्ब हो गई।
तब रामु चाचा ने कहा- अब मैं अगले हफ्ते आकर तुझे चोदूंगा और पूरे ₹100 दूंगा। बोल चुदवाएगी ना मुझसे रण्डी बनकर?
सोनल की शरम के मारे हालत खराब हो गई थी। सोनल ने अपना सिर हाँ में हिला दिया।

वो एक कहकहा मार के हँसे और कहने लगे- “तू तो पक्की रंडी बन गई है। हाह्हहाह्हहा…”

और फिर हरिया चाचा सोनल को लेकर निकल पड़े और उसकी ट्यूशन के टाइम पे उसे घर छोड़ दिया।

सोनल के दिल में अजीब सी उत्तेजना हो रही थी कि इतना मजा भी होता है इस काम में? और कभी-कभी शर्म महसूस करने लगती कि ये वो क्या कर रही है ? ये सब उसे कहाँ ले जाएगा? उसका अंजाम क्या होगा? कि उसकी मम्मी की चुदाई ने उसे इस कदर गंदी बना दिया है। कोई भी लड़का किस तरह उसे कबूल करेगा?

जबकि दूसरी तरफ चुदाई का नशा महसूस हो रहा था। जिश्म में अजब सी मस्ती भरी थी। दिल कर रहा था कि वो सब उसके साथ दोबारा से हो। अब उसे रामु चाचा या हरिया की काल का बेसब्री से इंतजार था। सोनल अब आरती की मजबूरी जान गई थी, क्यो वो रोकने से भी नही रुक रही थी।
अभी रामु काका घर नही आया था उस दिन से, शायद उसे मालूम था कि जब तक सोनल पूरी तरह से उसके काबू में नही आती है, घर जाना खतरनाक हो सकता है उसके लिए।

सोनल रोज स्कूल जाती और वापस आती लेकिन रामु या हरिया ने कुछ भी नहीं किया। सोनल को इस बात पे बहुत हैरत थी क्योंकि उसे बहुत जरूरत महसूस हो रही थी चुदाई की। दिल कर रहा था कि उनसे चिपक जाऊँ और उनसे चोदने को कहूँ, लेकिन उसे बहुत शरम आ रही थी। आखिर एक इज़्ज़तदार लड़की थी ना। रोज सोनल रात को उंगली करके अपनी आग को ठंडा करने की कोशिश करती लेकिन आग थी की बढ़ती जा रही थी।
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08-27-2019, 01:40 PM,
#90
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
सोनल रात को उठकर दो बार अपनी चड्डी बदलने लगी।

रात को उसे नींद भी नहीं आती, बस करवटें बदलती रहती... और आहें भरते रहती... रात को फिर सोनल ने एक बार पलंग से नीचे उतर कर मुठ्ठ मार ली। पानी निकालकर उसे कुछ राहत सी मिली और उसे नींद भी आ गई।
अगले दिन सब नॉर्मल रहा रवि और सोनल दोनो ओफिस और स्कूल के लिए निकल गए। अभी आरती ने सेक्स से अपना ध्यान हटा लिया था। वो उनदोनो के जाते ही पास के एक मंदिर में चली जाती थी ताकि दोबारा उसके कदम न बहके। वो खुद को अकेले नही रखना चाहती थी, शोरूम या फैक्टरी भी जाना छोड़ दिया क्योंकि वहा जाती तो भोला से टकरा जाती, फिर उसका रुकना मुमकिन नही था, लेकिन होनी को कोन टाल स्का है जो आरती टाल सकती। आज एक जबरदस्त झटका उसके लिए तयारी कर रहा था।
उस दिन आरती मंदिर से जल्दी घर आ गई.

आरती जब घर में आई तो घर में काफ़ी खामोशी थी.
जया और मोनिका कहि नही दिख रही थी।
आरती काफ़ी थकि हुई थी इसलिए वो घर के उपर वाली मंज़िल पर अपने रूम की तरफ चल पड़ी.

ज्यूँ ही आरती अपने रूम के पास पहुँची तो उसे अपने रूम से अजीब सी आवाज़े सुनाई दी. जिस को सुन कर आरती थोड़ी हेरान हुई.

आरती ने कमरे के बंद दरवाज़े को आहिस्ता से हाथ लगाया तो पता चला कि दरवाज़ा तो अंदर से बंद है.

आरती को कुछ शक हुआ कि ज़रूर कोई गड़बड है. उस ने की होल से कमरे के अंदर देखने की कोशिश की पर उसे कुच्छ नज़र नही आया.

इतनी देर में आरती को ख़याल आया कि कमरे के दूसरी तरफ एक खिड़की बनी हुई है.जिस पर एक परदा तो लगा हुआ है मगर वो कभी कभी हवा की वजह से थोड़ा हट जाता है. और अगर वो कोशिश करे तो उस जगह से वो कमरे के अंदर झाँक सकती है.

आरती ने इधर उधर नज़र दौड़ाई तो उसे एक कोने में एक पुरानी कुर्सी पड़ी हुई नज़र आई.

आरती फॉरन गई और उस कुर्सी को कमारे की खिड़की के नीचे रखा और फिर खुद कुर्सी पर चढ़ गई.

ये आरती की खुशकिस्मती थी या फिर बदक़िस्मती कि खिड़की का परदा वाकई थोड़ा सा हटा हुआ था. जिस वजह से आरती को कमरे के अंदर झाँकने का मोका मिल गया.

कमरे में नज़र डालते ही अंदर का मंज़र देख कर आरती की तो जैसे साँसे ही रुक गई.

आरती ने देखा कि कमरे में उस के सुहाग वाले बेड पर उस का पति रवि जया काकी को घोड़ी बना कर पीछे से चोद रहा था.

हालाँकि आरती ने अपने पति की इन हरकतों के बारे में बहुत पहले सुन तो बहुत कुछ रखा था. मगर आज तक वो इन बातों को सुन कर दिल ही दिल में जलती रही थी.

ये हक़ीकत है कि किसी बात या काम के बारे में सुनने और उस उस काम को अपनी आँखों के सामने होता हुआ देखने में बहुत फरक होता है.

इसलिए आज अपनी आँखो के सामने और अपने ही बेड पर जया काकी को अपने पति से चुदवाते हुए देख कर आरती के सबर का पैमाना छलक गया और वो गुस्से से पागल हो गई. खुद यह बुढ़िया को चोद रहा है और उस दिन मुझे शिक्षा दे रहा था।

“रवि ये आप क्या कर रहे हैं” आरती ने गुस्से में फुन्कार्ते हुए रवि को खिड़की से ही पुकारा.

अपनी चोरी पकड़े जाने पर रवि और जया काकी की तो सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गई.और उन दोनो के जिस्मों में से तो जैसे जान ही निकल गई.और उन दोनो ने अपनी चुदाई फॉरन रोक दी.

रवि को तो समझ ही नही आ रहा था कि वो क्या कहे और क्या करे.

“आप दरवाजा खोलिए में अंदर आ कर आप से बात करती हूँ” आरती ये कहती हुई कुर्सी से नीचे उतर कर कमरे की तरफ चल पड़ी.

जितनी देर में आरती चक्कर काट कर कमरे के दरवाज़े पर पहुँची .रवि जया काकी को उस के कपड़े दे कर कमरे से रफू चक्कर कर चुका था.

रवि ने आरती के कमरे में आने के बाद उस से अपने किए की माफी माँगनी चाही.

मगर आरती आज ये सब कुछ अपनी नज़रों के सामने होता देख कर आरती रवि को किसी भी तौर पर माफ़ करने को तैयार नही थी.
रवि बात न बनती देख वहां से खिसक लिया। आज आरती ने जो मंजर देखा उसे देख कर उसकी दबी आग फिर से भड़क गई, उसने ठान लिया कि वो क्यो अपनी इच्छाओं का गला घोटे।
शाम तक आरती अपने कमरे में रहती है और बस दिन की बातों को सोचती रहती है, सोनल शाम को जब स्कूल से वापिश आती है तो आरती हाल में ही बैठी होती है और सोनल उसे उदास और चुपचाप दिखती है।

क्योकी सोनल की नजरें अब रवि में कुछ ओर ही देख रही थी, उसके जिस्म को टटोल रही थी। उसकी नजरें अब अपने पापा रवि में सेक्स ढूंढने लगी थी। सोनल की जवानी अब बल खाने लगी थी,हर समय लण्ड खाने को जी चाहने लगा था। उसकी यह सोच चूत पर असर डाल रही थी, वो बात बात पर गीली हो जाती थी।

स्कूल में भी उसका मन नहीं लगता था, घर में भी गुमसुम सी रहने लगी। कैसे किसी से चुदाई निवेदन किया जाये... बाबा रे! मर जाऊँगी मैं तो... भला क्या कहूँगी उसे... यही सोचती रहती सारा दिन सोनल।

"क्या हुआ बेटी... कोई परेशानी है क्या?" आरती ने गुमसुम देख कर पूछा

"हाँ... नहीं तो... वो स्कूल में कल टेस्ट है...!"

"तो तैयारी नहीं है...?"-- आरती

"नहीं मम्मी... सर दुख रहा है... कैसे पढूँगी?" ---सोनल

"आज तो सो जा... यह सर दर्द की गोली खा लेना... कल की कल देखना।"--- आरती

"अच्छा मम्मी..."

सोनल ने गोली को देखा... उसे एक झटका सा लगा... वो तो नींद गोली थी। आरती ने उसे ये गोली क्यो दी थी... अभी तो आरती ने आप को सुधार लिया था पर अभी गोली क्यों?

मेटासिन काफ़ी थी... पर उसे सर दर्द तो था नहीं, सो सोनल ने उसे रख लिया।

"जरूर खा लेना और ठीक से सो जाना... सर दर्द दूर हो जायेगा..."

सोनल को आश्चर्य हुआ, सोनल ने कमरे में जाकर ठीक से देखा... वो नींद की गोली ही थी। सोनल ने उस गोली को एक तरफ़ रख दिया और आँखें बन्द करके लेट गई। दिल में हरिया का लण्ड उसके शरीर में गुदगुदी मचा रहा था। पता नहीं कितनी देर हो गई। रात को आरती उसके कमरे में आई और उसे ठीक से सुला दिया और चादर ओढ़ा कर लाईट बन्द करके कमरे बन्द करके चली गई। सोनल ने धीरे से चादर हटा दी और उछल कर बाहर आ गई। उसने आरती को उप्पेर जाते देखा,
सोनल मन मे ---- क्या रामु काका वापिश आ गया है, और वो घर मे क्या कर रहा है, जबकि पापा ने उसे मना किया हुआ है।
सोनल उप्पेर कमरे की खिड़की तक पहुचती है।

वहा रामु अपनी लुंगी पहने शायद शराब पी रहा था। उसका यह रूप भी सोनल के सामने आने लगा था। अपना लण्ड मसलते हुये वो धीरे धीरे शराब पी रहा था। सोनल को लगा कि अब वो मुठ्ठ मारेगा।

"उसे नींद की गोली दे दी है... गहरी नींद में सो गई है वो!"

सोनल को उसके कमरे से अपनी मम्मी की आवाज आई। वो अभी तो उसे नजर नहीं आ रही थी।

"बहु ! बस मेरी एक बात मान जाईये... सोनल को एक बार चुदवा दीजिये!"

सोनल का दिल धक से रह गया। सोनल यानि कि इसने अभी तक मम्मी को नही बताया है मेरी चुदाई का। मुझे... ईईईई ईईई... मजा आ गया... ये साला तो मुझे चोदने की बात कर रहा है। सोनल की तो खुशी से बांछें खिल गई। अब साले को देखना... कहाँ जायेगा बच कर बच्चू?

तभी आरती सामने आ गई। वो बस एक ऊपर तक तौलिया लपेटे हुई थी। शायद स्नान करके ऊपर से बस यूं ही तौलिया लपेट लिया था।

"अरे! मम्मी ऐसी दशा में..?"

सोनल को चोदना है तो खुद कोशिश करो... मुझे कैसे पटाया था याद है ना? उसे भी पटा लो..."

"उईईईईई... राम... मैं तो यारां! अब पटी पटाई हूँ... एक बार कोशिश तो कर मेरे राजा...!!! अब खुद नही रोकोगी तुम्हे"

सोनल का दिल बल्लियों उछलने लगा था- अरे हराम जादे मुझसे कहा क्यों नहीं? इसमें मम्मी क्या कर लेगी। इतने दिन से गायब था, अगर पहले आता तो मैं खुद ही चुदवा लेती।

तभी सोनल की धड़कन तेज हो गई। रामु काका ने आरती के तौलिया के नीचे से आरती की गाण्ड को दबा दिया। आरती ने अपनी टांग कुर्सी पर रख दी... ओह्ह्ह तो जनाब ने आरती की गाण्ड में अंगुली ही घुसेड़ दी है।

वो अपनी अंगुली गाण्ड में घुमाने लगा... आरती भी अपनी गाण्ड घुमा घुमा कर आनन्द लेने लगी। तभी आरती का तौलिया उनके शरीर से खिसक कर नीचे फ़र्श पर आ गिरा।

आरती का तराशा हुआ जिस्म... गोरा बदन... ट्यूब लाईट में जैसे चांदी की तरह चमक उठा। उनकी ताजी चूत की फ़ांकें... सच में किसी धारदार हथियार से कम नहीं थी। कैसी सुन्दर सी दरार थी। चिकनी शेव की हुई चूत। उफ़्फ़्फ़! बहुरानी... आप भी ना... अभी किसी घातक बम से कम नहीं हो।

आरती उससे घूम घूम कर बातें कर रही थी। कभी तो वो सोनल की नजरों के सामने आ जाती और कभी आँखों से ओझल हो जाती थी। तभी रामु ने आरती का हाथ पकड़ कर अपने सामने खींच लिया और उनके सुडौल चूतड़ों को दबाने लगा।

उफ़्फ़! आरती ने गजब कर दिया... उन्होंने रामु की लुंगी झटके उतार दी...

"क्यूं राजा! मेरे सामने शर्म आ रही है क्या? अपने लण्ड को क्यूं छुपा रखा है?"

रामु ने मुस्करा कर आरती के दुद्दू अपने मुख में समा लिये और पुच्च पुच्च करके चूसने लगा। आरती धीरे से नीचे बैठ गई और उसका लण्ड सहलाने लगी। आरती उसका लण्ड अपने मुख में लेकर उसे चूसने लगी। सोनल ने तो एक बार अपनी आँखें ही बन्द कर ली। रामु कभी तो आरती के गाल चूमता और कभी उनके बालों को सहलाता।

"जोर से चूसो बहुरानी... उफ़्फ़ बहुत मजा आ रहा है... और कस कर जरा..."

अब आरती जोर जोर से पुच्च की आवाजें निकालने लग गई थी। रामु की तड़प साफ़ नजर आने लगी थी। फिर आरती ने दूसरा गजब कर डाला। आरती उसकी कुर्सी के सामने खड़ी हो गई। अपनी एक टांग उसके दायें और एक टांग रवि के बायें ओर डाल दी। उसका सख्त लण्ड सीधा खड़ा हुआ था। दोनों प्यार से एक दूसरे को निहार रहे थे। आरती उसके तने हुये लण्ड पर बैठने ही वाली थी... उसके दिल से एक आह निकल पड़ी।
सोनल मन मे---- मम्मी प्लीज ये मत करो... प्लीज नहीं ना... पर आरती तो बेशर्मी से उसके लण्ड पर बैठ गई।

मम्मी घुस जायेगा ना... ओह्हो समझती ही नहीं है!!! पर सोनल उसके लण्ड को कीले तरह घुसते देखती ही रह गई... कैसा चीरता हुआ उसकी मम्मी की चूत में घुसता ही जा रहा था। फिर आरती के मुख से एक आनन्द भरी चीख निकल गई।

उफ़्फ़्फ़! कहा था ना घुस जायेगा। पर ये क्या? उसकी मम्मी तो रामु से जोर से अपनी चूत का पूरा जोर लगा कर उससे लिपट गई और और अपनी चूत में लण्ड घुसा कर ऊपर नीचे हिलने लगी। अह्ह्ह! वो चुद रही थी... सामने से रामु आरती की गोल गोल कठोर चूचियाँ मसल मसल कर दबा रहा था। उसका लण्ड बाहर आता हुआ और फिर सररर करके अन्दर घुसता हुआ सोनल के दिल को भी चीरने लगा था। उसकी चूत का पानी निकल कर उसकी टांगों पर बहने लगा था।

आरती तो रामु से जोर से अपनी चूत का पूरा जोर लगा कर उससे लिपट गई और और अपनी चूत में लण्ड घुसा कर ऊपर नीचे हिलने लगी।



आरती को चुदने में बिलकुल शरम नहीं आ रही थी... शायद अपनी जवानी में उन्होंने कईयों से लण्ड खाये होंगे...

तभी आरती उठी और मेज पर अपनी कोहनियाँ टिका कर खड़ी हो गई। उनके सुडौल चूतड़ उभर कर इतराने लगे थे। पहले तो सोनल समझी ही नहीं थी... पर देखा तो लगा छी: छी: उसकी मम्मी कितनी गन्दी है।

रामु ने आरती की गाण्ड खोल कर खूब चाटी। आरती मस्ती से सिसकारियाँ लेने लगी थी। तब रामु का सुपाड़ा आरती की गाण्ड से चिपक गया।
सोनल--जाने मम्मी क्या कर रही हैं? अब क्या गाण्ड में लण्ड घुसवायेंगी...
अरे हाँ... वो यही तो कर रही है...

रामु काका का कड़का कड़क मोटा और गधे जैसा लंड ने आरती की गाण्ड का छल्ला चीर दिया और अन्दर घुस गया। सोनल तो देख कर ही हिल गई। आरती का तो जाने क्या हाल हुआ होगा... इतने छोटे से छल्ले में लण्ड कैसे घुसा होगा... सोनल ने तो अपनी आँखें ही बन्द कर ली। जरूर आरती की तो बैण्ड बज बज गई होगी।

पर जब सोनल ने फिर से देखा तो उसकी आँखें फ़टी रह गई। रामु का लण्ड उसकी मम्मी की गाण्ड में फ़काफ़क चल रहा था। आरती खुशी के मारे आहें भर रही थी... जाने क्या जादू है?

आरती ने तो आज शरम की सारी हदें तोड़ दी... कैसे बेहरम हो कर चुदा रही थी। सोनल का तो बुरा हाल होने लगा था। चूत बुरी तरह से लण्ड खाने को लपलपा रही थी... उसका तन बदन आग होने लगा था... क्या करती। बरबस ही सोनल के कदम कहीं ओर खिंचने लगे।

सोनल वासना की आग में जलने लगी थी। भला बुरा अब कुछ नहीं था। जब उसकी मम्मी ही इतनी बेशरम है तो फिर उसे किससे लज्जा करनी थी। सोनल रामु काका के कमरे के पास आ गयी। एक बार सोनल ने अपने सीने को दबाया एक सिसकारी भरी और रामु के दरवाजे की ओर चल पड़ी।

दरवाजा खुला था, सोनल ने दरवाजा खोल दिया। उसकी नजरों के बिलकुल सामने उसकी मम्मी अपना सर नीचे किये हुये, अपनी आँखें बन्द किये हुये बहुत तन्मयता के साथ अपनी गाण्ड मरवा रही थी... जोर जोर से आहें भर रही थी।

रामु काका ने सोनल को एक बार देखा और सकपका गया। फिर उसने सोनल की हालत देखी तो सब समझ गया। सोनल ने वासना में भरी हुई चूत को दबा कर जैसे ही सिसकी भरी... उसकी मम्मी की तन्द्रा जैसे टूट गई। किसी आशंका से भर कर उन्होंने अपना सर घुमाया। वो सोनल को देख कर जैसे सकते में आ गई। लण्ड गाण्ड में फ़ंसा हुआ... रामु काका तो अब भी अपना लण्ड चला रहा था।

"रामु... बस कर..." आरती की कांपती हुई आवाज आई।

"सॉरी सॉरी मम्मी... प्लीज बुरा मत मानना..." सोनल ने जल्दी से स्थिति सम्हालने की कोशिश की।

आरती का सर शरम से झुक गया। आरती का इस तरह से करना सोनल के दिल को छू गया। शरम के मारे वो सर नहीं उठा पा रही थी। सोनल का दिल भी दया से भर आया... सोनल ने जल्दी से मम्मी का सर अपने सीने से लगा लिया।

"रामु काका प्लीज करते रहो... मेरी मम्मी को इतना सुख दो कि वो स्वर्ग में पहुँच जाये... प्लीज करो ना..."

आरती शायद आत्मग्लानि से भर उठी... उन्होंने रामू को अलग कर दिया। और सर झुका कर अपने कमरे में जाने लगी। सोनल ने रामु को पीछे आने का इशारा किया... आरती नंगी ही बिस्तर पर धम से गिर सी पड़ी।

सोनल भी अपनी मम्मी को बहलाने लगी- मम्मी... सुनो ना... प्लीज मेरी एक बात तो सुन लो...

उन्होंने धीरे से सर उठाया- ...मेरी बच्ची मुझे माफ़ कर देना... मुझसे रहा नहीं गया था...... उफ़्फ़्फ़ मेरी बच्ची तू नहीं जानती... मेरा क्या हाल हो रहा था...

"मम्मी... बुरा ना मानिये... मेरा भी हाल आप जैसा ही है... प्लीज मुझे भी एक बार चुदने की इजाजत दे दीजिये। जवानी है... जोर की आग लग जाती है ना।"

आरती ने सोनल की तरफ़ अविश्वास से देखा... सोनल ने भी सर हिला कर उन्हें विश्वास दिलाया।

"मेरा मन रखने के लिये ऐसा कह रही है ना?"

"मम्मी... तुम भी ना... प्लीज... रामु से कहो न, बस एक बार मुझे भी आपकी तरह से..." सोनल कहते कहते शरमा गई।

आरती मुस्कराने लगी, फिर उन्होने रामु की तरफ़ देखा। उसने धीरे से लण्ड सोनल के मुख की तरफ़ बढ़ा दिया।

"नहीं, छी: छी: यह नहीं करना है..." उसका लाल सुर्ख सुपारा देख कर सोनल एकाएक शरमा गई।

आरती ने मुरझाई हुई सी हंसी से कहा- ...बेटी... कोशिश तो कर... शुरूआत तो यही है...

सोनल ने रामु को देखा... रामु ने जैसे उसका आत्म विश्वास जगाया। उसके बालों पर हाथ घुमाया और लण्ड को उसके मुख में डाल दिया। उसे चूसना नहीं आता था। पर कैसे करके उसे चूसना शुरू कर दिया। तब तक आरती भी सामान्य हो चुकी थी... अपने आपको संयत कर चुकी थी। उन्होंने बिस्तर की चादर अपने ऊपर डाल ली थी।

सोनल ने उसका लण्ड काफ़ी देर तक चूसा... इतना कि उसके गाल के पपोटे दुखने से लगे थे। फिर आरती ने बताया कि लण्ड के सुपारे को ऐसे चूसा कर... जीभ को चिपका चिपका कर रिंग को रगड़ा कर... और...

सोनल ने अपनी मम्मी को चूम लिया। उनके दुद्दू को भी सोनल ने सहलाया।

"मम्मी... लण्ड लेने से दर्द तो नहीं होगा ना... रामु बता ना...?"

"रामु... मेरी बेटी के सामने आज मैं नंगी हो गई हूँ... बेपर्दा हो गई हूँ... अब तो हम दोनों को सामने ही तू चोद सकता है... क्यों हैं ना बेटी... मैं तो बाथरूम में मुठ्ठ मार लूंगी... तुम दोनों चुदाई कर लो।"

रामु ने जल्दी से आरती को दबोच लिया- ...मुठ्ठ मारें आपके दुश्मन... मेरे रहते हुये आप पूरी चुद कर ही जायेंगी।

कह कर रामु ने आरती को उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और वो आरती पर चढ बैठा।

"यह बात हुई ना रामु काका... अब मेरी मम्मी को चोद दे... जरा मस्ती से ना..."

आरती की दोनों टांगें चुदने के लिये स्वत: ही उठने लगी। रामु उसके बीच में समा गया... तब आरती के मुख से एक प्यारी सी चीख निकल पड़ी। सोनल ने अपनी मम्मी के बोबे दबा दिये... उन्हें चूमने लगी... जीभ से जीभ टकरा दी... रामु अब शॉट पर शॉट मार रहा था। आरती ने सोनल के स्तन भी भींच लिये थे। तभी रामु भी सोनल की गाण्ड के गोलों को बारी बारी करके मसलने लगा था। सोनल की धड़कनें तेज हो गई थी। रामु का उसके शरीर पर हाथ डालना मुझे आनन्दित करने लगा था।

आरती उछल उछल कर चुदवा रही थी। अपनी मम्मी को खुशी में लिप्त देख कर सोनल को भी बहुत अच्छा लग रहा था।

"चोद ... चोद मेरे जानू... जोर से दे लौड़ा... हाय रे..."

"मम्मी... लौड़ा नहीं... लण्ड दे... लण्ड..."

"उफ़्फ़... मेरी जान... जरा मस्ती से पेल दे मेरी चूत को... पेल दे रे... उह्ह्ह्ह"

आरती के मुख से अश्लील बाते सुन कर सोनल का मन भी गुदगुदा गया। तभी आरती झड़ने लगी- उह्ह्ह्ह... मैं तो गई मेरे राजा... चोद दिया मुझे तो... हा: हा... उस्स्स्स... मर गई मैं तो राम...

आरती जोर जोर से सांसें भर रही थी। तभी सोनल चीख उठी।

रामु ने आरती को छोड़ कर अपना लण्ड सोनल की चूत में घुसा दिया था।

"मम्मी... रामु काका को देखो तो... उसने लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया..."

आरती तो अभी भी जैसे होश में नहीं थी-...चुद गई रे... उह्ह्ह...

आरती ने अपनी आँखें बन्द कर ली और सांसों को नियन्त्रित करने लगी।

फिर रामु के नीचे सोनल दब चुकी थी। नीचे ही कारपेट पर सोनल पर रामु चढ़ बैठा और उसे चोदने लगा। सोनल ने असीम सुख का अनुभव करते हुये अपनी आँखें मूंद ली... अब किसी से शरमाने की आवश्यकता तो नहीं थी ना... मां तो अभी चुद कर आराम कर रही थी... बेटी तो चुद ही रही थी... सोनल ने आनन्द से भर कर अपनी आंखे मूंद ली और असीम सुख भोगने लगी |
जब रामु कोई जोरदार धक्का लगाता तो थोड़ा दर्द महसूस होता सोनल को पर अब उसका दिल कर रहा था कि रामु ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगाए। उसकी चूत में सरसराहट बढ़ गई थी। लग रहा था कि जैसे कुछ चूत से निकल कर बाहर आने को बेताब हो। अभी कुछ समझ ही नहीं पाई थी कि उसकी चूत से झरना बह निकला। सोनल झड़ रही थी।

सोनल का पूरा शरीर अकड़ रहा था और सोनल ने अपने दोनों हाथो से रामु की कमर को पकड़ लिया था और उसको अपने ऊपर खींच रही थी। दिल कर रहा था कि रामु पूरा का पूरा उसके अंदर समा जाए। इसी खींचतान में रामु की कमर पर उसके नाख़ून गड़ गए।

रामु क्यूंकि अभी नहीं झड़ा था तो वो अब भी पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था। पर सोनल झड़ने के बाद कुछ सुस्त सी हो गई थी। रामु के लण्ड की गर्मी और धक्कों की रगड़ ने उसे जल्दी ही फिर से उत्तेजित कर दिया और सोनल फिर से गाण्ड उठा उठा कर लण्ड अपनी चूत में लेने लगी। फिर तो करीब बीस मिनट तक रामु और सोनल चुदाई का भरपूर मज़ा लेते रहे और फिर दोनों ही एक साथ परमसुख पाने को बेताब हो उठे। रामु का लण्ड भी अब चूत के अंदर ही फूला हुआ महसूस होने लगा था।

रामु के धक्कों की गति भी बढ़ गई थी। तभी सोनल दूसरी बार पूरे जोरदार ढंग से झड़ने लगी। अभी सोनल झड़ने का आनन्द ले ही रही थी कि रामु के लण्ड ने भी उसकी चूत में गर्म गर्म लावा उगलना शुरू कर दिया। कितना गर्म गर्म था रामु का वीर्य। सोनल की पूरी चूत भर दी थी रामु ने। सोनल तो मस्ती के मारे अपने होश में ही नहीं थी, दिल धाड़-धाड़ बज रहा था। सोनल तो जैसे आसमान में उड़ रही थी, भरपूर आनन्द आ रहा था। दिल कर रहा था कि रामु ऐसे ही लण्ड को अंदर डाल कर लेटा रहे।

बाहर अब जोरदार बारिश हो रही थी। अंदर तो भरपूर बारिश हो चुकी थी, चूत भर गई थी। जैसे ही होश आया तो सोनल शर्म के मारे लाल हो गई। रामु ने अपना लण्ड बाहर निकाला और पास पड़े एक कपड़े से साफ़ कर लिया और फिर सोनल को दे दिया चूत साफ़ करने के लिए। सोनल ने भी अपनी चूत साफ़ की। चूत में दर्द हो रहा था। खड़ी होकर सोनल ने अपने कपड़े पहने। तब तक रामु भी कपड़े पहन चुका था। रामु ने सोनल की तरफ देखा तो सोनल भी शरमा कर उसकी बाहों में समा गई।



“तुम बहुत बेदर्द हो!”

लड़खड़ाते कदमो से सोनल बाहर आई तो अभी भी सावन की फुव्वारे मौसम को रंगीन बना रही थी। जब बारिश की बूँदे उसके ऊपर पड़ी तो एक नयी ताजगी सी महसूस हुई
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