RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
* जरा, पानी ले आना.” तुरंत ही उनकी आवाज सुनायी दी.
* जाओ, प्यासे की प्यास बुझाओ.” मेरी जेठानी ने छेडा.
कमरे में पहुंचते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया. उनको छेडते हुये, दरवाजा बंद करते समय, मैने उनको दिखा के शल्वार से छलकते अपने भारी चूतड मटका दिये. फिर क्या था. पीछे आके उन्होने मुझे कस के पकड़ लिया और दोनों हाथों से कस कस के मेरे मम्मे दबाने लगे और उनका पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी मेरी गांड के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, शलवार फाड के घुस जायेगा.
मैने चारों ओर नजर दौड़ायी. कमरे में कुरसी मेज के अलावा कुछ भी नहीं था, कोयी गद्दा भी नहीं की जमीन पे लेट के.
मैं अपने घुटनों के बल पे बैठ गयी और पाजामा के नाडा खोल दिया. फन फ्न कर उनका लंड बाहर आ गया. सुपाड़ा अभी भी खुला था, पहाडी आलू की तरह बड़ा और लाल. मैने पहले तो उसे चूमा और फिर बिना हाथ लगाये, अपने गुलाबी होंठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया धीरे धीरे मैं लाली पाप की तरह उसे चूस रही थी और कुछ ही देर में मेरी जीभ उनके पी होल को छेड रही थी.
उन्होने कस के मेरे सर को पकड़ लिया. अब मेरा एक मेंहदी लगा हाथ उनके लंड के बेस को पकड के हल्के से दबा रहा था और दूसरा उनके बाल्स या अंडकोष को पकड के सहला और दबा रहा था. जोश में आके मेरा सर पकड के वह अपना मोटा लंड अंदर बाहर कर रहे थे. उनका आधे से ज्यादा लंड अब मेरे मुंह में था, सुपाडा हलक पे धक्के मार रहा था. जब मेरी जीभ उनके मोट कडे लंड को सहलाती और मेरे गुलाबी होठों को रगडते, घिसते वो अंदर जाता...खूब मजा आ रहा था मुझे. मैं खूब कस कस के चूस रही थी,
चाट रही थी.
उस कमरे में मुझे चुदायी का कोयी रास्ता तो दिख नहीं रहा था, इसलिये मैने सोचा कि मुख मैथुन कर के ही काम चला लें.
पर उनका इरादा कुछ और ही था.
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