RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
अचानक झटके से उन्होने उंगली की टिप उसकी चूत में घुसेड दी. वो कस के चीख उभ. चुप साल्ली, कस के उन्होने उसकी चूत पे मारा और अपनी चूत उसके मुंह पे रख दी. वो बिचारी मेरी छोटी ननद चीख भी नहीं पायी. ले चाट चूत चाट कस कस के, वो बोलीं और रगडना शुरु कर दिया. मुझे देख के अचरज हुआ की उस साल्ली चूत मरानो मेरी ननद ने। चूत चाटना भी शुरु कर दिया.
वो अपने रंग लगे हाथों से कस के उसकी छोटी चूचीयों को रगड मसल भी रही थीं, कुछ रंगं रगड से चूंचियां एक दम लाल हो गयी थीं. तक हल्की सी धार की आवाज ने ने मेरा ध्यान फिर से चेहरे की ओर खींचा. मैं दंग रह गयी. जेठानी बोल रही थीं, ले पी ननद छिनाल साल्ली होली का शरबत...ले ले एक दम जवानी फूट पडेगी. नमकीन हो जायेगी, ये नमकीन सरबत पी के. एक दम गाढे पीले रंग की मोटी। धार..छर छर ....सीधे उसके मुंह मे. वो छटपटा रही थी लेकिन जेठानी की पकड भी तगडी थी. सीधा उसके मुंह में...जिस रंग का शर्बत मुझे जेठानी ने अपने हाथों से पिलाया था, एक दम उसी रंग का वैसा ही...और उस तरफ देखते समय मुझे ध्यान नहीं रहा की कब दबे पांव मेरी चार गांव की ननदें मेरे पीछे आ गयीं और मुझे पकड़ लिया.
उसमें सबसे तगडी मेरी शादी शुद ननद थी मुझसे थोडी बडी बेला, उसने मेरे दोनो हाथ पकड़े और बाकी ने टांगे फिर गंगा डोली करके घर के पीछे बने एक चबच्चे में डाल दिया. अच्छी तरह डूब गयी मैं रंग में, गाढे रंग के साथ कीचड और ना जाने क्या क्या था उसमें. जब मैं निकलने की कोशिश करती दो चार ननदें उस में जो उतर गयी थीं मुझे फिर धकेल दिया. साडी तो उन छिनालों ने मिल के खींच के उतार ही दी थी. थोड़ी ही देर में मेरे पूरी देह रंग से लथ पथ हो गयी. अब की मैं जब निकली तो बेला ने मुझे पकड़ लिया और हाथ से मेरी पूरी देह में कालिख रगडने लगी.मेरे पास कोयी रंग तो वहां था नही तो मैं अपनी देह ही उस पे रगड़ के अपना रंग उस पे लगाने लगी.
वो बोली, अरे भाभी ठीक से रगडा रगडी करो ना देखो मैं बताती हूँ तुम्हारे ननदोयी कैसे रगड़ते हैं और वो मेरी चूत पे अपनी चूत घिस ने लगी. मैं कौन सी पीछे रहने वाली थी मैंने भी कस के उसकी चूत पे अपनी चूत घिसते हुए बोला, मेरे सैयां और अपने भैया से तो तुमने खुब चुदवाया होगा, अब भौजी का भी मजा ले ले. उसके साथ साथ लेकिन मेरी बाकी ननदें,...आज मुझे समझ में आ गया था की गांव में लड़कियां कैसे इतनी जल्दी जवन हो जाती हैं और उनके चूतड और चूचीयां इतने मस्त हो जाते हैं.
छोटी छोटी ननदें भी कोयी मेरे चूतड मसल रहा था तो कोयी मेरी चूंचिया लाल रंग लेके रगड़ रहा था. थोडी देर तक तो मैने सहा फिर मैने एक की कसी कच्ची चूत में उंगली ठेल दी, चीख पड़ी वो. मौका पा के मैं बाहर निकल आयी लेकिन वहां मेरी बडी ननद दोनो हाथों में रंग लगाये पहले से तैयार खड़ी थीं.
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