Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
11-29-2019, 12:33 PM,
#11
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
मै शनिबार अहमदाबाद पहुच गया. शाम हो गइ थी आने मे. नाना नानी मुझे हर बार की तरह स्माइल के साथ ही स्वागत किया. लेकिन हर बार की तरह माँ वहां दिखाइ नहीं दि. मैं अंदर आके अपना बैग रखा. पर मुझे समझ नहीं आ रहा था की जब यह लोग इतने खुश दिख रहे है तो , जरूर कोई गड़बड़ तो नहीं है घर पर. फिर भी माँ मेरे साथ ऐसे क्यों कर रही है. मेरी कौन सी ग़लती पे माँ मुझ पर नाराज हो गयी!! क्या में उनको अन्जाने में दुःख पहुंचाया!!! यह सब भावनाएं मुझे घेर ने लगी. माँ जनरली घर पर ही रहती है. और आज तो मेरा आने का दिन है. आज तो वह रहती ही है. तोह फिर क्यों वह मेरे से मिलने सामने नहीं आई.
हम सब ड्राइंग रूम के सोफे पे बैठे थे. नानीजी पानी लाक़े दिए पीने के लिए और फिर नाना नानी मेरे से हास् हास् के खुसी के साथ बात कर रही थे. वही सब पुराना टोपीक. मेरा हाल वगेरा पूछते रहे. मैं उनलोगे के सवाल का जवाब दे रहा था छोटी छोटी शब्द मे. क्यूँ की मेरा मन धीरे धीरे जिद्द पकड़ने लगा. अगर सच में अन्जाने में में कोई ग़लती कर भी लिया , तो माँ होकर उनका यह फ़र्ज़ नहीं बनता की वह सामने से आकर अपनी बेटे का वह दोष बतादे.. और चाहे तो जो मर्ज़ी सजा दे. ऐसा न करके वह पूरे हप्ताह मेरे से ठीक से बात भी नही की. और अभी तो वह मेरे सामने भी नही आइ . मेरा दिल उनके लिए जिद्दी होने लगा. मेरा आंख जलने लगी. मैंने सोचा की ठीक है, अगर वह माँ होकर अपनी बेटे के साथ ऐसा बर्ताव कर रही है, तोह में भी उनका बेटा हुण. मैं भी उनसे जाके मिलूँगा नहि, जब तक वह मेरे पास नही आती. मैं भी बहुत जिद्दी हुण. मैं बहुत भावुक बन रहा था. फिर भी में खुद को कण्ट्रोल करके नाना नानी से बात कर रहा था. इन सब बातों के बीच नानाजी मेरे तरफ देख के बोले
" बेटा.. तुमसे कुछ बात करना है." मैं शांति से बोला
" कहिये नानाजी"
उनहोने एक बार नानीजी को देख, फिर मेरे तरफ देख के थोड़ा स्माइल के साथ बोलै
" इतना अर्जेंट भी नहीं है. तुम फ्रेश हो जाओ. खाना वाना खाके आराम से बैठ के बाते करेंगे."
मैं मेरे रूम में जाकर फ्रेश होने लगा. नानाजी न जाने क्या बात करना चाहते है. लेकिन में माँ को लेके ज़ादा चिंतित था. ऐसे ही बहुत सारी चिंता से मन भरी था. कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. दिल बोल रहा था की है तो माँ इसी घर पर ही. दौड़ के जाके उनसे पुछु की क्या मेरा गुनाह है. पर मेरा जिद्द मेरा पैरों को बांध के रखा. मैं एक नया पाजामे और टी- शर्ट पेहेनके जैसे ही बाहर ड्राइंग रूम में आया, तब नानी डिनर के लिए बुलाया.
आज नानाजी और में बैठा. मालूम था की पहले जैसा आज सब कुछ होनेवाला नहीं था. नानी सर्व करने लगी. लेकिन में किचन में माँ की उपस्थिति फील कर रहा था. और एक दो बार तो नानी से बात भी करते हुए सुना. मुझे एक गुस्सा आया. सब तो ठीक ही है. तोह क्या में ही गुन्हेगार हूँ!! और नाना नानी को भी माँ का इस तरह से व्यवहार करना, या इस तरह से मेरे सामने पेश होना, जरूर नज़र आ रहा होगा. फिर भी कोई किसी को कुछ बोल भी नहीं रहा है. खाना खाते खाते सोचा की शायद नानाजी इस बारे में ही कुछ बताने वाले है.

डिनर के बाद नानाजी मुझे टेरेस पे लेके गये. गर्मी का टाइम था. सो टेरेस पे एक अच्छा फील हो रहा था. थोड़ा थोड़ा हवा आ रहा था बीच बीच मे. आस पास का एरिया में ऐसे ही सब प्राइवेट मकान है. और ईस्ट साइड में ,हमारे महल्ले का रास्ता जाकर जहाँ बड़े रास्ते से मिला है, वहां कुछ फ्लैट बिल्डिंग है. बाकि तरफ दूर दूर तक मैदान दिखाइ देता है. उधऱ से हवा आरही है. नानाजी किनारे के तरफ जाकर , टेरेस की फेंसिंग में टेक लगाके एक सिगरेट निकाले. और बोलने लगे " तुम्हारा नानी यहाँ नहीं है अब... तोह ठीक है...." बोलके हॅसने लगे और माचिस निकालकर सिगरेट जला लिये. मैं बोला
" नानाजी...डक्टर आप को स्मोक करने में मना किया है"
उन्होंने एक कस लगाके धुआं छोड़के बोला
" एक आध पिने में कुछ नहीं होता है..."
नानाजी हस्ते हस्ते ऐसे बाते सुनाने लगे. कुछ समय ऐसे ही बीत गया. पर मेरा मन यह सब सुन नहीं रहा था. मुझे बार बार यह चिंता सता रही है की नानाजी आखिर मुझे क्या बताना चाहते है.
ईस सब सोच के बीच नानीजी आवाज़ लगाई. हम नीचे गये. मैं नज़र घुमाके माँ को देख नहीं पाया. किचन में लाइट ऑफ है. माँ शायद डिनर करके अपने रूम में चलि गयी. मुझे बहुत ग़ुस्सा हुआ माँ के उपर. मैंने क्या ग़लती किया की उन्होंने मुझे ऐसे सजा दे रही है. नानाजी मुझे उनके कमरे में आने को कहे. नानीजी भी आ गई. नानाजी आकर दरवाज़ा थोड़ा बंध कर दिया.
मैं बेड के पास रखा कुरसी में बैठा. नाना नानी बेड पे आराम से बैठे. मेरा टेंशन बढ़ रहा है. आखिर क्या कहेंगे, और उस में माँ का क्या ताल्लुक है. यह सब हज़ारों चिंता जब मेरा दिमाग में भीड़ किया तब नानाजी बोलना सुरु किया.
"बेटा...हुम तुम्हारा परवरिश का कोई कमी नहीं रखा है. बचपन से सब कुछ देते आया. और आज तक तुम्हारा सब भावना चिंता हम करते है लेकिन अब तुम बड़े होगये हो. जॉब कर रहे हो. हम को छोड़के दूर जाकर अकेले रहने लगे हो. मालूम है वहां तुमको अकेले रहने में कुछ परेशानी फेस भी करना पडता है. तभी भी... यह सब से हम को बहुत ख़ुशी होता है. तुम अब तुम्हारी जिंदगी खुद जीने जा रहे हो. उस से हम को भी हटना पड़ेगा. और हम भी और कितना दिन रहेंगे. हमारा जाने के बाद भी तुम को अच्छी तरह ज़िन्दगी जीना है. अपना फॅमिली बनाना है. तो अब हम सोच रहे है की तुम्हारी शादी करवाने के लिये."
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11-29-2019, 12:33 PM,
#12
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
नानाजी थोड़ा चुप हो गए. शायद मेरा रिएक्शन परख रहे है. मेरा दिमाग में दूसरा कैलकुलेशन चल रहा है. अब मुझे लगा की शायद इस बात से माँ दुखी है और मुझसे शायद नाराज भी है. मैं मन में सोचा की अगर उनका ख़ुशी के लिए मुझे शादी न भी करना पडे, तो मुझे कोई खेद नहीं है. उनको ज़िन्दगी भर खुश रखना चाहता हुं.
नानाजी फिर बोले
"देखो बेटे ..तुमहारा लाइफ में कोई आकर तुम्हारे पास खड़े हो जाए, तुम्हारा हर इमोशन सही तरह से शेयर कर ले, हर चढाई उतराई में तुम्हारे साथ रहके ज़िन्दगी की राहों में चलना आसान कर दे. इस लिए सब के लाइफ में बीवी की जरूरत पड़ती है."
मैं में जो सोच रहा था टेंशन के साथ, शायद उस का छाप मेरे फेस पे नज़र आया था. इस लिए नाना नानी हास पडा. नानाजी आगे बोलते रहै
" हमने आज तक तुमहारा सब भला बुरा सोच के ही काम किया. अब यह लास्ट ड्यूटी भी ठीक से पूरी हो जाये तो चैन से मर सकता हु."
मैं माँ का बात सोच के बोलने लगा
" नानाजी....आप का बात ठीक है... लेकिन ......."
मैन रुक गया. मुझे पहले माँ से जानना है , क्या इस बात को लेके वह दुखी है !!. इस लिए मुझे गुस्सा होक मेरे से दूर है!! लेकिन नानाजी शायद मेरा द्विधा समझ गए और मेरा बात पकड़ के बोले
" बेटा पहले में जो बोल रहा हुन ..पुरा सुन लो. फिर तुम आराम से सोच समझ के मुझे बताना. अगर तुम को लगे की यह हमारा सब का भलाई के लिए है, तो वैसे सोच के बताना, नहीं तो जो मन में डिसाईड करोगे ,वईसे ही बताना. कोई प्रेशर नहीं तुम्हारे उपर. "
यह बोलके नानाजी नानीजी को देखे. नानीजी भी सहमत होकर अपना सर हिलके मुझे आश्वसन दिलाया.
नानाजी फिर से बोलना शुरू किया
" बेटा...हुम तुम को सब चीज़ दिया बचपन से, जो हर कोई बच्चे को मिलता है, लेकिन एक चीज़ कभी नहीं दे पाये"
मैं नानाजी के तरफ देख के सुनने लगा
" हर बच्चे का नसीब में किसीको 'पापा' कहके बुलाने का सुख है, वह हम कभी तुम्हे प्राप्त करने का सौभाग्य नहीं दे पाया. और अब तुम्हारा शादी हो जाये तो तुम को एक नए मम्मी पापा भी मिलेंगे."
फिर नानाजी थोड़ा आगे आके , मेरा हाथ अपना हाथ के अंदर लेके, दूसरी हाथ से मेरे हाथ को दो बार थप थपाया. और एक मुलायम स्नेह भरी आवाज़ से मुझे देख के बोलने लगे
" हम सब का भलाई सोच के ही यह सब कर रहा हु.........अगर तुम को बोलू...मतलब...क्या तुम मुझे 'पापा' बोलके बुलाना पसंद करोगे?"
बोलके मेरे आँखों में अंख मिलके देखने लगे. मुझे इस बात को समझने में कुछ पल लग गया. जैसे ही इस का मतलब मुझे समझ में आया, तभी मेरा शरीर में एक अनजाना अनुभुति फ़ैलने लगाग. मैं फिर भी कन्फर्म होने के लिए , गले में उसका असर पड़ने ना देखे, पुछा
" मतलब आप क्या कहना चाहते है नानाजी ?"
नानाजी स्ट्रैट बोलने लाग
" बेटा अब में तुम्हारा नाना बनके नही, एक बेटी का बाप बनके तुमसे यह पुछ रहा हु की क्या तुम मेरी बेटी का हाथ थामोगे?"
अब मेरे अंदर एक अजीब सा, एक अद्भुत सा फीलिंग्स होने लगा. जो में बयां नहीं कर सकता. मैं केवल बोला
" एह्...यः....आप क्य...क्या कह रहे है नानाजी......"
"हम बहुत..बहुत सोच समझने के बाद यह बात तुमको बोलने का साहस किया"
मैं अपने आप को कण्ट्रोल करते हुए कह
"पर...पर....यह कैसे होगा.....कैसे मुमकीन है......"
" अगर हम चाहे तो सब हो सकता है बेटा"
मेरी माँ का चेहरा मेरे नज़र के सामने आया. मैं सोचने लगा की यह सब बात सुनने के बाद में माँ से कैसे फेस करूँगा अब. और नाना नानी मेरे से खुलके ऐसे बात कर रहे है की मुझे एक शरम, न जाने क्या , मुझ में छा ने लगाग. मैं बोला
" नानाजी हम कैसे ऐसे कर सकते है....ना की कहीं...कभी ऐसा हुआ!!"
नानाजी शांत आवाज़ से कहे
"बेटा...में और तुम्हारा नानी इस बारे में सोचा..हमसब का ख़ुशी के लिए हम कुछ भी सहने के लिए तैयार है. हम बस चाहते है की हमारा बेटी और हमारा पोता ज़िन्दगी में हमेशा खुश रहे..."
फिर थोड़ा रुक के बोले
" और...और तुम्हारी माँ भी इस रिश्ते के लिए राजी है."
मैं चोंक गया. क्या माँ भी जानती है यह सब!! क्या इस लिए वह मेरे सामने नहीं आरही है!! इस लिए फ़ोन पे ठीक से बात नहीं कर पायी!! और तो और उन्होंने इस रिश्ते को अपनाने के लिए भी मंजूरी दे दि.. मेरा स्पाइन में के एक ठण्डी शीतल पर दिल में कम्पन देणे वाली एक अनुभुति धेरे धेरे नीचे जेक पूरा सरीर में फैल गया. मेरा सर झिमझिम करने लगा. फिर भी में थोड़ा आश्चर्य और डाउट के साथ धिरे से पुछा
" क्या आप लोग माँ से भी इस बारे में बात......और.....और उन्होंने ...."
बोलके में चुप हो गया. नानाजी बोले
" पहले तो वह हम से बहुत गुस्सा किया. एक दम ख़फ़ा हो गयी थी. तीन दिन ठीक से बात भी नहीं कि, खाना भी नहीं खायी. दिन भर रूम लॉक करके अंदर रहने लगी. फिर और दो दिन बाद सिचुएशन थोड़ा सहज हुआ. मंजु भी धिरे धिरे थोड़ा नरम होने लगी. और कल जब तुम्हारा नानी से मंजु का बात हुआ तो तभी हम जान पाये."
मेरा दिमाग में बहुत सारे सोच्, चिंता भर के भीड़ करने लगा. मैं कुछ न बोलके बैठा था. नानाजी बोले
" हम तुम पर जबरदस्ती से हमारा इच्छा चढा नहीं रहा हु. इतना जल्दी जवाब देणे की जरुरत नही. तुम टाइम लेके सोचो. फिर बताओ. जो भी राय होगा तुम्हारा, उसको हम प्यार से एक्सेप्ट करेंगे"

उस दिन में बहुत सारे चिंता और नए नए अनुभुति के साथ धिरे धिरे नाना जी के रूम से निकल के मेरे रूम में आया. मेरा अनुपस्थिति में , मेरा बिस्तर एक दम फिट फाट बनाके गयी है मा. मैं ज़ादा सोच भी नहीं पा रहा था. बस जाके सो गाया. नीद नहीं आ रही थी. बीच बीच में एक नइ उत्तेजना से कांपने लगा. जो भावना मेरे मन के अंदर थी, आज वह सच मुच घटने जा रहा है. एक रोमाँच में बन्द होकर आंख बंध करके पड़ा रहा. ऐसे कैसे टाइम चला गया पता नहीं चला. देर रात तक अकेला सो सो के कुछ डिसिशन लेनेका फैसला किया. पर हालत ऐसा था की उस से पहले खुदको हल्का करने के लिए पाजामे के अंदर से अपना पेनिस निकल के हिलाने लगा. पेनिस आज ज़ादा गरम मेहसुस हुआ. मैं जोर से झटका मार मार के गरम गरम सीमेन पूरा बॉडी में बारिश जैसा गिराया. मन शांत होने लगा क्यों की तब तक शायद मेरे अंदर अन्जाने में कोई डिसिशन हो चुका था. और धिरे धिरे एक चैन की नीद आने लगी.
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11-29-2019, 12:34 PM,
#13
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
आगला दिन रविवार था मैं सुबह जल्दी उठ गया था मैं हमेशा जल्दी उठ ता हु माँ ने ये आदत लगाई है मुझे. माँ जादातर मेरे पीछे पड़ पड़ के बचपन से यह आदत बनादि है. माँ हमेशा बोलती थी की सुभा उठके पढाई करूँगा तोह जल्दी से सब याद रह जाएगा. ऐसी बहुत सारी अच्छी आदते मेरे में डाल दिया है माँ ने. इस लिए में ज़िन्दगी के रास्ते में चलते टाइम हर पल उनकी उपस्थिति महसुस करते आया हु. वही एक मात्र नारी है जो मेरे पूरे दिल में छाई हुई है. शायद इस लिए कभी और कोई लड़की मेरे मन में जगह बना नहीं पाई
सुबह नींद तूट ते ही देखा सूरज की पहली किरण खिड़की से अंदर लाक़े पूरा घर रौशनी से भर दिया. खिड़की से बाहर की कुछ आवाज़ें आ रहा है. ऊपर फैन घूम रहा है फुल स्पीड में, फिर भी गर्मी जा नहीं रही है. लेकिन यह सब के अलवा मेरे दिल में एक ठण्डी शीतल अनुभुति महसुस कर रहा हु, जो मेरे पूरे बदन को एक नशीली आवेश में भरके रखा है कल रात नानाजी नानीजी ने जो बात कही है, हो सकता है वह इस दुनिया में ऐसा होता नहीं है. समाज उस चीज़ को मान्यता देता नहीं है. पर हमारे घर में सब..यनि की नाना, नानी और मा...सब इस में सहमत है. सब हमारी खुद की भलाई के लिए ही यह चाहते है. और उसके लिए जो भी बाधा का सामना करना पड़ेगा, जो संकट सामने आकर खड़ा होगा, जो सैक्रिफाइस करना पड़ेगा, वह लोग सब कुछ सहने के लिये, सामना करने के लिए भी तैयार है. तो बाहर की दुनिया के बारे में क्या सोचना है !! और माँ भी एक नारी है. उनके अंदर जो औरत है, उस सुन्दर औरत को में पिछले ६ साल से, एक कल्पना की दुनिया बनाके, अपने ही अंदर छुपाके रख के प्यार करते आ रहा हु. बॉल अब मेरे कोर्ट में है. अगर में चाहू तो वह कोमल दिल की नाज़ुक औरत ज़िन्दगी भरके लिए मेरी हो सकती है इसी वास्तव दुनिया मे, मेरी जीवनसाथी बन सकती है, मेरी बीवी बन सकती है, मेरे बच्चों की माँ बन सकती है. एक ख़ुशी के आवेश मे में आँख मूंद के बिस्तर पर पड़ा रहा. तभी दरवाज़ा खट खटाके नानाजी नास्ते के लिए बुलाया.

अब यह अबतक की मेरी ज़िन्दगी का सबसे कठिन समय है. ऐसी एक परिस्थिति हुई है, जहाँ हर कोई एक सीक्रेट को जानलिया. और ऊपर से इनमे से कोई भी एक इंसान यह भी जनता है की यह सीक्रेट बाकि सब को भी मालूम है. फिर भी कोई कुछ नहीं बोल पा रहा है इस बिषय मे. सब पहले जैसा रहने का, बोलने का कोशिस कर रहा है, पर अंदर ही अंदर न जाने क्या एक चीज़ सब को एक दूसरे से थोड़ा अलग कर के रख रही है. खाली एक ही डिफरेंस है. हम चरों में से, केवल माँ सब की नज़र से छुपके रह रही है. स्पेशली मेरे. नाश्ते की टेबल पे भी कल रात जैसी स्थिति थी. माँ किचन से नानी के हाथ से खाना भेज रही है. आज केवल सब लोग थोड़ा कम बोल रहे है.

पुरा दिन ऐसे ही कट ता रहा. नाना नानी से में कम्फर्टेबल होने की कोशिश किया. फिर भी दिमाग का एक हिस्सा सब कुछ नार्मल बनाने में रोक रहा है. वह लोग भी आपस में बात कर रहे है लेकिन धीरे धीरे, कभी कभी मेरे से दूर रहके या मेरा नज़र से बाहर. पर सब कुछ मैं महसूस कर पा रहा था. ड्राइंग रूम में ज़ादा तर टाइम बिताने लगा. इस लिए माँ भी नज़र नहीं आइ. क्यूँ की में समझ गया माँ केवल अपने रूम और किचन में ही आना जाना कर रही है पीछे का बरंदाह से. सो वह मेरे सामने अने में हिचकिचा रही है. शायद शर्म उनको घिरके रखा है
मैं हमेशा की तरह संडे रात को निकल पड़ा स्टेशन जाने के लिए . मैं रात को ट्रेवल करता था एमपी जाने के लिये. क्यूँ की रात में में सोटे सोटे एमपी पहुच जाता था. इस में नीद भी हो जाती और टाइम भी मैनेज हो जात. हर बार की तरह इस बार सब कुछ पहले जैसे नहीं हुआ. इस बार में चुप चाप निकल ने की तैयारी करने लगा. नाना नानी भी मुह पे स्माइल लेके चुप चाप खड़े है. नानी का पैर छूटे ही उन्होंने सिलेंटली मुझे गले लगा लिया. और कुछ पल ऐसे ही वह पकड़ के रखी. जैसे उन्होंने मुझे कोई सहारा दे रही है. मेरे अंदर की सोच को एक परम ममता से भर दे रही है. जब उन्होंने मुझे छोड़ा तब एक माँ की स्नेह भरी आवाज़ से बोली " अपना ख़याल रखना". मैं ने खामोशी से सर हिलाया. नानाजी मेरे नज़्दीक आकर उनका राईट हैंड मेरे पीठ में रख के थप थपा दिए. मैं उनका पैर छुने गया तो उन्हों ने सिचुएशन इजी करने के लिए कहा " क्या भाय...अपना हीतेश इतने बड़े ऑफिस में इतना बड़ा बड़ा काम कर रहा है, अब वह बच्चा नहीं है. वह अब अपनी ज़िन्दगी का भलाई बुराई खुद ही सोच सकता है...." . फिर मुझे देख के कहा " है की नहीं ?" . मैं खामोशी से स्माइल देके मेरा बैग उठाने लगा. मेरा मन बहुत कह रहा था की में एक बार माँ से मिलके जाऊ. लेकिन कल रात से में खुद उनके सामने जा नहीं पा रहा हु जिद्द के लिए नहि, एक संकोच घेर के रखा है मुझे. एक शर्म मुझे दूर करके रखा है उनसे. चाह कर भी मेरा कदम उठाके उनके सामने जा नहीं पा रहा हु. शायद यह इस लिए की में मेरे से ज़ादा उनको शर्मिंदा नहीं करना चाहता था एक अजीब परिस्थिति में उनको डालके. ऐसे सिचुएशन में उनको नहीं ड़ालना चाहता था जहाँ वह शर्म और ग्लानी में खुद को दुःख पहुँचाए. तभी भी में जाने से पहले उनकी एक झलक देखने के लिए छट पटा रहा था. दरवाजे से निकल के पीछे मुड़के नाना नानी को “बाय” बोलते टाइम , उनकी नज़र चुराके अंदर की तरफ देखा था. मन सोच रहा था , शायद वह वहां कहीं खड़ी होगी. पर में निराश होके निकल गया
ओफिस में काम का प्रेशर था. मैं पूरा दम लगाके काम पे लग गया.
फिर भी हमेशा वह बात मेरा मन में रहता था. पूरे हप्ताह में इस को लेके सोचता रहा. ऑफिस में या साइट विजिट के टाइम भी मन में वह बात आजाती थी. जब भी उस बारे मे में थोड़ा गौर से सोचता था, तब ख़ुशी का एक आवेश मुझे पकड़ लेता था. पूरे हप्ता में ऐसे ही एक ख़ुशी और एक टेंशन में गुजर ता रहा
मैं वापस अने के बाद माँ को भी फ़ोन नहीं करता था. जब भी में फ़ोन करने के लिए सोचता था, मुझे एक शर्म और एक अन्जान अनुभुति घिरके रहता था. नानीजी एक बार फ़ोन करके मेरा हाल पूछे थे. बस...और न उनलोगों ने, ना में...हम कोई किसीसे बात नहीं कर रहा था.
ऐसे धीरे धीरे सब कुछ सोच के, सब ठीक विचार कर के, मेरे मन में एक रोशनाई पैदा होते रही. मेरा दिल भी अब एक पक्का डिसिशन में पहुच गया. और जैसे ही मेरा दिमाग उस डिसिशन को एक्सेप्ट किया, तभी से मेरे अंदर एक आनंद और सुख की अनुभुति फैली हुई है. मैं संकोच से बाहर आके मेरा डिसिशन नानाजी को बताना चाहा.
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11-29-2019, 12:34 PM,
#14
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
आखिर उस शुक्रवार मैं, डिनर के बाद मे नानाजी को फोन लगाया. नानाजी फोन उठा के बोले
“हैल्लो.''
मैं तुरंत कुछ बोल नहीं पाया. कुछ पल बाद बोला
''हैल्लो नानाजी..आप लोग सो तो नहीं गए?''
''नही नहीं बेटा.... सोया नही..बस सोने की तैयारी कर रहा हु”.
मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा है. कैसे क्या कहुँ वह ठीक से मुह मे नहीं आरहा है. मैं जबाब में केवल ''आह अच्छा..'' ही बोल पाया. फिर मेरी चुप्पी देख के नानाजी भी बात ढूंढ ने लगे और बोलै
''टीम कैसे हो बेटा?''
''में ठीक हुण''
"डिनर हो गया तुम्हारा?"
"हा जी...."
फर से चुप्पी छा गया. आज हज़ारों बाधा, हज़ारों चिंता, हज़ारों अनुभुति मेरे दिल के उप्पर भारी होके बैठा हुआ है. पर मुझे आज वह सबकुछ तोड़के, सब बाधा हटाके बोलना है जो में बोलने के लिए फ़ोन किया. मेरी इस तरह ख़ामोशी देखके नानाजी पुछै
''हितेश...बेटा तुम्.... कुछ कहना चाहोगे?''
मैने ने जैसे ही जवाब में '' ह्म्म्म'' कहा, मेरे बदन में एक करंट सा खेल गया. पूरा शरीर कांपने लगा. खुद को कण्ट्रोल करते हुए मैंने कहा
'' नानाजी,.....आप लोग मुझसे बहुत बड़े है. और हमेशा से मेरी भलाई बुराई सोचते आरहे है......''
फिर में रुक गया. बात सजाने लगा मन मे. पर में समझ गया नानाजी बहुत ध्यान से बिलकुल साइलेंट होक सुन्ने लगे. शायद वह मेरी ख़ामोशी की भाषा भी पड़ने की कोशिश कर रहे थे. मैं फिर बोलने लगा
''अगर....अगर....आप लोगों को लगता है की .....इस में ही सब का अच्छा है......इस में सब खुश रहेंगे ....... और ....... और ..... माँ भी इस से सेहमत है ......... तो .... .....''
मैं रुक गया. यह बताने के बाद एक खुशी और एक अद्धभुत फीलिंग्स मेरे पूरे शरीर के खून में दौड़ने लगी. नानाजी आवाज़ में थोड़ी हसि मिलाके अचानक बोले
'' मैं समझ गया बेटा. तुम बिलकुल चिंता मत करो. सब ठीक हो जाएग.
तूम बस कल घर आओ . बाकि बाते घर पे बैठ के करेंगे''
उस रात मुझे न कोई तस्वीर, न कोई मन घड़ंत दुनिया की जरुरत पड़ी. मैं अपने ही बेड पे लेते लेते आनेवाले कल में जो होनेवाला है, वह सोच के बिलकुल रोमांचित हो गया. इतने दिन जो चीज़ केवल मेरे मन के अंदर एक छोटे कमरे में रखी हुई है. आज अचानक वह चीज़ इस बाहर की वास्तव दुनिया में सच होने जा रही है. मेरे रूम की ब्लू नाईट लैंप की रौशनी चारो तरफ फैली हुई है. मैं यह सब सोच के मेरे पाजामे का नाडा खोल. आलरेडी मेरा पेनिस उसके आनेवाले समय को मेहसुस करके खुद ही ख़ुशी से फूल रहा था. मैं पूरा मुठ्ठी से उसको पकड़के धीरे धीरे सहलाने लगा. आँख बंध करते ही मेरी माँ मेरी नज़र के सामने अपनी झुकि हुई नज़र से खड़ी है. मैं और उत्तेजित हो गया यह सोच के की यह खूबसूरत औरत कुछ दिनों में बस मेरी ही होने वाली है. मेरी बीवी बननेवाली है. मेरा पेनिस का कैप इस सोच में और फूल गया. मैं तेज़ी से हिलने लगा. और माँ का गले में मेरा दिया हुआ मंगलसूत्र और मांग में मेरे नाम का सिन्दूर कल्पना करके में ओर्गास्म की तरफ पहुच गया. मेरा बॉल्स फूल गया और सीमेन शूट करने के लिए तैयार हो गया. मैं तेज़ी से स्वास ले लेके केवल बोलने लगा ' मा..आई लव यू लव यु मा...आई.. लव यु'. माँ की कोमल पुसी , जिसको बस कुछ दिन बाद से केवल मुझे ही एक्सेस करने का अधिकार मिलेगा, उसको कल्पना करके उसके अंदर मेरा वीर्य छोड़ने का सुख मेहसुस करके, मेरा एकदम फुला हुआ मोटा पेनिस जोर जोर से झटके खाने लगा और अचानक फींकी लेके मेरा सीमेन मेरा फेस, गला ,छाती सब गिला करके भर भरके निकल ने लगा. आज पहली बार इतना सीमेन निकला की में खुद हैरान हो गया. जब मेरा ओर्गास्म पूरा होगया, में शान्ति से अंख बंध करके बेड पे पड़ा रहा.
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11-29-2019, 12:35 PM,
#15
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
अगला दिन शनिवार है. मैं हर बार की तरह ऑफिस में मॉर्निंग शिफ़्ट में जाके, बस साइन करके जल्दी जल्दी निकल गया स्टेशन के लिये. मुझे अब एक नयी अनुभुति होने लगी. मेरा डिसीजन अब माँ भी जान चुकी होगी. और घर पर सब को मालूम है की इस रिश्ते के लिए हम दोनों ही मंजूरी दे दिया है. सो नाउ में सोचने लगा की अब कैसे इन सब को फेस करुन्गा.
पहले की तरह इस बार भी मुझे घर पे वार्म वेलकम मिला. पर फिर भी में थोड़ा डिफरेंस मेहसुस करने लगा. नाना नानी इस तरह मेरा स्वागत किया जैसे में कोई बाहर का आदमी हु एंड वेरी रेस्पेक्टड्. मैं यह सोच के थोड़ा शर्मा गया की वह लोग ऐसे कर रहे है शायद इस लिए की में कुछ दिन में उनलोगों का दमाद बन्ने जा रहा हु.

मैं फ्रेश होने के लिए अपने रूम में गया. गर्मी का समय. तो में फिर से नहाना चाहताथा. शावर के नीचे खड़े होक नाहा रहा था. ठंडे पानी से नहाने में बहुत अच्चा लग रहा है. मैं पूरा बदन अपना हाथ से रगड रगड के आच्छे से नहाने लगा. जब मेरा हाथ मेरे पेनिस छुये, में नीचे की तरफ देखा. पेनिस अब अपना नार्मल साइज में था. उसको हाथ में लेके सोचा की बेटा, और कुछ दिन सेहलो, कल्पना में तुम जहाँ घुसके सबसे आराम और शान्ति मेहसुस करते हो, वह तुमको मिलने वाला है, पूरी ज़िन्दगी के लिये. यह सोचते ही पेनिस फूलने लगा. मैं तुरंत उसको छोड़ दिया और उसके आस पास सब साफ़ सफाई करके शावर से बाहर आगया.
एक पाजामा और टी-शर्ट पहेनके रूम से बाहर निकल तेहि माँ के रूम की तरफ देखा. यह सोच के रोमाँचित हो गया की मेरी होनेवाली बीवी मेरे आस पास ही घूम रही है. मुझे माँ से मिलने की एक चाहत होने लगी. पर अब शायद वह नानी के साथ ही होगी. सो में सोचने लगा की उनसे कैसे, कहाँ थोड़ा अकेले में मिल पाऊंगा.

मैन ड्राइंग रूम में आके नाना जी के पास बैठ के टीवी न्यूज़ देखने लगा. तभी नानी जी एक प्लेट में कुछ मिठाई लेके मेरे सामनेवाली सेंटर टेबल पे रखदी. इस टाइम बराबर मुझे चाय मिलता था. आज भी वही एक्सपेक्ट किया था. अचानक आज इस तरह से मिठाई का प्लेट देखके में ऐसे ही कहा दिया
" यह क्या.... अभी यह मिठाई-फिटाई कौन खायेगा नानी जी ?"
नानीजी पाणी का गिलास आराम से रखते रखते बोली
" क्यूं....तुम खाओगे"

मैं क्यजुअली बोला
" अरे नानीजी मुझे यह मिठाई नहि...अब एक गरम चाय चहिये"
नानी मेरे तरफ देखके मुस्कुराके बोली
" चाय भी पिलायेंगे. लेकिन उससे पहले यह खालो. अब यह घर तुम्हारा अपना घर के साथ साथ तुम्हारा ससुराल भी बनने जा रहा है. सो शुरुवात मीठा खाके करोगे तो रिश्ता भी मीठा रहेंगा" बोलके चेहरे पे एक मुस्कराहट फैलाके जाने लगी. मैं एक दम ऐसे खुल्लम खुल्ला बाते सुनक, अपने आप थोड़ा शरमाने लगा. नानाजी मेरे तरफ देखके स्माइल करके बोल
" खा लो"
मैन इस बात को यही समेटने ने केलिए चुप चाप प्लेट उठाके खाने लगा और टीवी की तरफ नज़र तिकाके सिचुएशन सहज करनेकी कोशिश करने लगा.

कुछ देर बाद नानी फिरसे आई और आके नाना के पास बैठ गयी. फिर नानाजी टीवी ऑफ करके मेरे से बात करना चालू किया. वह लोग धीरे धीरे सीरियस होने लगे और मुझे बहुत सारी चीज़ों में मेरा राइ पुछने लगे. जैसे की शादी का प्रोग्राम कहाँ , कैसे किया जाए. हमारे ज़ादा रिश्तेदार कभी नहीं थे, और जो भी थे पिछले कुछ सालों मे न मिलने के कारण, सब बिछड गए. सो उसमे कोई प्रॉब्लम नहीं है. प्रॉब्लम है हमारा मुहल्ला और पड़ोसी और कुछ दोस्तोँ को लेके. इन लोगों से हमें बचके सब कुछ करना पड़ेगा. इस लिए तय हुआ की यहाँ नहि, और कहीं जाके शादी का प्रोग्राम बनाना पड़ेगा. यानि की कोई दूर जगह जाके, जहाँ हमारा रिलेशन्स वगेरा किसीको कुछ भी मालूम नहि. वहाँ जेक शादी का रसम सम्पन्न करना पड़ेगा. तब नानी को याद आया की कुछ साल पहले , नाना जी का बिज़नेस लाइन का कोई दोस्त की बेटी की शादी हम सब लोग मिलके अटेंड किया था मुंबई मे. एक्चुअली वह जगह मुंबई सिटी के अंदर नहीं था. मुंबई से कुछ किलोमीटर्स दूरि पे, मुंबई-गुजरात हाईवे के साइड में एक रिसोर्ट में हुआ था शादी. वहाँ की खास बात यह थी की एकदम अकेले में है वह रिसोर्ट और शादी में अटेंड करनेवाले सब को रहने का आवास भी प्रदान करता है. साथ में जो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है यानि की शादी का रसम का अरेंजमेंट--पंडित से लेके रजिस्टर्ड साहब तक, सब वह लोग देते है. ..था वह एक बड़ा शादि, पर हम्मे तो वह सब कुछ नहीं चहिये. खाली शादी का रसम पूरा करने का बन्दोबस्त, हम चार लोगों का रहने का इन्तेज़ाम. बस और क्या. यह सब डिस्कशन में में थोड़ा संकोच करने लगा और खुलके बात नहीं कर पा रहा था. पर नाना जी बोले " अरे बेटे यह सब तुम्हारी ज़िन्दगी की महत्वपूर्ण चीज़ें है. इस में तुमको खुलके आगे आना चहिये. और हम तुम्हारे साथ है." तब में थोड़ा सहज होने लगा और नाना जी से सारे प्लानिंग करने लगा.

इन सब बातों के बीच मेरे दिमाग में यह सोच चल रहा है की कैसे भी करके माँ से एकबार मुलाकात करनी है. मुझे यह भी मालूम था की माँ से ऐसे आसानी से मुलाकात नहीं हो पायेगा. वह जानबूझ के मुझसे दूर रह रही है. बिलकुल कोई मौका नहीं देरही है आमने सामने आनेका. इस्स लिए में उनका चेहरा ठीक से देख भी नहीं पा रहा हु. पर नाना जी से बात करते करते ही मेरा दिमाग में एक झलक सी आइ. मुझे एक ही रात घर पे रुख ने को मिलता है. दूसरी रात में यानि की संडे रात को में निकल जाता हुन एमपी के लिये. सो मुझे आज रात में ही माँ से मिलना है. एकान्त मे. इतनी सब कुछ बाते हो रही है. शादी की प्लानिंग तक शुरु हो गया. और अभी तक दूल्हा और दुल्हन की एक बार बात भी नहीं हो पाई मुझे एक बार उनसे बात करनी है.
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11-29-2019, 12:36 PM,
#16
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
डिनर टेबल पे शादी वगेरा लेके कोई बात नहीं हुआ. बस में जो खाना पसंद करता हु , वही चीजे नानी जी मुझे ज़ादा ज़ादा दे रहे है. मैं जानता था यह सब माँ ने मेरे लिए ही बनाया. आज वह सामने आने में शर्मा रही है, इस लिए नानी के हाथों से सब बार बार देणे भेज रही है. मैं मना कर रहा हुन , पर नानी जी केवल "तुम्हारे लियेही बनाई गयी है. क्यूँ नहीं खाओगे?" और फिर मेरे तरफ देखके, एक मुस्कराहट लेके बोली
" बस और कुछ दीण..... नानी के हाथ का खाना खा लो... फिर तो तुम्हे साँस के हाथ का खाना खाना पड़ेगा." बोलके थोड़ा हास् के किचन के तरफ चलि गई. नाना जी भी इस बात से हॅसने लगे. मैं शर्म के मारे अंदर घुसे जारहा था.

मैं डिनर के बाद नाना जी के रूम में बैठके बात कर रहा था. नानाजी पूछे की अब मुझे नया घर पे शिफ़्ट करना है की उसी घर को रखना है, मैंने बताया की यह घर ही फिलहाल ठीक है . काफी बड़ा घर ही तो है. नानी जी बोलने लगी की अब तो में अकेला था, सब चल जाता था. लेकिन अब फॅमिली रहेगा. हा..होगा वह बहुत छोटी फॅमिलि, केवल पति पत्नी की, फिर भी फॅमिली ही है. सो उसके लिए सारे सामान का भी बंदोबस्त करना पडेगा. मैं ने बोला की उस बात पे कोई चिंता नहि. वह सब में खुद ही संभल सकता हु. तो फिर केवल यह सामने आया की मुंबई वाली रिसोर्ट और शादी को लेके ही जो भी कुछ चिंता है. नाना जी ने कहा की ठीक है, तुम्हारा अब तो ऑफिस भी है. साइट सुपरवाइजर भी है. तोह तुम एमपी में रहनेका सब इन्तेज़ाम को देखो. और में रिसोर्ट वगेरा फाइनल करता हु. लेकिन उस से पहले शादी का एक शुभ दिन, शुभ मुहूर्त भी ढूँढ़ना है. जब यह सब बातें हो रहा था, तब मेरे दिमाग में और कुछ चल रहा था. अगर वह चीज़ मिस होगया तो शायद माँ से मिलना ना-मुमकिन हो जाएगा. मैं फ़टाफ़ट डिस्कशन को एन्ड करके नाना जी के रूम से बाहर आगया. और जैसेही में ड्राइंग रूम की तरफ जाने लगा तब मुझे मेरे रूम की लाइट चालू दिखाइ दिया. मेरी छाती में झट से एक ऐसा फीलिंग्स हुआ की जैसे मेरी छाती से कुछ निकल ने लगा और अचानक मेरी बॉडी हल्का सा हो गया.

मै धीरे से अपने रूम के तरफ चलने लगा. मुझे मालूम था जब में नहीं रहूँगा तब माँ आके मेरा बिस्तर ठीक करके जाएगी. और इस लिए में डिनर करके नानाजी के रूम में जाके वह मौके का इंतज़ार कर रहा था. जिंतना नजदीक जा रहा था , उतनाही नर्वस भी हो रहा था. एक अजीब अनुभुति भी हो रहा था और एक नशा भी. माँ को फेस करने के बाद क्या होगा, वह पता नहीं था. उनको देख के में कैसे रियेक्ट करूँगा या वह कैसे रियेक्ट करेंगी, यह सब अनजान था. फिर भी में उनको एकबार सामने से देखना चाहता हु. बात करना चाहता हु.
मै डोर के पास जातेहि वह मेरा प्रजेंस फील कर लि. वह मेरे तरफ पीठ करके , थोड़ा झुक के, मच्छर दानी सही से चारो तरफ से बिस्तर के साइड में घुसा रहे थी. मेरे आते ही वह अचानक वह सब बंद करके खड़ी हो गई उनका फुल बैक साइड मेरी तरफ है. एक हलकी येलो कलर की प्रिंटेड साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहनी हुई थी. ब्लाउज के ऊपर गोरी गोरि, क्रीम जैसा मूलयां, सुडौल गर्दन और पीथ के ऊपरी भाग नज़र आरहा था बाल एक जुड़ा बांधके रखा है. उनकी बॉडी कर्वे ढ़लान लेके दोनों साइड से आके उनकी पतली कमर में मिल गया. उनके नितम्ब के ऊपर से साड़ी टाइट होक बढ़ा हुआ है. उससे वह और भी उभर के सामने आगया. आज तक जो चीज़ मेरा फंतासी दुनिया में होता था, आज पहली बार यह हुआ की उनको देखके उनके सामने हि, पाजामे के अंदर मेरा पेनिस कठिन होने लगा. उन्होंने उनका राईट हैंड से पलंग का स्टैंड पकड़के स्थिर हो गयी. यह सब कुछ्, कुछ दिन से जो हो रहा है, उनसब के बीच आज पहली बार में माँ को एकांत में मेरे नजदीक पाया. उनको उसी तरह सर झुकाके खड़ी होदे देख के अचानक मेरे अंदर का सब नर्वस्नेस धीरे धीरे ग़ायब होने लगा और एक अजीब मदहोशी मेरे में छाने लगा. जो अनुभुति और प्यार में उनके लिए पिछले ६ साल से छुपाके रखा था, आज वह प्यार, वह अनुभुति पहली बार मेरे दिल में इस वास्तव दुनिया में आने लगा. दिन भर बहुत कुछ सोचा था माँ को लेके, लेकिन अब जब वह सामने खड़ी है तो में सब कुछ भूल गया . केवल मेरे छाती में वहि पाणी का तरंग जैसे कुछ बहने लगा. मैं रूम के अंदर गया. वह अपने राईट हैंड की थंब नेल से पलंग के स्टैंड के उप्पर रब करने लगी. मैं उनको देखते हुए कहा
"मा......अक्टुअली.....मतलब.......में तुमसे सच मुच बहुत प्यार करता हु"
येह सुनतेही माँ शायद थोड़ा काँप उठि. फिर खुद को कण्ट्रोल करके वहां खड़ी रहि. मुझे उनका चेहरा देखने का बहुत मन कीया. मैं धीरे धीरे चलके मेरे स्टडी टेबल के पास गया. वहाँ से उनका साइड प्रोफाइल नज़र आ रहा था उनके चेहरा पे शर्म छाया हुआ है. नज़र झुकि हुई है पैरों की उँगलियाँ के तरफ. यहाँ से मुझे उनके पेट् का कुछ हिस्सा नज़र आरहा है. एक दम फ्लैट है. मैं उस तरफ देख के सोचने लगा की उस पेट् के अंदर ही एकदिन मेरा बच्चा आएगा. मैं यह सोच के और भी रोमाँचित हो गया और पाजामे के अंदर मेरा अपना पेनिस सख्त हो गया. जैसे ही में डोर छोड़के अंदर आया और चुप चाप यह सब सोचने लगा, उन्होंने फट से मुड़के , मेरे तरफ बैक करके , तेज़ी से घर से निकल गई. मैं उनका जाना देखने लगा. ऐसी एक सुन्दर औरत, जिसको में प्यार भी करता हु, रेस्पेक्ट भी करता हु, चाहता भी हु, उनके साथ ही में पूरी ज़िन्दगी बिताने वाला हु. यह सोच के मन में ख़ुशी छा गया.
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11-29-2019, 12:36 PM,
#17
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
उस रात में आँखे बंध करके माँ के किये हुए बिस्तर में सो सो के उनका स्पर्श महसुस कर रहा था. लग रहा था जैसे वह मेरे एकदम पास, एक दम करीब है. बस कुछ दिन का फासला है. फिर वह सुन्दर, नरम, प्यारी औरत, हर रात मेरी बाँहों में रहेगी और में उनको बहुत प्यार करुन्गा. मैं उनको कभी कुछ भी दुःख महसुस करने नहीं दूंगा. हमेशा उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा देखने चाहता हु. मैं एक अच्चे पति का धर्म निभाते हुए दुनिया की हर ख़ुशी उनके सामने लाकर दुंगा. उनके तन मन को हमेशा आनंद से रखुंगा. मैं इन सब बातों से गरम होगया था. फिर भी मन ही मन कसम खाइ की आज से मेरे तन मन की हर ख़ुशी भी उनके साथ ही शेयर करुन्गा. सो उस रात में मस्टरबैट करके अकेले वह सुख लेना नहीं चाह रहा था. मैं सब कुछ बस उनके साथ ही करना चाहता हु. और में हमारी सुहागरात में उनको परिपूर्ण संतुष्टि देना चाहता हु.
ओर मेरे आँख में नीद कब आके मुझे एक ख़ुशी के सागर में बहाके लेके गइ, वह मुझे पता नहीं चला.

नेक्स्ट डे रात १० बाजे मेरी नीद टुटी. मैं ऑफिस के कपडे में ही हु अभी तक्. नीद टुटने के बाद सो सो के कुछ टाइम में कन्फ्यूज्ड था. समझ नहीं आ रहा था में कहाँ हु और अब क्या है--मॉर्निंग या रात!! और ऐसे कैसे हो गया!! प्रारंभिक विचलन कट ने के बाद में होश में आया.रात को देर नीद आने के कारन सुबह उठने में लेट हो गया. मोबाइल की रिंगिंग से नीद तूट गयी. ऑफिस का एक सीनियर कलीग का फोन. वह कुछ अर्जेंट काम के लिए कल छुट्टी ले रहा है. इसलिए वह कल साइट पे जा नहीं पाएँगे, सो मुझे जाने के लिए कहा. मैं जैसे ही उनको कन्फर्म किया वह मुझे थैंक्स बोले. और दो चार इधर उधर का बात करके फ़ोन कट दिए. मैं फ़टाफ़ट बिस्तर से निकल के बाथरूम जाके फ्रेश होने लगा. मेरे अंदर ऑफिस की बातें चल रही थी. जब में मिरर के सामने खड़े होके दाँत ब्रश कर रहा था तब खुद को मिरर में देख रहा था. अचानक दिमाग में आया, अरे में शादी कर रहा हु और चुप चाप शादी करके जब बीवी लेके एमपी पहुँचेंगे तब तो ऑफिस में सब को पता चलेगा. तब सब को कैसे सामना करूँगा? फिर सोचा की ठीक है जब होगा तब देखा जाएगा. पर इन सब बातों से ज़ादा मेरे दिमाग में कल रात के बारे में याद आया. कल मुझे माँ मिली थी वह भी एकांत मे. मुझे उनको बहुत कुछ बताना था बहुत कुछ पूछना भी था पर वह जब सामने आइ, में सब कुछ भूल गया. दिन भर कितना कुछ सोचके रखा था पर उनके सामने आके कुछ नहीं हो पाया. मैं एक अद्भुत फीलिंग्स में आजाता हु और सब गड़बड़ कर देता हुँ. मैं समझ गया की मेरे मन के एकदम अंदर जो एक अंतयुद्ध पिछले तीन-चार दिन से चल रहा है , यह उसी का फल है. हा....यह बात सही है की एक लड़की के लिए एक लड़के के मन में जैसा प्यार होता है, उनके लिए मेरे मन में वह प्यार है. पर जिनको बचपन से माँ के रूप में देखता आरहा हु, अब उनको बीवी के रूप में देखना पडेगा. पुराना रिश्ता भूल कर अब नए रिश्ते में कदम रखना है. जब वह सामने नहीं है, तब मन यह सब मान के चलता है. पर अब जब वह सामने आगयी तब पता चला की मुझे वास्तव दुनिया में उनके साथ वह नया रिश्ता अपनाने के लिए मेरे अंदर की बहुत सारी भावनाएं और संकोच को दूर करना पड़ेगा. मैं मन को जोर देने लगा. आज वापस जाने से पहले उनसे और एक मुलाकात होती तो दिल को थोड़ा सुकून मिलता पर में यह भी जानता हु की इसका चान्सेस बहुत ही कम है.

मैं जब ड्राइंग रूम में आया , वहां नाना नानी के साथ माँ कुछ बात कर रही थी. सब की बॉडी लैंगवेज से समझ आ रहा है की कोई सीरियस बात नही, ऐसे ही बात चित कर रहे है. पर जैसे ही में ड्राइंग रूम में एंट्री लिया वह आँख उठाके एकबार मुझे देख लिया और जल्दी से शर्मा के फिर से नानी के तरफ देख के कुछ बोली और तुरंत वहां से जाने लगी. और किचन के तरफ के डोर से निकल गयी. मैं समझ गया माँ भी मेरे जैसे सिचुएशन में है. शायद उनका भी मन चाह रहा होगा की वह मुझसे मिले , बातें करे, पर उनकी अंदर की भावनाएं और संकोच वह सब करने में रोक लगा रहा है. उनको भी मेरी तरह खुद से जूझना पड़ रहा होगा. अब तक जो उनका बेटा था अपना खुन था जिसको बचपन से पाल पोस के एक नौजवान लड़का बनाया, जिसको माँ की ममता , प्यार और स्नेह देकर बड़ा किया है, उस नौजवान लड़के को अब उनके पति के रूप में मान ना पडेगा. उसको पति का अधिकार देना पडेगा. अपना तन मन उसको सोंप ना पडेगा. एक नये पवित्र रिश्ते में उससे जुड़ना पडेगा. लेकिन उनको देख के यह पता चलता है की वह भी जरूर यह सब सोच और संकोच से निकलने की कोशिश कर रही है. क्यूँ की उनकी नज़र में, उनके चलन में, और उनके इशारे में साफ़ साफ़ पता चलता है की वह अब एक माँ की तरह नही, एक अकेली दुखी औरत की तरह नही, वल्कि वह खुद को एक लड़की के तरह महसुस कर रही है. जिस की अभी शादी होनेवाली है और वह अपने होनेवाले पति से शर्मा रही है.
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11-29-2019, 12:36 PM,
#18
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
नानाजी नाश्ते के बाद निकल गए पण्डितजी से मिलने. शादी का शुभ दिन, शुभ मुहूर्त जानने के लिये. वह हमारे जान-पहचान के लोगों से दुर, अहमदाबाद सिटी में जाके कोई आच्छे पंडित जी से मिलनेवाले है. इस लिए उनको वापस आने में टाइम भी लग रहा है. मैं ड्राइंग रूम में बैठ के टीवी देख रहा था लेकिन मेरा मन चाह रहा था माँ के साथ बैठ के बात करने के लिये, उनका ख़ूबसूरत चेहरा अपने हाथों में पकड़ के, आँखों में आँखे डालके देखने की चाहत मे. पर यह सम्भव नहीं हो पा रहा है. हालाकि हम सब जानते है की इस रिश्ते के लिए दोनों ही राजि है, और बस कुछ ही दिनों में हम पति पत्नी के पबित्र बंधन में जुड़ने जा रहे है. लेकिन में अब इतना बेशरम भी बन नहीं पा रहा हु की नानी के सामने ही माँ के साथ यह सब करु. नानी माँ को किचन में अकेला छोड़के आके मेरे साइड में रखे सोफा चेयर में बैठी. फिर वह मेरे से बात करने लगी. मैं टीवी ऑफ करके उनकि तरफ घुमा और उनकी बात सुन्ने लगा. वह मुझे वहि सब कल रात वाली बात पूछते रहि. मुंबई में जो रिसोर्ट में शादी होगा, उसमे बुकिंग कितने दिन पहले लेना पडता है. अब तो शादी का सीजन आनेवाला है. अगर सब बूक है तो क्या करेंगे. एहि सब सवाल जवाब चल रहा था पर मेरा मन किचन में जहाँ माँ अकेली खाना बना रही है, वहां पड़ा है. नानी बहुत सीरियसली बातें कर रही है. मेरे साथ माँ के इस नये रिश्ते से नानी जी बहुत खुश है. उनकी एक लौती बेटी की ज़िन्दगी केवल दुःख से भरी है. अब ज़िन्दगी उनको एक दूसरा मौका दे रहा है ख़ुशी से, शान्ति से जीने के लिये. पति के प्यार के साथा एक नयी फॅमिली बनाके ज़िन्दगी जीने का एक सपना पूरा होने जा रहा है. नानी जी भावुक हो गयी. उनकी आँखें गिली होने लगी. वह झुक के मेरा हाथ उनके हाथ के अंदर पकड़ के कहने लगी
"बेटा , में तुम दोनों को मेरा दिल भरके अशीर्वाद देती हुँ. तुम लोग एक दूसरे को ज़िंदगी भर प्यार करते रहना. हँसी, खुशी, आनंद और शांति के साथ जीते रहना. अपनी फॅमिलि, अपने बच्चों के साथ एक नयी दुनिया बनाके खुश रहना. ...."
नानी के आँखों में पानी भरने लगा. "बेटा, हमारे सब के भलाई के लिये, तुम्हारे अपने फॅमिली के लिये, तुम आज जो कर रहे हो, इस के लिए में कैसे तुम्हें......"
नानी और बोल नहीं पायी. उनका गला बंध होने लगा. बस वह मेरे तरफ एक प्यार और ममता भरी, कृतज्ञता के नज़र से देख रही है. मैं भी भावुक हो गया. मैं उनका हाथ मेरे मुठ्ठी में लेके , थोड़ा दबाके मेरी स्वीकृति जताई और बोला
" नानी जी...आप बिलकुल परेशान मत होइये. आप की बेटी को में खुश रखुंगा. और हम सब मिलके खुश रहेंगे"
नानी जी के होठो पे एक मुस्कराहट आने लगी. और फिर थोड़ा हसके मेरे गाल पे प्यार से एक हल्का सा चाटा मारके बोली
" पागल लड़का...मुझे अब नानी क्यों !!!....मम्मी तो बोल"
वह हसने लगी और में शर्म में डुबा जा रहा था

लंच के टाइम सिचुएशन कुछ और था नानाजी पण्डितजी से मिलके आकर बेफिकर अपना शर्ट खोल के उनके बेड रूम में कुरसी के ऊपर रख दिया था जब नानाजी नहाने गये थे तब नानी उस शर्ट को हंगर में डालके टाँगने गयी. और तभी शर्ट की पॉकेट से एक पैकेट सिगरेट मिला. नानाजी नानी से छुपा के यह सब करते है. पर आज ग़लती से यह भूल गये वह. और पकडे गये. और तब से नानी नानाजी को डाटना सुरु कर दिया. ऐसे तोह वह बोलती बहुत ज्यादा, ऊपर से आज यह पॉइंट मिलगया और भी बोलने के लिये. नानाजी चुप चाप चोर जैसे टेबल में बैठके खाना खा रहे थे मैं भी ज़ादा इंटरफेर न करके खाने लगा. नानी जब नाना को डाँट ती है, तब जो भी नाना को सपोर्ट करेगा, उसको नानी से रहम नहीं मिलेगा. बचपन से एहि देख ते आया था मैं. खाना खा रहा था और बीच बीच में आँख उठाके उन दोनों को देख रहा था अचानक मेरी नज़र उनलोगों के पीछे किचन डोर पे पड़ी. मैं देखा की माँ किचन डोर के पीछे छुपके सीधा मुझे गौर से देख रही है. उनकी आँखों में जो ख़ुशी की झलक थी , और होठो पे प्यार भरी मुस्कान, वह मुझे दिख गयी. पर जैसे ही उनके साथ मेरी नज़र मिली , वह झट से अंदर छुप गयी. जैसे कोई टीनएज गर्ल अपने प्रेमी को देख के शर्म से छुपती है. मेरे छाती में पानी के तरंग जैसी कोई एक अनुभुति मेरे दिल के अंदर जाके दिल को छुने लगी. मैं नाना नानी के इस झगडे के बीच में बैठके भी एक सुखानुभूति से बंध होकर खाने लगा.

मैं जल्दी में था सुबह से साइट पे जाके सुपरवाइज़ करना है. इसलिए उस दिन जल्दी निकलने लगा घर से. मैं ज़ादा कुछ कैरी नहीं करता था एक छोटा रैक्सक बैग में अपनी जरूरी कुछ चीज़ें लेके चलता हुँ. मैं वह सब चीज़ें बैग में भरके स्टडी टेबल के पास चेयर पर रख दिया. एक जीन्स और पोलो टी-शर्ट पहनके बाहर ड्राइंग में आके चाय पी रहा था और नाना जी से लास्ट मिनट डिस्कशन कर रहा था नानी भी थी. अचनाक किचन से माँ की आवाज़ आयी और नानि को किचनमें बुलाया. कुछ ही देर में नानी कपड़े के एक छोटे बैग में टिफ़िन बॉक्स भरके लेके आयी और मुझे थमा दिया. इन लोगों का, स्पेशल माँ के प्यार का यह टार्चर हर बार मुझे सहना पडता है. रात में ट्रैन में खाने के लिए मुझे ले जाना पडता है. मैं घर से कैर्री करके लेके जाना नहीं चाहता हु, फिर भी इनसब को में दुःख नहीं देना चाहता हुँ.
नाना नानी ड्राइंगरूम में बैठे है. मेरा जाने का टाइम हो गया. मैं उठके अपने रूम की तरफ चला बैग लेके आने के लिये. मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था मैं मेरे रूम में एंट्री करके जैसे ही स्टडी टेबल की तरफ राईट मुडा, में चौंक गया. स्टडी टेबल के पास वाली दीवार से पीठ टिकाके माँ खड़ी है. मेरी नज़र उनपे टीकी हुई है. उनकी आँखो में पहली बार दिखाइ दिया वह प्यार जो एक लड़के के लिए एक लड़की के मन में होता है, एक प्रेमी के लिए उनके प्रेमिका के दिल में होता है. उनकी गुलाबी होठ पे एक मुस्कराहट झलक मार रहा है. साथ ही साथ उनके दो पतले होठ एक अद्भुत आवेश में थोड़ा थोड़ा कांप रहा है. पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया है. मैं उनसे नज़र मिलाके देखे जा रहा हु और अंदर ही अंदर बहुत कुछ बोले जा रहा हुँ. पर एक भी बात मुह तक आइ नही. नाहीं कुछ कर पा रहा हुँ. अचानक वह नज़र झुका ली. मेरी नज़र नीचे करतेहि उनके गले के नीचे छाती पर और मख़्खन जैसे मुलायम क्लीवेज एरिया में आके टिक गया. मेरा पेनिस जीन्स के अंदर छट फ़ट करना सुरु करदिया. और तभी माँ दौड़कर आके मेरी छाती में उनका मुह घुसा दिया और दोनों हाथ पीछे ले जाके पीठ के ऊपर रखके मुझे कसके पकड़ लिया. उनका पूरा शरीर मेरे शरीर से चिपका हुआ है. पहली बार इस तरह मुझे हग किया उन्होंने. एक माँ जैसा नही, एक नयी नवेली बीवी जैसे मुझे पकड़ के रखा. उनके नरम नरम बूब्स मेरे छाती के उप्पर चिपके हुये है. उनका ग्रोइन एरिया मेरा थाई के साथ चिपका हुआ है. उनका फ्लैट पेट् मेरा ग्रोइन एरिया के साथ चिपका हुआ है. वह मेरा तना हुआ पेनिस को मेरी जीन्स के ऊपर से अपने पेट में मेहसुस किया होगा. मैं उनके बालों में मेरा मुह घूसा के, उनको अपने दोनों हाथों से पकड़ के और जोर से मेरे साथ चिपकाने लगा. हम कोई कुछ बोल नहीं रहे थे, केवल एक दूसरे को महसुस कर रहे थे. ऐसा करके मुझे जो कहना था वह कह दिया और मुझे जो कुछ पुछ ना था उनको जवाब भी मिल गया. अचानक उनकी ग्रिप लूज हो गई और वह अपना चेहरा मेरी छाती से अलग करने का संकेत दि. मैंने मेरी पकड़ छोड़ दि. उन्होंने मेरे से थोड़ा अलग होकर मेरे सामने बस कुछ मोमेंट्स खड़ी रही नज़र नीचे करके, फिर तेजी से दौड के अपने रूम में चलि गयी.
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11-29-2019, 12:36 PM,
#19
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
मुझे वहां खड़े खड़े उनके जाने की दिशा में देखते देखते महसुस होने लगा की अगले १६ दीन....बस अब १६ दिन नही, बल्की १६ साल जैसे लगने लगे. नानाजी पण्डितजी से शादी की डेट पता करके आये है. वह शुभ मुहूर्त आज से १६ दिन बाद है.
अब हालत ऐसी है की इतना कुछ होने के बाद अब १६ दिन रहेंगे कैसे. अब मुझे एक भी पल उनको छोड़के रहने का मन नहीं कर रहा था

पर हा...तब मुझे पता नहीं था की इन १६ दिनों में बहुत कुछ होगा, बहुत कुछ मिलेगा हमे, जो हमारे आगे की ज़िन्दगी जीने का रास्ता सहज कर देगा. और साथ में मुझे एक नई चीज़ भी मिलेगी, जो आज तक मेरे नसीब मेंनहीं हुआ था कुछ दिन के लिए मुझे अपनी ही होनेवाली बीवी के साथ छुप छुप के प्यार करने का मौका भी मिल गया था


वास्तव में आज सुबह एमपी पहुँचके ,जल्दी जल्दी फ्रेश होकर दौड़ लगाया साइट की तरफ. ऑफिस की गाड़ी थी मुझे पहुचाने के लिये. मैं वह लेके जब साइट पंहुचा तब सब मेरे लिए ही वेट कर रहे थे ब्रिज कंस्ट्रक्शन चल रहा है. एक तरफ की एंट्री पूरी होने जा रही है , तो उसे सुपरवाइज़ करके देखना पड़ रहा था प्लानिंग और डिज़ाइन के मुताबित सब बराबर जा रहा है की नही. मैं इस काम में नया हुँ. पर कुछ काम ऐसे होते है जो इंसान अपनी बुध्धि, मेधा और कॉमन सेंस लगा के जल्दी पकड़ लेता है. आज का दिन बहुत भारी था पूरा दिन साइट पे बिताके शाम को जब वापस आया , तब बॉडी में कुछ बचा नहीं था घर आके बिस्तर पे लेट गया और बस अब नीद टुटा. दिन भर की थकावट के साथ साथ पिछले कुछ दिन से नीद भी कम हो रहा था आज उसी का असर एकसाथ पड़ गया.
तेज भूक लग रही थी जल्दी से फ्रेश होकर खाने गया तो फस गया. अब याद आया. जो आदमी टिफ़िन सप्लाई करता है, आज वह दिन में ही फ़ोन करके बता दिया था आज रात को खाना दे नहीं पायेगा. पर तब इतना बिजी था की में 'हउम', 'हा', 'ठिक है' बोलके काट दिया था और बाद में एकदम भूल गया. मैं यहाँ एक मोहल्ले के अंदर रहता हुँ. मार्किट थोडी दूर है. ऑफिस के रस्ते मे. सो अब इस हालत में इतनी रात में बाहर जाके खाना खाने को एनर्जी नहीं मिला. मैं किचन में गया. फ्रिज में केवल अंडा मिला. संडे रहने के कारन न दूध न ब्रेड कुछ था नही. उस अंडे और मैगी लेके बनाना शुरू किया. मुझे बस इतना ही पकाना आता है. कभी माँ किचन में जाने ही नहीं दिया. और बैचलर लाइफ का भरोसा मैगी अंडे से ही कभी कभी काम चलाता हुँ. पर अचानक मन में आया की अरे अब तो मेरी बैचलर लाइफ ही ख़तम होने जारही है. अब तो फॅमिली मैन बनने जा रहा हुँ. कुछ ही दिन में मुझे फिर से माँ के हाथ का खाना खाने का सौभाग्य होगा. लेकिन यहाँ मुझे माँ का नही, मेरा पत्नी का, शादी किया हुआ बीवी के हाथ का खाना मिलेगा. मैं मैगी बनाते बनाते कल के बारे में सोच रहा था माँ को मालूम था की में बैग लेने के लिए रूम मै जाऊंगा. इसलिए वह जल्दी से नानी के हाथ टिफ़िन बॉक्स भेजकर , फटा फट पीछे के बरामदे से जाके मेरे रूम में चलि गयी और मेरा इंतज़ार करती रहि. यह सब सोच के मन में एक ख़ुशी का आवेश आने लगा. माँ कल मुझे संमझा दिया की वह हमारे नये रिश्ते के लिए अब कितनी खुश है. वह मुझे दिल से चाहती है. मुझे अपने पति के रूप में प्यार करना शुरू किया. यह सब उनकी हरकतों से और उनकी नज़रों से मुझे संमझा दी. वह चाहती थी की मेरे मन में जो दुविधा, संकोच और बहुत सारे सवालों का तूफ़ान चल रहा था में इस बार एमपी आने से पहले वह सब क्लियर हो जाये. सो लास्ट मोमेंट में खुद आके वह सब कुछ जताके गयी. अब में उनको बीवी के रूप में सोचु यह बात भी उन्हेंने संमझा दी. आज दिन भर इस बारे में सोचने का टाइम ही नहीं था पर अब में उनको मिस करना शुरू किया. न जाने क्यों, अब मुझे उनको मेरी बाँहों में भरके, आँखों में आँखे डालके उनके चेहरे की तरफ बस देखते रहु..बस इस ख्वाब से मन चंचल होने लगा
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11-29-2019, 12:36 PM,
#20
RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
मैगी बन गई थी बेड रूम में लेकर टेबल पर रखा और बिस्तर पे बैठके वाल पे पीठ टीका के एक एक चम्मच उठा उठा के खाने लगा. पर मन में एक तूफ़ान चलने लगा. अब मुझे माँ का स्पर्श पाने के लिये, उनके दिल की धड़कने महसुस करनेके लिए और उनकी मिठी आवाज़ सुनने के लिए मन बेताब हो रहा था मैं मोबाइल लिया.इस वक्त पौने दस बज रहे थे मैं मोबाइल को एक हाथ से घुमा फिरा रहा था और सोच रहा था की अब इतनी रात को क्या जागी होगी!! अहमदाबाद का घर पर साधारणता हम सब ८.३० में डिनर और ९.३० में सब अपने अपने रूम मे. मैं फिर भी आज मेरा लक ट्राय करने लगा. मैं मोबाइल का मेसेज ऑप्शन में जाके एक एसएमएस टाइप किया " मुझे अभी तुमसे बात करने के लिए मन चाह रहा है". जब वापस पडा, मुझे खुद को बेवकूफ लगा. फिर में कुछ टाइम सोचा और डिलीट करके केवल 'हाय' लिखा. पिछले एक हप्ते से उनसे मेरा कोई डायरेक्ट कन्वर्सेशन हुआ नही. और अब तो सिचुएशन एकदम अलग है. तो में एहि सही सोचा और माँ को भेज दिया. कल माँ खुद को मेरे पास सरेंडर करके, मेरे लिए उनका प्यार जता दि, फिर भी मेरे मन की सब भावनएं और संकोच अभी तक पूरी तरह दूर नहीं हुआ. कुछ कुछ चीज़ें शर्म बन के मेरे अंदर बैठी हुई है. और में जानता हु वह रहेगा. एक रिश्ते को भूल के दूसरे एक नए रिश्ते में जुड़ने जा रहे है हम दोनो. समय के साथ साथ वह नए रिश्ते हमारे बीच स्ट्रांग होते रहेंगे. मुझे मालूम है की खुद को मेरे पास सरेंडर करने के बाद भी माँ को भी टाइम लगेगा सब कुछ एडजस्ट करने के लिये. इन्ही सब भावनाओं के बीच मेरा खाना हो गया था पर मेरा मन बार बार मोबाइल पे जा रहा है. अब तक कोई रिप्लाई नहीं आया. शायद वह सो गई. मैं सोचा उनको रिंग करु. फिर लगा की अगर उनको उठने में टाइम लगेगा तोह नाना नानी को भी वह आवाज़ सुनाइ देगा. नानी जी अनिद्रा पेशंट है रात में जगा रह्ते है कभी कभी. अगर वह सुन लिया तोह समझ जायेंगे इतनी रात किसका फ़ोन है. क्यूँ की माँ को ज़ादा कोई फ़ोन करता नहीं है, में ही जो करता हुँ. पहले होता तो इतनी रात ठीक था लेकिन अब मुझे एक शर्म आने लगा. मैं निराश हो गया. मैं बाउल और स्पून लेके किचन जाने के लिए जैसे ही उठा एक एसएमएस आया. मेरे मन में एक अजीब अनुभुति फ़ुट ने लगी. मैं तुरंत एसएमएस देखा. माँ ने भेजा है. उन्होंने भी केवल 'हम्म' भेजा. मेरे होठो पे मुस्कराहट खेल गई. मैं समझ गया वह जागी हुई है और वह भी मेरे जैसी हर पल भावनाएं और ख़ुशी की एक अद्भुत मिश्रण अनुभुति से घिरा हुआ है. मैं फिर से बेड पे उठके बैठा और गोद में एक तकिया लेके वाल से टेक लगाके रिप्लाई करने लगा. अब जब वह मेरे से बात सुरु कर दिया है, तभी मेरी सब बातें अंदर ही अंदर दौड़ने लगी. सही शब्द ढूँढने लगा में. कुछ न पाके लिख दिया 'मा तुम अभी भी जागी हो?'. मैं सेंड बटन दबाने ही वाला था की में रुक गया. और एक बार नज़र फिराके टेक्स्ट को करेक्शन किया. क्या तुम अभी भी जागी हो?' भेज ने के बाद में मोबाइल स्क्रीन पे नज़र लगा के बैठा हु पर दिमाग में और कुछ चल रहा है. मैं इस बार अहमदाबाद जाके भी उनको माँ कह के बुला रहा था पर कल के बाद मुझे लगा की मुझे अब जल्दी पूरी तरह से नये रिश्ते को अपनाना पडेगा. बिप बिप. माँ रिप्लाई भेजीं है 'हममम' बोलके. शायद उनको इस सवाल का जवाब देणे में शर्म आया होगा. क्यूँ की उतना लिखने में बहुत टाइम लगा दि. मेरा मन ख़ुशी से भर रहा है. अभी भी जागी है !! शायद वह भी उनके अंदर की जो उनकंफर्टबले चीज़ें है, वह सब को सोच के, उसको तोड़मोड़ करके कुछ उपाय निकाल ने की कोशिश कर रही होंगी. मेरे दोनों हाथो के थंब अब मेरे मोबाइल की पैड के उप्पर नाच रहैं है. मन में तूफ़ान और दिमाग में संकोच. समझ नहीं आया क्या करूँ--कैसे करूँ या डायरेक्ट फ़ोन लगाउ. मैं ने टाइप किया “क्या में तुम को फ़ोन कर सकता हु?'. पहली बार अपनी माँ से इस तरह बात कर रहा हुँ. आज तक जब चाहे, जहाँ से चाहे , उनको फ़ोन किया. न मेरे मन में कोई संकोच , न वह कभी कुछ कहती. आज हम दोनों ज़िन्दगी की राहों में ऐसा एक मोड़ पे खड़े है, की कुछ भी करने से पहल, बोलनेसे पहले मन में दुविधा आ रही है. जैसे हम अन्जान दो इंसान है. इतने सालों का सब कुछ अचानक बदल गया और हम अब नाप तोल के सब कुछ करने में लगे है. लेकिन हा...मैं यह भी जनता हु की में उनके बारे में और वह मेरे बारे में अब तक जितना भी कुछ जाणू ना क्यूं, अब से हम को दूसरे तरिकेसे एक दूसरे को जानना शुरू करना पडेगा. अब एक दूसरे के दिल का दरवाजा, जो दरवाजा केवल ज़िन्दगी में अपने जीवनसाथी केलिए ही खोलते है, उसको खोलना पडेगा. टाइम निकल गया, पर रिप्लाई आया नही. शायद अब माँ फ़ोन पे डायरेक्ट बात करने में शर्मा रही है.
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