RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मोम ने मेरी हर कमज़ोरी अच्छी तरह से भाँप ली थी और वह बड़ी चालाकी से उनका उपयोग करने लगी थी. मुझे उत्तेजित करती और अपना काम निकाल लेती. उदाहरण एक रात वह ज़रा ज़्यादा ही गरमा गयी थी. मैंने उसके चूत चॅटी और फिर दो बार उसे कस कर चोदा. फिर भी उसका मन नही भरा था.
मैं पलंग पर लास्ट पड़ा था. लंड फिर से खड़ा होने का कोई चांस नही था. मोम मेरे पास लेटकर मुझे चूमते हुए, मेरे मुँह मे अपनी चुचि देते हुए उसे हाथ से मसलकर अपनी भरसक कोशिश कर रही थी. मैंने भी कहा
"ममी सॉरी, अब मुझसे नही होगा" वह हँस कर बोली
"ठीक है, ना सही. चल एक खेल खेलते है. तेरा चप्पल वाला खेल नही देखा बहुत दिन से. आज ज़रा करके बता" मेरी इच्छा नुसार्वह हमेशा अपनी सैंडल या रबर की स्लिपर पहने रहती, चुदाइ के समय भी. उसने अपनी एक स्लीपर उतारी और मेरा सिर अपनी गोद मे लेकर पलंग के छोर से टिक कर बैठ गयी. अपना दूसरा पैर बढ़ा कर उसने मेरे मुरझाए लंड को अपने पैर के तलवे और चप्पल के बीच पकड़ लिया. फिर धीरे धीरे उसे रगड़ने लगी. मोम के कोमल तलवे और चप्पल के मुलायम रबर की फाइलिंग, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. फिर उसने कहा
"मूह खोल ना अनिल"
"क्यों मोम ?" मैने कहा. अपने हाथ की स्लीपर मेरे होंठों पर हौले हौले रगड़ते हुएवह बोली
"चाट ना मेरी चप्पल. आज बहुत देर पहनी है. तुझे मज़ा आएगा" मैने उसकी आँखों मे देखा.वह मज़ाक नही कर रही थी. मोम की आँखे कामना की खुमारी से भरी थी. मैने जीभ निकालकर उसे चाटना शुरू कर दिया. बहुत उत्तेजना हुई. मोम अब खुद मेरी फेटिश को बढ़ावा दे रही थी. उसने भी खिलखिलाते हुए मुझे सताना शुरू कर दिया. कुछ देर चाटने देती, फिर अचानक उसे मुहासे दूर कर देती. कभी चप्पल का छोर मेरे मूह मे डाल देती और कहती
"ज़रा चूस कर देख ना, मोम का भक्त है ना तू, मोम के चरणों का पुजारी! ले आज करके बता अपनी पूजा ठीक से" दस मिनिट मे मेरा लंड खड़ा हो गया. ऐसा तन्नाया जैसे झाड़ा ही ना हो. मैं अब अपनी कमर हिला हिला कर मोम के तलवे को चोदने की कोशिश कर रहा था. उसने तब तक यहा खिलवाड़. जारी रखा जब तक मेरा कस कर खड़ा नही हो गया. फिर तुरंत मुझे पलंग पर लिटा कर मुझपर चढ़. गयी और मुझे चोदने लगी. अपनी चप्पले उतार कर उसने मेरे मुँह पर रख दीं.
"ले बेटे, तेरे खिलौने. तू इनसे खेल, मैं अपने खिलौने से खेलती हू" मैंने मोम की चप्पले गालों से सटा ली और उन्हे बेतहाशा चाटने और चूसने लगा जैसा पहले मूठ मारते समय करता था. बस वह मेरी ओर देखकर हँसती जाती और मुझे चोदति जाती. उसकी उछलती छातियों और मुँहा पर पड़ी चप्पालों ने मुझपर ऐसा जादू किया कि मैं झदाने को आ गया.
मोम ने तुरंत चोदना बंद कर दिया. चप्पले भी मुझसे छीन ली. तब तक बैठी रही जब तक मेरा ज़ोर कम नही हो गया. फिर मुझे चोदने लगी. उस रात उसने पंद्रहा बीस मिनिट मुझे तड़पा तड़पा कर चोदा. जब खुद पूरी तृपता हो गयी तब मुझे झड़ाया. मैं इतना थक गया था कि बेहोश सा हो गया, लॅंड और गोटियाँ भी दुख रहे थे. मोम ने बत्ती बुझाकर मुझे बाँहों मे लिया और चुम कर सॉरी बोली
"अब सो जा बेटे, क्या करू, आज तू इतना नमकीन लग रहा था कि मेरा मन ही नही भर रहा था. पर सच बता, मेरी चप्पालों को चाटने मे मज़ा आया ना?" मोम की पसंद के दो काम थे. एक मुझसे बुर चुसवाना और मुझे उपर से चोदना. मुझे भिवह उसपर चढ़कर चोदने देती थी पर मुझे नीचे सुलाकर चोदना उसे ज़्यादा अच्छा लगता था. डॉमिनेंट पार्ट्नर बनाने का कोई मौका वा नही छोड़ती थी. उसके पीरियड के दिनों मे ज़रूर परेशानी होती थी. मेरा भी उपवास हो जाता था, दोनों तरह का, चोदने भी नही मिलता था और मोम की बुर का रस भी बंद हो जाता था. मोम से मैने कहा तो बोलती कि अच्छा है, तीन चार दिन तुझे भी आराम मिलना ज़रूरी है. और इससे तू ज़रा संयम रखना भी सीख जाएगा, तेरी सेहत के लिए भी अच्छा है. उसके स्तनों से खेलना मुझे बहुत अच्छा लगता. कई बार मैं उन्हे चुसते हुए कहता
"मोम दूध पीला ना बचपन जैसा" तो कहती
"अब इनमे दूध कैसे आएगा बेटे, तुझे रुकना पड़ेगा अपनी शादी होने तक, अपनी दुल्हनिया का दूध पीना" मैं कहता
क्रमशः.................
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