RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
मा बोली "चलो, मैं तैयार हू, वैसे अशोक जितना मस्त रहता है हमेशा, उससे
और क्या मस्त होगा मेरी लिंगरी देख कर!"
शशिकला मा की चूंची दबाकर बोली "अरे अच्छी चॉकॅलेट का रॅपर भी
खूबसूरत होना चाहिए, आधा मज़ा तो रैपर निकालने मे ही है. और एक बात
मम्मी, वहाँ कुछ सॅंडल और बाथरूम स्लीपर्स भी लेना है, मेरे और तुम्हारे
लिए. बहुत ज़रूरी है. ये दोनों जैसे शौकीन है हमारे पैरों और चप्पलो
के, उसके हिसाब से उनका भी इंतज़ाम करना पड़ेगा. इन दोनों की तो चाँदी है
अब"
मीठी नोंक झोंक करती हुई दोनों शॉपिंग को चली गयी. मैं और अंकल अकेले
थे. अंकल और मैं अब तक नहाए नही थे. अंकल बोले "अनिल, तुम नहा लो, मैं तब
तक कुछ ईमेल देख लू, आफ़िस का कम निपटाता हू जब तक ये दोनों पारियाँ वापस
आती है. तुम देखो वहाँ टी वी के नीचे वाले ड्रेवार मे बहुत सी सी.डी और डी.वी.डी है,
मज़ा करो, पर और कुछ नही करना, ज़रा अपने लंड पर काबू रखना,
शशिकला आकर डान्टेगी नही तो."
मैं जाकर नहाया. नाहकार वैसे ही सिर्फ़ जंघिया पहनकर बाहर आया. अब
अच्छा लग रहा था. फिल्म देखने का मूड भी हो रहा था. ड्रेवार खोल कर सी डी
उठाकर देखने लगा. तरह तरह का कलेक्शन था. समझ मे नही आ रहा था कि
क्या देखु. मुझे कुछ डी.वी.डी दिखी गे सेक्स की. अब तक मैने कभी नही देखी थी,
मा के साथ तो सिर्फ़ लेस्बियन या ग्रूप सेक्स की ही देखता था.
एक डी.वी.डी पर बने चित्र मुझे बहुत अच्छे लगे, मैने उसे लगाया बैठकर
देखने लगा. कुछ ही देर मे मेरी हालत खराब हो गयी. लंड ऐसा सनसनाया कि
समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू. उस डीवीडी मे एक भी औरत नही थी, सब
मर्द थे, वे भी हॅंडसम गोरे चिकने मर्द. एक से एक जवान और सबके लंड
बड़े बड़े और तन कर खड़े हुए. आपस मे वे जवान तरह तरह के संभोग कर
रहे थे. चूमा चाटी से शुरू करके एक दूसरे के लंड चूसना और फिर गुदा
संभोग, गान्ड मारना! पहले वे जोड़ियाँ बनाकर रति कर रहे थे पर बाद मे
सब एक दूसरे से मिल कर संभोग करने लगे. पास से क्लोज़प मे दिखते वे गोरे
लाल लंड, उन्हे चूसते हुए होंठ और बिलकुल पास से उनकी गान्ड मे घुसते
लंड!
मेरा ऐसा तना की अंकल की हिदायत को नज़र अंदाज करके मैं जंघीए के उपर से
ही अपने तंबू को सहलाने लगा. साथ ही मन चाहे जहाँ दौड़ने लगा. अंकल का
रूप बार बार मेरे सामने आ जाता, उनके लंड का आकार आँखों के सामने आ
गया. मा की चूत और गान्ड मे घुस कर उन्हे चोदते हुए वह कैसा दिख रहा
था वह द्रुश्य याद आ गया. और कितना गाढ़ा वीर्य निकला था उसमे से,
एकदम सफेद मलाई जैसा! अब तक समलिंगी संभोग के बारे मे मैने सोचा
नही था पर दो दिन हुई चुदाई से मन आज़ाद हो गया था, हर चीज़ के बारे मे
सोचने लगा था.
अचानक पीछे से मेरे कंधे पर ज़ोर से किसीने हाथ रखा. मैं चौंक गया और
शरमा गया. अशोक अंकल थे, अभी अभी नहा कर आए थे. तौलिए से सिर पोंछ
रहे थे. वे एकदम नंगे थे, बस मेरी तरह अंडरवेर पहने थे.
"तेरी मा और शशि आती ही होंगी इसलिए मैने सोचा कि तैयार रहा जाए, वे गरम गरम
आएँगी, कपड़े उतारने मे क्यो समय बरबाद किया जाए. क्या देख रहा है
यार? ओहो, ये वाली डी.वी.डी! मज़ा आया?" शैतानी से मुसकाराकार वे मेरे बाजू मे
ही बैठ गये.
मैं कुछ सकुचा रहा था पर लंड अब भी तना था. मेरी जाँघ पर हाथ रखकर
अंकल बोले "लगता है पसंद आ गयी डी वी डी तुझे. चलो अच्छा हुआ, मैं भी कई
बार देखता हू" वे मेरे बिलकुल पास बैठकर पिक्चर देखने लगे. उनके
जंघीए मे भी अब तंबू तनने लग गया था. मेरी ध्यान बार बार उधर जाता.
कितना बड़ा था उनका लंड! क्या मेरा कभी इतना बड़ा होगा! उनके शरीर से बड़ी
भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, शायद नहाते समय लगाए इंपोर्टेड साबुन की.
थी डीवीडी पर अब तीन जवान मिलकर एक जवान के पीछे पड़े थे. एक ने उसकी गान्ड मे
लंड घुसेड कर उसे गोद मे बिठा रखा था और उसके निपल सहलाते हुए उसकी
पीठ का चुंबन ले रहा था. एक सामने बैठकर उसका लंड चूस रहा था और
तीसरा सामने खड़ा होकर अपना लंड उसे चुसवा रहा था.
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