RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
एक मिनिट रुक कर अंकल आगे बोले "मेरे बेडरूम मे चलते है. वहाँ ठीक
रहेगा. मेरा कब का सपना था कि तुझे अपने बेडरूम मे ले जाउ. पहले एक और
चीज़ दिखाता हू" कहकर वे उठे और जाकर अपने बैग मे से एक एलबम ले आए.
मुझे देखने को दिया.
एलबम मे एक खूबसूरत औरत के चित्र थे. चेहरा बहुत जाना पहचाना था पर
समझ मे नही आ रहा था. पहले चित्र मे उस स्त्री ने साड़ी पहनी थी. फिर एक एक
कपड़ा निकाल कर फोटो थे. आख़िरी के फोटो मे बस वह औरत ब्रा और पैंटी मे
थी. अच्छे फूले हुए ब्रा मे कसे हुए स्तन और गोरा अधनन्गा बदन. आखरी फोटो
मे जिसमे पैंटी पूरी दिख रही थी, उसमे पैंटी आगे से गजब की फूली थी, तंबू
बना था, जैसे अंदर बड़ा लंड हो.
"पहचाना कौन है?" डॅडी ने कहा और अचानक मेरे दिमाग़ मे बिजली सी
कौंध गयी "कितनी खूबसूरत है ...अंकल चेहरा तो आप जैसा है, क्या आप की कोई
बहन ... पर यह तो शीमेल है या कोई पुरुष ... पर अंकल याने ये ...?"
अंकल मुस्काराए "हां मैं ही हू, मस्ती मे मुझे कभी कभी औरतों जैसा
सजना अच्छा लगता है, और किसी ने मेरा यह रूप नही देखा है, शशिकला ही
मेरी मदद करती है. हम ऐसे ही संभोग करते है, वह कहती है कि इसमे
उसे दोनों तरफ का याने हेटारो और लेस्बियन सेक्स का आनंद आता है"
मैने फिर गौर से देखा. डॅडी ही थे. डॅडी हॅंडसम थे पर कई हॅंडसम
पुरुषो का चेहरा अगर औरत पर लगाया जाए तो अजीब सा लगता है. यहाँ ऐसा
नही था, डैडी एकदम खूबसूरत लग रहे थे, उनका मेकअप बहुत अच्छा किया
था, उनके शरीर पर बाल न होने से भी इसकी सहूलियत थी. एकदम लाल लिपस्टिक,
गालों पर रूज, कानों मे बाली, लंबे बाल, शायद एक विग लगाया था पर एकदम
सच्चे बाल लगते थे. ऐसी कोई बात नही थी जिससे उस फोटो मे अंदाज़ा हो कि यह
औरत नही पुरुष है, सिवाय पैंटी मे बने उस तंबू के.
मेरा लंड अब उछलने लगा था. अंकल हँसने लगे. मुझे बाहों मे लेते हुए
बोले "मेरा यह रूप पसंद आया लगता है. तुझे ज़रूर चखाउन्गा, अभी नही
अगले हफ्ते, ठीक से तैयार होने मे समय लगता है. अब तो समय ही समय है
हमारे पास मौज करने को. शशिकला ने बेचारी ने बहुत मेहनत की है, मेरे
नाप की खास पैडेड ब्रा बनवाई है, मेरे पास अब दस ब्रा और पैंटी का स्टाक है
और चार तरह के विग वैसे तू भी बहुत अच्छा लगेगा अनिल इस रूप मे"
मैं कल्पना करने लगा कि शशिकला की ब्रा और पैंटी पहना हू और विग लगाया
हू. मन भटकने लगा.
अंकल बोले "अब तो हर तरह से ट्राइ करेंगे. कभी तू दुल्हन बनना, कभी मैं.
कभी हम दोनों औरते बनकर सिर्फ़ लेस्बियन सेक्स कर सकते है मम्मी और
दीदी के साथ. असल मे अनिल, पैसा बहुत हो तो फिर ये चीज़े आसान हो जाती है.
आदमी कुछ भी कर सकता है, सबसे छिपाने मे भी आसानी होती है. मैं और
शशि कब से यह सुख भोग रहे है, अब तुम और रीमा भी आ गये हो, अब तो हर
तरह के कॉंबिनेशन बन सकते है."
हम दोनों अब बहुत उत्तेजित थे. अंकल ने मा की चप्पले मेरे लंड मे अटका
दी और शशिकला की मेरे हाथ मे दे दी. फिर मुझे गोद मे उठा लिया. "आज तू मेरी
दुल्हन है अनिल, तुझे दुल्हन सा उठा कर अपने बेडरूम मे ले चलता हू, देख
अपनी दुल्हन को आज कैसे भोगता हू मैं, फिर दोपहर को तू मेरा दूल्हा बन जाना"
कहकर डॅडी मुझे उठाकर बेडरूम मे ले गये. जाते जाते अचानक मुझे
याद आए वह दिन जब मैं छुप छुप कर मा की कामना किया करता था. मा का
यह दुलारा आज कहाँ से कहाँ आ गया था!!!
समाप्त
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