Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
रेशमा की चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और गांड़ का छेद अपने आप खुल और बंद हो रहा था। शादाब ने उंगली से रेशमा के गांड़ के छेद को सहला दिया तो रेशमा से इतना मजा बर्दाश्त नहीं हुआ और सिसक उठी

" उफ्फ शादाब हाय तू तो कमाल की मालिश करता है, मेरी जांघों में भी दर्द हो रहा है।

इतना कहकर रेशमा एक झटके के साथ पलट गई तो शादाब की आंखो के आगे उसकी चूचियां और चूत उछल पड़ी। शादाब के मुंह से अपने आप एक आह निकल पड़ी और वो ध्यान से रेशमा के जिस्म को देखने लगा। रेशमा अपनी दोनो आंखे बंद कर चुकी थी। सांस तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी चूचियां उछल कूद कर रही थी और चूत पूरी तरह से गीली थी और रस जांघो तक अा गया था।

शादाब रेशमा की टांगो के बीच अा गया और उसकी जांघो को क्रीम लेकर जोर जोर से मसलने लगा। रेशमा का जिस्म झटके पर झटके खा रहा था और उसकी हल्की हल्की सिसकियां निकल रही थीं। शादाब का लंड अभी तक नंगा ही था और उसकी टांगो के बीच में पूरी तरह से अकड़ रहा था। शादाब रेशमा की जांघो को अब पूरी ताकत से रगड़ रहा था और रेशमा जानती थी कि अब उसे चुदने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन उसकी चूत के अंदर एक सिरहन सी दौड़ रही थी क्योंकि वो लंड के आकार से सहमी हुई थी।

रेशमा सिसकती हुई बोली:"

" शादाब उपर से नीचे तक मेरी जांघो से कंधे तक मालिश करो तभी जाकर ये दर्द खत्म होगा।

शादाब ने अब अपने हाथ को उसकी जांघ से आगे बढ़ाते हुए जैसे ही चूत को छुआ तो रेशमा ने दोनो हाथो में बेड शीट को दबोच लिया और कांपने लगी। शादाब उसकी चूत को मसलते हुए उपर की तरफ गया और जैसे ही चूचियों तक पहुंचा तो आगे को खिसक गया और लंड रेशमा की चूत से टकरा गया जिससे रेशमा के जिस्म मस्ती से भर उठा और शादाब ने उसकी चूचियों को प्यार से सहलाया और फिर से नीचे की तरफ आया तो लंड चूत पर से हट गया और जैसे ही अगले बार शादाब चूत को सहलाते हुए उपर की तरफ गया तो रेशमा ने दोनो हाथो से अपनी चूत खोल दी और लंड का सुपाड़ा चूत में बुरी तरह से रगड़ गया जिससे रेशमा से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसकी चूत ने अपना रस बहा दिया और रेशमा मस्ती से सिसक उठी

" आह शादाब, उफ्फ मेरी चूत, हाय झड़ गया में।

शादाब रेशमा के उपर से उठ गया और एक हाथ से उसकी चूचियां और दूसरे हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा।

रेशमा की चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी और शादाब उसकी चूत की फांकों को बुरी तरह से रगड़ रहा था जिससे रेशमा के मन में अब लंड चूत में लेने की इच्छा हुई और जैसे ही शादाब ने उसकी चूचियों को सहलाया तो रेशमा ने अपनी टांगे बंद कर ली और अपने दोनो हाथ शादाब के हाथो पर टिका दिए और अपनी चूचियों को दबाने लगी। शादाब अब पूरी तरह से खुल गया और जोर जोर से उसकी चूचियां दबाने लगा तो रेशमा ने अपनी आंखो के आगे लहराते हुए उसके लंड को मुंह आगे करके अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

शादाब लंड के झटके रेशमा के मुंह में ही मारने लगा और उसकी चूचियों की अकड़ दूर करने लगा। रेशमा ने एक उंगली अपनी चूत में घुसा ली और जोर जोर से सिसकने लगी तो शादाब ने उसकी तरफ देखा तो रेशमा ने स्माइल करते हुए उसे अपनी चूत की तरफ इशारा किया तो शादाब एक झटके के साथ अलग हुआ और रेशमा की टांगो के बीच में आ गया तो रेशमा ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अपने होंठ शादाब के होंठो पर रख दिए और चूसने लगी। शादाब भी अपनी प्यासी बुआ के होंठो को चूसने लगा। रेशमा ने हाथ नीचे ले जाकर लंड को अपनी चूत के मुंह पर टिका दिया और शादाब को जोर से कस लिया तो शादाब ने एक तेज झटका मारा और लंड का सुपाड़ा रेशमा की चूत की फांकों को खोलता हुआ अंदर घुस गया। रेशमा की किस टूट गई और वो दर्द के मारे सिसक उठी और शादाब को पूरी ताकत से कस लिया और शादाब को देखते हुए बोली:"

" आह शादाब, बहुत तड़पाया है इस लंड ने, अब घुसा दे मेरी चूत में!!

शादाब ने रेशमा के दोनो कंधो को थाम लिया और पूरी ताकत से एक जोरदार धक्का लगाया तो लंड रेशमा की चूत को फाड़ते हुए जड़ तक अन्दर घुस गया।

" आह शादाब, उफ्फ मर गई, तेरा लोला घुस गया मेरी चूत में, उफ्फ कितना मोटा है ये
रेशमा ने शादाब के गले में अपनी बांहे लपेट दी तो लंड चूत में जाने से शादाब को भी सुकून मिला और अगले ही पल उसने लंड को बाहर निकाला और पूरी ताकत से रेशमा की चूत को घुसा दिया तो लंड सीधे बच्चेदानी से जा टकराया तो रेशमा मस्ती से पागल सी हो गईं और शादाब के मुंह को चूमने लगी और बोली:"

" आह शादाब उफ्फ कितना अच्छा हैं ये लोला, उफ्फ मेरी बच्चेदानी में घुस गया। चोद मुझे उफ्फ हाय मा मेरी चूत

शादाब बिना रुके जोर जोर से धक्के लगाने लगा तो रेशमा की सिसकियां पूरे घर में गूंजने लगी।

शादाब के खूंखार लंड के आगे रेशमा की चूत ज्यादा देर नहीं टिक पाई और उसके मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल गई और उसने शादाब को पूरी ताकत से कस लिया

" आह मा उफ्फ चुद गई मैं शादाब, मार दी तूने मेरी चूत,

रेशमा ने अपनी टांगो को पूरी ताकत से भींच लिया और शादाब का लंड चूत के अंदर फस सा गया। रेशमा का पूरा शरीर आंनद में डूब गया और उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई। रेशमा की चूत से निकलता हुआ गर्म गर्म लावा शादाब के लंड को तपाता रहा और जैसे ही रेशमा की चूत कि पकड़ ढीली हुई तो शादाब ने लंड को एक झटके के साथ बाहर निकाला और रेशमा की चूत में घुसा दिया। लंड एक तीर की तरह सरसराते हुई चूत में जड़ तक उतर गया। रेशमा जो कि अभी तक अपने स्खलन का आनंद महसूस कर रही थी उसके मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी और शादाब ने बिना देर किए उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया। हर धक्के पर शादाब का लंड पहले से ज्यादा कठोर होता जा रहा था और रेशमा की चूत ज्यादा जोर से रगड़ रहा था जिससे रेशमा की चूत एक बार फिर से कांप उठी और रेशमा जोर से आह भरते हुए झड़ गई।

" आह शादाब, उफ्फ गई मेरी चूत, आह बस उफ्फ हाय मा री सीई ईई
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10-08-2020, 02:15 PM,
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रेशमा ने जैसे ही पहले की तरह अपनी टांगो को कसना चाहा तो शादाब ने उसकी दोनो टांगो को फैला दिया और एक पागल सांड की तरह धक्के मारने लगा, रेशमा को हर धक्के पर अपनी सांसे रुकती हुई महसूस होने लगी और लंड के धक्कों से उसकी चूत में जलन होने लगी

" उफ्फ फट जायेगी मेरी चूत, हाय हट जा शादाब, हाय मा मार ही देगा क्या ?

शादाब:" उफ्फ बहुत गर्मी चढ़ी थी ना तुझे, मुझे दवा खिलाएगी, अभी तेरी सारी आग ठंडी करता हूं रेशमा

इतना कहकर शादाब ने बिजली की स्पीड पकड़ ली और रेशमा को लगा जैसे लंड उसकी बच्चेदानी को फाड़ कर रख देगा, रेशमा का पूरा जिस्म हिल रहा था, चूचियां पूरी जोर जोर से उछल रही थी और रेशमा अपनी गर्दन को इधर उधर पटक रही थी और आंखे फटी जा रही थी

रेशमा की हालत खराब हो चुकी थी और वो पूरा दम लगाकर बचना चाहती थी लेकिन शादाब ने उसे पूरी तरह से दबोच रखा था। आखिरकार रेशमा ने अपना आखिरी दांव खेला और अपनी चूत को कस लिया तो शादाब का लंड पुरा फसा हुआ जाने लगा और लंड की रगड़ से रेशमा को उसकी चूत फटती हुई महसूस हुई और शादाब का लंड भी इस दबाव को महसूस करने लगा और अगले कुछ धक्कों में ही वो झड़ने के करीब पहुंच गया।

रेशमा की तो जैसे जान निकल रही थी इसलिए उसने हाथ आगे करके शादाब की बॉल को हल्का सा सहला दिया और शादाब ने पूरी ताकत से लंड को पूरा बाहर निकाला और रेशमा की आंखो में देखते हुए एक झटके में ठोक दिया। रेशमा को लगा जैसे लंड उसकी बच्चेदानी को फाड़ कर कमर से बाहर निकल जाएगा और दर्द से कराह उठी

"आह उफ्फ मा बचा ले मुझे, हाय मेरी चूत गई,

इस धक्के के साथ ही शादाब रेशमा के जिस्म पर एक झटके के साथ गिर पड़ा और उसके लंड ने रेशमा की चूत में एक के बाद एक पिचकारी छोडनी शुरू कर दीं। वीर्य का एहसास होते ही रेशमा की चूत एक बार फिर से झड़ गई और उसने मस्ती से सिसकते हुए शादाब को पूरी ताकत से कस लिया और उसका मुंह चूमने लगी।

थोड़ी देर के बाद जैसे ही दोनो की सांसे नॉर्मल हुई तो रेशमा ने फिर से शादाब का गाल चूम लिया और बोली :"

" थैंक्स शादाब, आखिर अपना खून ही मेरे काम आया।

शादाब हैरान हो गया कि वो तो गुस्से में रेशमा को चोद रहा था और यहां रेशमा उससे प्यार जताते हुए उसे थैंक्स बोल रही है तो शादाब बोला:"

" बुआ आखिरकार तुमने मुझे फसा ही लिया।

रेशमा मुस्कुरा उठी और शादाब के हाथ अपनी चुचियों पर रख दिए तो शादाब उसकी चूचियों को दबाने लगा तो रेशमा फिर से मस्ती भरी सिसकारियां भरने लगी।

शादाब:" लेकिन बुआ आपको बहुत हुआ ना, मुझे ऐसे नहीं चोदना चाहिए था, इतनी जोर जोर से ?

रेशमा उसकी तरफ आंख मारते हुए बोली :"

" हाय मेरे भोले बालम वो दर्द नहीं मीठा मीठा दर्द होता हैं जो हर औरत का सपना होता है, औरत को जितना कठोरता से रगडो उसको उतना ही अच्छा लगता हैं।

शादाब हैरानी से:"

" तो फिर आप कराह क्यों रही थी जैसे बहुत दर्द हो रहा हो ?

रेशमा:" उफ्फ वो तो मस्ती में अपने आप हो रहा था, मैं जान बूझकर थोड़े ही कर रही थी। चूत तो बनी हैं चोदने के लिए हैं।

शादाब का लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने धक्के लगाने शुरू किए तो रेशमा फिर से मस्त हो गई। एक बार शादाब पहले से ज्यादा जोर से चोद रहा था और रेशमा उसे पूरा जोश दिला रही थी। रेशमा कभी लंड के उपर आती ती कभी घोड़ी बन कर चुद रही थी।

घोड़ी बनकर चुदने में उसे सबसे ज्यादा मजा आ रहा है इसलिए वो अपनी गांड़ खुद ही लंड पर धकेल रही थी। पूरी रात उनकी चुदाई चलती रही और लास्ट में गलती से लंड रेशमा की चूत की जगह गांड़ में घुस गया तो शादाब ने उसकी गांड़ भी मार दी। गांड़ में लंड पूरी तरह से फस फस कर जा रहा था इसलिए शादाब को बड़ा मजा आया।

सुबह तक रेशमा की चूत और गांड़ पूरी तरह से फट गई थी और उसका जिस्म शादाब ने रगड़ रगड़ कर लाल कर दिया था। जगह जगह काटे जाने, नोचे जाने के निशान थे रेशमा के जिस्म पर लेकिन उसकी रूह तक पूरी तरह से तृप्त हो गई थी।

सुबह जल्दी उठकर रेशमा नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई ताकि जल्दी से शादाब के लिए कुछ खाने का इंतजाम कर सके। शादाब की आंखे खुली और अब तक उसके दिलो दिमाग पर से गोली का असर खत्म हो गया था तो उसने अपने आपको नंगा पाया और रात हुए हादसे को याद करके उसकी आंखे भर आई और कुछ आंसू छलक पड़े।

उसने अपने कपड़े पहने और बिना रेशमा को बताए चुप चाप घर से निकल गया। शादाब को अपने आप पर गुस्सा अा रहा था क्योंकि आज वो अपनी ही नजरो में गिर गया था। उसने बस पकड़ी और दिल्ली की तरफ चल दिया।
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10-08-2020, 02:15 PM,
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रेशमा बाथरूम से शादाब को रिझाने के लिए नंगी ही बाहर अा गई लेकिन जब उसे शादाब नहीं दिखा तो उसने पूरे घर में ढूंढ़ा लेकिन शादाब होता तो वहां मिलता। थक हार कर उसने शादाब का नंबर मिलाया तो शादाब ने रेशमा का कॉल काट दिया। जब बार बार रेशमा ने कॉल किया तो लास्ट में शादाब ने फोन उठाया और बोला:"

" बुआ माफ करना मैं आपसे बात नहीं कर सकता, मैं अपनी नजरो में गिर गया हूं। रात जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था।

रेशमा:" लेकिन बेटा शादाब रात को लेकर इतना परेशान मत हो तुम। जो कुछ हुआ हम दोनों की मर्जी से हुआ।

शादाब:" बुआ इसी बात का तो मुझे दुख हैं कि मैं अपने उपर काबू नहीं रख पाया। आप मुझे कॉल मत करना, जब मेरा मन ठीक होगा तो मैं खुद आपसे बात कर लूंगा।

इतना कहकर शादाब में फोन काट दिया और अपना नंबर बंद कर लिया क्योंकि उसके अंदर शहनाज़ से बात करने की भी हिम्मत नहीं रह गई थी।

रेशमा शादाब के इस बर्ताव से पूरी तरह से हैरान रह गई और उसने फिर से कॉल किया तो शादाब का नंबर बंद मिला। रेशमा ने एक गहरी सांस ली और बेड पर लेट गई तो उसे अपनी टांगो में दर्द का एहसास हुआ। रेशमा ने अपने एक उंगली धीरे से अपनी सलवार में घुसा दी और जैसे ही चूत पर फिराई तो उसके मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। उफ्फ कितनी बुरी तरह से उसे सादाब ने पूरी रात चोदा था, ज़ालिम ने मेरी गांड़ का भी हाल बेहाल कर दिया। उफ्फ ऐसी चुदाई तो मेरी आज तक नहीं हुई कमबख्त ने एक ही रात में मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया। उफ्फ मैं तो दीवानी हो गई हूं शादाब के लंड की। कुछ भी करके मुझे इसे अपने जाल में फ़साना ही होगा ताकि मैं आगे भी रात जैसी चुदाई का मजा ले सकू।

दूसरी तरफ शहनाज़ सुबह उठी और दादा दादी को चाय बनाकर दी और दिन हल्का हल्का निकलने लगा तो उसने शादाब का नंबर मिलाया क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा अब तक उठ गया होगा। लेकिन शादाब का नंबर हो स्विच ऑफ था इसलिए शहनाज़ को उसकी चिंता हुई क्योंकि शादाब का नंबर कभी बंद नहीं होता था। शहनाज़ का दिल परेशान हो गया और मन मारकर घर के कामों में लग गई।

शादाब मेट्रो स्टेशन पहुंच चुका था और भी तक सुबह के सात बज चुके थे इसलिए धूप अच्छी खासी निकल अाई थी। अजय भी शादाब को बार बार कॉल कर रहा था लेकिन उसका नंबर नहीं मिल रहा था। शादाब मेट्रो में बैठ गया और रात हुई घटना किसी फिल्म की तरह से उसकी आंखो के सामने चल रही थी। शादाब जानता था कि रेशमा ने उसके साथ गलत किया हैं क्योंकि उसने मुझे जान बूझकर दवा खिलाई थी। शादाब को ना जाने क्यों रेशमा से बड़ी नफरत सी हुई और तभी उसे याद आया कि उसे तो पहले ही पता चल गया था कि बुआ ने मुझे दवा खिला दी हैं तो फिर मुझे अपने आप पर काबू रखना चाहिए था।

शादाब को अब अपने उपर गुस्सा अा रहा था और इस सारी घटना के लिए खुद को जिम्मेदार मान रहा था। उसे सबसे बड़ा दुःख इसी बात का था कि उसने शहनाज़ को धोखा दिया है और अगर ये बात शहनाज़ को पता चल गई तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेगी। शादाब अच्छी तरह से जानता था कि उसकी अम्मी की ज़िन्दगी में प्यार और विश्वास की क्या अहमियत है। बस ये ही उसकी चिंता का सबसे बड़ा कारण बना हुआ था। शादाब ने अपने मन ने खुद से ही वादा किया कि आज के बाद वो चाहे मर भी जाए लेकिन शहनाज़ के साथ किसी भी हालत में धोखा नहीं करेगा। शादाब ने नजरे उठाई तो मेट्रो में लगे शीशे में उसकी नजरे खुद से ही टकरा गई और शादाब ने खुद से आंखे मिला दी और वो जानता था कि वो खुद से किया हुआ वादा मरते दम तक नहीं तोड़ पाएगा।

स्टेशन अा गया था तो शादाब बाहर निकला और जैसे ही फोन ऑन किया तो शहनाज़ का फोन आ गया तो शादाब एक पल के लिए तो कांप उठा लेकिन फोन उठाया और आत्म विश्वास के साथ बोला:"

" सलाम शहनाज़, कैसी हो ?

शहनाज़ को अपने बेटे की आवाज सुनकर जमाने भर का सुकून मिला और फिर गुस्से से बोली :"

" सलाम, तुझे क्या फिक्र पड़ी हैं मेरी पूछता हैं कैसी हो ? कुछ पता भी हैं मैं रात से कितनी परेशान थी तेरे लिए ?

शादाब अपनी अम्मी का दर्द समझता था और जानता था कि शहनाज़ का गुस्सा जायज़ हैं इसलिए बोला:"

" वो अम्मी मेरा फोन बंद हो गया था, बड़ी मुश्किल से चार्ज किया है क्योंकि यहां रात तूफान आने के कारण बिजली चली गई थी।

शहनाज़ को अपने बेटे पर खुद से ज्यादा यकीन था इसलिए एकदम से उसकी बात मान ली और बोली:"

" शादाब मुझे पता हैं मेरा बेटा कभी मुझसे झूठ नहीं बोल सकता है, अभी बता तेरा पैर कैसा हैं शादाब ?

शादाब का रोने को मन किया लेकिन जैसे तैसे करके खुद को संभाल लिया लेकिन उसकी आंखे नम हो गई शहनाज़ का अपने प्रति प्यार और विश्वास देखकर, शादाब बोला:"

" अम्मी ठीक हूं अब मैं बिल्कुल, आप मेरी फिक्र ना करे,

शहनाज थोड़ी अदा दिखाते हुए बोली:" अच्छा अगर तेरी फिक्र ना करू तो किसकी करू ? आखिर तेरे सिवा मेरा हैं ही कौन ?

शादाब:" अम्मी मेरी दुनिया भी तो सिर्फ आप तक ही हैं, पता हैं रात शादी में बड़ी सुंदर सुंदर लड़कियां अाई हुई थी शहनाज़!

शादाब ने जान बूझकर शहनाज को ये बात कही क्योंकि वो उसका व्यवहार देखना चाहता था, दूसरी तरफ शहनाज़ गुस्सा होने या जलने के बजाय जोर जोर से हंस पड़ी और बोली:"

" और कोई बहाना नहीं मिला था मुझे छेड़ने के लिए ? पागल लड़के मैं जानती हूं कि अगर आसमान से परी भी उतर आएगी तब भी तो पलट कर उसकी तरफ नहीं देखेगा।

शादाब का सोचना सही था क्योंकि शादाब को पता था कि उसकी अम्मी उस पर खुद से ज्यादा यकीन करती हैं। शादाब उदास हो गया और बोला:"

" अम्मी क्या खूबसूरत लड़की थी रात एक, परिया तो उसके सामने पानी भरती नजर आए,

शहनाज़ को इस बार ना चाहते हुए भी गुस्सा अा गया और बोली:"

" शादाब के बच्चे, जा फिर उसी परी की रानी से बात कर, मुझे क्यों बात कर रहा हैं

इतना कहकर शहनाज़ ने गुस्से से फोन काट दिया तो शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ। दरसअल शादाब ये जानने की कोशिश कर रहा था कि अगर कभी उसे रेशमा के साथ हुए सेक्स का पता चला तो उसका क्या उत्तर होगा। लेकिन शादाब ने गलती कर दी क्योंकि दुनिया की किसी भी खुबसुरत लड़की के सामने दूसरी लड़की की तारीफ करना किसी भी लड़की को अच्छा नहीं लगता।
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10-08-2020, 02:15 PM,
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ये ही सब शहनाज़ के साथ हुआ और उसके नारी आत्म सम्मान को ठेस पहुंची जिस कारण उसने फोन काट दिया था। शादाब ने फोन किया तो शहनाज़ ने नहीं उठाया तो शादाब ने काफी बार फोन किया लेकिन शहनाज़ ने नहीं उठाया तो शादाब ने मेसेज लिखा

" मेरी प्यारी शहनाज़

मेरी नजर मैं आपसे खूबसूरत दुनिया के किसी भी कोने में कोई दूसरी नहीं हो सकती। मैं तो सिर्फ आपसे मजाक कर रहा था, आपके सिर की कसम खाकर कहता हूं कि रात मैंने शादी में किसी लड़की को नहीं देखा था, और आपका बेटा आपका पति शादाब आपके सिर की कसम खाता हैं कि आज के बाद मै किसी की तरफ नजर उठा कर भी नहीं देखूंगा और ना आपसे कभी ऐसा मजाक करूंगा।

शादाब में संदेश भेज दिया तो शहनाज़ को जैसे ही मेसेज मिला तो उसने पढ़ा और उसकी आंखे मारे खुशी के छलक उठी। वो ये बात हो पहले से ही जानती थी कि शादाब मजाक कर रहा हैं लेकिन नारी स्वभाव के कारण उसे जलन हुई थी।
शहनाज़ ने शादाब को कॉल किया और तो शादाब शहनाज़ का नंबर देखते ही खुशी से झूम उठा और एकदम से फोन उठाया और बोला:"

"' आई लव यू मेरी जान शहनाज़, मैं तो मजाक कर रहा था जानेमन

शहनाज़ थोड़ा सा भाव खाते हुए बोली:" ठीक हैं लव यू टू शादाब के बच्चे, मुझे पता था कि तुझे मुझे छेड़ रहा हैं इसलिए मैं तुझे सता रही थी मेरे राजा।

शादाब:" अच्छा मेरी चाल मुझ पर ही चल दी, अगर मेरे पास होती तो पता चलता कि आपका बेटा क्या करता ?

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"

" करता क्या ? ज्यादा से ज्यादा मेरे उपर चढ़ जाता तू,

शहनाज़ ने जल्दबाजी में बोल तो दिया लेकिन फिर खुद ही शर्मा गई और सांसे तेज हो गई। शादाब तो जैसे हैरान हो गया अपनी अम्मी के मुंह से ये सब सुनकर और मस्ती से बोला:"

" बड़ी बेताब नजर आ रही हो मुझे आपके उपर चढ़ाने के लिए मेरी अम्मी ?

शहनाज़ थोड़ा सा स्माइल करती है और बोली:" उफ्फ क्या करू तेरा ख्याल तो रखना ही पड़ेगा राजा, इससे पहले कि तू किसी परियों की रानी के ऊपर चढ़े तो उससे पहले मैं तुझे अपने उपर चढ़ा लूंगी।

शादाब समझ गया कि शहनाज जलन की वजह से ये सब बोल रही है इसलिए बोला:"

" अम्मी आपका बेटा किसी और के उपर चढने से पहले मर जाना पसंद करेगा।

शहनाज़:" चुप कर पागल, ऐसी मनहूस नाते नहीं करते, अगर किसी ने तेरी तरफ नजर उठा कर भी देखा तो उसकी टांगो के बीच में लकड़ी ठोक दूंगी।

इतना कहकर शहनाज़ हंस पड़ी तो शादाब भी जोर जोर से हंसने लगा। रात के बाद शादाब अब पहली बार खुलकर हंसा था इसलिए वो काफी हल्का महसूस कर रहा था। तभी शहनाज़ को नीचे से दादा जी ने आवाज सुनाई तो शहनाज बोली:"

" शादाब मुझे दादा जी बुला रहे हैं, बाद में कॉल करती हूं तुझे

इतना कहकर उसने फोन काट दिया तो शादाब भी बाते करते हुए अब अजय के पास पहुंच चुका था। अजय ने उसे देखते ही सुनाना शुरू कर दिया

" तेरा कुछ पता भी हैं, कहां रहता हैं तू, तेरा नंबर भी बंद था

शादाब ने उसे स्माइल दी और बोला:" अरे भाई देख अभी तो नौ ही बजे हैं और मैं अा गया, मेरा मोबाइल डाउन हो गया था।

अजय उसकी तरफ आंख निकालते हुए:"

" बहाना बनाना तो कोई तुझसे सीखे , चल अा नाश्ता कर मेरे साथ !!

शादाब ने रात बड़ी मेहनत करी थी इसलिए खाने पर टूट पड़ा और दोनो ने जमकर नाश्ता किया और उसके बाद अजय ने अपने दोस्त से विदा ली और दोनो हॉस्टल की तरफ चल पड़े।

रेहाना के जेल जाने की खबर जैसी ही उसकी देवरानी काजल को मिली थी तो वो उस वक्त विदेश में थी और उसने एकदम से इंडिया वापिस आने का फैसला किया क्योंकि काजल और रेहाना दोनो सगी बहन भी थी।

इंडिया आकर सबसे पहले काजल जेल में मिलने रेहाना के पास गई तो रेहाना उसे देखकर ही उसके गले लग गई और रो पड़ी।

काजल:" रो मत मेरी बहन, बस ये बता ये सब कैसे हुआ ?

रेहाना ने बड़ी मुश्किल से खुद के आंसू रोके और बोली:"

"सब कुछ उस शादाब की वजह से हुआ हैं

काजल:" साफ साफ खुल कर बता मुझे सब?

रेहाना के एक के बाद एक करके सारी बात काजल को बता दी तक काजल की आंखे गुस्से से लाल सुर्ख हो गई और बोली:"

"उस कल के लड़के जी की इतनी हिम्मत, मैं जाते ही इसके पूरे घर को तबाह कर दूंगी।

रेहाना गुस्से से एकदम बिल्कुल सपाट लहजे में बोली:"

" तू कुछ नहीं करेगी काजल, वो मेरा शिकार हैं, मैं अपना बदला खुद लूंगी। अगर तू मेरे लिए कुछ कर सकती है तो एक अच्छा वकील कर ताकि मै जल्दी से जल्दी बाहर अा सकू।

काजल:" ठीक हैं बाज़ी आप कहती हो तो मैं रूक जाती हूं, लेकिन ध्यान रखना आपके आने के बाद उस पर पहला वार में ही करुगी।

रेहाना :" ठीक हैं काजल, लेकिन ध्यान रखना मेरे बाहर आने तक तू कोई पंगा नहीं करेगी ।

काजल उसकी आंखो में झांकती हुई बोली:" ठीक हैं, मैं वादा करती हूं।

रेहाना को उसकी आंखो में विश्वास साफ दिखाई दिया और थोड़ी देर काजल उससे मिलकर वापिस लौट गई।

शादाब अपने हॉस्टल वापिस लौट गया लेकिन उसका मन नहीं लग रहा था क्योंकि उसे हर पल शहनाज़ की याद सता रही थी। रात को खाना खाने के बाद शादाब अपने हॉस्टल में बेड पर लेट गया और अब समस्या ये थी कि अजय और वो दोनो एक ही कमरे में रहते थे जिस कारण शादाब परेशान था क्योंकि अजय के रहते वो शहनाज़ से खुलकर बात नहीं कर सकता था।
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10-08-2020, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने शहनाज़ को फोन मिला दिया और उपर हॉस्टल की छत पर अा गया। शहनाज़ जो कि अभी खाना लेकर बस बैठी ही थी और उसे ही फोन करने जा रही थी कि उससे पहले ही मोबाइल बज उठा। शहनाज ने खुशी खुशी फोन उठा लिया और बोली:

" अरे मैं तुम्हे ही फोन करने वाली थी मेरे सैयां, अा जाओ खाना खाओ मेरे साथ।

शादाब शहनाज को अच्छे मूड में देखकर खुश हो गया और बोला:"

" खाओ अम्मी आप, मैंने तो खा लिया हैं,

शहनाज:" हाय अल्लाह, कितना मतलबी हैं तू अकेले अकेले खा लिया मुझे पूछा तक नहीं।

शहनाज़ का उलाहना सुनकर शादाब मुस्कराया और बोला:"

" अरे मेरी प्यारी अम्मी यहां हॉस्टल में खाने का एक फिक्स टाइम होता हैं और उसके हिसाब से ही खाना पड़ता हैं।

शहनाज़:" चल कोई बात नहीं, अा जा मेरे साथ भी खा ले थोड़ा सा खाना ।

शादाब एक आह भरते हुए:"अम्मी याद आता हैं आप कितने प्यार से अपनी गोद में बिठा कर खिलाती थी मुझे।

शहनाज़:" चिंता मत बेटा, कल से रमजान शुरू हो जाएगा, ईद पर कम से कम एक हफ्ते की छुट्टी आना मेरे राजा।

शादाब खुशी से चहकते हुए:"

" क्या अम्मी कल से रमजान, मतलब कल से रोजा रखना होगा मुझे ये तो बहुत अच्छी बात हैं।

शहनाज़:" हा शादाब, अब एक महीने हम दोनों सच्चे और साफ मन से दुनिया को बनाने वाले उस रब की इबादत करेंगे।

शादाब:' हान अम्मी, मुझे तो उस रब की ज्यादा इबादत करनी चाहिए जिसने आप जैसी बेशकीमती चीज को बनाकर मेरी झोली में डाल दिया।

शहनाज़ उसे समझाते हुए बोली:* बेटा अब अगले एक महीने तक कोई छेड़ छाड़ नहीं, कोई शरारत नहीं, कोई गंदी बात नहीं, बस रोजे और नमाज समझ गया तू अच्छे से।

शादाब थोड़ा सा उदास होते हुए बोला:" अम्मी रोजे नमाज तो मैं करूंगा ही लेकिन आपके साथ थोड़ा प्यार और मजाक तो बनता हैं मेरी शहनाज़।

शहनाज़:" नहीं बेटा इस मुबारक महीने में सिर्फ इबादत होती हैं और उम्मीद हैं मेरा बेटा सिर्फ इबादत पर ध्यान देगा।

शादाब थोड़ा सा मायूस होते हुए बोला:" मतलब अगले एक महीने हम फोन पर कुछ भी नहीं कर सकते अम्मी।

शहनाज़ अपने बेटे की बेकरारी समझ कर मुस्कुरा उठी और बोली:" कर सकते हैं ना शादाब, एक दूसरे को देख सकते हैं, स्माइल कर सकते हैं और गाल पर किस भी कर सकता है तू अपनी शहनाज़ को।

शादाब अपनी अम्मी की बात अच्छे से समझ गया और फिर बोला:" उसका मतलब अब आपका बेटा आपको ईद वाले दिन ही जी भरकर प्यार कर पाएगा शहनाज़।

शहनाज़ को अपने बेटे की बात सुनकर अपने जिस्म में तरंगे उठती हुई महसूस हुई और बोली:"

" ईद नहीं शादाब, उससे पहले चांद रात होती हैं, चांद दिखने के बाद तू पूरी तरह से अपनी शहनाज़ को प्यार करता हैं।

शादाब की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, इसलिए वो मस्ती से झूमते हुए बोला:

" मतलब चांद रात को मैं अपने चांद के जिस्म का जी भर कर दीदार कर सकता हूं और प्यार कर सकता हूं।

शहनाज़ :* हान बेटा चांद रात को तुम जो चाहे कर सकते हो, बस अब खुश। अच्छा चल ठीक है शादाब, अब तुम सो जाओ रात काफी हो गई है।

शादाब:" उफ्फ शहनाज मेरी जान, खाली पीली नहीं सोने वाला हूं मैं। पहले मुझे किस चाहिए वो भी बहुत सारी।

शहनाज़:" ठीक हैं बाबा, उम्म्महा उम्ममहा

शहनाज उसे किस करती हैं तो शादाब शहनाज़ के होंठो की छुअन को महसूस करता है और मस्ती से उसकी आंखे बंद हो गई और बोला:"

" अम्मी एक किस नीचे भी कर दो ना मुझे आज

शहनाज़ की सांसे भारी हो चली क्योंकि उसका बेटा उसे लंड पर किस करने के लिए बोल रहा था। शहनाज़ के जिस्म ने एक झटका खाया और आंखे मस्ती से भर उठी और बोली:"

" शैतान कहीं का, कुछ भी बोल देता हैं तू। शर्म नहीं आती

शादाब:" शर्म कैसी मेरी जान शहनाज़ अब मैं आपका शौहर हूं मेरी जानेमन। कर दो ना आज किस क्योंकि कल से तो कर नहीं पाऊंगी।

शहनाज़ समझ गई कि शादाब ठीक कह रहा है क्योंकि कल से रमजान होने के बाद वो उसे किस नहीं दे पाएगी इसलिए बोली:"

" ठीक हैं, बस एक करूंगी छोटी सी,

शादाब:" ठीक है अम्मी, लेकिन रुको पहले मैं आपको एक फोटो भेजता हू, आपको भी उसी तरह से करना हैं।

इतना कहकर शादाब ने शहनाज को एक फोटो भेज दिया जिसमे एक लड़की ने लंड को अपने हाथ में पकड़ रखा था और पूरे गुलाबी सुपाड़े को मुंह में भर कर चूस रही थी ठीक उसी तरह जिस तरह से आने से पहली रात शहनाज़ ने उसका लंड चूसा था।

शहनाज़ ये फोटो देखकर शर्म से पानी पानी हो गई और तभी शादाब की वीडियो कॉल अा गई तो शहनाज़ ने शरमाते हुए उठा लिया और दोनो मा बेटे एक दूसरे को देख कर स्माइल करने लगे।

कल से पहली बार दोनो वीडियो कॉल कर बात कर रहे थे और शहनाज़ बार बार आंखे मटका मटका कर उसे देख रही थी जिससे शादाब को बहुत अच्छा लग रहा था।

शादाब:" अम्मी फोटो देख लिया आपने कि किस तरह किस करनी हैं आपको ?
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10-08-2020, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
ये सुनते ही शहनाज़ की नजरे शर्म से झुक गई और गाल गुलाबी हो उठे। शादाब ये सब देख कर जोश में अा गया और बोला:"

" उफ्फ मेरी शहनाज़ अगर में होता तो तुम्हरे ये गाल खा जाता आज देखो मा कितने गुलाबी हो चुके हैं मेरी याद में।

शहनाज़ ने अपनी नजरे उपर उठाई और बोली:" शादाब मुझसे नहीं हो पाएगा ऐसे उफ्फ ये किस थोड़े ही कर रही हैं ये तो चू...

शर्म के मारे शहनाज़ के मुंह से चूस शब्द पूरा नहीं निकल पाया और उसकी लाल हो चुकी आंखे फिर से झुक गई तो शादाब ने थोड़ा सा मस्ती में कहा:"

" हाय शहनाज़ तुम ये ही कहना चाहती हो कि ये चूस रही है, हान मा ये लोला चूस रही है,

शहनाज़ की तो जैसे बोलती बंद हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:" कितना बिगड़ गया हैं तू एकदम से सब बोल देता हैं।

शादाब:' हाय मेरी शर्मीली शहनाज़, तुमने तो इसे एक बार खुद चूसा हैं अब शर्म अा गई

शहनाज़ को लगा जैसे उसकी चूत बह जाएगी इसलिए एक हाथ से अपनी चूत को सलवार के ऊपर से ही पकड़ लिया और बोली:"

" चूसा नहीं था कमीने, सिर्फ किस किया था और वो भी तेरे जिद करने पर !!

शादाब का लंड भी खड़ा हो गया था इसलिए वो कैमरे को अपने लंड पर करके हाथ में भर लिया और पेंट के उपर से ही सहलाने लगा तो शहनाज़ ये देखकर अपने होश खोने लगीं और अपने कपड़ों को उतार कर पूरी नंगी हो गई और चूत पर उंगली घुमाते हुए सिसक उठी तो शादाब समझ गया कि शहनाज जरूर अपनी चूत के साथ कुछ कर रही हैं तो शादाब ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और शहनाज़ को दिखाते हुए हाथ में भर कर बोला:" हाय शहनाज़, उफ्फ तुम्हे होश ही कहां रहता हैं जो तुम्हे याद रहे कि किस किया था या चूसा था अच्छे से?

शहनाज़ लंड देखे जाने से मस्ती से झूम उठी और फोन को सामने टेबल पर रख दिया तो शादाब को अपनी अम्मी पूरी नंगी नजर अाई तो शादाब के लिए तो जैसे सपने के सच होने जैसा था।

शादाब ने उसे स्माइल दी तो शहनाज़ एक हाथ से अपनी चूत को दबाने लगी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी जिससे शहनाज़ की मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी

" आह शादाब, उफ्फ ये कर दिया तूने मुझे ! उफ्फ देख ना तेरी मा नंगी हो गई मेरी राजा, उफ्फ मेरी चूत तड़प गई शादाब।

शादाब शहनाज़ की गुलाबी चूत देखकर होश खो बैठा और उपर छत पर ही अपनी पैंट उतार दी और शर्ट के सारे बटन खोल कर अपने तगड़े लंड को हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगा। लंड पूरी तरह से फस कर शादाब के हाथो में फस रहा था और लंड का मोटा मूसल जैसा सुपाड़ा आग की तरह दहक रहा था। शादाब पूरी तरह से मस्त हो गया और शहनाज़ की चूत को देखते हुए अपने लंड को पूरी ताकत से रगड़ रहा था।

शहनाज़ लंड को देखते जी अपने होश खो बैठी और एक साथ अपनी दो उंगलियां चूत में घुसा दी और दर्द से तड़प उठी

" आह शादाब मेरे शादाब का लोला, उफ्फ दे दे इसे अपनी का की चूत में मेरे राजा!!

शादाब लंड के सुपाड़े पर हल्का सा थूक लगाया और शहनाज़ को दिखाते हुए सिसक उठा

" आह शहनाज़ ये तो तेरी चूत के लिए ही बना हैं बस तुझसे नाराज़ हैं कि तू इसे प्यार नहीं करती

शादाब के इतना बोलते ही शहनाज़ ने फोन पर अपने होंठ टीका दिए और ताबड़तोड़ किस करने लगी तो लंड उछल उछल कर अपनी खुशी जाहिर करने लगा। शहनाज सिसकते हुए बोली:_

" बस खुश हो गया मेरा लोला, हाय अब तू घुसा दे तू इसे मेरी चूत में जान

शादाब:" शहनाज़ मेरा लन्ड चूस जाएगी क्या अम्मी ?

शहनाज़ एक दम मदोहश हो चुकी थी इसलिए बोली:"

" पूरा चूस जाऊंगी, अंदर तक घुसा लूंगी अपने मुंह में शादाब, रुक मैं तुझे दिखाती हूं कैसे ?

शहनाज़ ने अपनी एक उंगली को मुंह में घुसा दिया और जोर जोर से चूसने लगी।

शहनाज़ उंगली को जीभ से चाटते हुए बोली:" ऐसे ही चूस जाऊंगी तेरे लोले को मैं बस तू घुसा से अब। देख मैं अपनी चूत खोलती हूं लोले के लिए !!

इतना कहकर शहनाज ने अपने दोनो हाथों से अपनी चूत को फैला दिया और शादाब को लंड घुसाने का इशारा किया तो शादाब ने अपने हाथ की उंगलियों को चूत के आकार में मोड़ दिया और एक धक्का मारते हुए लंड को घुसा दिया तो शहनाज़ ने अपनी दो उंगलियां चूत में घुसा दी और मस्ती से सिसक उठी

" आह शादाब घुस गया मेरी चूत में तेरा लोला बेटा, उफ्फ चोद अब अपनी मा को तू

शादाब फटाफट लंड को अपनी मुट्ठी में घुसाने लगा और शहनाज़ तेजी से अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगी। शहनाज़ का बदन एकदम से अकड़ गया और उसकी चूत से रस बह गया तो उसने एक झटके के साथ उंगलियों की जड़ तक घुसा दिया और अपनी टांगो को पूरी ताकत से कस लिया और सिसक उठी

" आह शादाब, उफ्फ फोन पर ही चोद दिया मुझे तूने, हाय तेरी का की चूत झड़ गई शादाब।

शादाब से भी बर्दाश्त नहीं हुआ और उसके लंड ने भी एक के बाद एक सफेद दूध की पिचकारी मारनी शुरू कर दी तो शहनाज़ हैरान हो गई क्योंकि आज उसने पहली बार लंड से वीर्य निकलते हुए देखा था।

शहनाज़:" हाय शादाब, या क्या निकल रहा हैं सफेद सफेद सा ?

शादाब पूरी तरह से मदहोश होकर:" मेरी जान ये तेरे बेटे का दूध हैं उसका माल हैं जो तुझे चांद रात पर पिलाऊंगा मैं।

शादाब के मुंह से इतना सब सुनते ही शहनाज़ ने शर्म के मारे अपना मुंह दोनो हाथो से ढक लिया।

शादाब:" अम्मी मैं नीचे जा रहा हूं उपर छत पर था मैं !!

शहनाज़ ने आंखे खोली और बोली:" जा चला जा बेटा, लेकिन नहा लेना और अब चांद रात से पहले कोई छेड़ छाड़ नहीं ध्यान रखना तुम । मैं भी नहा लेती हूं।

इतना कहकर शहनाज़ ने फोन काट दिया और शादाब ने अपने कपड़े पहन लिए। शादाब को अब लंड का जोश उतार जाने के बाद डर लग रहा था कि अगर कोई छत पर अा जाता तो वो उसका क्या होता।

शादाब अपने कपड़े ठीक करके नीचे अपने कमरे में अा गया तो देखा कि अजय पढ़ रहा था तो उसे खुशी हुई और वो अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ नहाने के लिए जाने लगा तो अजय बोला:"

" देख रहा हूं जब से तू आया है किताब को हाथ तक नहीं लगाया हैं शादाब, क्या हुआ सब ठीक तो हैं तेरी ज़िन्दगी में ?

शादाब के होंठो पर मुस्कान अा गई और बोला:"

" भाई सब बिल्कुल ठीक है, बस नहाकर आता हूं फिर दोनो साथ में पढ़ाई करेंगे।

अजय उसे डांटते हुए:" अबे ये कौन सा टाइम हैं नहाने का?

शादाब जानता था कि वो इस टाइम कभी नहीं नहाया था आज तक फिर भी बहाना बनाते हुए कहा:"

" अरे यार गर्मी बहुत लग रही हैं, इसलिए ठंडे पानी से नहाने से थोड़ा आराम मिल जाएगा

अजय:" एक बूंद पसीना तक नहीं आया है तुझे और बोलता है गर्मी लगी है, जा चुपचाप नहाले फालतू के बहाने मत बना

शादाब अपना सा मुंह लेकर रह गया और जल्दी से बाथरूम में घुस गया कि कहीं अजय और सवाल ना कर दे। शादाब थोड़ी देर बाद ही नहा कर बाहर आ गया और अपनी किताबे लेकर पढ़ने बैठ गया।

उधर शहनाज़ भी बाथरूम में घुस गई और नहा कर पूरी तरह से फ्रेश हो गई। उसने शादाब की लाई हुई एक ढीली सी नाइटी पहन ली और बेड पर सोने के लिए लेट गई लेकिन रह रह उसकी आंखो के आगे शादाब का मासूम और प्यारा सा चेहरा घूम रहा था और उसके होंठ जैसे अपने आप ही मुस्कुरा रहे थे।
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10-08-2020, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
उसे शादाब की बहुत याद आ रही थी इसलिए उसने शादाब को मेसेज किया

" आई मिस यू शादाब, बहुत याद आ रही है तुम्हारी मुझे।

शादाब पूरी तरह से अपनी पढ़ाई में डूबा हुआ था इसलिए उसका ध्यान नहीं गया और रात के करीब दो बजे तक वो पढ़ता रहा। आखिर में जब नींद ज्यादा आने लगी तो वो किताबो के उपर ही सो गया। रात को शादाब उठा और सेहरी करी ( रमज़ान में रात में रोजा रखने के लिए खाना खाना) और नमाज पढ़कर सो गया।

दूसरी तरफ शहनाज़ पूरी रात शादाब की याद में डूबी रही और करवटें बदलती रही। थक हार कर उसे भी नींद ने घेर लिया।

शहनाज़ सुबह जल्दी ही उठ गई और सबसे पहले शादाब को मेसेज किया

" गुड मॉर्निंग मेरे राजा, लव यू सो मच।

शहनाज़ मेसेज करके घर के काम में व्यस्त हो गई।

अजय की जल्दी ही आंख खुली तो उसने देखा कि शादाब का फोन फिर से बका और शादाब सोया हुआ पड़ा था। दोनो दोस्त एक दूसरे के फोन में आराम से घुस जाते थे इसलिए अजय ने मेसेज देखा। शादाब ने शहनाज़ का नंबर मेरा चांद के नाम से सेव किया था और अजय मेसेज पढ़कर समझ गया कि शादाब को प्यार हो गया है।

अजय जानता था कि शादाब एक बहुत ही मेहनती और होशियार लड़का हैं अगर ये अभी से प्यार के चक्कर में ज्यादा पड़ गया तो इसका कैरियर तबाह हो सकता हैं इसलिए उसने शादाब की भलाई के लिए शहनाज़ का नंबर मिला दिया और फोन लेकर कमरे से बाहर निकल गया।

दूसरी तरफ शहनाज़ ने जैसे ही शादाब की कॉल देखी तो उसका रोम रोम खुशी से झूम उठा और उसने फोन उठाया

शहनाज़:" गुड मॉर्निंग मेरी जान शादाब,

अजय:" माफ कीजिए मैडम मैं शादाब नहीं उसका दोस्त अजय बोल रहा हूं।

शहनाज़ की तो जैसे हालत खराब हो गई और वो कांप गई और बोली:"

" शादाब कहां हैं? वो ठीक तो हैं ना ?

अजय:" शादाब बिल्कुल ठीक हैं और सो रहा है, वैसे आप कौन हैं ये मैं नहीं जानना चाहता लेकिन मैडम मेरी आपसे एक गुज़ारिश हैं

शहनाज़ को अजय की बाते अच्छे लगी क्योंकि वो चिपकने की कोशिश नहीं कर रहा था इसलिए शहनाज़ बोली:"

" जी बोलिए आप

अजय:" शादाब ने आपका नंबर मेरा चांद लिख कर सवे किया है तो मैं समझ गया कि उसे आपसे प्यार हैं और आप दोनो ही एक दूसरे को पसंद करते है। लेकिन शादाब जब से घर से आया है उसने पढ़ाई की तरफ ध्यान देना बिल्कुल बंद सा कर दिया हैं। अगर आप सच में उससे प्यार करती है और उसका अच्छा सोचती है तो मेहरबानी करके उससे कम बात करे ताकि वो पढ़ाई पर ध्यान दे सके। अगर मेरी बात से आपको दुख हुआ हो तो मुझे माफ़ करना।

शहनाज़ को तो जैसे सांप सूंघ गया। उसके मुंह से आवाज ही निकलना बंद हो गई थी क्योंकि वो जानती थी कि शादाब उससे कितना प्यार करता है और वो खुद भी तो उसके बिना नहीं रह पा रही है। लेकिन शादाब की पढ़ाई पर इसका असर ज़रूर पड़ेगा ये बात उसकी समझ में क्यों नहीं अाई।

शहनाज़:" आपकी बात बिल्कुल ठीक हैं अजय, मैं अब उसे खुद ही अपने तरीके से समझा दूंगी ताकि वो पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे सके और एक अच्छा डॉक्टर बने

अजय:" थैंक्स मैडम, आप एक निहायत ही समझदार और उससे बहुत ज्यादा प्यार करने वाली है।

इतना कहकर अजय ने फोन काट दिया और शहनाज़ का कॉल किया हुआ नंबर भी डिलीट कर दिया। थोड़ी देर के बाद शादाब उठा और सबसे पहले फ्रेश होने के बाद शहनाज़ को कॉल किया तो शहनाज़ ने फोन उठाया

शहनाज़:" और मेरे राजा कैसा हैं, उठ गया क्या मेरा शेर ?

शादाब:" अच्छा हूं मेरी जान, बस अभी उठा हूं मैं।

शहनाज़:" और उठते ही सबसे पहले मुझे फोन किया शादाब ?

शादाब:" बिल्कुल मेरी जान, आजकल आपके सिवा और कुछ याद ही कहां रहता हैं मुझे ?

शहनाज़:" मुझे किस्मत कि मेरा बेटा मुझे इतना प्यार करता हैं।

शादाब स्माइल करते हुए:" आप तो है ही प्यार करने के लायक।

शहनाज़ स्माइल करते हुए:" अच्छा ज्यादा मक्खन मत लगा मुझे, चल ये बता आजकल पढ़ाई पर कितना ध्यान दे रहा हैं ?

शादाब ने आज रोजा रखा हुआ था इसलिए चाह कर भी झूठ नहीं बोल पाया और कहा:"

" अम्मी पढ़ तो रहा ही हूं मैं।

शहनाज़:" पढ़ता ज्यादा हैं या मुझे याद ज्यादा करता है, मुझे बात करने के लिए पढ़ाई नहीं कर पा रहा हूं तू

शादाब:" अम्मी हान ये सच हैं कि मैं आपसे बात ज्यादा कर रहा हूं और पढ़ाई कम क्योंकि मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।

शहनाज़ उसे बातो के जाल में फंसाकर अपने मतलब की बात पर ले आई और अब जो वो बोलने जा रही थी उसे सोचकर ही उसकी आंखे भर आई और दिल अंदर ही अंदर से रों पड़ा।

शहनाज़:" शादाब मैंने तुझे वहां पढ़ने के लिए भेजा हैं, अब तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दोगे और मुझसे फोन पर बात नहीं करोगे।

ये सब बोलते हुए शहनाज़ का गला भर्रा गया और आंखो से मोतियों की कुछ बूंदे छलक उठी। शादाब के उपर तो जैसे आसमान सा टूट पड़ा शहनाज़ की बात सुनकर। वो एक दम से तड़प उठा और बोला:"

" अम्मी ये क्या कह रही हैं आप ?मेरे उपर इतना बड़ा ज़ुल्म मत कीजिए।
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10-08-2020, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ जानती थी कि इससे शादाब को बहुत दुख हुआ होगा लेकिन कुछ कदम उठाने जरूरी होते हैं इसलिए वो बोली:"

" शादाब मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं और चाहती हूं कि तुम पढ़कर अच्छे डॉक्टर बनो। इसलिए तुम्हारा पढ़ाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।

शादाब : लेकिन अम्मी मैं आपसे बहुत कम बात करूंगा आज से और पढ़ाई पर ध्यान ज्यादा दूंगा। पक्का प्रोमिस अम्मी

शहनाज़ जानती थी कि शादाब ऐसे तो अपनी बात का पक्का हैं लेकिन सबसे अच्छा ये ही होगा कि वो दोनो बिल्कुल बात ना करे
इसलिए शहनाज़ बोली:"

" बेटा मैं जानती हूं कि तुम अपनी बात पर कायम रहोगे लेकिन मै चाहती हूं कि तुम सारा ध्यान पढ़ाई पर ही लगाओ।

शादाब:" लेकिन अम्मी...

इससे पहले कि शादाब की बात पूरी होती शहनाज़ बीच में ही बोल उठी:"

" बस अब कोई सवाल नही तुझे मेरी कसम शादाब, तुझे मेरी बात माननी ही होगी।

शादाब की आंखों से आंसू टपक पड़े और बोला:

" अम्मी मैं आपके बिना इतने दिन कैसे रह पाऊंगा ?

शहनाज़ भी तड़पते हुए बोली:" जैसे मैं तुम्हारे बिना रहूंगी शादाब। अब तुम चांद रात को घर अा जाना, मैं तुम्हारा बेताबी से इंतजार करूंगी मेरे दीवाने आशिक।

इतना कहकर शहनाज़ ने फोन काट दिया और बेड में मुंह छुपा कर रोने लगी। आज वो जी भर कर रोई क्योंकि कोई उसके आंसू थामने वाला या उसे तसल्ली देने वाला नहीं था। रोते रोते जब उसके आंसुओ का दरिया सूख गया तो उसकी आंखे अपने आप बरसना बंद हो गई।

शादाब के लिए तो जैसे ये एक तरह से सब कुछ लुट जाने के जैसा था। वो उदास होकर बैठ गया और अजय जो कि उसे चोरी चोरी देख रहा था उसकी भी आंखे भर आईं शादाब की ये हालत देख कर।

अजय अंदर अाया और बोला:"

" ओए शादाब के बच्चे चल खड़ा हो फटाफट क्लास शुरू होने वाली है।

शादाब ने अपने आपको बहुत मुश्किल से काबू किया और उसने फैसला किया कि अब वो पढ़ाई में दिन रात एक कर देगा ताकि उसकी अम्मी का ये फैसला पूरी तरह से सही साबित हो सके। शादाब अजय के साथ क्लास में चला गया और पूरी तरह से अपना सब कुछ पढ़ाई में झोंक दिया।
शहनाज़ शादाब को देखने और उसकी आवाज सुनने के लिए बहुत तड़प रही थी लेकिन वो मजबूर थी। शहनाज़ नहीं चाहती थी कि उसका बेटा उसकी वजह से पढ़ाई ना कर पाए इसलिए उसने एक मा की ममता और बीवी के प्यार दोनो पर पत्थर रख लिया। दूसरी तरफ शादाब भी शहनाज़ के लिए तड़प रहा था लेकिन शहनाज़ ने उसे अपनी कसम दे दी जिसके चलते वो पूरी तरह से मजबूर हो गया था। दोनो एक दूसरे को देखने और आवाज सुनने के लिए तड़प रहे थे लेकिन किस्मत के आगे मजबूर थे।

रेशमा की चूत की सूजन अब उतर गई थी और उसे शादाब का लंड याद अा रहा था लेकिन रमजान के चलते वो भी मजबूर थी और किसी तरह अपनी चूत की आग को बर्दास्त कर रही थी।

काजल रेहाना से मिलने के बाद एक अच्छे वकील की तलाश में जुट गई थी और जल्दी ही उसकी मुलाकात मोहन सिंह से हुई जो हाई कोर्ट का एक बहुत बड़ा वकील था।

काजल मोहन सिंह के पास उसके ऑफिस में बैठी हुई थी।

काजल:" मुझे किसी भी कीमत पर रेहाना और उसका पति ईद से पहले बाहर चाहिए।

मोहन:" आप चिंता मत कीजिए लेकिन पैसा बहुत लगेगा।

काजल:" आप उसकी चिंता मत कीजिए, मैं पैसा पानी की तरह बहा दूंगी लेकिन मेरी बहन और उसके शौहर को कुछ नहीं होना चाहिए।

मोहन:" कुछ नहीं होगा, आप यकीन मानिए वो बहुत ही जल्दी बाहर होंगे।

काजल:" जिस दिन वो बाहर आएंगे आपकी ज़िन्दगी का सबसे ज्यादा खुशी का दिन होगा, आपको इतना पैसा दूंगी कि आप गिनते गिनते थक जाएंगे।

कुछ और बाते करने के बाद काजल वहां से निकल गया और मोहन सिंह अपने कानूनी दांव पेचं में लग गया। मोहन सिंह ने सारे कागज तैयार कर लिए अगले 10 दिन के अंदर ही और आज कोर्ट में पहली तारीख थी।

कोर्ट लगा हुआ था और कार्यवाही चल रही थी। मोहन सिंह अपनी दलील रख रहा था।

मोहन:_ मी लॉर्ड इस बात का कोई गवाह या सबूत नहीं हैं कि रेहाना और उसके पति ने इन सब लोगो का मर्डर किया हैं। मुझे लगता है कि उन्हें कहीं और मारा गया है और रेहाना को फसाने के लिए लाशे उसके घर लाकर डाल दी गई हैं।

सरकारी वकील:" मी लॉर्ड रेहाना और उसके पति का पहले से ही अपराधिक गतिविधियों में अच्छा खासा रिकॉर्ड रहा है और उनके नाम पहले से ही बहुत सारी रिपोर्ट दर्ज हैं।
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10-08-2020, 02:15 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
मोहन:" मेरे काबिल दोस्त वकील आप ध्यान दे कि सिर्फ रिपोर्ट दर्ज हैं और उन्हें किसी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया हैं। अगर आपके इस बात का कोई सबूत हैं कि रेहाना ने अपने पति के साथ मिलकर उन लोगों का खून किया है तो आप कोर्ट को दे।

जज:" आपको क्या कहना हैं इस बारे में ?

सरकारी वकील:" घर में लाशे और गोलियों की आवाज और खून से सना हुआ फर्श इस बात का सबूत है कि खून रेहाना ने ही किया हैं।

मोहन:"अगर आपके पास कोई ठोस गवाह या सबूत हैं तो कोर्ट को बताए सिर्फ दलीलें पेश करने से किसी को मुजरिम साबित नहीं किया जा सकता।

सरकारी वकील:" सर मै चाहता हूं कि मुझे कुछ दिन की मोहलत और दी जाए ताकि मैं सबूत और गवाह जुटा सकूं।

मोहन सिंह:" मी लॉर्ड मैं चाहता हूं कि जब तक कोई पक्का सबूत ना मिल जाए तब तक के लिए उन्हें जमानत पर रिहा कर दीजिए।

सरकारी वकील:" मी लॉर्ड बेशक मेरे पास कोई सबूत नहीं है कि रेहाना और उसके पति ने इन लोगो का खून किया हैं लेकिन मोहन सिंह के पास भी इसका कोई सबूत नहीं है कि खून रेहाना ने नहीं किया हैं। इसलिए आपसे गुज़ारिश हैं कि जब तक ये फाइनल ना हो जाए कि असली मुजरिम कौन है इन्हे जमानत ना दी जाए।

जज:" आप दोनो की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट इस फैसले पर पहुंची हैं कि अगली सुनवाई तक रेहाना और उसके पति को जमानत नहीं मिल पाएगी और अगर अगली तारीख तक अगर ये साबित नहीं हो पाया कि खून रेहाना ने किया हैं तो उसकी जमानत मंजूर हो जाएगी। इस केस की अगली सुनवाई चांद रात वाले दिन होगी। कोर्ट की आज की कार्यवाही यहीं समाप्त होती है।

इतना कहकर जज चले गए तो मोहन सिंह ने सरकारी वकील को एक विजयी मुस्कान दी मानो ये साबित कर रहा हो कि वो साबित नहीं कर पाएगा और रेहाना की जमानत मंजूर हो जाएगी।

शादाब और शहनाज़ दोनो एक दूसरे के दूर थे लेकिन दूर होने के बाद भी उनका प्यार कम होने के बजाय एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा बढ़ रहा था।

शादाब शाहनाज को एक पल के लिए भी भूल नहीं पा रहा था लेकिन चाह कर भी फोन नहीं कर पा रहा था और बस शाहनाज के फोन का इंतजार करता रहता था लेकिन शाहनाज तो जैसे पत्थर की बन गई थी और उसने भूल से भी शादाब को कॉल नहीं किया। दोनो मा बेटे जुदाई की आग में जल रहे थे और चूंकि रमजान का पाक महीना चल रहा था इसलिए शादाब चाह कर भी अपना लंड नहीं हिला पा रहा था जिससे उसका लंड पहले से ज्यादा खूंखार होता जा रहा था मानो वीर्य जमा होने की वजह से उसको ताकत मिल रही थी। वहीं शहनाज़ की हालत भी इससे कुछ जुदा नहीं थीं, वो औरत जिसे एक बच्चा पैदा होने के बाद भी 36 साल की उम्र में चुदाई कैसे होती हैं ये पता चला हो तो उसके जिस्म की आग तो अपनी चरम सीमा पर होनी ही थी। उपर से शादाब यानी अपने बेटे से सिर्फ दो ही दिन चुदाई हुई तो मतलब साफ था कि वो अभी अच्छे से जी भर कर चुद भी नहीं पाई थी कि शादाब को जाना पड़ा और फिर उसके जिस्म के हिस्से में अा गया एक महीने का इंतजार।

वैसे भी शादाब के जाने या उसके पास रहने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला था क्योंकि रमजान के चलते वो दोनो ज्यादा कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं होते। हालाकि शहनाज़ का जिस्म काम वासना से जलकर एक शोला बनता जा रहा था और चूत में तो जैसे रह रह कर चिंगारियां सी उठ रही थी लेकिन फिर भी वो अपने आपको काबू में रखते हुए रमजान के महीने में खूब मन लगाकर इबादत कर रही थी। बस अब दोनो मा बेटे को जैसे चांद रात का ही इंतजार था।

कोई और भी था जो इनसे भी ज्यादा बेताबी से चांद रात का इंतजार कर रहा था और वो थी जेल में बंद रेहाना जो बाहर आने और अपना बदला लेने के लिए तड़प रही थी। रेहाना से ज्यादा काजल परेशान थी क्योंकि वो बाहर होते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी।

चांद रात से एक दिन पहले की बात है कि शहनाज़ ने रात के कोई 9 बजे के आस पास शादाब को कॉल किया तो शादाब अपने मोबाइल पर अपनी अम्मी का नंबर देखकर खुशी के मारे उछल पड़ा तो अजय उसे देखकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सका। शादाब फोन लेकर बाहर की तरफ जाने लगा तो अजय बोला:"

" सुन मैं उपर छत पर टहलने जा रहा हूं, अगर तुम बात करने के लिए बाहर जा रहे हो तो यहीं कर लो आराम से।

शादाब ने उसे स्माइल दी और अजय बाहर चला गया तो शादाब ने शहनाज़ का फोन उठाया और उसके कान जैसे सदियों से बिछड़े प्रेमी की तरह शहनाज़ की आवाज सुनने के लिए तरस रहे थे

शहनाज़:" हेल्लो शादाब कैसे हो मेरे राजा मेरी जान ?

शहनाज़ की आवाज सुनकर एक पल के लिए तो शादाब अपनी सुध बुध खी बैठा और उसकी कोयल जैसी मधुर आवाज में खो सा गया। शहनाज़ शादाब की तरफ से तरफ से कोई उत्तर न पाकर दोबारा फिर से बोली:"

" शादाब कैसे हो मेरे राजा ?

शादाब जैसे अपनी सपनो से बाहर अाया और खुद को संभाल कर बोला:"

" ठीक हूं शहनाज़ मेरी अम्मी, आपकी आवाज सुनने के लिए तो जैसे कान ही तरस गए थे मेरे।

शहनाज़ खुद भी बेताब थी इसलिए बोली:"

" मैं खुद तेरे लिए पल पल तड़पी हूं शादाब, हल्की सी आहट पर तुम्हारे आने की उम्मीद होती थी।

शादाब:" अम्मी आपके बिना तो जैसे एक एक पल रों रोकर गुज़ारा हैं आपके बेटे ने।

शहनाज:" बस बेटा अब तू खुश हो जा क्योंकि कल चांद रात हैं और तू कल सुबह जल्दी ही अा जाना तेरी मा तेरा इंतजार करेगी शादाब और तेरी बीवी शहनाज़ भी मेरे राजा। बस बाकी बाते तेरे आने पर ही होगी शादाब।

इससे पहले कि शादाब कुछ बोल पाता शहनाज़ ने फोन काट दिया और शादाब तो खुशी से पूरे कमरे में नाच रहा था उछल रहा था।

आखिर कर वो दिन आ ही गया जिसका ये सभी लोग इतनी बेताबी से इंतजार कर रहे थे। कोई अपने प्यार को देखने उसे गले लगाने के लिए तड़प रहा था तो कोई अपना बदला लेने के लिए बेताब था।
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10-08-2020, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
आज चांद रात थी और रेहाना के लिए जेल में एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा था। वो बेचैनी से इधर उधर तेजी से घूम रही थी मानो कोई भूखा शेर अपने शिकार की तलाश में घूम रहा हो। उसे बस इंतजार था कोर्ट खुलने का क्योंकि वो जानती थी कि मोहन सिंह आज तक एक भी केस नहीं हारा था और आज उसे जमानत मिल जाना लगभग तय थी।

काजल ने उठते ही सबसे पहले अपने सबसे खास आदमी कल्लू दादा को फोन किया।

काजल:" कल्लू आज मुझे तुम्हारी मदद चाहिए, याद हैं ना मैंने तुम्हे कितनी बार पुलिस और जेल जाने से बचाया हैं

कल्लू के उपर रेहाना और काजल के बहुत सारे एहसान थे इसलिए वो बोला:"

" आप हुक्म कीजिए मैडम, मुझे खुशी होगी अगर मेरी जान भी आपके लिए कुर्बान हो जाएं।

काजल:" कल्लू मुझे 30 गुंडे और 300 जिंदा कारतूस चाहिए।

कल्लू:" क्या हुआ मैडम पूरे शहर को उड़ाने का इरादा हैं क्या आपका ? इतना सारे आदमी

काजल की आंखो में जैसे खून उतर अाया और वो शब्दो को चबाते हुए बोली:"

" शाम तक तुम्हे सब पता चल जाएगा कल्लू, कल मेरी और रेहाना की ज़िन्दगी की सबसे खूबसूरत ईद होगी। तुम बस आदमी और हथियार तैयार रखो

कल्लू:" ठीक हैं मैं कोई 11बजे तक सब कुछ इंतजाम कर दूंगा।

काजल:" ध्यान रहे कल्लू कोई चूक नहीं होनी चाहिए, तुम मुझे शाम को 8 बजे आदमी और हथियार लेकर सरकारी स्कूल के पीछे मिलोगे।

इतना कहकर काजल ने फोन काट दिया और शादाब और उसके परिवार को तबाह करने की योजना बनाने लगी।
अजय छत पर से अा गया तो शादाब को खुशी से झूमते देखकर बोला:"

" क्या हुआ भाई, बहुत खुश नजर आ रहा है, क्या मिल गया मुझे भी बता दे।

शादाब अपनी हंसी दबाते हुए बोला:" कुछ नहीं मिला यार, वो परसो ईद हैं ना घर जाऊंगा। आज रात में ही निकल जाऊंगा मैं।

अजय:" अच्छा बहुत खुशी की बात हैं ये तो, मैं भी चलु क्या तेरे साथ फिर ईद पर तेरे घर ?

अजय के इस सवाल पर शादाब को उसकी सांसे रुकती सी नजर आईं। उसे लगा जैसे उसके सपने पल भर में टूट कर बिखर जायेंगें
वो चाह कर भी अजय को मना नहीं कर सकता हैं और ले जाना वो चाहता नहीं था। इसलिए उदास मन से बोला:"

" देख लेना अगर तेरा मन करे तो चल पड़ना,

अजय समझ गया कि शादाब का मन उसे घर ले जाने का नहीं है, वजह चाहे जो भी हो अजय ने शादाब से पूछना बेहतर नहीं समझा और बोला:"

" अरे मैं तो मजाक कर रहा था भाई, मेरे लिए घर से खीर लेते आना और शायद कल सुबह होवार्ड यूनिवर्सिटी वाले एग्जाम की तारीख भी अा सकती हैं।

शादाब का मुरझाया हुआ चेहरा फिर से किसी फूल की तरह खिल उठा और वो स्माइल करते हुए कहा:" पक्का अजय मेरे भाई, तेरे लिए तो स्पेशल खीर लेकर आऊंगा मैं यार।

शादाब उसके बाद अपनी पैकिंग में लग गया और बैग पैक करके रात में निकलने का फैसला किया क्योंकि यहां से उसके घर का रास्ता करीब छह घंटे का था तो उसका प्लान 10 बजे निकलने का था ताकि आराम से सुबह अपने घर पहुंच जाए।

ठीक 9:45 बजे शादाब निकलने लगा तो अजय ने उसे गले लगा कर ईद की मुबारकबाद दी और उसके बाद शादाब को रेलवे स्टेशन तक छोड़ किया। ट्रेन अपने टाइम पर चल पड़ी और शादाब जानता था कि अगले कुछ दिनों उसे पूरी पूरी रात सोने मिलने वाला नहीं होगा इसलिए आराम से अपनी सीट पर सो गया। सुबह ठीक चार बजे ट्रेन ने शादाब को लखनऊ उतार दिया और वो चल पड़ा अपने घर की तरफ। ऑटो से उसके घर का कोई 20 मिनट का रास्ता था इसलिए उसे घर तक पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगी।

ऑटो वाले को पैसे देने के बाद उसने बहुत धीरे से अपने घर का दरवाजा खटखटाया तो दादा जी तो रोज सुबह जल्दी ही उठ जाया करते थे इसलिए जागे हुए थे।

दादा:" कौन हैं ?

शादाब बहुत धीरे से बोला:" दादा जी मैं शादाब। दरवाजा खोल दीजिए आप

दादा अपने पोते की आवाज लाखो में भी पहचान सकता था इसलिए वो खुश हो गया और उठते हुए दरवाजा खोल दिया तो शादाब अपने दादा जी के गले लग गया। दादा जी ने भी उसे अपने गले लगा लिया और बोले

" अरे इतनी सुबह कैसे अा गए शादाब बेटा ?

शादाब अपने दादा जी को बेड पर बिठा दिया और बोला:"

" कल ईद हैं दादा जी इसलिए अा गया क्योंकि घर में काफी सारा सामान आएगा, आप इतनी उम्र में कहां परेशान होते ।
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