Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
दादा जी:" ओह लगता हैं मेरा पोता काफी समझदार हो गया है, अच्छा है बेटा वैसे भी एक दिन अब तुम्हे ही सारे घर की जिम्मेदारी लेनी है।

शादाब:" जी दादा जी, आप फिक्र ना करे, मैं सब कुछ अच्छे से संभाल लूंगा।

दादा:" चल ठीक हैं, तू रात नजर सफर से थक गया होगा, जा आराम कर ले

शादाब तो जैसे कब से अपने दादा जी के मुंह से यू सब सुनने के लिए तरस रहा था इसलिए वो बोला:"

" ठीक हैं दादा जी।

इतना कहकर शादाब उपर की तरफ चल दिया बिल्कुल दबे पांव क्योंकि वो शहनाज़ को सरप्राइज देना चाहता था। सीढ़ियों पर चढ़ते हुए उसकी सांसे तेज हो रही थी और वो जल्दी ही शहनाज़ के रूम के सामने जा पहुंचा तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा क्योंकि शहनाज़ के रूम का गेट खुला हुआ था और कमरे में फैली नाईट बल्ब की रोशनी में बहुत खूबसूरत लग रही थी।

शहनाज़ अभी सेहरी करके नमाज पढ़ने के बाद सोई थी और दिन निकलने ही वाला था इसलिए उसने गेट बंद नहीं किया था। शादाब कमरे के अंदर दाखिल हो गया, धीरे से गेट को बंद किया और शहनाज़ के बिल्कुल करीब पहुंच गया और उसके खूबसूरत चेहरे को प्यार से देखने लगा। शहनाज़ ने एक हल्के हरे रंग का सूट पहना हुआ था और और तकिए को अपनी बांहों में लिए हुए सो रही थी।

शादाब ने धीरे से अपने बैग से अपना नाईट सूट निकाला और बैग को वहीं टेबल पर रख दिया और अपने कपड़े बिना कोई आवाज किए बदल लिए। कपडे बदल लेने के बाद उसने आराम से नाईट बल्ब को बुझा दिया तो कमरे में पूरा घूप अंधेरा छा गया। शादाब बेड पर चढ़ा और शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया तो शहनाज़ एक की एक तेज झटके के साथ नींद खुल गई और वो डर के मारे चिल्ला उठी तो शादाब ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और प्यार से उसके कान में बोला:"

" मेरी अम्मी शहनाज़ मैं शादाब।

इस आवाज के लिए तो कब से शहनाज़ के कान तरस रहे थे, शहनाज़ को लगा जैसे अपने आप ही जमाने भर की खुशियां उसकी झोली में सिमट अाई हैं और शहनाज़ अपनी सुध बुध ही खो बैठी और शादाब से किसी चुंबक की तरह चिपकती चली गई।

दोनो मा बेटे एक दूसरे से बुरी तरह से लिपट गए। शादाब के हाथ शहनाज़ की पीठ पर कसते चले गए और उसकी गर्म गर्म सांसे शहनाज़ की गर्दन पर पड़ने लगी और शहनाज़ ने भी पूरी ताकत से अपने सीने से लगा लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी। दोनो में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था बस दोनो एक दूसरे की धड़कने सुन रहे थे।दोनो के दिल एक दूसरे के इतने करीब धड़क मानो दोनो दोनो के सीने में एक ही दिल धड़क रहा हो। शहनाज़ ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका बेटा इस तरह से अचानक से आकर उसे अपनी बांहों में भर लेगा इसलिए वो खुशी से फूली नहीं समा रही थी और शादाब से चिपकी हुई पड़ी थी। दोनो के चेहरे आपस में टकरा रहे थे और शहनाज़ अपने गाल शादाब के गालों से रगड़ रही थी। बीच बीच में उनके होठ जैसे ही आपस में टकराते तो दोनो के जिस्म में बिजली सी कौंध जाती लेकिन दोनों ने ही रोजा रखा था जिस कारण दोनो अपने उपर काबू रखे हुए थे। शहनाज़ धीरे से शादाब के कान में शहद घोलती हुई अपनी मीठी आवाज में बोली:

" शादाब मेरे राजा, मेरी जान लव यू सो मच मेरे बेटे।

शादाब ने भी शहनाज़ के कान में धीरे से बोला:"

" लव यू टू मेरी शहनाज़, बहुत मिस किया मैंने तुम्हे।

शहनाज़:" मैंने भी मेरे राजा, मन नहीं लगता था तुम्हारे बिना, पूरा घर काटने को दौड़ता था।

शादाब उसकी खुली हुई जुल्फों में हाथ फेरते हुए बोला:"

" बस मेरी जान, अब मैं अा गया हूं ना अब आपके सारे अकेलेपन को खुशियों में बदल दूंगा।

शहनाज़ अपने हाथ से उसका गाल हल्का सा खींच कर बोली :"

" शादाब मुझे तो बिल्कुल भी उम्मदी नहीं थी तुम अचानक से ऐसे रात में ही आकर मुझे अपने बांहों में ले लोगे।

शादाब ने शहनाज के एक कंधे पर हल्का सा दबाव दिया और बोला:" आपको अच्छा लगा मेरी जान ये सब ?

शहनाज़ बिना कोई जवाब दिए शादाब से पूरी जोर से कस गई मानो उसे अपने अंदर समा लेना चाहती हो। शादाब सब समझ गया लेकिन वो शहनाज़ के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए बोला:

" बोलो मेरी शहनाज़ मेरी जान ?

शहनाज़:" बहुत अच्छा लगा मेरे शादाब, सच में तुमने मुझे पूरी तरह से जीत लिया हैं शादाब।

शादाब थोड़ा जोर से उसका कंधा सहलाते हुए:" तो मेरी इस जीत का इनाम मुझे आज रात को मिलना चाहिए, क्या क्या मिलेगा मुझे शहनाज़ ?

शहनाज एकदम से शर्मा गई और उसकी सांसे तेज हो गई और बोली:" चुप कर बदमाश, रोजा नहीं रखा हैं क्या तूने ?

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और बोला:"

" रोजा रखा हैं अम्मी मैने, अभी तक सभी रोजे रखे हैं। मैं तो इनाम वाली बात मजाक में कर रहा था।

शहनाज़:" बस कर राजा, जहां एक महीने सब्र कर लिया कुछ घंटे और रुक जा, आज वैसे भी चांद रात हैं।

शादाब ने शहनाज़ का चेहरा अपने हाथों में भर लिया और बोला:" हान अम्मी मेरी शहनाज़ आज सच में मेरे लिए चांद रात हैं क्योंकि मेरा चांद मेरे हाथो में हैं।
Reply
10-08-2020, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ अपनी तुलना चांद से किए जाने पर खुश हो गई और बोली:' चल अब सो जा, थक गया होगा पूरी रात का चला हुआ मेरा बेटा।

शादाब ने अपने आपको शहनाज़ के आंचल में छुपा लिया और दोनो मा बेटे एक दूसरे से चिपक कर सो गए। दोनो ही थके हुए थे इसलिए देर तक सोते रहे। दादा और दादी दोनो चाय का इंतजार कर रहे थे जबकि दोनो मा बेटे सारे दुनिया से बेखबर एक दूसरे से लिपटे हुए सो रहे थे क्योंकि दोनो को एक दूसरे की बाहों में बेहद सुकून मिल रहा था।

जब सुबह के नौ बजे तक कई बार आवाज लगाने के बाद भी दोनो नहीं उठे तो दादी जी धीरे धीरे चलती हुई उपर की तरफ आने लगी। आज करीब दो साल के बाद दादी उपर अा रही थी क्योंकि एक तो जब से उसे पता चला था कि शादाब अा गया हैं वो अपने पोते की झलक पाने के लिए बेताब थी और दूसरी बात उसे भूख भी लग आई थी।

लाठी के सहारे चलती हुई आखिर कार दादी छत पर अा गई और शहनाज़ को आवाज लगाई तो कोई आवाज नहीं अाई और वो शहनाज़ के कमरे में घुस गई। दादी ने देखा कि कमरे में पूरा अंधेरा था इसलिए उसने बड़ी मुश्किल से ढूंढ़कर कमरे की लाइट का स्विच ऑन कर दिया तो उसे शादाब और शहनाज़ एक दूसरे से चिपके हुए सोते नजर आए।

दादी के होंठो पर स्माइल अा गई क्योंकि उसके दिल को बहुत सुकून मिला दोनो मा बेटे को ऐसे सोते देखकर। दादी जानती थी कि शहनाज़ कदम कदम पर अपनी ममता का गला घोटती अाई हैं इसलिए आज उसे अपने बेटे पर प्यार लुटाने का मौका मिला तो जी भर कर प्यार लुटा रही हैं। दादा आराम से वहीं बैठ गई और इन दोनों के चेहरे को प्यार से देखने लगी कि कितना सुकून उमड़ आया था शहनाज़ के चेहरे पर शादाब के अा जाने से।

थोड़ी देर के बाद शहनाज़ की आंखे खुल गई तो वो दादी को अपने सामने पाकर अंदर तक कांप उठी। उसके दिल ने जैसे धड़कना बंद कर दिया और माथे पर पसीना साफ उभर आया। वो एक झटके के साथ शादाब से थोड़ा अलग हो गई और दादी से बोली:"

" माफ करना अम्मी, मेरी नींद नहीं खुल पाई क्योंकि मुझे तेज नींद अा गई थी।

दादी:" कोई बात नहीं बेटी, मुझे पता चला कि शादाब जल्दी ही सुबह अा गया हैं तो इसे देखने के लिए चली अाई तो पता चला कि ये तो तेरे सीने से लगा हुआ सो रहा हैं।

शहनाज़ हकलाते हुए बोली:" अम्मी वो मैं मैं..

शहनाज़ और दादी की बात सुनकर शादाब भी उठ गया लेकिन अपनी आंखे बंद किए चुपचाप लेता रहा।

दादी शहनाज के पास अा गई और उसके माथा चूमते हुए बोली:" मैं सब समझती हूं बेटी, तू आज तक अपनी ममता का त्याग करती अाई हैं, जब शादाब आता हैं तो तेरी दुनिया में चार चांद लग जाते हैं। बेटी जब तक शादाब यहां हैं तू जी भर कर शादाब पर अपनी ममता लुटा मेरी बच्ची।

शहनाज़ समझ गई कि मामला उतना भी गंभीर नहीं हैं जितना वो समझ रही हैं इसलिए दादी के गले लग गई और बोली:"

" आप ठीक कहती हैं अम्मी, मैने सच में शादाब को कभी अच्छे से मा का प्यार दिया ही नहीं है।

दादी:" कोई बात नहीं बेटी, अब हम सबका लाडला अा गया हैं इसलिए तू जी भर कर शादाब पर अपना प्यार लुटा । लेकिन ध्यान रखना बेटी वो अब जवान हो गया है इसलिए अपनी मर्यादा का ध्यान रखना और अपने बेटे को खूब प्यार कर लेकिन तेरे आंचल पर कोई आंच ना आए इसका ध्यान रखना।

शहनाज़ का मुंह शर्म से लाल हो गया और वो बोली:"

" आप बेफिक्र रहे अम्मी, मै आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी और शादाब पर इतना प्यार लुटा दूंगी कि ये अपने आपको दुनिया का सबसे खुश नसीब बेटा समझेगा।

दादी:" चल ठीक हैं, जा अब चाय बना ला, वो नीचे इंतजार कर रहे हैं बहुत देर से।

शहनाज़ फुर्ती से किचेन में चली गई और बहुत बढ़िया चाय बनाई और एक कप दादी को दिया और दूसरा नीचे दादा जी को देने के लिए चल दी। दादा जी को चाय दी तो दादा जी चाय पीते हुए बोले:"

" शहनाज़ आज आंख नहीं खुली थी क्या बेटी सुबह ?

शहनाज़ अपनी गलती पर शर्मिंदा हो गई और बोली:"

" जी दादा जी, लेकिन मैं आगे से आपको गलती का कोई मौका नहीं दूंगी।

इतना कहकर शहनाज़ उपर की तरफ चल पड़ी। शादाब अपना बहाना खत्म करते हुए उठ गया और दादी को सामने देखकर खुश हो गया और उनसे लिपट गया।

शादाब:" दादी मेरी प्यारी दादी कैसी है आप ? ।

दादी:" बस ठीक हूं बेटे, तुझे देखकर अब बिल्कुल ठीक हो गई हूं शादाब बेटा।

शादाब :" दादी आप उपर कब अाई ?

दादी उसे पुचकारते हुए:" जब मेरा लाडला पोता अपनी मा शहनाज़ की बांहों में चैन की नींद सो रहा था।

शादाब भी शर्मा गया और बोला:"

" वो दादी मैं पूरी रात का थका हुआ था इसलिए जैसे ही अम्मी ने मुझे गले लगाया तो मुझे बहुत तेज नींद अा गई।

दादी:" बेटा मा की गोद में दुनिया की सबसे अच्छी नींद आती हैं

शादाब अपनी दादी की बातो पर स्माइल किया और वॉशरूम में घुस गया। दादी आराम से बैठी चाय पीती रहीं और फिर नीचे की तरफ जाने लगी तो उसके हाथ से लाठी छूट गई और वो धड़ाम से गिर पड़ी तो शहनाज़ दौड़ती हुई अाई और उसे उठाया।

शादाब भी अा चुका था इसलिए उसने दादी से पूछा:'

" चोट तो नहीं लगी दादी आपको ?

दादी को कुछ खास चोट नहीं अाई थी इसलिए स्माइल करते हुए बोली:" नहीं कुछ खास नहीं बेटा। ठीक हूं मैं।

शादाब अलमारी से क्रीम निकाल कर दादी के घुटनो पर मल देता हैं तो दादी को बड़ा आराम मिला और वो बोली:"

" बेटा मुझे नीचे छोड़ कर आजा, मैं अब चल नहीं सकती।
Reply
10-08-2020, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने अपनी दादी को बांहों में उठा लिया और नीचे छोड़ने के लिए चल दिया।
शादाब अपनी दादी को बाहों में लिए उसे नीचे लेकर अा गया तो दादा जी उसे शादाब की गोद में देख कर मुस्करा दिए और बोले:"

" क्या हुआ सांस फूल गई क्या तुम्हारी ? मैंने तो तुम्हे पहले ही मना किया था उपर मत जाओ इस उम्र में दिक्कत होगी। अब करवा दी ना शादाब से कसरत

दादा जी की बात शादाब मुस्कुरा दिया और दादी जी की बेड पर लिटा दिया, दादी थोड़ा तुनक कर गुस्से से बोली:'

" आपको तो जब देखो मेरी टांग खींचने का बहाना चाहिए, देखिए मुझे चोट लगी है घुटने में

इतना कहकर दादी अपनी घुटना दादा जी को दिखाने लगी तो दादी जी बोले:"

" उफ्फ बड़ी चोट लगी हैं तुम्हे तो ठीक से निशान तक नहीं पड़ा,

दादी जी अपनी आंखे लाल करके गुस्से से तरेरती हुई बोली:"

" आपसे तो बात करना ही बेकार हैं, आप को मुझे परेशान करने का बहाना चाहिए।मुझे सच में दर्द हो रहा हैं।

दादा जी:" ओह शादाब बेटा मुझे दर्द वाली ट्यूब ला दे मैं तेरी दादी की मालिश कर दूंगा।

दादी दादी का प्यार देख कर खुश हो गई और बोली:"

" मालिश तो शादाब ने पहले से ही कर दी हैं। अब जरूरत नहीं हैं उसकी ।

दादा:" कोई बात नहीं बेटा, तुम फिर भी क्रीम ला देना मुझे उपर से ताकि अगर बीच में दर्द हो तो मैं मालिश कर सकू, अब इस उम्र मत तेरी दादी का ध्यान मैं नहीं रखूंगा तो भला कौन रखेगा।

दादी खुश हो गई और शादाब बोला;' जी दादा जी मैं ला दूंगा, दादा जी कल ईद हैं तो मैं सोच रहा था कि आज शहर चला जाऊ और सबके लिए नए कपड़े लेते आऊ ताकि ईद पर सबके पास नए कपड़े हो।

दादा जी:" ठीक हैं बेटा, तुम चले जाओ और एक काम करना शहनाज़ को भी अपने साथ ले जाना ताकि वो अपनी पसंद से मेरे लिए कपडे ला सके, पिछली बार एक मेरे लिए बहुत अच्छे कपड़े लाई थी।

शादाब को तो जैसे बिना मांगे ही इच्छित वर मिल गया और वो बोला:" ठीक हैं दादा जी, जैसे आप ठीक लगे।

इतना कहकर शादाब उपर की तरफ चला गया और किचेन में दादा दादी के लिए खाना बना रही शहनाज़ को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया तो शहनाज़ बिना पीछे की तरफ देखे ही मुस्कुरा दी और बोली:"

" क्या बात है बेटा आज बड़ा खुश नजर आ रहा है ?

शादाब:' अम्मी वो दादा दादी ने आपको मेरे साथ शहर जाने की इजाज़त दे दी हैं।

शहनाज़ इतना सुनते ही खुशी से पलट गई और शादाब से कस कर लिपट गई और अपनी बांहे उसके गले में लपेट दी। शादाब उसके कान में फसफुसाया:"

' अम्मी आपको याद हैं दादी क्या बोलकर गई है ?

शहनाज़ उसकी कमर में हल्के हल्के मुक्के मारते हुए बोली:"

" मैं तो डर ही गई थी उन्हें अचानक से ऐसे देखकर, और तू भी मुझसे पूरी तरह से चिपका हुआ सो रहा था

शादाब उसकी कमर हल्के से सहलाते हुए बोला:"

" और आप तो मुझे ऐसे लिपटी हुई थी मानो सदियों के बाद कोई प्रेमिका अपने प्रेमी से मिली हो।

शहनाज़ उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" तेरी तो एक पल की भी जुदाई सदियों सी लगती है शादाब।

शादाब:" मेरा भी यही हाल हैं शहनाज़, आज तो आपको दादी भी बोल गई कि अपने बेटे पर जी भर कर प्यार लुटाओ

शहनाज़ हल्का सा चौंक गई और बोली;" तुझे कैसे पता तू तो रहा था ना ?

शादाब:" अरे मेरी प्यारी अम्मी जब दादी अाई और आप बात कर रही थी तभी मै उठ गया था।

शहनाज़ उसकी तरफ आंखे निकालते हुए:' अच्छा जब जाग रहा था तो मेरा पक्ष क्यों नहीं लिया तूने दादी के सामने ?

शादाब:' अम्मी उसकी जरूरत ही कहां पड़ी, वो तो खुद ही आपको मुझे और ज्यादा प्यार करने के लिए बोल गई है।

शहनाज़ हल्की सी स्माइल देकर बोली:" लेकिन शायद तूने ध्यान नहीं दिया कि वो मुझे मर्यादा में रहकर प्यार करने के लिए भी हिदायत देकर गई हैं।

शादाब:" तो रहिए ना आप मर्यादा में ही मेरी अम्मी, मुझे तो बस मेरी शहनाज़ चाहिए।
Reply
10-08-2020, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ उसकी चाल समझ गई और उसका हाथ जोर से दबाते हुए बोली:" उफ्फ बातो में तो तुझसे कोई नहीं जीत सकता।
अच्छा खाना बन गया हैं तू दादी दादा को खिला दे और मैं शहर जाने के लिए तैयार हो जाती हूं।

शादाब दादा दादी के लिए खाना लेकर अा गया और शहनाज़ नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। शहनाज़ ने अपने सब कपडे उतार दिए और देखा कि उसकी चूत पर बाल उग आए थे और बालो में उसकी चूत छिप सी गई थी। शादाब के चले जाने के बाद शहनाज़ को चूत की सफाई की जरूरत ही नहीं पड़ी लेकिन आज एक जानती थी आज की आज उसके लिए सुहागरात से कम नहीं होने जा रही है इसलिए उसने अपनी अपनी चूत साफ करने के लिए क्रीम लगाकर छोड़ दिया और थोड़ी देर बाद उसकी चूत एक दम चिकनी हो गई । शहनाज़ ये देख कर मुस्करा उठी और कपडे पहन कर बाहर आ गई।

शादाब दादा दादी को खाना खिला चुका था इसलिए वो भी जल्दी ही उपर जाकर तैयार किया गया और थोड़ी देर बाद ही दोनो शहर की तरफ चल दिए।

दूसरी तरह आज रेहाना को जमानत मिल जानी लगभग तय थी और कोर्ट लगने में बस थोड़ा ही टाइम बचा हुआ था। शादाब और शहनाज़ रेहाना के घर से सामने से निकल रहे थे और दोनो आपस में खुश होकर बाते करते हुए जा रहे थे। काजल ये सब देख कर गुस्से से लाल हो गई और सोचने लगी कि बस हो जाओ कितना खुश होना हैं तुम दोनो को क्योंकि आज की रात तुम्हारी ज़िन्दगी की आखिरी रात होगी।

लेकिन होनी को कौन टाल पाया और आज वकील एसोसिएशन ने अपनी मांगो को लेकर हड़ताल कर दी और मोहन सिंह को इसमें शामिल होना पड़ा जिसके चलते आज कोर्ट की कार्यवाही नहीं हो पाई और काजल और रेहाना के सारे अरमान धरे के धरे रह गए।

काजल:" रेहाना तुम बस एक बार कहो मैं आज ही उसके सारे खानदान को तबाह कर दूंगी।

रेहाना:" तुझसे ज्यादा आग तो मेरे अंदर सुलग रही हैं लेकिन दो दिन और जी लेने दे उन्हें। उसके बाद मैं अच्छे से उस शादाब को सबक सिखा दूंगी कि रेहाना से उलझने का अंजाम क्या होता हैं।

काजल गुस्से से अपनी मुट्ठी दीवार में मारते हुए बोली:"

"ये साली स्ट्राइक भी आज ही होनी थी अब तो कमीने ईद पर कल खुशियां मना रहे होंगे और हम दोनों बहने एक दूसरे से मिल भी नही पायेगी।

रेहाना के होंठो पर एक ज़हरीली मुस्कान फैल गई और बोली:'

"मनाने दे काजल उन्हें ईद की खुशियां क्योंकी ये उन बेचारों की ज़िन्दगी की आखिरी ईद होगी।

इतना कहकर रेहाना जोर जोर से ठहाका लगाकर हंसने लगी तो काजल के होंठो पर खूंखार स्माइल अा गई और वो बोली उसकी हंसी में शामिल हों गई। जेल में बंद दूसरे लोग उन्हें बड़ी हैरानी से देख रहे थे।

दूसरी तरफ शादाब और शहनाज़ शहर पहुंच गए और शादाब ने बड़े मॉल के सामने गाड़ी रोक दी और दोनो मा बेटे अंदर घुस गए। एस्केलेटर देखकर शहनाज़ मुस्कुरा दी और शादाब का हाथ पकड़ते हुए उस पर सवार हो गई तो दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए।

शहनाज़ ने अपनी पसंद से सबसे पहले दादा दादी जी के लिए बेहतरीन कपडे खरीद लिए और उसके बाद अब बारी थी शहनाज़ के लिए कपडे खरीदने की तो शादाब उसे आज एक लेटेस्ट फैशन शॉप में ले गया तो सेल्स गर्ल ने एक स्माइल के साथ उनका स्वागत किया !

गर्ल:" आइए मैडम सर, आप यहां आए तब के सबसे खूबसूरत कपल हैं।

शहनाज़ ने शादाब की तरफ देखा तो दोनो सेल्स गर्ल की बात सुनकर मुस्करा दिए। शादाब बोला:"

" मैडम मुझे मेरी पत्नी के लिए कुछ लेटेस्ट फैशन की लिंगरी दिखाइए ब्लैक रंग में !!

सेल्स गर्ल ने देखते हुए देखते उनके सामने एक से बढ़कर एक काले रंग की लिंगरी की लाइन लगा दी और शादाब उन्हें देखने लगा तो शहनाज़ शर्मा गई क्योंकि ये सभी ड्रेस बहुत छोटी थी और उसके शरीर को ढक पाने में सक्षम नहीं थी।

शादाब ने तीन सबसे खूबसूरत लिंगरी शहनाज़ के लिए पसंद कर ली तो शहनाज़ मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" शादाब, ये तो बहुत ज्यादा छोटी हैं कुछ भी नहीं छुपा पायेगी।

शादाब:" ओह कौन कमबख्त चाहता हूं आपके खूबसूरत अंग इसमें छुपे, बहुत अच्छी लगेगी आपको ये शहनाज़।

शाहनाज अपने बेटे की ज़िद के आगे ज्यादा कुछ नहीं कर पाई और ना चाहते हुए भी वो छोटी ड्रेस खरीद ली। उसके बाद दोनो ने शादाब के लिए कपडे खरीदे और कोई 3 बजे के आस पास दोनो घर की तरफ लौट पड़े।

रास्ते में से शहनाज़ ने शादाब को बहुत सारे फल और खजूर खरीदने के लिए कहा तो शादाब ने एक बहुत बड़ी मात्रा में फल खरीद लिए। कोई 5 बजे तक कोई मा बेटे घर पहुंच गए और सभी फलो को नीचे ही रख दिया। शहनाज ने दादा दादी को कपडे दिखाए और दादा दादी दोनो बहुत खुश हुए।

शहनाज़:" बेटा शादाब तुम अपने दादा दादी के साथ मिलकर ये फल गांव में लोगो में बांट दो क्योंकि हमारे यहां चांद रात वाले दिन लोगो में रोजा इफ्तार के लिए फल बांटने की परंपरा हैं।

शादाब:" जी अम्मी जैसा आप कहें।

उसके बाद शहनाज़ उपर चली गई और खाना बनाने की तैयारी में लग गई जबकि शादाब ने अपने दादा दादी के साथ मिलकर फलों के पैकेट तैयार किए और लोगो में बांटने के लिए चला गया। गाड़ी में शादाब के दादा जी बैठे हुए थे और शादाब उनकी सलाह से सभी काम कर रहा था। जल्दी ही लोगो में फल बांटकर घर की तरफ चल पड़े और घर में शहनाज़ खाना बन चुकी थी और सभी खाना नीचे ही टेबल पर लगा हुआ था। दादा दादी शहनाज़ शादाब सब रोजे खोलने के समय का इंतजार कर रहे थे।

आखिर कार इंतजार की घड़ियां खत्म हुई और जैसे ही ऐलान हुआ तो शादाब ने अपने दादा दादी के सामने ही अपने हाथ से खजूर उठाकर शहनाज़ की तरफ बढ़ा दिया तो शहनाज़ एक पल के लिए डर सी गई।

शादाब:" मेरी प्यारी अम्मी आज आपके बेटे के हाथ से रोजा खोलेगी। लो अम्मी ।

शहनाज़ ने हालात को समझते हुए धीरे से अपना मुंह खोल दिया और खजूर के साथ अपना रोजा खोल दिया।

शहनाज़ ने भी एक खजूर हाथ में लिया और शादाब की तरफ बढ़ा दिया तो शादाब ने भी अपना मुंह खोलते हुए रोजा खोल दिया।

दादा दादी दोनो मा बेटे का ये प्यार देख कर गदगद हो उठे और दादा जी बोले:"

" अल्लाह ये मेरी ये ही दुआ रहेगी की तुम दोनो मा बेटे के प्यार को किसी कि नजर ना लगे।

शादाब और शहनाज दोनो खुशी से झूम उठे और शादाब ने दादा जी को खजूर खिलाया तो शहनाज ने दादी को अपने हाथ से खजूर खिला दिया। उसके बाद सारा परिवार साथ बैठ कर खाना खाने लगा।

ऐसा बहुत दोनो के बाद हुआ कि सारा परिवार एक साथ बैठकर खाना खा रहा था और सभी बहुत खुश थे। बीच बीच में नजर बचाकर शहनाज़ शादाब की तरफ जीभ निकाल रही थी मानो उसे किसी छोटे बच्चे की तरह चिडा रही हो।

जल्दी ही सबने खाना खा लिया और दादा जी बोले:"

" बेटा शादाब मैं पहले तो हर साल ईद का चांद देखता था लेकिन अब मुझे दूर का कुछ दिखाईं नहीं देता इसलिए तुम चांद देखना, ईद का चांद देखना बहुत अच्छा माना जाता है।

शादाब अपने की तरफ देखते हुए उसके खूबसूरत चेहरे को एक बार अच्छे से देखता हैं और दादा जी से बोला:"

" जी दादा जी, मैं तो आज जी भरकर चांद का दीदार करूंगा। सच कहूं तो मैं तो आया हूं चांद देखने के लिए हूं।

शहनाज़ शादाब की बाते सुनकर बुरी तरह से झेंप गई और अपना मुंह शर्म से नीचे कर लिया। दादा जी बोले:"

" हान बेटा, अब तो बस तू ही हैं मेरे सारे सपने पूरे करने के लिए, तुझसे मुझे बहुत उम्मीदें हैं बेटा।

शहनाज़ बरतन उठाकर उपर की तरफ चल पड़ी ।शादाब अपने दादा जी का हाथ अपने हाथ में लेकर बोला:"

" आप फिक्र ना करे दादा जी, मैं आपके सभी सपने पूरे करूंगा। आप बस मुझे बताते जाइए।
Reply
10-08-2020, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
इसी बीच शहनाज़ उपर सारे बर्तन किचेन में रख कर अा गई थी और दादा जी शादाब से बोले:"

" शादाब बेटा तेरी शादी में तेरी पसंद की लड़की से करूंगा । कोई हो नजर में तो बता देना।

शादाब ने आपके नजरे शहनाज़ पर गडा दी मानो उससे पूछ रहा हो कि दादा जी को बता दू क्या तो शहनाज़ ने आंखो ही आंखो में उसे चुप रहने का इशारा कर दिया तो शादाब बोला:"

" अभी तो नहीं दादा जी, अभी तो मैं बस पढ़ाई पर ध्यान देना चाहता हूं।

शादाब की बात सुनकर शहनाज़ की हंसी नहीं रुक पाई और वो जोर से हंस पड़ी तो दादा जी हैरान हो गए और बोले:"

" क्या हुआ बेटी शहनाज़? तुम ऐसे क्यों हंस पड़ी ?

शहनाज़ से कोई जवाब देते नहीं बना तो शादाब बहाना बनाते हुए बोला: दर असल दादा जी जब आप शादी की बात कर रहे थे तो शादी के नाम से मैं शर्मा गया था तो मेरी हालात देखकर अम्मी हंस पड़ी।

शहनाज़ ने राहत की सांस ली और तभी दादी बोल पड़ी:"

" शर्माएगा क्यों नहीं आखिर औलाद तो तू भी शहनाज़ की ही हैं, जैसे तेरी मा शर्म की गुड़िया तो तू कौन सा उससे कम है।

दादी की बात सुनकर सभी जोर जोर से हंस पड़े और शहनाज़ शर्म के मारे एक बार फिर से लजा गई।

शादाब:" अच्छा दादा जी मैं उपर छत पर जाकर चांद देखता हूं। आओ अम्मी आप भी चलो

शादाब और शहनाज़ दोनो जैसे ही सीढ़ियों पर चढ़े तो शादाब ने एक झटके के साथ शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया और शहनाज़ ने भी शादाब के गले में अपनी बांहे डाल दी और दोनो का बेटे के दूसरे की आंखो में देखने लगे।

शहनाज़:" क्या देख रहा हैं मेरा राजा बेटा?

शादाब:" अपने चांद को देख रहा हूं अम्मी, कितनी दिनों के बाद आपको देखा हैं इतने करीब से

इतना कहकर शादाब ने अपने होंठ शहनाज के गाल की तरफ बढ़ा दिए तो शहनाज़ ने बीच में अपना हाथ अड़ा दिया और बोली:" पहले चांद दिखने दे मेरे राजा, उससे पहले कुछ नहीं ।

शादाब:" उफ्फ अम्मी ये तो चीटिंग है आपको भी पता है कि कल ईद हैं।

शहनाज़ उसके कान खींचती हुई बोली:" बुद्धू कहीं का, जब तक चांद नहीं दिखता ईद कैसे मनाई जाती हैं मेरे बच्चे ?

शादाब सब समझ गया और शहनाज़ को अपने गोद में लिए हुए ही छत पर अा गया और दोनो मा बेटे खड़े खिड़की से आसमान की तरफ देखने लगे। शहनाज़ अभी तक शादाब की बांहों में ही थी। शादाब आसमान की तरफ कम और शहनाज़ के चेहरे को ज्यादा देख रहा था। ये सब महसूस करके शहनाज अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी।

तभी शहनाज़ का चेहरा खुशी से भर उठा और उसने अपना मुंह आगे बढ़ा कर शादाब का गाल चूम लिया। शादाब खुशी से झूम उठा और बोला:"

" अम्मी आपको इतनी जल्दी चांद कैसे दिख गया, मुझे तो नहीं दिखा ?

शहनाज़ उसका गाल पकड़ कर खींचते हुए बोली:" तुम चांद देखोगे तभी दिखेगा ना शादाब,
वो देखो ठीक मेरी उंगली के सामने।

शहनाज़ ने चांद की सीध में अपनी उंगली कर दी तो शादाब को भी चांद नजर अा गया।

चांद को देखते ही शादाब खुशी से झूम उठा और शहनाज़ की आंखो में देखते हुए अपने होंठ आगे बढ़ा दिए तो शहनाज़ ने भी अपने होंठ शादाब के होंठो पर रख दिए और उसके होठ चूसने लगीं। शादाब पूरी तरह से बहक गया और शहनाज़ के होंठो को जोर जोर से चूसने लगा। तभी शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ शादाब की गर्दन पर रख दिया और अपना मुंह खोलते हुए अपनी जीभ की दस्तक शादाब के होंठो पर दी तो शादाब ने अपना मुंह खोल दिया और शहनाज़ की जीभ शादाब के मुंह में घुस गई। शादाब से बर्दाश्त नहीं हुआ और शहनाज़ को वहीं दीवार से लगा दिया और दोनो एक दूसरे की जीभ चूसने लगे।

उनकी ये किस बहुत लंबी चली और जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ने लगी तो मजबूरन उन्हें किस तोड़ना पड़ा और शादाब शहनाज़ को गोद में लिए हुए ही कमरे में अा गया।

शहनाज़ ने शादाब को बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर लेट गया। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर कस दिए। दोनो ऐसे ही एक दूसरे की धड़कन सुनते रहे।

शहनाज़:" शादाब तुम जाओ अपने दादा जी को बताओ कि चांद दिख गया है। मैं तब तक नहा लेती हूं

शादाब:" मैं अभी बताकर अाया, दोनो साथ में ही नहाएंगे।

शादाब तेजी से दौड़ता हुआ नीचे की तरफ आया और दादा दादी जी बोला:"

" दादा जी चांद दिख गया हैं, मुबारक हो आपको, ईद कल होगी।

दादा दादी दोनो मुस्कुरा दिए और शादाब फिर से उपर की तरफ दौड़ पड़ा तो उसकी खुशी देखकर दादा दादी दोनो खुश हुए। शादाब के आने से पहले ही शहनाज़ अपने कपड़े लेकर बाथरूम में नहाने घुस गई थी।
जब शहनाज़ कमरे में नहीं मिली तो शादाब को बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनाई दी तो वो शादाब तेजी से बाथरूम का दरवाजा पीटने लगा

शादाब:" अम्मी प्लीज़ दरवाजा खोल दीजिए, मुझे भी आपके साथ नहाना हैं।

शहनाज़ अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठी और बोली:"

" अरे शादाब मैं बताना भूल गई कि बाहर शीर ( खीर की एक स्पेशल डिश) बनाने का सामान रखा हैं, इतना मैं नहाऊ तू उसे कूट दे ना मेरे राजा बेटा।

शादाब उदास मन से बोला:" ठीक हैं अम्मी, जैसे आपको ठीक लगे।
Reply
10-08-2020, 02:16 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ उसकी मरी हुई आवाज से समझ गई कि शादाब उदास हैं इसलिए अपने कपडे उतारते हुए बोली:" उदास मत हो मेरे राजा, बस नहाने दे मुझे उसके बाद तेरी अम्मी आज तुझे इतना खुश कर देगी जो तूने सपने में भी नहीं सोचा होगा!

शादाब उसे छेड़ते हुए बोला:" क्या सच में अम्मी ? आपको मेरा लंड चूसना पड़ेगा फिर तो

शहनाज़ शर्म के मारे बाथरूम के अन्दर ही लजा गई और बोली:'

" चुप कर कमीना का, कुछ भी बोल देता हैं जा अब काम कर।

शादाब स्माइल करता हुआ किचेन में अा गया और गोला, छुवारा, काजू, बादाम, किशमिश, चिरोंजी, पिस्ता, अखरोट सारा सामान औखली में भर लिया और कूटने लगा और शादाब ने गैस पर दूध रख दिया। थोड़ी देर बाद ही तभी उसके दिमाग में एक नया विचार आया और उसने अपने जेब से वो टैबलेट निकाल ली जो रेशमा ने इसे खिलाई थी और आज शादाब ने उसे बाजार से खरीद लिया था। शादाब ने देखा कि दूध गर्म हो गया था इसलिए उसने काफी सारा कूटा हुआ माल औखली से निकाला और दूध के साथ खाने लगा। लास्ट में उसने धड़कते दिल के साथ वो गोली भी खा ली और आराम से औखली में मूसल मारने लगा।

दूसरी तरफ शहनाज़ पूरी तरह से नंगी हो गई थी और खुद ही अपनी चूचियों को प्यार से सहला रही थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नही था क्योंकि वो सुबह ही साफ कर चुकी थी लेकिन फिर भी उसका मन नहीं माना और उसने फिर से बाल साफ़ करने वाली क्रीम को चूत के चारो तरफ लगा दिया। थोड़ी देर बाद शहनाज़ ने अपनी चूत को पानी से धोना शुरू कर दिया

चूत पर शाहनाज की उंगलियां जैसे जादू कर रही थी और उस पर उपर से ठंडे ठंडे पानी की फुहार जैसे शहनाज़ को पूरी तरह से तड़पा रही थी। चूंकि किचेन बाथरूम से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए शादाब के मसाला कूटने की ठक ठक आवाज अा रही थी जिससे शहनाज़ को लग रहा था कि मूसल औखली को नहीं बल्कि उसकी चूत को कूट रहा है। शहनाज़ पूरी तरह से मस्त हो गई और उसने शॉवर का पाइप खींच लिया और खड़ी होकर उसे अपनी चूत पर मारने लगी। एक हाथ से वो अपनी चूत को हल्का हल्का खोल रही थी जबकि दूसरे हाथ से वो अपनी पानी का शॉवर अपनी चूत में अंदर तक मार रही थी।

शादाब ने जो गोली खाई थी अब उसका असर दिख रहा था और शादाब की आंखे हल्की हल्की लाल होनी शुरू हो गई थी और शादाब को ऐसा लग रहा था मानो उसके सारे शरीर का खून अब उसके लंड में दौड़ रहा है जिससे लंड आज एक विकराल रूप धारण कर चुका था। शादाब को अब औखली की जगह शहनाज़ की चूत नजर अा रही थी और उसने अपना दम दिखाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ औखली से निकलती आवाज से बाथरूम के अन्दर ही कांप उठी और वो समझ गई कि आज शादाब औखली को उसकी चूत समझ कर मसाला कूट रहा है कहीं ऐसा ना हो वो औखली की तली निकाल दे इसलिए शहनाज़ जल्दी से नहाकर अपने जिस्म पर सिर्फ एक टॉवल लपेटकर किचेन की तरफ भागी और देखा कि शादाब पूरी तरह से पसीने में लथपथ था और जोर जोर से मूसल मार रहा था और तभी शादाब की नजर शहनाज़ पर पड़ी और उसने शहनाज़ की तरफ देखते हुए मूसल को पूरा बाहर निकाला और शहनाज़ की चूत पर टॉवेल के उपर से ही नजर गड़ाते पूरी ताकत से मूसल को औखली में मारा और जोर से सिसक उठा

" आह शहनाज़ मेरी अम्मी तेरी चूत में तेरे शादाब का लोला।

इस जोरदार वार से औखली की तली निकल कर दूर जा गिरी और शहनाज़ के मुंह से डर के मारे एक घुटी घुटी सी चींख निकल पड़ी और उसके हाथ से टॉवेल नीचे गिर गया जिससे वो पूरी तरह से नंगी हो गई । शादाब उसका नंगा जिस्म देखकर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया । डर और शर्म के मारे शहनाज़ बिना अपना टॉवेल उठाए ही अपने कमरे में भाग गई।

शहनाज तेजी से दौड़ती हुई अपने कमरे मे घुस गई, वो अभी नहा कर निकली थी लेकिन अपने बेटे शादाब का ऐसा रूप देख कर पसीने पसीने हो गई। उसने गेट को बंद किया और आँखै बंद करके लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी। पता नही क्या खाता रहता है ये लड़का एकदम घोड़े जैसा हो गया है। उसने धीरें से एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया और उसकी सिसकी निकल पड़ी।

आह मेरी चूत तो तू गई काम से आज, उफ्फ्फ

शादाब अपनी मा शहनाज के इस तरह डरकर भाग जाने से जोश मे आ गया और शहनाज का तौलिया लेकर उसे देने के लिए चल पड़ा। जैसे ही शादाब ने गेट को बजाया तो शहनाज जैसे वापिस होश मे आई और बोली:"

" क्या हुआ अब, क्यों गेट बजा रहे हो मेरा?

शादाब बड़ी मासूमियत से बोला:'

" अम्मी मेरी जान आपका तौलिया देने आया था मैं, किचन मे ही खुलकर गिर गया था ना। आप डर क्यों गई थी अम्मी?

शहनाज के लबो पर स्माइल आ गई और बोली:' कमीने मैं तेरी ताकत देख कर डर गई थी, एक महीना दूर रहकर तू तो बहुत तगड़ा हो गया हैं मेरे राजा।

शादाब अपने खड़े हुए लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाते हुए बोला:" हाय मेरी शहनाज अभी से डर गई, अभी तो कुछ किया भी नही मैंने।

शहनाज अपने बेटे की बात सुनकर अंदर तक काँप उठी और बोली:" जो किया वो क्या कम था, अब क्या तू उस औखली के जैसे मेरी भी तली निकालना चाहता है ।

शादाब का लंड तो जैसे पूरे जोश मे आ गया और झटके पर झटके मारने लगा। शादाब बोला:' आज तो देखती जाना मेरी जान क्या क्या निकाल दूंगा तेरा!!

शहनाज:" उफ्फ्फ तू ना बड़ा शैतान हो गया है, जा पहले नहा ले देख कितना पसीना आया हुआ है तुझे।

शादाब :" अम्मी वो मैं आपका तौलिया देने आया था।

शहनाज :" जा आज अपनी मा शहनाज के तौलिये से ही नहा ले मेरे राजा,।

शादाब:" ठीक हैं अम्मी, मै अभी आया बस आज जल्दी से तैयार हो जाओ। आज मैंने आपके लिए जो ड्रेस खरीदी थी वो आप पहन लेना।

इतना कहकर शादाब बाथरूम मे घुस गया और नहाने लगा। शहनाज ने अपने आपको सजाना शुरू कर दिया और सबसे पहले अपने जिस्म पर अपने बेटे का पसंदीदा परफ्यूम छिडक दिया और फिर अपनी आँखो मे गहरा काला काजल लगाया, उसके बाद अपना मैकअप बॉक्स खोल कर अपने चांद से खूबसूरत चेहरे को और खूबसूरत बनाने लगी। उसने आज अपने होंठो पर बिल्कुल गहरे लाल रंग की लिपिस्टिक लगाई और पूरी तरह से सजकर तैयार हो गई। उसके खुले बाल उसे और ज्यादा मादक बना रहे थे। शहनाज ने धड़कते दिल के साथ ही शॉर्ट ड्रेस उठायी और उसे पहन लिया।
Reply
10-08-2020, 02:17 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज आईने के सामने खड़ी हो गई तो उसने देखा कि ये लिंगरी जैसी ड्रेस उसकी चूचियो को ठीक से नही ढक पा रही थी जिससे उसकी आधे से ज्यादा चूचिया बाहर झांक रही थी मानो आजाद होने के लिए फड़फड़ा रही हो। शहनाज की नजर उसकी चूत पर पड़ी जिसके होंठ आधे से ज्याद बाहर झांक रहे थे। कपड़े की एक पतली सी लकीर थी बस चूत पर जो चूत को ठीक से नही ढक पा रही थी और पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत से हल्का हल्का रस बहकर बाहर जांघो तक आ रहा था। अपने आप को इस रूप मे देख कर शहनाज का रोम रोम सुलग उठा और जिस्म मे एक आग सी भर गई और वो पलट गई। उसके पलटते की उसकी गांड उसे नजर आ गई जिसमे लिंगरी की पतली सी एक पट्टी अंदर घुसी हुई थी और लगभग पूरी गांड नंगी थी।

शहनाज की आँखे लाल सुर्ख होकर दहकने लगी और उसने एक बार फिर से परफ्यूम का डिब्बा उठाया और अपनी चूत पर टिका कर जब तक छिड़कती चली गई जब तक कि डिब्बा खाली नही हो गया। शहनाज की चूत आज पूरी तरह से महक रही थी मानो शहनाज भी आज की रात अपनी पिछले एक महीने की प्यास बुझा लेना चाहती थी।

उधर शादाब ने अपने लंड के सब बाल साफ कर दिये और उसका लंड जड़ तक बिल्कुल साफ नजर आने लगा जिससे वो और ज्यादा लम्बा लग रहा था। शादाब आज शहनाज से अपना लंड चुसवाना चाहता था इसलिए लंड को बहुत अच्छे से रगड़ रगड़ कर साफ किया और नहाने मे जुट गया। शहनाज ने नाइट बल्ब को छोड़ कर सब बल्ब बंद कर दिये और अपने बेटे का इंतजार करने लगी तभी नीचे से दादा जी की आवाज सुनाई पड़ी।

" शादाब अरे बेटा शादाब!!

शहनाज ने एक सूट उठाया और पहन कर बाहर आ गई और बोली:" जी अब्बा क्या हुआ? वो नहा रहा हैं अभी।

दादा जी:" बेटी वो चाय नही पिलाई तुमने आज हमे।

शहनाज को अपनी गलती का एहसास हुआ कि चुदने की ख़ुशी मे उसने चाय नही बनाई।

शहनाज:" जी दादा जी अभी लाई

इतना बोलकर वो किचन मे घुस गई और चाय बनाने लगी। शादाब नहा कर आ चुका था और अपने जिस्म पर सिर्फ एक टावल लपेटा हुआ था। शहनाज को सूट सलवार मे देख कर उसका मूड पूरी तरह से खराब हो गया तो शहनाज सब समझ गई और बोली:"

" शादाब जाओ नीचे चाय दे आओ बेटा ।

शादाब ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और चाय लेकर नीचे की तरफ चल दिया। दादा दादी को उसने चाय दी और दोनो पीने लगे।

दादा :" शादाब थक गया होगा बेटा, पूरे दिन इतनी भाग दौड़ करी हैं आज तुमने।

शादाब तो जैसे खुद ऊपर जाने के लिए मौक़े की तलाश मे था और मौका उसे दादा जी ने खुद दे दिया तो शादाब बोला:"

" जी दादा जी, बहुत थक गया हु आज तो।

दादी:" जाओ बेटा, आराम कर लो तुम अब।

शादाब उन्हे सलाम बोलकर खुशी खुशी ऊपर की तरफ चल दिया और गेट मे घुसते ही सबसे पहले उसने सीढीयो का पहला गेट बंद कर दिया और जैसे ही छत पर गया तो सीढीयो का ऊपर वाला गेट भी बंद कर दिया। शादाब का लंड आज पूरे उफान पर था।

शहनाज एक हल्के लाल रंग का सूट सलवार पहने शादाब का इंतजार कर रही थी। जैसे ही शादाब कमरे मे घुसा तो शहनाज ने उसे स्माइल दी।शहनाज बहुत खूबसूरत लग रही थी
Reply
10-08-2020, 02:17 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
इस ड्रेस में शहनाज़ की चूचियां पूरी तरह से उभर रही थी लेकिन फिर भी शादाब का मुह उतर गया और उसने शहनाज को एक फीकी सी स्माइल दी तो शहनाज चलती हुई उसके पास आई और ठीक उसके सामने खड़ी हो गई। शहनाज के जिस्म से उठती हुई परफ्यूम की मादक गंध शादाब के होश उड़ाने लगी और उसकी आँख मे फिर से लाली तैरने लगी।

शहनाज ने अपने हाथ से उसका मुह ऊपर किया और उसकी आँख मे देखते हुए बोली:"

" लगता हैं मेरी जान मुझसे नाराज़ हैं, क्या हुआ मेरे राजा कुछ तो बोल ?

शादाब उदास लहजे में बोला:"

" अम्मी मुझे लगा कि आप मेरे लिए आज वो ड्रेस पहन लेगी जो हमने आज दिन में आपके लिए खरीदी थी।

शहनाज़ ने शादाब का मुंह उपर उठाया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:_

" अच्छा तो ये बात है चल जल्दी से अपनी आँखे बंद कर अभी ख़ुश कर देती हु मेरे राजा।

शादाब ने जल्दी से अपनी आँख बंद कर ली और शहनाज ने अपनी आँख बंद करके अपना सूट सलवार उतार दिया।

अब शहनाज की पीठ शादाब की तरफ थी । उसने धीरे से शादाब के कान में उसे आँखे खोलने को कहा तो शादाब ने जैसे ही अपनी आँखे खोली तो उसे शहनाज उसी लिंगरी मे नजर आई जो उसने आज खरीदी थी।

लिंगरी की पतली सी पट्टी उसकी गांड मे पूरी तरह से धंसी हुई थी और उसकी गांड के दोनों उभार साफ नंगे नजर आ रहे थे। उसकी गोरी चिकनी कमर पर फैले उसके काले बाल उसे और ज्यादा सेक्सी बना रहे थे।

शादाब ये सब देख कर अपने होश खो बैठा और अपने जिस्म से अपने कपड़े उतार कर फ़ेंक दिये। अब उसके जिस्म पर सिर्फ एक अंडर वियर था जिसमे लंड बड़ी मुश्किल से समाया हुआ था।

शादाब:" उफ् क्या लग रही हो शहनाज तुम, जान ही ले लोगी क्या आज? बस अब पलट जाओ मेरी जान.!

शहनाज की साँस पूरी तरह से उखड़ चुकी थी और चूचिया ज्वार भाटे की तरह उछल रही थी। शहनाज का चेहरा गर्म से लाल हो गया था और उसका पूरा जिस्म मस्ती से काँप रहा था। शहनाज अपने जिस्म की सारी ताकत समेट कर पलट गई और शादाब तो जैसे शहनाज का ये रूप देख कर अपनी पलके तक झपकाना भूल गया।

शहनाज इस ड्रेस में स्वर्ग से उतरी किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी। बोलती हुई आँखे, रस टपकाते हुए होंठ, लम्बी गर्दन, दोनों कंधे बिल्कुल नंगे, बिखरे हुए बाल, गोरी गोरी चूचियां आधे से ज्यादा बाहर , एकदम पूरी तरह से भरे हुए नंगे कूल्हे। गुलाबी रंगत लिए आधे से ज्यादा बाहर झांक रहे चूत के होंठ। चूत से निकले रस से उसकी जांघे चिकनी होकर चमक रही थी।

शादाब जैसे किसी यंत्रवत मशीन की तरह आगे बढ़ा और शहनाज की टांगो के बीच में बैठते हुए उसकी चूत से निकले रस को जीभ निकाल कर चाट लिया।

शहनाज के मुह से एक मस्ती भरी सिसकी निकल पड़ी और उसका मुह मस्ती से खुलता चला गया

" आह मेरी जान, बेड पर ले चलो अपनी शहनाज को मेरे राजा।

शहनाज को शादाब ने किसी गुड़िया की तरह उठा लिया क्योंकि रोजे रखने और एक्सरसाइज की वजह से उसका जिस्म बिल्कुल छरहरा बन गया था। शहनाज शादाब से कसकर लिपट गई और उसने खुले हुए गेट की तरफ इशारा किया तो शादाब उसे गोद में लिए हुए गेट पर गया तो शहनाज ने गेट को बंद कर दिया और उस पर एक मोटा पर्दा डाल दिया। उसके बाद जैसे ही कमरे की सभी खिड़किया बंद हुई तो शादाब ने शहनाज को जैसे ही बेड पर लिटाया तो शहनाज ने उसे अपने ऊपर खींच लिया और अपने होंठ शादाब के होंठो पर रख दिये और चुसने लगी। शादाब एक भूखे भेड़िये की तरह शहनाज के होंठो पर टूट पड़ा। शहनाज की चुचिया शादाब के सीने में घुसी जा रही थी और लंड तनाव के कारण अंडर वियर के होल से अपने आप बाहर निकल आया था और शहनाज की चूत पर रगड़ खा रहा था।

शादाब ने अपनी जीभ शहनाज के मुह में घुसा दी तो शहनाज उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूसने लगी। शादाब अपनी मा के गोरे कंधो को जोर जोर से मसल रहा था। लंड के हल्के हल्के धक्के शहनाज की चूत पे पड़ रहे थे जिससे शहनाज की चूत पूरी तरह से भीगती जा रही थी।

किस करते करते ही शादाब ने शहनाज की लिंगरी को ऊपर की तरफ उठा दिया और शहनाज ने बिना कोई विरोध किए खुशी खुशी अपनी दोनों बाँहे ऊपर उठा दी और शादाब ने अपनी माँ को पूरी तरह से नंगा कर दिया।

नंगी होते ही उसकी चूचिया उछल कर बाहर आ गई और शादाब उन्हे देखने लगा तो शहनाज एकदम से शर्मा गई और लिंगरी को उठा कर अपनी चूचियो और चूत को ढक लिया।

शहनाज की नशीली आँखे, खूबसूरत चेहरे पर बिखरे हुए काले बाल, दूध सा गोरा जिस्म, सेब के आकार की बड़ी बड़ी ठोस चूचिया, जैसे ही शाहनाज ने शादाब को स्माइल दी तो शादाब ने एक झटके के साथ उसके हाथ से ड्रेस छीन कर फ़ेंक दी तो शहनाज के मुह से एक मस्ती भरी आह निकल गई और जैसे ही शादाब की नजर उसके नंगे जिस्म पर पडी तो वो शर्म के मारे पलट गई जिससे उसकी नंगी उभरी हुई गांड शादाब की आँखो के आगे आ गई।

शादाब ने उसकी नंगी गांड को हाथो में भर लिया और जोर से मसलते हुए बोला:"

" आह शहनाज मेरी अम्मी तेरी गांड कितनी बड़ी हैं।

गांड जोर से रगडे जाने की वजह से शहनाज के मुह से एक जोरदार आह निकल गई और शहनाज एक बार फिर से पलट गई और अपने दोनो हाथ अपनी चूचियो पर रख लिए और शादाब की तरफ जीभ निकाल दी तो अपनी नजरे उसकी चूत पर ले गया। शहनाज ने उसे अपनी चूत की एक झलक दिखा कर अपनी टांगो को बंद कर दिया और शादाब को एक बहुत ही कामुक स्माइल दी ।
Reply
10-08-2020, 02:17 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने एक झटके के साथ अपना अंडर वियर उतार उतार फेंका और पूरी तरह से नंगा होकर बेड पर चढ़ गया। शहनाज की नजर जैसे ही लंड पर पड़ी तो लंड उसे आज बिल्कुल चिकना साफ होने के कारण ज्यादा लम्बा नजर आया और लंड इतना टाइट हो चुका था कि एक एक नस उभर कर साफ दिख रही थी। शहनाज के चेहरे के रंग बदलने लगे। शादाब सब समझ और उसके कान में धीरें से बोला:"

" शहनाज आज तेरी चूत की तली भी निकाल देगा तेरे बेटे का लंड मेरी मा, तेरी आँख मिचोली बंद अब तू मेरा दम देख।

इतना कहकर शादाब ने शहनाज के दोनों हाथो को जोर से एक तरफ करके अपने एक हाथ मे पकड़ लिया और दूसरे हाथ मे उसकी चूची को भर लिया और जोर जोर से दबाने लगा, शहनाज को अपनी चूचियो मे मीठा मीठा दर्द होने लगा और वो सिसक पडी
" आह उफ्फ्फ थोड़ा प्यार से दबा ना मेरे राजा, तेरी मा की चूचिया है शादाब।

शादाब नीचे झुकते हूए शहनाज की दूसरी चूची को जीभ से चाटने लगा तो एक आनंद भरी लहर शहनाज के जिस्म में दौड़ गई। शहनाज अपनी चूची को ऊपर उठा उठा कर उसके मुह में घुसाने की कोशिश करने लगी लेकिन शादाब ने अपनी जीभ निकाल कर उसके तने हुए निप्पल पर फेर दी तो शहनाज़ का जिस्म झटके खाने लगा और शहनाज ने दम लगाते हुए अपने दोनों हाथो को शादाब से छुडा लिया और उसके सिर को अपनी चूचियो पर दबाने लगी और आन्हे भरते हुए बोली:_

" आह शादाब अा दाब अपनी मा की चूचियां मेरे राजा, चूस ले ना मेरी चूचियों को तू

शहनाज़ पूरी तरह से मस्त हो गई थी और अपनी नंगी चूत को लंड पर रगड़ रही थी। जब भी सुपाड़ा चूत के होंठो को जोर से रगड़ता तो शहनाज़ का जिस्म उछल पड़ता जिससे चूचियां उसके मुंह पर लगती। शादाब ने अब शहनाज़ की दोनो चूचियों को हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलने लगा।

शहनाज़ के मुंह से निकलती हुई मादक सिसकियां अब जोर पकड़ रही थी और शहनाज़ की चूत तो आज अपना पूरा रस बहा रही थी जिससे लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से भीग गया था। शादाब ने फिर से अपनी जीभ शहनाज़ की चूची पर फिराई तो शहनाज़ ने जोर से उसका सिर अपनी चूचियों पर दबा दिया और तड़पते हुए बोली:"

," आह उफ्फ सादाब, जान ही ले लेगा क्या री मेरी, चूस ले अब तो।

शादाब ने शहनाज़ की आंखों में देखा तो उसे एक तड़प दिखाईं दी और शहनाज़ ने अपनी चूची उठाकर उसकी तरफ बढ़ाई तो शादाब ने उसकी चूची को मुंह में भर लिया और शहनाज़ तो जैसे इस मस्त एहसास से कांप उठी और हाथ नीचे ले जाकर शादाब का लंड पकड़ लिया और अपनी टांगो चौड़ी करते हुए चूत पर टिका दिया और सिसकते हुए बोली: आह घुस जा शादाब अपनी मा की चूत में, दे दे लोला

शादाब ने शाहनाज की चूचियों को चूसना शुरू किया तो और शाहनाज ने मस्ती में अपनी चूत लंड पर उछाल दी जिससे सुपाड़ा चूत के होंठ रगड़ गया और शादाब ने शाहनाज के निप्पल को हल्का हल्का दांतो से काटना शुरू कर दिया तो शहनाज ने अपनी बांहे उसकी कमर पर कस दी और नीचे से गांड़ उठा उठा कर चूत में लंड घुसाने की कोशिश करने लगी। शादाब जानबूझकर लंड को उधर इधर हिला रहा था जिससे वो चूत के मुंह पर ठीक से नहीं लग पा रहा था। शहनाज़ उत्तेजना से पागल हो उठी और अपनी टांगे बेड पर पटकने लगी और बोली:_

" आह मेरे राजा, तेरी शहनाज़ की चूत तेरे मूसल से कूटने के लिए तड़प रही है, घुसा दे लोला मेरे शादाब

शादाब ने शहनाज़ की टांगों को पूरी तरह से खोल दिया और नीचे आते हुए उसकी जांघो को चूमने लगा, शहनाज़ से शादाब की जीभ की रगड़ बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वो मस्ती से कांप रही थी।

शहनाज़ की चूत से उठती हुई मादक परफ्यूम की तेज गंध शादाब के दिलो दिमाग पर छाती गई और उसने शहनाज़ की चूत के आस पास चाटना शुरु किया तो शहनाज़ की चूत से रस बाहर निकलने लगा। शादाब अपने होंठ चूत के पास लेकर जाता लेकिन जैसे ही छूने को होता तो फिर से शहनाज़ की जांघो को चूमने लगता। शहनाज़ पूरी तरह से मचल रही थी और अपनी चूत चूसवाना चाहती थी लेकिन सीधे सीधे बोलने की हिम्मत उसमे नहीं थी। शहनाज़ ने अपने दोनो हाथों से शादाब का सिर थाम लिया और अगली बार जैसे ही शादाब के होंठ चूत के पास गए तो शहनाज़ ने थोड़ा नीचे सरकते हुए शादाब का मुंह अपनी चूत पर दबा दिया । शादाब तो जैसे बस इसका इंतजार कर रहा था उसने शहनाज़ की चूत पर उपर से नीचे तक जीभ फेर दी।

शहनाज़ चूत पर अपने बेटे की जीभ की रगड़ से मस्ती से भर उठी और सिसकते हुए बोली-"

" आह शादाब चूस ले बेटा अपनी मा की चूत, देख तेरे लिए कितना रस छोड़ रही है।

शादाब ने शहनाज़ की चूत पर उपर से नीचे की जीभ फेरना शुरू कर दिया और शहनाज़ खुद ही मस्ती में आकर अपनी चूचियों को मसलने लगी। शादाब ने अपनी जीभ को जैसे ही शहनाज़ की चूत में घुसा दिया तो शहनाज़ का बदन हिलने लगा और उसने अपनी एक टांग को पूरी तरह से खोलते हुए शादाब के सिर पर रख दिया और अपने जिस्म को पटकने लगी

" आह हाय शादाब, मेरी चूत इतनी अच्छी हैं आज पता चला, उफ्फ तो तू कमाल का लड़का निकला मेरे राजा।

शादाब ने शहनाज़ की चूत की दीवारों को अंदर से चाटना शुरू किया तो शहनाज़ की सिसकियां तेज होने लगी और शादाब ने जोश में आकर अपनी उंगली से चूत की कलिट को सहलाना शुरू किया तो शहनाज़ का जिस्म झटके पर झटके खाने लगा और वो अपने जिस्म को पटकने लगी और चूचियां उछलने लगी।

तभी शादाब की जीभ शहनाज़ की चूत के जी स्पॉट से जा टकराई तो शहनाज़ को लगा कि वो मस्ती से मर जाएगी और उसकी आंखे बंद हो गई जोर जोर से सिसकियां लेने लगी और बोली:_

" उफ्फ आह मेरी चूत यहीं यहीं चूस, उफ्फ यहां तो बहुत मजा अा रहा है, मेरी चूत हाय शादाब रोज चूसना ऐसे ही।

शादाब ने जैसे ही उपर से नीचे तक जी स्पॉट पर जीभ को जोर जोर से रगड़ा तो शहनाज़ की चूत का बांध टूट गया और उसने जोर से शादाब का सिर अपनी चूत में घुसा दिया और मस्ती से सिसक उठी:

" हाय मैं तो गई शादाब, तेरी मा की चूत शादाब, हाय चूत मेरी चूत
Reply
10-08-2020, 02:17 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ की चूत से निकलती हुई खट्टे खट्टे नमके रस की धार शादाब के मुंह में पड़ने लगी जिसे वो चाटता चला गया। शहनाज़ का जिस्म झटके खाता रहा और शादाब उसकी चूत का सारा रस पी गया। जैसे ही शहनाज़ की चूत से रस टपकना बंद हुआ तो उसने शादाब को अपने उपर खींच लिया और दीवानी होकर उसका मुंह चूमने लगी। शहनाज़ ने अपने बेटे को झटका दिया और उसके ऊपर आ गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे। शहनाज ने आगे बढ़कर उसके होंठ चूम लिए और बोली:'

" हाय मेरी जान, बहुत मजा आया, तूने तो मुझे ये अद्भुत सुख देकर पूरी तरह से जीत लिया शादाब। सच में तू पूरा मर्द बन गया हैं बेटा।

शादाब अपनी तारीफ सुनकर खुश हुआ और शहनाज़ का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया तो शहनाज़ ने लंड को हल्का सा दबा दिया और बोली:_

" उफ्फ शादाब इसे क्या खिला दिया आज देख तो कैसे अकड़ रहा है और कितना मोटा लग रहा है आज ये।

शादाब:_ अम्मी आपके लिए प्यार के लिए तड़प रहा है ये।

शहनाज़ ने शादाब को स्माइल दी और उसकी आंखो में देखते हुए अपना मुंह नीचे की तरफ बढ़ाने लगीं क्योंकि आज शादाब ने उसकी चूत चूसकर जो सुख उसे दिया था उससे शहनाज़ आज शादाब की गुलाम बन गई थी।

शहनाज़ ने शादाब ने लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी जड़ तक हाथ फिराने लगी। उसकी चूत कांप उठी क्योंकि लंड आज कुछ ज्यादा ही ठोस हो गया था। उफ्फ ये तो उस मूसल से भी ज्यादा ठोस लग रहा है आज, लगता हैं आज ये लड़का मेरी चूत की तली भी निकाल देगा।

शहनाज़ ने अपना मुंह खोल दिया और लंड के सुपाड़े को चाट लिया तो शादाब जोर से सिसक उठा । शहनाज़ ने अपने मुंह को खोलते हुए लंड के सुपाड़े को मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

शादाब मस्ती से भर उठा और सिसकते हुए बोला:" आह शहनाज़ पूरा मुह में ले ले मेरी जान।

शादाब जोर जोर से लंड को चूसने लगी और अपनी गान्ड उठा कर लंड उसके मुंह में घुसाने की कोशिश करने लगा। शहनाज़ ने अपना पूरा दम लगाते हुए अपने मुंह को पूरा खोल दिया और आधे से ज्यादा लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

शादाब के हाथ अपने आप उसके सिर पर अा गए और शहनाज़ के मुंह को लंड पर दबाने लगे। शादाब का लंड एक घंटे से तड़प रहा था इसलिए शादाब कोशिश कर रहा था किसी तरह पूरा लंड शहनाज़ के मुंह में घुस जाए लेकिन लंड का साइज इतना ज्यादा था कि सिर्फ़ आधे लंड से ही उसका मुंह पूरी तरह से भर गया था। शादाब तड़पते हुए बोला:_

" आह अम्मी, पूरा लंड चूस लो, जड़ तक घुसा लो

शहनाज़ ने शादाब की तरफ इशारा किया मानो उसे बता रही हो कि लंड इससे ज्यादा मुंह में नहीं घुस पाएगा। शादाब ने शहनाज़ को पलट दिया और उसके ऊपर आकर उसकी आंखो के देखते हुए लंड का दबाव उसके मुंह पर बढ़ाया तो शहनाज़ ने स्माइल करते हुए अपना मुंह खोल दिया और शादाब ने पूरी ताकत से धक्का लगाया तो लंड उसके मुंह को पूरा खोलते हुए गले में घुस गया। शहनाज़ को शादाब से ऐसी उम्मीद नहीं थी इसलिए दर्द से तड़प उठी और शादाब ने बिना रुके उसके मुंह में लंड के धक्के लगाने शुरू कर दिए।

शहनाज़ को उसका मुंह फटता हुआ नजर अा रहा था और दर्द के मारे उसकी आंखो से आंसू बह चले और उसके गले से बस गें गें की आवाज निकल रही थीं कि शादाब मस्ती से आंखे बंद किए धक्के पर धक्का लगा रहा था। लंड पर शहनाज़ के टाइट मुंह का असर होने लगा और शादाब ने एक आखिरी धक्का लगाया है लंड को जड़ तक घुसा दिया। शहनाज़ को लगा जैसे लंड उसके गले को फाड़कर उसकी आंतो में घुस जायेगा। दर्द के मारे शहनाज़ का पूरा चेहरा आंसुओ से भीग चुका था। शादाब का लंड शहनाज़ के मुंह में पिचकारी मारता रहा और अंत में सिकुड़ कर बाहर आ गया।

लंड के ठंडा होते ही शादाब का जोश भी ठंडा हो गया और उसने शहनाज़ के चेहरे को जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर दिया। शहनाज़ अपने बेटे का इतना प्यार देखकर दर्द में भी मुस्कुरा उठी और बोली:_

" जानवर कहीं का, आज तो लग रहा था जैसे मेरा मुंह फाड़ ही देगा तू।

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपने दोनो कान पकड़ लिए तो शहनाज़ स्माइल करते हुए बोली:"

"पहले दर्द देता हैं और फिर माफी मांगता है मेरा बेदर्दी सनम।

शादाब ने शहनाज़ के गाल चूम लिए और उसे जोर से अपनी बांहों में कस लिया।

शादाब:" आई लव यू शहनाज़।

शहनाज़ उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए बोली:" लव यू टू मेरे शादाब। पता हैं तेरे मुंह से शहनाज़ सुनकर बहुत अच्छा लगता हैं।

शादाब उसकी प्यारी सी नाक को पकड़ कर हिलाते हुए बोला:'

" अच्छा मेरी शहनाज़, तुम मेरी जान हो मेरा सब कुछ हो।

शहनाज़ उसकी कमर को हल्का सा दबाते हुए बोली:" सच में शादाब प्यार का इजहार मुझे ज़िन्दगी में सिर्फ तुमसे हुआ है।

शादाब ने शहनाज़ के चांद से सुंदर मुखड़े को दोनो हाथो में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:_

" मैंने भी तेरे लिए सब कुछ ठुकरा दिया शहनाज़ रिश्ते नाते, मान मर्यादा समाज।

शहनाज़:" शादाब मुझे तुम्हारे रूप में दुनिया का सबसे ज्यादा प्यार करने वाला शोहर मिला है।

शादाब ने शहनाज़ का माथा चूम लिया और बोला:" अम्मी मैंने जब आपको एयरपोर्ट पर देखा तो मैं तो तभी आपका दीवाना हो गया था शहनाज़।

शहनाज़ उसे छेड़कर अपनी जीभ निकाल कर बोली:_

" मा का दीवाना मेरा बेटा शादाब।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,434,589 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 536,910 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,205,247 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 911,118 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,615,255 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,048,830 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,897,495 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,880,299 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,963,803 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 278,684 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)