Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:03 PM,
#51
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ को लग रहा था जैसे सामने उसका बेटा नहीं बल्कि उसके सपने का शहजादा बैठा हुआ हैं और ठंडी ठंडी हवा का असर भी हो रहा था। इसीलिए मुंह नीचे किए हुए बोली:"

" बेटा दोस्त तो हम दोनों भी है!!

शादाब झट से बोल पड़ा :'

" हां अम्मी हम एक दूसरे से प्यार भी करते है इसका मतलब हम भी कपल हो गए।

शहनाज़ समझ गई कि उसका बेटा जरूरत से ज्यादा ही समझदार हो गया है। हल्की सी उंगली पकड़ाते ही पूरा हाथ खुद पकड़ लिया। शहनाज उसका हाथ हल्का सा दबाते हुए बोली:"
" लेकिन हम तो मा बेटा भी हैं ना मेरे राजा फिर कपल कैसे हो सकते हैं ?

शादाब को अचानक से उस दिन सिनेमा हॉल में हुआ हादसा याद अा गया और बोला:"

शादाब:" अम्मी उस दिन शहर में वो सेल्स गर्ल्स आपको मेरी मा नहीं बल्कि दोस्त समझ रही थी और ब्यूटी पार्लर वाली ने तो आपको मेरी बीवी ही समझा लिया था।

शहनाज़ भी आग में घी डालते हुए बोली:"

" अरे हां याद हैं ना जब हम मूवी देख रहे थे तो सामने मा बेटा दोनो कपल ही तो थे।

इतना कहते वो अपने बेटे के एक दम पास खिसक गई। शादाब ने उसके दोनो हाथ पकड़ लिए और उसकी आंखो में देखने लगा तो शहनाज़ बोली:"

" बेटा तुझे पक्का यकीन हैं ना कि यहां से कोई हमे देख नहीं पाएगा

शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी काफी हद तक रोमांस के लिए तैयार हैं लेकिन डर रही हैं। शादाब बोल:"

" अम्मी मुझे पूरा यकीन है कोई नहीं देख पाएगा, आप घबराए नहीं।

इतना कहकर शादाब ने उसे अपनी तरफ खींच लिया तो शहनाज शर्म से अपनी आंखे किए हुए अपने बेटे की बांहों में अा गई। उसका पूरा जिस्म कांप रहा था। शादाब ने उसे मचान पर पड़ी चादर पर लिटा दिया और खुद उसके बराबर में लेट गया। अब दूर दूर से कोई पूरी कोशिश करके भी उन्हें नहीं देख सकता था। शहनाज़ शादाब की तरफ थोड़ा खिसकते हुए उससे सट गई और बोली:"

" बेटा तू सच में बहुत प्यारा है शादाब, काश तू मेरा बेटा ना होता।

शादाब ने उसके चेहरे को अपने दोनो हाथो में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" अगर बेटा ना होता तो क्या अम्मी ? आप भी मुझे बहुत अच्छी लगती है

शहनाज़ उसके गाल पर एक उंगली घुमाते हुए बोली:'

" उफ्फ कुछ नहीं , मुझे शर्म आती है मेरे राजा, तू समझ जा

इतना कहकर शहनाज़ ने अपना मुंह उसके चौड़े सीने में छुपा लिया और जोर जोर से सांस लेने लगी। शादाब उसकी कमर सहलाते हुए बोला:"

" अम्मी बताओ ना प्लीज़, अगर बेटा ना होता तो क्या होता ?

शहनाज़ उसकी कमर में हल्के हल्के घुसे मारते हुए :"

" जा मुझे नहीं पता, शर्म आती हैं मुझे बहुत, तुझे खुद समझना हैं तो समझ जा नहीं तो रहने दे।

शादाब:" उफ्फ अम्मी, आप पता नहीं इतना क्यों शर्माती हो, आप अपने राजा पर यकीन कर सकती हो आराम से ?

शहनाज़:" नहीं बेटा मुझसे ना हो पाएगा, तुम खुद ही समझ लेना अगर सच में तुम समझदार हो तो

शादाब:" उफ्फ अम्मी ये किस मुश्किल में डाल दिया मुझे आपने ? कुछ समझ नहीं अा रहा है मुझे तो अब।

शहनाज़ उसके पेट में गुलगुली करते हुए :"

"बेटा तुम्हे समझना ही पड़ेगा ये तो खुद ही मेरे राजा। वैसे मुझे कुछ समझ में आ रहा हैं

शादाब:" हान अम्मी बोलो ना प्लीज़ आपको क्या समझ में आ रहा हैं ?

अपने बेटे की बात सुनते ही शहनाज़ ने अपना चेहरा उपर उठाया और अपने होंठ शादाब के होंठो पर टिका दिए। उफ्फ ये पहली बार था जब खुद शहनाज़ ने किस की शुरुआत करी थी। उसने अपने बेटे के नीचे के होंठ को अपने होंठो में भर कर चूसना चालू कर दिया। शादाब भी सब कुछ भूलकर अपनी मा के होंठो पर टूट पड़ा और दोनो मा की मजे से आंखे बंद हो गई और किस में डूब गए। काफी देर के बाद दोनो के होंठ अलग हुए तो दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्करा दिए और शहनाज़ अपने बेटे से चिपक गई। शादाब ने भी उसे अपनी बाहों में कस लिया तो शहनाज़ को बड़ा सुकून मिला और वो बोली:"

" बेटा कितना सुकून मिल रहा हैं तेरी बांहों में मुझे, सो जाऊं क्या ?

शादाब अपनी अम्मी के बालो में उंगली निकालते हुए:"

" हान अम्मी, आप अपने बेटे की बांहों में पूरी तरह से महफूज हो, आप आराम कर लो।

शहनाज़ पूरी तरह से शादाब की बाहों में सिमट गई और आंखे बंद कर ली। ठंडी ठंडी हवा का असर दोनो मा बेटे पर होने लगा और जल्दी है दोनो की आंख लग गई।
शाम तक दोनो ऐसे ही सोते रहे और दोनो के साथ जाग गए तो शहनाज़ बोली:"

" बेटा सच में बड़ा सुकून मिला तेरी बांहों में मुझे, शाम हो गई हैं चलो घर चले ।

शादाब:" ठीक हैं अम्मी, पहले मैं उतर जाता है फिर आपको उतार लूंगा !

इतना कहकर शादाब नीचे उतर गया और फिर शहनाज धीरे धीरे नीचे उतरने लगी लेकिन उसका हाथ स्लिप हो गया और शादाब के उपर गिर पड़ी लेकिन शादाब ने उसे पूरी तरह से संभाल लिया और शहनाज़ डर के मारे उससे चिपक गई।

शहनाज़:" उफ्फ बेटा, तू कितना अच्छा हैं, हर बार मुझे बचा लेता हैं, सच में एक औरत मर्द के बिना कितनी अधूरी होती हैं।

शादाब:" अम्मी जब तक मैं हूं आपको कुछ नहीं होने दूंगा, आप बेकिफ्र रहे।

उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद शहनाज़ के पैर दर्द करने लगे तो वो बोली:"

" बेटा मेरे तो पैर दर्द करने लगे, मुझसे अब नहीं चला जाता।

अपनी अम्मी की बात सुनते ही शादाब ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और चलने लगा। शहनाज़ शर्म के मारे नीचे उतरने की कोशिश करने लगीं तो शादाब बोला:"

" अम्मी क्या हुआ क्यों उतर रही हो आप ?
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10-08-2020, 02:03 PM,
#52
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़:" बेटा मुझे शर्म आती हैं, किसी ने देख लिया तो क्या कहेगा?

शादाब :" अम्मी मुझे किसी के देखने या नहीं देखने से कोई फर्क नहीं पड़ता, आपका ध्यान रखना मेरे फ़र्ज़ हैं।

शहनाज़ चुप हो गई और अपनी दोनो बांहे उसके गले में लपेट कर उससे चिपक गई। शादाब आगे बढ़ता रहा और शहनाज़ दीवानी की तरह उसका सुंदर मुखड़ा देखती रही। शादाब की छाती से उठती हुई मादक मर्दाना गंध शहनाज़ को महसूस होने लगी और वो पूरी तरह से उसमे खोती चली गई। शहनाज़ की जीभ पता नहीं कैसे अपने आप बाहर निकल गई और उसने शादाब के सीने को चूम लिया तो शादाब के मुंह से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी जिसे सुनकर शहनाज़ जैसे होश में आई और अपनी गलती पर शर्म से दोहरी हो गई। दोनो गाड़ी तक अा गए थे और शादाब ने गाड़ी घर की तरफ चला दी। आज शहनाज़ पूरी तरह से अपने बेटे पर फिदा हो चली थी जबकि शादाब के मन में बार बार वहीं बात घूम रही थी कि काश तू मेरा बेटा ना होता।

थोड़ी देर बाद वो दोनो घर पहुंच गए और शादाब सब्जी लेने के लिए बाजार चला गया तो वहां उसने एक नया होटल देखा जो गांव में उसने पहली बार देखा था। वहां से उसने अपनी अम्मी की पसंद का खाना पैक कराया और घर की तरफ चल पड़ा।

उसके दिमाग में वहीं दो बाते घूम रही थी कि काश तू मेरा मेरा बेटा ना होता और मर्द के बिना औरत कितनी अधूरी होती हैं। शादाब दूसरी बात तो जल्दी ही समझ गया कि उसकी अम्मी अभी ठीक से जवान होकर पूरी तरह से खिल चुकी हैं इसलिए ज़ाहिर हैं कि उसे मर्द की कमी खलती हैं। लेकिन दादा दादी जी तो कह रहे थे कि शाहनजा ने हमेशा घर की मान मर्यादा का ध्यान रखा और गलत कदम नहीं उठाया फिर अचानक से ये क्यों बोला कि औरत मर्द के बिना अधूरी होती हैं जब मैंने उन्हें अपनी बांहों में थामा था। क्या मेरे उन्हें अपनी थामनें से उन्होंने ऐसा बोला हैं ?

उफ्फ कुछ समय नहीं अा रहा हैं ठीक से लेकिन एक बात तो साफ हैं कि अम्मी प्यार के लिए तड़प रही है। भले ही वो किसी से शर्म के मारे कुछ ना कह पाती हो लेकिन उस रात मैने उन्हें खुद देखा था किस तरह से वो खुद ही अपने आपको मसल रही थी।

शादाब ये सब सोचते हुए घर पहुंच गया और उसने देखा कि उसकी अम्मी बेड पर पड़ी हुई थी और किसी गहरी सोच में थी और खुद से ही बाते कर रही थी। शादाब उसके पास पहुंच गया और उसका गाल चूम लिया। शहनाज़ एक झटके से डरकर खड़ी हो गई लेकिन अपने बेटे को देखते ही उसे मारने लगी।

" शैतान कहीं का, मुझे डरा ही दिया था तूने तो।

शादाब:" अम्मी मैं तो बस मजाक कर रहा था। देखिए मैं आपके लिए क्या लाया हूं ?

शहनाज़ अपनी पसंद का खाना देख कर शादाब से चिपक गई और उसका मुंह चूमते हुए बोली

" बड़ा ध्यान रखता हूं तू अपनी अम्मी का, क्या बात हैं मेरे राजा ?

शादाब भी थोड़ा खुलते हुए:"

" अम्मी अब आप मेरी हीरोइन जो बन गई हैं इसलिए ध्यान भी रखना पड़ेगा और प्यार...

शहनाज़ उसकी तरफ तिरछी नजरों से देखते हुए:'

" बोल बोल ना रुक क्यों गया तू ?

शादाब आगे आकर उसके दोनो हाथ पकड़ते हुए बोला:"

" और प्यार भी करना होगा मुझे अपनी हीरोइन को।

शहनाज़ थोड़ा नाराजगी जाहिर करते हुए अपने हाथ छुड़ाने लगी और बोली:'

" जरा मेरे हाथ छोड़ एक बार फिर तुझे ठीक करती हूं, बड़ा आया मुझे प्यार करने वाला !!

शादाब ने उसके हाथ थोड़ा जोर से पकड़ लिए तो शहनाज़ को दर्द होने लगा और बोली:"

" उफ्फ तोड़ ही देगा क्या मेरे हाथ तो, कितना टाइट पकड़ा हैं बात प्यार करने की करता है और करता ज़ुल्म हैं मुझ पर।

शादाब थोड़ा उसके हाथ ढीला छोड़ते हुए:" उफ्फ करना तो प्यार ही चाहता हूं लेकिन आप तो एकदम जंगली बिल्ली जैसी खतरनाक हो, बचना तो पड़ेगा।

शहनाज़ को हंसी अा गई और फिर अगले ही पल गुस्सा करते हुए बोली:' तू बहुत ज्यादा बिगड़ गया हैं अपनी मा को जंगली बिल्ली बोलता है, तुझे सबक सिखाना पड़ेगा।

शादाब ने जिस जगह से शहनाज़ के गोरे चिट्टे हाथ पकड़े थे वहां से नीले पड़ गए थे इसलिए शहनाज़ उसे देखते हुए उसके कान में बुदबुदाई:"

" वैसे हैं तो एकदम पूरा सांड तू, देख ना कैसे हाथ नीला कर दिया मेरा। पूरा मर्द बन गया हैं।

शादाब:" उफ्फ अम्मी अभी पुरा कहां बना हूं, क्या मैं सचमुच मर्द बन गया हूं अम्मी ?

शहनाज़ अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए:"

" और नहीं तो क्या देख ना कैसे जोर से पकड़ हैं? अब तेरी शादी करनी पड़ेगी कोई तगड़ी सी लड़की देख कर ?

शादाब:" अम्मी मुझे नहीं करनी शादी, वैसे तगड़ी सी क्यों कहां आपने ?

शहनाज़ ने शादाब को बातो में लगाकर अपना एक हाथ छुड़ा लिया और उसके कान खींचते हुए बोली:"

" तगड़ी सी इसलिए क्योंकि दुबली पतली सी लड़की को तो तू पीसकर रख देगा।

शादाब अपनी अम्मी की बात सुनकर खुश हो गया और बोला:"

" क्या सच में अम्मी ?

शहनाज़ अपनी आंखे नाचते हुए:" और नहीं तो क्या ? देखा तूने अपने आपको पता नहीं क्या खाता हैं ?

शादाब :"अम्मी बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं ?

शहनाज़:" बोल दे अब जल्दी से जो बोलना है ?

शादाब;" लेकिन अम्मी आजकल के लड़के तो मोटी तगड़ी नहीं बल्कि एक दम आपके जैसी भरी हुई और पतली सी कमर वाली लड़की पसंद करते हैं ।

शहनाज़ उसके तरफ आंखे निकालते हुए :' चल कमीना कहीं का, शर्म नहीं आती अपनी मा से ऐसी बाते करते हुए तुझे?
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10-08-2020, 02:03 PM,
#53
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब:" अम्मी प्लीज़ बुरा मत मानना, सच तो ये ही हैं !

शहनाज़:" बड़ी बड़ी बाते करने लगा हैं आजकल तू। चल जा जल्दी से हाथ धोकर अा मुझे भूख लगी हैं बहुत।

शादाब हाथ धोने चला गया और शहनाज़ टेबल पर खाना लगते हुए सोचने लगी कि उसका बेटा सचमुच पूरा जवान हो गया हैं और बड़ी बड़ी बाते करने लगा हैं। घुमा फिरा कर बोल रहा था कि आजकल के लड़के मेरी जैसी औरतें पसंद करते हैं, सीधे सीधे नहीं बोल पाया कि अम्मी आप मुझे अच्छी लगती हैं।

ये सब सोचते सोचते शहनाज़ का जिस्म कांप उठा। उफ्फ ये शैतान लड़का भी ना, अपनी ही अम्मी का दीवाना हो गया लगता हैं।

शादाब हाथ धोकर अा गया और दोनो मा बेटे एक साथ खाना खाने लगे। शहनाज़ ने अपने बेटे को खुद अपने हाथ से खाना खिलाया क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा उसे बहुत प्यार करता हैं। जल्दी ही दोनो ने खाना खा लिया और शहनाज़ बर्तन लेकर किचेन में चली गई। शहनाज़ बर्तन धोते हुए अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थीं। काश ये मुझे पहले मिल गया होता तो अपना सब कुछ इस पर लुटा देती। शहनाज़ सोचने लगी कि मैं तो अभी भी काफी जवान हूं और ये तो बोल रहा था कि इसे मेरी जैसी ही पतली और भरे हुए जिस्म की औरतें पसंद आती हैं। शैतान कहीं का अपनी ही मा पर डोरे डाल रहा था। तभी शहनाज़ को अपनी बाते याद आने लगी कि आज दिन में मेरे मुंह से क्या निकल गया था कि काश तू मेरा बेटा ना होता।

उफ्फ वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में ! लेकिन मैंने ऐसी बात बोली क्यों, क्या मैं भी उसकी दीवानी हो गई हू। उफ्फ जब भी मैं उसे देखती हूं कहीं खो सी जाती हूं, और जब वो मुझे छूता हैं तो मेरे अंदर अपने आप सितार बजनें लगता हैं। क्या करू मैं !?

कैसे खुद को संभालू, कुछ समझ नहीं आता । खैर ये ही सोचते हुए वो धुले हुए बरतन सजाने लगी और जल्दी ही जल्दी ही काम खत्म करके अपने रूम में चली गई जहां उसका बेटा उसके इंतजार कर रहा था।

उधर शादाब पूरी तरह से अपनी अम्मी की बातो कि मर्द के बिना औरत कितनी अधूरी होती हैं और काश तू मेरा बेटा ना होता तो...
इन्हीं दोनों बातो में डूबा हुआ था लेकिन कुछ खास समझ नहीं पा रहा था।

शादाब अंदर कमरे में बिछी हुई कालीन पर बैठा हुआ था और शहनाज़ भी जाकर उसके पास बैठ गई।

शहनाज़:" क्या हुआ किस सोच में डूबे हुए हो मेरे राजा ?

शादाब:" कुछ खास नहीं अम्मी, बस ऐसे ही आपके बारे में सोच रहा था कि ना तो आपके साथ रहा ना ही आपके बारे में ज्यादा कुछ जानता हूं।

शहनाज़:" क्या बात हैं मेरे राजा! आज कल तू अपनी मा के बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रहा है। तेरे इरादे तो नेक हैं ना ?

शादाब अपनी अम्मी की बात सुनकर मुस्कराया और उसका एक हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा:"

" हां अम्मी, बस ये ही सोच रहा था कि भरी जवानी में आपने दूसरी शादी क्यों नहीं करी ? जबकि आपके जैसी हीरोइन के लिए तो लाइन लग जाती लड़की की बहुत लंबी।
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10-08-2020, 02:03 PM,
#54
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ ने अपने बेटे के कंधे पर अपना सिर टिका दिया और बोली:"

" बेटा जो किस्मत को मंजूर था वो हो गया, मुझे तेरी बड़ी फिक्र थी तेरा क्या होगा? बस शायद तेरी वजह से ही शादी नहीं करिं

शादाब पहले से ही सब जानता था फिर भी अपनी अम्मी की बात सुनकर बोला:"

" सच अम्मी आप मुझसे इतना प्यार करती रही थी बचपन से ही?

शहनाज़ उसका हाथ सहलाते हुए बोली:" हान राजा, बस तेरे लिए ही मैंने अपनी सब खुशी त्याग दी ताकि तुझे कोई दिक्कत ना आय।

शादाब ने अपनी अम्मी की बात सुनकर शहनाज़ का गाल चूम लिया और बोला:"

" अम्मी आपने मेरे लिए अपनी सब खुशी त्याग दी अब देखना आपको बेटा आपको हर वो खुशी देगा जिसके लिए आप तड़पी हैं।

शहनाज़ बस हल्का सा मुस्कुराई और उसकी आंखे अपने बेटे के कंधे पर सुकून पाकर बंद हो गई।

शादाब अपनी अम्मी की जुल्फों की खुशबू सूंघता हुआ बोला:"

" अम्मी आपकी पापा से शादी कैसी हुई थी ? मतलब वो एकदम काले थे और आप बिल्कुल दूध सी गोरी ?

शहनाज़ को लगा जैसे किसी ने उसकी दुखती हुई रग पर हाथ रख दिया है। उसकी आंखो से अपने आप एक आंसू निकल आया तो शादाब ने उसे साफ किया और उसे लगा कि उसने गलत सवाल कर दिया है।

शादाब:" सोरी अम्मी, अगर आपको बुरा लगा हो तो ?

शहनाज़ भरे हुए गले से बोली:"

" नहीं बेटा, ये तो खुशी के आंसू हैं कि किसी ने तो मेरे दिल का हाल पूछा। सुन बेटा मेरी अम्मी की मौत के बाद मैं अपनी सौतेली मा के लिए एक बोझ बन गई थी। मेरे अब्बू पूरी तरह से उसके गुलाम बन चुके थे। मुझे बात बात पर वो मारती, परेशान करती थी। एक दिन तेरे दादा जी ने मुझे देखा और पसंद कर लिया और मेरे लालची बाप ने एक तरह से मुझे बेच दिया। तेरे दादा जी को लगा था कि मैं उनके बेटे को सुधार दूंगी लेकिन वो सब एक वहम साबित हुआ।

शादी के बाद तेरे अब्बा और बिगड़ते चले गए और मुझे बात बात पर मारते थे और एक दिन उनकी ऐक्सिडेंट में मौत हो गई। बस जब तू मेरे पेट में था। मैं तेरे ही सहारे रह गई थी। तेरे दादा जी ने अपनी गलती सुधारने के लिए मेरी दूसरी शादी की बहुत कोशिश करी लेकिन कोई भी मुझे बच्चे के साथ रखने को तैयार नहीं था और मेरा भी मन नहीं था दादा दादी को छोड़ कर जाने का। बस ये कहानी है तेरी अम्मी की बेटा।

शादाब की भी आंखे भर आई और उसने अपनी अम्मी का चेहरा अपने दोनो हाथों में थाम लिया और बोला:"

" अम्मी मैं माफी चाहता हूं कि आपको मेरे अब्बू की वजह से काफी सारी मुश्किल उठानी पड़ी। मेरी रगों में उनका ही खून हैं इसलिए आप मुझे माफ़ करे।

शहनाज़ गुस्से से चिल्ला पड़ी:"

" खबरदार जो आज के बाद बोला कि तेरी रगो में उसका खून हैं, तू सिर्फ मेरा बेटा है, बस मेरा खून हैं।

शादाब ने अपने दोनो हाथ अपनी अम्मी के आगे जोड़ दिए और बोला:"

" हां अम्मी, मैं सिर्फ आपका बेटा हूं, आज के बाद मैं कभी अपने बाप का नाम तक नहीं लूंगा।

शहनाज़ ने उसे अपने गले से लगा लिया और दोनो मा बेटे एक साथ सिसक उठे। शादाब ने अपनी अम्मी का मुंह साफ किया और बोला :"

" अम्मी एक बात पूछं लू क्या आपसे , अगर बुरा ना मानो तो ?

शहनाज़:" बोल बेटा तू भी, जो तेरा मन करे बोल?

शादाब:" अम्मी हर लड़की के सपनो में एक शहजादा होता हैं जिसके वो सपने देखती है। आपके सपनों का शहजादा कैसा है अम्मी ?

शहनाज़ ने एक लम्बी आह भरी और बोली :"

" बेटा शहजादे के सपने मैं पहले देखती थी अब नहीं !!

शादाब:" क्यों अम्मी आप तो अभी भी एक शहजादी ही तो लगती हैं, वैसे भी उम्र बढ़ने के साथ आपका हुस्न पूरी तरह से निखर गया है।

शहनाज़ अपने बेटे से अपनी तारीफ सुनकर मुस्कराई और बोली ;"

" तू बड़ा शैतान हो गया हैं अपनी अम्मी को कितना छेड़ता हैं तू शर्म नहीं आती तुझे ?

शादाब:" देखो ना अम्मी, आपका ख़ून हूं और एकदम बिल्कुल आपकी तरह से ही तो दिखता हूं जैसे हम दोनों जुड़वा पैदा हुए हो। आप थोड़ा मजाक तो बनता है ना दोस्त ?

शहनाज़ उसके कान खींचते हुए:'

" हां बनता हैं मेरे राजा, तो सुन मुझे बिल्कुल मेरे जैसा ही अपना शहजादा पसंद था। बिल्कुल ऐसा ही रंग, ऐसे ही नाक नक्श। समझा कुछ।

इतना कहकर शहनाज़ उठ गई और बोली:"

" जा कपड़े बदल कर आ जा, फिर सोते हैं थक गई हूं आज पूरे
दिन घूम कर।
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10-08-2020, 02:03 PM,
#55
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब उठ गया और अपने रूम में चला गया। वो सोचने लगा कि अम्मी को बिल्कुल अपने जैसा चाहिए था मतबल उनके जैसा तो बिल्कुल मैं हूं। तो क्या अम्मी को बिल्कुल मेरे जैसा अपना हीरो चाहिए था। वो आज दिन में बोल भी रही थी कि काश तू मेरा बेटा ना होता। इसका मतलब अम्मी के सपनों का शहजादा मैं ही हूं। लेकिन जब तक उनके मुंह से ना सुन लू तब तक मुझे चैन नहीं आएगा।

शादाब ने एक टॉवेल लिया और नहाने के लिए चला गया। शहनाज़ ने नहीं अपने कपड़े उतार दिए और गर्मी ज्यादा होने के कारण बस नाइटी पहन ली और नीचे ब्रा पेंटी नहीं पहनी। उसकी आंखो के सामने आज दिन में हुई बाते घूमने लगी कि किस तरह उसके बेटे ने बेरी समझकर उसकी चूत को पकड़ लिया था । शहनाज़ की सांसे तेज गति से चलने लगी और जिस्म में आग सी भर गई। उसके हाथ अपने आप उसकी नाइटी के अंदर घुस गए और चूचियों को पकड़ लिया। चूचियों पर हाथ लगते ही उसके मुंह से एक आह निकल पड़ी और वो आंखे बंद करके अपनी जांघो को आपस में रगड़ने लगी। उसकी चूत फिर से भीग गई और रस टपकना शुरू हो गया। शहनाज़ का एक हाथ अपने आप उसकी चूत पर चला गया तो रस से उंगली भीग गई। उफ्फ कितना रस छोड़ती हैं ये मेरी चूत , उफ्फ कितनी प्यासी हो गई है पिछले 18 साल से शांत थी अब मानो बगावत पर उतर आई है। उतरे भी क्यों नहीं , आखिरकार जिसके मैं और ये दोनो सपने देखती थी वो अभी मिला है। शहनाज़ पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थीं और गलत सही लाज शर्म सब पीछे छूट चुका था। उसने अपनी चूत के छेद पर उंगली फिराई और तड़प उठी तो दूसरा हाथ अपने हाथ गांड़ पर पहुंच गया। उसने अपनी गांड़ को सहला कर देखा टोवदिं भर की थकान का एहसास हुआ तो उसे याद आया कि दो दिन पहले उसके बेटे ने कैसे मसाला कूटने के बहाने उसकी गांड़ का सब दर्द मिटा दिया था। बस ये सोचते ही शहनाज़ पूरी तरह से बहक गई और नाइटी में ही किचेन में घुस गई और औखली उठा लाई। उसने जान बूझकर उसमे कुछ छोटे छोटे पत्थर भर दिए ताकि उसकी गांड़ की बहुत अच्छे से मालिश हो सके।

उसने कमरे का बल्ब बंद कर दिया और नाईट बल्ब जला दिया और पूरे कमरे में एक हल्के गुलाबी रंग की रोशनी फैल गई जिसमें उसका जिस्म एक शोला बनकर दहक रहा था। शादाब नहाकर सिर्फ एक टॉवेल पहले अपने कमरे में जा ही रहा था कि शहनाज़ ने उसे आवाज लगाई।

" राजा जरा इधर तो आओ मेरे पास !

शहनाज़ की आवाज में वो कशिश थी कि शादाब एक पुतले की तरह उसके साथ खींचा चला गया। शहनाज़ कालीन पर बैठी हुई थी और उसने आज जान बूझकर कालीन को डबल कर दिया था ताकि नीचे फिसल कर जब गिरने का बहाना करे तो एकदम गद्दे पर गिरे। एक फायदा ये भी होगा कि जितनी तेजी से उसका जिस्म झटके पर नीचे जाएगा उससे कहीं ज्यादा तेजी से उछाल के साथ उपर आएगा। शादाब उसके पीछे जाकर बैठ गया।

शहनाज़:" वो बेटा कल खाने के लिए मसाला कूटना था, अपनी हीरोइन की मदद कर देगा क्या मेरे हीरो ?

शादाब बिना कुछ बोले थोड़ा आगे हुआ और उसकी कमर से सट गया। शादाब ने एक हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ के उस हाथ को थाम लिया जिसमें उसने मूसल पकड़ा था।

शादाब ने शहनाज़ के हाथ को उपर की तरफ उठाया और मूसल को जोर से औखली में दे मारा तो पत्थर से टकराने से एक अजीब सी आवाज हुई जिससे शादाब समझ गया कि आज मसाला माही कुछ और ही डाल दिया है अम्मी ने इसके अंदर मतलब मेरा दम चेक करना चाहती हैं।

ये ख्याल मन में आते ही उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया। शादाब बिल्कुल इससे सट गया और अपनी गर्म सांसे उसकी गर्दन पर छोड़ते हुए बोला:"

" अम्मी आज मसाला कुछ ज्यादा ही टाइट लग रहा है,

शहनाज़ अपनी कमर पीछे को करती हुई मानो लंड तलाश कर रही हो बोली:"

* हान बेटा, हाथ दर्द करने लगे थे मेरे तो, लेकिन मेरे राजा इसको पीस कर रख देगा। मुझे अपने खून पर पूरा यकीन है।

शादाब :" अम्मी आप फिक्र ना करे, देखो मैं कैसे इसको पीसता हूं एकदम बारीक ।

इतना कहकर उसने जोर से मूसल मारा तो खड़ा हो चुका लंड शहनाज़ की कमर पर लगा जिससे उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई। इसी एहसास के लिए तो वो तड़प रही थी। फिर तो देखते ही देखते शादाब ने स्पीड बढ़ा दी और सटासट औखली में घुसने लगा। लंड शहनाज़ की कमर को अच्छे से रगड़ रहा था जिससे शहनाज़ पूरी मस्ती का अनुभव कर रही थी। तभी शहनाज़ ने कहा:_

" आह बेटे, थोड़ा जोर से कूट, देख ना अभी तो फूटा भी नहीं हैं, ऐसे कैसे पीसेगा र ?

शादाब ने मूसल जोर से मारा और उससे कहीं ज्यादा जोर से लंड का झटका मारा जिससे शहनाज़ अपने आप आगे को जा गिरी और शादाब ठीक उसके उपर पूरे जिस्म पर फैलता चला गया। एक झटके कर साथ मूसल हाथ से छुट गया और औखली पलट गई जिससे कुछ पत्थर के टुकड़े बाहर गिर गए तो शादाब पूरी तरह से निश्चिंत हो गया कि उसकी अम्मी जान बूझकर ये सब सब कर रही हैं। उफ्फ कितनी प्यासी है अम्मी,
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10-08-2020, 02:03 PM,
#56
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
आगे गिरने से शादाब का टॉवेल खुल गया और वो पूरी तरह नंगा हो गया। शहनाज़ ने मूसल उठाया और अपने बेटे की तरफ देखा तो शादाब ने एक सेक्सी स्माइल के साथ उसका हाथ थाम लिया और औखली में मूसल चलने लगा। लंड मूसल से भी ज्यादा टाईट हो चुका था इसलिए इसलिए शहनाज़ की गांड़ पर नंगा लंड नाइटी के ऊपर से ही लगने लगा। हर झटके पर शहनाज़ के मुंह से आह निकल रही थीं। टॉवेल शादाब के पैरो में फसने लगा तो उसने उठाकर एक तरफ़ फेंक दिया जो शहनाज़ ने देख लिया। उफ्फ हाय अल्लाह उसका मतलब ये मेरे उपर बिल्कुल नंगा चढ़ा हुआ है ये सोचते ही उसकी गांड़ अपने आप उपर उछलने लगी जिससे शादाब का हौसला बढ़ गया और उसने शहनाज़ के नंगे कंधे चूमने शुरू कर दिए। शहनाज़ पूरी तरह से मस्ती से भर उठी और मूसल तो बस नाम के लिए उसके हाथ में था, मसाला कुटाई तो कब की बंद हो चुकी थी और गांड़ कुटाई अपने चरम पर थी। धीरे धीरे हर धक्के पर शहनाज़ की नाइटी खिसकती रही और जल्दी ही उसकी कमर पर चढ़ गई जिससे शहनाज़ पूरी तरह से नीचे से नंगी हो गई। जैसे ही अगला झटका लगा तो लंड सीधे उसकी गांड़ की दरार पर जा लगा और मस्ती से उसका मुंह खुल गया !!

" आह मेरे राजा, ऐसे ही कूट , उफ्फ कितना अच्छा हैं तू मेरे राजा, दिखा दे अपना पूरा दम

शादाब समझ गया कि उसकी अम्मी अब पूरी मस्ती में अा चुकी है इसलिए वो एक तेज झटका मारते हुए कहा:"

," अम्मी आपको अच्छा लगता हैं क्या अपने बेटे के साथ मसाला कूटना उफ्फ !!

धक्का लगते ही शहनाज़ मस्ती से सिहर उठी और बोली:"

" उफ्फ मेरे राजा, तेरे साथ तो मसाला कूटने का पूरा मजा आता है हाय मा,

शादाब उसकी कमर सहलाते हुए कहा:" अम्मी आप कुछ बोल रही थी दिन मैं कि औरत अधूरी होती हैं एक मर्द के बिना , उफ्फ कितना जिद्दी मसाला हैं ये ?

इतना कहकर शादाब ने अपने लंड को पूरी ताकत से उसकी गांड़ में धकेला तो शहनाज़ की आंखे मस्ती से बंद हो गई और बोली:

" हां राजा, अकेली औरत मसाला कैसे कूटेगी र , आह उफ्फ तेरे जैसा हीरो होना चाहिए ना हीरोइन की मदद के लिए राजा।

इतना कहकर शहनाज़ ने मस्ती से अपनी टांगे थोड़ी सी ऊपर उठा ली जिससे उसकी गांड़ और चूत दोनो पूरी तरह से खुल गए। शादाब अपनी अम्मी की गर्दन पर जीभ फिराने लगा और एक तगड़ा धक्का शहनाज़ की गांड़ पर रख दिया और बोला:

"हाय अम्मी, क्या आप मेरी हीरोइन हैं !?

शहनाज़ इस धक्के से कांप उठी थी इसलिए सिसकते हुए बोली:"

" हाय राजा मैं बस सिर्फ तेरी ही हीरोइन हूं, फोड़ दे मसाले को मेरे हीरो !!

इतना कहते ही शहनाज़ ने बहुत देर के बाद मूसल उपर उठाया और मूसल से ज्यादा अपनी गांड़ उपर उठा ली। शादाब ने उसकी हालत समझते हुए एक तगड़ा धक्का लगाया तो शहनाज़ का जिस्म फिर से गद्दे में धस सा गया। उसके आंखो के आगे मस्ती से लाल पीले तारे नाच उठे और पत्थर के कुछ टुकड़े टूट गए।

" आह मेरे हीरो, उफ्फ ऐसे ही बेटे सारा मसाला फाड़ दे नहीं तो हॉल वाले लड़के की तरह थप्पड़ खाएगा तू मेरे राजा!!

शादाब ने हाथ आगे बढ़ा कर शहनाज़ की कमर को पकड़ कर मोड़ लिया और लंड को आगे करते हुए जांघो के बीच घुसा दिया। कभी लंड गांड़ के छेद तो कभी चूत की फांकों को चूम रहा था। इतने सालो के बाद शहनाज़ अपनी चूत पर लंड महसूस करते ही मस्ती से भर उठी और उसकी सिसकी निकल पड़ी।

" उफ्फ हाय मा, क्या कर रहा हैं तू, हट मुझे गुलगुली हो रहीं हैं।

शादाब उसकी गरदन चूमते;"

" मसाला चेक कर रहा था कितना टाइट हैं, उफ्फ अम्मी बहुत गरम हैं ये तो ।

शादाब ने लंड को चूत पर उपर से नीचे रगड़ते हुए कहा। शहनाज़ पूरी तरह से मस्ती में चूर हो गई थी इसलिए उसने भी अपनी चूत को हिलाना शुरू कर दिया। शादाब समझ गया कि अब सही समय अा गया है क्योंकि पूरी तरह से रस से भीग चुकी चूत लंड को भी भिगो चुकी थी।

शादाब:" अम्मी आपके सपनों का शहजादा कौन हैं ?

ये कहते हुए शादाब ने लंड पर हल्का सा दबाव बढ़ा दिया तो शहनाज़ का मुंह चूत से पहले ही खुल गया और बोली:_

" आह, हाय मा री, तू हैं मेरे राजा, मेरा सब कुछ तू ही तो हैं ।
Reply
10-08-2020, 02:03 PM,
#57
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने एक हाथ से पहली बार शहनाज़ की गांड़ को हल्का सा खोल दिया तो शहनाज़ ने खुद ही अपनी टांगे पूरी खोल दी और लंड पर हल्का सा पीछे को हो गई जिससे लंड चूत की फांकों को चूमने लगा। शादाब उसकी एक गांड़ को दबाते हुए बोला:"

" हाय अम्मी, कितना टाइट हैं आपका मसाला, पूरा दम लगा कर कूटना पड़ेगा।

शहनाज़ ने एक हाथ से अपनी चूची को पकड़ लिया और दबाने लगी। शादाब ने चूत के ठीक बीच में उसकी फांकों को लंड के सुपाड़े के खोलते हुए लंड का सुपाड़ा टिका दिया और कमर को लंड पर खींचते हुए बोला:_

" आह अम्मी उफ्फ मेरी जान, अगर मैं आपका बेटा ना होता तो आप क्या करती ?

इतना कहकर उसने दोनो हाथो में शहनाज़ की गांड़ को थाम लिया और मसलने लगा। गांड़ पर हाथ लगते ही शहनाज जैसे स्वर्ग में पहुंच गई और उसने पहली बार अपनी गर्दन घुमाकर शादाब की आंखो में देखा और बोली;"

"" अगर तू मेरा बेटा ना होता तो तुझे लेकर भाग जाती मेरे राजा!;

शादाब अपनी अम्मी की बात सुनते ही पूरे जोश में अा गया और एक धक्का आगे की तरफ मारा तो लंड हल्का सा फिसल गया और चूत की फांकों को रगड़ता हुआ नीचे जा लगा।

शहनाज़ की चूत की फांकों को पहली बार इतनी बुरी तरह से लंड ने रगड़ा था इसलिए उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसकी चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया और शहनाज़ का मुंह पूरी मस्ती से खुल गया।

" आह मर गई मेरे राजा, मेरे सपनो के शहजादे, मेरे हीरो, बना ले मुझे अपनी, ले जा भगा कर मुझे मेरे राजा।

शादाब ने मस्ती में आकर लंड को चूत पर फिर से टिका दिया लेकिन चूत के रस की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसके लंड ने भी अपनी मा की चूत पर पिचकारी मारनी शुरू कर दी और सिसकते हुए बोला;_

" उफ्फ नाज़ मेरी जान, भगा ले जाऊंगा तुझे सबसे दूर, उफ्फ मेरी मा तेरा बेटा पूरी तरह से तेरा दीवाना हो गया।

शहनाज़ ये बात सुनते ही जोश में पलट गई और शादाब के उपर चढ़ गई और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और दोनो मा बेटे एक दूसरे के होठों को चूसने लगे। नीचे लंड और चूत एक दूसरे को अपना रस पिला रहे थे और उपर दोनो के होंठ। एक जोरदार किस के बाद दोनो मा बेटे एक दूसरे की बाहों में ऐसे ही सो गए।

शाहनाज एक शादाब दोनो मा बेटे सुबह देर तक ऐसे ही सोते रहे। कोई आठ बजे के आस पास शहनाज़ की आंखे खुली तो उसने अपने आपको अपने बेटे के सीने पर लेटे हुए पाया तो उसे अपने आप पर यकीन ही नहीं हुआ। फिर उसकी आंखो के आगे एक के बाद एक सीन गुजरने लगा तो उसे यकीन हो गया हैं कि ये सब एक सपना नहीं बल्कि हकीकत है। उसने अपनी मैक्सी की तरफ देखा जो उसकी कमर पर पड़ी हुई थी और नीचे से उसकी चूत गांड़ सब बिल्कुल नंगे पड़े थे। उसे बड़ी शर्म अाई और रात हुई बातें याद करके वो मुस्कुरा उठी, उसका रोम रोम मस्ती से भर उठा और उसने शादाब का गाल चूम लिया। उससे बेटा उससे कितना प्यार करता हैं उसे रात पता चला। शहनाज़ को अपने उपर बड़ी मुश्किल से यकीन हो रहा था कि रात उसने शादाब को अपने दिल की बात बोल दी हैं जिसे उसके बेटे ने खुशी खुशी मान लिया है और खुद ही तो वो पहले से ही अपनी अम्मी का दीवाना बना हुआ है।

शहनाज़ उठने लगी तो उसे अपनी टांगो के बीच में शादाब के लंड का एहसास हुआ तो उसकी सांसे एक बार फिर से बढ़ने लगी। वो धीरे से उठी और खड़ी हो गई तो जैसे ही उसकी नजर हवा में लहराते हुए शादाब के लंड पर पड़ी तो उसे अपना पूरा वजूद हिलता हुआ नजर आया। आज वो दूसरी बार एक महान लंड को देख रही थी और उसे आज पहले से ज्यादा खतरनाक लग रहा था। उफ्फ कितना मोटा लाल सुर्ख सुपाड़ा, लंड ऐसे हवा में झटके मार रहा था मानो बहुत ज्यादा गुस्से में हो। शहनाज़ की टांगो के बीच हलचल बढ़ने लगी और उसने एक भरपूर नजर फिर से लंड पर डाली और जाने के लिए पलटी और बाहर की तरफ कदम बढ़ा दिया। उसके पैरो की छन छन करती पायल की आवाज से शादाब की नींद खुल गई और उसने पहले प्यार के आवेश में भाग कर शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया। शहनाज़ को उसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतना जल्दी उठकर उसे इस तरह से बांहों में ले सकता हैं इसलिए डर के मारे उसकी चींख़ निकल गई।

शादाब :' अम्मी डरो मत, मैं हूं शादाब आपका राजा!!

शहनाज़ थोड़ा नॉर्मल होते हुए:

" सुधर जा अब तू, ऐसी हरकतें मत किया कर, मैं तो डर ही गई थी पागल!
Reply
10-08-2020, 02:03 PM,
#58
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने उसको पूरी तरह से अपनी बांहों में कस लिया और उसके हाथो पर हाथ रखते हुए कहा:"..

" अम्मी अब भी डर लग रहा है क्या आपको ?

शहनाज़ को हमेशा की तरह इस बार भी वहीं अदभुत सुकून मिला शादाब की बांहों में और एक पल के लिए पलटी और उसे जोर से कस लिया । शहनाज़ बोली:"

" बिल्कुल भी नहीं बेटा, तू जब साथ हैं तू मुझे किसका डर राजा ?

शादाब शहनाज़ के गाल सहलाते हुए :"
" वैसे सुबह सुबह आप आज कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही है क्या बात हैं ?

शहनाज़ शर्मा गई और बोली:"

" झूठा कहीं का, जब देखो अपनी अम्मी पर डोरे डालता रहता हैं तू मेरे राजा ?

शादाब:" नहीं अम्मी, आप सच में बहुत अच्छी लग रही हो।

इतना कहकर शादाब उसकी आंखो में देखने लगता हैं तो शहनाज़ भी अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर उसकी आंखो में झांकती हैं। दोनो मा बेटे जैसे एक दूसरे में खो से गए थे और शादाब के होंठ शहनाज़ के होंठो की तरफ बढ़ने लगे तो शहनाज़ कांप उठी। दिन के उजाले और रात के अंधेरे में बहुत फर्क होता है और शहनाज़ तो वैसे ही शर्म की गुड़िया थी। शादाब ने एक हाथ से शहनाज़ का चेहरे उपर उठाया तो शहनाज़ ने एक बार शादाब की तरफ देखा जो उसके होंठो को हसरत भरी निगाहों से देख रहा था और उसे ना कहने की हिम्मत आज शहनाज़ के अंदर नहीं थी इसलिए शहनाज़ ने शर्म के मारे आंखे बंद कर ली और बेड से एक चादर उठा कर खुद को और शादाब को उसमे लपेट लिया। शादाब ने अपने होंठ शहनाज़ के होंठो पर रख दिए और चूसने लगा। शहनाज़ ने भी अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख दिए और वो भी अपने बेटे का साथ देने लगी।

दोनो पूरी तरह से किस में डूब गए और बिल्कुल नंगे शादाब का लंड शहनाज़ की जांघो में घुसा जा रहा था जिससे शहनाज़ के जिस्म में आग भरने के। शहनाज़ लंड के एहसास को एक बार फिर से अपनी चूत पर महसूस करने के लिए मरी जा रही थी इसलिए वो किस करती हुई एक बार फिर से अपने बेटे के पैरो पर चढ़ गई और लंड अपने आप उसकी चूत पर जा लगा।

इस मस्त एहसास को शहनाज़ बर्दाश्त नहीं कर पाई और किस टूट गई और उसके होंठो से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शादाब ने अपने होंठो को शहनाज़ की गर्दन पर रख दिया और चूमने लगा तो शहनाज़ पूरी तरह से जोश में अा गई चूत को लंड पर धकेलने लगी। शादाब के हाथ शहनाज की कमर को सहलाते हुए उसकी गांड़ तक पहुंच गए और जैसे ही शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को हाथो में भरा तो शहनाज़ ने अपनी बेटे की गर्दन को चूमना शुरू कर दिया। अपनी गर्दन पर अपनी मा के होंठो की रगड़ से शादाब पूरी तरह से जोश में अा गया और जोर जोर से शहनाज़ की गांड़ को मसलने लगा। शहनाज़ इस गांड़ दबवाने की वजह से ही अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुई थी और आज पहली बार उसका बेटा पूरी ताकत से उसकी गांड़ दाब रहा था, मसल रहा था और शहनाज़ को उसकी उम्मीद से ज्यादा अच्छा लग रहा था इसलिए वो अपने बेटे से एक अमर बेल की तरह लिपटी हुई थी।

शहनाज मस्ती से सिसकते हुए:"

" आई लव यू मेरे राजा , कहां था तू अब तक मेरी जान? आह राजा

शादाब शहनाज़ की गांड़ को जोर जोर से दबाते हुए:"

" लव यू टू मेरी नाज, आपके ही पास था अम्मी, बस डरता था, कहीं आप नाराज ना हो जाए।

शहनाज़ उसकी कमर को सहलाते हुए:"

" आह उफ्फ, नहीं रे मेरे राजा, तेरी मा क्यों नाराज होगी तुझसे, तो तू उसका शहजादा हैं मेरी जान!

शादाब अपनी अम्मी की बातो से पूरी तरह से बेकाबू हो गया और एक से शहनाज़ का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर टिका दिया तो शहनाज़ जा जिस्म थरथरा उठा और सिसक उठी।

" हाय अल्लाह, उफ्फ राजा ये क्या है इतना मोटा सा एक दम मूसल जैसा ?

इतना कहकर शहनाज़ का हाथ डर के मारे अपने आप ही लंड पर से हट गया। उसकी सांसे पूरी तरह से उखड़ चुकी थी, चूत एक दम गीली हो रही थी। शादाब ने फिर से शहनाज़ का हाथ अपने हाथ में पकड़ कर लंड पर रख दिया। शहनाज़ का पूरा जिस्म फिर से कांप उठा और पागल सी होकर अपनी चूत को लंड पर रगड़ने लगी। शादाब ने शहनाज के हाथ को लंड पर घुमाना शुरू किया तो शहनाज़ को पसीना आने लगा। शहनाज़ का हाथ लंड पर आगे बढ़ता जा रहा था और जब भी उसको लगता था कि लंड बस इतना ही बड़ा हैं शादाब उसके हाथ को और आगे की तरफ कर देता जिससे शहनाज़ की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। जैसे ही शहनाज़ का हाथ लंड के आखिर में पहुंचा तो उसकी चूत डर के मारे दुबक सी गई। उफ्फ हाय मा इतना मोटा लंबा भी लंड होता हैं ये शहनाज़ को सही से आज पता चला था कि क्योंकि आज उस रात की तरह झिझक नहीं थीं।
शादाब:" हाय मेरी नाज, ये वो मूसल हैं जिसने आपकी कमर को कूट दिया था।
Reply
10-08-2020, 02:03 PM,
#59
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने एक दो बार लंड पर शहनाज़ का हाथ घुमाया तो शहनाज़ की उंगलियां अपने आप लंड पर चलने लगी तो शादाब ने अब दोनो हाथो से फिर से शहनाज़ की गांड़ को थाम लिया और पूरी ताकत से दाबने लगा। शहनाज़ के मुंह से हल्की हल्की दर्द भरी मस्त सिसकियां निकलने लगी और उसने अपने बेटे के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। शहनाज़ लंड के सुपाड़े पर हाथ फेरते हुए बोली:"

" उफ्फ राजा ये तो बहुत टाइट हैं, उस मूसल से भी ज्यादा।

शादाब उसकी नाइटी को उपर उठा कर उसकी नंगी गांड़ को हाथो में भर लिया और जोर जोर से मसलने लगा और बोला:"

" आह मेरी नाज़, टाइट हैं तभी तो कमर को कूट दिया था।

शहनाज़ अपनी नंगी गांड़ पर शादाब के हाथ लगते ही तड़प उठी और लंड को पूरी लंबाई में रगड़ते हुए बोली:"

" आह राजा, इतना अच्छा मोटा मूसल क्या सिर्फ कमर कूटने के ही काम आता हैं क्या बस !!

शादाब अपनी अम्मी की गांड़ की दरार से चूत तक हल्का सा अंदर की तरफ उंगली से रगड़ते हुए बोला:"

" आह, उफ्फ मेरी जान, इससे तो बहुत कुछ कूटा जाता हैं, उफ्फ क्या कूटना हैं आप बताओ मेरी रानी ?

शहनाज अपनी चूत और गांड़ पर उंगली पड़ते ही समझ गई कि उसका बेटा पूरी तरह से उसे चोदने के लिए मरा जा रहा है। वो तड़पते हुए अपनी गांड़ को अपने बेटे की उंगली पर दबाते हुए बोली:"

" आह राजा, तू पहले इसे ही कूट दे, बड़ा दर्द हैं कल से यहां !!

शादाब अपनी अम्मी की चूत पर उंगली रगड़ते हुए बोला:"

" आह अम्मी उफ्फ ये कूट दू क्या !! उफ्फ अम्मी ये बहुत मुलायम हैं आराम से कूट जाएगी!

शहनाज़ मन ही मन सोचने लगी कमीना मेरी चूत फाड़ना चाहता है, अपनी मा की चूत चोदना चाहता है मेरा राजा। शहनाज़ उसके कान खींचते हुए बोली:"

" आह राजा, अभी से कमजोर पड़ गया क्या जो मुलायम चीज कूटना चाहता है, ऐसे कैसे अपनी अम्मी को लेकर भाग पाएगा तू !

शहनाज़ ने शादाब की मर्दानगी को एक चुनौती सी दी तो शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को पूरी ताकत से हाथ में भर कर मसल दिया तो शहनाज़ दर्द से राहत उठी। शादाब उसकी गांड़ को जोर जोर से मसलते हुए बोला:"

"अम्मी बस एक बार इस टाइट चीज का नाम बता दो कि क्या कुटवाना हैं फिर कमाल देखना।

शहनाज़ शर्म के मारे अपने बेटे के सीने ने घुस गई। उफ्फ मैं गांड़ कैसे कहूं अपने मुंह से। ये सोचकर वो कांपने लगी।

शादाब :" बोलो ना मेरी रानी, अगर इतनी शर्म करोगी तो कैसे भागोगी मेरे साथ ?

शहनाज डरते हुए बोली:" आह राजा, मुझे नहीं पता बस तू कूट दे क्यों तड़पा रहा हैं अपनी अम्मी को ?

शादाब उसकी गांड़ के छेद के पास सहलाते हुए बोला:"

" आह अम्मी, आपको बताना हो पड़ेगा ! बोलो ना मेरी जान !

शहनाज़ उसके लंड को रागड़ती हुई बोली:" आह राजा, उफ्फ देख ना तेरा मूसल कैसे अकड़ रहा है, तू मेरा पिछ्वाड़ा कूट दे।

शहनाज़ ने बड़ी मुश्किल से कहा और पलट गई जिससे अब लंड उसकी गांड़ पर जा लगा। शहनाज पिछ्वाड़ा बोलकर बहुत ज्यादा शर्मा गई थी इसलिए पलटी थी लेकिन किस्मत ने साथ दिया और लंड अपने आप गांड़ पर अड गया।
शादाब हल्का हल्का लंड रगड़ते हुए :" आह मेरी मा, उफ्फ उसे पिछ्वाड़ा नहीं गांड़ कहते हैं! एक बार गांड़ बोलो ना प्लीज़

इतना कहकर शादाब ने शहनाज़ की गर्दन को चाटना शुरू कर दिया। शहनाज पूरी तरह से बहक चुकी थी इसलिए अपनी गांड़ लंड पर धकेलते हुए बोली:"

" आह राजा, उफ्फ कूट दे जल्दी से मेरी गांड़, बस अब मत तड़पा मुझे राजा, !

शहनाज़ एक झटके के साथ ही गांड़ बोल गई तो शादाब ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो शहनाज़ की गांड़ के उभार हल्का सा अंदर घुस गए। शहनाज़ तो कब से इसके लिए तड़प रही थी इसलिए उसके मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगीं।

" आह राजा, उफ्फ हाय कितना अच्छा है ये मूसल, कूट ऐसे ही दम लगा कर कूट

शादाब शहनाज़ की गर्दन चाटते हुए शहनाज़ की गांड़ को लंड से पीटने लगा तो हर धक्के पर शहनाज़ मस्ती से सिसक रही थी, आज दोनो मा बेटे जानते थे कि वो क्या कर रहे हैं, आज मसाला नहीं बल्कि सीधे गांड़ कूट रही थी। शादाब ने एक तगड़ा धक्का लगाया तो शहनाज़ आगे को गिर से गई लेकिन उसके दोनो हाथ बचने के लिए बेड पर टिक गए जिससे वो अपने आप ही घोड़ी बन गई और गांड़ पूरी तरह से उभर गई। शादाब ने अपनी अम्मी की कमर को पकड़ लिया और जोर जोर से लंड को नंगी गांड़ पर मारने लगा। शहनाज़ सिसकते हुए बोली:"

" उफ्फ राजा, बहुत मजा आ रहा है, हाय ये मूसल, तेज तेज कूट मेरे लाल नहीं तो थप्पड़ खाएगा तू। उफ्फ बहुत अच्छा लग रहा हैं
Reply
10-08-2020, 02:04 PM,
#60
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब अपनी अम्मी की जोश भरी बाते सुनकर खुश हो गया और उसकी गांड़ को जोर जोर से कूटने लगा। दोनो मा बेटे पूरी तरह से मदहोश हो गए थे। दोनो में से कोई भी नहीं जानता था कि गांड़ में भी लंड घुसाया जाता हैं। लेकिन कहते है कि सेक्स सिखाया नहीं जाता अपने आप हो जाता हैं।

शादाब के हर धक्के पर शहनाज़ को बहुत मजा आता और वो अपनी गांड़ खुद पीछे को धकेल देती। लंड जैसे ही दोनो गांड़ के पटो के बीच में लगता तो शहनाज़ को ज्यादा अच्छा लगता जिससे उसकी गांड़ और मजा लेने के लिए अपने आप खुलने लगी।हर धक्के पर गांड़ थोड़ी थोड़ी खुल रही थी और जल्दी ही पूरी तरह से खुल गई।

शादाब ने जैसे ही अगला धक्का मारा तो लंड सीधे गांड़ के छेद से जा टकराया तो दोनो मा बेटे इस सुखद अहसास से तड़प पड़े।

" आह मेरे राजा, उफ्फ ये क्या था, उफ्फ हाय इतना मजा, सआईआई आह बेटा बस इसी जगह पर कूट दम लगा कर!!

शादाब ने भी पूरी ताकत से शहनाज़ की गांड़ के छेद को कूटना शुरू कर दिया। हर धक्के पर गांड़ का छेद हल्का सा खुलता और फिर से बंद हो जाता। शहनाज़ तो आज जैसे मस्ती के सातवे आसमान पर थी इसलिए उसने खुद ही अपनी नाइटी को उतार दिया और पूरी तरह से नंगी हो गई। गांड़ के खुलते बंद होते छेद पर लंड की रगड़ से उसकी आंखे भी मस्ती से खुलने और बंद होने लगी।

शहनाज़ की पूरी नंगी कमर देखते ही शादाब ने जोश में एक तूफानी धक्का लगाया तो शहनाज़ की गांड़ का छेद थोड़ा सा खुला और शहनाज़ मस्ती से सिसक उठी

" आह मेरे शादाब, कूट दे ऐसे ही अपनी मा की गांड़ अपने मूसल से मेरे राजा ! आह उफ्फ नहीआई

शादाब ने आगे झुक कर शहनाज़ का चेहरा अपनी तरफ घुमा दिया तो आग में जल रही शहनाज़ बिना पलके झपकाए अपने बेटे को देखने लगी और मुस्कुरा उठी।

शादाब:" आह मेरी जान शहनाज़, ये मूसल नहीं लोला हैं, तेरे बेटे का लोला मेरी अम्मी ?!

शहनाज़ शादाब के मुंह से पहली बार शहनाज़ सुनते ही बेकाबू सी हो गई और बोली:_

" हाय मेरे शादाब का लोला, मार अपना लोला अपनी मा की गांड़ पर मेरे राजा !!

शादाब पूरी तरह से मचल उठा और लंड में उबाल आने लगा इसलिए वो पूरी तेजी से शहनाज़ की गांड़ के छेद को ठोकने लगा। लंड से निकले प्री कम से शहनाज़ की गांड़ का छेद हल्का सा गीला हो गया था इसलिए हर धक्के पर पहले से ज्यादा खुल रहा था जिससे शहनाज़ पूरी तरह से मस्ती में अा गई और अपने दोनो हाथों से गांड़ को पूरी फैला दिया तो शादाब का अगला धक्का शहनाज़ के हिलने की वजह से चूत पर लगा तो शहनाज़ का मुंह मस्ती से खुल गया

" आह राजा, वहां नहीं, आह जल्दी कर मेरे लाल मुझे कुछ हो रहा हैं, उफ्फ हाय मेरी मा

शादाब को भी पता चला गया कि धक्का चूत पर लग गया है तो उसका लंड फटने को तैयार हो गया तो इसलिए उसने अगला अब तक का सबसे तगड़ा धक्का सीधे गांड़ पर पूरी ताकत से मार दिया। चूत के रस से सुपाड़ा पूरी तरह से भीग गया था और गांड़ का छेद पहले से काफी गीला हो गया था इसलिए लंड का भारी भरकम ठोस सुपाड़ा शाहनाज की गांड़ को फाड़ते हुए अंदर घुस गया और शहनाज़ की दर्द भरी चींखं निकल पड़ी।

" आह नईआईआई, हाय मा मर गई, उफ्फ ये कर दिया राज्ज्जा, मार डाला!!

शहनाज़ दर्द से बुरी तरह से कराह उठी क्योंकि उसकी कुंवारी गांड़ का छेद फट सा गया था। शादाब भी इतनी टाइट गांड़ में लंड घुसने से सिसक उठा और उसके लंड ने शहनाज़ की गांड़ में पिचकारी छोड़ दी।

" आह अम्मी, उफ्फ हाय मै गया, आह मेरी शहनाज़ तेरी गांड़।

शादाब शहनाज़ की कमर पर ही ढेर हो गया और लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर निकल गया। लंड के साथ ही शहनाज़ की गांड़ से खून भी निकल गया। शादाब डरकर शहनाज़ की कमर पर से उतर गया तो दर्द से कराहती हुई शहनाज़ बेड पर गिर पड़ी।
शाहनाज की सारी मस्ती और उत्तेजना दोनो की नादानी की वजह से दर्द में बदल गई थी।

हिंदी में एक कहावत है कि अनाड़ी का चोदना चूत का नाश वो यहां पूरी तरह से सही साबित हुई। शहनाज को लग रहा था कि जैसे किसी ने उसकी गांड़ के छेद को चाकू से चीर दिया है। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। शादाब अपनी अम्मी के पास लेट गया और उनका चेहरा साफ करने लगा तो शहनाज़ इस दर्द में भी प्यार भरी नजरो से उसकी तरफ देखने लगी और उसके कंधे पर अपना सिर टिका दिया तो शादाब अपनी अम्मी की कमर सहलाने लगा। काफी देर तक शादाब ऐसे ही अपनी अम्मी की कमर सहलाते हुए उसके बालो में उंगली फिराता रहा जिससे शहनाज का दर्द धीरे धीरे कम होता चला गया।

शहनाज़ अपने बेटे का अपने प्रति प्यार और देखभाल देख कर खुश हो गई और उसका गाल चूम लिया। शादाब ने मासूमियत से अपने दोनो कान पकड़ लिए और बोला:"

" सोरी अम्मी, मुझे नहीं पता था कि ये सब हो जाएगा, मुझे माफ़ कर दो आप।

शहनाज उसके कान खींचती हुई बोली:" एक तो आज के बाद मुझे अम्मी मत बोलना तेरे मुंह से शहनाज़ ज्यादा अच्छा लगता हैं मुझे, और दूसरी बात सच में बेटा मुझे भी नहीं पता था कि ऐसा हो जाएगा। हम दोनों इसके लिए बराबर जिम्मेदार हैं बस फर्क इतना हैं कि दर्द सिर्फ मुझे हुआ हैं मेरे राजा।
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