Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:20 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
रेशमा ने अपने दोनो बच्चो को गले से लगा गया और उनका मुंह चूमने लगी। अपने बच्चो को गले से लगाकर रेशमा का दिल भरी हो गया और उसकी आंखो से आंसू छलक पड़े।

बच्चो की आवाज सुनकर उपर से शहनाज़ भी नीचे अा गई और वो जानती थी कि वसीम आया हैं इसलिए उसने पहले ही पर्दा कर लिया था। उसने वसीम को सलाम किया और सबको पीने के लिए पानी दिया।

बच्चे:" अम्मी अम्मी नाना नानी कहां हैं दिख नहीं रहे? मुझे कहानी सुननी थी उनसे।

मासूम बच्चों की प्यार भरी बातें सुनकर सभी को एक सदमा सा लगा और शहनाज़ के साथ साथ रेशमा की भी आंखे छलक उठी।

शादाब:_" अा जाओ बच्चो आपको जादू दिखाता हूं,

दोनो बच्चे दौड़ते हुए उसके पास चले गए और शादाब ने मोबाइल में छोटा भीम चला दिया तो दोनो बच्चे खुश होकर देखने लगे।

वसीम:" कैसे हुआ ये सब, मुझे पता चला तो सुनकर दुख हुआ।

शादाब ने एक एक करके सारी बातें उन्हें बतानी शुरू कर दी और फिर वसीम बोला:"

" अच्छा हुआ अपनी मौत खुद ही मर रेहाना, नहीं तो मैं उसे बहुत बुरी तरह से मारता।

शहनाज़ :" अच्छा आप लोग बाते करो मैं कुछ खाने का सामान लेकर आती हूं

इतना कहकर शहनाज़ उपर चली गई तो दोनो बच्चे उसके पीछे मामी मामी करते हुए चले गए।शहनाज़ ने उन्हें कमरे में बैठा दिया और खाने के लिए कुछ फल दिए तो बच्चे खुश हो गए।

शहनाज किचेन में जाकर काम करने लगी और उसने शादाब को आवज लगाई

" शादाब बेटा जरा उपर आना मुझे कुछ काम हैं।

शादाब उपर की तरफ अा गया तो वसीम रेशमा के पास बैठ गया तो रेशमा का चेहरा लाल हो गया और बोली:"

" आप वहीं सामने बैठ जाइए ना कोई देखा लेगा तो क्या कहेगा।

वसीम ने नीचे झुककर उसका गाल चूम लिया और बोला:"

" यहीं कि मैं अपनी पत्नी को प्यार कर रहा हूं,

रेशमा के होंठों पर स्माइल अा गई और वसीम ने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और चूसने लगा। रेशमा भी उसका साथ देने लगी।

शादाब उपर पहुंच गया तो शहनाज़ बोली:"

" ले बेटा ये थम्स अप ले जा और अपने फूफा को पिला दे, बेचारे गर्मी में आए हैं गला सुख गया होगा।

शादाब ने ट्रे हाथ में ले ली और नीचे की तरफ अा गया तो उसने जैसे ही रेशमा और वसीम को किस करते देखा तो उसके होंठो पाए स्माइल अा गई और रेशमा की नजरे शादाब से टकरा गई तो वो झेंप सी गई और शादाब उसे स्माइल देकर वापिस अा गया।

शादाब के हाथ की ट्रे में भरे हुए ग्लास देखकर शहनाज़ बोली:"

" क्या हुआ बेटा, उन्हें थम्स अप पसंद नहीं है क्या ?

शादाब ने ट्रे स्लेफ पर रख दी और शहनाज़ का हाथ पकड़ कर आपकी तरफ खींच लिया और उसके होंठ चूम कर बोला:"

" अम्मी फूफा और बुआ तो ये वाली थम्स अप पी रहे हैं। मैंने उन्हें परेशान करना ठीक नहीं समझा।

इतना कहकर शादाब हल्का सा मायूस हो गया तो शहनाज़ शादाब की बात सुनकर बोली:"

" अरे तू क्यों उदास होता हैं मेरे राजा, मैं हूं ना

इतना कहकर शहनाज़ ने अपने होंठो पर जीभ फेरी तो शादाब ने शहनाज़ के होंठो को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा। शहनाज़ भी इससे कसकर लिपट गई और शादाब ने अपने दोनो हाथ उसकी गान्ड पर रखकर उसकी गांड़ को मसलना शुरू कर दिया। शहनाज़ की चूत में हल्का गीलापन आने लगा और उसने अपनी चूचियां शादाब के सीने से रगड़नी शुरू कर दी।

तभी बच्चो के उधर आने की आवाज अाई तो दोनो अलग हो गए और शादाब फिर से ट्रे लेकर नीचे अा गया तो रेशमा का मुंह शर्म से झुक गया और शादाब ने इन्हे कोल्ड ड्रिंक दी तो दोनो पीने लगें।
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10-08-2020, 02:20 PM,
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वसीम उठकर बाथरूम में घुस गया तो शादाब ने रेशमा का हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" क्या बात है बुआ, बड़ा रोमांस चल रहा था।

रेशमा स्माइल करते हुए बोली:"

" अब तू खुद तो करता नहीं तो क्या उन्हें भी ना करने दू।

शादाब के होंठो पर स्माइल अा गई और उसका गाल चूम कर बोला:" आप मेरी सबसे प्यारी बुआ हैं, आप ठीक हो जाओ फिर देखना कितना रोमांस करूंगा।

रेशमा:" पहले तो इतना नखरा करता था, जलन हुई क्या उन्हे मुझे किस करते देखकर ।

शादाब ने मायूसी में अपना सिर हिला दिया तो रेशमा ने शादाब को अपने पास झुकने का इशारा किया तो शादाब उसके पास आपका चेहरा ले गया तो रेशमा ने शादाब के होंठ चूम लिए और बोली:_

" अब खुश

शादाब खुश हो गया और रेशमा का हाथ पकड़ कर दबा दिया तो रेशमा इस एहसास से मस्त हो गई तभी उन्हें फूफा के आने की आहट सुनी तो दोनो सीधे होकर बैठ गए।
वसीम अा गया और तीनो बैठ कर बात करने लगे। धीरे धीरे रात होने लगी और बाहर अब पुरा अंधेरा हो गया था।

शहनाज खाना बना चुकी थी और सभी साथ में बैठे हुए खाना खा रहे थे।

वसीम:" शादाब आगे के बारे में क्या सोचा हैं तुमने?

शादाब:" फूफा जी पापा और दादा दोनो का सपना था कि गांव में हॉस्पिटल बने बस कल एक टीम आयेगी हमारी जमीन देखने के लिए। अगर उन्हें पसंद अा हुई तो वो जमीन किराए पर लेकर हॉस्पिटल बनाएंगे।

रेशमा:" ये तो बहुत अच्छी बात हैं शादाब। गांव वालो को इससे बड़ा आराम मिलेगा ।

शादाब:" वो तो हैं बुआ, बस अब कुछ दिन बाद वापिस चला जाऊंगा और अपनी पढ़ाई करूंगा।

शहनाज़ शादाब की ये बाते सुनकर उदास हो गई तो रेशमा बोली:"

" भाभी शादाब को अपनी पढ़ाई तो पूरी करनी ही होगी ना, बीच बीच में आता रहेगा आपसे मिलने

वसीम:" रेशमा अपने बच्चो से दूर होने का दर्द क्या होता हैं मुझसे बेहतर कौन समझ सकता हैं, शहनाज़ भाभी अब तक शादाब के बिना अकेली रही हैं।

रेशमा:" फिर तो एक तरीका हैं कि शादाब हॉस्टल में ना रहकर बाहर रहे और शहनाज़ भाभी भी उसके साथ आराम से रह लेंगी।

रेशमा को बाते सुनकर शहनाज़ का मन किया कि वो अभी रेशमा का मुंह चूम ले । उसे रेशमा इस टाइम दुनिया की सबसे प्यारी और अच्छी औरत लगी।

शादाब की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं था। वो जानता था कि उसे आराम से कॉलेज से अलग रहने की इजाजत मिल जाएगी लेकिन वो सबको ये दिखाना चाहता था कि वो शहनाज को खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में लेकर जा रहा था।

शादाब:" अापकी बात तो ठीक है लेकिन मुझे नहीं लगता कि मुझे कॉलेज से अलग रहने की इजाजत मिल जाएगी।

शहनाज़ को अपने बेटे की बात सुनकर सदमा सा लगा और उम्मीद भरी निगाहों से उसे देखा तो शादाब बोला:"

" मैं कल फोन करके मालूम कर लूंगा लेकिन अगर अम्मी मेरे साथ चली जाएगी तो घर का क्या होगा?

वसीम:" अगर आप सबकी मर्जी हो तो मैं घर रहने के लिए राज़ी हू, अब मैं अपने बच्चो और रेशमा से दूर नहीं रहना चाहता।

शहनाज़ बिना देर किए तपाक से बोल उठी:"

" ये तो बहुत अच्छी बात हैं आप तो मेरे अपने हैं इससे बच्चे भी खुश हो जायेंगे और आप यहां सब कुछ अच्छे से संभाल लेंगे।

रेशमा भी इससे सहमत हो गई क्योंकि बच्चो के एग्जाम हो गए थे इसलिए अभी पास के ही शहर में दाखिला हो जाएगा और दोनो बच्चे उसकी आंखों के सामने रहेंगे उससे ज्यादा एक मा को और क्या चाहिए।

बाते चलती रही और दोनो बच्चे सो गए थे। शहनाज़ बोली:"

" शादाब बच्चो को उपर ले चलो और यहां आराम से तुम्हारे फूफा और बुआ सो जाएंगे। बेचारे थके हुए होंगे सफर के।

अपनी अम्मी की बात सुनकर शादाब ने एक बच्चे को गोद में उठा लिया तो दूसरे को बिना डर किए वसीम ने उठा लिया और दोनो उपर की तरफ चल पड़े।

उनके जाते ही शहनाज़ ने रेशमा का मुंह चूम लिया और बोली:"

" शुरकिया रेशमा बाज़ी, कम से कम किसी ने तो मेरा दर्द समझा। अपने बेटे के बिना मैं कैसे जी सकती हूं।

रेशमा अपनी भाभी का ऐसा प्यार देखकर खुश हो गई और बोली :"

" मैं खुद एक मा हूं भाभी इसलिए आपका दर्द समझ सकती हूं।

दोनो की बाते चल ही रही थी कि उपर से शादाब और वसीम अा गए तो दोनो चुप हो गई और शहनाज बोली:"

" ठीक हैं आप लोग आराम कीजिए, किसी चीज की जरूरत हो तो आवाज लगा देना।

इतना कहकर शहनाज़ और शादाब उपर की तरफ चल पड़े। जैसे ही वो सीढ़ियों पर चढ़े तो शादाब ने अपनी अम्मी को अपनी बांहों में उठा लिया तो शहनाज़ ने प्यार से अपने बेटे का गाल चूम लिया।
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10-08-2020, 02:20 PM,
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दूसरी तरफ वसीम भी बिना देर लिए बेड पर रेशमा के साथ लेट गया और बोला:"

'" ओह रेशमा मेरी जान, तुम तो पहले से ज्यादा सेक्सी लग रही हो कसम से ।

शादाब के बढ़ते कदम रुक हुए और दोनो मा बेटे उनकी बाते सुनने लगे।

रेशमा:" आप तो जैसे मुझे भूल ही गए थे, कितना याद किया है मैंने आपको ।

वसीम ने एक हाथ रेशमा की चूची पर रख दिया और हल्का सा दबाते हुए बोला:"

" बस मेरी जान, आज रात सब कमी दूर कर दूंगा, इतना प्यार दूंगा कि बस बस कर उठोगी ।

रेशमा:" आह वसीम, अभी नहीं, मेरी हालत ठीक होने दो, दो दिन बाद टांके कट जायेंगें उसके बाद जैसे तुम्हारा मन करे।

वसीम:" उफ्फ मतलब और इंतजार करना होगा,

रेशमा:" बस दो दिन और, जहां इतना कर लिया दो दिन और कर लो, वैसे भी सब्र का फल मीठा होता हैं।

वसीम मान गया और आराम से रेशमा को अपनी बांहों मे भरकर लेट गया।

शहनाज़ और शादाब दोनो एक दूसरे की आंखो के देख रहे थे। शहनाज़ ने शादाब को इशारा किया और शादाब उसे लेकर कमरे में अा गया। बेड पर बच्चे सो रहे थे।

शादाब :" अम्मी मेरे रूम में चले, यहां हमे जगह कम पड़ेगी।

शहनाज़ उसकी तरफ स्माइल करते हुए बोली:'

" बेटा आराम से यहीं सो जाते हैं, रेशमा आजकल पूरी रात ठीक से नहीं सो पाती है, अगर उसे हल्की सी भी आवाज चली गई तो बिना वजह हंगामा हो जाएगा।

शादाब उदास होकर मासूम सी सूरत बनाते हुए बोला:"

" अम्मी आप ही इतना ज्यादा आवाज करती हैं, इसमें मेरी क्या गलती ?

शहनाज़:" अच्छा मेरे राजा, तू एकदम बेकाबू होकर मेरे उपर टूट पड़ता है तो मेरी सिसकियां नहीं निकलेगी क्या !!

शादाब:" उफ्फ अम्मी मेरी जान शहनाज़, आप ही इतनी मस्त, आपकी ये मस्त कठोर चूचियां, और गांड़ को जैसे कपडे फाड़कर ही बाहर अा जाएगी, मेरी क्या गलती हैं,!!

शहनाज:" अच्छा तुझे सब्र करना चाहिए ना, थोड़ा प्यार से करे तो आवाज भी कम निकले।

शादाब:" बस मा, अब बर्दाश्त नहीं होता

इतना कहकर वो जोर से शहनाज़ की एक चूची दबा देता हैं तो शहनाज़ अपना एक हाथ अपने मुंह पर रख कर अपनी सिसकी रोकती हैं और शादाब की तरफ घूर कर देखती हैं

" उफ्फ मा क्या करू इस पागल लड़के का।

शादाब:" कुछ नहीं करना, बस चूत दे दे मुझे अपनी शहनाज़ ।

इतना कहकर शादाब आपके हाथ में उसकी चूत कपड़ों के ऊपर से ही भर लेता है तो शहनाज बेचैन होने लगी और बोली:

" तू ऐसे नहीं मानेगा शादाब, तुझे मेरी कसम अब अगर कोई छेड़छाड़ करी तो।

शादाब ने अपना हाथ पीछे खींच लिया और थोड़ा गुस्से से बोला:"

" अब ये क्या ज़ुल्म हैं मुझ पर शहनाज़ ? क्यों तड़पा रही हो ?

शहनाज़:" बेटा समझ मुझे, अगर इतना ही प्यार हैं अपनी अम्मी से तो ले चल मुझे अपने साथ शहर, खुद तेरे लंड पर चढ़ जाऊंगी।

शादाब:" बस अगले हफ्ते तक रुक जाओ फिर मैं तुम्हे अपने साथ ले जाऊंगा।

शहनाज अपने बेटे से कस कर लिपट गई और बोली:"

"शादाब तू मेरी जान हैं, तेरे साथ जाने के लिए तक मैं कब से तरस रही हूं। जी भर कर तुझे प्यार करूंगी मेरे राजा।

शादाब को शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया और उठाकर बेड पर ले गया। दोनो मा बेटे एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

अगले दिन किसी काम की वजह से हॉस्पिटल बनाने वाली टीम नहीं अा पाई। शादाब पूरे दिन घर पर ही रहा और परिवार के साथ टाइम बिताया।

धीरे धीरे दो दिन और निकल गए और आज हॉस्पिटल वाली टीम को आना था जमीन देखने के लिए वहीं दूसरी तरफ आज रेशमा के टांके भी कटने थे।

वसीम किसी जरूरी काम से शहर गया हुआ था इसलिए शाम तक जी वापिस अा सकता था। शादाब पहले रेशमा को हॉस्पिटल लेकर गया और उसके टांके कट गए तो फिर उसे लेकर घर अा गया।
घर आने के बाद शादाब ने रेशमा को नीचे ही बेड पर लिटा दिया और खुद ऊपर चला गया। शहनाज को देखते ही उसने अपनी बांहों में भर लिया और बोला:"

" अम्मी बड़ी जोर से भूख लगी हैं खाना बन गया क्या?

शहनाज़ उसका सिर अपनी चूचियों में दबाते हुई बोली:"

" दूध पिएगा क्या मेरे राजा ?

शादाब उसके होठ चूमकर बोला:"" रहने दो अम्मी क्यों जज़्बात जगा रही हो ? फिर आप पीछे हट जाओगी ।

शहनाज:" बेटा मेरी मजबूरी समझने को कोशिश कर।
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10-08-2020, 02:20 PM,
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शादाब उसके गाल पकड़ कर बोला:" इसलिए तो बोल रहा हूं मेरी शहनाज़,

शादाब और शहनाज़ उसके बाद खाना लेकर नीचे की तरफ अा हुए और रेशमा और बच्चो के साथ बैठकर खाना खाने लगे।

जल्दी ही सबने खाना खाया तो शादाब का मोबाइल बज उठा। उसने देखा कि हॉस्पिटल वाली टीम का फोन था।

शादाब:" जी सर बोलिए

आदमी:" वो आज हम सब जमीन देखने अा रहे हैं करीब 5 बजे तक पहुंच जाएंगे। सारे कागज तैयार हैं अगर जमीन अच्छी लगी तो आज ही फाइनल हो जाएगा।

शादाब:" ठीक हैं आप लोग आइए, हम आपको मैन हाईवे पर मिल जायेगे।

इतना कहकर शादाब ने फोन काट दिया और बोला:"

" अम्मी आज शाम को वो लोग अा रहे हैं इसलिए आप मेरे साथ चलने की तैयारी करे, अगर उन्हें जमीन पसंद अा गई तो सौदा पक्का हो जाएगा।

शहनाज़:" ठीक है बेटा, मैं चल पड़ूंगी तुम्हारे साथ।

रेशमा:" शहनाज़ ये मॉडर्न लोग हैं इसलिए थोड़ा अच्छे से सज कर जाना ताकि उन्हें लगे कि इस जमीन के मालिक अच्छे और नई सोच वाले लोग हैं।

शहनाज:" ठीक हैं बाजी जैसे आप कहें। लेकिन अभी वसीम भी तो नहीं आए हैं, तुम अकेली रह जाओगे ।

रेशमा:" आप मेरी फिक्र ना करे, थोड़ी देर में वो जाएंगे मेरी उनसे बात हो गई है।

शहनाज़:" ठीक हैं फिर तो।

शादाब:" अम्मी अब आप जाइए और जल्दी से तैयार हो जाईए।

शहनाज उपर चली गई और शादाब अपनी बुआ से बात करने लगा। शहनाज़ आज दादा दादी के मरने के बाद पहली बार सज रही थी। हालाकि उसका मन नहीं था लेकिन वो नहीं चाहती थी कि कोई बाहर का आदमी उसके बेटे के स्टैंडर्ड पर सवाल उठाए।

थोड़ी देर बाद ही शहनाज़ सज कर नीचे अा गई तो शादाब और रेशमा दोनो के मुंह खुले के खुले रह गए।

शहनाज़ ने एक काले रंगा का सूट सलवार पहना हुआ था और बेहद खूबसूरत लग रही थी।

रेशमा:" ओए होए नजर ना लग जाए मेरी भाभी को किसी की !!

शहनाज़ शर्मा गई और साथ में लाया हुआ बुर्का पहन लिया और शादाब से बोली:"

" चले बेटा

शादाब: ठीक हैं अम्मी आओ चलते हैं, बुआ आप अपना ध्यान रखना हम करीब 7 बजे तक वापिस अा जाएंगे।

रेशमा:" आप लोग मेरी फिक्र मा करे, वो आने वाले हैं, बेटा सौदा सोच समझ कर करना।

शादाब:" जी ठीक हैं बुआ आप फिक्र ना करे।

इतना कहकर शादाब गाड़ी लेकर अा गया और शहनाज़ उसमे बैठ गई। शहनाज बहुत खूबसूरत लग रही थी। शादाब गाड़ी लेकर निकल गया और रास्ते में बोला:"

" अम्मी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही है।

शहनाज़ ने स्माइल दी।

थोड़ी देर बाद ही हाईवे पर इन्हे हॉस्पिटल टीम मिल गई और वो जमीन देखने के लिए पहुंच गए।
जमीन एक बहुत अच्छी लोकेशन पर थी इसलिए पहली नजर में ही उन्हें पसंद अा गई।

आदमी:' हमे जमीन पसंद हैं और अगले पचास साल के लिए किराए पर चाहिए। बताओ

शादाब:" ठीक है आपको इसके लिए 5 करोड़ रुपए, मेरे फूफा को मैनेजर की नौकरी और गांव के लोगो को इलाज में 50% की छूट देनी होगी।

आदमी:" एक बार फिर से सोच लो शादाब, कुछ ज्यादा नहीं है ?

शादाब:" सर आपको हाईवे पर इससे अच्छी लोकेशन इससे कम दाम में कहीं नहीं मिलेगी

आदमी ने अपने साथ आए लोगो से सलाह और डील फाइनल हो गई। सारे कागज पर शादाब शहनाज़ के साइन कराने के लिए गाड़ी में अा गया और जल्दी ही सब औपचारिकता पूरी हो गई।

आदमी:" ठीक हैं शादाब, हम लोग चलते हैं, कल से जमीन पर काम शुरू हो जाएगा और एक महीने से भी कम समय में हॉस्पिटल बन जाएगा।

शादाब:" ठीक हैं।

उसके बाद वो सब आदमी चले गए तो शहनाज़ गाड़ी से बाहर अा गई और बोली:_

" शादाब बहुत अच्छा सौदा हुआ, अच्छी खासी रकम मिल गई, तेरे फूफा को नौकरी और गांव वालों का सस्ता इलाज, तुम तो बड़े तेज निकले।

शादाब:" बेटा भी तो अपनी मा शहनाज़ का हूं मैं।

दोनो हंस पड़े और शहनाज़ बोली:"

" बेटा आज मैं आखिरी बार अपनी जमीन को अच्छे से देख लेती हूं, कल से तो यहां काम शुरू हो जाएगा।

शहनाज़ और शहनाज़ दोनो अपनी जमीन देखने लगे। बाहर अब हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था और हल्की हल्की ठंडी हवाएं चल रही थी।

शहनाज़ ने आस पास देखा और एक बड़े पेड़ के पीछे शादाब को खींच लिया और उसके होंठो पर उंगली घुमाते हुए बोली:"

" शादाब मेरे राजा, मुझे ऐसा मौसम बहुत अच्छा लगता है।
मेरे दिल में कुछ कुछ होता हैं।

शादाब ने शहनाज़ को अपनी बांहों में कस लिया और बोला:"

"मुझे भी मेरी जान, अम्मी आपके होंठ कितने रस भरे लग रहे हैं।

शहनाज़ ने अपने होंठो को उपर उठा कर अपनी जीभ फिराई और बोली:" सिर्फ तेरे लिए हैं मेरे राजा

शादाब ने जोश में आकर अपने होंठ शहनाज़ के होंठो पर टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ भी पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपनी जीभ शादाब के मुंह मे घुसा दी तो शादाब अपनी अम्मी की जीभ चूसने लगा और उसकी गांड़ को जोर जोर से दबाने लगा। शहनाज़ के जिस्म में आग लग गई और चूत एकदम गरम हो गई।

जैसे ही उनकी किस टूटी तो शादाब शहनाज़ का हाथ अपने खड़े हो चुके लंड पर रखते हुए बोला: " आज अपनी चूत दे दे अपने बेटे को, मत तड़पा मुझे।

शहनाज़ लंड को सहलाते हुए बोली:" मैं तो खुद तुझसे जी भर कर चुदना चाहती हूं शादाब, बस अब हम शहर में अपना घर लेंगे और तब जाकर हमारी दोनो की प्यास अच्छे से शांत होगी।
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10-08-2020, 02:20 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब समझ गया कि उसे आज भी चूत नहीं मिलने वाली थी इसलिए बोला:"

" अम्मी अब घर चले बिल्कुल अंधेरा हो चुका है।

शहनाज़:" हान बेटा चल, रेशमा दुखी हो रही होगी।

दोनो जैसे ही चलते हुए गाड़ी के पास पहुंचे तो अचानक से जोर जोर से बारिश और तूफान आने लगा। शहनाज़ डर के मारे शादाब से चिपक गई और शादाब उसे गाड़ी में लेकर घुस गया। शादाब ने तेजी से सभी खिड़की बंद कर दी और बोला:"

" अम्मी लगता हैं आज मुझे चूत मिल ही जाएगी।

शहनाज़ शादाब की बात सुनकर शर्मा गई और बोली:"

"तेरी किस्मत हैं बेटा, कोशिश कर क्या पता किस्मत खुल जाए तेरी

इतना कहकर शहनाज़ ने अपने बुर्का उतार दिया और एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां बगावत करती नजर आईं। शादाब ने आगे बढ़कर शहनाज़ की चूचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा। शहनाज़ मचल उठी और सिसकते के बोली:_

" आह थोड़ा और से शादाब, दर्द होता हैं मुझे।

शादाब ने एक झटके के साथ शहनाज़ का सूट उतार दिया और बोला:" आज तो बड़े कितना अच्छा मौका मिला है, दूर दूर तक कोई नहीं, आज तो तेरी जी भर कर आवाज गूंजेगी यहां।

शहनाज़:" शादाब एक बार रेशमा को फोन कर दे कि हम लेट हो जाएंगे। कहीं वो परेशान ना हो।

शादाब ने रेशमा को कॉल किया तो वो बोली:" शादाब यहां भी बहुत तेज तूफान चल रहा है, आराम से आना बेटा जल्दी मत करना तुम।

शादाब:" बुआ यहां तो कुछ पेड़ टूटकर सड़क पर गिर गए हैं, रास्ता नहीं है शायद आज रात ना अा पाऊ मैं।

शहनाज़ ने शादाब की तरफ देखा और उसे मारने का इशारा किया तो शादाब ने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया।

रेशमा:" बेटा घबराना मत और शहनाज़ भाभी का ध्यान रखना, वसीम अा गए हैं मेरी चिंता मत करना तुम ।

शादाब:" ठीक है बुआ, बाद मैं करता हूं।

इतना कहकर शादाब ने फोन काट दिया और शहनाज़ की आंखो में देखते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया। लंड खुशी के मारे उछल उछल कर ठुमके लगा रहा है तो शहनाज़ बोली:"

_" इसे क्या हुआ मेरे राजा?

शादाब ने शहनाज़ को वहीं सीट पर लिटा दिया और बोला:" चूत मिलने की खुशी हैं शहनाज़।

इतना कहकर शादाब शहनाज़ के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ चूसने लगा। शहनाज़ भी मस्त हो गई और किस करते करते ही अपनी सलवार के साथ साथ पेंटी भी नीचे सरका दी। शादाब अब शहनाज़ की चूचियों को मसल रहा था, रगड़ रहा था। और शहनाज़ मस्ती में उड़ी जा रही थी।

" आह शादाब, मेरी चूत गीली हो गई है बेटे, कुछ कर तू

इतना कहकर शहनाज़ ने अपनी टांगे पूरी खोल दी और शादाब कर लंड को अपनी चूत के होंठो पर लगा दिया और बोली;"

" मार ले मेरी चूत शादाब, घुसा दे अपना लोला मेरी चूत में। आह ।

शादाब ने शहनाज़ को सीट पर ही झुका दिया और दोनो चूचियों को पकड़ लिया और एक जोरदार धक्का लगाया तो लंड शहनाज़ को चूत में घुस गया, पूरा जड़ तक।

शहनाज़ दर्द और मस्ती से कराह उठी

" आह ज़ालिम घुसा दिया पूरा अन्दर, उफ्फ हाय मा।

शादाब ने बिना देर शहनाज़ की चूत को चोदना शुरू कर दिया और लंड तेजी से अंदर बाहर होने लगा। शहनाज़ की चूत अब खुल गई तो उसे पुरा मजा आने लगा और सिसकते हुई बोली:"

" आह, उर्फ हाय एसआईआईआई, मेरा शादाब मुझे चोद रहा हैं,

शादाब जोश में आ गया और तेजी से धक्के लगाने लगा।शहनाज़ को के मुंह से तेज तेज सिसकियां निकलने लगीं और शादाब को अपनी बांहो में कस लिया। शादाब और शहनाज़ दोनो की चुदाई के लिए तड़प रहे थे इसलिए ज्यादा देर नहीं टिक पाए और शादाब ने लंड को बाहर निकाल कर एक तगड़ा धक्का लगाया और जड़ तक अन्दर घुसा दिया तो शहनाज़ को चूत भी इस धक्के के साथ ही झड़ गई और इसके शादाब को जोर से कस लिया और शादाब के लंड से वीर्य की पिचकारी निकलने लगी।

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10-08-2020, 02:20 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
चुदाई के बाद दोनो मा बेटे एक दूसरे से चिपक गए और किस करने लगे।

धीरे धीरे बारिश और हवा बन्द हो गई तो शहनाज़ अपने कपड़े पहनने लगीं और बोली:"

" चल जल्दी से अपने कपड़े पहन ले बेटा हम बहुत लेट हो गए हैं।

शादाब:" अम्मी यहीं रुकते हैं ना जंगल में ताकि आप मजे से आवाज निकाल सके, घर सुबह चले जाएंगे।

शहनाज़ ने उसके गाल पर एक प्यारी सी चपत लगाई और अपनी सलवार का नाड़ा बांधते हुए बोली:'

" मेरे राजा जल्दी ही हम शहर शिफ्ट हो जाएंगे फिर आराम से मजे करना, अभी जो टाइम हैं वो रेशमा के साथ बिताने दो मुझे। मुझे बहुत अच्छी लगती हैं बिल्कुल मेरी छोटी बहन जैसी।

शादाब अपने कपड़े पहनते हुए बोला:" थोड़े दिन पहले तो वो आपको बिल्कुल पसंद नहीं थी आपको देखकर लगता था मानो उसका खून पी जाओगी आप!!

शहनाज़ ने शादाब को घूरकर देखा और बोली:" तब की बात और थी शादाब, वो मेरे राजा के पीछे पड़ी हुई थी, अब वो बदल गई है।

शादाब:" मतलब अगर वो अब फिर से मुझे लाइन मारे तब आप क्या करेगी?

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और बोली:"अब नहीं मारेगी मेरे राजा क्योकी अब उसकी मारने वाला अा गया है।

इतना कहकर शहनाज हंस पड़ी और शादाब में भी हंसते हुए गाड़ी आगे बढ़ा दी। करीब आधे घंटे बाद वो घर पहुंच गए।

उनके घर पहुंचते ही रेशमा और वसीम ने सुकून की सांस। दोनो मा बेटे बारिश भीग गए थे इसलिए सबसे पहले नहाए। खाना आज वसीम बाहर से ही ले आया था क्योंकि उसे पता था आज शहनाज़ घर पर नहीं हैं और उसे आने में देरी हो सकती हैं।

सारा परिवार साथ बैठ कर खाना खा रहा था। रेशमा बोली:"

" तो शादाब बेटा डील का क्या हुआ ?

शादाब ने सारी बाते बताई तो सभी लोग बहुत खुश हुए और रेशमा बोली:"

':" तूने उनके लिए जॉब की बात करके बहुत अच्छा किया और अब इन्हें बाहर जाने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी।

वसीम के चेहरे पर खुशी देखने लायक थी। सारा परिवार खुश था क्योंकि एक लंबे समय के बाद घर में खुशियां वापिस अाई थी।
खाना खाने के बाद सारा परिवार सो गया, वसीम और रेशमा कल की तरह नीचे ही सोए जबकि शहनाज़ और शादाब बच्चो के साथ ऊपर।

वसीम ने आज रेशमा को नंगी कर दिया और आराम से उसकी चुदाई करी। रेशमा ने भी अपनी पति का साथ दिया लेकिन दोनो की ताकत और लंड में जमीन आसमान का अंतर था। शुरू में जहां वसीम के लंड से रेशमा चुद कर मस्त हो जाती थी वहीं आज उसे छोटा और कमजोर महसूस हुआ और उसे शादाब से चुदने की इच्छा फिर से जाग उठी।

अगले दो दिन कैसे खुशी खुशी बीत गए पता ही नहीं चला। हॉस्पिटल बनने का काम शुरू हो गया था और वसीम की देख रेख में ही सारा काम हो रहा था। रेशमा अब ठीक हो हुई थी और घर के काम काज में भर शहनाज की मदद कर रही थी।

रेशमा और शहनाज़ घर पर बैठे हुए थे और रेशमा बोली:"

" भाभी कल तो आप शादाब शहर में घर देखने जाओगे अगर आप कहें तो आज मै हॉस्पिटल का काम देख आऊ एक बार ?

शहनाज़ खुश होते हुए बोली:"

" हान हान रेशमा क्यों नहीं, मैं शादाब को बोल देती हूं कि वो तुम्हे खेत पर ले जाएगा।

रेशमा खुश हो हुई क्योंकि वो शादाब के शहर जाने से पहले उसके साथ मजे करना चाहती थीं

शहनाज़:" अरे बेटा शादाब जरा नीचे आना ,

शादाब अपनी अम्मी कि आवाज सुनकर दौड़ता हुआ आया और बोला:"

"जी अम्मी बोलिए आप ?

शहनाज़:" बेटा वो अपनी बुआ को खेत पर ले जा और हॉस्पिटल दिखा ला, और हान आपके फूफा के लिए खाना भी लेता जा।
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10-08-2020, 02:21 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब गाड़ी लेने चला गया और रेशमा की चूत खुशी के मारे गीली होकर रस छोड़ने लगी।थोड़ी देर बाद ही गाड़ी गांव से निकल कर जंगल की तरफ दौड़ने लगी।

रेशमा शादाब के साथ आगे वाली सीट पर ही बैठी हुई थी। वो बोली:"

" शादाब कल फिर तो शहर जा रहे हो नया घर देखने ?

शादाब:" हां बुआ अब पढ़ाई का बहुत नुकसान हो गया है।इसलिए जाना ही होगा।

रेशमा ने एक लम्बी आह भरी और बोली:"

" शहर जाकर तो टीम अपनी बुआ को भूल ही जाओगे।

शादाब ने गाड़ी एक तेज मोड़ पर घुमाई और रेशमा एक झटके के साथ शादाब से जा लगीं। शादाब उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" आपको कैसे भूल सकता हूं बुआ, आपने अपने आपको बिल्कुल बदल दिया है, जान पर खेलकर मेरी अम्मी को बचाया, मैं आपको बहुत पसंद करने लगा हूं बुआ।

इतना कहकर शादाब ने रेशमा का गाल चूम लिया तो गाड़ी हल्की सी अनियंत्रित होकर लहरा सी गई तो रेशमा डर के मारे कांप उठी और बोली:"

" शादाब बेटा मरवाएगा क्या मुझे भी अपने साथ, प्यार बाद में कर लेना पहले ड्राइविंग पर ध्यान दे ।

इतना कहकर रेशमा ने शादाब के होंठ चूम लिए और शादाब की तरफ जीभ निकाल कर उसे चिढ़ा दिया तो शादाब ने एक झटके के साथ गाड़ी को सड़क के किनारे रोक दिया और रेशमा के होंठो पर टूट पड़ा। रेशमा तो जैसे इसके लिए कब से तरस रही थी और वो शादाब के होंठो को चूसने लगी और अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी और शादाब मजे से अपनी बुआ की जीभ चूसने लगा।

किस करते करते शादाब ने रेशमा की चूचियों को दबा दिया तो रेशमा मस्ती से लहरा गई और किस तोड़ते हुए बोली:"

" शादाब हम लेट हुए तो खाना ठंडा हो जाएगा, पहले तेरे फूफा जी को खाना दे दें

शादाब ने फुर्ती से गाड़ी हाईवे पर दौड़ा दी और आंधी तूफान की तरह उड़ाता हुआ कुछ ही मिनटों में खेत पर पहुंच गया।

रेशमा ने वसीम को खाना दिया और वो आराम से एक पेड़ के नीचे बैठकर खाना खाने लगा ।

रेशमा:चल शादाब मुझे दिखा कि हॉस्पिटल में क्या क्या बनेगा ?

शादाब खुशी खुशी अपनी बुआ को लेकर चल दिया। बिल्डिंग की बड़ी बड़ी दीवारें खड़ी हो गई थी और दोपहर होने के कारण सभी मजदूर खाना खा रहे थे। रेशमा और शादाब अंदर अा गए और शादाब रेशमा को बताने लगा तो रेशमा के एक दीवार के पीछे शादाब को खींच लिया और बोली:"

" आह शादाब छोड़ ना तो हॉस्पिटल, अा जा मैं तुझे अपना आईसीयू दिखाती हूं

इतना कहकर वो शादाब के सामने घुटनों के बल बैठ गई और उसने शादाब की पेंट की चैन को खोल दिया और उसके लंड को बाहर निकाल लिया जो कि अभी सोया हुआ पड़ा था फिर भी वसीम के लंड के बराबर लग रहा था।

रेशमा ने बिना देर किए लंड के सुपाड़े को मुंह में भर लिया और चूसने लगी। शादाब मस्ती से भर उठा और आंखे बंद करके इस मस्त एहसास को महसूस करने लगा।
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10-08-2020, 02:21 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
रेशमा की गर्म और लपलपाती हुई जीभ का असर हुआ और लंड पूरी तरह से अकड़ कर खड़ा हो गया तो रेशमा ने आधे से ज्यादा लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी। शादाब ने मस्ती थोड़ा सा झुकते हुए उसकी चूचियां पकड़ ली और दबाने लगा तो रेशमा ने लंड को मुंह से बाहर दिया और शादाब के होंठो को चूसने लगी

शादाब ने रेशमा की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार सहित पेंटी को नीचे सरका दिया और रेशमा को दीवार के सहारे झुका दिया तो रेशमा दीवार में बने हुए एक हॉल से बाहर देखने लगी और शादाब ने नीचे झुकते हुए एक जोरदार किस रेशमा की चूत पर किया और अपने मोटे लंड को उसकी चूत पर टिका दिया तो रेशमा मस्ती से भर उठी और बोली:"

" शादाब थोड़ा प्यार से करना, अभी हल्का हल्का जख्म हैं मुझे

शादाब ने अपनी बुआ की बात को ध्यान में रखते हुए अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और एक हल्का सा धक्का मारते हुए लंड के सुपाड़े को चूत में घुसा दिया तो रेशमा दर्द और मस्ती से सिसक उठी

" आह शादाब, उफ्फ कितना मोटा हैं तेरा लोला, हाय मा।

शादाब में धीरे धीरे लंड पर दबाव दिया तो लंड रास्ता बनाते हुए चूत में घुस गया और रेशमा लंड की रगड़ से मस्त हुई जा रही थी और उसने खुद ही अपनी चूत पीछे को लंड पर दबा दी तो लंड जड़ तक घुस गया। शादाब में मस्ती से रेशमा की गांड़ पकड़ ली और जोर जोर से मसलने लगा। रेशमा पूरी तरह से मस्त हो गई और बोली:"

" आह शादाब चोद मुझे अब, मेरी चूत,

शादाब में रेशमा की चूत में हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किए तो रेशमा ने उसे थोड़ा तेज करने का इशारा किया तो शादाब ने थोड़ी सी गति बढ़ा दी और तो रेशमा मस्त हो गई।

शादाब:" आह बुआ मस्त चूत हैं तेरी, उफ्फ टाइट घुस रहा हैं, कहीं कोई अा गया तो

रेशमा:" आह शादाब, तेरा लोला मोटा हैं इसलिए टाइट घुस रहा है, मैं हॉल से सब देख रही हूं तो चोद आराम से मुझे।

शादाब को सुकून मिला और दोनो आंखे बंद करके आगे हाथ करके उसकी चूचियों को थाम लिया और धक्के लगाने लगा।
रेशमा शादाब के धक्के ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी चूत झड़ती चली गई

" हाय गई मेरी चूत, उफ्फ मा री हाय सिई आह शादाब।

शादाब ने भी एक जोर का धक्का मारा और लंड को जड़ तक घुसा दिया तो रेशमा का बदन जोर से कांप उठा और उसके मुंह से एक दर्द भरी कराह निकल गई

" आह शादाब, उफ्फ नहीं आईआई

शादाब ने जोर से रेशमा को कस लिया और उसकी चूत में वीर्य छोड़ने लगा। दोनो अपनी अपनी सांसे दुरुस्त करने लगे।

थोड़ी देर बाद दोनो वसीम के पास पहुंच गए और उससे बात करने लगे।

वसीम: " कैसा लगा रेशमा हॉस्पिटल का डिजाइन और काम ?

रेशमा के होंठो पर एक स्माइल अा गई और बोली:"

" बहुत ही बढ़िया, माफी लंबे और मोटे चौड़े अरिया में बन रहा हैं,

वसीम:" सब कुछ शादाब के हिसाब से हो रहा हैं

रेशमा:" शादाब हैं तो फिर तो सब कुछ मस्त हो होगा, मेरा भतीजा बहुत समझदार हैं। अच्छा सुनो मैं चलती हूं घर आप शाम को किस टाइम तक अा जाएंगे ?

वसीम:" अभी इतनी तेज धूप में कहां जाओगी , सब आराम कर रहे हैं तो तुम भी आराम करो

रेशमा उदास हो गई और शादाब की तरफ देखा तो शादाब बोला :"

" वो मुझे कल शहर जाना हैं इसलिए तैयारी करनी होगी।

वसीम:" ठीक है फिर चले जाओ तुम दोनो, आराम से जाना लेकिन तुम बहुत तेज गाड़ी चलाते हो।

शादाब में अपने फूफा को स्माइल दी और गाड़ी लेकर चल दिया। रेशमा शादाब की जांघ सहलाते हुए बोली:"

" शादाब सच में सड़के खाली पड़ी हुई है कोई नहीं हैं दूर दूर तक !!

शादाब अपनी बुआ का इशारा समझ गया और बोला:"

" बुआ बस अगले मोड़ से घुमा लूंगा वहीं एक सुनसान सड़क हैं जहां हम दोनों चुदाई...

रेशमा ने शादाब के होंठो पर उंगली रख दी और बोली:"

" आह नहीं शादाब करना बस मुंह से मत बोलो कुछ भी ।

शादाब ने एक हाथ रेशमा की जांघ पर रख दिया और सहलाने लगा तो रेशमा ने मस्ती में आकर शादाब का लंड बाहर निकाल लिया और चूसने लगी तो शादाब के मुंह से आह निकल गई। शादाब ने अगले मोड़ से गाड़ी घुमा दी और जल्दी ही वो एक जंगल में पहुंच गए।
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10-08-2020, 02:21 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
दूर दूर तक कोई नहीं था तो शादाब ने अपनी बुआ को गोद में उठा लिया और जंगल के अंदर ले गया। उसे एक पहाड़ीनुमा जगह दिखी तो काफी ऊंचाई पर थी और वहां हल्की हल्की हवा चल रही थी। शादाब ने रेशमा को वहीं लिटा दिया और खुद अपने सारे कपड़े उतार फेंके तो रेशमा ने जोश में आकर अपनी एक अंगुली अपनी चूत में घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी।

" आह शादाब देख ना कितनी तड़प रही है तेरे लोले के लिए मेरी चूत, अा जा चढ़ जा अपनी बुआ पर !!

शादाब का लंड हवा में लहरा रहा था और शादाब रेशमा की टांगो के बीच में अा गया और लंड को चूत पे रगड़ने लगा तो रेशमा का जिस्म उत्तेजना से हिलने लगा और शादाब ने उसकी आंखो में देखते हुए एक जोरदार धक्का लगाया तो आधे से ज्यादा लंड रेशमा की चूत में घुस गया।

रेशमा के होंठो से दर्द भरी सिसकारियां निकलने लगी और उसका मुंह खुलता चला गया

" आह शादाब, थोड़ा प्यार से कर ना, टांको की जगह पर दर्द होता हैं अभी । जंगल में मेरी चूत में मंगल हो रहा है शादाब

शादाब ने रेशमा की चूचियों को पकड़ लिया और हल्का हल्का सहलाते हुए लंड पर दबाव दिया तो लंड चूत को फैलाते हुए अंदर घुसने लगा। लंड की लंबाई और मोटाई की वजह से रेशमा की चूत फैल रही थी और रेशमा के मुंह से आनहे निकल रही थी। जल्दी ही पूरा लंड अंदर घुस गया तो रेशमा ने चैन की सांस ली।

रेशमा ने शादाब के होंठ चूम लिए और शादाब ने लंड को बाहर निकाला और एक ही धक्के में पूरा जड़ तक घुसा दिया तो रेशमा के मुंह से मस्ती भरी आज निकल पड़ी।

" सीई आईआईओ आह उफ्फ चोद ऐसे ही, उफ्फ ये मस्त लोला

शादाब ने रेशमा की दोनो टांगो को फैला दिया और उसकी आंखो में देखते हुए तेज धक्के लगाने लगा। हर धक्के पर रेशमा की चूचियां हिल रही थी और उसके मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थी।

शादाब रेशमा की आंखो में देखते हुए उसे चोद रहा था और उसे जोश दिलाने के लिए मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां भर रही थी।

शादाब ने रेशमा को लंड घुसे घुसे ही अपनी गोद में उठा लिया और हरी हरी घास लेट गया तो रेशमा अपने आप लंड पर उछलने लगी, लंड उसकी चूत की फांकों को रगड़ते हुए अंदर बाहर होने लगा तो रेशमा की आंखे मजे से बन्द हो गई और शादाब ने उसके चूतड़ों को थाम लिया और लंड पर उपर नीचे करने लगा।

रेशमा की चूचियां शादाब की आंखो के आगे लहरा रही थी जिसे उसने मुझ में भर लिया और चूसने लगा तो रेशमा मस्ती से बेकाबू हो गई और उसकी गांड़ तेजी से चलने लगी।

" आह शादाब चूस ले मेरी चूचियों को, आह मेरा क्या होगा तेरे जाने के बाद, कहां से मिलेगा ऐसा लोला मुझे!!

शादाब ने रेशमा के एक निप्पल पर जोर से काट लिया तो रेशमा के मुंह से एक मस्ती भरी कराह निकल पड़ी और उसका जिस्म लंड पर गिरता चला गया जिससे लंड उसकी चूत को पूरी जोर से रगड़ता हुआ अंदर तक घुस गया और रेशमा की चूत झड़ गई

" आह शादाब मार ली तूने मेरी चूत, उफ्फ गई मेरी चूत।

रेशमा की चूत से निकलते हुए गर्म गर्म रस के आगे शादाब का लंड भी जवाब दे गया और उसने अपने जिस्म की पूरी ताकत लगते हुए नीचे से धक्का लगाया तो लंड रेशमा की बच्चेदानी में घुस गया और उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी
" आह फाड़ देगा क्या मेरी बच्चेदानी को तू उफ्फ मा

शादाब ने एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी रेशमा की चूत में मारनी शुरू कर दी और रेशमा इस एहसास को महसूस करके मस्त हो गई।

शादाब थोड़ी देर ऐसे ही रेशमा के उपर पड़ा रहा और और जैसे ही लंड बाहर निकला तो रेशमा को अपनी चूत के अंदर खाली पन महसूस हुआ। रेशमा उठ गई और चूत और वीर्य के मिश्रण से सने हुए लंड को मुंह में भर कर चूसने लगी। शादाब की आंखे एक बार फिर से मस्ती से बंद हो गई और रेशमा ने अपने हाथो से शादाब की गोलियों को सहलाना शुरू कर दिया तो जल्दी ही लंड फिर से खड़ा होता चला गया और रेशमा ने घोड़ी बनते हुए अपनी चूत शादाब के सामने खोल दी तो शादाब में फिर से एक झटके में उसकी चूत में लंड घुसा दिया और तेजी से धक्के मारने लगा।
एक बार फिर से रेशमा की सिसकियां निकलने लगी और शादाब उसको मस्ती से चोदता रहा। करीब आधे घंटे उसने रेशमा को चोदा और एक बार से अपने वीर्य से उसकी चूत को भर दिया। रेशमा की चूत तो आज इतनी झड़ी कि रेशमा गिनती तक भूल गई।

उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। शहनाज़ ने दोनो को घर जाते ही पानी दिया और शाम तक वसीम भी घर अा गया। रात को सभी लोग आराम से सो गए।

.....................................

अगले दिन सुबह शहनाज़ जल्दी ही उठ गई क्योंकि आज वो इतनी खुश थी कि उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उसने अपने पास लेटे शादाब का मुंह चूम लिया तो शादाब ने भी अपनी आंखे खोल दी और शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया।

शहनाज़:" उठ जा शादाब, जल्दी से तैयार हो जा आज हमे शहर जाना हैं नया मकान देखने के लिए बेटा।

शादाब उसकी चूचियों में अपना मुंह घुसाते हुए बोला:"

" उम्म्म सोने दो ना शहनाज़, अभी तो ठीक से दिन भी नहीं निकला हैं।
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10-08-2020, 02:21 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़:" आलसी कहीं का, मैं तो चली नहाने।

इतना कहकर शहनाज़ बाथरूम में घुस गई। रेशमा भी उठ गई और वो जानती थी कि आज सुबह जल्दी ही शादाब और शहनाज़ शहर जाएंगे इसलिए वो नाश्ता आज खुद तैयार करना चाहती थी।

जैसे ही वो ऊपर अाई तो उसने शादाब को सोते हुए देखा और उसे उस पर बहुत प्यार आया और उसने शादाब का मुंह चूम लिया। जैसे ही रेशमा को किसी के आने की आहट हुई तो वो सीधी होकर पीछे हट गई।

रेशमा ने देखा कि शहनाज़ नहाकर अा गई है। दोनो की एक दूसरे को देखकर हैरान हो गई, शहनाज़ उसे ऊपर देखकर डर गई और मन ही मन खुशी खुश हुई कि मैं पकड़ी नहीं गई जबकि रेशमा इसलिए खुश थी शहनाज़ ने उसे शादाब को किस करते हुए नहीं देखा।

रेशमा आगे बढ़ी और शहनाज़ से मजाक करते हुए बोली:"

" बड़ी जल्दी हैं शहर जाने की भाभी, इतनी सुबह ही उठ गई।

शहनाज़ अपनी असली खुशी छुपाते हुए बोली:"

" अरे मैं तो रोज ही सुबह उठ जाती हूं और खुश इसलिए हूं कि अपने बेटे के साथ रहने को मिलेगा मुझे।

रेशमा ने आगे बढ़कर शहनाज के गाल चूम लिए और बोली:"

" क्या बात हैं भाभी आप तो दिन प्रति दिन जवान होती जा रही हो, आप कहे तो किसी से दोस्ती करा दू आपकी !!

शहनाज़ के होंठो पर स्माइल अा गई और वो रेशमा को हल्का सा मारते हुए बोली:"

" चल बदतमीज कहीं की, जो मुंह में आए बोल देती हैं।

रेशमा ने शहनाज़ को अपनी बांहों में भर लिया और बोली:"

" सच में भाभी अगर मैं लड़का होता तो आपको लेकर भाग जाता शहनाज।

रेशमा ने उसे आंखे दिखाईं और थोड़ा सा बनावटी गुस्सा करते हुए बोली:"

" रेशमा तुम क्यों मेरे मजाक उड़ा रही हो, इतनी भी सुंदर नहीं हूं मैं।

रेशमा ने उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" तुम सुंदर नहीं कयामत हो कयामत, अब उपर से शहर का फैशन देख लेना भाभी तुम पक्का कांड करके वापिस आओगी ।

शहनाज़ ने उसे जोर से डांट दिया और बोली:" जा चल अपना काम कर, आजकल तेरी जुबान बहुत चलने लगी हैं।

रेशमा उसे जीभ दिखाती हुई चली गई और नाश्ता तैयार करने लगी।थोड़ी देर बाद ही शादाब और शहनाज़ सारे परिवार के साथ नाश्ता कर चुके थे और शहर जाने के लिए तैयार थे तभी शादाब का मोबाइल बज उठा। उसके फोन उठाया और बोला:"

" अजय मेरे भाई मेरे दोस्त कैसे हो तुम ?

अजय:" ठीक ही मैं, घर में कैसे हैं सब, फिर कोई दिक्कत तो नहीं हुई ना ?

शादाब:" नहीं भाई, सब ठीक हैं, मैंने अपनी जमीन पर हॉस्पिटल का काम एक पार्टी को दे दिया है।जल्दी ही बन जाएगा।

अजय:" भाई ये तो बहुत अच्छी बात है, हमे भी किसी छोटी मोटी जॉब पर रख लेना ।

अजय की बात सुनकर शादाब के चेहरे पर हल्का दर्द दिखाई दिया और बोला:" भाई तुम तो मालिक हो यार, जो तुम्हे अच्छा लगे बता देना मुझे। आज मैं शहर में घर देखने जा रहा हूं क्योकि मैं और अम्मी अब साथ रहेंगे।

अजय:" अबे साले अगर घर ही खरीदना हैं तो होवार्ड यूनिवर्सिटी के आस पास खरीद ले।

शादाब खुशी के मारे उछल पड़ा और बोला:" क्या सच अजय, तू सच बोल रहा है भाई ?

अजय:" हान मेरी जान, तेरा सेलक्शन हो गया हैं, कल रिजल्ट आया है।

शादाब तो जैसे खुशी के मारे पागल हो गया, उसे समझ ही नहीं अा रहा था कि कैसे खुशी मनाए, उसने शहनाज़ को अपने गले लगा लिया और उसके गाल चूम लिए। शहनाज़ रेशमा और वसीम के आगे अपने गाल इस तरह चूमे जाने से शर्मा गई और सबसे बड़ी आज वो पहली बार वसीम के सामने बेपर्दा हुई थी तो उसने झट से अपने मुंह पर फिर से घूंघट डाल दिया लेकिन तब तक वसीम उसका खूबसूरत चेहरा देख चुका था ।

सभी लोग हैरानी से उसे देख रहे थे और मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। हर कोई ये जानना चाहता था कि शादाब की इस खुशी का क्या कारण हैं।

शादाब:" अजय मैं तुझे बाद में कॉल करता हूं भाई, घर मैं सबको बता दू पहले।

इतना कहकर अजय ने फोन काट दिया और बोला:"

" अम्मी बुआ मेरा होवार्ड यूनिवर्सिटी में चयन हो गया है।

शादाब की बाते सुनकर सबके चेहरे खुशी के मारे दमक उठे और उसे मुबारकबाद देने लगे।

तभी शहनाज़ बोली:"

" अरे बेटा अजय का क्या हुआ, एग्जाम तो उसने भी दिया था ना ?

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने तुरंत अजय को कॉल किया और बोला:"

" अरे मेरे भाई, ये तो बता तुम्हारे एग्जाम का क्या हुआ ?

अजय खामोश सा हो गया और उसकी मायूसी भरी आवाज उभरी :"

" शादाब मेरा एक नंबर से रह गया हैं भाई, लेकिन देखना अगली बार तेरा भाई टॉप करेगा।

शादाब की खुशियां आधी हो गई और बोला:"

" भाई मुझे तेरे पर पूरा यकीन हैं, देखना अगले साल सिर्फ तेरे ही चर्चे होंगे।

अजय:" चल ठीक हैं शादाब, मैं तुझे बाद मैं करता हूं।

अजय ने फोन काट दिया और शादाब ने होवार्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट को चैक किया तो देखा कि उसका चयन हो गया है और अजय सच में एक नंबर से रह गया। शादाब को दुख हुआ लेकिन क्या कर सकता था।

दो दिन बाद शादाब और शहनाज एयरपोर्ट के बाहर खड़े हुए थे और दोनो 5 साल के लिए अमेरिका जा रहे थे।

रेशमा और शहनाज़ दोनो की आंखो में आंसू थे क्योंकि उनमें सगी बहनों जैसा प्यार हो गया था। लेकिन जाना तो था ही आखिर कार दोनो ने एक दूसरे को हसरत भरी निगाहों से देखा और दोनो एक दूसरे के गले लग गई।

रेशमा:" भाभी अपना ध्यान रखना और शादाब का भी।

शहनाज़:" तुम भी रेशमा अच्छे से रहना और हम फोन पर बात करेंगे।

इतना कहकर दोनो अलग हो गई और शहनाज़ और शादाब दोनो अंदर चले गए जबकि रेशमा और वसीम ने उन्हें देखकर हाथ हिलाते रहें।

अंदर प्लेन में बैठी हुई शहनाज़ आज जहां एक ओर खुशी थी वहीं डर भी रही थी। शादाब ने उसका हाथ अपने हाथों में लिया और बोला:"

" क्या हुआ शहनाज़ परेशान लग रही हो ?

शहनाज़:" बेटा वहां तो बड़ी सुन्दर सुन्दर लड़कियां होगी कहीं तू मुझे छोड़ तो नहीं देगा ?

इतना कहकर शहनाज़ की आंखे भर आई तो शादाब ने अपने रुमाल से उसका मुंह साफ किया और बोला:"

" क्या आपको अपने दूध और खून पर भरोसा नहीं है क्या अम्मी ?

शहनाज़ ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया और बोली:"

" अपने आप से भी ज्यादा मेरे राजा, लेकिन अब तू मुझे अम्मी नहीं सिर्फ शहनाज़ कहकर बुलाएगा ।

शादाब स्माइल करते हुए बोला:"

" ठीक हैं शहनाज़ मेरी जान जैसे आपको अच्छा लगे।

शहनाज़ उसकी बाते सुनकर खुशी से उसकी आंखो में देखने लगी तो शादाब बोला:"

" आई लव यू मेरी अम्मी शहनाज़

इसके साथ ही दोनो मा बेटे एक साथ मुस्कराए और शहनाज़ एक हाथ से उसका कान तो दूसरे से उसका लंड खींचते हुए बोली:"

" तू कभी नहीं सुधर सकता मेरे राजा।

शादाब ने शहनाज़ का हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया और प्लेन उड़ गया।





The End
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