Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 12:54 PM,
#11
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
चंपा : अर्रे क्या हुआ बाबू ठीक हो? बाबू (चंपा आदम के पीठ को सहलाते हुए कहती है)

आदम : हान्ं हां अब ठीक्क हूँ अफ

चंपा : ये कैसा दर्द उठा?

आदम : पता नही एक बार डॉक्टर को दिखा लेता हूँ हो सकता है शायद गॅस्ट्रिक प्राब्लम हो

चंपा : तुमको जितना जानती हूँ उसके हिसाब से ना तो तुम शराब पीते हो और ना कोई ड्रग्स लेते हो फिर ये दर्द कैसे? आजकल दिल की शिकायतें आती है मेरी काकी का एक कस्टमर ऐसे ही तो मरा खैर जाने दो तुम चाहो तो आराम कर सकते हो यहाँ

आदम : नही नही अब मुझे निकलना चाहिए रात बहुत हो गयी है

चंपा : पक्का

आदम : हां पक्का और ख्याल रखने का शुक्रिया

चंपा : चाहो तो आज की रात मुफ़्त की राइड मार सकते हो ?

आदम : फ्री राइड? तुम कब्से ऑफर देने लगी ?

चंपा : ऑफर नियमित समय तक ओल्ड यूज़र के लिए आज की रात तक वॅलिड

आदम का मन तो हुआ कि नही अब रुकना ठीक नही पर चंपा ने उसके सामने अपनी टाँगें चौड़ी कर ली?...साली थर्कि हो गयी थी या शायद आदम का मोटा लंड उसे पसंद आ गया था....जब औरत खुद ही ऑफर दे रही थी तो मर्द क्या कर सकता है?...उस रात आदम का जाना हुआ ही नही फ्री की राइड के चक्कर में उसने 2 बार और चंपा की चुदाई कर दी....इस बार उसने वीर्य चंपा के भीतर ही छोड़ दिया...

अगले दिन वो घर सुबह सुबह पहुचा फिर 2 घंटे की नींद ली...उठा नाश्ता किया....पर आज कसरत ना कर सका...नहा धोके सीधे क्लिनिक पहुचा

आदम के कुछ टेस्ट हुए....जिन रिपोर्ट्स को देखने के बाद डॉक्टर ने सबकुछ नॉर्मल करार दिया...."ह्म आदम सुनो तुम्हारे चेस्ट में गॅस्ट्रिक का पेन उठा था क्यूंकी तुम्हारा डाइजेस्टिव सिस्टम बहुत कमज़ोर हो गया है जैसा तुमने बताया कि तुमने 19 साल की उमर से लेके 21 तक सप्प्लिमेंट्स लिए जिनका लोंग कन्स्यूम करना तुम्हारे लिए महँगा पड़ा है यू हॅव यूज़्ड ओरल स्टेराइड्स समझते भी हो".........आदम ने कोई जवाब नही दिया शर्मिंदा था

डॉक्टर : बॉडी को नॅचुरली ग्रो करना चाहिए तुम्हें खैर ये तो आजकल के जेनरेशन का एक शौक है जो बाद में जाके उन्हें शॉक ही देता है जैसे हार्ट फेल्यूर,किड्नी डॅमेज,लिवर इन्फेक्षन,डिप्रेशन,हार्ट अटॅक और पूअर लिबीडो

आदम : खैर कर भी क्या सकता हूँ? जो अरमान था वो पूरा ना हो सका....रेसलिंग करने का बहुत शौक था लेकिन जिम के डमब्बेल हाथ में लेते ही गिर पड़ता खुद का मज़ाक बनते देख मैने ये रास्ता चुना हालाँकि मुझे इससे कोई ख़ास फरक ना पड़ा पर मुझमें थोड़ा बदलाव आ गया

डॉक्टर : देखो आदम बॉडी वोडी बनाने पे कम और अपने बीमारी को ठीक करने की कोशिश करो नो फ्राइड फुड्स जंक फुड्स आंड आल्कोहॉल आंड नोट ईवन एनी काइंड ऑफ ड्रग आइ आम पर्सनली रेकोंमेड इट टू यू

आदम : नो प्राब्लम सर अब तो ऐम ही कहाँ है? अगर ऐम होता तो इस छोटे शहर में क्या करता परिवार से दूर? खैर जाने दीजिए वैसे मेरे सेक्षुयल ड्राइव को तो कोई!

डॉक्टर : लकी पर्सन हो बच गये पर हेवी डोस और कंटिन्यू करते या आगे कोई भी दवाई लेने की सोच रखी है तो आइ विल से यस हो सकता है इंपोटएन्सी एरेक्टीले डिसफंकशन सो बेटर बी अवेर ये लिवर की टॉनिक है इसे सुबह शाम ले लेना आंड वादा करो नो डिज़ाइर टू पुट यू इन एनी डेंजर

आदम : वादा सर पक्का वादा (आदम के जैसे आँखो मे आँसू घुल गये थे)

घर आके वो कुछ देर सदमे में रहा फिर उसने सारे डमबेल और बारबेल सेट को बिस्तर के नीचे अच्छे से कारटन में फोल्ड करके रख दिया शायद अब कसरत करने की उसमें ताक़त बची नही थी...

लेकिन वक़्त के साथ साथ आदम फिर अपने रोज़ मरहा की ज़िंदगी में लौट गया....वोई काम वोई अकेलापन...लेकिन चंपा की वो बात वो माँ की एक फॅंटेसी की तरह आदम के ज़हन में घर कर गयी...बीमारी के चलते वो भूल सा गया था कि चंपा ने उससे क्या कह डाला था? खैर उससे ज़्यादा उसे अपनी बीमारी का स्ट्रेस हो गया था....

उसने माँ बाप को अपनी बीमारी के बारे में ज़रा सा भी मालूमत ना चलने दिया....अब उसे अहेसास हुआ था की चंपा ने उसके जल्दी झड जाने पे क्यूँ सवाल उठाया था? कही ना कही शायद उसकी बीमारी का दुष्प्रभाव था

रिकक्षे पे सवार आदम जल्द ही एक एरिया पहुचता है...रिक्शा रुकने के बाद वो अपनी कमर और गान्ड को सहलाते हुए गुस्से भरी निगाहो से रिक्शेवाले की तरफ देखता है....

आदम : साले मेन रोड से लाने को कहा था तेरे शॉर्टकट के चक्कर में गली गली के उबड़ खाबड़ पथरीली रास्तो पे चलके कमर में मोच आ गयी अगर हॅंडल ना पकड़ा होता रिक्शे के बीच बीच में उछलने से तो गिर ही जाता बाइ गॉड

रिक्शेवाला : अर्रे भैया पॅसेंजर तो आराम से आते है उस रास्ते से देखो मेन रोड पे जाम और ट्रॅफिक लगा रहता 2 घंटे के रास्ते को 20 मिनट का रास्ता बना दिया और बाकियो तो मज़े आते है इस रोड से आने में

आदम : क्यूंकी तेरे रिक्शे में गान्डु लोग ज़्यादा चढ़ते होंगे उन लोगो की तरह गन्दू समझ रखा है साला उछल उछल के पूरे रास्ते रिक्शे की सीट पे मेरी तो गान्ड दर्द से फॅट रही है

रिक्शेवाला चुप हो गया....उसने अपना किराया लिया और उल्टे रास्ते वापिस चला गया...आदम पूरे रास्ते खुद को कोस रहा था कि जब माँ ने मना किया था तो खामोखाः अपनी दूसरी मौसी से मिलने चला आया...लेकिन क्या करे बहनों की जंग एक तरफ और अपना अलग रिश्ता एक तरफ....आदम अपनी गान्ड को सहलाता हुआ जीन्स के उपर से ही ताहिरा मौसी के घर पहुचा....
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12-09-2019, 12:54 PM,
#12
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
ताहिरा मौसी के बारे में थोड़ा बताता चलूं आपको...ताहिरा मौसी यानी की आदम की दूसरी वाली मौसी एक और मौसी जो है वो भी दिल्ली में रहती है....लेकिन उससे आदम को इतनी हमदर्दी नही कारण ताहिरा की बात जुदा है एक तो उनका सेक्सी बर्ताव और दूसरा उनसे खुल्लम खुल्ला कुछ भी बात करने में ज़रा सी भी शरम नही लगती...ताहिरा का पति पेशेवर जुआरी है ताहिरा के ससुराल में उसकी एक पागल सास है जो अक्सर बीमार रहती है दो ननद है जो टाउन से बाहर ब्याही गयी है आना जाना उनका कम है...बस घर में ताहिरा अपने पति और दो बेटों के साथ रहती है

कच्ची उमर की थी जब जुआरी अब्दुल मौसा से फॅस गयी...आदम के नाना ने उसे तभी से घर और खून दोनो से अलग कर दिया चूँकि उन्होने घरवालो को काफ़ी बेज़्ज़त करवाया था अपनी हरकतों से और नाना ने अपना सबकुछ बेटी की शादी में लगा दिया जिसको भी अब्दुल मौसा बेच खाए....लेकिन नाना की मौत के बाद मुफ़लिसी बढ़ी तो ताहिरा मौसी ने ही अपने मायके वालो को दिल्ली जाने का बंदोबस्त कराया था

हालाँकि आदम की माँ की अपनी बहन से हमेशा 36 का आकड़ा रहता था...दोनो अगर एक जगह बैठ जाए तो बातें बहस में और बहस झगड़े में और झगड़ा लड़ाई में तब्दील हो जाता था....लेकिन आदम को ताहिरा मौसी से काफ़ी लगाव था अपनी माँ के बाद वो ताहिरा मौसी को ही बेहद मानता था....क्यूंकी कुछ दिनो तक ताहिरा ने ही आदम को दूध पिलाया था....उस वक़्त आदम का बड़ा भाई पैदा हुआ था तो ताहिरा की चुचियो से खूब दूध बहता था....इसलिए अपने बेटे के साथ साथ उसने आदम को भी कुछ दिन तक उसके दिल्ली जाने से पहले दूध पिलाया था....ताहिरा का ममता का प्यार उसे खींच लाया था...ताहिरा आदम को नहला भी चुकी थी उसे नंगा भी देख चुकी थी और उसे काफ़ी पसंद भी करती थी...

मुझे दरवाजे पे दस्तक देनी की ज़रूरत नही पड़ी थी...क्यूंकी दुकान और टेलर शॉप के ठीक बगल में एक छोटी गली अंदर जा रही थी जिसके किनारे नाली बह रही थी उस छोटी गली के अंदर घुसते ही मेरी ताहिरा मौसी का घर शुरू हो जाता था मतलब उनका खुला आँगन किचन भी बाहर था....सुना था अभी संपत्ति का बँटवारा नही हुआ इसी लालसे में घर में उनके एकदुसरे से खटपट चलती रहती थी रिश्तेदारो में

आदम अभी आँगन में आया ही था...कि दाए ओर लोहे का दरवाजा खुला और अंदर के गुसलखाने से बाहर ताहिरा मौसी निकली...उन्होने लाल कलर की रेशम चमकदार नाइटी पहनी हुई थी....उनके बाल बिखरे हुए थे वो थोड़ी काली थी पर नैन नक्श तीखे थे...नाक में लौंग था और बाल बिखरे हुए....जानने में देरी ना लगी कि वो शायद मूत्के बाहर निकली थी....क्यूंकी गुसलखाने से पखाना जुड़ा हुआ था....सीडियो से उतरते ही एक बार को ताहिरा ठिठकि और आदम को देखते ही देखते वो उसके करीब जैसे दौड़ पड़ी

आदम : मौसी ओ मौसी
(आदम को झट से ताहिरा ने गले लगा लिया)

आदम को अपने सीने में कुछ चूबता महसूस हुआ ये उसकी ताहिरा मौसी के सख़्त निपल्स थे और उनकी छातिया नाइटी अंदर से ही आदम के सीने में जैसे दब सी गयी थी...दोनो कुछ देर तक एकदुसरे के गले मिले...जब आदम ने उसे अपने से अलग किया तो उनकी आँखे थोड़ी नम थी

ताहिरा मौसी : आज जाके तुझे मेरी याद आई

आदम : अर्रे तो इसमें रोना कैसा?

ताहिरा मौसी : हट मैं तुझसे बात नही करूँगी तू भी अपनी माँ की तरह मुझसे नफ़रत करता है एक ही शहर में रहता है और मुझसे मिलने की फ़ुर्सत नही ऐसा कौन सा काम करता है रे तू?

आदम : क्या करू तेरी बहन जो मेरी गान्ड के पीछे पड़ी रहती है? लेकिन अब फिकर नही अब हमारी मिलने में कोई बंदिश नही खैर जाने दे उसकी बात वो तो बेवकूफ़ है पर तू तो समझदार है ना अच्छा ये बताओ मौसी सब ठीक है....

ताहिरा मौसी : हां सब भलो....तू सुना अपना?

आदम : कुछ नही बस कल डॉक्टर से दवा लेके घर आया

ताहिरा मौसी : क्यूँ क्या हुआ?

आदम ने अपनी बीमारी के बारे में बताया...ताहिरा मौसी ने आदम को खूब डांटा की इतना सबकुछ हो गया तो कम से कम उसके पास ही खाने को चला आता...लेकिन आदम उनके घर की परिस्थिति जानता था....1 टाइम का खाना भी उनसे मुस्किल से जुटता था....बड़े भाई ने शादी तो कर ली थी पर अपनी थरक भुजाने के अलावा वो कुछ भी नही करता था....उसकी नौकरी छूट चुकी थी और वो पहले की तरह यहाँ वहाँ मारा मारा फिरता था
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12-09-2019, 12:54 PM,
#13
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम घर पे कौन मज़ूद है ये सब जानने लगा?....तो मालूम चला कि छोटा भाई अपनी बुआ के यहाँ गया है और बड़ा भाई उसका रात से पहले घर नही लौटने वाला...सुबह उसकी बीवी के साथ खूब झगड़ा हुआ है...

ताहिरा मौसी : अर्रे रुक तो तेरी भाभी से तुझे मिलाती हूँ अर्रे रूपाली बेटा रूपाल्लीी आए रूपाल्ली शायद तय्यार हो रही होंगी कंप्यूटर कोर्स करती है ना

आदम : वाहह भाई ने तो मॉडर्न भाभी लाई है घर

ताहिरा मौसी : बीवी का भड़वा है तेरा भाई तो अभी देखना सज धज के निकलेगी महारानी सुबह का जो नाश्ता भाई बस अब दो टाइम का खाना मुझे भी बनाना पड़ेगा

आदम हंस पड़ा इतने में...दरवाजे के खुलते ही अपने कमरे से रूपाली बाहर आई अफ मनमोहक सेंट की महेक उसकी सरीर से आ रही थी...रूपाली की उमर लगभग 24 थी रंग गोरा...आँख छोटे छोटे...हल्का मेकप कर रखा था लेकिन बनारसी साड़ी पहन रखी थी...अगर छाती पे पल्लू ना होता तो उसके चुचियो का साइज़ ब्लाउस के उपर से ही जायेज़ा ले लेता आदम.....रूपाली भी बड़े गौर से आदम को देख रही थी जैसे उसके सामने कोई राजकुमार खड़ा हो....5फ्ट 9 इंच का गोरा चिटा पतला दुबला स्मार्ट लड़का था जो कि टाउन के लड़को से कही हटके था स्टाइल में भी और सुंदरता में भी सालिहत से रहता था...आदम ने उसकी आँखो में अपने लिए कशिश देखते हुए मुस्कुराया और धीरे धीरे रूपाली भी मुस्कुरा पड़ी

बिना संकोच किए आदम ने हाथ आगे बढ़ाया और उसे ही कहा...ताहिरा को तो कोई ऐतराज़ था नही उसका इतना ध्यान भी नही था दोनो पे...रूपाली ने आगे बढ़के आदम का हाथ थाम लिया...नाज़ुक कोमल गोरे हाथो को अपने हाथो में लेके कुछ देर तक आदम हाथ थामे रहा फिर दोनो ने धीरे धीरे अपने अपने हाथ एक दूसरे से अलग किए..

रूपाली : माँ चाइ बनाई आपने?

ताहिरा : नही नही ये तो अभी आया तू जा लेट हो जाएगी मैं बना लूँगी खामोखा चाइ बनाएगी?

रूपाली : अर्रे नही नही माँ मैं बना देती हूँ ना इतने दूर से आया है आदम तुम बैठो आदम मैं आप लोगो के लिए चाइ बनाती हूँ (इतना कह कर रूपाली अपना पर्स उतारके रसोईघर में जाके खड़ी हो गयी चूल्हा बाहर था इसलिए चाइ भी वो बाहर ही बना रही थी)

आदम उसके मटकते चुतड़ों को साड़ी के बाहर से नोटीस कर रहा था....ह्म भरे भरे कूल्हें थे...उसके भाई की चाय्स तो नंबर एक ही होती है आय्याश नंबर वन था...ज़रूर रोज़ रात को घर लौटने के बाद उसकी ज़बरदस्त चुदाई तो करता ही होगा...लेकिन रूपाली के स्वाभाव से वो उसे घमंडी मगरूर नही लगी उसकी आवाज़ भी काफ़ी मधुर थी....इतने में कान में ताहिरा बैठी बैठी आदम के पास आके फुस्फुसाइ

ताहिरा : तूने क्या आके जादू कर दिया चाइ बनाने को चूल्हे के पास खड़ी हो गयी वरना इन्स्टिट्यूट जाने में लेट हो जाए तो घर सर पे जैसे उठा लेती है

आदम : हो सकता है पहली बार आया हूँ इसलिए शायद

ताहिरा ने कोई जवाब नही दिया..कुछ देर में चाइ की ट्रे लेके तीन प्याली चाइ उसने टेबल पे सजाई....अब तक जो पल्लू ढका था वो हल्का सा छाती से खिसका और लटक गया...अब रूपाली के चाइ के लिए झुकने से 1 हाथ दूर बैठे आदम की निगाह उसकी चुचियो के कटाव पे पड़ी गले में एक आर्टिफिशियल सोने की चैन झूल रही थी और उसके ठीक उसके नीचे दो संतरे जैसी भाभी की चुचियाँ ब्लाउस में क़ैद थी...अंदर काले रंग की ब्रा आदम को सॉफ दिख गयी....आदम की निगाह जैसे कटाव से रूपाली के चेहरे पे पड़ी दोनो की नज़रें मिली रूपाली उसे देखके मुस्कुरा के सीधी हो गयी उसने आदम के सामने ही अपना साया ठीक किया और आदम और ताहिरा से विदा लेके चली गयी

उसके जाते ही ताहिरा उसकी शिकायत करने लगी...लेकिन आदम ने सुनके भी अनसुना जैसे किया...अब घर में मौसी और भांजा दोनो अकेले थे....रूपाली की हैसियत थोड़ी ग़रीब सी हो गयी थी क्यूंकी उसके पास एक सोने की चैन भी नही थी...अय्याश तो था लेकिन बीवी की हसरतों को जैसे उसका भाई पूरा नही कर पा रहा था....रूपाली के बदन को सोचते ही आदम को महसूस हुआ कि उसका लंड अपनी औकात पे आ गया है...उसने पॅंट के उपर से ही अपना उभार दबोचा

ताहिरा : अब खाना खा के ही जाना

आदम : अच्छा मौसी लेकिन कोई आ तो नही जाएगा

ताहिरा : मौसा तो दोपहर को आएँगे अभी वक़्त ही क्या हुआ है सुबह 10 बजे है चल तेरे लिए नाश्ता बना देती हूँ बाप रे भाभी को तो नये नये देवर पे प्यार आ गया है चाइ नाश्ता के लिए पूछा आदम घर पे रहना आज हाहाहा (ताहिरा आदम को चिडाने लगी आदम हँसने लगा)
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12-09-2019, 12:55 PM,
#14
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
दोनो ने साथ में नाश्ता किया...और फिर कुछ देर बात करने लगे....बिशल यानी रूपाली के हज़्बेंड का रवैया शादी के बाद पहले जैसा हो गया था अब वो माँ के साथ साथ बीवी को भी गाली गलोच करने लगा था और घर में आए दिन कलेश करता रहता था...अब तो घर चलना मुस्किल सा हो गया है रूपाली नौकरी करती है तो कुछ पैसे वोई घर में लगाती है बाकी मौसा जी जुआ की दुकान से थोड़ा बहुत जो मिलता है उससे घर का खर्चा निकाल देते है अपना और अपनी बीवी का....फिर मौसी उसकी बीमारी को लेके बातचीत करने लगी

मौसी : ह्म तो तुझे मर्दाना कमज़ोरी सी लगती है तू भी ना खामोखाः अपनी ज़िद्द के आगे ऐसी गंदी दवाइयाँ यूज़ कर बैठा अब भुगत

आदम : जो हो गया सो हो गया मौसी अब तो आपके पास हूँ अब आप ही मेरे बीमारी का कोई घरेलू इलाज बता सकती है जिससे कोई प्राब्लम भी ना हो

मौसी : सुधिया काकी को आने दे उसके पति डेढ़ मास हो गया इंतेक़ाल को ओझा था उसके पास हर बीमारी का नुस्ख़ा और खासकरके मर्दो की बीमारी का उसी ने तो टोटके दिलाए वरना तेरे मौसा तो मुझे जुए में बेच ही खाते भागने तक की नौबत आ गयी थी जुए की ऐसी बुरी लत लगी उन्हें उपर से उनका वो काला सा गुंडा दोस्त उसने तो उस रात तो मेरी इज़्ज़त लूट ही ली थी ये तो भला हो कि उस रात घर जल्दी सुधिया काकी आ गयी थी वरना वो कमीना तो तेरी मौसी की इज़्ज़त लूट ही लेता

आदम : माइ गॉड इतना कुछ हो गया और आपने मुझे बताया तक नही

मौसी : बेटा तू आता ही कब है? जो मालूम चलेगा परिवार वाले तो मुझे लालची ख़ुदगार कमीनी ना जाने क्या क्या कहते है? मुझे उनकी परवाह नही पर अब आया है तो मुझसे दूर ना होना कही तू भी ना भूल जाना मुझे

आदम : ऐसा बिल्कुल नही होगा मौसी यक़ीनन सुधिया काकी तो बहुत कुछ जानती है जिसके टोटके इतने कारगर हो सकते है उसके पास तो मेरी बीमारी का भी इलाज होगा

मौसी : वो शाम को आ सकती है खैर तू तब तक मुँह हाथ धोके आराम कर आजा सबसे मिलके खाना वाना ख़ाके कल सुबह ही जाना

आदम : अर्रे पहले से छुट्टी कर रखी है धंधे में प्राब्लम हो जाएगा

मौसी : छुपकर अब आया है तो रहना पड़ेगा वरना तुझे खूब मारूँगी

आदम : हाहाहा चलो ठीक है अर्रे क्या हुआ (इतना में मौसी की कमर में जैसे लचक आ गयी वो कमर पकड़े दाँतों पे दाँत रखके बैठ गयी)

मौसी : हाए अल्लाह इस्शह लगता है कल का दर्द फिर बढ़ रहा है

आदम : क्या हुआ था मौसी?

मौसी : कल पैर फिसल गया गुसलखाने की सीडियो पे गिर पड़ी बच गयी वरना कमर की हड्डी टूट जाती और सर बाल्टी पे लग्के फॅट जाता किसी तरह बॅलेन्स बना लिया था..लेकिन हाए रे ये मोच का दर्द

आदम : एक काम करो मैं मालिश कर देता हूँ मुझे मालिश आती है

मौसी : नही नही तू क्यूँ तक़लीफ़ कर रहा है आने दे ना सुधिया काकी को

आदम : मौसी मुझसे हुज़्ज़त मत करो प्ल्ज़्ज़ आपको दर्द हो रहा है लाओ मैं मालिश कर दूं मुझे आती है

आदम की ज़िद्द के आगे मौसी ने हार मान ली...एक तो घर पे कोई नही उपर से दिल में हिम्मत सी पैदा हो गयी...मौसी की झिझक का मतलब आदम को समझ आया..उन्होने नाइटी के अंदर ब्रा या पैंटी कुछ भी नही पहना था...क्यूंकी रात को नशे में धुत्त जब मौसा घर लौटते थे तो उन्हें अपनी बीवी की चुदाई करने में मुस्किल नही चाहिए होती थी...इसलिए ताहिरा खुद ही अंदर कुछ नही पहनती थी और उपर से नाइटी डाल लेती थी...लेकिन कुछ दिनो से मौसा को नयी बीमारी डाइयबिटीस ने आ घैरा था जिससे उनका शुगर लेवेल बढ़ गया और वो एक ही चुदाई करने के बाद ठीक ढंग से मौसी को संतुष्ट भी ना कर पाते और कभी कभी तो बीच में ही कराह भरके कमज़ोरी से सो जाते...बेचारी ताहिरा अपनी उंगलियो से ही अपनी चूत की आग शांत कर लेती....एक शादी शुदा और एक जवान लड़के की माँ थी पर जिन्सी हसरत गयी नही थी जिस्म से

दो बच्चों के बाद ऑपरेशन करा लिया था....खैर आदम ने नारियल का तेल लिया और बिस्तर पे शीतलपाटी बिछा दी...उस पर मौसी लेट गयी..."बेटा तू रहने मैने अंदर कुछ पहना नही है खामोखा तुझे दिक्कत होगी".....मौसी ने आखरी प्रयास किया पर आदम ने बिना कुछ सोचे उन्हें पेट के बल लिटाया और उनकी पीठ की मालिश करने लगा

पीठ को नाइटी के उपर से ही मालिश करने से ताहिरा शांत सी हो गयी आँखे मूंद ली उसने...उसके खुले गले होने से नाइटी के कपड़े के भीतर दोनो हाथ तेल से सने ले जाते हुए नंगी पीठ को मलना शुरू किया वो खड़ा था...और लगभग घुटने मोड बिस्तर पे जैसे खड़ा था..उसका लिंग मारे उत्तेजना में तोप की तरह खड़ा हो गया...उसने बड़े ही धीरे धीरे और बड़ी मजबूती से पीठ दबानी शुरू की

ताहिरा : अहः उम्म्म अच्छे से कर हां अच्छा कर रहा है

आदम : तुम्हारा दर्द छू मंतर हो जाएगा मौसी

ताहिरा : तू ये सब कहाँ से सीखा?

आदम : एक लौंडा है थाइलॅंड का नेट पे दोस्ती है उसी से और पता है उसकी गर्लफ्रेंड क्या है? पोर्न्स्टार

ताहिरा : पोर्न्स्टार?

आदम : ह्म जो अश्लील फ़िल्मो में करवाती है

ताहिरा : छी छी ऐसी से मुहब्बत

आदम : मुहब्बत ना जात देखती है ना धरम ना रिश्ते देखती है ना उमर

ताहिरा : उम्म्म्म

आदम : उफ्फ आपके बीच के हिस्से में नस चढ़ि हुई है रुकिये इसे ठीक कर देता हूँ (आदम ने चोट को पकड़ लिया..उसने मौसी की वहाँ जो कि कूल्हें के लगभग करीब ही थी वहाँ मालिश करने के लिए अपना हाथ नाइटी के नीचे की तरफ से अचानक से डाल दिया पर उसी वक़्त उसे ज़ोर का झटका लगा दिल मुँह को आ गया और लिंग रह रहके तड़पने लगा बुरी तरह अकड़ गया पॅंट में)

मौसी ने पैंटी पहनी नही थी...और उनके नितंब के उपर से आदम अपना हाथ लोवर बॅक तक ले आया था..मौसी एक पल के लिए हड़बड़ाई...पर उसने ज़्यादा विरोध नही किया वो एकदम सख़्त हो गयी थी...आदम ने बिना कुछ सोचे समझे पीठ की मालिश शुरू कर दी धीरे धीरे दबाते हुए उसने धीरे धीरे नाइटी को उपर उठाना शुरू कर दिया...

उसने पहले झट से जाके कमरे का दरवाजा लगा लिया ना परवाह कि कोई आ भी सकता है? और दोनो को बंद कमरे में देखके बातें भी बन सकती है....आदम ने नाइटी को पूरा उठा दिया अब मौसी पीछे से पूरी नंगी थी उनके काले नितंब उठे हुए थे उनके पेट से लेके कमर चर्बिदार थी उसकी तोंद को मुट्ठी में लेके आदम ने दो तीन बार दबाया और पूरी पीठ को नितंबो तक मालिश करना शुरू किया
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12-09-2019, 12:55 PM,
#15
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मौसी : कौके बोलबी ना ? (मौसी ने अपनी तेज़ चलती साँसों पे काबू पाते हुए उसे हिदायत दी) किसी को कहेगा नही

आदम : चुपचाप मालिश के मज़े लो मौसी

मौसी : सस्स्सह उम्म्म्म

कुछ ही देर में मौसी को आराम मिलने लगा और उनका दर्द कहीं हद तक कम हो गया पंखा बंद था इसलिए दोनो पसीने पसीने हो रहे थे पूरी पीठ तेल और पसीने से भीग चुकी थी...आदम ने नाइटी वापिस ढकनी चाही पर उसके अंदर का सोया हुआ शैतान उसे इस बात की इज़ाज़त नही दे रहा था

उसने फ़ौरन अपनी पॅंट खोल दी और उसे सरकाते हुए एक ओर फ़ैक् दिया..बेखौफ़ होके उसने अपने कच्छे को टाँगों तक उतार दिया फिर धीरे धीरे ताहिरा के जिस्म पे झुकने लगा और उसने नितंबो के बीच अपना लिंग लाके रगड़ना शुरू कर दिया हाथ का नही बल्कि किसी लोहे का गरम चुभता डंडा जैसा महसूस करते ही ताहिरा की साँसें तेज़ हो गयी और उसकी आँखे लाल और बड़ी बड़ी हो गयी अब तक मालिश ने उसकी आग भड़का दी थी और अब उसका भांजा उस पर चढ़ने को था

ताहिरा : अर्रे पागॉल की कोर्चीस? पागल हो गया है तू क्या कर रहा है? (ताहिरा हड़बड़ा कर उठने को हुई पर आदम ने उसे पीठ से वापिस लेटा दिया)

ताहिरा : बाबा ये सब ठीक नही है मैं तेरी माँ की उमर की हूँ

आदम : सस्सह मौसी मैं ज़्यादा कुछ नही करूँगा बस मुझे ब अपने से दूर ना होने दे मैं तुझे चोदुन्गा नही बस उपर उपर से

ताहिरा : नही तू उठ मैं कह रही हूँ ना उठ तू पागल हो गया है क्या?

ताहिरा इतना कुछ कह ज़रूर रही थी पर अंदर ही अंदर उसकी भी लालसा जाग रही थी आख़िर वो एक थर्कि औरत थी...पर रिश्तो के दायरे में अब भी बंद थी उसे याद आया जब कमसिन उमर में आदम ने उसके सोते वक़्त उसकी नाभि और होंठो को चूमा था...उसका चुंबन फ्रेंच किस जैसा होने लगता तो ताहिरा उसे अपने से धकेल देती पर उसकी नादानी और शरारत समझके उसे मांफ कर देती पर आज आदम उसके बेहद करीब आ गया

आख़िरकार ताहिरा को उसके आगे घुटने टैकने परे...पर उसने मुँह से विरोध करना ना छोड़ा बोलती रही बोलती रही पर आदम उसकी गान्ड के बीच में अपना लिंग घिस्सने लगा..ताहिरा के मुँह से सिसकारिया निकलने को हो गयी....और उसने काफ़ी विरोध करने के बाद अपनी आँखे मूंद ली...आदम ने कुछ देर लिंग को घिस्सने के बाद गान्ड की फांकों को चौड़ा किया गान्ड का सिकुडा छेद और चिकनी बैंगनी चूत उसके सामने थी..उसकी सूजी चूत फूली हुई सी थी

उसने ताहिरा को पेट के बल लेटा दिया ताहिरा को ख्याल आया कि वो जैसे सम्मोहित बेजान भान्जे के साथ बिस्तर गरम कर रही थी....ताहिरा की नाइटी लगभग आदम ने उसके गले तक उठा दी....और उसकी भारी भारी 38 इंच की चुचियो को घूर्ने लगा जिसके काले मोटे निपल्स सख़्त थे....आदम ने थोड़ा तेल लिया और उसकी चुचियों पे मलने लगा....ताहिरा ने दो बार हाथ झटका पर तीसरी बार में वो सहन ना कर पाई...ताहिरा ने हाथ इर्द गिर्द फैला लिए आदम उसकी चुचियो की तेल से मालिश करने लगा

एक चुचि को दोनो हाथो से मालिश करना पड़ रहा था...छाती उपर नीचे हो रही थी ताहिरा का गला सुख चुका था....आदम ने काफ़ी देर तक वैसी मालिश की....अचानक दरवाजे पे दस्तक होने लगी "क्या रे ताहिरा ताहिरा माँ? दरवाजा तो खोल बंद क्यूँ कर रखा है सो रही है क्या अर्रे ताहिरा?"......आदम और ताहिरा मौसी सकपका गये

उसने जल्दी जल्दी अपनी नाइटी को ठीक किया और आदम को लगभग दाँत पे दाँत रखके बोली जल्दी से पॅंट पहनने को....आदम ने जल्दी से अपना कच्छा पहन लिया और पॅंट भी जैसे तैसे पहन ली नतीजन ज़िप और बटन लगाना भूल गया

ताहिरा ने खुद की साँसों पे काबू पाया..अभी जो कुछ होने जा रहा था वो आगे बढ़ भी सकता था...शायद चुदाई तक पहूचके ताहिरा आदम को रोक देती...पर उसी वक़्त ना जाने कौन आ मरी थी?
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12-09-2019, 12:55 PM,
#16
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
दरवाजा खुलते ही आदम और ताहिरा को बंद कमरे में देख वो औरत थोड़ा अस्चर्य चकित हुई...लगभग 62 की उमर थी पुरानी सी साड़ी पहन रखी थी....देखके ही लग रहा था घरो पर काम करती होगी ग्राम क्षेत्र की थी फिगर उसका चर्बिदार शरीर...चुचियाँ जैसे ब्लाउस फाड़के लटक जाए...गोल गहरी नाभि जिसके नीचे से थोड़ा पेट उठा हुआ था...भारी उचे नितंब थे वजन लगभग 76 किलो तो होगा अढेढ़ उमर की औरत थी नाम था सुधिया....सुधिया काकी जो ताहिरा मौसी के घर आना जाना करती थी....जिसके बारे में ताहिरा मौसी ने पहले बताया था

ताहिरा मौसी उसको देखके सकपकाई ज़रूर पर उसकी घबराहट गायब हुई....

सुधिया काकी : तू बंद कमरे में क्या कर रही थी और ये लड़का कौन है?

मौसी : ये मेरी बहन अंजुम का बेटा मेरा भांजा

सुधिया : ओह अच्छा बेटा कैसा है तू? तेरी मौसी तेरे बारे में बड़ी बात करती रहती है तेरी माँ ठीक है?

आदम : हां काकी जी

मौसी : वो दरअसल ये मेरी मालिश कर रहा था

ये सुनके आदम थोड़ा सा चौंक ज़रूर गया...पर सुधिया काकी मुस्कुराइ जैसे उसे कमरे के अंदर क्या चल रहा था इस बात की भनक जैसी लग गयी हो...पर उसे कोई ज़्यादा हैरानी नही हुई..सॉफ ज़ाहिर था खेली खाई औरत थी कुछ कुछ समझ रही थी...

ताहिरा मौसी : अर्रे सुधिया काकी लेकिन आप इतनी जल्दी कैसे आ गयी? आप तो शाम को आने वाली थी ना

सुधिया काकी : गाओं गयी थी ना तो सोचा जल्दी से टाउन आ जाउ फोन आने लगे थे बर्तन कपड़े धोना था चार घर का 2 दिन से छुट्टी कर रखी थी सोचा जल्दी ही आ जाउ

ताहिरा मौसी : ये तो आपने ठीक किया (ताहिरा अब भी हाँफ रही थी उसका पूरा बदन काँप रहा था चेहरा लाल सा था उसकी हालत को सुधिया काकी ने नोटीस कर लिया और वो आदम को भी देखने लगी मेरे जीन्स के बटन और ज़िप खुली देखके वो मुस्कुराइ जिसे भाँपते ही आदम जल्दी जल्दी ज़िप लगाने लगा)

सुधिया काकी : वाह लगता है भानजे ने मालिश अच्छी की पर ताहिरा कम से कम अंदर कुछ पहन तो लिया कर

ताहिरा मौसी को समझ में आते ही वो हड़बड़ा सी गयी उसकी ज़ुबान लरखड़ाने लगी....सुधिया काकी को उसकी नाइटी के बाहर से चुचियो के सख़्त कठोर निपल्स सॉफ दिख रहे थे....

ताहिरा मौसी : ह..हां क्या कर..ए ? वो रात को बड़ी गर्मी लगती है ना इसलिए सिर्फ़ नाइटी पहन लेती हूँ

सुधिया काकी : हाहाहा मुझसे ना छुपा तेरा पति भी इस उमर में भी बड़ा थर्कि है मधमेय का रोगी है पर अब भी खड़ा हो जाता है उसका (मौसी के गाल शरम से लाल हो गये और सुधिया के लफ़्ज़ों ने आदम का लंड और खड़ा करवा दिया)

ताहिरा मौसी : काकी आदम सुन रहा है क्या सोचेगा आप भी ना ?

सुधिया काकी : अर्रे ये क्या सोचेगा? ये तो नया नया जवान हुआ है क्या मर्द औरत के बीच का रिश्ता जानता नही होगा...लेकिन तुझे शरम आनी चाहिए कि कम से कम पीछे दीवार की छोटी सी खिड़की तो बंद करके मालिश करवाती

ताहिरा और आदम अचंभित होके एकदुसरे का मुँह देखने लगे.....यानी चोरी पकड़ी जा चुकी थी....आदम जनता था सुधिया काकी से कुछ छुपा नही है

सुधिया काकी : इतना घबराने या डरने की ज़रूरत नही तुम दोनो को मुझे आजतक लगता आया है कि इस खेल में सिर्फ़ मैं ही खिलाडन हूँ पर यहाँ तो ताहिरा तू भी खिलाड़ी बनी बैठी है अपने ही भानजे के साथ

ताहिरा : नही नही वो बस क्या बोलूं


सुधिया काकी : अर्रे तो छुपाना कैसा वो भी सुधिया से मैं क्या पराई हूँ? तू भी औरत है और मैं भी


ताहिरा : इसका मतलब आप भी अपने परिवार में किसी से


सुधिया काकी : किसी भानजे या भतीजे से नही अपने बेटे रामदीन से


ताहिरा : क्या रामदीन? (एकाएक ताहिरा मासी का मुँह खुला का खुला रह गया यानी कि अब तक उन्हें भी सुधिया काकी किससे फसि हुई है ये मालूम था नही)

अड़ेढ़ उमर की थी ज़रूर लेकिन लगता है भोसड़ी में अब भी खुजली बरक़रार थी जो सहावत वो अपने बेटे से पूरी कर रही थी...उसका बेटा रामदीन कोई 23 साल का लौंडा था जो शहर में काम करता था और 15 15 दिन घर बैठा रहता था....बाप रिकक्षावाला था 2 साल पहले मर गया उन्ही दो सालो के अंदर रामदीन सुधिया काकी यानी अपनी माँ को चोदने लगा था...इसमें पहल माँ ने ही कर दी थी


आख़िर उसे चूत की इतनी खुजली थी कि मिटाने वाला कोई था नही...हालाँकि चुदक्कड किसम की औरत थी और उसके काई नाजायेज़ रिश्ते रहे थे पर 1 राउंड के बाद कोई उसकी बुर में लंड नही डालता था क्यूंकी साली मर्दो को इस उमर में भी थका देती थी और शायद बुढ़िया होने की वजह भी कहीं थी....रामदीन को एकदिन माँ ने रंगे हाथो एक रंडी को खेतो में चोद्ता देख लिया...जिसके बाद दोनो माँ बेटों में कुछ दिन तक झगड़ा बरक़रार रहा...लेकिन बेटे ने सॉफ कह दिया मुझे शादी नही करनी बस ऐसे ही औरतों के साथ संबंध बनाने है अब तू किसी से भी बनवा....सुधिया बेशरम औरत थी बेटे के लिंग को उसने देखा था कितना मोटा और लंबा था उसे डर लगा कहीं ग़लत इरादा करके वो घर छोड़ ना दे जिससे कि वो सड़क पे आ जाए और उसने फ़ैसला करते हुए अपने बेटे के सामने नंगी पेश हो गयी....शुरू शुरू में बेटे को थोड़ा अज़ीब लगा पर अब काम से फारिग होके वो अपनी हसरत माँ के साथ घर की चार दीवारी में उसकी चूत गान्ड की चुदाई करके निकालता था

ताहिरा और आदम का डर गायब हो गया और वो निसचिंत हुए कि चलो उनकी चोरी किसी की आँखो में नही आई ....सुधिया ताहिरा को मशवरा देने लगी और उसे और प्रोत्साहन करने लगी कि वो आदम को ढंग से चुदाई करना सिखाए तभी उसे पूरा मज़ा मिलेगा....ताहिरा आदम के सामने बेशर्मो की तरह सुन रही थी आदम का लिंग अपनी औकात में खड़ा था


सुधिया : पीछे की गली बंद ज़रूर है पर कभी कभी कोई ना कोई गुज़र जाता है तेरी पीछे की खिड़की खुली थी और मैं तफ़सील करना चाह रही थी कि तू घर में है कि नही बस जैसे ही खिड़की से देखा तो तेरा ये भांजा तेरी पीठ की मालिश करते हुए तेरी गान्ड में अपना मोटा लिंग रगड़ने लगा था....उसके बाद इसने तुझे पलटा दिया और तेरी छातियो की मालिश कर ही रहा था इतने में मुझे लगा कि कोई सच में तेरे घर आ ना जाए वरना तेरी पोल तो खुल जाएगी इसलिए मैं खुद तेरे यहाँ आ गयी कब कौन आ जाए क्या पता तेरा बेटा या बहू आ जाते तो तू क्या करती? वैसे मालिश तो तेरा भांजा अच्छे से करता है मैने गौर किया है


आदम का चेहरा लाल हो गया उनकी बातों से


ताहिरा : ह्म पर आपने अच्छा किया दरअसल मैं और यह इतने ज़्यादा बहेक गये कि वक़्त और जगह देखा ही नही

सुधिया : चल कोई बात नही पर मुझे खुशी है कि तेरे पीछे कोई तो है अब


ताहिरा का मुँह लाल हो गया शरम से वो आदम से जैसे नज़र चुराने लगी ...फिर आदम ने ही बात छेड़ी और सुधिया काकी को अपनी समस्या बताई...ताहिरा भी आदम की बीमारी उन्हें बताने लगी सुधिया काकी कुछ देर सुनके काफ़ी गंभीर चुपचाप खड़ी रही

सुधिया : ह्म समस्या है पर गंभीर नही सुधिया किस मर्ज़ की दवा है इसके लिए आदम तुम्हें एक दवा खानी होगी और अपने लिंग की मालिश भी


आदम : क्या मालिश?


सुधिया : हां एक बार औज़ार दिखाना

आदम शर्मा गया और ताहिरा मौसी की ओर देखने लगा...."अब शरमाना कैसा? सुधिया काकी सबकुछ जान चुकी है चल तुझे डर है तो अंदर के कमरे में सुधिया काकी को दिखा दे....आदम ने हामी भरी और तीनो कमरे में आए
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12-09-2019, 12:55 PM,
#17
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम ने झट से अपनी जीन्स और कच्छा नीचे टाँगों तक उतार दिया...ठीक उसी पल ताहिरा और सुधिया काकी के सामने आदम का लंड फूँकारे मारते हुए उत्तेजना में खड़ा सलामी देने लगा....

सुधिया : ह्म ये तो पूरा अपनी औकात पे खड़ा है (सुधिया काकी के मज़बूत हाथो ने मेरे लिंग को जो पकड़ा तो मेरे पूरे शरीर में सनसनी दौड़ गयी)

सुधिया : अभी पानी नही निकाला इसलिए एकदम लोहे जैसा सख़्त हो रखा है...ह्म इलाज हो जाएगा इसका मुझे आज का वक़्त दे (काकी ने मेरे लिंग को मुट्ठी में कस्के इधर उधर घुमाके बड़े गौर से देखा)

"1 महीने की मालिश में ही इसका और भी लंबा और मोटा हो जाएगा और छूटने पे काबू पाने लगेगा जिससे ये लंबी चुदाई करेगा और औरतों को संतुष्ट भी कर सकेगा".......ताहिरा की आँखो में चमक सी आई वो मुझे देखके मुस्कुराइ

ताहिरा : तब तो जल्द से जल्द इलाज शुरू कर दो


सुधिया : लेकिन ये इलाज मुझे ही करना होगा क्यूंकी मेरे हाथ सख़्त है और तुझे भी शरीक होना होगा पर याद रहे इस 1 महीनो के अंदर आदम तुम्हें किसी के साथ यौन संबंध नही बनाना वो मालिश की औषधि मैं एक वैद से ले आउन्गि इसकी मालिश मैं खुद करूँगी


आदम : तो कितना देना होगा?

सुधिया : हट पगोल पैसा क्यूँ देगा तू? ताहिरा का भांजा मतलब मेरा भी ख़ास कोई पैसे वैसे देने की ज़रूरत नही मैं दवाई कल लाके ताहिरा को दूँगी तुम मौसी के पास आके ले लेना बाकी रही मालिश की तो मुझे यहीं करना होगा

ताहिरा : यहाँ नही कल तो रविवार है


सुधिया : तो जगह मुक़र्रर कर


आदम : अर्रे आप लोग चिंता क्यूँ करते है? मैं अकेले रहता हूँ कोई साथ में नही है आप लोग मेरे यहाँ आ जाइएगा मैं आपको घर तक का किराया दे दूँगा प्ल्स ना मत कीजिए बस इलाज जल्द से जल्द करवा दीजिए

ताहिरा : हां काकी


सुधिया : तो ठीक है कल मैं और ताहिरा तुम्हारे घर आके वही से तुम्हारी मालिश शुरू कर देंगे पर ध्यान रहे कोई हम तीन के अलावा ना हो

आदम : उसकी फिकर ना कीजिए मेरे अलावा और आप लोगो के अलावा कोई नही होगा


इरादा तय हो गया....सुधिया काकी और कुछ देर तक बात करके हमसे फिर चली गयी जाते जाते मुस्कुरा के कह गयी अधूरा काम जल्दी निपटा लो मौसी और मैं शर्मा गये....ताहिरा मासी लेट हो रही थी इसलिए वो मुझे झूठा गुस्सा दिखाते हुए कपड़े धोने गुसलखाने चली गई....अभी मौसा या किसी के आने का वक़्त नही था...मैं बहुत एग्ज़ाइटेड था कि ताहिरा मौसी ने मेरे इलाज का इंतज़ाम कर दिया है और ताहिरा मौसी भी रोमांचित थी मेरे इलाज से मेरे मोटे लंबे लिंग को लेने की चाहत उनमें भी कहीं ना कहीं थी

जो अधूरा रह गया था उसे पूरा करने दिया जाए सोचके मैने कमरा ठीक से बंद किया और गुसलखाने पे दस्तक देने लगा.....मौसी नहाने की तय्यारी कर रही थी..."अर्रे कौन है?".....मौसी ज़ोर से बोली


आदम : मौसी दरवाजा खोलो ना

मौसी : आदम बाज आजा तू इतना बेशरम हो गया है सुधिया काकी ने देख लिया अब भी जी नही भरा तेरा

आदम : वोई तो जी नही भरा मेरा

मौसी : हाए अल्लाह तू तो तेरे मौसा से भी ज़्यादा थर्कि है रुक तेरी शादी करवानी पड़ेगी

आदम : मौसी अभी हाथ में टाइम है खोल दो ना


मौसी : नही बाबा मुझे नहा लेने दे फिर कभी


आदम : प्लज़्ज़्ज़ ना मौसी एक बार बस एक बार प्लज़्ज़्ज़

काफ़ी उकसाने समझाने के बाद लोहे का दरवाजा हल्का सा खुला मैने झट से दरवाजा आधा खोला और अंदर दाखिल होके फटाक से कुण्डी लगा दी....मौसी हड़बड़ा के उठ गयी उनके पूरे बदन पे साबुन लगा हुआ था और फर्श पे कपड़े थे जो अब भी धो रही थी....मैने अपने कपड़े जैसे तैसे उतारे और कच्छा भी उतार लिया....मेरा फन्फनाता लंड देखके मौसी की आँखे बड़ी बड़ी हो गयी

मौसी : देख कितना काम पड़ा है अब तक तो मैं निपट भी जाती

आदम : अच्छा लाओ मैं मदद कर देता हूँ


मौसी की नही सुनी और सीधे कपड़ों को निचोड़ने लगा हम दोनो झुके हुए थे इसलिए ताहिरा मौसी के झुकने से उसकी झूलती साबुन लगी चिकनी छातियो को मैं घूर्रने लगा...एक को हाथ में लेके दबा सा दिया तो मौसी के मुँह से आआहह फुट पड़ी...

कपड़े निचोड़के धो देने के बाद मैने मौसी को अपनी बाहों में खेंच लिया उसकी कमर में हाथ लपेटे हुए उसके हाथो में अपना लंड दे दिया...वो मेरे मोटे लंड को आगे पीछे करके हिलाने लगी....पास में मग था जिससे मैं उनके शरीर पे और अपने शरीर पे पानी डालने लगा....मौसी की टाँगों के बीच काफ़ी झान्टे उगी हुई थी और कांख में भी बाल थे जो शायद कयि महीनो से सॉफ नही की थी मौसी
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12-09-2019, 12:56 PM,
#18
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैं उनके कांख के बाल पे हाथ फेरने लगा और फिर अपना लिंग उन्हें सहलाने को बोला....उन्होने लंड को सहलाया और उसे बड़े गौर से देखने लगी...

ताहिरा : वाक़ई तेरा लंड मोटा है सस्स कितना कठोर है?

आदम : मुँह में लेके देखो

ताहिरा : छी घिन आती है

आदम : अच्छा मौसा जी का भी तो चुस्ती होगी तुम

ताहिरा मौसी का जवाब ना पाके मैं समझ चुका था....मैं उनके चेहरे पे आगे बढ़के लिंग का दबाव देने लगा...तो उन्होने अपने चेहरे से लिंग हटाते हुए अपने मुँह में ले लिया और दो-तीन बार बड़े प्यार से चुस्के मुँह से बाहर निकाल दिया जैसे उनसे हो नही पा रहा हो पर मैने सख्ती से उनके बाल पकड़े और उनके मुँह में अपना लंड घुसा दिया...वो फिर से मेरे लंड को उगलने लगी पर मैं डटा रहा और उनके बाल नही छोड़े पूरा जड़ तक हलक में घुसा दिया वो अओउूउ अओउू करने लगी उनकी आँखे बाहर को आ गयी फिर मैने लिंग को उनके मुँह से निकाला वो ख़ासने लगी और फिर मुँह से थूक फैक्ते हुए मेरे लिंग को दुबारा चूसा....इस बार बड़े प्यार से कुछ देर चुसवाने के बाद मैने अंडकोष के नीचे उनका मुँह लाया वो मेरे टट्टो को चाटने लगी उसमें अपना चेहरा रगड़ने लगी...वो किसी पेशेवर रांड़ की तरह दिख रही थी


फिर उसके मुँह में लंड दिया उसने फिर चूसा...उसके बाद मेरे लंड पे ढेर सारा थूक लगा दिया....मेरे गीले लंड को उसने हाथो में लिए दबोचा...मैने उन्हें उठाया और उनके चेहरे को पकड़के स्मूच करने लगा...हम दोनो एकदुसरे के होंठो को चुस्सते रहे....एक अज़ीब सा सुख प्राप्त हो रहा था जैसे हमे एकदुसरे की ज़ुबान और होंठो को चूस्ते हुए मज़ा आ रहा था ..उनके मुँह से आती गरम हवा मुझे अपने मुँह में महसूस हो रही थी...

फिर हमने होंठ अलग किए मौसी अब तक चुदने को तय्यार हो चुकी थी आँखें लाल हो चुकी थी...मैने उन्हें वोई गुसलखाने में लेटा दिया और उनकी टाँगों को अपनी कमर में इर्द गिर्द लपेट दिया अपने लिंग को उनकी चूत में अड्जस्ट करने लगा....उनकी झान्टो के बालों में लिंग को रगड़ते हुए चूत के मुँह पे लंड रखा और धक्का दिया....लंड अंदर फ़च से घुस्स गया मौसी की चूत ने मेरा लंड खा लिया

आदम : ओह्ह क्या गरम भट्टी है? सस्शह उफ़फ्फ़


मौसी : उफ़फ्फ़ आहह मार धक्के इस्सह आदम (वो मुझे अपनी नंगी छातियो से लगाने लगी उनकी खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी)

मैं नीचे से धक्के पेलने लगा..उफ्फ उनकी चूत काफ़ी रसभरी और गरम थी अंदर से...हर धक्के में मुझे पूरी ताक़त लगानी पड़ती अपनी कुल्हो में....मेरे चूतड़ आगे पीछे हो रहे थे और वो बुरी तरह छटपटा रही थी सर इधर उधर मार रही थी...मैं 5 धक्के ही लगाया होउंगा कि मेरा छूटने के कगार पे पहुच गया मैं कुछ देर शांत रहा तो एक जलन का अहसास हुआ चूत की गिरफ़्त में मेरा लंड था

और मौसी ने बड़े कस्के मेरे लंड को दबोच लिया था...फिर उन्होने अपनी पकड़ ढीली छोड़ी और खुद नीचे से लंड को भीतर से रगड़ने लगी चूत से...मैं उनकी चुचियो को चुस्सने लगा उन्हें शांत करने लगा...लेकिन वो मुझे चोदने के लिए उकसा रही थी

ताहिरा : और कर ना ?

आदम : मौसी निकल जाएगा

ताहिरा : आदम कर कुछ नही होगा


मैं फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा इस बार संयम से...अब तक मेरा लिंग छोटा पड़ गया था....मेरे धक्के मारते ही मुझे कुछ गरम गरम अहसास हुआ ताहिरा मौसी झढ़ चुकी थी वो आँखें मुन्दे सी पड़ी थी बस मुँह से ओह्ह्ह ओह्ह्ह आहह उम्म्म की आवाज़ें आ रही थी...कुछ धक्को बाद मैने चूत से लंड को पूरी ताक़त से बाहर खींचा और उसके बाद उनकी चूत की फांकों को देखने लगा जो बैगनी रंग की थी...उनकी चूत के दाने को मुँह में भरके तीन उंगली चूत में करने लगा..मौसी को मज़ा आ रहा था

उन्होने अपनी टाँगें चौड़ी कर ली...मैं उंगली तेज़ी से करने लगा...उसके बाद मैने तीन उंगली जब बाहर निकाली तो वो मौसी के रस से भीगी हुई थी एक को जब मुँह में लिया तो उसका स्वाद नमकीन सा था...मैने मौसी को हाथ देके खड़ा किया और उन्हें घोड़ी बनाया अब उनकी गान्ड की फांकों के बीच में था मेरा लंड मैं उनकी गान्ड मारना चाह रहा था...

ताहिरा : नही गान्ड नही वो मत मार ससस्स बहुत दिनो से नही मारी इसलिए टाइट हो गयी है


आदम : मैं उंगली करके चौड़ा कर देता हूँ

ताहिरा : नही नही तू चूत मार ले


आदम : अर्रे कुछ नही होगा थोड़ा घुसा लेने दो दर्द ख़तम हो जाएगा

ताहिरा : ठीक है जल्दी कर

मैने पूरी ताक़त से उनकी गान्ड को चौड़ा किया और अपने लंड पे और उनकी गान्ड के छेद पे ढेर सारा थूक डालके उसमें उंगली करके गीला कर दिया अब मैं लंड को उनके छेद में आहिस्ते आहिस्ते फिराते हुए घुसाने लगा जैसे काफ़ी मुस्किलो बाद सुपाडा अंदर दाखिल ही हुआ था तो मौसी ने अपने मुँह पे हाथ रख लिया....इतने में बाहर से मौसा की आवाज़ सुनाई दी....वो घर की कुण्डी लगी देख बाथरूंम में आवाज़ लगा रहे थे

मौसा : क्या री? बिशल की माँ अंदर हो क्या?

ताहिरा और मैं फिर एक बार हड़बड़ाये...ताहिरा मौसी को मैने इशारा करते हुए कहा कि जवाब दे ताहिरा मौसी ने डरते हुए जवाब दिया कि वो नहा रही है 10 मिनट लगेगा....मौसा ने कोई जवाब नही दिया बस इतना बोले कि उन्हें ज़ोरो की भूक लगी है इतना कह कर वो पास के कमरे में दाखिल हो गये थॅंक गॉड साथ में कोई कपड़ा नही लाया था वरना पूछते कि कौन आया हुआ है? और कहाँ है?....ताहिरा ख़ौफ्फ भरी निगाहो से मेरी ओर देखने लगी....मैने उन्हें फिर घोड़ी बनाके झुकाया और उनके नितंबो के बीच के छेद में फँसे मेरे लंड पे पूरा दबाव देने लगा


धीरे धीरे लिंग अंदर घुस्सने लगा और आधा लिंग जैसे अंदर गया वो तड़पने लगी...मैं वैसे ही धक्के पेलने लगा...वो हल्की हल्की आहें भर रही थी...मौसा को मालूम नही कि गुसलखाने मे उनकी बीवी अपने भानजे से चुद रही है इधर मौसी की गान्ड में आधा लिंग घुसाए मैं उनकी चुदाई कर रहा था

अब मेरा सबर का बाँध टूटने लगा और मैने मौसी की खरबूजे जैसी चुचियो को कस कस्स्के दबोचते हुए मुट्ठी कस्स ली और ठीक उसी पल मेरे लिंग ने बेतहाशा पानी छोड़ा जो उनकी गान्ड को गीली करते हुए अंदर दाखिल हो रहा था....उनका पूरा बदन काँप उठा फिर झड़ने के बाद मैं किसी सांड़ की तरह उनके उपर से उतर गया उनके गान्ड के छेद से लिंग बाहर को हल्के से निकाला जो अंदर की गंदगी और मेरे वीर्य से लथपथ था और फिर उनकी गान्ड के छेद की तरफ देखा जो खुल रहा था सिकुड रहा था...और मेरा वीर्य उगल रहा था छेद से लेके चूत के हिस्से तक मेरा गाढ़ा सफेद वीर्य बह रहा था...और फर्श पे टपक भी रहा था..

मौसी उठ खड़ी हुई फिर हम दोनो साथ में नहाए और उसने रास्ता देखके के जैसे तैसे मुझे बाहर जाने का इशारा किया मैं बाहर निकलके दबे पाओ गली से बाहर हो लिया उसके एक चक्कर बाद जब वापिस आया तो सीधे कमरे में आया मौसा से मिला....वो मुझसे गले लगे..कुछ देर बाद मौसी पीले रंग की नाइटी पहन के अंदर आई मुझे देखके शरमाने लगी....रात तक मैं रुका था

रूपाली भी आई जिसे देखके मेरे दिल की धड़कन फिर तेज़ हो गयी लेकिन उसके पति के आते ही कुछ देर हम साथ रात के खाने के वक़्त बैठे गपशप किए लेकिन उसके बाद रूपाली अपने पति के साथ उठके रूम में चली गयी...रात में मौसी के साथ फिर कोई चुदाई का प्रोग्राम नही बना क्यूंकी मौसा और मौसी भी अपने कमरे में जा चुके थे

रात को साथ मे परिवार के साथ भोजन करने का अलग आनंद था…रूपाली से इस बीच काफ़ी बात चीत करने का मन बना हालाँकि उसके पति के सामने इतना कुछ सवालात तो कर ना सका पर खातिरदारी में मौसी और रूपाली ने कोई कसर नही छोड़ी थी और मौसा और भाई से मिलके भी अच्छा महसूस हो रहा था…

लेकिन पूरी रात नींद नही आ रही थी मुझे....आज भीषण चुदाई जो की थी ताहिरा मौसी की उफ्फ अब भी आँखो में उनकी सिकुद्ती खुलती गान्ड के छेद से निकलता मेरा वीर्य दिख रहा था...कैसे गुसलखाने में ही उनकी मस्त चुदाई की थी...अभी सोच की कशमकश में डूबा सा था..कि एक शैतानी हरकत सूझी
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12-09-2019, 12:56 PM,
#19
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
बरामदे से ठीक दूसरे कोने वाले कमरे में मैं सो रहा था जो कि अक्सर गेस्ट के लिए ही खाली पड़ा रहा करता था...पर अक्सर झड़प मिया बीवी के बीच होते ही बिशल या तो मौसा जी यही आके सो जाया करते थे पर आज मैं कमरे में अकेला था...सुबह का 1 बज चुका था...दूर कहीं किसी काली के मंदिर मे धन्न धन्न की आवाज़ सुनाई दे रही थी शायद यहाँ रात्रि पूजा होती है

मैं उठके पानी पीने के लिए बाहर बरामदे में आया...फ्रिड्ज से पानी की बोतल निकालके गटागट पाँच घूँट मारें और फिर मूतने के लिए गुसलखाने में घुस गया...अचानक मूत ते वक़्त रूपाली का ख्याल आ गया उफ्फ बिशल उसे बड़ी जल्दी कमरे में ले गया था...वो भी माँ बाप के सामने बेशर्मी से क्या वो लोग अब भी चुदाई कर रहे होंगे? पर इतनी देर मे चुदाई का भूत उसके सर से उठ चुका होगा....क्यूँ ना एक बार झाँका जाए उनके कमरे में

सोचते ही मेरा लिंग फनफना कर खड़ा हो गया...मूतने में बड़ी दुविधा हुई... बाहर आया और अपने खड़े लिंग को पाजामे के भीतर ही अड्जस्ट करता हुआ पहले मौसा मौसी के कमरे के दरवाजे के पास आके कान लगाने लगा....अंदर से कोई आवाज़ नही आ रही थी चारो तरफ खामोशी छाई हुई थी

फिर मैं सामने वाले यानी बिशल के कमरे के नज़दीक आया उसके कमरे का दरवाजा लगा हुआ था...कान लगाके सुनने लगा पर पंखे की आवाज़ छोड़के मुझे कुछ और सुनाई ना दिया...फिर मैं चप्पल पहन कर गली से बाहर की ओर निकला वैसे तो इतनी रात गये रास्ते पे कोई चहेल पहेल नही होती फिर भी दूर दूर में कुत्तो की रोने की आवाज़ें आ रही थी....लेकिन जिसके दिमाग़ में उस वक़्त सेक्स का ही ख्याल उमड़ा हुआ हो वो इंसान जोश में अपने आस पास क्या हो रहा है इस पे ध्यान नही देता मेरी हालत बिल्कुल वैसी ही थी..

मैं बाहर आया और ठीक जहाँ से ताहिरा मौसी का घर दर्ज़ी की दुकान पे ख़तम हो जाता है उसके दरमियाँ एक खिड़की थी और मुस्किल ये थी कि वो खिड़की कोने की नाली के ठीक उपर थी...मेरी हाइट थोड़ी लंबी थी इसलिए मैं धीरे धीरे करके थोड़ा उचक के खिड़की को हल्का सा धक्का देने लगा..अचानक अंदर की रोशनी जल पड़ी और मेरी फॅट गयी

मैं दुबक के दीवार से नीचे सटा बैठा रहा...आस पास बहुतों के मकान थे कोई भी देख लेता तो चोर समझके शोर मचा देता या उसी वक़्त मुझे पकड़ लेता पर गनीमत थी सब अपने अपने घरो में बंद थे...मैने हिम्मत करके सर थोड़ा उपर उठाया तो कमरे का दृश्य दिखने लगा...अंदर नीले रंग की जॉकी का कच्छा पहने मेरा भाई पलंग पे चारो खाने चित खर्राटे भर रहा था और उसके कच्छे का उभार सामने दिख रहा था जबकि दूसरी ओर मुझे रूपाली दिखी जो अभी तक सोई हुई नही थी वो बिशल को देखते हुए आहिस्ते आहिस्ते चादर ठीक कर रही थी...पास की दराज़ के उपर अस्ट्रे में एक बुझी सिगरेट पड़ी हुई थी..और रूपाली नाइटी में हल्के पीले रंग की . काश 2 मिनट पहले आता तो उसे नंगी ज़रूर देख लेता

रूपाली और बिशल की शायद दोनो की काफ़ी देर पहले चुदाई हुई थी और इसी वजह से रूपाली को अब तक नींद नही आई हुई थी...जबकि बिशल नापकीयत में ही सो गया था...रूपाली की चाल ढाल और मुरझाया चेहरा और बिखरे बाल देखके सॉफ दिख रहा था कि बिशल ने उसे काफ़ी देर तक चोदा है हालाँकि उसकी आँखे बोझल सी ज़रूर लग रही थी

मैं तुरंत हड़बड़ाते हुए खिड़की को बिना सटाये वापिस गली से अंदर बरामदे में आया और तुरंत गुसलखाने में घुस गया मुझे वोई ठीक लगा...क्यूंकी रूपाली पेशाब करने के लिए गुसलखाने ही घुसती....मैने दरवाजा आधा सटाया और टाय्लेट की नाली के पास झूंट मूठ का बैठके ज़ोर लगाने लगा

लिंग वैसे ही एकदम खड़ा था...इतने में गुसलखाने की लाइट ऑन हुई और अचानक रूपाली ने आधा दरवाजा खोले मुझे अधनंगा पेशाब करते हुए बैठा पाया तो हड़बड़ा कर दरवाजा लगाए बाहर उतर गयी...मैं झूंट मूठ का पानी डाले बाहर आया और उससे माँफी मागने लगा

रूपाली : अर्रे तुम अभी तक सोए नही? कम से कम लाइट जला लेते मुझे लगा बाथरूम में कोई नही है

आदम : असल में मुझे लगा इस वक़्त तो सब सो रहे है और मैं थोड़ा नींद में था ध्यान नही दिया

रूपाली : हाहाहा कोई बात नही (उसके चेहरे पे सॉफ उत्तेजना देखी थी मैने शायद उसने मेरे लंड को पूरी तरीके से देख लिया)

वो उस वक़्त बिना ज़्यादा कुछ कहे मुस्कुराए गुसलखाने में चली गयी कुछ देर में ही मुझे उसके पेशाब करने की आवाज़ सुनाई दी...शायद उसकी चुत ने मोटी धार पेशाब की अपने छेद से बहाना शुरू किया था...लेकिन किस्मत खराब मैं उसे नंगी देख नही पाया क्यूंकी दरवाजा लोहे का था और उसमें कोई छेद नही था...

मैं अपने कमरे में आ गया ताकि उसे ये ना लगे कि मैं जानभुज्के बाहर अब भी उसके इन्तिजार में खड़ा हूँ छोटे टाउन की लड़की है ना जाने क्या उसके मन में विचार आए? मैं जल्दी से कमरे में आ गया दरवाजा हल्का सटा दिया और अपने सारे कपड़े उतारके चादर ओढ़ ली..मुझे गुसलखाने के दरवाजे के खुलने की आवाज़ सुनाई दी फिर बंद होने की फिर लाइट ऑफ करने की फिर बगल वाले कमरे का दरवाजा ज़ोर से लगाए जाने की....मैं चाहता तो आगे क्या हुआ फिर खिड़की से झाँक के देख सकता था...पर आँखे जल रही थी और मुझे कल सुबह जल्दी उठना था इसलिए मैं सो गया

अगले दिन प्रोग्राम में साला थोड़ी बाधा पड़ गयी....भारी भीषण बरसात शुरू हो गयी...सुधिया काकी थोड़ा दूर से आती थी इसलिए ताहिरा मौसी ने सुबह सुबह नाश्ते में ये जता दिया था कि शायद आज प्रोग्राम कॅन्सल हो सकता है....मैने उन्हें कहा कि मैं थोड़ा घर होके आ जाता हूँ एक बार चक्कर भी लगा लूँगा पहले तो ताहिरा मौसी ने मना किया फिर वो राज़ी हो गयी
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12-09-2019, 12:57 PM,
#20
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अगले दिन प्रोग्राम में साला थोड़ी बाधा पड़ गयी....भारी भीषण बरसात शुरू हो गयी...सुधिया काकी थोड़ा दूर से आती थी इसलिए ताहिरा मौसी ने सुबह सुबह नाश्ते में ये जता दिया था कि शायद आज प्रोग्राम कॅन्सल हो सकता है....मैने उन्हें कहा कि मैं थोड़ा घर होके आ जाता हूँ एक बार चक्कर भी लगा लूँगा पहले तो ताहिरा मौसी ने मना किया फिर वो राज़ी हो गयी

मैं जैसे तैसे भीगते भागते मेन रोड से थ्री वीलर लेके अपने घर पहुचा कपड़े बदले और सुधिया काकी का नंबर जो मौसी से हासिल किया था ऐसे पूछ ताछ के लिए सो उस पर एक रिंग मार दी....तुरंत सुधिया काकी ने फोन उठा लिया

सुधिया : हेलो?

आदम : हां काकी मैं बोल रहा हूँ आदम मुझे लगा थोड़ा पड़ताल कर लूँ आज सुबह से ही बरसात थमने का नाम नही ले रही तो मैं पूछना चाह रहा था आप आ पाओगि

सुधिया : ओह हां बेटा अच्छा ताहिरा ने मेरा नंबर दे दिया चलो ये अच्छा किया उसने अर्रे का बताए बेटा सच में आज तो हद हो गयी...लेकिन तुम फिकर मत करो दोपहर तक बारिश थम जाएगी ताहिरा भी तुम्हारे घर साथ चली आई क्या?

आदम : नही नही मैं अकेला आया हूँ

सुधिया : ठीक तो है पर मुस्किल ये है कि वैद का दवाखाना यहाँ से दूर है कल हम थक गये तो रात को जा ना सके

आदम : ओह्ह तो एक काम कीजिए आप मुझसे मिल लीजिए हम दोनो साथ में वैद के यहाँ चलते है

सुधिया : पर वो थोड़ा ग्रामीण क्षेत्र में है रास्ता थोड़ा कीचड़ भरा होगा और आज तो मुसलसल बारिश भी हुई है

आदम : काकी मैं चाहता हूँ कि मेरा इलाज जल्द से जल्द हो जाए मैं अपना दिन बर्बाद नही करना चाह रहा क्या पता इस बीच दिल्ली जाने का प्रोग्राम बन जाए

सुधिया : ओह हो ठीक है तुम एक काम करो 12 बजे तक अगर बारिश थम जाती है तो एक बार कॉल कर लेना मैं तुम्हें लाल बत्ती चौक पे मिल जाउन्गी जो टाउन और ग्राम की ओर रास्ता जाता है

आदम : ठीक है काकी

मैने फोन रख दिया और एक बार ताहिरा मासी से बात कर ली...ताहिरा मौसी ने कहा कि आज बरसात बहुत हुई है तो रहने दे पर मैं ज़िद्द में अड़ा रहा तो मौसी ने कुछ और नही कहा...खैर जल्द ही बरसात थम गयी बदल छांट गये और हल्की हल्की धूप निकल गयी दोपहर होते होते...मैने फ़ौरन काकी को फोन किया और घर से निकलते ही एक ऑटो पकड़ ली उसे ज़्यादा पैसो का लालच दिया तो वो ग्राम क्षेत्र तक जाने को मान गया...मैने लाल बत्ती चौक के पास मोर पे सुधिया काकी को खड़ा पाया और वो मेरे बगल में बैठ गयी

उसकी साड़ी पे थोड़ा बहुत कीचड़ लगा हुआ था..हम दोनो पूरे रास्ते बात करते रहे..पानी घुटनो तक था इसलिए ऑटो को ग्रामीण क्षेत्र तक पहुचने में थोड़ी मुस्किले हुई....उसके बाद हम उसी कीचड़ भरे रास्ते में आहिस्ते आहिस्ते दवाखाने तक पहुचे...दवाखाना वैद जी का घर था इसलिए शटर पे दो बार दस्तक देते ही....एक औरत ने दरवाजा खोला....सुधिया काकी बात करने लगी उससे फिर अंदर आए...एक कमरे में बहुत सी जड़ीबूटिया और दवाये और कुछ पूडिया और कुछ शीशो में काग़ज़ से धकि रखी हुई थी और ठीक उसके बीच एक साधु जैसा बुज़ुर्ग लगभग 64 साल की उमर का आदमी बैठा हुआ था गद्दी पे उसके छाती में बहुत सफेद बाल थे और उसका पूरा बदन बालों से जैसे ढका हुआ था सर के बाल भी काफ़ी लंबे लंबे थे उसने बस एक मैली सी लूँगी पहनी हुई थी उसने एक बार अपनी दृष्टि से हमारी ओर देखा और बैठने का इशारा किया

सुधिया काकी उससे कुछ देर बात करने लगी....बातों के बीच उसने मेरी समस्या को बड़े ध्यान से सुनते हुए मेरी तरफ देखा..फिर सुधिया काकी को चुप रहने का इशारा किया

वैद : ह्म समस्या इतनी बड़ी नही है इसका समाधान है लेकिन बेटे तुम्हें कुछ परहेज करने होंगे

आदम : ठीक है मैं तय्यार हूँ आप मुझे बस ठीक कर दीजिए

वैद ने अपनी एक दराज़ से एक शीशे का जार निकाला जिसमें शायद 500 ग्राम का कुछ घी जैसा पदार्थ था और फिर मेरी तरफ रखा फिर उसने मुझे कॅप्सुल की तरह दवाई दी

वैद : इसका सेवन तुम्हें दिन में एक ही बार करना है और साथ साथ इस पुराने गाय के घी की मालिश भी इसमें कुछ ऐसी जड़ीबूटिया मिलाई गयी है जिससे तुम्हारी नसों का ढीलापन ठीक हो जाएगा और तुम्हारा वीर्य जल्दी निकलेगा नही चाहे तुम जितनी भी औरत के उपर सवार हो जाओ लेकिन याद रहे 1 महीने तक कोई संभोग नही (पहले तो मुझे हँसी आई मन ही मन पर फिर मैं उनकी बात गौर से सुनने लगा)

वैद : लेकिन लिंग की मालिश तुम्हें औरत से ही करवानी है

आदम : लेकिन मैं कुँवारा हूँ

वैद : ये ज़रूरी है क्यूंकी जिस तरह पुरुष के हाथो की मालिश से औरतों की छातिया बढ़ती है उसी तरह पुरुष के लिंग को औरत के हाथो की मालिश चाहिए होती है क्यूंकी मर्दो के हाथ सख़्त होते है और औरतो के हाथ थोड़े नरम याद रहे लिंग आधा तनाव में होना चाहिए और मालिश के वक़्त किसी भी औरत से मुख मैथुन ना करवाना

आदम : और ये दवाइया ?

वैद : इसका उपयोग करने से तुम्हारे वीर्य में गाडापन आ जाएगा ताकि जिस भी औरत को संतुष्ट करोगे या जिसको भी संतान के लिए चोदोगे तो उसे गर्भ ठहर जाएगा तुम्हारा लिंग कभी ढीला नही पड़ेगा आम तौर पे तुम्हारा मोटा लिंग है पर लंबा और मोटा लिंग उमर के साथ साथ झुलस जाता है और लटक जाता है जिस वजह से असंतुष्टि बन जाती है और मर्द कुछ कर नही पाता इसलिए अहेतियात ख़ान पान में और और दवाई लेने में ज़रूरी है इन चीज़ों का सेवन करके तुम्हारा लिंग इतना मोटा और लंबा हो जाएगा कि तुम एक दिन में पाँच औरत को एक साथ चोद सकोगे

मैं चुपचाप हो गया फिर सुधिया काकी उनसे कुछ देर बात करने लगी....उन्हें ऐसा लगा जैसे मुझे अब भी यकीन ना हो तो उन्होने हमारी झिझक तोड़ते हुए खुद ही उठके अपनी लूँगी खोल डाली और मेरी और सुधिया काकी की आँख फॅट गयी उनका लिंग किसी गधे के बराबर मोटा और लंबा था करीब 9 इंच का था दिखने में उन्होने बताया कि उन्होने कयि औषधि और इसी दवा का प्रयोग किया है हालाँकि उनके जैसा लिंग सिर्फ़ कुछ ही मर्दो का होता है जिसका ख़ास ख्याल रखना पड़ता है....सुधिया काकी को विश्वास नही हो रहा था कि इतने बुज़ुर्ग आदमी का इतना मोटा लंबा हथ्यार अगर मैं ना होता तो शायद उसे अपने हाथो में लेके हिलाती...पर वैद ने मुस्कुरा के अपना तना हुआ 9 इंच का लिंग लूँगी के अंदर वापिस ढकते हुए लूँगी बाँध ली

हम बाहर आए....मैं अब भी चुपचाप था....काकी ने मेरी चुप्पी तोड़ी..."देख लिया कितना हबसी की तरह मोटा और लंबा घोड़े जैसा लिंग था उनका?"...........

."हां काकी मैने तो ऐसा सिर्फ़ ब्लू फ़िल्मो में देखा है वाक़ई".......

."तू वो सब चोद और ताहिरा को कॉल लगा और अपने घर आने को बोल"........

."जी काकी".......मैने इतना कह कर ताहिरा मौसी को कॉल लगा दी....ताहिरा मौसी दोपहर के भोजन का प्रबंध कर रही थी....उन्होने कहा घरवालो को खिलाके वो आ जाएगी

2 बजते बजते सुधिया काकी और मैं मेरे घर पहुचे...कुछ देर में ही ताहिरा मौसी भी आ गयी उनके हाथ में टिफिन था....शायद मेरे हिस्से का भी खाना वो लाई थी...मुझे बेहद खुशी हुई फिर उन्होने सुधिया काकी से वैद जी के यहाँ क्या हुआ हाल पूछने लगी?.....सबकुछ सुनने के बाद उन्हें भी काफ़ी हैरानी हुई...

दोपहर के भोजन के बाद...मालिश की विधि शुरू हुई मैने पूडिया की एक दवाई दूध के साथ खा ली जैसा उन्होने कहा था....उसके बाद सुधिया काकी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए....ताहिरा मौसी ने भी बिना झिझक अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए...वो ब्रा पैंटी में खड़ी हो गयी और पास में चटाई बिछा दी...दरवाजा लगा दिया...हम तीनो के अलावा कमरे में कोई नही था

सुधिया काकी मेरा लिंग पकड़े मुझे चटाई के उपर खड़ा करते हुए ताहिरा मौसी के नंगे बदन को घूर्रने लगी...फिर उसने अपने सख़्त हाथो से मेरे लिंग को आगे पीछे करके उसे मसलना शुरू कर दिया....."अर्रे ओ ताहिरा अपनी कच्छी और ब्रा भी तो उतार डाल".........ताहिरा मौसी के ब्रा उतारते ही उनके खरबूजे जैसी चुचियाँ मेरी आँखो के सामने थी उनकी टाँगों के बीच के गुच्छेदार बाल मुझे दिखने लगे...वो मेरे लंड पे हाथ रखते हुए उस जगह को रगड़ने लगी

सुधिया काकी ने भी खड़े होके खुद को कपड़ों से आज़ाद कर दिया साड़ी ब्लाउस पेटिकोट उतरते ही वो मेरे सामने नंगी खड़ी हो गयी उनका मस्त बदन मेरे सामने पेश हो गया उनकी चुचियाँ तो तरबूज़ की तरह लटक रही थी उनके मोटे काले निपल्स भी काफ़ी कठोर थे उनके पेट से होते हुए झान्टे चूत के उपरी सिरे तक स्ट्रेच मार्क्स थे....उन्होने मेरे लंड को वैसे ही नंगी खड़ी होके मसलना शुरू कर दिया

और उसे पूरा खड़ा कर दिया...."देख रे ताहिरा इसका कितना मोटा लिंग है".....वो मेरे लिंग को हाथो से पीटने लगी उस पर थप्पड़ मारने लगी मुझे हल्का सा दर्द हुआ...फिर ताहिरा मौसी ने उन्हें वैद जी का वो घी दिया....उसे अपनी हथेलियो में लगाते हुए सुधिया काकी मेरे अंडकोष के नीचे से लेते हुए लिंग की जड़ से लेके सुपाडे तक लगाने लगी उनके हाथो की घिसाई से मेरा लिंग एकदम लाल और कठोर हो गया था...ताहिरा मौसी थूक गले से निगल रही थी कल इसी लिंग से उसकी चुदाई की थी मैने .
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