RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
"वो तोह मुझ वैसे भी मिल रही है............उसके लिए में झूठ क्यों बोलूँगा भला." राहुल सलोनी के हाथों को अपने हाथों में लेता है और उन्हें बड़े ही प्यार से चूमता है. "अब तुम्हे कैसे बातउ मम्मी तुम कितनी सुन्दर हो........यह तुम्हरी फूल सी कोमल त्वचा, तुम्हारे बदन से आती खुस्बू, तुम्हारे नाज़ुक होंठ, तुम्हारे गुलाबी गाल, ओर................" राहुल एक पल के लिए चुप हो जाता है.
"आगे आगे बोलो न........और क्या" सलोनी विस्मित थी अपने बेते के मुंह से यूँ अपनी तारीफ सुन कर वहीँ उसके मन में अजीब सी ख़ुशी थी और वो एक सुकून भी के उसका बीटा उसे सच में इतना पसंद करता है के वो अपने बेते के लिए इतनी कीमती है.
"तुमारी ऑंखे मम्मी........तुम्हरी ऑंखे कितनी सुन्दर हैं!............ और तुम्हारी नाक........कितनि सुन्दर है...और बालि डालकर तोह इतनी सुन्दर दीखती है के दिल करता है बास चूम लुण.........."
"और.......और बोलो न तुम्हे क्या अच्चा लगता है.........." सलोनी को उन लफ़्ज़ों में अदुभुत ख़ुशी के साथ साथ जबरदस्त उत्तेजना का एह्सास भी हो रहा था.
"ऊऊफफ्फ मम्मी अब मं क्या क्या बोलूं.......कैसे बोलू........तुमहारा तोह हर अंग इतना खूबसूरत है के में बता नहीं सकता..........तुमारी पतली कमर...........तुम्हरी पीथ............तुम्हरी नाभि..........उउउउउउफ्फ्फ्फ़ यह मुलायम कोमल जांघ......... .तुम्हरी ग.......उउंम्म.....तुमहारे निताम्ब...........तुमहारे दुधू..........." राहुल सलोनी के हर अंग को छूता, सहलाता उसकी तारीफ कर रहा था. खस्स कर उसके नितम्बो और मुम्मो को उसने खूब सेहला सेहला कर उनकी तारीफ की. सलोनी को उन शब्दों के साथ बेते का नरम, कोमल स्पर्श अत्यंत रोमांचक लग रहा था. उसके बदन में सनसनाहट होने लगी थी. उसकी ऑंखे बंद होती जा रही थी. "मम्मी तुम नंगी होकर कितनी सुन्दर और मस्त दीखती हो.......और आप और भी कितनी सुन्दर और मसत दीखती अगर अपने........." राहुल अचानक से रुक जाता है.
"अगर क्या? अगर क्या........" सलोनी एकदम से ऑंखे खोल अधीरता से पूछती है.
"अगर अपने अपना मंगलसुत्र पहना होता............आपके दूध जैसे गोर दूधों के बिच वो मंगलसुत्र कितना सुन्दर दीखता है.......आप कितनी मसत लगती आगर आप इस समय वो मंगलसूत्र पहनकर मेरे ऊपर यूँ ही सवारी करति.......आपका मंगलसूत्र कैसे आपके दुधु के बिच लटकता, झुलता..........कितना मसत दीखता........हये कितना मज़ा आता......सच में मम्मी....,..."
सलोनी राहुल को कुछ पल निहारती है, उसे यकीन नहीं हो रहा था के वो उसका अपना बेटा ही है.
"बदमाश.........बेशरम......लफ़ंगा कहीं का.........." सलोनी हँसति हुयी राहुल के नाक को पकड़ कर मरोड़ती है. राहुल भी हंस पढता है.
सही में मम्मी...........मंगलसूत्र पेहनो न प्लीज्..........एकदुम मस्त लगोगी जब्ब मेरा अपनी में लेकर ऊपर निचे कुदोगी और तुम्हारा मंगलसूत्र तुम्हारे दोनों दुधु के बिच नाचेगा" राहुल सलोनी से रिक्वेस्ट करता है.
"नही बिलकुल भी नाहि..........तुमहे मालूम है के मंगलसूत्र सिर्फ पति के लिए पहना जाता है......बेटे के लिए नहि........उसका मतलब होता के औरत एक मर्द के लिए रिज़र्व हो गयी है और उस पर सिर्फ उसी मर्द का अधिकार होता है जो उसे मंगलसूत्र पहनाता है........जैसे मुझ पर सिर्फ तुम्हारे पीताजी का अधिकार है............समझे..." सलोनी मुस्कारते हुए अपनी कमर गोल गोल घुमति राहुल के सिने को रगड़ाती है.
"बहाने न बनाये मम्मी............जब में भी तुम्हारी लेता हुन न..............तुम खुद मुझे देती हो........जब तुम डैडी के अलावा मुझे भी दे सकती हो .....तोः फिर मेरे सामने मंगलसूत्र पहनने से क्या हो जायेगा?"
"वूःहहहह राहुल तू भी न... पीछे ही पढ़ जाता है..........." सलोनी खीझने का नाटक करती है और फिर ऊपर उठती है. "पूक्क" की आवाज़ से भीगा लंड चूत से बाहर निकल आता है. सलोनी राहुल के ऊपर से उतरती है और बाथरूम की और भागति है. राहुल अपनी मम्मी की गण्ड को उछाले मारता देखता है तोह उसका लौडा एक ज़ोर का झटका मारता है. राहुल का धयान अपने लंड पर जाता है. सलोनी की चूत के रस्स से पूरी तेरह भीगा उसका लंड ट्यूबलाइट की रौशनी में चमक रहा था. सलोनी ज्यादा समय नहीं लागति, वो जिस रफर से कमरे से बाहर निकलि थी उसी रफ़्तार से वो वपास कमरे में दाखिल हुयी और स्कूल की किसी नट्खट लड़की की तेरह भगति हुयी बेड पर चढ़ गयी. इतना तेज़ भगने से उसके मम्मे कुछ ज्यादा ही उछाल रहे द. मगर इस बार वो अकेले नहीं उछाल रहे द. उनका साथ देणे के लिए कोई और भी था.
राहुल अपनी मम्मी के दूधिया मुम्मो के बिच उछलता मंगलसूत्र देख रहा था. सोने की चेन में पिरोये काले मनको वाला वो मंगलसूत्र सलोनी की दूधिया मुम्मो पर कितना जाँच रहा था कितना सुन्दर लग रहा था. सलोनी के हर कदम पर उसके मुम्मो को सहलाता कभी उसके निप्पलों को चूमता वो कितना आनंद ले रहा था.
सलोनी भाग कर सीधा बेड पर चढ़ जाती है और राहुल के ऊपर तांग घुमकर पहले वाली स्थिति में आ जाती है. वो हाथ निचे करके लंड पकडती है और अपनी चूत के निषाने पर लगाती है. वो एक बार राहुल को देखर मुसकरा पड़ती है जो लगातार उसके मुम्मो को और उनके बिच लटक रहे मंगलसुत्र को घूरे जा रहा था. वो इस तेरह से खुश था जैसे बच्छा नया खिलौना मिलने पर होता है. सलोनी लंड को अपनी चूत के मुहाने पर रगड़ती है और अपने होंठ भींच धम्म से निचे बैठ जाती है. राहुल का पूरा लौडा एक मिनट के भीतर दोबारा उसकी चूत में घुस चुका था.
|