RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
“उंहहहहह्ह्ह्हह” राहुल धीमे से आह भरता है |
सलोनी के नाज़ुक होंठ बहुत ही कोमलता से लंड की नर्म त्वचा को जगह जगह चूम रहे थे , धिमे धीमे लंड की घायल त्वचा पर कुछ पुच पुच करती वो चुम्बन लेती है | राहुल को अपनी माँ के नाज़ुक होंठों का स्पर्श उस संवेंदनशील जगह पर बहुत ही प्यारा महसूस होता है और उसे फ़ौरन राहत महसूस होती है |
“हाँ .......मम्ममममी... अभी थोडा बहुत अच्छा लग रहा है” राहुल की बात सुन सलोनी के होंठों पर मुस्कान फ़ैल जाती है | पुरष को अपने लंड पर किसी औरत के होंठो का नर्म एहसास हमेशा सुखद प्रतीत होता है चाहे वो औरत उसकी माँ ही क्यों ना हो | राहुल की बात से थोडा उत्साहित होकर सलोनी और भी तेज़ी से लंड के निचे उस जगह चुम्बन अंकित करने लगती है | कुछ ही पलों में राहुल अपनी माँ के होंठों के स्पर्श के उस सुखद एहसास में डूब जात है |
“आआहह... मम्मी... अभी दर्द कम हो रहा है, प्लीज मम्मी ऐसे ही करते रहिए” सलोनी तो जैसे यही सुनना चाहती थी | उसने लंड को ऊपर उठाया और जड़ से लेकर टोपे तक लंड पर चुम्बनों की बरसात कर दी | फिर उसके होंठ खुले और उसकी जिव्हा बाहर आई | उसने जिव्हा की नोंक से घायल त्वचा को सहलाया | गीली नर्म जिव्हा का एहसास होते ही राहुल के मुख से खुद बा खुद सिसकी निकल जाती है | सलोनी की जिव्हा उस सिसकी को सुन और भी गति से लंड की निचली त्वचा पर रेंगने लगती है |
“अह्ह्हह्ह्ह्ह ............मम्मी बहुत अच्छा लग रहा है.. बहुत........बहुत मज़ा आ रहा है” राहुल के मुख से लम्बी सिसकी निकलती है, मगर वो सिसकी दर्द की नहीं बल्कि आनंद की थी, दर्द तो वो कब का भूल चूका था | उधर बेटे के मुख से आनंदमई सिसकी सुन सलोनी के होंठों की मुस्कान उसके पूरे चेहरे पर फ़ैल जाती है | उसकी जिव्हा अब सिर्फ घायल त्वचा पर ही नहीं बल्कि उसके आस पास तक घूम रही थी | अचानक सलोनी महसूस करती है कि उसके अंगूठे और तर्जनी ऊँगली में थामे हुए लंड में कुछ हरकत हो रही है | वो हल्का हल्का सा हिलने डुलने लगा था | सलोनी बेपरवाह अपनी जिव्हा लंड की जड़ से सिरे तक घुमा रही थी |
राहुल का दर्द कब का मिट चूका था | अब दर्द की जगह मज़ा ले चुका था और कैसा जबरदस्त मज़ा था | इस मज़े से उसकी हालत खराब होती जा रही थी | पूरे जिस्म में गर्मी सी महसूस होने लगी थी | उसे अपने बदन में कुछ तनाव महसूस हो रहा था | खास कर अपने लंड में और लंड का वो तनाव पल प्रतिपल बढ़ता जा रहा था | उसे अब जाकर एहसास हुआ कि उसका लंड खड़ा हो रहा था |
लंड खड़े होने का एहसास सलोनी को भी जल्द ही हो गया | जिससे उसके अंगूठे और ऊँगली में उसका आकार बढ़ने लगा, जब उसकी जिव्हा को लंड का नर्म मुलायम एहसास होने लगा |
“उफ्फ्फ यह तो खड़ा हो रहा है, मेरे बेटे का लंड खड़ा हो रहा है”, सलोनी खुद से कहती है |
एक पल के लिए उसके मन में आया कि अब शायद उसे राहुल के लंड को छोड़ देना चाहिए मगर अगले ही पल उसने वो विचार अपने दिमाग से झटक दिया |
‘वो इतनी तकलीफ में है और तुझे सही गलत की पड़ी है, कैसी माँ है तू सलोनी? जो अपने बेटे की पीड़ा को दूर करने के लिए कुछ देर के लिए अपनी शर्म भी नहीं छोड़ सकती, देख तो बेचारा दर्द से कितना कराह रहा है’ सलोनी खुद को धिक्कारती है |
सच में राहुल कराह रहा था | हर सांस के साथ कराह रहा था | मगर उसके मुख से निकलने वाली ‘आआह्ह्ह्ह’ या ‘उफ्फ्फ्फ़’ की कराहें मज़े की थी ना कि दर्द की और यह बात दोनों माँ बेटे बड़ी अच्छे से जानते थे | राहुल कितना मज़े में था यह उसका लंड साफ़ साफ़ दिखा रहा था | जिस का अकार बढ़कर लगभग छे इंच हो चूका था और जो अभी भी बढ़ता जा रहा था |
जैसे जैसे लंड का अकार बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे सलोनी की जिव्हा की गति बढती जा रही थी | लंड का कठोर रूप अब उसके सामने था और वो रूप उसके तन बदन में आग लगा रहा था | हालाँकि वो अपने मन में बार बार दोहरा रही थी कि वो अपने बेटे की पीड़ा का निदान कर रही थी मगर उसके पूरे बदन में होने वाली झुरझुरी कुछ और ही बयां कर रही थी |
उसके निप्पल कड़े होकर शर्ट के ऊपर से अपना एहसास देने लगे थे, चूत में रस बहना चालू हो चूका था | वो अपनी उत्तेजना को नज़रंदाज़ करने की कोशिश कर रही थी मगर असलियत में वो अपने आप पर काबू खोती जा रही थी | उसकी सांसें गहरी होती जा रही थी और उसका सीना उसकी साँसों के साथ तेज़ी से ऊपर निचे हो रहा था | बदन में कम्कम्पी सी दौड़ रही थी |
लंड पूरा कड़क हो चूका था और अब उसका आकार करीब साढ़े छे इंच था | लंड इतना सख्त था जैसे मॉसपेशियों का ना होकर लोहे का बना हो | सलोनी अपने बेटे के लंड के उस कड़कपन को महसूस करना चाहती थी | मगर जिव्हा से चाटने मात्र से वो उसके कड़कपन को महसूस नहीं कर सकती थी | सलोनी ने खुद को आश्वासन देते हुए कि उसके बेटे की पीड़ा को कम करने के लिए उसे यह कदम उठाना ही होगा , लंड को मध्य से और निचे से अपने रसीले होंठों में भर लिया और अपनी जिव्हा उस पर रगडते हुए उसे चूसने लगी |
राहुल के आनंद में कई गुना बढ़ोतरी हो गई | उस बेचारे से बर्दास्त नहीं हुआ और उसके मुख से ऊँची ऊँची कराहें निकलने लगी | बेटे के मुख से निकलती ‘अह्ह्ह्ह- अह्ह्ह्ह’ ‘उफ़’ ने सलोनी को और भी उतेजित कर दिया | धीरे धीरे उसके होंठ लंड के ऊपर की और जाने लगे | जैसे जैसे सलोनी के होंठ ऊपर को बढ़ रहे थे, दोनों माँ बेटे की साँसे और सिसकियाँ गहरी होती जा रही थीं |
सलोनी के होंठ एकदम सुपाड़े के पास पहुँच गये थे बल्कि उसके गिले होंठ सुपाड़े के बाहरी सिरे को छू रहे थे | सलोनी के दिमाग में कहीं एक आवाज़ गूंजी, उस आवाज़ ने उसे चिताया कि वो क्या करने जा रही है? मगर सलोनी ने अगले ही पल उस आवाज़ को अपने मन मस्तिष्क से निकल दिया, ‘वो मेरा बेटा है, मेरा फ़र्ज़ है उसकी देखभाल का, उसे अब जब मेरी इतनी जरूरत है तो मैं क्यों पीछे हटूं?’
अगले ही पल वो हुआ जिसकी आशा में राहुल और सलोनी दोनों का बदन कांप रहा था, बुखार की तरह तप रहा था | सलोनी के होंठ अपने बेटे के लंड के सुपाड़े के चारों और कस गए | राहुल को लगा शायद वो गिर जाएगा | सलोनी ने सुपाड़े को अपने दहकते होंठो में क़ैद कर लिया और उस पर जैसे ही जिव्हा चलाई | राहुल के बदन ने ज़ोरदार झटका खाया |
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