RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
सुबह आँखे मलते जब राहुल जागा तो उसे बेहद्द आनंदायक अनुभूति हो रही थी | वो धीरे से करवट लेता है और गद्दे पर अपनी बाँह फैलाता है मगर उसका हाथ जैसे वो उम्मीद कर रहा था अपनी मम्मी को नही ढूँढ पाता | वो आँखे खोल देता है | बेड पर वो अकेला लेटा हुआ था | मतलब सलोनी कब की जाग चुकी थी | वो या तो बाथरूम में होगी या फिर नीचे रसोई में, राहुल सोचता है | उसे थोड़ी निराशा होती है क्योंकि वो इतनी खूबसूरत सुबह में अपनी मम्मी के नंगे जिस्म से लिपटना चाहता था, उससे प्यार करना चाहता था, उसके अंग अंग को चूमना चाहता था, चूसना चाहता था | ठंढी आह भरता राहुल बेड से उठ जाता है और अपने बदन से चादर हटा देता है | ‘उफफफफफ्फ़’ उसका लौड़ा पूरा तना हुआ था, एकदम पत्थर के समान, जैसे वो चुदाई करने के लिए नही बल्कि तबाही के लिए ईजाद किया कोई भयानक हथियार था | राहुल अपने लंड को छूता है और रात की पूरी दास्तान उसकी आँखो के सामने से गुज़र जाती है | उसका यही लौड़ा उसकी मम्मी की चूत में था | उसने कल रात अपनी मम्मी की चूत मारी थी, एक बार नही बल्कि दो-दो बार | उसके मोटे मोटे मुम्मे चूसे थे, उन्हे मसला था....उूउउफफफफफफ्फ़ कहीं वो एक सपना तो नही था.......नही वो सपना नही था | बेड पर अस्त व्यसत चादर, और उसके उपर पढ़े दाग धब्बे, बंद कमरे में समाई एक खास खुशबु उस मस्तानी रात में माँ-बेटे की जबरदस्त चुदाई की चीख चीख कर हामी भर रहे थे | राहुल को रात की घटनाएँ याद आने लगती हैं तो ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपने लौड़े पर चला जाता है | उसका लौड़ा उसके हाथ का स्पर्श पाते ही एक ज़ोरदार झटका मारता है | तभी रसोई से बर्तनो का शोर सुनाई देता है, जैसे कोई सींक में बर्तन डाल रहा था | 'तो इसका मतलब वो रसोई में है' राहुल सोचता है | यह जानकार कि उसकी मम्मी रसोई में है राहुल को लंड कुछ और सख्त होता महसूस हो रहा था | अब उसके लिए इंतज़ार करना मुश्किल होता जा रहा था | राहुल झटके से बेड से उतर जाता है | वो एकदम से अपनी मम्मी के लिए बेचैन हो उठा था जैसे कोई छोटा बच्चा माँ को ना देखने पर बेचैन हो जाता है | मगर उसे मम्मी के पास जाने से पहले बाथरूम जाना था, ब्रश करना था और अपनी हालत को सुधारना था |
पँद्रह मिनट बाद जब राहुल ने रसोई में कदम रखा तो सलोनी गैस पर सैंडविच बना रही थी | उसके एक हाथ में चाय का कप था | वो रात वाली नाइटी पहने हुए थी | राहुल अपनी माँ के नितम्बो पर कोई भी पेंटी नही देख पा रहा था | उसकी नाइटी उसके गोल मटोल नितम्बों को चूमते हुए सहला रही थी | 'अगर उसने पेंटी नही पहनी है तो हो सकता है उसने ब्रा भी ना पहनी हो' शायद वो नाइटी के अंदर पूरी नंगी थी |
"अभी वहीं खड़े घूरते रहोगे जा अंदर भी आओगे?" सलोनी की मधुर मादक आवाज़ राहुल की तन्द्रा भंग करती है | वो बिना राहुल की और देखे बोली थी | बिना दरवाजे को देखे उसे मालूम चल गया था कि राहुल वहाँ खड़ा उसकी गांड को अपनी आँखो से चूम रहा था | राहुल आगे बढ़ता है और काउंटर के पास चला जाता है |
"नींद कैसी आई. जब मैं जागी थी तब तो बहुत गहरी नींद में थे!" सलोनी अब भी उसकी और ना देखते हुए बोली |
"अच्छी आई मम्मी.... बहुत अच्छी आई" राहुल की आँख अभी भी अपनी मम्मी के नितम्बो पर जमी हुई थी जो उसकी नाइटी के अंदर उसके खाना बनाने के कारण दाएँ-बाएँ, आगे-पीछे हिल डुल कर एक बहुत दिलचस्प मंज़र पैदा कर रहे थे | राहुल अपना हाथ धीरे से अपनी मम्मी के दाएँ कूल्हे पर रख उसे दबाता है |
"उउउन्न्नह.......तू सुबह सुबह ही शुरू हो गया" सलोनी चिहुंक पड़ती है मगर राहुल अपना हाथ नही हटाता | बल्कि वो सलोनी के पीछे खड़ा होकर उसके दोनो नितम्बो को अपने दोनो हाथों से सहलाने दबाने लगता है | नाइटी के मुलायम कपड़े में सलोनी के नितंब और भी मुलायम प्रतीत हो रहे थे | सलोनी राहुल के हाथ झटकने के लिए अपनी गांड हिलाती है मगर राहुल उसके नितम्बो को हाथों में दबोचे उन पर अपनी पकड़ मजबूत कर देता है | ‘एक रात में इसकी हिम्मत कितनी बढ़ गयी है’ सलोनी सोचती है |
"आआहह...........क्या कर रहा है.......इतने ज़ोरों से क्यों दबा रहा है" सलोनी नखरा दिखाती बोलती है जबकि बेटे की मर्दाना शक्ति देख अंदर ही अंदर उसे खुशी महसूस होती है | राहुल आगे बढ़कर अपनी मम्मी की पीठ से चिपक जाता है और अपना लंड अपनी मम्मी की गांड की घाटी में धकेलेते हुए अपने हाथ आगे लेजाकर उसके सख्त मुम्मे पकड़ लेता है | मुम्मो को नाइटी के ऊपर से हाथ लगाते ही वो समझ जाता है कि उसकी मम्मी ने ब्रा नही पहनी है | वो अंदर से पूरी नंगी है!
"हाययययईएए........हाययइईई.........उउफफफफ़फ़गगग.....मा...र डाला जालिम.........उउफफफफफ्फ़........" सलोनी के हाथों चाय का मग गिरते गिरते बचा था | उसमे से कुछ चाय छलक कर काउंटर पर जा गिरी थी | राहुल ने पहली बार अपनी मम्मी के मुम्मे इतनी ज़ोर से मसले थे कि उसके मुँह से चीख निकल गयी थी और नीचे उसकी चूत सिसक पड़ी थी | बेटे का लंबा चौड़ा बम्बू अपने नितम्बों में घुसते पाकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था | बेटे के हाथों का स्पर्श पाते ही उसके मुम्मे तन गये थे, उसके निप्पल अकड़ गये थे | राहुल भी नरम मुलायम मुम्मो को दबाने पर उनकी अंदरूनी सख्ती देखकर स्तब्ध हो गया था | वो और भी ज़ोर से उसके मुम्मो को दबाता है और अपना लंड उसकी गरम गांड में दबाता है |
"आआईयईईईईए.......आाआईईईईईई.....उखाड़ डालेगा क्या.........रुक ज़रा बताती हूँ तुझे" कहकर सलोनी गैस बंद कर देती है | सैंडविच तैयार हो चुके थे | वो राहुल के हाथों पर अपने हाथ रखकर उन्हे ज़ोर से हटाती है | राहुल हाथ नही हटाना चाहता था मगर जब सलोनी बलपूर्वक उसके हाथ मुम्मो से हटा देती है तो वो थोड़ा सा मायूस होकर पीछे हट जाता है |
“उधर बैठ कुर्सी पर अभी खबर लेती हूँ तेरी” सलोनी राहुल को कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए थोडा गुस्से से बोलती है | राहुल डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ जाता है | सलोनी टेबल पर कुर्सी के पास सैंडविचस की प्लेट रखती है और एक ग्लास में चाय डालती है | फिर वो राहुल के बिल्कुल सामने खड़ी हो जाती है अपनी कमर पर हाथ रखे | राहुल कुछ पलों तक अपनी मम्मी की आँखो में झांकता है मगर फिर शर्म और घबराहट से अपनी नज़र नीची कर लेता है | उसे समझ नही आ रहा था रात को दो बार चुदवाने के बाद अब उसकी मम्मी क्यों उसे भाव नही दे रही थी |
“उठ कर खड़े हो जाओ” राहुल किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुर्सी से उठ कर खड़ा हो जाता है. “इसे घुमाकर इधर मेरी तरफ करो” सलोनी राहुल को कुर्सी टेबल की वजाए बाहर की और करने के लिए बोलती है | राहुल कुर्सी को घुमा देता है | “अब अपनी शर्ट और पयज़ामा उतार दो” सलोनी अपने बेटे को नंगा होने के लिए ऐसे बोलती है जैसे उसे कोई आम सी बात बोल रही थी | राहुल अपनी माँ के चेहरे की तरफ देखता है | एक पल के लिए उसे लगा जैसे उसके दिल की मुराद पूरी होने वाली है मगर सलोनी का प्लेन चेहरा देख उसका मन आशंका से भर उठता है | वो नाज़ाने क्या करना चाह रही थी | राहुल कपड़े उतारने में हिचकिचाता है |
“तुमने सुना नही मैने क्या कहा?” सलोनी बिल्कुल आराम से मगर अपनी बात पर ज़ोर डालते हुए बोलती है | राहुल के पास अब कोई चारा नही था | वो नंगा हो जाता है | उसकी नज़र झुकी हुई थी और उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी | उसकी शर्मिंदगी उसके तने हुए लंड ने और बढ़ा दी थी जो ऐसे झटके मार रहा था जैसे सलोनी को प्रणाम कर रहा हो | सलोनी भरसक कोशिश कर रही थी कि उसकी हँसी ना निकल जाए मगर फिर भी होंठो पर मुस्कान आने से वो रोक ना पाई | गनीमत थी राहुल उसे नही देख रहा था | राहुल के चेहरे पर वो मासूमियत, शर्मिंदगी के वो भाव कि वो अपनी मम्मी के सामने नंगा खड़ा था सलोनी का दिल मोह लेते हैं |
“चलो कुर्सी पर बैठ जाओ” राहुल नज़र झुकाए आराम से कुर्सी पर बैठ जाता है | उसका लौड़ा अब 70 डिग्री के एंगल पर उपर को खड़ा था | “ज़रा अपनी टाँगे तो चौड़ी कर” सलोनी का नया हुकम आता है | राहुल अपनी टाँगे थोड़ी सी खोल देता है |
सलोनी राहुल से कुछ कदमों की दूरी पर खड़ी थी | राहुल की नज़र झुकी होने के कारण वो अपनी मम्मी को घुटनो तक देख रहा था | अचानक सलोनी घूम जाती है | एक दो पल बीतने के बाद उसे सलोनी की नाईटी का सिरा जो उसके घुटनो तक पहुँच रहा था हिलते दिखाई देता है | एक दो पल और बितते हैं और फिर राहुल की आँखो के सामने सलोनी की नाइटी गिर कर उसके पाँव के पास फर्श पर पड़ी होती दिखाई देती है | राहुल का दिल ज़ोरों से धड़क उठता है | नाइटी अगर फर्श पर थी तो इसका मतलब…………वो नंगी थी………….उसकी मम्मी नंगी थी……… |
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