RE: Maa Sex Kahani हाए मम्मी मेरी लुल्ली
राहुल को अपने कानो पर विश्वास नही हुआ | वो कभी अपनी मम्मी को तो कभी अपने लोहे के जैसे सख्त लौड़े को देख रहा था |
"मम्मी मगर मेरा........मेरा......मम्मी आप ने कहा था........सुबह ...अगर मैं पढ़ुंगा तो.........आपने प्रॉमिस किया था...." राहुल रुआंसी आवाज़ में बोलता है |
"हाँ वायदा किया था तो........मैं मुकरी हूँ अपने वायदे से...........अभी तुमने मज़ा किया ना........." सलोनी अपनी शर्ट पहनते बोलती है |
"अब कहाँ........अभी तो सिर्फ़ आप.......मैने तो अंदर डाल कर.......मम्मी प्लीज़ करने दो ना..." राहुल हकलाती सी आवाज़ में बोला |
"अभी बिल्कुल भी टाइम नही है बेटा........जल्दी कपड़े पहनो......... बाद में अंदर डाल कर मज़ा ले लेना......मैं मना थोड़े कर रही हूँ........"
"मम्मी प्लीज़........प्लीज़......बस थोड़ा सा....." राहुल मिन्नत कर रहा था |
"कहा ना अभी नही........बाद में.....तू तो ऐसे कर रहा है जैसे मैं बाद में तुझे दूँगी नही.......भूल गया कल रात को.....आज सुबह को.......... तीन बार ले चुका है मेरी ...... बस अब चल खाना खाना है और फिर बाज़ार जाना है........"
राहुल बुझे मन से कपड़े पहनता है जबकि सलोनी किचन में खाना गरम करने लगती है | रहल चुपचाप, निराश, किचन में आकर बैठ जाता है | सलोनी टेबल पर खाना लगाती है और राहुल के सामने वाली कुर्सी पर टेबल के दूसरी तरफ बैठ कर खाना खाने लगती है | राहुल की रही सही उम्मीद भी टूट जाती है | उसे लगा था शायद वो सुबह की तरह किचन में उसके लौड़े पर स्वारी करेगी मगर नही, सलोनी ने ऐसा कुछ भी नही किया | दोनो ने चुपचाप खाना खाया | राहुल की तो जैसे भूख ही मर गयी थी मगर वो अपनी मम्मी को जानता था कि अगर वो नही खाएगा तो उसे शायद बाद में कुछ नही मिलने वाला था | अभी कम से कम उसे इतनी उम्मीद तो थी कि बाद में उसे मौका मिल जाएगा |
"जाओ जाकर नहा धोकर तैयार हो जाओ...शौपिंग के बाद कहीं घूमने चलेंगे" सलोनी खाना खत्म होते ही टेबल से प्लेट्स उठाती राहुल को बोलती है | राहुल जिसका सर खाने के पुरे समय झुका रहा था, वैसे ही सर झुकाए जी मम्मी बोलकर सीढ़ियाँ चढ़ता अपने कमरे की और लौट जाता है | सलोनी प्लेट धोती कुछ गुनगुनाने लगती है | बेटे के चेहरे पर इतनी निराशा देखकर जहाँ एक तरफ़ उसे उस पर, उसकी मासूमियत पर दया आती थी, प्यार आता था, वहीं उसे राहुल को परेशान करने में अत्यधिक मज़ा भी आता था |
राहुल तैयार होकर नीचे अपनी मम्मी डैडी के बेडरूम में आता है | सलोनी अभी बाथरूम में नहा रही थी | राहुल टीवी का स्विच ओंन कर कुछ देर ऐसे ही चैनल चेंज करने लगता है | तभी बाथरूम का दरवाजा खुलता है और सलोनी अपने बदन पर तौलिया लपेटे बाहर आती है |
"हाययययययय................ सेक्सी.....सेक्सी..........क्या बात है.....आज तो बहुत सेक्सी सेक्सी दिख रहा है...... क्या इरादा है जानेमन........." सलोनी राहुल से मज़ाक करती है मगर राहुल का चेहरा लाल हो गया | वो शरमाता सा मुँह दूसरी तरफ फेर लेता है | सलोनी उसके पास आती है और उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम उपर उठाती है |
"हायय.... ईई......मर जायूं तेरी इस कातिल अदा पर..... क्या बात है......... आज तो लगता है मेरी जान ही निकाल लोगे......." सलोनी राहुल को आँख मारती बोलती है |
"मम्मय्ययययययी.........." राहुल का चेहरा और भी सुरख हो गया था | "अगर आप इस तरह से पेश आएँगी तो मैं कहीं नही जा रहा आपके साथ .... कह देता हूँ आपको अभी से...." राहुल अपनी मम्मी के मज़ाक से तंग होकर बोलता है | मगर असल में वो मदहोश सा हो रहा था | सलोनी अभी अभी नहाकर बाथरूम से निकली थी | वो उसके इतने पास खड़ी थी कि राहुल को उसके मादक बदन की सुगंध दीवाना बना रही थी | उसका लंड पेंट में सर उठाने लगा था |
सलोनी बेटे की बात पर हँसती है मगर फिर वो वहाँ से ड्रेसिंग टेबल की और रुख़ करती है | आईने के सामने हेयर ड्रायर से बाल सुखाती सलोनी कुछ देर चुप रहने के पश्चात राहुल की और देखती है और उसे कहती है |
"बेटा ज़रा दराज में से मेरी ब्रा और कच्छी तो निकाल दे, इतनी तो हेल्प करदे अपनी मम्मी की" |
राहुल अपनी मम्मी को घूरता है | उसे लगता है जैसे उसने कुछ ग़लत सुना है |
"मैने कहा दराज़ में से मेरी ब्रा और कच्छी तो निकाल दे" सलोनी हेर ड्रायर बंद करके बोलती है | राहुल ने ठीक सुना था | वो धड़कते दिल के साथ बेड की विपरीत दिशा में पूरी दीवार पर बनी अलमारी की और बढ़ता है |
"राईट साइड से दूसरा डोर खोलो और नीचे से तीसरा दराज़ है" सलोनी राहुल को आईने से देखते बोलती है जो सोच रहा था कौनसा डोर खोले | वो मेकअप कर रही थी | राहुल दराज़ खोलता है | काफ़ी बड़ा दराज़ था और पूरा सलोनी की ब्रा और कच्छीयों से भरा पड़ा था | उनमे से कुछ सस्ती तो कुछ बेहद्द महँगी थी जो उसके पति ने ख़ास ख़ास मौकों पर उसे उपहार के रूप में ख़रीदकर दी थी | अलग अलग डिज़ाइन्स, अलग अलग कलर्स |
"कौनसी मम्मी......." राहुल खुश्क गले से पूछता है | पेंट में उसका लौड़ा तंबू बनने की शुरुआत कर चुका था |
"जो तुझे पसंद है वो निकाल ले" सलोनी की बात सुन राहुल कुछ देर दराज़ में ऐसे ही देखता रहता है फिर धीरे धीरे उसमें से ब्रा और कछियाँ चेक करने लग जाता है | उनका कलर और डिज़ाइन ही अलग अलग नही था, शेप भी अलग थी | कईओं का कपड़ा मोटा था और लगता था वो मुम्मो को कस कर रखती होंगी जबकि कईओं का कपड़ा ऐसा महीन था जिसमें से काफ़ी कुछ दिखाई पड़ता था | एक वाइट कलर की ब्रा पेंटी तो इतनी पतली थी कि उसमें से आर पार सब कुछ देखा जा सकता था और एक ब्रा कच्छी को उसने देखा तो वो दंग रह गया | कच्छी में चूत के स्थान पर एक बड़ा सा कट था | ब्रा में भी निपल्स के स्थान पर छोटे छोटे कट थे | वो एक पल के लिए उसे सेलेक्ट करता है मगर फिर वो शरमिंदा महसूस करता है | वो कैसे अपनी माँ को वैसी ब्रा पहनने को दे सकता है वो क्या कहेगी | उधर आईने से बेटे की उधेड़बुन को देखती और मेकअप करती सलोनी मुस्करा रही थी | आख़िरकार राहुल एक काले रंग की ब्रा और कच्छी निकाल लेता है और दरवाजा बंद करके सलोनी की और बड़ता है | सलोनी हल्का सा मेकअप कर चुकी थी | राहुल अपनी माँ के पास जाकर वो ब्रा पेंटी उसकी और बढ़ा देता है | सलोनी आईने के सामने से उठती है और राहुल के सामने खड़ी हो जाती है | राहूल का चेहरा उत्तेजना से तमतमाया हुआ था |
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