Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
10-08-2020, 12:42 PM,
#11
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैं काफी थका हुआ था लेकिन आज का दिन ही मैं सोमलता को अपने घर में रख सकता था. कल से फिर कोई और उपाय लगाना पड़ेगा. मेरे लिंग से तेज सनसनी के साथ हल्की जलन हो रही थी. मैंने लिंग को देखा तो वह रगड़ खाकर लाल हो गया था. मैं बाथरूम की और चला. बाथरूम के पास जाकर देखा की सोमलता नंगी आदमकद शीशे के सामने खड़ी होकर पुरी ध्यान के साथ अपने बदन को निहार रही है.

मैं दरवाजे के पीछे छिपकर देखने लगा. वह हल्की मुस्कराहट के साथ बदन का मुयायना कर रही थी साथ में स्तन से लेकर जांघो को ऊपर से निचे सहला रही थी. आज पहली बार मैंने उसको इतना खुलकर मुस्कुराते देखा था. बदन से वह अपनी उम्र से 5-7 साल छोटी लग रही थी. मैं धीरे –धीरे उसके पीछे गया और कमर को पकड़ कर उसकी गर्दन चूमने लगा.

मेरे अचानक आने से वह शरमा गयी और नज़रें झुका के बोली – “बाबु, तंग मत करो. मुझे अच्छा नहीं लगता.”

मैंने उसको अपनी तरफ लाकर उसकी गालो को हथेलियों में भर चेहरे को उठाकर पूछा – “अच्छा, क्या-क्या हमने अच्छा नहीं लगता. मैं अच्छा लगता हूँ? मेरा प्यार अच्छा लगता है? और मेरा लंड?”

वह थोड़ा उदास होकर बोली – “बाबु, मुझे तुम्हारा सब कुछ अच्छा लगता है लेकिन यह कब तक चलेगा? कल से फिर मैं मजदूरी करुँगी और तुम बाहर अपने दुनिया में रम जाओगे.”

मैंने उसकी छाती को अपने से चिपकाकर कहा – “नहीं रानी, ऐसा नहीं होगा. हम भले दूर रहे, लेकिन हमेशा मिलते रहेंगे और इसी तरह मिलते रहेंगे.” उसकी बालो को सहलाते हुए मैंने बड़े प्यार से वादा किया था.

वह आखों में उम्मीद लाकर कही – “सच?”

मैं उसको चुमते हुए बोला – “बिल्कुल सच, अब चलो बाहर कमरे में चलते है.” वह अपना सर मेरे कंधे में रखकर मेरी कमर को पकड़ते हुए मेरे साथ बाहर आ गयी.

हम दोनों कमरे में अगल-बगल लेट गए. सोमलता मेरे सीने में सर रखकर मेरी छाती के बालो से खेलने लगी. बोली – “बाबु, तुम शादी कब करोगे?”

मैं गहरी साँस लेकर कहा – “पता नहीं. कोई अच्छी लड़की भी तो मिलनी चाहिए.”

वह भी गंभीर हो बोली – “”हाँ. बात तो सही है!”

मैं उसकी पीठ को सहलाते हुए पूछा – “अच्छा तुम मजदूरी छोड़ और कोई काम नहीं कर सकती हो?”

वह उदास लहजे में बोली – “कोई काम आता भी नहीं है.”

मैं बोला – “सुनो, मेरे एक दोस्त की बीवी का ब्यूटी पार्लर है. मैं तुम्हे वहां काम पर लगा सकता हूँ, अगर तुम चाहो तो?”

वह सर घुमाकर मेरी और देखते हुए बोली – “वहां क्या काम करना होगा बाबु?”

मैं शरारती होते हुए बोला – “वोही जो मैं तुम्हारे लिया किया. औरतों के चूत और बगलों के बाल साफ़ करने होंगे.”

वह मेरी छाती पर हल्का चपत लगते हुए बोली – “धत बाबु, मुझे ऐसा गन्दा काम नहीं करना.”

मैंने कहा – “इसमें कौन सी गन्दगी है. कितनी लडकिया यह काम करती है. सोच लो तुम्हारा भी काम हो जायेगा.”

मेरी आँखों में आँखें डालकर बोली – “सच बोलो ना बाबु?”

मैंने हँसते हुए बालो को सहलाते हुए कहा – “आरे नहीं. वहां तुमको औरतों के बाल बनाने होंगे. नाख़ून बनाने होंगे. सजावट वगैरह का काम करना होगा. वैसे वो काम भी होता है.”

वह थोड़ा मायूस हो गयी. नज़र झुककर बोली – “लेकिन मुझे यह सारा काम नहीं आता है.”

उसको दोनों बांहों से कसकर पकड़ते हुए बोला – “तुम चिंता मत करों रानी. मेरी भाभी तुमको एक्सपर्ट बना देगी. कल मैं उससे बात करूँगा. अब बस तुम सिर्फ मेरे बारे में सोचो.”

वह शरमाकर मेरे छाती में माथा गड़ाकर बोली – “बाबु तुम बड़े वह हो” उसकी बातों पर मैं जोर से हंस दिया. हम एक दुसरे की बांहों में खोये रहे अगले एक घन्टे तक.

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10-08-2020, 12:44 PM,
#12
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड

मैं आखें बंद कर सोमलता को छाती से चिपकाकर लेता रहा. मेरा दिमाग उस वक़्त बिल्कुल शांत और किसी तरह के ख्यालों से खाली था. काफी दिनों के बाद मैं पूरी शांति का अनुभव कर रहा था. मेरा ध्यान तोड़ते हुए वह धीरे से बोली – “बाबू! ओं बाबु!”

मैं आँख मूंदकर ही जवाव दिया – “हुंह....”

उसने मेरी बालो को सहलाते हुए बोली – “कुछ खाओगे नहीं? भूख नहीं लगी तुम्हे?”

मैं कहा – “हुंह, देखते है रसोई में क्या है.” मैं उठकर रसोई की तरफ बढ़ने लगा.

वह भी मेरे पीछे आई और बोली – “बाबु, दूध है, मैं तुम्हारे लिए खीर बना देती हूँ. मैं अभी कपड़े पहन कर आई.” औए वह मुड़कर जाने लगी.

मैंने उसकी हाथ पकड़कर रोकते हुए कहा – “नहीं मेरी रानी. कपड़ो की कोई जरूरत नहीं है. यहाँ कोई आनेवाला नहीं है. ऐसे ही रहो ना.”

“बेशरम!!!” वह अपना हाथ छुडाते हुए बोली और खीर पकाने की तैयारी करने लगी. चूल्हे पर खीर चड़ने के बाद वह खिड़की के पास खड़े हो बाहर देख रही थी और मैं उसके पीछे खड़ा था. पुरे घर में नंगे घूमना एक मजेदार रोमांच पैदा कर रहा था. मैं उसकी बाँहों को पीछे से सहला रहा था. उसकी बदन और बालो से एक मीठी खुसबू आ रही थी जो काफी सुहावना लग रहा था. हम दोनों ही अपने ख्यालों में खोये हुए थे. कुकर की सिटी में हमारा ख्याल थोड़ा. मैं चूल्हे को बंद किया. अचानक मेरे दिमाग में शरारत सूझी. मैंने जैम का डब्बा निकाला और ढेर सारा जैम उसकी छाती में मल दिया. वह चोंककर मेरी और सवालिया नज़रो से देखी. मैं सिर्फ मुस्कुराया. मैं उसको बाहों से पकड़कर दीवाल से सता दिया और झुककर उसकी चुचियों की गहरी घाटी पर लगे जैम को चाटने लगा. उसकी जुबान से हल्की सिसकी निकली. वह मस्ती में आँख मूंदकर सर दिवार से टिककर सिसकी लेती जा रही थी. उसकी सिसकी ने मुझे गरम कर दिया. मैं जोर-जोर से उसकी चुचियों की चाटने-चूसने लगा. खासकर उसकी चुह्चियों के निप्पल को तो पुरी गोलाई से मुँह में डालता और दांत से दबाकर चूसता. मैंने चूस-चूसकर पुरी बदन से जैम को ख़तम कर दिया. अब मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर चला गया. उसकी योनी पहले ही अपना रस छोड़ चूका था. गीली चूत में मैं ऊँगली से चोद रहा था.

उसकी सिसकियों की आवाज अब ज्यादा हो गयी. वह निचे के होंठ को दांत से दबा सिसकी मर रही थी और मेरे सर को अपने छाती में दबा रही थी. मैंने बाये हाथ से उसकी कमर को लपेट कर किचेन के टेबल से टिककर खड़ा किया. अब मैंने दो ऊँगली एक साथ उसकी गीली में चूत में डाल दी. उसकी तेज सिसकी निकली और पेट को उत्तेजना से सिकोड़ दी. मैं एक हाथ से उसकी गांड को दबा रहा था और दूसरी हाथ से उसकी चूत को. मैंने बुरी तरह से उसकी चूत को उँगलियों से चोदना जरी रखा. उसकी सिसकियों की आवाज धीरे-धीरे तेज हो रही थी. उसकी चूत की दीवारे कसने लगी. उसका शरीर कसने लगा, सिसकी बंद और ऑंखें जोर से भीच गयी. वह झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी. यह देख मैंने रफ़्तार बढ़ा दी. कुछ धक्को के बाद उसकी चूत में रस भरने लगा. फिर एक गर्म पानी का फव्वारा फूटा. उसकी चूत रह-रह कर पानी छोड़ रहा था जो मेरी उँगलियों से बहते हुए फर्श पर टपकने लगा.

योनीरस के मादक महक में पुरे कमरे को भर दिया. सोमलता को इस जबरदस्त ओर्गास्म ने हिलाकर रख दिया. वह निढाल होकर मेरे कंधे के ऊपर गिर गयी. मैंने उसको बाँहों में उठाकर कमरे में ले गया. ले जाते वक़्त भी उसकी ऑंखें बंद थी और सांसे तेज. सांसो के साथ-साथ उसकी छाती तेजी से ऊपर निचे हो रही थी. उसको बिस्तर पर सुलाकर मैं किचेन में आया और उसकी बनायीं खीर दो प्लेट में लगाकर कमरे में गया. अब भी उसकी सांसे तेज थी. मैं उसकी चुचियों का ऊपर-नीचे जाना देख रहा था. उसकी बदन पर पसीने की बुँदे बड़ी सेक्सी लग रही थी. बंद आँखों के कोने से कुछ बुँदे आंसू की टपक पड़ी.मैं आंसू को पोछने गया तो उसकी आँखें खुल गयी. वह धीमे से मुस्कुराई. मैंने उसको खींचकर बैठते हुए कहा – “रानी, खीर ठंडी हो रही है. खा लो.” वह प्लेट हाथ में लेकर चुपचाप खा रही थी और बीच-बीच में मेरी ओर देख मुस्कुरा रही थी . हमने बिना किसी बातचीत के खाना ख़त्म किया. प्लेट लेकर वह रसोई में चली गयी. जाते वक़्त मैं उसकी डगमगाती चाल देख रहा था. एक जबरदस्त चुदाई ने इसकी चाल बदल दी थी.

मैं भी काफी थका हुआ महसूस कर रहा था और दोपहर को सोना मेरी आदत थी. मैं बिस्तर में आराम से लेट गया. मेरे दिमाग में येही बात चल रही थी कि कल से सोमलता को कैसे मिलूँगा. घर में तो मुमकिन नहीं हो सकता और बाहर में खतरा बहुत है.मेरे लिंग पर बीर्य और योनिरस का मिश्रण लगा हुआ था जो सुखकर अकड़ रहा था. ज्यादा चुदाई के कारण मेरा लंड थोड़ा छिल गया था जिसके कारण थोड़ा दर्द कर रहा था. मैंने लंड साफ़ करने के इरादे से बाथरूम गया. बाथरूम का दरवाजा अन्दर से बंद नहीं था, बस लगा था. अन्दर से हल्की शावर की आवाज आ रही थी. दरवाजा को धीरे से ठेलने पर देखा की सोमलता दरवाजे की तरफ पीठ कर निचे शावर के निचे बैठी है और हल्की शावर चल रहा है. मैं बिल्कुल उसके पीछे दोनों टांगो को फैलाकर बैठ गया ताकि उसकी कमर मेरी जन्घो में बीच में हो. उसकी पीठ को अपने छाती से चिपकाकर उसकी कमर को दोनों हाथो से लपेट लिया. ऐसा करने पर भी वह बिल्कुल नहीं चौंकी जैसे वह मेरा इन्तेजार कर रही हो. उसको अपने से और चिपकाते हुए मैंने उसकी गर्दन पर एक प्यारभरी चुम्बन दी और हलके शावर का इन्तेजार करने लगा. उसका शरीर बिल्कुल भी हरकत नहीं कर रहा था.

हम दोनों लगभग आधे घन्टे तक शावर का मजा लेते रहे. पानी में ज्यादा देर रहने से ठण्ड लग रही थी. मैंने उसको झकझोरते हुए बोला – “चलो, ज्यादा देर रहे तो ठण्ड लग जाएगी. कमरे में चलते है.” हमदोनो उठकर शावर को बंद किया और तौलिये से एक-दुसरे के बदन को सुखाने लगे. आखिर में जब वह मेरा बदन सुखा रही थी तो पूरा शरीर को पोंछने के बाद झुककर मेरे लिंग की निचले हिस्से में होंठ रखकर एक चुम्बन जड़ दिया. इससे मेरा पूरा बदन सिहर उठा. फिर वह मेरी बाँहों को पकड़ कर कमरे में आ गयी. हमदोनो ही थके हुए थे इसलिए एक ही चादर में सो गए. वह मेरी पीठ से चिपककर एक टांग मेरे पैरो के ऊपर चढ़ाकर लेती थी. उसकी सख्त चूचियां मेरी पीठ पर एक अजीब सी झुनझुनी पैदा कर रही थी. मेरे मन में कई तरह के ख्याल आ रहे थे. क्या मैं सच में सोमलता से प्यार कर बैठा था या फिर वक़्त के साथ-साथ यह अनुभव ख़तम हो जाने वाला है? इस रिश्ते का अंत क्या होना है? एक रण्डी के साथ दिन गुजरने और एक शरीफ औरत के साथ दिन गुजरने में बहुत फर्क है. शायद वह मेरे दिल में कहीं ना कहीं जगह बना चुकी थी. हम दोनों शांत हो लेते हुए थे. पता नहीं सोमलता क्या सोच रही थी. मैं हमेशा से बड़ी उम्र की औरत में ज्यादा दिलचस्पी लेता था, लेकिन इस तरह के रिश्ते के बारे में कभी नहीं सोचा था. देखे अब आगे क्या होता है.

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10-08-2020, 12:44 PM,
#13
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शाम लगभग 6 बजे नींद खुली. अप्रेल के दिन थे, शाम गहरी हो रही थी. मैं उठने की कोशिश की तो पाया की सोमलता अभी भी मुझे जकड़े हुए सो रही थी. मेरी पीठ से चिपक के मेरी सीने को पकडे सोई थी. मैंने उसकी नींद को तोडना उचित न समझते हुए उसकी हाथ को धीरे से उठाकर उसकी ओर करवट बदली. सोमलता का चेहरा नींद में किसी बच्ची जैसा मासूम था. हालाँकि चेहरे से उम्र और दुःख के निशान साफ़ झलक रहे थे. मुझे उस वक़्त मुझसे बड़ी औरत पर बड़ा प्यार आ रहा था. मेरे हाथ उसकी जुल्फों को धीरे-धीरे सहलाने लगे. वह धीरे-धीरे साँस ले रही थी. उसकी आँखों में एक शांति, एक संतुष्टि थी. शायद मेरी हाथो की हरकत से उसकी नींद खुल गयी. धीरे से आँख खोली तो मुझे अपनी आखों में झाकता पाया. मै मुस्कुरा दिया. उसने मुझे अपनी ओर खींचते हुए पास आई. हमदोनो इतने पास थे की दोनों की छातियाँ एक-दुसरे पर दबाव दे रहे थे. उसने अपना चेहरा मेरे कंधे में छिपा लिया और मेरे कंधे को चूमने लगी. होंठो का प्यार पाकर मेरा सोया लिंग नींद से जग गया और उसकी जन्घो को चीरते हुए खड़ा होने लगा. अचानक लंड पर सोमलता की उंगलिया फिरने लगी जो लंड को और ज्यादा उकसा रही थी. वह अभी भी मुझे चूम रही थी.

अचानक वह चेहरा मेरे चेहरे के सामने लाकर पूछी – “बाबु, उस दिन तुमने जो फिल्म दिखाई थी, उसमे वह औरत अपने लड़के का लंड चूस रही थी. क्या यह गन्दा नहीं होता है?”

मैंने उसकी बालों को सहलाते हुए कहा – “नहीं मेरी सोमा, अगर शारीर साफ़ हो तो कुछ भी गन्दा नहीं होता. ना मेरा लंड, ना तुम्हारा बुर.”

वह मुस्कुराकर बोली – “अच्छा, तुमको भी चुसवाने का बड़ा मन कर रहा होगा?”

मैंने कहा – “क्यों नहीं. जब मेरी प्रेमिका मासिक में रहती थी और हम चुदाई नहीं कर पते थे तो वह मुझे इसी तरह ठंडा करती थी.”

सोमा थोड़ा मायूस होकर बोली – “लेकिन बाबु मुझे चुसना नहीं आता है. तुम मुझे वो वाली फिल्म दिखा सकते हो?”

मैंने कहा – “हाँ, क्यों नहीं. चलो मेरे कमरे में.”

मेरे मन में तो लड्डू फुट रहे थे. लंड चुसवाने के सपना सब को होता है, लेकिन अभी भी हमारे देश की लड़कियां, बीबियाँ, औरतें इसको अच्छा काम नहीं समझती है. इसलिय मैं वाकई में किस्मतवाला था जो उसने खुद मुझे प्रस्ताव दिया. मैं उसको अपने कमरे में लाया और कंप्यूटर ओं कर दी. सुबह से हमारे बदन में कपड़े का एक धागा तक नहीं था. फिल्म शुरू हो गयी और ओरल सेक्स का सीन भी आ गया. सोमा रानी बड़ी ध्यान से पोर्न स्टार की चुसाई देख रही थी. मेरा लंड तो अपना चमड़ा फाड़ने को बेताब हो रहा था. मैं एक कुर्सी कर स्क्रीन की ओर पीठ कर बैठ गया और सोमा मेरी दोनों जांघो के बीच बैठ गयी. इस तरह वह मेरी लिंग को चूस सकती थी और कंप्यूटर स्क्रीन को देख भी सकती थी. अब शुरू हुआ लंड चुसाई के कार्यक्रम. टीवी देखकर खाना बनाते बहुत सारे औरतों को आपने देखा होगा लेकिन पोर्न फिल्म देखकर लंड चूसने वाली एक शायद पहली औरत होगी.

सोमा घुटनों के सहारे बैठ गयी. फिल्म में औरत ने बिना हाथ लगाए लड़के के लंड को उपर से नीचे तक चाटती है. वैसे ही सोमा ने मेरे फनफनाते नाग को गर्म जीभ से चाट दी. मेरे मुँह से ज़ोरदार सिसकी निकली. सोमा ने मेरी ओर देखा. मेरी आँखों में वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. फिर से उसने लंड को उपर से नीचे चाटी. मैं आँख बंद कर सिसिकी को काबू में करने की बेकार कोशिश कर रहा था. पोर्न फिल्म के अनुसार वह मेरी लिंग को चूम चाट रही थी. अब उसने मेरे लंड को पूरा मुँह में डालकर सर को आगे पीछे करने लगी. मेरा कड़क लंड उसकी गले तक जा पहुंचा. वह खांसते हुए लंड हो बाहर निकाली और हांफने लगी. मैंने उसकी सर को बालों से पकड़ कर लंड को फिर से मुँह में डालकर सर को आगे पीछे करने लगा. अब वह बड़ी आराम से मुझे मुख-मैथुन का सुख दे रही थी.

अब उसने फिल्म देखना बंद कर दी और दोनों हाथो से लंड को पकड़ कर चूसने लगी. चूसने के दौरान काफी मात्रा में लार निकला जो चाप-चाप की आवाज पैदा कर रही थी. वह मेरी गोटियों से खेलते हुए लंड को चूसने लगी. मैं सातवे आसमान में था. मेरा लिंग का सुपारा फुल गया था और दर्द कर रहा था. चूँकि आज काफी बार बिर्य निकला था इसलिए इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था, इसलिए सोमा धीरे-धीरे चूसने की गति बड़ा रही थी. एक हाथ से लंड को पकड़ दूसरा हाथ उसकी चुचियों पर चला गया. वह खुद अपनी चुचियों को मसल रही थी. यह देख मेरा लंड और अकड़ गया. सुपारे का दर्द मेरी जान निकल रहा था. अब मैं झड़ने वाला था. मैंने उसकी सर को लंड से अलग करने की कोशिश की लेकिन वह चुसे जा रही थी

. “आआह्हह्हह... सोमाआआआअ..... मेरा निकल रहा है..... अआह्ह्ह” एक तेज धार के साथ मेरा बांध टूट गया. ढेर सारा मुठ उसकी चुचियों पर जा गिरा. वह मुठ गिरने के वावजूद चुसे जा रही थी. लंड अकड़ कर 3-4 पिचकारी में मुठ निकाला और लटक गया. सोमा लंड को चुसे जा रही थी, जैसे वह सारा पानी निकल कर ही दम लेगी. मैंने उसको उठाकर जांघो पर बिठाया और उसकी होंठो को चूसने लगा. मैंने अपने बिर्य का स्वाद चखा. हम दोनों अगले 10-15 मिनट तक चूसते रहे. दोनों का बदन मेरे बिर्य से गन्दा हो गया, इसलिए

फिर से हमें बाथरूम जाना पड़ा.
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10-08-2020, 12:45 PM,
#14
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
हम दोनों ने वाशरूम जाकर अपने आप को अच्छी तरह से साफ़ किया. सोमा काफी खामोश लग रही थी. मैंने वजह जानने की कोशिश की.लेकिन वह एक फीकी मुस्कान के साथ बात को टाल गयी. सच में औरत के मन को समझना काफी मुस्किल है. एक औरत जो अभी कुछ मिनट पहले मुझे अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा मुख-मैथुन का सुख दिया, क्या हो गया जो इस तरह से मुरझा गयी. मैं शरीर से काफी थका और दिमाग से परेशान था. आज रात के बाद सोमा का साथ छुट जायेगा. लेकिन सिर्फ सेक्स ही मेरे परेशानी की वजह नहीं थी. अगर मैं थोड़ी कोशिश करू तो एक-दो प्रेमिका तो जुटा ही सकता हूँ अपनी सेक्स की जरूरत के लिए. मैंने पहले ही कहा था इस बड़ी उम्र की गंवार औरत के साथ कुछ लगाव महसूस कर रहा था. लेकिन यह लगाव वास्तव में क्या था, यह नहीं जनता था.

खैर मैं भरी मन से वाशरूम से बाहर आया. मैंने देखा की सोमा सिर्फ कमर में तौलिया लपेटे खिड़की के पास खड़े होकर बाहर की ढलती शाम को देख रही थी. उसकी आँखें सुर्ख और चेहरा बुझा सा था. मैं धीरे से उसके पीछे जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा. वह मेरी तरफ मुड़ कर देखी तक नहीं, चुपचाप खिड़की की और देखने लगी. मैं फ्रिज से दो गिलास ठंडा ऑरेंज जूस लाया और सोमा को एक गिलास पकड़ते हुए कहा – “अब अपनी उलझन नहीं बताओगी तो मैं कैसे तुम्हे प्यार करूँगा?”

वह मुस्कुराते हुए बोली – “बाबु, तुम तो मुझे वैसे ही प्यार कर सकते हो. लेकिन मैं कब तक तुमसे प्यार कर सकती हूँ. कल के बाद पता नहीं हम कभी मिल भी पाएंगे या नहीं.”

मैं ऑंखें नाचते हुए बोला – “ओहो, तो रानी को अपने राजा की जुदाई बर्दास्त नहीं हो रही है. इसलिए दुखी हो.”

मेरी बांह में एक चपत लगाकर बोली – “मजाक मत करो. कल से मुझे फिर से मेरी जिंदगी में वापस जाना पड़ेगा.”

मैंने उसकी कमर को एक हाथ से पकड़ कर सोफे पर बैठाते हुए बोला – “मेरी सोमारानी, तुम चिंता मत करो. कल मैं मेरे दोस्त की पत्नी से बात करूँगा. वो तुम्हे उसकी पार्लर में काम से लगा लेगी. कोई चिंता की बात नहीं है. कल के लिए तुम आज ख़राब मत करो.”

वह शरारत के अंदाज़ में बोली – “अच्छा, तो मेरे बालम को बहुत प्यार आ रहा है अपनी बुढी रानी पर?”

मैं उसकी गालो को चुमते हुए कहा – “अरे मेरी रानी तो अभी कमसिन कली है. जवान से जवान छोरियां भी तुम्हारे सामने फीकी है.”

यह बात सुनकर वह शरमा गयी गयी और नज़र झुककर पुरी की पुरी गिलास एक साँस में पि गयी. मेरे गिलास में जूस पूरा का पूरा था. मैं गिलास को ऊपर कर गिलास को गौर से देखने लगा. वह बोली – “क्या देख रहे हो बाबु? जूस पि लो नहीं तो गरम हो जाएगी.”

मैं मुस्कुराते हुए कहा – “रानी, मेरे जूस का स्वाद कुछ फीका लग रहा है. मज़ा नहीं आ रहा है.”

वह मेरे हाथ से गिलास ले एक घूंट लेकर बोली – “स्वाद तो ठीक है, मेरे जैसा है.”

मैंने वापस गिलास लेकर कहा – “नहीं तुम्हारे जैसा स्वाद नहीं है” और मैं उसकी पैरों के निचे घुटनों पर बैठ गया बिल्कुल उसकी जांघो के सामने. उसने अपनी जंगो को आपस में चिपका लिया और मेरी ओर सवालिया नजरो से देखने लगी. मेरे आखों के सामने उसकी मांसल चूत नाच रही थी. उसकी चुचियों की घाटी में बात फिराकर कहा – “मैं जूस में थोड़ा और स्वाद मिलाता हूँ. ठीक है. तुम आराम से बैठो.”

मैं तौलिये को बीच से खोलकर अलग कर दिया. उसकी चूत से मीठी महक आ रही थी. चूत की दोनों दीवारे चुदाई के कारण लटककर अलग हो गयी थी. उसकी दोनों टांगो को खींचकर अलग किया और कमर को सामने खिंचा.

वह मुस्कुराकर बोली – “आज लगता है मेरा बालम मुझे सोने नहीं देगा.” और सर को सोफे के दिवार पर टिककर पीछे झुक गयी.

मैंने गिलास से थोड़ा जूस उसकी चूत के मुँह पर डाला. ठंडी जूस ने उसकी बदन में सनसनी फैला दी. वह धीरे से उम्म्म की. मैं लंबी सी जीभ निकाल कर उसकी चूत की गहराई में दाल दिया. वह चुदास के मारे सीधी बैठ गयी . मैंने उसकी पेट को धीरे से धक्का देकर फिर से सोफे पर टिकाया और फिर से चूत चाटने लगा. मैं जोर जोर से चूत की गहराई में जीभ से कुरेदने लगा. सोमा की सिसकारी तेज हो रही थी. मेरी हर हरकत पर वह पेट को सिकोड़ लेती.

अब मैंने बाएं हाथ के अंगूठे से सोमा की भगनासा को छेड़ने लगा. चूत का यह हिस्सा काफी उत्तेजित करने वाला होता है. जैसे ही मैं जोर से इसको छेड़ता सोमा चिंहुक जाती. बार-बार सोफ़ा से उछल जाती. उसकी इस हरकत में मेरे सोये शेर को जगा दिया. मेरा लिंग सख्त होकर मुड़ गया था. मैंने उसकी चूत में और जूस डाला और दोनों ऊँगली सटाक से अंदर डाल दी.

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10-08-2020, 12:45 PM,
#15
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अचानक इस हरकत से सोमा एक ज़ोरदार आवाज के साथ उछली – “हाय रे. मर गयी माईईईईईईईइ”

उसकी सिसकारी की आवाज इतनी तेज थी की मुझे डर लगा की कहीं पड़ोस वाले सुन ना ले. मैंने जल्दी से हथेली उसकी मुँह पर रखा. वह एक बार मुझसे नज़र मिलाई फिर आंख बंदकर सोफे पर ढेर हो गयी. मैं तौलिये का एक छोर उसकी मुँह में डाला और फिर से उसकी चूत को दोनों ऊँगली से चोदने लगा. अब् उसकी मुँह से गु-गु की आवाज आ रही थी. वह लगातार अपने कमर को उछाल रही थी. मुझे भीअब बर्दास्त नहीं हो रहा था. एक हाथ से सोमा को चोद रहा था दूसरी हाथ से मैंने मुठ मरने लगा. अब सोमा की चूत गीली होने लगी. उसकी मुँह से गु-गुवाहट की आवाज बड़ने लगी. मैंने फिर ऊँगली और मुँह दोनों से उसकी चूत को मज़ा देने लगा. मेरा लंड भी पानी छोड़ने को तैयार होने को था, लेकिन मैं इतनी जल्दी झड़ने वाला नहीं था. मै लंड को छोड़ सोमा की चूत को जोर-जोर से चोदने लगा. अब वह आनंद की चरम सीमा पर पहुँच गयी थी. उसका बदन जोर-जोर के झटके देने लगा. उसकी चूत से तेज महक आ रही थी. चंद सेकंड में एक झटके के साथ पानी की तेज धार निकली जो मेरे चेहरे पर आ लगी. चूत की पिचकारी काफी तेज थी जो रुकने का नाम नहीं ले रही थी. मैं उसकी चूत पर जोर से चपत लगा रहा था. आखिर में सोमा का शरीर एक आखिरी झटके से साथ शान्त हो गया. अब मैं उसकी जन्घो के बीच खड़े होकर लंड को तेजी से आगे-पीछे करने लगा. मेरा लंड तो तैयार हो था इसलिए ज्यादा इन्तेजार नहीं करना पड़ा. 5-7 झटको में ही मेरा काम तमाम हो गया. बिर्य की तेज धार उछाल कर सोमा की चुचियों पर पड़ी. मैं सोफे पर निढाल होकर गिर पड़ा और सोमा के बगल में लेट गया. वह अभी भी हल्की आवाज में सिसिकारी ले रही थी. उसने मुझे अपनी और खींचकर मेरे सीने में सर टिककर लेट गयी. हम दोनों काफी ज्यादा थक गए थे लेकिन रात अब भी बाकी है.

मैं और सोमा दिन भर के काम-क्रीड़ा से काफी थक गए थे. सोफ़ा पर हमदोनो एक-दुसरे से चिपक के सोये थे बिना हरकत के. सेक्स के बाद भूख भी जोरो की लगी थी लेकिन किचन जाकर खाना बनाने की कोई इच्छा नहीं हो रही थी. अभी 5 मिनट हुए ही थे की बाहरी दरवाजे पर जोर की दस्तक हुई. मैं घबराकर खड़ा हुआ. सोमा शायद मदहोशी में थी. आधा आँख खोलते हुए कहा – “क्या हुआ बाबु? कौन आया है?”

मैंने जल्दी से उसको चुप कराकर फुसफुसाकर कहा – “एकदम आवाज मत करो. तुम बाथरूम में छुप जाओ. जबतक मैं ना बुलाऊ बाहर मत आना और बिल्कुल आवाज मत करना.”

सोमा बेमानी ढंग से नंगी ही बाथरूम चली गयी. अन्दर से उसने दरवाजा लगा लिया. दरवाजे पर फिर से दस्तक हुई. इस बार ज्यादा जोर से हुई. मैं तो बिल्कुल घबरा गया. जल्दी से पायजामा डाला ऊपर से टी-शर्ट डाली और कांपते हाथो से दरवाजा खोला. बाहर रीता काकी खड़ी थी. रीता काकी मेरे पडोसी है और मेरी माँ के साथ काफी अच्छा नाता है. काका बहुत पहले गुजर चुके है. एक ही बेटा है जो मुझसे 4 साल बड़ा है, शादी हो चुकी है अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है. हालाँकि काकी बहुत अच्छी है और माँ की अनुपस्थिति में मेरे परिवार का ख्याल रखती है. लेकिन सिर्फ उसके बेटे के सिवा मैं किसी से कभी ज्यादा बात नहीं की. खैर, वापस घटना पर आते है.

रीता काकी बोली – “बिनी क्या सोये हुए थे? किसी की जोर से चिल्लाने की आवाज आई.”

मेरी तो गांड फटकार हाथ में आ गयी थी. कहीं ये घर घुसकर तलाशी न ले. मैंने अपने आपको सम्हालते हुए कहा – “हाँ काकी. गहरी नींद में था. बुरा सपना देखा रहा था इसलिए चीख़ पड़ा.” हालाँकि यह मेरी ज़िन्दगी का सबसे हसीन सपना था.

काकी थोड़ी देर सोचने के बाद बोली – “ठीक है, मुँह हाथ दो लो. आठ बज गए है. खाना बनाने की जरूरत नहीं है, मैं पूर्णिमा से खाना भिजवा देती हूँ.”

मैंने काकी को शुक्रिया कहा और दरवाजे को बंद कर कमरे में आया. पूर्णिमा काकी की बहु थी. अभी 2 साल पहले उसके बेटे की शादी हुई है लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है. मैंने कभी भाभी को गौर से नहीं देखा था न ही कभी बात भी की थी. मैं घर और मोहल्ले में एक शरीफ, कम-बोलनेवाला और सीधा लकड़ा था. मोहल्ले की लड़कियों या भाभियों से कभी भी बात नहीं करता था. मैंने घर के अन्दर देखा. सोमा और मेरे कपड़े बिखरे पड़े थे. मैंने सबको समेटकर बाथरूम ले गया. दरवाजा खटखटाने के वावजूद सोमा दरवाजा नहीं खोल रही थी. काफी दस्तक देने के बाद वो दरवाजा खोलती है. मैंने कपड़े को बास्केट में डाला. शायद सोमा की आँख लग गयी थी.

वह मेरी ओर सवालिया नजरो से घुरी. मैंने उसकी गालो को प्यार से सहलाते हुए कहा – “रानी, थोड़ी देर और यहाँ रहो. ठीक है?”

वह हाँ में सर हिलायी और फिर से दिवार से माथा टिककर आँख बंद कर ली. मैं बाहर सोफ़ा पर बैठ पूर्णिमा भाभी का इंतज़ार करने लगा. लगभग आधे घन्टे के बाद दरवाजे पर दस्तक हुई. मैंने दरवाजा खोला तो दंग रह गया. पहली बार पूर्णिमा भाभी को सामने से देखा. दुधिया गोरा रंग, भरा हुआ बदन, मोटे भारी कुल्हे, मोटी बाहें, बड़ी-बड़ी लेकिन टाइट स्तन और लम्बाई लगभग 5 फीट.

मुझे देख मुस्कुरा के बोली – “मम्मीजी ने खाना भेजा है.” और खाने का डब्बा आगे बढ़ा दी.

मैंने डब्बा लिया और कहा – “अन्दर आईये ना”

वह अन्दर आते बोली – “चाचीजी कब आने वाली है?”

मैंने कहा - “कल, आप कैसी है भाभी?”

वह एक मुस्कान से साथ मेरी और मुड़ी, मुझे ऊपर से निचे तक देखी फिर मेरे गाल पर एक चिकोटी कट कर बोली – “कैसी है भाभी...... आज तक कभी भाभी से बात नहीं किया. कभी हाल-चाल नहीं पूछा और आज घर आई हूँ तो कैसी हूँ?”

मैं थोड़ा लजाते हुए बोला – “वोह दरअसल कभी हालात ही नहीं हुए.”

भाभी बनावटी गुस्से से बोली – “बिन्नी यार , तुम बड़े चम्पू हो. इतना शरमाते क्यों हो? पता नहीं तुम्हारी बीबी का क्या हाल होगा. वैसे कब मेरी देवरानी ला रहे हो?”

मैं थोड़ा झेंप गया. बड़ी मुस्किल से बोला – “देखता हूँ शायद अगले साल.”

वह जाने को दरवाजे की ओर मुड़ी. जाते जाते मेरे लंड को कपड़े के ऊपर से दबाते होय बोली – “ठीक है, मैं चलती हूँ. कल डिब्बा भिजवा देना.”

“जी ठीक है भाभी. गुड नाईट” वह तेज क़दमों से निकल गयी. उसके जाने के बाद मैं दरवाजा बंद किया.
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10-08-2020, 12:45 PM,
#16
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड


मैंने देखा सोमा हँसते हुए बाथरूम से निकल रही है. वह मेरी टी-शर्ट पहनी थी लेकिन कमर के नीचे से नंगी थी. मैंने पूछा- “क्यों हंस रही हो?”

उसने शायद मेरी और भाभी की बात सुन ली थी. बोली – “बाबु, वह औरत जो आई थी ना, वह तुमको चाहती है.”

मैंने बिरोध करते हुए कहा – “क्या बोल रही हो? वह तो मेरे साथ मजाक कर रही थी. मैं उससे कभी मिला ही नहीं.”

सोमा पास आकर मेरा हाथ पकड़ कर बोली – “मैं जानती हूँ बाबु. वह मन में तुमको चाहती है. अगर कहूँ तो तुम्हारा लोहा चाहती है.”

मैंने हैरानी में कहा – “लोहा???”

वह मेरे लंड को जोर से दबाकर मसलते हुए बोली – “हाँ तुम्हारा लोहा.”

“शिशिशिशी......” मेरे मुँह से जोर की सीत्कार निकल गयी.

“चलो खाना खाते है”, मेरे हाथ से डब्बा लेकर वह खाने के टेबल की ओर बढ़ी.

मेरे मन में ख्यालो और सवालो से बदल घुम रहे थे. क्या सही में पूर्णिमा भाभी मुझे चाहती है. या मेरे लोहे यानी मुझसे सेक्स करना चाहती है? क्या उसका पति उसको संतुष्ट नहीं करता है? या उसको पराये मर्द की आदत है? खैर मुझे उससे क्या. जो होगा देखा जायेगा.

टेबल पर सोमा खाना निकाल चुकी थी. रोटी, सलाद और चिकेन था. हमदोनो दिनभर के भूखे, खाने पर टूट पड़े. मैंने सोमा से पूछा – “अच्छा तुम्हे कैसे पता चला की पूर्णिमा भाभी मेरा लोहा चाहती है?”

वह हँसते हुए बोली – “बाबु मैं एक औरत हूँ. औरत को जानती हूँ. मैंने देखा बाथरूम से, जब वह तुमको गाल पर चिकोटी काटी तो उसकी छाती उभर गयी. उसकी मम्मे टाइट हो गई. उसकी आखें तुम्हारी पायजामे पर थी. तुम बस उसको भाव देते रहना, देखना तुमसे जरूर अपनी मुनिया बजाएगी.” और जोर से हंस दी.

उसकी बात पर मैं भी हंसा. अगले 15 मिनट में हमने खाना ख़त्म कर प्लेटे सिंक में डालकर हाथ धोए और बेडरूम पहुंचे. आज गर्मी कुछ ज्यादा थी. अन्दर आराम नहीं लग रहा था इसलिए मैंने सोमा को छत में जाने का प्रस्ताव दिया. सोमा आनाकानी करने लगी, उसे डर था की कोई हमे देख लेगा. मैंने कहा की हम दूसरी मंजिल के छत में जायेंगे जिसकी दीवारे ऊँची है और यहाँ किसी का मकान उतना ऊँचा नहीं है. कोई हमें चाहकर भी नहीं देख पायेगा. आखिर में वह राजी हुई. मैं एक गद्दा लेकर छत में चढ़ गया. साथ में ठंडी पानी की बोतल, एक तौलिया और कंडोम का पैकेट. हमारी आखिरी पारी छत में खुले असमान में खेली जाने वाली थी.

रात के लगभग 10 बज रहे थे जब हम छत पर पहुंचे. हल्की चांदनी छाई थी और मद्धम पुरवा भी चल रही थी. हमने छत के बीचो-बीच गद्दा बिछाया और मैं बीच में लेट गया. लेटते हुए मैंने अपने कपड़े निकले और सोमा की और ललचाई नजरो से देखने लगा. वह सिर्फ टी-शर्ट पहने हुए थी. उसने धीरे-धीरे दोनों हाथ ऊपर करते हुए शर्ट निकली जैसे स्ट्रिप कर रही हो. अब वह बिल्कुल नंगी कमर को थोड़ा लचककर मुँह में एक ऊँगली डाले खड़ी थी और मुस्कुरा रही थी. जैसे वह मेरे पहल का इंतज़ार कर रही हो.

हल्की चांदनी में उसका सांवला बदन खजुराहो की मूरत लग रही थी. मैंने उसे इशारे से अपने पास बुलाया. वह उसी कामुक अंदाज़ में कमर लचकाकर अपनी चूतड़ मटकाते हुए मेरे पास आई और पैरों को मोड़ते हुए मेरी कमर के बगल में बैठ गयी. मेरे एक हाथ को पकड़ कर एक ऊँगली अपने मुँह में डाल दी और चूसने लगी. उसकी आँखें वासना से लाल थी. ऊँगली को लोलीपोप की भांति जोर-जोर से चूसने लगी और मेरी धड़कन बढ़ने लगी. उसने मेरे दुसरे हाथ को अपनी दायीं चुंची पर रख दी और मैं अच्छे बच्चे की तरह उसकी चूची को दबाने लगा. उसकी चूची कठोर हो गयी थी. मेरे माथे पर पसीने की बुँदे आने लगी और मेरा लंड पुरे शबाब में आ गया.

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10-08-2020, 12:45 PM,
#17
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अब सोमलता दोनों जन्घो को चीरते हुए मेरे कमर पर बैठ गयी और मेरे होंठो को चूसने लगी. उसकी गांड की दरार मेरे लंड के ऊपर थी और वह लगातार कमर को ऊपर-निचे कर मेरे लुंड को रगड़ रही थी. मैं उसकी पीठ को मसल-सहला रहा था. उसकी सख्त चूचियां मेरे सीने पर गड़ रही थी. गर्मी की वजह से उसका भी बदन पसीने से भींग गया था और उसकी बगलों के पसीने से भींगे बालो से तेज़ महक आ रही थी. भले यह महक किसी को गन्दी बदबू लग सकता है. लेकिन एक लड़के को किसी औरत के बगलों की पसीने की महक भी उसके लिंग में तूफान लाता है.

सोमा ने मेरी जीभ को होंठो से पकड़कर चूसने लगी और इस क्रम में हमारा ढेर सारा लार बहकर मेरे बदन पर गिरने लगा. उसकी होंठो की पकड़ इतनी मजबूत थी की लगता था जैसे मेरे जीभ को खींच कर निकल लेगी. मैं बाजी पलटी, उसकी बालो को जोर से पकड़ते हुए उसकी गर्दन को चूमने लगा. उसके गले से हल्की गुर्राहट निकल रही थी. उसकी गर्दन और छाती को जीभ से चाटना शुरू किया, जिसने उसको गरम कर दिया जिसका अहसास मेरी कमर पर राखी उसकी गीली चूत दे रही थी. बदन पर लगे पसीने की नमकीन स्वाद को चाटते हुए उसकी चुचियों को मुँह से डालकर चूसने लगा. कभी उसकी चूची को दांत से जोर से काट देता तो कभी निप्पल खिंच के चूसता. उसकी गले से अब सिसिकारी निकल रही थी. अपने बदन को मेरे बाँहों से पकड़ से छुड़ाना चाहती और मैं ज्यादा कसकर उसको पकड़ लेता. उसकी चूतड़ लगातार मेरे लिंग को रगड़ रही थी. मेरे लिंग में तनाव बड़ने लगा इसलिए मैंने और इंतज़ार नहीं कर जल्दी से मेरा कड़क लंड उसकी चूत में डालना चाहता था. मैंने सोमा को कमर से पकड़कर उल्टा घुमाया और उसे पेट के बल गद्दे पर पटका.

वह थोड़ा गुर्राई और बोली – “साले कमीने, मैं कोई तेरी छिनाल हूँ जो इतनी जोर से पटक रहा है?”

मैंने उसकी गांड को चुमते हुए कहा – “नहीं सोमा डार्लिंग, तू तो मेरी रानी है. अब आराम से करूँगा.” मैंने उसकी कमर को थोड़ा उठाया और उसकी टांगो को मोड़ते हुए कुतिया बनाया. मैंने लंड को कंडोम पहनाया और उसकी चूत को ऊँगली करने लगा. उसकी चूत पहले की अपना रस छोड़ चूका था. मैंने लंड के सुपारे को चूत के मुँह पर लगाया और कमर को थोड़ा-सा धक्का देते हुए ठेल दिया. लंड बिना किसी मुस्किल के गीली चूत में सरसराते हुए अन्दर चला गया. लंड का एक-तिहाई हिस्सा अभी भी बाहर था. मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचते हुए फिर से एक ज़ोरदार धक्का मारा. इस बार पूरा लंड उसकी चूत में समां गया और दोनों के गांड आपस में जोर से टकरा गया. इस टक्कर ने सोमा को बुरी तरह से हिला दिया. वह दोनों हाथो से कसकर गद्दे को पकडे रही और मैं जोर-जोर से धक्के मरने लगा. उसके गले से मीठी सिसकारी निकल रही थी जो मुझे और उकसा रही थी. मैंने लंड को पूरा बाहर निकल कर एक ही टक्कर में पूरा धकेल दिया. लंड चूत की दीवारों को फाड़ते हुए दाखिल हुआ.

सोमा दर्द से बिलबिला उठी. लगभग मुझे धकेलते हुए सीधी लेट गयी और जोर-जोर से साँस लेने लगी. मेरा लंड पुच्च की आवाज के साथ निकल आया. सोमा आंख बंद कर सांसे भर रही थी और खुद ही मम्मो को मसल रही थी.

मैंने झुककर उसकी नाभि को चूमना शुरू किया और उसके कान के पास जाकर पूछा – “रानी, तैयार हो?”

वह हाँ में सर हिलाई बगैर आंख खोले. मैंने उसकी एक टांग को कंधे पर चढ़ाया और लंड को फिर से चूत से सटाकर रगड़ने लगा. मैं उसको तडपना चाहता था. जब सोमा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने खुद लंड को पकड़ कर चूत में डालने लगी. मैंने लंड से उसकी हाथ को हटाया और एक ही धक्के में पूरा अन्दर डाल दिया. मेरा साँस फूलने लगा. मैं थोड़ी देर रुक लम्बी सांसे भरने लगा.

मेरे रुक जाने से सोमा आंख खोलकर मुझे देखने लगी. बोली – “बाबु, तुम्हारे पांव पड़ती हूँ, अब मत तरसाओ.”

मैंने फिर से धक्के चालू किया लेकिन धीरे धीरे. उसकने अपने टांग से मेरे कंधे को कसते हुए मुझे अपने ओर खींचने लगी. मैंने अपनी गति बड़ाई और जोर धक्के के साथ चोदने लगा. उसकी गीली चूत और मेरे कंडोम लगे लिंग से फच्च-फच्च की आवाज तेज़ होने लगी. 30 धक्को के बाद मेरा लावा निकला. पसीने से तर-बतर मैं सोमा के ऊपर गिरा गया और मेरा लंड फिसलकर बाहर आ गया. सोमा और मैं एक-दुसरे के सूखे गले को लार से भिंगाने में लगे थे. मैंने लुंड से कंडोम को निकलना भी जरूरी नहीं समझा और सोमा को बाँहों में लेकर सो गया.

भोर की उजाले और चिडियों की आवाज से मेरी नींद खुली. सुबह होने से पहले ही सोमा को बाहर भेजना जरूरी था. अगर कोई देख ले तो मेरी हालत पतली होना तय था. मैंने उसको उठाया. वह आधी आंख खोले मुझे घुर रही थी. मैंने जल्दी से कपड़े समेटे और सोमा को पकड़ कर निचे उतरने लगा. नीचे उतरने के समय लगा की कोई हमे बगल से छत से देख रहा है. घर के खिड़की से देखा की पूर्णिमा भाभी छत पर खड़ी हमारे घर की ओर देख रही. मेरी हालत तो us चोर के जैसे हो गई जो रंगे हाथो पकड़ा गया हो. खैर जो होगा देखा जायेगा, यह सोच कर मैं नीचे घर में आया. तब तक सोमा भी अपने कपड़े पहन कर बाहर बरामदे में आ चुकी थी. मैंने उसको शाम को दोस्त के बीबी की पार्लर में आने का कहकर विदा किया क्योंकि अभी मोहल्ले वाले उसको मेरे घर में देख ले तो बवाल खड़ा हो जायेगा. सोमा मुझे एक चुम्मा देकर भरी मन से निकल गयी. अब मुझे पूर्णिमा भाभी को अपने बोतल में उतरना पड़ेगा अगर उसने सही में मुझे और सोमा को चुदाई करते देखा है तो. वरना मुझे कोई डर नहीं.
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10-08-2020, 12:45 PM,
#18
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मेरे बरामदे की घड़ी 6 बजा रही थी. कल रात की चुदाई से निकले मेरा और सोमा का रस मेरे बदन पर फैलकर सुख चूका था और पपड़ी बन गया था. अगले आधे घन्टे मैंने बाथरूम में खुद को साफ़ करते हुए बिताया. वापस छत में गया. वहां गद्दे के बगल में कंडोम गिरा था. उसको मैंने दूर फेंका और गद्दे बाकी सामान के साथ नीचे आया. सूरज दिन चढ़ने के साथ-साथ गर्मी बढ़ा रहा था. कल रात पूर्णिमा भाभी के दिए हुए खाने के डब्बे को साफ़ धोकर मैं बाहर रीता काकी के घर के तरफ निकल पड़ा. दिल में डर और गुदगुदी लेकर धीरे कदमो से जाकर काकी के दरवाजे पे देखा राजेश भैया बरामदे में बैठे अख़बार पड़ रहे है.

मुझे देखकर बोल पड़े – “अरे बिन्नी, कब आये तुम?”

मै एक चेयर पर बैठते हुए कहा – “3-4 दिन हो गए भैया. आप कब आये?”

“आज सुबह ही आया हूँ.” तभी अन्दर से भाभी आई. एक चुस्त नाईट गाउन पहने हुए थी जो की इतनी पतली थी की अंदर से लाल ब्रा झांक रही थी. मैंने कुर्सी से उठते हुए डब्बा देते हुए कहा – “भाभी कल खाने का डब्बा पहुचने आया हूँ.”

भाभी डब्बा लेते हुए बोली – “हाँ भाई, सही है. वरना तुम तो वैसे कभी हमारे घर आते ही नहीं.”

मै नज़र झुकाते हुए कहा – “नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं है. बस समय नहीं मिलता है.”

भैया हँसते हुए बोले – “अरे भाई, कभी-कभी मोहल्ले में भी सबसे मिला कर. और हम तो पडोसी है.”

“जी भैया!” मैं नज़र उठाया तो देखा भाभी मेरी ओर देखा के मुस्कुरा रही है.मेरी हालत पतली हो रही थी. डर और शर्म से चेहरा लाल हो रहा था.

तभी भैया बोल पड़े – “तुम यहाँ खड़ी क्या देख रही हो? जाओ बिन्नी के लिए चाय बनाओ.”

“नहीं भैया, मैंने पी ली है.”

भैया बोले – “अरे पियो यार!”

भाभी बिना किसी बात के अन्दर चली गयी. भैया से हमारे काम-काज और अपने अपने शहर के बारे में बात हो रही थी. लेकिन मेरा मन किसी बात में नहीं था. मैं यह सोच रहा था की पूर्णिमा भाभी क्या सब जानती है कल मेरे और सोमा के बारे में या नहीं. अगर जान चुकी है तो वह क्या करेगी. मुझे ब्लैकमेल करेगी, मेरी माँ को बताएगी या कुछ और. थोड़ी देर में मै राजेश को विदा कहकर घर निकल गया. घर जाकर सबसे पहले ढेर सारा ठंडा पानी पिया. और शांत होकर सोचने लगा की आगे क्या करना है.

अगले दो दिनों में मेरी छुट्टी की ख़तम होने वाली है और मुझे वापस ३०० किमी अपने काम पर जाना होगा. सोमलता का क्या होगा? अचानक मुझे याद आया की सोमा को मेरे दोस्त विवेक की वीवी की ब्यूटी-पार्लर में काम दिलाना है. मैंने विवेक को फ़ोन लगाया. हम दोनों स्कूल के दोस्त है और कॉलेज भी साथ गए. अब सिर्फ वही दोस्त है जिससे मेरा लगातार संपर्क बना हुआ है. उसकी बीवी नेहा हमारे साथ ही कॉलेज में पड़ती थी. शादी के पहले से ही उसकी ब्यूटी पार्लर थी जो अब शहर का सबसे नामी पार्लर है. विवेक से हाय-हेल्लो करने के बाद मैंने उसे बताया की मेरे गाँव की एक बेसहारा औरत है जिसको काम की जरूरत है.

विवेक ने फ़ोन उसकी बीवी को पकडाया. नेहा बोली – “अच्छा बिन्नी, उसकी उम्र क्या होगी?”

मैंने कहा – “येही 30-35 साल की होगी. उसका पति उसको छोड़ के भाग गया है. घर में सिर्फ सास है. गरीब है बेचारी.”

नेहा बोली – “बढ़िया है. मुझे ऐसी ही औरत की तलाश थी. कुछ काम कमउम्र की लड़कियां नहीं कर पाती है. तुम आज शाम को मेरे पास भेज दो. वैसी तुम कब तक यहाँ हो?”

मैंने उसको शुक्रिया कहा और बताया की और 2 दिन रहूँगा. उसने मुझे खाने का न्योता दिया. मेरी एक समस्या दूर हो चुकी थी. अब मेरा दिमाग पूर्णिमा भाभी के इर्द-गिर्द घुम रहा था. काफी सोचने के बाद मैंने सोचा की मुझे हिम्मत से काम लेना होगा और उसके सामने बिल्कुल नहीं डरना होगा. फिर देखा जायेगा आगे क्या होता है.

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10-08-2020, 12:45 PM,
#19
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड


खैर अब घर में मेरा परिवार आ चूका है और मैं शाम का इंतज़ार कर रहा हूँ. मेरा दिल उदास था क्योंकि मैं दो दिन के बाद वापस अपने काम पर जा रहा था. लेकिन इस बात की ख़ुशी थी की मैंने सोमा को अच्छे जगह पर काम दिलवा दिया. शाम को 5 बजे मैं अपने नेहा के पार्लर पर गया. मेरा दोस्त विवेक भी वहां पर था. मुझे पार्लर में गेट के सामने देखकर ना जाने कहाँ से सोमलता निकल मेरे सामने आई.

मैंने हैरत से पूछा – “तुम कहाँ थी? कब आई हो?”

वह बोली की आधे घन्टे से .

मैं उसको लेकर अन्दर गया. विवेक ने सवालिया नजरो से देखा हमे. मैंने कहा – “यार, यही है जिसके बारे में मैंने बताया था. नेहा कहाँ है?”

विवेक को अचानक कुछ याद आया और नेहा को आवाज लगाया. नेहा बाहर आई. काफी दिनों के बाद मैं उसको देख रहा था, काफी खुबसूरत लग रही थी. उसने मुझसे हाथ मिलाया और शिकायत करते बोली – “क्या बिन्नी, इतने दिनों के बाद मिल रहे हो. घर आते फिर भी नहीं मिलते. क्या पुरानी दोस्ती का कोई मतलब नहीं होता है?”

मैं झेंपते हुए बोला – “नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है. तुम सब अपने लाइफ में बिजी हो. इसलिए नहीं हो पाता.”

नेहा भौंहे नचाते हुए बोली – “अच्छा बच्चू, हम बिजी हो गए है. और तुम. खैर छोड़ो, आज रात को हमारे घर में खाना पड़ेगा. अच्छा मैं इसको काम समझा देती हूँ.” यह कहकर वह सोमलता को अन्दर ले गई.

मैं और विवेक गप्पे मारने लगे. लगभग आधे घन्टे के बाद दोनों बाहर आई. नेहा बोली – “बिन्नी, मैंने इनको काम समझा दिया है. कल से काम पर आ सकती है. कोई दिक्कत नहीं है.”

मैं उठते हुए बोला – “थैंक्स यार! अभी चलता हूँ. रात को आता हूँ.” मैं पार्लर से निकल गया,

मेरे पीछे सोमा भी बाहर आई. बाहर आकर वह मेरे और देखकर मुस्कुराते हुए बोली – “बाबु तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया. हम फिर कब मिलेंगे?”

मैं थोड़ा सोचते हुए बोला – “देखते है, अभी मेरे हाथ में और 2 दिन है. कोई ना कोई जुगाड़ लगता हूँ.” मैं उसको चूमना चाहता था लेकिन बीच बाज़ार में यह करना मुनासिब नहीं था. इसलिए मैं उसको ऑटो में बिठाकर घर की और निकल गया.

घर जाने के रस्ते में पूर्णिमा भाभी दरवाजे पर दिखी. मुझे देखकर मुस्कुराई लेकिन चेहरे पर उदासी थी. मैंने आँखों में ही हेल्लो बोलकर घर घुंस गया. आज रात मुझे बिना चुदाई के रहना पड़ेगा, यह सोचकर मेरा दिमाग फटा जा रहा था. वह क्या है की पिछले कुछ दिनों के दिन-रात सेक्स का नशा लग गया था. इस तरह अचानक ब्रेक लगने पर मेरा हाल उस पियक्कड़ की तरह हो गया, जो जनता है की आज उसको पीने को पानी के सिवा कुछ नहीं मिलेगा फिर भी वह दारू की उम्मीद करता है.

देर रात में विवेक और नेहा के घर से लौटा. रात के लगभग 10:30 हो रहे थे. मैं ऊपर के कमरे में बैठा इन्टरनेट सर्फ कर रहा था. मेरा टेबल बिल्कुल खिड़की पर था, उस खिड़की के सामने रीता काकी का घर है. मैं ध्यान मग्न होकर लैपटॉप पर नज़रे गढ़ाए था. अचानक मेरा ध्यान सामने वाले छत पर गया. ऐसा लगा की कोई छत के किनारे खिड़की को देर से देख रहा है. बाहर चांदनी थी लेकिन इतना साफ़ नज़र नहीं आ रहा था. जब मैं उठकर खिड़की के और पास गया तो देखा की वह शख्स धीरे-धीरे चलते नीचे उतर गया. पायल की झंकार से मैं अंदाज़ा लगाया की यह पूर्णिमा भाभी ही थी. मेरे दिमाग में सवालो के बदल उमड़ने लगे. क्या सोमा की बात सच थी? क्या सच में भाभी को मुझमे दिलचस्पी है? क्या वह मेरा लोहा (लंड) चाहती है? क्या भैया से उसकी बनती नहीं है? बगैरह बगैरह... फिर मैंने सोचा कि ऐसा भी तो हो सकता है की वह ऐसे ही छत पर थी और मुझे देखना सिर्फ एक इत्तेफ़ाक था. खैर मेरा दिल को सेक्स की भूख लगी थी और मैं इसके लिए कुछ भी करना चाहता था लेकिन क्या करूँ? सोमलता को घर में नहीं ला सकता और कहीं बाहर भी नहीं मिल सकता. जिंदगी में आज पहली बार मुझे इतना मजबूर लग रहा था.

खैर जैसे-तैसे रात बीती. सुबह ही मैं बाइक लेकर सोमा के गाँव की तरफ निकल गया. गाँव घुसने के पहले एक छोटा-सा बगीचा आता है. उसके बाहर ही सोमा से मुलाकात हो गयी. शायद वह शहर आ रही थी पार्लर. मुझे देखकर वह घबरा गयी. चारो तरफ देखी कोई भी नहीं था वहां हमारे सिवा. घबराते हुए पूछी – “बाबु, तुम यहाँ क्यों आये? कोई देख ले तो मेरा जीना मुश्किल हो जायेगा. जल्दी से निकल जाओ.”

मैंने उसके पास आकर बाइक से उतरते हुए कहाँ – “कुछ नहीं होगा. तुम्हारा काम कैसा चल रहा है?”

वह धीरे से बोली – “अभी बस काम सीख ही रही हूँ. अब यहाँ से जाओ.” मुझे लगभग धक्के मरते हुए बोली.

मैंने उसका हाथ पकड़कर विनती की – “प्लीज रानी, मैं कल रात से तड़प रहा हूँ. कुछ करो ना.”

वह गुस्से में बोली – “क्या करूँ यहाँ? तुम मुझे यहाँ चोदना चाहते हो? दिमाग ख़राब हो गया है क्या बाबु?”

मैं धीरे से कान में कहा – “सुनो यहाँ बगल में एक पुराना मकान है जो खंडहर हो चूका है. वहां कोई नहीं आता है. एक बार आओ ना.”

वह फिर से नाराज हो बोली – “देखो बाबु, मुझे देर हो रही है. पार्लर जाने में देर हो जाएगी.”

मैंने फिर से विनती की – “सिर्फ 10 मिनट, प्लीज!”

वह मुस्कुराते हुए बोली – “ठीक है.”
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10-08-2020, 12:46 PM,
#20
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड


मैं जल्दी से बाइक स्टार्ट की और 2 मिनट में खंडहर के पीछे वाले झाड़-जंगल में बाइक को छुपा दिया ताकि किसी हो पता नहीं चले. यह खंडहर काफी सालो पहले आलीशान बंगला था. लगभग 20 से ज्यादा कमरे है, कुछ तो अभी भी अच्छे हालत में है. लेकिन पुराने मकानों का जो हाल होता है वोही इसके साथ हुआ. भुत-प्रेत का भी अफवाह सुना है इसके बारे में. खंडहर के आस-पास झाड़-जंगल उग गए है. मैं एक झाड के पीछे सोमलता का इंतज़ार करने लगा. 5 मिनट के बाद वह आती दिखी. मैं आवाज देकर उसको बुलाया, वह जल्दी से अन्दर आई. मैं उसको पकड़ के एक बड़े से कमरे के अन्दर ले गया जो मैंने पहले ही देख रखा था.

वह अन्दर आकर थोड़ा सहम गई – “बाबु, मैंने तो सुना है कि यह जगह भुतिया है.”

मैंने उसको बाँहों में भरकर कहा – “कुछ नहीं होगा रानी. चलो अब प्यार करते है.” मैंने चूमना-चुसना शुरू किया.

वह भी मुझे कसकर पकड़ ली और मुझे चूमने लगी. उसकी बदन से किसी खुशबूदार साबुन की महक आ रही थी. अचानक वह अलग हो गयी और बोली – “बाबु, मुझे देर हो रही है. अभी जाने दो.”

मैंने लगभग चिल्लाते हुए बोला – “क्या? मैं इतना झमेला करके आया तुमसे मिलने और तुम बोल रही हो जाने दो?”

वह थोड़ा सोचने के बाद बोली – “ठीक है. चलो मैं जल्दी से तुमको ठंडा कर देती हूँ.” यह बोल वह मेरे सामने घुटनों पर बैठ गयी और मेरा पेंट उतारने लगी. जींस को उतारने के बाद जैसे ही मेरा कच्चा नीचे खिसकाई, मेरा लंड उछल के बाहर आ गया. मेरी और मुस्कुरा कर बोली – “बाबु, तुम बड़े औरतबाज हो. शक्ल से तो भोले लगते हो.”

मैंने लंड को उसकी मुँह से सटा कर बोला – “रानी, तेरी जवानी ही ऐसी नशीली है की मैं पागल हो जाता हूँ.”

वह हँसे हुए मुँह खोल मेरे लंड को चुसना शुरू करती है. उसकी मुँह की लार की ठंडक से मेरा लंड सख्त हो जाता है और उसका सुपारा फुल के कुप्पा हो गया. मैं आखें बंद कर उसकी माथे हो आगे-पीछे करने लगा. लंड चूसते समय वह मेरे अन्डो से खेल रही थी. सोमा ने चूसने की गति बढाई तो मेरा दिल तेज धड़कने लगा. 10 मिनट हो चुके थे, और मैं अब भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. सोमा अब लंड को काटने-दबाने लगी. आखिर मेरा लावा छुट गया. पुरे बदन में तेज हरकत हुई. ऐसा लगा की मेरे पैर उखड जायेंगे. मैं बड़ी मुश्किल से खड़ा रहा. ढेर सारा गरम बिर्य से सोमा का मुँह भर गया, और कुछ उसकी होंठो से बहने लगी. मैं धडाम से नीचे बैठ गया और तेज साँस लेने लगा.

सोमा एक ही घूंट में बिर्य को निगल कर रुमाल से मुँह साफ़ की और बोली – “ठीक है बाबु, मैं चलती हूँ. याद रखना मैं अभी भी प्यासी हूँ. आज रात को यहाँ आये?”

मैंने ख़ुशी से उसको गले लगते हुए कहा – “जरूर रानी. मैं बगीचे में इंतज़ार करूँगा रात के 9 बजे. सारा इन्तेजाम कर लूँगा. चलो मैं तुमको बाइक पर छोड़ हूँ.”

सोमा कपड़े ठीक करते हुए बोली – “नहीं बाबु, कोई देख लेगा. अभी चलती हूँ रात को आती हूँ.” यह कहकर वोह तेज कदमो से चली गयी.

मैं थोड़ी देर बैठा रहा, फिर जींस पहनी और पुरे खंडहर का मुयायना करने लगा. बेसब्री से रात का इंतज़ार रहेगा.
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यह खंडहर किसी ज़माने में आलिशान रहा होगा. जिसमे आज रात हमलोग कामलीला करने वाले है वहां न जाने कितनो बार चुदाई हो चुकी होगी. खण्डहर की पुरी निगरानी करने के बाद मुझे एक जगह पसंद आई. यह तीसरी मंजिल में थी. यह एकदम अन्दर वाला कमरा था, जिसके चारो ओर कमरे बने थे. इसलिए अन्दर की कोई भी हलचल आसानी से बाहर नहीं जानेवाली. ओरो के लिए यह बंगला भुतिया और डरावना हो सकता है लेकिन हमारे लिए यह ताजमहल से कम नहीं. मैं बाहर निकल के चुपके से बाइक निकली और बिना किसी को दिखाई दिए निकल गया. घर जाकर रात के लिए तैयारी शुरू की. एक बैग में एक मोटी चादर, टोर्च, मोमबत्ती, माचिस, चाकू, मच्छर भागनेवाला अगरबत्ती बगैरह डालकर तैयार था. खाना मैं रस्ते में पैक करवाने वाला था. मैं बेसब्री से रात का इन्तेजार करने लगा. दोपहर को गहरी नींद में सोया. शाम को घर में बताया की एक दोस्त के घर जा रहा हूँ कुछ बिज़नस प्लान के बारे में बात करने. रात को उसके घर में रुकुंगा.सोमलता लगभग शाम को 7 बजे पार्लर से निकलती है. मैं भी उसके समय के हिसाब से सब तैयारी की. रेस्तरा से खाना पैक करवाया पानी की बोतले डाली. मैं बाइक से ही निकला, हालाँकि यह सुरक्षित नहीं था. मैं शहर के बाहर के चौराहे पर सोमा की रह देखने लगा. मेरा दिल जोर-जोर से उछाले मर रहा था.

वैसे स्कूल के दिनों में मैं अपने दोस्तों के साथ इस तरह के भूतिया जगहों पर रोमांच के लिए राते गुजारी है लेकिन उसमे रोमांच था और इसमें रोमांस और सेक्स है. थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद सोमलता आते दिखी. उसने दूर से ही मुझे सड़क के किनारे खड़े देख ली लेकिन कोई हरकत नहीं की. शाम के वक़्त चौराहे पर काफी भीड़ थी. वह बिना किसी तवज्जो के मेरे बगल से निकल गयी. उसके जाने के बाद मैंने बाइक स्टार्ट की और उलटी दिशा में निकल गया. आगे से एक गली निकलती है जो खंडहर वाले बंगले के कुछ पहले निकलती है. मैं पहले बंगले पर पहुँच गया और बाइक को बंगले के भीतर छुपा दिया. बाहर से सोमलता का इन्तेजार करने लगा. शाम घनी और अँधेरी हो गयी थी.

सोमा 15 मिनट में आई. मैंने झड़ी के पीछे से उसको अन्दर खिंच लिया.

वह सकपका गयी. मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली – “क्या करते हो बाबु? मेरी जान निकल दी तुमने!” .
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