Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
10-08-2020, 12:46 PM,
#21
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड


मैं उसकी बांह पकड़ कर तेजी से अन्दर ले गया. “जल्दी चलो, नहीं तो कोई देख लेगा.”

जाहिर सी बात है की वह थोड़ा डरी हुई थी. थोड़ी देर में हमलोग अपने घोंसले में आ गए. मैंने चादर बिछाई, एक मोमबत्ती जलाई. वह चारो तरफ घुमती हुई बोली – “वाह बाबु, इन्तेजाम तो बढ़िया किया है. आज की रात मैं याद रखूंगी.”

मै उसकी पतली कमर को कसकर पकड़ते हुए बोला – “मेरी रानी, आज मेरा लंड और तेरी चूत रात भर सुहागरात मनाएंगे.” कहकर मैंने उसकी होंठ पर होंठ लगा दिया. उसने भी होंठो को खोलकर मेरी पहल का जवाब दिया. हमलोग एक-दुसरे की जीभ का स्वाद ले रहे थे और हमारे लार आपस में घुलकर एक नया स्वाद बना रहे थे. चुम्मा करते-करते हमलोग चादर में बैठ गए और एक-दुसरे की जिस्म को टटोलने लगे.

सोमा शायद कुछ ज्यादा ही चुदासी हो रही थी. चुमते-चूसते वह मेरी शर्ट की निकलने की कोशिश कर रही थी. मैंने खुद उसकी मदद करते हुए अपनी शर्ट-बनियान को निकल दी और पेंट भी उतार दी. मेरा लंड पहलवान मेरी जॉकी की अंडरवियर को फाड़ने को था. हमलोग 20 मिनट से एक-दुसरे का रस चूस रहे थे. सोमा एक हाथ से मेरे माथे को पकड़कर मुझे चूम रही थी और दुसरे हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी. अचानक वह रुक गयी. उसकी आखों में वासना तैर रही थी. मेरा लंड अब भी उसकी हाथ की पकड़ में था. वह धीरे से बोली – “बाबु, याद है, तुम्हारा उधार बाकी है.”

अब मुझे सुबह की बात याद आई. उसने मेरा लंड चूसा था, अब मुझे भी उसकी चूत चूसकर उसे झड़ाना होगा.

वह खड़े होकर ऑंखें मटकाते हुए बोली – “तुम्हे कुछ दिखाना है.”

मैं सवालिया नजरो से उसको देखा, वह मंद-मंद मुस्कुराते हुए अपनी साड़ी पेटीकोट समेत कमर से ऊपर तक उठा दी.

“ओ साली!!” मेरा मुँह पूरा का पूरा खुला रह गया.

सोमा ने अपनी चूत को बड़ी अच्छे से सफाई की हुई थी, जो मोमबत्ती की रौशनी में चमक रही थी. इतनी चिकनी चूत मैंने पहले कहीं नहीं देखी थी. मेरे मुँह से तो लार निकल रही थी. साली, ऐसी चूत अगर चाटने को मिले तो मैं दिनभर चूत में मुँह लगाकर पड़ा रहूँ! यह जरूर पार्लर का काम है.

सोमा कमर मटकाते हुए मेरे करीब आई और कमर को मेरे मुँह से सटा दी. फिर फरमान वाली आवाज में बोली – “चलो, अब अपना उधार चुकाओ. खास तुम्हारे लिए आज पार्लर में मैं सफाई कराइ है अपनी मुनिया की.”

मैंने कमर को पकड़ कर चूत की होंठो को चूम लिया. चूत से अभी भी क्रीम की मीठी महक आ रही थी. मैंने उसको चादर पर लेटाया और उसकी साड़ी,पेटीकोट को ऊपर उठाकर उसकी चूत के दरार को ऊँगली से मसलने लगा. वह हल्की-हल्की सिसकारी ले रही थी. अब मैंने ढेर सारा थूक ले उसकी चूत में ऊँगली करने लगा.

सोमा सिसकारी लेते हुए धीरे से बोली – “बाबु, इसको चुसो ना. आज चूस-चूसकर इसकी पानी निकल दो. मेरा कर दो... आहा...आआह्हह्हह...आआह...”

मैंने फ़ौरन जीभ से चाटना शुरू किया. सोमा तो सातवे असमान पर थी, जैसे सुबह से ही इसका इंतज़ार कर रही हो. मैं पहले चूत के आस-पास को चाटना शुरू किया, फिर चूत की फटी दरार को चाटना शुरू किया. मेरा खुरदुरा जीभ कमाल कर रही थी, जिसका अंदाज़ा सोमा की सिसकारी से चल रहा था, जो अब तेज हो रही थी. तेज सिसकारी के साथ उसका पूरा शरीर बरि तरह से कांप रहा था. इधर मेरा भी बुरा हाल था. मेरा लोहे जैसा लंड खम्भा जैसा खड़ा था और काफी तकलीफ दे रहा था. सोम आँख बंद लिए सिसकारी मर रही थी. मज़बूरी में मुझे एक हाथ से अपने लंड को झटके देना पड़ा. मैं सोमा की चूत को जीभ से चोद भी रहा था और खुद मुठ भी मार रहा था. उसकी चूत आब गीली हो रही थी. उसकी सिसकी धीमी हो रही थी लेकिन शरीर तेजी से झटके दे रहा था. मैंने जीभ को और अन्दर डालकर ज्यादा लार से चुसना चालू किया. कमरे में सोमा की सिसकारी और चुसाई की सुडुप-सुडुप की आवाज भर रही थी. अचानक सोमा जोर से चीखी – “आःह्ह्ह.....माई रीईई....मेरा हो गयाआआ...बाबुऊऊउ.........” उसकी चूत ने रस का बांध खोल दिया और मेरा मुँह उसकी प्रेमरस से भर गया. अजीब नमकीन सा स्वाद था उसकी चूत का पानी का. सोमा का बदन झटके मर शांत हो गया. वह आँखें बंद कर ‘उम्म्मम्म.....उम्म्मम्म’ कर रही थी लेकिन मेरा अभी भी नहीं हुआ था. मैं उसकी टांगो के बीच घुटनों के बल बैठकर जोर जोर से मुठ मरने लगा. मेरा लंड भी कुछ झटको के बाद छुट गया. तेज पिचकारी के साथ लंड का माल सोमा की चूत में जा गिरा. मैं भी धड़ाम से सोमा के बगल में जा गिरा. हमदोनो चुपचाप आँखें बंद कर लेटे रहे. प्यास से गला सुख रहा था
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10-08-2020, 12:46 PM,
#22
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ताजे वीर्य की महक, हल्की गर्मी और इस खंडहर की सोंधी-सोंधी गंध एक अजीब सी रोमांचक माहौल बना रखा था. साधारण तौर पर इस वक़्त मुझे डर लगना चाहिए, लेकिन मुझे मजा आ रहा था. जिंदगी में उन्ही चीजो को करने में ज्यादा मज़ा आता है जो या तो निषिद्ध है या जो आसानी से कोई कर नहीं सकता. बाहर किसी जानवर के भूकने की आवाज आ रही थी, शायद कुत्ते या सियार की.

मैंने आँख खोली, सोमा को देखा. उसका बदन सांसो के साथ ऊपर-निचे हो रहा था, आंख बंद और चेहरे पर शांति थी जैसे की कोई बड़ी मुसीबत का हल हो गया हो. मेरा गला सुख चूका था. मैंने उठकर बैग से पानी की बोतल निकली एक ही घूंट में आधा पानी पि गया. सोमा के पास जाकर धीमे से पूछा – “रानी, प्यास लगी है?” वह बिना कुछ बोले मुँह खोल दी. मै बोतल से पानी पिलाया. वह पानी पीकर भी आँख बंद कर लेटी रही.

मैंने उसको परेशान करना सही नहीं समझा और बाहर के कमरे की खिड़की से बाहर का नज़ारा देखने लगा. बाहर घुप्प अँधेरा था, दूर से शहर की रौशनी दिख रही थी.

तभी अन्दर से सोमलता की धीमी पुकार सुनाई दी – “ओ बाबु, कहाँ गए अपनी रानी को छोड़कर.... पास आओ ना....”

उसकी पुकार मदहोश कर देने वाली थी. शायद झड़ने की वजह से नशे में थी. अन्दर कमरे में गया तो वहां का नज़ारा देख मेरा सर चकराने लगा. मेरी प्रेमिका चूत-चुसाई की वजह से मदहोश नहीं थी. वह अपने सारे कपड़े उतार दिवार से पीठ टिकाकर बैठी थी और उसके हाथ में एक बोतल थी. जी हाँ, वह साली दारू पी रही थी, वह भी देसी. शायद मेरे लंड को यह नज़ारा अच्छा लग रहा था तभी तो वह अपना फन उठा रहा था.

मैं जल्दी से उसके पास गया हाथ से बोतल छिना तो पाया की वह एक तिहाई दारू गटक चुकी थी. सोमा मेरे हाथ से बोतल छीन ली.

मैंने हैरानी से पूछा – “तुम दारू पीती हो?”

नशीली आँखों से मेरी ओर ताकते हुए बोली – “हाँ पीती हूँ कभी कभी. आज मेरी ज़िन्दगी का ख़ुशी का दिन है. तुम क्यों हैरान होते हो. तुम भी तो पीते हो.” फिर एक घूंट लगाकर मुझे अपने पास चिपका ली. बोतल को बगल में रखकर मेरी गर्दन को कसकर पकड़ ली और मेरी होंठो पर होंठ लगा दी. उसकी मुँह से दारू का तीखा गंध और कसैला स्वाद से दम उखड़ने लगा.

मैं हट गया. सोमा को मेरा इस तरह से हटना बुरा लगा. वह फिर से मुझे खींचकर होंठो से चिपका ली. इस बार उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी की मैं बेचारा तड़प कर रह गया. वह कोई आम घरेलु औरत तो थी नहीं, मजदूरी करनेवाली औरत की पकड़ मजबूत तो होगी ही. उसने मेरे होंठो को इस तरह से चूस रही थी की मेरा साँस लेना दूभर हो रहा था. लगभग 7-8 मिनट के बाद मैं जल बिना मछली की तरह छटपटाने लगा.

किसी तरह उसकी पकड़ से छूटकर मैं भागा पानी के लिए. पानी पीने के बाद मेरे जान में जान आई. मैं जोर-जोर से साँस ले रहा था. मेरी यह हालत देखकर वह बच्चे की तरह जोर-जोर से हंसने लगी. मेरी तो गांड फट रही थी कोई सुन ले तो आफत आ जाये. मैं जल्दी से उसकी होंठो पर ऊँगली रखकर कहा – “जोर से मत हंसो, कोई सुन लिया तो आफत आ जाएगी.”

उसका हँसना बंद हुआ लेकिन मुझे देख मुस्कुराते हुए बोली – “क्या बाबु, इतने में जान निकल गयी तेरी. तू सचमुच बहुत भोला है. आ मेरे पास आ मेरे बालम!” दोनों बाहें फैलाये मुझे अपने पास बुला रही थी.

गाँव की औरतो के नखरे, प्यार सब कुछ अनोखा होता है. खासकर नीची जाति वालों की. मैं गौर किया की सोमलता मुझे ‘तुम’ की जगह ‘तू’ से बुला रही है. शायद यह शराब का आसर था जो उसको कुछ ज्यादा खोल दिया था. मुझे अपने सीने से चिपकाकर मेरे पीठ को सहलाते हुए पूछी – “अच्छा बाबु, शादी होने के बाद भी क्या तू मुझे प्यार करेगा ? मेरी चूत को चुसेगा? मुझसे मिलेगा?”
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10-08-2020, 12:47 PM,
#23
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मैं उसकी बायीं गाल को चुमते हुए – “बिल्कुल मेरी रानी. जब तुम बुढ़िया हो जाओगी तब भी मैं तेरी चूत तो चुसुंगा.”

सोमा मेरी पीठ में चिकोटी काटते हुए बोली – “बहुत ज्यादा शैतान हो गया है तू.”

मैं बोला – “अच्छा वो सब हटा. यह बताओ की तुम्हारा काम कैसा चल रहा है पार्लर में?”

वह लम्बी साँस लेते हुए बोली – “बहुत अच्छा काम है बाबु. कोई झमेला नहीं है. मजदूरी से बहुत अच्छी है. वहां साले सब मेरी बदन के पीछे पड़े रहते थे. यहाँ कोई डर नहीं है. और मैडम बहुत अच्छी है. मैं जिंदगी भर तुम्हारी उधारिन रहूंगी.” यह कहते हुए मेरी ओर देखी. उसकी आँखों के शुकून था.

कुछ देर हमलोग ऐसे ही पड़े रहे. आज हमारे जिस्म ही नहीं दिल भी मिल रहे थे. पता नहीं इस रिश्ते का क्या अंजाम होगा? और मैं अंजाम के बारे में सोचना भी नहीं चाहता. मैं तो बात इस अजीब रिश्ते को जीना चाहता था जब तक जी सकूँ.

हमदोनो दिवार पर पीठ टिकाकर लेटे हुए. रात का सन्नाटा अजीब-सी सुकून का एहसास करा रही थी जैसे की हमदोनो के लिए समय थम सा गया हो. सोमलता मेरे सीने पर सर रख लेटे हुए थी. उसकी एक टांग मेरे कमर पर और उँगलियाँ मेरे सीने के बालों से खेल रही थी.

मैं उसकी नितम्बो को सहलाते हुए पूछा – “रानी???”

“हम्म्म्म” वह धीरे से जवाब दी.

“अच्छा तुम्हारी शादी किस उम्र में हुई थी?” – मैंने पूछा.

वह कुछ देर खामोश रही जैसे की बीती बातों को याद कर रही हो. 15-20 सेकंड के बाद गहरी साँस लेकर वह बोली – “अठारह साल की उम्र में मेरा लगन हो गया था. लेकिन मेरे बापू के मरने के कारण एक साल के बाद मेरी शादी हुई. शादी मेरी धूम-धाम से हुई, क्योंकि मेरा आदमी दिल्ली में कमाता था. बहुत खर्चा किया था शादी में. जानते हो पहली बार मेरे गाँव में अंग्रेजी बाजा आया था किसी की बरात में.” उसकी बातों में थोड़ी सी गुरूर थी और उदासी भी.

मैंने आगे पूछा – “तुम्हारा पति कैसा था?”

वह थोड़ा और उदास लहजे में बोली – “हाँ, पहले तो अच्छा था. 6 महीने की छुट्टी में घर आया था. शादी करने के वास्ते. मेरा काफी ख्याल रखता था. मुझसे प्यार भी करता था बहुत. 4-5 महीने तक सब ठीक था. फिर वापस दिल्ली चला गया. 6 महीने बाद आया होली में. तब से कुछ दूर रहने लगा हमसे. जैसे की हम कोई दूर के है. रात तो ना प्यार करता था ना चुदाई. मैं तड़प रही थी.”

मैंने पूछा – “अचानक ऐसा क्यों करने लगा? तुम्हारा कोई झगडा हुआ था?”

वह गहरी साँस लेकर बोली – “पता नहीं बाबु! पता नहीं किसकी नज़र लग गयी. कुछ पूछने पर बताता भी नहीं था. मुझसे दूर भाग जाता था.”

मैंने और जानने के लिया पूछा – “अच्छा तुमलोगों का कोई बच्चा नहीं हुआ?”

वह कुछ देर फिर खामोश रही. मुझे लगा की शायद रो रही हो. मै धीरे-धीरे उसकी नितम्बो को सहलाते हुए उसकी पीठ को सहलाने लगा. फिर वह धीरे से बोली – “हाँ बाबु. शादी के 3 महीनो के बाद मैं पेट से हुई. ससुराल में सब खुश थे. अचानक मैं जोर से बीमार पड़ी. अस्पताल में डाक्टर बाबु बोला की मेरा बच्चा पेट में ही मर गया है. फिर कभी मैं माँ नहीं बन पाई.” उसकी आवाज भारी हो चली थी.
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10-08-2020, 12:47 PM,
#24
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैं उसकी माथे को चुमते हुए कहा – “दिल छोटा मत करो रानी. ठीक तो है, नहीं तो मैं आज तुम्हारे साथ नंगा लेटा नहीं होता ना.”

वह फीकी हंसी हँसते हुए बोली – “धत, तुम शैतान हो बाबु.” अब उसकी उँगलियाँ फिर से मेरे सीने के बालों से खेल रही थी.

मैं अपने दायें हाथ को फिर से उसकी नितम्बो पर ले गया और पूछा – “अच्छा रानी, सच बताओ तुमने कभी अपने पति को छोड़कर किसी और मर्द से चुदी हो? मेरा मतलब मुझे छोड़कर.”

वह मेरा निप्पल जोरसे मरोड़कर बोली – “तू बहुत शैतान हो गया है.”

मैंने उसकी गांड को जोर से दबाया और उसकी माथे को चुमते हुए कहा – “रानी, बताओ ना. मुझसे आब क्या शर्मना?”

वह थोड़ा इठलाते हुए बोली – “नहीं, मैं नहीं बताउंगी.”

मैं फिर से उसकी गांड दबाई और दुसरे हाथ से उसकी गाल सहलाते हुए कहा – “बताओ ना, मैंने तो तुमको सब बताया है अपने बारे में.”

वह बोलना शुरू की – “हाँ, एकबार चुदी हूँ. मेरे मरद के मौसेरे भाई से. शादी के एक साल के बाद वाली होली में.” फिर वह चुप हो गई.

मैं जोर देकर कहा – “अच्छा, पुरी कहानी बताओ ना.”

वह बोली – “अभी बोलूं?”

मैं उसको दोनों बाँहों में कसते हुए कहा – “हाँ, रानी अभी बोलो. मज़ा आएगा.”

वह मेरे बाँहों में सिमटते हुए बोली – “ठीक है, तब सुनो.”

अब आगे की कहानी मेरी सोमा रानी की जुबानी!!!
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10-08-2020, 12:47 PM,
#25
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
अब आगे की कहानी मेरी सोमा रानी की जुबानी!!!

मेरी शादी के साल भर से भी ज्यादा हो गया था. मेरा मरद दिल्ली में था. लगभग 7 महीने पहले गया था. बीच-बीच में गाँव के लाला के दुकान में टेलीफोन करता था लेकिन हमसे बात नहीं होता था. हमको बोला था की अगली बार दिल्ली लेकर जायेगा और वहीँ रखेगा. इसी बीच होली भी आ रही थी लेकिन वह होली में घर नहीं आएगा येही बोला था. मैं बहुत उदास थी. किसी काम में मेरा मन नहीं लग रहा था. एक तो नयी-नयी शादी हुई थी और उफनती जवानी मेरे बदन पर सवार थी. मैं क्या करती? कितने महीनो से मरद के प्यार के लिए तरस रही थी. रोज़ मेरी चूत में खुजली होती और रोज़ रात को अकेले में ऊँगली से पानी निकाल कर खलास होती. इस वजह से मेरा मन काफी चिडचिडा हो गया था. हमारा मन ना किसी काम में लगता ना किसी से बात करने में. अकेले खोई-खोई सी रहती थी.

जैसे तैसे दिन कटते-कटते होली का त्यौहार आ गया. हमारे ससुराल की होली बहुत दमदार मनाया जाता है. सबके घर में कोई ना कोई मेहमान आता है सब मिलके मस्ती करते है. मेरे भी ससुराल में मेरी दो ननदे जिनकी शादी हो चुकी थी आई थी. और मेरा आदमी का मौसेरा भाई भी आया था. उसका नाम गोपाल था, 22 साल का बांका जवान था जो शहर में आईटीआई की पढाई करता था. देखने में अच्छा था और रंग भी साफ़ था. घर में सब उसको गोपी बुलाते थे. होली से 2 दिन पहले हमारे ससुराल पहुंचा. मेरे ससुराल में मेरी सास के अलावा मेरे मरद की बड़ी बहन ही रहती थी. मेरी सास ने मुझे बताया की यह गोपी है, शहर में रहता है और मेरा छोटा देवर है.

गोपी मेरे पास आकर ऊपर से निचे देखा और कहा – “कमाल की बहु खोजी हो मौसी. भैया तो बहुत किस्मतवाले है. जरा अच्छा से देखूं भाभी का चेहरा.” यह कहते हुए गोपी ने मेरी ठुड्डी से चेहरा ऊपर करते हुए बोला – “वाह, भाभी. तुम कमाल हो. मौसी, मेरे लिए भी ऐसी ही लड़की खोजना.”

मेरी सास हँसते हुए बोली – “हाँ, हाँ. ठीक है. आ जाओ. हाथ-मुँह धोकर नाश्ता कर लो.”

ठुड्डी से हाथ हटाते समय गोपी ने हलके से मेरी एक मम्मे को छू लिया. मैं तो शर्म से पानी-पानी हो गयी. पता नहीं देवरजी ने यह जान-बुझकर किया था या अनजाने में हो गया. महीनों की उपवास के बाद किसी मरद की छुवन ने मुझे चुदासी बना दिया.

उस दिन की रात बिना किसी हंगामे के कट गया. गोपी मेरी सास और ननदों से गप्प करने में ही खोया रहा. हमसे भी कुछ बातचीत हुई लेकिन देवर-भाभी के रिश्ते के कारण ज्यादा खुल नहीं पाई.

असली कहानी होली के दिन से शुरू होती है. होली के दिन सुबह से ही हम औरतें रसोई में पकवान बनाने में लगी हु थी. सारे मरद या तो किसी की दालान पर गप्प लड़ा रहे थे या होली खेलने की तैयारी में लगे थे. कुछ देर के बाद ही मोहल्ले में होली का शोर-गुल होने लगा. सारे जवान लौंडे एक-दुसरे पर रंग डाल रहे थे. रसोई का काम ख़तम होने के बाद मेरी सास-ननदें नहाने नदी चली गई. मैं घर में अकेली थी. मैं अकेले बैठे-बैठे पिछले साल की होली के बारे में सोच रही थी की अचानक जोर से दरवाजा खुलने की आवाज हुई. बाहर निकली तो देखा की गोपी पुरे रंग में रंगा भूत लग रहा है और दांत निकालते हुए हाथ में रंग लेकर मेरी ओर आ रहा है.
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10-08-2020, 12:47 PM,
#26
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैं तो समझ गई की मेरी खैर नहीं. मैं डरते हुए कहा – “नहीं देवरजी, मेरे कपड़े ख़राब हो जायेंगे. अभी नहीं.”

लेकिन वह मुस्कुराते हुए हाथ में गीला रंग लेकर मेरे पास आया और बोला – “क्या भाभी, मेरी पहली होली है आपके साथ और आप नहीं बोल रही हो. रंग तो आपको लगाना ही पड़ेगा. आज तो मैं अपनी सुन्दर भाभी को जमकर रंग लगाऊंगा.”

वह जैसे ही मेरी तरह बढ़ा, मैं दौड़ कर अन्दर भागी. वह भी मेरे पीछे-पीछे दौड़ा. आखिर अन्दर के छोटे कमरे मैं जाकर मैं फंस गयी. मैं शरमाते हुए दिवार की और मुँह कर खड़ी हो गयी. जानती थी कि अब मैं बच नहीं सकती. वह धीरे-धीरे मेरे पीछे आया और मेरे कान पे फुसफुसाते हुए बोला – “भाभी, बुरा मत मानो. होली है!”

अब मेरी हालत हलाल होने वाले बकरे के जैसे हो गयी. गोपी बिल्कुल मेरे पीछे था. मैं उसकी गर्म सांसो को महसूस कर सकती थी. गोपी ने दोनों हथेलियों से मेरे गालो को पकड़ा और जोर से रंग मलने लगा. मैं बचने के भागने लगी तो उसने एक हाथ से मुझे कमर से कसकर पकड़ लिया. मैं उसकी पकड़ में छटपटाने लगी तो वह और कसके पकड़ लिया. आज महीनो के बाद मुझे एक मर्द के बदन का स्पर्श मिला रहा था. अच्छा लग रहा था लेकिन साथ में डर भी रही थी.

अब गोपी की हथेली गाल से मेरी गर्दन को मल रही थी. मैं अन्दर ही अन्दर सिसकारी ले रही थी. पता नहीं आगे क्या करेगा यह सोचकर मेरी धड़कन बढ़ रही थी. मैं आँख बंदकर उसकी मर्दानी पकड़ का मज़ा ले रही थी. धीरे-धीरे उसका हाथ गर्दन से मेरी छाती पर आ गया. मेरा दिल धक् से रह गया. घर में कभी मैं ब्लाउज के अन्दर ब्रा नहीं पहनती थी. गाँव में ब्रा तो क्या कच्छी तक नहीं पहनती है औरतें. उसके रंग लगे हाथ मेरी मम्मों के उपरी हिस्सों को सहला रहे थे.

मेरे लिए सिसकारी को अब दबा रखना मुश्किल था. “उम्म्मम्म....... सिस्स्स्स......... उम्म्मम्म..........” मैं आंख बंद कर हल्की सिसकारी ले रही थी. गोपी की हिम्मत बढ़ गयी थी. अब उसका हाथ ब्लाउज के और अन्दर जाकर मेरे मम्मो को जोर से दबा रहे थे. मेरी प्यासी चूत में खुजली होने लगी. ऐसा लगता था की मेरे पैर जमीन से उखड जायेंगे और मैं गिर जाउंगी.

तभी घर के बाहर किसी की आवाज आई. सायद मेरी सास और ननद नहा कर वापस आ गयी थी. मैं झटके देकर अपने आप को गोपी से अलग किया. मारे शर्म के मैं उससे नज़र भी नहीं मिला पा रही थी. नज़र उठाकर देखी तो वह मुस्कुरा रहा था. धीरे से पूछा – “भाभी, रंग गहरा है. इतनी जल्दी नहीं जायेगा.”

मैं दौड़कर कमरे से बाहर निकल गयी. बाहर गयी तो मेरी सास और ननद मुझे सवालिया नजरो से घुर रही थी. मैंने झेंपते हुए कहा – “माँ जी, देखो ना पड़ोस की कमला रंग से मेरे कपड़े ख़राब कर गयी.”

सास हँसते हुए बोली – “अरे बहु, होली है. यहाँ तो ऐसे ही होली खेलते है. गोपी कहाँ है?”

मैंने कहा – “पता नहीं. घर नहीं आया. शायद बाहर खेल रहा है होली.” दिल में डर था कहीं सास देख न ले. लेकिन सास जब अन्दर गयी तो पता नहीं किस रास्ते से गोपी घर से बाहर निकल चूका था.
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10-08-2020, 12:48 PM,
#27
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
उस दिन मैं पता नहीं किस नशे में दिनभर मदहोश रही. दोपहर के बाद गुलाल-अबीर और खाने-पीने का दौर शुरू हुआ. हम औरतें मिलकर गुलाल खेल रही थी और मर्द भंग आपस में भंग बाँट रहे थे.

शाम को गाँव के सारे औरतें और मर्द मिलकर अबीर-गुलाल खेल रहे थे. मैं भी गाँव की भाभियों और ननदों के साथ थी. सच में त्योहारों में कोई चाहे कितना भी अकेला क्यों ना हो, कुछ देर के लिए सब कुछ भूल जाता है. मैं भी सब के साथ हँस-बोल रही थी. कुछ औरतें तो गन्दी मजाक कर रही थी. देर रात तक महफ़िल जमी रही फिर सब अपने अपने घर चले गए खाने. रात ग्यारह बजे खाना-पीना ख़तम हुआ. पोछना-धोना करने के बाद मैं जैसे ही अपने कमरे में सोने गयी,

मुझे लगा की वहां पहले से कोई बिस्तर पर बैठा है. मैं डरते-डरते अन्दर गयी तो मुझे शराब की तेज़ बू आई. थोड़ी पास जाने पर उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया. मेरे हलक से चीख निकलते निकलते रह गयी. अन्दर गोपाल था जो मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा – “मेरी प्यारी भाभी, बहुत तरसा हूँ आज तेरे लिए.” अपना मुँह मेरे पास लाया,

मैंने शराब के महक के चलते मुँह हटा लिया और धीरे से बोली – “शराब पीकर आये हो देवरजी?”

वह मुझे बाँहों में कसकर जकड़ते हुए बोला – “अरे भाभी होली का अवसर है, दोस्तों-भाई ने पिला दिया. तो क्या मना करता. चलो एक चुम्मा दो.” फिर से वह अपना मुँह लाया.

मैं डरते हुए बोली – “कोई आ जाएगा देवरजी. देख लिया तो गजब हो जायेगा.”

गोपाल मेरी पीठ को सहलाते हुए बोला – “फ़िक्र मत करो भाभी. आज सब थककर सो रहे है. कोई नहीं आयेगा. रुको मैं दरवाजा लगा कर आता हूँ.” गोपाल दरवाजा लगाने गया.

हालाँकि कमरे में ज्यादा उजाला नहीं था लेकिन हमे साफ़ नज़र आ रहा था. वह मुस्कुराते हुए वापस आ रहा था और मेरी धड़कन बढ़ रही थी. मैं बिस्तर में एकदम सिमट के बैठी थी. वह धीरे से मेरे पास बैठा और दोनों हाथो से मेरी गर्दन को पकड़ मेरे होंठो पर होंठ रख दिया. मेरा दिल धक् से रह गया. कुछ देर तक वह अकेला ही मेरी होंठो का रस चूसता रहा, फिर मेरा बदन भी गरमा गया. मैंने भी होंठ खोल दिए और फिर तो जबरदस्त चुम्मा शुरू हो गया दोनों तरफ से. हम दोनों एक दुसरे के पीठ को नापने में लगे थे.

गोपाल का हाथ धीरे धीरे मेरे मम्मो पर आ गया. मेरे मम्मे उस वक़्त काफी बड़े और कसे हुए थे. मैं कभी भी घर में ब्रा नहीं पहनती थी. मारी चुदास के मेरे मम्मो की बोटी कड़े हो गए थे. मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गयी थी. मै तो चाहती थी की जल्दी से जल्दी गोपाल अपना लंड मेरी चूत में डाल दे, लेकिन शर्म में कारण कुछ भी नहीं बोला पा रही थी.

उधर गोपाल मेरी मम्मो से खेल रहा था. धीरे-धीरे मैंने अपना हाथ उसके लुंगी के ऊपर गया और उसका डंडा महसूस हुआ. अचानक गोपाल रुक गया और बोला – “भाभी सब्र नहीं हो रहा है क्या?”

मैं बोल पड़ी – “देवरजी, अब जल्दी से डाल दो. देर मत करो.”

“ठीक है भाभी!” बोलकर उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी साड़ी अलग की लेकिन मेरी ब्लाउज की नहीं निकाला. सिर्फ मेरी पेटीकोट को उतारा. मैं ब्रा नहीं पहनती थी लेकिन मासिक के कारण पैंटी पहनती थी. पैंटी तो पहले ही भींग चुकी थी. गोपाल मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही मसलना शुरू कर दिया.
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10-08-2020, 12:48 PM,
#28
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मेरी सिसकारी अब और तेज़ होने लगी. मेरे माथे पर पसीने आने लगे. देवरजी लुंगी गिरा दिया. उसका कच्छा तम्बू बना हुआ था. मैं एकटक उसके कच्छा को देख रही थी. वह यह देखकर मुस्कुराया.

गोपाल को समझ में आ गया था कि मैं पूरी तरह से गरम हो गयी हूँ. उसने ऊँगली से पैंटी के रबड़ को खिंचा, मैंने भी मदद करने के लिए चूतड़ उठा दी ताकि कच्छी आराम से निकल सके. चूत की ढकने वाला हिस्सा भींग चूका था और मेरी रस के महक रहा था. देवरजी ने पैंटी को नाक से सटाकर सूंघने लगा और मेरी ओर कातिल नज़रों से देखना लगा. मैं शरमाकर सर को बगल घुमा ली.

“भाभीजी, तुम्हारी चूत तो बड़ी मस्त महक रही है. लगता है उतनी मजेदार भी होगी.” यह कहकर उसने फिर से नाक से लगा लिया. मैं तो जैसे असमान में तैर रही थी. आगे जो हुआ, वह मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था. उसने पैंटी को दूर फ़ेक मेरे दोनों जांघों के बीच अपने सर को ले आया. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती गोपाल ने मेरी चूत पर पूरा मुँह लगा दिया.

गोपाल को समझ में आ गया था कि मैं पूरी तरह से गरम हो गयी हूँ. उसने ऊँगली से पैंटी के रबड़ को खिंचा, मैंने भी मदद करने के लिए चूतड़ उठा दी ताकि कच्छी आराम से निकल सके. चूत की ढकने वाला हिस्सा भींग चूका था और मेरी रस के महक रहा था. देवरजी ने पैंटी को नाक से सटाकर सूंघने लगा और मेरी ओर कातिल नज़रों से देखना लगा. मैं शरमाकर सर को बगल घुमा ली.

“भाभीजी, तुम्हारी चूत तो बड़ी मस्त महक रही है. लगता है उतनी मजेदार भी होगी.” यह कहकर उसने फिर से नाक से लगा लिया.

मैं तो जैसे असमान में तैर रही थी. आगे जो हुआ, वह मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था. उसने पैंटी को दूर फ़ेक मेरे दोनों जांघों के बीच अपने सर को ले आया. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती गोपाल ने मेरी चूत पर पूरा मुँह लगा दिया. जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी चूत पर मुँह रखा था. मेरा मरद थूक लगाकर ऊँगली से मेरी चूत मसलता था चुदाई से पहले. देवर की इस हरकत में मुझे हिलकर रख दिया. मैं एकदम से चिहुँक उठी और जोर से चिल्ला उठी. अगले ही पल मुझे अहसास हुआ की मेरी आवाज इस शांत रात में बहुत दूर जा सकती है. गोपाल भी अब कमर से उठकर मेरी छाती को मसलने लगा और मुझे लम्बी गहरी चुम्मी देने लगा. वह शायद मुझे शांत करना चाहता था. मैं अभी भी जोर-जोर से साँस ले रही थी और मेरी सीत्कार हमदोनो के मुँह में घुटकर रह जा रही थी. लगभग 5 मिनट तक मुझे चूमने के बार वह फिर से मेरी जांघो के बीच आ गया.

मारे शर्म के मेरी आखें बंद थी और सांसे धौकनी जैसी चल रही थी. मैं सर को एक तरफ घुमाकर बैचैनी से आनेवाले तूफान का इंतज़ार कर रही थी. लेकिन गोपाल भी शातिर खिलाडी था. वह खेल को लम्बा खींचने में माहिर था. इतने देर तक वह सिर्फ मेरी चूत को घूरे जा रहा था, कुछ कर नहीं रहा था. इधर मेरी बेसब्री बढ़ती जा रही थी.

आखिर में मुझे ही चुप्पी तोड़नी पड़ी. “देवरजी, आज कुछ करोगे या घूरते ही रहोगे?” मेरी आँख अब भी बंद थी. मेरी आवाज में चुदास थी. मेरा गला सुख रहा था और चूत गीली हो रही थी. अगर मेरे बस में होता तो मैं अपनी चूत को खुद चाट लेती.

गोपाल धीरे-से मेरे कान को चुमते हुए कहा – “भाभी, तुम्हारी चूत इतनी सुन्दर है की देखते रहना चाहता हूँ. गुलाबी बिल्कुल गुलाब के जैसे.”

चूत की बढाई सुनकर तो हर लड़की शरमा जाती है. मेरी गाल भी शर्म से लाल हो गयी. गोपाल मेरी गर्दन चुमते हुए होंठो को चूसने लगा. लेकिन इसबार वह बड़ी बेदर्दी से चूमने लगा. कभी मेरी होंठो को चूमता-कटता, कभी जीभ को चूसता तो कभी मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरी जीभ को लपेटता. मैं पागल हुए जा रही थी. मेरे हाथ उसकी पीठ को सहलाते-सहलाते कमर के निचे जा पहुंचा. उसकी गांड के दरार में काफी सारे बाल थे. एक हाथ उसके पेट के निचे जा पहुंचा जहाँ उसका फ़ौलाद तन कर अड़ा था. काफी अरसे के बाद मेरे हाथ को मर्द का लंड नसीब हुआ था. लेकिन उसका लंड लंड नहीं खम्भा था. इतना बड़ा और मोटा लंड मैंने आज तक किसी का नहीं देखा. हालाँकि मैं अभी तक सिर्फ अपने पति और अपने चाचा का लंड देखा था वह भी गलती से.

मुझसे अब रहा नहीं गया. मैं उसके लंड को मसलने लगी. अब देवरजी की हल्की मीठी सिसकारी निकली – “ओह मेरी प्यारी भाभी! करते रहो, बड़ा मज़ा आ रहा है.” मैं भी जोश में आ गयी और गोपाल के लंड को जोर-२ से मसलने लगी. उसका बदन कांप रहा था और मुँह अजीब-अजीब आवाज निकाल रहा था. अचानक उसने मेरे हाथ से लंड को हटा लिया और मेरे ऊपर से हट गया. शायद उसको पता चल गया की और ज्यादा देर तक चलने से वह मेरे हाथों में ही झड जायेगा. मैं उसको ताकती रह गयी. उसने मेरे बदन को खींचते हुए बिस्तर के किनारे ले गया. मेरी टांगो को हवा में रखते हुए अपने कंधो पर डाल लिया और अपने आप को मेरी जांघों के बीच में टिका लिया. अब उसका लंड मेरी चूत के दरवाजे पर था. कमर से पकड़ कर उसने जैसे ही अपनी ओर खिंचा उसका लंड जोर से मेरी मुनिया से टकरा गया.

“ऊऊम्म्म्म्म्म्.........हाययय......”

“सोमा रानी........... तैयार रहो..........” गोपाल ने एक ही धक्के में अपना लोहा मेरे अन्दर डाल दिया.
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10-08-2020, 12:48 PM,
#29
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
लगभग साल भर के उपवास से मेरी चूत पर जंग लग गया था. इसलिए जैसे ही लंड अन्दर गया, ऐसे लगा की किसी ने गर्म सरिया मेरी चूत में डाल दिया. हाय! वह रात किसी सुहागरात से कम नहीं थी. मैं तो जैसे कुंवारी से औरत बन गयी. 4-5 धक्के लगाने के बाद गोपाल रुक गया और मेरी मम्मो से खेलने लगा. फिर धीरे से कान में कहा – “सोमा भाभी, अच्छा लग रहा है?”

उस वक़्त मैं सारे लाज-शर्म भूल गयी और जोश में बोली – “जोर से अपना लंड पेल तब तो अच्छा लगेगा. देवरजी आज मेरी चूत की प्यास बुझा दो. मुझे अपनी छिनाल बना लो.”

मेरी बात ने उसको और गरम कर दिया और मेरी कमर पकड़ कर जोर-जोर से झटके मारने लगा. उसके झटको में इतना जोर था की पर खाट कचर-पचार कर रहा था जैसे की उखड ही जायेगा. उसके टट्टे मेरी चूतड़ से टकरा रहे थे. मेरी प्यासी चूत ज्यादा देर तक झेल नहीं पाई और जोर से फव्वारा मरते हुए खलास हो गयी. लेकिन गोपाल रुकने का नाम नहीं ले रहा था. मैं तो खलास होने के बाद शांत पड़ी रही लेकिन गोपाल लगा रहा. गीली चूत में उसका लंड मक्खन में छुरी की चल रहा था. 20-22 धक्को के बाद वह भी झड गया और मेरे ऊपर निढाल हो गिरा. हम वैसे ही लेते रहे. मैं तो करवट बदलने के लायक भी नहीं थी.

आधे घन्टे के बाद गोपाल उठा, अपने कपड़े पहन बाहर जाने लगा. जाते वक़्त मुझे बोला की दरवाजा अन्दर से लगा लो. लेकिन मैं नशे में बेहोश थी. सुबह करीब 3 बजे मेरी नींद खुली और खुद को नंगी बिस्तर पर पाई तो मेरा माथा ठनका. अच्छा हुआ की कोई जागा नहीं न ही कोई मेरे कमरे में आया. मेरा बदन थक के चूर हो गया था. किसी तरह कपड़े पहन मैं फिर से लेट गयी. अगले 3 दिनों तक गोपाल हमारे घर में रुका और हमने छः बार चुदाई की. एक बार तो गन्ने के खेत में भी उससे चुदी.

सोमलता की कहानी ख़त्म हुई.

रात भी लगभग गुजरने वाली थी. शायद भोर के 4 बज रहे थे. बाहर के पेड़ों से पक्षिओं के चहचहाने की आवाज आ रही थी. मैं दिवार पे टिककर लेटा हुआ था और सोमा मेरे बदन पर निढाल पड़ी थी. भोर की हल्की ठंडी से दो नंगे बदन थोड़ा अकड़-सा गया था. अब हमारे पास समय बिल्कुल नहीं था. गर्मी में सुबह बहुत जल्दी हो जाता है और यह जगह भी बिल्कुल सुरक्षित नहीं था.

मै सोमा को पुकारा – “सोमा..... सोमा रानी... उठो हमें निकलना पड़ेगा”.

लेकिन वह तो बेसुध सोई थी. सारी रात जागने के बाद शायद नींद आ गयी थी. मुझे भी आज शाम की गाड़ी से निकलना है. मैं सोच रहा था की यह जो सम्भोग की आग मुझमे लग गयी है, इससे कैसे बचूँगा. क्यों ना निकलने से पहले एक बार चुदाई कर ही लिया जाए? लेकिन सोमा तो थक के सो रही थी. क्या करू? अँधेरा छटने लगा था और थोड़ा उजाला खिडकियों के सहारे हमारे कमरे में आ रहा था. सोमा पेट के बल मेरे बदन से चिपक के लेटी थी. उसका बदन में चमक थी बिल्कुल चिकनाई वाली चमक. अचानक मुझे लिंग पर कुछ फिसलता हुआ महसूस हुआ. सुबह में तो वैसे ही लिंग कड़क और खड़ा रहता है.

मैंने देखा सोमा एक हाथ से मेरे लंड को धीरे-धीरे सहला रही थी. मेरा लंड और कड़क हो गया और उपरी चमड़ी को फाड़ने को बेताब हो रहा था. मैं सोमा के चेहरे को देखा – “वह अब भी बिल्कुल बेसुध सोई थी. उसके चेहरे पर गिरी जुल्फे उसके चेहरे को और भी खुबसूरत बना रही थी. चेहरे पर इतनी मासूमियत के साथ वह मेरा लंड सहला रही थी, यह देख मेरा लंड और बेताब हो गया.”

अब मेरे लिए इंतज़ार करना मुस्किल हो गया. उसकी चिकनी पीठ को सहलाते हुए धीरे से कान में पुकारा – “सोमा रानी..... चलो जाना पड़ेगा अब....”

वह धीरे से आँख खोल मेरी ओर देख बोली – “हम्म्म्म... क्या हुआ बाबु?”

“चलो... कोई आ जायेगा. निकलते है.”

वह उसी इत्मिनान से जवाब दी – “इतनी जल्दी? आज तो तुम निकल रहे हो ना?”

“हाँ......” मेरी आवाज में उदासी थी.

“तो बाबु, जाने से पहले मेरी ऎसी चुदाई करो की तुम्हारे आने तक मेरी चूत शान्त रहे और तुम्हारे लोहे को याद करती रहे. सिर्फ चुदाई. कोई चुम्मा-चाटी नहीं कोई दाबा-दबाई नहीं. सीधे मुझे अपने नीचे पटको और दाल दो अपना फौलादी लोहा मेरी चूत में.”

यह सब बात मेरे तने हुए लंड को उत्तेजित करने के लिए. वैसे भी कहा जाता है की सुबह की चुदाई रात की चुदाई से ज्यादा कामुक और दमदार होती है. सोमा की हाथ की पकड़ मेरे लंड पर ज़ोरदार हो गयी थी कि अब मुझे दर्द हो रहा था. आगे के 30-40 मिनट काफी तूफानी होने वाले थे.
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10-08-2020, 12:48 PM,
#30
RE: Mastaram Stories ओह माय फ़किंग गॉड
मैंने सोमा को कसकर पीठ से पकड़ा और एक झटके में घुमाकर मेरे नीचे ला डाला. उसकी आँखों में सेक्स की गुलाबी डोर तैर रही थी. उसकी चूचियां कसकर तन गयी थी और घुन्डियाँ नुकीली. एक हाथ से उसकी बांयी चूची को कसकर पकड़ा और दुसरे हाथ से चूत को मसाज करना शुरू किया. पहले धीरे-धीरे फिर पुरे जोश से. सोमलता की मुँह से निकलने वाली सिसकारी भी घुटकर रह जा रही थी, जैसे कि उनमे ज्यादा जान बाकी ना हो.

अचानक उसने दोनों हाथ को रोक दिया और लगभग चिल्लाते हुए बोली – “यह क्या दबा-दबाई कर रहा है हरामी. जल्दी से अब मुझे चोद ना.”

पहली बार उसकी मुँह से अपने लिए गाली सुनकर थोड़ा ख़राब लगा, लेकिन अगले पल समझ गया की ये सब वह मुझे उकसाने के लिए बोल रही है. मेरे मन में भी गुस्सा भर गया. गुस्से में मैंने लंड को चूत की फांको पे टिकाया और जोर से धक्का मारा. लेकिन मेरा निशाना चुक गया और मेरा तना हुआ लंड उसकी चिकनी पेट पर फिसल गया और मैं भी अचानक सोमा के बदन पर गिरते-गिरते बचा.

सोमा बुरी तरह से हंस पड़ी, जोर-२ से हंसने लगी. मेरा चेहरा गुस्से में और तमतमा गया. सोमा ने मेरी हालत देख किसी तरह से अपने आप को हंसने से रोका और मेरे लंड को पकड़ अपनी चूत में लगा कर अन्दर ठेल दी. सुपारा अन्दर चला गया, लेकिन मैं अभी भी गुस्से में था और चुपचाप लंड का सुपारा डाले बैठा था. सोमा ने मेरी चूतड़ को दोनों हाथ से पकड़ खुद ही मुझे आगे-पीछे करने लगी और मैं भी उसकी ताल में ताल मिलाने लगा.

मेरी नज़र उससे मिलते ही वह वह मुस्कुराके बोली – “बाबु, तुम बहुत भोले हो और गुस्से में बहुत ही अच्छे लगते हो. बिल्कुल बच्चे जैसे.”

मेरा गुस्सा पिघल गया. मैं मुस्कुराया और उसकी कमर को पकड़ धक्का लगाने लगा. अब मेरा लंड उसकी चूत की पुरी गहराई माप रहा था, लेकिन धक्को का मार कम ही था. तब सोमा बोली – “चलो मेरे राजा बाबु, एब मर्द की तरह ज़ोरदार धक्का मारो. आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दो. मारो जोर से. पेलो जोर से.”

कोई मर्द जो अपना लंड किसी औरत की बुर में डाल रखा हो, उसके लिए ये बातें आग में पेट्रोल का काम करती है. अचानक मेरे अन्दर का जानवर जाग गया, और मैं पुरी ताकत से अपनी कमर को उसकी कमर पर पटकने लगा. उसने भी दोनों टांगो को चौड़ा कर दी ताकि मेरा लंड ज्यादा अन्दर तक जा सके. मैं बिना किसी की परवाह किये पुरी जोर से धक्के-पे-धक्के लगा रहा था. हर धक्के पर सोमा की सिसकारी गूंजती – “हैईईईइं...... हाय रेरेरेरेर..... अह्ह्ह्हह्ह.... जोरर्रर्रर से.....”जो मेरे मन और जोर भर रही थी. हमारे बदन की उठा-पटक से पूरा कमरा गूंजने लगा.

मेरा पूरा शरीर पसीने से लथपथ हो गया और चेहरे से पसीना टपकने लगा. अचानक मेरे लंड में उफान आने लगा, मैं जोर से सिसकारी ली – “सोमाआआआआ......”

वह समझ गयी की मैं झड़ने वाला हूँ. वह जल्दी से मेरे अन्डो को पकड़ ली और बोली – “अभी नहीं बाबु. अभी मत झाड़ना. थोड़ी देर रुक जाओ.”

मैं धड़ाम से उसके ऊपर गिर पड़ा. मेरी सांसे जोर-जोर से चल रही थी जैसे की मिलों भाग आया हूँ. सोमा मेरे टट्टे अभी भी पकडे हुए थी. चंद मिनटों में लंड में उफान थम गया और मैं भी फिर से पेलने के लिए तैयार हो गया. सोमा के बदन से अलग हुआ ही था की वह बोली – “अब बाबु तुम लेटो, मैं ऊपर आती हूँ.”

मै लंड निकल के बगल मैं लेट गया. मेरा लंड घिसाई से लाल हो गया था और सुपारे का तो बुरा हाल था. दिवार पर टिकाकर मैं आधा लेट गय, सोमा दोनों टांगो को चीरते हुए मेरे कमर के ऊपर चूत को स्थिर की. लंड को पकड़ चूत में डाल थपक से बैठ गयी. उसकी होंठो पर शरारती मुस्कान थी. घुटने जमीन से टिकाकर वह तेजी से ऊपर निचे करने लगी. बीच-बीच में पुरे शरीर के वजन से नीचे आ जाती तो मेरा दम निकल जाता. अब पसीने में नहाने की बारी सोमलता की थी. हल्की०हल्कि पसीने की बूंदों में उसका बदन पत्थर की मूर्ति की तरह चमक रही थी. हर बार ऊपर-नीचे करने के क्रम में उसकी चूचियां उचकती, जो अनमोल नज़ारा था. मुझे सोमा के स्तन कभी भी बड़े नहीं लगे थे, लेकिन आज ये उछलती चूचियां किसी पोर्नस्टार की बड़ी-बड़ी चुचियों से भी मादक लग रही थी.

मैं तो जैसे उसकी चुचियों की उछल-कूद में खो गया था. अचानक सोमा धम्म से बैठ गई. फिर बदन को जोर से मरोड़ते हुए सिसिकारी मारी – “आईई..... माईईईईईईईइ.... बाबुऊऊउह.....” मेरे लंड पर गरम पानी की बौछार हो गयी.

लगभग 2 मिनट तक झड़ने के बाद सोमा मेरी छाती पर निढाल हो गयी. मैं समझ गया की अब मुझे ही ऊपर आना पड़ेगा. मैंने फिर से उसको अपने निचे लाकर मिशनरी स्थिति में चोदना शुरू किया. सोमा की जबान से अब धीमी-धीमी सीत्कार निकल रही थी. उसकी गीली योनी में लंड फचक-फ़चाक की आवाज के साथ पेलने लगा. 15-20 झटको के बाद सोमा का बदन अकड़ा और कांपने के बाद फिर से शांत हो गया. उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और इस बार पानी चूत की दीवारों से बहते हुए फर्श पर बहने लगा.

लेकिन मैं झड़ने का नाम नहीं ले रहा था. सोमा की हालत से लग था की उसको तेज़ बुखार है. वह अजीब तरह से काँप रही थी और ना जाने क्या बडबडा रही थी. अब मेरा लंड भी ऐंठने लगा. सुपारे में सर फाड़ते हुए अपना लावा उगल दिया. मैं ऐसा झड़ा की लग रहा था जैसे पेट के नीचे का हिस्सा गायब ही हो गया है. मैं भी सोमा के बदन पर निढाल हो गया और सोमा की होंठो को अपने होंठो से लगा लिया लेकिन चूमने की ताकत न मुझमे थी न उसमे. हम दोनों अगले 10-15 मिनट तक वैसे ही पड़े रहे. अब बाहर काफी उजाला हो गया था, सूरज निकलने ही वाला था. हमदोनो धीरे-धीरे उठे, कपड़े पहने बैग में सारे सामानों को वापस डाला और अपने घरो की और निकल गए. मैं शाम हो निकलने से पहले पार्लर में सोमा को मिलने को कहकर घर रवाना हुआ. पूरा बदन टूट गया था जैसे की किसी जंग से लौट रहा हूँ.
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