RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“करण तुम ठीक कह रहे हो....कम से कम काजल अगले अमावस्या तक तो सुरक्षित है....पर अभी तो हमें इस जंगल से बाहर निकलना होगा तभी हम आगे की कुछ प्लॅनिंग कर सकते है...” कहते हुए अर्जुन और करण उस घने जंगल से बाहर जाने का रास्ता तलाश करने लगे.
इधर काजल को त्रिकाल के आदमियो ने एक अंधेरे कारागार मे डाल दिया. काजल बहुत ही ज़्यादा डरी हुई थी, “मेरे दोनो भैया मुझे बचाने ज़रूर आएँगे....फिर तुम्हारे मालिक को बचने के लिए पाताल मे भी जगह नही मिलेगी...सड़ सड़ कर मरेगा वो पापी...” काजल त्रिकाल के आदमियो पर चिल्लाते हुए बोली जिसे वो नज़रअंदाज कर के उसकी चूची दबोच कर काल कोठरी मे बंद कर के चले गये.
काजल एक कोने मे बैठी सुबक्ती रही. उस कल कोठरी मे फैले अंधेरे से वो सहमी हुई थी. त्रिकाल के वहशी आदमियो ने उसके सारे कपड़े उतार के उसे नंगी कर दिया था. वो अपने योवन को अपने हाथो से समेटे सूबक रही थी.
“बेटी तुम कॉन हो....?” काल कोठरी एक अंधेरे कोने से एक महिला की आवाज़ आई. जब वो काल कोठरी की छोटी सी खिड़की से आती हुई सूरज की रोशनी के सामने आई तब काजल उसे देखते ही पहचान गयी.
“माआअ......” काजल दौड़ के अपनी माँ से लिपट गयी, तब उसे अपनी चुचियो पर अपनी माँ की चुचिया महसूष हुई. उसके निपल अपनी माँ रत्ना की निपल्स से रगड़ खा गये और वो जान गयी कि उसकी माँ भी उस काल कोठरी मे नंगी पड़ी हुई है.
“काजल...???” रत्ना ने हैरानी से पूछा.
“हाँ माँ मैं ही हू...आपकी बेटी काजल.” और काजल रोते हुए अपनी माँ से लिपट गयी.
अपनी बेटी को यहाँ देख कर एक पल के लिए रत्ना बहुत खुश हुई पर अगले ही पल उसकी हँसी गायब हो गयी, “बेटी पर तू यहाँ आई कैसे....तुझे यहाँ नही होना चाहिए था...यह लोग बड़े गंदे आदमी है...सब के सब वहशी दरिंदे है...”
“माँ मैं अर्जुन और करण भैया के साथ यहाँ आई थी...”
“क्या वो दोनो यहाँ आए थे....कब और कहाँ..?” रत्ना काजल की बाहे झन्झोडते हुए उस से पूछने लगी.
“माँ कुछ महीनो से अर्जुन और करण भैया को आपके इसी काल कोठरी मे बंद होने के सपने आते थे...सो उनका पीछा करते हुए हम लोग यहाँ तक आ गये...”
“हाँ मैने ही उन दोनो को सपना दिखाया था....बारह साल से त्रिकाल की रखेल बन कर मैने भी थोड़ा सा काला जादू सीख लिया है जिसकी मदद से मैने अपने दोनो बेटो को अपने यहाँ होने का सपना दिखाया था...”
“क्या आप और त्रिकाल की रखेल हो...???” काजल को अपनी माँ की कही बातो पर यकीन नही हो रहा था.
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