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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 29
अरे यार यह फ़ोन भी अभी कट होना था । मैं यह सब सोच ही रहा था एक बार फिर वो गेट खुला और अब मैं वहाँ सबको जानता था सिवाय उस लड़के को छोड़कर..
यहाँ मैं सबको देखकर हैरान हो रहा था वहीं सब के सब हँस रहे थे । गेट पर मेरी मासी... निर्मला वर्मा , साथ मे उनकी बड़ी बेटी गुंजन ( 24 ) , बेटा नीरज ( 22 ) और छोटी बेटी सुनैना ( 19 ) और वही लड़का जो पहले गेट खोला था ।
मैं सबको देख कर अंदर से चिढ़ गया....
" बहुत अच्छा , मैं परेशान हो गया और तुम हँस रहे हो मैं अब नहीं रूकने वाला यहाँ "
तभी गुंजन दी बोली... " बेटू नाराज क्यों हो रहा है वो हाँथ में जो पैकेट है अगर हमारे लिए है तो देकर चले जाना " ।
अब तो जैसे मुझे अंदर से ऐसे फील हुआ कि क्या बताऊँ इतना चिढ़ गया कि पूरे गिफ्ट के पैकेट को वहीं दरवाजे पर फेंक दिया और वापस मुड़ गया जाने के लिए ।
तभी नीरज भैया ने मेरा हाथ पकड़ा और बोल पड़े....
" क्या तू यह इतना attitude क्यों दिखा रहा है , मतलव अब हम तुमसे मजाक भी नहीं कर सकते । इतनी गर्मी क्यों दिखा रहा है " ।
इधर भैया की डांट पड़ी उधर मेरी अक्ल ठिकाने आई । मैंने फिर अपनी हरकत के लिए सबसे माफी मांगी ।
मासी... अब हो गया ना सब लोग गेट पर क्या कर रहे हो, राहुल चल बेटा तू अंदर चल । इतना बोलकर मासी मुझे अंदर ले आई और पीछे सभी लोग भी आए ।
मासी ने मुझे खाने का पूछा तो मैंने मना कर दिया फिर हम सब भाई बहन बैठ गए एक साथ एक फैमिली मीटिंग के लिए , और फिर शुरू हुआ हमारी बात चीत का सिलसिला ।
सबसे पहले मैंने उस लड़के के बारे में पूछा तो पता चला कि वो उनके बुआ का बेटा सन्नी है जो एग्जाम के बाद दिल्ली घूमने आया है । बाद में मैंने यह जानकारी भी ली कि मेरे सरप्राइज में आग किसने लगाई तो पता चला दिया थी । उसके बाद हमलोग घंटो बातें करते रहे ।
उनलोगों को फिर ट्रैन और दिल्ली की सारी घटनाएं बताई ( झूठी कहानी ) की कैसे मैं बेहोश हुआ, लगातार बेहोश रहा , फिर 2 दिन चौहान फैमिली के साथ रहा । पर ना तो उनलोगों ने यह जानने की कोशिश की कौन चौहान फैमिली और ना ही मैं कोई डिटेल में गया ।
कार के बारे मे जानकर सब बहुत खुश हुए और शाम को घुमने का प्रोग्राम भी बना पर मैंने सबको इस बात के लिए मना किया कि कार के बारे मे घर पर किसी को ना बताए क्योंकि मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहता था । पर ना जाने क्यों अब मेरी इस बात पर हँस रहे थे, खैर....
फिर मैंने जिसके लिए जो जो गिफ्ट लिया था सबको दे दिया लेकिन वो छोटा सन्नी उसके बारे में मुझे मालूम ही नहीं था , और उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि वो कुछ सोच रहा हो कि " सबको कुछ ना कुछ मिला पर मुझे नहीं " । फिर मुझे कुछ ख्याल आया और मैंने ऋषभ के लिए एक रे वैन का चश्मा लिया था वो मैंने सन्नी को दे दिया ।
गिफ्ट पाकर सब लोग खुश नजर आ रहे थे वो अलग बात थी कि वहाँ मैं सबसे छोटा था ( मासी की फैमिली मे ) और फॉर्मेलिटी के लिए सब बोल रहे थे कि इसकी क्या जरूरत थी । पर गुंजन दी मुझे काफी मायूस दिखी ।
मैंने उनके पीछे से गले लगते हुए.... क्या हुआ गुंजन दीदी को गिफ्ट पसंद नही आया क्या ?
गुंजन.... क्या राहुल अब मैं यह जीन्स और टॉप लेकर क्या करूँगी यह मेरे किस काम के ?
मैं बड़े आश्चर्य से.... क्यों दीदी आओ यही परिधान पसंद करती थी ना ?
गुंजन... वो करती थी अब नहीं ।
मैं... क्यों ऐसा क्या हो गया ।
गुंजन.... मेरे भाई तू इस दुनिया में है ना ।
मैं... ( अब चिढ़ते हुए ) दीदी ऐसे पहेलियों में बताओगी तो बात कहाँ से समझ आयेगी ।
आब गुंजन दीदी थोड़ी नाराजगी दीखते हुए...
2 दिन बाद मेरा इंगेजमेंट है और तुझे पता भी नहीं है। अब ये भी मत कहना की कल मौसी, दिया , सिमरन और मौसा जी आ रहे है और तुझे पता भी नहीं ।
"भगवान ये चल क्या रहा है, गुंजन दी का इंगेजमेंट और मुझे पता नहीं जबकि मासी से लगातार टच मैं हूं। घर से सब आ रहे है मुझे पता नहीं, जबकि घर रोज बात हो रही है। कंही परिधि का भूत तो सवार नहीं सब पर जो सब मिलकर मुझे मामू बना रह। हो भी सकता है या गुंजन दीदी की बात सच भी हो सकती है क्योंकि दिया ने भी तो लंहगे की डिमांड की थि"
आब जो भी हो सच तो पता करना ही था और वो पापा को फ़ोन करने से पता चल जाएग।
अब मैं...
"मेरी प्यारी गुंजन दीदी मुझे मांफ कर दो । आप को तो पता ही है आप के दिलवालों की नगरी मैं मेरा कैसा स्वागत हुआ और उस से पहले मेरे दोस्त के साथ घटना (फ्रेंड डाई एक और झूठ) मैं कुछ न जान पाया"
"दीदी अब माफ भी कर दो या उठक बैठक करु "
गंजन दीदी हँसते हुए..... हाँ हाँ बस बस अब मस्का मत मर ये बता की मैं इस जीन्स टॉप का क्या करु ।
मैं....
"बस इतना ही मैंने गलती की है तो अब आपकी इंगेजमेंट की ड्रेस मैं दिलवाउंगा वो भी अभी "
अब मासी से रहा न गया और बोल पाडी....
"गुंजन मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा, सुन तुझे शर्म नहीं आती वो तेरे से इतना छोटा है एक तो अपने पॉकेट मनी से सब के लिए गिफ्ट लाया है और तू डिमांड कर रही है। या तो तेरा दिमाग खराब है या तुझे लालच ने घेर लिया है"।
ओह ऐसे कटाक्ष भरे शब्द अब भला बिना फैमिली ड्रामा हुए, बिना रुठना मनना हुए थोड़े ही न खत्म हो सकता था और तो और सेंटर पॉइंट भी कौन तो मैं ही।
हा हा हा हा(मन मैं ऐसे ही हँसते हुए) जंहा देखो आज कल मैं ही सेंटर पॉइंट बन जाता हूँ ।
खैर 4 : 30 के आस पास सारा मामला सेटल हुआ, रोना और रुठना सब शान्त त। गुंजन दीदी को मैंने तैयार होने को बोलै पर अब वो कान्हा मानने वाली थि, लेकिन मुझे ये बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा था की मेरी वजह से दीदी को इतना सुन न पड़ा वो भी उनकी जिंदगी के सबसे सुनहरे पलों में।
मै उठ कर बाहर आया और मैंने माँ से बात की , सबसे पहले तो इंगेजमेंट के बारे मैं कन्फर्म किया, फिर थोड़ी नाराजगी की क्यों मुझे सब बातों से अनजान रखा गया, और फिर मेरी द्विधा की मेरे गिफ्ट की वजह से ऐसा हुआ। माँ को सारी बात समझ में आ गयी उन्होंने फ़ोन रखने को कहा ।
कुछ देर बाद मासी मेरे पास आई और आते ही मुझे कान पकड़ कर बोली....
"तु इतना सैतान क्यों हो गया है, तू ये बता पहले की तेरे पास इतने पैसे आये कान्हा से की तू उसके इंगेजमेंट ड्रेस दिलाने की बात कर रहा है"
फिर मैंने जवाव दिया....
"पहली बात मासी आपने लालच वाली बात बोल कर दिल तोडा है, लोग अपने लोगों से ही आशा करते है अगर मैं कुछ आप से माँग लूँ तो क्या आप को लालच लगेग। और अगर इसे लालच कहते है तो यही सही ।
गंजन दी तो बस इतना पुछा की मैं जीन्स टॉप का क्या करूंगी हो सकता है वो सोच रही हो इतने प्यार से लाया है और पहन भी न पाऊँ, इस से अच्छा तो वापस कर साड़ी ही ले लू । मासी मुझे बहुत बुरा लगा है आप की बातों का । "
"और रही बात पैसों की तो मुझे नीरज भैया ने ही सजेस्ट किया था की स्टडी में मैं अच्छा हूँ और 2 क्लास 10 थ के स्टूडेंट के लेने की। मेरे पास अभी 4 लाख होंगे टुअशन के पैस, 2 साल से तो मैंने पापा से भी पैसे नहीं लिए पर वो तो पापा है की जबरदस्ती मुझे पैसे देते रहते है और उनका जोड़ दूं तो मेरे पास 5 लाख है"।
अब दूसरे तरफ से गुंजन दीदी कान पकरते हुए.... "तु तो बड़ी बड़ी बातें कर रहा है पैसे भी कमाने लगा है कह तो तेरी भी इंगेजमेंट करवा दूँ"। मैंने इस बात पर हल्की मुस्कान दी और मुझे ऐसा एक्सप्रेशन देते देख दोनों हसने लाग।
अब तक 5 हो चूका था फिर गुंजन दी ने मुझे तैयार होने के लिए बोल कर चली गायी।
मै अपने कासुअल ऑउटफिट मैं बाहर आया इधर गुंजन दी और सुनैना भी तैयार थी। चूँकि हम सब भाई बहन का इवनिंग टूर का प्रोग्राम था इसलिए मैं नीरज भैया और सुन्नी के बारे मैं पुछा तो पता चला की दोनों किसी काम से बाहर गए है।
अब मैं गुंजन दी और सुनैना निकले शॉपिंग करने। पर मुझे क्या पता था की अचानक से इस गुंजन दीदी का खुश होना और शॉपिंग पर जाना एक प्लान था ऐसा प्लान जिसने मुझे चोंका दिया।
कहानी जारी रहेगी.....
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 30
अब मैं गुंजन दी और सुनैना निकले शॉपिंग करने। पर मुझे क्या पता था की अचानक से इस गुंजन दीदी का खुश होना और शॉपिंग पर जाना एक प्लान था ऐसा प्लान जिसने मुझे चौंका दिया......
जब शॉपिंग मॉल पहुंच तो गुंजन भागते हुए किसी एक ओर जा रही थी मैं बस गुंजन को यूँ जाते देख मैं भी उसके पीछे जाने लगा पर सुनैना मुझे लगातार किसी दूसरी तरफ चलने का बहाना कर रही थी..
मैं नहीं माना और चला गया उनके पीछे पर ये क्या यंहा तो गुंजन किसी के आलिंगन मैं थी किसके पता नहीं दोनों एक दूशरे को पगलों की तरह चुमे जा रहे थे और पुरे बदन पर एक दूशरे के हाँथ फेर रहे थे.....
मुझे तो बिलकुल जैसे बिजली का झटका लगा मैं चिल्लाते हुए.....
"आखिर तुम कर क्या रही हो जरा भी शर्म है की नहीं"
मेरी बातों से जैसे अब दोनों को होश आया तो वो लड़का मुझे गौर से देख रहा था अबतक सुनैना भी आ गयी थी और गुंजन अपनी पलकें झुकाए.....
"राहुल ये तुम्हारे होने वाले जीजाजी है निखिल और निखिल ये है मेरा कजिन रहुल"
निखिल.....हेलो राहुल ।
में...सुन ले ओ जीजे अपनी हरकतों पर थोड़ा काबू रखो अगर तुम्हारा इंगेजमेंट न होता तो, आज तू नहीं बचने वाले थे ।
मेरे बात से माहौल थोड़ा सीरियस हो गया फिर मैं हँसते हुए......
"चिलल जीजे अब तो हमारा मज़ाक यु ही चलता रहेंगा" पर मैंने गुंजन को जरूर कड़ी-खोटी सुनायी।
खैर दोनों बहनें को मैंने ड्रेस सेलेक्ट करने भेज दिया और मैं निखिल के साथ बैठ गया उस से बातें करने के लिये। बातों बातों में पता चला की निखिल चौहान साब की होटल चैन का सीईओ है। पर अभी तक मेरे और उनके बड़े मैं किसी को पता नहीं था ।
बातों से ऐसा भी लगता था की वो चौहान अंकल की इज़्ज़त भी बहुत करता है एक तरह से फैन था, हर दो लाइन मैं उनका जिक्र जरूर करता था । अब मैं निखिल को छेरते हुए...."सर जब चौहान साब इतने अच्छे है तो मैं सोच रहा हूँ गुंजन दी की शादी का प्रपोजल चौहान सब के पास ही ले जाऊं ।
निखिल समझ चूका था मैं मज़ाक कर रहा हूँ इसलिए हस्ते हुए....
" यह लो मोबाइल नो..********** और यह एड्रेस *********** आज ही रिश्ता लेकर जाओ अपनी बहन का "
फिर हम दोनों मुस्कुराते हुए बातें करते रहे पर अब मैंने सोचा की इन दोनों निखिल और गुंजन को थोड़ी प्राइवेसी देनी चाहिए इसलिए मैंने उन्दोनो को वंही मॉल मैं छोर दिया और मैं और सुनैना निकल पड़े । हालाँकि मेरे और सुनैना के बिच मैं हमेसा 36क आंकड़ा रहा है पर हालत को मध्य नजर रखते हुए हम दोनों साथ में थे ।
सुनैना.... राहुल तू मुझे कंहा ले जा रहा है।
मैं.... पता नहीं ।
सुनैना....तो पता कर ना ।
मैं.... मुझे क्या मालूम मैं दिल्ली के बड़े मैं क्या जानू ।
सुनैना....तो तू जानता क्या है।
मैं.... तू मुझ से लड़ क्यों रही है।
सुनैना.... मैं क्यों लड़ने लगी तू लाया है यंहा तो तुझे मालूम होनी चहिये।
मैं....अच्छा चिल कर चलते है किसी कॉफ़ी शॉप मैं वंहा कॉफ़ी का मज़ा लेंगे और आराम से सोचेंगे कान्हा चलना है ।
सुनैना.... हाँ ये ठीक रहेगा ।
फिर मैंने ड्रेस का बिल पे किया और पहुंचा वही कॉफ़ी शॉप जंहा मुझे परिधि ले कर आई थी। अभी हम बैठे ही थे की सुनैना को किसी का कॉल आया और वो उठ कर चली गयी बात करने। मैं अकेला और अकेला दिमाग शैतान का घर फिर मैंने परिधि को थोड़ा परेशान करने का सोचा ।
फ़ोन से कॉल लगते हुए परिधि को...
तिरिंग- तिरिंग, तिरिंग- तिरिंग, तिरिंग- तिरिंग,
परिधि....
बोलिये सर कैसे यद् किया आप तो फ़ोन नहीं करने वाले थे ।
मैं.....पहले सोचा 2 दिन की तुम्हे सजा दूँ पर अब मैं तुम्हे अभी सजा देना चाहता हू ।
परिधि.....हा हा हा सजा वह! वह! और जरा हम भी तो सुने की मेरी सजा क्या तय हुई है।
मैं....इंतज़ार करो अभी बता ता हूँ ।
"ये आज कल मैं भी कितना दफर होते जा रहा हूँ फ़ोन करने से पहले मुझे सोचना था न कैसे तंग किया जाए, अब इसे क्या बोलूं" मैं अभी यही सब सोच रहा था की....
तिरिंग- तिरिंग, तिरिंग- तिरिंग, तिरिंग- तिरिंग ( परिधि का कॉल )
मैं....
मैने तुम्हे कहा की मैं फ़ोन करता हूँ तो फिर तुमने फ़ोन क्यों किया ।
परिधि....मैंने सोचा राहुल जी अब परेशान हो गए होंगे कुछ सूझ न रहा होगा की क्या सजा दे, तो मैंने सोचा मैं ही कुछ मदद कर दुं ।
मैं..... देखो तुम कुछ जायदा ही स्मार्ट बन रही हो वो तो में, मैं तुम्हे फ़ोन करने ही वाला था ।
परिधि... क्या हुआ मेरा बच्चा, घबरा गया अच्छा चलो सजा ही सुना दो ।
मैं....( झूठा गुस्सा बनाते हुए ) नहीं अब सजा तय समय पर ही मिलेगी बाई फ़ोन कट ।
"यार मैं उस से जयादा रूढ़ तो नहीं हो गया कंही नाराज न हो जै" दिल मैं अजीब अजीब ख्याल। , 5 मि,10मि ,15 मि, अब तक कॉल नहीं आयी पर सुनैना जरूर आ गायी।
"कन्हा थी तू अब तक और ये किस से बात कर रही थी" चिंता मुझे परिधि के कॉल की थी और झुँझलाकर मैंने सुनैना से बोल दिया मज़े की बात तो ये थी की फ़ोन पर बात करने के बाद मुझ से जयादा पदेसन तो सुनैना थी अब बस क्या....
"तु मेरा बाप बन ने कोसिस मत कर, कंहा थी, किस से बात कर रही थी, अपना काम से काम रख न। मेरा जयादा सागा वाला बनने की कोसिस मत कर"
मै बस रोया नहीं, सुनैना की बातें मेरे कलेजे को चीरती चली गायी, अभी मेरी आत्मा तक रो रही थी पर आज आँखों मैं आंसू नहीं आए । मेरा चेहरा उतर गया पर मैं खुद को सँभालते हुए बिलकुल रोये रोये से आवज़ में....
"मुझे माफ कर दो तुम इतनी देर तक मुझे अकेला छोरा था तो मैं थोड़ा चीड गया था"।
इसके बाद मैं एक सब्द नहीं बोल, यदि कुछ पूछती या कहति तो केवल क्लोज आंसर हुह्, नहीं और हाँ ही बोलता । उसको शाम को घुमने की जिम्मेदारी ली थी सो मैं उसे यंहा से वंहा ये मार्किट से वो मार्किट घुमता रहा ।
बाद मैं मैंने गुंजन को मॉल से पिक किया और सुनैना को लेकर चल दी कार घर के तरफ। मैं रस्ते भर चुप रहा गुंजन ने मेरे चुप रहने के बड़े मैं पुछा भी तो मैंने बोल दिया हेडाचे हो रहा है। घर पहुंच गए मेरी अभी किसी से बात करने को दिल नहीं कर रहा था इसलिए मासी को हेडाचे का बहाना बोल चला गया रूम मैं और रूम लॉक कर दिया । फ़ोन डिसट्रब करती तो उसे भी ऑफ कर दिया।
बहुत टूटा था आज में। कोई भी परेशानी उतनी बड़ी नहीं होति, कोई भी ज़खम उतना गहरा नहीं होता जितना गहरा सदमा किसी के कटाक्ष भरे शब्दों का होता है और वो भी यदि बोलने वाला आप का कोई अपना हो....
कहानी जारी रहेगी.....
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 31
बहुत टूटा था आज में। कोई भी परेशानी उतनी बड़ी नहीं होति, कोई भी ज़खम उतना गहरा नहीं होता जितना गहरा सदमा किसी के कटाक्ष भरे शब्दों का होता है और वो भी यदि बोलने वाला आप का कोई अपना हो....
मेरे आँखों से आंसू नहीं बहे पर मेरी रूह तक कंप गाई, इतना झकझोर के रख दी सुनैना की बातें। उस रात नींद कोसों दूर थी। कब सोया पता नहीं पर जगा सुबह के 4 बजे से ही था । और अन्दर ही अन्दर घुट रहा था । दरवाजा मैंने तब खोला जब मेरे कानो में माँ की आवाज़ पडी, क्या बोल रही थी वो भी पता नहीं ।
सच कहूँ उस समय का अहसास, मेरे पैर कांप रहे द, मेरा कान(एअर) बिलकुल गरम थे, आँखें बिलकुल मुर्झायी, होंठ बिलकुल सुखे, कोई देख कर कह सकता था की मैं बहुत परेशान हूँ ।
पर अचानक मुझे किसी की कही बातें याद आई कि आप अगर उदास होते हो तो आप के चाहनेवाले भी उदास होते है, और बस जल्दी से मुँह धोया पानी से, बाल ठीक किये और अंगड़ाई लेते हुए दरवाजा खोला ।
समने पूरा परिवार जमा था मेरी और मासी दोनों की और साथ में थी सुनैना । सब ने मुझे हॉल में बुलया। में जाकर माँ के पास बैठ गया चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान लिये।
पर कहते है न माँ तो आखिर माँ होती है, उनको मेरी उदासी मेरे बनावटी हंसी के ऊपर से दिख गाई । अभी मैं उनके पास ही बैठा था, की माँ.....
प्यार से मेरे हाँथ फेरते हुए.... " क्या हुआ बेटू कोई बात है"
इत्ने प्यार से मेरे सर पर हाँथ फेरा की में क्या बताऊ एक अद्भुत सुकूं में, पर अब मैं रोना चाहता त। में माँ के गले से लिपट गया, जोर से लिप्त और पीछे मेरे आंखों से आंसू बाह रहे थे ।
कुछ पल मैं यूँ ही सुकून से उन्हें गले लगाएं राख, अब अच्छा मेहसूस हो रहा था की तभी सामने दरवाजे पर परिधि खडी थी। उसे देख मैं जल्दी अपने आंसू पोंछे पर तबतक शायद उसने देख लिया था ।
माँ से लिपट कर रोंए से दिल तो शान्त था पर अब दिमाग मैं हलचल की..... "परिधि कल आने वाली थी पर ये यन्हा, यूँ अचनाक"।
अभी जिन आँखों में आंसू थे वो अब फटी के फटी बस गेट की ओर देखे जा रही थी और अभी भी मैं माँ से लिपटा था ।
मासी.... कौन हो बेटी तुम और किसे ढूंढ रही हो ( सबने सोचा की इंगेजमेंट के कारन सायद किसी ने बुलाया हो या किसी से मिलने आई हो)
अभी परिधि कुछ बोलने वाली थी की मैं....
"मासी ये परिधि है" बस मेरा इतना बोलना था की माँ, सिमरन, दिया तीनो ने ऐसे घेरा की पूछो ही मत ।
सबने उसे अंदर बुलाया फिर लगे स्वागत में, माँ तो उसे पाकर कर रोंने ही लगी और बोली.... तुम और तुम्हारा परिवार न होता तो मेरे बेटे का क्या होता?
मै बस हैरान था की.... " ये यंहा कर क्या रही है और मासी का अड्रेस इसे पता कैसे चला"
साब परिधि को घेरे उस से उसके बारे में फैमिली के बारे में पूछ रहे थे । परिधि सब अच्छे से बता रही थी पर मैं नहीं चाहता था की मोहित अंकल के बारे मैं अभी कुछ भी पता चले किसी को। जैसे ही परिधि की नज़र मुझसे मिली आंखों आँखों मैं एक इशारा हुआ और जैसे मेरे हर इक बात का अहसास हो वो फैमिली बैकग्राउंड को बड़े सफाई से टाल गई ।
अभी 2 घंटे हो गए उसे आये अब वो सब से इज़ाज़त ले रही थी वापस लौटने की इसपर माँ पूछ्ने लागी.... चली जाना पर ये तो बताओ की तुम आई क्यों और कैसे?
परिधि ने बताया की उसकी फ्रेंड इसी तरफ आ रही थी उसी के साथ आई है और ऑटो से चली जाएगी पर माँ के क्यों मैं उलझ गयी और सवालिया नज़रों से मेरी ओर देखने लागी।
मुझे समझते देर न लगी तो मैंने कहा की.... "आप्लोग यंहा आ रहे थे तो मैंने ही इसे बुलाया था आप सब से मिलने"।
माँ.... "ये तूने अच्छा किया बेटा"
अभी माँ की बात समाप्त हुए और उधर ये दिया ने अपना दिमाग लगा दिया.....
"पर भैया आप का मोबाइल तो कल इवनिंग से ऑफ है, और फिर मेरे मोबाईल पर रिंग करते हुए देखो अभी भी ऑफ है आपने बुला कब लिया"
अब परिधि की हलकी मुस्कान उसके हांथों पर आ गयी और में.....
"ये दिया जब देखो मेरी खिचाई करती है कल सरप्राइज को आग लगा दी और अभी जासूसी सूझ रही है वो तो अच्छा हुआ जो कल बात हुए थी परिधि से नहीं तो ये तो आज फँसा देती"
मै जल्दी से रूम से अपना मोबाइल ले करके माँ को दिखाया..... देख माँ कल शाम को बात हुए थी की नहीं। फिर मैंने भी तीर छोड़ा ,अब जरा इस से पूछो की ये इन्क्वायरी क्यों कर रही है क्या चल रहा है इसके मन में।
अब क्या था दिया की लग गयी क्लास क्योंकि थी वो सबसे छोटी और इन्क्वायरी भी किसकी की जिसने मेरी जान बचायी फिर क्या एक एक ने एक एक कर उसकी क्लास ली।
मै खुश तो था पर दिया को कुछ जयादा ही सुन्ना पद गया और मुँह लटक गया जो में कभी नहीं देख सकता था । पर अभी इस मेटर के लिए टाइम नहीं था मेरे पै। उसे तो मैं गिफ्ट देकर मना लूंगा ।
"अभी तो परिधि की चिंता थी की एक दिन पहले क्यों आई और अड्रेस कंहा से मिला इसे" ।
फाइनली परिधि जाने लगी तो माँ ने उसे रोका और मुझे बोलै ड्राप करने को पर मैं कोई इशू नहीं चाहता था इसीलिए.... " माँ वो बच्ची नहीं है चली जाएगी, आज कितने दिनों बाद देखा है आप को मैं आप के पास ही रहूँगा ( सफ़ेद झूठ )"।
परिधि सायद मेरा झूठ समझ चुकी थी इसलिए वो मुस्कुराये बिना नहीं रह सकी।
मेरी बात सुनकर सिमरन बोल पड़ी....... और तू तो अभी बच्चा है । जो गुम जायेगा अभी जाता है या खयेगा एक थप्पड़ ।
इधर परिधि ने भी दिमाग लगा लिया..... रहने दो आंटी छोड़ दो दीदी मुझे अभी 1,2 घंटे और लगेंगे मुझे अपने कुछ 12थ के स्टडी मटेरियल कलेक्ट करने है बुक शॉप से कंहा राहुल मेरे साथ भटकटा रहेगा ।
अब मैं बिना मुस्कुराये नहीं रह सका भगवान किस दिन इसका ब्रेन बनाया आपने
माँ.... कुछ नहीं होता बेटी तू रुक यंहा और मुझसे तू खड़ा खड़ा कर क्या रहा है 10 मं मैं रेडी होकर जा ईसे जो भी बुक चाहिए हेल्प कर दे और घर छोड़ कर आना ।
आब मैं जल्दी से रेडी हो गया माँ के दिए टाइम में और कार की के लेकर चल पड़ा परिधि को ड्राप करने पर अभी मैंने किसी को नहीं बताया था की मैंने कार जीती है इसलिए बड़ा भोला बाँटे हुए परिधि से.... कान्हा जाना है तुम्हे परिधि उसने जगह बतायी, फिर मैं निराज से .....भैया टैक्सी कंहा से मिलेगी उस जगह के लिये।
यारों मैंने तो जैसे कॉमेडी कर दिया हो ये पूछ कर सब के सब एक साथ हसने लागे ।
माँ ने कहा.... बेटा अपने कार से ले जा कंहा टेक्सी मैं तू यंहा से वंहा जायेगा और कंहा परिधि को भी भटकता रहेगा । इतना बोल माँ और उनके साथ सब हॅसने लागे ।
मैने सवालिया नज़रों से मासी निरज, गुंजन, और सुनैना के तरफ देखा तो...
सिमरन..... इन में से किसी ने नहीं बताया ।
मैं..... तो फिर मेरे सुस्पेंस मैं आग किसने लगायी ।
सिमरन.... तू अभी सुस्पेंस मैं ही जा लौट कर आ तब बताती हूँ ।
ये हो क्या रहा था कल से पता नहीं जिसे भी सरप्राइज देना चाहा उसने उल्टा मुझे सरप्राइज दिया।
बेहरहाल अब मैं परिधि के साथ निकला मन में कई सवाल लिए.....
कहानी जारी रहेगी.....
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 32
बहरहाल अब मैं परिधि के साथ निकला मन में कई सवाल लिये......
हम दोनों अब कार मैं बैठे, दोनों शांत, कार स्टार्ट और चल दिए हम । न तो मैं कुछ बोल रहा था और न ही परिधि दोनों ही शान्त बैठे थे इस शान्ति को हम दोनों केवल महसूस कर रहे थे । पूरा सन्नाटा सा छाया रहा, सायद तूफ़ान से पहले का हो। मैंने गाड़ी उसी कॉफ़ी शॉप के पास रोक दि। अब दोनों ही चले कॉफ़ी शॉप के अंदर, बैठ गए एक टेबल पर दोनों हम अभी भी शान्त थे, पर परिधि के साथ इस शांति में भी एक अलग ही आनंद मिल रहा था ।
हमारी शान्ति को भंग करते हुए वैटर..... सर, आप क्या लेंगे ?
दोनो एक साथ बोल पड़े......"सुनो" फिर परिधि ने मुझे इशारे मैं कंटिन्यू करने को कहा और मैं परिधि को।" अच्छा तुम्" सैम डायलॉग सैम टाइम फिर दोनों बोल पड़े, अब मैंने अपने मुँह पर ऊँगली लगायी साइलेंस के इशारे की और परिधि को कंटिन्यू करने को बोला । दो कॉफ़ी आर्डर की और चला गया वो वैटर ।
फिर हम दोनों शान्त अब मैंने बोला.... "क्य आज मौन वर्त है जो चुप हो"।
परिधि..... पहले तुम अपने सवाल करो फिर मैं बोलूंगी ।
मैं..... नहीं लेडीज फर्स्ट ।
परिधि..... नहीं पहले तुम क्योंकि बाद मैं तुम्हे शायद बोलने का मौका मिले या न मिले।
मैं.... ओके मेम, बस मेरे कुछ छोटे छोटे डॉब्टस है उसे क्लियर करना है ।
परिधि..... यही न की मैं कैसे आज आई और तुम्हारी मासी के पास कैसे पहुंची?
मै अनायास ही अपने दोनों हाँथ जोड़े क्या मेरे अन्दर कोई ट्रांसमीटर लगा है की मेरी हर बात बिना बताये तुम्हे ट्रांसफर हो जाती है।
परिधि थोड़ा स्माइल के साथ.... नहीं सवाल तुम्हारे चेहरे पर लिखा रहता है, वैसे मैं बता दूँ की मैं तुम्हारे वजह से यंहा हूँ ।
मैं..... कैसे?
परिधि.... तुमने तो कल अचानक फ़ोन कट दिया मुझे लगा की तुम झूठा गुस्सा दिखा रहे थे और मेरे कॉल आने का इंतज़ार कर रहे होगे। और यंहा मैं तुम्हारे कॉल का इंतजार कर रही थी की तुम्हे मेरा कॉल न आने पर सायद तुम खुद कॉल करोगे।
पर जब शाम ( अबतक परिधि बहुत सीरियस हो चुकी थी ) तक तुम्हारा कॉल नहीं आया तो मुझे लगा की सही में कहीं नाराज न हो। मैंने तुम्हे कॉल लगाया नम्बरऑफ पूरी रात कॉल लगायी पर फ़ोन स्विच ऑफ था । मुझे बहुत पछतावा हुआ इसीलिए सुबह ही यंहा पहुँच गायी ।
मैं..... तुम कल रात रोई हो ना ।
परिधि.... हड़बड़ाते हुए नहीं, मैं कभी नहीं रोती ।
मैं.... में उतना स्मार्ट तो नहीं जितनी तुम हो पर मैं जानता हूँ की तुम रोई हो ।
मेरा इतना कहना था और परिधि की आँखें भर आई और आंसू फूट पड़े उसके । उसे रोता देख मैं बिलकुल घबरा गया।
बास अंदर से इतनी फीलिंग आ रही थी की मैं उसे रोता नहीं देख सकता था । अभी हम आमने सामने बैठे थे अब मैं उसके बगल मैं बैठ गया अपने हाथों से उसके आंसू पूछे पर रोना उसका काम न हुआ।
मैने उसके सर को सिने से लगया, प्यार से उसके आंसू पोछता रहा और उसके गलों पर हाँथ फेरता रह। उसे जैसे किसी तरह का सुकून मिला हो।
हम ऐसे ही क़रीब 5 मि तक रहे, सारी दुनिया से बेख़बर, की हम कंहा बैठे है और आस पास कौन बैठा है। कुछ देर ऐसे ही वो मेरे आग़ोश मैं रही फिर अचानक मुझे अलग करते हुए
परिधि.... तुम क्या सिचुएशन का फायदा उठा रहे हो ।
मैं.... तू परिधि की बच्ची, अभी तो तुझे शांति मिल रही थि, तो मैं तेरा फायदा उठा रहा हूँ जाओ मैं अब तुमसे कोई बात नहीं करना चाहता ( एक बनावटी गुस्सा )।
परिधि.... ओ बाबु,बाबू जी सुन लो।
मैं..... हनननन! क्या है।
परिधि.... अले ले नाराज है पर ये क्या ये नाक लाल क्यों हो रही हैं ।
परिधि के इस प्रकार बोलने पर मैं खुद को हॅसने से नहीं रोक सका और वो भी एक मीठी सी स्माइल दी ।
मैं..... प्लीज तुम रोया मत करो मेरा दिल बैठ जाता है।
परिधि.... तुम ही तो रुलाये हो ।
मैं..... कैसे?
परिधि..... तुम बार बार मुझे क्या ये बहुत स्मार्ट हो बहुत स्मार्ट हो कहते रहते हो ।
मैं.... तुम हो बावा , ये तो कॉम्पलिमेंट है ।
परिधि.... पर मुझे गली लगती है वो भी जब तुम्हारे सब्दों में ये शुमार रहता है तो ।
मैं.... मुझे प्लीज माफ कर दो मैं जरूर टॉन्ट के रूप में कह्ता था पर मुझे पता नहीं था की तुम्हे ये बिलकुल पसंद नहीं।
परिधि..... कोई बात नहीं पर अब तुम फिर शुरू हो गए, माफ कर दो माफ कर दो ।
मैं.... तुम भी अजीब हो अभी कहति हो ये बातें बुरी लगी और जब मांफी मांगता हूँ वो भी बुरा लगता है। में बेचारा अब क्या करू ।
परिधि..... ( मुस्कुराते हुए ) तुम्हे कुछ नहीं करना है बस मेरा साथ देना है ।
मैं..... समझा नहीं क्या कहना चाह रही हो?
परिधि..... कुछ नहीं बाबा अब तुम्हारा राउंड ख़तम की अभी बांकी है ।
मै.... हाँ हान, वो अड्रेस कैसे पता लगया ।
परिधि....... बच्चों जैसी बातें करते हो तुम्हारे फ़ोन के जीपीएस ट्रैक किया।
मैं..... अस्चर्य से जीपीएस कैसे ट्रैक किया और मेरा फ़ोन तो ऑफ था ।
परिधि..... ये इस फ़ोन की फीचर है ये अपने सैटेलाइट से हमेशा कनेक्ट रहता है ऑफ होने पर। बस मैंने ट्रैक कर लिया।
मैं..... अच्छा तो तुम मुझपर नजर रखने के लिया प्लानिंग के तहत फ़ोन गिफ्ट किया है।
परिधि.... मिल गयी कलेजे को ठंडक मुझे चिढा कर या और भी कुछ बांकी है ।
मैं.... हस्ते हुए वह! आज कल मेरे सोना को टोना बहुत जल्दी लगती है।
परिधि.... Now it's my turn .
मैं..... ठीक है आओ बकरा सामने है हलाल कर लो।
परिधि..... अरे इतना भी नहीं पूछ्ने वाली मैं तो जिज्ञासा बस कुछ जानना चाहती हू ।
मैं..... ओके बोलो ।
परिधि...... पहले कल की बात बताओ की तुमने फ़ोन क्यों ऑफ किया और आंटी के पीछे छुप कर रो क्यों रहे थे?
मैं...... एक एक करके मैंने सारी घटनाएँ में परिधि को बताता गया शुरू से कैसे गुंजन को मॉल लाया, निखिल से मिलन, उनको अकेला छोड़ना, फिर सुनैना के साथ कंही चलने के लिए चिट चैट फिर उसका फ़ोन पर बात करना और मेरा परिधि को फ़ोन लगाना ।
यहाँ तक तो ठीक था पर जैसे जैसे में मुख्या कारन की ओर बढ़ रहा था मतलब सुनैना को टोकना और उसका रिप्लाई, परिधि उसका चेहरा देकने से ही लाल लग रहा था । मनो अभी सुनैना सामने आ जाये तो कच्चा चबा लेगी।
परिधि.... एक लम्बी साँस लेते हुए मुझे मांफ कर दो तुम इतनी परेशानी में थे और मुझे जरा भी फील न हुआ।
मैं...... अब तुम्हे क्या हुआ तुमने थोड़े न किया है। जाने दो बहन है मेरी वो भले ही कुछ भी सोचे पर रहूँगा तो मैं उसका भाई ही चिंता तो बानी ही रहेगी।
अब प्लीज अपना चेहरा ठीक करो गाल फूल के लाल हो गया है।
परिधि कुछ न बोली पर अपने आप को नार्मल करने की कोसिस कर रही थी।
मैं.... क्या हुआ?
परिधि.... ..... कुछ नहीं , बस यूँ ही सोच रही थी की क्यों ऐसे बोली सुनैना ।
मैं.... जैसे ही मुझे पता चलेगा वैसे ही बता दूंगा ।
परिधि...... (अपने पुराने रंग में आते हुए)ओके , पर मुझे अभी और भी बहुत कुछ जानना है?
मैं..... हाँ जानता हूँ पूछ लो अब ।
परिधि...... तुम्हारी फैमिली से तो मिल चुकी ये भी समझ गयी की हम साथ साथ वाली तुम्हारी फैमिली है, सब के सब पर दो लोग कुछ खास समझ मैं नहीं आए ।
मैं..... कौन?
परिधि...... दिया, वो तुम्हारी इतनी खिचाई क्यों कर रही थी और तुमने भी उसे मौका देख कर डांट भी पड़वा दी , और दूसरी वो सुनैना हालाँकि तुम्हारी मासी के परिवार में मैं किसी को नहीं जन्ति पर तुम इतने अच्छे हो फिर भी ऐसा व्यवहार?
मैं...... सबसे पहले मैं सुरु किया सुनैना की कहानि
की हम दोनों कुछ ही दिन के छोटे बड़े है तो हम उम्र के कारण हमारा आपस मैं कभी नहीं बनी, एक्साम्स में मेरे रिजल्ट हमेसा अच्छे होते और सुनैना किसी तरह पास तो उसको ये भी चिढ थी , फिर जब भी मैं मासी के यंहा आता तो मेरा उद्धरण देकर हमेसा उसको डांट पड़ती ये बातें उसके दिल मैं नफरत का बीज बोती राहि।
उसके दोनों भाई बहन मुझे बहुत प्यार करते है और निराज भैया तो मेरे फ़ेवरिट है ये भी एक वजह थी कि, क्यों उसके अपने भाई बहन उसे इतना प्यार करते है नफरत नहीं?
पर मेरे दिल में कभी भी इस बात का मलाल नहीं रहा , वैसे उसका नेगेटिव पॉइंट ऑफ़ व्यू मेरे लिए है पर दिल की बहुत अच्छी है । बहुत व्यवहार कुसल, मुझे कभी सिकायत नहीं रही की क्यों वो मुझ से नफरत करती है क्योंकि कंही न कंही मैं ही इसकी वजह था और फिर हर कोई तो स्टडी मैं अच्छा नहीं होता सबका एरिया ऑफ इंटरेस्ट अलग अलग होता है।
अगर तुम उस से मिले और मेरे साथ क्या करती है उसको छोड़ कर, तो तुम उसकी फेन हो जाऒगी। सबको पल मैं हंसा देती है, इसलिए मेरी रिक्वेस्ट है यदि तुम मेरी वजह से उस से नफरत करोगी तो तुम मेरी नफरत की पात्र होगी क्योंकि ये कुछ अलग मामला है, हाँ अगर कोई पर्सनल इशू है तो मैं नहीं रोकने वाला ।
मैने थोड़ी साँस ली तबतक परिधि की ओर देखा वो बहुत ही हैरान थी मेरी बात सुन्कर ।
अब मैंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए.....
दिया में तो मेरे प्राण है, जब दिया के बारे मे जान रही हो तो उसकी सहेली सोनल के बारे में भी जानना होगा। ये दोनों दिखने में दो है पर है एक जां। में पक्का कह सकता हूँ की यदि सोनल ने या दिया किसी ने भी एक दुसरे को याद किया तो या तो उनका कॉल आ जायेगा या खुद मिलने। बहुत गहरी दोसति, इसलिए सोनल भी बहुत प्यारी है मेरे लिये।
अब रही बात खिचाई की तो मेरी लाडली है तो मुझे छेड़ना अपना हक़ समझती है, पर असली रूप देखना हो तो मेरे बारे मैं कुछ बोल के देख, माँ और सिमरन तो फिर भी बात करने के तरिके से बात करेगी पर वो एक पल तुम्हे देखना बर्दाश्त नहीं करेगी ।
अब देखना में जानता हूँ की उसको डांट पड़ी थी अबतक वो खाने को हाँथ भी नहीं लगायी होगी उसे जब तक मैं उसे मना न लूँ और अपने हाँथ से खिला न दूँ हो ही नहीं सकता की खा ले।
परिधि बड़ी शांति से पूरी बात सुनती रही फिर बोली.....
तूम क्या हो,इतना पॉजिटिव कोई कैसे हो सकता है।
मैं...... इसमें पॉजिटिव वाली क्या बात है ये तो अपनी अपनी सोच है।
परिधि...... फिर भी बहुत गहराई है तुम्हारी बातों में।
मैं..... तुम भी न, हो गया, अब ताड के झार पर मत चढ़ाओ ।
परिधि..... ओके पर मेरी एक शर्त है मैं तुम्हे दिया को मनाते देखना चाहती हू ।
मैं...... ये क्या बचपना है कैसी जिद है ये?
परिधि...... अब जो है सो है या फिर क्या तुम अब मुझे भी खिलाओगे अपने हाँथ से ।
मैं...... मैं क्या हुन एक तुच्छ प्राणी भला मुझे आप की ही साये मैं रहना है। जो हुकुम मेरे आका ।
परिधि...... हम खुश हुए।
मैं....... पर हम घर पर क्या बोलेंगे तुम्हे क्यों वापस लया तो क्या कहुंगा।
परिधि..... बस इतना ही वो मैं मैनेज कर लुंगी तुम पहले बुक शॉप चलो ।
मैं..... बुक शॉप क्यों?
परिधि..... अभी तुम बच्चे हो हमे घर से आये क़रीब 1 घंटे से ज्यादा हो गए अब बुक न ले के गए तो.....
फिर परिधि ने पूरी सांभर और टोमेटो सॉस अपने ऊपर डाल ली ।
मैं.....अब ये क्या है
परिधि..... हँसते हुए तुम्हारे घर की एंट्री एक्सक्यूसे सारे कपड़े गंदे हो गए ।
मैं.... तुम्हारा दिमाग सिर्फ इन्ही सब बातों मैं चलता है या अच्छे कामो मैं भी इस्तेमाल करती हो।
परिधि.... अभी तो मुलाकातें शुरू हुए है धीरे धीरे आप हमारी सारीअदाओँ से वाकिफ़ हो जाएंगे।
बस अब क्या , प्लान तैयार है सुरु करे खेल
हम चल पड़े अपने प्लान को फाइनल टच देने, हम किताब लेकर घर पहुंच, घर पर परिधि को वापस आया देख सब चकित हो गए फिर अब कामन सम्भाला परिधि ने । और फिर प्लान सफल होता चला गया।
साब बातें तो हो गयी पर अब एक समसया थी की परिधि चेंज कर पहनेगी क्या? इसका हल कर दिया गुंजन दीदी ने वो कल वाला जीन्स टॉप परिधि को दे दि।
परिधि को अब सब जिद करने लगे की खाना खा कर जाओ तो वो मन गयी पर मुझे घर बात करके माँ को इन्फॉर्म करने को बोलि, की लेट घर पहुँचुँगी।
मुझे अस्चर्य लगा पर फिर भी मैंने आंटी को इन्फॉर्म कर दिया। इधर परिधि तो ऐसे मिली हमारे फैमिली से की जैसे वर्षों से पहचान हो। पर बार बार इशारा कर के मुझे डेली शो दिखाने को बोल रही थी।
मैने ईशारों मैं उसे मना किया प्ल्ज़ ये कोई गेम नहीं है सो मुझे मेरे हिसाब से काम करने दो ।
मासीऔर माँ कल की तैयारियों में लगी थी। पापा और मौसा जी बाहर का काम देख रहे थे चूँकि मेरे मौसा की फैमिली और मेरी फैमिली सभी रिस्तेदारों मैं काफी क्लोज थी इसलिए हम सब घर पर थे बांकियों का इन्तज़ाम पास के होटल में किया गया था ।
हम बच्चों को सारे कामों से दूर रखा गया था क्योंकि सभी काम टेंडर पर दे दिया गए थे सो किसी बात की किसी को चिंता नहीं थी। पापा और मौसा जी फाइनल टच के लिए बहार का कम देख रहे थे और घर में माँ और मासी ।
इधर गुंजन दी, सिमरन दी , निराज भैया , और परिधि एक साथ बातें कर रहे थे । सुनैना अकेली किसी कमरे में थी और दिया के बारे में तो सब जनते थे की अब मैं आ गया हूँ तो वो भी सब को ज्वाइन कर लेगी।
पर मुझे सुनैना के लिए अफ़सोस हो रहा था की क्यों वो ऐसा बोल पड़ी और अभी सब यंहा आपस मैं मज़े कर रहे हैं और वो सजा काट रही है। पर मैं इस बार उसके लिए कोई मदद करने वाला नहीं था उसकी गलती छोटी नहीं थी।
खैर दिया सब के साथ नहीं थी तो वो भी मुझे ख़राब लग रहा था । मैं.....
सब लोगों से दिया कंहा है।
गुंजन......क्यों तू नहीं जानत, इतना दाँट खिलवाया है कंहा होगी।
मै..... आप लोग भी न, उसे ला नहीं सकते थे ।
सिमरन....... हम सबको मालूम है अब हमें बात करने दे और ले आ अपनी लाड़ली को ।
मै चला आया वंहा से और बैठ कर सोच ने लगा की ये गलत है सब उसे मेरे भरोसे छोड़ देते है कोई उसके पास नहीं जात। में अपनी इन्ही ख्यालों मैं खोया था और उधर गुंजन,सिमरन, परिधि और निराज भैया आपस में।
परिधि..... सुनैना नज़र नहीं आ रही ।
नीराज भैया समर्थन करते हुए..... हाँ गुंजन दी कंहा है सुनैना ।
गुंजन दी.... क्या बताऊ कल लगता है दोनों राहुल और सुनैना मैं कुछ हुआ है। राहुल तो कल से अब तक कुछ खाया भी नहीं, देखा नहीं कैसे मासी से लिपट गया जैसे पीछे मुद कर रो रहा हो।
सिमरन..... में बात करून क्या राहुल से?
गुंजन.... सिमरन कोई बड़ी बात है नहीं बतायेगा मैंने कल पुछा था ।
नीराज..... अभी मैं इस सुनैना की खबर लेता हूँ की ये राहुल को क्यों परेशान करती है ।
गुंजन..... तू क्या राहुल को नहीं जानता उसकी फिलॉसफी वो अभी भाग जायेगा अगर सुनैना को डांटे तो ।
नीराज..... हाँ दीदी ये तो सही कहा ।
परिधि..... जन भुझ कर पूछति हुए, वैसे मुझे इंटरफेर नहीं करनी चाहिए पर क्या किसी के बिच का इशू उन्ही पर शार्ट आउट करने छोड़ देते है क्या?
सिमरन..... परिधि तुम नहीं जनति, दिया को तो हम सब जान बूझ कर छोड़ देते है अभी कुछ देर मैं डेली शो सुरु होग, सुबह हम सबने भी केवल यही शो को ध्यान मैं रख कर उसे डांट दिया ।
बीच मैं निराज भैया टोकते हुए
नीराज..... हीरा है मेरा भाई, वो कभी नहीं चाहता की सुनैना को हम सब उसकी वजह से डांटे क्योंकि राहुल अच्छा है स्टडी मैं और सुनैना हमेसा पीछे रही उस स। फिर वही सब जो मैंने बताया परिधि को।
सिमरन.... पर भैया मुझे अच्छा नहीं लग रहा सुनैना का अकेले रहना । मुझे बहुत बुरा लग रहा है।
नीराज..... बस इतना रहुल, रहुल ।
मै अभी सब सोच ही रहा था की भैया ने पुकारा मैं निराज भैया के पास गया ।
मैं....
"जी भैया क्या बात है"
नीरज....कल क्या हुआ था तेरे और सुनैना के बीच।
मैने परिधि की तरफ आँख दिखाई और मेरा इशारा समझते ही मुझे इशारो मैं समझाया की उसने कुछ नहीं बताया है।
तभी निराज भइया.... कुछ पुछा है, बतायेगा ।
मै.... भैया कुछ भी नहीं हुआ वो आप को गुंजन दीदी मिर्च मसाला लगा कर बताई होंगी पर मेरे सर मैं दर्द था । सच में ।
गुंजन दी.... तू मुझे इतने लोगों के पास झूठा बना रहे हो तो खा मेरी कसम की कोई बात नहीं।।
मैन बिलकुल चुप चाप
नीराज.... अब बता क्यों नहीं रहा मेरे भाई?
मैं.... निराज भैया केवल आप है इसलिए इस टॉपिक पर बात कर रहा हूँ नहीं तो मैं सोचता भी नहीं , पर सॉरी बात क्या है मैं बता नहीं सकता पर हाँ मैं सुनैना को सब के साथ शामिल कर सकता हूँ ।
अब प्लीज कोई भी , कोई मतलब कोई भी नहीं मुझसे पूछेगा की बात क्या थी , और हाँ मेरे पीछे कोई नहीं आएगा मैं जा रहा हूँ सुनैना के पास ।
मुझे इस तरह से रोटी आवाज़ मैं बात करते देख सब हैरान थे पर माहोल को ध्यान मैं रखते हुए कोई कुछ नहीं बोल।
अब मैं सुनैना के पास ।
मैं.... तू यंहा क्या कर रही है, हॉल मैं सब बैठे हैं फिर वयंग भरे सब्दों मई "यह सॉरी मैंने पूच लिया मैं कौन सा तेरा सगा वाला हूँ"
सुनैना जो अबतक चुप थी कुछ न बोलि मेरी ओर बस देखि
मैन तो उसे देख कर हैरान हो गया ऐषा लग रहा था खुद को कल रात से बहुत तकलीफ दी हो।
मैन तो हैरान रह गया उसे देख अब वो बॉली....
"तु हैरान क्यों हो रहा है कौन सा तू मेरा सागा वाला है?
ओ इतनी उखड़ी थी , इतनी हताश की मैं खुद मैं अफ़सोस किया की कल ही बात शार्ट आउट क्यों नहीं की।
आब हम दोनों का बाद विवाद शुरू सारे गिले शिकवे दूर उसको हँसाया फिर मैंने कहा की कुछ भी हो जय किसी को कल वाली बात मत बताना ।
मेरी इस बात पर वो बोली.... "तुम इतने अच्छे क्यों हो, मुझे माफ कर दो"
मैं....अब चल जल्दी जा बाथरूम से आ हुलिया ठीक कर अभी एक और बांकी है।
अब चूँकि ये बात किसी से छिपी थी जो वो न जानती हो..... .... क्या अभी तू दिया के पास जाने वाला है रुक रुक 2 मि में आई ।
जलदी गयी फटाफट तैयार होकर बाहर , चेहरे पर अब हम दोनों के स्माइल था हम हस्ते हुए बहार निकले ।
अब चला मैं मेरी लाड़ली छोटी को मनाने.....
कहानी जारी रहेगी.....
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03-21-2019, 12:21 PM,
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 33
अब चला मैं मेरी लाडली छोटी को मनाने.....
सुनैना बाहर आते ही अपने चिर परिचित अंदाज़ मैं सबके पास एक स्ट्रांग एंट्री की। अब मीटिंग का माहोल खिलखिला तो हंसी से गूँजने लागी । अब सब जब नार्मल हो चुके थे फिर सब के सब कल क्या बात हुए उसके बारे में जानना चाह रहे थे ।
ये जिज्ञासा भी अजीब होती है जब तक सवालों का जवाब न मिल जाय तबतक मन में बेचैनी रहती है और वही हाल अभी निरज, गुंजन, और सिमरन का था ।
मुझे ऐसा लगा कि प्रेशर में कंही सुनैना बोल न दे इसलिए मैं ही बोल पड़ा....एक्चुअली कल जब हम कॉफ़ी शॉप गए तो सुनैना जिद करने लगी उसे और घूमने जाना है पर मैंने साफ मना कर दिया तो सुनैना ने मुझे पलट कर जवाब दी की...... " मैं तेरी सगी बहन थोड़े ही हूँ जो तू मेरी जिद पूरी करेगा अभी यंहा दिया होती तो क्या तू ऐसे ही बोलता" ।
अब बताओ दिया सबसे छोटी है उसकी जिद तो ये सुनैना भी पूरी कर देती है फिर इसमें अपना पराया कहाँ से आ गया।
सटेस्फ़ी या वैरी सटिस्फी हो चुके थे सब मेरी बात सुनकर बात जयादा ओड भी नहीं थी जिस से सुनैना को शर्मिंदा होना पड़े और मेरा झूठ सुनकर दो लोग मंद मंद मुस्का भी रहे थे परिधि और सुनैना ।
खैर फिर समझाने का दौर चला सुनैना को , और मैं इधर सबको उलझा देख चला आया नीचे कार से बचे लोगों का गिफ्ट लेने ।
फिर मोम, डैड और सिमरन का गिफ्ट सिमरन के हाँथ में दे दिया और दिया का गिफ्ट उसे देने जाने लागा, इतने मैं गुंजन दीदी टोकते हुए...
"ला दिखा तो क्या लाया है दिया के लिये"
मैने बैग दिया और सब ने देखा इसपर सुनैना बोली....
"देखा न तुमलोगो ने हमारे लिए केवल फॉर्मेलिटी की है और दिया का गिफ्ट देखा
लांहगा वो भी इतना महंगा और साथ मैं मैचिंग, एअर रिंग, पर्स , नेल पोलिश और क्या क्या"
सब लेडीज मेरी ओर देखते हुए.... "हूँ! सुनैना तेरी बात मैं पॉइंट है"
पर मेरा तो तीर इस मामले में हमेशा तैयार था....
"अच्छा ये बताओ तुम सब, की सबने शॉपिंग कर ली होगी"
सब.... हाँ
अच्छा सिमरन दी आप तो किरण के साथ शॉपिंग की होगी..... हाँ
और गुंजन दी आप और सुनैना साथ में..... हाँ
ये बताओ अबतक आप ने अपने ड्रेसेस भी एक दूसरे को दिखा चुकी होंगी..... हाँ
अब यह भी बता दो कि किस-किस ने दिया की ड्रेस के बारे में पूछा "कि तू इंगेजमेंट मैं क्या पहनेवाली है"
सब चुप नहीं इसमें आप लोगों को सोचने की जरूरत नहीं क्योंकि उसको मार्किट मैं ही लेकर जाता हूँ अब यदि मैं नहीं था तो उसने फ़ोन पर ही डिमांड कर दिया।
अगर फिर भी लगता है आप सब को कि मैं ने कुछ भेद-भओ किया है तो बता दो मैं वापस कर देता हूँ इसे ।
इतना सब को फील करवाने के बाद अब थोड़े ही न कोई सवाल उठना था पर हाँ उन सबको अपनी बात का अफ़सोस ज़रूर था और हमारी परिधि मैडम वो तो आज फुल फैमिली ड्रामा एंटरटेन कर रही थी। इशारों इशारों में मुझे शाबाशी भी दे रही थी।
अब मैं चला अपनी लाड़ली के कमरे में, कमरे में दिया लेटी हुई थी शायद सो रही थी। बड़ी ही प्यारी लग रही थी।
मैन उसके सर के पास बैठ गया और प्यार से सर पर हाँथ फेरा मेरा अस्पर्श पाकर वो धीरे से आँख खोली, मुझे देखा एक नाराजगी ( बनावटी ) दिखाई और मुँह फेर कर सो गायी। मैंने प्यार से फिर उसके सर पर हाँथ फेरा....
दिया.... क्या कर रहे हो अब शांति से सोने दो न।
मैं..... छोटी देख तो क्या है?
दिया..... कुछ भी हो मैं अभी सो रही हूँ सोने दो न (नक् से आवाज़ निकालते और अपने हाँथ पैर पटकते बोली)
मैं...... पगली पहले देख ले नीन्द तो तेरी ऐशे ही गायब हो जाएगी ।
दिया...... क्या है जल्दी दिखाओ ।
अब उसने बैग खोला और अपना पूरा सामान देख कर अंदर से खुश तो बहुत थी फिर भी....
दिया..... कितने पैसे लगे बता देना पापा से दिलवा दूंगी (मुझे चिढ़ाने के लिए बोली)
(अब यंहा से मेरा नाटक शुरू)
मैं कुछ न बोले चुपचाप उसके पास से उठ कर दूसरे कमरे में आ गया । पीछे जितने दरसक थे वो भी अपनी अपनी जगह ले लिए हॉल में।
अभी कुछ समय बीते होंगे की दिया पहुँचि मेरे कमरे में....
"अब उठोगे मुझे बहुत भूख लगी है"
मैं..." तो जा ना मैं ने थोड़े ही रोका है"
आब पीछे से मेरे गले पड़ते...
"चलो न भैया प्लीज अब बहुत भूख लगी है, नाटक-नाटक मैं कंही तुम्हारी बहिन भूख से मर न जाए"
मैने उसे मरने वाली बात पर डांटते हुए।।।।"चअल्, चल कर खाते है"
तबतक खाने पर सब लोग आ चुके थे हम भाई बहन के अलाव, पापा और मौसा जी ने भी हमें ज्वाइन कर लिया था । अबतक दोनों परिधि से मिल चुके थे और उनकी बातें भी हो गयी थी। माँ और मासी सबको खिला रही थी।
इतने लोगों के बीच मैं भी दिया मेरे हांथों से ही खाना खायी। खैर अब इंगेजमेंट को 1 दिन रह गया था इसलिए सब उसी पर चर्चा कर रहे थे ।
अब इंटरस्टिंग फैक्ट ये था की मोहित अंकल अपने हर एम्प्लोयी (मैनेजर या उस से ऊपर) के हर फंक्शन में शामिल होते थे अगर सिटी में अवेलेबल हो और यदि न हो तो आंटी और बचे अटेंड करते है।
और जब बात मोहित अंकल की चली तो इतनी बड़ी हस्ती है उनसे सब मिलने वाले है और तो और मौसा जी तो लगता है वो भी बिलकुल फैन हो। मोहित जी ऐसे मोहित जी वैस, जंहा एक तरफ अपने पापा की तारीफ सुनकर परिधि बहुत खुश नजर आ रही थी वंही मैं अब चुटकी लेते हुए....
"ना मौसा जी यदि मोहित सर इतने ही बड़ी हस्ती है तो चलो उन्हीं के पास गुंजन दीदी का रिश्ता ले कर चलते है"।
मेरा इतना बोलने से जंहा किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा पर मौसा जी के चेहरे का रंग उड़ गया। सायद उन्हें बात पसंद नहीं आई और मैं ये भांप गया....
मैं.... " सॉरी मौसा जी मैं तो वो मजाक मैं बोल गया"
मौसा जी.... "राहुल तुम अब बच्चे नहीं जो कुछ भी बोलते रहो और देख कर बोला करो कि किसके बारे में बोल रहे हो, हमारे और तुम्हारे जैसे न जाने उनके कितने नौकर होंगे मोहित जी के पै"
अब तो मेरा चेहरा भी उतर गया। दिया वो तो अभी ही कुछ बोलने को हुए तो मैंने उस से चुप रहने का इशारा किया और उसे शांत करवाया। एक और ऑडियंस थी वंहा जिसका रिएक्शन देख मैं समझ गया की इसे भी बुरा लगा है। खैर बांकी मौसा जी के समर्थन में, और सब ने बोला की मुझे ऐसी बातें नहीं करनी चहिये।
भोजन के पश्चात मैं परिधि को उसके घर छोड़ने चला गया पुरे रस्ते शांत थी कुछ न बोलि, बस मैं ही बोलता रहा और परिधि हान, हुण, न मैं बोलती रही ।
परिधि अपने कमरे में चली गयी और मैं आंटी से जाकर मिला और कल परिधि को इंगेजमेंट में ले जाने की परमिशन भी ले ली।
घर पहुंच, घर पहुँच कर आराम किया थोड़ी देर फिर यूँ ही कभी इसे से दो बातें तो कभी उस से । देख के शांति मिल रही थी कि दिया ने मौसा जी की बात को ज्यादा दिल से नहीं लिया और वो भी इंगेजमेंट मैं क्या क्या धमाल करना है उसके बड़े मैं सोच रही थी।
मूड तो मेरा भी ऑफ था मौसा जी की बातों से क्योंकि बहुत रूडली बोले।
लेकिन इन सब बातों को दरकिनार कर अब मुझे भी कल की तैयारियां करनी थी इसलिए मैंने परिधि को करीब 5: 30 pm पर फ़ोन लगाया ।
परिधि.... हाँ बोलिये सर ,
मैं.... जल्दी तैयार होकर मुझे पिक करने आओ ।
परिधि.... ओके , न कोई सवाल, की क्यों और कान्हा चलना है।
अभी 15 मिन हुए होंगे की परिधि का कॉल आया । मैं भी यंहा तैयार बैठा था इसलिए कॉल आते ही बहार चला गया, परिधि ने घर से कुछ दूर पर कार पार्क की थी।
मैने परिधि को ड्राइविंग सीट से उठकर बगल में बैठ ने को कहा वो बिना कोई सवाल किये चुपचाप बैठ गायी।
दोनो शांत और कार लगी कॉफ़ी शॉप पर।
आंडार टेबल पर बैठते हुए...
"क्या है परिधि प्लीज अब कुछ बोलो न ऐसे नाराज क्यों होती हो"
परिधि.... मैं क्यों नाराज होने लगी ।
फिर हमारा वाद-विवाद यूँ ही चलता रहा । कुछ देर बाद परिधि भी नार्मल हो गयी और फिर उसकी शरारतें शुरू हो चुकी थी। पर वो जो भी करती मुझे बहुत प्यारा लागता ।
पर अब मुझ से न रहा गया तो मैं बोल ही दिया.....
"आज कल देख रहा हूँ की तुम बहुत जल्दी नाराज हो जाती हो"
परिधि...... तुमहे कोई कुछ बोलता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता और न चाहते हुए भी गुस्से आ जाता है।
मैं..... और वो क्यों?
परिधि....इस क्योँ पर सरमा गयी और बोली हर बात का जवाब देना मैं जरूरी नहीं समझती ।
खैर माहौल खुशनुमा हो चला था । और अब मैं परिधि को कल का प्लान बताने लागा । अब हमारी कल की पूरी प्लानिंग हो चुकी थी बस एक बात के....
परिधि अब चलो किसी बुटीक में.....क्योँ। ....चलो तो ।
फिर हम चल दिए बुटीक सेंटर पहुँच कर मैंने उसे अपने लिए एक मैरून कलर की एक लंहगा ले लो।
परिधि.... मैं क्यों लूँ मुझे समझ में नहीं आ रहा ।
मैं.... वो ऐसा है बीबी जी कि, जब मेरी सं आप के नाम थी तो आपने मुझे अपने पसंद के कपड़े दिए, और कल मेरी बारी है इसलिए अब चुपचाप ले लो।
परिधि.... ओके सर ।
फाइनली मेरी तयारी भी पूरी हुई । परिधि को घर ड्रॉप किया और 5pm को पिक अप का बोल कर चला गया।
घर आया तो सब अपनी अपनी तैयारियों में लगे थे, मुझे देख दिया मेरे पास आ गयी और हम दोनों आपस मैं यु ही बातें करते रहे ।
लोग बहुत ही उत्साहित थे कल के लिये। हम सब खाना खा कर सोने चले गै। रूम में आकर मेरी थोड़ी ऋषभ से बात हुए, जल्दी आने को बोल रहा था । फिर कुछ देर परिधि से बात हुए कल के बारे में और फिर आई नींद और सो गया।
और अब हुई सुबह....
कहानी जारी रहेगी....
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03-21-2019, 12:22 PM,
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 34
और अब हुई सुबह.....
सुबह मेरी नींद अपने रुटीन टाइम 4 बजे पर खुली। अब तक किसी के भी जागने का कोई सवाल ही नहीं होता । मैं घर में ही आज कुछ एक्सरसाइज की 5 बजे मैं हॉल में आया। हॉल में पापा अकेले बैठे थे । मैं पापा के पास जकर.....
"पापा आप इतनी सुबह"
पापा मेरे कंधे पर हाँथ रकते हुए..... मैं जानता था अभी तुम ही जागे होंगे इसलिए बहार तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था ।
मैं.... क्या पापा आप मेरे रूम भी आ सकते थे ।
पापा.... रहने दे बेटू कोई बात नहीं ।
मैं.... पापा कोई खास बात है ।
पापा.... नहीं उतनी भी खास नहीं ।
मैं.... बात क्या है पापा ।
पापा.... नहीं मैं कल क्षितिज़ जी ( मौसा जी ) की बातों के लेकर तुम से बात करने आया हू ।
मैं..... वो गलती से निकल गया पापा मैं आप से भी मांफी चाहता हूँ की मेरे कारण आप को शर्मिंदा होना पड़ा ।
पापा.... नहीं बेटा कैसी बात कर रहा है तू तो मेरा शेर है, मुझे तेरे नहीं क्षितिज़ जी की बातें बुरी लागी।
मैं...... क्या पापा वो मेरे बड़े है क्या हुआ थोड़े नाराज ही हो गए तो ।
पापा.... चल तू तो बहुत बड़ा हो गया है।
फिर मैं और पापा बहुत देर तक बातें करते रहे अब धीरे-धीरे लोग भी जागने लागे, अभी कुछ ही देर हुए थे कि मौसा और मौसी जी ने भी हमें ज्वाइन किया।
मौसा जी... राहुल कल की बात से नाराज है क्या मुझसे ।
मैं.... क्या मौसा जी आप भी न कैसी बातें करते है, मुझे तो लग रहा था की आप कहीं न नाराज हो मुझसे।
मौसा जी........ नहीं बेटा पता नहीं कल क्या हुआ, तू जो कभी कोई बुरा नहीं किया और मैं कल तुझ पर ही नाराज हो गया।
में।।।।। अब क्या आप सब इसी पर बहस करते रहेंगे कि सब जाके तैयारी में लगेंगे इंगेजमेंट की।
फिर सब निकल गए अपने अपने काम से , पर पापा मेरे कंधे पर हाँथ रखा और जेब से ₹ 20000 मुझे निकल कर देने लगे ।
मैं..... क्या है पापा पैसे हैं मेरे पास ।
पापा..... मुझे पता है अब कोई बहस नहीं..... जबरदस्ती पापा ने मुझे पैसे थमा दिए ।
अभी सुबह के 6 बज रहे थे माँ-पापा, मौसा-मौसी और मुझे छोड़ कर सब सो रहे थे । मैंने सोचा बहुत दिन हो गए सिमरन दीदी के पास बैठे। फिर चला मैं सिमरन दीदी के कमरे में । गुंजन और सिमरन दी एक साथ सोती थी।
मैन रूम में पहुंच, गेट नॉक किया सोयी सूरत के साथ गुंजन दी ने गेट खोली...... तू इतनी सुबह क्यों आ गया ।
मैं.... तो जाऊ क्या ।
गुंजन... खायेगा एक आ बैठ ।
गंजन दी बाथरूम चली गयी और मैं सिमरन दी के सर के पास बैठ गया, बहुत चैन से सो रही थी सिमरन दी , मैं उसके सर पर हन्त फेरा । कुछ देर ऐसे ही करता रहा अचानक से सिमरन दी जाग उठी ।
सिमरन.... बेटू कब आया ।
मैं..... दीदी बस ऐसे हि, बहुत दिन से बात नहीं की थी तो सोचा कुछ देर बैठ लूं ।
सिमरन.... आ ईधर आ। दीदी बैठ गयी और मेरे सर को अपनी गोद में ले लिया और सर पर प्रेम से हाँथ फेरते हुए हम कुछ इधर उधर की बातें करते रहे ।
गंजन दी भी बाथरूम से आ गयी हम दोनों को ऐसे देख मुस्कुरा कर चली गायी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कुछ देर यूँ ही बैठने और बात करने के बाद मैं चला आया ।
अब मैं पहुंचा हॉल में। सब उठ चुके थे और सब अपनी अपनी तैयारियों में लगे थे । अभी मैं हॉल में बैठा था की मेरी नज़र सुनैना पर पड़ी । उसे देख ऐसा लग रहा था की अन्दर ही अन्दर कोई समसया लिए है जिसका कोई उपाय न मिल रहा हो। चिंता और परेशानीचेहरे से साफ झलक रही हो।
मैं उठा और सुनैना के पास गया तो चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान लाते हुए..... "और भाई कैसे हो"
मै कुछ न बोला उसका हाँथ पाकर बाहर ले आया और कार में बैठने को कहा । वो मेरा इस तरह का बेहेवियर देख कर हैरान थी और बिना बोले कार मैं बैठ गायी।
(मुझे लगा सब लोगों को देख बात को टाल न जाय इसलिए उसके साथ अकेले ग्राउंड ले आया)
मैने कार स्टार्ट की और पास के एक ग्राउंड में रोक दी । ग्राउंड के अंदर हम बेंच पर बैठ गए, अभी भी सुनैना मुझे हैरानी से ही देख रही थी की आखिर मामला क्या है?
मैं.... बात क्या है ।
सुनैना.... क्या , कौन सी बात ।
मैं..... वही जो तेरे मन में है ।
सुनैना...... देख तू फालतू में दिमाग लगा रहा है ।
मैं..... नहीं जरूर कोई बात है ।
फर हम दोनों के बीच हॉ, न, हॉ, न होते होते सुनैना ने बात सुरु की....
"मुझे कॉलेज में एक लड़के ने पर्पस किया पर मैंने मन कर दी, वो मुझे लगातार परेशान करता रहा मैं फिर भी न मानी । अभी 10 दिन पहले मैं गुंजन दी के साथ मॉल गयी थी वहा मैंने कुछ ड्रेस ट्राय करने के लिए चेंजिंग रूम में गाई । और.....
मैं..... और क्या बता ना ।
सुनैना..... वो लड़का, उसने मेरी ड्रेस बदल ने की पूरी वीडियो निकल ली। अगले दिन उसका मेसेज मेरे मोबाइल पर आया मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए । मैंने उसे कॉल करके विनती की प्लीज इसे डिलीट कर दो । तो.....
मैं..... बता ना प्लीज ।
सुनैना.... उसने शर्त रखी की एक शाम उसके साथ....
ओर रोने लागी।
अब मेरी बात समझ में आ रही थी कि क्यों उस दिन सुनैना ऐसा बोल गयी और वो कॉल उसी लड़के का था ।
मैने सुनैना को कार में बिठाया और पहुँच गया वही पुलिस स्टेशन जंहा मेरी खातिरदारी हुए थी , बस मन में ये विस्वास लिए की वंहा लोग मेरी मदद कर सकते है।
वँहा तीन लोगों ने मुझे पहचान लिया और इस से पहले कुछ बोलते मैंने उन्हें साइड मे चलने के लिए बोला । वो मान गए ।
पहले तो उन्हें मैंने ये बताया की मैं अरेस्ट हुआ था ये घर मैं किसी को पता नहीं और मैं जिसके साथ आया हूँ वो मेरी सिस है तो प्लीज उस दिन की चर्चा न करे और फिर सुनैना की परेशानी बताई ।
उनलोगो ने मेरी बात समझते ही सुनैना से उस लड़के का नंबर लिया और हम से हमारा नंबर । फिर मुझे बोला अभी तुम जाओ 1 घंटे में कॉल करता हू ।
वहाँ से मैं और सुनैना लौट कर वापस ग्राउंड चले गए और कॉल का वेट करने लागे । यही कोई 9 बजे के आस पास इनफार्मेशन देने के डेढ़ घंटे बादकॉल आया और हमें पुलिस स्टेशन आने को बोला ।
हम दोनों पुलिस स्टेशन पहुंचे तो वंहा कुछ लड़के, और सायद उनके माँ बाप भी थे। सुनैना ने सभी लड़को को पहचान लिया और उसे भी जिसने ये वीडियो बनाया था ।
ये जितने भी लड़के थे सब सुनैना के कॉलेज के थे और इन सब को वो वीडियो mms से सेंड किया गया था ।
फिर हम से इंस्पेक्टर सब ने पूछ...... क्या करना चाहते हो कहो तो FIR कर दे ।
मैने 1 बार सब की तरफ देखा फिर उनके माता पिता की तरफ । अब मैं..... सर इनसे से वीडियो डिलीट करवा के छोर दीजिये अगर FIR हो गया तो फ्यूचर में कुछ नहीं कर पाएंगे और तुम लोग सरम नहीं आती एक लड़की ने न कर दिया तो उसे इस तरह से परेशान करते हो और ब्लैकमैल। अभी रिपोर्ट हो गयी तो मालूम है क्या होगा।
सब को अपने किये पर पछतावा हो रहा था उनके माँ बाप तो जैसे गिर ही पड़े हमारे कदमो में। फिर सब ने हम से मांफी मांगी और इन फ्यूचर न कभी वो सुनैना को कभी परेशान नहीं करेंगे ऐसा वादा किया ।
वीडियो डिलीट कर सब को पुलिस वालो ने छोड़ दिया और मेरे किए को सराह रहे थे ।
तब मैंने कहा.... सर मैंने सिर्फ उनको अपनी बहन के वजह से छोड़ा है की आज न कल वो बहार आते ही और आते ही बदला लेते अगर ये चंडीगढ़ में होता तो अबतक पता नहीं क्या हो गया होता मैंने यह सिर्फ ये बात सुनैना की वजह से बर्दास्त की है "।
फिर मैंने मदद के लिए सबको धन्यवाद बोला और मेरा बिंदास अंदाज़ देख कर एक ने पूछ ही दिया....
तुम पुलिस स्टेशन में ऐसी बात कर रहे हो डर नहीं लगता ।
मैं.... सर ये फैमिली मैटर है 2,4 साल के लिए चला भी गया तो ग़म नहीं हाँ आप मुझे जितना चाहे उतना परेशान करे कोई गम नहीं ।
वही पुलिस वाला.... आदमी अच्छे हो नंबर दो अपना कभी चंडीगढ़ आना हुआ तो जरूर मिलुंगा। फिर मैंने उन्हें नंबर । दिया और चले वापस घर की ओर
सुनैना...... मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हे क्या समझा और तुमने मेरी कितनी मदद की ।
मैं...... पागल फॉर्मेलिटी छोर और ये बता तू इतनी परेशान थी तो नीरज भैया को क्यों नहीं बताया।
सुनैना.... मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ।
मैं......... देख तेरे अपने समझ के कारण तू मर रही थी मेरी बात मान कोई भी परेशानी हो और खास कर लडको की तो घर मैं जरूर बताया कर इस से आने वाली परेशानी कम हो जाती है।
फिर मैंने सुनैना को बहार ही नास्ता करवाया अब तक 12 बज चुके थे और हम घर वापस आए ।
आब सुनैना एक्चुअल सुनैना के रूप मई चहक रही थी। घर पर भी सब अपने रंग में थे । मैंने सोचा क्यों न एक बार परिधि से बात की जाय तो मैंने फिर परिधि को फ़ोन लगगया।
हमारी क़रीब 15 मिन की बात हुए बात के दौरान हमारा प्रोग्राम कुछ यूँ तय हुआ की परिधि को मैं 5 बजे पिक करूण। वंहा से हम दिल्ली डेंजरस ग्रुप से मिले, फिर 7 बजे हम इंगेजमेंट पार्टी के लिए जाए और इन सब बातों पर मैंने हामी भर दी ।
काई काम था नहीं तो मैं नीरज भैया के पास चला गया, वंहा से दिया के पास, वंहा से फिर भोजन, भोजन के बाद थोड़ा सा रेस्ट, रेस्ट के बाद फॅमिली मीटिंग और अब बज गए 4 ।
मैंने घर पर बोल दिया की मैं अपने कपड़े नहीं ख़रीदा हूँ तो मैं शॉपिंग कर परिधि को साथ लेते हुए 7 बजे तक पहुँच जाऊंगा ।
साढ़े 4 बजे मैं परिधि के यंहा पहुँच गया परिधि अबतक अपने कमरे मे थी और मेरे आने का इंतज़ार कर रही थी। हॉल में कोई नहीं था बस कुछ नौकरों को छोड़ कर। सबसे पहले मैं गेस्ट रूम में गया जंहा पहले ठेहर था 20 मिन लग गए मुझे तैयार होते होते ।
अब में चल पड़ा परिधि के रुम....
और परिधि को देख कर तो मेरी नज़र ही फिसल गायी। वो लंहगे मैं क्या खूबसूरत दिख रही थी। मैं न चाह कर भी उसे देखने से खुद को नहीं रोक पा रहा था ।
परिधि थोड़ी शर्माते हुए......... प्लीज माँ को मेरे कमरे में भेज दो ।
मैं.... क्या हुआ कोई बात हो तो बोल दो न, परिधि शर्माते हुए पीछे मुड़ी और अपनी चोली की तरफ इशारा करते हुए......., ये आखरी हुक नहीं लग रहा है क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो।
मैन क्या बोलता मेरे तो गला ही सुख चुके था , रुको मैं आंटी को भेजता हूं। फिर गया आंटी को बुलाने पर आंटी भी तैयार हो रही थी। मैंने आंटी से पुछा की कही जा रही है तो उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी के किसी एम्प्लोयी की आज इंगेजमेंट है उसी में सब जा रहे है। जाना तो परिधि को भी था पर वो तुम्हारे साथ जा रही है।
आप चलिये तो आज हम भी वही पहुँच रहे है (मन में सोचते हुए)
इतने मैं परिधि की आवाज़ आई..... मोम, मोम ।
आंटी.... बेटा जरा देख क्या कह रही है ये लड़की भी न मुझे बस परेशान करती रहती। मैं अभी तैयार हो रही हूँ लेट हो गयी तो मोहित भी मुझ पर चिलायेंगे।
मैं.... ठीक है आंटी कह कर मैं चला परिधि के रूम में ।
मुझे देख कर इस बार बड़े बेबाक अंदाज मैं......अब जल्दी से इसे लगाओ नहीं तो जाओ यंहा से ।
मरता क्या न करता मैं चला आगे, मेरे हाँथ काँप रहे थे और काँपते हांथों से मैं परिधि की चोली का हुक लगा दिया पर जैसे ही वो आगे की ओर मुड़ी तो लंहगे में उसका पैर फँस गया और वो गिरते गिरते बची पर पोजीशन कुछ इस तरह थी......
उसके दोनों हाँथ मेरे कंधे पर और मेरे दोनों हाँथ उसके पेट पर उसे सँभालते हुए।
और अब हुए आंटी की एंट्री.....
बेटी को चिल्ल्या सुन भगते रूम में आई और इस पोजीशन में हमें देख, अब आओ देखा न ताव और एक तमाचा मेरे गाल पर और चिल्लाते हुए........"निकल मेरे घर से एक मिनट भी रुका तो काट कर फिकवा दूंगी " ।
इतने कम समय में ये सब हुआ कि न तो परिधि कुछ बोल पायी और जबतक उसने बोलने को मुँह खोला तबतक बहुत देर हो चुकी थी।
मुझे बहुत जिल्लत महसूस हुई और मैं एक पल भी बिना गवाये निकल गया मैं परिधि के घर से...
कहानी जारी रहेगी....
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03-21-2019, 12:22 PM,
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 35
निकल गया मैं परिधि के घर से.....
मुझे उस थप्पड़ ने झुँझलाने पर मजबूर कर दिया, मैं नहीं जानता था कहाँ जाना है क्या करना है बस उदास था । तभी मुझे ख्याल आया भला मेरी वजह से दोनों माँ बेटी क्यों लड़े । इसी ख्याल से मैंने मेसेज किया.....
"कोइ मेरी वजह से अपनों से लड़े तो मैं उसे कभी पसंद नहीं करता आगे तुम्हारी मार्जि"
मेसेज भेजा फ़ोन ऑफ और चला शांति के तलाश में। पता नहीं कहा जाना है फिर मैंने कार को ग्राउंड के नजदीक लगाया और बैठ गया ग्राउंड के बेंच पर।
बास यूँ ही बैठा रहा क्योंकि मुझे 7 बजे अटेंड करना था इंगेजमेंट प्रोग्राम इसलिए मेरे पास अभी समय था ।
मुझे रह रह कर वो तमाचा ही याद आ रहा था ऐसा लग रहा था की गाल पर नहीं तमाचा दिल पर लगा हो।
मैन अंदर ही अंदर घुट रहा था फिर अचानक से मुझे क्या हुआ मैं ग्राउंड में, ग्राउंड के चक्कर लगाने लाग, एक वे'ल मेन्टेन लड़का जो किसी पार्टी के लिए तैयार था अभी उसी अवस्था में अब ग्राउंड के चक्कर लगा रहा था ।
मैन लगातार चक्कर लगाता रहा । क्यों लगा रहा हूँ कुछ मालुम नहीं , कितने लगा चूका होश नहीं, थक कर चूर हो गया गम नहीं, लगता रहा और चक्कर लगाते रहा । और अपने पुरे रफ़्तार मैं लगता रहा ।
अब साँसे नहीं बची मेरे पास और दौड़ने को।
मैन अपने अचेत अवस्था से जगा,अचानक से, की ये मैं क्या कर रहा हू ।मैने टाइम देखा 7 : 30 हो रहे था । मैं हडबडाते भगा कुछ न देख पाया की कंहा हूं। स्लिने की बोतल खिंच ति चली गयी और साथ मैं उसका स्टंड, जब मैंने सब नोच के अपने बदन से अलग किया कि तभी अचानक किसी ने सामने से मुझे गले लगा लिया।
मेरी चेतना जैसे लौटी हो। मैं हॉस्पिटल में और कोई मेरे गले से लग के रो रही है। मैंने अपने से अलग किया तो देखा परिधि रो-रो के अपना बुरा हाल कर लिया है।
मुझे उसका रोना देखा न गया मैंने कहा.... परिधि प्लीज चुप हो जाओ देखो टाइम ज्यादा हो गया है हमें इंगेजमेंट मैं जाना है दीदी इंतज़ार कर रही होगी।
अब भी चुप ना हुई । अब मुझे गुस्सा आया और ग़ुस्से में..... यह क्या लगा रखा है मैं यंहा जाने के लिए परेशान हूँ और तुम रो रही मैं क्या करूं बतओ, और खिंच कर हाँथ दे मरा कांच पर।
होना क्या था हतेली साइड से फट गयी ब्लीडिंग शुरू और परिधि बिलकुल चुप । कुछ टूटने की आवाज़ सुनकर हॉस्पिटल स्टाफ भी आ गै, कुछ ने कांच साफ की तो कुछ ने पट्टी की मेरे हाँथ की।
एक के बाद एक घटनाएं होती चली जा रही थी फिर मैंने अपने आप को कण्ट्रोल किया मैं परिधि को देखा अब मुझे ये अहसास हुआ की मैं उसे चुप नहीं करा रहा था उसे शॉक दे रहा था । वो किसी मूर्ति की तरह कड़ी थी बिना किसी आवाज़ के बस आँखों से आँसू बह रहे थे ।
उसका रोना मुझे बर्दास्त न हुआ मैं उसे चुप होने को कहा वो चुप हो गायी, पर कुछ बात नहीं कर रही थी बस सिसकियां ले रही थी। मैंने उसे पहले बाहर चलने को कहा, वो चुपचाप किसी परछाई की तरह मेरे पीछे आ गई ।
अबतक 8 बज चुके थे तभी फ़ोन आया मेरे फ़ोन पर लेकिन मोबाइल परिधि के पास था । उसने चुपचाप फ़ोन मेरी ओर बढ़ा दिया मैंने कोई रेस्पोंड़ नहीं किया।
अब परिधि खुद को नार्मल करते हुए कॉल वापस लगायी....
सिमरन..... कहाँ हो परिधी..
परिधि...... बहुत धीमी आवाज़ हम बस दीदी आधे घंटे तक पहुँच रहे है।
सिमरन.... राहुल से बात कराओ ।
परिधि.... जी.... और फ़ोन मेरी तरफ
मै.... जल्दी में बस दीदी पहुँच रहा हूँ बाई ।
फर मैं परिधि के पैरो में गिरते हुए....
"माते मेरी इज़्ज़त आप के हाँथ मैं है प्लीज अपने आप को ठीक करो और चलो" ।
परिधि रोते हुए....
"तुम्हारी बेरुखी देखना किसी दिन मेरी जान ले लेगी अब चलो गुंजन दीदी बोल रही थी बिना राहुल के मैं इंगेजमेंट नहीं करने वाली"
क्या बताऊँ इस समय परिधि को देख कर न तो मुझे किसी का तमाचा याद रहा और न ही इंगेजमेंट बस एक अपना पन का अहसास, क्या था पता नहीं मैं खुद को रोक न पाया और, परिधि को गले लगाते हुए....
"तुम प्लीज अब शांत हो जाओ"
फिर कुछ देर हम यूँ ही गले लगे रहे सारी दुनिया और सारे गमों से बेखबर की तभी फिर फ़ोन बजा....
परिधि....जी सिमराम दीदी आ रहे है, बस पहुँच गए ।
गुंजन.... सिमरन नहीं गुंजन बोल रही हू, राहुल को बोलो अपने समय से पहुँच जाए रखती हूँ बाई ।
(अभी भी हम एक दूसरे के बाँहों में ही है)
परिधि नार्मल हो चुकी थी और अब मुझे अपने से दूर हटाया, और जब मेरी नजर उस से मिली तो शर्माते हुए नजर नीचे करके.... जल्दी चलो , प्लीज सब इंतज़ार कर रहे हैं।
मैं.... चलो तो देर किस बात की ।
फिर परिधि ने मुझे मेरे हुलिए से अवगत कराया।
मैं.... यार ऐशे तो हम आम दिनों में घर नहीं जा सकते पर इंगेजमेंट में कैसे जायेंगे और ये 8 :30 का चक्कर क्या है।
परिधि.... चलो पहले बैठो कार मैं रस्ते मैं समझती हू ।
हम दोनों चल दिए परिधि ने कार एक सूट के शॉप के पास रोकि, वो अन्दर गयी और सैम सूट जो मैंने पहना था वो ले आई ।
अब हम चले पार्लर की ओर ।
परिधि ने मुझसे कहा..... 8:30 तक रेडी होकर आ जाऊ ।
बस फिर क्या खुद को पार्लर मैं ठीक किया कोट पहना, टाई पहनि, पेंट पह्न, एक ने हल्का फुल्का मेक-उप किया हो गए टिप टॉप आ गया बाहर ।
कुछ देर इंतज़ार के बाद परिधि भी बाहर आ गायी। हम दोनों की नजरें मिली और कुछ देर एक दूसरे को यूँ ही देखते रहे ।
तभी एक लड़के ने टोकते हुए.... सर पैसा पेड करो और रास्ते से हट कर फ़्लर्ट करो।
जी तो किया दूँ लड़के को खिंच के पर ऐसा कर न पाया । मेरी हालत शायद परिधि समझ चुकी थी इसलिये मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी खैर उसे पैसे पेड किये और चालें इंगेजमेंट में।
मैं..... यह 8 : 30 का चक्कर क्या है।
परिधि..... तुम तो बेहोश थे और कुछ हुआ नहीं कि फ़ोन ओफ्फ्। तो मैं जब तुम्हारी हालत देखी तो हॉस्पिटल ले आयी और डॉ से पूछा की कब तक होश आएगा । जवाब आया बहुत ज्यादा चिंता की बात नहीं है हरस्मेंट के कारन है 1,2 घंटे में होश आ जाएगा । मैने समय देखा और तुम्हारी हालत ।
मैन बिच मैं टोकते हुए... और अपनी ।
परिधि.... हाँ अपनी भी , अब बोलूं या और कुछ बोलना है ।
मैं.... सॉरी तुम बोलो अब नहीं बोलुंगा ।
परिधि.... मैंने जब सब कैलकुलेट किया तो 8 कम से कम लग जायेंगे पहुँचने में तो मैंने टाइम फिक्स किया 8 : 30 ।
फिर मैंने अंकल (मेरे पापा) को फ़ोन लगा कर बोला रास्ते पर एक कार ख़राब हो गयी थी जिसमे एक प्रेग्नेंट लेडी को दर्द हो रही थी उसने हमारी कार रुकवाई और हेल्प मंगी, फिर पहले तो हमने पुछा की एम्बुलेंस के बरे मैं पर जब पता चला की 1 घंटे पहले फ़ोन किया है अबतक नहीं पहुंची तो हमने हेल्प कर दी ।
मै.... ओके और कुछ जो मुझे बोलना है या मालूम होनी चाहिए?
परिधि.... नहीं ।
मैं..... और तुम हॉस्पिटल मैं रो क्यों रही थी?
परिधि.... हॉस्पिटल कैसे पहुंचे इसपर कल चर्चा करे।
मैं.... कोई बात नहीं कल कर लेंगे बाते ।
पहिर परिधि बोल पड़ी...
पहले तुम माँ को माफ कर दो उन्हें बहुत अफ़सोस है उस बात का , वो तो खुद तुम्हारे पास रुकना चाहती थी पर मैंने समझा कर उन्हें इंगेजमेंट मैं भेज दिया।
मैं.... पर उन्होंने किया क्या था?
परिधि अस्चर्य से..... ऐसा क्यों पूछ रहे हो?
मैं.... जाने दो इतने दिन साथ रह कर भी तुम मुझे न समझ सकी तो फिर इस सवाल को क्या समझेगी?
परिधि एक शंका भरी नज़रों से मुझे देख रही हो और पूछ रही हो की माँ को माफ किया की नहीं ।
मैं...... चिंता मत करो मुझे कोई शिकायत नहीं आंटी से अब चलो जल्दी ।
अब कार रुकी और हम पहुंचे गार्डन के अंदर..
कहानी जारी रहेगी....
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03-21-2019, 12:23 PM,
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 36
अब कार रुकी और हम पहुंचे गार्डन के अंदर.....
हमारे एंट्री होते ही हम पॉइंट ऑफ़ अट्रैक्शन लग रहे थे । मैं और परिधि साथ साथ ही चल रहे थे और स्टेज कि ओर बढ़ रहे थे । जहाँ एक तरफ हमारे घर के लोग हम दोनों को देख खुश हो रहे थे वंही अंकल आंटी बहुत आश्चर्य कर रहे थे ।
लाल कि नजर जैसे ही मुझपर पड़ी वो दौड़ कर मेरे पास चला आया । फिर मैं और परिधि पहुंचे अंकल आंटी के पास । जब मैंने आंटी का चेहरा देखा तो लगा कि आंटी गिल्टी फील कर रही है अब थी तो मेरी माँ समान ही मुझे अछा नहीं लगा ।
मैं आंटी के गले लगते हुए कान में कहा.... क्या आंटी अब तक नाराज है, वो गलती से हुआ, चाहो तो दुबारा मर लो पर नाराज मत हो।
अब आंटी को जैसे ही सब नार्मल लगा तो मेरे कान पाकर कर..... तू कल आ बताती हूं।
फिर मैं अंकल के पास गया उन्होंने कंधे पर हाँथ रखते हुए कहा.... मुझे पता चला शाम कि घटना।
अब मैं टोकते हुए अंकल से..... क्या हम भूल जय इस बात को जो होना था वो हो गया रहने दीजिये न।
आंटी..... तुम दोनों यंही आ रहे थे और हमें बताया भी नहीं ।
परिधि..... सरप्राइज था मोम ।
मैं..... आंटी अब हम जय वंहा दीदी से भी नहीं मिले।
आंटी...... जाओ बेटा वैसे भी कब से तेरा ही इंतज़ार हो रहा है।
हम दोनों गुंजन दीदी के पास पहुँच कर ।
मैं.... गुंजन दीदी से , बहुत प्यारी लग रही हो दीदी कंही मेरी नज़र न लग जाए ।
गुंजन.... तू तो रहने दे आज अपनी दीदी को परेशान किया है न इतना लेट क्यों हुआ?
मैं...... आप को अछा लगता कि मैं किसी को वैसी हालत मैं छोड़ आता ।
गुंजन.... नहीं काम तो दिल खुश करने वाला किया है ।
तभी निखिल मुझसे.....
"तो तुम मोहित सर को जानते हो"
मैं..... थोड़ा बहुत ।
निखिल.... और वो लड़की (तबतक परिधि दिया के पास थी) जो तुम्हारे साथ रहती है।
मैं..... वो परिधि है मेरी दोस्त, अब आप सब का बायो-देता बाद मैं लेना पहले मंगनी कि रस्म शुरू कीजिये।
चूंकी मैं सबसे लेट था इसलिए एक एक करके सबसे मिलते रहा उस दौरान परिधि भी मेरे साथ थी।
आज पता नहीं क्यों मैं भी नहीं चाहता था परिधि मेरे नज़रों से दूर हो इसलिए जब परिधि किसी से अकेले मिलती तो मैं इशारे से बुला लेता।
हम यूँ ही आपस मैं बात करते हुए घूम रहे थे और पार्टी का लुफ्त उठा रहे थे कि सामने से दिया और सुनैना आती दिखी ।
मैने अपना सर पीट लिया क्योंकि अगर दिया अब शुरू हुए तो भगवन ही मालिक है कि किस बात से किसको मारगी। इस बात को भांपते हुए मैं बिंदास तरीके किसी दूसरी ओर मुड़ गया।
पर कहते हैं न कि अगर आप को मारना है तो कोई नहीं बचा सकता और वही हुआ मेरे साथ्।
पीछे से.... भैया- भैया ।
मैं अंजन बनते हुए.... हाँ बोल।
दिया.... आप मुझे देख अवॉयड क्यों कर रहे है ।
बीच में परिधि..... नहीं वो मैंने कहा था मुझे कुछ स्वीट्स खाने थे ।
दिया..... बस इतना ही , सुनयना दी थोडा इनको आप स्वीट्स खिला के लाओ तबतक मैं भैया से बात भी कर लू ।
सुनैना परिधि को लेकर चली गयी और मैं मरता क्या न करता....
"बता ना क्या बात है"
दिया.... यहाँ नहीं चलो उस टेबल पर और खिंच कर मुझे टेबल पर ले गयी मैं पीछे मुड़ कर परिधि को देख रहा था और परिधि मिझे और जैसे एक दुसरे को कह रहे हो कान्हा फँस गए ।
दिया......भैया मुझे परिधि बहुत पसंद है आप सेलेक्ट कर लो।
मैं.... तू समझ रही है तू क्या बोल रही है ।
दिया..... हाँ पर वो भी तुम्हे पसंद करती है ।
मैं.... देख दिया तू मेरे साथ इतना रहती है पर कुछ सीखा नहीं, किसी भी चीज पर अपनी राय तभी बनानी चाहिए जब आपको यकीन हो। तो मेरी बहन तू कैसे यकीन है?
दिया.... मैं कुछ नहीं जनती ।
मैं.... दिया बहुत हुआ अब हम इस पर कोई चर्चा नहीं करेंगे
इतने में सुनैना और परिधि भी आ गयी आते ही ।
सुनैना.... क्या बातें हो रही थी ।
दिया.... परिधि के बारे में ।
अब मैंने सर पीट लिया कि ये लड़की आज कोई न कोई कांड यंहा जरूर करेगि।
परिधि..... ऐसी क्या बातें हो रही थी हमरे बारे में जरा हमे भी बताइये, अगर ऐतराज़ न हो तो ।
दिया..... मुझे लगता है आप के 1,0(जीरो,निल) बॉयफ्रैंड होगा पर सुनयना दीदी कह रही थी कि आप के 2 से जयादा होंगे । वही भैया से क्लियर कर रही थी।
लो हो गया कल्याण मैं तो चला यंहा से अगर और थोडी देर रहा तो ये लड़की मेरा हार्ट-अटैक करवा के छोडेगी।
मुझसे रहा नहीं गया और उठकर वंहा से चल आया पर अपनी तिरछी नज़रों से परिधि को देखा और परिधि ने मुझे ।
घूमते घूमते मैं फिर गुंजन दी के पास पहुँच गया, जंहा गुंजन और सिमरन दी, निखिल पार्टी मैं अपने फ्रेंड और रिलेटिव्स को अटेंड कर रहा था ।
गंजन दी मुझे छेड़ते हुए.... देख ले राहुल इन में से एक कोई पसंद हो तो बता देना तेरा भी मामला सेटल कर दूंगी ।
अब सिमरन बोल पडी...... बेचारा अभी तो दो में ही डिसाइड नहीं कर पा रहा होगा कि रूही या परिधि क्या चहिये।
मै क्या करता वंहा से भागने के अलावा कोई चारा न था । आज सब के सब मज़ा ले रहे थे मुझसे।
वहाँ से मैं मोम डैड के पास आ गया। वंही उन लोगों से चर्चा होती रही । सामने से मोहित अंकल और आंटी ने भी हमें ज्वाइन कर लिया। हम सब कुछ देर यूँ ही बातों में लगे रहे फिर मैं वंहा से नीरज भैया कि तरफ चलने लगा लेकिन सोचा एक झलक परिधि कि भी ले लू इसी मंशा से मैं फिर परिधि को देखा तो पाया कि परिधि अकेली बैठी है और दिया और सुनैना वँहा नहीं थी ।
अब जो कदम नीरज भैया कि ओर बढ़ रहे थे वो जल्द ही परिधि के तरफ बढ़ने लगे और मैं कुछ ही छड़ो मैं परिधि के सामने बैठा था ।
परिधि मुझे देखते हुए.... खाना खा लिए क्या....
मैं.... नहीं क्यों ।
परिधि.... तो आ जाओ और हमें ज्वाइन करो, तबतक दिया एक वेटर के साथ दिखी जिसके हाँथ में 2 प्लेट खाना था ।
मैंने कहा.... तुमलोग शुरू करो मैं तुम्हे ज्वाइन करता हूँ और अब मैंने भी खाने कि प्लेट लेने चला गया।
वापस मैंने दिया और परिधि को ज्वाइन किया। हम तीनो आपस मैं कुछ खट्टी कुछ मीठी और नोक झोंक के साथ खाने का लुफ्त उठाते रहे ।
अभी कुछ समय बीते थे कि सुनैना हमारे पास आते हुए........क्या हम भी यंहा बैठ सकते है, उसके साथ एक और लड़की थी जिसे हम तीनो में से कोई नहीं जानता था ।
दिया......... क्या दीदी अब आप को भी पूछ कर बैठना पडेगा।
सुनैना बैठ ते ही..... आप लोग इनसे मिले ये है मेरी बेस्ट फ्रेंड उर्वशी ।
उसके बाद हम सब को सुनैना ने इंट्रोडस करवाया। बांकी सब तो ठीक ही रहा पर जब हमारा इंट्रो हुआ तो उर्वशी सुनैना से....
यार कान्हा छिपा रखी थी इस हीरो को फिर मुझसे......अगर कल फ्री है तो वाना डेट विथ मी ।
इस से पहले कि मैं कुछ बोलता दिया बोल पड़ी....
"देखिये मैडम यंहा पहले ही त्रिअंगुलार सीरीज कि नौबत है जिस से मैं परेशान हूँ अब 4थ पार्टिसिपेंट का तो सवाल ही नहीं होता"
उर्वशी.... कोई बात नहीं मैं केवल वन डे फ्रेंडली मैच के लिए इनवाइट कर रही हूं ।
जहाँ उर्वशी इतनी फ्रैंक होकर मुझे डेट पर चलने कह रही थी वंही दिया अपनी नराजगी जाता रही थी, सुनैना तो बस अंपायर कि तरह जज कर रही थी। लेकिन परिधी
परिधि को देखा तो मैं बिना हसे नहीं रह सका पर बाहर से बिलकुल नोर्मल। परिधि अपनी चुन्नी को दो उँगलियों मैं लपेट घुमा रही थी । चेहरे का रंग उड़ हुआ, गुस्से से लाल आँखें और चेहरा बिलकुल गम्भीर।
मैन परिधि को और चिढ़ाने के ख्याल से....
मैं उर्वशी को अपना फ़ोन देते हुए....
इसमे अपना नम्बर सेव कर दे और मेरा नम्बरअपने पास ले ले।
मेरे इस तरह से करने पर अब तो दोनों दिया और परिधि दोनों चिढ़ गयी पर कर कुछ नहीं सकती थी , इसी दौरान उर्वशी......
"किस नाम से अपना नाम सेव करून जो आप को याद रहे"
मैं..... आपने मेरा नाम किस नाम से सेव किया है ।
उर्वशी.... किलर राहुल ।
मैं.... फिर अपना नाम उर्वशी अप्सरा से सेव कीजिये।
वो थोड़ा मुस्कुराई मैंने भी सैम रेस्पोंद किया, इतने मैं परिधि उठी कंही जाने के लिये।।
मैं..... कंहा जा रही हो ?
परिधि..... मैं लॉन मैं जा रही हू ।
मैं.... कुछ देर बैठो हम सब चलते है साथ में ।
परिधि...... नहीं तुम अपनी रास लीला चालू रखो मैं क्यों कबाब मैं हड्डी बनु । इतना कहा और बड़े गुस्से मैं वंहा से निकली और साथ में दिया भी।
लागता है कुछ ज्यादा ही हो गया, देखते है अब इसका रिएक्शन कि कल क्या होता है।
पार्टी ऑलमोस्ट खत्म हो रही थी सारे गेस्ट और रिलेटिव जा रहे थे सारा कार्यक्रम समाप्त हो चूका था परिधि अपने पापा के साथ घर जा रही थी। अब यंहा केवल हम फैमिली मेंबर रह गए थे तो पापा और मौसा जी को छोड़ कर बाकी सब वंहा से रवाना हुए मासी के घर ।
सब थके हुए थे इसलिए सब अपने अपने कमरे मैं चले गए सोने पर इस समय मुझे अपने दर्द का अहसास हो रहा था प्यार वाला नहीं पागल पान वाला जो ग्राउंड मैं कर आया था ।
पैर बिलकुल किसी हेलीकाप्टर कि पंखी कि भाँति धररर धरररर कर रहा था और हवा में उड़ने को तैयार थे । अब रात भी इतनी हो गयी थी कि किसे बताऊ । पर जब अंत में दर्द बर्दाश्त न हुआ तो मै सिमरन के पास चला गया क्योंकि माँ तो पूरा दिन काम करती रही इसलिए सोचा उन्हें न बताऊ ।
मै सिमरन के कमरे मैं गया वंहा गुंजन दी और सिमरन दोनों आपस मैं बात कर रही थी , रूम अभी भी खुला था ।
मै जैसे ही अंदर गया दोनों ने मेरा चेहरा देखते ही समझ गयी कि कि मुझे कोई तकलीफ है।
सिमरन.... क्या हुआ बेटू बता मुझे ।
मैं.... दीदी पैर बहुत दुःख रहे हैं सोया नहीं जा रहा मैं कहराती आवाज़ मैं बोला ।
सिमरन.... तू जा चेंज कर के लेट मैं अभी आई ।
मै वापस कमरे मैं शॉर्ट्स पहन कर लेट गया, कुछ देर बाद सिमरन और गुंजन दी दोनों मेरे कमरे में आई । सबसे पहले मुझे एक पेनकिलर दी खाने के लिए उसके बाद सिमरन दी मेरे पैर दबाने लगी साथ साथ गुंजन दीदी के साथ बातें भी कर रही थी।
कुछ देर मैं रहत भी मिलने लगी और जब रहत लगी तो दिमाग भी चलने लगा और परिधि के कल के रिएक्शन के ख्याल से ही मेरे अंदर एक अजीब सी फीलिंग दौड़ने लगी और इन्ही सब बातों को सोचते मैं सो गया।
मैं सो गया अपने अंदर एक रोमांच को महसूस करके कि कल क्या होगा......
कहानी जारी रहेगी.......
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 37
मैं सो गया अपने अंदर एक रोमांच को महसूस करके की कल क्या होगा....
जब सुबह मेरी आँख खुली...
पहली बार ऐसा हुआ की जब में जागा तो मुझसे पहले सब जाग चुके थे सब मुझे चारो ओर से घेर सावलिया नजरों से घूरते हुए, दिया, सिमरन, गुंजन, सुनैना, निरज, मोम, मासी सब घेर थे मुझे।
मुझे कुछ देर विस्वास न हुआ की ये सच है या सपना और में सपना समझ कर फिर से आंखें मूंद लि, लेकिन अब कुछ छींटे पानी की बून्द के मेरी ऊपर गिरे मैंने आँखें खोली और वही नजारा फिर से आँखों के समने ।
"नहीं यार ये सपना नहीं है ये तो हकीक़त है पर क्यों सब के सब मुझे घेरे है"?
इतना सोच ही रहा था की माँ....
"क्यों बेटा तेरे पैरो का दर्द कैसा है"?
"अब समझा मेरे पौन की दर्द के वजह से ऐसा है पर मुझे माँ के सब्द में वयंग क्यों नज़र आ रहा है"?
मैं इतना सोच ही रहा था की नीरज भैया....
"बेटू कल यूट्यूब पर एक फैंटास्टिक घटना अपलोड हुए है और व्यूज देख तक़रीबन 12 घंटे में 5 लाख"
मैं..... भैया थोड़ा बाथरूम हो के आउ फिर देखता हूं।
नीराज भैया.... बेटू देख ले शायद बाथरूम जाने की जरूरत ही न हो ।
"अब ये क्या पहली है और ये सब मुझे घूर क्यों रहे है नहीं डायरेक्टली पूछता हू"
तभी सिमरन बोली.... देख ले वीडियो बेटू, ये बार बार जो तू अपने खेलों में गुम हो जाता है इसे देखने के बाद तू कंही गुम ना हो पायेगा।
मैं..... पहले बात क्या है कोई बताएगा (झुंझलाते हुए) ।
माँ और मस्सी दोनों मेरे सर पर हाँथ फेरने लगी और माँ अब बोलते हुए....
"क्या बेटा हम सब पर गुस्सा आ रहा है"
अजीब द्विधा में सब फँसा के रखे है, सब टॉन्ट कर रहे है ये तो मामला कुछ ज्यादा ही सीरियस लग रहा है भलाई इसी में है जैसे बोल रहे है वैसा करते जाऊं नहीं तो इतने घूरते चेहरे...
इतने में अब गुंजन दी बोली वो भी वयंग करते हुए...
"देखो हमारा राहुल फिर सपनो में चला गया"
मैं.... दिखाओ नीरज भैया नहीं तो आप लोगों की पहेली से में पागल हो जाऊंगा ।
नीराज भैया ने मुझे वो वीडियो दिखाया और अचानक ही मेरे हाँथ से फ़ोन छूट गायी।
ये वीडियो कल शाम में किसी ने सूट की थी जब में ग्राउंड में दौड़ रहा था किसी पागल की तरह तरह, यूट्यूब पर भी अपलोड कर दिया था ।
मेरे तो पैरो तले से जमीन खिसक गयी और भगवन से..
"हय भगवन में समझ गया की में आप से मिलने नहीं आता हूँ इसलिए आप मुझे झटके पर झटका दे रहे हो। आप भी कम बदमाश नहीं हो। अब इनको में क्या जवाब दूं"।
दिया, अब उसने ने भी बोला...
"भैया मेरा प्यार भैया यूँ बार बार गायब न हो हम सब है, यंही है"
तूझे तो मौका मिलना चाहिए अपना मुंह खोलने को इतना सोच में घूरा दिया की तरफ पर भूल गया की और भी लोग है ।
फिर गुंजन दि....
"बड़ी प्यारी आँखें है बेटू जरा हमें भी तो दिखा "
हो गया अब कुछ नहीं हो सकता एक चुप तो दूसरा शुरू और दुसरे चुप तो तीसरा मुझे अपने बचाव में कुछ कहना ही होग, पर क्या?...
तभी मासी कुछ बोलने को होती है तो में...
"अब प्लीज मुझे यूँ सब मत घेरो बाथरूम जाने दो बहुत जोर की आई है" (बड़ी विनती भरे शब्दों में बोला)
पर उनके हाव-भाव में कोई परिवर्तन नहीं ।
अबतक में जिस पोजीशन में लेटा था मेरा पैर सैम पोजीशन में था पर जैसे ही उठने को हुआ लड़खड़ा कर गिर गया और कराह... उठा दर्द भरी आवाज़ में..
"बाप रे मर गया"
दोनो जांघें सूज चुकी थी और पैर जमीं पर रखे नहीं जा रहे थे ।
अब सब के सब गुस्से भरी निगाहों से देख रहे थे ।
तभी नीरज भैया ने मुझे सहारा देकर बाथरूम ले गए कुछ देर में मैं बाथरूम से फुर्सत होकर दिवार के सहारे बिस्तर तक आया ।
अभी भी सब अपनी जगह बने थे फर्क सिर्फ घूरने में था पहले सिर्फ घूर रहे थे अब गुस्से से सब देख रहे थे । की तभी सिमरन के स्वर गूंजे उस माहौल में और शांति को भंग करते हुए....
"माँ मुझे माफ़ कर दो मुझे इसके दिल्ली आने की कहानी आप सब को पहले ही बता देनी चाहिए थी पर इसके मोह ने मुझे बताने नहीं दिया"....
लो अब तो पुराने पन्ने भी पलटने लगे मैंने भीख मांगने वाली नज़रों से देखा सिमरन की ओर पर सिमरन....
"नहीं बेटू तू जानता नहीं कितना बोझ है मेरे ऊपर पता है वो 2 दिन मैंने किस चिंता में काटे थे जब तू गायब हो गया था । ऐसे मत देख तेरी नाराजगी मंजूर है पर इस राज पर से पर्दा उठाना ही पडेगा"
दीदी का इतना बोलना और सब एक टक निगाहें दीदी पर और अब सिमरन शुरू....
"कहानी के पहले भाग में मेरी फीलिंग रूही के प्रति से लेकर ग्राउंड की घटना और ग्राउंड से आने के बाद मेरा बिलखते हुए रोना, फ्रेंड के साथ मौत की घटना की प्लानिंग और मेरा दिल्ली आना"।
सब बस चुपचाप मुझे देखते हुए लेकिन दिया अब मेरे समर्थन में....
"भाइया आप से उम्मीद नहीं थी की इतना ड्रामा आप ने क्रिएट किया सिमरन दी के साथ मिलकर लेकिन चलो आप के दिल को धक्का लगा था तो समझ सकती हूँ पर कल क्या हुआ था
"
ओर फिर दूसरों को समर्थन के इरादे से...
"क्यों सही कहा ना मैंने"
अब माँ से न रहा गया और दिया को काफी गुस्से से डाँटते हुए.....
"चुप भैया की चमची उसके साथ इतना कुछ हो गया हमें पता नहीं और देखो इस बित्ते भर की लड़की को अपने भाई को सही बता रही है"
बेचारी दिया रोनी सी सूरत हो गयी मेरे तरफ से बोलने के कारण ।
अब चूंकि बात मेरी दोनों बहनो पर आ गयी थी और सब उन दोनों को कोस रहे थे इसलिए अब मैं अपनी चुप्पी तोड़ते हुए......
"सुनो आप लोग, आप इन्हे क्यों डांट रहे है....
लेकिन माँ का गुस्सा वो तो जैसे आज किसी की सुनने ही नहीं वाली । मुझे बीच में रोकते हुए...
"देखा दीदी (मासी को इंडीकेट करते हुए) तीनों को देखा बड़ी बोलती है उसकी गलती है, छोटी कहती है कोई बात नहीं दिल को धक्का लगा था और ये शैतान बोल रहा है की इन्हे क्यों डांट रहे हो मुझे कहो जो कहना है मैं तो कुछ हूँ ही नहीं इनकी " ।
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए....
"ऐसे ही कुछ दिन पहले मार पीट में अपना सर फुड़वा लिया था और अगले दिन ये सिमरन इसको नाचने के लिए डिस्को भेज दी । तीनो अपने में ही खिचड़ी पकाते है मुझे तो कुछ मालूम ही नहीं होता । मैं जब मर जाऊं तो करते रहना अपनी मन मानी"
माँ के इस तरह के रिएक्शन से जंहा सिमरन और दिया रोने लगी वंही मेरा दिमाग ब्लॉक हो गया और अब मामला बहुत जायदा बिगड़ते देख नीरज भैया ने कमान सम्भलि। और नीरज भैया के लॉजिक को न मानना ये तो अच्छे अच्छों के बस की बात न थी.....
अब नीरज भैया माँ को थोड़ी ऊँची आवाज़ में.....
"मासी आप को क्या बुरा लग रहा है इनका आपस का प्यार या इन लोगों ने झूठ बोला है? और आप इतना क्यों ओवर रिएक्ट कर रही है आप को तो अभी ये चिंता सता रही है कि किस हालात मैं ये घर से दिल्ली निकला और इसे कुछ हो जाता तो?
कुछ रुकते नीरज भैया फिर बोले लेकिन बड़े प्रेम से....
देखो इनके बीच का प्यार और सोचो कि क्या बीती होगी सिमरन पर, दो दिन जब राहुल का कोई अता-पता नहीं था । बेचारी के गले से खाना भी नहीं उतरता होगा।
अब रही बात सिमरन के झूठ की तो आप मुझे बताओ कि अगर ये अपनी बात वो भी रोते हुए जिसका रोना कोई नहीं देख सकता आप को पहले बताता तो क्या आप नहीं झूठ बोलती?
वाह! क्या गूगली मारी है नीरज भैया ने अब माँ बिलकुल नार्मल होते हुए....लेकिन नीरज ।
फिर नीरज भैया बीच में टोकते हुए....
अभी नहीं मासी अभी पूरी बात होने दो । तुम्हे मालूम है दो दिन पहले सुनैना ने इसे क्या-क्या कहा फिर पूरी कहानी बतायी। कोई दूसरा होता तो पलट कर देकता भी नहीं पर ये राहुल है, हिरा है मेरा भाई, इसने जब देखा की सुनैना हम भाई बहन के बीच नहीं बैठी है तो सुनैना को उल्टा मना कर लाया और यह जाता कर कि, कोई बात नहीं उसके मुंह से गलती से वो शब्द निकले थे ।
और सुनो जब हम सब लगे थे अपने अपने अरमानो में की इंगेजमेंट में ऐसा करना है वैसा करना है अरे इसकी अपनी माँ तक नहीं समझ पायी की सुनैना कितनी बड़ी तकलीफ मैं है, फिर नीरज भैया ने वो कहानी भी बताई वीडियो क्लिप वाली , इस लड़के ने 2 घंटे में पूरी प्रॉब्लम सॉल्व कर दी, और जैसे जैसे नीरज भैया ये बात बताते गए उनके आंखों से और साथ साथ सब के आँखों से आंसू आ गए ।
मैं तो हैरान सुनैना की तरफ देखा तो सुनैना ने मेरे सवालों का जवाब देते हुए....
राहुल ने मना किया था किसी को ये बात नहीं बताने पर जब पुलिस स्टेशन से हम बाहर आये तो मुझे बहुत रोना आया और मैंने पूरी कहानी नीरज भैया को बता दी ।
सब के सब रो रहे थे और सब के सब हैरान क्योंकि इतनी बड़ी बात हो गयी और किसी को पता तक न चली ।
आंशुओं के साथ सबका गुस्सा और मेरे झूठ बोलने का मामला भी खत्म हो चूका था । पर एक बात से हैरान हम सब अब भी थे जो नीरज भैया की बातों में इतना खोये थे की ध्यान ही न दिया...
मेरे रूम के गेट पर चौहान एंड फैमिली खड़ी थी और उन सब के आंखों में भी आंसू थे बस लाल को छोड़ कर उसे तो शायद पता भी न था की क्या हो रहा है।
मोहित अंकल ने लाल को बाहर भेज दिया खेलने अब रंजना आंटी , मोहित अंकल और परिधि ने हमें ज्वाइन किया।
मेरे पूछने पर पता चला की मोहित अंकल उस समय से खड़े हमारी बात सुन रहे है जब माँ मेरे सर फूटने की बात कर रही थि, आने का कारण ये था की उन्होंने ने भी वीडियो देखा और सोचा की मैं जवाब क्या देता इसलिए खुद चले आये रंजना आंटी के साथ इसका क्लैरिफिकेशन देने ।
अब रंजना आंटी ने सूरु की कहानी....
कैसे मेरा और परिधि का प्लान बना सब को सरप्राइज देने का चूँकि न तो हमें (मिस्टर एंड मिस चौहान) पता था की ये दोनों यही इंगेजमेंट अटेंड करने आ रहे है और न ही आप को पता था की राहूल को हम जानते हैं इसलिए ये 5 बजे पर ही पिक अप करने आ गया परिधि को और वंहा से दोनों 7 बजे इंगेजमेंट में पहुंचते जब हमारी फॅमिली पहुँच चुकी होती ।
अब पूरी कहानी की कैसे मैंने परिधि के कहने पर हुक लगाया और कैसे वो अचानक से पैर फस्ने की वजह से गिरि, मुझे परिधि को सँभालते हुए देखना और चांटा मार् कर मुझे घर से भगाना ।
राहुल के घर से जाने के बाद मैं अपनी बेटी पर बहुत गुस्सा थी और मेरा वयवहार देख कर ये मुझ से ज्यादा गुस्सा मैं की मैंने बिना जाने क्या किया।
परिधि रो रही थी और चिल्ला रही थी और मैं भी इसे ग़ुस्से में खरी खोटी सुना रही थी की तभी अचानक इसके मोबाइल पर राहुल का मेसेज आया और परिधि बिलकुल शांत कुछ न बोली पर अब मुझे उसका चुप रहना किसी सांप डसने के बराबर था पर जैसे ही मैं कुछ बोलने को हुए परिधि ने मुझे अपना मेसेज दिखाया मेसेज का एक्सप्लेने करते हुए मेरे तो होश उड़ गए की जिसे मैंने इतना बेइज्जत किया वो ऐसा सोचता है मेरे आंसू न रुके फिर परिधि ने पूरी कहानी बतायी। मुझे पछतावा हो रहा था और मैंने मोहित को बताया उसे भी सब जानकर हैरानी हुए।
लेकिन जब हमने फ़ोन लगाया तो फ़ोन स्विच ओफ्फ्। मैं और मोहित बहुत परेशान हुए पर क्या कर सकते थे जबतक राहुल से बात न होती।
फिर परिधि ने हमें आप के पास भेज दिया ये बोलकर की.... माँ आप जाओ जो इतना सोच सकता है वो थपड वाली बात को दिल से नहीं लगा मैं मना कर ले आउंगी घर।
फिर इसने जीपीएस से इसकी ट्रैकिंग की और जब ग्राउंड पहुंची तो वीडियो वाला एक्ट चल रहा था ।
परिधि जब पहुंची तबतक राहुल बेहोश था इसने राहुल को हॉस्पिटल मैं एडमिट करवाया और जब डॉ से पूरी टाइम का डेटाइले ली तो एक टेंटेटिव टाइम पर आने का बोल कर आपको एक कहानी सुना दी ।
इतना ही नहीं कुछ देर बाद जब इसे होश आया तो भगा बाहर की इसे जल्द से जल्द इंगेजमेंट मैं पहुंचना है। बहुत प्यार करता है आप लोगों से । इतना भागने के बाद तो लोग 10 दिन तक उठ नहीं पाते बिस्तर से पर इंगेजमेंट में आया तो पता तक नहीं चलने दी की ये इतनी तकलिफ में भी है।
जब ये मेरे गले लगा तो मैं बता नहीं सकती की मुझे कितनी सुकून मिला आत्मा का बोझ हल्का हो गया इतना ही नहीं, मालूम है यह क्या केहता है... आंटी अगर आप को बुरा लगा हो तो एक चांटा और मार लीजिए पर नाराज न हो जाएये।
अरे मोहित जी से तो अच्छे अच्छे बात नहीं कर पाते पर इस लड़के कद इतना बड़ा है की हम इस से बात नहीं कर पाते ।
फ्रेंड्स सारे गिले शिकवे दूर, सारे गम दूर आँखों मेंआंसू तो थे पर ख़ुशी के।
पर इन सब बातों से मुझे बहुत सुकूं था की चलो मेरे झूठ का तो अंत हुआ पर एक राज और था पर वो राज ही रहे तो अच्छा था ।
अब होना क्या था सब लोग मुझ पर गर्व मेहसूस कर रहे थे पर मैं तो नीरज भैया का आभारी था की हमेसा मेरे साथ और मेरे लिए खड़े रहे ।
फ्रेंड्स 2 घंटे बीत चुके थे बातों बातों में अब मासी सभा को भंग करते हुए सबको हॉल मैं चल्ने को कहा और मोहित अंकल एंड फॅमिली को खाना खा कर जाने को बोलने लगी जिसे रंजना आंटी (परिधी'की माँ) ने सहर्ष स्विकार किया।
सब चले गए बाहर मुझे आराम करने को बोल कर लेकिन मैंने परिधि को इशारा किया की प्ल्ज़ कुछ देर और बैठो अच्छा लग रहा है लेकिन चली गयी परिधि बिना कोई रिएक्शन दिए और कुछ देर बाद मेसेज आया....
बेस्ट ऑफ लक फॉर डेट भला मैं कबाब में क्यों हड्डी बनु ।
ओह हो बातों बातों मैं तो मुझे कल के बड़े मैं ध्यान ही नहीं रहा । अब क्या करू ?
क्या करूँ मैं अब?......
कहानी जारी रहेगी......
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 38
क्या करूँ मैं अब?.....
धीरे धीरे अब ये अहसास हो चला था कि कंही न कंही परिधि बहुत ही ज्यादा नाराज है क्योंकि कल जिस तरीके से मैंने उसे इग्नोर किया था परिधि ने बात दिल से लगा ली तभी तो मैं इतना परेशान था और वो बिना बात किये चली गायी।
पर इस का क्या करें अब तो कंही उठ कर भी नहीं जा सकते और न ही आज कोई निकलने देगा,
हाय रे क्यों मैं अंधी दौर मैं खुद से ही रेस लगा लिया।
लेकिन एक है जो इस सिचुएशन मैं भी मेरी मदद कर सकती है दिया । हाँ उसे ही बुलाता हूँ वही मुझे यंहा से निकल सकती है।
पहिर मैंने दिया को कॉल करने के लिए फ़ोन उठाया पर ये क्या इतने मिस कॉल और मेसेज किसके है।
फ़ोन को ऊपर से नीचे स्क्रॉल किया तो पता चला कि सुबह से परिधि के 25 मिस कॉल पड़े है जो फ़ोन साइलेंट मैं होने के कारन सुन न सका। ये क्या 25 से 30 मेसेज भी पड़े है परिधि के। तभी तो गुस्से मैं ताम-तामयी है। उसे अब भी लग रहा होगा कि मैं उसे अवॉइड कर रहा हू । सबसे पहले तो इस हरामखोर को रिंग मोड़ पर डालो ये भी आज मेरा काम बिगाड़ने में लगा है।
अभी मे फ़ोन लगा ही रहा था कि दरवाजे से गुंजन दीदी आते हुए.....
"सुन बेटू गरम पानी में पैर डाल लेना और ये टेबलेट ले ले रिलीफ मिल जाएगी"
मैं.... ठीक है दीदी । फिर गुंजन दीदी जाने को हुए तो... दीदी सुनो तो ।
गुँजन... क्या है बोल ।
मैं... वो तीनो का मिजाज कैसा है।
गुँजन... किसका।।
मैं... माँ, सिमरन और दिया का ।
गुँजन.... मासी नार्मल है बस ।
मैं..... एक काम करो न सिमरन को भेज दो न प्लीज उसको कितना सुन न पड़ा मेरे कारण ।
गुँजन.... और दिया ।
मैं.... वो सिमराम के बाद ।
गुँजन दीदी.... ठीक है बोल कर चली गायी।
कुछ देर बाद सिमरन दी आई चेहरे पर थोड़ी मायूसी थी मैं जानता था कि क्यों मायूसी थी क्योंकि सबसे ज्यादा फील उन्ही को हो रहा था इस पूरी घटनाक्रम में, मेरे लिए झूठ बोली उसका और डिस्को कि परमिशन दी उसका दोनों बातों क़। अन्तः मैं तो सब मेरी गुणगान कर सब चले गए राहुल ए, राहुल ऐसा पर सब मेरी सिस को भूल गए ।
मैने दोनों कान पकड़ कर.... नाराज हो क्या दीदी ।
सिमरन.... जो बहावनाएँ अबतक अन्दर थी अब वो बाहर आते हुए और खुद को नाकाम कोसिस से रोकने के बावजूद रोते हुए ।... मैं क्यों नाराज होने लगी ।
यही कोई 25 मि लगा होगा उन्हें मानाने में पूरी तरह टूट गयी थी। सिमरन के इतनी समझदार होने के बावजूद आज मेरे कारन इतना सुन न पड़ा । मुझे इसका अफ़सोस हमेशा रहेगा ।
फिर सिमरन से पूछा दिया कहाँ है कि इतने मैं वो भी आ गयी लेकिन वो सिमरन को बुलाने आयी थी।
मैने सिमरन को नहीं जाने दिया और उसे भी बिठा लिया। फिर क्या था तीनो लगे अपने अपने गिले शिकवे दूर करने। दिया सबसे छोटी थी तो उसके सारे नखरे हम दोनों को ही उठा ने पड़ते थे ।
जब दोनों नहीं गयी तो माँ , मासी और रंजना आंटी(परिधि माँ) , तीनो मेरे तरफ रूम में आई और माँ बोल पाडी.... मासी और रंजना आंटी को इंडीकेट करते हुए....
"देखो तीनो को हमेशा ऐसे ही करते है अपनी माँ को भूल जाते है"
अब चूंकि हम तीनो भी नार्मल थे फिर क्या सूझी सैतानी फिर जो बुलाने आये थे हमने उनको भी बिठा लिया और लगे पंचायत करने देखते देखते फिर एक बार सभी लोग उसी कमरे मैं जमा हो गए लेकिन जंहा पहले सब रो रहे थे वही हांसी कि किलकारियां गूंज रही थी। पर एक सदस्य ऐसा भी था जो वंहा पार्टिसिपेट नहीं कर रही थी। परिधि यूँ तो साथ मैं थी पर झूटी हांसी हँस रही थी।
अब मैं परिधि को छेड़ते हुए.... "जो भी ओड मन है वो यंहा से आउट हो जाय नहीं तो पूरा पार्टिसिपेट करे"।
सभी ये समझने कि कोसिस कर रहे थे कि मैं क्या बोलना चाह रहा हूँ वही परिधि एक गुस्से वाले एक्सप्रेशन में मेरी तरफ घूरते हुए नज़रों से देख रही थी।
जब मेरी बात नहीं समझ में आयी किसी को तो मासी ने पूछ ही लिया...
"बेटा क्या कहना चाह रहा है"?
मैने परिधि कि तरफ इशारा कर....
"देखो जब भी हम हँसते है तो झूठ मूठ के दांत बाहर निकल कर हिन् हिन् करती है।
अगर हो तो दिल से साथ रहो ऐसे झूठ का साथ निभाने किस काम का"
तभी गुंजन दी... तू उसे छेड़ क्यों रहा है...... ......और परिधि से सही तो कह रहा है राहुल तुम्हे क्या हुआ क्यों शांत हो।
बीच में मैं फुदकते हुए, मैं बताता हूँ दीदी.....
कल जब हम हॉस्पिटल से निकले तो मुझे आप के पास पहुँचने कि चिंता थी वैसे तो ठीक ही दिख रही थी उस वक़्त लेकिन ये जिद करने लगी कि जबतक तुम कपड़े चेंज करोगे मैं पार्लर से मेक उप कर लूंग़ी। फिर क्या था , मुझे लगा ये लड़कियां भी न पार्लर गयी तो हुआ कल्याण आज का प्रोग्राम कल अटेंड करवाएंगी इसलिए मैने चने के झाड़ पर चढ़ा दिया फिर क्या था जब पहुंची तो इस सुनैना कि सहेली उर्वशी ने टोक दिया कि थोड़ा तो मेक उप कर लेती, फिर क्या था तब से चेहरा उतरा है ।
झुट सफ़ेद झूट जबकि सब लोगों ने कल देखा था बड़ी ही प्यारी लग रही थी किसी डॉल कि तरह ।
ईधार मेरी बात का समर्थन सुनैना और दिया ने भी कर दिया हाँ मैं हाँ मिला के।
अब क्या था गुस्सा , भयंकर गुस्सा देवी के प्रकोप वाला पर इतने लोगों के बीच में कर भी क्या सकती थी और अकेले उसके साथ इस रोमांच के लिए मे कब से तैयार था ।
अब एक बार और परिधि ने मेरी ओर देखा धीमी स्माइल दी जैसे खुला निमंत्रण दे रही हो कि तुम्हारा हो गया अब मैं बताती हू ।
हम सब आपस मैं यूँ ही एक दूसरे कि खिंचाई करते हुए हांसी मजाक कर रहे थे, कभी ये बंदा सेंटर पॉइंट तो कभी वो , और परिधि अपने मोबाइल से खेल रही थी।
अभी कुछ देर हुए ही कि मेरे फ़ोन कि रिंग बजी मुझे लगा कि कंही ये उरवसी का फ़ोन तो नहीं और मैं बिना फ़ोन देखे कॉल कट कर दी ।
इतने में परिधि बोल पड़ी...."ये गलत है"।
सब..... क्या गलत है ।
परिधि... अभी तो कह रहा था ओड मेन आउट और अभी इसकी फ़ोन कि रिंग ओड है इसे सजा मिलनी चहिये।
अब चूंकि मैं सेंटर पॉइंट था तो सब लोगों ने रुख मेरी ओर किया और परिधि के समर्थन में तुम ही सजा तय कर दो ।
मैने सोचा चलो ठीक है इतने लोगों कि बीच सजा वो भी भुगत लेंगे । पर मुझे क्या मालूम मैंने मधुमक्खी के जाल में हाँथ डाला था सुनिये सजा भी.....
"अब जो भी इसके पास कॉल लायेगा चाहे जिसका भी हो स्पीकर ऑन कर के बात करनी होगी बिना बताये कि यंहा फैमिली मेंबर है"
मैं.... यह कैसी शर्त है मेरे कई दोस्त है । और कहते कहते रुक गया ।
अब बोले नीरज भैया पहले तो लगा समर्थन कर रहे है मेरा पर मुझे क्या पता था मेरी मारने मे लगे है..
नीराज भैया बोले.... ये गलत है सब कि अपनी ...
इतना बोले ही थे कि फिर फ़ोन बजा मेरा और मैंने फिर काटा और नीरज भैया....
ये गलत है सबको अपनी पर्सनल बातें होती है जिसे इस तरह सुनना ठीक नहीं । (आह मेरा दिल खुश) पर यदि राहुल कि बात है तो मैं भी सुनना चाहूंगा कि जो घर मैं इतना अछा है उसके फ्रेंड्स कैसे है।
लो हो गया कल्याण नाम बड़े और दर्शन छोटे ।
मुझे एक आईडिया आया और मैं चुपके से फ़ोन ऑफ कर दिया पर ये हरामखोर फ़ोन बंद होते होते भी आवाज़ करने लगा फिर क्या था फ़ोन ऑन और फ़ोन नीरज भैया के पास और जयादा इंतज़ार भी नहीं करना पड़ा फिर फ़ोन आया उसी का लेकिन ये फ़ोन उर्वशी का नहीं बल्कि ऋषभ का था ।
लो वैसे तो 3 दिन हो गए बात किये लेकिन जनाब को आज ही समय मिला कॉल करने का , खैर फँस तो चूका ही था अब देखता हूँ ।
स्पीकर ऑन...
मैं..... क्या हाल है ऋषभ ?
ऋषभ... कमीने जब से दिल्ली गया है बात तो करता नहीं है खैर, इतनी देर से फ़ोन लगा रहा हूँ तो काटे जा रहा है, हाँ पहले तो केवल घर और दोस्त था पर अब तो तू हीरो हो गया है ना ।
आज लगता है ये मरवायेगा भगवन थोड़ी सद्बुद्धि देना इसको ।
मैं... एक ही साँस मैं कितना बोल गया मेरे भाई बता न फ़ोन क्यों किया नाराज है क्या?
ऋषभ.... चल कोई बात नहीं , ये बता सब कैसे है, और इंगेजमेंट कैसी राहि।
मैं.... सब बढ़िया मेरे भाई, अच्छा रहा पर तुझे कैसे पता चला ।
आह! भगवन धन्यवाद, मेरा दोस्त है मजाक थोड़े है कितनी चिंता रहती है उसे मेरी। यही सोचति, अपने आप मैं प्राउड फील करते और कॉंफिडेंट से सबको ओर देखा जैसे सब से कह रहा हू , देखा मेरा दोस्त है पर....
ऋषभ... हरामखोर 2 दिन पहले सपना आया था, तू तो लगा था ,अपनी दिल्ली वाली के साथ ।
(पॉज , अभी पॉज है ) हरामजादे चुप हो जा सब यही है मारवा मत देना(मन कि भावना) एक चोर वाली नजर सब पर मारी कंटीन्यू.....
सला मैं देख रहा हूँ तू उस लड़की के चक्कर मैं सब भूल रहा है। और तू मेरा एहसान...
फ़ोन काट दिया क्योंकि अहसान बोला है तो साला दिल्ली आया और 2 दिन डेट पर था वो भी न बक दे अब सब को बोलते हुए....
"क्या आप लोग परेशान कर रहे है अच्छा लगता है यूँ बात सुनना " मैं गंभीर होते बोला ।
इसपर नीरज भैया बोले...
"वो बाद में जज करेंगे"। और ए भाई तू ये फ़ोन ना काटा कर ।
अब मैं परिधि कि तरफ देखा उसे देखने से ऐसा लग रहा था कह रही हो देख, ये तो बस सुरुवात है ।
अभी हमारे नज़रों कि बद विवाद चल ही रही थी कि फिर फ़ोन बजा और सैम कॉल ऋषभ का था । स्पीकर ऑन बातें शुरू...
मैं... बोल भाई ।
ऋषभ.... सॉरी यार, वो गुस्से में था ग़लती से अहसान वाली बात निकल गायी।
मैं... चल कोई बात नहीं, और सब बढ़िया है ।
ऋषभ.... मेरा तो बढ़िया है पर ये काजल (डिस्को वाली लड़की एंड माय क्लासमेट) का क्या चक्कर है, 2 दिन से परेशान कर रखा है तेरा ने मांग रही थी।
मैं.... तूने दिया तो नहीं ।
ऋषभ... पागल है क्या नहीं दिया, चल तू आराम कर लगता है जैसे किसी परेशानी मे है बाद में बात करता हू ।
मैं... ओके बाय डूड जल्द मिलते है।
फिर क्या फ़ोन कट खिंचाई शुरू । सबने क्या खिंचाई की ।
पर अब मैं जयादा परेशान नहीं करना चाहता था परिधि को। (खुद में सोचते हुए) पर इसे अकेले निकालूँ कैसे?
जब सब आपस मे लगे थे तो मैंने परिधि को मेसेज टाइप कर दिया प्लीज मुझे बात करनी है। प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्लज़
परिधि ने ओके एंड वेट लिख कर सब के साथ फिर से लग गयी और मैं भी माहोल का मज़ा लेने लाग। फिर धीरे धीरे रूम से चले गए । बचे सिर्फ मैं परिधि दिया ।
मैने दिया से कहा.... छोटी बाथरूम में गरम पानी थोड़ा कर दे ।
अब बचे मैं और परिधि.....
परिधि काफी बेरुखी से... जल्दी बताओ मुझे जाना है ।
मैन डायरेक्ट पॉइंट पर आते हुए......"मुझे तुम से बात करनी है"।
परिधि- बोलो।
मैं-यंहा नाहीन
परिधि...... तुम्हारा समय समाप्त होता है और मे चली , इतना कह कर निकलने को होती कि मैं पीछे से टोकते हुए।
मैं..........सोच लो मैं लडख़ड़ाते हुए सिढ़ियों से गिर सकता हूं
परिधि......... जो करना है सो करो मुझे कोई लेना देना नहीं
लागता है मामला कुछ ज्यादा सीरियस हो चला है पर अब मैं जो करने जाउँगा उसे देख तुम्हारे होश न उड़ गए तो मेरा नाम बदल देना....
कहानी जारी रहेगी....
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