RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 20
मैं पीछे मुडा तो परिधि ( मोहित चौहान बड़ी लड़की उम्र लगभग मेरे बराबर ) को देख कर हैरान हो गया ।
मैंने पूछा परिधि से.... आप कब आई यहां और मुझे बताया क्यों नहीं ।
परिधि... मैं तो तब से यहाँ हु जब से आप दिल्ली में मजे कर रहे हो ।
परिधि की बात सुनकर मैं थोड़ा झेप गया और बोला... किसी की बाते सुनना वो भी छुप कर गलत बात है ।
परिधि... वो सब रहने दीजिए पहले घर बात कीजिए सब चिंता में होंगे ।
फिर मैंने कहा... बात तो कर लूं पर पहले सोच लू कहना क्या है ।
परिधि... मैं एक बात कहूँ ।
मैं... हाँ कहो ।
परिधि... आप सब सच बता दीजिए इससे आपको आगे परेशानी नहीं होगी ।
मैं... नहीं बता सकता घर पर पहले से ही सब परेशान हैं मैं उन्हें और परेशान नहीं कर सकता ।
परिधि... फिर तो नशे वाली बात बता दीजिए लेकिन उससे पहले एक काम करना होगा ।
मैंने पूछा... क्या करना होगा ।
उसने मेरा फ़ोन अपने पास लिया और उसे स्विच ऑफ कर दिया । और सिम कार्ड निकलने लगी । अबतक जो मैं चुप बैठा था पूछ ही बैठा... अरे ये आप क्या कर रही हैं, सिम कार्ड क्यों निकाल रही हैं
परिधि ने मुझे शांत रहने का इशारा किया और सिम कार्ड निकाल कर तोड़ दिया । मेरा फ़ोन अपने पास रख लिया और अपने फ़ोन में नया सिम कार्ड डाल कर... लीजिए अब इससे अपने घर बात कीजिए ।
पर मैं तो हैरानी से उसे देख रहा था उसे शायद यह बात पता थी कि मैं क्यों हैरान हूं इसलिए मुझे समझाने लगी...
" देखिए आप को नशा दिया गया है और सारा सामान चोरी हो गया है, 2 दिन तक बेहोश थे पर जब आपको होश आया तो पता चला कि आप लुट चुके है । आपके समान मे केवल आपका खाली पर्स था जिसमें आपका ATM और कुछ id थी क्योंकि यह चीज़े उनके किसी काम की नहीं थी । आपने नया फ़ोन लिया है सिम कार्ड आपको उस फैमिली की वजह से मिला जिन्होंने आपकी मदद की । आप 2 दिन से उसके घर रह रहे हो और उन्ही लोगो ने आपको पर्स वापस किया और उन्हीं की ज़िद की वजह से आपको उनके घर रुकना पड़ा "
यह क्या था, दिमाग है या टीवी सीरियल की कैरेक्टर, या विकिपीडिया, या कंप्यूटर ब्रेन ।
सब कुछ ऐसे प्लान किया कि मैं तो दंग रह गया । इतना तेज दिमाग मैने अपने दोनों हाथ जोड़कर उसे दिखाते हुए कहा...आप महान है माते ।
परिधि मेरी बातों पर खिलखिला कर हँसने लगी , अपना फ़ोन मुझे दिया और मेरे कॉल डिटेल से सबके नम्बर डायरी पर लिख दिए थे उसने । तो अब मुझे फ़ोन करना था घर पे , परिधि मुझे फ़ोन देकर बात करने को बोली । अभी 9:30 बज रहे थे कॉल दिया ने उठाया....
दिया... हेल्लो कहिए किस्से बात करनी है ( मेरा अननोन नम्बर था )
मैं... हाँ छोटी ।
मैं बस अब इतना ही बोला की सामने से रोने की आवाज शुरू हो गई दिया सिसक सिसक कर बस रो रही थीं ।
मैं... छोटी बात करेगी या फोन रख दूं ।
पर कोई जवाब नहीं आया बस सिसकिया , तभी मैने फ़ोन कट किया और पापा को फ़ोन लगाया ।
पापा... जी कहिए कौन ।
मैं... पापा मैं ।
पाप ने जैसे ही मेरी आवज सुनी एकदम से खुश हो गए वो अपनी खुशी बयान नहीं कर पाए फिर हमारी बाते शुरू हुई , परिधि ने जैसा मुझे बताया सैम बोलता गया । पापा बिना किसी शक के मेरी बात पर यकीन कर चुके थे । उन्होंने परिधि से बात कर उसे और उसकी फैमिली को धन्यवाद किया ।
मैं अब.... पाप प्लीज सबको समझा दीजिए क्योंकि उनका रोना मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा और मैं किसी से बात नहीं करूँगा ।
फाइनली पापा ने फ़ोन कट करने को कह कर खाकी वापस तेरे पास कॉल करता हु ।
करीब 10 मि बाद सबके कॉल आए रोते गाते सबने मुझसे बात की और परिधि से भी बात की । इतनी तेज दिमागी बातों में मेरी माँ से 2 दिन और रुकने की इजाजत भी ले ली ।
अब सब खुश थे , परिधि ने मुझे फिर बताया कि ऋषभ से बात करूं और उसे कहूँ की घर पर यह ना बताए कि कॉल मेरे नम्बर से आया था ।
अब फिर ऋषभ से.... ऋषभ ।
ऋषभ... आप कौन ।
मैं.... तेरा चाचा राहुल ।
ऋषभ... बोलिए अंकल ।
फिर मैंने उसे बताया कि किसी को यह न बताए कि कॉल मेरे नम्बर से आया था । और मैने उसे प्लानिंग समझा दी अंत मे उसने मुस्कुराते हुए कहा.... " साले तू अभी भी है ना उसी के साथ क्योंकि यह प्लानिंग तेरी नहीं हो सकती, मैने प्लान बताया नहीं, कोई दूसरे को फ़ोन कर नहीं सकता, दिल्ली में तुझे बस वही लड़की जानती है "
फ्रेंड्स परिधि मेरे पास ही खड़ी थी और ऐसा भी नहीं कि बहुत दूर खड़ी हो उसे मेरे और ऋषभ के बीच चल रही बात कुछ कुछ सुनाई दे रही थीं ।
ऋषभ.... एक बार बात तो करा दे मेरे भाई ।
मैं कुछ बोलने वाला होता हूं कि उससे पहले फ़ोन परिधि ने अपने पास ले लिए जैसे ही मैं फ़ोन उसके हाथ से वापस लेना चाहता उसने शांत रहने का इशारा किया ।
परिधि.... ( लहराती आवाज में ) हेल्लो....।
ऋषभ.... तो आप है जिसने हमारे दोस्त को गायब कर दिया है ।
परिधि... हाँजी बस एक गुजारिश है आपसे ।
ऋषभ... जी हुक्म कीजिए ।।
परीधि.... आपका दोस्त तो आपके ही पास रहेगा बस मुझे 2 दिन और दे दीजिए आपके दोस्त के साथ बिना किसी डिस्टर्बेंस के ।
ऋषभ... बाई मैडम जी , ले लीजिए 2 दिन । और फ़ोन कट....
मैं हैरानी से परिधि की ओर देखते हुए " ( मन मे) कितनी शरारती लड़की है " फिर रहा नहीं गया तो पूछ ही बैठा कि.... क्यों आप मेरे झूठ को सच करने में लगी हैं ।
परिधि.... अभी आप सस्पेंस में रहे कि मैंने ऐसा क्यों किया , बस आप इतना जान ले कल आप मिस परिधि चौहान से मिलेंगे और फिर देखएगा आगे क्या होता है । अब आप फ्रेश होकर खाने पर चले ।
वो मुझे देख कर स्माइल दी और चल दी । उसे इस तरह से खुश होता देख में भी मुस्कुराया । आज बहुत दिनों के बाद यह बो पल था जब मेरा ख्याल बिल्कुल भी रूही की ओर नहीं था
और अब मैं परेशान क्योंकि दिमाग तो मैं देख ही चुका था परिधि का और शरारत भी और कल का ख्याल मुझे एक अजीब असमंजस में ले जा रहा था ।
खैर में पहले से बहुत नॉर्मल महसूस कर रहा था और हर परिस्थिति की अपनी ही मुश्किले होती हैं और वही मैं महसूस कर रहा था । दर्द ही दर्द प्यार नहीं मार के दर्द, दर्द जो पुलिस स्टेशन में मिला था ।
मैं खुद में मुस्कुराते हुए... यह दर्द भी कम नहीं है सालो ने बहुत मारा है ।
अभी रात के 10 बज रहे थे मैं फ्रेश होकर हॉल में पहुंचा । हॉल में डिंनिंग टेबल पर केवल परिधि बैठी थी ।
मैं डिंनिंग टेबल पर बैठा और परिधि स्माइल के साथ... आप तो वकाई में बहुत हैंडसम है आपकी पर्सनैलिटी भी लाजवाब है ।
मैं थोड़ा शर्माया इसपर परिधि बोल पड़ी... इसस आपका शर्माना क्या कातिल अदा है ।
अब मैं बिना हँसे नहीं रह सका और हँसते हुए मैंने परिधि से कहा.... क्या आप भी मेरा मजक उड़ा रहे हो ।
हम इसी तरह की बातें करते रहे , खाना आ गया तो खाते खाते भी बात करने लगे । सच कहूँ तो मुझे परिधि का साथ अच्छा लगने लगा ।
खाना खाने के बाद भी हम वहीं बैठे रहे , कुछ वो अपने बारे में बताती रही और कुछ मेरे बारे मे पूछती रही ।
कहानी जारी रहेगी....
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