mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:22 PM,
#37
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 35 



निकल गया मैं परिधि के घर से.....



मुझे उस थप्पड़ ने झुँझलाने पर मजबूर कर दिया, मैं नहीं जानता था कहाँ जाना है क्या करना है बस उदास था । तभी मुझे ख्याल आया भला मेरी वजह से दोनों माँ बेटी क्यों लड़े । इसी ख्याल से मैंने मेसेज किया.....



"कोइ मेरी वजह से अपनों से लड़े तो मैं उसे कभी पसंद नहीं करता आगे तुम्हारी मार्जि"



मेसेज भेजा फ़ोन ऑफ और चला शांति के तलाश में। पता नहीं कहा जाना है फिर मैंने कार को ग्राउंड के नजदीक लगाया और बैठ गया ग्राउंड के बेंच पर।



बास यूँ ही बैठा रहा क्योंकि मुझे 7 बजे अटेंड करना था इंगेजमेंट प्रोग्राम इसलिए मेरे पास अभी समय था ।


मुझे रह रह कर वो तमाचा ही याद आ रहा था ऐसा लग रहा था की गाल पर नहीं तमाचा दिल पर लगा हो।


मैन अंदर ही अंदर घुट रहा था फिर अचानक से मुझे क्या हुआ मैं ग्राउंड में, ग्राउंड के चक्कर लगाने लाग, एक वे'ल मेन्टेन लड़का जो किसी पार्टी के लिए तैयार था अभी उसी अवस्था में अब ग्राउंड के चक्कर लगा रहा था ।



मैन लगातार चक्कर लगाता रहा । क्यों लगा रहा हूँ कुछ मालुम नहीं , कितने लगा चूका होश नहीं, थक कर चूर हो गया गम नहीं, लगता रहा और चक्कर लगाते रहा । और अपने पुरे रफ़्तार मैं लगता रहा ।


अब साँसे नहीं बची मेरे पास और दौड़ने को।


मैन अपने अचेत अवस्था से जगा,अचानक से, की ये मैं क्या कर रहा हू ।मैने टाइम देखा 7 : 30 हो रहे था । मैं हडबडाते भगा कुछ न देख पाया की कंहा हूं। स्लिने की बोतल खिंच ति चली गयी और साथ मैं उसका स्टंड, जब मैंने सब नोच के अपने बदन से अलग किया कि तभी अचानक किसी ने सामने से मुझे गले लगा लिया।




मेरी चेतना जैसे लौटी हो। मैं हॉस्पिटल में और कोई मेरे गले से लग के रो रही है। मैंने अपने से अलग किया तो देखा परिधि रो-रो के अपना बुरा हाल कर लिया है।



मुझे उसका रोना देखा न गया मैंने कहा.... परिधि प्लीज चुप हो जाओ देखो टाइम ज्यादा हो गया है हमें इंगेजमेंट मैं जाना है दीदी इंतज़ार कर रही होगी।


अब भी चुप ना हुई । अब मुझे गुस्सा आया और ग़ुस्से में..... यह क्या लगा रखा है मैं यंहा जाने के लिए परेशान हूँ और तुम रो रही मैं क्या करूं बतओ, और खिंच कर हाँथ दे मरा कांच पर।



होना क्या था हतेली साइड से फट गयी ब्लीडिंग शुरू और परिधि बिलकुल चुप । कुछ टूटने की आवाज़ सुनकर हॉस्पिटल स्टाफ भी आ गै, कुछ ने कांच साफ की तो कुछ ने पट्टी की मेरे हाँथ की।



एक के बाद एक घटनाएं होती चली जा रही थी फिर मैंने अपने आप को कण्ट्रोल किया मैं परिधि को देखा अब मुझे ये अहसास हुआ की मैं उसे चुप नहीं करा रहा था उसे शॉक दे रहा था । वो किसी मूर्ति की तरह कड़ी थी बिना किसी आवाज़ के बस आँखों से आँसू बह रहे थे ।



उसका रोना मुझे बर्दास्त न हुआ मैं उसे चुप होने को कहा वो चुप हो गायी, पर कुछ बात नहीं कर रही थी बस सिसकियां ले रही थी। मैंने उसे पहले बाहर चलने को कहा, वो चुपचाप किसी परछाई की तरह मेरे पीछे आ गई ।


अबतक 8 बज चुके थे तभी फ़ोन आया मेरे फ़ोन पर लेकिन मोबाइल परिधि के पास था । उसने चुपचाप फ़ोन मेरी ओर बढ़ा दिया मैंने कोई रेस्पोंड़ नहीं किया।


अब परिधि खुद को नार्मल करते हुए कॉल वापस लगायी....


सिमरन..... कहाँ हो परिधी..


परिधि...... बहुत धीमी आवाज़ हम बस दीदी आधे घंटे तक पहुँच रहे है।



सिमरन.... राहुल से बात कराओ ।


परिधि.... जी.... और फ़ोन मेरी तरफ


मै.... जल्दी में बस दीदी पहुँच रहा हूँ बाई ।


फर मैं परिधि के पैरो में गिरते हुए....


"माते मेरी इज़्ज़त आप के हाँथ मैं है प्लीज अपने आप को ठीक करो और चलो" ।


परिधि रोते हुए.... 


"तुम्हारी बेरुखी देखना किसी दिन मेरी जान ले लेगी अब चलो गुंजन दीदी बोल रही थी बिना राहुल के मैं इंगेजमेंट नहीं करने वाली"



क्या बताऊँ इस समय परिधि को देख कर न तो मुझे किसी का तमाचा याद रहा और न ही इंगेजमेंट बस एक अपना पन का अहसास, क्या था पता नहीं मैं खुद को रोक न पाया और, परिधि को गले लगाते हुए....


"तुम प्लीज अब शांत हो जाओ" 



फिर कुछ देर हम यूँ ही गले लगे रहे सारी दुनिया और सारे गमों से बेखबर की तभी फिर फ़ोन बजा....



परिधि....जी सिमराम दीदी आ रहे है, बस पहुँच गए ।


गुंजन.... सिमरन नहीं गुंजन बोल रही हू, राहुल को बोलो अपने समय से पहुँच जाए रखती हूँ बाई ।


(अभी भी हम एक दूसरे के बाँहों में ही है)


परिधि नार्मल हो चुकी थी और अब मुझे अपने से दूर हटाया, और जब मेरी नजर उस से मिली तो शर्माते हुए नजर नीचे करके.... जल्दी चलो , प्लीज सब इंतज़ार कर रहे हैं।



मैं.... चलो तो देर किस बात की । 


फिर परिधि ने मुझे मेरे हुलिए से अवगत कराया।


मैं.... यार ऐशे तो हम आम दिनों में घर नहीं जा सकते पर इंगेजमेंट में कैसे जायेंगे और ये 8 :30 का चक्कर क्या है।



परिधि.... चलो पहले बैठो कार मैं रस्ते मैं समझती हू ।


हम दोनों चल दिए परिधि ने कार एक सूट के शॉप के पास रोकि, वो अन्दर गयी और सैम सूट जो मैंने पहना था वो ले आई ।


अब हम चले पार्लर की ओर । 

परिधि ने मुझसे कहा..... 8:30 तक रेडी होकर आ जाऊ ।


बस फिर क्या खुद को पार्लर मैं ठीक किया कोट पहना, टाई पहनि, पेंट पह्न, एक ने हल्का फुल्का मेक-उप किया हो गए टिप टॉप आ गया बाहर ।


कुछ देर इंतज़ार के बाद परिधि भी बाहर आ गायी। हम दोनों की नजरें मिली और कुछ देर एक दूसरे को यूँ ही देखते रहे ।



तभी एक लड़के ने टोकते हुए.... सर पैसा पेड करो और रास्ते से हट कर फ़्लर्ट करो।



जी तो किया दूँ लड़के को खिंच के पर ऐसा कर न पाया । मेरी हालत शायद परिधि समझ चुकी थी इसलिये मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी खैर उसे पैसे पेड किये और चालें इंगेजमेंट में।



मैं..... यह 8 : 30 का चक्कर क्या है।



परिधि..... तुम तो बेहोश थे और कुछ हुआ नहीं कि फ़ोन ओफ्फ्। तो मैं जब तुम्हारी हालत देखी तो हॉस्पिटल ले आयी और डॉ से पूछा की कब तक होश आएगा । जवाब आया बहुत ज्यादा चिंता की बात नहीं है हरस्मेंट के कारन है 1,2 घंटे में होश आ जाएगा । मैने समय देखा और तुम्हारी हालत ।



मैन बिच मैं टोकते हुए... और अपनी ।


परिधि.... हाँ अपनी भी , अब बोलूं या और कुछ बोलना है ।


मैं.... सॉरी तुम बोलो अब नहीं बोलुंगा ।



परिधि.... मैंने जब सब कैलकुलेट किया तो 8 कम से कम लग जायेंगे पहुँचने में तो मैंने टाइम फिक्स किया 8 : 30 ।


फिर मैंने अंकल (मेरे पापा) को फ़ोन लगा कर बोला रास्ते पर एक कार ख़राब हो गयी थी जिसमे एक प्रेग्नेंट लेडी को दर्द हो रही थी उसने हमारी कार रुकवाई और हेल्प मंगी, फिर पहले तो हमने पुछा की एम्बुलेंस के बरे मैं पर जब पता चला की 1 घंटे पहले फ़ोन किया है अबतक नहीं पहुंची तो हमने हेल्प कर दी ।



मै.... ओके और कुछ जो मुझे बोलना है या मालूम होनी चाहिए?



परिधि.... नहीं ।


मैं..... और तुम हॉस्पिटल मैं रो क्यों रही थी?



परिधि.... हॉस्पिटल कैसे पहुंचे इसपर कल चर्चा करे।


मैं.... कोई बात नहीं कल कर लेंगे बाते ।


पहिर परिधि बोल पड़ी...


पहले तुम माँ को माफ कर दो उन्हें बहुत अफ़सोस है उस बात का , वो तो खुद तुम्हारे पास रुकना चाहती थी पर मैंने समझा कर उन्हें इंगेजमेंट मैं भेज दिया।




मैं.... पर उन्होंने किया क्या था?



परिधि अस्चर्य से..... ऐसा क्यों पूछ रहे हो?



मैं.... जाने दो इतने दिन साथ रह कर भी तुम मुझे न समझ सकी तो फिर इस सवाल को क्या समझेगी?



परिधि एक शंका भरी नज़रों से मुझे देख रही हो और पूछ रही हो की माँ को माफ किया की नहीं ।


मैं...... चिंता मत करो मुझे कोई शिकायत नहीं आंटी से अब चलो जल्दी ।



अब कार रुकी और हम पहुंचे गार्डन के अंदर..


कहानी जारी रहेगी....
Reply


Messages In This Thread
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी ) - by sexstories - 03-21-2019, 12:22 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,706,683 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 569,535 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,320,979 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,004,425 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,772,212 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,180,147 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,122,725 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,634,945 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,215,982 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 304,871 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)