mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 12:18 PM,
#21
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 19


ऋषभ... राहुल मेरे भाई कहा है यार सब बहुत परेशान है ।


मैं... इसीलिए तो तुझे फ़ोन किआ है ।

ऋषभ... हाँ तू तो अब हीरो बन गया है ना हम सब की क्या चिंता तुझे ( गुस्से में ) ।

मैं... तेरा हो गया तो मैं कुछ बोलू ।


ऋषभ... हाँ कमीने बोल ,2 दिन से परेशान हैं सब तेरी कोई खबर नहीं पर तु बोल ।


मैं... सॉरी भाई गलती हो गई मुझे माफ़ कर दे , अब मेरी बात सुनेगा या और कुछ है ।


ऋषभ.... नहीं अब बता ।


मैं.... सुन मैं यहाँ दिल्ली आते ही किसी के साथ डेट पर था , 2 दिनों तक मैं उसके साथ मजे कर रहा था लेकिन गड़बड़ ये हो गई कि मैं कोई डिस्टरबेंस नहीं चाहता था इसीलिए फ़ोन ऑफ कर दिया । पर मैं उसके साथ इतना बिजी हो गया कि समय का पता ही नहीं चला ।


( एक पूरी नई कहानी बना दी क्योंकि सच में उसे बता नहीं सकता था और इस से अच्छा कोई झूठ हो नहीं सकता था क्योंकि इस तरह के झूठ होने पर ज्यादा सवाल नहीं होते )


ऋषभ.... कमीने साले तूने इतना बड़ा कांड कर दिया और अब बता रहा है । मैं कुछ नहीं जानता अब मैं तेरे घर सब बता दूंगा की तू कहा लगा हुआ था । ( बनावटी गुस्सा ) 


मैं... भाई नाराज क्यों हो रहा है मैं तो बस कुछ देर टाइम पास कर रहा था मुझे क्या पता था कि वो मुझे2 दिन नहीं छोड़ने वाली । 


ऋषभ... पर तु यह बात तब बता देता जब डेट पर जा रहा था तो मैं मैनेज कर लेता ।

मैं.... भाई मैने सोचा एक बार की कहानी है तो 2 घंटे से ज्यादा नहीं लगेंगे पर मुझे क्या पता था कि उसकी fantasy इतनी बढ़ जाएगी कि मुझे 2 दिन लग जाएंगे । 


ऋषभ... साले मजे अकेले करो और फंस जाओ तो दोस्त को याद करो ।


मैं... छोड़ न यार कुछ सोच घर पर क्या जवाब दू ।


ऋषभ कुछ सोचते हुए... तू एक काम कर घर फ़ोन करके बोल दे कि जब तू दिल्ली जा रहा था तो नशा खुरानी ग्रुप ने तुझे बेहोश कर दिया और तू अभी होश में आया है ।


मैं.... यार तू कुछ भी बता रहा है , उस दिन 3 बजे दिया से बात हुई थी और 3:45 पर ट्रेन भी दिल्ली पहुंच गई थी । और कही सुना है नशा खुरानो ने अगर बेहोश किया तो 2 दिन होश नहीं आया हो ।



ऋषभ... ( चिढ़ते हुए ) पागल पहली बात यह कि ड्रग ओवरडोज़ से 2 दिन क्या हफ़्तों तक होश नहीं आता बेहोश रहते हैं पता कर लेना दूसरी यह कि , यह तो कहानी की आउटलाइन है तू जोड़ तोड़ तो सकता हैं । जरूरी है कि तुझे बेहोश चंडीगढ़ में ही किया गया हो दिल्ली पहुंचने के कुछ समय पहले भी तो कर सकते है । 



ऋषभ की बात मुझे कुछ ठीक लग रही थी इसीलिए मैंने बाई बोलकर फ़ोन कट कर दिया और उसकी बातों पर विचार कर रहा था । सोचते सोचते मैं अपने कदम पीछे किए की तभी आउच ।।।।।


कहानी जारी रहेगी.....
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03-21-2019, 12:18 PM,
#22
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 20 



मैं पीछे मुडा तो परिधि ( मोहित चौहान बड़ी लड़की उम्र लगभग मेरे बराबर ) को देख कर हैरान हो गया ।


मैंने पूछा परिधि से.... आप कब आई यहां और मुझे बताया क्यों नहीं ।


परिधि... मैं तो तब से यहाँ हु जब से आप दिल्ली में मजे कर रहे हो ।


परिधि की बात सुनकर मैं थोड़ा झेप गया और बोला... किसी की बाते सुनना वो भी छुप कर गलत बात है । 


परिधि... वो सब रहने दीजिए पहले घर बात कीजिए सब चिंता में होंगे ।

फिर मैंने कहा... बात तो कर लूं पर पहले सोच लू कहना क्या है ।

परिधि... मैं एक बात कहूँ ।

मैं... हाँ कहो ।

परिधि... आप सब सच बता दीजिए इससे आपको आगे परेशानी नहीं होगी ।


मैं... नहीं बता सकता घर पर पहले से ही सब परेशान हैं मैं उन्हें और परेशान नहीं कर सकता ।


परिधि... फिर तो नशे वाली बात बता दीजिए लेकिन उससे पहले एक काम करना होगा ।

मैंने पूछा... क्या करना होगा ।


उसने मेरा फ़ोन अपने पास लिया और उसे स्विच ऑफ कर दिया । और सिम कार्ड निकलने लगी । अबतक जो मैं चुप बैठा था पूछ ही बैठा... अरे ये आप क्या कर रही हैं, सिम कार्ड क्यों निकाल रही हैं 


परिधि ने मुझे शांत रहने का इशारा किया और सिम कार्ड निकाल कर तोड़ दिया । मेरा फ़ोन अपने पास रख लिया और अपने फ़ोन में नया सिम कार्ड डाल कर... लीजिए अब इससे अपने घर बात कीजिए ।



पर मैं तो हैरानी से उसे देख रहा था उसे शायद यह बात पता थी कि मैं क्यों हैरान हूं इसलिए मुझे समझाने लगी...


" देखिए आप को नशा दिया गया है और सारा सामान चोरी हो गया है, 2 दिन तक बेहोश थे पर जब आपको होश आया तो पता चला कि आप लुट चुके है । आपके समान मे केवल आपका खाली पर्स था जिसमें आपका ATM और कुछ id थी क्योंकि यह चीज़े उनके किसी काम की नहीं थी । आपने नया फ़ोन लिया है सिम कार्ड आपको उस फैमिली की वजह से मिला जिन्होंने आपकी मदद की । आप 2 दिन से उसके घर रह रहे हो और उन्ही लोगो ने आपको पर्स वापस किया और उन्हीं की ज़िद की वजह से आपको उनके घर रुकना पड़ा " 



यह क्या था, दिमाग है या टीवी सीरियल की कैरेक्टर, या विकिपीडिया, या कंप्यूटर ब्रेन ।


सब कुछ ऐसे प्लान किया कि मैं तो दंग रह गया । इतना तेज दिमाग मैने अपने दोनों हाथ जोड़कर उसे दिखाते हुए कहा...आप महान है माते ।


परिधि मेरी बातों पर खिलखिला कर हँसने लगी , अपना फ़ोन मुझे दिया और मेरे कॉल डिटेल से सबके नम्बर डायरी पर लिख दिए थे उसने । तो अब मुझे फ़ोन करना था घर पे , परिधि मुझे फ़ोन देकर बात करने को बोली । अभी 9:30 बज रहे थे कॉल दिया ने उठाया....


दिया... हेल्लो कहिए किस्से बात करनी है ( मेरा अननोन नम्बर था ) 


मैं... हाँ छोटी ।

मैं बस अब इतना ही बोला की सामने से रोने की आवाज शुरू हो गई दिया सिसक सिसक कर बस रो रही थीं ।


मैं... छोटी बात करेगी या फोन रख दूं ।


पर कोई जवाब नहीं आया बस सिसकिया , तभी मैने फ़ोन कट किया और पापा को फ़ोन लगाया ।


पापा... जी कहिए कौन ।


मैं... पापा मैं ।

पाप ने जैसे ही मेरी आवज सुनी एकदम से खुश हो गए वो अपनी खुशी बयान नहीं कर पाए फिर हमारी बाते शुरू हुई , परिधि ने जैसा मुझे बताया सैम बोलता गया । पापा बिना किसी शक के मेरी बात पर यकीन कर चुके थे । उन्होंने परिधि से बात कर उसे और उसकी फैमिली को धन्यवाद किया । 


मैं अब.... पाप प्लीज सबको समझा दीजिए क्योंकि उनका रोना मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा और मैं किसी से बात नहीं करूँगा । 


फाइनली पापा ने फ़ोन कट करने को कह कर खाकी वापस तेरे पास कॉल करता हु ।


करीब 10 मि बाद सबके कॉल आए रोते गाते सबने मुझसे बात की और परिधि से भी बात की । इतनी तेज दिमागी बातों में मेरी माँ से 2 दिन और रुकने की इजाजत भी ले ली । 


अब सब खुश थे , परिधि ने मुझे फिर बताया कि ऋषभ से बात करूं और उसे कहूँ की घर पर यह ना बताए कि कॉल मेरे नम्बर से आया था ।


अब फिर ऋषभ से.... ऋषभ ।


ऋषभ... आप कौन ।

मैं.... तेरा चाचा राहुल ।

ऋषभ... बोलिए अंकल ।


फिर मैंने उसे बताया कि किसी को यह न बताए कि कॉल मेरे नम्बर से आया था । और मैने उसे प्लानिंग समझा दी अंत मे उसने मुस्कुराते हुए कहा.... " साले तू अभी भी है ना उसी के साथ क्योंकि यह प्लानिंग तेरी नहीं हो सकती, मैने प्लान बताया नहीं, कोई दूसरे को फ़ोन कर नहीं सकता, दिल्ली में तुझे बस वही लड़की जानती है " 


फ्रेंड्स परिधि मेरे पास ही खड़ी थी और ऐसा भी नहीं कि बहुत दूर खड़ी हो उसे मेरे और ऋषभ के बीच चल रही बात कुछ कुछ सुनाई दे रही थीं ।


ऋषभ.... एक बार बात तो करा दे मेरे भाई ।


मैं कुछ बोलने वाला होता हूं कि उससे पहले फ़ोन परिधि ने अपने पास ले लिए जैसे ही मैं फ़ोन उसके हाथ से वापस लेना चाहता उसने शांत रहने का इशारा किया । 


परिधि.... ( लहराती आवाज में ) हेल्लो....।


ऋषभ.... तो आप है जिसने हमारे दोस्त को गायब कर दिया है ।


परिधि... हाँजी बस एक गुजारिश है आपसे ।

ऋषभ... जी हुक्म कीजिए ।।


परीधि.... आपका दोस्त तो आपके ही पास रहेगा बस मुझे 2 दिन और दे दीजिए आपके दोस्त के साथ बिना किसी डिस्टर्बेंस के ।


ऋषभ... बाई मैडम जी , ले लीजिए 2 दिन । और फ़ोन कट....


मैं हैरानी से परिधि की ओर देखते हुए " ( मन मे) कितनी शरारती लड़की है " फिर रहा नहीं गया तो पूछ ही बैठा कि.... क्यों आप मेरे झूठ को सच करने में लगी हैं । 


परिधि.... अभी आप सस्पेंस में रहे कि मैंने ऐसा क्यों किया , बस आप इतना जान ले कल आप मिस परिधि चौहान से मिलेंगे और फिर देखएगा आगे क्या होता है । अब आप फ्रेश होकर खाने पर चले ।


वो मुझे देख कर स्माइल दी और चल दी । उसे इस तरह से खुश होता देख में भी मुस्कुराया । आज बहुत दिनों के बाद यह बो पल था जब मेरा ख्याल बिल्कुल भी रूही की ओर नहीं था 



और अब मैं परेशान क्योंकि दिमाग तो मैं देख ही चुका था परिधि का और शरारत भी और कल का ख्याल मुझे एक अजीब असमंजस में ले जा रहा था ।


खैर में पहले से बहुत नॉर्मल महसूस कर रहा था और हर परिस्थिति की अपनी ही मुश्किले होती हैं और वही मैं महसूस कर रहा था । दर्द ही दर्द प्यार नहीं मार के दर्द, दर्द जो पुलिस स्टेशन में मिला था । 


मैं खुद में मुस्कुराते हुए... यह दर्द भी कम नहीं है सालो ने बहुत मारा है । 


अभी रात के 10 बज रहे थे मैं फ्रेश होकर हॉल में पहुंचा । हॉल में डिंनिंग टेबल पर केवल परिधि बैठी थी । 


मैं डिंनिंग टेबल पर बैठा और परिधि स्माइल के साथ... आप तो वकाई में बहुत हैंडसम है आपकी पर्सनैलिटी भी लाजवाब है ।


मैं थोड़ा शर्माया इसपर परिधि बोल पड़ी... इसस आपका शर्माना क्या कातिल अदा है ।


अब मैं बिना हँसे नहीं रह सका और हँसते हुए मैंने परिधि से कहा.... क्या आप भी मेरा मजक उड़ा रहे हो ।


हम इसी तरह की बातें करते रहे , खाना आ गया तो खाते खाते भी बात करने लगे । सच कहूँ तो मुझे परिधि का साथ अच्छा लगने लगा ।


खाना खाने के बाद भी हम वहीं बैठे रहे , कुछ वो अपने बारे में बताती रही और कुछ मेरे बारे मे पूछती रही । 


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03-21-2019, 12:18 PM,
#23
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट -21



हम यूँ ही बातें करते रहे कि तभी फ़ोन की घंटी बजी , कॉल अननोन था । 

परिधि ने समय देखा फिर न जाने उसे क्या सूझी बड़ी मिन्नत के साथ.... प्लीज स्पीकर ऑन करके बात कीजिए ना ।


मैंने स्पीकर ऑन करके... हेल्लो । दूसरी तरफ एक दम सन्नाटा था कोई आवाज नहीं ।



अचानक मेरा हँसता चेहरा उतर गया । पता नहीं क्या हुआ उस समय मेरी आँखों में आंसू आ गए । 



मैं कंपते होठों से... हेल्लो रूही । अब भी कोई आवाज नही दूसरी ओर से ।



लेकिन मैं अब भी रूही की बढ़ी दिल की धड़कन सुन सकता था , मैं महसूस कर सकता था रूही का बैचैन मन , उसका उदास चेहरा, उसकी साँसे । 



मैं थोड़ी देर रुही को यूं ही महसूस करता रहा फिर फ़ोन रख दिया ।
.

मेरा दिल अंदर से बेचैन हो गया था रूही को उदास देख कर । मैंने अपने आप को थोड़ा नार्मल किया परिधि को गुड़ नाईट बोल कर अपने कमरे में चला गया । मेरी ऐसी हालत देख परिधि भी कुछ नहीं बोली । कमरे में आते ही मैंने मेडिसिन ली जिसमे नींद की गोली भी थी ।



अगले दिन....



सुबह मेरी नींद थोड़ी देर से खुली । पहले से अब बॉडी काफी ठीक लग रही थी । पर रह रह कर मुझे रूही की याद आ रही थी , कुछ देर बाद रंजना आंटी ( परिधि की माँ ) खुद चाय लेकर मेरे पास आई । हमने एक दुसरे को गुड़ मोर्निंग विश किया फिर इधर उधर की बातें करने लगे । 



अभी सुबह के 9 बज रहे थे । चाय के बाद मैं फ्रेश होने चला गया । मैं जब नहा कर बाहर आया तो परिधि मेरे बिस्तर पर बैठी थी । मैने जब अपनी हालात देखी तो जल्दी से फिर बाथरूम में चला गया क्योंकि उस वक्त में केवल टॉवल में था । अब मैं रात वाले कपड़े ही पहन कर बाहर आ गया । परिधि का फिर वही रिएक्शन मुझे देखा और हल्की सी स्माइल बदले में मैने भी उसे स्माइल दिया । 



परिधि ने फिर मुझे जल्दी से तैयार होकर हॉल में आने को कह कर चली गई । जब वो गई तो मैंने बिस्तर पर देखा वहाँ कुछ पैकेट रखा था । मैंने उनपर न ध्यान देते हुए अपने नार्मल ऑउटफिट मैं हॉल मैं आया ।




हॉल में सब मेरा नाश्ते पर इंतजार कर रहे थे पर परिधि वहां नहीं थी । सब लोगो को मैंने गुड़ मोर्निंग विश किया और नास्ता करने बैठ गया । टेबल पर मेरी बात सबसे होती रही मोहित अंकल मुझसे मेरे और मेरी फैमिली के बारे में पूछ रहे थे । वहीं लाल अपने और अपने स्कूल के बारे में बता रहा था और आंटी की दिलचस्पी मेरी उन पहली वाली बातों में थी जो उन्होंने मुझसे पहले दिन सुना था । खैर में उन बातों को जहाँ तक हो सके टालता रहा पर आखिर में मुझे बताना पड़ा ।




अब उनको समझ में आ चुकी थीं बात , की क्यों मैं ऐसे बोल रहा था । हम फिरसे आपस मे बात करते रहे फिर एक एक करके सब लोग चले गए । और मैं अकेला बैठा परिधि के इंतजार मैं । कुछ देर यूँ ही बैठने के बाद परिधि भी वहाँ आई ।




पहली बार परिधि को मैं ध्यान से देख रहा था । परिधि इंडियन ऑउटफिट मैं साड़ी पहने हुए थी । पिंक कलर की साड़ी , साड़ी से मैचिंग ब्लाऊज़ , लो वेस्ट से पहने हुए जिसमें जिसमें उसके सुड़ौल बदन खिलकर निखर रहा था । चेहरे पर एक अलग ही तेज ,माथे पर काली बिंदी , कान में झुमके, बाल खुले, होठों पर लिपिस्टिक उसकी सुंदरता देखते ही बनती थी ।




परिधि अब तक मेरे पास पहुंच चुकी थी और मुझे इस तरह निहारते देख शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया था । अब मुझसे रहा ना गया और बोला... इसस आपका यह शर्माना क्या कातिल अदा है ।



मेरी बात सुनकर हम दोनों हँसने लगे । अब परिधि बोली... संगत का असर है आप भी बोलना सिख गए । 





लेकिन परिधि मुझे टोकते हुए.... यह आपने क्या पहना है ।




मैं.... क्यों क्या हुआ अच्छा नहीं है ।




परिधि.... मैंने कब कहा बुरा है , पर आपके बिस्तर पर मैंने आपके लिए ड्रेस रखा है , प्लीज उसे पहन लीजिए ।



अब मैंने पूछा... प्लान क्या है ।



परिधि... कोई बात नहीं अभी पहले ड्रेस बदल लीजिए ।



मैं कमरे में गया वहाँ वो पैकेट उठाया उसमे काले रंग का सूट था । सूट के साथ टाई , टाई पिन, वाइट शर्ट, और एक खूबसूरत वॉच थी । देखने से काफी महँगी लग रही थी । मैं उसे पहन कर हॉल में आ गया , अभी परिधि खड़े खड़े नास्ता कर रही थीं । जब परिधि ने मुझे देखा तो वो भी बस मुझे देखती ही रह गई तबतक रंजना आंटी भी हॉल में आ गई ।





अपनी बेटी को इस तरह देख आंटी बोली..... अब रहने दे बेटा ऐसे देखेगी तो प्यार हो जाएगा ।




अपनी माँ के इस तरह के व्यंग पर परिधि का चेहरा फिर शर्म से लाल हो गया और अपना सर माँ के सीने से लागते हुए.... " माँ आप भी न कुछ भी बोलती हो वैसे भी आप चिंता मत करो मैं इतनी जल्दी आपको छोड़कर नहीं जाने वाली " 
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03-21-2019, 12:18 PM,
#24
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट -22



फिर माँ ने अपनी बेटी को थोड़ा प्यार दिया और चली गई । आंटी के जाने के बाद परिधि ने मुझे देखा और बोली.... क्यों बाबू जेंटलमैन क्या इरादा है दिल्ली तो आज घायल होने वाला है । 





मैं अपनी तारीफ सुनकर बड़ा ही प्रसन्न हुआ , दिल खुश कर दिया परिधि ने । फिर मैंने भी परिधि से कहा... मिस इरादे तो आपके मुझे नेक नहीं लग रहे , आखिर दिमाग में चल क्या रहा है जो मुझे इस तरह के ऑउटफिट में हम बाहर जा रहे है ।


परिधि थोड़ा मुस्कुराते हुए... जनाब कुछ पल और ठहर जाए आप खुद समझ जायेंगे । वैसे भी दिमाग को थोड़ा शांत रखिए क्योंकि वही आपको आने वाली मुसीबत से बचने वाला है । अशांत मन, एक गलती और आप सूली पर ।


परिधि की बातें किसी सस्पेंस मूवी की तरह थी इसलिए मैंने भी सब समय पर छोड़ दिया अब जो हो सो हो देखा जाएगा ।
मुझे ख्याल आया कि पता नहीं परिधि कितना समय लेने वाली है इसीलिए मैंने सोचा क्यों न पहले सबसे बात कर लूं ।


इसी ख्याल के साथ सबसे पहले बात हुई माँ से सबी हाल समाचार जानकर मैंने फ़ोन कट किया । पापा को कॉल किआ तो पापा कहि बिजी थे मेसेज आया बाद में बात करता हूँ ।


नेक्स्ट कॉल सिमरन उससे भी बात की सिमरन मासी के घर जल्दी जाने पर जोर दे रही थीं । 


अब दिया कि बारी थी...


दिया.... क्या बेटू कैसा है ( मजक में माँ की एक्टिंग कर रही थीं ) ।


मैं... ठीक हूँ माते आप कैसे हो ।


दिया... कुछ नहीं बेटा बस सोच रही थी कि दिल्ली से मेर लाल मेरे लिए क्या लेकर आएगा । 


मैं.... क्या ले आऊं माँ आपके लिए मुझसे बढ़कर थोड़ी कोई है गिफ्ट मैं खुद आ जाता हूँ ।


दिया.... मैंने सोचा मेरा लाल मेरे लिए गिफ्ट में लहँगा लाएगा , उसकी मैचिंग ज्वेलरी, नेल पॉलिश, कान की बलिया , मैचिंग हैंड बैग, मैचिंग चूड़ियाँ और हाँ लिपस्टिक भी पर मेरा लाल तो मुझसे प्यार ही नहीं करता ।


मैं.... चल चल नौटंकी मैं कुछ नहीं लाने वाला ।


दिया.... भैया प्लीज इतना सा तो माँगा है, कौन का पूरा जहाँ मांग लिया ।


मैं.... तू तो स्वार्थी निकली माँ , पापा और दीदी के लिए कुछ ना लूं ।


दिया.... सुनो भैया मैं कुछ नहीं जानती मुझे तो यह सब चाहिए , बाकी आपको जिसके लिए जो लेना हो देख लेना ।


फिर मैंने ओके बोल उससे थोड़ी देर बात की और फ़ोन कट कर दिया ।


अभी 10:30 बज रहे थे और सब लोगों से मेरी बात हो चुकी थी मैं नीचे हॉल मैं बैठ गया परिधि के इंतजार में । मुझे ज्यादा इन्तेजार नहीं करना पड़ा अभी 5 मि ही हुए थे कि परिधि मेरे पास आ गई । 



परिधि आते ही.... चले सर । और मैं परिधि के साथ चल पड़ा एक अनजाने सफर की ओर ।





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03-21-2019, 12:19 PM,
#25
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 23


परिधि कर चला रही थी और मैं उसके साथ आगे बैठा था । मैंने फिर एक बार परिधि से प्लान जानने की कोशिश की तो परीधि..... अब तो साथ है ना बस देखते जाइए ।


कार कॉफी शॉप के पास रुकी.... आप कार में बैठो मैं अभी आई । बोलकर परिधि अंदर गई ।


मैं उसका कार में इंतजार करता रहा । यही कोई 10मि हुए होंगे कि एक वेटर कार के पास आया और बोला.... सर् आपको मैडम बुला रही हैं ।


वेटर के पीछे पीछे मैं कॉफी शॉप के अंदर आया और वेटर मुझे एक टेबल पर छोड़ कर चला गया । पर यह क्या यहाँ 3 लड़कियो की ग्रुप थी पर परिधि कहि नहीं थी । मैं अभी खड़ा आश्चर्य से सोच रहा था , की मैं तो इन्हें जानता नहीं फिर यह मुझे क्यों बुला रही हैं ? 


तभी उनमें से एक ने वेलकम मोड में खड़े होते हुए अपनी दोनों बाहें फैलाकर.... " Welcome to delhi dangerous group please have a seat " 



अब मैं भला क्यों बैठने लगा ? जान न पहचान मैं तेरा मेहमान वैसे भी मैं किसी भी अनजान से ज्यादा मेलजोल नहीं बढ़ाता इसीलिए जवाब दिया.... " धन्यवाद मोहतरमा, पर मैं आपके खतरनाक दिल्ली समूह में शामिल नहीं हो सकता । लगता हैं आप लोगों को कोई गलतफहमी हुई है, इसलिए मुझे बुला लिया । जी अब मैं इजाजत चाहूँगा क्योंकि कोई मेरा वहाँ पतिक्षा कर रहा है और वापस लौट कर मुझे वहां नहीं पाया तो परेशान हो जाएंगी , धन्यवाद "


मेरी बात सुनकर 3नो हँसने लगी और वही लड़की बोली ....

" दिल धड़क जाते है लड़को के ,
हमारी एक झलक पाने के लिए ।
बहार आ जाती हैं महफ़िल में, 
हमारे बस आ जाने से ।
क्या चीज़ हु मैं तुम्हें क्या पता ए गुस्ताख ,
छू दूं तो आग लग जाती हैं पानी में " ।


अब मैंने भी उसे जवाब दिया....

" हम खुशबू है तुम फूल कहलाते हो ,
हम हूर है तुम जिस्म कहलाते हो ।
हम बादल है तुम घटा कहलाते हो ,
हम सूरज है तुम रोशनी कहलाते हो ।
कितने नादान है जो इतना ना समझ सके ,
हम है तो तुम हो हम से तुम कहलाते हो " ।


अब तो बस उनका मुह खुला का खुला जो अभी अपने हुस्न की तारीफ खुद कर रही थी , उसेभी समझ आ चुका था बिना कद्रदान किसी भी चीज की कद्र नहीं होती । 


फिर मैंने उन्हें कहा... देवियों यदि आपकी वार्तालाप की अवधि समाप्त हो चुकी हो तो क्या मैं अब अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान कर सकता हूँ । 


इतना बोलकर मैं जैसे ही चलने को हुआ तो परिधि सामने से मेरा रास्ता रोकते हुए..... ऐसे कैसे आप हमारी महफ़िल छोड़ कर चले जायेंगे, यहाँ आये है तो कुछ समय आप हमारे साथ बिताएंगे ।


मैं.... " छोड़ा नहीं करते हम किसी को बीच मझदार में, पानी की तरह आकार लेते है हम हर किरदार में ।


एक मैं , दूसरी परिधि , और तीसरी वो लड़की एक ही अंदाज में बाद विवाद कर रहे थे और तभी उनमें से दूसरी लड़की बोली ...

इस दिल में आ गया है तूफान,
कौन है यह खूबसूरत नौजवान ।



मैं.....
" ना हम किसी महफ़िल की जान है, ना कोई तूफान है ।
राहुल बुलाते है सब मुझे , बस यही मेरी पहचान है ।



मेरी बात पूरी होते ही आखरी लड़की भी बोल पड़ी....
"तुम जो आए ज़िंदगी में बात बन गई ,
हो सपने तेरी चाहतों के- 2 देखती हूं हर घड़ी ।
दिन है सोना और चांदी रात बन गई ,
हो ओ तुम जो आए ज़िंदगी मे बात बन गई " ।



इतना सुनते ही वहाँ तो जैसे हँसी का फब्बारें छूट पड़े । सब के सब हँसने लगे । फिर वही लड़की जिसने अभी गीत गाया था ... अभी नार्मल हो गए तुम लोग या अपनी तरकश से दो चार तीर और निकालू ।


सब हँसने हँसते बैठ गए और मैंने भी उन्हें जॉइन किआ । परिधि ने फिर सबसे मिलवाया । परिधि अपने हाथों से इशारा करके बताते हुए... यह है अंजलि ( जिसने वेलकम किया था ) , यह है सिम्मी ( गाने वाली लड़की ) और यह है नीलू ।



फिर मेरी तरफ इशारा करते हुए.... और यह है मई फ्रेंड ।
तीनो लड़कियाँ बीच मे बात काटती हुई.... " यह ना तूफान है ना किसी महफ़िल की जान, राहुल है इनकी पहचान " ।


एक बार फिर हम सब हँसने लगे । हम लोगों ने 1बजे तक कॉफी शॉप में ही बात करते रहे । बातों बातों में दो बातें पता चली..


सभी लड़कियाँ साड़ी में थी क्योंकि यह उनका ड्रेस कोड था , और दूसरी की तीनों बहुत ही चंचल थी जो मेरा रैगिंग लेने आई थी । हाँ रैगिंग ही कह सकते है क्योंकि उनके सवाल और व्यंग तो कुछ इस प्रकार ही थे ।
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03-21-2019, 12:19 PM,
#26
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट-24

जब सभी लड़कियाँ चली गई, मैं परिधि से.... तुम क्या मुझे हलाल करने लाई थी ।


परिधि....ओह हो अब मैं आप से तुम पर आ गई ।


मैं.... सॉरी वो आचानक से निकल गया ।


परिधि.... नहीं मैं खुद बोर हो गई थी आप आप सुनकर और हाँ यह बार बार सॉरी बोलना बन्द करो ।


मैं... ओके मेम पर तुमने अबतक बताया नहीं ।


परिधि.... हलाल हुए क्या बेचारी क्या क्या सपने लेकर आई थी कि कैसे तुम्हें परेशान किया जाए कि फिर तुम नाराज हो जाओ तो कैसे तुम्हे खुश किया जाए । कल से प्लान कर रही थी पर तुमनें सारे अरमानों पर पानी फेर दिया ।


मैं..... तुम अपने हर नए पहचान वाले के साथ ऐसा करती हो या मैं स्पेशल केस हु ।


परिधि.... पहले तो यह जान लो कि रोज हमारी नए लोगों से मुलाकात होती है , जान पहचान होती है पर कुछ खास लोग ही होते है जिनसे बात आगे बढ़ती है वरना hi , hello तक ही सीमित रहता है । और रही बात परेशान करने की तो दोस्त हो तुम मेरे इतना तो हक बनता है ।


जैसे ही मैं कुछ बोलने वाला हूं कि परिधि.... टाइम अप अब चलो हमे कही और भी चलना है ।



मैं... रुको रुको पहले ये बताओ कि घर पर पता है कि तुम कितनी देर बहार रहोगी । 


परिधि कुछ लोगों की ओर इशारा करते हुए.... देख रहे हो उन्हें , उनको सिर्फ इस बात की तनख्वाह मिलती है कि मैं कहाँ हूँ किसके साथ हूँ घर पर इनफार्मेशन देते रहे और वापस सही सलामत घर पहुंचना ।


मैं... क्या यह तुम्हारे बॉडी गॉर्ड है ।

परिधि.... जी हाँ अब सब हो गया हो तो चले ।


मैं अब क्या कह पाता चल पड़ा परिधि के साथ अंजान सफर के दूसरे पड़ाव पर......



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03-21-2019, 12:19 PM,
#27
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट -25 


मैं अब चल पड़ा परिधि के साथ एक अनजाने सफर के दूसरे पड़ाव पर.....


कॉफी शॉप से निकल कर हम शॉपिंग मॉल में गए । मॉल में जाते ही मैं परिधि से.... अब यहाँ कोई बर्फानी ग्रुप तो नहीं जो मुझे बर्फ ही बना दे ।

परिधि मेरी बातों से हँसते हुए.... नहीं ऐसा कुछ नहीं है यहाँ से कुछ शॉपिंग करेंगे और चिंता मत करो यहाँ कोई प्लान नहीं है ।

मैं... मतलव और कही का प्लान है ।

परिधि... ओह हो चलो मुझे कुछ खरीदना है ।


सबसे पहले परिधि कपड़े की शॉप में गई यहाँ से उसने एक जीन्स और टॉप लिया । भगवान यह लड़कियां भी ना काम से कम 1 घंटा दिमाग खाया उस शॉप कीपर का तब कहीं जाकर उसने कपड़े पसंद किए और साड़ी बदल कर जीन्स और टॉप पहन कर आ गई ।


चेंजिंग रूम से बाहर निकलते ही.... मैं कैसी लग रही हूं ।

मैं... माइंड ब्लोइंग ।

परिधि अपना मुंह बनाते हुए.... हुह यह माइंड ब्लोइंग भी कोई तारीफ है ।

मैं.... अच्छा बावा तुम बहुत खूबसूरत हो ठीक है ना ।

परिधि... क्या खूबसूरत यह भी कोई तारीफ है । क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है क्या? 

गर्लफ्रैंड का नाम सुनते ही मेरे चेहरे की रौनक थोड़ी उड़ गई जिसे परिधि ने भाँप लिया और बात को बदलते हुए... राहुल चलो ना कुछ खाते हैं बहुत भूक लगी है । भूक तो मुझे भी लगी थी फिर हम दोनों ने वहाँ खाना खाने लगे ।

मैं.... आगे का क्या प्लान है ?

परिधि.... कोई प्लान नहीं अब तुमसे बात करना चाहती हूँ ।

मैं... क्या बात करनी है ।

परिधि.... कुछ खास नहीं बस यह बताओ कि ये रूही कौन है 

मैं.... तुम्हें क्या लगता है ।

परिधि... तुम्हारी गर्लफ्रैंड ।

मैं... नहीं हाँ ।

परिधि.... मतलव ।

मैं.... नहीं वो मेरी गर्लफ्रैंड नहीं लेकिन हाँ मैं उससे प्यार करता था ।

लेकिन अब मैं इस बारे में इससे आगे कोई बात नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने परिधि से बात बदलने को कहा । रूही की चर्चा होने से मैं थोड़ा उदास हो गया कि तभी परिधि ने ऐसा कुछ कहा कि मेरे दिल मे छप गया ।


परिधि.... उदासी एक बीमारी है , एक ऐसी बीमारी जो अपनो के साथ साथ अपने परिजनों को भी ले लेती हैं इसलिए अगर कोई उदास रहता है तो उसके साथ उसका पूरा परिवार, और आस पास के लोग उदास हो जाते है । इसलिए आप खुश रहे आपको हँसता देख और4 लोग हँसने लगेंगे । इसीलिए जब तक पॉसिबल हो हँसते रहीए अपने लिए नहीं पर अपने लोगों के लिए भले बनावटी क्यों ना हो ।

परिधि की बात सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा । बहुत ही प्रैक्टिकल बाते की थी परिधि ने । पहली बार परिधि की आंखों में मैंने वही दर्द देखा जो मुझे परिधि के बिना महसूस होता है ।

मैं अचानक से पूछ लिया.... कौन है वो परिधि ।

परिधि.... अभी हमारी पहचान इतनी गहरी नहीं हुई कि सब बात बता दूं पर हां कोई था ।

मैं.... कोई बात नहीं लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा ।

परिधि.... इसमें बुरा लगने वाली कोनसी बात है क्यों तुम क्यों नहीं डिटेल बताते रूही के बारे में क्योंकि तुमनें भी यही सोचा होगा ।

हालांकि बात तो सही थी परिधि की इसीलिए मैंने इस बात पर कोई ज्यादा जोर नहीं दिया ।

( चिल्लाते हुए ) परिधि । परिधि.... क्या हुआ ऐसे कोई चिल्लाता है क्या ? मैं तो यही पास में बैठी हूँ ।

मैं... तुम हो पास लेकिन सोच बहुत दूर है मैं उस दूर वाली परिधि को पुकार रहा हूं ।

परिधि.... ओके सर पूरी परिधि तुम्हारे पास बैठी है अब बताओ ।

मैं.... अब यही रहना कहि और चलना है या चले वापस घर ।

घर वापस जाने की बात पर परिधि बोली... यदि तुम मेरे साथ बोर हो रहे हो तो जा सकते हो ( अब थोड़ा चिल्लाते हुए ) या चुपचाप मुझे फॉलो करो , क्योंकि अभी मेरी शॉपिंग खत्म नहीं हुई है ।


शॉपिंग वाली बात से याद आया कि क्यों ना मैं भी सबके लिए आज ही खरीदारी कर लूं वैसे भी दो लोग हो तो शॉपिंग आसान हो जाती है और मासी और कजिनस के लिए भी कुछ खरीद लू गिफ्ट देख कर सब खुश हो जाएंगे । इधर परिधि अपने बॉडी गॉर्ड को कुछ बोलकर आई ।

मैं अभी अपने खयालो में था कि परिधि... अब चले या यही खड़े खड़े शॉपिंग करेंगे । हम दोनों अब शॉपिंग करने के लिए निकले सबसे पहले परिधि एक मोबाइल शॉप में गई ।

मैं..... यहाँ क्यों आई हो कोई नया सेट लेना है क्या ।

परिधि.... नहीं मुझे नहीं तुम्हें चाहिए ।

मैं... क्यों ।

परिधि..... क्योंकि तुमनें तो अपने घर पर कहा था कि फ़ोन चोरी हो गया है ।

मैं... ओह हाँ ।

मैंने और परिधि ने कुछ सेट देखे और परिधि ने एक सेट को पसंद किया... यह कैसा लग रहा है राहुल ।

मैं.... बहुत प्यारा सेट है ।

परिधि.... तो इसे फाइनल करो ।

मैं.... रुको पहले प्राइस कितना है ।

परिधि.... शांत रहो पसंद है ना बस अब कुछ नही ।



मैं कुछ ना बोल पाया बस चुपके से प्राइस देख ली उस सेट की , जैसा मैंने सोचा था ठीक वैसा ही हुआ ये 45000 हजार का सेट था । मेरे तो होश उड़ गए दाम देख कर ।


मैं.... परिधि ऐसा करते है कोई और सेट देख लेते है मैंने सुना यह फ़ोन बहुत हैंग होता है और इसके फीचर्स भी काफी कॉम्प्लिकेटेड है मुझे समझ में नहीं आएगा चलो ना कोई और सेट लेते है ।


अब हम दोनों के बीच जैसे बहस छिड़ चुकी थी मैं अपनी बात समझाता रहा कि क्यों नहीं लेना चाहिए और परिधि अपनी की क्यों लेना चाहिए । अबतक कोई लड़कियों से बहस में जीत पाया है जो मैं जीत पाता । अंत में वोही फ़ोन फाइनल हुआ और मुझे 45000 का चूना लगते दिखने लगा ।


खैर पैसे तो पर्याप्त थे मेरे पास लेकिन मैं शुरू से ही ज्यादा महंगी चीज़ों को यूज़ नही करता था बहुत सिम्पल और मीडियम रेंज की चीज़ें ही यूज़ करता था ।

उसके बाद हम दोनों ने5 बजे तक शॉपिंग की ।

शॉपिंग के दौरान मैंने अपने और सबके लिए... माँ ,पापा, सिमरन, दिया( उसकी डिमांड ) , और मासी एंड फैमिली के लिए शॉपिंग की । मैं बस परिधि को बताता गया वो अपनी पसंद से सब खरीदी करती गई । मुझे तो डाउट था कि यहाँ भी वो अपने प्रीमियम रेंज की खरीदारी कर ले लेकिन परिधि ने खरीदारी मेरे बजेट प्राइस के हिसाब से की ।


यार परिधि ने मेरे लिए कितनी मेहनत की जबकि देखा जाए तो अभी पहचान हुए 24 घंटे भी नहीं हुए । नहीं मुझे परिधि को मोमेंटो तो देनी ही चाहिए फिर पता नहीं कब मुलाकात हो ।


यही सब सोचते हुए.... परिधि मुझे एक खास गिफ्ट खरीदना है पर मैं कंफ्यूज हु ।

मुस्कुराते हुए परिधि.... उसकी पसंद बताओ या तुम्हे कैसा गिफ्ट चाहिए यह बताओ ।

मैं.... पसंद तो नहीं मालूम पर तुम्हे किसी से कोई गिफ्ट मिलने वाला हो तो कैसे गिफ्ट की उम्मीद करोगी ।

परिधि.... अपने लिए तो पर्सनल फ्लैट की उम्मीद और क्या ।

मैं बस हैरान से देखता रहा , यार यह तो खड़े खड़े लाखो की संपत्ति माँग रही है । और बोल तो ऐसे रही है जैसे पर्सनल पेट माँगा हो ।

परिधि... तुम तो हद्द हो यार मजाक भी नहीं समझते ।


मैं...अरे नहीं मैं तो जानता था तुम मजाक कर रही हो ।

परिधि.... ( जोर से हँसते हुए ) हाँ पता चलता है तुम्हारे चेहरे से , खैर अब चले शॉपिंग करने ।

मैं... कुछ सोचा क्या तुमनें ? 

परिधि.... चलो तो अब तुमने बोल दिया कि मुझे कैसे गिफ्ट की उम्मीद रहेगी तो सब मुझ पर छोड़ दो ।

मैं... कही तुम सच में तो फ्लैट बुक करने तो नहीं जा रही ।

परिधि... वेरी फनी अब चले ।

हम दोनों ही चल पड़े परिधि ने एक लाजवाब टेडी खरीदा 6 फुट का मैंने बोला... as expected 

परिधि.... तो जब तुम्हे पहले से पता था तो मेरी हेल्प क्यों चाहिए थी ।

मैं... मैंने सोचा तुम कुछ अलग सोचती होगी ।

परिधि.... मैं क्यों अलग सोचती हूं मैं भी लड़कियो के समाज से बिलोंग करती हूं ।

मैं... वैसे यह टेडी के पीछे लॉजिक क्या होता है ।

परिधि.... हम इसे देख कर देने वाले को फील करते है ।

परिधि.... प्लीज अब चलो शॉपिंग खत्म करो हमे कही और भी चलना है ।

मैं... क्या कही और बीबी चलना है मेम आप कौन सा डाइट लेते हो जो थकती ही नहीं ।


परिधि... थकान वो क्या होती है ? तुम्हे हो रही है तो तुम जा सकते हो bye mr. 

मैं... मैं तो तुम्हारे लिए कह रहा था कि तुम्हारे नाजुक बदन में कोई लचक न आ जाए नही तो मैं one week and 24 hour a day continue active रह सकता हु ।

परिधि.... ओह हो अपने मुंह मिया मिट्ठू । अब बकवास बंद करो और चलो ।

हम यूँ ही आपस मे कुछ खट्टी मीठी बातें करते पेमेंट काउंटर पर पहुंचे । परिधि के बॉडी गॉर्ड ने हमे समान वाले बैग दे दिए । परिधि मेरे आगे थी और उसने अपना सामान टेबल पर रख दिया । पर ये क्या चेक लिस्ट में वो मोबाइल वाला बैग भी परिधि के पास था जो मेरे लिए खरीदा गया था ।


मैं.... परिधि गलती से वो मेरा मोबाइल वाला बैग तुम्हारे पास चला गया है उसे मुझे दे दो ।

परिधि.... शांत गधा धारी भीम , कोई गलती नहीं हुई यह मैंने तुम्हारे लिए लिया है ।

मैं... पर मैं इतना महंगा गिफ्ट नहीं ले सकता सॉरी ।

परिधि.... गिफ्ट तो ले सकते हो न ।

मैं... हां पर इतना महंगा नहीं ।

परिधि.... अब बस तुम भी बहुत नाटक करते हो । क्या कभी तुमने सुना नहीं कि गिफ्ट की कीमत नहीं देने वाले कि नीयत देखते है ।

भाई कोई नहीं जीत सकता लड़कियो से , यह तो हमारी बात से ही हमे फंसा देती हैं ।

परिधि ने अपना बिल पे किया और अब मैं काउंटर पर बिल पे करने पहुंच गया । मैंने अपना बैग काउंटर पर रखा ।



पर यह क्या सामने रखते ही सिक्योरिटी अलार्म क्यों बजने लगे ? मैं तो बिल्कुल सहम सा गया कि हे भगवान अब क्या होगा...


कहानी जारी रहेगी......
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03-21-2019, 12:20 PM,
#28
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 26


मैंने अपना बैग काउंटर पर रखा , पर यह क्या मेरे समान रखते ही ये सेक्युरिटी अलार्म क्यों बजने लगा ? मैं तो बिल्कुल सहम सा ही गया कि हे भगवान अब क्या होगा.....



मैं तो बिल्कुल हक्का बक्का रह गया कि आखिर ये हो क्या रहा है ? परिधि ने जब अलार्म सुना तो वो भी चोंक गई उसने संभावनाओं को समझते हुए शांत रहने को कहा, अपने बॉडी गॉर्ड को अपने पास बुला लिया और एक को बोली कि.... पापा को इन्फॉर्म करो कि हम यहाँ मुसीबत में है ।



बॉडी गॉर्ड मोहित जी से बात करने चला गया और मैं , परिधि अभी भी समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर मामला है क्या.... 



" क्या यही है वो " एक मैनेजर जैसे दिखने वाले आदमी ने अपने काउंटर के एम्प्लॉई से पूछा उसके साथ 3,4 लोग और भी थे जो वहां एक मैनेजमेंट टीम से लग रहे थे ।



एम्प्लॉई.... जी सर यहीं है ।



वो सब के सब मेरी ओर बढ़ रहे थे की परिधि ने उन्हें बीच में रोकते हुए....


" सुनिए अंकल हमने ऐसा कुछ नहीं किया है जिससे सेक्यूरिटी का कोई इशू हो आपका सिस्टम खराब है । अब जो कुछ भी हुआ हो यहाँ हमारे लीगल एडवाइजर आप से बात करेंगे " 



परिधि एक सांस में पूरी बात बोल गई उसका हौसला देख मेरी भी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई पर यह क्या उन लोगों ने परिधि की बात पर बिना कोई रियेक्ट किए हँसने लगे ।



उन सबको हँसता देख मैं और परिधि उन्हें हैरानी से देख रहे थे । तभी हमारे सभी सवालों का अंत करते हुए उनके मैनेजर ने कहा.... 


" सर कोई परेशानी की बात नहीं है । आप हमारे इस मंथ के वो ग्राहक है जो 1 लाख वाले नम्बर पर खरीदारी कर रहे है और आप हमारे वैल्यूड कस्टमर अवार्ड विनर है , और आप ने जीता है एक शानदार ऑडी कार " । और सभी लोग तालियां बजाने लगे ।



हैं यह साला हो क्या रहा है आज , इनाम की बात कर रहे है वो भी ऑडी कार , अच्छा अब मैं समझा यह सब किया कराया यह परिधि की बच्ची का है । इसने अपने बॉडी गॉर्ड के साथ मिलकर के सब प्लान किया होगा । 



मैंने मैनेजर से.... है सर आपके राजा भोज के खानदान से है जो हर 1 लाख नंबर वाले कार बंटाते है । अच्छा मजाक था परिधि , अब क्या हम चले यहाँ से या ये मजाक जारी रखना है तुम सबको । 



मैनेजर.... सर हम आपसे मजाक नहीं कर रहे है । फिर कुछ पेपर की कटिंग्स दिखाते हुए, यह देखिए पेपर जिसमे साफ साफ मेंशन है हमारी पालिसी ।



मैं.... यह पेपर्स तो पुराने है मतलब ओह माई गॉड मैंने अभी कार जीती है ।



मेरे लिए तो यह किसी जादुई पल से कम नहीं था । खुशी से दिल झूम उठा फिर मैं परिधि के पास गया....( उत्साह से ) देखा परिधि हमने कर जीती है । और इतना बोलकर मैंने उसे गले लगा लिया । परिधि मुझे इतना खुश देख कर वो भी खुश हो गई ।



परिधि मज़े लेते हुए... अंकल आप यह कार रख लो हमे नहीं चाहिए, हम तो 8सके साथ मजाक कर रहे थे ।



कौन किसके साथ मजाक कर रहा है परिधि बेटा...
कड़क आवाज के साथ मोहित की एंट्री हुई । वो किसी स्टार से कम नहीं थी । 10 बॉडी गॉर्ड गन के साथ , 4,5 सूट वाले आगे पीछे , 1 लैपटॉप लिए पी . ए . ।


हम दोनों एकदम से चौंकते हुए उनकी तरफ देखने लगे ।



परिधि... पापा आप कब आए ।


मोहित अंकल.... छोड़ो वो सब क्या परेशानी है और कौन परेशान कर रहा है ।



परिधि ने अपने पापा को शांत करते हुए सारी बात बताई । अब परिधि अपने पापा से.... आप तो किसी को भी भेज देते फिर आप खुद क्यों चले आए ।



मोहित अंकल... बेटा मैं तेरी परेशानी में नहीं आऊंगा तो फिर कब आऊंगा । क्या मतलव इतनी संपत्ति की जब मैं खुद अपने बच्चो के सुख दुख में साथ नहीं दे सकता ।



अपने पापा की बात सुनकर परिधि इमोशनल हो जाती है और गले लग जाती है । उनकी बातें सुनने के बाद मैं तो जैसे उनका फैन हो चुका था ।



तभी बीच में टोकते हुए उनके पी.ए. ने कुछ कहा । मोहित अंकल.... शर्मा जी आज की इवनिंग के सारे अपॉइंटमेंट कैंसिल सभी स्टाफ की छुट्टी कर दो अभी से यह मेरा फैमिली टाइम है सो नो डिस्टर्बेंस । कल बातें होंगी अब आफिस में ।



सब स्टाफ और बॉडी गॉर्ड को मोहित अंकल ने वापस भेज दिया केवल 4 बॉडी गॉर्ड, 2 परिधि और 2 मोहित अंकल के और 2ड्राइवर वहाँ रुके । मोहित अंकल ने हम दोनों को फॉर्मेलिटीस के लिए भेजा और हम उस मॉल के मैनेजर के साथ चले गए ।



अभी शाम के 6 बज चुके थे । फाइनली कार की सारी फॉर्मेलिटी पूरी हो गई थी । मैं तो बस खुशी से अंदर ही अंदर नाच रहा था । मेरी खुशी का अंदाजा परिधि को भी था वो भी मेरी खुशी में शामिल थी इस पल को मैं शब्दों में बयान नहीं कर पा रहा था ।



हम दोनों हँसी खुशी मोहित अंकल के पास पहुंचे । मोहित अंकल ने मुझे कार की बधाई दी और वहाँ पूरी चौहान फैमिली पहुंच चुकी थी । फिर हम सब एक साथ दिल्ली की सड़कों पर धामा चौकड़ी मचाते रहे । जहाँ हम तीनों मैं,परिधि और लाल मजे कर रहे थे वहीं अंकल आंटी भी हमारे साथ बच्चे बने हुए थे ।


फाइनली आज का दिन समाप्त हुआ पर आज मुझे एक बात का एहसास जरूर हो गया कि अपनी खुशी आपको उतना खुश नहीं रख सकती जितना आप दूसरों के होठों पर मुस्कान ला कर खुश रह सकते हो ।




मैं वापस आकर अपने कमरे में यू ही लेटा था यही रात के 10 बज रहे होंगे.....


कहानी जारी रहेगी......
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03-21-2019, 12:20 PM,
#29
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 27


मैं वापस अपने कमरे में आ कर यू ही लेटा था यही रात के 10 बजे होंगे.... 


तभी रूम की बेल बजी मैंने सोचा परिधि होगी और दरवाजा खोला सामने अंकल और आंटी थे ।


मैं चोंकते हुए.... अंकल आंटी आप इस समय कुछ काम था तो मुझे बुला लिया होता ।


आंटी.... नहीं बेटा हमने सोचा कि कल तुम चले जाओगे इसीलिए तुमसे बातें करने आ गए ।


अंकल.... अगर तुम्हे सोने जाना है तो कोई बात नहीं ।


मैं... क्या अंकल यदि मैं लाल होता तो क्या आप ऐसे बोलते ? आपका तो हक है मैं सोया भी रहू तो जगा कर काम बताने का 


आंटी.... राहुल तुम फ़िल्म ज्यादा देखते हो न ।

मैं... क्यों आंटी ? 

आंटी... नहीं तुम्हारे डायलॉग फिल्मी है । और फिर सब हँसने लगे ।


हमलोग आपस मे बात करते रहे बातों बातों में मैंने अंकल से पूछा... " अंकल ना तो मैने लाल की कोई हेल्प की किडनैपर्स से बचाने में और न तो कोई ऐसा काम की आप जो शहर की इतनी बड़ी हस्ती होकर मुझे अपने घर ले आए ।


मेरी बातों से अंकल , आंटी थोड़ा मुस्कुराते हुए...


" बेटा हमारी जिंदगी मैं कई ऐसे लोग आते है जिन्हें हम ढंग से परख नहीं पाते । यह दौलत ,यह शोहरत क्या है कुछ भी नहीं अगर आपके पास आपके चाहने वाले नहीं । मित्र नही आपका अपना परिवार नहीं " 

" तो अब रही बात तुम्हारी की क्यों तुम यहाँ हो? तो सुनो तुम अपनी बेवकूफी और इंसानियत की वजह से यहाँ हो ।


मैं बड़े आश्चर्य से अंकल को देख रहा हूं था । अंकल ने बात को आगे बढ़ाते हुए....


" बेवकूफी यह कि तुम ऐसी हालात मैं घर से अकेले निकले जब तुम्हें अपना होश तक नहीं था । कुछ लोगों ने तुम्हे मेरे बच्चे को देखने को कहा और तुमने बिना सोचे समझे जिम्मेदारी उठाई । और अब जब तुम्हे देश के सबसे खतरनाक पुलिस स्कॉड सवाल कर रहे थे तो तुम बिन घबराए जवाब देते रहे बिना किसी बात की परवाह किए । लाल को उनके पास नहीं रहने देना चाहते थे वो भी बिना कुछ जाने कुछ पल की मुलाकात में " ।



" और यही से तुम्हारी इंसानियत शुरू होती है । मेरा लड़का बेहोश था तुमनें उसे सहारा दिया अपने कंधे का । कुछ लोग उसे तुमसे पहले ही अलग कर रहे थे पर तुमनें उसे केवल पुलिस के हाथों ही छोड़ा । जब तुमने मुझे यहां देखा तो तुमने पहचान लिया कि मैं कौन हूं पर मेरा पूरा परिवार स्टेशन पर मौजूद था वो तुम्हें कुछ याद नहीं । तुमने तो स्टेशन पर मुझे ऐसे नजर अंदाज किया जैसे तुम्हारे लिए कोई राह चलता आदमी " ।


कुछ देर रुक कर फिर बोलना शुरू किया....

" मैं जब पुलिस स्टेशन पहुचा तो तुम बेहोश थे पर जब तुम्हारे बारे में उनलोगों ने बताया कि इतना टॉर्चर के बाद तो लोग चिल्लाते है पर तुम मुस्कुराते रहे उनके हर डंडे पड़ने के बावजूद । मेरा कालेज जल उठा तुम्हारी हालत देख कर , मुझे बहुत पछतावा हुआ तुम्हारी इस हालत पर और सच कहूं तो उस वक्त मुझे अपने बेटे तक से नफरत होने लगी थी कि उसकी वजह से एक सच्चे आदमी की यह हालत हुई " ।


और अंत मे.... मुझे माफ़ कर दो बेटा मेरी वजह से तुमनें बहुत परेशानी उठाई । 


मैंने अपना बनावटी गुस्सा दिखाते हुए....
" मैं आप कौन है? कोई नहीं । तो मैं अभी जा रहा हूँ अपनी मासी के घर " ।


अंकल... क्या हुआ बेटा नाराज क्यों हो गए कोई गलती हुई क्या ? 


मैं... क्या अंकल नाराज नहीं होऊ तो क्या ? आप बार बार माफी क्यों मांगते हो अपना कहते हो फिर एक पल में पराया कर देते हो ।


मेरी बात खत्म होते ही अंकल आंटी हँसने लगे । फिर हम उस रात बहुत देर तक बातें करते रहे । और अंत मे सबने एक दुसरे को गुड़ नाईट बोला और सोने चले गए ।


अब जब मैंने नार्मल था तो नींद भी नॉर्मलली खुली लेकिन रुटीन टाइम से थोड़ा लेट । अभी 5 : 30 हो रहे थे फिर मैंने अपना ट्रैक सूट पहना और पास के ग्राउंड पर पहुंच गया अपने रूटीन एक्सरसाइज करके 8 बजे वापसी हुई ।


इस ग्राउंड से वापसी के समय मुझे फिर ग्राउंड वापसी और रूही की याद आई पर अब मैं बहुत मायूस नहीं था क्योंकि कहि ना कहि मुझे लगने लगा था कि शायद मेरा एकतरफा प्यार था जो रूही को सता रहा था यदि मेरे ना मिलने से वो खुश है तो यही सही बस वो खुश रहे ।


यही सब सोचते मैं घर पहुंचा । अब तक सभी लोग जाग चुके थे , मैंने सभी लोगों को गुड़ मोर्निंग विश किया फिर ऊपर अपने कमरे में चला आया ।


कुछ देर सॉन्ग सुने फिर फ्रेश होने चला गया । जब लौटा तो मुझे कल का परिधि का मेरे रूम में आना याद आया । मैंने सोचा थोड़ा परिधि का हाल समाचार लिया जाए और चल दिया परिधि के रूम की ओर ।


मैं जब उसके रूम में पहुंचा तो रूम खुला था पर परिधि नहीं थी । मैंने सोचा शायद नीचे नाश्ते पर मेरा इंतजार कर रही होगी और मैं नीचे चल पड़ा । परिधि का अब भी कोई पता नहीं, मैं थोड़ा निराश हुआ फिर सोचा....

" चलो ठीक है कोई काम में होगी " 



अब नास्ता भी हो गया और समय भी बीतता जा रहा था । 11 बजे तक जब मुझे परिधि नहीं दिखी तो अंत में मैं आंटी के पास गया पता करने , पर आंटी ने जब बताया कि वो अपने अंकल के पास आज सुबह ही चली गई । मैं थोड़ा निराश हो गया पर आंटी ने जब मुझे ऐसे देखा तो हँसते हुए बोली.... तुम्हारे लिए मैसेज छोड़ कर गई है ।


मैं उत्सुकता से... क्या आंटी ।


आंटी... बोल के गई है 2 दिन मे आ जाएगी और हाफ डे का सफर पूरा करेगी । और उसके बेड पर तुम्हारे लिए कुछ रखा है जाकर कलेक्ट कर लेना । 


अब मैं थोड़ा हल्का फील कर रहा था । मैं अब जा रहा था परिधि के रूम , पर कदम अचानक रुक से गए । आंटी के आंख में आंसू थे पता नहीं किस बात के । मैं आंटी के पास गया अपने हाथों से आंसू पोछे फिर पूछा... क्या बात है आंटी ।


आंटी.... कुछ नहीं बेटा बस ऐसे ही दिल भर आया । 


मैं.... बेटा भी कहती हो और बताती भी नहीं ।


आंटी..... नहीं राहुल मैं चाह कर भी बात नहीं कर सकती क्योंकि परिधि ने साफ मना किया है । अगर उसे मालूम हो गया तो मेरी बच्ची फिर से टूट जाएगी । 


मैं बहुत गंभीर होते हुए.... ठीक है आंटी मत बताइये क्योंकि यह विश्वास की बात है ।


आंटी.... बेटा मेरी एक बात मानोगे ।

मैं... क्या आंटी ? 


आंटी.... " तुमसे मिलने के बाद बहुत दिनों बाद मैंने अपनी बच्ची को दिल से खुश होते हुए देखा है , अपना दुख वो कभी किसी के पास नहीं रोई आज तक अंदर ही अंदर बहुत दुख समेटे है । कल मोहित ने जब परिधि को इतना खुश होते हुए देखा तो रह नहीं पाए और मुझे फ़ोन करके बताए । ( रोते हुए ) बहुत अच्छा लगा कल अपनी बच्ची को खुश देख कर । प्लीज हमेशा कांटेक्ट में रहना " ।


मैंने दोनो हाथों से उनके आंसू पोंछे फिर.... आंटी मैं हमेशा आप लोंगो के कांटेक्ट में रहूँगा ।


आंटी के चेहरे पर एक धीमी से मुस्कान आई और मुझे जाकर अपना सामान लेने को बोला । 


और मैं उत्साह के साथ चल पड़ा परिधि के कमरे की ओर की आखिर रखा क्या है परिधि ने मेरे लिए.... 


कहानी जारी रहेगी......
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03-21-2019, 12:20 PM,
#30
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 28 


अब मैं उत्साह के साथ चल पड़ा परिधि के कमरे की ओर आखिर रखा क्या है परिधि ने मेरे लिए....


मैं भागते कदमों से परिधि के रूम पहुंचा, अंदर बेड पर कार की और एक लेटर रखा था । मैंने जल्दी से वो लेटर उठाया और पढ़ना शुरू किया....

हे,

डियर

मैं 2 दिनों के लिए अपने अंकल के पास जा रही हूं । बहुत दिन पहले से प्लान था उनके पास जाने का इसीलिए जाना पड़ा । सुबह मैं आई थी तुमसे मिलने पर तुम शायद मोर्निंग वाक पर गए थे । इसीलिए मुलाकात नहीं हो पाई । 


मैं कल के लिए तुमसे माफी मांगना चाहती हूँ जो मैंने कहा कि " अभी अपनी पहचान इतनी गहरी नहीं हुईं कि सब बातें तुम्हें बता दूँ " लेकिन बात कुछ ऐसी है कि सही समय पर मैं खुद तुम्हे बता दूंगी । तबतक मेरी विनती है कि हम इसपर चर्चा नहीं करेंगे । और हाँ अपने आप को रेडी रखना क्योंकि जब मैं लौटकर आउंगी तो अपना अधूरा सफर पूरा करेंगे । 


तबतक के लिए बाई तुम अपनी मासी के पास जा सकते हो तुम्हारा समान कार में रख दिया है। और हाँ लेटर पढ़ना हो गया हो तो एक बार कॉल जरूर कर देना ।


बाई... तुम्हारी दोस्त ।

परिधि....


लेटर पड़ने के बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा था । अब शॉक देने की बारी मेरी थी इसीलिए मैंने कार की चाबी ली और भागते हुए कार से वो टेडी निकाल ली और परिधि के रूम में रख दिया । 


फाइनली मुझे अब मासी के यहाँ पहुंचना था इसलिए मैं आंटी से मिला उनसे मिला विदा ली और निकल पड़ा मासी के घर । चूंकि मुझे मासी को सरप्राइज देना था इसीलिए बिना उनको इन्फॉर्म किए उनके घर की ओर चल दिया ।


हालांकि अपनी मासी के घर का पता मेरे पास नहीं था , उनलोगों ने हाल ही में अपना फ्लैट चेंज किया था । इसलिए मैंने माँ को फ़ोन किया.... 


माँ ने कॉल उठाते हुए... कैसा है मेरा बच्चा ? 

मैं... जी अच्छा हूँ माँ ।

माँ.... मासी के पास कब तक पहुंच जाएगा ।

मैं... अभी उनके पास पहुंच जाऊंगा कुछ देर में पर मेरे पास पता नहीं है । 


माँ.... तू कॉल करले न , पिक करने निर्मला दीदी ( मासी ) आ जाएंगी ।


मैं... नहीं माँ सरप्राइज देना है आप पता भेज दो ।

माँ ने मुझे पता लिखवाया, फिर कुछ देर तक माँ से बात करने के बाद मैंने फ़ोन कट कर दिया । मैं अभी रास्ते में ही था कि सोचा क्यों ना एक बार परिधि के साथ बात कर ली जाए पर कुछ सोच कर मैं रुक गया और एक मैसेज लिखा और परिधि को भेज दिया ।

मेसेज कुछ इस तरह था.... 

" तुम बिना बताए चली गई इसीलिए सजा के तौर पर मैं तुमसे बात नहीं करूंगा । तुम अब सजा भुगतो , जब मिलेंगे तब बात करेंगे " ।


मैं अब मासी के घर जा रहा था अभी कुछ देर ही हुए थे कि परिधि का मैसेज आया....


" हर सजा कबूल है सरकार, पर हम भी चौहान कहलाते है । सोच लो अभी मेरे साथ एक शाम और बाकी है " ।


मेरा रिप्लाई....


" इसका मतलब क्या समझू तुम मुझे डरा रही हो , कोई बात नहीं मैं हर संभावनाओं के लिए तैयार हूँ । तुम्हे जो अच्छा लगे कर लेना पर किसी बात का डर नहीं हमें " ।


परिधि रिप्लाई... तो ठीक है मिलते है 2 दिन बाद ।


इसके बाद कोई मेसेज नहीं हुए और मैं मासी के घर की तरफ चल पड़ा । पता पूछते पूछते मैं मासी के गजर पहुंच गया । मैंने डोर बेल बजाई....

टिंग डाँग...

गेट खुला और एक लड़के ने दरवाजा खोला पर इसे मैं नहीं जानता था । लड़का.... बताइये क्या काम है ।

मैं... मिस्टर क्षितिज वर्मा ( मौसा जी ) का घर यही है ।

लड़का... नहीं आप गलत गेट पर आए है ।

मैं... ओह सॉरी । और गेट बंद कर लड़का अंदर चला गया ।

लगता है माँ ने गलत पता बता दिया है एक और बार कंफर्म करता हूँ ।

मैं... हेल्लो माँ ।

माँ.... हाँ बोल बेटा ।

मैं.... माँ एक बार पता फिर बताना । 

पता पूछकर फिर फोन कट कर दिया । पर यह क्या दोनो पता एक ही है अब कैसे पता करूँ । मैं अब भी उसी गेट पर था और असमंजस में फंसा था । मैंने अब मासी को कॉल किया...

मैं... हेल्लो मासी ।

मासी... कब आ रहा है मेरा बच्चा जल्दी आ । 

मैं.... मासी अभी आ रहा हूँ पता बताओ ।

मासी... तू कहाँ है यह बता मैं खुद आती हूँ तुझे लेने ।

मैं... अरे आप क्यों परेशान हो रही है पता तो बता दो । इतने में फ़ोन कट ।


अरे यार यह फ़ोन भी अभी कट होना था । मैं यह सब सोच ही रहा था एक बार फिर वो गेट खुला और अब मैं वहाँ सबको जानता था सिवाय उस लड़के को छोड़कर..


कहानी जारी रहेगी....
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