RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
इनायत:"लेकिन अगर अब्बू जाग गये तो?"
मैं:"तो मैं हूँ ना,उनको मैं पहले ही पसंद हूँ, मैं कॉसिश करूँगी कि मैं उनको अपनी बातों मे फुस्लाये रखूं, वो मेरी अदा से
वहीं पर जमे रहेंगे, लेकिन तुम अपनी मा की ज़रूरत का पूरा ध्यान रखना"
इनायत:"ठीक है तुम उनको बुला लाओ, फिर तुम ही पहले बात शुरू करना, मैं पहले कुछ नहीं करूँगा"
मैं:"ठीक है, मैं उनको अभी बुला लाती हूँ"
ये कहकर मैं सास के कमरे मे चली गयी, वो लोग सोने की तैय्यारि कर रहे थे, मुझे देख कर ससुरजी की आँखो मे चमक आ गयी
मैं:"अम्मी आज रात मैं अब्बू के पास सोना चाहती हूँ"
सास:"क्या? और इनायत?"
मेरी बात सुनकर तो जैसे ससुरजी खिल उठे लेकिन मेरी सास थोड़ा टेन्षन मे आ गयी
मैं:"हां अम्मी, अब्बू मुझे बहुत अच्छी तरहा प्यार करते हैं, मैने इनायत से कह दिया है कि अब्बू बीमार हैं और अम्मी दिन भर की थकि हैं, दोनो एक दूसरे की देख भाल नही कर सकते, और इसलिए मैं अब्बू को सारी रात देखती रहूंगी और अम्मी चाहे तो मेरे कमरे मे सो जायें"
ससुरजी:"हां आरा कोई बात नही तुम मेरे साथ सो जाओ"
सास:"अर्रे लेकिन मैं इनायत के कमरे के कैसे सोने जाउ"
मैं:"अम्मी वो नींद की दवा लेते हैं कभी कभी तो वो पहले ही सो गये हैं"
सास:"और शौकत, ताबू और साना"
मैं:"साना को तो आप जानती ही हैं कि जल्दी सोती है और सुबह ही उठती है, शौकत और ताबू चुदाई का खेल खेल रहें हैं"
सास:"लेकिन तुम्हारे यहाँ सोने के ख़तरा है"
मैं:"कोई ख़तरा नहीं है, मैं फिर वापस अपने कमरे में चली जाउन्गि, अगर किसी ने पूछा तो कह दूँगी कि अब्बू को बुखार और और मैं उनके लिए जाग रही हूँ"
सास:"आरा आज तो मैं चली जाती हूँ लेकिन कल ऐसा दोबारा नहीं होगा"
मैं:"ठीक है मेरी अच्छी सासूजी, आप कितनी अच्छी हैं,चलिए मैं आपको छोड़ आती हूँ अपने कमरे में"
ससुरजी:"वो खुद चली जाएगी, आरा तुम मेरे पास आओ"
मैं:"मेरे राजा थोड़ा वेट करो ना, मैं अभी आती हूँ"
सास:"चलो, ठीक है"
मैने बाहर आकर अपनी सास को सारा मामला समझा दिया कि कैसे इनायत उनकी चूत लेने के लिए बेताब है.पहले तो वो ना नुकुर करने लगी कि तुम्हारे ससुर को मालूम पड़ जाएगा लेकिन मैने भरोसा दिलाया कि मैं आज रात ससुरजी को बाहर आने का मौका ही नही दूँगी तो वो राज़ी हो गयी.मैं जैसे ही अपने कमरे मे आई तो इनायत और मेरी सास दोनो एक दूसरे को देख कर थोड़ा शरमा से गये लेकिन मैने सिचुयेशन को हॅंडल कर लिया.
मैं:"आरे आप लोग एक दूसरे को देखते ही रहोगे कि कुछ आगे भी बढ़ोगे,चलो अपने कपड़े उतारो"
सास:"आरा, तुम कितनी बेशरम होती जा रही हो"
मैं:"जिसने की शरम उसके फूटे करम, चलो इनायत जल्दी करो, मुझे अब्बू के पास भी जाना है, कहीं वो जाग ना जायें"
वो लोग कभी एक दूसरे को देखते तो कभी दीवार या छत को तो मैने सोचा कि मैं ही कुछ करूँ.मैने अपनी सास की नाइटी के बटन खोलने शुरू कर दिए और उनसे कहा कि वो अपने दोनो हाथ उपर कर लें, पहले तो उन्होने बनावटी नखड़ा दिखाया लेकिन फिर मेरे इसरार करने पर हाथ उपर उठा लिए, मैने उनकी नाइटी उनके जिस्म से अलग कर दी, अब वो एक हाथ से अपने सीने को छिपा रहीं थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत ढक रही थी,उनका सिर झुका हुआ था और वो शर्म से लाल हो रही थी, उधर इनायत का मूह खुला था और वो साँस थामे ये सब बे यकीनी से देख रहा था.अब मैने अपनी सास के दोनो हाथ हटा दिए और इनायत की तरफ आँख मार कर कहा
मैं:"देखो मैने कहा था ना कि तुम्हारी मा बड़ी खूबसूरत हैं"
इनायत:"हां"
मैं:"अम्मी आप बिस्तर पर लेट जाओ"
मेरी सास बिस्तर पर लेट गयी उन्होने अपनी आँखें बंद कर रखी थी, मैने इनायत से कहा कि वो दरवाज़ा लॉक कर ले लेकिन जाते जाते मैं अपनी सास की टाँगो को चौड़ा किया और उनकी चूत पर एक ज़ोर दार किस कर लिया, इससे ये हुआ कि उन्होने अपनी हालत खोल ली, उन्होने देखा कि मैं हूँ तो वो बोल पड़ी.
सास:"आरा शरारत मत करो"
मैं:"शरारत तो आज आपका बेटा करेगा आपकी चूत मे अपना लॉडा पेल कर"
ये कह कर मैं बाहर आ गयी और इनायत ने डोर लॉक कर दिया अब मैं अपने ससुर के कमरे में आ चुकी थी.
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