MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 12:23 PM,
#20
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
मैने टाइम तो 11:15 बज गया था. मुझे इतनी रात गये कीर्ति के कमरे का दरवाजा खटखटाना सही नही लगा और मैं वहाँ से लौट आया. मैं अपने कमरे की तरफ जा ही रहा था कि, तभी मुझे अमि निमी के कमरे से, कीर्ति की आवाज़ सुनाई देती है और मैं वही खड़ा हो जाता हूँ.

एक पल के लिए मेरे मन मे उनकी बातें सुनने का ख़याल आता है. मगर अगले ही पल मुझे कीर्ति की छुप कर, बातें सुनने की हरकत याद आ जाती है और मैं वहाँ से मुस्कुराते हुए, अपने कमरे मे वापस आ जाता हूँ.

कमरे मे आकर मैं लेट जाता हूँ और सोचने लगता हूँ कि, अमि निमी तो मेरे सामने ही अपने कमरे मे गयी थी. तब तो कीर्ति मुझे उन के कमरे मे जाते नही दिखी. फिर ये अमि निमी के कमरे मे कब चली गयी.

ये बात सोचते सोचते मुझे याद आता है कि, कीर्ति के कमरे मे जाने के पहले, जब मैं टीवी बंद कर रहा था, शायद तब ही कीर्ति उनके कमरे मे गयी होगी. इसके बाद मैं कीर्ति के बर्तडे मे देने वाले गिफ्ट के बारे मे सोचने लगता हूँ और यही सोचते सोचते मेरी नींद लग जाती है.

सुबह जब मेरी नींद खुलती है तो, अमि निमी स्कूल के लिए तैयार हो रही होती है. मैं भी फ्रेश होकर स्कूल के लिए तैयार होने लगता हूँ. चंदा मौसी नाश्ता देकर जाती है और फिर अमि निमी मेरे कमरे मे आ जाती है. उन्हे देख कर, मैं उनसे पूछता हूँ.

मैं बोला “क्या कीर्ति कल तुम लोगों के कमरे मे सोई थी.”

अमि बोली “जी भैया, दीदी को उनके कमरे मे नींद नही आ रही थी, इसलिए वो रात को हमारे कमरे मे सोने आ गयी थी.”

मैं बोला “क्या वो सोकर उठ गयी है.”

अमि बोली “वो उठ तो गयी थी. लेकिन अपने कमरे मे जाकर फिर से सो गयी है.”

मैं बोला “ठीक है, अब तुम लोग स्कूल जाओ.”

निमी बोली “भैया आप भूल गये, आज हम को कीर्ति दीदी के लिए गिफ्ट लेने चलना है.”

मैं बोला “नही मुझे याद है. तुम लोगों ने सोच लिया कि, क्या गिफ्ट लेना है.”

निमी बोली “अभी तो नही सोचा है, पर जब हम बाजार चलेगे तो, वही पसंद कर लेगे.”

मैं बोला “ठीक है, हम स्कूल से लौट कर गिफ्ट लेने चलेगे.”

निमी बोली “लेकिन भैया, यदि हम घर से साथ मे चलेगे तो, दीदी भी साथ चलेगी और उन्हे पता चल जाएगा कि, हम उन्हे क्या गिफ्ट देने वाले है.”

मैं निमी की बात का मतलब समझ गया था कि, वो क्या चाहती है. मगर फिर भी मैने नादान बनते हुए पूछा.

मैं बोला “तो फिर हमे क्या करना चाहिए.”

निमी बोली “आप हमारे स्कूल आ जाना. हम वही से गिफ्ट खरीदने चलेगे और फिर अलग अलग घर आ जाएगे.”

मैने फिर अपनी नादानी दिखाते हुए कहा.

मैं बोला “पर जब हम घर आएगे, तब तो वो गिफ्ट देख लेगी.”

निमी बोली “आप तो कुछ भी नही समझते है. हर बात समझाना पड़ता है. अरे हम गिफ्ट को अपने अपने बॅग मे छुपा कर लाएगे.”

निमी की इस बात पर मैं अपनी हँसी ना रोक पाया और उस से कहा.

मैं बोला “चल ठीक है, हम ऐसा ही करेगे. अब तुम लोग स्कूल जाओ."

उन्हों ने मुझे समय पर अपनी स्कूल आ जाने का जताया और फिर वो दोनो स्कूल चली गयी. नाश्ता करने के बाद, मैं भी स्कूल के लिए निकल गया.

दोपहर को स्कूल के बाद, मैं अमि निमी के स्कूल पहुचा. दोनो मेरा ही इंतजार कर रही थी. मैने उनको बाइक बैठाया और फिर हम लोग बाजार के लिए निकल गये. बाजार पहुचने के बाद तो, निमी ने हद ही कर दी.

वो हमें कम से कम एक घंटे तक, इस दुकान से उस दुकान, उस दुकान से इस दुकान घुमाती रही. मगर उसे कोई गिफ्ट ही पसंद नही आ रहा था. जब बहुत देर तक उसे कोई गिफ्ट पसंद नही आया तो, मैने निमी से कहा.

मैं बोला “देख तेरे चक्कर मे, हम भी अभी तक कोई गिफ्ट नही ले पाए है.”

निमी बोली “क्या करूँ भैया, मुझे समझ मे ही नही आ रहा है कि, मैं क्या गिफ्ट लूँ. ऐसा कीजिए, आप लोग अपने गिफ्ट लीजिए, तब तक मैं भी कोई गिफ्ट पसंद कर लेती हूँ.”

फिर मैने और अमि ने गिफ्ट देखना शुरू किया. मैने कीर्ति के लिए ब्रेस्लेट और अमि ने एक हॅंडबॅग लिया. मगर अमि का हॅंडबॅग, निमी को पसंद आ गया और वो कहने लगी कि, वो तो ये ही लेगी.

अमि उसकी आदत को अच्छे से जानती थी. इसलिए उसने वो हॅंडबॅग उसे ही दे दिया और उसने एक मोबाइल कवर पसंद कर लिया. वो मोबाइल कवर सच मे ही बहुत ही सुंदर लग रहा था. जिसे देख कर निमी का मन बदल गया और वो अमि को मस्का लगाते हुए कहने लगी.

निमी बोली “दीदी आप मुझसे बड़ी हो. मुझे लगता है कि, आपको ये हॅंडबॅग देना चाहिए. मैं तो छोटी हूँ, मुझे तो ये मोबाइल कवर भी चल जाएगा. आप ये हॅंडबॅग ले लीजिए और मैं इस मोबाइल कवर से ही काम चला लुगी.”

मगर अमि अब निमी को मोबाइल कवर देने को तैयार नही हुई और उसने निमी से कहा.

अमि बोली “नही, अब मुझे हॅंडबॅग नही लेना. अगर तुझे हॅंडबॅग पसंद नही है तो, तू कोई दूसरा गिफ्ट पसंद कर ले. लेकिन मैं तो, अब ये मोबाइल कवर ही लुगी.”

ये सुनकर निमी गुस्सा हो गयी और अपनी भोहे चढ़ाकर कहने लगी.

निमी बोली “मुझे तो ये हॅंडबॅग बहुत पसंद है. मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे भले के लिए ही बोल रही थी. ताकि कीर्ति दीदी को ये ना लगे कि, तुम्हारा गिफ्ट अच्छा नही है.”

निमी की बात सुनकर अमि दुविधा मे पड़ गयी. उसे लगा कि सच मे उसका गिफ्ट अच्छा नही है और यही पक्का करने के लिए, वो मेरी तरफ देखने लगी. मैं उसके इस तरह देखने का मतलब समझ गया और मैने उस से मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “ये निमी तुमको बुद्धू बना रही है. ये मोबाइल कवर बहुत ज़्यादा सुंदर है. इसलिए ये तुमको बहका कर, मोबाइल कवर लेना चाहती है. लेकिन ये हॅंडबॅग भी बहुत अच्छा है. तुम ऐसा करो, ये हॅंडबॅग तुम ले लो और निमी को ये मोबाइल कवर दे दो.”

मेरी बात मानकर, अमि ने मोबाइल कवर निमी को दे दिया और हॅंडबॅग खुद ले लिया. गिफ्ट लेने के बाद, हम लोग घर आ गये. घर आकर मैने उनको घर के बाहर ही छोड़ दिया और उनके अंदर जाने के थोड़ी देर बाद, मैं भी अंदर आ गया.

अंदर पहुच कर मैने देखा कि, अमि निमी कीर्ति के साथ बैठी बातें कर रही है. मुझे ये देख कर बहुत खुशी हुई. मैं मुस्कुराते हुए अपने कमरे मे आ गया. कुछ देर बाद मैं, मूह हाथ धोकर नीचे आ गया. तब तक छोटी माँ ने खाना लगा दिया था.

सब लोग खाना खाने बैठ गये और आपस मे बातें करने लगे. कीर्ति सब से बात कर रही थी. मगर मुझसे कोई बात नही कर रही थी. मैं चुप चाप खाना ख़ाता रहा और उन सब की बातें सुनता रहा.

मैं उसकी इस नाराज़गी की वजह जानता था. लेकिन अब वो मुझे बात करने का कोई मौका ही नही दे रही थी. फिर भला मैं उसकी नरजगी को कैसे दूर करता. कीर्ति के मुझसे बात ना करने की वजह से, मुझे उसके पास होते हुए भी, दूरी का ऐएहसास हो रहा था और मुझे ये सब बहुत ज़्यादा आखर रहा था.

अब मुझे मन ही मन कीर्ति पर गुस्सा भी आ रहा था. इसलिए मैने कुछ देर बाहर घूम आने का सोचा. खाना खाने के बाद मैं, अपने कमरे मे आकर तैयार हुआ और फिर नीचे आकर छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, मैं बाहर जा रहा हूँ. शाम तक वापस आउन्गा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति मुझे देखने लगी. वही छोटी माँ ने मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “बेटा, कीर्ति घर मे है और तू बाहर जा रहा है. कम से कम जब तक वो घर मे है, तब तक तो बाहर मत जा.”

मैं बोला “छोटी मा बहुत दिन से मेहुल से नही मिला हूँ. वो आज स्कूल भी नही आया था, इसलिए उसका पता करने, उसके घर जा रहा हूँ. कीर्ति तो वैसे भी सारे समय आप और अमि निमी के साथ रहती है. मेरे होना ना होना उसके लिए एक बराबर है.”

मेरी बात सुनकर शायद कीर्ति को गुस्सा आ रहा था. उसने बुरा सा मूह बनाते हुए छोटी माँ से कहा.

कीर्ति बोली “जाने दो ना मौसी. मैं अपनी वजह से किसी को परेशान करना नही चाहती.”

छोटी माँ बोली “अरे तुम दोनो ये कैसी बातें कर रहे हो. तुम भी अमि निमी की तरह झगड़ा करने लगे.”

अपना नाम सुनकर अमि निमी को हँसी आ गयी और अमि कहने लगी.

अमि बोली “मम्मी, भैया को जाने दो. दीदी का ख़याल रखने को, हम दोनो है ना.”

अमि की बात सुन कर छोटी माँ ने उसे फटकार लगाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “चुप कर शैतान. खुद तो उस से लड़ती रहती है और अब उसका ख़याल रखने की बात कर रही है.”

छोटी माँ की इस बात के जबाब मे कीर्ति ने भी अमि की बात की तरफ़दारी करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मौसी अमि ठीक ही तो कह रही है. आप पुन्नू को जाने दीजिए. मेरे साथ अमि निमी तो है.”
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