RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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कुछ देर बाद मैं प्लेन से उतरा और आज बिताए हुए पलों को याद करते हुए, एरपोर्ट से बाहर निकलने लगा. अभी मैने कुछ ही कदम आगे बढ़ाए होगे कि, तभी कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने कॉल उठाया तो उसने कहा.
कीर्ति बोली “जान, कैसे हो. वहाँ कब पहुचे.”
मैं बोला “अच्छा हूँ. बस अभी अभी पहुचा हूँ. अभी प्लेन से उतरा ही था कि, तेरा कॉल आ गया. तू बता तू कैसी है.”
कीर्ति बोली “मैं तो अच्छी हूँ जान. बस तुम्हारे जाते ही फिर तुम्हारी याद सताने लगी है.”
मैं बोला “हाँ, याद तो मुझे भी तेरी सता रही है. लेकिन क्या करूँ, मेरा यहाँ होना भी तो ज़रूरी है.”
कीर्ति बोली “कोई बात नही जान. बस कुछ दिनो की ही तो बात है. फिर तो हमे एक दूसरे के साथ ही रहना है.”
मैं बोला “ठीक है. अब तू फोन रख. मैं राज के घर पहुच कर, तुझसे बात करता हूँ.”
कीर्ति बोली “ठीक है जान. लेकिन उसके पहले निक्की से बात करके, वहाँ का हाल चल जान लो.”
मैं बोला “अच्छी बात है. मैं अभी निक्की से बात कर लेता हूँ. अब तू फोन रख. मुउहह”
कीर्ति बोली “ओके जान, मैं फोन रखती हूँ. मुउउहह.”
इसके बाद कीर्ति ने फोन रख दिया. उसके फोन रखते ही मैं एरपोर्ट से बाहर आ गया और निक्की को फोन लगाने लगा. निक्की ने कॉल उठाया तो, मैने कहा.
मैं बोला “मैं मुंबई पहुच गया हूँ. यहाँ का हाल चल कैसा है.”
निक्की बोली “यहाँ सब ठीक है. सुबह मेरे यहाँ आते ही मेहुल ने मुझे, आपके जाने का बता दिया था और दोपहर को अमन भैया ने मेहुल से मिलकर उसे बताया था कि, उन ने अपने काम से आपको भेजा है. हमने जैसा सोचा था. सब कुछ वैसा ही हुआ है.”
मैं बोला “थॅंक्स, क्या अभी आप हॉस्पिटल मे ही है.”
निक्की बोली “हाँ, अभी मैं हॉस्पिटल मे ही हूँ. कुछ देर पहले ही मैं अंकल के पास से नीचे आई हूँ और राज उपर गया है.”
मैं बोला “मेहुल कहाँ है.”
निक्की बोली “मेहुल अभी घर मे ही है. वो 10 बजे तक आएगा.”
मैं बोला “ठीक है, मैं सीधे हॉस्पिटल ही आ रहा हूँ.”
ये कह कर मैने फोन रख दिया और टॅक्सी देखने लगा. अभी मैं टॅक्सी के लिए आगे बढ़ा ही था कि, मेरे सामने एक टॅक्सी आकर रुक गयी. मैने देखा तो, वो अजय था. मैं टॅक्सी मे बैठा तो, अजय ने कहा.
अजय बोला “सॉरी यार, मुझे आने मे ज़रा देर हो गयी.”
मैं बोला “लेकिन मैने तो तुम्हे आने के लिए कहा ही नही था. फिर तुमने बेकार मे तकलीफ़ क्यो की.”
अजय बोला “मुझे मालूम था कि, तुम्हारी वापसी की फ्लाइट 8:45 की है. इसलिए तुम्हे लेने चला आया. ये बताओ अभी तुम कहाँ जाओगे.”
मैं बोला “अभी तो मैं सीधे हॉस्पिटल जाउन्गा. निक्की भी अभी वही है.”
अजय बोला “वैसे तो तुम्हे, निक्की से यहाँ का सारा हाल चल पता चल ही गया होगा. फिर भी मैं तुम्हे बता देता हूँ कि, अमन ने तुम्हारे दोस्त से मिलकर उसे बता दिया था कि, तुम उसके काम से गये हो और रात तक वापस आ जाओगे.”
मैं बोला “हाँ, ये सब मुझे निक्की बता चुकी है. मेरी अभी उस से फोन पर बात हुई थी.”
अजय बोला “और सूनाओ, तुम्हारी गर्लफ्रेंड से तुम्हारी मुलाकात कैसी रही.”
मैं बोला “बहुत अच्छी रही.”
इसके बाद अजय से मेरी कीर्ति को लेकर ही बात चलती रही. कीर्ति से हुई, मेरी मुलाकात को लेकर अजय बहुत खुश था. मगर उसका इस तरह से दोहरा जीवन जीना, अभी भी मेरे लिए एक राज़ बना हुआ था.
लेकिन उसके राज़ मे से एक परत, शायद कीर्ति हटा चुकी थी. फिर भी कीर्ति की बात सही थी या नही, इसकी पुष्टि अजय से करना बाकी था. मगर अभी इन सब बातों को करने का ये सही समय नही था. इसलिए मैं अजय से इस बारे मे, कोई बात नही कर रहा था.
हम दोनो ऐसे ही बात करते करते हॉस्पिटल पहुच गये. हॉस्पिटल पहुचते ही हमे निक्की मिल गयी. हमारी थोड़ी बहुत निक्की से बात हुई. फिर मैं अजय को उसके साथ छोड़ कर, उपर अंकल के पास चला गया.
मैने अंकल से उनकी तबीयत पुछि. फिर उन्हे घर का सारा हाल चाल बताता रहा. राज से भी मेरी थोड़ी बहुत बात हुई. थोड़ी देर अंकल के पास रुक कर, मैं वापस नीचे आ गया.
मैं नीचे आया तो निक्की अकेली बैठी थी. मैने उस से अजय के बारे मे पुछा तो, उस ने बताया कि, वो चले गये. फिर मैने निक्की से पुछा.
मैं बोला “रिया और प्रिया का क्या हाल है. उनमे से किसी ने मेरे बारे मे कुछ पुछा.”
मेरी बात सुनकर निक्की मेरी तरफ गौर से देखने लगी. फिर मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “हाँ, दोनो ने तुम्हारे बारे मे पुछा था. रिया तो मेरी बात सुनकर कुछ नही बोली. लेकिन प्रिया ने सवालों की झड़ी लगा दी थी.”
मैं बोला “प्रिया क्या बोल रही थी.”
निक्की बोली “वो जो कुछ भी बोल रही थी. वो आपको उस से मिलकर पता चल जाएगा. मैने तो उसे जैसे तैसे टाल दिया. अब आप ही उसे झेलो.”
मैं बोला “कुछ तो बताइए.”
निक्की बोली “अभी कुछ नही बता सकती. मेहुल आ गया है.”
निक्की की बात सुनकर मैने पिछे की तरफ देखा तो, मेहुल हमारे ही पास आ रहा था. उसने मेरे पास आते ही पुछा.
मेहुल बोला “तू कब आया. आया था तो, मुझे कॉल क्यो नही किया. मैं तुझे लेने आ जाता. घर मे सब कैसे है. मम्मी कैसी है.”
एक ही साँस मे मेहुल ने बहुत सारे सवाल कर दिए. मैं एक एक करके, उसके हर सवाल का जबाब देता रहा और उसे घर के सब लोगों का हाल चाल बताता रहा. सबके बारे मे सुनकर मेहुल कुछ भावुक सा हो गया था. फिर कुछ देर बाद वो उपर अंकल के पास चला गया.
मेहुल के जाने के बाद मैने निक्की से प्रिया के बारे मे जानना चाहा. लेकिन मेरी निक्की से ज़्यादा बात ना हो सकी और राज नीचे आ गया. राज के आने के बाद, हम तीनो घर आ गये.
हम घर पहुचे तो खाने की तैयारी चल रही थी. मैने खाना खाने से मना किया तो, आंटी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खाने के लिए बैठा दिया. आंटी के लिए मेरे दिल मे अब बहुत इज़्ज़त थी. इसलिए मैं उनके कहने पर, खाने के लिए इनकार ना कर सका.
खाने पर घर के सभी लोग थे. मेरी थोड़ी बहुत दादा जी और अंकल से बात हुई. रिया ने भी मुझसे एक दो बात की. लेकिन प्रिया सारे समय चुप चाप खाना खाती रही और मेरी तरफ देख भी नही रही थी.
मैं समझ गया था कि, प्रिया मुझसे नाराज़ है. लेकिन ना जाने क्यो, मुझे प्रिया की ये नाराज़गी अच्छी नही लग रही थी. मैं उस से बात करना चाहता था. मगर उस समय मेरे पास चुप रहने के सिवा कोई रास्ता नही था.
खाना खाने के बाद मेरी दादा जी से, मेरे घर के बारे मे बात चलती रही. मैं दादा जी को, अमि निमी के बारे मे बताता रहा. फिर 11:30 बजे मैं सबको गुड नाइट बोल कर अपने कमरे मे आ गया.
कमरे मे आकर मैने अपने कपड़े बदले और बेड पर लेट गया. लेटे लेटे मैं कीर्ति के कॉल आने का इंतजार करने लगा. लेकिन कुछ ही देर बाद, मुझे नींद के झपके आने लगे. मुझे लगा कि मैं यदि ऐसे ही लेटा रहा तो, जल्दी ही मुझे नींद आ जाएगी और मैं कीर्ति से बात नही कर पाउन्गा.
मैं कीर्ति की आदत भी अच्छी तरह से जानता था कि, यदि उसकी मुझसे बात ना हुई तो, वो सारी रात मेरे कॉल आने का इंतजार करती रहेगी. यही सब सोच कर मैने कीर्ति को कॉल लगा दिया और फिर उसके कॉल आने का इंतजार करने लगा.
थोड़ी ही देर बाद कीर्ति का कॉल आ गया. मैने कॉल उठाया और उस से पुछा.
मैं बोला “अभी तक तूने कॉल क्यो नही लगाया. मैं कब से तेरे कॉल का इंतजार कर रहा था.”
कीर्ति बोली “मैं अमि निमी के सोने का इंतजार कर रही थी. वो जैसे ही सोई, मैने तुम्हे कॉल कर दिया.”
मैं बोला “चल कोई बात नही. अमि निमी तुझे परेशान तो नही कर रही है.”
कीर्ति बोली “नही जान, वो मुझे बिल्कुल भी परेशान नही कर रही. लेकिन तुमने ऐसा क्यो पुछा.”
मैं बोला “आज उन्हो ने जो कुछ भी किया. उस से यही लग रहा था कि, उन्हे तेरा मेरे साथ जाना पसंद नही आया. मैने उसके लिए उन्हे समझाया भी था.”
कीर्ति बोली “जान, तुम भी ना, ज़रा ज़रा सी बात को सोचते रहते हो. वो अभी छोटी है. उन्हे इतनी समझ ही कहाँ है कि, वो कुछ समझ सके.”
मैं बोला “मैं जानता हूँ. लेकिन मैं नही चाहता कि, उनके नन्हे से मन मे, ये बात घर करे कि, तू उनके भाई को उनसे छीन रही है.”
कीर्ति बोली “ऐसा कुछ भी नही होगा जान. मेरे उपर विस्वास रखो. जब तक तुम वापस आओगे. तब तक मैं उन्हे अपनी दीवानी बना लुगी.”
मैं बोला “यदि तू ऐसा कर ले तो, बहुत अच्छी बात है. मैं तुम तीनो को हमेशा एक साथ ही देखना चाहता हूँ.”
कीर्ति बोली “ऐसा ही होगा जान. तुम बिल्कुल चिंता मत करो. अब तुम आराम करो. हम कल बात करते है.”
मैं बोला “इतनी जल्दी. अभी तो मैने तुझसे कोई बात ही नही की है.”
कीर्ति बोली “जान, ना तो बात कहीं भागी जा रही है और ना ही मैं कहीं भागी जा रही हूँ. लेकिन आज तुम बहुत थके हुए हो. मेरी वजह से दो दिन से तुम्हारी नींद पूरी नही हो पाई है. इसलिए आज तुम आराम करो. हम कल बात करेगे.”
कीर्ति की ये बात सुनकर मेरे दिल को बहुत सुकून महसूस हुआ. उसे इतनी दूर रह कर भी मेरी हालत का अंदाज़ा और मेरा कितना ख़याल था. लेकिन अभी मेरा मन, उस से बात करने का कर रहा था. इसलिए मैने उस से कहा.
मैं बोला “लेकिन मुझे अभी नींद नही आ रही है. मुझे तुझसे बात करनी है.”
कीर्ति बोली “नही जान, आज मैं तुम्हारी एक बात नही सुनुगि. आज तुम्हे अच्छे बच्चे की तरह जल्दी सोना होगा.”
मैं बोला “ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी. गुड नाइट. मुउउहह.”
कीर्ति बोली “गुड नाइट जान. मुऊऊऊहह.”
इसके बाद कीर्ति ने कॉल रख दिया. मैने भी अपना मोबाइल एक किनारे रखा और आँख बंद करके, कीर्ति के बारे मे सोचने लगा और यही सब सोचते सोचते, पता ही नही चला कि कब मेरी नींद लग गयी.
सुबह मेरी नींद किसी के दरवाजा खटखटाने पर खुली. मैने टाइम देखा तो, अभी 6 बजा था. मुझे समझते देर नही लगी कि, निक्की मुझे जगा रही है. मैं उठा और दरवाजा खोल कर निक्की को गुड मॉर्निंग कहा. उसने मुझे तैयार होने को कहा और चली गयी.
उसके जाने के बाद मैं फ्रेश होकर तैयार होने लगा. जिसमे मुझे 7 बज गये. तब तक निक्की भी चाय नाश्ता लेकर आ गयी. मैं उसके साथ ही चाय नाश्ता करने लगा. मेरी निक्की से कोई खास बात नही हुई और चाय नाश्ता करने के बाद 7:30 बजे मैं हॉस्पिटल के लिए निकल गया.
मेरे हॉस्पिटल पहुचने पर मेहुल घर आ गया. मैं अंकल के पास बैठा रहा और हर घंटे पर उपर नीचे होता रहा. इस बीच कीर्ति का फोन आया तो, मेरी उस से थोड़ी बहुत बात हुई. उसे स्कूल जाना था इसलिए मेरी उस से ज़्यादा बात नही हो सकी.
फिर 9 बजे निक्की आ गयी. उसे इस समय देख कर मुझे थोड़ा ताज्जुब हुआ. मैने उस से पुछा कि, आज आप बड़ी जल्दी आ गयी है. तब उसने कहा कि, मैं नीचे जाकर देखु. मुझे सब समझ मे आ जाएगा. वो शायद अंकल के सामने कुछ कहना नही चाहती थी.
मैं निक्की की बात सुनकर नीचे आ गया. नीचे आकर मैने इधर उधर देखा मगर मुझे कोई नज़र नही आया. मैं जहाँ बैठता था, उस जगह की तरफ बढ़ गया. लेकिन वहाँ पहले से ही कोई लड़की बैठी थी.
उसे वहाँ बैठी देख कर मैं आगे बढ़ गया. लेकिन तभी मुझे एक जानी पहचानी आवाज़ सुनाई दी. जिसे सुनकर मैं चौके बिना ना रह सका. मैने पलट कर देखा तो, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.
वो आवाज़ प्रिया की थी. मैं जिसे अंजान लड़की समझ कर, आगे बढ़ गया था. वो लड़की कोई और नही प्रिया ही थी. वो इस समय पिंक कलर का सलवार सूट पहने हुई थी. जिस वजह से मैं उसे पिछे से पहचान नही पाया था. वो मुझसे कह रही थी.
प्रिया बोली “उधर कहाँ जा रहे हो. क्या मैं तुम्हे इधर बैठी नज़र नही आ रही.”
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए, उसकी तरफ बढ़ गया और उस के पास बैठते हुए मैने कहा.
मैं बोला “आज तुम्हे इन कपड़ों मे देख कर, मैं सच मे तुम्हे पहचान नही पाया.”
लेकिन प्रिया अभी भी, मुझसे ना जाने किस बात पर नाराज़ थी. उसने मूह बनाकर कहा.
प्रिया बोली “हाँ, मैं तुम्हे क्यो पहचान मे आओगी. मैं तुम्हारी होती ही कौन हूँ.”
मैं बोला “नही, ऐसी बात नही है. तुम्हे इस लिबास मे देखने की, मुझे ज़रा भी उम्मीद ही नही थी. इसलिए मैने तुम्हारी तरफ ध्यान ही नही दिया. लेकिन कुछ भी कहो, आज तुम लग बहुत प्यारी रही हो. मेरा तो दिल कर रहा है कि, बस तुम्हे देखता ही रहूं.”
मेरी इन बातों से प्रिया की नाराज़गी कुछ हद तक कम हुई और उस ने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “रहने दो, ज़्यादा मस्का मत लगाओ. मैं इतनी सुंदर भी नही हूँ. जो तुम मुझे देखते रहोगे.”
मैं बोला “मैं कोई मस्का नही लगा रहा हूँ. तुम सच मे बहुत सुंदर हो और सुंदर तो, तुम उन कपड़ों मे भी बहुत लगती हो. लेकिन इन कपड़ों मे, तुम सिर्फ़ सुंदर ही नही, बल्कि बहुत प्यारी भी लग रही हो.”
मेरी बात सुनकर प्रिया मुस्कुराए बिना ना रह सकी. लेकिन जल्दी ही उसने अपनी मुस्कुराहट छुपा ली और कहने लगी.
प्रिया बोली “तुम्हे बातें बनाना बहुत अच्छी तरह से आता है. ये बताओ कल दिन भर कहाँ गायब रहे.”
मैं बोला “कल मैं डॉक्टर अमन के काम से अपने शहर चला गया था. सुबह जल्दी निकल गया था, इसलिए तुम्हे बता कर नही जा सका.”
मैने ये बात प्रिया को अपनी सफाई देने की नियत से कही थी. लेकिन मेरी बात सुनकर प्रिया की नाराज़गी खुलकर सामने आ गयी.
प्रिया बोली “मैं कौन होती हूँ तुम्हारी, जो तुम मुझे कुछ बता कर जाओगे. तुम्हारी सग़ी तो निक्की थी. जिसे तुमने आधी रात को जगा कर, अपने जाने के बारे मे बताया था.”
मैं बोला “प्रिया तुम ग़लत सोच रही हो. मैने तुम्हे इस लिए नही जगाया था. क्योकि तुम बहुत गहरी नींद मे सोती हो और सुबह देर से उठती हो. मुझे डॉक्टर अमन के काम से अचानक जाना पड़ रहा था और दरवाजा बंद करने के लिए मुझे, उस समय निक्की के सिवा कोई दूसरा समझ मे ही नही आया. यदि डॉक्टर अमन को उस समय ज़रूरी काम नही होता तो, मैं तुम्हे बता कर ज़रूर जाता.”
प्रिया बोली “तुम झूठ बोल रहे हो. मैं सब जानती हूँ. तुम सब मिले हुए हो. तुम इतनी रात मे किसी काम से नही, बल्कि उस लड़की से मिलने गये थे.”
प्रिया की ये बात सुनकर तो, एक पल के लिए मुझे साँप ही सूंघ गया. मुझे समझ मे ही नही आया कि, इसे ये बात कैसे पता चली. लेकिन अगले ही पल मेरे दिमाग़ मे आया कि, इसे कुछ नही मालूम. इस समय ये गुस्से मे है और इसके दिल मे जो आ रहा है. वो बकती जा रही है. यही सोचते हुए मैने, प्रिया को अपनी सफाई देते हुए कहा.
मैं बोला “जैसा तुम सोच रही हो. ऐसा कुछ भी नही है. तुम चाहो तो मेरे घर फोन करके पता कर लो. मेरे वहाँ पहुचते ही मेरी माँ और बहन मुझे एरपोर्ट लेने आई थी और मैं उनके साथ घर गया था. अब यदि मैं उस लड़की से मिलने ही वहाँ गया होता तो, फिर अपने घर क्यो जाता और अपने घर वालों को क्या जबाब देता.”
लेकिन प्रिया भी इतनी जल्दी हार मानने वाली नही थी. उसने फिर अपना सवाल करना सुरू कर दिया. उसने कहा.
प्रिया बोली “तुम्हारा कहना है कि, तुम वहाँ जाकर भी उस लड़की से नही मिले हो.”
मैं बोला “ऐसा मैने कुछ भी नही कहा. मैं तो सिर्फ़ ये कह रहा था कि, मैं वहाँ अपने काम से गया था. अब जब मैं वहाँ गया ही था तो, उस से क्यो नही मिलता. मैं थोड़ी देर के लिए उस से भी मिला हूँ. लेकिन मैं वहाँ गया अपने काम से ही था.”
मेरी बातों पर शायद प्रिया को यकीन आ गया था. लेकिन फिर भी अपने यकीन को पक्का करने के लिए, उसने बड़े ही भोलेपन से, मुझसे पुछा.
प्रिया बोली “तुम सच बोल रहे हो ना. तुम सच मे ही डॉक्टर अमन के काम से घर वापस गये थे.”
प्रिया के इस भोलेपन के सामने मुझे अपना, उस से झूठ कहना चुभने लगा था. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं उसकी इस बात के सामने क्या कहूँ. अब मेरी उस से झूठ कहने की ताक़त जबाब दे चुकी थी.
आख़िर कुछ भी था. वो लड़की जो कुछ भी कर रही थी, सिर्फ़ मेरे लिए ही कर रही थी. उसे मालूम था कि, मैं उसका नही बन सकता. इसके बाद भी वो खुद को, मेरे साँचे मे ढालने की कोसिस कर रही थी. उसका ये प्यार और भोलापन मुझे उस से झूठ बोलने से रोक रहा था.
मैं अभी अपने ही ख़यालों मे खोया हुआ था. तभी प्रिया ने मुझसे फिर पुछा.
प्रिया बोली “चुप क्यो हो. मेरी बात का जबाब तो दो.”
प्रिया की बात सुनकर मैने अपने आपको संभाला और उस से कहा.
मैं बोला “क्या जबाब दूं. मैं सब कुछ तो तुम्हे बता चुका हूँ.”
प्रिया बोली “बस इतना कह दो कि, अभी तुमने जो कुछ भी कहा है. सब सच कहा है.”
प्रिया की इस बात का मैं, चाहते हुए भी, कोई जबाब नही दे पा रहा था. जब मुझसे उसकी बात का जबाब देते नही बना. तब मैने बात को बदलते हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “लेकिन तुम्हे ऐसा क्यो लग रहा है कि, मैं झूठ बोल रहा हूँ.”
प्रिया बोली “मुझे नही मालूम. लेकिन मेरा दिल कह रहा है कि, तुम किसी काम से नही. उसी लड़की से मिलने वापस घर गये थे.”
मैं बोला “तो क्या सिर्फ़ मेरे बोल देने से, तुम्हारे दिल को ये यकीन हो जाएगा कि, मैं सच बोल रहा हूँ.”
प्रिया बोली “हाँ, मुझे यकीन हो जाएगा कि, तुम सच बोल रहे हो.”
इतना बोलकर प्रिया चुप हो गयी और मेरे जबाब देने का इंतजार करने लगी. लेकिन मैं अभी भी चुप ही था. मैं मन ही मन फ़ैसला करने की कोशिश कर रहा था कि, मैं प्रिया की इस बात का क्या जबाब दूं.
प्रिया से मुझे एक अजीब सा लगाव हो गया था. जो मुझे उसके भोलेपन के सामने झुकने और सच बोलने पर मजबूर कर रहा था. आख़िर मे जीत प्रिया के भोलेपन की हुई और मैने उस से कहा.
मैं बोला “प्रिया, तुम्हारा दिल जो कह रहा है. वही सच है. मैं उसी लड़की से मिलने ही घर वापस गया था. वो मेरे बिना एक पल भी, रह नही पा रही थी और उसने रो रो कर अपना बुरा हाल कर लिया था. वो मुझे एक बार देखना चाहती थी. इसलिए मुझे अचानक, आधी रात को घर वापस जाना पड़ा.”
अपनी बात बोलकर मैं प्रिया का चेहरा देखने लगा. मुझे नही मालूम था कि, मेरे इस सच को जानने के बाद प्रिया की क्या प्रतिक्रिया रहेगी. वो इस सच को जानकार मुझसे नाराज़ होती है या फिर पहले की ही तरह बात करती है.
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