RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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फ्रेश होने के बाद मैं तैयार होने लगा. मैं अभी तैयार हुआ ही था कि, तभी प्रिया चाय नाश्ता लेकर आ गयी. वो भी तैयार होकर आई थी. इस समय उसने पिंक सलवार सूट पहना हुआ था और अब उसके चेहरे पर उसकी जानी पहचानी मुस्कान भी वापस आ चुकी थी.
उसके चेहरे की ये मुस्कान शायद मेरे साथ घूमने जाने की वजह से वापस आई थी. मगर शायद ये ही उसकी सबसे बड़ी खूबी भी थी कि, वो हर बात मे अपने आपको बहुत जल्दी ढाल लेती थी. ऐसा ही कुछ अभी भी हुआ था.
जहा अभी कुछ देर पहले अभी उसका चेहरा किसी फूल की तरह मुरझाया हुआ था. वही अब उसका चेहरा किसी कली की तरह खिला हुआ था. उसे खुश देख कर, मुझे भी बहुत राहत महसूस हुई.
मैं नही चाहता था कि, आज भी कल के जैसे कुछ हो और फिर से कोई हमारे साथ जाने के लिए पिछे लग जाए. मैं ऐसा कुछ होने से पहले ही घर से निकल जाना चाहता था. इसलिए मैं जल्दी जल्दी चाय नास्टा करने लगा. मुझे इस तरह हड़बड़ी मे चाय नाश्ता करते देख, प्रिया ने हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “अरे नाश्ता करने की इतनी जल्दी क्या है. नाश्ता कही भागा नही जा रहा है. आराम से नाश्ता करो.”
मैं बोला “मुझे पता है कि, नाश्ता कहीं नही भगेगा. मगर किसी के हमारे पिछे लगने से पहले, मैं ज़रूर यहाँ से भागना चाहता हूँ. इसलिए तुम भी बेकार की बातों मे समय बर्बाद मत करो और जल्दी से नाश्ता करो.”
प्रिया मेरी इस बात का मतलब समझ गयी थी. इसलिए उसने मुझसे सवाल करते हुए कहा.
प्रिया बोली “लेकिन जल्दी नाश्ता करने से क्या होगा. ड्राइवर तो 8 बजे के बाद ही आएगा और उसके आने तक तो हमको यही रुकना पड़ेगा.”
मैं बोला “नही, हम इतनी देर तक ड्राइवर के आने का इंतजार नही कर सकते. हम राज की बाइक लेकर चलते है. राज को कहीं जाना होगा तो, वो कार से चला जाएगा.”
मेरी बात सुनते ही प्रिया नाश्ता करना छोड़ कर खड़ी हो गयी और कमरे से बाहर जाने लगी. मुझे उसकी इस हरकत का मतलब समझ नही आया तो, मैने उसे टोकते हुए कहा.
मैं बोला “अब तुमको क्या हुआ. तुम कहाँ जा रही हो.”
मेरी बात सुनकर प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “मैं राज भैया की बाइक की चाबी लेकर और हमारे घूमने जाने के बारे मे मोम को बता कर आती हूँ.”
मैं बोला “लेकिन पहले तुम चाय नाश्ता तो कर लो.”
प्रिया बोली “अब मैं चाय नाश्ता बाहर ही करूगी. तुम अपना चाय नाश्ता करो, तब तक मैं वापस आती हूँ.”
इतना कह कर, प्रिया कमरे से बाहर निकल गयी. अब प्रिया ने बाहर नाश्ता करने की बात सोच ली थी तो, मैने भी जल्दी से चाय पी और उठ कर बाहर हॉल मे आ गया. तभी प्रिया भी मेरे पास आ गयी और उसने कहा.
प्रिया बोली “क्या हुआ, क्या तुमने भी चाय नाश्ता नही किया.”
मैं बोला “मेरे लिए सिर्फ़ चाय ज़्यादा ज़रूरी थी. वो मैने पी ली है. अब नाश्ता तो मैं तुम्हारे साथ ही करूगा.”
मेरे बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए मुझे बाइक की चाबी थमा दी और फिर हम दोनो घर से बाहर आ गये. मैं राज की बाइक बाहर निकल ही रहा था कि, तभी निक्की की कार हमारे पास आकर रुकी.
निक्की ने इतनी सुबह सुबह हम दोनो को कहीं जाने की तैयारी मे देखा तो, वो कार से उतर कर सीधे हमारे पास आ गयी और फिर हम से कहा.
निक्की बोली “अरे आप दोनो इतनी सुबह सुबह कहाँ जा रहे है.”
मैं निक्की की इस बात का जबाब देने ही वाला था कि, प्रिया ने उस पर भड़कते हुए कहा.
प्रिया बोली “क्या तुझे इतनी भी अकल नही है कि, कही जाते समय किसी को टोकना नही चाहिए. जो तूने आते ही हम लोगों को टोकना सुरू कर दिया.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मैं हैरत से उसको देखने लगा. लेकिन निक्की ने मुस्कुराते हुए प्रिया से कहा.
निक्की बोली “मैने तुम्हारे जाने पर कोई टोक नही लगाई. मैं तो बस इतना कहना चाहती थी कि, यदि तुम लोग चाहो तो, मेरी कार लेकर जा सकते हो.”
प्रिया शायद कार मे जाना नही चाहती थी. इसलिए मेरे मूह से बाइक की बात सुनते ही, चलने की जल्दी करने लगी थी कि, कही मेरा इरादा ना बदल जाए. लेकिन निक्की की अपनी कार ले जाने वाली बात सुनते ही वो निक्की को गुस्से मे घूर्ने लगी.
निक्की भी शायद इस बात को समझ चुकी थी. लेकिन वो अब भी प्रिया को देख कर, मुस्कुरा ही रही थी. निक्की की इस हरकत से सॉफ समझ मे आ रहा था कि, वो जान बुझ कर प्रिया को तंग कर रही है.
शायद निक्की को हमारे घूमने जाने की बात पहले से ही पता थी. इसलिए शायद वो इतनी सुबह सुबह यहाँ आ गयी थी. लेकिन अभी मैं इन सब बातों मे उलझना नही चाहता था. इसलिए मैने बाइक मे बैठते हुए निक्की से कहा.
मैं बोला “नही, हम लोगों को आपकी कार नही चाहिए. आज हम लोगों ने बाइक से मुंबई घूमने की बात सोची है.”
मेरी बात सुनते ही प्रिया जल्दी से बाइक मे आकर बैठ गयी. लेकिन निक्की भी उसका पिछा छोड़ने के मूड मे नही लग रही थी. उसने फ़ौरन ही हमारी बाइक के सामने आते हुए कहा.
निक्की बोली “अरे मुझे छोड़ कर कहाँ भागे जा रहे हो. मुझे भी आप लोगों के साथ बाइक पे घूमना है.”
निक्की की बात सुनकर, प्रिया ने उस पर भड़कते हुए कहा.
प्रिया बोली “कामिनी, यदि अब तूने हमारे पिछे लगने की कोसिस की तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा और यदि इसके बाद तूने अपने मूह से एक शब्द भी बाहर निकाला तो, मैं तेरा मूह तोड़ दुगी.”
प्रिया की ये बात सुनकर, निक्की के साथ साथ मेरी भी हँसी छूट गयी. निक्की मुस्कुराते हुए बाइक के सामने से हट कर प्रिया के पास आ गयी. उसने प्रिया की पीठ पर प्यार से एक मुक्का मारा और फिर हम दोनो से बाइ कहा. हमने दोनो ने भी उसे बाइ किया और फिर मैने बाइक आगे बढ़ा दी.
मुंबई की सड़कें मेरे लिए अंजान थी. इसलिए मेरे बाहर निकलते ही प्रिया मुझे रास्ता बताने लगी. वो बहुत खुश नज़र आ रही थी और उसकी ये खुशी उसकी बातों से ही झलक रही थी. अभी हम कुछ ही दूरी पर पहुचे तो, प्रिया ने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “तुमने अपना पर्स तो रख लिया है ना. वरना कुछ खरीदी करने के समय कहने लगो कि, मैं अपना पर्स भूल आया हूँ.”
प्रिया की इस बात पर मेरी हँसी छूट गयी. मैने हंसते हुए कहा.
मैं बोला “तुम फिकर मत करो, मेरा पर्स मेरे पास है. लेकिन सोच समझ कर खर्च करवाना. क्योकि अब मेरे पास ज़्यादा पैसे नही बचे है.”
प्रिया बोली “फिर भी तुम्हारे पास अभी कितने पैसे होगे.”
मैं बोला “मुश्किल से चार पाँच हज़ार होगे. लेकिन 4-5 घंटे घूमने के लिए इतने पैसे बहुत होगे.”
प्रिया बोली “नही, इतने पैसे से कुछ नही होगा. हमे थोड़ी बहुत शॉपिंग भी करनी है. तुम कुछ पैसे ऑर निकाल लो.”
मैं बोला “हमने कल ही तो इतनी सारी शॉपिंग की है. अब तुमको ऑर किस चीज़ की शॉपिंग करनी है.”
प्रिया बोली “जब मैं शॉपिंग करूगी, तब तुमको समझ मे आ जाएगा. अभी तो तुम सिर्फ़ कोई एटीएम देख कर, पैसे निकालो.”
मैने उस से पैसे निकालने के बारे मे कोई बहस नही की, लेकिन उस से शॉपिंग कर ज़रूर पुछ्ता रहा और वो मुझे टालती रही. इसी बीच एक एटीएम नज़र आ गया और मैने उसके सामने आकर बाइक रोक दी.
एटीएम रूम मे आकर मैने प्रिया से पुछा कि कितने पैसे निकालना है और उसके कहने पर मैने दस हज़ार रुपये निकाल लिए. इसके बाद जैसे ही ट्रांजेक्सन स्लिप लेने को हुआ तो, प्रिया ने फ़ौरन मेरे हाथ से वो स्लिप ले ली और देखने लगी. स्लिप देखने के बाद, प्रिया ने चौकते हुए कहा.
प्रिया बोली “हे, तुमको पता है की, तुम्हारे खाते मे कितना पैसा है.”
प्रिया की इस बात पर मैने ना मे अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा.
मैं बोला “नही, मुझे बस इतना पता है कि, जब मैं घर से चला था तो, मेरे खाते मे तीन लाख रुपये थे. फिर बाद मे शिखा दीदी की शादी की बात सुनकर, छोटी माँ ने भी कुछ पैसे मेरे खाते मे डाले थे. लेकिन उनके खुद ही यहाँ आ जाने से मुझे पैसे निकालने की ज़रूरत ही नही पड़ी.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने ऑर भी ज़्यादा हैरान होते हुए कहा.
प्रिया बोली “लेकिन इन पैसों को निकाल लेने के बाद तो, तुम्हारे खाते मे सिर्फ़ 500 रुपये ही बचे है. फिर तुम्हारे बाकी के पैसे खाते मे से कहाँ गये.”
प्रिया की बात सुनकर, मैने उस पर झल्लाते हुए कहा.
मैं बोला “ओये सुबह सुबह ऐसा मज़ाक मत करो. मैं जानता हूँ कि, तुम झूठ कह रही हो.”
ये कहते हुए मैं प्रिया के हाथ से ट्रॅन्सॅक्षन स्लिप छीन कर देखने लगा. लेकिन स्लिप को देखते ही, मैं भी हैरान होकर रह गया. मुझे हैरान होते देख प्रिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और उसने मुझसे कहा.
प्रिया बोली “तुम्हारे खाते मे पूरे 25 लाख ज़्यादा है. जिसका मतलब है कि, आंटी ने पहले तुम्हे शिखा दीदी की शादी मे खर्च करने के लिए 25 लाख रुपये दिए थे. लेकिन फिर उनके खुद ही यहाँ आ जाने से, उनका खर्चा ऑर भी बढ़ गया. सच मे तुम्हारी मोम बहुत ग्रेट है.”
प्रिया की इस बात ने मुझे एक बार फिर सोच मे डाल दिया. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, मेरा बाप इतना पैसा खर्च करने के लिए कैसे तैयार हो गया. मैं अभी ये बात सोच ही रहा था कि, तभी प्रिया ने मुझे टोकते हुए कहा.
प्रिया बोली “अरे अब तुम किस सोच मे पड़ गये. जल्दी चलो, हमारे पास इतना टाइम नही कि, हम एक ही जगह पर इतनी देर तक रुके रहे.”
प्रिया की बात सुनते ही मैं उसके साथ एटीएम रूम से बाहर निकल आया. बाहर आकर मैने बाइक चालू की और प्रिया के बैठते ही बाइक आगे बढ़ा दी. प्रिया मुझे रास्ता बताती जा रही थी और मैं उसके बताए रास्ते पर बाइक दौड़ाता जा रहा था.
वो रास्ते मे पड़ने वाली खास जगह और इमारतों के बारे मे भी मुझे बताती जा रही थी. ऐसे ही घूमते फिरते हम लोग सिद्धि विनायक मंदिर पहुच गये. वहाँ पहुच कर मैं बाइक पार्क करने लगा और प्रिया प्रसाद लेने चली गयी.
अभी सिर्फ़ 7:45 बजे थे और ये पहला मौका था, जब मैं किसी मंदिर मे इतनी सुबह सुबह दर्शन करने के लिए पहुचा था. मगर इतनी सुबह सुबह ही, वहाँ की भीड़ भाड़ और लंबी कतार को देख कर, मेरी हालत खराब होने लगी.
तभी प्रिया प्रसाद और फूल माला लेकर आ गयी. उसने प्रसाद और फूल माला मुझे पकड़ाते हुए, दर्शन करने चलने के लिए कहा तो, मैने उसे रोकते हुए कहा.
मैं बोला “यार, हम बप्पा को यहीं से प्रणाम कर लेते है. यदि इतनी भीड़ भाड़ मे हम दर्शन करने अंदर गये तो, हमे सिर्फ़ यहीं पर 4-5 घंटे लग जाएगे और फिर हमे यही से घर वापस लौटना पड़ जाएगा.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम इसकी फिकर मत करो. हमे दर्शन करने मे मुस्किल से 15 मिनट ही लगेगे. तुम बस मेरे साथ साथ चलते रहो.”
प्रिया की बात सुनकर, मैं प्रसाद की डलिया हाथ मे थामे, उसके साथ साथ चलने लगा. कुछ दूर चलने के बाद, वो एक पंडित जी के पास आकर रुक गयी और फिर उसने उन पंडित जी से कहा.
प्रिया बोली “हम दोनो को ही दर्शन करना है.”
प्रिया की बात सुनते ही पंडित जी ने, मेरे हाथ से प्रसाद की डलिया ले ली. प्रिया ने मुझसे उन पंडित जी को 500 रुपये देने की बात बोली तो, मैने 500 रुपये निकाल कर उनको दे दिए.
पंडित जी ने पैसे लेकर अपने कुर्ते की जेब मे डाले और फिर हम लोगों से अपने पिछे पिछे आने की बात बोल कर, प्रसाद की डलिया को दोनो हाथों से उपर उठा कर, राजधानी एक्सप्रेस की तरह, तेज़ी से कभी दाएँ तो कभी बाएँ भागने लगे.
मुझे और प्रिया को उन पंडित जी की चाल से, अपना साथ मिलाने के लिए, उनके पिछे पिछे दौड़ना पड़ रहा था. लेकिन जल्दी ही हमारी ये मेहनत रंग लाई और पंडित जी नाम की राजधानी एक्सप्रेस ने हमे बप्पा के बिल्कुल सामने लाकर खड़ा कर दिया.
हमने बड़े सुकून के साथ गणपति बप्पा के दर्शन किए और फिर हम लोग आराम से बाहर आ गये. बाहर आकर वहाँ की भीड़ भाड़ देख कर, मुझे ऐसा लग रहा था कि, जैसे मैं कोई बड़ी भारी जंग जीत कर बाहर आया हूँ.
जिसकी खुशी मेरे चेहरे से ही झलक रही थी और मुझे अभी भी यकीन नही हो रहा था कि, मैं इतनी जल्दी बप्पा के दर्शन करके आ गया हूँ. लेकिन तभी प्रिया ने मुझे टोकते हुए कहा.
प्रिया बोली “देख लो, अभी सिर्फ़ 8:30 बजा है और हम दर्शन करके भी बाहर आ गये.”
प्रिया की बात सुनकर, मैने मुस्कुरा दिया और फिर बाइक निकालने चला गया. बाइक बाहर निकालने के बाद, मैने प्रिया से कहा.
मैं बोला “अब कहाँ चलना है.”
प्रिया बोली “अब हम महालक्ष्मी मंदिर चलते है.”
ये बोलते हुए प्रिया बाइक मे बैठ गयी और मैने बाइक आगे बढ़ा कर, मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “क्या, मुंबई मे सिर्फ़ देखने के लिए मंदिर ही मंदिर है या तुम मुझे कोई पापी समझ कर, मेरे पाप दूर करने के लिए, मुझे भगवान के दर्शन करवाए जा रही हो.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मेरी पीठ पर एक जोरदार मुक्का मारते हुए कहा.
प्रिया बोली “हे, सुबह सुबह भगवान के दर्शन करने से दिन अच्छा जाता है और फिर ये सब यहाँ के प्रसिद्ध मंदिर है. इसलिए पहले यहाँ के दर्शन करवा रही हूँ. इसके बाद बाकी की खास खास जगह भी घुमा दूँगी.”
प्रिया की ये बात सुनने के बाद भी, मैं रास्ते भर उसको इसी बात को लेकर परेशान करता रहा. ऐसे ही हँसी मज़ाक करते हुए हम महालक्ष्मी मंदिर पहुच गये. महालक्ष्मी मंदिर मे सिद्धि विनायक की तरह ज़्यादा भीड़ भाड़ नही थी.
हमे महालक्ष्मी मंदिर मे बहुत आराम से तीनो देवियों के दर्शन करने को मिल गये. हम 9:30 बजे दर्शन करके फ़ुर्सत हो गये. मैने प्रिया से नाश्ता करने कर लेने को कहा तो, उसने कहा कि, हाजी अली दरगाह देखने के बाद नाश्ता करेगे.
हाजी अली दरगाह महालक्ष्मी मंदिर से कुछ ही दूरी पर थी. इसलिए हमे वहाँ पहुचने मे ज़्यादा देर नही लगी. कुछ ही देर मे हम हाजी अली दरगाह पहुच गये. हमने दरगाह के दर्शन किए और फिर वहाँ का नज़ारा देखने लगे.
समुंदर मे बनी इस दरगाह को देख कर, एक अलग ही आनंद की अनुभूति हो रही थी. इसलिए मैं यहाँ बैठ कर, कुछ देर समुंदर का नज़ारा देखना चाहता था. लेकिन प्रिया ने समय की कमी बताते हुए, मुझे वहाँ बैठने नही दिया और हम वहाँ से जल्दी ही बाहर निकल आए.
बाहर आने के बाद, फिर मैने प्रिया से नाश्ता कर लेने को कहा तो, उसने आगे एक रेस्टोरेंट होने की बात कह कर मुझे वहाँ चलने को कहा. मैं प्रिया के बताए रास्ते पर चलने लगा.
मुझे रास्ते मे जो भी रेस्टोरेंट दिखाई देता, मैं प्रिया से पुछ्ता, क्या ये वाला रेस्टोरेंट है. वो कहती नही, बस थोड़ी ऑर आयेज है. ऐसा दो तीन बार हुआ. ऐसे ही थोड़ी ऑर आगे, थोड़ी ऑर आगे करते करते, वो मुझे मुंबा देवी के मंदिर ले आई.
वहाँ पहुच कर, जब मुझे प्रिया की ये हरकत समझ मे आई तो, मैने बुरा सा मूह बना लिया. जिसे देख कर, प्रिया मेरा हाथ पकड़ कर मंदिर मे ले गयी और फिर दर्शन करने के बाद उसने बताया कि, मुंबा देवी के नाम पर बोम्बे का नाम मुंबई, पड़ा है.
मुंबा देवी के दर्शन करने के बाद, हम सीधे गटेवे ऑफ इंडिया आ गये. वहाँ आकर हमने गटेवे ऑफ इंडिया और ताज होटेल का एक साथ नज़ारा किया. लेकिन प्रिया ने वहाँ भी मुझे ज़्यादा देर नही रुकने दिया.
वहाँ पर कुछ देर रुकने के बाद हम, मरीन ड्राइव, गिरगाओं चोपॅटी और हेंगिंग गार्डन का नज़ारा करते हुए, सीधे जुहू बीच चोपॅटी पहुच गये. लेकिन जुहू बीच पहुचते ही, मैने प्रिया के सामने अपने हाथ उपर करते हुए कहा.
मैं बोला “अब बस करो मेरी माँ. मुझ ग़रीब पर थोड़ा रहम करो. सुबह 7 बजे से भूखा प्यासा मुझे अपने साथ घुमाए जा रही हो और अब दोपहर का 1 बज गया है. अब तो कुछ खा पी लेने दो, वरना मुझसे यहाँ से हिला भी नही जाएगा.”
ये कहते हुए मैं वही धम्म से वही बैठ गया. प्रिया मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उठाने की कोसिस करने लगी. लेकिन जब मैं उसके उठाने पर भी नही उठा तो, उसने मुझे मानते हुए कहा.
प्रिया बोली “अरे अब परेशान मत करो. चलो मैं तुमको मुंबई की सबसे मशहूर चीज़ें खिलाती हूँ.”
ये कहते हुए, उसने फिर से मेरा हाथ पकड़ कर उठाया और इस बार मैं उठ कर खड़ा हो गया. हम चलते हुए वहाँ के फुड स्टॉल्स पर आ गये. वहाँ आकर प्रिया ने एक स्टॉल के सामने पड़ी चेयर पर मुझे बैठने को कहा और वो खुद उस स्टॉल पर चली गयी.
मैं बहुत थक गया था, इसलिए मैं आराम से बैठ कर, प्रिया के वापस आने का इंतजार करने लगा. तभी प्रिया एक प्लेट मे बड़ा पाव लेकर आ गयी. उसे देखते ही, मैने बुरा सा मूह बनाते हुए कहा.
मैं बोला “अबे तुम 6 घंटे मुझे घूमने के बाद, यहाँ बैठा कर, बड़ा पाव खिला रही हो.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.
प्रिया बोली “क्या तुमने कभी बड़ा पाव खाया है.”
मैं बोला “नही खाया और मुझे ये खाना भी नही है.”
प्रिया बोली “यदि मुंबई आकर तुमने ये नही खाया तो, समझ लो, तुमने कुछ भी नही खाया. अब ज़्यादा नखरे मत करो और चुप चाप खा लो. वरना कुछ भी खाने को नही मिलेगा.”
मैने बेमन से एक बड़ा पाव उठा लिया और खाने लगा. मेरे साथ प्रिया भी बड़ा पाव खाने लगी. अभी हम बड़ा पाव खा कर फ्री हुए थे कि, तभी एक लड़का भेल पूरी लेकर आ गया.
मैने प्रिया की तरफ देखा, वो मुझे ही घूर रही थी. इसलिए मैं चुप चाप भेल पूरी खाने लगा. मैं भेल पूरी खा ही रहा था कि, तभी बरखा का कॉल आ गया. वो खाना खाने के लिए घर आने की बात पुच्छ रही थी.
मैने प्रिया से पुछा कि, उसे क्या जबाब दूं तो, प्रिया ने 3 बजे आने का इशारा किया और मैने ये ही बात बरखा से बोल कर, कॉल रख दिया. इसी के साथ मेरा भेल पूरी खाना भी हो चुका था और अब मेरा पेट पूरी तरह से भर चुका था.
लेकिन तभी एक लड़के ने पाव भाजी लाकर मेरे सामने रख दी. पाव भाजी देखते ही, मैने उठ कर खड़े होते हुए कहा.
मैं बोला “तुम पागल हो गयी हो क्या. पहले भूखा रख कर मार रही थी और अब खिला खिला कर मारना चाहती हो.”
मेरी बात सुनकर, प्रिया ने फिर मुझ पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम चुप चाप खाते हो या फिर मैं इसे ज़बरदस्ती तुम्हारे मूह मे ठूंस दूं.”
मैं बोला “कसम से यार, अब मेरे पेट मे इसके लिए ज़रा भी जगह नही है. यदि तुम ये पहले ही मॅंगा लेती तो, इतना सब खाने की ज़रूरत ही नही पड़ती.”
प्रिया बोली “इसलिए मैने पाव भाजी पहले नही मगाई थी. वरना तुम बड़ा पाव और भेल पूरी को हाथ भी नही लगाते.”
मैं बोला “लेकिन अब मैं कुछ नही खा सकता. ये तुम ही खा लो.”
प्रिया बोली “मुझे मालूम था कि, तुम इसे नही खा पाओगे. इसलिए मैने एक प्लेट पाव भाजी ही मँगवाई है. इस एक प्लेट पाव भाजी को, हम दोनो मिल कर तो, ख़तम कर सकते है ना.”
प्रिया की इस बात को सुनकर, मैं गौर से उसका चेहरा देखने लगा. उसके चेहरे पर इस समय ना तो ज़िद करके अपनी बात मनवाने वाले भाव थे और ना ही मेरे साथ कोई ज़बरदस्ती करके अपनी बात मनवाने वाले भाव थे.
उसके चेहरे पर यदि इस समय थे तो, सिर्फ़ आग्रह करने वाले भाव थे. जिन्हे मानना या ना मानना उसने मेरे उपर छोड़ दिया था. उसके चेहरे के इन भावों को देखते ही, मेरी आँखों मे अमि का चेहरा आ गया और मैं मुस्कुराते हुए वापस प्रिया के पास बैठ गया.
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