RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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वाणी के हमारे कान के नीचे जमा देने की बात सुनकर, पता नही नितिका को क्या हुआ था कि, वो अपने आपको रोक नही पाई और उसने जोश मे आते हुए वाणी से कहा.
नितिका बोली “दीदी, आप जिन्हे बित्ते भर के छोकरे कह रही है. उन दोनो ने मुंबई के डॉन खालिद के भाई को मारा है और खालिद से भी लड़ने से पिछे नही हटे थे.”
नितिका की इस बात ने जहाँ मेरे और मेहुल के होश उड़ा दिए थे. वही वाणी के साथ साथ बाकी सब भी हैरानी से हमारी तरफ देखने लगे थे. इस बात से सबसे ज़्यादा घबराहट छोटी माँ के चेहरे पर नज़र आ रही थी.
लेकिन इस से पहले की वो अपनी इस घबराहट को जाहिर कर पाती, वाणी ने नितिका की इस बात को सुनकर, उसका मज़ाक बनाते हुए कहा.
वाणी बोली “तू जानती भी है कि, तू क्या कह रही है. खालिद का सामना करना तो दूर की बात है. खालिद का नाम सुनकर ही, इन के जैसे लड़को की पॅंट गीली हो जाती है.”
वाणी की इस बात से नितिका को ऐसा लगा कि, वाणी को उसकी बात पर यकीन नही हो रहा है. इसलिए वो वाणी को यकीन दिलाने के लिए उसे वहाँ की सारी बातें बताने लगी. वाणी के साथ साथ सब उसकी बातें सुनने मे लगे थे.
लेकिन नितिका की इस हरकत ने मेरी परेशानी बढ़ा कर रख दी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अब मैं छोटी माँ को कैसे समझा पाउन्गा. मैने इसी गुस्से मे अपने पास बैठी कीर्ति से कहा.
मैं बोला “तुम्हारी ये नितिका तो मेहुल से भी ज़्यादा गयी गुज़री निकली.”
मेरी ये बात सुनते ही, मेरे पास खड़े मेहुल ने भनकते हुए कहा.
मेहुल बोला “अबे मेरा नाम क्यो ले रहा है. मैने तो धोके से मुंबई का नाम ले दिया था. लेकिन ये तो कैसे हंसते हंसते सारी पोल खोले जा रही है. उसके तो ये तक समझ मे नही आया कि, वाणी दीदी ने उसकी बात पर यकीन ना आने का नाटक, सिर्फ़ उस से ये सारी बात उगलवाने के लिए किया था.”
मेहुल की इस बात के जबाब मे मैने उस पर चिड़चिड़ाते हुए कहा.
मैं बोला “इस बात के पता चल जाने से तेरा तो कुछ नही बिगड़ेगा. लेकिन अब मुझे छोटी माँ के गुस्से से कोई नही बचा पाएगा. उन्हो ने मुंबई से वापस आते समय, मुझे बार बार समझाया था कि, मैं किसी से लड़ाई झगड़ा ना करूँ. मगर अब ये सब सुनने के बाद, पता नही, वो मेरा क्या हाल करेगी.”
मेरी इस बात को सुनकर, कीर्ति ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा.
कीर्ति बोली “वो तो कुछ बाद मे करेगी. लेकिन मुझे लगता है कि, वाणी दीदी ज़रूर कुछ करने वाली है. वो देखो, तुम दोनो को कैसे घूर कर देख रही है.”
कीर्ति की बात सुनते ही, मेरी नज़र वाणी की तरफ चली गयी. वो नितिका से बात करते करते हमारी तरफ ही देख रही थी. नितिका की बात ख़तम होते ही, वाणी ने छोटी माँ से कहा.
वाणी बोली “आपने सुन लिया ना मौसी, ये लोग मुंबई मे क्या गुल खिला कर आए है. जिस खालिद की बात अभी नितिका बता रही थी, वो सिर्फ़ मुंबई का डॉन नही है. बल्कि उसके नाम का सिक्का तो, हमारे पूना (पुणे) तक मे चलता है.”
“आप नही जानती कि, ये लोग कितनी बड़ी मुसीबत से बच कर आए है. ये तो इन लोगों की किस्मत अच्छी थी कि, ये सही सलामत हमारे सामने बैठे है. वरना इनकी इस हरकत से, कोई बहुत बड़ी अनहोनी भी हो सकती थी.”
वाणी की इस बात ने, नितिका की लगाई आग मे घी का काम कर दिया था और छोटी माँ का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था. वो मुझे गुस्से मे देखने लगी तो, मेरा सर खुद ही शर्मिंदगी से झुक गया.
कहाँ तो मेरी घर वापसी पर घर मे खुशियों का माहौल होना था और अब कहाँ मैं अपनी घर वापसी पर डर से सहमा हुआ बैठा था. ये सब सिर्फ़ वाणी की वजह से हो रहा था. यदि वो यहाँ ना होती तो, शायद यहा इतना धमाल भी नही हुआ होता.
लेकिन अब सवाल यहाँ पर वाणी के धमाल का नही था. बल्कि सवाल अब छोटी माँ के गुस्से का हो गया था. छोटी माँ मुझसे कभी भी किसी बात पर जल्दी नाराज़ नही होती थी. लेकिन यदि वो नाराज़ हो जाए तो, फिर उनको मनाना बहुत मुश्किल हो जाता था.
वो किसी से भी गुस्सा होती थी तो, उसे इतना बोलती बकती थी कि, उसके लिए उनका सामना करना भी मुश्किल हो जाता था. इसलिए छोटी माँ के गुस्से से सभी डरते थे. लेकिन मेरे मामले मे उनका गुस्सा दूसरी तरह का ही होता था.
वो जब कभी किसी बात पर मुझसे नाराज़ होती थी तो, मुझे कुछ बोलती, बकती नही थी. बल्कि बिल्कुल शांत हो जाती थी और किसी से भी ज़्यादा बात नही करती थी. ऐसा ही कुछ मुझे अभी भी होते नज़र आ रहा था.
नितिका और वाणी की बात को सुनकर, छोटी माँ का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था और वो मुझे घूर रही थी. लेकिन इसके बाद भी उन्हो ने, किसी से एक शब्द नही कहा था और गुस्से मे मुझे देखे जा रही थी.
उनके इस तरह देखने से, मुझे समझ मे आ गया था कि, वो मुझसे बहुत ज़्यादा नाराज़ है. जिस वजह से मैं उन से ज़्यादा देर तक नज़र नही मिला पाया था और मेरा सर शर्मिंदगी से झुक गया था.
लेकिन वाणी को ये बात समझ मे नही आई थी कि, मेरे बारे मे इतना सब सुन लेने के बाद भी, छोटी माँ ने मुझे कुछ कहा क्यो नही. इसलिए उसने छोटी माँ से कहा.
वाणी बोली “ये क्या बात हुई मौसी, इनकी सारी हरकत सुन लेने के बाद भी, आपने इन लोगों को कुछ नही कहा. आपकी इसी बात ने इन लोगों को सर पर चढ़ा लिया है.”
वाणी की ये बात सुनकर, मुझे थोड़ी तसल्ली हुई कि, अब शायद वाणी की बात को सुनकर, छोटी माँ मुझे थोड़ा बहुत बोल बक लेगी और उनका गुस्सा यही पर ख़तम हो जाएगा.
लेकिन ऐसा कुछ भी नही हुआ. हुआ वही, जिसका मुझे डर था. वाणी की बात सुनने के बाद, छोटी माँ ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए सब से कहा.
छोटी माँ बोली “डिन्नर का टाइम हो रहा है. मैं डिन्नर की तैयारी करती हूँ. तब तक बाकी सब भी डिन्नर करने के लिए तैयार हो जाए.”
इतना कह कर छोटी माँ, किसी की बात सुने बिना ही किचन की तरफ चली गयी. उनके इस तरह हम लोगों को बिना कुछ कहे चले जाने से, वाणी हैरान रह गयी. उसने छोटी माँ के गुस्से का भयानक रूप देखा था.
लेकिन वो ये नही जानती थी कि, छोटी माँ का मुझ पर गुस्सा करने का, ये सबसे ख़तरनाक तरीका था. जिसमे वो मुझे बिना कुछ बोले बेक ही, मेरा जीना हराम कर देती थी.
उधर वाणी छोटी माँ के मुझ पर गुस्सा ना करने से हैरान थी तो, इधर मुझे छोटी माँ के गुस्सा ना करने ने परेशान कर दिया था. कुछ देर के लिए बिल्कुल सन्नाटा सा छा गया था.
इस सन्नाटे को देख कर, मोहिनी आंटी अपने घर जाने की इजाज़त माँगने लगी. लेकिन रिचा आंटी उनसे यही खाना खाने के लिए कहने लगी. मगर मोहिनी आंटी ने इसके लिए मना कर दिया और फिर नितिका के साथ घर अपने घर चली गयी.
उनके जाने के बाद, मौसा जी, अनु मौसी, कमाल, वाणी और वाणी दीदी की मोम भी रिचा आंटी से जाने की इजाज़त माँगने लगे. रिचा आंटी ने उन लोगों के सामने भी खाना खा कर, जाने की बात रख दी.
लेकिन मौसा जी ने बताया कि, आज उनके एक दोस्त के यहाँ पार्टी है. वो सब वही जा रहे है. इस बात को सुनने के बाद, रिचा आंटी ने भी उनको रोकना ठीक नही समझा और उनको जाने की इजाज़त दे दी.
लेकिन सबके साथ, वाणी के भी जाने की बात सुनकर, मुझे अच्छा नही लगा. वाणी चाहे कितनी भी बदमिज़ाज क्यो ना हो. लेकिन उसका एक सच ये भी था कि, यदि कीर्ति के बाद वो किसी को सबसे ज़्यादा प्यार करती थी तो, वो मैं था.
मैं और कीर्ति उसके प्यार के दो पहलू थे. एक पर वो ज़रूरत से ज़्यादा प्यार लुटाती थी तो, दूसरे पर ज़रूरत से ज़्यादा गुस्सा करती थी. लेकिन इसके बाद भी इस सच्चाई को झुठलाया नही जा सकता था कि, वो मुझे बहुत प्यार करती थी.
यही वजह थी कि, वो मुझसे नाराज़ होने के बाद भी, खुद मुझे लेने एरपोर्ट आई थी. ये ही नही, उसकी यहाँ आने पर आदत थी कि, वो कभी भी मेरे या कीर्ति बिना कहीं नही जाती थी.
अब कीर्ति की तो तबीयत खराब थी. ऐसे मे वाणी का उसे अपने साथ ले जाने का कोई सवाल ही पैदा नही होता था. लेकिन उसके मौसा जी लोगों के साथ जाती समय, मुझसे एक बार भी चलने के लिए ना बोलना यही बता रहा था कि, वो मुझसे सच मे बहुत नाराज़ है.
ऐसे मे छोटी माँ के साथ साथ, वाणी की नाराज़गी ने भी मुझे परेशान करके रख दिया. अब छोटी माँ को तो अभी मनाया नही जा सकता था. लेकिन वाणी को मनाने की कोसिस ज़रूर की जा सकती थी. यही सोच कर, मैने वाणी को जाने से रोकते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, पार्टी तो मौसा जी के दोस्त की है. ऐसे मे आप वहाँ जाकर क्या करेगी. आप यहाँ हम लोगों के साथ ही खाना खा लीजिए ना.”
मेरी बात सुनकर, वाणी ने गौर से मेरी तरफ देखते हुए कहा.
वाणी बोली “मुझे ज़्यादा मस्का लगाने की कोसिस मत करो. ये मत सोचो कि, ये मीठी मीठी बात करके, तुम मेरा गुस्सा ख़तम कर सकते हो.”
वाणी की इस बात के जबाब मे मैने बड़े ही ठंडे दिमाग़ से कहा.
मैं बोला “दीदी, मुझे आपको मस्का लगाने की कोई ज़रूरत नही है. मैने ग़लती की है और इसके लिए आप मुझे जो सज़ा देना चाहो, दे सकती हो. मैं खुशी खुशी आपकी दी हुई, हर सज़ा के लिए तैयार हूँ. लेकिन सिर्फ़ सज़ा के डर से, मैं आपके साथ रहने का मौका छोड़ने को तैयार नही हूँ. यदि आप यहाँ रुकना नही चाहती तो, फिर आप मुझे अपने साथ लेकर चलिए.”
मेरी बात सुनकर, वाणी कुछ सोचने लगी. फिर उसने उसने मौसा जी के साथ जाने से मना कर दिया और मौसा जी लोग वाणी के बिना ही पार्टी मे चले गये. उनके जाने के बाद वाणी ने मुझसे कहा.
वाणी बोली “मेरे रुकने का ये मतलब नही है कि, मैने तुमको माफ़ कर दिया है. तुमको तुम्हारी ग़लती की सज़ा ज़रूर मिलेगी.”
वाणी की बात के जबाब मे मैने उस से कहा.
मैं बोला “दीदी, मैने कहा ना कि, आप मुझे जो सज़ा देना चाहे, दे सकती है. मैं आपकी हर सज़ा के लिए तैयार हूँ.”
वाणी बोली “ठीक है, तुम्हारी सज़ा का फ़ैसला कल करूगी. अभी तो तुम जाओ और डिन्नर के लिए फ्रेश होकर आओ.”
वाणी की बात सुनकर, मेरे और कीर्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन मेहुल के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गयी और वो मुझे गुस्से मे घूर कर देखने लगा.
लेकिन मैने उसके इस तरह से घूर्ने की परवाह नही की और मैं वापस कीर्ति के पास जाने के लिए पलट गया. लेकिन तब तक कीर्ति के पास, मेरी जगह पर शिल्पा आकर बैठ चुकी थी.
शिल्पा को कीर्ति के पास बैठा देख कर, मैं कीर्ति के पास ना जाकर सीधे मेहुल के कमरे मे चला गया. मेरे कमरे मे पहुचते ही, मेहुल भी मेरे पिछे पिछे भन्नाता हुआ वहाँ आ गया और फिर से मुझे फिर से गुस्से मे घूर कर देखने लगा.
वो मुझे इसलिए घूर कर देख रहा था. ताकि मैं उस से उसके इस तरह से घूर्ने का मतलब पुछु. लेकिन मैं उसके इस तरह से घूर्ने का मतलब अच्छी तरह से जानता था. इसलिए मैं उस से कुछ पुच्छ नही रहा था.
उसके इस तरह से घूर्ने की वजह ये थी कि, आज उसे इतने दिनो बाद शिल्पा से मिलने का मौका मिला था और शिल्पा अभी उसके सामने भी थी. लेकिन मैने वाणी को रोक कर उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था.
अब वो वाणी के यहाँ होने की वजह से शिल्पा के उसके सामने होते हुए भी, उस से नही मिल सकता था. मुझे मेहुल की इस हालत पर हँसी आ रही थी और अपनी इस हँसी को छुपाने के लिए, मैं बेड पर, उसकी तरफ पीठ करके लेट गया.
इस से पहले की मेहुल मुझे कुछ बोल बक पाता, हमारे कमरे मे कीर्ति और शिल्पा आ गयी. कीर्ति को आते देख कर, मैं उसको बैठने की जगह देने के लिए उठ कर बैठ गया. कीर्ति ने मेरे पास आकर बैठते हुए कहा.
कीर्ति बोली “नितिका का कॉल आया था. वहाँ से शिखा दीदी तुम लोगों को कॉल लगा रही है. मगर तुम दोनो के ही मोबाइल बंद आ रहे है. इसलिए उन्हो ने नितिका को कॉल लगाया था.”
कीर्ति की बात सुनते ही, मैने अपने मोबाइल निकल लिए. मैने प्लेन मे अपने मोबाइल बंद कर दिए थे. लेकिन प्लेन से उतरने के बाद मैं अपने मोबाइल चालू करना भूल गया था.
मैने अपने मोबाइल चालू किए और समय देखा तो, अब 9 बज गये थे. मेहुल अभी भी हमारे पास ही खड़ा हुआ था. उसे इस तरह से खड़ा देख कर, मैने गुस्से मे उस से कहा.
मैं बोला “अबे यहा खड़े खड़े मेरा मूह क्यो देख रहा है. क्या मुझे भी अपने साथ फ्रेश होने लेकर जाने की सोच रहा है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति और शिल्पा हँसने लगी और मेहुल मुझे आँख निकाल कर देखने लगा. लेकिन फिर कीर्ति और शिल्पा को देख कर, पैर पटकता हुआ, फ्रेश होने बाथरूम मे चला गया.
उसके जाते ही, मैने मुस्कुराते हुए, शिखा दीदी को कॉल लगा दिया. मेरा कॉल जाते ही, शिखा दीदी ने फ़ौरन ही मेरा कॉल उठा लिया और मुझसे शिकायत करते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया ये क्या है. मैं जब भी आपको कॉल करती हूँ, आपका कॉल ही नही लगता.”
शिखा दीदी की इस बात पर मैने उन से माफी माँगते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी दीदी, वो क्या है कि, प्लेन से उतरने के बाद, मैं मोबाइल चालू करना भूल गया था. अभी पता चला कि, आप मुझे कॉल लगा रही है तो, मैने फ़ौरन मोबाइल चालू करके, आपको कॉल लगा दिया.”
शिखा दीदी बोली “चलो कोई बात नही, घर मे सब अच्छे तो है ना.”
मैं बोला “दीदी, घर मे सब अच्छे है. लेकिन अभी तक मैं अपने घर नही पहुचा हूँ. अभी तो मैं मेहुल के घर पर ही हूँ.”
शिखा दीदी बोली “लेकिन ये तो ग़लत बात है ना. घर मे सब आपका रास्ता देख रहे होगे.”
शिखा दीदी की इस बात पर मैने हंसते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, मेरा सारा घर उठ कर तो यही आ गया है. छोटी माँ, अमि, निमी सब यहीं पर है. अब यहाँ से खाना खाने के बाद ही, हम घर जाएगे.”
शिखा दीदी बोली “चलो, ये तो और भी अच्छा है. इतने दिन बाद, सब लोग एक साथ मिल कर खाना खाएगे. आंटी तो आज आपको अपने हाथ से ही खाना खिलाएगी.”
शिखा दीदी की ये बात सुनते ही, मैने थोड़ा उदास होते हुए कहा.
मैं बोला “कहा दीदी, खाना खिलाना तो दूर की बात है. अब वो मुझसे अच्छे से बात ही कर ले. मेरे लिए ये ही बड़ी बात है.”
मेरी बात सुनकर, शिखा दीदी ने थोड़ा परेशान होते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “क्यो, क्या हुआ. क्या आंटी किसी बात से आपसे नाराज़ हो गयी है.”
मैं बोला “हां दीदी, वो नीति ने यहाँ आते ही, उनको खालिद वाली बात बता दी. जिसे सुनकर, वो मुझसे बहुत ज़्यादा नाराज़ है.”
ये कहते हुए मैने शिखा दीदी को यहाँ हुई सारी बात बता दी. जिसे सुनने के बाद, उन्हो ने भी नितिका पर गुस्सा निकालते हुए कहा.
शिखा दीदी बोली “ये नीति पागल है क्या. इसे आंटी को ये सब बताने की क्या ज़रूरत थी. अब आप आंटी को सॉरी बोल कर, उनको जल्दी से मना लो.”
मैं बोला “दीदी, यदि उनको मनाना इतना ही आसान होता तो, अब तक मैं उनको मना चुका होता. लेकिन अब वो तो मुझे अपनी सफाई देने का भी कोई मौका नही देगी. पता नही अब उनका ये गुस्सा कब और कैसे ख़तम होगा.”
मेरी ये बात सुनकर, शिखा दीदी भी परेशान हो गयी. अभी मेरी उन से इसी बारे मे बात चल ही रही थी कि, तभी उनके पास कोई आ गया और उन्हो ने मुझसे कहा.
शिखा दीदी बोली “भैया, हम सब डिन्नर कर रहे है. सीरू दीदी भी यही है और वो आपसे बात करना चाहती है. ये लीजिए, आप उनसे बात कर लीजिए.”
ये कहते हुए निशा दीदी ने सीरू दीदी को मोबाइल पकड़ा दिया. सीरू दीदी शायद मेरी और शिखा दीदी की बातें सुन चुकी थी. इसलिए उन्हो ने फोन लेते ही मुझसे कहा.
सीरत बोली “ये मैं क्या सुन रही हूँ. तुमने वाहा पहुचते ही ऐसा कौन सा बॉम्ब फोड़ दिया, जो आंटी तुमसे नाराज़ हो गयी.”
मैं बोला “दीदी, मैने यहाँ कोई बॉम्ब नही फोड़ा. ये तो उस बॉम्ब की गूँज है, जो मैने मुंबई मे फोड़ा था.”
ये कहते हुए मैने सीरू दीदी को भी नितिका वाली बात बता दी. जिसे सुनने के बाद, उन्हो ने हंसते हुए कहा.
सीरत बोली “अरे तो इसमे इतनी परेशानी वाली क्या बात है. तुम खाना पीना छोड़ दो. उनका गुस्सा खुद ख़तम हो जाएगा और वो उल्टा तुमको मनाने लगेगी.”
सीरू दीदी की ये बात सुनकर, मैने उनकी बात का मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
मैं बोला “आप से मुझे ऐसी बच्कानी बात की उम्मीद नही थी. मेरी मों मेरी अच्छी बुरी हर आदत को जानती है. यदि मैने ऐसा कुछ किया तो, वो मुझे कुछ नही कहेगी. लेकिन मेरी जो दो छोटी बहनें है ना, उनसे कहेगी कि, तुम्हारा भाई खाना नही खा रहा और तुम दोनो बेशर्मो की तरह खाना खा रही हो.”
“इतना कह कर, वो तो शांत हो जाएगी. मगर मेरी दोनो बहनें खाना खाना छोड़ देगी और फिर मैं दस सर का भी हो जाउ तो, वो मेरे खाना खाए बिना, एक निबाला भी अपने मूह मे डालने वाली नही है. आपकी ये सलाह मेरी परेशानी को कम करने वाली नही, बल्कि मेरी परेशानी को बढ़ा देने वाली सलाह है.”
मेरी इस बात को सुनकर, सीरू दीदी ने हंसते हुए कहा.
सीरत बोली “लगता है कि, तुम इस तरीके को पहले ही आजमा कर देख चुके हो.”
मैं बोला “हां, आजमा कर देखा था. तभी तो बताया कि, मेरे ऐसा करने से क्या होगा.”
सीरत बोली “फिकर मत करो. तुम निशा भाभी से करो, तब तक मैं तुम्हारा ये मामला रफ़ा दफ़ा कर देती हूँ.”
ये कहते हुए सीरू दीदी ने फोन निशा भाभी को दे दिया. निशा भाभी ने फोन लेते ही कहा.
निशा भाभी बोली “क्या हीरो, यहाँ से जाते ही, यहा सब सूना सूना कर दिया. सब तुमको यहाँ बहुत याद कर रहे है.”
मैं बोला “भाभी, याद तो मुझे भी आप लोगों की बहुत आ रही है. आप सबके बिना मुझे भी यहाँ बहुत सूना सूना लग रहा है.”
निशा भाभी बोली “कोई बात नही. दो चार दिन मे सब सही हो जाएगा. लेकिन तुमने जाते ही, बरखा के साथ बहुत बुरा किया.”
निशा भाभी की बात सुनकर, मैने थोड़ा परेशान होते हुए कहा.
मैं बोला “क्यो भाभी, मैने बरखा दीदी के साथ ऐसा क्या कर दिया.”
मुझे इस तरह परेशान होते देख कर, निशा भाभी ने हंसते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “अरे वो बेचारी कितना तुमको कॉल लगाती रही. लेकिन तुम हो कि, अपना मोबाइल चालू करने को ही तैयार नही थे. वो अभी कुछ देर पहले ही, तुमको याद करते करते घर गयी है.”
मैं बोला “सॉरी भाभी, मैं अभी थोड़ी देर बाद बरखा दीदी से भी बात कर लुगा.”
इसके बाद, निशा भाभी ने अमन को फोन दे दिया. अमन से बात करने के बाद, मैने अजय और बाकी सब से भी थोड़ी बहुत बात कि और फिर वापस फोन सीरू दीदी के हाथ मे आ गया. सीरू दीदी ने फोन पर आते ही कहा.
सीरत बोली “ये लो, मैने आंटी से बात करके तुम्हारा सारा मामला रफ़ा दफ़ा कर दिया.”
सीरू दीदी की ये बात सुनकर, मैने हैरान होते हुए कहा.
मैं बोला “क्या आप सच कह रही हो दीदी. लेकिन आपने छोटी माँ को इतनी जल्दी कैसे मना लिया.”
सीरत बोली “तुम आम खाओ, पेड़ मत जीनो और दोबारा फिर कभी ऐसी मुसीबत आए तो, सिर्फ़ सीरू देवी के नाम की माला जपना. वो तुम्हारे सारे कष्ट दूर करेगी बच्चा.”
ये बोल कर सीरू दीदी हँसने लगी और उनके साथ साथ मेरी भी हँसी छूट गयी. घर वापस आने के बाद, ये पहला मौका था, जब मैं खुल कर हंसा था. मुझे हंसते देख, कीर्ति के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी और उसने धीरे से शिल्पा के कान मे कुछ कहा, जिसे सुन ने के बाद, शिल्पा कमरे से बाहर चली गयी.
सीरू दीदी से थोड़ी बहुत बात और करने के बाद, मैने कॉल रख दिया. मेरे कॉल रखते ही, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ये सीरू दीदी भी कमाल है. वहाँ बैठे बैठे ही, तुम्हारी इतनी बड़ी परेशानी को, चुटकी बजाते ही हाल कर दिया और तुम्हारे चेहरे की हँसी भी वापस ले आई.”
मैं बोला “उनको शैतानो की नानी ऐसे ही नही कहा जाता. हर कोई उनके शैतानी दिमाग़ से डरता है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखते हुए कहा.
कीर्ति बोली “क्यो, क्या हमारी वाणी दीदी किसी से कम है. उनसे भी तो हर कोई डरता है.”
कीर्ति की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “हमारी वाणी दीदी किसी से कम नही, बल्कि बहुत ज़्यादा है. उनके पास सीरू दीदी से ज़्यादा तेज दिमाग़ और बरखा दीदी से ज़्यादा ताक़त है. सुंदरता मे तो, तू भी उनके सामने फीकी पड़ जाती है.”
“लेकिन उनकी सबसे बुरी बात ये है कि, उनका नाम भले ही वाणी हो, मगर काम बिल्कुल सूनामी वाला है. वो खराब ज़ुबान के मामले मे तो मोहिनी आंटी को भी बहुत पिछे छोड़ देती है.”
“यदि उनके पास मोहिनी आंटी की जगह शिखा दीदी वाली ज़ुबान होती तो, वो दुनिया की सबसे अच्छी दीदी कहलाती. मगर वो है कि, उन्हो ने तेरे सिवा किसी पर प्यार लुटाना सीखा ही नही है.”
“मुझे तो आज तक ये बात हजम नही हुई कि, हमारी दीदी किसी को लव करती है और उस से लव मॅरेज करने जा रही है. मुझे तो लगता है कि, हमारे होने वाले जीजू को हमारी दीदी ने ही “आइ लव यू” बोला होगा और हमारे जीजू बेचारे की उनको ना बोलने की हिम्मत ही ना हुई होगी.”
“तू देखना कि दीदी की शादी के बाद, यूएसए इंडिया मे ही आ जाएगा और हमारे जीजू नृ से इंडियन बन कर रह जाएगे. हमारे जीजू की किस्मत………”
अभी मैं अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था कि, धडाम की आवाज़ सुनकर, मेरी बात अधूरी छूट गयी. मैने और कीर्ति ने पलट कर देखा तो, मेहुल चारों खाने चित ज़मीन पर पड़ा था.
लेकिन उस से भी ज़्यादा डरने वाली बात ये थी कि, मेहुल के पास वाणी खड़ी थी और गुस्से मे मेरी तरफ ही देख रही थी. वाणी को इस तरह से अपने सामने पाकर, मेरे तो तोते ही उड़ गये.
मेहुल को क्या हुआ, कैसे हुआ, ये सब सोचने, समझने या किसी से पुच्छने की, अब मेरे अंदर ताक़त ही नही बची थी. वाणी के डर से मेरी ज़ुबान को लकवा मार गया था और मेरा कलेजा मूह को आने लगा.
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