RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मुझे भी उसकी इन हरकतों से बेहद सुकून मिल रहा था. इसलिए मैने उस पर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
मैं बोला “पागल हो गयी है क्या. कब से मुझे बेमतलब मे काटे जा रही है. अब तेरा यदि मुझे काटने से दिल भर गया हो तो, ये बता कि, तूने प्रिया को क्या एस एम एस किया था. ये देख उसका इसके पहले भी एक एस एम एस आया था.”
ये कहते हुए मैं कीर्ति को प्रिया का पहले वाला एस एम एस दिखाने लगा. जिसे देखने के बाद, कीर्ति ने थोड़ा संजीदा होते हुए कहा.
कीर्ति बोली “मैने प्रिया को एस एम एस से बताया था कि, तुम अभी मेहुल के घर पर ही हो. अपने घर पहुचते ही तुम उसको कॉल करोगे. वो इसी शर्त पर खाना खाने गयी थी कि, तुम घर पहुचते ही उसे कॉल करोगे.”
“वो शायद अभी तुम्हारे ही कॉल का इंतजार कर रही है. तुम ऐसा करो, पहले उस से बात कर लो. मैं अपना डिन्नर बाद मे कर लुगी.”
ये कहते हुए, वो शरारत भरी नज़रो से मुझे देखने लगी. मैने मूह बना कर उसकी तरफ देखा तो, वो मुझे कॉल लगाने का इशारा करके, मेरे सीने मे सर रख कर, लेट गयी.
अभी मैं निक्की को कॉल लगाने ही वाला था कि, तभी कीर्ति ने अपनी हॅंड फ्री मेरे हाथ मे थमा दी. मैने हॅंड फ्री लगाई और जैसे ही निक्की को कॉल लगाने को हुआ. कीर्ति ने मेरे एक कान से हॅंड फ्री को निकाल कर, अपने कान मे लगा लिया.
उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी आ गयी और मैने मुस्कुराते हुए, निक्की को कॉल लगा दिया. मेरा कॉल जाते ही, निक्की ने फ़ौरन मेरा कॉल उठाते हुए कहा.
निक्की बोली “आप तो सच मे बहुत मतलबी निकले. यहाँ से जाते ही, हमे भूल गये.”
निक्की की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “मैं तो किसी को भी नही भुला हूँ. लेकिन तुम ज़रूर मेरे वहाँ से आते ही, मुझे और मेरी बात को भूल गयी हो. वरना अभी भी मुझे आप आप कह कर नही पुकार रही होती.”
मेरी बात सुनकर, निक्की के हँसने की आवाज़ आई और फिर उसने मुस्कुराते हुए कहा.
निक्की बोली “किसी आदत को जाने मे थोड़ा वक्त तो लगता ही है. लेकिन मेरी इस आदत की आड लेकर, तुम अपनी ग़लती पर परदा डालने की कोसिस मत करो. यदि मैने अभी तुमको एस एम एस नही किया होता तो, तुमने अभी भी मुझे कॉल नही लगाया होता.”
मैं बोला “ऐसी बात नही है. मैं तो यहाँ आते ही, सबको कॉल लगाना चाहता था. लेकिन यहाँ आने के बाद, मुझे समय ही नही मिल पा रहा था.”
ये कहते हुए मैं उसे अपने यहाँ आने के बाद के हालत बताने लगा. मेरी अभी निक्की से बात चल ही रही थी कि, तभी प्रिया का कॉल आने लगा. प्रिया का कॉल आते देख कर, मैने ये बात निक्की को बताई और उसे गुड नाइट बोल कर कॉल रख दिया.
मेरे कॉल रखते ही, कीर्ति ने मेरे सीने से अपना सर उठा कर, मुझे हैरानी से देखते हुए कहा.
कीर्ति बोली “अरे तुमने कॉल क्यो रख दिया. लगे हाथ प्रिया से भी बात कर लेना था ना.”
मैं बोला “प्रिया से बात करने के लिए ही तो, मैने कॉल रखा है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे मुस्कुरा कर देखा और अपना सर ना मे हिलाते हुए, वापस मेरे सीने पर सर टिका कर बैठ गयी. मुझे उसके इस तरह से मुस्कुराने का मतलब समझ मे नही आया तो, मैने उस से पुछा.
मैं बोला “तू इस बात पर इस तरह से क्यो हंस रही है. क्या मैने कोई ग़लत बात कह दी.”
कीर्ति बोली “तुम बिल्कुल बुद्धू हो. उनके एक साथ आए एस एम एस को देख कर भी, इतनी सी बात तुम्हारी समझ मे नही आई कि, वो दोनो इस समय एक साथ है. अब बेकार की बातों मे समय बर्बाद मत करो और प्रिया से भी बात कर लो.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए, प्रिया को कॉल लगा दिया. मेरा कॉल जाते ही, प्रिया ने फ़ौरन कॉल उठाते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम बहुत बड़े झूठे हो. जब तुम्हे मुझसे बात करनी ही नही थी तो, झूठा वादा करने की क्या ज़रूरत थी. क्या किसी को इस तरह इंतजार करवाना अच्छी बात है.”
प्रिया की इस बात सुनकर, कीर्ति के साथ साथ मुझे भी हँसी आ गयी. कीर्ति इसलिए हंस रही थी, क्योकि कुछ देर पहले उसने भी प्रिया को लेकर, मुझसे यही बात कही थी. मैने हंसते हुए प्रिया की इस बात पर सफाई देते हुए कहा.
मैं बोला “तुम ग़लत सोचती हो. यदि मुझे तुमसे बात नही करनी होती तो, मैं अभी भी तुमको कॉल नही लगाता. मुझे अभी भी तुमको कॉल करने की क्या ज़रूरत थी.”
प्रिया बोली “अब अपनी सफाई देने की कोसिस मत करो. सच तो ये है कि, तुमको मुझसे बात ही नही करनी थी. वो तो मैने तुमको किसी के साथ बात करते रंगे हाथों पकड़ लिया है. वरना तुम बाद मे मुझसे कह देते कि, तुम्हारी नींद लग गयी थी.”
मैं बोला “अब तुम फिर ग़लत सोच रही हो. अभी मैं किसी और से नही, बल्कि निक्की से बात कर रहा था. तुम चाहो तो अभी निक्की से ये बात पुछ सकती हो.”
प्रिया बोली “मुझे किसी से कुछ नही पुच्छना. तुम्हारी ये बात यदि सच भी है. तब भी इसका मतलब ये ही होता है कि, तुम्हे सबसे आख़िरी मे मुझसे बात करने की याद आई है.”
मैं बोला “यार ऐसा कुछ नही है. तुम ज़रा मेरी परेशानी को भी समझने की कोसिस करो.”
ये कहते हुए, मैं निक्की की तरह प्रिया को भी अपने यहाँ आने के बाद की बातें बताने लगा. जिसे सुनने के बाद, प्रिया ने हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “नीति दीदी ने तुम्हारी सिर्फ़ वहाँ ही नही, बल्कि यहाँ भी तुम्हारी पोल खोल कर रख दी है.”
प्रिया की इस बात को सुनकर, मैने हैरान होते हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “क्यो, क्या हुआ. अब नीति ने वहाँ मेरे बारे मे क्या बोल दिया.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने हंसते हुए कहा.
प्रिया बोली “नीति दीदी से यहाँ सबको पता चल गया है कि, तुम प्लेन बैठते ही, लड़कियों की तरह फुट फुट कर रोने लगे थे.”
ये बात बोल कर, प्रिया एक बार फिर खिलखिला कर हँसने लगी. वही कीर्ति अपने मूह पर हाथ रख कर अपने आपको हँसने से रोकने की कोसिस करने लगी. प्रिया और कीर्ति दोनो को नीति की इस हरकत पर हँसी आ रही थी.
मगर मुझे नीति की इस हरकत पर चिड छूट रही थी. लेकिन मैने अपनी इस बात पर परदा डालते हुए प्रिया से कहा.
मैं बोला “अपनो से दूर होने का दर्द किसे नही होता है. मुझे भी अपनो से दूर होने का दर्द हुआ और इस दर्द ने मुझे आँसू बहाने के लिए मजबूर कर दिया. अब कोई इसे लड़कियों वाली बात समझे तो, मैं क्या कर सकता हूँ.”
“लेकिन मैने देखा है कि, कुछ लड़कियाँ ऐसी भी होती है. जिन्हे किसी से दूर होने पर कोई फरक नही पड़ता. उनकी आँख मे तो किसी से दूर होते समय एक आँसू भी नही आता है. अब क्या ऐसे मे, इसे तुम लड़को वाली बात कहोगी.”
मेरी ये बात सुनकर, प्रिया समझ गयी कि, मेरा ये इशारा उसी की तरफ है. उसने मेरी इस बात पर भनभनाते हुए कहा.
प्रिया बोली “हे, ये तुम घुमा फिरा कर मुझे ताने क्यो मार रहे हो. अब मुझे तुम्हारे जाने पर रोना नही आया तो, क्या मैं ज़बरदस्ती रोने को बैठ जाती. मैं तो तुमको सिर्फ़ नीति दीदी की बात बता रही थी और तुम मुझे ही ताना मारने लगे.”
मैं बोला “मैने तो वो ही बात कही है, जो सच है. अब सच बात बुरी तो लग ही जाती है.”
मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
प्रिया बोली “अच्छा, ऐसी बात है. तो लो, अब बुरा मानने की तुम्हारी बारी है.”
प्रिया की इस बात पर मैने चौन्कते हुए कहा.
मैं बोला “क्या मतलब.?”
लेकिन मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने एक शायरी करते हुए कहा.
प्रिया की शायरी
“केयी जख्म ऐसे होते है, जो दिखाए नही जाते.
केयी राज़ ऐसे होते है जो, बताए नही जाते.
कुछ लोग होते है, जिंदगी मे खास इतने.
कि उनके सामने आँसू कभी, बहाए नही जाते.”
प्रिया की शायरी सुनते ही, मुझे उसके बुरा मानने वाली बात का मतलब समझ मे आ गया था और मैने उस पर झल्लाते हुए कहा.
मैं बोला “मैने तुमको……...”
अभी मैं अपनी बात पूरी भी नही कर पाया था कि, प्रिया ने मेरी बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.
प्रिया बोली “मैने तुमको कितनी बार बोला है कि, मुझे ये शेर और शायरी बिल्कुल भी समझ मे नही आती.”
इतना बोल कर, वो अपनी कही बात पर खुद ही खिलखिला कर हँसने लगी और उसके साथ साथ मेरे और कीर्ति के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. उसे हंसता हुआ देख कर, मेरे दिल को भी सुकून महसूस हो रहा था. इसलिए मैने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
मैं बोला “अच्छी बात है. अभी तो तुम शायरी की बात पर मेरा मज़ाक उड़ा लो. लेकिन मैं भी तृप्ति का पता लगा कर, उस से शेर और शायरी सीख कर, तुम्हे इसका जबाब ज़रूर दूँगा. तब देखुगा कि, तुम मेरा मज़ाक कैसे बना पाती हो.”
मेरी इस बात पर प्रिया ने मुझे छेड़ते हुए कहा.
प्रिया बोली “हे, यदि तुमने उस पागल तृप्ति का पता लगाने की कोसिस की तो, मैं तुम्हारी तृप्ति को भड़का दुगी. फिर शेर और शायरी सीखना तो दूर की बात है. तुम्हे जो गाना गाना आता है, तुम वो भी भूल जाओगे.”
प्रिया की इस बात पर मैने भी डरने का नाटक करते हुए कहा.
मैं बोला “अरे, मैं तुमसे सिर्फ़ मज़ाक कर रहा था. तुम नीति की तरह कहीं सच मे आग लगाने का काम मत कर देना. वरना इस बात को सुनकर, तृप्ति तो मेरी जान ही ले लेगी.”
मेरी बात को सुनकर, प्रिया फिर खिलखिलाने लगी और कीर्ति मेरे सीने से अपने सर को उठा कर, मेरा चेहरा देखने लगी. मैने मुस्कुराते हुए, कीर्ति का चेहरा वापस अपने सीने पर रख लिया और उसके सर पर हाथ फेरने लगा.
वही जब प्रिया का खिलखिलाना थमा तो, उसने कुछ संजीदा होकर, तृप्ति की वकालत करते हुए कहा.
प्रिया बोली “तुम तृप्ति को बेकार मे बदनाम कर रहे हो. वो बिल्कुल भी ऐसी नही है. तुम बहुत किस्मत वाले हो, जो तुम्हे तृप्ति जैसी प्यार करने वाली लड़की मिली है.”
प्रिया की ये बात सुनकर, मेरे हाथ, कीर्ति के सर पर चलते चलते रुक गये. मुझे कीर्ति के प्यार के बारे मे किसी से जानने की कोई ज़रूरत नही थी. लेकिन प्रिया की इस बात ने मुझे उसके ख़याल जानने को मजबूर कर दिया और मैने उस से कहा.
मैं बोला “तुम्हारी तो उस से सिर्फ़ एक बार बात हुई है. फिर तुम उसके बारे मे, ये बात इतने यकीन से कैसे कह सकती हो.”
प्रिया बोली “तुम्हारी खुशी के लिए उसने मुझसे बात की थी. इस से बढ़ कर, उसके प्यार का तुम्हे और क्या सबूत चाहिए.”
प्रिया की इस बात मे बहुत दम था. फिर भी मैने इस बात को टालते हुए कहा.
मैं बोला “तुमसे बात करने की उसकी खुद की मर्ज़ी थी. मैने उसे तुमसे बात करने को नही कहा था. फिर इसमे मेरी खुशी कहाँ से आ गयी.”
प्रिया बोली “हां, तुम्हारी ये बात सही हो सकती है. लेकिन भगवान ने तुम्हे महसूस करने के लिए दिल और बहाने के लिए सिर्फ़ आँसू ही नही दिए. बल्कि तुम्हारी खोपड़ी मे एक 50 ग्राम का भेजा भी दिया है.”
“कभी कभी तुम अपने उस भेजे का भी इस्तेमाल कर लिया करो. उसके इस्तेमाल करने से वो घट नही जाएगा. बल्कि तुम ऐसे बेतुके सवाल करने से बच जाओगे.”
प्रिया की ये बात सुनकर, कीर्ति की हँसी छूट गयी और उसने अपना चेहरा मेरे सीने मे छुपा लिया. वही मैं प्रिया की इस बात को सुन कर सन्न रह गया. उसने एक तीर से दो निशाने लगा दिए थे.
एक तो उसने मेरी बात का जबाब दे दिया था और दूसरा कुछ देर पहले मैने उसे जो ना रोने का ताना मारा था, उसका बदला भी ले लिया था. कीर्ति को प्रिया की इन बातों मे मज़ा आ रहा था. इसलिए मैने भी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.
मैं बोला “तुम कहना क्या चाहती हो. जो कहना है, सॉफ सॉफ क्यो नही कह देती.”
प्रिया बोली “तुमको सॉफ सॉफ ही सुनना है तो, वो भी सुन लो. दुनिया की ऐसी कौन सी लड़की होगी, जो उस लड़की से खुशी खुशी बात करना चाहेगी, जो लड़की उसके बाय्फ्रेंड से प्यार करती हो.”
“तृप्ति ने तुमको मेरी नाराज़गी की वजह से परेशान देखा होगा. जिस वजह से उसने तुम्हारी खुशी के लिए, खुद से मेरे से बात की और फिर तुम्हे मुंबई दिखाने के बहाने से, मेरे साथ घूमने की इजाज़त भी दे दी.”
“जितना प्यार वो तुमको करती है, उतना प्यार तुम्हे कोई नही कर सकता. वो सिर्फ़ तुमसे ही नही, बल्कि तुमसे जुड़ी हर चीज़ से प्यार करती है. अब मेरी बात तुम्हारी समझ मे आई या फिर मैं इस बात को और भी ज़्यादा सॉफ करके बताऊ.”
प्रिया की इस बात पर मैने हंसते हुए उस से कहा.
मैं बोला “हां, हां, मेरी समझ मे सब कुछ आ गया है. लेकिन अब रात बहुत ज़्यादा हो गयी है. अब यदि तुम्हारा बात करना हो गया हो तो, हमें सो जाना चाहिए.”
प्रिया बोली “ओके, अपना और तृप्ति का ख़याल रखना. गुड नाइट.”
मैं बोला “ओके कल बात करते है. गुड नाइट.”
इतना बोल कर मैने प्रिया का कॉल रख दिया. प्रिया का कॉल रखने के बाद, मैने कीर्ति से कहा.
मैं बोला “ये ले, मेरी प्रिया से भी बात हो गयी. अब तू बता कि, क्या तुझे अभी भी लगता है कि, प्रिया और निक्की अभी एक साथ है.”
मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति ने हँसना सुरू कर दिया और मेरे गाल पर चुटकी काटते हुए कहा.
कीर्ति बोली “हां, वो दोनो एक साथ ही है. तभी तो निक्की से बात करते समय प्रिया का कॉल भी आ गया था.”
मैं बोला “ये तो उसने ये देखने के लिए लगाया था कि, मैं उसे कॉल क्यो नही कर रहा हूँ.”
कीर्ति बोली “नही, ऐसा नही है. निक्की से तुम्हारी ज़्यादा लंबी बात चलती देख कर ही, प्रिया ने तुम्हे कॉल लगाया था. ताकि तुम निक्की का कॉल रख कर, उस से बात करो. यदि ऐसा नही होता तो, तुम्हारा कॉल बिज़ी देख कर, उसे ये लगता कि, तुम मुझसे बात कर रहे हो.”
“ऐसे मे उसे हमारी बात मे रुकावट डालने का पछ्तावा होता और वो सबसे पहले तुमसे हमारी बात मे रुकावट डालने के लिए सॉरी बोलती. लेकिन उसकी बातों से ऐसा कुछ भी समझ मे नही आ रहा था.”
कीर्ति की बात सुनकर मैं हैरानी से उसको देखने लगा. लेकिन मुझसे ऐसा होने मे भी कोई बड़ी भारी बात नज़र नही आ रही थी. इसलिए मैने कीर्ति की इस बात को काटते हुए उस से कहा.
मैं बोला “चल मैं मान लेता हूँ कि, इस समय प्रिया और निक्की एक साथ है. लेकिन उनका एक साथ रहना कोई बड़ी बात नही है. क्योकि निक्की प्रिया की वजह से ही उसके घर मे रहती है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.
कीर्ति बोली “तुमको क्या लगता है कि, तुमको वहाँ पर इतने सारे लोगों का प्यार और साथ किसकी वजह से मिला है.”
कीर्ति की इस बात पर मैने बिना एक पल की देर किए ही, उस से कहा.
मैं बोला “इसमे लगना क्या है. तू खुद जानती है कि, ये सब रिया और निक्की की वजह से ही हुआ है. यदि रिया मुझे अपने घर नही ले गयी होती और वहाँ मेरी निक्की से मुलाकात नही होती तो, मैं इतने लोगों से कभी नही मिल पाता.”
मेरी इस बात पर कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “क्या तुमने कभी इस बात को सोचा है कि, जब पहले दिन ही तुमने निक्की के साथ झगड़ा कर लिया था तो, फिर वो दूसरे दिन खुद से तुम्हारी मदद करने के लिए क्यो आकर खड़ी हो गयी थी.”
मैं बोला “इसमे सोचना क्या है. उसने खुद बताया था कि, उस हॉस्पिटल मे उसकी एक फ्रेंड के भाई डॉक्टर. है. वो उन्हे भाई मानती है और उन से हम लोगों को बहुत मदद मिल जाएगी. जिस वजह से वो हमारे साथ गयी थी.”
कीर्ति बोली “पहले मुझे भी निक्की की ये बात सही लग रही थी. लेकिन प्रिया तुम्हे कब से प्यार करती है. ये बात जानने के बाद, अब मुझे इन सब बातों की सच्चाई कुछ और ही नज़र आ रही है.”
कीर्ति की इस बात को सुनकर, मैं समझ गया था कि, उसका इशारा किस तरफ है. इसलिए मैने चौन्कते हुए कहा.
मैं बोला “तू कहना क्या चाहती. कहीं तुझे इस सबके पिछे प्रिया तो नज़र नही आ रही है.”
कीर्ति बोली “हां, सच यही है कि, इस सब के पिछे प्रिया ही है. जिस दिन तुम्हारे मुंबई जाने की बात तय हुई थी. तुमने उसी दिन रिया को बता दिया था कि, तुम मुंबई आ रहे हो. ये बात अगले दिन रिया ने अपने घर वालों को बताई होगी.”
“प्रिया ने तो तुम्हारी तस्वीर पहले ही रिया के मोबाइल मे देख ली थी. जब उसे पता चला होगा कि, तुम आ रहे हो तो, उसने किसी तरह से तुम लोगों को अपने घर मे रुकवाने के लिए अपने घर वालों को तैयार कर लिया होगा.”
“फिर वहाँ पर तुम्हारे निक्की से झगड़ा कर लेने के बाद भी, उसने निक्की को तुम्हारे साथ जाने के लिए मजबूर किया होगा. जिसके बाद तुम्हारी निक्की से दोस्ती हो गयी और हम हर बात होने की वजह निक्की को ही समझने लगे थे.”
इतना बोल कर कीर्ति चुप हो गयी. लेकिन उसकी इस बात ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन अभी भी मेरे मन मे कुछ ऐसे सवाल थे. जिनकी वजह से मई कीर्ति की इस बात को सच मानने के लिए तैयार नही था.
कीर्ति को भी शायद ये बात महसूस हो गयी थी कि, मुझे उसकी इस बात पर यकीन नही हो रहा है. इसलिए उसने मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “क्या हुआ.? क्या तुम्हे मेरी ये बात सही नही लग रही है.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैने अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा.
मैं बोला “तू शायद भूल गयी है कि, मेरे किसी लड़की को प्यार करने वाली बात, निक्की को पहले दिन ही पता चल गयी थी. जबकि प्रिया को ये बात मेरे जनमदिन के दिन पता चली थी.”
“यदि निक्की प्रिया की वजह से ही मेरा साथ दे रही होती तो, उसने ये बात पहले दिन ही प्रिया को बता दी होती. लेकिन निक्की ने ऐसा कुछ भी नही किया. जिसका मतलब सॉफ है कि, जैसा तू कह रही है, वैसा कुछ भी नही है.”
मेरी इस बात को सुनकर, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “भूल मैं नही रही हूँ. भूल तो तुम रहे हो कि, प्रिया एक दिल की मरीज है और तुम्हारे घर छोड़ कर चले जाने से ही, उसकी क्या हालत हो गयी थी. इन्ही सब बातों से बचने के लिए ही, निक्की ने प्रिया से ये बात छुपा कर रखी होगी.”
“वरना तुम खुद सोच कर देखो कि, जो निक्की तुमसे दोस्ती निभाने मे पिछे नही हटी. वो अपनी बचपन की सहेली के साथ दोस्ती मे कैसे धोखा कर सकती है. तुम मानो या ना मानो, लेकिन सच वो ही निकलेगा, जो मैने तुमसे बताया है.”
इतना बोल कर कीर्ति चुप हो गयी. लेकिन अब मुझे भी उसकी इन बातों पर यकीन होने लगा था. इसलिए मैने उस से सीकायत करते हुए कहा.
मैं बोला “जब तुझे इन सब बातों का अहसास पहले से ही था तो, तूने मुझे ये बात पहले क्यो नही बताई.”
कीर्ति बोली “नही, मुझे इन बातों का अहसास पहले से नही था. मेरे दिमाग़ मे ये बातें तब आई, जब मुझे पता चला कि, प्रिया तुम्हे पिच्छले एक साल से जानती है. इसी वजह से मैने प्रिया से अंकिता नही तृप्ति बन कर बात की थी.”
“ताकि देर सवेर यदि उसे निक्की से, इस बात का पता चल भी जाए कि, तुम किस लड़की को प्यार करते हो तो, उसके दिल को इस बात की ठेस ना लगे कि, तुमने किसी ग़लत लड़की से उसकी बात करवाई थी.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मुझे प्रिया की कही बात याद आ गयी कि, तृप्ति सिर्फ़ तुमसे ही नही, बल्कि तुमसे जुड़ी हर चीज़ से प्यार करती है. ये बात याद आते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.
मैं मुस्कुराते हुए बड़े गौर से उसका चेहरा देखने लगा. मुझे इतनी गौर से अपना चेहरा देखते देख कर, कीर्ति ने मुझे टोकते हुए कहा.
कीर्ति बोली “क्या हुआ.? मुझे देख कर क्यो मुस्कुरा रहे हो.”
मैं बोला “कुछ नही, मैं ये देख रहा हूँ कि, आज तेरी आँखों मे नींद नही है.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और फिर धीरे से कहा.
कीर्ति बोली “नही, आज मुझे नही सोना, आज तो हम सारी रात बात करेगे.”
मैं बोला “नही, अभी तेरी तबीयत सही नही है. अभी तेरा ज़्यादा जागना ठीक नही है. अब बहुत रात हो गयी है. अब तू सो जा.”
ये कहते हुए मैने कीर्ति की आँखों पर हथेली फेर कर, उसकी आँखें बंद कर दी और फिर उसके सर पर हाथ फेरने लगा. उसने अपनी आँखे नही खोली. लेकिन धीरे से मुझसे कहा.
कीर्ति बोली “एक बात पुछु.”
मैं बोला “तुझसे कहा ना, अब कोई बात नही. बाकी की बात कल करेगे.”
कीर्ति बोली “सिर्फ़ एक आख़िरी बात.”
मैं बोला “चल पुछ ले.”
कीर्ति बोली “तुम जब से आए हो. तुम्हे एक बार भी मौसा जी दिखाई नही दिए है. तब भी तुमने किसी से इसके बारे मे नही पुछा. क्या तुमको पता है कि, मौसा जी कहाँ है.”
मैं बोला “मुझे नही पता कि, वो कहाँ है और ना ही मुझे इसके बारे मे पता करने की ज़रूरत है. मगर मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि, वाणी दीदी के आते ही, उनका कोई ना कोई बिज़्नेस टूर निकल आता है. अभी भी शायद वो किसी बिज़्नेस टूर पर ही चले गये होगे.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति खिलखिला कर हँसने लगी. लेकिन मेरी बात के जबाब मे उसने कुछ भी नही कहा. जिसका मतलब सॉफ था कि, मैने अभी जो बात कही है, वो पूरी तरह से सही है.
इसके बाद ना तो कीर्ति ने कुछ कहा और ना ही मैने उस से कुछ कहा. वो मुझे मुझे पकड़ कर लेटी रही और मैं उसके सर पर हाथ फेरता रहा. कुछ ही देर मे उसकी नींद लग गयी और उसका चेहरा देखते देखते पता नही कब मेरी भी नींद लग गयी.
सुबह कीर्ति की आवाज़ सुनकर मेरी नींद खुल गयी. लेकिन मुझे अभी भी बहुत नींद आ रही थी. फिर भी कीर्ति की आवाज़ सुनकर, मैने आँख खोली तो, वो मेरे कमरे के दरवाजे पर खड़ी, चंदा मौसी को आवाज़ लगा रही थी.
मैने उसे इस तरह अपने दरवाजे पर खड़े होकर चिल्लाते देखा तो, उस पर छिड़-चिड़ाते हुए कहा.
मैं बोला “ये तू सुबह सुबह अपना गला फाड़ कर चिल्लाना बंद कर और मुझे चैन से सोने दे.”
इतना बोल कर, मैने फिर से सोने के लिए अपनी आँख बंद कर ली. लेकिन मेरी आवाज़ सुनते ही, कीर्ति मेरे पास आ गयी और मुझे हिलाते हुए कहा.
कीर्ति बोली “तुम घोड़े बेच कर बड़े आराम से सो रहे हो. ज़रा उठ कर देखो कि, तुम्हारी लाडली ने, तुम्हारे कमरे के साथ साथ, पूरे घर का क्या हाल बना कर रख दिया है.”
कीर्ति की बात सुनकर, मैने फिर से आँख खोली और कमरे मे यहाँ वहाँ देखने लगा. लेकिन मुझे कहीं कोई बात नज़र नही आई. मगर जैसे ही मेरी नज़र फर्श पर पड़ी, एक पल मे ही मेरी सारी नींद गायब हो गयी और मैं हड़बड़ा कर, उठ कर बैठ गया.
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