RE: MmsBee कोई तो रोक लो
200
निमी के हमारे पास से जाते ही, वाणी दीदी के पास पोलीस कमिशनर का फोन आ गया. उन ने कॉल उठाया तो, कमिशनर ने कहा.
कमिशनर बोला “मिस वाणी, मीडीया जानना चाहती है कि, हम ने सभी अपराधियों को जिंदा ही गिरफ्तार किया है या कुछ को मार भी गिराया है.”
वाणी दीदी बोली “सर हम सभी को जिंदा गिरफ्तार करना चाहते थे. लेकिन गुरांगा की गिरफ्तारी के समय, उसके दो आदमियों ने हम पर गोलियाँ बरसाना सुरू कर दिया. जिसकी जबाबी कार्यवाही मे हम ने उन दोनो को मार गिराया है.”
इतना कहने के बाद, वाणी दीदी ने कॉल रख दिया और फिर अपने आसिटेंट ऑफीसर निरंजन से कहा.
वाणी दीदी बोली “निरंजन, तुम सीआइडी ऑफीस जाओ. वहाँ गौरंगा और जिन दो लोगों ने हम पर गोलियाँ चलाई थी. उन्हे अपने पास रख कर, बाकी सब अपराधियों को पोलीस के हवाले कर दो. कुछ देर बाद, मैं गौरंगा से पुछ ताछ के लिए आती हूँ. तब तक उन तीनो को एक साथ ही रखो.”
वाणी की बात सुनकर, निरंजन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और वो वाणी दीदी का आदेश पाते ही, वहाँ से चला गया. उसके बाद, उन्हो ने अपने आसिटेंट ऑफीसर अनिरूद्धा से कहा.
वाणी दीदी बोली “अनिरूद्धा, अब मुझे यहाँ कोई ख़तरा नज़र नही आ रहा है. इसलिए यहाँ की सारी पोलीस हटा दो. लेकिन अभी अहतयात के तौर पर, विश्वा और प्रीतम यही रहेगे. तुम जाकर सक्सेना अंकल से मिलो और मुंबई सीआइडी से बात करो. मुझे पूरा यकीन है की, गौरंगा से पुछ ताछ के बाद हमे मुंबई जाना पड़ेगा.”
वाणी दीदी का आदेश पाते ही, वो भी वहाँ से चला गया. उसके बाद, उन्हो ने अपने आसिटेंट ऑफीसर माणिक से कहा.
वाणी दीदी बोली “माणिक, तुम पोलीस कमिशनर से मिलकर, उनसे स्कूल स्टूडेंट भारती के गॅंग-रेप केस की फाइल लेकर, उस पर आज से ही काम सुरू कर दो और तुम्हे उसमे क्या समझ मे आ रहा है. मुझे सूचित करो.”
वाणी दीदी की बात सुनकर, माणिक भी वहाँ से चला गया. उसके जाते ही, मैं वाणी दीदी को निशा भाभी से मिलने लगा. निशा भाभी से मिलते ही, वाणी दीदी ने कहा.
वाणी दीदी बोली “सॉरी, मैं काम की वजह से पहले आपसे नही मिल पाई. अब हमारी मौसी की तबीयत कैसी है.”
निशा भाभी बोली “कोई बात नही, कभी कभी मैं भी काम मे फस कर चाहते हुए भी किसी को समय नही दे पाती. मगर आपका काम मुझसे भी कहीं ज़्यादा ज़रूरी था. आपने तो एक ही झटके मे पूरे माफ़िया का सफ़ाया कर दिया. खालिद भाई, आपके बारे मे बिल्कुल ही सही कहते थे.”
निशा भाभी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने हैरान होते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “खालिद ने आपसे मेरे बार मे क्या कहा.”
निशा भाभी बोली “खालिद भाई, कहते है कि, पूरी सीआइडी मे एक ही मर्द है और वो है वाणी रॉय.”
निशा भाभी की बात सुनते ही, वाणी दीदी बहुत ज़ोर से हँसने लगी. उन्हे इस तरह से हंसते देख कर हम सभी हैरान थे. क्योकि हम मे से किसी ने भी ना तो, उन्हे दिल खोल कर हंसते देखा था और ना ही कभी रोते देखा था.
हम तो, उनके थोड़ा सा मुस्कुराने को ही उनकी हँसी मान लेते थे और उनकी आँखों मे आई नमी को उनका रोना समझ लेते थे. वाणी दीदी ने हंसते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “आप खालिद को कैसे जानती है.”
निशा भाभी बोली “मैं, मेरे पति अमन और खालिद तीनो एक ही कॉलेज मे थे. उसी समय से हमारी दोस्ती है.”
वाणी दीदी बोली “क्या आप जानती है कि, मुझे मुंबई सीआइडी से बाहर करने मे भी खालिद का ही हाथ है.”
वाणी दीदी की ये बात सुनकर, हम सब चौके बिना ना रह सके. लेकिन निशा भाभी ने हंसते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “हां, मैं अच्छे से जानती हूँ और ये भी जानती हूँ कि, आप खालिद भाई का भी भेजा उड़ाने वाली थी. लेकिन ना जाने क्या सोच कर, आपने गोली नही चलाई और खालिद भाई आपकी पकड़ से बच कर भाग निकले.”
“जिसके बाद, उन्हो ने आपको प्रमोशन दिलवाकर पुणे भिजवा दिया था. लेकिन आज भी उनको ये बात परेशान करती रहती है कि, कभी किसी मुजरिम पर रहम ना करने वाली ऑफीसर ने, उन पर गोली क्यो नही चलाई. क्या मैं जान सकती हूँ कि, आपने उस दिन आपने उन पर गोली क्यो नही चलाई थी.”
वाणी दीदी बोली “आपका कहना सही है कि, मैं किसी भी मुजरिम पर रहम नही करती. लेकिन उस दिन खालिद की एक नेकी ने उसे बचा लिया था. मैं खालिद का पिछा कर रही थी. मेरा उसे जिंदा पकड़ने का भी कोई इरादा नही था.”
“इसलिए मेरी कार के उसके नज़दीक पहुचते ही, मैने उस पर गोली चलाने के लिए अपनी रेवोल्वेर तान दी. खालिद ने एक नज़र मेरी तरफ देखा और अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी. लेकिन उसी समय ना जाने कहाँ से एक बच्चा भागते हुए, उसकी कार के सामने आ गया.”
“उस समय यदि कोई और मुजरिम होता तो, उस बच्चे को अपनी कार से उड़ा देता. लेकिन खालिद ने अपनी मौत सामने देखते हुए भी, अपनी कार को ब्रेक लगा दिए. उसकी इसी नेकी ने मुझे उस पर गोली चलाने से रोक दिया और वो मेरी पकड़ से भाग निकला.”
“उसके बाद, वो दुबई भाग गया और फिर कुछ समय बाद मुझे भी प्रमोशन देकर पुणे भेज दिया गया. खालिद एक मुजरिम ज़रूर था. लेकिन मुझे उसके अंदर इंसानियत नज़र आई थी और इस वजह से मुझे अपने ऐसा करने का कभी पछ्तावा नही हुआ.”
निशा भाभी बोली “ये आपने बिल्कुल सही बात बोली. खालिद भाई, आज भी औरतों और बच्चो पर हाथ नही उठाते.”
वाणी दीदी बोली “लेकिन मेरे भाई को मारने तो, वो आया था. ये और बात है कि, आप लोगों की वजह से उसने कुछ नही किया.”
निशा भाभी बोली “नही, यदि हम नही भी होते, तभी वो पुनीत को देखने के बाद, इस पर हाथ नही उठाते. उन्हो ने हमारे सामने सलीम को कुछ नही कहा था. लेकिन घर जाने के बाद, उसे मारा भी और घर से भी निकाल दिया था.”
“हम सबके समझाने पर भी वो सलीम को माफ़ करने को तैयार नही था. उनका कहना था कि, वो हर बात के लिए माफ़ कर सकते है. लेकिन किसी माँ बहन के साथ बाद-सलूकी करने वाले को कभी माफ़ नही कर सकते.”
“फिर चाहे ऐसा करने वाला उनका सगा भाई ही क्यो ना हो. बाद मे उन्हो ने प्रिया के कहने पर, बड़ी मुश्किल से सलीम को माफ़ किया. वो एक डॉन ज़रूर है, मगर बुरे इंसान नही है. इसलिए हम आज भी दोस्त है.”
वाणी दीदी बोली “चलो, अच्छा हुआ की, आपने ये बात मुझे बता दी. वरना मेरे दिल मे एक बात हमेशा रहती की, खालिद मेरे भाई को मारने के लिए आया था और मैं उसे इसके लिए कभी माफ़ नही कर पाती.”
निशा भाभी बोली “मतलब कि, अब आपने उन्हे इस बात के लिए माफ़ कर दिया है.”
निशा भाभी की बात सुनकर, वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “हां, मैने उसे माफ़ कर दिया है. लेकिन उसे ये बात ज़रूर बता देना कि, वो जिस पुनीत को मारने आया था. उस पुनीत की बहन, उस से भी बड़ी डॉन है.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, निशा भाभी सहित सभी हँसने लगे. फिर मैने वाणी दीदी का बरखा दीदी से परिचय करवाया. दोनो मुस्कुराते हुए गले मिली और फिर वाणी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “मुझे पता चला है कि, तुम रात का खाना इस नालयक से बात किए बिना नही खाती हो.”
वाणी दीदी की इस बात पर बरखा दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “दीदी, जिसका इतना प्यारा भाई हो, उसका खाना भला, अपने भाई से बात किए बिना कैसे पच सकता है.”
बरखा दीदी की बात सुनकर, वाणी दीदी एक बार फिर दिल खोल कर हंस दी. फिर उन्हो ने अमि निमी की तरफ देखते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “तुम फिकर मत करो, अब तुम अपने भाई से जब चाहे, तब मिल सकोगी. क्योकि निमी ने मेरे साथ बदतमीज़ी की थी. इसलिए अब मैं इसे अपने साथ पुणे लेकर जाउन्गी.”
वाणी दीदी ये बात अमि निमी को सुना रही थी. इसलिए इस बात को सुनते ही, सबकी नज़र अमि निमी की तरफ चली गयी. लेकिन उन दोनो ने ये बात सुनी ही नही थी और दोनो समोसे खाने पर मस्त थी.
कुछ देर तक वो मुस्कुराते हुए अमि निमी को समोसे खाते देखती रही. लेकिन फिर अचानक ना जाने उनको क्या हुआ कि, उन्हो ने गुस्से मे चीखते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “प्रीतमम्म्म.”
वाणी दीदी को चीखते देख, छोटी माँ, रिचा आंटी और मोहिनी आंटी भी हमारे पास आ गयी. वाणी दीदी का बुलाना ही किसी के पसीने छुड़ाने के लिए काफ़ी था. ऐसे मे वाणी दीदी के गुस्से मे प्रीतम को बुलाने से उसकी हालत खराब हो गयी. उसने वाणी दीदी पास आकर, हकलाते हुए कहा.
प्रीतम बोला “जी, जी जी, मेडम.”
वाणी दीदी ने उसे गुस्से मे घूरते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “तू किस मिट्टी का बना है. मैने तुझे अपनी ग़लती को सुधारने का एक मौका दिया और तुझसे कहा कि, मेरे परिवार का पूरा ख़याल रखना. इसके बाद, भी तूने उनका ख़याल नही रखा.”
प्रीतम बोला “नही मेडम, आप चाहे तो, मौसी जी से पुच्छ सकती है. मैं पूरे समय साए की तरह इनके साथ रहा हूँ.”
वाणी दीदी बोली “क्या सिर्फ़ साथ रहना ही ख़याल रखना कहलाता है. मेरी दोनो मासूम बहने भूख से कैसी बहाल हो गयी है. तुझसे इतना भी नही हुआ कि, मैं यहाँ नही हूँ तो, कम से कम उनके खाने का ही कुछ इंतेजाम कर देता.”
वाणी दीदी की ये बात सुनते ही, छोटी माँ ने प्रीतम का बचाव करते हुए कहा.
छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, इसमे इनकी कोई ग़लती नही है. इनका घर इधर पास ही है. इन ने बहुत बार हम सबसे खाना खाने चलने को कहा. लेकिन मैने ही खाने के लिए मना कर दिया था.”
वाणी दीदी बोली “आपको नही खाना था तो, कम से कम अमि निमी को तो खाना खिला दिया होता. वो एक और कहा गायब है. कम से कम उसे तो इनका ख़याल रखना चाहिए था.”
ये कह कर वाणी दीदी यहा वहाँ देखने लगी. किसी को समझ मे नही आया कि, वो किसको पुछ रही है. लेकिन मैं और मेहुल समझ गये थे कि, वो मेहुल को पुछ रही है.
इसलिए मेहुल उनके ही पिछे ही छुप कर, चुप चाप खड़ा रहा. मेहुल की इस हरकत से रिचा आंटी को भी समझ मे आ गया कि, वाणी मेहुल को पुछ रही है. उन्हो ने फ़ौरन ही वाणी दीदी से कहा.
रिचा आंटी बोली “वो तुम्हारे ही पिछे छुप कर खड़ा है.”
रिचा आंटी की बात सुनते ही, वाणी दीदी ने पलट कर मेहुल को देखा. उनके देखते ही, मेहुल की सारी मस्ती गायब हो गयी और उसने वाणी दीदी के सामने आते हुए कहा.
मेहुल बोला “दीदी, मम्मी ग़लत सोच रही है. मैं छुपा थोड़ी था. मैं तो कब से आपके पिछे ही खड़ा हूँ. असल मे मुझे समझ मे नही आया कि, आप मुझे पुच्छ रही है.”
मेहुल की बात सुनकर, वाणी दीदी ने उसे कुछ कहा तो नही, लेकिन उसे गुस्से मे घुरती रही. वाणी दीदी का बोलना तो, ख़तरनाक था ही, ना बोलना भी कम ख़तरनाक नही था. मेहुल ने जब उन्हे इस तरह से घूरते देखा तो, उनके बिना कुछ पुच्छे ही, उन्हे अपनी सफाई देते हुए कहा.
मेहुल बोला “दीदी, मैं तो अमि निमी ने खाने के लिए बहुत बार कह चुका था. लेकिन वो ही मना कर देती थी.”
अमि निमी का ध्यान पहले हमारी तरफ नही था. लेकिन जब वाणी दीदी ने प्रीतम को चिल्लाया, तब से वो लोग हमारी तरफ ही देख रही थी. मगर जैसे ही निमी ने मेहुल को सफेद झूठ बोलते देखा, वो समोसा खाते खाते हमारे पास आ गयी और उसने वाणी दीदी से कहा.
निमी बोली “दीदी, ये मोटू झूठ बोल रहा है. ये तो पूरे समय फोन पर लगा था.”
निमी की बात सुनकर, जहाँ सब दबी मुस्कान मे मुस्कुराने लगे. असल मे मेहुल ने कुछ समय पहले निमी को मोटी कह कर चिड़ाया था. निमी ने उस से उसी बात का बदला निकालने के लिए उसे मोटू कहा था.
यदि कोई और समय होता तो, निमी के मेहुल से इस तरह बात करने पर वाणी दीदी ने निमी को फटकार लगा दी होती. लेकिन इस समय वो अमि निमी पर कुछ ज़्यादा मेहरबान थी. इसलिए उन्हो ने निमी के इस तरह से बात करने की हरकत को अनदेखा कर दिया.
लेकिन निमी के इस तरह से मेहुल की बात को झूठा साबित कर देने से और उसकी पोल खोल देने से, मेहुल की तो जान ही निकल गयी. वो घबराहट मे यहाँ वहाँ देखने लगा और वाणी दीदी से नज़र बचाने लगा.
मेहुल बहुत देर से प्रीतम का मज़ा ले रहा था. प्रीतम को भी अपना बदला लेने का ये सही समय नज़र आया और उसने भी इस बहती गंगा मे हाथ धोते हुए, निमी की हां मे हां मिलाते हुए कहा.
प्रीतम बोला “मेडम, ये बच्ची सही कह रही है. ये भाई साहब पूरे समय ही मोबाइल पर लगे थे.”
प्रीतम की बात सुनकर, मेहुल उसे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगा. लेकिन प्रीतम उसे अनदेखा कर, मुस्कुराते हुए निमी की तरफ देखने लगा. प्रीतम की बात सुनकर, मैने धीरे से कीर्ति के कान मे कहा.
मैं बोला “इसे कहते है, सौ सुनार की, एक लोहार की. मैं मेहुल से मना कर रहा था कि, प्रीतम को परेशान मत कर, वरना वो बाद मे तुझसे इसका बदला लेगा. लेकिन इसने मेरी बात नही मानी. अब उसका नतीजा भी देख ले.”
“वाणी दीदी शायद निमी की कही बात को अनदेखा भी कर देती. लेकिन अब निमी की बात पर, प्रीतम के भी मुहर लगा देने से, अब वो इस बात को अनदेखा नही करेगी. इसको निमी को मोटी कहना और प्रीतम का मज़ा लेना, महँगा पड़ने वाला है.”
मेरी ये बात बिल्कुल सही ही निकली. प्रीतम की बात सुनने के बाद, वाणी दीदी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेहुल से अपना मोबाइल देने को कहा. मेहुल ने भी बुझे मन से अपना मोबाइल वाणी दीदी की तरफ बढ़ा दिया.
अब इसे प्रीतम की खुशकिस्मती कहो या फिर मेहुल की बदक़िस्मती कि, वाणी दीदी के मेहुल का मोबाइल हाथ मे लेते ही, उसमे शिल्पा का कॉल आने लगा. वाणी दीदी ने आ रहे कॉल को देखने के बाद, अपना सर उठा कर मेहुल की तरफ देखा.
लेकिन मेहुल सर झुका कर खड़ा रहा. वाणी दीदी ने मेहुल को देखते हुए, शिल्पा का कॉल उठा लिया. लेकिन उन ने कॉल पर कुछ कहा नही. जिस वजह से दूसरी तरफ से शिल्पा ने कहा.
शिल्पा बोली “………….” “क्या हुआ जान, कुछ बोलते क्यो नही.”
शिल्पा की बात सुनते ही, वाणी दीदी ने उस से कहा.
वाणी दीदी बोली “जान नही, जान की अम्मा जान बोल रही हूँ. अपने घर वालों से बोल देना कि, तुम्हारी और मेहुल की शादी की बात करने वाणी दीदी आ रही है.”
वाणी दीदी का इतना कहना था कि, शिल्पा ने फ़ौरन कॉल काट दिया. वाणी दीदी ने उसे वापस कॉल लगाया. लेकिन तब तक वो अपना मोबाइल बंद कर चुकी थी. इस से पहले की, वाणी दीदी फिर से मेहुल की खिचाई करना सुरू कर पाती. मैने बात को संभालते हुए कहा.
मैं बोला “दीदी, खाना तो आप ले आई है. अब आप ही छोटी माँ से कहिए कि, वो खाना खा ले.”
मेरी बात सुनकर, वाणी दीदी ने एक नज़र मेरी तरफ देखा. लेकिन इस समय उनको मेरी ये बात सही लगी और उन्हो ने मेहुल से कहा.
वाणी दीदी बोली “उस लड़की की और तुम्हारी खबर मैं बाद मे लुगी. लेकिन आज तुम्हारी लापरवाही की वजह से अमि निमी को दिन भर भूखा रहना पड़ा. इसलिए आज तुम्हे रात के पहले खाना नही मिलेगा.”
मेहुल भी हम लोगों के साथ दिन भर से भूखा प्यासा लगा हुआ था और वो भी निमी की तरह ही पेटु था. इसलिए वाणी दीदी की ये बात सुनते ही उसने अपनी सफाई देने के लिए कहा.
मेहुल बोला “लेकिन दीदी…….”
अभी मेहुल इतना ही बोल पाया था कि, वाणी दीदी ने उसकी बात को काटते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “अब तुमको रात को भी खाना नही मिलेगा.”
मेहुल बोला “मगर दीदी…..”
वाणी दीदी ने फिर उसकी बात को काटते हुए कहा.
वाणी दीदी बोली “अब तुम्हे कल सुबह भी खाना नही मिलेगा.”
इतना बोल कर, वाणी दीदी मेहुल के फिर से कुछ बोलने का इंतजार करने लगी. लेकिन अब मेहुल के अंदर हिम्मत नही थी कि, वो फिर से कुछ बोलने की कोसिस करके, अपना कल रात का भी खाना बंद करवा ले.
इसलिए वो चुप चाप खड़ा रहा. जब मेहुल खामोश रहा तो, वाणी दीदी ने उसकी तरफ से अपना ध्यान हटाते हुए, छोटी माँ से कहा.
वाणी दीदी बोली “मौसी, खाना तो आ गया है. फिर आप लोग खाना खाने मे देर क्यो कर रही है.”
छोटी माँ बोली “वाणी बेटा, मुझसे हॉस्पिटल मे खाना नही खाया जाता है. मैं रात को घर मे जाकर खाना खा लुगी.”
छोटी माँ की बात सुनते ही, प्रीतम ने फ़ौरन आगे आते हुए कहा.
प्रीतम बोला “मौसी जी, मेरी पत्नी ने आप लोगों के खाने की पूरी तैयारी कर रखी है. मेरा घर यहाँ पास मे ही है. आप सब चल कर यदि मेरे घर मे खाना खाएगी तो, मुझे बहुत खुशी होगी.”
प्रीतम की बात सुनकर, छोटी माँ उसे मना करना चाहती थी. लेकिन वाणी दीदी ने उन्हे कुछ बोलने का मौका दिए बिना ही कहा.
वाणी दीदी बोली “प्रीतम ठीक कह रहा है. खाना तो, मैं ले ही आई हूँ. आप सब वहाँ चल कर सुकून से खाना खा लीजिए. ये लोग भी मुंबई से सीधे यहाँ ही आ गये है. इन्हे भी वहाँ चल कर फ्रेश होने का मौका मिल जाएगा.”
वाणी दीदी की इस बात के बाद, किसी के पास कहने को कुछ नही बचा. सब वाणी दीदी के साथ प्रीतम के घर के लिए निकल पड़े. एक गाड़ी मे, मैं वाणी दीदी, निशा भाभी और बरखा दीदी हो गये.
दूसरी गाड़ी मे छोटी माँ, अमि, निमी, कीर्ति, मेहुल और प्रीतम हो गये. कुछ ही देर मे हम प्रीतम के घर पहुच गये. घर क्या, वो एक आलीशान बंग्लो था और जिसकी शानो-शौकत बाहर से ही दिखाई दे रही थी.
अब उसकी ये शानो-शौकत उसके पुरखों की देन थी या फिर उसके बेईमानी से कमाए गये, काले धन की देन थी. ये बात या तो प्रीतम बता सकता था या फिर शायद वाणी दीदी बता सकती थी.
प्रीतम ने घर पहुच कर, डोरबेल बजाई. डोरबेल बजते ही, किसी के पायल खन्काते हुए, भाग कर आने की आवाज़ सुनाई. दरवाजा खुलते ही हमारे सामने एक सुंदर सी लड़की खड़ी थी.
उसने हम सबको देखते ही, हम से नमस्ते किया. प्रीतम ने हमे उसका परिचय देते हुए कहा.
प्रीतम बोला “ये मेरी छोटी बहन पायल है. हमारा सारा घर इसकी पायल की खन खन से ही गूँजता रहता है.”
प्रीतम की बात सुनकर, हम सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन थोड़ी सी हैरानी भी हुई. क्योकि पायल की उमर 20-22 साल के आस पास लगती थी. जबकि प्रीतम की उमर 35-36 साल के आस पास लगती थी.
ऐसे मे पायल के प्रीतम की सग़ी बहन होने की उम्मीद कम ही लगती थी. फिर भी हम मे किसी ने भी इस बारे मे कोई सवाल नही किया. प्रीतम ने हमे घर के अंदर लाकर बैठाया और फिर घर के अंदर की तरफ आवाज़ लगाते हुए कहा.
प्रीतम बोला “कोयल, जल्दी आओ, मेहमान आ गये है.”
प्रीतम की आवाज़ सुनते ही, एक औरत भागती हुई हमारे पास आई और हम सब से नमस्ते करने लगी. प्रीतम ने हम से उसका परिचय अपनी पत्नी के रूप मे कराया और उसको भी हम सबका परिचय देने लगा.
लेकिन प्रीतम की पत्नी को देख कर, हम सब ही हक्के बक्के से रह गये. हमारे हक्के बक्के रहने की वजह ये थी कि, उसकी सिर्फ़ आवाज़ ही कोयल की तरह मीठी नही थी. बल्कि उसका रंग रूप भी कोयल की तरह ही काला था.
प्रीतम देखने मे एक आकर्षक नौजवान था. ऐसे मे कोयल के साथ उसकी जोड़ी बिल्कुल बेमेल लग रही थी. प्रीतम की हरकतें तो, हमारे लिए पहले ही किसी पहेली की तरह थी. उस पर अब उसकी पत्नी कोयल और उसकी बहन पायल भी हमारे लिए किसी पहेली से कम नही थी.
|