RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अमि बोली “दीदी, क्या आज भैया ने खाने के बाद, चाय नही पी थी.”
अमि की ये बात सुनकर, बरखा दीदी ने अपना सर पीटते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “सॉरी, शिखा दीदी ने मुझसे कहा भी था कि, खाने के बाद इसे चाय देना ना भूलु. लेकिन इसने खाना लेकर हम लोगों वापस भेज दिया था. मैने भी सोचा था कि, जब ये यहाँ आएगा तो, तब यही से चाय लेकर इसे पिला दुगी. मगर जब ये यहाँ आया तो, ये बात मुझे याद ही नही रही.”
बरखा दीदी की बात सुनकर, निमी ने अमि से एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा.
निमी बोली “हमारे भैया को जब खाने के बाद, चाय नही मिलती तो, उनका सर दर्द करने लगता है. मैं अभी शिखा दीदी को जाकर बताती हूँ कि, बरखा दीदी ने भैया को चाय नही दी थी.”
ये कह कर निमी हॉस्पिटल के अंदर जाने के लिए मूड गयी. लेकिन बरखा दीदी ने फ़ौरन उसका हाथ पकड़ कर, उसे रोकते हुए कहा.
बरखा दीदी बोली “मेरी माँ, तू शिखा दीदी से कुछ मत बोल, वरना वो अभी सबके सामने मुझे खरी खोटी सुनाने लगेगी. तू चल मेरे साथ, मैं अभी इसे चाय लेकर देती हूँ.”
ये कहते हुए, बरखा दीदी निमी का हाथ पकड़ कर, चाय लेने जाने लगी. मैने उन्हे रोकने की कोसिस करता रहा, मगर वो नही रुकी. बरखा दीदी और निमी को जाते देख, अमि भी उनके पिछे पिच्चे चली गयी.
मैं और कीर्ति तब तक उन्हे जाते हुए देखते रहे, जब तक की वो लोग हमारी आँखों से ओझल नही हो गये. उनके हमारी नज़रों से ओझल होते ही, कीर्ति ने कहा.
कीर्ति बोली “क्या तुमने सच मे चाय नही पी थी.”
मैं बोला “हां, आज मेरा चाय पीने का मन ही नही किया था.”
कीर्ति बोली “मैने तो तुम्हारे रोने की बात छुपाने के लिए उनसे सर दर्द का बहाना बना दिया था. मगर वो दोनो इस बहाने को भी सच समझ कर, अपने घूमने जाने की बात भूल कर, तुम्हारे लिए चाय लेने चली गयी.”
“वो इतनी छोटी होकर भी, तुम्हारी परेशानी को, अपनी खुशी से ज़्यादा आएहमियत देती है. कभी कभी तो, मुझे खुद भी लगता है कि, उनके मुक़ाबले मे मेरा प्यार कुछ भी नही है.”
“मैं जानती हूँ कि, तुम भी उन्हे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करते हो. लेकिन मुझे लगता है कि, तुम लोगों के बीच प्रिया के आ जाने से, अमि को इस बात का डर सता रहा है कि, कहीं उनके लिए तुम्हारा प्यार कम ना हो जाए.”
“आज सुबह जब मैं और बरखा दीदी, अमि निमी को घर चलने के लिए समझा रहे थे. तब अमि उल्टे मुझे ही घर ना जाने के लिए समझाने लगी. उसकी बातों से सॉफ समझ मे आ रहा था कि, वो तुम्हे प्रिया के पास छोड़ कर जाना नही चाहती थी.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मेरे दिमाग़ मे हमारे यहाँ आने की समय की बात घूम गयी और मैं कीर्ति को अमि से हुई बातों के बारे मे बताने लगा. जिसे सुनने के बाद कीर्ति ने कहा.
कीर्ति बोली “इसका मतलब ये ही है कि, मेरी सोच ग़लत नही थी. यदि ऐसा है तो, हमे जल्दी ही उनके मन से इस डर को निकालना होगा. वरना उनका ये डर, कहीं उनके और प्रिया के बीच मे दीवार ना बन जाए.”
कीर्ति की इस बात के जबाब मे मैने कहा.
मैं बोला “तेरा कहना ठीक है. लेकिन प्रिया को इस सच्चाई पता नही लगना है और छोटी माँ ने भी कह दिया है कि, प्रिया पद्मिनी आंटी के साथ ही रहेगी. ऐसे मे अमि के मन से प्रिया का डर अपने आप ही निकल जाएगा.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति मुझे हैरानी से देखने लगी और फिर अचानक ही मुझ पर गुस्से मे भड़कते हुए कहा.
कीर्ति बोली “लगता है, प्रिया के साथ साथ तुम्हारे दिमाग़ ने भी काम करना बंद कर दिया है. अरे तुम से ज़्यादा दिमाग़ तो, उस छोटी सी बच्ची अमि के पास है. जिसने प्रिया के तुम्हारी जुड़वा बहन होने की बात सुनते ही, हमारे साथ यहाँ आने की ज़रा भी ज़िद नही की और तुम्हारे साथ वहाँ चिपकी रही.”
“क्या कभी तुमने अमि को निमी की तरह ज़िद करते देखा है. मगर आज तो उसने ज़िद करने मे निमी को भी पिछे छोड़ दिया था. कल सबके सामने ये सुन लेने के बाद भी कि, प्रिया यही रहेगी. वो आज तुम्हे यहाँ अकेला छोड़ कर, मौसी के साथ जाने को तैयार नही हो रही थी.”
“तुम ने मौसी के मूह से प्रिया के यही रहने के बारे सुनकर, ये सोच लिया कि, मौसी ने प्रिया को उसके हाल पर छोड़ दिया है. लेकिन मौसी ने अपना फ़ैसला बहुत सोच समझ कर लिया है.”
“उन्हो ने पद्मिनी आंटी से सिर्फ़ ये कहा है कि, वो जब तक प्रिया को अपनी बेटी बना कर रखना चाहे, रख सकती है. उन्हो ने ये नही कहा कि, वो प्रिया को अपने साथ नही रखना चाहती है.”
“क्योकि वो अच्छे से जानती है कि, ये बात हमेशा के लिए प्रिया से छुपा कर रख पाना मुमकिन नही है और प्रिया को इस सच्चाई का पता चलने पर यहाँ के हालत बदल भी सकते है.”
“इसलिए उन ने सबके सामने ये बात भी सॉफ कर दी थी कि, प्रिया को उनके घर की हर चीज़ पर उतना ही अधिकार रहेगा, जितना कि तुम्हे है. मौसी के ये बात कहने का मकसद सिर्फ़ ये था कि, प्रिया के घर के रास्ते उसके लिए हमेशा खुले है.”
“जब मौसी और अमि प्रिया के एक ना एक दिन अपने घर आने की बात को सोच कर, अपने कदम उठा रही है तो, तुम्हे भी प्रिया के अपने घर वापसी करने की बात सोच कर ही, अपने कदम उठाना होगा.”
“मौसी ने आज तक जिस सौतेले-पन के भेद भाव को तुम्हारे और अमि निमी के बीच मे नही आने दिया. अब उस सौतेले-पन के भेद भाव को प्रिया और अमि निमी के बीच मे ना आने देने की, तुम्हारी ज़िम्मेदारी है.”
“अभी अमि निमी छोटी है और इस समय यदि उनके दिल दिमाग़ पर कोई बात बैठ गयी तो, उसे जिंदगी भर उसे निकाल पाना आसान नही होगा. इस समय वो दोनो भी उस मोड़ से गुजर रही है, जिस दौर से तुम बचपन मे अपनी नयी माँ को देख कर गुज़रे थे.”
“तुम्हे उनकी भावनाओं को समझना होगा और उनके दिल पर बिना कोई ठेस लगाए, उनके दिल मे प्रिया को लेकर जो जलन है, उसे बाहर निकालना होगा. उन्हे ये अहसास कराना होगा कि, प्रिया के आ जाने से भी, वो दोनो ही तुम्हारी लाडली रहेगी.”
“एक बार ये बात उनके मन मे बैठ गयी तो, फिर उनके मन मे प्रिया के लिए जो जलन है, वो अपने आप ही ख़तम हो जाएगी और उनके दिल मे प्रिया को लेकर जो डर समाया हुआ है, वो डर भी निकल जाएगा.”
इतना कह कर कीर्ति चुप हो गयी और मैं उसकी बातों को सोचने लगा. उसकी सारी बातों मे सच्चाई थी और मैं भी अमि निमी के बारे मे ऐसा ही कुछ सोच रहा था. इसलिए मैने कीर्ति से कहा.
मैं बोला “तेरी ये बात सही है और मैं भी अमि निमी के बारे मे ऐसा ही कुछ सोच रहा था. लेकिन मैं उन्हे प्रिया के बारे मे कुछ भी समझाने से इसलिए बच रहा हूँ. ताकि उन्हे ये ना लगे कि, मैं प्रिया की तरफ़दारी कर रहा हूँ.”
मेरी ये बात सुनते ही कीर्ति हँसने लगी. इतनी गंभीर बात पर उसे हंसते देख कर, मैने उस से हँसने की वजह पुछि तो, उसने इसकी वजह बताते हुए कहा.
कीर्ति बोली “आज सुबह सुबह ही अमि ने मौसी पर प्रिया की तरफ़दारी करने का इल्ज़ाम लगाया था. वो तो वाणी दीदी ने मौसी को रोक लिया और हम अमि निमी को दूसरे कमरे मे ले गये. वरना तुमको आते ही, अमि निमी रोती हुई मिलती.”
उसकी इस बात को सुनने के बाद, मैने उस से कहा.
मैं बोला “इस सबको देखने के बाद भी, तुझे लगता है कि, मुझे अभी उन्हे कुछ समझाने की कोसिस करना चाहिए.”
कीर्ति बोली “हां, इस सबके बाद भी मुझे लगता है कि, तुमको उन्हे समझाना चाहिए. क्योकि तुम उन्हे हम लोगों से ज़्यादा अच्छी तरह से समझते हो और वो दोनो भी सिर्फ़ तुम्हारी बात को मानती और समझती है.”
“इसकी एक मिसाल सुबह तुम्हारे समझते ही, उनका हमारे साथ जाने के लिए तैयार हो जाना है. तुम ये अच्छी तरह से जानते हो कि, उन्हे कब, किस बात के लिए, किस तरह से समझाया जा सकता है.”
“मैं उन्हे अपनी तरफ से समझाने की पूरी कोसिस करूगी. लेकिन उनके उपर जितना असर तुम्हारे समझाने का पड़ेगा. उतना असर मेरे या किसी और के समझाने का नही पड़ेगा. इसलिए तुम्हे खुद भी उनको समझाना पड़ेगा.”
कीर्ति की ये बात सुनकर, मैं एक बार फिर से इस अमि निमी को समझाने के बारे मे सोचने लगा. मैं अभी कीर्ति से कुछ कहने ही वाला था कि, तभी अमि निमी बरखा दीदी के साथ चाय लेकर आ गयी.
बरखा दीदी ने मुझे चाय दी और फिर मुझसे एक दो बातें करने के बाद, अमि निमी को अपने साथ लेकर वापस हॉस्पिटल मे जाने के लिए मूड गयी. लेकिन मैने उनको जाने से रोका और फिर अमि के सर पर हाथ फेरते हुए उस से कहा.
मैं बोला “बेटू, मैं चाय पीकर आता हूँ. फिर हम घूमने चलते है. तब तक तू चल कर छोटी माँ को जाता दे कि, हम लोग घूमने जा रहे है.”
लेकिन उसने मेरी बात सुनकर, बड़े ही भोलेपन से कहा.
अमि बोली “भैया, आज मैं और निमी बहुत थक गये. आज हम लोग आपके साथ घूमने नही जा पाएगे.”
ये कहते हुए उसने पुछा.
अमि बोली “क्यो निमी, मैने ठीक कहा ना.”
अमि की बात सुनते ही, निमी ने अपनी आदत से मजबूर होकर, अपने दोनो हाथ, अपने पैरो पर रखते हुए कहा.
निमी बोली “हाँ भैया, मेरे पैरो मे इतना दर्द है कि, मुझसे तो अब चला तक नही जा रहा है.”
ये कहते हुए, वो अपने ही हाथों से अपने पैरों को दबाने लगी. उसकी ये हरकत देख कर, बरखा दीदी और कीर्ति के साथ साथ मेरी भी हँसी छूट गयी. बरखा दीदी ने हंसते हुए, आगे बढ़ कर निमी को अपनी गोद मे उठा लिया.
उन्हो ने मुझे जल्दी आने का जताया और अमि निमी को अपने साथ लेकर, हॉस्पिटल के अंदर चली गयी. उन के जाने के बाद, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.
कीर्ति बोली “ये दोनो बहुत बड़ी नौटंकी है. पल पल मे अपने रंग बदलती है. अभी अंदर कह रही थी, भैया को जल्दी बुलाओ, हमे घूमने जाना है और अब कह रही है कि, हम लोग बहुत थक गये है.”
मैं बोला “तूने निमी की हरकत नही देखी. अच्छी भली चलते हुए, चाय लेकर आई थी. लेकिन अमि की बात सुनते ही, उसके पैरों मे दर्द होने लगा.”
मेरी बात सुनकर, कीर्ति खिलखिला कर हँसने लगी. ऐसे ही अमि निमी की बात पर हँसी मज़ाक करते हुए मैने अपनी चाय ख़तम की और फिर कीर्ति के साथ वापस हॉस्पिटल के अंदर आ गया.
हम जब अंदर पहुचे तो, आकाश अंकल, पद्मिनी आंटी, छोटी माँ, निशा भाभी, शिखा दीदी, सेलू दीदी, आरू, रिया और राज सब बैठे आपस मे बात करने मे लगे थे. मेरे उनके पास पहुचते ही, निशा भाभी ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “आए हीरो, हम सब क्या तुम्हे बेवकूफ़ नज़र आते है. जो हम सब यहाँ बैठे है और तुम बाहर बैठ कर आराम से चाय पी रहे हो. तुम यहाँ प्रिया की देख भाल के लिए आते हो या फिर बाहर बैठ कर चाय पीने आते हो.”
निशा भाभी की ये बात सुनकर, मुझे थोड़ी शर्मिंदगी सी महसूस होने लगी और मैने उनके सामने शर्मिंदा होते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी भाभी, मैं तो चाय के लिए मना कर रहा था. लेकिन बरखा दीदी और अमि निमी ने मेरी बात नही मानी और मुझे चाय पीना पड़ गया.”
मेरी इस बात सुनते ही, निशा भाभी की हँसी छूट गयी और उन्हो ने हंसते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “अरे मैं तो मज़ाक कर रही थी. मैने इन सब से पहले ही कहा था कि, देखो मैं कैसे तुमको डराती हूँ. मगर तुम तो सच मे मेरे मज़ाक से डर गये.”
उनकी बात सुनकर, मैने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी, आप भी सीरू दीदी से कुछ कम नही हो. लेकिन सीरू दीदी यहाँ कहीं दिखाई नही दे रही है. क्या वो प्रिया के पास है.”
निशा भाभी बोली “नही, प्रिया के पास इस समय निक्की है. सीरू तो इस समय घर मे हेतल के साथ है.”
हेतल दीदी का नाम सुनते ही, मेरे चेहरे की मुस्कुराहट गहरी हो गयी और मैने निशा भाभी से कहा.
मैं बोला “भाभी, क्या हेतल दीदी यही पर है. लेकिन वो प्रिया को देखने और मुझसे मिलने क्यो नही आई.”
मेरी इस बात के जबाब मे निशा भाभी ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.
निशा भाभी बोली “वो आज ही यहा आई और आते ही तुम्हारे बारे मे पुच्छ रही थी. लेकिन हमने उस से कह दिया की, तुम कल आ रहे हो और अभी हमने उसे प्रिया की तबीयत के बारे मे भी कुछ नही बताया है.”
निशा भाभी की इस बात पर मैने थोड़ा हैरान होते हुए कहा.
मैं बोला “लेकिन क्यो भाभी.”
निशा भाभी बोली “वो क्या है की, परसों हेतल की प्लास्टिक सर्जरी होना है. जिस सर्जन को उसकी सर्जरी करना है. वो कल हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन मे यहाँ आ रहा है. उस से हमारी ये बात पहले ही तय हो चुकी थी कि, इनॉग्रेषन के दूसरे दिन वो हेतल की सर्जरी कर देगा.”
“लेकिन तुमने खुद देखा है कि, हेतल ने अजय की शादी की बात सुनते ही, कैसे अपनी सर्जरी को टाल दिया था. हमे डर था कि, वो कहीं प्रिया की तबीयत की बात सुनते ही, फिर से अपनी सर्जरी को टाल ना दे.”
“यदि हम फिर से उस सर्जन को सर्जरी के लिए मना करते तो, इस से उसके सामने हमारी छवि (इमेज) खराब होने का ख़तरा था. इसलिए अभी हमे हेतल से प्रिया की तबीयत की बात को छुपा कर रखना पड़ा है.”
“हेतल ने यहाँ आते ही, हमसे कहा था कि, उसकी सर्जरी के समय तुम्हे ज़रूर बुला लिया जाए. लेकिन हम प्रिया की तबीयत की बात उस से छुपा रहे थे. इसलिए हमने उसे तुम्हारे यहाँ होने की बात भी पता नही चलने दी.”
“हमने उस से कह दिया कि, तुम कल हॉस्पिटल के इनॉग्रेषन मे आ रहे हो और हेतल की सर्जरी की बात हम तुम्हे यहाँ आने पर ही बताएगे. इसलिए हेतल ने भी तुमको अचानक चौका देने की बात सोच कर, इस बारे मे तुम्हे कॉल नही किया.”
निशा भाभी की ये बात सुनकर, मैने कुछ सोचते हुए कहा.
मैं बोला “भाभी, ये तो बहुत खुशी की बात है कि, हेतल दीदी की सर्जरी हो रही है. मैने खुद ही हेतल दीदी से कहा था कि, अपनी सर्जरी के समय पर मुझे बुलाना मत भूलना.”
“लेकिन भाभी कल तो प्रिया को नये हॉस्पिटल मे शिफ्ट किया जा रहा है और कल हेतल दीदी भी वहाँ रहेगी. ऐसे मे प्रिया की बात उनसे कैसे छुपि रह सकेगी और वो प्रिया के बारे मे भी तो पुछ सकती है.”
मेरी ये बात सुनकर, सेलू दीदी ने हंसते हुए कहा.
सेलिना बोली “उसकी फिकर तुम मत करो. उनकी हर बात का जबाब देने के लिए सीरू दीदी, हर समय उनके साथ है. उन्हो ने हेतल दीदी के बिना कुछ पुच्छे ही, उनको बता दिया है कि, प्रिया अभी अपनी चाची के घर गयी है.”
“अभी भी हम सबको यहाँ आना था तो, वो हमारे निकलने के पहले ही, हेतल दीदी को अपने साथ लेकर निकल गयी. सीरू दीदी के रहते, तब तक कोई गड़बड़ नही हो सकती, जब तक वो खुद ही कोई गड़बड़ करना ना चाहे.”
सेलू दीदी की ये बात सुनते ही, सबकी हँसी गूँज गयी. इसके बाद, सब कल के बारे मे बात करते रहे. फिर 8:30 बजे के बाद, निशा भाभी लोग घर चली गयी. उनके जाने के कुछ देर बाद, छोटी माँ और पद्मिनी आंटी लोग भी घर चली गयी.
अब हॉस्पिटल मे कल की तरह मैं, राज और रिया ही रह गये थे. शिखा दीदी ने जाते जाते, पद्मिनी आंटी से जता दिया था की, हम लोगों के लिए खाना वो भेजेगी. इसलिए अब राज के घर से किसी के आने की कोई उम्मीद नही थी.
आज सुबह के बाद से, मेरी अजय से कोई मुलाकात या बात नही हो पाई थी. लेकिन शिखा दीदी के खाना भेजने की बात की वजह से से, मुझे अभी अजय के आने की उम्मीद ज़रूर लगी हुई थी.
लेकिन देखते देखते, 10 बज गया. मगर ना तो अजय का कुछ पता था और ना ही अभी तक शिखा दीदी के यहाँ से हमारा खाना आया था. राज ने जब समय देखा तो, मुझसे कहा.
राज बोला “यार, 10 बज गया है और अब मुझे बहुत भूख लग रही है. लेकिन हमारे खाने का कुछ पता नही. कहीं ऐसा तो नही कि, शिखा दीदी घर जाकर, हमारा खाना भेजने की बात भूल गयी हो.”
राज की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.
मैं बोला “नही, ऐसा नही हो सकता. तुम भूल रहे हो कि, अमन के यहाँ डिन्नर का समय 9:30 बजे का है. मुझे लगता है कि, हमारा खाना अजय लेकर आएगा और अजय यहाँ आया तो, फिर वो देर रात तक हमारे साथ ही रुकेगा. इसलिए शायद हमारा खाना उनके डिन्नर के बाद ही आएगा.”
मेरी बात सुनकर, राज चुप हो गया. लेकिन उसकी हरकतों से पता चल रहा था की, उसे सच मे बहुत ज़ोर की भूख लगी है. एक बार तो, मेरा मन किया कि, मैं शिखा दीदी से कॉल करके खाने की पुच्छ लूँ.
लेकिन फिर मैने कुछ देर और इंतजार करने की बात सोच कर, अपना ये इरादा टाल दिया. मेरा सोचना ज़रा भी ग़लत नही निकला. कुछ ही समय बाद, हमे अजय और अमन दोनो आते दिखाई दे गये. अजय ने हमारे पास आते ही कहा.
अजय बोला “सॉरी यार, इस अमन की वजह से तुम लोगों का खाना लाने मे देर हो गयी. मैं खाना लेकर निकल ही रहा था कि, ये भी मेरे साथ चलने की बोल कर, खुद डिन्नर करने बैठ गया.”
अजय की बात सुनकर, अमन ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
अमन बोला “यार तुम लोग ही बोलो कि, मैने डिन्नर से फ़ुर्सत होने के बाद, यहाँ आकर क्या बुरा किया. अब कम से कम हम बिना किसी फिकर के, चाहे जितनी देर यहाँ रुक सकते है.”
अमन की बात सुनकर, अजय उसे लताड़ने लगा. कुछ देर हम उनकी इस प्यार भरी नोक झोक का मज़ा लेते रहे. फिर अमन ने इस नोक झोक से अपना पिछा छुड़ाते हुए कहा.
अमन बोला “अब ये सब बातें छोड़ो और तुम लोग अपना डिन्नर कर लो. मैं प्रिया के पास जाता हूँ और रिया को यहाँ भेजता हूँ.”
ये कह कर, अमन हमारे पास से चला गया और कुछ ही देर बाद रिया आ गयी. रिया के आने के बाद, हम एक रूम मे आ गये. अजय बिना डिन्नर किए आया था. इसलिए उसने भी हमारे साथ ही डिन्नर किया.
डिन्नर करने के बाद, रिया वापस प्रिया के पास चली गयी और अमन हमारे पास आ गया. इसके बाद हमारी काफ़ी देर तक प्रिया और नये हॉस्पिटल के बारे मे बातें होती रही. फिर रात को 1 बजे अजय और अमन घर वापस चले गये.
उनके जाने के बाद, मैने राज को बताया कि, मैं सुबह सिद्धि विनायक के मंदिर जा रहा हूँ. इसलिए मैं सुबह जल्दी घर चला जाउन्गा. इसके बाद, मेरी राज से यहाँ वहाँ की बातें होती रही.
मैं और राज बीच बीच मे, अंदर जाकर प्रिया को देख आते थे. ऐसे ही करते करते सुबह के 5 बज गये. सुबह होते ही, मैने कीर्ति को कॉल लगा दिया. लेकिन शायद वो अभी भी सोकर, नही उठी थी. इसलिए उसने मेरा कॉल नही उठाया था.
मेरे दो तीन बार कॉल लगाने पर उसने मेरा कॉल उठा लिया. मैने उस से अपने घर आने की बात जाता कर कॉल रख दिया. इसके बाद, मैने राज को घर जाने की बात जताई और मैं घर के लिए निकल पड़ा.
कुछ ही देर बाद मैं घर पहुच गया. घर पहुच कर, मैने कीर्ति को कॉल लगा कर, दरवाजा खोलने को कहा. थोड़ी देर बाद, कीर्ति ने आकर दरवाजा खोला और मैं उसके साथ अंदर आ गया. लेकिन घर के अंदर का नज़ारा देख कर मैं हैरान हुए बिना ना रह सका.
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